उत्तर भारत की दुर्गम महादेव श्रीखंड यात्रा इस बार 7 जुलाई 20 जुलाई तक चलेगी। सोमवार को हुई श्रीखंड महादेव ट्रस्ट की मीटिंग कुल्लू में आयोजित की गई, जिसमें श्रीखंड ट्रस्ट से जुड़े पदाधिकारी व सदस्यों ने बरसात के मौसम को देखते हुए इस बार जुलाई के एक सप्ताह पहले शुरू करने की बात रखी, जिसमें निर्णय लिया गया कि इस बार 7 जुलाई से 20 जुलाई तक आधिकारिक तौर पर श्रीखंड यात्रा चलेगी। इसमें प्रशासन द्वारा अधिकारिक तौर पर श्रद्धालुओं को उचित सुविधा मुहैया कराएगी। जिला उपायुक्त कुल्लू आशुतोष गर्ग की अध्यक्षता में हुई ट्रस्ट की बैठक में यात्रा की अवधि अवधि और प्रशासनिक तैयारियों से जुड़े अन्य कई बिंदु पर विस्तार से चर्चा की गई। ट्रस्ट के संस्थापक सदस्य बुद्धि सिंह ठाकुर और गोविंद प्रसाद शर्मा ने बताया कि 18,570 फीट की श्रीखंड महादेव यात्रा को बरसात होने से पहले ही यात्रा हो और यात्रा में श्रद्धालुओं को हर प्रकार की सुविधा मिले इसकी तैयारी ,सस्ते की मुरम्मत का कार्य यात्रा से एक 1 सप्ताह पहले संपन्न हो और अधिक से अधिक संख्या में देश और विदेश देश के श्रद्धालु इस यात्रा में पवित्र शिवलिंग के दर्शन कर सकें।
*कांगड़ा को मिल सकता है विलम्ब का मीठा फल सुक्खू कैबिनेट में अब तक जिला कांगड़ा को मनमाफिक अधिमान नहीं मिला है। कांगड़ा संसदीय क्षेत्र के लिहाज से भी देखे तो अब तक हिस्से में सिर्फ एक मंत्री पद आया है। हालांकि विधानसभा अध्यक्ष की कुर्सी, दो सीपीएस और कई कैबिनेट रैंक जरूर मिले है, लेकिन जो वजन मंत्री पद में है वो भला और कहाँ ? बहरहाल सवाल ये है कि जिस संसदीय क्षेत्र ने कांग्रेस की झोली में 17 में से 12 सीटें डाली, क्या सत्ता में आने के बाद कांग्रेस उसे हल्के में ले रही है, या इस इन्तजार का मीठा फल मिलने वाला है। माहिर तो ये ही मान रहे है कि जल्द कांगड़ा के इस विलम्ब की पूरी भरपाई होगी। ऐसा होना लाजमी भी है क्यों कि लोकसभा चुनाव में ज्यादा से ज्यादा एक साल का वक्त है और यहाँ हार की हैट्रिक लगा चुकी कांग्रेस कोई चूक नहीं करना चाहेगी। अलबत्ता कांगड़ा को मंत्री पद मिलने में कुछ देर जरूर हो रही है लेकिन खुद मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू का ये कहना कि वे भी कांगड़ा के ही है, उम्मीद की बड़ी वजह है। कांगड़ा को टूरिज्म कैपिटल बनाने का सीएम का विज़न हो या आईटी पार्क जैसे अधर में लटके प्रोजेक्ट्स में तेजी लाना, ये दर्शाता है कि सीएम सुक्खू कांगड़ा को लेकर किसी तरह की चूक करना नहीं चाहते। सीएम का नौ दिन का कांगड़ा दौरा भी इसकी तस्दीक करता है। सरकार के पिटारे में कांगड़ा के लिए न योजनाओं की कोई कमी नहीं दिखती। ये ही कारण है कि 2024 से पहले कांगड़ा में कांग्रेस जोश में है। इस बीच मंत्री पद भरने को लेकर फिर सुगबुगाहट तेज हुई है। माना जा रहा है कि कुल तीन रिक्त मंत्री पदों में से दो कांगड़ा के हिस्से आएंगे। इनमें एक ब्राह्मण हो सकता है और एक एससी। ऐसे में एक युवा राजपूत चेहरा भी डार्क हॉर्स है। बहरहाल अंदर की बात ये बताई जा रही है कि सब लगभग तय है और जल्द कांगड़ा को दो मंत्री पद मिलेंगे। प्रदेश की सियासत अपनी जगह पर 2024 में कांग्रेस के लिए कांगड़ा फ़तेह करना आसान नहीं होने वाला है। कई चुनौतियों के बीच कांग्रेस के सामने सबसे बड़ी चुनौती है एक दमदार चेहरा। तीन चुनाव हार चुकी कांग्रेस को ऐसा चेहरा चाहिए जो जातीय, क्षेत्रीय और पार्टी की भीतरी राजनीति के लिहाज से संतुलन लेकर आएं। पिछले तीन चुनावों में पार्टी ने यहाँ से ओबीसी कार्ड खेला है, पर नतीजे प्रतिकूल रहे है। ऐसे में पार्टी को फिर सोचने की जरुरत जरूर है। बताया जा रहा ही कि पार्टी अभी से इस पर चिंतन -मंथन में जुटी है। खुद सीएम सुक्खू चाहते है कि जो भी चेहरा हो, उसे पर्याप्त समय मिले। चर्चा में कई वरिष्ठ नाम है जिनमें पूर्व सांसद और मंत्री चौधरी चंद्र कुमार, पूर्व मंत्री और विधायक सुधीर शर्मा, आशा कुमारी जैसे नाम शामिल है। पर संभव है कि इस बार पारम्परिक कास्ट डायनामिक्स को ताक पर रख पार्टी किसी युवा चेहरे को मैदान में उतारे। सुक्खू सरकार के आईटी सलाहकार गोकुल बुटेल भी ऐसा ही एक विकल्प हो सकते है। भाजपा से कौन होगा चेहरा ! 2009 से लेकर अब तक कांगड़ा लोकसभा सीट पर भाजपा लगातार जीत दर्ज करने में कामयाब रही है। पिछले लोकसभा चुनाव में न केवल हिमाचल में बल्कि पूरे देश में भी सबसे ज्यादा मत प्रतिशत हासिल करने का रिकॉर्ड कांगड़ा संसदीय क्षेत्र के सांसद किशन कपूर के नाम रहा था। 7,25,218 मत प्राप्त कर किशन कपूर लोकसभा पहुंचे, लेकिन इस बार सियासी समीकरण कुछ बदलते नज़र आ रहे है। दरअसल 2022 के विधानसभा चुनाव में भी कांगड़ा संसदीय क्षेत्र में भाजपा की परफॉरमेंस बेहद खराब रही है। इस संसदीय क्षेत्र की 17 में से सिर्फ पांच सीटें ही भाजपा जीत पाई है। ऐसे में क्या पार्टी चेहरा बदलेगी इसे लेकर कयासों का दौर जारी है। संभावित उम्मीदवारों की फेहरिस्त में मौजूदा सांसद किशन कपूर के अलावा कई और नाम चर्चा में है। इस लिस्ट में गद्दी समुदाय से धर्मशाला के पूर्व विधायक विशाल नेहरिया का नाम भी चर्चा में है। इसके अलावा कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए पवन काजल का नाम भी लिस्ट में है। अब देखना ये होगा कि भाजपा इस दफा कांगड़ा के दुर्ग को फ़तेह करने के लिए किस पर दांव खेलती है। कब कौन बना सांसद 1977 दुर्गा चंद भारतीय लोक दल 1980 विक्रम चंद महाजन कांग्रेस 1984 चंद्रेश कुमारी कांग्रेस 1989 शांता कुमार भाजपा 1991 डीडी खनौरिया भाजपा 1996 सत महाजन कांग्रेस 1998 शांता कुुमार भाजपा 1999 शांता कुमार भाजपा 2004 चंद्र कुमार कांग्रेस 2009 डॉ. राजन सुशांत भाजपा 2014 शांता कुमार भाजपा 2019 किशन कपूर भाजपा ReplyForward * कांगड़ा को मिल सकता है विलम्ब का मीठा फल सुनैना कश्यप। फर्स्ट वर्डिक्ट सुक्खू कैबिनेट में अब तक जिला कांगड़ा को मनमाफिक अधिमान नहीं मिला है। कांगड़ा संसदीय क्षेत्र के लिहाज से भी देखे तो अब तक हिस्से में सिर्फ एक मंत्री पद आया है। हालांकि विधानसभा अध्यक्ष की कुर्सी, दो सीपीएस और कई कैबिनेट रैंक जरूर मिले है, लेकिन जो वजन मंत्री पद में है वो भला और कहाँ ? बहरहाल सवाल ये है कि जिस संसदीय क्षेत्र ने कांग्रेस की झोली में 17 में से 12 सीटें डाली, क्या सत्ता में आने के बाद कांग्रेस उसे हल्के में ले रही है, या इस इन्तजार का मीठा फल मिलने वाला है। माहिर तो ये ही मान रहे है कि जल्द कांगड़ा के इस विलम्ब की पूरी भरपाई होगी। ऐसा होना लाजमी भी है क्यों कि लोकसभा चुनाव में ज्यादा से ज्यादा एक साल का वक्त है और यहाँ हार की हैट्रिक लगा चुकी कांग्रेस कोई चूक नहीं करना चाहेगी। अलबत्ता कांगड़ा को मंत्री पद मिलने में कुछ देर जरूर हो रही है लेकिन खुद मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू का ये कहना कि वे भी कांगड़ा के ही है, उम्मीद की बड़ी वजह है। कांगड़ा को टूरिज्म कैपिटल बनाने का सीएम का विज़न हो या आईटी पार्क जैसे अधर में लटके प्रोजेक्ट्स में तेजी लाना, ये दर्शाता है कि सीएम सुक्खू कांगड़ा को लेकर किसी तरह की चूक करना नहीं चाहते। सीएम का नौ दिन का कांगड़ा दौरा भी इसकी तस्दीक करता है। सरकार के पिटारे में कांगड़ा के लिए न योजनाओं की कोई कमी नहीं दिखती। ये ही कारण है कि 2024 से पहले कांगड़ा में कांग्रेस जोश में है। इस बीच मंत्री पद भरने को लेकर फिर सुगबुगाहट तेज हुई है। माना जा रहा है कि कुल तीन रिक्त मंत्री पदों में से दो कांगड़ा के हिस्से आएंगे। इनमें एक ब्राह्मण हो सकता है और एक एससी। ऐसे में एक युवा राजपूत चेहरा भी डार्क हॉर्स है। बहरहाल अंदर की बात ये बताई जा रही है कि सब लगभग तय है और जल्द कांगड़ा को दो मंत्री पद मिलेंगे। प्रदेश की सियासत अपनी जगह पर 2024 में कांग्रेस के लिए कांगड़ा फ़तेह करना आसान नहीं होने वाला है। कई चुनौतियों के बीच कांग्रेस के सामने सबसे बड़ी चुनौती है एक दमदार चेहरा। तीन चुनाव हार चुकी कांग्रेस को ऐसा चेहरा चाहिए जो जातीय, क्षेत्रीय और पार्टी की भीतरी राजनीति के लिहाज से संतुलन लेकर आएं। पिछले तीन चुनावों में पार्टी ने यहाँ से ओबीसी कार्ड खेला है, पर नतीजे प्रतिकूल रहे है। ऐसे में पार्टी को फिर सोचने की जरुरत जरूर है। बताया जा रहा ही कि पार्टी अभी से इस पर चिंतन -मंथन में जुटी है। खुद सीएम सुक्खू चाहते है कि जो भी चेहरा हो, उसे पर्याप्त समय मिले। चर्चा में कई वरिष्ठ नाम है जिनमें पूर्व सांसद और मंत्री चौधरी चंद्र कुमार, पूर्व मंत्री और विधायक सुधीर शर्मा, आशा कुमारी जैसे नाम शामिल है। पर संभव है कि इस बार पारम्परिक कास्ट डायनामिक्स को ताक पर रख पार्टी किसी युवा चेहरे को मैदान में उतारे। सुक्खू सरकार के आईटी सलाहकार गोकुल बुटेल भी ऐसा ही एक विकल्प हो सकते है। भाजपा से कौन होगा चेहरा ! 2009 से लेकर अब तक कांगड़ा लोकसभा सीट पर भाजपा लगातार जीत दर्ज करने में कामयाब रही है। पिछले लोकसभा चुनाव में न केवल हिमाचल में बल्कि पूरे देश में भी सबसे ज्यादा मत प्रतिशत हासिल करने का रिकॉर्ड कांगड़ा संसदीय क्षेत्र के सांसद किशन कपूर के नाम रहा था। 7,25,218 मत प्राप्त कर किशन कपूर लोकसभा पहुंचे, लेकिन इस बार सियासी समीकरण कुछ बदलते नज़र आ रहे है। दरअसल 2022 के विधानसभा चुनाव में भी कांगड़ा संसदीय क्षेत्र में भाजपा की परफॉरमेंस बेहद खराब रही है। इस संसदीय क्षेत्र की 17 में से सिर्फ पांच सीटें ही भाजपा जीत पाई है। ऐसे में क्या पार्टी चेहरा बदलेगी इसे लेकर कयासों का दौर जारी है। संभावित उम्मीदवारों की फेहरिस्त में मौजूदा सांसद किशन कपूर के अलावा कई और नाम चर्चा में है। इस लिस्ट में गद्दी समुदाय से धर्मशाला के पूर्व विधायक विशाल नेहरिया का नाम भी चर्चा में है। इसके अलावा कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए पवन काजल का नाम भी लिस्ट में है। अब देखना ये होगा कि भाजपा इस दफा कांगड़ा के दुर्ग को फ़तेह करने के लिए किस पर दांव खेलती है। कब कौन बना सांसद 1977 दुर्गा चंद भारतीय लोक दल 1980 विक्रम चंद महाजन कांग्रेस 1984 चंद्रेश कुमारी कांग्रेस 1989 शांता कुमार भाजपा 1991 डीडी खनौरिया भाजपा 1996 सत महाजन कांग्रेस 1998 शांता कुुमार भाजपा 1999 शांता कुमार भाजपा 2004 चंद्र कुमार कांग्रेस 2009 डॉ. राजन सुशांत भाजपा 2014 शांता कुमार भाजपा 2019 किशन कपूर भाजपा ReplyForward
वो लोग जो बेहतर की उम्मीद में साथ छोड़ कर गए थे, शायद आज वापस हाथ पकड़ने की सोचते होंगे। हम बात कर रहे है कांग्रेस के उन तमाम नेताओं की, जिनका पूर्वानुमान एक दम गलत साबित हुआ। वो नेता जो चुनाव से पहले सत्ता में आती हुई कांग्रेस का साथ छोड़ सत्ता से बाहर होती हुई भाजपा के खेमे में जा मिले थे। इस फेहरिस्त में काँगड़ा से विधायक पवन काजल, नालागढ़ से पूर्व विधायक लखविंदर राणा और हर्ष महाजन मुख्य तौर पर शामिल है। ये वो नेता है जिनका कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल होना पार्टी के लिए बड़ा झटका माना जा रहा था, मगर परिणाम सामने आए तो झटका इन्हें ही लग गया। सर्विदित है कि अगर ऐसा न हुआ होता तो निजी तौर पर आज इनके लिए सियासी परिस्थितियां बेहतर हो सकती थी। हिमाचल प्रदेश में सत्ता की चाबी रखने वाले कांगड़ा जिले के ओबीसी नेता पवन काजल किसी समय कांग्रेस पार्टी की आंखों का 'काजल' माने जाते थे। मगर विधानसभा चुनाव से साढ़े 3 महीने पहले भाजपा ने कांग्रेस के इस 'काजल' को अपनी आंखों का 'नूर' बना लिया था। यूँ तो काजल भाजपा से ही कांग्रेस में आए थे, मगर काजल की ऐसे भाजपा में वापसी होगी ये किसी ने नहीं सोचा था। दरअसल पवन काजल ने वर्ष 2012 में भाजपा का टिकट नहीं मिलने पर बगावत करते हुए बतौर निर्दलीय कैंडिडेट चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। विधानसभा चुनाव में तब पवन काजल पहली बार जीते थे। पवन काजल के विधानसभा चुनाव जीतने के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह उन्हें कांग्रेस में ले आए। वीरभद्र सिंह ने ही वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में पवन काजल को कांगड़ा से कांग्रेस का टिकट दिया। पवन काजल भी वीरभद्र सिंह के भरोसे पर खरा उतरे और लगातार दूसरी बार विधायक चुने गए। काजल अक्सर ये कहा भी करते थे कि वे कांग्रेस के साथ नहीं वीरभद्र सिंह के साथ है। कांग्रेस ने उन्हें कार्यकारी अध्यक्ष भी बनाया, मगर काजल ने कांग्रेस को छोड़ जाना सही समझा। काजल तो चुनाव जीत गए, मगर भाजपा चुनाव हार गई। माना जाता है कि अगर काजल पार्टी न छोड़ते तो उनका मंत्री पद तय था। बात लखविंदर राणा की करें तो राणा तीन बार कांग्रेस टिकट पर चुनाव लड़ विधानसभा पहुंचे थे । वर्ष 2010-11 में नालागढ़ के तत्कालीन विधायक हरिनारायण सैणी के निधन के बाद हुए उपचुनाव में लखविंद्र राणा कांग्रेस के टिकट पर मैदान में उतरे और पहली बार विधायक चुने गए। वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में राणा हार गए। वर्ष 2017 में उन्होंने एक बार फिर नालागढ़ सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। मगर 2022 के विधानसभा चुनाव से साढ़े 3 महीने पहले वह कांग्रेस छोड़कर भाजपा में चले गए। भाजपा ने उन्हें टिकट दिया मगर भाजपा में बगावत के चलते राणा चुनाव हार गए। इन दो विधायकों के अलावा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कहे जाने वाले हर्ष महाजन भी चुनाव से पहले भाजपा के हो गए थे। शायद ही किसी ने सोचा हो कि वीरभद्र सिंह के हनुमान कहे जाने वाले हर्ष महाजन और कांग्रेस की राह अलग भी हो सकती है। हर्ष महाजन होलीलॉज के करीबी थे और वे कई बार वीरभद्र सिंह के चुनाव प्रभारी भी रह चुके थे। कहते है कि साल 2012 के विधानसभा चुनाव में वीरभद्र सिंह को मुख्यमंत्री बनाने में हर्ष महाजन का सबसे बड़ा योगदान रहा था। इस चुनाव से पहले भी कांग्रेस द्वारा इन्हें कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया था, मगर कांग्रेस पर नज़रअंदाज़गी का आरोप लगाते हुए महाजन भाजपा में शामिल हो गए थे। हालंकि अब भाजपा में हर्ष महाजन को कितनी तवज्जो मिल रही है, ये वे ही जानते होंगे। अगर महाजन कांग्रेस में रहते तो शायद बात कुछ और होती।
प्रदर्शन और आभार कार्यक्रम तो बहुत हुए मगर इस तरह पहले कभी सरकार का आभार व्यक्त करने को कर्मचारियों का हुजूम नहीं उमड़ा। लाखों की संख्या में कर्मचारी सीएम सुक्खू का दिल की गहराईयों से आभार करने को पहुंचे और धर्मशाला का पुलिस ग्राउंड जय सुक्खू के नारो से गूँज उठा। ऐसा स्वागत या स्नेह, सरकार को कर्मचारियों से शायद ही पहले कभी मिला हो, और हो भी क्यों न सीएम सुक्खू के नेतृत्व की इस कांग्रेस सरकार ने कर्मचारियों की उस मांग को पूरा किया है जिसके लिए प्रदेश के लाखों कर्मचारी सालों तक नेताओं की दरों पर दस्तक देते रहे। सीएम सुक्खू ने कर्मचारियों के इस अनंत संघर्ष पर पूर्ण विराम लगाया है, जिसके लिए कर्मचारियों ने सीएम सुक्खू को सर माथे लगा लिया। कभी उन्हें नायक बताया तो कभी पेंशन पुरुष। आभार के जवाब में सीएम सुक्खू भी कह गए कि मैं आपका सेनापति हूँ और आप मेरी सेना हो। 11 दिसंबर को कर्मचारियों के आशीर्वाद से कांग्रेस सरकार बनी और आगे भी ऐसे ही हमारा साथ देते रहना। कर्मचारियों की ये मांग कोई आम मांग नहीं थी। ये वो मसला था जिससे प्रदेश के लाखों कर्मचारियों का भविष्य जुड़ा था, वो कर्मचारी जो एनपीएस के अंतर्गत आते थे और जिन्हें शायद सेवानिवृत होने के बाद अपने बुढ़ापे में किसी और का सहारा लेना पड़ता। एनपीएस के अंतर्गत आने वाले कर्मचारियों के ऐसे कई मामले सामने आए है, जब इन कर्मचारियों को सेवानिवृत होने के बाद नाम मात्र पेंशन मिली। पूरे जीवन सरकार की सेवा करने के बाद ये कर्मचारी बुढ़ापे में इतने लाचार हो गए की जीवन व्यापन कठिन हो गया। इसी के बाद से पुरानी पेंशन बहाली के लिए महासंघर्ष का आरम्भ हुआ। न जाने कितनी ही हड़तालें, प्रदर्शन, अनशन इन कर्मचारियों ने किये मगर एक लम्बे समय तक इनकी नहीं सुनी गई। अपने बुढ़ापे की सुरक्षा के लिए संघर्षरत इन कर्मचारियों पर एफआईआर भी हुई, इन पर वाटर कैनन्स भी दागी गई और इनकी आवाज़ दबाने की कोशीश भी की गई, मगर संघर्ष थमने के बजाए और उग्र होता गया। आखिर जिस सरकार ने कर्मचारियों की नहीं सुनी वो सरकार सत्ता से बाहर हुई और सीएम सुक्खू के नेतृत्व की कांग्रेस सरकार कर्मचारियों के लिए मसीहा बन गई। वादे अनुसार पहली कैबिनेट की बैठक में ही पुरानी पेंशन को बहाल कर दिया गया। सरकार के इस फैसले से कर्मचारियों में केसा उत्साह है ये एक बार फिर धर्मशाला के पुलिस ग्राउंड में देखने को मिल गया।
लाहौल-स्पीति जिला के उदयपुर से करीब छह किमी दूर घाटी के दुर्गम क्षेत्र मयाड़ घाटी के भिंगी नाला में शुक्रवार देर रात्रि हिमखंड सड़क पर आ गिरा है। इससे मयाड़ घाटी का तिंगरेट और चिमरेट दो पंचायत के लोगों का उपमंडल उदयपुर से संपर्क टूट गया है। शनिवार को विधायक रवि ठाकुर को मयाड़ क्षेत्र का दौरा करना है। लेकिन वह अभी तक सड़क खुलने का इंतजार कर रहे हैं। सूचना के बाद लोक निर्माण विभाग की मशीनरी मौके पर पहुंच गई है और सड़क से हिमखंड को हटाने का काम शुरू कर दिया है।
प्रदेश में शुक्रवार रात को हुई ताजा बर्फबारी से मनाली-लेह मार्ग और दारचा-शिंकुला दर्रा यातायात के लिए बंद हो गया है। ऐसे में शनिवार को लेह की तरफ से वाहनों को मनाली की तरफ नहीं भेजा जा रहा है। देर रात को बारालाचा और जिंगजिंगार में गाड़ियां फंस गई थीं उन्हें निकाला जा रहा है। करीब 500 से 600 वाहन फंसे हैं। बीआरओ भी हाईवे तीन को चौड़ा करने के लिए सड़क के किनारों से बर्फ हटाने में जुटा है। इसके अलावा लाहौल और स्पीति में ताजा बर्फबारी हुई है।
वीरवार को आनी के जाबन क्षेत्र में भालू ने अलग-अलग स्थानों पर दो लोगों पर हमला बोलकर उन्हें बुरी तरह से नोच डाला। पहले मामले में जाबन क्षेत्र के छनोट का 76 वर्षीय वृद्ध श्याम दास पुत्र जिंदू राम वीरवार दोपहर के समय जंगल में बकरियां चरा रहा था। इसी बीच झाड़ियों में छुपे भालू ने श्याम लाल पर अचानक हमला बोलकर उसे चेहरे से बुरी तरह नोच कर गंभीर रूप से जख्मी कर दिया। घटना की सूचना मिलते ही स्थानीय लोग व परिजन फ़ौरन घटना स्थल पर पहुंचे और गंभीर रूप से जख्मी श्याम लाल को आनी अस्पताल पहुंचाया, जहां डॉक्टरों ने प्राथमिक उपचार के बाद.उसे आईजीएमसी शिमला रेफर कर दिया है। दूसरी घटना भी जाबन क्षेत्र के नगाली कैंची के समीप पेश आई, जहां नाले में जंगली सब्जी लिंगड को चुन रहे नेपाली मूल के मजदूर लालू भादर पर भी झाड़ियों में छुपे भालू ने अचानक हमला बोला और उसे सिर व शरीर के अन्य हिस्सों में नोचकर बुरी तरह जख्मी किया। उसके चीखने चिल्लाने पर भालू भाग खड़ा हुआ। चीखने की आवाज सुनकर ग्रामीण वहां पहुंचे और जख्मी लालू को फ़ौरन उपचार के लिए आनी अस्पताल लाया। डाॅक्टरोंं ने प्राथमिक उपचार के बाद उसे आईजीएमसी शिमला रेफर कर दिया। इस घटना से क्षेत्र में दहशत का माहौल बना हुआ है और लोग जंगली जानवरों के हमलों से सहमे हुए हैं। लोगों ने वन विभाग से इन आदमखोर जानवरों को जल्द पकड़ने की गुहार लगाई है।
***कुल्लू जिले के स्नॉवर वैली पब्लिक स्कूल बजौरा की छात्रा मानवी ने 99.14 प्रतिशत (694) अंक लेकर प्रदेश में पहला स्थान हासिल किया है। हमीरपुर जिले के सीनियर सेकेंडरी स्कूल चूबतरा की छात्रा दीक्षा कथयाल ने (693) 99 प्रतिशत अंक लेकर प्रदेश में दूसरा स्थान हासिल किया है। वहीं हमीरपुर जिले के ही दो छात्रों ने संयुक्त रूप से तीसरा स्थान हासिल किया है। न्यू इरा सीनियर सेकेंडरी स्कूल परोल के छात्र अक्षित शर्मा और सीनियर सेकेंडरी स्कूल बदारान के छात्र आकर्षक ठाकुर ने 98.86 प्रतिशत (692) अंक लेकर प्रदेश में तीसरा स्थान हासिल किया है। हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड ने 10वीं कक्षा का परिणाम घोषित कर दिया है। शिक्षा बोर्ड के सचिव डॉ. (मेजर) विशाल शर्मा ने बताया कि 91440 विद्यार्थियों ने 10वीं कक्षा की परीक्षा दी थी जिसमें से 81732 विद्यार्थी परीक्षा में पास हुए हैं और 7534 विद्यार्थी परीक्षा में फेल हुए हैं। उन्होंने ने बताया कि इस बार का परिणाम 89.7 प्रतिशत रहा है। वर्ष 2022 में 10वीं कक्षा का परीक्षा परिणाम 87.5 प्रतिशत रहा था। सचिव डॉ. (मेजर) विशाल शर्मा ने बताया कि विद्यार्थी शिक्षा बोर्ड की बेवसाइट पर परिणाम चेक कर सकते हैं।
हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड ने 10वीं कक्षा का परिणाम घोषित कर दिया है। शिक्षा बोर्ड के सचिव डॉ. (मेजर) विशाल शर्मा ने बताया कि परिणाम 89.7 प्रतिशत रहा है। 91440 विद्यार्थियों ने 10वीं कक्षा की परीक्षा दी थी। 81732 विद्यार्थी परीक्षा में पास हुए हैं। 7534 विद्यार्थी परीक्षा में फेल हुए हैं। वर्ष 2022 में 10वीं कक्षा का परीक्षा परिणाम 87.5 प्रतिशत रहा था। सचिव डॉ. (मेजर) विशाल शर्मा ने बताया कि विद्यार्थी शिक्षा बोर्ड की बेवसाइट पर परिणाम चेक कर सकते हैं।
प्रदेश के जिला कुल्लू में ब्यास नदी में एक राफ्ट पलटने से महाराष्ट्र की महिला पर्यटक की मौत हो गई है। जानकारी के लिए अनुसार जिला मुख्यालय कुल्लू के पास बबली में यह घटना घटी है। महाराष्ट्र से पूरा पूरिवार पर्यटन नगरी कुल्लू-मनाली की ओर घूमने आया था। ब्यास नदी में राफ्टिंग का आनंद लेने के लिए परिवार उतरा और अचानक राफ्ट पलट गई। राफ्ट पटलने से महिला ब्यास नदी में डूब गई और गाइड ने महिला को नदी से बाहर निकालने का प्रयास किया और तुरंत अस्पताल पहुंचाया, लेकिन डाक्टरों ने महिला को मृत घोषित कर दिया। अन्य सभी पर्यटक सुरक्षित हैं। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
साइंस स्ट्रीम में ओजस्विनी उपमन्यु ने प्रदेश में पहला स्थान हासिल किया है। 500 में से 493 अंक (98.6 प्रतिशत) हासिल किए हैं। ओजस्विनी उपमन्यु जिला ऊना के घनारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल के छात्र हैं। कॉमर्स स्ट्रीम में सिरमौर जिले के सीनियर सेकेंडरी स्कूल सराहन की छात्रा वृंदा ठाकुर ने प्रदेश में पहला स्थान हासिल किया है। वृंदा ने 500 में से 492 अंक (98.4 प्रतिशत) हासिल किए हैं। आर्ट्स स्ट्रीम में प्रदेशभर में पहले स्थान पर चार विद्यार्थी रहे हैं। चारों ने 500 में से 487 अंक (97.4 प्रतिशत) हासिल किए हैं। डीएवी सीनियर सेकेंडरी स्कूल ऊना की छात्रा तरनिजा शर्मा, रूट मॉडल सीनियर सेकेंडरी स्कूल करसोग की छात्रा दिव्य ज्योति, सीनियर सेकेंडरी स्कूल पोर्टमोर शिमला की छात्रा नूपुर कैथ और सिरमौर जिले के सीनियर सेकेंडरी स्कूल जरवा जुनेली के छात्र ज्येश प्रदेश भर में पहले स्थान पर रहे हैं।
हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड (HPBOSE) 12वीं कक्षा का वार्षिक (12th Class Result) परिणाम इस बार 79.4 फीसदी रहा है। ऊना की सीसे स्कूल घनारी की ओजस्वनी उपमन्यु पुत्री राम कुमार ऑलओवर परीक्षा में 98.6 अंक हासिल कर पहले स्थान पर रही। सिरमौर की वृंदा ठाकुर पुत्री अरुण कुमार ने 98.6 फीसदी अंक हासिल कर दूसरे नंबर पर रही वहीं सीसे स्कूल चूरड़ू की कनूप्रिया पुत्री संजय कुमार ने 98.2 फीसदी अंक लेकर तीसरा स्थान हासिल किया।
**ओजस्विनी उपमन्यु ने साइंस संकाय में 500 में से 493 अंक (98.6 प्रतिशत) हासिल कर प्रदेश में पहला स्थान हासिल किया है। जिला ऊना के घनारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल के छात्र हैं। **कॉमर्स संकाय में सिरमौर जिले के सीनियर सेकेंडरी स्कूल सराहन की छात्रा वृंदा ठाकुर ने 500 में से 492 अंक (98.4 प्रतिशत) हासिल प्रदेश में पहला स्थान हासिल किया है। **आर्ट्स संकाय में प्रदेशभर में चार विद्यार्थी ने 500 में से 487 अंक (97.4 प्रतिशत) हासिल कर पहला स्थान हासिल किया है। जिसमे डीएवी सीनियर सेकेंडरी स्कूल ऊना की छात्रा तरनिजा शर्मा, रूट मॉडल सीनियर सेकेंडरी स्कूल करसोग की छात्रा दिव्य ज्योति, सीनियर सेकेंडरी स्कूल पोर्टमोर शिमला की छात्रा नूपुर कैथ और सिरमौर जिले के सीनियर सेकेंडरी स्कूल जरवा जुनेली के छात्र ज्येश प्रदेश भर में पहले स्थान पर रहे हैं। हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड ने 12वीं कक्षा की परीक्षा परिणाम घोषित कर दिया है। परिणाम 79.4 प्रतिशत रहा है। 105369 विद्यार्थियों ने 12वीं कक्षा की परीक्षा दी थी जिसमे से 83418 विद्यार्थी परीक्षा में पास हुए हैं।13335 विद्यार्थियों की कंपार्टमेंट आई है। 8139 विद्यार्थी परीक्षा में फेल हुए हैं। वर्ष 2022 में 12वीं कक्षा का परीक्षा परिणाम 93.90 प्रतिशत रहा था। सचिव डॉ. (मेजर) विशाल शर्मा ने जानकारी दी की विद्यार्थी शिक्षा बोर्ड की बेवसाइट पर अपना परिणाम देख सकते हैं।
हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड 12वीं कक्षा का वार्षिक परिणाम शनिवार सुबह 11 बजे घोषित करेगा। स्कूल शिक्षा बोर्ड के सचिव डॉ. विशाल शर्मा ने पुष्टि करते हुए बताया कि तकनीकी कारणों के चलते आज परिणाम घोषित नहीं किया जा सका। शनिवार सुबह 11 बजे परिणाम घोषित कर दिया जाएगा। रिजल्ट घोषित करने के लिए लगभग सारी औपचारिक्ताएं पूरी की जा चुकी हैं।
निरमंड उपमंडलाधिकारी कार्यालय के बाहर मंगलवार को किसान सभा सीपीआईएम इकाई निरमंड के बैनर तले निरमंड ब्लॉक में सड़कों व बसों की समस्याओं को लेकर प्रदर्शन किया गया। इस प्रदर्शन को किसान सभा निरमंड ब्लॉक के अध्यक्ष देवकी नंद, किसान सभा जिला सचिव पूरण ठाकुर, प्रधान ग्राम पंचायत राहणू तेज राम, प्रधान ग्राम पंचायत घाटू भोगा राम, टीपू, पूर्व पंचायत ग्राम पंचायत भालसी राधा देवी व कश्मीरी लाल ने संबोधित किया। उन्होंने कहा कि निरमंड ब्लॉक में सड़कों की बहुत ही खस्ताहालत है, सड़कों में गड्ढे ही गड्ढे दिखते हैं, जिससे कभी भी कोई अप्रिय घटना घट सकती है। उन्होंने कहा कि बसों की भी कमी है, आज भी कई क्षेत्र हैं जहाँ बसें नही जा रही हैं जिससे कि लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। रविवार को बसे ना चलने से भी लोग दुखी हैं। उन्होंने कहा कि इन मुद्दो को लेकर उपमंडलाधिकारी निरमंड के साथ भी आज बैठक हुई, जिसमें अड्डा प्रभारी निरमण्ड व थाना प्रभारी निरमण्ड भी मौजूद रहे।बैठक में इन मुद्ददों पर चर्चा हुई। इस बैठक मे कुछ मुद्दों पर विभाग ने माना कि जो बस रामपुर से कांडा कतमोर तक जाती थी, वह बस आजकल बांदल तक ही जाती थी, वह बस आज से ही कंडा कतमोर जाएगी। डमेहली बस जो अरसू तक जाती थी, वो बस भी आज से ही चुनागही तक जाएगी। क्योंकि आगे सड़क का काम चला है। शिमला से शरशाह निजी बस जो कि आजकल उरटू तक ही जाती थी वो बस भी आज से शरशाह तक चलने का आश्वासन दिया गया। कुण्डकोड ठारवा बस एक सप्ताह के अंदर चलाई जाएगी।
समृद्ध हिमाचल विविधताओं का राज्य है। यहाँ अलग-अलग जगहों पर परंपराएं, प्रथाएं और रीति-रिवाज सब भिन्न हैं। यहाँ एक ही धर्म और यहां तक की एक जाति में भी स्थान के आधार पर रीति रिवाज बिलकुल अलग होते हैं। इन रीति रिवाजों को अगर जानना है तो आप किसी त्यौहार, मेले और किसी शादी में पहुंच जाएं। यहाँ त्यौहार-मेले और शादियों में कुछ रिवाज़ अदा किये जाये है जिसको देख कर या जानकर आप भी चौंक जाएंगे। ऐसे ही कुछ रीति रिवाज़ो को लेकर पेश है फर्स्ट वर्डिक्ट की यह विशेष रिपोर्ट..... यहाँ बहन बनती है दूल्हा ! हिमाचल प्रदेश के जनजातीय इलाके लाहौल-स्पीति में बहन अपने भाई के लिए दूल्हा बनती है। इसके बाद बड़े धूम धूमधाम से बारात लेकर बहिन दूल्हे के रूप धारण कर भाई की ससुराल पहुंचती है। इसके बाद बहन ही भाभी के साथ 7 फेरे लेती है और नई दुल्हन को ब्याह कर घर ले आती है। जी हाँ, आप बेशक यह पढ़कर चौंक गए होंगे लेकिन ये वास्तविक है और इस रिवाज़ का वर्षों से निर्वहन किया जा रहा है। अगर किसी लड़के की बहन ही न हो तो ऐसी स्थिति में उसका छोटा या बड़ा भाई दूल्हा बनकर जाता है। फिर शादी की सभी रस्में निभाकर दुल्हन को घर ले आता है। यह परम्परा शुरू क्यों हुई यह कह पाना काफी जटिल है लेकिन कहा जाता है कि यह परंपरा लड़के के किसी कारण शादी के दिन घर पर नहीं होने की स्थिति के लिए शुरू किया गया था, लेकिन धीरे-धीरे यह एक परंपरा बन गई। अब तो बहन ही सिर सजाकर दूल्हा बनती है और दुल्हन को घर में लाती है। ब्याह में जोगी रस्म की अदायगी जनेऊ को काफी पवित्र सूत माना जाता है। पुराने समय की बात की जाए तो पहले कम उम्र में ही जनेऊ धारण करवा दिया जाता था, लेकिन अब ऐसा बहुत कम देखने को मिलता है कि बचपन में जनेऊ धारण किया जाए। हालांकि हर जगह जनेऊ धारण करने का अलग तरीका होता है। हिमाचल प्रदेश में जनेऊ धारण करने का तरीका काफी अलग है। कुछ लोगों के घरों में जनेऊ संस्कार बचपन में ही संपन्न हो जाता है जबकि कुछ लोग इसे विवाह से पहले संपन्न कराते हैं। कहा जाता है कि जब तक कोई पुरुष जनेऊ धारण नहीं करता तब तक वह विवाह नहीं कर सकता है। ऐसे में इस रस्म को शादी समारोह के दौरान ही संपन्न करा दिया जाता है और अगर घर में बड़े भाई का विवाह होता है तो कुछ लोग बड़े भाई के साथ ही छोटे भाई को भी जनेऊ धारण करा दिया जाता है। इस रस्म में लड़के को पहले महंदी लगाई जाती है और फिर उस पर हल्दी का लेप लगाया जाता है. इसके बाद उसे स्नान कराकर भिक्षा दी जाती है, जिस व्यक्ति को जनेऊ पहनाया जाता है उसे जोगी बनाकर कानों में कुंडल की जगह भल्ले, हाथ में एक चिमटा, सोठी और कांधे पर एक थैली टांगकर घर से थोड़ा दूर भेजा जाता है। इस दौरान उसकी मां, बहने और परिवार की बुजुर्ग महिलाएं उसकी झोली में भिक्षा डालती हैं। इसके साथ ही घर की महिलाएं जनेऊ धारण करने वाले पुरुष गृहस्थ जीवन में प्रवेश कर उसे निभाने की कसम देकर उसे घर वापस लाती हैं। हिमाचल प्रदेश की इस अनोखी जोगी रस्म को शादी ब्याह के अवसर पर हंसी-मजाक के साथ निभाया जाता है। यहाँ शादी में फेरे नहीं लिए जाते... हिमाचल में सबसे अद्भुत शादी किन्नौर की मानी जाती हैं। यहां का विवाह आम शादियों से बिल्कुल अलग होता हैं। यहाँ दूल्हा और दुल्हन न अग्नि के फेरे लेते है और न ही मांग भरना अनिवार्य होता है। यहाँ शादी में बलि दी जाती है। यहां देवी-देवता की मर्जी से ही शादी होती है। शादी से पहले यहां मंदिर में बलि दी जाती है। इसके बाद देवता को घर लाया जाता है। दुल्हन के घर जाने से पहले पुजारी नदी और नालों के पास बुरी शक्तियों को भगाने की पूजा करते हैं। शादी से ठीक पहले दूल्हा-दुल्हन मंदिर में पूजा के लिए जाते हैं। दहेज लेने और देने दोनों पर रोक है, लेकिन वर पक्ष नई नवेली दुल्हन के भविष्य के लिए कुछ सम्पति देने का कागजी वादा करते है, जिसे "पिठ" कहा जाता है। जिला किन्नौर की एक और रिवाज़ काफी प्रचलित है वो है बहु पति विवाह यानि Polyandrous marriage। जिला किन्नौर में महिलाओं को 4 शादियां करने की आजादी है। ज्यादातर मामलों में महिलाएं एक ही परिवार भाइयों से शादी करती हैं। इस विवाह के बारे में स्थानीय लोग बताते है कि महाभारत काल के दौरान पांडव जब अज्ञातवास पर थे, तब वे यहां आए थे। सर्दियों के दौरान गांव की एक गुफा में द्रौपदी और कुंती के साथ उन्होंने कुछ वक्त बिताया था। बाद में यहां के स्थानीय लोगों ने भी कई पतियों वाली परंपरा को अपना लिया। शादी के बाद अगर कोई भाई पत्नी के साथ कमरे में है, तो वह कमरे के दरवाजे के बाहर अपनी टोपी रख देता है। जिससे इस बात का अंदाज़ा लगाया जाता है कि पति-पत्नी एकांत चाहते हैं। ऐसे में उसके दूसरे पति कमरे में नहीं जा सकते। पत्थर मार कर मनाया जाता है मेला राजधानी शिमला से करीब 30 किलोमीटर दूर धामी के हलोग में दीपावली के अगले दिन पत्थर मारने का अनोखा मेला लगता है। सदियों से मनाए जा रहे इस मेले को पत्थर का मेला या खेल कहा जाता है। दीपावली से दूसरे दिन मनाए जाने वाले इस मेले में दो समुदायों के बीच पत्थर मारे जाते हैं। ये सिलसिला तब तक जारी रहता है जब तक कि एक पक्ष लहूलुहान नहीं हो जाता। वर्षों से चली आ रही इस परम्परा को आज भी निभाया जाता है। स्थानीय लोगों की मान्यता के अनुसार कहा जाता है कि माना जाता है कि पहले यहां हर वर्ष भद्रकाली को नर बली दी जाती थी, लेकिन धामी रियासत की रानी ने सती होने से पहले नर बली को बंद करने का हुकम दिया था। इसके बाद पशु बली शुरू हुई। कई साल पहले इसे भी बंद कर दिया गया। इसके बाद पत्थर का मेला शुरू किया गया। मेले में पत्थर से लगी चोट के बाद जब किसी व्यक्ति का खून निकलता है तो उसका तिलक मां भद्रकाली के चबूतरे में लगाया जाता है। ऐसी दो रातें जब लोग नहीं निकलते है रात को घर से बाहर हिमाचल प्रदेश में साल में 2 दिन ऐसे भी आते हैं जब यहां काली शक्तियों का साया रहता हैं। हिमाचल की ऐसी मान्यता है जिसपर यकीन करना आम इंसान के बस में नहीं हैं, लेकिन प्रदेश के कुछ एक जिलों में इसका खासा प्रभाव देखने को मिलता है। लोगों की माने तो साल के दो दिन ऐसे होते हैं जब शिव के गणों, भूत प्रेत सभी को अपनी मन मर्जी करने की पूरी आजादी होती हैं। तांत्रिक काली शक्तियों को जागृत करने के लिए साधना करते हैं। इस रात को डगयाली (चुड़ैल) की रात का पर्व भी कहा जाता है। राजधानी शिमला में तो लोग अपने दरवाजे में टिम्बर के पत्ते लगाते हैं और अपने देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना भी करते हैं। माना जाता है कि इन 2 रातों में काली शक्तियां पूरे चरम पर होती हैं। इस माह सभी देवी-देवता सृष्टि छोड़ असुरों के साथ युद्ध करने अज्ञात प्रवास पर चले जाते हैं। इस माह की अमावस्या की रात को ही डगयाली या चुड़ैल की रात कहा जाता है। इनसे बचने के लिए ऊपरी शिमला में देवता रात भर खेलते हैं और अपने भक्तों की रक्षा करते हैं। इस दौरान देवता बुरी शक्तियों से लड़ाई करने चले जाते हैं जिस डर के कारण लोग अपने घरों के बाहर दिए या मशाल जलाकर रखते हैं। ऐसा भी कहा जाता है कि इस रात देवताओं और बुरी शक्तियों के बीच की लड़ाई में यदि देवता जीत जाते हैं तो पूरा साल सुख-शांति रहती है। इस दौरान लोगों को रात में बाहर निकलने से परहेज करने की भी बात करते है। बेहद अजीब परम्परा: यहाँ महिलाओं को पहनने पड़ते है कम कपड़े हिमाचल प्रदेश में कुल्लू में पीणी गांव में एक अजीबोगरीब परंपरा सदियों से निभाई जा रही है। यहां हर वर्ष अगस्त माह में पांच दिन तक काला माह मनाया जाता है और इन दिनों में पति-पत्नी एक दूसरे से हंसी-मजाक भी नहीं करते। ये परंपरा पूर्वजों के समय से ही निभायी जा रही है। ऐसी मान्यता है कि अगर कोई महिला इस परंपरा का पालन नहीं करती है तो उसके घर कुछ अशुभ हो सकता है। अजीब बात ये भी है कि पिणी गांव की महिलाएं हर साल सावन के महीने में 5 दिन कपड़े बेहद कम पहनती हैं। कहा जाता है कि इस परंपरा का पालन नहीं करने वाली महिला को कुछ ही दिन में कोई बुरी खबर सुनने को मिल जाती है। इस दौरान पति-पत्नी एक दूसरे से पूरी तरह दूर रहते हैं। पुरुषों के लिए भी इस परंपरा को निभाना बहुत जरूरी माना जाता है। हालांकि, उनके लिए नियम कुछ अलग बनाए गए हैं। पुरुषों को सावन के पांच दिनों के दौरान शराब और मांस का सेवन करना वर्जित है । कहा जाता है कि बहुत समय पहले पिणी गांव में राक्षसों का बहुत आतंक था। इसके बाद ‘लाहुआ घोंड’ नाम के एक देवता पिणी गांव आए। देवता ने राक्षस का वध किया और पिणी गांव को राक्षसों के आतंक से बचाया। बताया जाता है कि ये सभी राक्षस गांव की सजी-धजी और सुंदर कपड़े पहनने वाली शादीशुदा महिलाओं को उठा ले जाते थे। देवताओं ने राक्षसों का वध करके महिलाओं को इससे बचाया। इसके बाद से देवता और राक्षस के बीच 5 दिन तक महिलाओं के कपड़े नहीं पहनने की परंपरा चली आ रही है। माना जाता है कि अगर महिलाएं कपड़ों में सुंदर दिखेंगी तो आज भी राक्षस उन्हें उठाकर ले जा सकते हैं। निसंदेह इस परम्परा को सुन कर या जानकर कर हर कोई चकते में आ सकता है।
1923 में एक प्रसिद्ध रूसी कलाकार ने रूस से अपनी यात्रा की शुरुआत की और कई देशो में घूमने के बाद आखिरकार हिमाचल प्रदेश की खूबसूरत वादियों में बसने का फैसला कर लिया, वो शख्सियत थे निकोलस रोरिक। निकोलस का जन्म रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में हुआ था, लेकिन अपनी जिंदगी का एक बड़ा हिस्सा उन्होंने भारत में ही गुजारा था। निकोलस अपनी पत्नी हेलेना और दो बेटों जॉर्ज और स्वेतोस्लाव रोरिक के साथ हिमाचल की कुल्लू घाटी के नग्गर में आ बसे थे। प्राचीन समय के प्रतिभाशाली चित्रकारों में निकोलस का नाम तो शामिल है ही लकिन उनके बेटे स्वेतोस्लाव को भी सबसे प्रतिभाशाली चित्रकार के रूप में जाना जाता है। यही कारण है कि आज अपनी विश्व स्तरीय चित्रकला के लिए रोरिक परिवार को भारत से लेकर रूस तक याद किया जाता है। 1874 में सेंट पीटर्सबर्ग में एक कुलीन परिवार में जन्मे निकोलस रोरिक ने 1917 की रूसी क्रांति के बाद रूस से बाहर रहने का फैसला किया। बताया जाता है कि निकोलस भारत की कला संस्कृति का गहन अध्ययन करना चाहते थे और इसकी शुरूआत उन्होंने मुंबई के एलीफेंटा की गुफाओं से की थी। फिर ये सफर कोलकाता तक पहुंचा और इसके बाद निकोलस दार्जिलिंग पहुंचे वहां पांचवें दलाई लामा जिस घर में रूके थे उसे निकोलस ने अपना निवास-स्थान बनाया। जहां से हिमालय पर्वत श्रृंखला के सुन्दर और मनोरम दृश्य दिखाई पड़ता था। दार्जीलिंग के कुछ महीने के प्रवास के दौरान उन्होंने 'हिज कंट्री 'शीर्षक से चित्र श्रृंखला बनाई जिसमें हिमालय पर्वत श्रृंखला को उच्च आध्यात्मिक सुंदरता के साथ चित्रित किया। हिमाचल प्रदेश की कुल्लू घाटी की वादियों से निकोलस इतने प्रभावित हुए कि दो दशकों से भी अधिक समय कुल्लू घाटी में बिताया। अपनी चित्रकारी कि कला से निकोलस ने नग्गर, कुल्लू और लाहौल को दुनिया के कलात्मक मानचित्र पर लाया। आज, इन उत्कृष्ट कृतियों को दुनिया भर में प्रदर्शित किया जाता है। मास्को में रोरिक के अंतर्राष्ट्रीय केंद्र से लेकर चित्रकला परिषद बैंगलोर, इलाहाबाद संग्रहालय, भारत में हॉल एस्टेट नग्गर और न्यूयॉर्क में रोएरिच संग्रहालय तक निकोलस कि चित्रकला देखने को मिलती है। न केवल कुल्लू घाटी बल्कि रोरिक परिवार लाहौल के प्रति भी बेहद जुनूनी थे। कहा जाता है कि लाहौल के ठाकुर प्रताप चंद ने उन्हें प्रसिद्ध शशूर गोम्पा के पास केलांग के ऊपर गुंगशुल गाँव में बसाने में मदद की थी। तब पूरा लाहौल निकोलस और स्वेतोस्लाव के लिए एक स्टूडियो था, जिन्होंने वहां 130 से ज्यादा उत्कृष्ट कृतियों को चित्रित किया था, उन्होंने विशेष रूप से गुंगशूल में ये कार्यशाला बनाई थी जिसे अंतिम रूप दिया गया था। - स्वेतोस्लाव रोरिक को मिल चूका है "पद्म भूषण" अवार्ड निकोलस रोरिक के बेटे स्वेतोस्लाव रोरिक भी एक प्रभावशाली चित्रकार थे। स्वेतोस्लाव ने कम उम्र में ही चित्र बनाना शुरू कर दिया था। बताया जाता है कि उन्होंने कला प्रोत्साहन सोसाइटी स्कूल की कक्षाओं में भाग लिया, होम थिएटर सेटिंग्स के लिए डिज़ाइन तैयार किए, और यहाँ तक कि थिएटर डिज़ाइन स्केच पर अपने काम में अपने पिता की मदद भी की। अपने पिता कि तरह ही स्वेतोस्लाव ने भी चित्रकला में एक अलग पहचान बनाई है। संस्कृति के क्षेत्र में उत्कृष्ट उपलब्धियों के लिए, और शांति के लिए उनके योगदान के लिए, स्वेतोस्लाव रोएरिच को भारत के सर्वोच्च नागरिक आदेश "पद्म भूषण", सोवियत आदेश "लोगों की दोस्ती" सहित विभिन्न देशों के ओवरनैटल पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था। स्वेतोस्लाव रोरिक पंडित जवाहर लाल नेहरू के अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार के विजेता भी थे। वह बल्गेरियाई ऑर्डर ऑफ किरिल और मेथोडी के साथ-साथ बुल्गारिया के वेलिकोटिरन विश्वविद्यालय के मानद डॉक्टर के खिताब के धारक रहे थे। रोरिक आर्ट म्यूजियम रोरिक आर्ट गैलरी में अलग-अलग तरह की कलात्मक चीजों को संजोया गया है। रोरिक आर्ट गैलरी, निकोलस रोरिक के घर यानि रोरिक हाउस में ही बनाई गई है, जहां निकोलस रोरिक की तरह तरह की पेंटिंग्स को रखा गया है। साथ ही यहाँ निकोलस रोरिक और उनके परिवार की चीजों को भी बंद कमरों में उसी तरह रखा गया है जैसे उनके समय में हुआ करती थी। साथ ही उनकी विंटेज कार को भी संजोकर रखा गया है। हालांकि अब निकोलस रोरिक और उनके परिबार के इस घर के अंदर जाने की अनुमति किसी को नहीं पर घर की खिडकियों से स्न्धेर देख रोरिक परिवार के रहन सहन को महसूस जरुर किया जा सकता है। इस घर के हर कोने हर जगह सिर्फ और सिर्फ कला ही झलकती है। रोरिक हाउस के बहार ही एक पेड़ के नीचे कई तरह के पत्थर की मुर्तियां राखी गई है। कहा जाता है ये सभी मूर्तियां निकोलस रोरिक अलग अलग जगह से लेकर आगे थे | - एक पेंटिंग की कीमत थी 12 मिलियन डॉलर रोरिक के चित्रों के मूल्य का अंदाजा इस बात से आसानी से लगाया जा सकता है कि 2013 में लंदन में नीलाम हुई उनकी एक पेंटिंग की कीमत 12 मिलियन डॉलर थी। कहा जाता है कि रोएरिच ने हिमालय की अपनी यात्रा के दौरान परिदृश्य का गहन अध्ययन किया था। और पहाड़ उनके चित्रों में रंग सूर्योदय और सूर्यास्त के समय बर्फीली चोटियों के जादू को फिर से जगाते हैं। ये भी माना जाता है कि रोएरिच की विभिन्न आध्यात्मिक प्रथाओं में रुचि थी और उनके चित्रों में एक सम्मोहक गुण। - रोरिक के प्रसिद्ध चित्र रोएरिच के कुछ सबसे प्रसिद्ध चित्रों में शामिल हैं बुद्ध द विनर (पूर्व सेवाओं का बैनर), 1925; सेंट सर्जियस द बिल्डर, 1925; नंगा पर्वत (बर्फीले पहाड़ों के नीचे की घाटी), 1935-36; हिमालय (माइट ऑफ द स्नो), 1945; मास्टर की कमान, 1947, पवित्र हिमालय, 1933, आदि।
हिमाचल विविधताओं का राज्य है। प्रदेश के बारह जिलो में पहन पोशाक से लेकर खानपान सब भिन्न है। हिमाचल प्रदेश एक ऐसा राज्य है जहाँ हर कला को नजदीकी से देख सकते है। पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण कई चुनौतियाँ सामने होते हुए भी यहाँ के कला प्रेमियों का मनोबल डगमगाता नहीं है। हिमाचल प्रदेश की अर्थव्यवस्था और विकास में पर्यटन के साथ-साथ हस्तकरघा, और वस्त्र का भी बहुत बड़ा योगदान है। प्रदेश के कई दस्तकारों ने दशकों से हस्तशिल्प के समृद्ध रीति-रिवाजों को डिजाइन किया है, जो अद्वितीय हैं। यही वजह है कि उनके द्वारा बनाये गए उत्पादों की देश भर में डिमांड है। आइये जानते है हिमाचल के विभिन्न जिलों के मशहूर वस्त्र, कला और उनके इतिहास के बारे में... **पश्मीना शॉल पश्मीना शॉल की बुनाई में उपयोग किया जाने वाला ऊन लद्दाख में पाए जाने वाले पालतू चांगथांगी बकरियों से प्राप्त किया जाता है। बुनकरों द्वारा कच्चा पश्म को मध्यस्थों के माध्यम से खरीदा जाता है। इसके बाद कच्चे पश्म फाइबर को ठीक से साफ किया जाता है। तदोपरांत इस फाइबर को सुलझाते हैं और उसकी गुणवत्ता के आधार पर इसे अच्छी तरह से अलग करते हैं। फिर इसे हाथ से काता जाता है और ताने (कटाई की पिन )में स्थापित किया जाता है एवं हथकरघा पर रखा जाता है। इसके बाद तैयार धागे को हाथ से बुना जाता है और खूबसूरती से शानदार पश्मीना शॉल का निर्माण किया जाता है जो दुनिया भर में प्रसिद्ध है। पश्मीना शॉल बुनाई की यह कला हिमाचल में एक परंपरा के रूप में पीढ़ी-दर-पीढ़ी से चली आ रही है। पश्मीना शॉल ने दुनिया भर के लोगों का ध्यान आकर्षित किया है और यह पूरी दुनिया में सबसे अधिक मांग वाले शॉल में से एक बन गई है। इसकी उच्च मांग ने स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा दिया है। **लिंगचे: लिंगचे हिमाचल के जनजातीय क्षेत्र लाहुल स्पीति क्षेत्र में काफी प्रसिद्ध है। यह एक प्रकार का शॉल है लेकिन इसकी लम्बाई ज्यादा बड़ी नहीं होती है। लिंगचे हाथ से बुनी हुई शॉल है जिसे स्थानीय रूप से कंधे पर लपेटने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। यह हिमाचल प्रदेश में पहाड़ी स्पीति की ग्रामीण महिलाओं द्वारा हाथ से करघे पर बुना जाता है। इसमें बुद्धिज्म से जुड़े हुए डिजाइंस देखने को मिलता है। **हिमाचली कालीन गलीचे और कालीन हिमाचल प्रदेश के हस्तशिल्प का एक महत्वपूर्ण तत्व हैं। हिमाचल में ऊन से बनी विभिन्न वस्तुएँ होम डेकोर में इस्तेमाल की जाती है। इनमें कालीन बेहद प्रसिद्ध है। ये कालीन सुंदर और असाधारण डिजाइनों के साथ सूक्ष्म रंगों, विभिन्न आकारों में बुनकरों द्वारा बनाया जाता हैं। डिजाइन से भरपूर ये कालीन बनावट में टिकाऊ होते हैं। कालीन को विभिन्न प्रकार के रूपांकनों से सजाया जाता है। इसमें ड्रैगन, हिंदू संस्कृति से प्रेरित स्वस्तिक, पुष्प, प्रकृति आधारित पैटर्न या तिब्बती पक्षी जिन्हें डाक, जीरा, ड्रेगन और बिजली के देवता आदि को धागों से डिजाइंस बना कर कालीन को खूबसूरती दी जाती है। सिरमौर जिले के पांवटा ब्लॉक के भूपपुर, पुरुवाला, सतौन और कंसन के विभिन्न गांवों में बड़ी संख्या में तिब्बती शिल्पकार ऊनी कालीन बुनते हैं। इसे बनाने के लिए बकरी के बाल और भेड़ की ऊन का उपयोग किया जाता है। **हिमाचली पट्टू हिमाचली टोपियों को हिमाचलियों का ताज कहा जाता है। हिमाचल टोपी स्थानीय लोगों की पोशाक,परिधान और वस्त्रों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। लेकिन टोपी को तैयार करने के लिए जिस कपड़े का इस्तेमाल होता है उसे हिमाचल में पट्टू कहा जाता है। इसे हथकरघे पर बुना जाता है। पट्टी के कपड़े का उपयोग आमतौर पर बंद गले के कोट, पैंट, पायजामा, जैकेट बनाने के लिए किया जाता है। इसका इस्तेमाल स्थानीय लोग चोला यानी मेल गाउन बनाने में भी करते हैं। यह मेमने के पहले कतरन से प्राप्त ऊन से बनाया जाता है। **लोइया सिरमौर की समृद्ध संस्कृति एवं सभ्यता का परिचायक लोईया प्रदेश ही नहीं देश-विदेश में भी काफी प्रसिद्ध है। लोईया सिरमौर के ट्रांस गिरि क्षेत्र की पहचान और पारंपरिक वेशभूषा है, जिसे विशेषकर सर्दियों के दौरान इस क्षेत्र के लोग शौक से पहनते हैं। वही सिरमौर जिला में सामाजिक कार्यक्रमों में मुख्य अतिथि को सम्मान के तौर पर लोईया भेंट करने की परंपरा आज भी जारी है। लोईया कश्मीर में पहने जाने वाली फेरन से मिलता जुलता है, लेकिन उसमें बाजू होते हैं। ग्रामीण लोईये का उपयोग कई प्रकार से करते हैं। उन्हें इससे सर्दियों में ठंड से राहत मिलती है और किसान बागवान जब कोई बोझ पीठ में उठाते हैं तो पीठ पर इसका दबाव भी कम पड़ता है। पारंपरिक तौर पर सर्दियों के मौसम में वस्त्रों के ऊपर पहना जाने वाला लोईया ऊन का बना होता है। आजकल यह अन्य ऊनी व सूती मिश्रित पट्टियों का भी बनाया जा रहा है। भेड़-बकरियों के पेशे से जुड़े अधिकांश लोग ऊन को स्वयं काता करते हैं और ग्रामीण स्तर पर ही स्थानीय बुनकरों से नौ ईंच चौड़ी पट्टी बुनवाई जाती है। उन पट्टियों को जोड़कर ही लोईया बनाया जाता है। **चम्बा की चप्पल चमड़े पर जरी और रेशम के धागे से महीन कारीगरी से तैयार चंबा चप्पल का डंका देश-विदेश में बजता है। चंबा चप्पल का इतिहास 500 साल पुराना बताया जाता है। जनश्रुति के अनुसार 16वीं शताब्दी में चंबा के राजा की पत्नी के दहेज में कारीगर चंबा लाए गए थे। ये कारीगर राज परिवार के लोगों के लिए चंबा चप्पल बनाते थे। समय के साथ-साथ कारीगर चंबा चप्पल लोगों के लिए भी बनाने और बेचने लगे। चंबा चप्पल के संरक्षण के लिए सरकार ने इसकी जीआई टैगिंग हासिल कर ली है। अब यह ऑनलाइन शॉपिंग प्लेटफार्म पर भी उपलब्ध है। लुप्त हो रही इस कला को बचाने के लिए आज भी लगभग सैंकड़ो कारीगर प्रयासरत हैं। **चम्बा का रुमाल : चंबा रुमाल अपनी अद्भुत कला और शानदार कशीदाकारी के लिए जाना जाता है। चंबा रुमाल की कारीगरी मलमल, सिल्क और कॉटन के कपड़ों पर की जाती है। श्री कृष्णलीला को बहुत ही सुंदर ढंग से रुमाल के ऊपर दोनों तरफ कढ़ाई करके उकेरा जाता है। महाभारत युद्ध, गीत गोविंद से लेकर कई मनमोहक दृश्यों को इसमें बड़ी संजीदगी के साथ बनाया जाता है। रुमाल बनाने में दो सप्ताह से दो महीने का समय लग जाता है। कीमत अधिक होने के कारण चंबा रुमाल को बेचना मुश्किल होता है। कहा जाता है कि 18वीं सदी में चंबा रुमाल तैयार करने का काम अधिक था। राजा उमेद सिंह (1748-64) ने कारीगरों को प्रोत्साहन दिया था। 1911 में दिल्ली दरबार में चंबा के राजा भूरी सिंह ने ब्रिटेन के राजा को चंबा रुमाल तोहफे में दिया था। 1965 में पहली बार चंबा रुमाल बनाने वाली महेश्वरी देवी को राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। चंबा रुमाल का विकास राजा राज सिंह और रानी सारदा के समय सर्वाधिक हुआ। चंबा रुमाल को प्रोत्साहित करने के लिए चंबा के राजा उमेद सिंह ने रंगमहल की नींव रखी। चंबा रुमाल पर कुरुक्षेत्र युद्ध की लघु कृति जो विक्टोरिया अल्बर्ट संग्रहालय लंदन में सुरक्षित हैं। चंबा के शासक गोपाल सिंह ने 1873 ई. में ब्रिटिश सरकार को ये भेंट किया था। **कुल्लू के पूल कुल्लू का हस्तशिल्प दुनिया भर में प्रसिद्ध है। यहां की टोपी, शॉल, मफलर और जुराबों का हर कोई दीवाना है। कुछ समय से यहां की पारंपरिक पूलों की ओर भी लोग एकाएक आकर्षित हुए हैं। कुल्लू की स्थानीय बोली में इन चप्पलों को पूलें कहा जाता है। ये चप्पल आरामदेह होने के साथ-साथ पवित्र भी हैं। मंडी-कुल्लू में पूलों को भांग के रेशे के साथ-साथ जड़ी बूटियों से तैयार किया जाता है। भांग के पत्ते के तने के साथ ही ब्यूल के रेशों का भी इसे बनाने में इस्तेमाल होता है। इन्हें पवित्र माना जाता है। इन्हें पहनकर देव स्थल के भीतर जाने में कोई पाबंदी नहीं होती। इसी खासियत को जानकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुल्लू की पूलों को काशी विश्वनाथ के पुजारियों, सेवादारों और सुरक्षाकर्मियों के लिए खड़ाऊ का बेहतरीन विकल्प माना। एक पूल का जोड़ा बनाने में तीन से चार दिन का समय लग जाता है। **नुमधा नुमधा गद्दे का स्थानीय नाम है, जो ऊन को बुनने के बजाय उसे फेल्ट कर बनाया जाता है। यह कम गुणवत्ता वाले ऊन को थोड़ी मात्रा में कपास के साथ मिलाकर तैयार किया जाता है। नमधा आमतौर पर सादे होते हैं या कशीदाकारी रंगीन डिजाइनों से सजाए जाते हैं। ये गद्दे 1.82 x 0.91 मीटर या 3.65 x 3.04 मीटर के विभिन्न आकारों में आते हैं। नुमधा की कीमत उसके आकार, ऊन की गुणवत्ता और पैटर्न पर निर्भर करती है। **गुदमा गुड़मा स्थानीय लोगों द्वारा बनाई जाने वाली भारी कंबल को कहा जाता है, जिसे विशेष रूप से कुल्लू, किन्नौर और लाहुल स्पीति और पांगी घाटी में बुना जाता है। यह ऊन से बना होता है जिसमें लंबे रेशे होते हैं। गुड़मा को प्राकृतिक ऊनी रंगों में बुना जाता है और लाल या काले रंग की सजावट के साथ तैयार किया जाता है।
हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिला के मनाली में पुलिस ने UP के युवक को 266 ग्राम चिट्टे के साथ गिरफ्तार किया है। मनाली पुलिस ने उसके खिलाफ NDPS एक्ट की धारा 21 के तहत मामला दर्ज किया है। आरोपी की पहचान 21 वर्षीय विश्वजीत उर्फ आला निवासी कानपुर उत्तर प्रदेश के रूप में कि गई है। पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार वह पिछले कुछ समय से मनाली में ही रह रहा था और स्कूली बच्चों को भी चिट्टा उपलब्ध करवा रहा था। पुलिस ने आरोपी के तहत मामला दर्ज कर कार्यवाई शुरू कर दी है।
हरिपुर में स्थित आनी महाविद्यालय का वित्त वर्ष 2023-24 के लिए स्वर्ण जयंती उत्कृष्ट महाविद्यालय योजना में चयन हुआ है। इसके तहत निदेशालय की ओर से एक करोड़ रुपये की धनराशि भी कॉलेज को जारी हो चुकी है। यह धनराशि कॉलेज के विभिन्न विकास कार्यों पर खर्च की जाएगी। आनी कॉलेज के प्राचार्य प्रो. नरेंद्र पॉल ने बताया कि स्वर्ण जयंती उत्कृष्ट महाविद्यालय योजना के तहत मिली एक करोड़ की राशि विकास के लिए बहुत मायने रखती है। कहा कि 25 लाख रुपये से कॉलेज के ड्रेनेज सिस्टम, कॉलेज के मुख्य द्वार के पास से डंगे को दुरुस्त किया जाएगा। दिव्यांगों के लिए रैंप बनाया जाएगा और अलग-अलग शौचालयों का निर्माण किया जाएगा। 30 लाख की धनराशि से कॉलेज डिजिटलीकरण किया जाएगा। इसके तहत कॉलेज में 32 आधुनिक तकनीक से लैस कंप्यूटर स्थापित किए जा रहे हैं। पांच लाख स्वर्ण जयंती उत्कृष्ट महाविद्यालय योजना में मिली एक करोड़ की धनराशि की धनराशि से कॉलेज में एक रिसर्च सेंटर बनेगा। पांच लाख की धनराशि से एक भाषा प्रयोगशाला और ई-लाइब्रेरी बनेगी। दस लाख रुपये से कॅरियर और गाइडेंस सेल बनाया जाएगा। खेलकूद और सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए 10-10 लाख की धनराशि से आधारभूत ढांचा तैयार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि आनी कॉलेज के छात्र शैक्षणिक, सांस्कृतिक और खेलकूद आदि तमाम गतिविधियों में बेहतरीन प्रदर्शन कर रहे हैं।
वो स्व. लाल चंद प्रार्थी ही थे जिन्होंने प्रदेश में भाषा विभाग और अकादमी की नींव रखी थी और आज भी प्रार्थी का नाम पूरी शिद्दत के साथ लिया जाता है। लोगों के जेहन में आज भी लाल चंद प्रार्थी द्वारा हर क्षेत्र में किए हुए काम को याद किया जाता है। कुल्लू जिला की प्राचीन राजधानी नग्गर गांव में 3 अप्रैल, 1916 को जन्मे लाल चंद प्रार्थी ने कुल्लू जिला के लिए ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश के लिए ऐसे कई कार्य किए हैं जिन्हें भूलना प्रदेश वासियों के लिए मुश्किल है। यही कारण है कि प्रार्थी का नाम आज भी कुल्लू जिला के सिर पर मुकुट की तरह चमक रहा है। स्वर्गीय लाल चंद प्रार्थी न केवल राजनीति के क्षेत्र में कुशल थे बल्कि उनके अंदर साहित्यकार, कवि और गीत-संगीत का हुनर भी खूब भरा हुआ था। स्व. लाल चंद प्रार्थी पांच भाषाओं के विद्वान थे। उन्हें हिन्दी, अंग्रेजी, संस्कृत, फारसी और उर्दू भाषा का बारीकी से ज्ञान था। प्रार्थी आमतौर पर उर्दू भाषा का इस्तेमाल अपने राजनीतिक और अन्य सभाओं के भाषणों में भी किया करते थे। जिससे वे श्रोताओं को कई घंटों तक बांधे रखते थे। उन्होंने उर्दू भाषाओं में कई गजलें और कविताओं की भी रचनाएं की, जिसमें " बजूद-ओ-आदम " रचना खास है। इसमें उर्दू भाषा में कविताएं और गजलें शामिल है जो काफी प्रसिद्ध हुई और गजल के शौकीन उन्हें आज भी शान से पढ़ते और गुनगुनाते हैं। इसके अलावा वे एक अच्छे संगीतज्ञ भी थे। परम्परागत संगीत को संजाए रखने में भी उन्होंने काफी महत्वपूर्ण भमिका निभाई है। - कभी वकील बनना चाहते थे प्रार्थी बताया जाता है कि लालचंद प्रार्थी ने आरंभिक शिक्षा कुल्लू में प्राप्त कर जम्मू में अपने भाई राम चंद्र शास्त्री के पास जाकर संस्कृत भाषा का अध्ययन किया था। तब वकील बनने की इच्छा ने उन्हें लाहौर की ओर आकर्षित किया। उस समय प्रार्थी वकील तो नहीं बन पाए, परंतु आयुर्वेदाचार्य की उपाधि 18 वर्ष की आयु में जरूर प्राप्त कर ली। लाहौर में आयुर्वेदाचार्य की पढ़ाई के दौरान उन्होने अपने विद्यालय के छात्रों का नेतृत्व किया और स्वतन्त्रता संग्राम में कूद गये। 1933 में लाहौर में ही कुल्लू के छात्रों ने मिलकर ‘पीपल्ज लीग’ की स्थापना की, जिसका उद्देश्य समाज सुधार के साथ राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेना था। इसी दौरान वह लाहौर में क्रांतिकारी दल के संपर्क में आए। कुल्लू आने पर नग्गर में एक ग्राम सुधार सभा का गठन किया, इसी के माध्यम से उन्होंने लोगों में राष्ट्रीय प्रेम और एकता की भावना का संचार किया। यहां तक कि सरकारी नौकरी छोड़कर कुल्लू के नौजवानों में देशप्रेम की लौ जगा दी। राष्ट्रीय चेतना के प्रसार में उनका महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है। -तीन बार विधायक और एक बार रहे मंत्री हिमाचल के पुनर्गठन के बाद लाल चंद प्रार्थी तीन बार विधानसभा सदस्य रहे हैं। सबसे पहले 1952 में उन्हें विधानसभा सदस्य नियुक्त किया गया। इसके बाद 1962 और 1967 में भी उन्हें विधानसभा सदस्य चुना गया। 1967 में मंत्री बनने के बाद उन्होंने हिमाचल प्रदेश में भाषा-संस्कृति विभाग और अकादमी की स्थापना की थी। उसके बाद प्रदेश में भाषाओं के संरक्षण पर अभूतपूर्व कार्य हुआ। इतना ही नहीं उस दौरान उन्हें भाषा एवं संस्कृति मंत्रालय के साथ साथ आयुर्वेद मंत्री का कार्यभार भी सौंपा गया था। प्रार्थी को भारत सरकार की ओर से आयुर्वेदा का राष्ट्रीय अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। उसके बाद प्रदेश में आयुर्वेद के क्षेत्र में काफी तरक्की हुई। कुल्लू के इतिहास का अपनी कई पुस्तकों में किया है जिक्र लाल चंद प्रार्थी ने कुल्लू जिला के इतिहास को कुल्लू देश की कहानी नामक पुस्तक में लिखकर संजोए रखने का प्रयास किया है। इस पुस्तक में कुल्लू की राजनीति, राजाओं के शासन, संस्कृति और वेषभूषा के साथ साथ भौगोलिक परिस्थितियों का भी उल्लेख किया गया है। इसके अलावा उन्होंने और भी कई पुस्तकों का लेखन किया है जो कुल्लू के इतिहास को लेकर काफी महत्व रखते हैं। - पृथ्वी राज कपूर भी कायल थे प्रार्थी के हुनर के लेखन के साथ ही प्रार्थी की प्रतिभा नृत्य और संगीत में भी थी। उन्हें शास्त्रीय गीत, संगीत और नृत्य की बारीकियों का अच्छा ज्ञान था। उनका यही हुनर उनको मुंबई की ओर भी ले गया था और ‘न्यू थियेटर्स कलकत्ता और न्यू इंडिया कंपनी लाहौर’ की दो फिल्मों में उन्होंने अहम् भूमिका निभाई थी, उनमें से एक ‘कारवाँ’ फिल्म भी थी जो उस दौर में जबरदस्त हिट रही। पृथ्वी राज कपूर के समक्ष उन्होंने जब कुल्लू लोकनृत्य को दर्शाया, तो पृथ्वी राज कपूर उनकी प्रशंसा करने से स्वयं को रोक नहीं पाए। अपने फिल्मी कलाकारों को पृथ्वी राज कपूर ने कहा था, ‘देखिए इस जवान में सृजन और दिल में चलन है। नाचते वक्त इसका अंग-अंग नाचता है, मस्ती से झूमता है। यह पैदायशी कलाकार है और आप सब नकली ….. ’। लाल चंद प्रार्थी के लिए एक बड़े कलाकार द्वारा कही यह बात मायने रखती है। -1982 में अलविदा कह गए थे प्रार्थी काव्य रचनाओं और साहित्यिक रचनाओं के लिए लाल चंद्र प्रार्थी को चांद कुल्लवी की पहचान दी गई थी। कुल्लू घाटी के इस शेरदिल इंसान के हुनर और जज्बे को देखकर लोग इन्हें शेर-ए-कुल्लू कहते थे।11 दिसंबर, 1982 को कुल्लू का यह चमकता सितारा सदा के लिए खो गया। 11 दिसंबर, 1982 को कुल्लू का यह चमकता सितारा सदा के लिए खो गया। लाल चंद प्रार्थी ने कुल्लू जिला के लिए ही नहीं बल्कि पूरे हिमाचल प्रदेश के लिए ऐसे कार्य किए हैं जिन्हें भूलना प्रदेश वासियों के लिए मुश्किल है। - एक कुशल पत्रकार के रूप में भी किया था काम लाहौर में आयुर्वेदाचार्य की पढ़ाई के दौरान उन्होने ‘डोगरा सन्देश’ और ‘कांगड़ा समाचार’ के लिए नियमित रूप से लिखना शुरू किया था। 1940 के दशक में उनका गीत ‘हे भगवान, दो वरदान, काम देश के आऊँ मैं’ बहुत लोकप्रिय था। इसे गाते हुए बच्चे और बड़े गली-कूचों में घूमते थे। उस समय उन्होंने ग्राम्य सुधार पर एक पुस्तक भी लिखी। यह गीत उस पुस्तक में ही छपा था। उन्होंने कुल्लू जिला के इतिहास को ‘कुल्लूत देश की कहानी’ नामक पुस्तक में लिखकर संजोए रखने का प्रयास किया है। इस पुस्तक में कुल्लू की राजनीति, राजाओं के शासन, संस्कृति और वेषभूषा के साथ साथ भौगोलिक परिस्थितियों का भी उल्लेख किया गया है। इसके अलावा उन्होंने और भी कई पुस्तकों का लेखन किया है जो कुल्लू के इतिहास को लेकर काफी महत्व रखते हैं। -कुल्लुवी नाटी को दिलाई अंतर्राष्ट्रीय पहचान लालचन्द प्रार्थी ने हिमाचल प्रदेश की संस्कृति के उत्थान में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। एक समय ऐसा भी था, जब हिमाचल के लोगों में अपनी भाषा, बोली और संस्कृति के प्रति हीनता की भावना पैदा हो गयी थी। वे विदेशी और विधर्मी संस्कृति को श्रेष्ठ मानने लगे थे। ऐसे समय में प्रार्थी जी ने सांस्कृतिक रूप से प्रदेश का नेतृत्व किया। इससे युवाओं का पलायन रुका और लोगों में अपनी संस्कृति के प्रति गर्व की भावना जागृत हुई। बताया जाता है कि कुल्लू जब पंजाब का एक हिस्सा था और पंजाब में अपने लोकनृत्य भांगड़ा को ही महत्त्व मिलता था, उस समय प्रार्थी ने अपने लोकनृत्य के मोह में कुल्लवी नाटी को भांगड़े के समानांतर मंच दिया। उन्होंने लोकनृत्य दल गठित करके स्वयं कलाकारों को प्रशिक्षित करके 1952 के गणतंत्र दिवस के राष्ट्रीय पर्व पर प्रदर्शित किया और पुरस्कृत होने तथा पूर्ण राष्ट्र में इसे पहचान दिलाने का भागीरथी कार्य किया। कुल्लू दशहरे को अंतरराष्ट्रीय मंच पर लाने का उनका प्रयास सफल हुआ। इसी दशहरे के मंच से कुल्वी नाटी में 12000 नर्तकों और नृत्यांगनाओं के एक साथ नृत्य को गिनीज बुक ऑफ वर्ड रिकार्ड का रिकार्ड स्थापित करना उन्हीं की प्रेरणाओं का परिणाम रहा है। कुल्लू के प्रसिद्ध दशहरा मेले को अन्तरराष्ट्रीय पटल पर स्थापित करना तथा कुल्लू में ओपन एअर थियेटर यानि कला केन्द्र की स्थापना उनके द्वारा ही हुई। कुल्लू-मनाली के पर्यटन को अंतर्राष्ट्रीय पटल पर विकसित करने उनकी बड़ी भूमिका रही है। उनका यह योगदान अविस्मरणीय रहेगा। -चांद कुल्लवी के नाम से थे प्रसिद्ध चांद कुल्लवी’ या ‘शेर-ए-कुल्लू’ कहें या लाल चंद प्रार्थी कहे, वे हमेशा अपने नाम के साथ अपने जन्म स्थान कुल्लू के साथ ही जुड़े रहना चाहते थे। अपनी मातृ भाषा के साथ उनका अपार स्नेह था। वे स्वयं को राजनीतिज्ञ की अपेक्षा पहले साहित्यकार मानते थे। वह कहा करते थे कि मुझे लोग मंत्री के नाम से तो भूल जाएंगे, परंतु साहित्य के क्षेत्र में मुझे अवश्य याद किया जाएगा।
किन्नौर, लाहुल-स्पीति, कुल्लू और आस-पास के ट्राइबल क्षेत्र के लोग हिमाचली टोपी पर सफ़ेद फूल लगाते है। क्या आप जानते है यह कौन सा फूल है? दरअसल ये फूल जैसा दिखने वाला एक बीज है। हालांकि इस का पौधा उन क्षेत्रों में नहीं मिलता है जहाँ ये फूल स्थानीय लोगों की पोशाक का एक अनिवार्य हिस्सा हैं। इस पेड़ का नाम है ओरोक्सिलम सिग्नम जिसे अरलू या टाट पटनगा भी कहा जाता है। यह बीज बड़ी तलवार के आकार की फली में मौजूद होते हैं। इसका प्रयोग ट्राइबल क्षेत्र के हिंदू और बौद्ध धर्म से जुड़े लोग भी करते है। सफेद फूल के बिना किन्नौरी टोपी की शान अधूरी मानी जाती है। इसे किन्नौर में ख्वार और सिरमौर में टाट पटनगा के नाम से जाना जाता है। देश-विदेश में पहचान पाने वाली किन्नौरी टोपी पर सफेद फूल किन्नौर में न होकर जिला सिरमौर के मैदानी क्षेत्रों में पाए जाते हैं। इस फूल को किन्नौर में ख्वार और चाम्खा, सोलन में टाट मरंगा जबकि सिरमौर में टाट पटनगा के नाम से जाना जाता है। अरलू एक छोटा से मध्यम आकार का पर्णपाती पेड़ है जो 12 मीटर की ऊंचाई तक बढ़ता है। हैरानी की बात है कि यह समशीतोष्ण क्षेत्र का पौधा नहीं है। यह लगभग सभी उपोष्णकटिबंधीय भारत में 1,200 मीटर की ऊंचाई तक बढ़ता है। इसमें बड़े यौगिक पत्ते होते हैं, जो कभी-कभी एक मीटर लंबा भी हो सकता है। पेड़ बड़े बैंगनी फूल धारण करता है। फली बड़ी, 60-90 सेमी लंबी और तलवार के आकार की होती है। ये फली के अंदर पंखों की तरह होते है। इसे निकालने के लिए चाकू से खोल दिया जाता है। इसके बाद इसे पिरोने के लिए पेटल्स को बीच में रखकर गेहूं के तनों से घुमाकर गुथ की तरह बनाया जाता है, जिसे स्थानीय भाषा में "तेकेमा" कहा जाता है। इसके बाद इसमें पसंद अनुसार बखरी कान को सम्मिलित किया जाता है जिसे वैज्ञानिक रूप से "चोरिज़िया स्पीसीओसा" के नाम से जाना जाता है। बखरी कान कपास की गेंदों का प्रतिबिंब देती हैं। इन्हें गेंद के रूप में टैग करके बनाया जाता है और विभिन्न रंगों में रंगा जाता है। इस सफेद फूल और बकरी कान से बने फूल के बिना हिमाचली टोपी की शान अधूरी मानी जाती है।
मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू स्पिति घाटी के अपने पहले प्रवास के दौरान घाटी के रंग में रंगे नजर आए। अपने भाषण की शुरूआत उन्होंने ‘जूले’ कहकर की, जिसका हिंदी में अर्थ है नमस्ते। जूले कहते ही स्थानीय लोगों ने जोरदार तालियां बजाकर मुख्यमंत्री का स्वागत किया। इसके बाद स्थानीय निवासियों ने पारंपरिक परिधान "छूबा" पहनाकर उनका स्वागत भी किया। मुख्यमंत्री की धर्मपत्नी कमलेश ठाकुर को भी स्पिति वासियों ने पारंपरिक परिधान पहनाया। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने स्थानीय संस्कृति पर आधारित कार्यक्रमों में गहरी रुचि दिखाई और कलाकारों की खुले मन से प्रशंसा की। उन्होंने कलाकारों को सम्मानित किया और सभी स्पितिवासियों को अपनी प्राचीन एवं अनूठी संस्कृति के संरक्षण के लिए बधाई भी दी।
हिमाचल प्रदेश में कोरोना की रफ़्तार लगातार बढ़ती जा रही है। संक्रमण के आंकड़ों में हर दिन बढ़ोतरी हो रही है। वहीं, कोरोना की संक्रमण दर भी अब आठ प्रतिशत को पार कर चुकी है। बीते कल को स्वास्थ्य विभाग द्वारा प्रदेश भर में कुल 5226 लोगों के सैंपल लिए थे। इनमें से 422 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं, जबकि दो लोगों की कोरोना से मौत हुई है। इनमें एक मौत ऊना और एक मौत कुल्लू जिला में हुई है। कोरोना के नए मामले कोरोना वायरस के नए मामलों में बिलासपुर जिला में 30, चंबा में 10, हमीरपुर में 71, कांगड़ा में 126, किन्नौर में सात, कुल्लू में आठ, लाहुल-स्पीति में आठ, मंडी में 85, शिमला में 23, सिरमौर में 21, सोलन में 20 और ऊना जिला में 14 नए मामले आए हैं। इन मामलों के साथ ही प्रदेश में कोरोना के एक्टिव केस 1762 हो चुके हैं, जबकि संक्रमण दर प्रदेश में 8.7 प्रतिशत हो चुकी है। कोरोना का संक्रमण मंडी, हमीरपुर और कांगड़ा जिला में सबसे ज्यादा है। एक्टिव केस की बात करें तो कांगड़ा जिला में 394, बिलासपुर में 143, चंबा में 171, हमीरपुर में 314, कांगड़ा में 392, किन्नौर में 26, कुल्लू में 60, लाहुल-स्पीति में 20, मंडी में 315, शिमला में 136, सिरमौर में 112, सोलन में 117 और ऊना में 56 एक्टिव केस है। स्वास्थ्य विभाग ने लोगों से अपील की है कि कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए कोविड प्रोटोकॉल का पालन करे।
आनी स्कूलों में बिना शिक्षकोंके बच्चों के बेहतर भविष्य की कल्पना नामुमकिन है। आनी खंड के बहुत से विद्यालयों में शिक्षकों की कमी के चलते बच्चे व अभिभावक परेशान हैं। ऐसा ही हाल राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला कोठी का है, जहां शिक्षकों की कमी पढ़ाई में बाधा बनती जा रही है। शिक्षकों की कमी से करीब 300 विद्यार्थियों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है, जिससे कई बच्चें पलायन करने को मजबूर हैं। विद्यालय में हमेशा से ही शिक्षकों की कमी रही है। पूरे टीचिंग और नॉन टीचिंग स्टाफ़ की तैनाती यहां कभी नहीं हो पाई। यहां प्रधानाचार्य, प्रवक्ता अंग्रेज़ी, हिंदी, इतिहास समेत भाषा अध्यापक, शारीरिक शिक्षक समेत लिपिक, लैब अटेंडेंट के पद खाली चल रहे हैं । एसएमसी अध्यक्ष खेम चंद ने बताया कि विद्यालय जब 2011 में अपग्रेड हुआ, तब से लैब अटेंडेंट का पद नहीं भरा गया, जबकि प्रवक्ता अंग्रेज़ी पिछले 5, इतिहास 6 सालों से खाली है। हिंदी के प्रवक्ता की तैनाती तो हुई लेकिन उनका भी तबादला हो गया। ऐसे में अभिभावकों ने सरकार से मांग की है कि जल्द इन पदों को भरा जाए, ताकि बच्चों की पढ़ाई सुचारू रूप से चल सके।
आनी उपमंडल में राणा बाग के पास एक कार दुर्घटनाग्रस्त हो गई है। हादसे में एक व्यक्ति की मौत हो गई है। हादसे के बाद क्षेत्र के लोगों ने इसकी जानकारी 108 को दी और घायल को आनी अस्पताल ले जाया गया, लेकिन व्यक्ति ने अस्पताल पहुंचने से पहले ही दम तोड़ दिया था। ऐसे में डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। मृतक की पहचान 32 वर्षीय राकेश कुमार के रूप में हुई है। वह कार में अकेला ही मौजूद था। कार अनियंत्रित होकर सड़क से नीचे दूसरी सड़क के किनारे पर जाकर रुक गई थी। घटना की सूचना मिलने पर पुलिस की एक टीम ने अस्पताल पहुंचकर शव को अपने कब्जे में ले लिया है। पोस्टमार्टम प्रक्रिया के बाद शव को परिजनों को सौंप दिया जाएगा। पुलिस ने मामला दर्ज कर हदासे के कारणों का पता लगाना शुरू कर दिया है।
महिला एवं बाल विकास विभाग परियोजना निथर के अंतर्गत बांदल वृत्त केंद्र में पोषण पखवाड़े का आयोजन किया गया। इसमें जिला मनरेगा लोकपाल सतपाल वर्मा विशेष तौर पर मौजूद रहे। कार्यक्रम के दौरान बांदल वृत्त की परिवेक्षिका सुलोचना गौतम ने गर्भवती और धात्री महिलाओं को मोटे अनाज को अपने भोजन में शामिल करने के लिए जागरूक किया गया। पोषण पखवाड़े में घर में तैयार किए व्यंजनों की प्रदर्शनी भी लगाई गई। इसमें कोदा, मक्की, जौ, ज्वार, बाजरा आदि के व्यंजन सजाए गए और मोटे अनाज से मिलने वाले विटामिन, प्रोटीन व बसा इत्यादि के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई। यह पोषण पखवाड़ा सभी आंगनवाड़ी केंद्रों में 3 अप्रैल तक मनाया जाएगा। इस दौरान आंगनवाड़ी कार्यकर्ता शशि बाला, तमन्ना, उर्मिला, तारा, टीकमा, आशा कार्यकर्ता, लता कुमारी, सुमना देवी, कमला देवी सहित कई अन्य महिलाएं मौजूद रहीं।
बीती रात को निरमंड उपमंडल के ऊंचाई वाले इलाकों सगोफा, बसवारी, जरोट, कटेर, बागा सराहन, ठारवी पांकवा में बर्फबारी होने से बागवानों के बगीचे की एंटी हेलनेट में बर्फ जमा होने से सेब के पेड़ों को भारी क्षति पहुंची है। बागवानों के बांस के डंडे टूटने से सेब के पेड़ों की टहनियों, सेंट्रल लीडर और बीमों को भारी क्षति पहुंची है। बागवान विकास ठाकुर, गोविंद, सचिन सहित कई बागवानों का कहना है कि बीती रात को करीब 2 इंच बर्फबारी होने से सेब के पेड़ों को भारी क्षति पहुंची है। कई पेड़ तो जड़ से उखड़ गए हैं। बागवानों का कहना है कि सरकार और विभाग नुकसान का जायजा ले और बागवानी को उचित मुआवजा दे।
जिला कुल्लू के निरमंड में जब से आईटीआई खुली है, तब से आज तक इलेक्ट्रीशन ट्रेड के अनुदेशक पद का सृजन नहीं हुआ है। सन 2007 में निरमंड में तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार ने औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान की स्थापना की थी। 2011 में तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने इलेक्ट्रिशियन का ट्रेड तो शुरू कर दिया, परंतु इस ट्रेड के अनुदेशक का पद सृजन करना भूल गई। 2011 से लेकर आज तक इस ट्रेड के 200 प्रशिक्षु उत्तीर्ण हो चुके हैं, जबकि 40 प्रशिक्षुओं के वर्ष 2022-23 व वर्ष 2022-24 के दो सत्र अभी चालू हैं। इस ट्रेड के अनुदेशक का पद सृजित नहीं होने से लोगों में भारी रोष है। निरमंडवासी ने बताया कि इतने महत्त्वपूर्ण ट्रेड की पोस्ट सृजित न करना छात्रों के साथ खिलवाड़ है। क्षेत्रवासियों ने सरकार से यहां पर इलेक्ट्रिशियन ट्रेड का पद शीघ्र सृजन करने की मांग की है।
निथर उपतहसील की ग्राम पंचायत देहरा के सेन्थवा कैंची के पास आज ऑल्टो 800 कार नंबर HP 92-2853 दुर्घटनाग्रस्त हो गई, जिसमें चालक समेत तीन लोग सवार थे। इस दुर्घटना में वाहन मालिक नार दास पुत्र झेरलु राम उम्र 62 साल निवासी सेन्थवा की मौके पर मौत हो गई, जबकि उनकी पत्नी मीरा देवी उम्र 53 साल को गहरी चोटें आई हैं। उनकी स्थिति भी नाजुक बताई जा रही है। गाड़ी में सवार तीसरे व्यक्ति पवन कुमार उम्र 38 साल पूरी तरह से सुरक्षित हैं, उन्हें किसी भी तरह की कोई चोट नहीँ लगी है। ये लोग रामपुर की तरफ जा रहे थे। बताया जा रहा है कि भारी बारिश व सड़क पर मिट्टी होने की वजह से गाड़ी की ब्रेक नहीँ लग पाई और गाड़ी स्किड होकर 200 मीटर गहरे नाले में जा गिरी। नायब तहसीलदार निथर विकास कुमार ने मृतक के परिवार को 30 हजार रुपये की फौरी राहत दी है। वहीँ, डीएसपी आनी रविंदर नेगी ने मामले की पुष्टि करते हुए कहा कि दुर्घटना के सही कारणों का अभी पता नहीँ चल पाया है। पुलिस छानबीन कर रही है।
हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले की मणिकर्ण घाटी के कसोल में एक कंपनी के कर्मचारी को करंट लगने से उसकी मौत हो गई है। मिली जानकारी के अनुसार, क्षेत्र में साड़ा के तहत स्ट्रीट लाइटें लगाने का कार्य चल रहा है और इस कार्य को SS सोलार प्राइवेट कंपनी कर रही है। इसी दौरान स्ट्रीट लाइट लगाने के लिए कंपनी के कर्मचारी काम कर रहे थे और अचानक से मजदूरों और कर्मचारियों के हाथ से यह पोल फिसलकर साथ से गुजर रही बिजली की तारों पर जा गिरा, जिससे कंपनी के एक कर्मचारी को करंट लग गया और उसकी मौके पर ही मृत्यु हो गई।
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू आज अपना पहला बजट पेश कर रहे हैं। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू आज अपना पहला बजट पेश करने के लिए इलेक्ट्रिक कार में पहुंचे। हिमाचल प्रदेश में बजट पेश होने से पहले ही विपक्ष ने विरोध शुरू कर दिया है। नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर की अगुवाई में विपक्ष के विधायक काली पट्टी लगाकर सदन में पहुंचे। सीएम सुक्खू ने कई ऐलान किये है, जानिए प्रदेशवासियों की झोली में इस वर्ष प्रदेश सरकार ने क्या दिया ** प्रदेश के युवाओं को उनकी अपनी भूमि पर या लीज पर ली गई भूमि पर 200 किलो वाट से 2 मेगा वाट की परियोजना स्थापित करने के लिए 40 फीसदी सब्सिडी अनुदान सहित दी जाएगी **प्राइवेट बस ऑपरेटर्स को E -BUS खरीद के लिए 50 प्रतिशत की दर से 50 लाख तक की सब्सिडी दी जाएगी ** नादौन और शिमला में ई बस डिपो बनेंगे, HRTC चलाएगी 1500 ई बस ** एनपीएस कर्मचारियों के 8 हजार करोड़ रुपये केंद्र से वापस लाने के लिए भी सदन में विपक्ष से सहयोग मांगा ** हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन की 1500 डीजल बसों को ई-बसों में बदलने की घोषणा, एक हजार करोड़ रुपए खर्च करने का प्रावधान की कही बात **नादौन और शिमला में ई-बस डिपो बनाया जाएगा **प्राइवेट ऑपरेटर्स को चार्जिंग स्टेशन बनाने के लिए 50 प्रतिशत की दर से सब्सिडी दी जाएगी **हिमाचल प्रदेश में हर उपमंडल की दो पंचायतें ग्रीन पंचायतें बनेगी, प्रदेश में ग्रीन हाइड्रोजन नीति लाई जाएगी: सुक्खू ** वरिष्ठ नागरिकों के लिए ओल्ढ एज होम विकसित किए जाएंगे: CM सुक्खू ** सभी जिले हेलीपोर्ट से जोड़े जाएंगे: CM सुक्खू **मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने मंडी एयरपोर्ट के लिए 1000 करोड़ रुपये जारी करवाने के लिए विपक्ष का सहयोग मांगा ** हिमाचल के सभी मेडिकल कालेजों में इस साल रोबोटिक्स सर्जरी शुरू होगी, इस पर 100 करोड़ खर्च होंगे: CM सुक्खू ** प्रदेश के सभी विधानसभा में खुलेंगे राजीव गांधी डे बोर्डिग स्कूल ** सभी मेडिकल कालेजों में पेट स्केन स्थापित होंगे **हमीरपुर मेडिकल में कैंसर केयर के लिए एक सेण्टर ऑफ़ एक्सीलेंस स्थापित किया जाएगा **नाहन, चम्बा, एवं हमीरपुर स्थित मेडिकल कॉलेज में नर्सिंग कॉलेज स्थापित किये जाएगे : सीएम सुक्खू **इमरजेंसी मेडिसिन विभाग के लिए 150 करोड़ का बजट प्रावधान **सुक्खू सरकार ने बजट में स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए कुल 3,139 करोड़ का बजट किया प्रस्तावित **हर विधानसभा क्षेत्र में एक आदर्श स्वास्थ्य संस्थान बनाया जाएगा ,134 तरह के टेस्ट की होगी सुविधा ** प्रत्येक सीनियर सैकेंडरी स्कूल में स्थापित होगी लाइब्रेरी **हर विधानसभा क्षेत्र में एक अस्पताल को आदर्श स्वास्थ्य संस्थान बनाया जाएगा **प्रदेश के युवाओं को विभिन्न कॉम्पिटिटिव एक्साम्स की तैयारी के लिए नेशनल डिजिटल लाइब्रेरी की एक्सेस ओर आवश्यक पुस्तकों से लैस लाइब्रेरी का निर्माण किया जाएगा **1311 करोड़ की लागत से पर्यटन विकास योजना शुरू होगी ** परवाणू -नालागढ़-ऊना, हमीरपुर-अंब-नूरपूर, पांवटा-नाहन-शिमला, शिमला-बिलासपुर हमीरपुर-चंबा, मंडी-पठानकोट, मनाली-केलोंग नेशनल हाईवे को ग्रीन कौरिडेर के तौर पर विकसित किया जाएगा **हर अनाज के अलग अलग क्लस्टर बनाएं जायेंगे ** विद्यार्थिओं को खेल में भाग लेने के लिए प्रेरित करने को स्पोर्ट्स हॉस्टल में रह रहे खिलाडियों की डाइट मनी को 120 रूपए से बढाकर 240 रूपए प्रतिदिन करने की घोषणा ** शिक्षा क्षेत्र के लिए कुल 8 ,828 करोड़ प्रस्तावित किया गया **40 हजार नए लाभार्थियों को सामाजिक सुरक्षा पेंशन देने की घोषणा ** पहले चरण में 2 लाख 31 महिलाओं को मिलेंगे 1500 रुपये मासिक दिए जाएंगे **हिम गंगा योजना होगी शुरू, दूध उत्पादकों की True Cost मिलेगी *विधवा और एकल नारी आवास योजना शुरू होगी, इसके तहत 7 हजार महिलाओं को डेढ़ लाख की राशि आवास के लिए दी जाएगी **20 हजार मेधावी छात्राओं को इलेक्ट्रिक स्कूटी के लिए 25 हजार सब्सिडी दी जाएगी **40 हजार नए लोगों को सोशल सिक्योरिटी पेंशन **नशाखोरी रोकने के लिए नशा एवं मादक पदार्थ मुक्त अभियान शुरू करने की घोषणा ** नशाखोरी का कारोबार करने वालों के विरुद्ध इसी विधानसभा के बजट सत्र में कानून लाएगी सरकार **मुख्यमंत्री खेत संरक्षण योजना के तहत जंगली जानवरों से फसलों को बचाने के लिए जालीदार फेंसिंग को सब्सिडी देंगे **युवाओं को अंग्रेजी भाषा का प्रशिक्षण दिया जाएगा ** अब से अनाथ बच्चे 'चिल्ड्रेन ऑफ स्टेट' कहलाएंगे ** साल में एक बार अनाथ बच्चों को हवाई यात्रा और तीन सितारा होटल में ठहरने की सुविधा दी जाएगी : सीएम सुक्खू ** निराश्रितों को हर महीने चार हजार रुपए की आर्थिक मदद **दूध उत्पादन, सब्जी, फलों-फूलों के उत्पादन को कृषि कल्स्टर बनाए जाएंगे ** सुरक्षित बचपन अभियान की शुरुआत **हिम उन्नति योजना शुरू करने का ऐलान **किसानों, पशुपालकों के लिए हिम गंगा योजना शुरू होगी, इस योजना के लिए 500 करोड़ की घोषणा ** नए मिल्क प्रोसेसिंग प्लांट स्थापित किए जाएंगे और मौजूदा प्लांट्स को अपग्रेड किया जाएगा ** प्रदेश के गरीब परिवारों के बच्चों को तकनीकी कोर्स करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी, इसके लिए 200 करोड़ रूपए की विद्यार्थी प्रोत्साहन योजना शुरू करने का ऐलान ** 1292 करोड़ की लागत से हिमाचल में शिवा प्रोजेक्ट के तहत सात जिलों में 28 विकास खंडों में 6000 हेक्टेयर क्षेत्रों में बागवानी का विकास करेगी, 15 हजार बागवान लाभान्वित होंगे ** मुख्यमंत्री सुरक्षित बचपन अभियान शुरू करने की घोषणा, इस अभियान के अंतर्गत POSCO के प्रावधानों के बारे में प्रदेश वासियो को जागरूक किया जाएगा **मुख्यमंत्री सुरक्षित बचपन अभियान शुरू करने की घोषणा, इस अभियान के अंतर्गत POSCO के प्रावधानों के बारे में प्रदेश वासियो को जागरूक किया जाएगा **मुख्यमंत्री लघु दुकानदार योजना शुरू करने की घोषणा ** पंचायत जनप्रतिनिधियों के मानदेय में बढ़ोतरी ** मनरेगा के तहत ट्राइबल एरिया में मिलने वाली दिहाड़ी 266 रुपए से बढ़ाकर 294 रुपए किया, दिहाड़ी बढ़ने से 100 करोड़ अतिरिक्त खर्च होगा। इससे 9 लाख लोग लाभान्वित होंगे ** मनरेगा योजना के तहत मनरेगा दिहाड़ी को 212 से बढ़ाकर 240 रुपए करने की घोषणा ** मछली पालन के लिए तालाब निर्माण के लिए 80 फीसदी की सब्सिडी की घोषणा किसानों को ट्रेक्टर पर 50 फीसदी उपदान दिया जाएगा ** पंचायती राज प्रतिनिधयों का मानदेय बढ़ा **जिला परिषद् अध्यक्ष को 15 के बजाए 20 हज़ार मिलेगा, उपाध्यक्ष को 15 हज़ार ** नई पंचायतों में पंचायत घर बनाने के लिए 10 करोड़ के बजट का प्रावधान, 164 पंचायत सचिव के पद भरेगी सरकार ** ग्रामीण विकास पंचायती राज विभाग के लिए 1916 करोड़ रुपये का बजट प्रस्तावित है ** शिमला के पास जाटिया देवी में नया शहर बसाने का ऐलान **हिमाचल में नया वाटर मैनेजमेंट एंड रेगुलेशन बिल लाएगी सरकार **जलशक्ति विभाग में 5 हजार पद भरने की घोषणा **मुख्यमंत्री लघु दुकानदार योजना शुरू करने की घोषणा
विश्व में जहां हर क्षेत्र में महिलाएं अपने हुनर एवं मेधा के दम पर पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढ़ रही हैं, वहीं पर हमारे देश में भी महिलाएं किसी क्षेत्र में पुरुषों से कहीं कम नहीं। इसी प्रकार से पारंपरिक कार्यों की सीमाओं से हटकर महिलाएं उन कार्यों को भी सफलतापूर्वक एवं पूर्ण दक्षतापूर्वक निभा रही हैं जिनमें कभी पुरुषों का वर्चस्व समझा जाता था। कुल्लू जिला के स्वयं सहायता समूहों से संबंधित महिलाएं प्रशिक्षण पाने के पश्चात पेंट और ब्रश के साथ खेलकर न केवल अपने हुनर के दम पर स्वरोजगार पा रही हैं बल्कि उस से स्वरोजगार द्वारा अपने व अपने परिवार को आर्थिक रूप से संपन्नता की ओर ले जाने तथा आत्म निर्भर बनने का एक जीवंत उदाहरण बन कर समाज के लिए एक मिसाल प्रस्तुत कर रही हैं। उनके इन सपनों की उड़ान को पूरा करने में सहायक बनी है सरकार की राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन जिसके अंतर्गत उन्होंने प्रशिक्षण प्राप्त किया तथा पेंट एवं ब्रश रूपी औज़ारों के साथ अपनी दक्षता को संवार कर अपने सुनहरे भविष्य की तस्वीर उकेरने का साहसिक कार्य किया है। आज यह महिलाएं ग्रामीण विकास अभिकरण के अंतर्गत होने वाले विभिन्न विकास कार्यों के विवरण से सम्बंधित बोर्ड तैयार कर रही हैं वाल पेंटिंग में भी अपना लोहा मनवा रही है।जिसने इनकी बहुत ही बढ़िया कमाई हो रही है। जितनी अधिक मेहनत उतनी अधिक आर्थिक आमद। कमाई के साथ-साथ समाज के परंपरागत ढांचे से बाहर निकल कर ये महिलाएं अपनी पहचान अपने दम पर बना रही हैं। ऐसी ही एक महिला हैं 'आशा' जो कुल्लू ब्लॉक के गांव बजौरा के नैना स्वयं सहायता समूह की से संबंध रखती हैं। उनका कहना है कि पहले वे केवल चूल्हा चौका एवं खेती-बाड़ी के कार्यों तक ही सीमित थी, घर की देखभाल करना तथा छोटे-मोटे खेती-बाड़ी के कार्य करना यही उनकी दिनचर्या थी। इससे आर्थिक रूप से परिवार का गुजारा सही से नहीं हो पाता था परंतु जब इन्होंने राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत दिए जाने वाले प्रशिक्षण कार्यक्रम के बारे में सुना तो शुरू में उन्हें कुछ संकोच हुआ परंतु जब प्रशिक्षण शुरू हुआ तो प्रशिक्षकों द्वारा उन्हें न केवल पेंट ब्रश के साथ कार्य करने की बारीकियों के बारे में समझाया बल्कि इस कार्य के महत्व के बारे में बताते हुए उन्हें प्रेरित भी किया। परियोजना अधिकारी डॉ0 जयवंती ठाकुर भी इस दौरान सभी के लिए प्रेरणा एवं मार्गदर्शक के रूप में सहयोगी रही। और जब प्रशिक्षण के उपरांत उन्होंने पेंट करने का कार्य आरंभ किया तो न केवल लोगों ने उनके कार्य को सराहा बल्कि इससे उन की आमदनी भी बहुत अच्छी होने लगी जिससे घर-परिवार को भी आर्थिक रूप से संबल मिला। वही बाराहर पंचायत की दुर्गा स्वयं सहायता समूह की युवती रीता का कहना है कि पहले वह केवल घर का काम करती थी, पूरा आर्थिक बोझ उसके पति को वहन करना पड़ता था जिससे घर में आर्थिक तंगी भी रहती थी, परंतु प्रशिक्षण पाने के उपरांत वह पंचायत में होने वाले कार्यों के बोर्ड समय-समय पर बनाती रहती है। जिससे उसे मासिक 25 से 30हजार की आमदनी हो रही है। इसी आमदनी से अब उसने एक स्कूटी भी खरीदी है जिससे उसे कहीं भी कार्य करने के लिए जाने आने में सुविधा रहती है और आर्थिक रूप से स्वाबलंबी होकर अपने व्यक्तित्व में बड़ा सकारात्मक बदलाव महसूस करती हैं। वहीं एक अन्य युवती लीला देवी का कहना है कि वह 'दीया' स्वयं सहायता समूह मोहल की सदस्यता है। अपनी पंचायतों के अलावा अन्य पंचायतों की मांग के अनुसार बोर्ड लिखने का कार्य करती है इसके अतिरिक्त स्कूलों व अन्य कार्यों तथा निजी बोर्डों को बनाने का कार्य भी उसे मिलता रहता है। जिसे वह पूरी लगन व मेहनत के साथ कर रही है प्रत्येक बोर्ड से ₹800 रुपए से 1 हज़ार तक की कमाई हो जाती है। इस प्रकार से उसके महीने की कमाई और औसतन 20 से 25 हज़ार बैठती है जो कि उसके लिए आर्थिक स्वावलंबन का एक बहुत बड़ा जरिया है। परियोजना अधिकारी ग्रामीण विकास अभिकरण कुल्लू डॉ0 जयबन्ति ठाकुर ने जानकारी दी कि ग्रामीण विकास विभाग की सभी स्कीमों से संबंधित विवरण को बोर्ड पर लिखकर प्रदर्शित करना अनिवार्य रहता है परंतु इसके लिए प्रशिक्षित पेंटरों की कमी के कारण यह कार्य बाधित होता रहता था तथा वोर्ड लेखन व दीवार लेखन में बहुत विलंब होता रहता था। इसी से उनके मन में विचार आया कि क्यों न राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत कुछ महिलाओं को बोर्ड एवं दीवार पर पेंटिंग के कार्य का प्रशिक्षण दिलवाया जाए ताकि महिलाएं इस कार्य को कर स्वरोजगार तथा अपने पंचायत के भीतर ही कार्य कर आर्थिक आमदनी का जरिया बना सके। इसी विचार के साथ विभिन्न सहायता समूहों से 7 इच्छुक महिलाओं को इस प्रशिक्षण कार्य के लिए बुलाया गया। महिलाओं ने इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में हिस्सा लिया तथा 15 दिन के इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में पेंट बनाने, ब्रश, पकड़ने तथा अक्षरों को उकेरने की बारीकियां मास्टर ट्रेनर द्वारा सिखाई गई।प्रशिक्षण कार्यक्रम के पश्चात सभी प्रशिक्षित महिलाएं अपने-अपने पंचायतों के साथ-साथ अन्य पंचायतों के काम की मांग के अनुसार बोर्ड व दीवार पेंटिंग करके अच्छी खासी आमदनी अर्जित कर रही हैं। पहले जहां उनके परिवार जन भी उनके इस कार्य से नाराज़ रहते थे, आज उनके परिवार के लोग उनके इस कार्य की भूरी भूरी प्रशंसा कर रहे हैं, तथा उन्हें सहयोग दे रहे हैं।
अभी हाल ही में बुशहर कार्निवल के दौरान फिटनेस यू- टूबर राणा द वाइपर भारतीय अभिनेता रवीज ठाकुर से मिले। राणा ने कुल्लू जिला में प्रदेश का पहला घरेलू जिम स्थापित किया है। जहां हिंदुस्तान की मार्शल आर्ट कलरीपायट्टु का अभ्यास भी किया जाता है। वहीँ, रवीज ठाकुर एक भारतीय टेलीविज़न अभिनेता हैं। उन्होंने 2015 में मिस्टर हिमाचल का टाइटल जीता था। इसके बाद वह मिस्टर इंडिया मैनहंट 2015 के भी विजेता बने। उन्होंने बताया कि राणा हिमाचल प्रदेश में फिटनेस पर काफी अच्छा कार्य कर रहे हैं। साथ ही नशे के दुष्प्रभावों के प्रति लोगों को जागरूक भी कर रहे हैं। राणा ने रवीज ठाकुर से काफी सारे सवाल भी किए। रवीज ने युवाओं से नशे से दूर रहने और सकारात्मक चीजों को अपनाने का आह्वान किया। हिमाचल के युवाओं को दिए सन्देश में उन्होंने उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की और अपने परिवार को सपोर्ट करने की बात कही।
हिमाचल प्रदेश के कुल्लू के मणिकर्ण में रात को हुए हुड़दंग के बाद अब स्थिति शांतिपूर्ण है और कानून व्यवस्था सुचारू रूप से चल रही है। यह बात मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने शिमला में मणिकर्ण झड़प पर पर कही। ख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा ये मामला धार्मिक व राजनीतिक नही है। बल्कि कुछ युवा साथी आपस में भिड़े उसके बाद सोशल मीडिया में कुछ चीजें वायरल हुई और माहौल तनावपूर्ण बन गया। उन्होंने कहा कि बीती रात को, स्थानीय लोगों एवं श्रद्धालुओं के बीच कहासुनी के बाद माहौल तनावपूर्ण हो गया लेकिन पुलिस ने स्थिति को नियंत्रण में कर लिया है। सीएम ने कहा कि पंजाब एवं हिमाचल का आपसी भाईचारा है इसलिए सरकार पंजाब के श्रद्धालुओं की सुरक्षा के प्रति पूरी तरह गंभीर है और हुडदंगियो पर भी सरकार नजर बनाएं हुए हैं। गौरतलब है कि पर्यटन नगरी मनाली के ग्राीन टैक्स बैरियर के बाद रविवार रात करीब 12:00 बजे मणिकर्ण में पंजाब से आए पर्यटकों ने खूब हुड़दंग मचाया है। इन लोगों ने स्थानीय लोगों से मारपीट की और पथराव व डंडों से 10 से अधिक वाहनों को नुकसान पहुंचाया है। गाड़ियों के शीशे और लाइटें तोड़ दी हैं। इसमें कई पर्यटकों के वाहन भी शामिल है। घटना में पांच से छह लोगों को हल्की चोटें आई है। घटना की सूचना के बाद रात को ही अतिरिक्त पुलिस बल मणिकर्ण रवाना हो गया था। पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ केस दर्जकर छानबीन शुरू कर दी है।
हिमाचल की राजधानी शिमला आए हर व्यक्ति ने ये नाम तो सुना ही होगा, इस पॉइंट से गुज़रे भी होंगे लेकिन इस जगह पर ऐसा क्या स्कैंडल हुआ, जिससे इसका नाम स्कैंडल पॉइंट रख दिया गया, ये सवाल भी बहुचर्चित है। बात बहुत पुरानी है तो कहानियां भी बहुत सी बन गईं है। कुछ कहते कि इस जगह पर हिंदुस्तान का पहला लव स्कैंडल हुआ था तो कुछ इस तथ्य को मानने से इंकार करते है। स्कैंडल पॉइंट से जुड़ी कहानियों में से एक कहानी है पाटियाला के महाराजा भूपेंदर सिंह की। बात 1892 की है, ब्रिटिश शासन में शिमला के वाईस रॉय और पाटियाला के महाराजा भूपेंदर सिंह अच्छे दोस्त हुआ करते थे और अक्सर वाईसरॉय के घर पर आया जाया करते थे। उसी समय पटियाला के राजा को वाईसरॉय की बेटी से महब्बत हो गई और दोनों ने शादी करने का फैसला किया लेकिन वाईसरॉय को ये रिश्ता मंज़ूर नहीं था और उन्होंने इसका विरोध भी किया। लेकिन दोनों प्रेमी अपना मन मना चुके थे। ब्रिटिश काल में शिमला के मालरोड पर शाम के समय ब्रिटिश अधिकारी अपने परिवार के साथ टहलने आया करते थे मगर यहां हिन्दुस्तानियों को आने की अनुमति नहीं थी। एक दिन शाम जब सब मॉलरोड पर टहल रही थे तो पटियाला के महाराजा ने अंग्रेज वाइसराय की बेटी को उठा लिया था। इसे पहला लव स्कैंडल कहा जाता है और जिस जगह पर यह कथित वारदात हुई उसे आज स्कैंडल प्वाइंट के नाम से जाना जाता है। महाराजा भूपिंद्र सिंह ने वाइसराय लार्ड कर्जन की बेटी को उठाया था। कहा जाता है कि महाराजा भूपिंद्र सिंह घोड़े पर सवार होकर आए और मालरोड पर टहल रही लार्ड कर्जन की बेटी को उठा ले गए। गुस्से में वायसराय ने उनका शिमला आने पर प्रतिबंध लगा दिया। महाराजा ने भी अपनी आन-बान और शान के लिए शिमला से भी ऊंचा नगर बसाने की ठान ली और चायल का निर्माण कर डाला। पटियाला के महाराजा भूपिंद्र सिंह का जन्म 12 अक्टूबर 1891 में हुआ। वर्ष 1900 में उन्होंने राजगद्दी संभाली और 38 साल तक राजपाट किया। उन्होंने ऑनरेरी लेफ्टीनेंट कर्नल के तौर पर प्रथम विश्व युद्ध में भाग लिया था। लीग ऑफ नेशंज में 1925 में भूपिंद्र सिंह ने भारत का प्रतिनिधित्व किया। महाराजा क्रिकेट के शौकीन थे। वर्ष 1911 में इंग्लैंड दौरे पर भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान भी वही थे। यहां हुआ था हिंदुस्तान का पहला लव स्कैंडल हालांकि कुछ इतिहासकार इस बात से इत्तफाक नहीं रखते। उनका दावा है कि लार्ड कर्जन साल 1905 तक वाइसराय रहे। उनकी तीन बेटियां थीं। देखा जाए तो 1905 में महाराजा की आयु 14 साल की थी। लार्ड कर्जन की बड़ी बेटी आइरिन की उम्र उस समय महज 9 साल थी। पंजाब यूनिवर्सिटी में अंग्रेजी की प्रोफेसर रह चुकी मंजू जैदका अपनी किताब स्कैंडल पॉइंट में लिखती है कि इस जगह से उनकी बहुत सी यादें जुडी है, उन्होंने इस पर काफी शोध भी किया है लेकिन महाराजा भूपेंदर सिंह की उम्र का तकाज़ा रखते हुए ये कहानी सच नहीं हो सकती। लेखिका का मानना है कि इस कहानी में भूपेंदर सिंह के पिता राजेंदर सिंह को होना चाहिए क्यूंकि उनकी एक अँगरेज़ बीवी और बेटा था। हालाँकि सच क्या है ये तो एक रहस्य ही रहेगा, जो इतिहास में दफ़न हो चुका है।
नौकरी की तलाश कर रहे युवाओं के लिए एक अच्छी खबर आई है। हिमाचल प्रदेश बेरोजगार चयन सेवाएं संगठन आउटसोर्सिंग एजेंसी (एचपीयूएसएसए) मुख्य कार्यालय शिमला ने विभिन्न श्रेणियों के (687) पदों को भरने के लिए अधिसूचना जारी की है। इन पदो के लिए आवेदन एजेंसी के व्हाट्सएप पर नंबर पर ऑनलाइन ही लिए जाएंगे। प्रदेश के इच्छुक उम्मीदवार आवेदन करने के लिए अपना बायोडाटा फोन नंबर सहित, पदनाम सहित, साधारण एप्लीकेशन लिखकर ,अपनी शैक्षणिक योग्यता के मूल प्रमाण पत्रों की छाया प्रति, आधार कार्ड, हिमाचली बोनाफाइड , पुलिस चरित्र प्रमाण पत्र, रोजगार कार्यालय कार्ड, पीडीएफ फाइल/ स्कैनड बनाकर एजेंसी के व्हाट्सएप नंबर 89881-14000 पर अपना आवेदन निर्धारित तिथि तक भेज सकते है। आवेदन की अंतिम तारीख 12 फरवरी 2023 निर्धारित की गई है। संघ के निदेशक विनीत शर्मा ने बताया कि विभिन्न श्रेणियों में क्लर्क ऑफिस एग्जीक्यूटिव, एचआर कोऑर्डिनेटर, बैंक सेल्स ऑफिसर , बैंक डिलीवरी एसोसिएट्स , फोन बैंकिंग ऑफीसर, सिक्योरिटी गार्ड, आईटीआई ऑल ट्रेड पासआउट, कंपनी भर्ती अधिकारी , एक्स सर्विसमैन सिक्योरिटी सुपरवाइजर , बस कंडक्टर, कार्यालय सहायक, अकाउंट्स एग्जीक्यूटिव , ऑफिस कोऑर्डिनेटर, बैंक कैश हैंडलिंग एग्जीक्यूटिव, ब्रांच सेल्स ऑफिसर, स्टोरकीपर, कंप्यूटर ऑपरेटर ,बिजनेस प्रमोशन एग्जीक्यूटिव , एक्स सर्विसमैन जेसीओ, प्रोजेक्ट कोऑर्डिनेटर, जनरल वर्कर हेल्पर, ड्राइवर, लैब असिस्टेंट , आयुर्वेदिक फार्मासिस्ट , स्टाफ नर्स एएनएम, स्टाफ नर्स जीएनएम , एमआई रिकवरी मैनेजर, फ्लाइंग ऑफिसर, इलेक्ट्रीशियन, फिटर, मैकेनिकल, वेल्डर, पंप ऑपरेटर, एक्स सर्विसमैन गनमैन पीएसओ, जेसीबी ऑपरेटर, बैंक रिलेशनशिप मैनेजर , पेपर सैटर , फॉर्म सेल्स एग्जीक्यूटिव, पीएन कम चौकीदार के पदों को भरने के लिए अधिसूचना जारी की गई है। इन पदों के लिए उम्मीदवार की आयु सीमा 18 से 45 वर्ष के बीच होनी चाहिए। अधिकतम आयु सीमा में 5 वर्ष की छूट का प्रावधान है. उम्मीदवार शैक्षणिक योग्यता वांछनीय योग्यता संबंधी जानकारी के लिए एजेंसी की आधिकारिक/ ऑफिशल वेबसाइट www.hpussa.in से जानकारी ले सकते हैं। एजेंसी द्वारा उम्मीदवारों का चयन छटनी/ लिखित परीक्षा एवं इंटरव्यू द्वारा ही चयन किया जाएगा. लिखित परीक्षा (150) क्रमांक एवं इंटरव्यू (30) क्रमांक का होगा. लिखित परीक्षा में हिमाचल सामान्य ज्ञान, एवरीडे साइंस ,भूगोल, गणित, इतिहास, जनरल हिंदी, इंग्लिश, कंप्यूटर न्यूमेरिकल एटीट्यूट से बहुविकल्पीय ऑब्जेक्टिव टाइप एमसीक्यू प्रश्न पूछे जाएंगे. एजेंसी द्वारा लिखित परीक्षा 19 फरवरी 2023 को ऑनलाइन ही आयोजित की जाएगी। उम्मीदवारों को इनरोलमेंट नंबर ऑनलाइन ही जारी किए जाएंगे। लिखित परीक्षा का परिणाम 17 मार्च 2023 को संघ की आधिकारिक ऑफिशियल वेबसाइट www.hpussa.in पर देख सकते है। इन पदों के लिए आवेदन करने वाले उम्मीदवारों की शैक्षणिक योग्यता आठवीं, दसवीं, 12वीं , ग्रेजुएट, बीएससी बीएड, एमकॉम, बीकॉम, डीसीए, पीजीडीसीए, डिप्लोमा/ डिग्री होल्डर होनी चाहिए. संघ द्वारा नियुक्त किए गए उम्मीदवारों का मासिक वेतनमान 10750/- ग्रेड पे- से लेकर 40870/- सीटीसी ग्रेड पे- तक दिया जाएगा। इसके अलावा जनरल प्रोविडेंट फंड, पीएफ, ईएसआई, मेडिकल इंश्योरेंस , प्रमोशन , बोनस ओवरटाइम की सुविधा भी मिलेगी. यह सभी पद 2 वर्ष के अनुबंध आधार पर भरे जाएंगे, जिन्हें बाद में पॉलिसी एक्ट के तहत रेगुलर किया जाएगा। नियुक्त किए गए उम्मीदवार प्रदेश की एमएनसी कंपनियों, सिपला, गोदरेज, कैडबरी , चेकमेट , डाबर, मारुति ,हीरो होंडा, विभिन्न बैंकिंग, मेडिकल कॉलेज , हिमाचल स्टेट रूरल कॉरपोरेशन, स्टेट पावर कॉरपोरेशन, पीएचसी हॉस्पिटल, हिमाचल स्टेट पावर प्रोजेक्ट, फाइनेंस सेक्टर, एलआईसी, स्टेट कोऑपरेटिव सोसायटी, मॉल, एनजीओ, सरकार के पंजीकृत औद्योगिक क्षेत्रों में अपनी सेवाएं देंगे। नियुक्त किए गए उम्मीदवारों को हिमाचल प्रदेश में कुल्लू, मंडी, सोलन, कांगड़ा, हमीरपुर, सिरमौर ,उना ,मोहाली ,चंडीगढ़, जीरकपुर , दिल्ली, नोएडा, जालंधर क्षेत्रों में कहीं भी तैनाती दी जा सकती है। यह तमाम भर्ती प्रक्रिया मार्च माह के अंत में पूरी कर ली जाएगी। चुने गए उम्मीदवारों की सूची अधिकारिक वेबसाइट में भी प्रेषित कर दी जाएगी। उम्मीदवार अधिकतर जानकारी के लिए कार्यालय के हेल्पलाइन नंबर 94181-39918 94184-17434 62305-90985 पर संपर्क कर सकते हैं।
हिमाचल प्रदेश में आगामी दिनों में फिर मौसम खराब होनेकि संभावना है। हालांकि, हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला सहित अन्य भागों में आज मौसम साफ बना हुआ है। मौसम विज्ञान केंद्र शिमला से मिली जानकारी के अनुसार बुधवार से लेकर शनिवार तक प्रदेश के कई भागों में बारिश-बर्फबारी के आसार हैं। मौसम विभाग ने निचले व मैदानी भागों के लिए 8 व 9 फरवरी को अंधड़ चलने का अलर्ट जारी किया है। गौरतलब है कि ताजा बर्फबारी के बाद बंद हुई अटल टनल रोहतांग मंगलवार को फोर बाई वाई वाहनों के लिए मनाली से जिस्पा तक खुल गई है। वहीं पांगी-किलाड़ को जोड़ने वाला मार्ग भी उदयपुर से तिंदी तक खुल गया है। मौसम खुलने के बाद बीआरओ, एनएच और लोक निर्माण विभाग ने बर्फ हटाने का काम शुरू कर दिया है। वहीं बीते दिनों हुई बर्फबारी से राज्य में 138 सड़कों पर अभी भी आवाजाही ठप है। प्रदेश में 46 बिजली ट्रांसफार्मर व सात पेयजल योजनाएं भी बाधित हैं। लाहौल-स्पीति में सबसे अधिक 121 और चंबा में नौ सड़कें बाधित हैं। उपमंडल पांगी में 36 बिजली टांसफार्मर बंद पड़े हैं।
हिमाचल प्रदेश की बागवानों के बगीचों में अब यूएसए के गुठलीदार फलों के पौधे उग सकेंगे। हिमाचल उद्यान विभाग पहली बार यूएसए से प्लम आडू, खुमानी व बादाम के 56,000 पौधे आयात करने जा रहा है। इन पौधों की खेप इसी माह हिमाचल पहुंच जाएगी। शिमला जिले के ठियाेग, कोटखाई, रामपुर, कुमारसैन और रोहड़ू सहित कुल्लू, मंडी, कांगड़ा जैसे अन्य क्षेत्रों में गुठलीदार फलों का उत्पादन होता है। वहीं इस बारे में जानकारी देते हुए बागवानी मंत्री जगत नेगी ने बताया कि पौधों को एक साल के लिए क्वारंटाइन में रखा जाएगा ताकि, यह सुनिश्चित हो सके की पौधों में कोई बीमारी तो नहीं है। अगले साल उद्यान विभाग बागवानों को यूएसए से आयातित पौधे का आवंटन करेगा। पौधों के आयात से पहले उद्यान विभाग के अधिकारी आपूर्ति पूर्व निरीक्षण भी कर चुके हैं। उन्होंने बताया कि एक साल क्वारंटीन अवधि के बाद अगले साल बागवानों को यह पौधे उपलब्ध करवाए जाएंगे, ताकि इसमें कोई समस्या न आए। अभी हार के गम में है जयराम-जगत सिंह नेगी जगत नेगी ने पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर द्वारा किए गए ट्वीट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री अभी गम में हैं। इसलिए इस तरह की बयानबाजी करते रहते हैं। उन्होंने कहा कि पिछली सरकार कर्ज लेते रही और संसाधन जुटाने में नाकामयाब रही। नेगी ने कहा कि कांग्रेस का काम करने का तरीका अलग है हम संसाधन जुटाएंगे, कर्ज भी लेंगे, लेकिन सभी काम एक दायरे में करेंगे। विपक्ष द्वारा विधायक निधि न दिए जाने के आरोप पर जगत नेगी ने कहा' "विधायक निधि दें कहाँ से, पिछली सरकार ने कुछ नहीं छोड़ा, कर्ज तले दबा दिया है। प्रदेश की आर्थिकी डगमगा गई है।"
मदन सांवरिया । निरमंड लोहड़ी के पावन पर्व पर प्रदेश के ऊपरी क्षेत्राें में बर्फबारी हुई काफी लंबे समय के अंतराल के बाद सीजन की पहली बर्फबारी किसानों और बागवानों के लिए संजीवनी साबित हुई है, जहां बागवान इन दिनों सेब के बगीचों में सूखे की वजह से मायूस का माहौल था। अब बर्फबारी होने से बागवानों के चेहरे खिल गए हैं। उपमंडल निरमंड, आनी के ऊपरी चोटियों श्रीखंड महादेव कैलाश पर्वत, पजाया जोत, मगैंहणी जोत, तराड़ा जोगणी, बशलेउ जोत, जलोड़ी जोत व चूड़ पर्वत (चूहु कांडा) काली घाटी आदि पर्वतमाला बर्फ की सफेद चादर से ढक गई है, जिसका मनमोहक दृश्य हर किसी को अपनी ओर आकर्षित कर लेता है। बर्फबारी के चलते जिला मुख्यालय कुल्लू से आउटर सिराज को जोड़ने वाली सड़क जलोड़ी जोत यातायात के लिए बंद हो गई है। वहीं, दूसरी ओर उपमंडल बंजार के लिए पैदल मार्ग बशलेऊ जोत और पजाया जोत भी अब आने-जाने के लिए बंद हो गया है।
प्रदेश की सुक्खू सरकार ने छः मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्ति की है। कुल्लू सदर से विधायक सुंदर सिंह ठाकुर, रोहड़ू से विधायक मोहन लाल ब्राक्टा, दून से विधायक राम कुमार चौधरी, पालमपुर से विधायक आशीष बुटेल, बैजनाथ से विधायक किशोरी लाल और अर्की से विधायक संजय अवस्थी को सरकार ने मुख्य संसदीय सचिव बनाया है। इनमें से सूंदर सिंह ठाकुर, आशीष बुटेल और राम कुमार चौधरी को मंत्री पद की दौड़ में भी माना जा रहा था, लेकिन इन्हें सरकार ने मुख्य संसदीय सचिव बनाया है। रविवार को मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सभी 6 विधायकों को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। सुंदर सिंह ठाकुर : दूसरी बार बने है विधायक 57 वर्षीय सुंदर सिंह ठाकुर लगातार दूसरी बार कुल्लू सदर सीट से जीतकर विधानसभा पहुंचे है। सुंदर सिंह ने पंजाब विश्वविद्यालय से बीएससी (मेडिकल) और हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से विधि स्नातक (एलएलबी) की उपाधि प्राप्त की। ठाकुर बागवानी एवं होटल व्यवसाय से जुड़े हैं। सूंदर सिंह ठाकुर ने वर्ष 1985-86 में हिमसा चंडीगढ़ के संगठन सचिव के रूप में कार्य किया। इसके उपरांत वर्ष 1989-91 तक हिमाचल प्रदेश एनएसयूआई के उपाध्यक्ष, 1991 में पंचायत समिति सदस्य, वर्ष 1991-94 तक पंचायत समिति कुल्लू के अध्यक्ष, वर्ष 1994-99 तक जिला परिषद कुल्लू के उपाध्यक्ष रहे। वर्ष 2009-2012 तक हिमाचल प्रदेश युवा कांग्रेस के उपाध्यक्ष, हिमाचल प्रदेश कांग्रेस समिति के राज्य प्रतिनिधि तथा वर्ष 2012 से हिमाचल प्रदेश कांग्रेस समिति के महासचिव पद पर रहे। ठाकुर ने 2003-08 तक राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड तथा वर्ष 2013 से 2017 तक हिमाचल प्रदेश खेल परिषद के सदस्य के रूप में कार्य किया। सुंदर सिंह दिसंबर 2017 में 13वीं विधानसभा के लिए बतौर विधायक चुने गए और जनरल डेवलपमेंट एंड सबोर्डिनेट लेजिस्लेशन कमेटी के सदस्य रहे। दिसंबर 2022 में यह 14वीं विधानसभा के लिए पुनः विधायक के रूप में चुने गए। मोहन लाल ब्राक्टा : लगातार तीसरी बार बने विधायक 57 वर्षीय मोहन लाल ब्राक्टा ने विधि स्नातक की शिक्षा ग्रहण की है और एक अधिवक्ता के तौर पर सक्रिय रहे हैं। ब्राक्टा वर्ष 2012 में पहली बार राज्य विधानसभा के लिए चुने गए। वर्ष 2013 से 2017 तक इन्होंने प्राक्कलन, ग्राम नियोजन, सार्वजनिक उपक्रम, कल्याण, विशेषाधिकार एवं नीति समितियों के सदस्य के रूप में कार्य किया। इसके बाद 2017 में 13वीं विधानसभा के लिए यह पुनः निर्वाचित हुए और कल्याण, नियम एवं ई-गवर्नेंस व सामान्य मामले समितियों के सदस्य रहे। दिसंबर 2022 में 14वीं विधानसभा के लिए यह पुनः बतौर विधायक चुने गए है। मोहन लाल ब्राक्टा को होली लॉज खेमे का माना जाता है। राम कुमार चौधरी : मंत्री पद की दौड़ में थे शामिल राम कुमार चौधरी को सियासत विरासत में मिली है। उनके पिता लज्जा राम कई बार विधायक और मुख्य संसदीय सचिव रहे है। राम कुमार चौधरी ने लोक प्रशासन में स्नातकोत्तर की शिक्षा प्राप्त की है और रियल एस्टेट व्यवसाय से जुड़े हैं। राम कुमार चौधरी हरिपुर संदोली ग्राम सुधार सभा के अध्यक्ष रहे हैं। इसके अतिरिक्त चौधरी वर्ष 1993-95 में प्रदेश एनएसयूआई के महासचिव, वर्ष 2003 में राज्य युवा कांग्रेस के महासचिव तथा हिमाचल प्रदेश कांग्रेस समिति के वर्तमान में महासचिव हैं। वर्ष 2006 से 2011 तक यह जिला परिषद सोलन के अध्यक्ष रहे। यह दिसंबर 2012 में पहली बार हिमाचल प्रदेश विधानसभा के लिए बतौर विधायक चुने गए। दिसंबर 2022 में 14वीं विधानसभा के लिए पुनः विधायक चुने गए है। आशीष बुटेल : शांता कुमार के गृह क्षेत्र में कांग्रेस को मजबूत किया पूर्व विधानसभा अध्यक्ष तथा पूर्व कैबिनेट मंत्री बृज बिहारी लाल बुटेल के सुुपुत्र आशीष बुटेल दूसरी बार पालमपुर से विधायक बने है। पालमपुर भाजपा के वरिष्ठ नेता शांता कुमार का गृह क्षेत्र है और यहाँ से बुटेल ने दोनों मर्तबा भाजपा के दिग्गज नेताओं को हराया है। 2017 में उन्होंने इंदु गोस्वामी को हराया था और इस बार भाजपा के प्रदेश महामंत्री त्रिलोक कपूर को हराया है। बुटेल ने सिम्बोयसिस कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय पुणे से वाणिज्य स्नातक की उपाधि प्राप्त की है। आशीष बुटेल को वर्ष 2011 से 2013 तक लोकसभा युवा कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहे हैं। वह वर्ष 2014 से हिमाचल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव हैं। वह वर्ष 2017 में पहली बार हिमाचल प्रदेश विधानसभा के सदस्य निर्वाचित हुए तथा प्राक्कलन एवं ग्रामीण योजना समितियों के सदस्य रहे। वह दिसम्बर, 2022 में 14वीं विधानसभा के लिए पुनः निर्वाचित हुए। आशीष बुटेल जिला कांगड़ा बॉस्केटबाल संघ के भी अध्यक्ष हैं। उनकी सामाजिक कार्यों तथा अध्ययन में विशेष रूचि है। किशोरी लाल : बैजनाथ से दूसरी बार बने है विधायक किशोरी लाल जिला कांगड़ा के बैजनाथ से दूसरी बार विधायक बने है। वह पांच बार पंचायत प्रधान तथा उप-प्रधान रहे हैं। वह ब्लॉक एवं जिला कांग्रेस कमेटी के महासचिव, जिला कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सदस्य भी रहे हैं। किशोरी लाल दिसम्बर, 2012 में प्रथम बार हिमाचल प्रदेश विधानसभा के लिए निर्वाचित हुए तथा दिसम्बर, 2022 में पुनः विधायक के रूप में चुने गए हैं। बैजनाथ पंडित संत राम की कर्मभूमि रही है और इसी सीट से उनके पुत्र सुधीर शर्मा भी दो बार विधायक बने है। ये सीट आरक्षित होने बाद यहाँ से कांग्रेस ने किशोरी लाल को चेहरा बनाया और वे तीन में से दो चुनाव जीतने में सफल रहे। संजय अवस्थी : क्रिकेट के मैदान से सियासी मैदान तक पहुंचे अवस्थी 57 वर्षीय संजय अवस्थी अर्की से दूसरी बार विधायक बने है। अवस्थी को मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू का करीबी माना जाता है। संजय अवस्थी वर्ष 1996 से 2006 तक जिला क्रिकेट संघ सोलन के अध्यक्ष तथा वर्ष 2000 से 2005 तक नगर परिषद सोलन के पार्षद रहे। वह वर्तमान में हिमाचल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव तथा अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य है। संजय अवस्थी 30 अक्टूबर, 2021 को विधानसभा उप-चुनाव में प्रथम बार विधानसभा के सदस्य निर्वाचित हुए तथा दिसम्बर, 2022 में 14वीं विधानसभा के लिए पुनः निर्वाचित हुए। संजय अवस्थी ने रणजी ट्रॉफी राष्ट्रीय क्रिकेट चैम्पियनशिप में हिमाचल का प्रतिनिधित्व किया है।
चमन शर्मा । आनी आनी राजकीय महाविद्यालय आनी में चल रहे एनएसएस के सात दिवसीय विशेष शिविर के छठे दिन अकादमिक सत्र में डीएसपी आनी रविन्द्र नेगी बतौर रिसोर्स पर्सन के रूप में शिरकत की। उनके साथ कॉलेज प्राचार्य डॉ. आरएल नेगी, कार्यक्रम अधिकारी प्रो. निर्मल सिंह शिवांश, ओएसए अध्यक्ष दिवान राजा, अनूप भी मौजूद रहे। एनएसएस कार्यक्रम अधिकारी प्रो. निर्मल सिंह शिवांश ने डीएसपी रविन्द्र नेगी को एनएसएस कैप व बैज पहनाकर स्वागत किया। इस दौरान कार्यक्रम अधिकारी प्र. निर्मल सिंह शिवांश ने सात दिसवीय शिविर में की जाने वाली गतिविधियों पर विस्तृत जानकारी प्रदान की। रिसोर्स पर्सन डीएसपी आनी रविंद्र नेगी ने स्वयंसेवियों को संबोधित करते हुए कहा कि एनएसएस हमेशा से देश व समाज हित में काम करता रहा है और शिक्षा के क्षेत्र में जरूरत है कि विद्यार्थियों में शिक्षा के साथ-साथ नैतिक शिक्षा, कौशल शिक्षा व सामाजिक कौशल भी विकसित किया जाए। उन्होंने कहा कि राष्ट्र निर्माण में युवाओं की अहम भूमिका है। उन्होंने स्वयंसेवियों को अपनी रुचि अनुसार लक्ष्य निर्धारित करके उस पर आत्मविश्वास से आगे बढ़ने की अपील की। इसके अलावा उन्होंने भारतीय संविधान में वर्णित अधिकारों व कर्तव्यों पर भी अपने विचार रखें।डीएसपी ने जहां अनेकों प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारियों के बारे में जानकारी दी। वहीं,उन्होंने पुलिस द्वारा जनता को दी जाने वाली सेवाओं, ट्रैफिक नियमों, नशाखोरी व नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कानूनी कारवाई से भी अवगत करवाया। डीएसपी रविंद्र नेगी ने स्वयंसेवियों से समाजसेवा के साथ साथ खेलकूद गतिविधियों में भी बढ़-चढ़कर भाग लेने की अपील की। इस दौरान उन्होंने स्वयंसेवियों से विभिन्न विषयों पर चर्चा भी की और उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। कॉलेज प्राचार्य डॉ. आरएल नेगी ने डीएसपी रविंद्र नेगी का बतौर रिसोर्स पर्सन कार्यक्रम में भाग लेने के लिए आभार जताया।
फर्स्ट वर्डिक्ट। कुल्लू रायसन निवासी आरती देवी ने पुलिस थाना में शिकायत दर्ज करवाई थी कि जब वह और उसका पति चंडीगढ़ गए थे, तो उनकी गैर हाजरी में उसकी 11वीं कक्षा में पढ़ रही बेटी ने किसी तांत्रिक व उसकी सहयोगी को घर पर बुलाकर पूजा-पाठ करवाई थी, तो तांत्रिक व उसकी सहयोगी ने शिकायतकर्ता के घर में पूजा-पाठ के बहाने से बेटी को ठग कर घर में रखे सारे गहने व नकदी को लेकर भाग गए थे। शिकायतकर्ता की शिकायत पर पुलिस थाना कुल्लू में अभियोग दर्ज किया गया और जिला कुल्लू के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक आशिष शर्मा ने आरोपियों को गिरफ्तार करने के लिए एक विशेष पुलिस दल का गठन किया, जिसका नेतृत्व अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक आशिष शर्मा ने स्वयं किया। शिकायतकर्ता और उसके परिवार को तांत्रिक व उसकी सहयोगी के मोबाईल नंबर के अलावा कुछ भी मालूम न था और वे दोनों फोन भी आरोपियाें ने बंद कर रखे थे, जिस कारण पुलिस को आरोपियों तक पहुंच पाना बहुत ही मुश्किल हो गया था। अभियोग के अन्वेषण को आगे बढ़ाने व आरोपियों का पता लगाने के लिए साईबर सैल कुल्लू के आरक्षी विकास ने तकनीकि सहायता प्रदान की, जिसकी मदद से तांत्रिक व उसके सहयोगी के असली नाम व पता मालूम हुए और उप निरीक्षक चमन लाल, मुख्य आरक्षी हेमंत, आरक्षी गौरव, आरक्षी विकास व महिला आरक्षी नवीना ठाकर आदि विशेष पुलिस दल सदस्यों को आरोपियों को गिरफ्तार करने के लिए बाहरी राज्य दिल्ली व उतर प्रदेश आदि का रवाना किया और आखिरकार 22 दिसंबर,2022 काे विशेष पुलिस दल दोनों आरोपियों को गाजियाबाद, उतर प्रदेश में काबू किया और फिर उन्हें कुल्लू लाया गया है। दोनों आरोपियों के कब्जे से 5,96,000 रुपए बरामद हुए हैं। तांत्रिक व उसकी सहयोगी को नियमानुसार गिरफ्तार किया गया है और दोनों आरोपियों से चोरी किए गए जेबरात के बारे में पुछताछ की जा रही है और अभियोग में अन्वेषण जारी है।
कुल्लू के पुलिस मैदान में 5 दिवसीय फुटबॉल कैम्प के पश्चात हिमाचल प्रदेश विश्विद्यालय की 16 सदस्यीय टीम इंटर यूनिवर्सिटी प्रतियोगिता के लिए रवाना हुई। टीम अपना पहला नाकआउट मैच डी.ए. वी यूनिवर्सिटी जलन्धर के साथ खेलेगी। यह प्रतियोगिता 17 से 25 दिसम्बर तक जेएनए यूनिवर्सिटी फगवाड़ा में चलेगी। टीम में प्रदेश के विभिन्न महाविद्यालयों से खिलाड़ी चयनित किए गए है। टीम कोच डॉ गौरव भारद्वाज ने कहा कि उन्होंने एक सन्तुलित टीम का चयन किया है। उन्हें पूरी आशा है कि टीम प्रतियोगिता में अच्छा प्रदर्शन करेगी।
जिला कुल्लू के उपमंडल बंजार में अचानक गोली लगने से एक महिला घायल हो गई है। फायरिंग से निकले छर्रे के चलते महिला घायल हुई है। महिला का इलाज बंजार अस्पताल में किया जा रहा है। घटना की सुचना मिलते ही पुलिस भी मौके पर पहुंची और मामले की छानबीन की जा रही है। पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार 45 वर्षीय अंजना नेगी पत्नी दीप नेगी गांव खाइण जिला कुल्लू छर्रे लगने से घायल हुई है। महिला ने पुलिस को बयान दिया कि यह धार्मिक अनुष्ठान में शामिल होने के लिए अपने मायके गांव तरगाली आई हुई थी। इस दौरान सुबह वह अपने मायके में छत पर बैठी धूप सेंक रही थी। उसके साथ भाई सुरेन्द्र संधू व भतीजा नवीन संधू भी थे। अंजना ने बताया कि उसी समय अचानक एक धमाके की आवाज सुनाई दी और उसे एकदम ऐसा लगा कि उसकी दाहिनी बाजू व टांगें सुन्न हो रही हैं। उसने भाई व भतीजा को इस बारे में बताया और अचानक इस दौरान कूल्हे, थाई व बाजू से अचानक खून बहने लगा। पूछताछ में पता चला कि किसी व्यक्ति ने फायरिंग की है, जिसके छर्रे आकर अंजना के शरीर में लगे हैं। वही, पुलिस की प्राथमिक जांच में पता चला है कि फायरिंग पास वाले घर से हुई। जो घायल महिला के रिश्तेदार का ही घर है, लेकिन यह फायरिंग गलती से हुई है। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक कुल्लू गुरदेव शर्मा ने बताया कि फायरिंग एक्सीडेंटल है। अब तक की पुलिस जांच में इस बात का पता चला है कि जिस मकान से यह फायरिंग हुई है, वह छर्रे लगने से घायल हुई महिला के रिश्तेदारों का ही घर है। बंजार पुलिस की टीम मामले की जांच में जुट गई हैं।
आलाेक। कुल्लू कुल्लू पुलिस ने एक बार फिर से जिला के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक गुरदेव शर्मा के नेतृत्व में भुंतर हत्याकांड को सुलझा लिया। हत्या का आरोपी जोबनप्रित सिंह को हरिद्वार से गिरफ्तार कर कुल्लू लाया गया है। आपको बता दें कि दिनांक 5/12/2022 को शिकायतकर्ता कुसमा देवी निवासी परगाणु (भुंतर) ने पुलिस थाना भुंतर में शिकायत दर्ज करवाई थी कि उन्होंने अपना एक कमरा पंजाब के एक दंपति को किराये पर दिया हुआ था, लेकिन पिछले कुछ दिनों से दंपति कमरे में नहीं आ रहे थे और कमरे से कुछ दुर्गंंध भी आ रही थी, जिस पर उन्होंने ग्रांम पंचायत प्रधान व वार्ड मेंम्बर के सामने कमरे का दरवाजा खोला, तो अंदर कमरे का सामान बिखरा हुआ था । पुलिस को सुचना मिलते ही घटना स्थल पर जिला के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक गुरदेव शर्मा, उप पुलिस अधीक्षक मोहन लाल रावत, उप पुलिस अधिक्षक राजेश ठाकुर, प्रभारी थाना भुंतर अन्य कर्मचारियाें के साथ पहुंचे तथा घटनास्थल का निरिक्षण किया। इस दौरान एक महिला की लाश कमरे से बरामद हुई। पुलिस थाना भुंतर में हत्या का मामला पंजीकृत किया गया। मामले के प्रारंभिक अन्वेषण में पाया गया कि मकान मालिक को अपने किरायेदार के नाम के अलावा कोई भी अन्य जानकारी नहीं थी, जिससे पुलिस का आरोपी तक पहुंचना बहुत मुश्किल हो गया। हत्या के आरोपी को पकड़ने के लिए वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक गुरदेव शर्मा ने एक विशेष अन्वेषण टीम का गठन किया, जिसका नेतृत्व उप पुलिस अधीक्षक मोहन लाल रावत ने किया। अभियोग में तकनिकी अन्वेषण साईबर सैल कुल्लू से प्रवीण कुमार, प्रेम नाथ तथा अमर सिंह द्वारा किया गया। तकनीकी अन्वेषण में पाया गया कि आरोपी का नाम जोबनप्रित सिंह पुत्र मखन सिंह निवासी अलीवल रोड़, बटाला पंजाब है और वर्तमान में हरिद्वार में होने की पुर्ण संभावना है। उप पुलिस अधीक्षक मोहन लाल रावत ने आरोपी जोबनप्रित सिंह की तलाश के लिए PO सैल प्रभारी ASI संजय कुमार, HHC नरेश कुमार, आरक्षी आशुपाल व पुलिस थाना भुंतर से मुख्य आरक्षी हरी सिंह व आ. रोहित वर्मा को बाहरी राज्य पंजाब, हरिद्वार व देहरादुन आदि जगहों पर रवाना किए। उपरोक्त टीम को हरिद्वार में ही आरोपी का सर्च करने के दिशा-निर्देश दिए गए। दिनांक 12/12/2022 को उपरोक्त टीम द्वारा आरोपी जोबनप्रित सिंह को हरिद्वार से गिरफ्तार करके कुल्लू लाया है। पुछताछ पर पाया गया कि आरोपी जोबनप्रित सिंह पता उपरोक्त भुंतर से हत्या को अंजाम देकर बस द्वारा हरिद्वार चला गया और हरिदवार में नाम व पता बदलकर रिक्शा चलाने का काम कर रहा था। आरोपी जोबनप्रित सिंह ने अपने आप को पुलिस से बचाने के लिए हर तरह के हथकंडे अपनाए, लेकिन कुल्लू पुलिस की पैनी नजरों से नहीं बच पाया और आखिरकार दिनांक 12 दिसंबर 2022 को कुल्लू पुलिस आरोपी को गिरफ्तार करने में सफल रही। आरोपी जोबनप्रित को जल्द ही न्यायालय में पेश किया जाएगा। वरिष्ठ पुलिस अधिक्षक गुरदेव शर्मा ने सभी नागरिकों से अपील की है कि अपने घर में किराएदारों को रखने से पहले पुरी तरह जांच कर लें, ताकि इस तरह के अपराधों को होने से पहले ही रोका जा सके।
हिमाचल के क्षेत्रीय अस्पताल कुल्लू में पहली बार यूरोलॉजी मेडिकल कैंप का आयोजन किया गया। इस कैंप का आयोजन डिपार्टमेंट ऑफ यूरोलॉजी AIIMS बिलासपुर की तरफ से किया गया है। कुल्लू जिला में यूरोलॉजी का कैंप 2 दिनों तक चलेगा। डिपार्टमेंट ऑफ यूरोलॉजी बिलासपुर के डॉक्टर उमाकांत ने यहां यूरोलॉजी से संबंधित बीमारी से ग्रसित मरीजों की जांच की। कैंप के पहले दिन सोमवार को क्षेत्रीय अस्पताल कुल्लू की OPD में मरीजों का चेकअप किया गया। जबकि मंगलवार को मनाली में यह कैंप आयोजित किया जाएगा।
जिला किन्नौर में इस बार भी विधानसभा चुनाव में भरपूर रोमांच देखने को मिला। पहले दिन से ही कांग्रेस और भाजपा दोनों तरफ जमकर खींचतान दिखी। कांग्रेस में जहाँ सीटिंग विधायक और वरिष्ठ नेता जगत सिंह नेगी का टिकट अंतिम समय तक लटका रहा, तो भाजपा ने पूर्व विधायक तेजवंत नेगी का टिकट काटकर युवा सूरत नेगी को मैदान में उतारा। खफा होकर तेजवंत भी चुनावी समर में कूद गए और इस मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया। नतीजन, भाजपा के बगावत का फायदा कांग्रेस प्रत्याशी जगत सिंह नेगी को मिला और जगत नेगी हैट्रिक लगाने में कामयाब रहे। जगत सिंह नेगी को 20696 मत मिले और भाजपा प्रत्याशी सूरत नेगी को 13732 वोट प्राप्त हुए जबकि भाजपा के बागी तेजवंत नेगी ने 8574 मत लेकर भाजपा को डैमेज किया। किन्नौर के चुनावी इतिहास पर नज़र डाले तो अब तक सिर्फ ठाकुर सेन नेगी (तेते जी) ही जीत की हैट्रिक लगा सके है। ठाकुर सेन नेगी 1967 से 1982 तक लगातार चार चुनाव जीते। दिलचस्प बात ये है कि वे तीन बार निर्दलीय और एक बार लोकराज पार्टी के टिकट पर चुनाव जीते। फिर वे भाजपा में शामिल हो गए और एक बार 1990 में भाजपा टिकट से भी जीतने में कामयाब हुए। ठाकुर सेन नेगी के अलावा जगत सिंह नेगी ही इकलौते ऐसे नेता है जो हैट्रिक लगाने में सफल हुए है।
*कल प्रातः 8:00 बजे से आरंभ होगा मतगणना का कार्य - उपायुक्त कल 8 दिसंबर को होने वाली हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव की मतगणना के लिए तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। कल प्रातः 8:00 बजे से चारों विधानसभा के मतगणना का कार्य आरम्भ होगा। यह जानकारी आज यहां उपायुक्त कुल्लू एवं ज़िला निर्वाचन अधिकारी, आशुतोष गर्ग ने दी। उन्होंने कहा कि इस सम्बंध में आज यहां अंतिम रिहर्सल की गई। चारों विधानसभा क्षेत्रों मनाली, कुल्लू, बंजार व आनी में कल प्रातः 8:00 बजे से मतगणना का कार्य आरम्भ होगा। मतगणना के लिए राजकीय उच्च वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला मनाली, राजकीय डिग्री कॉलेज कुल्लू, राजकीय उच्च माध्यमिक पाठशाला बंजार और राजकीय महाविद्यालय हरिपुर, आनी में मतगणना केंद्रों पर गणना का कार्य किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस कार्य के लिए 74 मतगणना पर्यवेक्षक, 75 मतगणना सहायक तथा 77 मतगणना माइक्रो ऑब्जर्वर सहित कुल 220 मतगणना कर्मी इस कार्य को संपन्न करेंगे। इस संबंध में सभी विधानसभा की मतगणना के लिए अंतिम रिहर्सल भी सम्पन्न कर ली गई हैं जिनमें मतगणना के कार्य को सुचारू से संपन्न करने के लिए दिशानिर्देश दिए गए। सभी केंद्रों पर मतगणना के परिणामों का मीडिया के साथ संवाद करने के लिए मीडिया केंद्र भी स्थापित किए गए हैं। ताकि सभी को मीडिया के माध्यम से सही समय पर चुनाव परिणामों की जानकारी मिलती रहे।
हिमाचल प्रदेश कयाकिंग एंड कैनोइंग एसोसिएशन के जनरल सेक्रेटरी डॉ पदम गुलेरिया ने बताया कि दसवीं नेशनल केनो स्लालोम जूनियर एंड सब जूनियर के लिए हिमाचल टीम का ट्रायल रखा गया है। इच्छुक खिलाड़ी 10 दिसंबर 2022 प्रात 9:00 बजे पिरड़ी राफ्टिंग सेंटर में हिमाचल प्रदेश के कयाकिंग एंड कैनोएंजी के सह सचिव नवीन कुमार से संपर्क कर सकते है। इस प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए स्विमिंग अनिवार्य होगी। प्रतियोगिता मध्यप्रदेश के महेश्वर में नर्मदा नदी में 17 से 19 दिसंबर को होगी। इस प्रतियोगिता में उत्कृष्ट खिलाड़ियों को खेलो इंडिया व एशियन चैंपियनशिप में भारत की मेजबानी करने का मौका मिलेगा।