वन विकास निगम बिरोजा निकालने की बोरहोल विधि पर करेगा कार्य
हिमाचल प्रदेश राज्य वन विकास निगम जल्द ही बिरोजा निकालने से चीड़ के पेड़ों को होने वाले नुकसान को कम करने के लिए बोरहोल तकनीक को अपनाएगा जिससे न केवल पेड़ों को होने वाला नुकसान कम होगा बल्कि एकत्रित बिरोजा की गुणवत्ता भी उच्च स्तर ही होगी। हिमाचल प्रदेश के वन मंत्री श्री गोबिंद सिंह ठाकुर ने यह बात डॉ वाईएस परमार औदयानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी में आयोजित राज्य वन विकास निगम के अधिकारियों की एक दिवसीय प्रशिक्षण के समापन सत्र के दौरान कही। यह तकनीक विश्वविद्यालय के वन उत्पाद विभाग के वैज्ञानिकों द्वारा लंबे शोध के बाद विकसित की गई है। इस कार्यक्रम में नौणी विवि के कुलपति डॉ परविंदर कौशल, राज्य वन विकास निगम के प्रबंध निदेशक बीडी सुयाल, निदेशक (दक्षिण) केके कटैक, विश्वविद्यालय के निदेशक अनुसंधान डॉ जेएन शर्मा, वानिकी महाविद्यालय के डीन डॉ कुलवंत राय सहित विश्वविद्यालय के अन्य अधिकारी और वैज्ञानिक मौजूद रहे। इस प्रशिक्षण में निगम के 30 प्रभागीय प्रबंधकों और सहायक प्रबंधकों ने भाग लिया। इस आयोजन में वन मंत्री ने कहा कि विभाग आने वाले समय में इस नई तकनीक को अपनाएगा ताकि पेड़ों की अच्छी सेहत सुनिश्चित करने के साथ साथ अच्छी गुणवत्ता और पर्याप्त मात्रा में बिरोजा के दोहरे उद्देश्यों को पूरा किया जा सके। उन्होंने कहा कि वन विभाग विश्वविद्यालय के साथ मिलकर काम करेगा ताकि विवि द्वारा विकसित विभिन्न तकनीकों का लाभ राज्य के विकास के लिए सर्वोत्तम उपयोग में लाया जा सके। वन मंत्री ने यह भी कहा कि विश्वविद्यालय और वन विभाग मिलकर विश्वविद्यालय परिसर में एक इको-टूरिज्म मॉडल की स्थापना के लिए मिलकर कार्य करेंगे। उन्होंने कहा कि भविष्य में विश्वविद्यालय के कुलपति को राज्य के वन विभाग की सभी महत्वपूर्ण नीतिगत बैठकों में आमंत्रित किया जाएगा, ताकि उनकी विशेषज्ञता क लाभ उठाया जा सके। वन मंत्री ने बोरहोल तकनीक के प्रदर्शन ब्लॉक का भी दौरा किया और विश्वविद्यालय में एक पौधा भी लगाया। राज्य में वनों के विकास के लिए नई तकनीक को अपनाने में उनकी पहल के लिए वन मंत्री का धन्यवाद करते हुए डॉ परविंदर कौशल ने विश्वविद्यालय और वन विभाग के बीच निरंतर संपर्क का आह्वान किया। डॉ कौशल ने कहा कि पूरी दुनिया में वानिकी के विकास में अनुसंधान ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और इसलिए दोनों पक्षों के बीच नियमित बैठकों का आयोजन बहुत ही महत्वपूर्ण है। उन्होंने विभाग के जमीनी स्तर पर कार्य करने वाले कर्मचारियों कों नई तकनीक के बारे में अवगत कराने और उन्हें प्रशिक्षित करने पर भी जोर दिया। राज्य वन निगम के एमडी बीडी सुयाल ने कहा कि यह तकनीक काफी उत्साहजनक है और विधि के परिणामों का आकलन करने के लिए निगम प्रत्येक निदेशालय में 10-15,000 बोर स्थापित करेगा। उन्होंने कहा कि दूसरे चरण में विश्वविद्यालय द्वारा ठेकेदारों और मजदूरों को भी इस तकनीक पर प्रशिक्षित किया जाएगा। इससे पहले डॉ कुलवंत राय शर्मा ने वन अधिकारियों को तकनीक पर एक विस्तृत प्रस्तुति और व्यावहारिक प्रदर्शन दिया। उन्होंने कहा कि यह प्रौद्योगिकी जंगलों और बिरोजा उद्योग के लिए वरदान साबित हो सकती है।
