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मणिमहेश की डल झील में शाही स्नान के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु भरमौर पहुंच गए हैं। श्रद्धालुओं के जत्थे भरमौर से मणिमहेश के लिए रवाना हो रहे हैं। इस यात्रा के शाही स्नान का शुभ मुहूर्त आज दोपहर 1:36 बजे शुरू होगा और कल दोपहर 12:18 मिनट तक चलेगा। पिछले 24 घंटे के दौरान जिस तरह के हालात भरमौर में वाहनों के अधिक संख्या में पहुंचने से बने हैं, उसे देखते हुए अंदाजा लगाया जा रहा है कि शाही स्नान के शुभ मुहूर्त में आज व कल 60 से 70 हजार लोग डुबकी लगा सकते हैं। 23 घंटे 18 मिनट तक रहेगा स्नान का शुभ मुहूर्त राधा अष्टमी पर शाही स्नान का शुभ मुहूर्त 23 घंटे 18 मिनट तक चलेगा। छह सितंबर से शुरू हो रही यात्रा कल पूरी हो रही है। अब तक दो लाख लोग डल झील में आस्था की डुबकी लगा चुके हैं, जो बीते सालों की तुलना में 25 से 30 प्रतिशत कम हैं।
युवा वैज्ञानिक पंकज अत्रि की एक और बड़ी उपलब्धि **अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर फिर चमकाया प्रदेश का नाम, Young Resercher Award के लिए चयनित **नैना टिककर से संबंध रखते है पंकज ** कई अंतरराष्ट्रीय शोध पत्र हो चुके है प्रकाशित ** हिमाचल के छोटे से गांव से निकलकर वैश्विक पटल पर बनाई पहचान
आज गणेश चतुर्थी के दिन नए संसद भवन में कामकाज शुरू होगा। पुरानी संसद में सोमवार 18 सितंबर को कार्यवाही का अंतिम दिन था। स्पेशल सेशन के बाद कल शाम 6:30 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट मीटिंग हुई। वहीँ बीती शाम महिला आरक्षण बिल को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल ने भी सोशल मीडिया पर पोस्ट करके बिल को मंजूरी मिलने की बात कही। हालांकि, कुछ देर बाद उन्होंने ट्वीट डिलीट कर दिया। चर्चा इस बात की भी है कि केंद्र सरकार लोकसभा में 180 सीटें बढ़ा सकती है। फिलहाल लोकसभा में 543 सीटें हैं। अगर सरकार सीटें बढ़ाने का फैसला लेती है तो यह आंकड़ा बढ़कर 743 हो जाएगा। इस बीच महिला आरक्षण बिल पर अब पार्टियों के बीच क्रेडिट लेने की होड़ मच गई है। सोनिया गांधी मंगलवार को संसद भवन पहुंचीं और मीडिया से बातचीत में कहा कि महिला आरक्षण बिल कांग्रेस का दिया हुआ है। भाजपा सांसदों का कहना है कि मोदी है तो मुमकिन है। संसद में महिलाओं के आरक्षण का प्रस्ताव करीब 3 दशक से पेंडिंग है। यह मुद्दा पहली बार 1974 में महिलाओं की स्थिति का आकलन करने वाली समिति ने उठाया था। 2010 में मनमोहन सरकार ने राज्यसभा में महिलाओं के लिए 33% आरक्षण बिल को बहुमत से पारित करा लिया था। किन्तु तब सपा और राजद ने बिल का विरोध करते हुए तत्कालीन सरकार से समर्थन वापस लेने की धमकी दे दी थी। इसके बाद बिल को लोकसभा में पेश नहीं किया गया। बहरहाल यह बिल पास हुआ तो अगले लोकसभा चुनाव के बाद सदन में हर तीसरी सदस्य महिला होगी।
केंद्र से मिली आपदा राहत का मुद्दा जिस आक्रमकता और रणनीति के साथ कांग्रेस ने उठाया भुनाया है वो हिमाचल भाजपा के लिए किसी आपदा से कम नहीं है। सर्वविदित है कि आपदा के दौर में केंद्र से हिमाचल को क्या और कितनी अतिरिक्त सहायता मिली है। इस पर न सिर्फ कांग्रेस ,बल्कि शांता कुमार जैसे दिग्गज भाजपाई नेता भी सवाल खड़े कर चुके है। रही सही खाट कांग्रेस की रणनीति ने खड़ी कर दी है। प्रियंका गाँधी की चिट्टी हो , कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में प्रस्ताव पास करना, राष्ट्रपति के भोजन में मौका मिलते ही सीएम का पीएम से गुहार लगाना या सांसद प्रतिभा सिंह का पीएम से आग्रह करना; पोलिटिकल फ्रंट पर कांग्रेस ने केंद्र की मदद और मंशा को कटघरे में खड़ा करने की पुरजोर कोशिश की है। विशेषकर जिन तथ्यों के साथ सीएम सुक्खू लगातार इस मुद्दे पर बोले है वो हिमाचल भाजपा को परेशानी में डालता रहा है। संभव है केंद्र सरकार बड़ा दिल दिखाए और हिमाचल को विशेष पैकेज भी दें, लेकिन सवाल ये है कि क्या अब राजनैतिक तौर पर भाजपा को इसका उतना लाभ होगा ? शायद नहीं। निसंदेह रणनैतिक तौर पर कांग्रेस एक नैरेटिव तैयार करने में कामयाब रही है और अब केंद्र कुछ देगा भी तो उसे कांग्रेस के दबाव का नतीजा ही माना जायेगा। वहीँ खुदा न खास्ता अगर केंद्र से कुछ विशेष नहीं मिलता है तो जाहिर है कांग्रेस आगे भी हिमाचल भाजपा को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ने वाली। यहाँ गौर करने वाली बात ये भी है कि हिमाचल भाजपा का कोई भी बड़ा नेता ये कहता नहीं दिख रहा की केंद्र से विशेष पैकेज मिलेगा। विधानसभा के मानसून सत्र के पहले दिन भी जैसा अपेक्षित था वैसा ही हुआ। कांग्रेस ने केंद्र से मिली मदद की बिसात पर भाजपा के तमाम विरोध और हंगामे पर पानी फेर दिया और मोर्चा संभाला खुद सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने। कांग्रेस विधायक दल की बैठक एक बाद सीएम का ब्यान आया और उसी से ये अंदाजा लग गया था कि सीएम सुक्खू खुद फ्रंट से लीड करेंगे। विधानसभा के मानसून सत्र के पहले दिन सीएम सुक्खू ने केंद्र से मिली मदद के मुद्दे पर भाजपा क चारे खानो चित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। सीएम ने कहा सर्वविदित है कि आपदा के दौर में केंद्र से हिमाचल को क्या और कितनी अतिरिक्त सहायता मिली है, इसलिए भाजपा गुमराह न करे बल्कि तथ्यों के साथ जानकारी दें। जिस आक्रामक अंदाज में सीएम सुक्खू ने भाजपा को इस मुद्दे पर घेरा है निसंदेह भाजपा बैकफुट पर जरूर दिखी है। सीएम सुक्खू ने केंद्र के बहाने ही है नहीं सीधे तौर पर भी हिमाचल भाजपा के नेताओं पर वार किया। सुक्खू ने कहा जिनसे एक माह की सैलरी आपदा कोष में नहीं दी गई वो बड़ी बड़ी बातें कर रहे है। अब कल सैलरी देने की बात कही गई है, चलिए देर से आएं पर दुरुस्त आएं। इसी तर्ज पर केंद्र भी देर ही सही पर हिमाचल की मदद तो करें। सीएम सुक्खू ने कहा की भाजपा नेता क्रेडिट ले लें पर प्रदेश को कम से कम केंद्र से मदद तो मिले। 26 सितम्बर को आपदा राहत के लिए विशेष पैकेज लाने का एलान कर सीएम सुक्खू ने भाजपा को बड़ी आपदा में डाल दिया है। सीएम ने दो टूक कहा की केंद्र कुछ दें या न दें , हम राहत पैकेज लाएंगे। जाहिर सी बात ही कांग्रेस केंद्र और भाजपा के खिलाफ एक नैरेटिव तैयार करने की कोशिश में है और इसमें काफी हद तक कामयाब भी जरूर हुई है। बहरहाल इस बीच हिमाचल भाजपा ने 25 सितम्बर को विधानसभा घेराव करने का एलान किया है लेकिन सियासी मोर्चे पर खुद भाजपाही घिरी दिख रही है। केंद्र से मदद की दरकार हिमाचल प्रदेश को तो है ही हिमाचल भाजपा के लिए भी ये मदद अब अनिवार्य बनती दिखी रही है।
हिन्दू धर्म में भगवान श्री गणेश को प्रथम पूज्य माना जाता है। श्री गणेश आदि सनातन धर्म के प्रमुख आदिपंच देवों में भी शामिल हैं। देश के प्रमुख गणेश मंदिरों में अष्ठविनायक का विशिष्ट स्थान है। दरअसल पुणे के विभिन्न इलाकों में श्री गणेश के आठ मंदिर हैं, इन्हें अष्टविनायक कहा जाता है। इन मंदिरों को स्वयंभू मंदिर भी कहा जाता है। स्वयंभू का अर्थ है कि यहां भगवान स्वयं प्रकट हुए थे यानि किसी ने उनकी प्रतिमा बना कर स्थापित नहीं की थी। इन मंदिरों का जिक्र विभिन्न पुराणों जैसे गणेश और मुद्गल पुराण में भी किया गया है। इन मंदिरों की दर्शन यात्रा को अष्टविनायक तीर्थ यात्रा भी कहा जाता है। अष्ठविनायक मंदिर के संबंध में मान्यता है कि तीर्थ गणेश के ये आठ पवित्र मंदिर स्वयं उत्पन्न और जागृत हैं। पुराणों व धर्म ग्रंथों में उल्लेख मिलता है कि भगवान ब्रह्माजी ने भविष्यवाणी की थी कि हर युग में श्रीगणेश विभिन्न रूपों मे अवतरित होंगे। सतयुग में विनायक, त्रेता युग में मयूरेश्वर, द्वापर युग में गजानन व धूम्रकेतु नाम से कलयुग के अवतार लेंगे। भगवान गणेश के आठों शक्तिपीठ महाराष्ट्र में ही हैं। इन आठ पवित्र तीर्थ में 6 पुणे में हैं और 2 रायगढ़ जिले में हैं। सबसे पहले मोरेगांव के मोरेश्वर की यात्रा करनी चाहिए और उसके बाद क्रम में सिद्धटेक, पाली, महाड, थियूर, लेनानडरी, ओजर, रांजणगांव और उसके बाद फिर से मोरेगांव अष्टविनायक मंदिर में यात्रा समाप्त करनी चाहिए। पूरी यात्रा 654 किलोमीटर की होती है। 1.मयूरेश्वर या मोरेश्वर मंदिर मयूरेश्वर विनायक का मंदिर पुणे के मोरगांव क्षेत्र में है। इस मंदिर में चार द्वार =हैं जिन्हें सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग और कलियुग चारों युग का प्रतीक माना जाता हैं। यहां भगवान गणेश जी की मूर्ती बैठी मुद्रा में है और उसकी सूंड बाई है तथा उनकी चार भुजाएं एवं तीन नेत्र हैं। यहां नंदी की भी मूर्ती है। कहते हैं कि इसी स्थान पर गणेश जी ने सिंधुरासुर नाम के राक्षस का वध मोर पर सवार होकर उससे युद्ध करते हुए किया था। 2. सिद्धिविनायक मंदिर सिद्धिविनायक मंदिर करजत तहसील, अहमदनगर में है। ये मंदिर पुणे से करीब 200 किमी दूर भीम नदी पर स्थित है। यह मंदिर करीब 200 साल पुराना बताया जाता हैऔर एक पहाड़ की चोटी पर सिद्धिविनायक मंदिर बना हुआ है। इसका मुख्य द्वार उत्तर दिशा की ओर है। इस मंदिर की परिक्रमा करने के लिए पहाड़ की यात्रा करनी होती है। सिद्धिविनायक मंदिर में गणेशजी की मूर्ति 3 फीट ऊंची और ढाई फीट चौड़ी है। यहां गणेश जी की सूंड सीधे हाथ की ओर है। 3. बल्लालेश्वर मंदिर पाली गांव, रायगढ़ स्थित इस मंदिर का नाम गणेश जी के भक्त बल्लाल के नाम पर रखा गया है। बल्लाल की कथा के बारे में कहते हैं कि इस परम भक्त को उसके परिवार ने गणेश जी की भक्ति के चलते उनकी मूर्ती सहित जंगल में फेंक दिया था, पर उसने केवल गणपति का स्मरण करते हुए समय बिता दिया था। प्रसन्न होकर भगवान श्री गणेश जी ने उसे इस स्थान पर दर्शन दिया और कालानंतर में बललाल के नाम पर उनका ये मंदिर बना। 4.वरद विनायक मंदिर रायगढ़ के कोल्हापुर में वरदविनायक मंदिर। एक मान्यता के अनुसार वरदविनायक भक्तों की सभी कामनों को पूरा होने का वरदान देते हैं। एक कथा ये भी है कि इस मंदिर में नंददीप नाम का दीपक है जो कई वर्षों से लगातार जल रहा है। 5. चिंतामणी मंदिर भीम, मुला और मुथा नदियों के संगम पर स्थित थेऊर गांव में स्थित है चिंतामणी मंदिर। ऐसी मान्यता है कि विचलित मन के साथ इस मंदिर में जाने वालों की सारी परेशानियां दूर हो कर उन्हें शांति मिल जाती है। इस मंदिर से भी जुड़ी एक कथा है कि स्वयं भगवान ब्रह्मा ने अपने विचलित मन को शांत करने के लिए इसी स्थान पर तपस्या की थी। 6. गिरिजात्मज अष्टविनायक मंदिर लेण्याद्री गांव में गिरिजात्मज अष्टविनायक मंदिर स्थित है, जिसका अर्थ है गिरिजा के आत्मज यानी माता पार्वती के पुत्र अर्थात गणेश। पुणे-नासिक राजमार्ग पर पुणे से करीब 90 किलोमीटर स्थित ये मंदिर लेण्याद्री पहाड़ पर बौद्ध गुफाओं के स्थान पर बनाया गया है। इस पहाड़ पर 18 बौद्ध गुफाएं हैं जिसमें से 8वीं गुफा में गिरजात्मज विनायक मंदिर है। इन गुफाओं को गणेश गुफा भी कहा जाता है। 7. विघ्नेश्वर अष्टविनायक मंदिर पुणे के ओझर जिले के जूनर क्षेत्र में यह मंदिर स्थित है।एक किंवदंती के अनुसार विघनासुर नाम का असुर जब संतों को प्रताणित कर रहा था, तब भगवान गणेश ने इसी स्थान पर उसका वध किया था। तभी से यह मंदिर विघ्नेश्वर, विघ्नहर्ता और विघ्नहार के रूप में जाना जाता है। 8. महागणपति मंदिर महागणपति मंदिर राजणगांव में स्थित है। इस मंदिर को 9-10वीं सदी के बीच का माना जाता है। पूर्व दिशा की ओर मंदिर का बहुत विशाल और सुन्दर प्रवेश द्वार है। यहां गणपति की मूर्ति को माहोतक नाम से भी जाना जाता है। एक मान्यता के अनुसार विदेशी आक्रमणकारियों से रक्षा करने के लिए इस मंदिर की मूल मूर्ति को तहखाने में छिपा दिया गया है।
गणपति बप्पा भगवान श्री गणेश के भारत में कई प्रसिद्ध मंदिर हैं, जहां लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। ऐसा ही एक मंदिर है मुंबई का श्री सिद्धिविनायक मंदिर, जो विशेष स्थान रखता है। यहां देश विदेश से लाखों श्रद्धालु भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करने के लिए आते हैं और विशेषकर गणेश उत्सव के दौरान यहां श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ता है। गणेश उत्सव के दौरान बॉलीवुड और बिजनेस जगत की कई जानी-मानी हस्तियां भी इस मंदिर में गणेश जी के दर्शन करने के लिए पहुंचती हैं। भारत की आर्थिक राजधानी कहलाने वाली मुंबई के सिद्धिविनायक मंदिर में आने वाला चाहे अमीर हो या फिर गरीब, छोटा हो या बड़ा, वह कभी खाली हाथ नहीं जाता है। गणपति हर किसी की झोली खुशियों से भरते हैं। मुंबई के इस मंदिर में भगवान श्री गणेश सिद्धिविनायक के रूप में विराजमान हैं, जिसे स्थानीय लोग नवसाचा गणपति या नवसाला पावणारा गणपति के नाम से भी बुलाते हैं। इस मंदिर के द्वार हर धर्म जाति के लोगों के लिए खुले हैं। यहां किसी को आने की मनाई नहीं है। सिद्धी विनायक मंदिर अपनी मंगलवार की आरती के लिए बहुत प्रसिद्ध है जिसमें श्रद्धालुओं की कतार कभी-कभी 2 किलोमीटर तक पहुंच जाती है। ऋद्धि -सिद्धि के दाता श्री गणेश के इस पावन धाम से जुड़ी कई मान्यताएं और रोचक बातें है, जो इस स्थान को और अद्धभूत बनाती है। मान्यता है कि मुंबई स्थित सिद्धिविनायक मंदिर का निर्माण 1801 में विट्ठु और देउबाई पाटिल ने किया था। इस मंदिर के निर्माण में लगने वाली धनराशि एक नि:संतान कृषक महिला ने दी थी, ताकि सिद्धिविनायक के आशीर्वाद से जीवन में कोई भी महिला बांझ न हो और सभी को संतानसुख की प्राप्ति हो। कहते है सिद्धिविनायक मंदिर की मूल संरचना पहले काफी छोटी थी, और इसका आकार 3.6 मीटर x 3.6 मीटर वर्ग का था। प्रारंभिक संरनचा मात्र ईंटों की बनी हुई थी, जिसका गुंबद आकार का शिखर भी था। बाद में इस मंदिर का पुननिर्माण कर आकार को बढ़ाया गया। सिद्धिविनायक मंदिर में भगवान गणेश की प्रतिमा काले पत्थर से बनाई गई है, जहां पर वे अपनी दोनों पत्नी रिद्धि और सिद्धि के साथ विराजमान हैं। मंदिर के गर्भग्रह के चबूतरे पर स्वर्ण शिखर वाला चांदी का सुंदर मंडप है, जिसमें भगवान सिद्धिविनायक विराजते हैं। चतुर्भुजी विग्रह वाले सिद्धिविनायक के ऊपर वाले दाएं हाथ में कमल और बाएं हाथ में अंकुश है और नीचे के दाहिने हाथ में मोतियों की माला और बाएं हाथ में मोदक से भरा कटोरा है। मस्तक पर भगवान शिव के समान तीसरा नेत्र और गले में एक सर्प हार है। सिद्धिविनायक से जुड़ी एक और रोचक बात है। सिद्धि विनायक, भगवान गणेश जी का सबसे लोकप्रिय स्वरूप माना जाता है, जिसमें उनकी सूंड़ दाईं और मुड़ी होती है। जहां कहीं भी दायीं ओर सूंड़ वाली भगवान गणेश की मूर्ति होती है, वह सिद्धपीठ कहलाता है। मनमोहक है सिद्धिविनायक की मूर्ति : सिद्धिविनायक मंदिर में भगवान गणेश जी की सूंड दाईं ओर है, जब हम अधिकांश गणपति जी की मूर्तियों में उनकी सूंड बाईं ओर नजर आती है। काले पत्थर से तराशी गई गणेश जी की 2.5 फीट ऊंची और 2 फीट चौड़ी मूर्ति मनमोहक है और यहां भगवान श्री गणेश ऋद्धि- सिद्धि के साथ विराजमान है। चांदी के चूहे पहुंचाते है सन्देश: मंदिर के अंदर चांदी से बनी चूहों की दो बड़ी मूर्तियां मौजूद हैं। माना जाता है कि अगर आप उनके कानों में अपनी इच्छाएं प्रकट करते हैं वे आपका संदेश भगवान गणेश तक पहुंचाते हैं। इसलिए यह धार्मिक क्रिया करते हुए आपको बहुत से श्रद्धालु मंदिर में दिख जाएंगे। सेलिब्रिटीज का लगा रहता है तांता : सिद्धिविनायक मंदिर में अक्सर बॉलीवुड सेलिब्रिटीज का तांता लगा रहता है। कई बड़े बॉलीवुड सितारे सिद्धिविनायक मंदिर में भगवान गणपति के दर्शन करने नियमित आते रहते हैं। सिद्धिविनायक मंदिर के दर्शन मात्र से ही गणपति भक्त के बड़े से बड़े संकट पलक झपकते दूर हो जाते हैं। यही कारण है कि बॉलीवुड के बड़े कलाकार भी अपनी सफलता की कामना लिए अक्सर यहां पर माथा टेकने पहुंचते हैं। गणेश उत्सव के दौरान भी सिद्धिविनायक मंदिर में गणपति बप्पा के दर्शन करने वालों का तांता लगा रहता है। इस दौरान देश ही नहीं विदेश से तीर्थयात्री यहां पर दर्शन के लिए पहुंचते हैं। देश के सबसे अमीर मंदिरों में गिनती : सिद्धिविनायक मंदिर की गिनती देश के सबसे अमीर मंदिरों में की जाती है। सिद्धिविनायक मंदिर में देश-विदेश से गरीब, अमीर सभी प्रकार के श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं। कहते है कि यहां साल भर में जितना चढ़ावा चढ़ता है, उतने में पूरी मुंबई के लोगों को भरपेट भोजन करवाया जा सकता है। जिन भक्तों की यहां मनोकामना पूरी होती है, वे यहां पर गुप्तदान करके जाते हैं। इस मंदिर में करोड़ों की दान-दक्षिणा आती है।मंदिर की भीतरी छत सोने से ढकी हुई है। जानकारी के अनुसार यह मंदिर हर साल 100 मिलियन से 150 मिलियन धनराशी दान के रूप में प्राप्त करता है। करीब तीन वर्ष पहले दिल्ली के एक श्रद्धालु ने मुंबई के सिद्धिविनायक मंदिर को 35 किलो सोना दान में दिया था, जिसकी कीमत 14 करोड़ रुपए थी। इस मंदिर की देखरेख करने वाली संस्था मुंबई की सबसे अमीर ट्रस्ट है।
हिमाचल प्रदेश यूथ कांग्रेस के महासचिव एवं सिस्को संस्था के अध्यक्ष महेश सिंह ठाकुर को जवाहर बाल मंच का राज्य मुख्य संयोजक नियुक्त किया गया है। चीफ स्टेट कॉडिनेटर बनाए जाने पर महेश सिंह ठाकुर ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी,प्रदेश के सीएम सुखविन्दर सिंह सूक्खु , राष्ट्रीय प्रभारी केसी वेणुगोपाल,जवाहर बाल मंच के राष्टीय अध्यक्ष जी.वी. हरि. सहित अन्य नेताओं के प्रति आभार जताया है। महेश ठाकुर ने कहा कि जवाहर बाल मंच का मुख्य उद्देश्य 7 वर्षों से लेकर 17 वर्ष के आयु के लड़के लड़कियां तक भारत के पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के विचार को पहुंचना। उन्होंने कहा कि जिस तरीके से मौजूदा सरकार के द्वारा देश के इतिहास के साथ छेड़छाड़ हो रहा है देश के युवाओं को भटकाया जा रहा है जो की देश के लिए एक बहुत बड़ा चिन्ता का विषय है कांग्रेस पार्टी ने इस विषय को गंभीरता से लिया और राहुल गांधी के निर्देश पर डॉ जीवी हरी के अध्यक्षता में देशभर में जवाहर बाल मंच के द्वारा युवाओं के बीच में नेहरू जी के विचारों को पहुंचाया जाएगा। उन्होंने कहा वर्ष 2024 के चुनाव में कांग्रेस भारी बहुमत हासिल कर केंद्र से भाजपा को हटाने का काम करेगी। इसमें हिमाचल प्रदेश राज्य की भी प्रमुख भुमिका रहेगी। उन्होंने कहा कि पूरे देश में महंगाई के कारण आमलोगों का जीना मुश्किल हो गया है। गरीब व मध्यम वर्गीय परिवार पर इस महंगाई का व्यापक असर पड़ रहा है। ऐसे में केंद्र सरकार के कानों में जूं तक नहीं रेंग रही है।
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