केंद्र सरकार के आठ वर्ष के कार्यकाल पुरे होने पर 31 मई को राष्ट्रीय कार्य्रक्रम शिमला में होने जा रहा हैं , जिसके चलते लैपटॉप आवंटन जून के पहले सप्ताह तक स्थगित कर दिया हैं। स्कूल - कॉलेज में पढ़ने वाले मेधावियों को पहली बार आधुनिक तकनीक वाले 41 ,550 रुपए की कीमत वाले लैपटॉप लगभग प्रदेश के 20 हज़ार मेधावियों को दिए जायेगे। प्रदेश सरकार ने डैल कंपनी के लैपटॉप देने का फैसला लिया है। कोरोना के चलते बीते दो वर्षों से सरकार द्वारा मेधावियों को लैपटॉप नहीं दिए गए थे। शैक्षणिक सत्र 2018-19 और 2019-20 के 20 हजार मेधावियों को लैपटॉप दिए जाने हैं। मेरिट सूची में शामिल दसवीं और बारहवीं कक्षा के 18,019 और कॉलेजों के 1,828 मेधावियों को लैपटॉप दिए जाने है।
राज सोनी। फर्स्ट वर्डिक्ट करसोग की जनता के लिए पार्टी का चिन्ह बाद में, अपनी पसंद पहले आती है। बीते 12 विधानसभा चुनाव के नतीजों पर नज़र डाले तो यहाँ तीन बार निर्दलीय उम्मीदवार जीते है। भाजपा के गठन से पहले यहाँ 1977 में जनता पार्टी जीती, तो 1998 में पंडित सुखराम की हिमाचल विकास कांग्रेस को भी करसोग का प्यार मिला। वर्तमान में यहाँ भाजपा का कब्ज़ा है और कांग्रेस भी मैदान में डटी दिख रही है। यक़ीनन यहाँ आगामी चुनाव बेहद रोचक होने वाला है। पहले बात कांग्रेस की करें तो पार्टी के लिए सबसे बड़ी चुनौती अंतर्कलह को साधना है। क्षेत्र में मनसा राम के बेटे महेश राज अभी से टिकट की कतार में है तो दूसरी ओर पूर्व में दो बार विधायक रहे मस्त राम तथा काफी समय से कांग्रेस पार्टी में कार्य कर रहे जगत राम, अधिवक्ता रमेश कुमार, निर्मला चौहान, हिरदाराम तथा उत्तम चंद चौहान भी ग्राउंड में डटे हुए है। अतीत में झांके तो 1993 व 2003 में कांग्रेस ने मस्त राम को मैदान में उतारा था, और दोनों बार मस्त राम ने करसोग सीट कांग्रेस की झोली में डाली। 2017 के चुनाव में मस्त राम पार्टी से टिकट की मांग कर रहे थे लेकिन तब कांग्रेस ने मनसा राम को मैदान में उतारा। टिकट बंटवारे को लेकर मस्त राम ने कांग्रेस पार्टी से नाता तोड़ा और निर्दलीय मैदान में उतरे। इसका लाभ भाजपा को हुआ और ये सीट भाजपा की झोली में गई। उधर, भाजपा की बात करें तो वर्तमान में हीरा लाल विधायक है। वर्ष 2007 में उन्होंने ही मनसा राम के विजयरथ पर लगाम लगाई थी, लेकिन जनता ने अगले चुनाव में फिर से मनसा राम को कमान सौंप दी। 2017 में भाजपा ने हीरा लाल को दोबारा से मौका दिया था और तब कांग्रेस की बगावत के चलते वे जीत दर्ज करने में कामयाब रहे। मनसा राम का रहा है दबदबा करसोग की सियासत में मनसा राम का दबदबा रहा है। मनसा राम कुल 9 बार चुनावी संग्राम में उतरे और पांच बार करसोग से विधायक बने जिसमें 4 बार कैबिनेट मंत्री तथा एक बार सीपीएस रहे। पिछले कई चुनावों के नतीजों पर नज़र डाले तो इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि करसोग की जनता ने पार्टी चिन्ह के बिना भी मनसा राम पर अपना प्यार बरसाया है। 1967 में मनसा राम ने बतौर निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीता भी। दूसरी बार 1972 में कांग्रेस के टिकट से चुनाव लड़े और जीते लेकिन 1977 में उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा। मनसा राम ने 1982 में फिर निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीते। इसके बाद 1998 में हिमाचल विकास कांग्रेस और 2012 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़कर मनसा राम इस क्षेत्र से विधायक बने। अब उनके पुत्र भी कांग्रेस से टिकट मांग रहे है। अब आने वाले विधानसभा चुनावों में देखना यह होगा की जनता किसको चुनेगी और किसके भाग्य का सितारा चमकेगा।
अरविंद शर्मा। फर्स्ट वर्डिक्ट शाहपुर विधान सभा क्षेत्र, नाम इतना शाही है कि जुबाँ पर आते ही इसके शाही होने का आभास होता है! सियासत में शाहपुर के हिस्से जो शाही नाम आते हैं वह भी काफ़ी शाही रसूख़ रखते हैं, कांग्रेस से पहले एक नाम ‘चलता’ था मेजर विजय सिंह मनकोटिया तो भाजपा की तरफ़ से सरवीन चौधरी का नाम सामने आता है, मेजर का पॉलिटिकल करेक्टर ऐसा रहा है कि जनता दल के बाद जब उनका नाम बहुजन समाज पार्टी की कसौटी पर कसा था तो जनता को इसमें खोट ही नज़र आया बस कांग्रेस के टिकट की कसौटी पर मेजर खरा सोना साबित हुए थे, कांग्रेस छोड़ने के बाद जब भी मेजर ने कोई पारी खेली तो वह सरवीन की तेज़ गेंदों पर अपनी विकेट को उखड़ते देखने पर मजबूर हो गए, यहाँ इन दोनो के बाद तीसरा नाम आता है कांग्रेस के केवल पठानिया का, मेजर के कांग्रेस से बाहर होने के बाद केवल कांग्रेस के ‘हाथ’ पर भाग्य आज़माते हुए बीते नौ वर्षों से अपनी ही क़िस्मत से लड़ रहे हैं, सियासी तौर पर अगर शाहपुर की कुर्सी के ग्रह-गोचर देखे जाएँ तो यूँ कहना ग़लत ना होगा कि मेजर मनकोटिया -केवल पठानिया दोनो एक दूसरे की सियासी कुंडलियों में साढ़सत्ती लिए बैठे हैं जो कि हर बार पिछले कई वर्षों से सरवीन के लिए शाहपुर के सिहाँसन का योग बनाते आए है। हर बार एक दूसरे के लिए धूमकेतु सिद्ध होते आए मेजर और केवल सरवीन के लिए कुर्सी -सेतु साबित हुए हैं, इस फेर में केवल एक बार अपनी ज़मानत ज़ब्त करवा बैठे तो फिर दोबारा हार के हार पहनने को मजबूर हो गए, अगर सियासतन शाहपुर की फ़िज़ाओं की स्वरलहरियों की बात की जाए तो सरवीन के सुरमई सियासी संगीत की बीण पर कांग्रेस के हालात साँप की तरह नाचते नज़र आए हैं और जिनकी फुँकार ने कांग्रेस को ही फूँका है ! मेजर शांत नहीं हुए और केवल से भिड़ते रहे नतीजा यह हुआ ना मेजर ख़ुद जीत पाए ना केवल को जीतने दिया, एक बार मेजर जब बसपा की टिकेट पर धर्मशाला भी शिफ़्ट हुए तो अपनी जगह अपने अनन्य भक्त ओंकार राणा को केवल के सामने छोड़ गए, मेजर ख़ुद तो धर्मशाला से हार गए मगर शाहपुर में ओंकार राणा दूसरे नम्बर पर रहे! शाहपुर में कांग्रेस मत-भिक्षुओं के रोल में जितनी ख़ाली कटोरा लेकर घूमती है, भाजपा अकेले अपने कटोरे को शाहपुर में भारी रूप से भरने में कामयाब रहती है, अगर सामान्य लहजे में कहें तो शाहपुर में कांग्रेस की साँझी हार में भाजपा अपनी अकेली जीत सुनिशिच्त करती आ रही है जबकि यह भी हक़ीक़त है की इतने बड़े-बड़े नामों के बावजूद शाहपुर का वजूद बहुत छोटा बन के रह जाता है, विकास के नाम पर शाहपुर को वही मिलता आ रहा है जो साथ लगते विधान सभा क्षेत्रों से बचा-खुचा रह जाता है, शाहपुर के रहनुमाओं के बिना किसी संघर्ष के चलते किराए की कोख में पल रहे कुपोषित केंद्रीय विश्वविद्यालय के अस्थाई कैंपस जिसे ना जाने कब कौन छीन ले जाए के अलावा शाहपुर की झोली में कोई सौग़ात नहीं नज़र आती , सड़कों के नाम पर जर्जर रास्तों से रोज़ गुज़रने वाले बोह -दरिणी -कनोल -सल्ली -नोहली -करेरी-घेरा -चमियारा के बाशिंदे अभी तक सही सड़कों जैसी मूलभूत सुविधाओं से जूझ रहे हैं ! ज़्यादा चर्चा में ना जाया जाए तो वर्षों से तीन की तिकड़ी के तिकड़मों में पिसती और मूलभूत सुविधाओं तक से वंचित शाहपुर की जनता इस बार आने वाले चुनावों में क्या हेर-फेर करती है ! ख़ैर ये तो आने वाला वक़्त ही बताएगा ! लेकिन इस बार मेजर और केवल का हाथ बँटाते हुए आम आदमी पार्टी भी कहीं सरवीन के सियासी हालात फिर से बेहतरीन ना कर दे !
फर्स्ट वर्डिक्ट । धर्मशाला भारत सरकार द्वारा बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान के अंतर्गत वर्ष 2015 से बेटियों के उज्ज्वल भविष्य के लिए सुकन्या समृधि योजना की शुरुआत की गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आरंभ की गई। इस योजना का मुख्य लक्ष्य बेटियों के अभिवावकों को बेटियों के उज्ज्वल व सुरक्षित भविष्य के लिए उच्चतर ब्याज दर के साथ-साथ एक लोकप्रिय निवेश विकल्प उपलब्ध करवाना है। सुरेन्द्र पाल शर्मा अधीक्षक डाकघर धर्मशाला द्वारा सुकन्या समृधि योजना के बारे में अधिक जानकारी देते हुए बताया गया कि इस योजना के माध्यम से लाभार्थी द्वारा निवेश करके एकमुश्त राशि बेटी की शिक्षा या फिर शादी के लिए प्राप्त की जा सकती है। इस योजना के अंतर्गत लाभ प्राप्त करने के लिए बेटी की 10 वर्ष की आयु होने से पहले अकाउंट खुलवाना होगा। इस अकाउंट में निवेश की न्यूनतम सीमा 250 रुपए है तथा अधिकतम सीमा 1.5 लाख रुपए हैं। यह निवेश बेटी की उच्च शिक्षा या फिर शादी के लिए किया जा सकता है। इस योजना के माध्यम से सरकार द्वारा निवेश पर वर्तमान में 7.6 प्रतिशत की दर से ब्याज प्रदान किया जा रहा है। इसके अलावा इस योजना के अंतर्गत निवेश करने पर टैक्स में छूट भी प्रदान की जाती है। इस योजना को बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ स्कीम के अंतर्गत लांच किया गया है। इस योजना के अंतर्गत अकाउंट किसी भी डाकघर की शाखा में खुलवाया जा सकता है। सुकन्या समृद्धि खाते का संचालन बेटी की आयु 21 वर्ष की होने या फिर 18 वर्ष की आयु के बाद शादी होने तक किया जा सकता है। बेटी की उच्च शिक्षा के लिए 18 वर्ष की आयु के बाद 50 प्रतिशत की रकम की निकासी की जा सकती है। इस योजना में डाकघर द्वारा डिजिटल माध्यम से रकम जमा करवाने की भी सुविधा दी जा रही है। सुरेन्द्र पाल शर्मा द्वारा बताया गया कि इस योजना के आरम्भ से अब तक धर्मशाला डाक मण्डल में लगभग 49876 खाते खोले जा चुके हैं। सुकन्या समृद्धि योजना के अंतर्गत एक बेटी के लिए केवल एक ही खाता खुलवाया जा सकता है तथा खाता खुलवा आते समय बेटी का जन्म प्रमाण पत्र पोस्ट ऑफिस में जमा करना होगा। इसी के साथ साथ अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेज जैसे कि पहचान पत्र तथा पते का प्रमाण भी जमा करना होगा।
फर्स्ट वर्डिक्ट। शिमला नेपाल में 490 मेगावाट अरुण-4 जलविद्युत परियोजना के विकास के लिए एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी तथा नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा की गरिमामयी उपस्थिति में लुंबिनी में हस्ताक्षरित हुआ है। इस ऐतिहासिक समझौता ज्ञापन पर नंद लाल शर्मा, अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक, एसजेवीएन तथा कुलमन घीसिंग, प्रबंध निदेशक, नेपाल विद्युत प्राधिकरण (एनईए) ने हस्ताक्षर किए। इस अवसर पर बोलते हुए नंद लाल शर्मा ने कहा कि 490 मेगावाट, अरुण-4 जल विद्युत परियोजना एसजेवीएन और नेपाल विद्युत प्राधिकरण (एनईए) द्वारा संयुक्त उद्यम (जेवी) के रूप में विकसित की जाएगी और इस संयुक्त उद्यम में, एसजेवीएन की बहुमत हिस्सेदारी होगी। अरुण-3 एचईपी के अपस्ट्रीम में इस परियोजना का निर्माण इस संयुक्त उद्यम द्वारा किया जाएगा, जिसके पूरा होने पर प्रति वर्ष लगभग 2100 मिलियन यूनिट ऊर्जा का उत्पादन होगा। नेपाल के संखुवासभा जिला प्रांत-1 में स्थित इस परियोजना की अनुमानित विकास लागत 4900 करोड़ है। नंद लाल शर्मा ने आगे इस बात पर जोर देते हुए कहा कि इस समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर, बिजली क्षेत्र में भारत-नेपाल संयुक्त विजन को प्राप्त करने की दिशा में एक ऐतिहासिक मील का पत्थर साबित होगा। उन्हाेंने अवगत कराया कि यह एसजेवीएन द्वारा नेपाल में निर्मित होने वाली तीसरी मेगा परियोजना होगी। इसके अलावा पहले से निर्माणाधीन 900 मेगावाट अरुण-3 और 669 मेगावाट लोअर अरुण की परियोजना सर्वेक्षण और जांच के चरण में है। इस समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर के साथ, एसजेवीएन के पास अब नेपाल में कुल 2059 मेगावाट की तीन परियोजनाएं हैं। शर्मा ने 2030 तक नेपाल में 5000 मेगावाट की परियोजनाओं को लक्षित करने संबंधी एसजेवीएन के अपने संकल्प को दोहराया। एकीकृत नदी बेसिन विकास दृष्टिकोण की मौलिक अवधारणा नंद लाल शर्मा की है, जिसकी वकालत वह लंबे समय से करते आए हैं। नंद लाल शर्मा ने लंबे समय से विभिन्न राष्ट्रीय/अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर अपने इस दृष्टिकोण का पालन करने पर जोर दिया था। परिणामस्वरूप नेपाल में भी जलविद्युत परियोजनाओं के आबंटन के दौरान एक डेवलपर को, एकल नदी बेसिन में आबंटित किया गया। यह दृष्टिकोण जनशक्ति, बुनियादी ढांचे और वित्तीय संसाधनों के इष्टतम उपयोग को सक्षम बनाता है। उन्होंने संतोष व्यक्त किया कि इस नवीन अवधारणा को नेपाल सरकार के साथ-साथ भारत में भी हिमाचल प्रदेश और अरुणाचल प्रदेश की राज्य सरकारों द्वारा स्वीकार किया गया है। शर्मा ने आगे कहा कि नेपाल में एसजेवीएन द्वारा विकसित की जा रही परियोजनाओं से समग्र विकास होगा और भारत और नेपाल में पारस्परिक आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा कि इन परियोजना गतिविधियों से संबंधित ढांचागत विकास क्षेत्र का समग्र सामाजिक-आर्थिक विकास भी सुनिश्चित होगा। नेपाल में इन तीन जलविद्युत परियोजनाओं के अलावा, एसजेवीएन बिजली की निकासी के लिए 217 किमी 400 केवी के संबद्ध पारेषण प्रणाली का निर्माण भी कर रहा है। नंद लाल शर्मा ने कहा कि लगभग 31500 मेगावाट के कुल पोर्टफोलियो के साथ, एसजेवीएन के पास अब संचालन और विकास के विभिन्न चरणों के तहत 30 गीगावाट से अधिक क्षमता की विद्युत परियोजनाएं हैं। नई परियोजनाओं के क्षेत्र में ये वर्तमान अतिरिक्त एडिशन ही कंपनी को वर्ष 2023 तक 5000 मेगावाट, 2030 तक 25000 मेगावाट और वर्ष 2040 तक 50000 मेगावाट की स्थापित क्षमता को साकार करने की दिशा में ले जा रहा है। नंद लाल शर्मा ने एसजेवीएन पर अपना विश्वास व्यक्त करने और अरुण-4 एचईपी के विकास कर्त्ता पर विचार करने के लिए दोनों राष्ट्रों के प्रधानमंत्रियों, विद्युत मंत्रालय और विदेश मंत्रालय, नेपाल में भारतीय दूतावास के प्रति अपना आभार व्यक्त किया।
सुनैना कश्यप. फर्स्ट वर्डिक्ट रतन पाल, तेजवंत नेगी, बलदेव शर्मा, बलदेव ठाकुर जैसे नेताओं की डगर होगी मुश्किल पार्टी विद डिफरेंस भाजपा मिशन रिपीट के लिए कोई रिस्क नहीं लेना चाहती। संगठन, संसाधन और संतुलन के साथ -साथ पार्टी ये भी सुनिश्चित करना चाहती है कि उपचुनाव की तर्ज पर विधानसभा चुनाव में कोई रणनीतिक चूक न हो। ऐसे में माना जा रहा है कि आगामी चुनाव में पार्टी कई निर्वाचन क्षेत्रों में चेहरे बदलने वाली है। इसके लिए बाकायदा ग्राउंड फीडबैक लिया जाएगा, जिसका आधार न सिर्फ इंटरनल सर्वे होगा बल्कि बाहरी एजेंसियों से भी सर्वे करवाया जा सकता है। वहीँ लगातार दो या अधिक चुनाव हारने वाले नेताओं के टिकट भी आगामी विधानसभा चुनाव में कटना तय माना जा रहा है। प्रदेश में ऐसे 6 निर्वाचन क्षेत्र है जहाँ पार्टी टिकट पर एक ही उम्मीदवार लगातार दो चुनाव हार चूका है। इनमें अर्की से रतन सिंह पाल, बड़सर से बलदेव शर्मा, हरोली से प्रो राम कुमार, रामपुर से प्रेम सिंह धरैक और किन्नौर से तेजवंत नेगी लगातार दो चुनाव हार चुके है। वहीँ ठियोग से पार्टी सिंबल पर दो चुनाव हारने वाले राकेश वर्मा का स्वर्गवास हो चूका है। अर्की से रत्न सिंह पाल 2017 का विधानसभा चुनाव और 2021 में हुआ उपचुनाव हार चुके है तो अन्य सभी नेता 2012 व 2017 का विधानसभा चुनाव हार चुके है। फतेहपुर निर्वाचन क्षेत्र से बलदेव ठाकुर भी लगातार तीन चुनाव हार चुके है, किन्तु 2017 में वे बतौर निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव हारे थे जबकि 2012 और 2021 का उपचुनाव पार्टी सिंबल पर हारे है। जाहिर है इन सभी उम्मीदवारों का दावा टिकट के लिए कमजोर जरूर हुआ है। हालांकि स्थिति -परिस्थिति के लिहाज से इनमें से एकाध अपवाद जरूर हो सकते है। क्षेत्रवार बात करें तो रामपुर और हरोली में भाजपा की बनिस्पत कांग्रेस बेहद मजबूत है, इस बार से इंकार नहीं किया जा सकता। इन दोनों सीटों पर टिकट बदले या न बदले, नतीजा बदलना बेहद मुश्किल है। वहीँ ठियोग में भी कांग्रेस - सीपीआईएम का मैच अगर फिक्स सा होता है तो भाजपा के लिए उम्मीद कम ही होगी। सही मायनों में अगर त्रिकोणीय मुकाबला हुआ तो ही भाजपा इस सीट पर बेहतर कर पायेगी। पर अन्य चार सीटें ऐसी है जहाँ भाजपा दमखम से लड़े और कोई रणनीतिक चुन न हो तो जीत की सम्भावना भी प्रबल होगी। बड़सर में भी दो चुनाव हारने के बाद बलदेव शर्मा की राह मुश्किल हो सकती है। हालांकि यहां बलदेव में समकक्ष कोई अन्य चेहरा अब भी नहीं दिखता। बलदेव के पक्ष में एक बात और जा सकती है, 2012 में जहाँ वे करीब ढाई हज़ार के अंतर से हारे थे तो 2017 में ये अंतर करीब 400 वोट का था। पर एक खेमा चाहता है कि इस बार यहाँ से पार्टी नए चेहरे को मौका दें। अर्की की बात करें तो रतन सिंह पाल के अतिरिक्त पूर्व विधायक गोविंद राम शर्मा भी दावेदारों की फेहरिस्त में है। यहाँ पार्टी किसी नए उम्मीदवार को भी मैदान में उतार सकती है। बीते दिनों ही पार्टी ने प्रतिभा कंवर को प्रदेश भाजपा महिला मोर्चा का प्रवक्ता नियुक्त किया है। प्रतिभा भी सक्रीय है और टिकट की दावेदार है। वहीँ एक अन्य पत्रकार का नाम भी टिकट की रेस में है, जिनकी क्षेत्र में अच्छी पकड़ है। वहीँ फतेहपुर में जानकार मान कर चल रहे है की इस बार फिर पार्टी कृपाल परमार को मौका दे सकती है। लगातार तीन चुनाव हार चुके बलदेव को एक और मौका मिलना मुश्किल है। वहीँ जनजातीय जिला किन्नौर में ठाकुर सेन नेगी के बाद तेजवंत नेगी ही भाजपा का चेहरा रहे है। पर पिछले दो चुनाव हार चुके तेजवंत की राह इस बार मुश्किल होगी। बीते कुछ वक्त में पार्टी में सूरत नेगी के बढ़ते कद ने तेजवंत का तेज जरूर कुछ कम किया है। टिकट के लिए भी सूरत का दावा मजबूत है। यहाँ भाजपा के लिए उम्मीदवार का चयन बड़ी चुनौती है।
फर्स्ट वर्डिक्ट. मंडी हिमाचल की सियासत के चाणक्य पूर्व केंद्रीय संचार मंत्री पंडित सुखराम अब नहीं रहे। हिमाचल प्रदेश उनके जाने से गमगीन है। पंडित सुखराम का इस दुनिया से रुक्सत होना हिमाचल के सियासत के एक अध्याय का खत्म होना है। पंडित जी सिर्फ सियासत के चाणक्य ही नहीं बल्कि किंग मेकर भी कहलाए जाते थे। वो पंडित सुखराम ही थे जिनकी बदौलत 1998 में वीरभद्र दूसरी बार सरकार रिपीट करने में असफल हुए और प्रो प्रेम कुमार धूमल पहली बार प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। पंडित सुखराम प्रदेश के वो एकमात्र नेता थे जिन्होंने अपने दम पर प्रदेश में तीसरी पार्टी बनाकर भाजपा और कांग्रेस जैसे बड़े राजनैतिक दलों को दिन में तारे दिखाए। बतौर केंद्रीय मंत्री पंडित सुखराम ने जो काम हिमाचल के विकास या खास तौर पर मंडी के लिए किये, उन्हें भुलाया नहीं जा सकता।पंडित सुखराम का जन्म 27 जुलाई 1927 को हिमाचल के कोटली गांव में रहने वाले एक गरीब परिवार में हुआ था। पंडित जी ने दिल्ली लॉ स्कूल से वकालत की और फिर अपने करियर की शुरूआत बतौर सरकारी कर्मचारी की। उन्होंने 1953 में नगर पालिका मंडी में बतौर सचिव अपनी सेवाएं दी। इसके बाद 1962 में मंडी सदर से निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीते। 1967 में इन्हें कांग्रेस पार्टी का टिकट मिला और फिर से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे। इसके बाद पंडित सुखराम ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। पंडित सुखराम के परिवार ने मंडी सदर विधानसभा क्षेत्र से 13 बार चुनाव लड़ा और हर बार जीत हासिल की। केंद्र की सियासत में भी था रसूख : केंद्र की सियासत में भी पंडित सुखराम बड़ा नाम थे। सांसद रहते उन्होंने केंद्र में विभिन्न मंत्रालयों का कार्यभार संभाल। 1984 में सुखराम ने कांग्रेस पार्टी के टिकट पर पहला लोकसभा चुनाव लड़ा और प्रचंड जीत के साथ संसद पहुंचे। 1989 के लोकसभा चुनावों में उन्हें भाजपा के महेश्वर सिंह से हार का सामना करना पड़ा। 1991 के लोकसभा चुनावों में सुखराम ने महेश्वर सिंह को हराकर फिर से संसद में कदम रखा। 1996 में सुखराम फिर से चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे। उन्होंने खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले राज्य मंत्री के रूप में कार्य किया। सुखराम पीवी नरसिम्हा राव की सरकार में टेलीकॉम मिनिस्टर भी रहे। उन्हें भारत में संचार क्रांति का जनक भी कहा जाता है। वीरभद्र सिंह के मिशन रिपीट पर फेरा था पानी : 1998 के विधानसभा चुनाव में पंडित सुखराम ने कांग्रेस से अलग होकर हिमाचल विकास कांग्रेस बनाई जिसने वीरभद्र सिंह के मिशन रिपीट के अरमान पर पानी फेर दिया था। पंडित सुखराम के पांच विधायक जीतकर आये थे। भाजपा और कांग्रेस को 31-31 सीटें मिली, लेकिन सुखराम की हिविकां ने प्रो धूमल को समर्थन देकर वीरभद्र के नेतृत्व वाली कांग्रेस को सरकार बनाने से रोक दिया। तब कांटे के मुकाबले में 23 सीटें ऐसी थी जहाँ जीत - हार का अंतर दो हज़ार वोट से कम था। इनमें से 14 सीटें कांग्रेस हारी थी और तीन सीटों पर तो उसे हिमाचल विकास कांग्रेस से सीधे मात दी थी। इसके अलावा कई सीटें ऐसी थी जहाँ कांग्रेस की हार का अंतर बेशक दो हज़ार वोट से अधिक था, लेकिन पार्टी का खेल हिमाचल विकास कांग्रेस ने ही बिगाड़ा था। 2017 में दिया कांग्रेस को झटका : पंडित सुखराम ने 2003 में अपना आखिरी विधानसभा का चुनाव लड़ा और फिर 2007 में सक्रिय राजनीति से संन्यास ले लिया। 2012 में उनके बेटे अनिल शर्मा ने सदर से चुनाव लड़ा और सरकार में मंत्री बने। इसके बाद से सुखराम परिवार वर्ष 2017 तक कांग्रेस में रहा। पर पंडित जी चुनाव से पूर्व सपरिवार भाजपा में शामिल हो गए। माना जाता है कि उनके इस सियासी पैंतरे ने ऐसी हवा बिगाड़ी कि कांग्रेस का जिला मंडी में खाता भी नहीं खुला। 2019 में हुई कांग्रेस में वापसी : पंडित सुखराम का अपने पोते आश्रय शर्मा को सियासत में स्थापित होते देखना चाहते थे। कई मौकों पर खुद पंडितजी ने इसका जिक्र भी किया। पोते को सांसद बनाने की चाहत में ही पंडित जी 2019 में वापस कांग्रेस में आएं। आश्रय को टिकट भी मिला लेकिन जीत नहीं मिल सकी। बहरहाल पंडित जी दुनिया से रुक्सत कर चुके है। पंडित सुखराम ने एक लम्बी उम्र काटी, सत्ता सुख भोगा, विवादों में भी रहे, पर 95 साल की उम्र तक भी उनका सियासी रसूख ऐसा था कि उन्हें हल्के में लेने की भूल कोई नहीं कर सकता था। इसलिए पंडित सुखराम हिमाचल की सियासत के चाणक्य कहलाएं। मंडी तो पंडित सुखराम की ही थी ! 'मंडी हमारी है और हमारी ही रहेगी ' सियासत में अक्सर नेता इस तरह के बयान देते है। मंडी को लेकर तरह -तरह के दावे होते है। पर अगर कोई ऐसा है जिसे सही मायने में मंडी ने बाहें फैलाकर स्वीकार किया तो वो थे पंडित सुखराम। कुल 13 मर्तबा मंडी सदर हलके से पंडित जी या उनके पुत्र अनिल शर्मा विधायक बने, पार्टी चाहे कोई भी रही हो। पंडित जी सियासत में किसी भी मुकाम पर रहे हो, किसी भी ओहदे पर रहे हो लेकिन उन्होंने मंडी का विशेष ख्याल रखा। आज भी मंडी के सेरी मंच पर जाकर पता लगता है कि किसी सोच के साथ उस शहर को विकसित किया गया है, वो भी उस दौर में। इसीलिए मंडी के लोग पंडित जी को विकास का मसीहा मानते है। कोई किसी भी राजनैतिक विचारधारा का क्यों न हो, दबी जुबान में ही सही लेकिन ये जरूर स्वीकार करता है कि मंडी के विकास में पंडित सुखराम का योगदान अमिट है। नब्बे के दशक में पंडित सुखराम केंद्र में दूरसंचार मंत्री थे और उस दौर में बड़े शहरों में भी टेलीफोन का कनेक्शन लेने के लिए महीनों -सालों इंतजार करना पड़ता था। पर पंडित जी के राज में मंडी में टेलीफोन की घंटी खूब बजी। जिसने चाहा उसे कनेक्शन मिला, मंडी वालों के लिए विभाग का सिर्फ एक ही नियम था,वो था जल्द से जल्द कनेक्शन देना। केंद्रीय मंत्री रहते हुए भी पंडित सुखराम लोगों की पहुंच में थे, बिल्कुल सरल और जमीन से जुड़े हुए। छोटी -छोटी समस्याएं लेकर भी लोग पंडित जी के पास पहुंच जाते और हर छोटी समस्या को भी पंडित सुखराम पूरी तल्लीनता से सुनते और हरसंभव हल करते। सिंबल कोई भी रहा पर मंडी वालों ने दिया साथ : इसे मंडी वालों का पंडित सुखराम के प्रति स्नेह ही कहेंगे कि उन्होंने या उनके पुत्र अनिल शर्मा ने चाहे किसी भी सिंबल पर चुनाव क्यों न लड़ा हो, मंडी वालों ने हमेशा साथ दिया। पहली बार बतौर निर्दलीय चुनाव जीतने वाले पंडित सुखराम लम्बे वक्त तक कांग्रेस में रहे और हमेशा विधानसभा चुनाव जीते। इसके बाद जब 1998 में उन्होंने हिमाचल विकास कांग्रेस बनाई तो भी मंडी ने उनका साथ दिया। 2017 में जब पंडित जी और उनका परिवार भाजपाई हो गए तो भी मंडी वालों का साथ उन्हें मिला। और मुख्यमंत्री बनते -बनते रह गए पंडित सुखराम सर्वविदित है कि पूर्व केंद्रीय मंत्री पंडित सुखराम की तमन्ना थी कि वे बतौर मुख्यमंत्री हिमाचल प्रदेश की भागदौड़ संभाले। पर वीरभद्र सिंह के होते ऐसा हो न सका। कई ऐसे मौके आए जब पंडित सुखराम मुख्यमंत्री बनते -बनते रह गए। पहला मौका आया साल 1983 में। तत्कालीन मुख्यमंत्री ठाकुर रामलाल का नाम टिम्बर घोटाले में आया तो पार्टी आलाकमान ने उनसे इस्तीफा ले लिया। नए मुख्यमंत्री के नाम को लेकर कयास लग रहे थे और इनमें से एक प्रमुख नाम था पंडित सुखराम का जो ठाकुर रामलाल की कैबिनेट में मंत्री भी थे। पर इंदिरा गांधी का आशीर्वाद मिला वीरभद्र सिंह को जो उस वक्त केंद्र में सियासत कर रहे थे। इस तरह वीरभद्र सिंह पहली बार मुख्यमंत्री बने और पंडित सुखराम मुख्यमंत्री बनते -बनते रह गए1990 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का सूपड़ा साफ़ होने के बाद वीरभद्र सिंह के नेतृत्व को लेकर सवाल उठ रहे थे। 1993 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने शानदार जीत हासिल की लेकिन मुख्यमंत्री पद को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं थी। कहते ही तब 20 से अधिक विधायक पंडित सुखराम के पक्ष में थे लेकिन जिला मंडी के ही कुछ नेता उनकी राह का रोड़ा बने और तीसरी बार वीरभद्र सिंह मुख्यमंत्री बने। इस तरह दूसरी बार पंडित जी मुख्यमंत्री बनते -बनते रह गए। वीरभद्र के मिशन रिपीट पर फेरा पानी 1998 के विधानसभा चुनाव से पहले पंडित सुखराम ने अपनी अलग पार्टी बना ली थी, नाम था हिमाचल विकास कांग्रेस। विधानसभा चुनाव में पंडित जी पूरी ताकत के साथ मैदान में उतरे लेकिन उनके खाते में पांच सीटें ही आई। ऐसे में पंडित जी का मुख्यमंत्री बनने का सपना तो पूरा नहीं हुआ लेकिन जिस कदर उन्होंने कांग्रेस के वोट बैंक में सेंध लगाई जिससे वीरभद्र सिंह भी मुख्यमंत्री नहीं बन सके। पंडित जी ने भाजपा के साथ गठबंधन सरकार बनाई और ये पहला मौका था जब कोई गठबंधन सरकार पांच साल चली भी। इसके बाद ही उन्हें हिमाचल की सियासत का चाणक्य कहा जाने लगा। वो स्कैंडल जिसने बदल कर रख दी पंडित सुखराम की सियासत तारिख थी 8 अगस्त 1996 । पंडित सुखराम का नाम टेलीकॉम घोटाले में सामने आया था। सीबीआई ने सुखराम, रुनु घोष और हैदराबाद स्थित एडवांस रेडियो फॉर्म कंपनी के मालिक पर केस दर्ज कर लिया था। 16 अगस्त को सीबीआई की एक टीम उनके दिल्ली के सफदरजंग स्थित आवास पर पहुंची और छापेमारी की। 80 के दशक में बोफोर्स घोटाले की वजह सत्ता खोने वाली कांग्रेस 90 के दशक में संचार घोटाले की वजह से फिर विवादों से घिर गई। नरसिम्हा राव सरकार में सुखराम के संचार मंत्री रहते हुए ये घोटाला हुआ। इस घोटाले ने न सिर्फ कांग्रेस की सरकार को हिला दिया बल्कि पंडित सुखराम को मंत्री और कांग्रेस पार्टी का साथ दोनों ही खोने पड़े। ये घोटाला पंडित सुखराम के जीवन का एक महत्वपूर्ण अध्याय बनकर रह गया। इस 5 करोड़ 91 लाख के घोटाले की वजह से विपक्षी भाजपा ने तब 1996 में 10 दिनों तक संसद नहीं चलने दी थी। उस वक्त पंडित सुखराम के घर से 2.45 करोड़ रुपये बरामद हुए थे। इसके अलावा सीबीआई की एक टीम ने सुखराम के हिमाचल के मंडी स्थित बंगले पर भी छापेमारी की थी। टीम को वहां से 1.16 करोड़ रुपये मिले थे। पैसे दो संदूकों और 22 सूटकेस में रखे थे, जिनमें से अधिकांश सूटकेस पूजा वाले घर में रखे हुए थे।सीबीआई की जांच में पता चला था कि केंद्रीय मंत्री पंडित सुखराम ने पद का इस्तेमाल करते हुए हैदराबाद की एक निजी फर्म को ठेका दिया और बदले में तीन लाख रुपये की रिश्वत ली। सुनवाई के दौरान सुखराम ने अदालत में दलील दी कि उनके आवास से बरामद रुपए कांग्रेस पार्टी के हैं। उन्होंने दावा किया कि ये पैसा जम्मू-कश्मीर में होने वाले विधानसभा चुनाव में पार्टी फंड के रूप में इस्तेमाल करने के लिए भेजा गया। हालांकि तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सीताराम केसरी ने सीबीआइ की पूछताछ में बरामद राशि के पार्टी फंड होने से इनकार कर दिया था ।
फर्स्ट वर्डिक्ट. शिमला प्रदेश के विज्ञान अध्यापक टीजीटी से मुख्याध्यापक पदोन्नति के नियमों में बदलाव के खिलाफ है। प्रदेश विज्ञान अध्यापक संघ ने सरकार से मांग की है कि टीजीटी से मुख्याध्यापक पदोन्नति के नियमों में कोई छेड़छाड़ न करते हुए माननीय न्यायालय के निर्णय को यथावत रखा जाए। प्रदेश विज्ञान अध्यापक संघ का मानना है कि इससे टीजीटी से मुख्याध्यापक बनने के लिए लगभग 22 वर्षों से पदोन्नति का इंतजार कर रहे अध्यापकों के साथ अन्याय नहीं होगा। संघ का मानना है कि यदि नियमों में कोई बदलाव किया जाता है तो मुख्याध्यापक के पद पर पदोन्नति का इंतजार कर रहे प्रदेश भर के टीजीटी शिक्षक, टीजीटी पद से ही सेवानिवृत्त होने को मजबूर हो जाएंगे। प्रदेश विज्ञान अध्यापक संघ के प्रदेशाध्यक्ष नरेंद्र ठाकुर, वरिष्ठ उपाध्यक्ष सुधीर चंदेल, प्रदेश महामंत्री अवनीश कुमार, कोषाध्यक्ष लवलीन, मीडिया प्रभारी सुनील का कहना है कि इस मांग को पहले भी कई बार मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री, शिक्षा सचिव प्रदेश के समक्ष उठाया जा चुका है। मुख्यमंत्री द्वारा अपने बजट भाषण में 26 अप्रैल 2010 के बाद टीजीटी से पदोन्नत लेक्चरर की ऑप्शन एकमुश्त बहाल कर मुख्याध्यापक बनाने की घोषणा की है, इसके लागू होने से टीजीटी काडर के एक बहुत बड़े वर्ग के साथ अन्याय न हो, इसलिए जो पदोन्नति की स्थिति लगभग 10 वर्षों से चली आ रही है, उसी को यथावत रखा जाए।
फर्स्ट वर्डिक्ट. शिमला "मैं प्रखर राष्ट्रवादी हूँ। खालिस्तानियों के साथ सम्बन्ध रखने वालों के साथ मेरा दूर- दूर तक कोई लेना देना नहीं हो सकता। मैं देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना आदर्श मानता हूं। एकात्मवाद व राष्ट्रवाद मेरी आत्मा में बसा है। उप चुनाव में हमारा झंडा भगवा ही था और भविष्य में भी भगवा ही लहराएगा, यही हमारा संकल्प है ", ये शब्द है जुब्बल कोटखाई से निर्दलीय चुनाव लड़ चुके चेतन बरागटा के। चेतन बरागटा ने खुद ये स्पष्ट कर दिया की वो किसी भी हालात में आम आदमी पार्टी में शामिल नहीं होंगे। चेतन ये सन्देश हल्के अंदाज में भी दे सकते थे लेकिन उन्होंने कठोर शब्दों का चयन किया, जाहिर है उनका इरादा अटकलों पर विराम लगाना नहीं अपितु पूर्ण विराम लगाने का है। दरअसल अब भी जुब्बल कोटखाई भाजपा का एक बड़ा धड़ा चेतन के साथ खड़ा है और चेतन अपने इन निष्ठावानों को हर हाल में साध कर रखना चाहते है। उधर, भाजपा ने अब तक चेतन की घर वापसी में प्रत्यक्ष तौर पर कोई रूचि नहीं दिखाई है। हालांकि पार्टी के भीतर अधिकांश लोगों का उन्हें लेकर सकारात्मक रवैया है। ऐसे में उनकी घर वापसी तो लगभग तय है , पर सवाल ये है कि आखिर कब ? जुब्बल कोटखाई में भाजपा की स्थिति किसी से छुपी नहीं है। उपचुनाव में पार्टी जमानत तक नहीं बचा सकी थी और तब से अब तक भी जमीनी स्थिति में कोई खास बदलाव नहीं दिखता। फिर भाजपा किस बात का इन्तजार कर रही है, यह समझना फिलवक्त कठिन है।
फर्स्ट वर्डिक्ट. शिमला आंगनबाड़ी वर्कर्स एवं हेल्पर्स यूनियन ने केंद्र सरकार पर आईसीडीएस विरोधी कार्य करने का आरोप लगाया है। यूनियन अध्यक्ष नीलम जसवाल व महासचिव वीना शर्मा ने कहा कि यूनियन केंद्र सरकार की आंगनबाड़ी व जनविरोधी नीतियों के खिलाफ आंदोलन तेज करेगी। यूनियन अपनी मांगों को लेकर 10 से 17 जून के मध्य हिमाचल प्रदेश के सातों लोकसभा व राज्यसभा सदस्यों को मांग-पत्र सौंपेगी। साथ ही अपनी मांगों को लेकर आंगनबाड़ी कर्मी 11 जुलाई को प्रदेशभर में मांग दिवस मनाएंगे। यूनियन अपनी मांगों को लेकर 25 से 29 जुलाई तक दिल्ली में महापड़ाव भी करेगी। उन्होंने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार आईसीडीएस विरोधी कार्य कर रही है व उसका निजीकरण कर रही है। इसे वेदांता कम्पनी के हवाले किया जा रहा है। नंद घर भी निजीकरण की प्रक्रिया का ही हिस्सा है। उन्होंने निजीकरण पर तुरन्त रोक लगाने की मांग की। उन्होंने भारतीय श्रम सम्मेलन की सिफारिश अनुसार आंगनबाड़ी कर्मियों को नियमित करने की मांग की। साथ ही हरियाणा की तर्ज़ पर वेतन देने व माननीय सुप्रीम कोर्ट के निर्णय अनुसार ग्रेच्युटी देने की मांग की। उन्होंने कर्मियों को प्री प्राइमरी में सौ प्रतिशत नियुक्ति देने,सेवानिवृति आयु 65 वर्ष करने,वर्ष 2013 की एनएचआरएम की बकाया राशि का भुगतान करने व मिनी आंगनबाड़ी कर्मियों को बराबर वेतन देने की भी मांग की।
फर्स्ट वर्डिक्ट. शिमला प्रदेश के सरकारी स्कूलों में पीईटी की बैचवाइज भर्ती पिछले पांच सालों से नहीं हो पाई है जिससे बेरोजगार शारीरिक शिक्षक खासे नाराज है। अब इन शिक्षकों ने आमरण अनशन की चेतावनी दी है। शिक्षक संघ ने सरकार को चेतावनी दी है कि 30 मई से पहले यदि भर्ती प्रक्रिया को शुरू नहीं की गई तो विधानसभा के बाहर हजारों बेरोजगार आमरण अनशन पर बैठेंगे। इसके लिए राज्य सरकार पूर्ण रूप से जिम्मेदार होगी। शारीरिक शिक्षक संघ ने प्रदेश भाजपा सरकार से शारीरिक शिक्षकों के 870 पदों को 30 मई तक भरने की प्रक्रिया पूर्ण करने का आग्रह किया है, ताकि स्कूली बच्चे शारीरिक शिक्षा विषय पढ़ने से वंचित न रहें और साथ ही इन शिक्षकों को भी रोज़गार मिल पाए। शारीरिक अध्यापक संघ के प्रधान सतीश शर्मा का कहना है कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर व शिक्षा मंत्री गोविंद ठाकुर सहित मंत्रिमंडल की ओर से पहली बार सीएंडवी के पदों को भरने की पहल की गई। इसमें कला अध्यापकों के 820 पदों को भर कर बेरोजगारों को सरकार ने न्याय प्रदान किया है। उन्होंने कहा की कला अध्यापकों के पदों को भरने के बाद अब शारीरिक शिक्षकों के स्कूलों में खाली पड़े पदों को शीघ्र भरा जाए। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर 870 शारीरिक शिक्षकों के पदों को भरने के निर्देश शिक्षा निदेशक प्रारंभिक व प्रदेश भर के सभी प्रारंभिक शिक्षा उपनिदेशकों को जारी करें। शारीरिक शिक्षक कई वर्षों से सरकार से स्कूलों में खाली पड़े पदों को भरने की गुहार लगा रहे हैं और अब कई बेरोजगार शारीरिक शिक्षक 47 वर्ष की उम्र पार कर चुके हैं। शर्मा ने कहा कि अधिकतर बेरोजगार शारीरिक शिक्षक अब हिमाचल प्रदेश कर्मचारी चयन आयोग के माध्यम से परीक्षा में बैठने के लिए अधिक उम्र के कारण पात्र नहीं रहे हैं। ज्यादा उम्र के इन बेरोजगारों को भाजपा सरकार से एक ही आशा बची है कि उन्हें बैचवाइज भर्ती के आधार पर शीघ्र स्कूलों में नियुक्ति प्रदान की जाए।
फर्स्ट वर्डिक्ट. शिमला गृहरक्षकों ने प्रदेश सरकार से मांग की है कि उन्हें भी संशोधित वेतनमान का लाभ दिया जाए। अगर सरकार छठे वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करती है तो उससे हर गृहरक्षक के वेतन में पांच हजार रुपये की वृद्धि होगी। इस संबंध में गृह रक्षक कल्याण संघ ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को मांग पत्र सौंपा है। संगठन के पदाधिकारियों ने महासचिव जगदीश ठाकुर की अगुवाई में मुख्यमंत्री से शिमला स्थित उनके सरकारी आवास ओकओवर में मुलाकात की। उन्होंने उन्हें मांग पत्र भी सौंपा। संघ के महासचिव ने कहा कि गृह रक्षक हाईकोर्ट से भी केस जीत चुके हैं। कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिए हैं कि उन्हें छठे वेतन आयोग की सिफारिशों का लाभ प्रदान किया जाए। अभी प्रदेश में गृहरक्षकों की संख्या करीब छह हजार है, लेकिन इन्हें संशोधित वेतनमान का लाभ नहीं मिला है। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने आश्वासन दिया है कि इन्हें नए वेतनमान का लाभ प्रदान किया जाए। उन्होंने कहा कि सरकार कर्मचारी हितेषी हैं और हर वर्ग के हितों का ख्याल रखा जा रहा है। गृह रक्षकों को उम्मीद है कि सरकार उनका भी ख्याल रखेगी।
फर्स्ट वर्डिक्ट. शिमला पूरी उम्र सरकार के लिए जिन कर्मचारियों ने काम किया, आज बुढ़ापे में उन्हीं का साथ सरकार ने छोड़ दिया। ये कहना है हर महीने अपनी पेंशन का इंतज़ार करने को मजबूर हुए एचआरटीसी के पेंशनरों का। लम्बे समय तक सरकारी दफ्तरों और विधायकों - मंत्रियों के कार्यालयों के चक्कर काटने के बाद अब ये पेंशनर अपनी मांगों को मनवाने के लिए इस उम्र में धरना देने को मजबूर है। इन पेंशनरों ने अब सरकार व निगम प्रबंधन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। हाल ही में प्रदेश भर से आए पेंशनरों ने वित्तीय लाभ जारी न करने को लेकर एचआरटीसी मुख्यालय के बाहर धरना प्रदर्शन और जमकर नारेबाजी की। इस दौरान पेशनरों ने धरना प्रदर्शन कर निगम प्रबंधन व सरकार को चेताया कि यदि मांगे पूरी नहीं होती तो आंदोलन तेज होगा, वहीं यह भी कहा कि यदि मांगे पूरी नहीं की तो आगामी आठ जून को प्रदेश भर से हजारों पैंशनर्ज व उनके परिवार सदस्य सचिवालय का घेराव करेंगे। एचआरटीसी संयुक्त समन्वय समिति ने भी पेंशनरों के आंदोलन को समर्थन का ऐलान किया है। ऐसे में निगम के 13,000 सेवारत और 7,000 सेवानिवृत्त सहित 20,000 कर्मियों के मांगों को लेकर एक मंच पर आ गए है। दरअसल एचआरटीसी के पेंशनरों को समय पर उनकी पेंशन नहीं मिल पा रही है जिससे पेंशनर काफी परेशान चल रहे है। पेंशनर्स कल्याण संगठन के अध्यक्ष केसी चमन ने कहा कि एचआरटीसी पेंशनर्स के साथ निगम प्रबंधन व सरकार द्वारा वित्तीय लाभ नहीं दिए जा रहे हैं। निगम के पेंशनरों ने कई सालों तक प्रदेश के लोगों की सेवा की है और कठिन परिस्थितियों में भी अपनी सेवाएं जारी रखी है। लेकिन जब आज सरकार से अपने हक की कमाई का पैसा मांगा जा रहा है, तो सरकार आश्वासन पर आश्वासन दे रही है। उन्होंने कहा कि वित्तीय लाभ जारी न करने पर दो अक्टूबर, 2021 को अतिरिक्त मुख्य सचिव परिवहन के साथ बैठक हुइ थी। बैठक में समझौता हुआ था कि जल्द से जल्द पेंशनरों को वित्तीय लाभ दिए जाएंगे, पर सरकार अपने वादों को पूरा नहीं कर रही है। उन्होंने कहा कि पेंशनरों के सब्र का बाँध अब टूट गया है। विधानसभा चुनाव में भुगतना होगा खामियाजा : सत्यप्रकाश संगठन के प्रांतीय प्रधान सत्य प्रकाश शर्मा ने कहा कि पेंशनरों की हालत दिन-प्रतिदिन खराब हो रही है। जहां कर्मचारियों को समय पर वेतन नहीं दिया जा रहा है, वहीं पेंशनरों को समय पर पेंशन नहीं मिल रही है, जिससे प्रदेश के 7500 पेंशनरों को खराब आर्थिक स्थिति से जूझना पड़ रहा है। उन्होंने कहा की निगम प्रशासन और सरकार उनकी मांगों को लेकर गंभीर नहीं है। उन्होंने सरकार को चेताया कि पेंशनरों की अनदेखी विधानसभा चुनाव में सरकार पर भारी पड़ेगी। सरकार की उपेक्षा के कारण पेंशनरों का शोषण हो रहा है और वरिष्ठ नागरिकों को आंदोलन के लिए सड़कों पर उतरना पड़ रहा है। एचआरटीसी पर पेंशनरों की 350 करोड़ों की वित्तीय देनदारियां लंबित हैं। पेंशनरों की मुख्य मांगें : - महीने के पहले हफ्ते में जारी हो पेंशन - मेडिकल बिलों का समय पर भुगतान - 5, 10 और 15 फीसदी पेंशन वृद्धि का लाभ - 2015 से ग्रेच्युटी सहित अन्य भत्तों का भुगतान
मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने आज कुल्लू जिला के बंजार विधानसभा क्षेत्र में सैंज मेले के अवसर पर विशाल जनसभा को सम्बोधित करते हुए नई राहें, नई मंजिलें योजना के अन्तर्गत कुल्लू जिला के सैंज क्षेत्र को पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने, सैंज में संयुक्त कार्यालय भवन निर्मित करने तथा क्षेत्र के लोगों को सुविधा प्रदान करने के उद्देश्य से सामुदायिक स्वास्थ्य स्वास्थ्य केन्द्र सैंज की क्षमता 50 बिस्तरों तक करने की घोषणा की। उन्होंने 2.70 करोड़ रुपये से निर्मित होने वाले श्री लक्ष्मी नारायण मन्दिर सैंज तथा ग्राम पंचायत कोटला में 'हर घर नल से जल योजना के अन्तर्गत 2.07 करोड़ रुपये की जलापूर्ति योजना लारजी का शिलान्यास किया। इस अवसर पर उन्होंने सैंज में खण्ड प्राथमिक शिक्षा कार्यालय भवन का लोकार्पण भी किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि मेले और त्यौहार प्रदेश की समृद्ध सांस्कृतिक विविधता के प्रतीक हैं। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में मेले मनोरंजन का मुख्य साधन हैं। इस तरह के आयोजनों से न केवल समृद्ध परम्पराओं तथा संस्कृति को संरक्षित करने में मदद मिलती है बल्कि इससे हमारी प्राचीन सांस्कृतिक विरासत भी समृद्ध होती है। उन्होंने कहा कि सभी को अपनी संस्कृति पर हमेशा गर्व करना चाहिए क्योंकि अपने सांस्कृतिक मूल्यों से जुड़ा समाज ही आगे बढ़ता है। जय राम ठाकुर ने कहा कि पिछले चार वर्षों के दौरान प्रदेश के लोग केन्द्र और राज्य सरकार की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं और विकासात्मक कार्यक्रमों से लाभान्वित हुए हैं। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार की किसान सम्मान निधि योजना, आयुष्मान भारत योजना, उज्ज्वला योजना इत्यादि अनेक योजनाओं का प्रदेश के लाखों लोगों ने लाभ उठाया है। इसी प्रकार गृहिणी सुविधा योजना, सहारा योजना, हिमकेयर, मुख्यमंत्री स्वावलम्बन योजना से राज्य के लगभग प्रत्येक परिवार को लाभ पहुंचा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस वर्ष हिमाचल दिवस के अवसर पर उन्होंने हिमाचल पथ परिवहन निगम की बसों में महिलाओं को किराये में 50 प्रतिशत छूट तथा घरेलू विद्युत उपभोक्ताओं को प्रतिमाह 125 यूनिट तक बिजली नि:शुल्क देने की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में नि:शुल्क जलापूर्ति उपलब्ध करवाने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि वर्तमान राज्य सरकार द्वारा शुरू की गई कल्याणकारी योजनाओं से प्रदेश को होने वाले लाभ को कांग्रेस नेता पचा नहीं पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने विभिन्न पैरा कार्यकर्ताओं के मानदेय में आशातीत वृद्धि की है। उन्होंने कहा कि वर्तमान वित्त वर्ष में दिहाड़ीदारों की दिहाड़ी में रिकॉर्ड 50 रुपये की प्रतिदिन वृद्धि की गई है। जय राम ठाकुर कहा ने कहा कि वैश्विक महामारी कोरोना के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने सशक्त नेतृत्व से यह सुनिश्चित किया है कि महामारी से देश में जानमाल एवं आर्थिक नुकसान कम से कम हो। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सक्षम नेतृत्व में न केवल स्वदेशी टीका विकसित किया बल्कि देश में सफलतापूर्वक नि:शुल्क टीकाकरण अभियान चलाया गया। उन्होंने कहा कि प्रदेश के लोगों के प्रति प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विशेष स्नेह के फलस्वरूप प्रदेश को 800 करोड़ रुपये की विशेष सहायता प्राप्त हुई है। मुख्यमंत्री ने राजकीय माध्यमिक विद्यालय सिनहान को उच्च विद्यालय, राजकीय उच्च विद्यालय कनौन को राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, राजकीय प्राथमिक विद्यालय मनिहार एवं काइशुधार को राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में स्तरोन्नत करने की घोषणा की। इस अवसर पर विभिन्न सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक संगठनों ने मुख्यमंत्री को सम्मानित भी किया। बंजार के विधायक सुरेंद्र शौरी ने इस अवसर पर मुख्यमंत्री तथा अन्य गणमान्यों का अभिनंदन करते हुए कहा कि स्थानीय देवी-देवताओं के आशीर्वाद से आज मुख्यमंत्री ने सैंज में 2.70 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित होने वाले श्री लक्ष्मी नारायण मन्दिर का शिलान्यास किया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर के नेतृत्व में वर्तमान प्रदेश सरकार के कार्यकाल में क्षेत्र में अभूतपूर्व विकास हुआ है। उन्होंने कहा कि इस विधानसभा क्षेत्र के लोगों के प्रति मुख्यमंत्री के स्नेह के कारण ही क्षेत्र में डिग्री कॉलेज और औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान की स्थापना सम्भव हो पायी है। उन्होंने मुख्यमंत्री से क्षेत्र को पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने का आग्रह करते हुए कहा कि इस क्षेत्र में पर्यटन की अपार संभावनाएं है। उन्होंने मुख्यमंत्री को क्षेत्र की विभिन्न विकासात्मक मांगों से भी अवगत करवाया। इस अवसर पर शिक्षा मंत्री गोविन्द सिंह ठाकुर, भाजपा जिला अध्यक्ष भीम सैन शर्मा, वरिष्ठ भाजपा नेता ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर, भाजपा मंडल अध्यक्ष बलदेव महन्त, उपायुक्त कुल्लू आशुतोष गर्ग, पुलिस निदेशक गुरदेव शर्मा अन्य सहित उपस्थित थे।
भीषण गर्मी की मार झेल रहे हिमाचल के लोगों के लिए एक राहत भरी खबर सामने आई है। शिमला मौसम केन्द्र के अनुसार सोमवार 16 मई से मौसम में बदलाव होने की संभावना हैं। इस बाबत मौसम विभाग ने येलो अलर्ट जारी कर दिया हैं। लम्बे समय से बारिश न होने के कारण प्रदेशवासी बढ़ती गर्मी व सूखे से परेशान थे । जानकारी के अनुसार प्रदेश के उच्च इलाकों में भारी बारिश एवं हिमपात होने की संभावना हैं। शिमला मौसम केन्द्र के अनुसार 16 मई से प्रदेश के सभी स्थानों पर मौसम में बदलाव नजर आएगा। 16 मई को मैदानी इलाकों में जहां हल्की बारिश होगी। वहीं, उच्च और मध्य पर्वतीय स्थानों पर भारी बारिश हो सकती है। मैदानी, निचली और मध्य पहाड़ियों पर गरज के साथ तेज बारिश हो सकती है। इसके साथ कुछ स्थानों पर ओले भी पद सकते है । इसका पता सोमवार सुबह लगा है। बता दें की रविवार को हिमाचल का ऊना शहर सबसे ज्यादा गर्मी से परेशान रहा। रविवार को यहां तापमान 43.6 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया था । दूसरी तरफ हिमाचल की राजधानी शिमला में भी रविवार को तापमान 30.5 डिग्री सेल्सियस रहा। रविवार को मध्य और उच्च पर्वतीय क्षेत्रों में हल्की बारिश हुई और बादल छाए रहे।
The Faculty of Legal Sciences of Shoolini University organized the 1st Leila Seth Memorial Inter-University Judgment Writing Competition in which seven teams participated. The team comprising Himanshi (LLB 1st Year) and Rashi (BALLB 3rd Year) of the Faculty of Legal Sciences, Shoolini University, was adjudged the best while the runner-up position was bagged by the team from LLR Institute of Legal Studies, Solan. Its members were Devyanshi Bhardwaj (BALLB 8th Sem.), and Aditya Sharma (BALLB 8th Sem). The chief guest of the competition was Prof. P.K. Khosla, Chancellor Shoolini University and the Guest of Honour was Brig S.D. Mehta, Director of Operations, Shoolini University. The competition was judged by Mr. Radhe Shyam Gautam, Advocate, High Court, Shimla, and Mr. Ashwani Kumar Pathak, Advocate High Court, Shimla. Prof. Nandan Sharma, Associate Dean, Faculty of Legal Sciences, Shoolini University welcomed the guests and briefed the audience about the competition. The event was concluded with the Vote of thanks by Ms. Monika Thakur, Assistant Professor, Law who was the Convener of the event along with Ms. Isha Negi. She thanked the Vice-Chancellor and the Management and staff of Shoolini University underlying the importance of the Judgment Writing Competition to Law students specifically. The Concept of Judgment Writing has been prevalent for quite some time in the legal fraternity. A participant is encouraged to think like a Judge and reach a well-reasoned and innovative conclusion to render a suitable Judgment. The participants attempted to base their judgments on a thorough and diligent appreciation of the factual matrix. The competition encouraged innovative judgments that have meticulously examined and applied relevant legal concepts.
थॉमस कप के फाइनल में भारतीय बैडमिंटन टीम ने इंडोनेशिया को 3-0 से हराय । भारत ने थॉमस कप के फाइनल में 14 बार के चैंपियन इंडोनेशिया को हराकर इतिहास में अपना नाम दर्ज कर दिया हैं। भारत इस ख़िताब को जीतने वाला छठा देश बन गया हैं। भारत ने इस ख़िताब को 73 वर्षों में पहली बार जीता हैं। बता दें की फाइनल के पहले मैच में लक्ष्य सेन ने जीत दिलाकर टीम को 1-0 से बढ़त दिलाई। लक्ष्य ने एंथोनी सिनिसुका को 8- 21, 21- 17, 21- 16 से मात दी। सेमीफइनल में असफल रहने वाले लक्ष्य सेन ने फाइनल में अपने खेल प्रदर्शन से मैच को अपने नाम कर दिया। गेम बुरी तरह से गंवाने के बाद उन्होंने दूसरे गेम में वापसी की और एंथोनी पर दबाव बनाना शुरू किया। उन्होंने अगले दोनों गेम शानदार अंदाज में जीते। भारत के इस सफर को सात्विक साईराज और चिराग शेट्टी की जोड़ी ने भी बरकरार रख। भारतीय जोड़ी ने 18-21, 23-21, 21-19 से दूसरा मुकाबला जीतकर भारत को 2-0 से बढ़त दिला दी।
समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार बढ़े हुए दाम आज यानी रविवार सवेरे 6 बजे से लागू होंगे। अब ग्राहकों को प्रति किलोग्राम 2 रुपये अधिक चुकाने होंगे। दिल्ली -एनसीआर में सीएनजी के दाम एक बार फिर बड़ गए ह। अब दिल्ली में सीएनजी 73.61 रुपये प्रति किलो मिलेगी। मुजफ्फरनगर, मेरठ और शामली में आज सवेरे से प्रति किलोग्राम सीएनजी के लिए 80.84 रुपये चुकाने होंगे। करनाल और कैथल में सीएनजी के दाम 82.27 रुपये हो जाएंगे। कानपुर, फतेहपुर और हमीरपुर में प्रति किलोग्राम सीएनजी के लिए 85.40 रुपये देने होंगे। अजमेर, पाली और राजसमंद में आज से सीएनजी 83.88 रुपये में मिलेगी।
ऊना। गेंहू की कीमत आने वाले दिनों में घट सकती है भारत सरकार ने दूसरे देशों को गेहूं का निर्यात बंद कर दिया है। दूसरे देशो में गेंहू की मांग बढ़ने से इसकी कीमत में इजाफा हुआ है। कीमत में आए उछाल के कारण किसानो ने अपनी ज़मीने तक बेच डाली उन्हें विश्वास है आने वाले दिनों में गेंहू की कीमत बड़ सकती है। निर्यात बंद होने के कारण गेहूं फसल की कीमत घटने के आसार अधिक हैं। रूस और यूक्रेन पूरी दुनिया में गेहूं के सबसे बड़े निर्यातक हैं। इस बार दोनों देशों में छिड़े युद्ध के कारण वहां से निर्यात ठप है। व्यापारिओं से मिल रही अधिक कीमतों के कारण बहुत कम किसानो ने सरकारी बिक्री केन्द्रो का चयन किया। और कुछ किसानो ने गेंहू के दाम बढ़ने की आस में गेंहू को स्टॉक कर लिया। ऐसे में कई देशों को भारत से गेहूं निर्यात किया गया। इससे बाजार में गेहूं की मांग बढ़ी और इसकी कीमत में भी उछाल आया। अब गेहूं फसल के महंगा होने के आसार बेहद कम हैं। उल्टा इसकी कीमत घट सकती है।कृषि उत्पाद बाजार समिति (एपीएमसी) ऊना के सचिव भूपेंद्र ठाकुर ने बताया कि सरकारी केंद्रों में गेहूं के अच्छे दाम मिल रहे हैं। उन्होंने कहां की गेंहू खरीद प्रक्रिया 15 जून तक रहेगी।
शैक्षणिक सत्र 2022-23 के दौरान प्रदेश के किसी भी विद्यार्थी ने 153 प्राइमरी स्कूलों में दाखिले नहीं लिए हैं।प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय ने इन स्कूलों में एक भी दाखिला नहीं होने से जिला शिक्षा अधिकारियों से कारण पूछे हैं। जिला शिमला में सबसे अधिक 39, कांगड़ा में 30 और मंडी जिला में ऐसे 26 स्कूल हैं। दस विद्यार्थियों की संख्या वाले 2100, 6 से 9 बच्चों वाले 1274 और 5 बच्चों वाले 673 स्कूल हैं। जिलों की इस रिपोर्ट के आधार पर इन स्कूलों के भविष्य सम्बंधी कार्यों के लिए प्रस्ताव रखा जायेगा। इसके आलावा शिक्षकों की कमी को पूरा करने के लिए शिक्षकों की नियुक्ति को लेकर निदेशालय को समय-समय पर भेजे गए प्रस्तावों की जानकारी भी जिला अधिकारियों से मांगी गई है।
पर्यटन नगरी धर्मशाला में विदेशी पर्यटकों की संख्या में भी इजाफा हो रहा है। दिन प्रतिदिन यहाँ हज़ारो की संख्या में पर्यटक आ रहे है। मैदानी इलाकों में पढ़ रही भीषण गर्मी से बचने के लिए बड़ी संख्या में सैलानी घूमने निकल पड़े हैं। पर्यटन नगरी धर्मशाला में धीरे-धीरे विदेशी पर्यटकों की चहल पहल भी बढ़ने लगी है, जो आने वाले समय में पर्यटन के लिए शुभ संकेत है। सैलानियों की संख्या में इजाफा होने से पर्यटन कारोबारी उत्साहित हैं। वीकेंड पर धर्मशाला के होटलों में 90 फीसदी से अधिक की बुकिंग दर्ज की गई। वहीं इस सप्ताह धर्मशाला और मैक्लोडगंज में दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, दक्षिण भारतीय पर्यटकों सहित रूस, यूक्रेन और इसराइल सहित अन्य देशों की पर्यटकों की चहलकदमी भी देखी गई। एक साथ तीन दिन का अवकाश आना भी होटल कारोबार के नजरिये से अच्छा संकेत है। पर्यटन नगरी के होटलों में वीकेंड पर 90 फीसदी तक होटल बुक हो चुके हैं।
पालमपुर जिला विधिक साक्षरता प्राधिकरण पालमपुर द्वारा ग्राम पंचायत धीरा में विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन किया गया। शिविर की अध्यक्षता उपमंडलीय विधिक साक्षरता प्राधिकरण के चेयरमैन सीनियर सिविल जज विशाल भमनोत्रा ने की।उन्होंने कहा कि लोगों को अपने मौलिक अधिकारों तथा कानूनी पहलुओं की सही जानकारी होना जरूरी है। उन्होंने लोगों से आपसी सहमति और मध्यस्था से अधिकतर मामलों का निपटारा करने पर बल दिया । उन्होंने कहा कि इस प्रकार के शिविरों का मुख्य उद्देश्य लोगों के भीतर उनके कर्तव्यों एवम अधिकारों तथा कानूनी पहलुओं की जानकारी मुहैया करवाना है ताकि आम लोगों को जागरुक किया जा सके। भमनोत्रा ने कहा कि समाज में शांति स्थापित करना कानून का अंतिम लक्ष्य है और न्याय पाना प्रत्येक नागरिक का मौलिक अधिकार है। उन्होंने कहा कि पीड़ित को सुलभता और समय पर न्याय मिल सके इसके लिए पूर्ण प्रयास होने चाहिए। भमनोत्रा ने कहा कि जहां संविधान के तहत प्रत्येक नागरिक को न्याय पाने का अधिकार है वहीं इसके लिए प्रत्येक नागरिक को अपने मौलिक एवम कानूनी अधिकारों के साथ-साथ अपने दायित्व के सम्वन्ध में जानकारी होना भी आवश्यक है।
रविवार को हमीरपुर के टाउन हॉल में जिला भाजपा द्वारा रखे गए स्वागत कार्यक्रम में राज्यसभा के नवनियुक्त सांसद डॉक्टर सिकंदर कुमार का भव्य स्वागत किया गया। भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा की जिला इकाई द्वारा इस कार्यक्रम को सफल बनाने में प्रमुख भूमिका निभाई गई। कार्यक्रम में पहुंचने पर विशेष रूप से भाजपा जिला अध्यक्ष एवं पूर्व विधायक बलदेव शर्मा विधायक नरेंद्र ठाकुर एवं कमलेश कुमारी सहित एचआरटीसी के वाइस चेयरमैन विजय अग्निहोत्री कामगार कल्याण बोर्ड के चेयरमैन राकेश बबली बाल विकास आयोग की चेयरमैन वंदना योगी कांगड़ा ग्रामीण सोसाइटी बैंक के चेयरमैन कमलनयन कौशल विकास निगम के चेयरमैन नवीन शर्मा ने डॉक्टर सिकंदर का पुष्प गुच्छ देकर स्वागत अभिनंदन किया। इस मौके पर मौजूद सैकड़ों पार्टी कार्यकर्ताओं ने हार पहनाकर डॉक्टर सिकंदर का स्वागत किया। स्वागत कार्यक्रम के दौरान विभिन्न सामाजिक संगठनों पार्टी पदाधिकारियों कार्यकर्ताओं व मोर्चों के अध्यक्षों सहित पंचायत व अन्य प्रतिनिधियों ने डॉक्टर सिकंदर का स्वागत अभिनंदन किया। सम्मानित करने वालों में जिला अनुसूचित जाति मोर्चा की टीम पांचों मंडलों के अनुसूचित जाति मोर्चा के मंडल अध्यक्ष व उनकी टीम अनुसूचित जाति मोर्चा के जिला अध्यक्ष मदनलाल मंडल हमीरपुर के अध्यक्ष जोगिन्दर कौंडल नादौन मंडल के अध्यक्ष प्रकाश भोरंज मंडल के अध्यक्ष विजय कुमार बड़सर मंडल के अध्यक्ष राम रतन ग्राम पंचायत भदोही की प्रधान एवं भाजपा जिला उपाध्यक्ष उषा बिरला रीना देवी ब्लॉक समिति अध्यक्ष औद्योगिक प्रकोष्ठ के जिला अध्यक्ष कमलेश परमार प्यारे लाल शर्मा रसील सिंह मनकोटिया इत्यादि सहित हमीरपुर शहर के कई वरिष्ठ एवं प्रबुद्ध जनों ने डॉक्टर सिकंदर को सम्मानित किया। इसके साथ साथ ही कामगार कल्याण बोर्ड के चेयरमैन राकेश बबली कौशल विकास निगम के चेयरमैन नवीन शर्मा ने भी डॉक्टर सिकंदर कुमार को समृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। इस अवसर पर हमीरपुर जिला के सह प्रभारी एवं भाजपा प्रदेश सह मीडिया प्रभारी सुमित शर्मा भाजपा प्रदेश सचिव तिलक राज प्रदेश कार्यसमिति सदस्य रघुवीर सिंह ठाकुर अनुसूचित जाति मोर्चा के प्रदेश महामंत्री कबीर कुमार जिला महामंत्री हरीश शर्मा अभय वीर सिंह लवली बीना शर्मा राजकुमार वर्मा आदर्श कांत तेज प्रकाश चोपड़ा रमेश शर्मा देशराज शर्मा अंकुश दत्त शर्मा विकास शर्मा अजय रिंटू चमन ठाकुर अशोक ठाकुर अजय शर्मा संजीव शर्मा सुरेश सोनी गजन राम शर्मा जोगिंदर कुमार सुरेंद्र मिन्हास सुरेश ठाकुर अनिल कौशल कमलेश सिंह विक्रम ठाकुर प्रेम सिंह वर्मा कविता ठाकुर सीमा देवी मीना ठाकुर प्रमिला कुमारी सुनील कपिल सुमन कपिल अमन गुप्ता विनय कुमार संदीप भारद्वाज मनोज मन्हास नितिन पटियाल विशाल पठानिया जगदीश ठाकुर अनिल परमार कुलदीप ठाकुर हरदयाल सिंह पवन शर्मा अनिल शर्मा कैप्टन रंजीत सिंह बृजेश धटवालिया सुभाष बनयाल बिक्रम बिहार रमणीक परमार इत्यादि सहित अन्य लोग उपस्थित रहे ।
विधानसभा तपोवन मामले में पन्ने खुलते जा रहे है। मिली जानकारी के अनुसार पुलिस रिमांड में चल रहे हरबीर ने कबूल किया है कि उसने और पम्मा ने ही विधानसभा के बाहर झंडे लगाए थे। और यह भी बताया है की वे दोनों झंडे अपने साथ स्कूटी में डाल कर रोपड़ से धर्मशाला लाए थे। पुलिस की विशेष जाँच टीम ने स्कूटी को कब्ज़े में ले लिया है वहीं, गत दिन पंजाब के रुड़कीहीरां से गिरफ्तार दूसरे आरोपी पम्मा को पुलिस ने शनिवार को धर्मशाला कोर्ट में पेश किया। न्यायाधीश सुभांगी जोशी की अदालत ने उसे भी 16 मई तक पुलिस रिमांड पर भेज दिया। योर में पेंट खरीदकर नारे लिखने और झंडा लगाने की बात दोनों आरोपियों ने पूछताछ के दौरान कबूल की है। इससे पहले पंजाब के मोरिंडा से गिरफ्तार हरबीर भी 16 मई तक ही पुलिस रिमांड पर है। सरकार ने इस मामले में विशेष टीम एसआईटी का गठन किया था।
अमेरिका में हर साल होने वाले दुनिया के सबसे बड़े और सबसे प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान और इंजीनियरिंग मेले में इस बार डीपीएस इंटरनेशनल स्कूल दिल्ली के स्टूडेंट देवज गुप्ता ने देश के लिए दो पुरस्कार जीत कर भारत का नाम रोशन किया हैं। अंटलाटा में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान और इंजीनियरिंग मेले में 68 देशों के 1700 स्टूडेंट्स ने भाग लेकर अपनी प्रतिभा का परिचय दिया। देवज ने रसायन शास्त्र में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए न केवल दो पुरस्कार जीते, बल्कि भारत को भी दूसरी पोजीशन में लाने में अहम भूमिका रही। हिमाचल प्रदेश के संदर्भ में यह सूचना इसलिए अहम है कि देवज गुप्ता की माता का मायका कुल्लू में हैं। नीति कुल्लू के एक्सीलेंस अवार्ड और फोकस हिमाचल सम्मान से सम्मानित प्रसिद्ध बागवान एवं होटलियर नकुल खुल्लर की बहन है और देवज गुप्ता उनका भांजा हैं। अटलांटा में 7 मई से 13 मई तक आयोजित अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान और इंजीनियरिंग मेले में देवज गुप्ता ने भारत का रसायन शास्त्र में प्रतिनिधित्व किया और दो पुरस्कार जीत कर भारतीय प्रतिभा का लोहा मनवाया। देवज ने दुनिया भर के सर्वश्रेष्ठ स्टूडेंट्स के साथ प्रतिस्पर्धा करने के बाद इन पुरस्कारों को जीतकर बहुत सम्मान प्राप्त किया हैं।
हिमाचल प्रदेश पुलिस कांस्टेबल भर्ती की लिखित परीक्षा के पेपर लीक मामले में प्रतिदिन नए खुलासे हो रहे हैं। अब शिमला ज़िले का टॉपर शक के घेरे में है। नेपाली मूल के इस अभ्यार्थी ने परीक्षा में 80 में से 72 अंक हासिल किए हैं, लेकिन जब पुलिस ने युवक से पूछताछ की तो वह मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के गृह जिला का नाम तक नहीं बता पाया। अधिकारियों ने उससे पूछा कि हिमाचल के राज्यपाल का क्या नाम है तो उसने राजेंद्र प्रसाद बताया। यही नहीं उस युवक से जितने भी सवाल पूछे गए ,सभी के जबाव गलत थे। खास बात है कि लोकेंद्र ने दसवीं की परीक्षा 54.6 और बारहवीं की 56.4 फीसदी अंकों के साथ द्वितीय श्रेणी में पास की है। पुलिस अधिकारियों की शक की सुई घूमी तो अभ्यर्थी को पूछताछ के लिए शिमला बुलाया गया। जिले में पांच अन्य अभ्यर्थियों से भी पूछताछ जारी है।
हिमाचल प्रदेश में लाहौल और स्पीति जिले के केलांग से लद्दाख के लेह तक बस सेवा बहाल हो गई है। यह बस सेवा लगभग आठ महीने बाद बहाल हुई है। केलांग उपमंडल अधिकारी प्रिया नागटा ने रविवार को बस को लेह के लिए रवाना किया। पिछले साल एक जुलाई को बस सेवा बहाल हुई थी और 15 सितंबर को स्थगित कर दी गई थी। इसके साथ ही भरत के सबसे लम्बे रुट लंबे दिल्ली-लेह पर भी बस सेवा बेहाल होने की बात सामने आई हैं। बता दें की केलांग से लेह की दूरी 365 किलोमीटर है। लेह से दिल्ली की दूरी 1026 किलोमीटर है। इसके लिए यात्रियों को 1,740 रुपये तक का किराया देना होगा।
ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर एंड्रयू साइमंड्स का कार हादसे में निधन हो चूका है। वॉर्न के बाद दुनिया ने एक और दिग्गज क्रिकेटर खो दिया है। जानकारी के अनुसार ऑस्ट्रेलिया के पूर्व क्रिकेटर एंड्रयू साइमंड्स का शनिवार रात सड़क हादसे में निधन हो गया है। ऑस्ट्रेलियाई पुलिस के मुताबिक साइमंड्स कार में अकेले थे, जब शनिवार देर रात टाउन्सविले में उनकी कार सड़क से उतरी, तो हादसे के बाद उन्हें नजदीकी अस्पताल पहुंचाया गया, लेकिन उनकी स्थिति काफी नाजुक थी, डॉक्टर उन्हें बचा नहीं सके। बता दें कि हाल ही में ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट ने महान स्पिनर शेन वॉर्न को भी खोया था। स्थानीय पुलिस के अनुसार, शुरुआती जानकारी से संकेत मिलता है कि रात 11 बजे के बाद एलिस रिवर ब्रिज के पास हर्वे रेंज रोड पर साइमंड्स की कार चल रही थी। सड़क से हटने के बाद कार अनबैलेंस हुई और हादसा हुआ। इमरजेंसी सेवाओं ने 46 वर्षीय साइमंड्स को बचाने का प्रयास किया, लेकिन उनको काफी ज्यादा चोट आए थे जिसके कारण उनका निधन हो गया।
हिमाचल प्रदेश में तैयार आठ दवाओं के सैंपल फेल हो चुके है। जिन कंपनियों के दवाओं के सैंपल फेल हो चुके है उन कंपनियों के लाइसेंस भी रद्द कर दिए गए है। तथा बाजार में बेचे गए स्टॉक को वापस लेने के आदेश जारी कर दिए गए है। प्रदेश की दवा कंपनी ने अप्रैल महीने में आठ दवाओं के सैंपल तैयार किये थे जिनमें मलेरिया, एसिडिटी, एलर्जी, बुखार, शुगर, दस्त और विटामिन डी की दवाइयां शामिल थी। इनमें सोलन जिले की छह और सिरमौर की दो दवा कंपनियों ने ये दवाएं तैयार की हैं। केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रक संगठन के अप्रैल के ड्रग अलर्ट में ये सैंपल मानकों पर सही नहीं उतरे हैं। अप्रैल में देश भर में 1164 दवाओं के सैंपल भरे थे, जिनमें हिमाचल प्रदेश में बनीं आठ दवाओं समेत 27 के सैंपल फेल हुए हैं। सोलन के आंजी स्थित मैक्स रिलीफ हेल्थ केयर कंपनी की बुखार की दवा पैरासिटामोल, सिरमौर के कालाअंब में रामपुर जटान की एडविन फार्मा की बुखार की दवा पैरासिटामोल, बद्दी के झाड़माजरी स्थित श्रीराम हेल्थ केयर की एलर्जी की दवा मोंटीलोकास्ट सोडियम एडं लिवोसिट्राजिन, बद्दी के भुड्ड स्थित मेडीपोल कंपनी की एसिडिटी की दवा आमेप्रोजोल और कालाअंब के खारी स्थित आलजेन हेल्थ केयर की मलेरिया की दवा प्रिमाक्विन आदि दवाओं के सैंपल फेल हुए हैं।
हिमाचल प्रदेश घूमने आए नामी सिंगर नेहा कक्कड़ के पति रोहनप्रीत सिंह का सामान चोरी हो गया। वह मंडी के एक नामी होटल में ठहरे हुए थे। रोहनप्रीत सिंह का मोबाइल फोन व अन्य सामान चोरी हुआ है। पुलिस ने होटल सील कर जांच शुरू कर दी है। बताया जा रहा है रोहनप्रीत अपने तीन दाेस्तों के साथ हिमाचल घूमने आए हैं व बीती रात को वह मंडी के नामी होटल में रुके थे। बताया जा रहा है रोहनप्रीत सिंह के कुछ आभूषण भी चोरी हुए हैं। पुलिस पूरे मामले की तहकीकात में कर रहे हैं। जानकारी के मुताबिक, रोहनप्रीत सिंह चंडीगढ़-मनाली नेशनल हाईवे पर मंडी शहर के नजदीक एक नामी होटल में ठहरे हुए थे। सोने से पहले तक उनके पास उनकी आई वॉच, एप्पल आईफोन और हीरे की अंगूठी और अन्य सामान था। सोते समय उन्होंने ये सारा सामान पास में रखी टेबल पर रख दिया। सुबह उठकर देखा तो टेबल से सारा सामान गायब था। कमरे को खंगालने व होटल स्टाफ से पूछताछ करने के बाद सामान का कोई पता नहीं चला तो पुलिस को सूचित किया गया। सूचना मिलते ही अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक मंडी आशीष शर्मा थाना सदर के प्रभारी पुरुषोत्तम धीमान के साथ होटल पहुंचे। पुलिस ने होटल के स्टाफ व वहां ठहरे लोगों के बाहर जाने पर रोक लगा दी है। होटल के स्टाफ से पूछताछ की जा रही है। सीसीटीवी कैमरा की फुटेज खंगाली जा रही है। मामला हाईप्रोफाइल होने की वजह से पुलिस गंभीरता से जांच कर रही है। पुलिस अधीक्षक मंडी शालिनी अग्निहोत्री ने मामले की पुष्टि की है।
मोदी सरकार केंद्र में आठ वर्ष पुरे करने जा रही हैं। इस उपलक्ष पर भाजपा का राष्ट्रीय कार्यक्रम का आयोजन हिमाचल की राजधानी शिमला में आयोजित होने जा रहा हैं । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित सभी केंद्रीय मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता कार्यक्रम में शिरकत करने शिमला आएंगे। राजधानी शिमला के ऐतिहासिक रिज मैदान में 31 मई को इसका आयोजन होगा। विधानसभा चुनावों की नजदीकी को देखते हुए भाजपा प्रधानमंत्री मोदी के सहारे मिशन रिपीट की ओर एक कदम आगे बढ़ने जा रही हैं। राष्ट्रीय कार्यक्रम की मंजूरी मिलते ही प्रदेश सरकार तैयारियों में जुट गई है। इसी कड़ी में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के लगातार प्रदेश में दौरे हो रहे हैं। केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर भी प्रदेश में सक्रिय हो गए हैं। राष्ट्रीय कार्यक्रम में शामिल होने के लिए केंद्रीय मंत्रियों सहित भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री और पार्टी के बड़े पदाधिकारी शिमला आएंगे। हिमाचल प्रदेश को पहली बार इस तरह के राष्ट्रीय कार्यक्रम की मेजबानी करने का मौका मिल रहा है। केंद्र सरकार से कार्यक्रम की मंजूरी मिलते ही शुक्रवार को राज्य सचिवालय में मुख्य सचिव रामसुभग सिंह की अध्यक्षता में बैठकों का दौर जारी रहा।
भाजपा प्रदेश प्रभारी अविनाश राय खन्ना, कुल्लू में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा की एक विशाल रैली में शामिल होने के लिए जाते समय बल्ह निर्वाचन क्षेत्र में एक बूथ अध्यक्ष के साथ भोजन करने के लिए रुक गए। बूथ अध्यक्ष पुष्प राज ने प्रदेश प्रभारी अविनाश राय खन्ना का उनके आवास पर स्वागत किया जहां विधायक इंदर सिंह गांधी, मिल्कफेड के अध्यक्ष निहाल चंद और भाजपा के अन्य नेताओं ने एक साथ भोजन किया।पुष राज ने कहा कि यह मेरे लिए बेहद खुशी की बात है कि हमें हमारे दिग्गज नेता के साथ भोजन करने का इतना बड़ा अवसर मिला है। ऐसा सिर्फ भाजपा में ही हो सकता है। अविनाश राय खन्ना ने कहा कि भाजपा दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी बन गई है और यह हमारे कार्यकर्ताओं के लगातार प्रयासों के कारण ही है। हम एक कार्यकर्ता आधारित राजनीतिक दल हैं और अपने कार्यकर्ताओं के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध रखना हमारा प्रमुख उद्देश्य है। यह हमारी परंपरा है कि हम अपने कार्यकर्ता निवास पर भोजन करते है। इसे सह-भोज कहा जाता है और भाजपा अपनी जड़ों को नहीं भूली है। उन्होंने कहा कि भाजपा एक परिवार की तरह काम करती है और हम अपने परिवार को मजबूत बनाकर अपनी पार्टी को मजबूत बनाते हैं।यह हिमाचल के लिए सौभाग्य की बात है कि हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा हिमाचल से हैं और दुनिया के सबसे बड़े राजनीतिक दल का नेतृत्व कर रहे हैं।
शहर के कृष्णानगर में सुबह स्टाेव फटने से एक व्यक्ति गंभीर रूप से झुलस गया। आईजीएमसी में प्राथमिक उपचार के बाद उसे पीजीआई रैफर कर दिया गया है। जानकारी के अनुसार मजदूरी करने वाला दीपराम कृष्णानगर में किराए का कमरा लेकर रहता है। जानकारी अनुसार सुबह के समय जैसे ही उसने स्टाेव जलाया, स्टाेव ने एकदम से आग पकड़ ली और ये फट गया। फटने के साथ ही काफी मात्रा में मिट्टी का तेल निकला, जिससे वह पूरी तरह से झुलस गया। आनन् फानन में परिवार के लाेगाें ने उसे आईजीएमसी पहुंचाया, यहां उसकी गंभीर हालत काे देखते हुए डाॅक्टराें ने पीजीआई रैफर कर दिया। डाॅक्टराें के मुताबिक दीपराम लगभग 70 से 80 फीसदी तक जल गया है। पुलिस ने भी माैके का निरीक्षण किया है। हालांकि,अभी तक ये पता नहीं लग पाया है कि स्टाेव के फटने के क्या कारण रहे। आईजीएमसी के एमएस डाॅ. जनकराज का कहना है कि शुक्रवार सुबह एक व्यक्ति काे आईजीएमसी लाया गया। वह काफी झुलस गया है, इसे इलाज के लिए पीजीआई रैफर कर दिया गया है।
बीते कई माह से अभ्यार्थी आयोग ने संशोधित की सूची जारी नहीं की थी ।11 मई को आयोग के सचिव डीके रत्न की ओर से संशोधित सूची जारी की गई है। राज्य लोकसेवा आयोग द्वारा यह सूचि करीब नौ माह बाद जारी की गयी। संशोधित सूची में 13 विषयों में 27 और अभ्यार्थी पास घोषित किए गए हैं। यह अभ्यार्थी अब प्रदेश के डिग्री कॉलेजों में जारी असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती के लिए भी योग्य हो गए हैं। आर्थिक रुप से कमजोर वर्ग में शामिल करने से यह बीपीएल अभ्यार्थी छूट गए थे। इन अभ्यर्थियों को जल्द अनिवार्य शैक्षणिक योग्यता के दस्तावेज और केटेगिरी सर्टिफिकेट आयोग कार्यालय में जमा करवाने होंगे। इसके बाद इन्हें सेट पास करने का प्रमाणपत्र जारी होगा। विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर बनने के लिए अनिवार्य स्टेट एलिजिबिलिटी टेस्ट 22 नवंबर 2020 को लिया गया था। परीक्षा में 10,557 अभ्यार्थी शामिल हुए थे। लोक सेवा आयोग ने 17 अगस्त 2021 को सेट का परिणाम घोषित किया था। हिमाचल प्रदेश के डिग्री कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर के 548 पद भरे जायेगे ,जिसकी प्रक्रिया इन दिनों चल रही है। इन पदों की भर्ती में शामिल होने के लिए ऑनलाइन आवेदन 26 मई तक भरे जा सकते हैं। अब सेट पास करने वाले यह 27 अभ्यर्थी भी परीक्षा में शामिल हो सकेंग। गणित विषय में 35, हिंदी में 41, राजनीतिक शास्त्र में 47, सोशोलॉजी में 11, कॉमर्स में 67, अर्थशास्त्र में 39, पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में आठ, संस्कृत में 17, म्यूजिक में 24, केमिस्ट्री में 37, म्यूजिक वोकल में 16, जूलॉजी में 22, भूगोल में 12, फिजिक्स में 40 पदों के लिए असिस्टेंट प्रोफेसरों की भर्ती होनी है। इसके अलावा बॉटनी में 24, फिजिकल एजुकेशन में सात, एजुकेशन में तीन, अंग्रेजी में 50, इतिहास में 37, जियोलॉजी में चार, फिलॉसफी में पांच, साइकोलॉजी में पांच, टूर एंड ट्रेवल में तीन और कॉमर्शियल आर्ट, होम साइंस और जर्नलिज्म एंड मॉस कम्युनिकेशन में एक-एक पद भरा जाएगा।
हिमाचल की सियासत के चाणक्य पूर्व केंद्रीय संचार मंत्री पंडित सुखराम अब नहीं रहे। हिमाचल प्रदेश उनके जाने से ग़मगीन है। पंडित सुखराम का इस दुनिया से रुक्सत होना हिमाचल के सियासत के एक अध्याय का खत्म होना है। पंडित जी सिर्फ सियासत के चाणक्य ही नहीं बल्कि किंग मेकर भी कहलाए जाते थे। वो पंडित सुखराम ही थे जिनकी बदौलत 1998 में वीरभद्र दूसरी बार सरकार रिपीट करने में असफल हुए और प्रो प्रेम कुमार धूमल पहली बार प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। पंडित सुखराम प्रदेश के वो एकमात्र नेता थे जिन्हने अपने दम पर प्रदेश में तीसरी पार्टी बनाकर भाजपा और कांग्रेस जैसे बड़े राजनैतिक दलों को दिन में तारे दिखाए। बतौर केंद्रीय मंत्री पंडित सुखराम ने जो काम हिमाचल के विकास या खास तौर पर मंडी के लिए किये, उन्हें भुलाया नहीं जा सकता। पंडित सुखराम का जन्म 27 जुलाई 1927 को हिमाचल के कोटली गांव में रहने वाले एक गरीब परिवार में हुआ था। पंडित जी ने दिल्ली लॉ स्कूल से वकालत की और फिर अपने करियर की शुरूआत बतौर सरकारी कर्मचारी की। उन्होंने 1953 में नगर पालिका मंडी में बतौर सचिव अपनी सेवाएं दी। इसके बाद 1962 में मंडी सदर से निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीते। 1967 में इन्हें कांग्रेस पार्टी का टिकट मिला और फिर से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे। इसके बाद पंडित सुखराम ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। पंडित सुखराम के परिवार ने मंडी सदर विधानसभा क्षेत्र से 13 बार चुनाव लड़ा और हर बार जीत हासिल की। केंद्र की सियासत में भी था रसूख : केंद्र की सियासत में भी पंडित सुखराम बड़ा नाम थे। सांसद रहते उन्होंने केंद्र में विभिन्न मंत्रालयों का कार्यभार संभाल। 1984 में सुखराम ने कांग्रेस पार्टी के टिकट पर पहला लोकसभा चुनाव लड़ा और प्रचंड जीत के साथ संसद पहुंचे। 1989 के लोकसभा चुनावों में उन्हें भाजपा के महेश्वर सिंह से हार का सामना करना पड़ा। 1991 के लोकसभा चुनावों में सुखराम ने महेश्वर सिंह को हराकर फिर से संसद में कदम रखा। 1996 में सुखराम फिर से चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे। उन्होंने खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले राज्य मंत्री के रूप में कार्य किया। सुखराम पीवी नरसिम्हा राव की सरकार में टेलीकॉम मिनिस्टर भी रहे। उन्हें भारत में संचार क्रांति का जनक भी कहा जाता है। वीरभद्र सिंह के मिशन रिपीट पर फेरा था पानी : 1998 के विधानसभा चुनाव में पंडित सुखराम ने कांग्रेस से अलग होकर हिमाचल विकास कांग्रेस बनाई जिसने वीरभद्र सिंह के मिशन रिपीट के अरमान पर पानी फेर दिया था। पंडित सुखराम के पांच विधायक जीतकर आये थे। भाजपा और कांग्रेस को 31-31 सीटें मिलीं लेकिन, सुखराम की हिविकां ने प्रो धूमल को समर्थन देकर वीरभद्र के नेतृत्व वाली कांग्रेस को सरकार बनाने से रोक दिया। तब काँटे के मुकाबले में 23 सीटें ऐसी थी जहाँ जीत - हार का अंतर दो हज़ार वोट से कम था। इनमें से 14 सीटें कांग्रेस हारी थी और तीन सीटों पर तो उसे हिमाचल विकास कांग्रेस से सीधे मात दी थी। इसके अलावा कई सीटें ऐसी थी जहाँ कांग्रेस की हार का अंतर बेशक दो हज़ार वोट से अधिक था, लेकिन पार्टी का खेल हिमाचल विकास कांग्रेस ने ही बिगाड़ा था। 2017 में दिया कांग्रेस को झटका : पंडित सुखराम ने 2003 में अपना आखिरी विधानसभा का चुनाव लड़ा और फिर 2007 में सक्रिय राजनीति से संन्यास ले लिया। 2012 में उनके बेटे अनिल शर्मा ने सदर से चुनाव लड़ा और सरकार में मंत्री बने। इसके बाद से सुखराम परिवार वर्ष 2017 तक कांग्रेस में रहा। पर पंडित जी चुनाव से पूर्व सपरिवार भाजपा में शामिल हो गए। माना जाता है कि उनके इस सियासी पेंतरे ने ऐसीहवा बिगाड़ी कि कांग्रेस का जिला मंडी में खाता भी नहीं खुला। पंडित सुखराम का अपने पोते आश्रय शर्मा को सियासत में स्थापित होते देखना चाहते थे। कई मौकों पर खुद पंडितजी ने इसका जिक्र भी किया। पोते को सांसद बनाने की चाहत में ही पंडित जी 2019 में वापस कांग्रेस में आएं। आश्रय को टिकट भी मिला लेकिन जीत नहीं मिल सकी। बहरहाल पंडित जी दुनिया से रुक्सत कर चुके है। पंडित सुखराम ने एक लम्बी उम्र काटी, सत्ता सुख भोगा, विवादों में भी रहे, पर 95 साल की उम्र तक भी उनका सियासी रसूख ऐसा था कि उन्हें हल्के में लेने की भूल कोई नहीं कर सकता था। इसलिए पंडित सुखराम हिमाचल की सियासत के चाणक्य कहलाएं।
The appearance of Khalistan flags at the gates of the Himachal Pradesh Assembly sparked controversy in the election-bound state, especially as it never saw such activity even at the height of militancy in nearby Punjab. After this slugfest ensued between the opposition and ruling party with Congress and AAP accusing the government of a lackadaisical approach to law and order. The political mud-slinging was raised even higher in Himachal when Chief Minister Jai Ram Thakur showed a picture on his mobile phone of Leader of the Opposition Mukesh Agnihotri with a man wearing a Khalistani T-shirt. The Opposition parties questioned the ruling BJP’s claims, particularly coming so soon after the Punjab Assembly elections where it had leveled similar pro-Khalistani charges at the Aam Aadmi Party. Having trounced the other parties, including the BJP, in Punjab, AAP is planning a serious political fray in Himachal with the coming election. The Congress called the planting of the pro-Khalistan flags and banners on the Assembly complex walls a security lapse. About the photo displayed by Thakur, Congress leader Agnihotri said: “This is Jai Ram Thakur’s government, asking people to change their clothes is not my job.”Agnihotri also said that the event where the photo was taken was attended by a senior BJP leader as well. “All this is a ploy to deflect attention from the real issue of paper leak in police recruitment,” he said. Last month, days after AAP won in Punjab, alleged Khalistani flags had sprung up in Una, Himachal. In June, the SFJ is set to hold a “referendum” for Khalistan in Himachal. AAP in charge of Himachal Durgesh Pathak called the incidents “strange”. “The Khalistanis have nothing to do with Himachal. If their activities are being witnessed in Himachal, there might be two things — either the Jai Ram Thakur govt is totally incompetent or defunct, or that the BJP is hand in glove with these Khalistani elements.” Aside from these political defaming games, this Khalistan issue is getting on to the nerves of Himachal as the day after a rocket-propelled grenade was fired at the Intelligence Wing headquarters of Punjab Police in Mohali, Khalistani outfit Sikhs for Justice (SFJ) warned Himachal Chief Minister Jairam Thakur, saying the attack could have also been on the Shimla Police headquarters."This grenade attack could have taken place at the Shimla Police headquarters," SFJ's self-styled general counsel Gurpatwant Singh Pannun warned in an audio message The cops have already registered a case under section 153-A, 153-B IPC, and section 3 of HP Open Places (Prevention of Disfigurement) Act, 1985 has been registered against unidentified persons for placing flags of Khalistan on the outer boundary of Vidhan Sabha. HP DGP Sanjay Kundu constituted a Special Investigation Team (SIT) that will be headed by Santosh Patial, for the investigation of this case.
India's head coach Rahul Dravid will be participating in the Bharatiya Janata Party (BJP) Yuva Morcha's National Working Committee session in Dharamshala scheduled to be held from May 12 to May 15. Chief Minister Jai Ram Thakur will also participate in the three-day session. As many as 139 delegates from across the country will register their presence in the session. "The National Working Committee of BJP Yuva Morcha will be held in Dharamshala from May 12 to 15. The national leadership of BJP and the leadership of Himachal Pradesh will be involved. BJP National President JP Nadda, National Organization Minister, and Union Minister will also attend the session. This comes ahead of the Himachal Pradesh Assembly elections, which are slated to be held this year. In the 2017 Assembly Election result, BJP won 44 seats--well past the halfway mark of 35-while the incumbent Congress got 21 and others got three seats of a total of 68 Assembly seats.
सामाजिक न्याय एवम अधिकारिता मंत्री सरवीण चौधरी ने आज रविवार को फतेहपुर विधानसभा क्षेत्र के तहत राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, धमेटा में आयोजित 26वें जनमंच कार्यक्रम की अध्यक्षता की। इस कार्यक्रम में क्षेत्र की 10 पंचायतों जिसमें धमेटा, बरुणा, मनोह-सिहाल, बाड़ी, पोलियां, हड़वाल, नगाल, हाड़ा, फतेहपुर तथा जगनोली के लोगों की समस्याओं को सुना गया। कार्यक्रम में करीब 1500 से अधिक लोगों ने भाग लिया। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने अपने सवा चार साल के कार्यकाल में सामाजिक सुरक्षा पेंशन में आय सीमा की बंदिश को समाप्त करते हुए वृद्धावस्था पेंशन प्राप्त करने की आयु सीमा को 80 वर्ष से घटाकर 60 वर्ष कर दिया है, वहीं इसके तहत मिलने वाली राशि में भी समय-समय पर बढ़ोतरी की है। सरवीण चौधरी ने कहा कि वर्तमान राज्य सरकार के कार्यकाल में ही 2 लाख 21 हजार नए पात्र लोगों को सामाजिक सुरक्षा पेंशन स्वीकृत की गई है, जबकि चालू वित वर्ष में एक लाख और पात्र लोगों को सामाजिक सुरक्षा पेंशन के तहत लाया जाएगा। उन्होंने कहा कि वर्ष 2017 में वर्तमान सरकार के सत्ता में आने से पहले सामाजिक सुरक्षा पेंशन पर करीब 450 करोड़ खर्च किए जा रहे थे, जबकि प्रदेश सरकार द्वारा इस वित्त वर्ष में इस योजना के तहत 1300 करोड़ रुपये की राशि खर्च करने का प्रावधान किया गया है। उन्होंने बताया कि जि़ला कांगड़ा में वर्तमान सरकार के कार्यकाल में 69 हज़ार नए पात्र लोगों को सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना के तहत शामिल किया गया है। जि़ला में वर्तमान में 1 लाख 36 हजार लोगों को सामाजिक सुरक्षा पेंशन प्रदान करने पर हर वर्ष 231 करोड़ रुपए व्यय किए जा रहे हैं। सरवीण चौधरी ने कहा कि केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री उज्जवला योजना का लाभ उठाने से वंचित रहे प्रदेश के पात्र परिवारों के लिए प्रदेश सरकार ने मुख्यमंत्री गृहिणी सुविधा योजना आरम्भ की है। इस योजना के अंतर्गत प्रदेश के 3 लाख 25 हज़ार परिवारों, जबकि प्रधानमंत्री उज्जवला योजना के अंतर्गत 1 लाख 37 हज़ार परिवारों को नि:शुल्क गैस कनेक्शन सहित तीन सिलेंडर नि:शुल्क उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि जिला कांगड़ा में पिछले सवा चार वर्षों के दौरान हिमाचल गृहिणी योजना के तहत 68 हज़ार गैस कनेक्शन वितरित किये गए हैं, जबकि प्रधानमंत्री उज्जवला योजना के तहत जि़ला में 25 हजार गैस कनेक्शन दिए गए हैं। उन्होंने बताया कि 125 यूनिट तक बिजली का इस्तेमाल करने पर घरेलू उपभोक्ताओं को जुलाई माह से बिजली का कोई बिल नहीं भरना पड़ेगा। सरवीण चौधरी ने कहा कि प्रदेश सरकार महिलाओं के सामाजिक उत्थान के साथ-साथ उन्हें आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने के लिए संकल्पबद्ध है। उन्होंने कहा कि महिलाओं के स्वावलंबन के लिए प्रदेश तथा केंद्र सरकार द्वारा अनेकों कल्याणकारी योजनाएं चलाई जा रही हैं। उन्होंने कहा कि महिलाओं के सम्मान और स्वाभिमान के साथ उन्हें सशक्त बनाना प्रदेश सरकार का मूल उद्देश्य है। उन्होंने बताया कि प्रदेश सरकार द्वारा महिलाओं को एचआरटीसी की बसों में यात्रा करने पर किराए में 50 प्रतिशत छूट प्रदान करने का प्रावधान किया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने आंगनबाड़ी तथा आशा वर्कर के हितों को ध्यान में रखते हुए उनके मानदेय में बढ़ोतरी की है। उन्होंने कहा कि जनमंच, जनता से सीधा संवाद स्थापित करने तथा समस्याओं का त्वरित समाधान करने में काफी कारगर सिद्ध हुआ है। उन्होंने बताया कि अब तक प्रदेश में जनमंच के माध्यम से 55 हजार समस्याएं/ मांगें प्राप्त हुई हैं, जिनमें से 90 प्रतिशत समस्याओं का निपटारा संबंधित विभागों द्वारा अब तक किया जा चुका है। इससे पहले सामाजिक कल्याण मंत्री ने विभिन्न विभागों द्वारा लगाई गई प्रदर्शनियों का भी अवलोकन किया। उन्होंने इस मौके पर एक बूटा बेटी के नाम योजना के तहत जामुन का पौधा भी रोपित किया।
प्रदेश में जल जीवन मिशन के अंतर्गत हर घर नल से जल उपलब्ध करवाने के साथ-साथ पेयजल योजनाओं के सुदृढ़ीकरण और जल स्रोतों को लम्बे समय तक कार्यशील बनाए रखने के लिए इस स्त्रोतों को मजबूती प्रदान करने का कार्य प्राथमिकता के आधार पर किया जा रहा है। इसके लिए एक विशेष योजना तैयार की गई है। पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर राज्य में सबसे पहले इस योजना को मंडी व कुल्लू जिला में कार्यान्वित किया जाएगा और इसके सार्थक परिणाम आने के पश्चात इसे प्रदेश के बाकि सभी जिलों में लागू किया जाएगा। योजना के अंतर्गत कुल्लू और मंडी जिले के दूर-दराज क्षेत्रों में बहाव पेयजल योजनाओं का सुदृढ़ीकरण किया जा रहा है। इस योजना के तहत लगभग तीन माह के लिए बहाव पेयजल योजनाओं के जल को एकत्रित किया जाएगा, जिसका उपयोग उस समय किया जाएगा, जब स्रोत में जल की उलब्धता कम होगी। इसमें बिजली का कोई प्रयोग नहीं किया जाएगा। इस परियोजना को धरातल पर उतारने के लिए राज्य स्तरीय योजना स्वीकृति समिति (एसएलएसएससी) द्वारा 353.57 करोड़ रुपए की स्वीकृति प्रदान की गई है। पायलट प्रोजेक्ट के रूप में योजना के तहत मंडी जिले के 9 खण्डों की 147 योजनाओं व कुल्लू जिले के 5 खण्डों की 110 योजनाओं में बफर स्टोरेज बना कर सुदृढ़ीकरण किया जाएगा। मंडी व कुल्लू जिला में योजना की सफलता के पश्चात राज्य के अन्य जिलों में भी इस योजना को कार्यान्वित किया जाएगा, जिससे पेयजल की समस्या का स्थायी समाधान सुनिश्चित होगा। जल जीवन मिशन के तहत मार्च, 2022 तक भारत सरकार द्वारा राज्य को कुल 2990.10 करोड़ रुपये की धनराशि उपलब्ध करवाई गई है और मिशन के तहत राज्य में 8.42 लाख घरों को नल सेे जल उपलब्ध करवाया गया है। जबकि स्वतंत्रता के बाद पिछले 72 वर्षो में कुल 7.63 लाख घरों को नल प्रदान किए गए। राज्य में कुल 17.28 लाख घरों या परिवारों को नल उपलब्ध करवाए जा चुके है। जल जीवन मिशन के क्रियान्वयन में कुल कवरेज और कार्यक्षमता के संबंध में भारत सरकार द्वारा राज्य के प्रदर्शन की सराहना की गई है। वर्ष 2019-20 में प्रदेश को 57.15 करोड़ और वर्ष 2020-21 में 221.28 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि प्रदान की गई। योजना के कार्यान्वयन में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के आधार पर भारत सरकार द्वारा हिमाचल प्रदेश को 750 करोड़ की अतिरिक्त प्रोत्साहन राशि प्रदान की गई है। पेयजल की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए भी जल शक्ति विभाग प्रयासरत है, जिसके लिए राज्य में 60 प्रयोगशालाएं स्थापित की गई हैं। जिला स्तर पर स्थापित सभी 14 प्रयोगशालाओं को राष्ट्रीय प्रयोगशाला प्रत्यायन बोर्ड से (एनएबीएल) मान्यता मिल चुकी है। इसके अलावा 36 उप-मण्डल स्तरीय प्रयोगशालाओं को भी एनएबीएल से मान्यता मिल गई है। प्रदेश की 83 प्रतिशत प्रयोगशालाओं को एनएबीएल से मान्यता प्राप्त हो चुकी हैं, जो राष्ट्रीय स्तर पर सर्वाधिक है। प्रत्येक गांव से पांच महिलाओं का चयन करके उनको फील्ड टैस्ट किट सेे पेयजल जांच का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। अभी तक 40,090 महिलाओं को यह प्रशिक्षण दिया जा चुका है। पिछले दो वर्षों के दौरान 61,901 लोगों को जल गुणवत्ता के बारे में प्रशिक्षण दिया गया। वित्त वर्ष 2020-21 में प्रदेश की सभी 3,615 पंचायतों को एक-एक फील्ड टैस्ट किट प्रदान की गई। वित्त वर्ष 2021-22 में प्रदेश के सभी 18,150 गांव को यह फील्ड टैस्ट किट दी गई। इसके अतिरिक्त जल गुणवत्ता में पारदर्शिता लाने के लिए प्रदेश की सभी प्रयोगशालाओं को आम जनमानस के लिए खोल दिया गया है, जिनमें न्यूनतम दरों पर जल नमूनों का परीक्षण किया जा सकता है। प्रदेश में पिछले दो वर्षों के दौरान कुल 4,47,820 जल नमूनों की जांच की गई जबकि गत वर्ष 2,93,245 पेयजल नमूने प्रयोगशालाओं और 1,37,865 जल सैंपलों का फील्ड टैस्ट किट द्वारा परीक्षण किया गया है। विभाग द्वारा चालू वित्त वर्ष में भी 3,00,606 जल सैंपलों की जांच प्रयोगशाला और 1,42,734 जल सैंपलों का परीक्षण फील्ड टैस्ट किट के माध्यम से करने का लक्ष्य रखा गया है।
प्रदेश में मनरेगा के बंद पड़े हुए काम अब शुरू हो जाएंगे। केंद्र ने इसके लिए 316.80 करोड़ रुपए जारी किए हैं। यह पैसा मनरेगा सामग्री घटक और प्रशासनिक व्यय के अंतर्गत जारी हुआ है। इस संबंध में ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज, कृषि, पशुपालन और मत्स्य पालन मंत्री वीरेंद्र कंवर ने जानकारी दी है। उन्होंने बताया है कि इस राशि से मनरेगा के कार्यों में गति आएगी और लंबित देनदारियों का निपटारा भी किया जा सकेगा। कंवर ने बताया कि प्रदेश में मनरेगा के तहत बेहतर कार्य किया जा रहा है और ग्रामीण विकास तथा आर्थिकी के उत्थान में यह उपयोगी सिद्ध हो रही है। विशेष तौर पर कोरोना काल में मनरेगा ग्रामीण आर्थिकी के लिए संबल बनी है और इसके माध्यम से हजारों लोगों को रोजगार उपलब्ध करवाया गया है। वर्ष 2020-21 में मनरेगा के तहत 330 लाख कार्य दिवसों के विरुद्ध 336.10 लाख कार्य दिवस अर्जित हुए हैं और 988.95 करोड़ रुपये की धनराशि व्यय हुई है। वर्ष 2021-22 में 343 लाख लक्षित कार्य दिवसों के विपरीत 370.87 लाख कार्य दिवस अर्जित किए गए हैं और 1091.31 करोड़ रुपये की धनराशि व्यय की गई है। वर्ष 2020-21 में मनरेगा के अंतर्गत 6.36 लाख परिवारों को रोजगार उपलब्ध करवाया गया है। वर्ष 2021-22 में 7.07 लाख परिवारों को रोजगार उपलब्ध करवाया गया है। मनरेगा के तहत वर्ष 2020-21 में 75,814 कार्य पूर्ण किए गए और वर्ष 2021-22 में 80,957 कार्य पूर्ण किए जा चुके हैं।
हिमाचल में सियासी पारा हाई है और हर राजनैतिक दल में टिकट के चाहवान प्रो एक्टिव। चाहवानों की इस कतार में कई युवा नेता भी शमिल है और इनमें से एक हैं प्रदेश युवा कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष यदुपति ठाकुर। विधानसभा चुनाव, युवा कांग्रेस की भागीदारी और सरकाघाट के मुद्दों को लेकर फर्स्ट वर्डिक्ट के लिए भावना शांडिल ने यदुपति ठाकुर से ख़ास चर्चा की। हर सवाल पर उन्होंने बेबाकी से अपनी राय रखी। ठाकुर ने कहा कि 2017 में उनका टिकट इसलिए कटा था क्यों कि तब प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष सुखविंदर सिंह सुक्खू थे और वे राजा गुट से हैं। साथ ही उन्होंने जयराम सरकार पर सरकाघाट से सौतेला व्यवहार करने का आरोप भी लगाया। पेश हैं इस बातचीत के मुख्य अंश ... सवाल- इस साल के अंत में विधानसभा के चुनाव होने है, आप भी अपने गृह क्षेत्र सरकाघाट में काफी सक्रियता से काम करते दिख रहे है, क्या आप भी टिकट के चाहवान है ? जवाब - राजनीति समाज सेवा का अभिन्न अंग है। मैंने 17 साल पूर्व राजनीति का सफर छात्र राजनीति से शुरू किया था। मैं एनएसयूआई के नेशनल बॉडी का अध्यक्ष भी रहा हूँ। आप अंदाजा लगा सकते है कि इस दौरान मैंने कितने उतार चढ़ाव देखे होंगे। मैंने हमेशा पार्टी संगठन को मजबूती देने की यथासंभव कोशिश की हैं और हर वक्त हम चट्टान की तरह पार्टी के साथ खड़े रहे। साथ ही आम जन से संवाद बनाये रखा, जरूरतमंद लोगों की सहायता की। इस कार्य को देखते हुए राहुल गान्धी जी ने हौंसला अफजाई की और सम्मान भी दिया। जहां तक आपका प्रश्न विधानसभा के चुनाव को लेकर है, मैं स्पष्ट रूप से कहता हूँ कि मैं चुनाव भी लड़ने का इच्छुक हूँ और पूर्ण रूप से तैयार भी। बीते बारह वर्षों से मैं अपने क्षेत्र के लोगों के हर सुख दुख में शामिल रहा हूँ और मुझे लगता है कि मैं टिकट के लिए योग्य हूँ। शेष, पार्टी आलाकमान तय करेगा, लेकिन मुझे पूर्ण विश्वास है कि इस बार निराशा हाथ नहीं लगेगी। सवाल- बीते दो चुनाव में सरकाघाट सीट पर भाजपा ही काबिज हुई है, हार का कारण क्या मानते है आप ? जवाब - मैं बताना चाहूंगा कि 2017 के चुनाव में टिकट आवंटन सूची में मेरा भी नाम शामिल था लेकिन किसी कारणवश मेरा टिकट काट दिया गया। उस दौरान पीसीसी के अध्यक्ष सुखविंदर सिंह सुक्खू जी थे और हम स्वर्गीय राजा वीरभद्र गुट से आते थे, तो ऐसे में मेरा टिकट काट दिया गया। कांग्रेस से जिन्हें टिकट मिला हमने उनका भी भरपूर साथ दिया और चुनाव प्रचार में साथ रहे। दुर्भाग्यवश करीब दस हजार वोट से कांग्रेस पराजित हुई और इसके पीछे मुख्य कारण था प्रत्याशी की असक्रियता। मेरा मानना है कि अगर उस दौरान चेहरा दमदार होता तो निसंदेह सरकाघाट से कांग्रेस जीतती। सवाल- बतौर युवा कांग्रेस कार्यकारी अध्यक्ष आपसे जानना चाहेंगे कि विधानसभा चुनाव में युवा कांग्रेस की क्या रणनीति रहेगी, जिससे कांग्रेस की सत्ता वापसी हो सके? जवाब- युवा कांग्रेस हर गांव, हर बूथ पर पहुँच रही है और सदस्यता अभियान भी तेजी से चल रहा है। बहुत जल्द हम बेरोजगार युवाओं के समर्थन में सड़क पर उतरेंगे। प्रदेश का दौरा करेंगे। आप देखिये भाजपा की नीतियां जन विरोधी है, हर वर्ग आज परेशान है। बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, नशा माफिया और कर्मचारी-बागवानों की हर समस्या को साधने में भाजपा पूर्ण रूप से फैल हो चुकी है। ना केवल कांग्रेस से जुड़े युवा बल्कि देश का हर युवा इन जन विरोधी नीतियों के खिलाफ आवाज उठा रहा है। हम भी इन मुद्दों को लेकर आमजन के बीच जा रह हैं। आज प्रदेश सरकार कर्ज के तले दब चुकी है और इनका डबल इंजन खराब है। कोरोना काल से लेकर अब तक भाजपा सरकार ने हम सभी को ठगने का काम किया है, कर्ज लो और खुद ऐश करो की मंशा से यह काम कर रहे है। यही कारण है कि उपचुनाव में प्रदेश की प्रबुद्ध जनता ने इनकी अकड़ को सीधा किया और चारो सीट पर कांग्रेस को विजयी बनाया। स्वर्गीय राजा वीरभद्र सिंह के कार्यकाल में जितने भी प्रदेश के विकास कार्य हुए उनका श्रेय भाजपा के विधायक ले रहे है। सरकाघाट विधानसभा क्षेत्र में भी जनता इनको आइना दिखाएगी और शत प्रतिशत प्रदेश में कांग्रेस की दमदार सरकार बनेगी। सवाल- आपके क्षेत्र में कांग्रेस उतनी सक्रिय नहीं दिखती या यूँ कहें एकजुट नहीं दिखती। इसका कारण मतभेद है या मनभेद ? जवाब - देखिये आप सही कह रहे है सरकाघाट कांग्रेस उतनी एक्टिव नहीं है, लेकिन युवा कांग्रेस के बैनर तले हमने हर मुद्दे पर आवाज उठाई है, यथासंभव लोगों के बीच रहे है और जो कार्य एक पार्टी के कार्यकर्ता का होता है उसे बखूबी निभाया भी है। अब श्रीमती प्रतिभा सिंह को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की कमान दी है और कांग्रेस पार्टी में नई ऊर्जा का संचार हुआ है। आने वाले समय में काफी बदलाव होंगे, और निश्चित तौर पर छंटनी भी होने की संभावना है। व्यक्तिगत तौर से मेरा प्रयास रहेगा की हम बूथ लेवल पर जाकर कांग्रेस को मजबूती प्रदान करें इसके लिए युवा कांग्रेस तैयार है। सवाल- आप लगातार कहते रहे है कि सरकाघाट में विकास की गति थम गयी है, क्या तथ्य है आपके पास ? जवाब - सरकाघाट की जनता भाजपा सरकार को माफ़ नहीं करेगी। मौजूदा विधायक प्रोफेसर प्रेम कुमार धूमल के गुट से आते थे और मुख्यमंत्री बने जयराम ठाकुर। अब ऐसे में इनकी गुटबाजी के चलते बीते चार साल में केवल एक बार ही मुख्यमंत्री हमारे क्षेत्र में आये है। मुख्यमंत्री ने इस क्षेत्र की उपेक्षा की हैं, सरकाघाट के साथ सौतेला व्यवहार हुआ हैं। जो गलती से कुछ एक घोषणाएं उन्होंने की हैं वे सभी स्वर्गीय वीरभद्र सिंह की देन है, जिनका क्रेडिट यह लोग लेने की कोशिश करते है। भाजपा और भाजपाई केवल पट्टिकाओं की राजनीति करने में माहिर है, इनकी वजह से न विकास हो रहा है न प्रदेशवासियों का भला। आप ग्रामीण क्षेत्र में जा करा देखिए तो, ग्रामीण प्रवेश में रह रहे लोगों को तीन -तीन दिन बाद पेयजल की आपूर्ति हो रही है, जो भी मटमैला और दूषित है। सड़कों की टारिंग की जाती है लेकिन हफ्ते के अंदर ही सड़क के टारिंग उखड़ जाती है, यह खानापूर्ति केवल इनके चेहते ठेकदारों को लाभ देने के लिए की जा रही है। जनता के पैसे का दुरूपयोग किया जा रहा है और जब कोई वर्ग अपनी मांगों को लेकर सरकार के पास जाता है तो उनके कहा जाता है की सरकार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। सरकाघाट की जनता शिक्षित भी है और इनके झूठे वादों से वाकिफ भी, अब भाजपा के जाने का समय आ चुका है।
मुकम्मल मुलाकातें हो रही है, बकायदा योजना तैयार की जा रही है। नए गठबंधन बन रहे है और हालात बदलने की तैयारी जोरो पर है। विधानसभा चुनाव से पहले सोलन निर्वाचन क्षेत्र में भाजपा के कुछ चेहरे एकसाथ आते दिख रहे है। मकसद साफ है कि टिकट के लिए जानदार तरीके से दावा ठोका जाएं। दरअसल, पिछले चुनाव में पार्टी ने चुनाव से ठीक पहले वीआरएस लेकर सियासत में आएं डॉ राजेश कश्यप को टिकट दिया था। तब टिकट के कई दावेदार थे लेकिन पार्टी के निर्णय ने सबको चौंका दिया। तब मुख्य तौर पर कुमारी शीला, तरसेम भारती और एच एन कश्यप टिकट की दौड़ में थे, पर सबके हाथ निराशा लगी। पार्टी के इस निर्णय से असंतोष भी उपजा और नतीजन डॉ राजेश कश्यप चुनाव नहीं जीत सके। पर तब से अब तक कश्यप निरंतर सक्रिय है और इस बार वे ही टिकट के प्रबल दावेदार है। अब ताजा खबर ये है कि कश्यप की राह रोकने को उनके विरोधियों ने हाथ मिला लिया है, मंशा साफ है कि उनमें से ही किसी एक को टिकट मिले। टिकट किसे मिलता है ये तो वक्त ही बताएगा, पर ऐसी स्थिति में भाजपा की राह निसंदेह मुश्किल जरूर होने वाली है। ताजा स्थिति की बात करें तो सर्वविदित है कि डॉ राजेश कश्यप ही पार्टी के प्राइम फेस है। कश्यप सक्रिय है पर अब तक सबको साथ लाने में कामयाब नहीं हो सके है। साढ़े चार साल का वक्त मिलने के बावजूद भी पार्टी का एक बड़ा तबका उनके साथ चलता नहीं दिख रहा। हालाँकि आलाकमान जरूर उन पर मेहरबान रहा है। उधर अन्य चेहरों की बात करें तो उनमें भी कोई ऐसा नहीं है जो अपनी कार्यशैली से पार्टी को टिकट देने के लिए विवश कर सके। तरसेम भारती पहले खराब स्वास्थ्य के चलते फील्ड से दूर थे और अब भी प्रो एक्टिव नहीं दिख रहे। कुमारी शीला की बात करें तो इस मर्तबा तो वे जिला परिषद् का चुनाव भी नहीं जीत पाई थी, ऐसे में पार्टी को जीत का भरोसा दिलाना उनके लिए भी मुश्किल होगा। हालांकि उनकी जमीनी पकड़ को कमतर नहीं आँका जा सकता। एच एन कश्यप भी सियासी सरगर्मियों से लगभग गायब ही है। कई अन्य चाहवान तो ऐसे भी है जो इच्छा तो विधायक बनने की रखते है लेकिन उनकी कार्यशैली पार्षद का चुनाव जीतने लायक भी नहीं दिख रही। पर यहाँ ये जहन में भी रखना होगा कि पूर्व सांसद और डॉ राजेश के बड़े भाई वीरेंद्र कश्यप भी टिकट मिलने पर चुनाव लड़ने को तैयार है। कांग्रेस में सिर्फ एक दावेदार : सोलन कांग्रेस की बात करें तो कर्नल धनीराम शांडिल ही फिलवक्त इकलौते उम्मीदवार है और संभवतः वे ही पार्टी प्रत्याशी होंगे। वैसे भी माना जाता है कि कर्नल का टिकट 10 जनपथ से फाइनल होता है। पार्टी का एक तबका उनके साथ बेशक न दिख रहा हो लेकिन बावजूद इसके कांग्रेस की स्थिति अभी तो भाजपा से बेहतर है। कर्नल का सरल स्वभाव और ईमानदार छवि भी कांग्रेस के लिए लाभदायक सीड हो सकते है।
नए अध्यक्ष के साथ -साथ हिमाचल प्रदेश कांग्रेस को चार कार्यकारी अध्यक्ष भी मिले है। इन चार कार्यकारी अध्यक्षों में से एक नाम है पवन काजल का, जो अब कांग्रेस का नूर है। काजल कांगड़ा सीट से विधायक है और जिला कांगड़ा में बतौर ओबीसी नेता उनका अच्छा रसूख है। खास बात ये है कि अब काजल कांगड़ा में कांग्रेस का प्राइम फेस बनते दिख रहे है। थोड़ा फ्लैशबैक में चले तो वीरभद्र सरकार के समय जिला कांगड़ा ने दो कांग्रेसी नेताओं की तूती बोलती थी, सुधीर शर्मा और स्व जीएस बाली। दोनों मंत्री थे, दोनों ब्राह्मण और दोनों भावी मुख्यमंत्री के तौर पर देखे जाते थे। पर बाली अब इस दुनिया में नहीं है और सुधीर के सियासी तारे गर्दिश में दिख रहे है। पार्टी का ही एक तबका खुलकर उनके खिलाफ मुखर है। इस बीच रफ्ता - रफ्ता पवन काजल विधायक का सियासी कद बढ़ता रहा और अब जब कांगड़ा से कार्यकारी अध्यक्ष बनाने की बारी आई तो पार्टी आलाकमान ने उन्हें इस पद से नवाजा। स्वाभाविक है उनकी ये तरक्की कई नेताओं के अरमान कुचल सकती है। पवन काजल 2012 में पहली बार विधायक बने, तब वे आजाद उम्मीदवार थे। प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी और वीरभद्र सिंह ने उन्हें कांग्रेस में शामिल कर लिया। 2017 में काजल कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े और फिर जीत गए। इसके बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में भी पार्टी ने उन्हें उम्मीदवार बनाया। तब भी खुद वीरभद्र सिंह ने उनके लिए प्रचार किया था। कहते है कांग्रेस में शामिल होते वक्त काजल दरअसल कांग्रेस में नहीं जुड़े थे, बल्कि वीरभद्र सिंह के साथ आये थे। अब उनका झुकाव होलीलॉज की तरफ ही रहता है या वे संतुलन बनाकर ही आगे बढ़ते है, ये देखना भी रोचक होने वाला है। ओबीसी वोट पर निगाहें : जिला कांगड़ा में ओबीसी वोट बैंक का अच्छा प्रभाव है। अमूमन हर सीट पर ओबीसी वोट जीत -हार का अंतर पैदा कर सकता है। काजल को मजबूत करके कांग्रेस की नज़र इसी वोट बैंक पर है। ओबीसी वर्ग की बात करें तो कांग्रेस के पास चौधरी चंद्र कुमार के रूप में भी एक मजबूत चेहरा हैं और पवन काजल भी उन नेताओं में शुमार है जिनके समर्थक हर क्षेत्र में है। ऐसे में पवन काजल को कार्यकारी अध्यक्ष बनाना कांग्रेस का मास्टर स्ट्रोक सिद्ध हो सकता है। जब दिग्गज हारे तब भी जीते काजल : 2017 के विधानसभा चुनाव में जिला कांगड़ा की 15 सीटों में से सिर्फ तीन सीटें कांग्रेस ने जीती थी। खास बात ये है तब वीरभद्र कैबिनेट में मंत्री रहे जीएस बाली और सुधीर शर्मा सहित बड़े -बड़े दिग्गज धराशाई हो गए थे। पर पवन काजल ने 6 हज़ार से अधिक वोटों से जीत दर्ज की थी। उनके अतिरिक्त सुजानपुर से स्व सुजान सिंह पठानिया और पालमपुर से आशीष बुटेल ही चुनाव जीत पाए थे।
प्रदेश कांग्रेस संगठन में बदलाव हो चूका है। आलाकमान ने पंजाब जैसी गलती न दोहराते हुए हिमाचल प्रदेश में बदलाव भी किया है और संतुलन भी बरकरार रखा है। वीरभद्र सिंह फैक्टर को जहन में रखते हुए होलीलॉज को तवज्जो जरूर दी गई है, लेकिन सम्भवतः पार्टी बिना किसी चेहरे के चुनाव में उतरेगी। अब तक तो इशारा कुछ ऐसा ही है। नतीजों के बाद संख्या बल और आलाकमान का आशीर्वाद मुख्यमंत्री तय करेगा, बशर्ते पहले पार्टी सत्ता में तो आये। कांग्रेसी दिग्गज भी कलेक्टिव लीडरशिप में चुनाव लड़ने की बात बार -बार दोहरा रहे है, ताकि अंतर्कलह और अंदरूनी सियासत पर पर्दा डला रहे। जाहिर है पंजाब से सीख लेते हुए पार्टी संभल -संभल कर एक -एक कदम आगे बढ़ाना चाहती है, और प्रदेश के नेताओं को भी ऐसे ही निर्देश दिए गए है। उधर, भाजपाई अभी से कांग्रेस की फिरकी लेने में लगे है। सवाल पूछा जा रहा है कि कांग्रेसी बरात का दूल्हा कौन होगा ? इतना ही नहीं प्रतिभा सिंह की ताजपोशी के बाद भाजपा समर्थित सोशल मीडिया पेजों से अन्य नेताओं पर चुटकी भी ली जा रही है। कांग्रेसी बारात का दूल्हा कौन होगा, ये सवाल विधानसभा चुनाव नजदीक आते -आते कांग्रेस को निसंदेह खूब सताने वाला है। दरअसल 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने ये ही सवाल भाजपा से किया था। तब 9 नवंबर को मतदान होना था और अक्टूबर के आखिर तक भाजपा ने चेहरे की घोषणा नहीं की थी। कांग्रेस भाजपा को बिन दूल्हे की बरात कह रही थी। इस बीच भाजपा की स्थिति भांपते हुए तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह में राजगढ़ की रैली में 30 अक्टूबर को प्रो प्रेम कुमार धूमल को सीएम फेस घोषित किया और समीकरण तेजी से भाजपा के पक्ष में बदल गए। तब भाजपा ने तो चेहरा घोषित कर दिया था, पर कांग्रेस ऐसा करने की स्थिति में होगी, फिलवक्त तो ऐसा मुश्किल लगता है। आठ चुनावों के बाद बगैर वीरभद्र होगी कांग्रेस : 1983 में वीरभद्र सिंह पहली बार मुख्यमंत्री बने थे। तब से 2017 तक हुए आठ विधानसभा चुनाव में पार्टी के फेस को लेकर मौटे तौर कभी संशय नहीं रहा। कभी ऐसी स्थिति बनती भी दिखी तो वीरभद्र सिंह के तेवर और शक्ति प्रदर्शन के आगे हमेशा आलाकमान को झुकना पड़ा। अब करीब 38 साल बाद पार्टी बगैर वीरभद्र सिंह के चुनाव लड़ेगी। जाहिर है ऐसे में कई अन्य नेताओं के अरमान परवान चढ़ रहे है।
वीरभद्र नाम संजीवनी, कांग्रेस सुमिरे दिन -रात ...भाजपा के साधन, संसाधन और संगठन का तोड़ कांग्रेस को वीरभद्र सिंह के नाम में दिख रहा है। कांग्रेस के लिए सत्ता वापसी के धुरी पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत वीरभद्र सिंह ही रहेंगे, इस बात पर औपचरिक मुहर लग चुकी है। तमाम गुट और तमाम नेता एक सुर में बोल रहे है कि कांग्रेस वीरभद्र सिंह के विकास मॉडल पर ही चुनाव लड़ेगी। ऐसे कई नेता भी जिनकी सियासी बिसात का आधार ही वीरभद्र सिंह का विरोध रहा है। स्पष्ट है कि आलाकमान के साथ -साथ प्रदेश के नेताओं को भी वीरभद्र सिंह के नाम पर ही चुनावी समर में उतरने में अपनी भलाई दिख रही है। बीते दिनों शिमला के चौड़ा मैदान में हुई रैली में फिर सिद्ध हो गया कि हिमाचल कांग्रेस में अब भी वीरभद्र सिंह के बराबर सियासी वजन किसी का नहीं है, ‘राजा नहीं फकीर है, हिमाचल की तकदीर है’.. नारा अब भी असरदार है। वीरभद्र सिंह के नाम का असर उपचुनाव में स्पष्ट दिखा, अब कांग्रेस इसी नाम के सहारे सत्ता वापसी की आस में है। उधर, प्रतिभा सिंह के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनने से पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह का का निजी आवास हॉलीलॉज फिर एक बार प्रदेश कांग्रेस की सियासत का केंद्र बन गया है। अर्से तक वीरभद्र सिंह के निष्ठावान रहे कार्यकर्त्ता - समर्थक अब प्रतिभा सिंह का नाम मुख्यमंत्री पद के लिए आगे बढ़ा रहे है। हालांकि दावेदारों की फेहरिस्त में शामिल अन्य नेताओं के समर्थक भी पीछे नहीं है। हकीकत : संख्या बल तय करेगा सीएम ! मुख्यमंत्री बनने के लिए सभी के रास्ते खुले हैं, लेकिन इसके लिए पहले विधायक बनना जरूरी है। बहुमत मिलने पर हाईकमान ही इसे तय करेगा। चुनाव वीरभद्र मॉडल पर लड़ा जायेगा। पार्टी के सभी वरिष्ठ नेता ये ही बात दोहरा रहे हैं। पर आलाकमान के साथ -साथ संख्याबल भी सीएम तय करेगा। वीरभद्र स्टाइल पॉलिटिक्स तो ये ही कहती है। ऐसे में सभी चाहवान पहले ये सुनिश्चित करना चाहेंगे कि विधानसभा में उनके निष्ठावान अधिक पहुंचे। ऐसे में जाहिर है टिकट आवंटन की भी बड़ी भूमिका होगी।
आहिस्ता - आहिस्ता ही सही लेकिन उपचुनाव में मिली करारी शिकस्त के बाद से लग रही नेतृत्व परिवर्तन की अटकलों पर अब लगभग विराम लग चूका है और ये भी तय है की पार्टी जयराम ठाकुर के चेहरे पर ही अगला विधानसभा चुनाव लड़ेगी। बताया जा रहा है कि बीते दिनों दिल्ली में हुई भाजपा हाईकमान की बैठक में इस बात पर मुहर लग चुकी है, हालांकि इस संदर्भ में अब तक पार्टी ने औपचारिक तौर पर कुछ नहीं कहा है। जाहिर है अब जयराम समर्थक बाग-बाग है और उम्मीद लगाए बैठे अन्य नेताओं के समर्थकों के अरमानों पर पानी फिर चूका है। खैर ये सियासत है, यहां उतार चढ़ाव होते रहते है, अब असल सवाल ये है की जयराम ठाकुर के नेतृत्व में भाजपा के लिए मिशन रिपीट की राह आसान होगी या कठिन। यहाँ ये जहन में रखना भी जरूरी है कि जयराम न सिर्फ सरकार का चेहरा है बल्कि भाजपा प्रदेश संगठन में भी फिलवक्त जयराम ठाकुर का असर दिख रहा है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बेशक सुरेश कश्यप हो लेकिन जानकार मानते है कि संगठन के बड़े निर्णयों में जयराम ठाकुर का ही प्रभाव है। अब इसे लेकर माहिर बंटे हुए है, कुछ इसे पार्टी की ताकत मानते है तो कई का मानना है कि पार्टी को इसका नुक्सान होगा। यहाँ गौर करने वाली बात ये भी है कि सुरेश कश्यप की ताजपोशी के बाद जमीनी स्तर पर पार्टी संगठन में कोई व्यापक बदलाव नहीं हुआ है। यानि संगठन में अधिकांश वे ही लोग है जिनकी नियुक्ति पूर्व अध्यक्ष डॉ राजीव बिंदल के समय हुई थी। इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि जो संगठन भाजपा की ताकत माना जाता है वो उपचुनाव में कुछ हद तक कमजोर दिखा था। अब इसके अपने सियासी मायने है और सबका अपना -अपना विश्लेषण। कयास लगते रहे, पर नहीं बदला संगठन : उपचुनाव में मिली शिकस्त के बाद ये कयास भी लग रहे थे कि संभवतः पार्टी संगठन में व्यापक बदलाव करें, पर ऐसा हुआ नहीं। पार्टी वर्तमान संगठन के साथ ही विधानसभा चुनाव के रण में उतरती है या इसे धार देने के लिए आवश्यक बदलाव होते है, ये देखना रोचक होगा। विशेषकर कई जिलों में पार्टी संगठन को पैना किये जाने की जरूरत है। मजबूत संगठन और नेतृत्व सुनिश्चित कर पार्टी कुछ हद तक अंतर्कलह और असंतोष को भी साधने में कामयाब हो सकती है। पर असल सवाल ये ही है कि क्या पार्टी के रणनीतिकार भी ऐसा सोचते है। पहला इम्तिहान शिमला नगर निगम चुनाव : ये जहन में रखना भी जरूरी है कि विधानसभा चुनाव से पहले जयराम ठाकुर के सामने एक बड़ा इम्तिहान और है, ये है शिमला नगर निगम चुनाव। यदि नगर निगम चुनाव में पार्टी बेहतर नहीं कर पाती है तो स्वाभाविक है कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की स्थिति भी असहज हो सकती है। ऐसे में मुमकिन है कि नेतृत्व परिवर्तन का जिन्न फिर बाहर आ जाएं।
प्रदेश कांग्रेस के संगठन में हुए बदलाव के बाद भाजपा को एक बार फिर परिवारवाद के मुद्दे पर कांग्रेस को घेरने का मौका मिल गया है। प्रतिभा सिंह की ताजपोशी के बाद से भाजपाई नेता लगातार वंशवाद के मुद्दे पर कांग्रेस पर हमला बोल रहे है। उधर कांग्रेसी भी ये याद दिलाने से नहीं चूक रहे कि जिन अनुराग ठाकुर को भाजपा का एक तबका भावी सीएम करार देने में जुटा है, वो भी उन्हीं के पूर्व मुख्यमंत्री के पुत्र है। बहरहाल चुनावी बेला में आरोप - प्रत्यारोप का दौर जारी है। पर हिमाचल कि सियासत पर नज़र डाले तो वंशवाद और परिवारवाद नई बात नहीं है। चाहे वीरभद्र परिवार हाे, धूमल परिवार या अन्य कई नेता, राजनीतिक विरासत संभालने के लिए उनका परिवार हमेशा तैयार दिखा है। छ बार प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे वीरभद्र सिंह के निधन के बाद उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह के हाथ में अब कांग्रेस की कमान है। इससे पहले 2017 के विधानसभा चुनाव में वीरभद्र सिंह के साथ उनके पुत्र विक्रमदित्य भी चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे थे। इसी तरह से धूमल परिवार में भी ऐसी ही स्थिति है। 2017 के विधानसभा चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार पराजित हुए जिसके बाद धूमल परिवार की सियासी धाक कुछ कम हुई। मगर सांसद अनुराग सिंह ठाकुर ने विरासत की सियासत काे ज़िंदा भी रखा और सियासी रसूख भी बढ़ाया। 2019 के आम चुनाव के बाद अनुराग केंद्रीय मंत्री हो चुके है। कांग्रेस के अन्य नेताओं की बात करें तो हिमाचल प्रदेश विधानसभा के पूर्व स्पीकर बीबीएल बुटेल पिछले चुनाव से ही रिटायर हो गए और उनके बेटे आशीष बुटेल ने माेर्चा संभाल लिया। फतेहपुर उपचुनाव में पूर्व विधायक स्व सुजान सिंह पठानिया के पुत्र भवानी पठानिया जीतकर विधानसभा पहुंचे। वहीँ जुब्बल कोटखाई से पूर्व मुख्यमंत्री ठाकुर रामलाल के पौत्र रोहित ठाकुर तीसरी बार जीतकर विधानसभा पहुंचे। पूर्व सांसद चंद्र कुमार के बेटे एवं पूर्व सीपीएस नीरज भारती भी 2012 में विधायक बने, हालांकि उन्हें 2017 में हार मिली। सुधीर शर्मा, जगत सिंह नेगी, अजय महाजन समेत कई ऐसे नेता हैं जाे सक्रीय राजनीति कर रहे हैं और अपने बुजुर्गों की राजनैतिक विरासत को संभाले हुए है। भाजपा में भी लिस्ट कम नहीं है। स्व कुंजलाल ठाकुर के पुत्र गाेविंद सिंह ठाकुर वर्तमान में मंत्री है। मंडी विधायक अनिल शर्मा भी पिछला चुनाव भाजपा के टिकट पर जीते थे। मंत्री महेंद्र सिंह की बेटी वंदना गुलेरिया जिला परिषद् सदस्य है और अब मंत्री के बेटे भी राजनीती में सक्रीय है। इसी तरह नरेंद्र ठाकुर भी परिवार की राजनैतिक विरासत को ही संभाल रहे है। क्या स्टैंड पर कायम रहेगी भाजपा : जुब्बल कोटखाई उपचुनाव में भाजपा ने पूर्व विधायक स्व नरेंद्र बरागटा के पुत्र चेतन बरागटा को टिकट नहीं दिया और इसका कारण परिवारवाद बताया गया। पर सवाल ये है कि क्या भाजपा अपने स्टैंड पर कायम रहेगी। जानकार ऐसा नहीं मानते। मुमकिन है कि जल्द भाजपा में चेतन की एंट्री भी हो और अगली बार उन्हें टिकट भी मिले। ऐसे कई नेता भी है जिन पर परिवारवाद का टैग है और जो टिकट के दावेदार है। कोई नेता पुत्र है तो कोई पूर्व सांसद का भाई।
मंडी लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाला विधानसभा क्षेत्र सुंदरनगर सियासी तौर पर काफी महत्वपूर्ण माना जाता है, इस सीट पर राजपूत वोटरों का दबदबा होने के चलते विधायक भी राजपूत ही रहे है। इस सीट पर हर पांच साल बाद सत्ता परिवर्तन हुआ है, इस बात की तस्दीक करते है 1998 से लेकर 2017 के विधानसभा चुनाव। भाजपा ने 1982 से 2007 तक रूप सिंह पर ही विश्वास जताया है। पहली बार उन्हें 1982 में टिकट मिला और वो लगातार 1990 तक विधायक बने। 1993 के चुनाव में कांग्रेस से शेर सिंह और भाजपा से रूप सिंह मैदान में थे और उस दौरान 5537 वोट के अंतर् से शेर सिंह ने रूप सिंह को हराया और 23 साल सियासी तौर पर दंडक वन में गुज़ारने के बाद कांग्रेस की सत्ता वापसी हुई। 1998 के चुनाव में भाजपा से फिर रूप सिंह ठाकुर को टिकट मिला जबकि कांग्रेस से शेर सिंह चुनावी मैदान में थे और रूप सिंह ने 769 वोट के अंतर से जीत हासिल की। 2003 के चुनाव में कांग्रेस ने टिकट बदला और कांग्रेस ने सोहन लाल को प्रत्याशी बनाया जो कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता भी थे और कांग्रेस सरकार में संसदीय सचिव भी रहे और भाजपा ने फिर रूप सिंह को टिकट दिया और करीब 4638 के अंतर् से रूप सिंह हार गए। इसी तरह 2007 में रूप सिंह ने सोहन लाल को हराया। 2012 के चुनाव में भी सत्ता परिवर्तन हुआ और तब सोहन लाल जीते लेकिन उस दौरान भाजपा में काफी हलचल हुई। हमेशा की तरह भाजपा से रुप सिंह को टिकट मिलने के कयास लग रहे थे और टिकट की दौड़ में भाजपा के एक और नेता राकेश जम्वाल शामिल थे। उस चुनाव में भाजपा ने चेहरा बदला और राकेश जम्वाल को सुंदरनगर विधानसभा सीट से भाजपा का प्रत्याशी बनाया। तब रूप सिंह ने बतौर निर्दलीय चुनाव लड़ा। 2012 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी की अंतरकलह के कारण सुंदरनगर विधानसभा क्षेत्र में सोहन लाल ठाकुर बीजेपी को पीछे छोड़ने में सफल रहे। 2012 के चुनाव में सोहन लाल ठाकुर ने 8990 मतों से बड़ी जीत दर्ज की। 2012 के विधानसभा चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी रुप सिंह ठाकुर दूसरे नंबर पर रहे जो इस विधानसभा को जीतने में सबसे ज्यादा बार सफल रहे थे। वह बीजेपी से टिकट न मिलने के कारण निर्दलीय चुनाव लड़े और बीजेपी प्रत्याशी राकेश जम्वाल को तीसरे नंबर पर करने में सफल रहे। बीजेपी में बगावत होने पर इसका सीधा फायदा कांग्रेस प्रत्याशी सोहन लाल ठाकुर को मिला। 2017 के चुनाव में भाजपा से राकेश जम्वाल जीते और सोहन लाल को करीब 9263 वोट से पराजित किया। सियासी माहिरों का मानना है कि इस बार के चुनाव में भी 2012 के चुनाव की तरह समीकरण बन सकते है। वर्तमान स्थिति को देखे तो पूर्व मंत्री रूप सिंह के बेटे अभिषेक ठाकुर भी चुनावी ताल ठोकते नज़र आ रहे हैं। मौजूदा दौर में भाजपा सरकार के प्रति एंटी इनकम्बेंसी फैक्टर के साथ -साथ पंजाब जीत कर हिमाचल में राजनैतिक उलट-फेर करती नज़र आ रही आम आदमी पार्टी के चलते सुंदरनगर में भी रूप सिंह ठाकुर के राजनैतिक वारिस अभिषेक ठाकुर के पास भाजपा के सियासी आँकड़े बिगाड़ने का पुनः खुला मौक़ा है चाहे वो आम आदमी पार्टी से चुनावी मैदान में उतरे या आज़ाद लेकिन सीधे तौर पर यहाँ फिलहाल घाटे में भाजपा ही नज़र आ रही है।
पिछले चार सालो से लटकी जेबीटी भर्ती को हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने सशर्त मंजूरी दे दी है। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने राज्य सरकार के इस आवेदन को स्वीकारते हुए कहा कि राज्य सरकार जेबीटी के पदों को एनसीटीई की ओर से जारी 28 जून 2018 की अधिसूचना के अनुसार ही भरे। अदालत ने स्पष्ट किया कि पुनर्विचार याचिका और सर्वोच्च न्यायालय के अंतिम निर्णय पर ही जेबीटी भर्ती निर्भर करेगी। राज्य के महाधिवक्ता ने हाईकोर्ट से इस मामले पर दोबारा विचार करने और सरकार को इन पदों को भरने की अनुमति मांगी थी। उल्लेखनीय है कि 26 नवंबर 2021 को हाईकोर्ट ने जेबीटी भर्ती मामले पर फैसला सुनाते हुए स्पष्ट किया था कि शिक्षकों की भर्ती के लिए एनसीटीई की ओर से निर्धारित नियम प्रारंभिक शिक्षा विभाग के साथ-साथ कर्मचारी चयन आयोग पर भी लागू होते हैं। कोर्ट के फैसले से जेबीटी पदों के लिए बीएड डिग्री धारक भी पात्र हो गए थे लेकिन बाद में हाईकोर्ट ने राज्य सरकार की ओर से दायर पुनर्विचार याचिका में पारित आदेशों के अनुसार इस फैसले पर रोक लगा दी थी। इस रोक के बाद बीएड डिग्री धारक फि र से इन पदों की दौड़ से बाहर हो गए थे। बीएड डिग्री धारक याचिकाकर्ताओं ने मांग की थी कि उन्हें भी जेबीटी भर्ती के लिए योग्य समझा जाए। वो बीएड डिग्री धारक होने के साथ टेट उत्तीर्ण भी हैं और एनसीटीई के नियमों के तहत जेबीटी शिक्षक बनने के लिए पात्रता रखते हैं। ज्ञात रहे कि एनसीटीई के नियमों के तहत बीएड डिग्री धारक जेबीटी के पदों की भर्ती के लिए सशर्त पात्र बनाए गए हैं। उन्हें नियुक्ति प्राप्त करने के बाद 6 महीने का अतिरिक्त ब्रिज कोर्स करना होगा।
जोनल अस्पताल धर्मशाला में करीब एक माह से सर्जरी विशेषज्ञ न होने से मरीज़ों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। सर्जरी विशेषज्ञ न होने के कारण ओपीडी पिछले एक माह से बंद हैं। मरीजों को सर्जरी के लिए टांडा अस्पताल भेजा जा रहा। वही, इसके चलते टांडा अस्पताल में रोजाना उपचार के लिए आने वाले मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। ऐसे हालात में धर्मशाला से टांडा अस्पताल जाने वाले मरीजों को लम्बी कतारों में खड़े रह कर अपनी बारी के लिए इंतजार करना पड़ रहा है। इन सभी परेशानियों को देखते हुए मरीजों ने सरकार से मांग की है कि धर्मशाला अस्पताल में जल्द से जल्द सर्जरी विशेषज्ञ को नियुक्ति किया जाए। क्षेत्रीय अस्पताल धर्मशाला के वरिष्ठ चिकित्सा अधीक्षक डॉ. राजेश गुलेरी ने बताया कि अस्पताल में सर्जरी और ईएनटी विशेषज्ञ के खाली पदों का मामला प्रदेश सरकार के ध्यान में लाया गया है। सरकार से इन पदों को जल्द भरने का अनुरोध किया गया है।