**हाईकोर्ट ने सांसद हर्ष महाजन को 2 सप्ताह में रिप्लाई फाइल करने के दिए आदेश कांग्रेस नेता और वकील अभिषेक मनु सिंघवीकी ओर से दायर राज्यसभा चुनाव रद्द करने वाली याचिका के मामले में हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने बड़ा आदेश दिया है। हाईकोर्ट ने राज्यसभा चुनाव रद्द करने वाली याचिका के खिलाफ डाली गई सांसद हर्ष महाजन की डिस्मिसल एप्लीकेशन की पिटीशन खारिज कर दी है। हाईकोर्ट ने सांसद हर्ष महाजन को 2 सप्ताह में रिप्लाई फाइल करने के आदेश भी दिए हैं। अभिषेक मनु सिंघवी ने हिमाचल प्रदेश की एक सीट पर हुए राज्यसभा चुनाव में ड्रा ऑफ लॉट्स नियम को चुनौती देते हुए को हाईकोर्ट में याचिका दायर की है. हिमाचल प्रदेश से राज्यसभा का चुनाव हारने के बाद अभिषेक मनु सिंघवी को कांग्रेस ने तेलंगाना से अपना प्रत्याशी बनाया था. अब वे तेलंगाना से राज्यसभा सांसद बन चुके हैं. सिंघवी कांग्रेस नेता होने के साथ सुप्रीम कोर्ट के जाने-माने वकील भी हैं. इससे पहले उनके आम आदमी पार्टी से भी राज्यसभा जाने की चर्चा थी, लेकिन आम आदमी पार्टी अपने किसी सांसद से सीट खाली नहीं करवा सकी थी. हिमाचल प्रदेश की एक राज्यसभा सीट पर 27 फरवरी को चुनाव हुआ. नियमों के मुताबिक, विधानसभा के सदस्यों ने राज्यसभा चुनाव की वोटिंग में भाग लिया. सभी 68 विधायकों ने राज्यसभा चुनाव में वोट डाले. विधानसभा में कांग्रेस का बहुमत होने के बावजूद भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी हर्ष महाजन ने राज्यसभा सांसद के तौर पर जीत हासिल कर ली.दरअसल, कांग्रेस के छह विधायकों ने राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग की. इसके अलावा तीन निर्दलीय विधायकों ने भी भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी का साथ दिया. चूंकि राज्यसभा चुनाव में पार्टी का व्हिप भी लागू नहीं होता. ऐसे में कांग्रेस विधायकों ने खुलकर बीजेपी प्रत्याशी के पक्ष में वोट किया. कांग्रेस के छह और तीन निर्दलीय विधायकों का वोट बीजेपी प्रत्याशी के पक्ष में जाने की वजह से वोटों की संख्या 34-34 हो गई. यानी कांग्रेस प्रत्याशी अभिषेक मनु सिंघवी को भी 34 और बीजेपी प्रत्याशी हर्ष महाजन को भी 34 वोट मिले. दोनों पक्षों को 34-34 वोट मिलने के बाद चुनाव आयोग ने यहां राज्यसभा चुनाव की प्रक्रिया पूर्ण करने के लिए ड्रॉ ऑफ लॉट्स नियम का इस्तेमाल किया. ड्रॉ ऑफ लॉट्स नियम के तहत दोनों प्रत्याशियों के नाम पर्ची में लिखे गए. इसके बाद नियमों के मुताबिक जिस प्रत्याशी का नाम पर्ची में आया, वह चुनाव हार गया. इसका यही नियम है. जिसका नाम पर्ची में आता है, वह चुनाव हार जाता है. इस पर्ची में कांग्रेस प्रत्याशी डॉ. अभिषेक मनु सिंह जी का नाम आया और वे चुनाव हार गए. उस समय अभिषेक मनु सिंघवी ने अपनी हार स्वीकार की, लेकिन बाद में उन्होंने इस नियम को चुनौती देते हुए कोर्ट में याचिका दायर की. इसी याचिका पर हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय में सुनवाई चल रही है.
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बड़ा ऐलान कर दिया है. उन्होंने अगले दो दिन में सीएम के पद से इस्तीफा देने की घोषणा की है. उन्होंने कहा कि अगले दो दिन में विधायक दल की बैठक होगी और नए मुख्यमंत्री का चयन किया जाएगा. अगला सीएम भी आम आदमी पार्टी से ही कोई होगा. सीएम अरविंद केजरीवाल ने आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं और जनता को संबोधित करते हुए कहा, "जब तक जनता की अदालत में जीत नहीं जाता हूं, तब तक मैं सीएम नहीं बनूंगा. मैं चाहता हूं कि दिल्ली का चुनाव नवंबर में हो. जनता वोट देकर जिताए, उसके बाद मैं सीएम की कुर्सी पर बैठूंगा." 'ना झुकेंगे ना रुकेंगे और ना बिकेंगे'- CM केजरीवाल आप कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा, "जनता के आशीर्वाद से बीजेपी के सारे षड्यंत्र का मुकाबला करने की ताकत रखते हैं. बीजेपी के आगे हम ना झुकेंगे, ना रुकेंगे और ना बिकेंगे. आज दिल्ली के लिए कितना कुछ कर पाए क्योंकि हम ईमानदार हैं. आज ये (बीजेपी) हमारी ईमानदारी से डरते हैं क्योंकि ये ईमानदार नहीं है." मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आगे कहा, "मैं 'पैसे से सत्ता और सत्ता से पैसा' इस खेल का हिस्सा बनने नहीं आया था. दो दिन बाद मैं CM पद से इस्तीफा दे दूंगा. कानून की अदालत से मुझे इंसाफ मिला, अब जनता की अदालत मुझे इंसाफ देगी." 'हमारे बड़े-बड़े दुश्मन हैं' सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि उन्हें वॉर्निंग दी गई कि अगर दूसरी बार लेटर लिखा तो जेल में फैमिली से मुलाकत बंद कर दी जाएगी. सीएम ने कहा, "हमारे बड़े-बड़े दुश्मन हैं. सत्येंद्र जैन और अमानतुल्ला खान भी जल्द बाहर आएंगे. हम लोगों के ऊपर भगवान भोलेनाथ का हाथ है, उनका आशीर्वाद साथ रहता है." अरविंद केजरीवाल ने कहा कि वे जनता के बीच जाएंगे औऱ जनता की अदालत उनके मुख्यमंत्री होने या न होने का फैसला करेगी। आम आदमी पार्टी की रैली को संबोधित करते हुए केजरीवाल ने कहा कि वे जनता के बीच जाएंगे। वे जनता से पूछेंगे कि आप मुझे ईमानदार मानते हो भ्रष्ट। जनता के फैसले के बाद ही वे आगे कोई निर्णय करेंगे।
अभियंता दिवस (इंजीनयर्स डे) 15 सितंबर को देश भर के इंजीनियर्स को सम्मान देने के लिए मनाया जाता है। भारत रत्न मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया भारत वंश के महान इंजीनियर थे, जिन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए उनके जन्म दिवस के दिन यह दिवस मनाया जाता है। एक इंजीनियर के रूप में उन्होंने बहुत से अद्भुत काम किए। विश्वेश्वरैया ने 1917 में बैंग्लोर में सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज की स्थापना की, यह देश का पहला सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज था। मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया को बतौर इंजीनियर सफलतापूर्वक अपना काम करने के लिए 1955 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया। यह दिन आधुनिक भारत की रचना में अपना बड़ा सहयोग देने वाले मोक्षगुंडम व भारत के सभी प्रतिभाशील इंजीनियर्स के नाम समर्पित है। मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया प्रेरणा है हर हिंदुस्तानी के लिए : विश्वेश्वरैया का जन्म 15 सितम्बर को 1860 में मैसूर रियासत में हुआ। विश्वेश्वरैया ने प्रारंभिक शिक्षा जन्मस्थान से ही पूरी की। आगे की पढ़ाई के लिए उन्होंने बंगलूर के सेंट्रल कॉलेज में प्रवेश लिया। इंजीनियरिंग पास करने के बाद विश्वेश्वरैया को बॉम्बे सरकार की तरफ से जॉब का ऑफर आया, और उन्हें नासिक में असिस्टेंट इंजिनियर के तौर पर काम मिला। मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया एमवी के नाम से भी विख्यात हैं। जब वह केवल 32 वर्ष के थे, उन्होंने सिंधु नदी से सुक्कुर कस्बे को पानी की पूर्ति भेजने का प्लान तैयार किया जो सभी इंजीनियरों को पसंद आया। एमवी ने इस बाँध के लिए नए ब्लॉक सिस्टम का भी इजाद किया जो बाढ़ के पानी को भी रोकने में सक्रिय था। उनके इस निर्माण की सराहना उस दौरान ब्रिटिश सरकार ने भी की। कृष्णराजसागर बांध के निर्माण के दौरान देश में सीमेंट नहीं बनता था, इसके लिए मोर्टार भी तैयार किया गया जो सीमेंट से ज्यादा मजबूत था। एमवी शिक्षा की महत्तवता को अच्छी तरह समझते थे और वे समझते थे कि एक व्यक्ति की गरीबी का मुख्य कारण अशिक्षित होना ही है। उनके ही अथक प्रयासों के चलते मैसूर विश्वविद्यालय की स्थापना हुई जो देश के सबसे पुराने विश्वविद्यालयों में से एक है। उन्होंने कई इंजीनियरिंग कॉलेजों का निर्माण करवाया ताकि देश में विकास कि गति को बढ़ाया जा सके। पहले से मौजूद उद्योगों जैसे सिल्क, संदल, मेटल, स्टील आदि को जापान व इटली के विशेषज्ञों की मदद से और भी अधिक विकसित किया गया ।1912 में विश्वेश्वरैया को मैसूर के महाराजा ने दीवान यानी मुख्यमंत्री नियुक्त किया गया। मैसूर का दिल थे विश्वेश्वरैया, आज भी किया जाता है याद : विश्वरैय्या ने मैसूर को एक अलग पहचान दिलवाने व रियासत के विकास में एक हैं भूमिका निभाई। कृष्णराज सागर बांध, भद्रावती आयरन एंड स्टील वर्क्स, मैसूर संदल ऑयल एंड सोप फ़ैक्टरी, मैसूर विश्वविद्यालय, बैंक ऑफ़ मैसूर समेत कई संस्थान उनकी कोशिशों का नतीजा हैं। विश्वेश्वरैया लोगों की समस्याओं जैसे अशिक्षा, गरीबी, बेरोजगारी, बीमारी आदि को लेकर भी चिंतित थे। फैक्टरियों का अभाव, सिंचाई के लिए वर्षा जल पर निर्भरता तथा खेती के पारंपरिक साधनों के प्रयोग के कारण समस्याएं जस की तस थीं। इन समस्याओं के समाधान के लिए विश्वेश्वरैया ने इकॉनोमिक कॉन्फ्रेंस के गठन का सुझाव दिया एवं आर्थिक स्तिथि सुधारने के लिए उन्होंने बैंक ऑफ मैसूर खुलवाया। उनके ही अथक प्रयासों के चलते मैसूर विश्वविद्यालय की स्थापना हुई जो देश के सबसे पुराने विश्वविद्यालयों में से एक है। उन्होंने कई इंजीनियरिंग कॉलेजों का निर्माण करवाया ताकि देश में विकास कि गति को बढ़ाया जा सके। पहले से मौजूद उद्योगों जैसे सिल्क, संदल, मेटल, स्टील आदि को जापान व इटली के विशेषज्ञों की मदद से और भी अधिक विकसित किया गया । 1912 में विश्वेश्वरैया को मैसूर के महाराजा ने दीवान यानी मुख्यमंत्री नियुक्त किया गया। वह रेल की पटरी और एक अनोखा मुसाफिर : विश्वरैय्या के बारे में एक और कहानी प्रचलित है। कहा जाता है कि अंग्रेज़ों के शासन काल के दौरान एक ब्रिटिश भारतीय रेल गाड़ी सफर के मध्य में थी। जहाँ ज़्यादातर मुसाफिर ब्रिटिश थे वहीं एक हिन्दुस्तानी मुसाफिर भी वहां मौजूद था। साधारण वेशभूषा , साँवलका रंग, छोटा कद और गंभीर अभिव्यक्ति। उस व्यक्ति को अनपढ़ समझ कर सभी उसका मज़ाक उड़ा रहे थे परन्तु उसे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ रहा था तभी अचानक उस व्यक्ति ने उठ कर ट्रेन की इमरजेंसी चेन खींच दी। चेन खींचने पर सभी अन्य यात्रियों ने उन्हें भला बुरा कहना शुरू कर दिया। गार्ड ने व्यक्ति से चेन खींचने के कारण पर सवाल किया। व्यक्ति ने कहा "मेरा अनुमान है यहाँ से कुछ दूर पटरी टूटी हुई है" और जब इसके बाद पटरी का निरीक्षण किया गया तो वाकई पटरी कुछ हिस्सों से टूटी हुई थी व उसके पेंच खुले हुए थे। उस व्यक्ति ने यह अनुमान रेलगाड़ी के चलने से आ रही आवाज़ की ध्वनि से लगाया। इस तरह उस व्यक्ति ने कई लोगों की जान बचाई और ट्रेन हादसे को होने से रोका। यह अद्धभुत व्यक्ति कोई और नहीं बल्क़ि एमवी ही थे। कैसा होता देश अगर इंजीनयर्स न होते : इंजीनियर्स के बिना आज के भारत की कल्पना भी कर पाना मुश्किल होता। कैसा होता वह देश जहाँ एक भी बाँध न होता,देश की सुरक्षा के लिए सैनिक हथियार न होते, बिजली न होती, रेल मार्ग न होते, गाँवों को शहरों से जोड़ती सड़क न होती, यातायात के आधुनिक साधन न होते। कितना मुश्किल होता देश का विकास इंजीनियर्स के इस महान योगदान के बिना। जहाँ एक और देश को डिजिटल किया जा रहा है वहीँ यह सोचना भी ज़रूरी है कि क्या यह काम भी कभी इंजीनियर्स के बिना हो पाता। कोरोना काल में मिल रही वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग कि सुविधा भी इंजीनयर्स कि ही देन है जिसके कारण रोज़-मर्रा की ज़िन्दगी बे-हद आसान हो गई है।
**संशोधन कर सभी 6 पूर्व कांग्रेसी विधायकों की मौजूदा टर्म की पेंशन बंद करने की कवायद में जुटी सरकार **बगैर पेंशन रह जायेंगे एक बार के विधायक चैतन्य और देवेंद्र भुट्टो मुख़ालिफ़त से मिरी शख़्सियत सँवरती है मैं दुश्मनों का बड़ा एहतिराम करता हूँ 6 पूर्व कांग्रेसी विधायकों की मुखालफत के बावजूद सरकार बचाकर सीएम सुक्खू ने अपनी शख़्सियत तो संवार ली लेकिन इन नेताओं पर कोई एहतिराम करने का उनका इरादा नहीं है. तथाकथित मिशन लोटस के तहत सरकार गिराने की साजिश की जांच से तो उक्त सभी 6 और तीन पूर्व निर्दलीय विधयक गुजर ही रहे है, मगर अब सुक्खू सरकार ने कांग्रेस के 6 पूर्व विधयाकों की पेंशन बंदी की तैयारी भी कर ली है. दरअसल, मंगलवार को सदन में विधानसभा सदस्यों के भत्ते एवं पेंशन अधिनियम 1971 में संशोधन का प्रावधान लाया गया और आज संभवतः ये पास भी हो जाएगा. 68 सदस्यों वाली हिमाचल विधानसभा में कांग्रेस के 40 विधायक है, ऐसे में इस संशोधन बिल को पास करने में सत्तारूढ़ दल को कोई परेशानी नहीं होगी. फिर मंजूरी के लिए इसे राज्यपाल के पास भेजा जायेगा और उनकी मंजूरी मिलते ही ये कानून का रूप ले लेगा. अयोग्य घोषित विधायकों की पेंशन बंद करने का यह देश में ऐसा पहला कानून होगा. दरअसल, राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस के 6 पूर्व विधायकों ने क्रॉस वोट किया था, जिसके चलते बहुमत होने के बावजूद सत्तारूढ़ कांग्रेस के प्रत्याशी अभिषेक मनु सिंघवी चुनाव हार गए थे. सुक्खू सरकार की जमकर किरकिरी तो हुई ही थी, सरकार पर भी संकट मंडराने लगा था. क्रॉस वोट के बाद इन 6 विधायकों पर पार्टी व्हिप के उल्लंघन के आरोप भी लगे और विधानसभा अध्यक्ष ने इन्हे संविधान की अनुसूची 10 के तहत अयोग्य घोषित कर दिया. उक्त सभी 6 विधायक फिर विधिवत रूप से भाजपाई हो गए और उपचुनाव में भाजपा का टिकट भी ले आएं. किन्तु इनमें से सिर्फ दो, सुधीर शर्मा और इंद्र दत्त लखनपाल ही वापस जीतकर विधानसभा पहुंचे. राजेंद्र राणा, रवि ठाकुर , देवन्द्र भुट्टो और चैतन्य शर्मा चुनाव हार गए. अब सुक्खू सरकार मन बना चुकी है कि विधानसभा सदस्यों के भत्ते एवं पेंशन अधिनियम में संशोधन कर इन सभी 6 विधायकों की मौजूदा टर्म की न सिर्फ पेंशन बंद कर दी जाएँ बल्कि इन के द्वारा अब तक ली गई रकम की रिकवरी भी हो. ऐसे में 2022 में पहली बारे चुने गए चैतन्य शर्मा और देवन्द्र भुट्टों की पेंशन बंद हो जाएगी, जबकि अन्य चार पूर्व कांग्रेसी विधायकों की मौजूदा टर्म की पेंशन बंद होगी. वहीँ, तीन अन्य पूर्व निर्दलीय विधायक इसके दायरे में नहीं आएंगे.
**प्रदेश सरकार ने लिया फैसला **मेडिकल कॉलेजो में रेजिडेंट डॉक्टर की ड्यूटी शाम 7 बजे से पहले होगी चेंज हिमाचल प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में रेजिडेंट डॉक्टर अब 12 घंटे से ज्यादा ड्यूटी नहीं देंगे। इसमें ऑन काल ड्यूटी भी शामिल होगी। सरकार की ओर से वीरवार को यह निर्देश जारी किए गए हैं। वहीं आदेश संबंधी कॉपी मेडिकल कॉलेजों के प्राचार्य को भी भेजी गई हैं। आदेश में स्पष्ट किया गया है कि नए रोस्टर के हिसाब से रेजिडेंट डॉक्टरों की ड्यूटी लगाई जाए। इसके अलावा इन आदेशों की अनुपालना रिपोर्ट एक सप्ताह के भीतर सरकार को भेजी जाए। अभी तक आईजीएमसी, चमियाना, टांडा समेत अन्य मेडिकल कॉलेजों में चिकित्सक 36-36 घंटे तक ड्यूटी करते हैं। लगातार ड्यूटी देने और काम के बोझ के चलते मानसिक रूप से परेशान रहते हैं। ऐसे में अब रेजिडेंट डॉक्टरों के लिए सरकार ने काम के घंटे निर्धारित किए हैं। इसके अलावा सरकार ने नए आदेशों में यह भी स्पष्ट किया है कि सुरक्षा के लिहाजा से शाम 7:00 बजे से पहले ही रेजिडेंट डॉक्टर की ड्यूटी चेंज हो जानी चाहिए। बता दें कि कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में हुए जघन्य अपराध के बाद रेजिडेंट डॉक्टरों ने काम के घंटे और सुरक्षा का मुद्दा उठाया था। इसके बाद बाद सरकार हरकत में आई और वीरवार को यह फैसला सरकार ने लिया हैं। अस्पतालों में सेवाएं देने वाले चिकित्सक, जो आज काफी ऊंचे ओहदों पर पहुंच गए हैं, उनका भी कहना है कि यह सिस्टम सदियों पुराना था। लिहाजा अब इस सिस्टम के बदलने के बाद रेजिडेंट डॉक्टरों को राहत मिलेगी। वहीं काम को लेकर मानसिक रूप से बोझ बना रहता था, वह भी कम होगा।
** रिसेप्शन पर पहले आएगी मेल, तभी मिलेगी मंजूरी हिमाचल में अगर आम लोगों को मुख्यमंत्री से कोई काम है तो वे सचिवालय आने के कार्यक्रम को स्थगित कर दें। सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू आधिकारिक व्यस्तताओं के कारण आज आम जनता की समस्याएं नहीं सुन पाएंगे। ये जानकारी मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से जारी की गई है। सीएम सुक्खू हर शुक्रवार को आम जनता से मिलकर उनकी समस्याओं को सुनते हैं। ऐसे में इस दिन प्रदेश भर के लोग अपनी समस्याओं के समाधान के लिए मुख्यमंत्री से मिलने के लिए सचिवालय आते हैं। बता दें कि सीएम कार्यालय में सप्ताह भर लोगों की भीड़ न जुटे, इसलिए लोगों की सुविधा के लिए सचिवालय में बुधवार और शुक्रवार को खुला दरबार लगाने की व्यवस्था की गई है। इस दौरान बुधवार को मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू कांग्रेस संगठन से जुड़े लोगों से मिलते हैं और शुक्रवार को सीएम आम जनता से मिलकर उनकी समस्याओं को सुनते हैं। हिमाचल प्रदेश सचिवालय में आम जनता के प्रवेश के नियम बदल गए हैं। सचिवालय में रोजाना जुटने वाली अत्याधिक भीड़ को देखते हुए अब मंत्रियों और मुख्य संसदीय सचिवों से कार्यालयों में मिलने के लिए लोगों को पहले अनुमति लेनी होगी। इसके लिए मिलने आने वाले लोगों को पहले रिसेप्शन से संबंधित मंत्री या सीपीएस व अन्य अधिकारियों की शाखा को फोन करना होगा। इस दौरान अगर किसी से मिलना जरूरी होगा तो प्रवेश के लिए संबंधित कार्यालय से ईमेल भेजी जाएगी। इस औपचारिकता को पूरा करने के बाद ही सचिवालय में प्रवेश के लिए पास जारी किया जाएगा। ये व्यवस्था सुबह 10 से दोपहर बाद 1 बजे तक लागू रहेगी। इसके बाद मिलने वाले लोगों के लिए पहले की तरह ही पास बनेंगे। प्रदेश सचिवालय में लोगों की रोजाना अत्यधिक भीड़ जुटती है। इसमें बहुत से लोग तो मंत्रियों और सीपीएस से जरूरी काम होने पर ही सचिवालय आते हैं, लेकिन ऐसे भी कई लोग हैं जो रोजाना अनावश्यक ही सचिवालय के अंदर और बाहर चक्कर काटते हैं। ऐसे में बेकार ही सचिवालय की शाखाओं में घूमने से काम प्रभावित होता है। इसको देखते हुए सचिवालय प्रशासन विभाग ने नई व्यवस्था को लागू किया है, जिसमें रिसेप्शन से फोन कर पहले प्रवेश के लिए मंजूरी लेना जरूरी है। मुख्यमंत्री के सलाहकारों, ओएसडी से भी मुलाकात के लिए भी नई व्यवस्था के अंतर्गत प्रवेश दिया जाएगा।
** केके पंत को मिला अतिरिक्त मुख्य सचिव वन का जिम्मा हिमाचल प्रदेश सरकार ने सिविल सेवा बोर्ड की सिफारिशों पर 7 IAS अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग के आदेश जारी किए हैं। इसको लेकर मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना ने बकायदा अधिसूचना जारी की है। यह अधिसूचना 20 अगस्त को जारी की गई। सेंट्रल डेप्युटेशन से लौटे केके पंत को अतिरिक्त मुख्य सचिव वन का जिम्मा सौंपा गया है। पंत को फाइनेंशियल कमिश्नर अपील का जिम्मा भी सौंपा गया है। यह अतिरिक्त प्रभार के तौर पर रहेगा। डॉ. अभिषेक जैन को डिजिटल टेक्नॉलजी का सेक्रेटरी बनाया गया है। इसके अलावा वह फाइनेंस, प्लानिंग, 20 सूत्री कार्यक्रम के सेक्रेटरी के तौर पर भी जिम्मा संभालेगें। स्वास्थ्य सचिव एम सुधा देवी को सचिव कार्मिक का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया है। इसके अलावा सीपी वर्मा को राज्यपाल का सचिव लगाया गया है। राज्यपाल के पूर्व सचिव राजेश शर्मा को "ग्रामीण विकास और पंचायती राज" सचिव का जिम्मा सौंपा गया है। आईएएस अधिकारी प्रियंका बसु इंग्टी को "सचिव श्रम एवं रोजगार, मुद्रण एवं स्टेशनरी, मत्स्य पालन और युवा सेवाएं एवं खेल" का जिम्मा सौंपा गया है। IAS राकेश कंवर को "शिक्षा, पशुपालन, भाषा, कला और संस्कृति" का सचिव बनाया गया है। इसके अलावा इनके पास एमपीपी एवं पावर और एनसीईएस का अतिरिक्त कार्यभार रहेगा।
** 150 लोग परिवार के संपर्क में नहीं उत्तराखंड में बादल फटने से मची तबाही में फंसे लोगों को बचाने के अभियान में वायुसेना के चिनूक और एमआई17 हेलिकॉप्टरों को भी उतार दिया गया है। केदारनाथ के रास्ते में फंसे 6,980 से अधिक तीर्थयात्रियों को अब तक सुरक्षित निकाला जा चुका है, जबकि अभी 1,500 से अधिका श्रद्धालु और स्थानीय लोग रास्ते में जहां-तहां फंसे हुए हैं। इनमें से 150 लोगों से उनके परिजनों का संपर्क नहीं हो पा रहा है। वहीं, हिमाचल प्रदेश में बादल फटने से तीन जिलों में आई तबाही में मरने वालों की संख्या 8 हो गई है और 45 लोग अभी भी लापता है, जिनकी तलाश तेज कर दी गई है।सोनप्रयाग की पुलिस अधीक्षक डॉ. विशाखा अशोक भदाणे ने बताया कि अतिवृष्टि से अभी तक एक यात्री की मौत होने की सूचना है। इसके अलावा अन्य कोई हताहत नहीं हुआ है। 150 से अधिक लोगों के परिजनों ने पुलिस को बताया कि उनका अपने लोगों से संपर्क नहीं हो पा रहा है। ये सभी केदारनाथ यात्रा पर आए थे। इन लोगों में कई स्थानीय भी हैं। एसपी का कहना है कि क्षेत्र में मोबाइल कनेक्टिविटी नहीं होने से भी लोगों से संपर्क नहीं हो पा रहा है। इससे पहले, राज्य के आपदा सचिव विनोद कुमार सुमन ने बताया था कि केदारनाथ में अभी 1,000 लोग फंसे हैं, लेकिन वे पूरी तरह से सुरक्षित हैं। वहां आपदा जैसी कोई स्थिति नहीं है।केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री धामी से टेलीफोन पर बात की। उन्होंने आपदा के बाद चल रहे राहत और बचाव कार्यों की जानकारी ली। साथ ही हालात से निपटने में हर संभव मदद का भरोसा दिया। सीएम धामी ने बताया कि उनके आग्रह पर वायुसेना के चिनूक और एमआई 17 हेलिकॉप्टर भी बचाव अभियान में जुट गए हैं। वायुसेना के हेलिकॉप्टर के साथ ही पैदल मार्ग से भी तेजी से बचाव कार्य चल रहा है। अधिकारियों ने बताया कि शुक्रवार को 599 लोगों को हवाई मार्ग से और 2,380 को पैदल मार्ग से सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया। सोनप्रयाग के जिलाधिकारी सौरभ गहरवार ने बताया कि पैदल मार्ग से निकाले गए यात्रियों को छोटे-बड़े वाहनों से ऋषिकेश भेजा जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग ने गौरीकुंड, सोनप्रयाग और शेरसी में 286 बीमार यात्रियों का इलाज भी किया। बुधवार रात करीब साढ़े नौ बजे लिनचोली के समीप जंगलचट्टी में बादल फटने से गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल रास्ते पर भारी बारिश के बाद भीमबली में 20-25 मीटर का मार्ग बह गया तथा पहाड़ों से बड़े-बड़े पत्थर आ गए। इसके बाद रामबाड़ा, भीमबली लिनचोली का रास्ता पूरी तरह से बंद हो गया था। बादल फटने से केदारनाथ यात्रा रूट पर 30 मीटर की सड़क मंदाकिनी नदी में समा गई है। इसके चलते बड़ी संख्या में तीर्थयात्री गौरीकुंड-केदारनाथ यात्रा मार्ग पर भीमबली से आगे फंस गए थे।
मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने आज कहा कि प्रदेश सरकार ने हिमाचल प्रदेश राज्य चयन आयोग को विभिन्न श्रेणियों के 21 पोस्ट कोड के परिणाम घोषित करने को स्वीकृति प्रदान की है। ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि आयोग फॉरेंसिक्स सेवाएं विभाग में लैब असिस्टेंट (बायो एंड सीरोलॉजी) (पोस्ट कोड 961), भू-रिकॉर्ड विभाग में असिस्टेंट कम्प्यूटर प्रोग्रामर (पोस्ट कोड 966), तकनीकी शिक्षा एवं व्यवसायिक प्रशिक्षण विभाग में होस्टल अधीक्षक एवं पीटीआई (पोस्ट कोड 968), खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग में इंस्पेक्टर लीगल मेटिरियोलॉजी (पोस्ट कोड 969), मत्स्य विभाग में मत्स्य अधिकारी (पोस्ट कोड 978) और मुद्रण एवं स्टेशनरी विभाग में कॉपी होल्डर (पोस्ट कोड 982) के परिणाम सहित धर्मशाला नगर निगम में सफाई सुपरवाइजर (पोस्ट कोड 986), हिमाचल प्रदेश सामान्य उद्योग निगम में असिस्टेंट केमिस्ट (पोस्ट कोड 987), वर्कशॉप इंस्पेक्टर (वेल्डिंग) (पोस्ट कोड 991), वर्कशॉप इंस्ट्रक्टर (पैट्रन मेकिंग) (पोस्ट कोड 992), वर्कशॉप प्रशिक्षक (मशीनिस्ट) (पोस्ट कोड 993), मनोवैज्ञानिक एवं पुनर्वास अधिकारी (पोस्ट कोड 994), तकनीकी शिक्षा में वर्कशॉप प्रशिक्षक (पोस्ट कोड 997), हिमाचल प्रदेश राज्य सहकारी कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक लिमिटेड में आशुटंकक (पोस्ट कोड 995), हिमाचल पथ परिवहन निगम में जेओए (अकाउंट्स) (पोस्ट कोड 996), विधि अधिकारी (पोस्ट कोड 999), तकनीकी विश्वविद्यालय हमीरपुर जेओए (आईटी) (पोस्ट कोड 1000), हिमाचल प्रदेश मानव अधिकार आयोग में कनिष्ठ आशुलिपिक (पोस्ट कोड 1001), सहकारिता विभाग में किन्नौर जिला सहकारी विपणन एवं संघ लिमिटेड टापरी में सचिव (पोस्ट कोड 1002), जेई (आरकियोलॉजी) (पोस्ट कोड 1004) तथा भाषा, कला एवं संस्कृति विभाग में प्रिज़र्वेशन असिस्टेंट (पोस्ट कोड 1006) के परिणाम घोषित करेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार राज्य के युवाओं को योग्यता के आधार पर रोज़गार के अवसर उपलब्ध करवाने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि सत्ता में आने के उपरांत प्रदेश के युवाओं के लिए सरकारी क्षेत्र में 30 हजार पद सृजित किए गए और इन पदों को भरने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। उन्होंने कहा कि पिछली भाजपा सरकार ने रोजगार के नाम पर युवाओं को केवल ठगने का काम किया और पांच वर्ष के कार्यकाल के दौरान सरकारी क्षेत्र में केवल 20 हजार नौकरियां सृजित की गई, जिनमें से अधिकतर कानूनी दाव-पेच में फंस गई।
राज्य सरकार के प्रयासों से विद्यार्थियों में जागृत होगी देशभक्ति की भावनाः मुख्यमंत्री प्रदेश सरकार विद्यार्थियों का समग्र एवं समावेशी विकास सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। विद्यार्थियों में राष्ट्रीयता और देशभक्ति की भावना जागृत करने के लिए राज्य सरकार ने प्रदेश के सभी स्कूलों में राष्ट्रगान के साथ प्रातःकालीन प्रार्थना सभा आयोजित का निर्णय लिया है। इसके अतिरिक्त, सभी उच्च और वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालयों में प्रतिदिन अनिवार्य रूप से राष्ट्रीय ध्वज फहराने का भी निर्णय लिया गया है। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि इस प्रकार की गतिविधियों से युवा पीढ़ी में एकता और देशभक्ति की भावना जागृत हो। इससे विद्यार्थी भविष्य में राष्ट्र के जिम्मेदार नागरिक बनेंगे। उन्होंने कहा कि वर्तमान प्रदेश सरकार ने कार्यभार ग्रहण करने के उपरांत शिक्षा प्रणाली में विभिन्न सुधारात्मक कदम उठाए हैं और शिक्षा प्रणाली में इन निर्णयों के सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं। प्रदेश सरकार ने विद्यार्थियों का शारीरिक विकास सुनिश्चित करने के लिए शारीरिक शिक्षा और योग को पाठ्यक्रम में अनिवार्य विषय बनाने का निर्णय लिया है। इससे सभी स्कूलों में विद्यार्थी प्रतिदिन कम से कम 15 मिनट शारीरिक व्यायाम करेंगे। इस दौरान शारीरिक शिक्षक एवं अन्य अध्यापक विद्यार्थियों को व्यायाम करवाना सुनिश्चित करेंगे। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य एवं आयुष विभाग के सहयोग से विद्यार्थियों को सीपीआर एवं प्राथमिक उपचार का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा, जिससे विद्यार्थियों कोे जीवन रक्षक कौशल का ज्ञान मिलेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह सुधार राज्य सरकार की समग्र शिक्षा प्रदान करने की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करते हैं। प्रदेश सरकार की पहल से विद्यार्थियों को शैक्षणिक ज्ञान के साथ-साथ शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत बनाने और उनमें आदर्श नागरिक की जिम्मेदारियां पैदा करने में सहायता मिलेगी। सरकार का लक्ष्य विद्यार्थियों की दिनचर्या में इन गतिविधियों को शामिल कर उनमें राष्ट्रीयता की भावना जागृत कर अखंड भारत के निर्माण के लिए तैयार करना है।
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को मंत्रिमंडल से तुरंत हटाने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि जिन्हें बजट गणना की मूल बातें भी नहीं पता हैं, ऐसे लोगों के हाथ में वित्तीय लेखा-जोखा देना बहुत खतरनाक फैसला है। बजट संबंधी बुनियादी जानकारी के बिना सीतारमण को वित्त मंत्री बनाए रखना सही नहीं है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने निर्मला सीतारमण की रविवार की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बारे में बोलते हुए वित्त मंत्री की आलोचना की। इसके साथ ही कहा कि वे मोदी सरकार की तरफ से कर्नाटक के साथ किए गए अन्याय को छिपाने के लिए काफी प्रयास कर रही हैं। कर्नाटक के सीएम ने कहा कि सीतारमण के भ्रामक बयानों से आखिरकार यह पता चलता है कि केंद्र सरकार ने कर्नाटक को काफी कम सहायता दी है। मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि सीतारमण के अनुसार, पिछली यूपीए सरकार (2004-2014) ने कर्नाटक को 60,779 करोड़ रुपये दिए थे, जबकि एनडीए सरकार (2014-2024) ने 2,36,955 करोड़ रुपये दिए। हालांकि, वे यह बताना भूल गए हैं कि पिछले दस वर्षों में केंद्र सरकार के बजट का आकार कितना बढ़ा है। क्या यह चूक अज्ञानता के कारण है या जनता को गुमराह करने का जानबूझकर किया गया प्रयास है, इसे स्पष्ट करने की आवश्यकता है। 2013-2014 में सेंट्रल गवर्नमेंट का बजट 16.06 लाख करोड़ रुपये था। उस समय कर्नाटक को अनुदान के रूप में 16,428 करोड़ रुपए और कर हिस्सेदारी के रूप में 15,005 करोड़ रुपए मिले थे, जो कुल 31,483 करोड़ रुपए थे, जो कुल बजट का 1.9 प्रतिशत था। 2024-2025 में सेंट्रल गवर्नमेंट का बजट साइज 48.02 लाख करोड़ रुपये है। इस अवधि के दौरान, कर्नाटक को अनुदान के रूप में 15,229 करोड़ रुपये और कर हिस्सेदारी के रूप में 44,485 करोड़ रुपए मिलेंगे जो कुल बजट का 1.2 फीसदी है। अगर कर्नाटक को 2013-2014 की तरह ही 1.9 फीसदी हिस्सा मिलता, तो राज्य को 91,580 करोड़ रुपये मिलते। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के अनुचित बर्ताव के कारण कर्नाटक को 2024-25 के लिए 31,866 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने केंद्र सरकार से कर्नाटक के कर हिस्से में वृद्धि का दावा करते हुए भ्रामक बयान दिया है। उनके अनुसार, कर्नाटक को यूपीए सरकार के दौरान 81,791 करोड़ रुपये और एनडीए सरकार (2014-2024) के दौरान 2.9 लाख करोड़ रुपये मिले। हालांकि, 14वें वित्त आयोग ने कर्नाटक का कर हिस्सा 4.72 प्रतिशत निर्धारित किया था, जिसे 15वें वित्त आयोग ने घटाकर 3.64 प्रतिशत कर दिया, जिसके परिणामस्वरूप पिछले पांच वर्षों में अकेले टैक्स हिस्से में 62,098 करोड़ रुपये का अनुमानित नुकसान हुआ। सीतारमण ने इस महत्वपूर्ण कमी को छिपाने का प्रयास किया है। सिद्धारमैया ने कहा कि 2024-25 के लिए अनुदान सहायता अभी भी यूपीए के तहत 2013-14 में प्राप्त की गई राशि से कम है। उन्होंने आगे कहा कि जीएसटी संग्रह के लिए कर्नाटक देश में दूसरे स्थान पर है और जीएसटी वृद्धि के लिए 17 प्रतिशत के साथ पहले स्थान पर है। इसके बावजूद, राज्य को एक साथ GST फंड का केवल 52 फीसदी ही प्राप्त होता है। GST के अवैज्ञानिक इंप्लीमेंटेशन के चलते, कर्नाटक को 2017-18 से 2023-2024 तक लगभग 59,274 करोड़ रुपये का घाटा हुआ। सिद्धारमैया के अनुसार, 2023-24 में, केंद्र ने करों, उपकरों और अधिभारों में कर्नाटक से 4.30 लाख करोड़ रुपये से अधिक एकत्र किए, लेकिन केवल 50-53,000 करोड़ रुपये लौटाए, जो एकत्र किए गए प्रत्येक 100 रुपये के लिए केवल 12-13 रुपये के बराबर है, जिसमें कर हिस्सेदारी के लिए 37,000 करोड़ रुपये और केंद्र प्रायोजित योजनाओं के लिए 13,005 करोड़ रुपये शामिल हैं। उन्होंने कहा कि पिछले छह वर्षों में केंद्र सरकार का बजट लगभग दोगुना हो गया है। 2018-19 में बजट 24,42,213 करोड़ रुपये था, जिसमें कर्नाटक को 46,288 करोड़ रुपये मिले. 2023-24 तक बजट बढ़कर 45,03,097 करोड़ रुपये हो गया, लेकिन कर्नाटक को केवल 50,257 करोड़ रुपये मिले। बजट दोगुना होने के बावजूद कर्नाटक का हिस्सा अपरिवर्तित रहा। उन्होंने आरोप लगाया कि कर्नाटक के साथ हुए महत्वपूर्ण अन्याय को पहचानने के बाद, 15वें वित्त आयोग ने राज्य के लिए 5,495 करोड़ रुपये के विशेष अनुदान की सिफारिश की। हालांकि, इस सिफारिश को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने खारिज कर दिया, जो कर्नाटक की प्रतिनिधि हैं। नतीजतन, कर्नाटक को अनुशंसित धनराशि नहीं मिली। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की भेदभावपूर्ण नीतियों के कारण कर्नाटक को 2017-18 से लेकर अब तक 1,87,867 करोड़ रुपये के अपने हिस्से से वंचित होना पड़ा है। यह राशि कर्नाटक के संशोधित बजट आकार 3.24 लाख करोड़ रुपये के आधे से भी अधिक है। विशेष रूप से, यह चालू वित्त वर्ष (2024-25) के बजट का 57 प्रतिशत है। भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के सत्ता में आने के बाद से यह महत्वपूर्ण वित्तीय घाटा हुआ है। इसके अलावा, 15वें वित्त आयोग ने बेंगलुरु के पेरिफेरल रिंग रोड के लिए 3,000 करोड़ रुपये और झीलों सहित जल संसाधन विकास के लिए 3,000 करोड़ रुपये की सिफारिश की थी। हालांकि, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इन सिफारिशों को खारिज कर दिया, जिसके परिणामस्वरूप राज्य को लगभग 11,495 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। कर्नाटक के सीएम ने कहा कि पिछले दस वर्षों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने विपक्षी दलों द्वारा शासित राज्यों को अनुचित तरीके से कर और अनुदान आवंटित किए हैं। यह विडंबना है कि निर्मला सीतारमण, जो कर्नाटक से राज्यसभा के लिए चुनी गई थीं, उन्होंने राज्य के हितों के खिलाफ काम किया है। उनके कामों को देखते हुए, उनके पास कर्नाटक की वित्तीय स्थिति के बारे में बोलने का नैतिक अधिकार नहीं है।
आज सोमवार को एक बार फिर से सोने के भाव में गिरावट आई है। सावन महीने के दूसरे सोमवार को सोना सस्ता हुआ है। बता दें कि देश के ज्यादातर राज्यों में पिछले एक हफ्ते के अंदर सोना 6000 रुपये तक सस्ता हुआ है। 29 जुलाई को भारत में सोने की कीमतें 70,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के आसपास है। इस रेट में हाई प्योरिटी वाले सोने के लिए प्रीमियम शामिल है, जिसमें 24 कैरेट सोने की कीमत 68,990 रुपये प्रति 10 ग्राम है। 22 कैरेट सोना की कीमत 63,240 रुपये प्रति 10 ग्राम है। इस बीच, चांदी की कीमत 84,400 रुपये प्रति किलोग्राम रही। सरकार ने हाल ही में सोने और चांदी सहित विभिन्न उत्पादों पर सीमा शुल्क में कटौती की है। कीमती धातुओं के सिक्कों, सोने/चांदी की खोज और सोने और चांदी की छड़ों पर मूल सीमा शुल्क (बीसीडी) 15 फीसदी से घटाकर 6 फीसदी कर दिया गया। सोने और चांदी के डोर के लिए इसे 14.35 फीसदी से घटाकर 5.35 फीसदी कर दिया गया। अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी सोने और चांदी के भाव में तेजी देखने को मिल रही है। शनिवार को एक औंस सोने की कीमत 2387 डॉलर थी, सोमवार तक इसमें 7 डॉलर की तेजी आई और यह 2394 डॉलर पर पहुंच गई। फिलहाल एक औंस चांदी की कीमत 28.06 डॉलर है।
राइफलमैन संजय कुमार और कैप्टेन विक्रम बत्रा को परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया कारगिल युद्ध में हिमाचल के 52 जवानों ने अपने जीवन का बलिदान दिया था। इसमें कांगड़ा जिले के सबसे अधिक 15 जवान शहीद हुए थे। मंडी जिले से 11, हमीरपुर के सात, बिलासपुर के सात, शिमला से चार, ऊना से दो, सोलन और सिरमौर से दो-दो जबकि चंबा और कुल्लू जिले से एक-एक जवान शहीद हुआ था। कारगिल युद्ध में पहले शहीद कैप्टेन सौरभ कालिया भी हिमाचल के पालमपुर से ही ताल्लुख रखते थे। हिमाचल प्रदेश के राइफलमैन संजय कुमार और कैप्टेन विक्रम बत्रा को परमवीर चक्र से भी सम्मानित किया गया। दुश्मन की मशीनगन से ही दुश्मन को भून डाला संजय कुमार ने हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले के रहने वाले संजय कुमार को इसी अदम्य साहस के लिए परमवीर चक्र का सम्मान मिला।प्वाइंट 4875 पर राइफलमैन संजय कुमार की बहादुरी ने भारतीय सेना को आगे बढ़ने का आधार दिया था। एक दिन पूर्व ही इस प्वाइंट पर संजय कुमार की चीते सी फुर्ती से दुश्मन पर कहर बनकर टूटी थी। संजय कुमार प्वाइंट 4875 पर पहुंचे ही थे कि उनका सामना दुश्मन के आटोमैटिक फायर से हो गया। संजय कुमार तीन दुश्मनों के साथ गुत्थमगुत्था हो गए। हैंड टू हैंड फाइट में संजय कुमार ने तीनों को मौत के घाट उतार दिया। दुश्मन टुकड़ी के शेष जवान घबराहट में अपनी यूनिवर्सल मशीन गन छोड़कर भागने लगे। बुरी तरह से घायल संजय कुमार ने उसी यूएमजी से भागते दुश्मनों को भी ढेर कर दिया। कैप्टेन विक्रम बत्रा की शाहदत की कसमें खाते है सैनिक पहली जून 1999 को कैप्टेन विक्रम बत्रा की टुकड़ी को कारगिल युद्ध में भेजा गया। हम्प और राकी नाब स्थानों को जीतने के बाद उसी समय विक्रम को कैप्टन बना दिया गया। इसके बाद श्रीनगर-लेह मार्ग के ठीक ऊपर सबसे 5140 चोटी को पाक सेना से मुक्त करवाने का जिम्मा भी कैप्टन विक्रम बत्रा को दिया गया।विक्रम बत्रा ने अपने साथियों के साथ 20 जून 1999 को सुबह तीन बजकर 30 मिनट पर इस चोटी को अपने कब्जे में ले लिया।विक्रम बत्रा ने जब इस चोटी से रेडियो के जरिए अपना विजय ‘यह दिल मांगे मोर’ कहा तो पुरे हिन्दुस्तान में उनका नाम छा गया। इसके बाद सेना ने चोटी 4875 को भी कब्जे में लेने का अभियान शुरू कर दिया, जिसकी बागडोर भी विक्रम को सौंपी गई। उन्होंने जान की परवाह न करते हुए लेफ्टिनेंट अनुज नैयर के साथ कई पाकिस्तानी सैनिकों को मौत के घाट उतारा। कारगिल के युद्ध के दौरान उनका कोड नाम 'शेर शाह' था। पॉइट 5140 चोटी पर हिम्मत की वजह से ये नाम मिला।कारगिल युद्ध में कैप्टन विक्रम बत्रा 7 जुलाई को शहीद हो गए।शहीद होने के बाद उन्हें परमवीर चक्र से नवाजा गया।
हिमाचल देवभूमि ही नहीं वीर भूमि भी है। हिमाचल के वीर सपूतों ने जब-जब भी जरूरत पड़ी देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहूति दी। बात चाहे सीमाओं की सुरक्षा की हो या फिर आतंकवादियों को ढेर करने की, देवभूमि के रणबांकुरे अग्रिम पंक्ति में रहे। सेना के पहले परमवीर चक्र विजेता हिमाचल से ही सम्बन्ध रखते है। कांगड़ा जिला के मेजर सोमनाथ शर्मा ने पहला परमवीर चक्र मेडल हासिल कर हिमाचली साहस से दुनिया का परिचय करवाया था। मेजर सोमनाथ ही नहीं, पालमपुर के कैप्टन विक्रम बत्रा, धर्मशाला के लेफ्टिनेंट कर्नल डीएस थापा और बिलासपुर के राइफलमैन संजय कुमार समेत प्रदेश के चार वीरों ने परमवीर चक्र हासिल कर हिमाचलियों के अदम्य साहस का परिचय दिया है। देश में अब तक दिए गए कुल 21 परमवीर चक्रों में से सबसे अधिक, चार परमवीर चक्र हिमाचल प्रदेश के नाम हैं। 1. मेजर सोमनाथ शर्मा भारतीय सेना की कुमाऊं रेजिमेंट की चौथी बटालियन की डेल्टा कंपनी के कंपनी-कमांडर मेजर सोमनाथ शर्मा ने 1947 में पाकिस्तान के छक्के छुड़ा दिए थे। मेजर सोमनाथ शर्मा को मरणोपरांत उनकी वीरता के लिए परमवीर चक्र से नवाजा गया। परमवीर चक्र विजेता मेजर सोमनाथ शर्मा का जन्म 31 जनवरी 1923 को कांगड़ा जिले में हुआ था। मेजर शर्मा मात्र 24 साल की उम्र में तीन नवंबर 1947 को पाकिस्तानी घुसपैठियों को बेदखल करते समय शहीद हो गए थे। युद्ध के दौरान जब वह एक साथी जवान की बंदूक में गोली भरने में मदद कर रहे थे तभी एक मोर्टार का गोला आकर गिरा। विस्फोट में उनका शरीर क्षत-विक्षत हो गया। मेजर शर्मा सदैव अपनी पैंट की जेब में गीता रखते थे। जेब में रखी गीता और उनकी बंदूक के खोल से उनके पार्थिव शरीर की पहचान की गई थी। 2. कैप्टेन विक्रम बत्रा विक्रम बत्रा भारतीय सेना के वो ऑफिसर थे, जिन्होंने कारगिल युद्ध में अभूतपूर्व वीरता का परिचय देते हुए वीरगति प्राप्त की। इसके बाद उन्हें भारत के वीरता सम्मान परमवीर चक्र से भी सम्मानित किया गया। ये वो जाबाज़ जवान है जिसने शहीद होने से पहले अपने बहुत से साथियों को बचाया और जिसके बारे में खुद इंडियन आर्मी चीफ ने कहा था कि अगर वो जिंदा वापस आता, तो इंडियन आर्मी का हेड बन गया होता। परमवीर चक्र पाने वाले विक्रम बत्रा आखिरी हैं। 7 जुलाई 1999 को उनकी मौत एक जख्मी ऑफिसर को बचाते हुए हुई थी। इस ऑफिसर को बचाते हुए कैप्टन ने कहा था, ‘तुम हट जाओ. तुम्हारे बीवी-बच्चे हैं’। 3. मेजर धनसिंह थापा मेजर धनसिंह थापा परमवीर चक्र से सम्मानित नेपाली मूल के भारतीय सैनिक थे। इन्हें यह सम्मान वर्ष 1962 मे मिला। वे अगस्त 1949में भारतीय सेना की आठवीं गोरखा राइफल्स में अधिकारी के रूप में शामिल हुए थे। भारत द्वारा अधिकृत विवादित क्षेत्र में बढ़ते चीनी घुसपैठ के जवाब में भारत सरकार ने "फॉरवर्ड पॉलिसी" को लागू किया। योजना यह थी कि चीन के सामने कई छोटी-छोटी पोस्टों की स्थापना की जाए। पांगॉन्ग झील के उत्तरी किनारे पर 8 गोरखा राइफल्स की प्रथम बटालियन द्वारा स्थापित एक पोस्ट थी जो मेजर धन सिंह थापा की कमान में थी। जल्द ही यह पोस्ट चीनी सेनाओं द्वारा घेर ली गई। मेजर थापा और उनके सैनिकों ने इस पोस्ट पर होने वाले तीन आक्रमणों को असफल कर दिया। थापा सहित बचे लोगों को युद्ध के कैदियों के रूप में कैद कर लिया गया था। अपने महान कृत्यों और अपने सैनिकों को युद्ध के दौरान प्रेरित करने के उनके प्रयासों के कारण उन्हें परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया। 4. राइफल मैन संजय कुमार परमवीर राइफलमैन संजय कुमार, वो जांबाज सिपाही है जिन्होंने कारगिल वॉर के दौरान अदम्य शौर्य का प्रदर्शन करते हुए दुश्मन को उसी के हथियार से धूल चटाई थी। लहूलुहान होने के बावजूद संजय कुमार तब तक दुश्मन से जूझते रहे थे, जब तक प्वाइंट फ्लैट टॉप दुश्मन से पूरी तरह खाली नहीं हो गया। हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले से भारतीय सेना में भर्ती हुए सूबेदार संजय कुमार की शौर्यगाथा प्रेरणादायक है। 4 जुलाई 1999 को राइफल मैन संजय कुमार जब चौकी नंबर 4875 पर हमले के लिए आगे बढ़े तो एक जगह से दुश्मन ऑटोमेटिक गन ने जबरदस्त गोलीबारी शुरू कर दी और टुकड़ी का आगे बढ़ना कठिन हो गया। ऐसी स्थिति में गंभीरता को देखते हुए राइफल मैन संजय कुमार ने तय किया कि उस ठिकाने को अचानक हमले से खामोश करा दिया जाए। इस इरादे से संजय ने यकायक उस जगह हमला करके आमने-सामने की मुठभेड़ में तीन पाकिस्तानियों को मार गिराया। अचानक हुए हमले से दुश्मन बौखला कर भाग खड़ा हुआ और इस भगदड़ में दुश्मन अपनी यूनिवर्सल मशीनगन भी छोड़ गए। संजय कुमार ने वो गन भी हथियाई और उससे दुश्मन का ही सफाया शुरू कर दिया।
"या तो मैं लहराते तिरंगे के पीछे आऊंगा, या तिरंगे में लिपटा हुआ आऊंगा। पर मैं आऊंगा जरूर।" भले ही कारगिल युद्ध को 25 वर्ष का वक्त बीत चूका हो लेकिन शहीद कप्तान विक्रम बत्रा की ये पंक्तियाँ आज भी हर हिंदुस्तानी के ज़हन में जीवित है। 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस है और 7 जुलाई वो तारीख है जब कारगिल के हीरो शहीद कप्तान विक्रम बत्रा ने शाहदत का जाम पिया। वहीँ कैप्टेन विक्रम बत्रा जिनके बारे में खुद इंडियन आर्मी चीफ ने कहा था कि अगर वो जिंदा वापस आता, तो इंडियन आर्मी का हेड बन गया होता। पालमपुर में हुई प्रारंभिक शिक्षा कैप्टन विक्रम बत्रा का जन्म 9 सितंबर 1974 को हिमाचल प्रदेश के पालमपुर जिले के घुग्गर में हुआ। शहीद बत्रा की मां जय कमल बत्रा एक प्राइमरी स्कूल में टीचर थीं और ऐसे में कैप्टन बत्रा की प्राइमरी शिक्षा घर पर ही हुई थी। शुरुआती शिक्षा पालमपुर में हासिल करने के बाद कॉलेज की पढ़ाई के लिए वह चंडीगढ़ चले गए। शहीद कैप्टेन विक्रम बत्रा के स्कूल के पास आर्मी का बेस कैम्प था। स्कूल आते-जाते समय वहां चलने वाली गतिविधियों को देखते रहते थे। सेना की कदमताल और ड्रमबीट की आवाज से उनके रोंगटे खड़े हो जाते थे। शायद यही वो वक्त था जब वे सेना में शामिल होने का मन बन चुके थे। "मां मुझे मर्चेंट नेवी में नहीं जाना, मैं आर्मी ज्वाइन करना चाहता हूं" चंडीगढ़ में पढ़ते वक्त शहीद कैप्टेन विक्रम बत्रा ने मर्चेंट नेवी में जाने के लिए परीक्षा दी। परिणाम आया तो वह परीक्षा पास के चुके थे। कुछ ही दिनों में उनका नियुक्ति पत्र भी आ गया। जाने की सारी तैयारियां हो चुकी थीं। पर उनके मन में कुछ और ही चल रह था। इस बीच एक दिन वह मां की गोद में सिर रखकर बोले, मां मुझे मर्चेंट नेवी में नहीं जाना। मैं आर्मी ज्वाइन करना चाहता हूँ। इसके बाद वही हुआ जो वह चाहते थे। 18 महीने की नौकरी के बाद ही जंग विक्रम बत्रा की 13 JAK रायफल्स में 6 दिसम्बर 1997 को लेफ्टिनेंट के पोस्ट पर जॉइनिंग हुई थी। महज 18 महीने की नौकरी के बाद 1999 में उन्हें कारगिल की लड़ाई में जाना पड़ा। वह बहादुरी से लड़े और सबसे पहले उन्होंने हम्प व राकी नाब पर भारत का झंड़ा फहराया। युद्ध के बीच में ही उन्हें कैप्टन बना दिया गया। जब कहा, 'ये दिल मांगे मोर' 20 जून 1999 को कैप्टन बत्रा को कारगिल की प्वाइंट 5140 को दुश्मनों से मुक्त करवाने का ज़िम्मा दिया गया। युद्ध रणनीति के लिहाज से ये चोटी भारत के लिए बेहद महत्वपूर्ण थी। कैप्टेन बत्रा ने इस चोटी को मुक्त करवाने के लिए अभियान छेड़ा और कई घंटों की गोलीबारी के बाद आखिरकार वह अपने मिशन में कामयाब हो गए। इस जीत के बाद जब उनकी प्रतिक्रिया ली गई तो उन्होंने जवाब दिया, 'ये दिल मांगे मोर,' बस इसी पल से ये पंक्तियाँ अमर हो गई। पाक ने दिया कोडनेम शेरशाह कारगिल वॉर में कैप्टन विक्रम बत्रा दुश्मनों के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन चुके थे। ऐसे में पाकिस्तान की ओर से उनके लिए एक कोडनेम रखा गया और यह कोडनेम कुछ और नहीं बल्कि उनका निकनेम शेरशाह था। इस बात का खुलासा खुद कैप्टन बत्रा ने युद्ध के दौरान ही दिए गए एक इंटरव्यू में दी थी। साथी को बचाते हुए शहीद हुए शेरशाह प्वाइंट 5140 पर कब्जे के बाद कैप्टेन विक्रम बत्रा अगले प्वांइट 4875 को जीतने के लिए चल दिए। ये चोटी समुद्री तट से 17 हजार फीट की ऊंचाई पर है और इस पर कब्जे के लिए 80 डिग्री की चढ़ाई पर चढ़ना था। पहला ऑपरेशन द्रास में हुआ था। कैप्टेन विक्रम बत्रा अपने साथियों के साथ पत्थरों का कवर ले कर दुश्मन पर फ़ायर कर रहे थे, तभी उनके एक साथी को गोली लगी और वो उनके सामने ही गिर गया। वो सिपाही खुले में पड़ा हुआ था। कैप्टेन विक्रम बत्रा और उनके एक साथी चट्टानों के पीछे बैठे थे। हालाँकि उस घायल सिपाही के बचने के आसार बेहद कम थे लेकिन कैप्टेन विक्रम बत्रा ने फैसला लिया की वे उस घायल सिपाही को रेस्क्यू करेंगे। जैसे ही उनके साथी चट्टान के बाहर कदम रखने वाले थे, विक्रम ने उन्हें कॉलर से पकड़ कर कहा, "आपके तो परिवार और बच्चे हैं। मेरी अभी शादी नहीं हुई है। सिर की तरफ़ से मैं उठाउंगा। आप पैर की तरफ़ से पकड़िएगा।' ये कह कर विक्रम आगे चले गए और जैसे ही वो उनको उठा रहे थे, उनको गोली लगी और वो वहीं गिर गए और शहीद हो गए। मरणोपरांत मिला परमवीर चक्र कैप्टेन विक्रम बत्रा को मरणोपरांत भारत का सर्वोच्च वीरता पुरस्कार परमवीर चक्र दिया गया। 26 जनवरी, 2000 को उनके पिता गिरधारीलाल बत्रा ने हज़ारों लोगों के सामने उस समय के राष्ट्रपति के आर नाराणयन से वो सम्मान हासिल किया।
नई दिल्ली: राष्ट्रपति भवन के ‘दरबार हॉल', ‘अशोक हॉल' का नाम आज बदल दिया गया है. अशोक हॉल का नाम बदलकर अशोक मंडप किया गया है। वहीं अब राष्ट्रपति भवन के दरबार हॉल को गणतंत्र मंडप के नाम से जाना जाएगा. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन के दरबार हॉल और अशोक हॉल का नाम बदलने का आदेश जारी किया है। इस आदेश में लिखा गया है कि राष्ट्रपति भवन भारत के लोगों की अमूल्य विरासत है। राष्ट्रपति भवन तक लोगों को पहुंच आसान बनाने के लिए लगातार कोशिश की जा रही है। साथ ही राष्ट्रपति भवन के माहौल को भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों का प्रतीक बनाने का भी प्रयास जारी है। आपको बता दे कि ‘दरबार हॉल' में कई बड़े आयोजन होते रहे है। राष्ट्रीय पुरस्कारों की प्रस्तुति जैसे महत्वपूर्ण समारोहों का यह स्थान रहा है। राष्ट्रपित भवन के दरबार हॉल और अशोक हॉल का बदला गया नाम, प्रियंका गांधी ने कहा- ये शहंशाह की अवधारणा राष्ट्रपति भवन के दोनों हॉल के नाम बदले जाने पर कांग्रेस की वरिष्ठ नेता प्रियंका गांधी ने केंद्र की NDA सरकार को घेरा। उन्होंने कहा कि दरबार की कोई अवधारणा (कॉन्सेप्ट) नहीं है, लेकिन 'शहंशाह' की अवधारणा है।
**पटवारी-कानूनगो को भारी पड़ा सरकार का विरोध प्रदेश में लगातार स्टेट कैडर का विरोध कर रहे पटवारियों और कनूनगो के खिलाफ सरकार ने बड़ा एक्शन लेने की ठान ली है। ऑनलाइन सेवाएं बंद करने और अतरिक्त कार्यभार की चाबियां लौटाने वाले कर्मचारियों अधिकारीयों को सरकार ससपेंड करेगी। इस बार में अतिरिक्त मुख्य सचिव ओंकार शर्मा की तरफ से सभी डीसी को लेटर जारी किया गया है, जिसमें कहा गया है कि सरकारी कर्मचारियों का इस तरह का रवैया अनुचित है। जो सीसीएस (आचरण) नियम, 1964 का उल्लंघन है। ऐसे में लोगों को सेवाएं न देने वाले पटवारियों और कानूनगो के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है। इसके साथ ये भी कहा गया है कि यदि उन्हें सरकार के किसी निर्णय के खिलाफ कोई शिकायत है, तो उन्हें बातचीत का सहारा लेना चाहिए न कि लोगों के जरूरी कामों को रोक कर सरकार के आदेशों की अवहेलना करनी चाहिए। राज्य सरकार ने ऑनलाइन काम ठप करने और व्हाट्सऐप ग्रुप छोड़ने के खिलाफ सभी पटवारी और कानूनगो की सर्विस ब्रेक हो सकती है। अतिरिक्त मुख्य सचिव ओंकार शर्मा ने इस बारे में सभी उपायुक्तों को पत्र जारी किया है। ** दो दिनों में सेवाएं करनी होगी शुरू प्रदेश सरकार की तरफ से सभी डीसी को जारी लेटर में पटवारियों और कानूनगो को दो दिनों में सेवाएं शुरू करने को कहा गया है। अगर आदेशों की पालना नहीं होती है तो ऐसे सभी कर्मचारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। वहीं, डीसी को भी अपने जिलों में उनके नियंत्रण में पटवारियों और कानूनगो को तुरंत प्रभाव से ऑनलाइन काम फिर से शुरू करने के लिए कड़े निर्देश जारी करने को कहा गया है, ताकि प्रदेश भर में लोगों को घर द्वार पर सरकार की सुविधाओं का लाभ मिल सके। ** व्हाट्सएप ग्रुप में भी वापस जुड़ने के दिए निर्देश इसके अलावा पटवारियों और कानूनगो को आधिकारिक "व्हाट्सएप ग्रुप" में वापस शामिल होने और अतिरिक्त प्रभार सहित उन्हें दिए गए अन्य दायित्वों को भी निभाने के निर्देश भी जारी किए गए हैं। इसके लिए पटवारियों और कानूनगो दो दिन का समय दिया गया है। पटवारियों और कानूनगो को चेताया गया है कि किसी भी सरकारी कर्मचारी की ओर से कोई भी कार्रवाई जो हिमाचल प्रदेश की आम जनता के हितों के खिलाफ है, सरकार ये कतई स्वीकार्य नहीं करेगी।
हिमाचल प्रदेश अराजपत्रित कर्मचारी सेवाएं महासंघ की प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक आगामी 26 जुलाई को त्रिलोक ठाकुर अध्यक्ष अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ की अध्यक्षता मे होगी। यह बैठक वाईब्रेशन हॉल नजदीक रिपन अस्पताल शिमला ठीक 11:00 बजे शूरू होगी, जिसमें प्रदेश भर के लगभग 250 कर्मचारी नेता भाग लेंगें। जिसमें जिलाध्यक्ष व महासचिव प्रदेश कार्यकारिणी के पदाधिकारी विभागीय संगठनों के प्रधान एवं महासचिव तथा प्रदेश कार्यकारिणी के तमाम पदाधिकारी सम्मलित होंगें। बैठक के तुरंत बाद प्रदेश कार्यकारिणी त्रिलोक ठाकुर की अध्यक्षता मे माननीय मुख्यमंत्री महोदय व मुख्य सचिव हिमाचल प्रदेश सरकार से मुलाकात करेंगें। इस बैठक में प्रदेश सरकार जल्द से जल्द संयुक्त सलाहकार समिति की बैठक का आयोजन करने बारे में चर्चा होगी और इसी के साथ 2016 संशोधित वेतनमान का लम्बित ऐरियर का भुगतान, मंहगाई भत्तों की किश्तों कों जारी करने, वर्तमान अनुबंध आधार पर कार्यरत कर्मचारियों को पूर्व की भांति वर्ष मे 02 बार नियमित करने बारे तथा भविष्य में भर्तियों को नियमित आधार पर करने के साथ-साथ विभिन्न विभागों में कई वर्षों से रिक्त पडे पदों को भरने व विभिन्न विभागों मे पदौन्नति समय पर करने जैसे मुद्दों पर चर्चा होगी। यह जानकारी प्रैस को हिमाचल प्रदेश अराजपत्रित कर्मचारी सेवाएं महासंघ के राज्य महामंत्री राजीव चौहान ने दी है।
हिमाचल में डिपुओं के माध्यम से सस्ते राशन के वितरण में पारदर्शिता लाने के लिए राशन कार्ड धारकों की ई-केवाईसी करवाई जा रही है, जिसके लिए पिछले कई महीनों से प्रक्रिया चल रही है, लेकिन बार-बार मौका देने पर भी अभी तक राशन कार्ड में दर्ज 16,35,735 सदस्यों ने ई-केवाईसी नहीं कराई है। ऐसे में इन लोगों के पास 30 सितंबर तक ई-केवाईसी कराने का अवसर है। अगर इस अवधि तक भी राशन कार्ड धारक इस अवसर का लाभ नहीं उठाते हैं तो ऐसे उपभोक्ताओं को सस्ते राशन की सुविधा से हाथ धोना पड़ सकता है। बता दें कि प्रदेश में राशन कार्ड में दर्ज कुल सदस्यों की संख्या 73,32,413 है। इसमें अभी तक 56,85,157 लोगों की ई-केवाईसी हुई है। हिमाचल प्रदेश में सभी पात्र लोगों को सस्ते राशन की सुविधा मिले, इसके लिए सरकार राशन कार्ड धारकों को बार-बार ई-केवाईसी कराने का अवसर दे रही है। इसके बाद भी लाखों लोगों ने अपनी ई-केवाईसी नहीं कराई हैं। विभाग की ओर से जुटाए गए आंकड़ों के मुताबिक अभी तक राशन कार्ड में दर्ज 16,35,735 सदस्यों ने ई-केवाईसी नहीं कराई है। इसमें बिलासपुर जिले में 80,240 सदस्यों की ई-केवाईसी नहीं हुई है। इसी तरह से चंबा जिले में 1,81,078, हमीरपुर में 90,896, कांगड़ा में 4,42,953, किन्नौर में 29,151, कुल्लू में 1,03,637, लाहौल स्पीति में 18,878, मंडी में 2,02,140, शिमला में 1,66,103, सिरमौर में 1,18,642, सोलन में 58,937 व ऊना जिले में 1,43,080 सदस्यों ने अपनी ई-केवाईसी नहीं कराई है। प्रदेश में अभी 77.54 फीसदी लोगों ने ई-केवाईसी करा ली है। खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग ने लोगों से जल्द से जल्द ई-केवाईसी कराने की अपील की हैं। ऐसा न करने पर सस्ते राशन की सुविधा बंद हो सकती है। ई-केवाईसी का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि केवल वास्तविक लाभार्थियों को ही राशन मिले। ये देखा गया है कि कई राशन कार्ड धारकों के राशन कार्ड में शामिल सदस्यों की स्थिति विवाह होने और किसी सदस्य का निधन होने से बदल चुकी है। इसलिए ई-केवाईसी काफी आवश्यक है, ताकि राशन कार्ड से ऐसे सदस्यों के नामों को हटाए जा सके और वास्तविक लाभार्थियों को ही राशन उपलब्ध हो सके। अगर कोई भी राशन कार्ड में इन सदस्यों की जानकारी को अपडेट करवाना चाहते हैं तो उनको ई-केवाईसी करवानी पड़ेगी।
प्रदेश के सरकारी स्कूलों में नर्सरी से आठवीं कक्षा तक पढ़ने वाले 5.34 लाख विद्यार्थियों को अब हर सप्ताह बुधवार को अंडा और केला भी मिड-डे मील के तहत दिया जाएगा। विद्यार्थियों को अंडा और केला में से एक खाने के लिए दिया जाएगा। राज्य सरकार ने मुख्यमंत्री बाल पौष्टिक आहार योजना के तहत यह प्रावधान किया है। अंडा और केला देने के लिए बजट का प्रावधान राज्य सरकार करेगी।
हिमाचल प्रदेश में विद्यार्थियों की शून्य संख्या वाले 99 स्कूल बंद होंगे। पांच और पांच से कम दाखिलों वाले 460 स्कूल मर्ज किए जाएंगे। मंगलवार को मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू की अध्यक्षता में हुई शिक्षा विभाग की समीक्षा बैठक में सरकारी स्कूलों में घट रही विद्यार्थियों की संख्या पर चिंता जताते हुए स्कूल मर्ज करने की संभावनाएं तलाशने का निर्णय लिया गया। प्राइमरी स्कूल दो किलोमीटर और मिडल स्कूल तीन किलोमीटर के दायरे में मर्ज किए जाएंगे। मुख्यमंत्री ने सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या कम होने पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि वर्ष 2002-2003 में पहली कक्षा में सरकारी शिक्षण संस्थानों में विद्यार्थियों की संख्या 1 लाख 30 हजार 466 थी। वहीं वर्ष 2023-24 में यह संख्या घटकर 49 हजार 295 हो गई है। वर्तमान में प्रदेश में 89 प्राथमिक विद्यालयों और 10 माध्यमिक विद्यालयों में विद्यार्थियों की संख्या शून्य है। 701 प्राथमिक विद्यालयों में छात्रों की संख्या मात्र पांच है। इनमें से 287 विद्यालय दूसरे विद्यालय से दो किलोमीटर के दायरे में स्थित हैं। इसके अलावा 109 अतिरिक्त विद्यालयों में विद्यार्थियों की संख्या केवल पांच है। इसके अलावा 46 मिडल स्कूल तीन किलोमीटर के दायरे में स्थित हैं और 18 अन्य स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या केवल पांच है। मुख्यमंत्री ने कहा कि इन हालात के मद्देनजर स्कूलों के कामकाज को तर्कसंगत बनाना आवश्यक है। निर्देश दिए कि विद्यार्थियों की कम संख्या वाले विद्यालयों को विलय करने की संभावनाएं तलाश की जाएं। विद्यालयों को विलय करने के कदम से पर्याप्त स्टाफ उपलब्ध होगा और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा भी दी जा सकेगी। उन्होंने कहा कि जनजातीय क्षेत्रों किन्नौर व स्पीति में दो पूर्ण सुसज्जित बोर्डिंग स्कूल स्थापित किए जाएंगे। उन्होंने शिक्षा विभाग को संबंधित क्षेत्रों में इन बोर्डिंग स्कूलों की स्थापना के लिए उपयुक्त भूमि चिन्हित करने के निर्देश दिए। सुक्खू ने कहा कि स्कूलों में बेहतर संसाधन जुटाने के लिए सरकार ने क्लस्टर बनाए हैं तथा स्कूल प्रबंधन को विद्यार्थियों के लिए अपनी पसंद की स्मार्ट वर्दी चुनने का विकल्प दिया गया है। वर्तमान राज्य सरकार ने सरकारी संस्थानों में मानकों को बढ़ाने के लिए कई अभिनव पहल की हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने सभी सरकारी स्कूलों में पहली कक्षा से अंग्रेजी माध्यम भी लागू किया है। बैठक में शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर, मुख्य संसदीय सचिव आशीष बुटेल ने भी अपने सुझाव दिए। शिक्षा सचिव राकेश कंवर, निदेशक उच्च शिक्षा डॉ. अमरजीत कुमार शर्मा, निदेशक प्रारंभिक शिक्षा आशीष कोहली भी बैठक में मौजूद रहे।
हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार फिजूलखर्ची रोकने की दिशा में कड़े कदम उठाने जा रही है। सरकारी विभागों में अधिकारियों और कर्मचारियों का युक्तिकरण किया जाएगा। राज्य सरकार सरकारी गाड़ियों के पेट्रोल खर्च कम करेगी। आमदनी बढ़ाने और फिजूलखर्ची पर अंकुश लगाने के लिए उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री की अगुवाई में रिसोर्स मोबिलाइजेशन कमेटी की एक महत्वपूर्ण बैठक हुई। कैबिनेट सब कमेटी के सुझाव राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में चर्चा के लिए जाएंगे। इस बैठक में प्रदेश की आर्थिक स्थिति पर चर्चा की गई। राज्य में हर नागरिक पर 1.16 लाख रुपये से अधिक का कर्ज होने पर चिंता जताई गई। अरुणाचल प्रदेश के बाद इसमें चिंता व्यक्त की गई कि कर्ज का ब्याज चुकाने के लिए भी कर्ज लेना पड़ रहा है। मंत्रिमंडलीय उप समिति केंद्र से राजस्व घाटा अनुदान कम होने पर भी चिंतित हुई कि राज्य में जितना राजस्व इकट्ठा हो रहा है, वह देनदारियां चुकाने में ही खत्म हो रहा है। कैबिनेट सब कमेटी के सदस्य और मंत्री राजेश धर्माणी ने कहा कि बजट का बड़ा हिस्सा लोन की किस्तों और ब्याज चुकाने में ही जा रहा है। अरुणाचल के बाद हिमाचल सबसे कर्जदार प्रदेश है। आर्थिक स्थिति अच्छी करने के लिए सख्त निर्णय लेने पड़ रहे हैं। निशुल्क सेवाओं में भी कटौती की जा रही है। सरकार का स्ट्रक्चर पिरामिड की तरह होना चाहिए था, पर यह इन्वर्टेड पिरामिड की तरह बन चुका है। सरकारी विभागों में अफसरों का युक्तिकरण समय की जरूरत है। वर्ष 2006 से 2022 के बीच श्रेणी एक के राजपत्रित अधिकारियों की संख्या में 62 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। इस वर्ग के अधिकारियों को कम कर फील्ड और निचले स्टाफ को बढ़ाने पर ध्यान देंगे। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री की अध्यक्षता में रिसोर्स मोबिलाइजेशन सब-कमेटी गठित की है। इसमें मुकेश अग्निहोत्री के अलावा कृषि मंत्री चंद्र कुमार, उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान और नगर नियोजन मंत्री राजेश धर्माणी सदस्य हैं। उप समिति ने चिंता व्यक्त की कि राज्य पर 80 हजार करोड़ रुपये का ज्यादा का कर्ज था। 31 मार्च 2023 तक यह 86,589 करोड़ हो गया था। 10 हजार करोड़ रुपये की कर्मचारियों की देनदारियां लंबित हैं। 14वें वित्त आयोग से हिमाचल को 40624 करोड़ रुपए मिले थे। 15वें वित्त आयोग में 37199 करोड़ कर दिए। साल 2021-22 में यह ग्रांट 10249 करोड़ थी और अब यह 2025-26 में 3257 करोड़ रुपये हो जाएगी।
** हिमाचल को आपदा से निपटने के लिए मोदी सरकार देगी मदद हिमाचल प्रदेश के लिए केंद्रीय बजट 2024 में बड़ी घोषणा हुई है। केंद्र सरकार ने बिहार ही नहीं, हिमाचल प्रदेश के लिए भी बड़ी घोषणा की और साल 2023 में भारी बारिश की वजह से आई आपदा को लेकर मदद का ऐलान किया है। केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में बजट पेश करते हुए यह ऐलान किया है। हालांकि, कितने रुपये की मदद की जाएगी, इसका जिक्र घोषणा में नहीं किया गया है। बाढ़ से निपटने के लिए केंद्र सरकार विभिन्न राज्यों को 11,500 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से वित्तीय सहायता देने की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि बाढ़ और बारिश से प्रभावित प्रस्तावित परियोजनाओं के निर्माण के लिए मदद करेगी। संसद में बजट भाषण के दौरान वित्तमंत्री ने कहा कि हिमाचल प्रदेश को बाढ़ प्रबंधन के लिए आर्थिक सहायता दी जाएगी। हालांकि, हिमाचल को अन्य मामलों में निराशा हाथ लगी है। कांगड़ा के गग्गल एयरपोर्ट के विस्तार के लिए मोदी सरकार की तरफ से कोई घोषणा नहीं की गई है। सरकार ने इसके लिए बजट की मांग की थी। साथ ही सेब उत्पादन शुल्क को लेकर भी कुछ घोषणा नहीं हुई है। गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश को बीते साल 2023 में मॉनसून सीजन में 12000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था। इस दौरान तीन हजार से अधिक घर पूरी तरह से गिर गए थे, जबकि 12 हजार से अधिक घरों को नुकसान हुआ था। साल 2023 में आई सदी की सबसे बड़ी आपदा में 509 लोगों की जान गई थी। हिमाचल प्रदेश सरकार ने आपदा के लिए 4500 करोड़ रुपये का आर्थिक पैकेज भी घोषित किया था। वहीं, मौजूदा सीजन में अब तक बारिश से 200 करोड़ रुपये तक का नुकसान हो चुका है।
** ग्रामीण विकास आवंटन: ग्रामीण बुनियादी ढांचे सहित ग्रामीण विकास के लिए 2.66 लाख करोड़ रुपये आवंटित **पीएम आवास योजना के तहत आवास: ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में तीन करोड़ अतिरिक्त घरों का निर्माण वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज केंद्रीय बजट 2024-25 पेश किया, जो प्रधानमंत्री मोदी के लगातार तीसरे कार्यकाल का पहला पूर्ण बजट है। अपने बजट भाषण में सीतारमण ने मोदी सरकार में लोगों के भरोसे पर जोर देते हुए कहा कि भारत के लोगों ने हमें ऐतिहासिक तीसरे कार्यकाल के लिए फिर से चुना है। सीतारमण ने सरकार की प्राथमिकताओं को रेखांकित किया, जिसमें गरीबों, महिलाओं, युवाओं और किसानों की मदद करने पर ध्यान केंद्रित किया गया। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में अपने भाषण के दौरान कहा कि सरकार ने ग्रामीण विकास के लिए 2.66 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने यह भी कहा कि ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में पीएम आवास योजना के तहत तीन करोड़ अतिरिक्त घर बनाए जाएंगे। लोकसभा में 2024-25 का बजट पेश करते हुए उन्होंने कहा कि इस साल मैंने ग्रामीण बुनियादी ढांचे सहित ग्रामीण विकास के लिए 2.66 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद घोषणा करते हुए कहा कि ग्रामीण बुनियादी ढांचे सहित ग्रामीण विकास के लिए 2.66 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में पीएम आवास योजना के तहत तीन करोड़ अतिरिक्त घर बनाए जाएंगे।
आज संसद में मोदी सरकार 3.0 का बजट पेश किया जा रहा है और केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण लगातार 7वीं बार बजट पेश कर रही हैं। इसके साथ ही वो सबसे ज्यादा बार लगातार बजट पेश करने वाली वित्त मंत्री बन गई हैं। इससे पहले मोरारजी देसाई के नाम ये रिकॉर्ड दर्ज था। मोरारजी देसाई ने लगातार 6 बार बजट पेश किया था। इस बार निर्मला सीतारमण के बजट से लोगों ने उम्मीदें लगाई हुई हैं। खासकर मिडिल क्लास की रोटी, कपड़ा, मकान, रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य जैसी तमाम मूलभूत जरूरतों की दरकार होगी। वहीं, कर्मचारी वर्ग को इनकम टैक्स में राहत और उद्योगों ने भी राहत की उम्मीद लगाई हुई है।
हिमाचल प्रदेश के नवनिर्वाचित विधायक कमलेश ठाकुर, आशीष शर्मा और हरदीप बाबा ने विधानसभा में आयोजित शपथ ग्रहण समारोह में पद एवं गोपनीयता की शपथ ली। इस समारोह में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू भी मौजूद रहे। विधायकों के शपथ के बाद सीएम सुक्खू ने भाजपा पर जमकर प्रहार किया। उन्होंने कहा 27 फरवरी को भाजपा ने जो षड्यंत्र रचा था, उसका प्रदेश की जनता ने मुंहतोड़ जवाब दिया है और भाजपा को आईना दिखाया है। सीएम सुक्खू ने कहा 2022 में कांग्रेस के जो 40 विधायक चुनकर आए थे, वे फिर से 40 हो गए हैं। लेकिन 4 महीने में जो प्रदेश में विकास कार्य होने थे, उसे रोकने का काम बीजेपी ने किया, जिसकी वजह से प्रदेश में दो बार उपचुनाव हुए। प्रदेश में जिस राजनीति का परिचय भाजपा ने दिया, वह हमने प्रदेश की जनता के समक्ष रखा और जनता ने कांग्रेस का साथ दिया। अब भाजपा से अनुरोध रहेगा कि अगले साढ़े तीन साल तक सरकार जो जनहित में विकाय कार्य कर रही है, उसमें सकारात्मक सहयोग दे. हम दावे के साथ कह सकते है कि 2027 तक हिमाचल प्रदेश को आत्मनिर्भर बना सकते हैं। सीएम सुक्खू ने कहा कि चार महीने आचार संहिता के कारण काम रुके हुए थे और चार महीने आपदा भी रही। आपदा में भी हमारी सरकार ने युद्ध स्तर पर काम किया, जिसकी प्रशंसा वर्ल्ड बैंक और नीति आयोग ने भी की। लेकिन हिमाचल की भाजपा जो नकारात्मक पॉलिटिक्स कर रही है। हम चाहते हैं कि जो योजनाएं हम यहां से लेकर दिल्ली जाते हैं, उसमें भाजपा अड़ंगा न लगाए। सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा अभी कुछ दिन पहले दिल्ली में वे पीडब्ल्यूडी मंत्री के साथ केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से मिले। प्रदेश में आपदा में जो सहयोग केंद्र से मिलना चाहिए था, वह नहीं मिला है। इस मामले को प्रधानमंत्री सहित अन्य केंद्रीय मंत्रियों के सामने उठाया है। प्रदेश की विधि हालत को सुधारने के लिए कड़े फैसले लेने की जरूरत है। सब के सहयोग से प्रदेश को विकास के पथ पर आगे ले जाने का प्रयास करेंगे। केंद्र के बजट पर मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार हिमाचल के लिए अलग से योजनाएं दे। ताकि प्रदेश में विकास कार्य को आगे बढ़ाया जा सके।
प्रदेश के स्कूलों में पहली से आठवीं कक्षा के बच्चों को मिड-डे मील में अब अंडा, केला या सेब मिलेगा। हिमाचल प्रदेश में स्कूली बच्चों को पौष्टिक खाना मिले और उनका विकास तेज़ी से हो इसके लिए प्रदेश सरकार ने मुख्यमंत्री बाल पौष्टिक आहार योजना शुरू कर दी है। इसको लेकर बीते कल नोटिफिकेशन भी जारी हो गई है। अब जल्द ही बच्चों को हफ्ते में एक दिन अंडा या सेब, केला मिलेगा। जो बच्चे अंडे खाते है उनके लिए उबले अंडे या अंडा बिरयानी और जो शाकाहारी है उनके लिए सेब, केला या कोई अन्य फल दिया जाएगा। ये सभी चीज़े लोकल मार्केट से खरीदनी होगी, ताकि खाना बच्चों को फ्रैश मिले। ब्लॉक स्तर पर इसके लिए छात्रों को फंड दिया जाएगा और महीने में एक बार इसकी रिपोर्ट डिप्टी डायरेक्टर कार्यालय को भी भेजनी होगी।
**हिमाचल में नहीं हो रही बारिश, अब फिर ऑरेंज अलर्ट किया जारी शिमला: हिमाचल प्रदेश में आगामी दो दिन भारी बारिश हो सकती है। मौसम विभाग ने प्रदेश में 22 और 23 जुलाई को अधिकतर क्षेत्रों में बारिश की संभावना जताई है और इस दौरान कई हिस्सों में भारी बारिश को लेकर ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। साथ ही विभाग की ओर से सैलानियों के साथ साथ स्थानीय लोगों को सावधानी बरतने की भी सलाह दी है। रविवार को भी बारिश को लेकर येलो अलर्ट जारी किया गया है। राजधानी शिमला में सुबह से ही आसमान में बादल और धुंध छाई हुई है। आज भी अधिकतर हिस्सों में बारिश की आशंका मौसम विभाग की ओर से जताई गई है। मौसम विज्ञान केंद्र शिमला के निदेशक सुरेंद्र पॉल ने बताया कि अगले तीन से चार दिनों तक प्रदेश में बारिश में तेजी आने की संभावना है। खासकर सोमवार और मंगलवार को भारी बारिश को लेकर ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में इस बार मानसून धीमी रफ्तार से चल रहा है और सामान्य से कम बारिश हुई है। खासकर प्रदेश के चार जिलों शिमला, मंडी, कांगड़ा और बिलासपुर में सामान्य के आसपास वर्षा हुई है, जबकि बाकी क्षेत्रों में बारिश सामान्य से कम दर्ज की गई है। सबसे कम बारिश लाहौल स्पीति, सिरमौर, सोलन और ऊना में हुई है। पश्चिमी विक्षोभ के कमजोर पड़ने और बंगाल की खाड़ी से आने वाली हवाओं में इस बार कमी पाई गई है, जिसके चलते पहाड़ों में बारिश कम हो रही है, लेकिन आगामी दिनों में पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय हो रहा है, जिसके चलते प्रदेश में मानसून रफ्तार पकड़ेगा और प्रदेश के कई हिस्सों में बारिश हो सकती है। वहीं, पिछले कई दिनों से मौसम विभाग बारिश का पूर्वानुमान लगा रहा है, लेकिन बारिश ना होने से किसान परेशान हैं। फसलों पर इसका असर पड़ रहा है। कई क्षेत्रों में बरसात के मौसम में भी सूखे की स्थिति बनी हुई है। कई क्षेत्रों में तो दो सप्ताह से बारिश नहीं हुई है। इसके कारण लोग गर्मी से भी परेशान हैं।
हिमाचल प्रदेश में जेल वार्डर के 91 पदों पर यह भर्ती हो रही है। यह भर्ती अनुबंध आधार पर होगी। अभ्यर्थी 23 जुलाई के बाद विभाग की वेबसाइट admis.hp.nic.in/hpprisons से अपना प्रवेश पत्र डाउनलोड कर सकेंगे। यह जानकारी जिला कारागार मंडी के उप अधीक्षक जेल ओम प्रकाश ने दी। जेल वार्डर के इन पदों की शारीरिक परीक्षा दिनांक 17 जनवरी 2024 से 10 फरवरी 2024 तक थर्ड बटालियन पंडोह के मैदान में आयोजित हुई थी। शारीरिक परीक्षा को पास कर चुके अभ्यर्थियों का अब रिटन एग्जाम आयोजित होगा। यह रिटन एग्जाम 28 जुलाई 2024 को राजकीय वल्लभ महाविद्यालय मंडी में आयोजित किया जाएगा। मंडी रेंज के तहत आने वाले मंडी, कुल्लू, बिलासपुर और हमीरपुर जिलों के अभ्यर्थी इस परीक्षा केंद्र पर आकर एग्जाम देंगे। रिटन एग्जाम दोपहर 12 बजे से शुरू होगा। अभ्यर्थियों को एग्जाम से दो घंटे पहले यानी सुबह 10 बजे परीक्षा केंद्रों पर पहुंचना जरूरी है। परीक्षा केंद्र में किसी भी तरह का मोबाइल, कैलकुलेटर, स्मार्ट वॉच, वायरलेस डिवाइस, ब्लूटूथ डिवाइस और ईयरफोन को ले जाने की अनुमति नहीं होगी। अभ्यर्थी अतिरिक्त जानकारी के लिए दूरभाष नंबर 0177 2628852 पर संपर्क कर सकते हैं।
हिमाचल के वन आच्छंदित क्षेत्रों को विस्तार प्रदान करने और पर्यावरण संरक्षण के दृष्टिगत प्रदेश सरकार निरंतर प्राथमिकता से कार्य कर रही है। प्रदेश सरकार ने शिमला नियोजन क्षेत्र के अंतर्गत शिमला शहर और उप नगरों के लिए शिमला विकास योजना में संशोधन किया है। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि सरकार शिमला के सतत विकास के लिए प्रतिबद्धता से कार्य कर रही है। सरकार की इस पहल से भूमि कटाव को कम करने और पर्यावरण संरक्षण सुनिश्चित करने में सहायता मिलेगी। शिमला विकास योजना 2041 के अंतर्गत हरित क्षेत्र में आवासीय निर्माण को नियोजित किया जाएगा। इसके तहत वृक्ष रहित भूखंडों पर ही निर्माण कार्यों की अनुमति प्रदान की जाएगी। हरे या सूखे पेड़ों वाली भूमि को हरित भूखंड के रूप में नामित किया जाएगा, जिस पर निर्माण कार्यों पर रोक रहेगी। वर्तमान में ग्रीन बेल्ट क्षेत्र में बाई-पास और कार्ट रोड़, नाभा वन, फागली और लालपानी वन, बेम्लोई वन, हिमलैंड वन, खलीनी और छोटा शिमला वन क्षेत्र तथा कई अन्य क्षेत्र शामिल हैं। इसके अतिरिक्त ग्रीन बेल्ट के अंतर्गत नए क्षेत्रों में रिट्रीट, मशोबरा बंद, टुकदा आंदरी, शिव मंदिर आंदरी, ताल और गिरी, डीपीएफ खलीनी, बीसीएस मिस्ट चैम्बर और परिमहल को शामिल किया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार की इस पहल का लक्ष्य शिमला के नैसर्गिक सौंदर्य को संरक्षित रखना है और आने वाली पीढ़ी के लिए हरा भरा भविष्य सुरक्षित रखना है। उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कार्य कर सतत विकास को अधिमान दिया जा रहा है। हिमाचल भौगोलिक दृष्टि से संवेदनशील राज्य है। इसके दृष्टिगत प्रदेश सरकार अवैध निर्माण पर रोक लगाकर शिमला में नियोजित निर्माण को बढ़ावा दिया जा रहा है, ताकि शिमला का प्राकृतिक सौंदर्य बरकरार रहे और अधिक से अधिक संख्या में पर्यटक शिमला की ओर रूख करें। शिमला का हरित आवरण शिमला शहर सहित उत्तर भारत को प्राण वायु प्रदान करता है। हरे भरे क्षेत्र तापमान को नियंत्रित करने का कार्य करते हैं। शिमला के हरित क्षेत्र में वृद्धि कर प्रदेश सरकार पर्यावरण संरक्षण और यहां भ्रमण के लिए आने वाले पर्यटकों की संख्या बढ़ाने की दिशा में भी कार्य कर रही है, ताकि वह यात्रा का अविस्मरणीय अनुभव प्राप्त कर सकें।
** बाहरी राज्यों में रजिस्टर्ड गाड़ियों पर चलेगा नियमों का डंडा शिमला: देश के अन्य राज्य में पंजीकृत वाहनों के हिमाचल में प्रवेश करने पर सरकार सख्त हो गई है। इसके लिए अब सरकार ने हिमाचल प्रदेश मोटर वाहन कराधान अधिनियम, 1972 की धारा 17(4) के प्रावधानों आंशिक संशोधन किया है। हिमाचल प्रदेश परिवहन विभाग ने इस बारे में अधिसूचना जारी कर दी है, जो तुरंत प्रभाव से लागू हो गई है। इसके मुताबिक बाहरी राज्य में पंजीकृत वाहन बिना टैक्स चुकाए हिमाचल प्रवेश करता है या ऐसा वाहन जो परमिट के विपरीत अन्य उद्देश्य के लिए उपयोग में लाया जा रहा है। इस तरह की लापरवाही को लेकर सरकार ने सख्ती बरतते हुए जुर्माना राशि को बढ़ा दिया है। नियमों का उल्लंघन करने पर वाहन मालिकों से तुरंत प्रभाव से वसूली शुरू की जाएगी। बाहरी राज्यों से हिमाचल आने वाले वाहन अगर हिमाचल में देय टैक्स का भुगतान किए बिना या परमिट में निर्धारित शर्तों के अवहेलना करते हुए पाए जाते हैं, तो वाहन मालिक को इसकी बड़ी कीमत चुकानी होगी। पहली बार में हल्के वाहन को नियम तोड़ने पर 20 हजार रुपये और अन्य मोटर वाहनों के मामले में 50 रुपये का जुर्माना वसूला जाएगा। इसके बाद भी अगर वही वाहन मालिक फिर से लापरवाही बरतता हुआ पाया जाता है तो हिमाचल प्रदेश मोटर वाहन कराधान अधिनियम, 1972 की धारा 17(4) के प्रावधानों के तहत दूसरे अपराध के लिए हल्के मोटर वाहनों पर 40 हजार रुपये और अन्य मोटर वाहनों पर 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। ये आदेश प्रदेश में तुरंत प्रभाव से लागू हो गए हैं। देश के बाहरी राज्यों से बड़ी संख्या में कॉमर्शियल वाहन हिमाचल के विभिन्न क्षेत्रों में रोजाना प्रवेश करते हैं। इस दौरान परिवहन विभाग के सामने नियमों के उल्लंघन के बहुत से मामले भी सामने आए हैं, जिसमें वाहन मालिक राज्य का देय टैक्स चुकाए बिना प्रदेश की सीमा के अंदर प्रवेश करते हैं। ऐसे में टैक्स का भुगतान न होने से राज्य सरकार को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है, जिसके चलते सरकार ने सख्ती बरतते हुए ऐसे लापरवाह चालकों के खिलाफ नियमों का डंडा चलाना शुरू कर दिया है, जिसमें बिना टैक्स भुगतान के परमिट की शर्तों की अवहेलना पाए जाने पर पहले से अधिक जुर्माना वसूला जाएगा। परिवहन विभाग के प्रधान सचिव आरडी नजीम ने इस बारे में आदेश जारी किए हैं।
गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग पर रविवार सुबह बड़ा हाद*सा हो गया। चिरबासा के पास पहाड़ी से अचानक भारी मात्रा में मलबा और बोल्डर गिर गए। इस दौरान यात्रा पर जा रहे तीन तीर्थयात्री की मौ*त हो गई, जबकि पांच घाय*ल हो गए। वहीं, कई यात्रियों के अभी मलबे में दबे होने की आशंका है। मृ*तकों में दो यात्री महाराष्ट्र के बताए जा रहे हैं, वहीं, एक स्थानीय है। घा*यलों में भी दो यात्री महाराष्ट्र के व अन्य स्थानीय बताए जा रहे हैं। घा*यलों को उपचार के लिए गाैरीकुंड अस्पताल में भेजा गया है। जानकारी के अनुसार, घटना सुबह साढ़े सात बजे की बताई जा रही है। हादसे की सूचना मिलते ही पुलिस प्रशासन की टीम मौके पर पहुंची। राहत एवं बचाव कार्य जारी है। बता दें कि केदारनाथ में 16 किमी लंबे गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग पर पल-पल भूस्खलन का खतरा रहता है। चीरबासा भूस्खलन जोन है, जहां प्रत्येक बरसात में पहाड़ी से पत्थर गिरने से दुर्घटनाएं होती रहती हैं। यहां बीते वर्ष भी पहाड़ी से भूस्खलन होने के कारण एक व्यक्ति की जान चली गई थी।
हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में मशहूर श्रीखंड महादेव यात्रा के दौरान लंगर सेवा के लिए जा रहे एक सेवादार की पहाड़ी में गिरने से मौ*त हो गई। मृत*क की पहचान रामपुर के रहने वाले सिद्धार्थ शर्मा (31) के रूप में हुई है। सिद्धार्थ शर्मा अपने पीछे 5 साल की बेटी, गर्भवती पत्नी, माता-पिता और बहन को छोड़ गए हैं। परिजनों का घर पर रो रोकर बुरा हाल है। पुलिस ने श*व कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल पहुंचाया है। बताया जा रहा है कि यात्रा के दौरान सिद्धार्थ शर्मा(31) पुत्र विजय शर्मा, निवासी मुख्य बाजार रामपुर भीमडवारी के समीप बराहटीनाला में गिरने से घाय*ल हो गया। इसके बाद घाय*ल को उपचार के लिए आईजीएमसी शिमला ले जाया गया। लेकिन आईजीएमसी में डॉक्टर ने उसे मृ*त घोषित कर दिया। स्थानीय पुलिस की ओर से आगामी कार्रवाई अमल में लाई जा रही है। परिवार के मुताबिक सिद्धार्थ शर्मा श्रीखंड यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं के लिए लंगर सेवा के लिए घर से निकला था। सामान ले जाते वक्त गुरुवार दोपहर चढ़ाई चढ़ते वक्त बराहटी नाला के समीप पैर फिसलने के बाद करीब 50 मीटर गहरी खाई में जा गिरा, जिससे वह गंभीर रूप से घाय*ल हो गया। इसके बाद सिद्धार्थ को सिंहगाड बेस कैंप तक पहुंचाया गया। यहां से गुरुवार रात करीब ढाई बजे उसे घायल अवस्था में निरमंड अस्पताल लाया गया। हालत खराब होने की वजह से डॉक्टरों ने उसे खनेरी अस्पताल भेज दिया। यहां भी जब सेहत में कोई सुधार नहीं हुआ तो शिमला IGMC रेफर किया गया। यहां इलाज के दौरान उसकी मृ*त्यु हो गई
हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड से पास हुए अभ्यर्थियों के लिए राहत की बात है। बोर्ड अपनी स्थापना के समय से लेकर अब तक के सभी सर्टिफिकेटों को डिजी लॉकर पर उपलब्ध करवाएगा। इससे अभ्यर्थियों को पुराने सर्टिफिकेट हासिल करने के लिए बोर्ड कार्यालय के चक्कर काटने से भी छुटकारा मिलेगा। इस संदर्भ में शिक्षा बोर्ड ने एक प्रपोजल तैयार किया है, अगर यह प्रपोजल सिरे चढ़ता है तो सूबे के अभ्यर्थियों को खासी राहत मिलेगी। प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड की ओर से 2012 के बाद के सभी सर्टिफिकेटों को डिजी लॉकर पर उपलब्ध करवाया गया है। इससे पहले के कुछ दस्तावेजों की शिक्षा बोर्ड के पास डिजिटल काॅपी है, जबकि अधिकतर दस्ती तौर पर रखे गए हैं। हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड 1969 में अस्तित्व में आया। पहले इसका मुख्यालय शिमला में था। जनवरी 1983 में धर्मशाला में स्थानांतरित कर दिया गया। शिक्षा बोर्ड हिमाचल प्रदेश में स्कूली शिक्षा के लिए पाठ्यक्रम, निर्देशों के पाठ्यक्रम और पाठ्य पुस्तकें निर्धारित करता है और सूचीबद्ध पाठ्यक्रमों के आधार पर परीक्षाएं आयोजित करता है। वर्तमान में स्कूल शिक्षा बोर्ड 8वीं, 10वीं, 11वीं, 12वीं और डीएलएड के अलावा एसओएस सहित अन्य कई परीक्षाएं करता है। शिक्षा बोर्ड की ओर से करवाई जाने वाली परीक्षाओं में हर वर्ष ढाई से तीन लाख अभ्यर्थी बैठते हैं। हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड ने डिजी लॉकर पर वर्ष 2012 के बाद सभी सर्टिफिकेट अपलोड किए गए हैं। शिक्षा बोर्ड ने योजना बनाई है कि डिजी लॉकर पर स्थापना के समय से पासआउट हुए अभ्यर्थियों के सर्टिफिकेटों को भी उपलब्ध करवाया जाए, इसके लिए प्रपोजल भेजा गया है। प्रपोजल के मंजूर होते ही इस पर कार्य शुरू कर दिया जाएगा।
** साई-टेक की बिजली काटने के निर्देश प्रदेश के इंडस्ट्रियल एरिया काला अंब में हिमाचल प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने दो उद्योगों पर बड़ी कार्रवाई की गई है। HPPCB ने सिंबोइसिस फॉर्मा पर 42 लाख रुपए की पैनल्टी लगाई है, जबकि साई टेक दवा उद्योग की बिजली काटने के निर्देश दिए गए हैं। HPPCB के एन्वायर्नमेंट इंजीनियर अतुल परमार ने बताया कि सिंबोइसिस फॉर्मा के ढाई-तीन साल से लगातार सैंपल फेल हो रहे थे। इसे देखते हुए फैक्ट्री प्रबंधन को बार- बार नोटिस दिए गए। मगर उद्योग प्रबंधन ने एक बार भी जवाब नहीं दिया। अतुल परमार ने बताया कि सिंबोइसिस फॉर्मा को HPPCB के सहायक अभियंता ने एक्सपायरी डेट की दवाइयों का ट्रैक्टर नदी में डालते हुए पकड़ा था। SDO की रिपोर्ट के आधार पर और नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) के आदेशों के हिसाब से 42 लाख की पैनल्टी लगाई गई है। अतुल परमार ने बताया कि साई टेक कंपनी के भी तीन सैंपल फेल हुए है। इसे देखते हुए बिजली बोर्ड को साई टेक की बिजली काटने के निर्देश दिए गए। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की इस कार्रवाई से उद्योग प्रबंधन में हड़कंप मच गया है। दोनों दवा उद्योग एक ही व्यक्ति के बताए जा रहे हैं। बता दें कि औद्योगिक क्षेत्रों की नदियों व खड्डों के सैंपल बार बार फेल हो रहे हैं। इससे कई नदियों का पानी पीने लायक तो दूर खेतीबाड़ी में प्रयोग करने लायक भी नहीं बचा। इसे लेकर NGT कई बार प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को भी फटकार लगा चुका है। NGT के आदेशों पर प्रदेश की सभी नदियों व खड्डों में पानी की गुणवत्ता में सुधार के लिए HPPCB ने एक्शन प्लान बना रखे है और इस पर कार्रवाई जारी है। दवा उद्योगों पर की गई कार्रवाई भी इसी का हिस्सा है।
हिमाचल प्रदेश में कल से मानसून एक्टिव हो सकता है। इस बीच मौसम विभाग ने अगले 24 घंटे के लिए शिमला और सिरमौर जिला में कुछेक क्षेत्रों में फ्लैश फ्लड की चेतावनी जारी की। मौसम विभाग के अनुसार, आज दिनभर और रात में इन दोनों जिलों में भारी बारिश के बाद बाढ़ जैसे हालात बन सकते हैं। इसे देखते हुए 21 जुलाई सुबह 5.30 बजे तक यह अलर्ट दिया गया है। मौसम विभाग ने 22 व 23 जुलाई के लिए पहले ही भारी बारिश का ऑरेंज अलर्ट जारी कर रखा है। 22 जुलाई को पांच जिले ऊना, बिलासपुर, हमीरपुर, मंडी और सोलन के कुछेक क्षेत्रों में भारी बारिश हो सकती है, जबकि 23 जुलाई को सोलन और सिरमौर में भारी बारिश का पूर्वानुमान है। प्रदेश में 25 जुलाई तक मौसम खराब बना रहेगा। प्रदेश में मानसून कमजोर पड़ा हुआ है। मानसून सीजन के दौरान सामान्य से 41 फीसदी कम बारिश हुई है। एक जून से 19 जुलाई तक 247.1 मिलीमीटर नॉर्मल बारिश होती है। मगर इस बार 145.4 मिलीमीटर ही बादल बरसे है। प्रदेश में एक भी जिला ऐसा नहीं है, जहां नॉर्मल से ज्यादा बारिश हुई हो। सिरमौर, लाहौल स्पीति, किन्नौर और चंबा चार ऐसे जिला है जहां नॉर्मल की तुलना में 50 प्रतिशत से कम बारिश हुई है।
हिमाचल प्रदेश के जिला कांगड़ा के शाहपुर विधानसभा क्षेत्र के विधायक केवल सिंह पठानिया ने गुरुवार को उप मुख्य सचेतक का पदभार संभाला। उन्होंने पदभार ग्रहण करने पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू का आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर कृषि और पशुपालन मंत्री चंद्र कुमार, आयुष, युवा सेवाएं एवं खेल मंत्री यादविंद्र गोमा, नाहन से विधायक अजय सोलंकी और प्रदेशभर से पहुंचे पार्टी कार्यकर्ताओं और समर्थकों ने भी उन्हें बधाई और शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कांग्रेस सरकार में कई अहम पदों पर दायित्व निभाया। पठानिया ने वर्ष 2012 से 2017 तक हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम में भी सदस्य के तौर पर सेवाएं दीं। वर्ष 2012 में हिमाचल पथ परिवहन निगम के उपाध्यक्ष भी रहे। इसके अलावा उन्होंने एनएसयूआई और कांग्रेस पार्टी के लिए पंजाब, चंडीगढ़, राजस्थान, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और गोवा में भी काम किया। केवल सिंह पठानिया की खेल गतिविधियों में भी विशेष रुचि रही है। वह प्रदेश की हॉकी टीम के कप्तान भी रहे हैं और राष्ट्रीय स्तर पर पांच बार राज्य का प्रतिनिधित्व किया है।
मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने नई दिल्ली में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जेपी नड्डा से भेंट की। मुख्यमंत्री ने बैठक के दौरान नड्डा को राज्य में स्वास्थ्य क्षेत्र में अधोसंरचना और चिकित्सा सुविधाओं को बेहतर बनाने की प्रदेश सरकार की प्रतिबद्धता के बारे में अवगत करवाया। मुख्यमंत्री ने राज्य के अस्पतालों में ‘स्टेट ऑफ द आर्ट’ चिकित्सा प्रौद्योगिकी की आवश्यकता पर बल दिया ताकि प्रदेश के लोगों को आधुनिक चिकित्सा सुविधाओं के लिए प्रदेश के बाहर न जाना पड़े। उन्होंने निर्माणाधीन नाहन, चंबा और हमीरपुर चिकित्सा महाविद्यालयों का कार्य पूर्ण करने के लिए धनराशि की मांग की। उन्होंने कहा कि राज्य में विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा शिक्षा सुनिश्चित की जा रही है। उन्होंने राज्य में नर्सिंग का प्रशिक्षण पूरा करने वाले प्रशिक्षणार्थियों को सहयोग देने का भी आग्रह किया ताकि इन प्रशिक्षणार्थियों को विदेश में भी सेवाएं प्रदान करने के अवसर मिल सकें। सुक्खू ने प्रदेश की आर्थिकी में बल्क ड्रग पार्क की महत्त्वपूर्ण भूमिका तथा स्थानीय लोगों के लिए रोजगार व स्वरोजगार के अवसरों की उपलब्धता के दृष्टिगत केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री से इस पार्क का निर्माण कार्य शीघ्र सुनिश्चित करने के लिए अतिरिक्त वित्तीय सहायता प्रदान करने का भी आग्रह किया। केंद्रीय मंत्री ने मुख्यमंत्री को केंद्र से हरसंभव सहायता सुनिश्चित करने का आश्वासन दिया। प्रधान सचिव वित्त देवेश कुमार, मुख्यमंत्री के सचिव राकेश कंवर और आवासीय आयुक्त मीरा मोहंती भी बैठक में उपस्थित थीं।
पुणे: विवादित आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर की मां मनोरमा खेडकर को आखिरकार पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। पिस्तौल लहराने और किसानों को धमकाने के मामले में वह फरार चल रही थी। उसकी तलाश में पुलिस की कई टीम जुटी थी। बताया जा रहा है कि वह रायगढ़ जिले के एक फार्महाउस में छिपी थी। जानकारी के अनुसार पुणे पुलिस की तीन से चार टीम मनोरमा खेडकर की तलाश कर रही थी। पुलिस को सूचना मिली थी कि वह रायगढ़ जिले के महाड में एक फार्म हाउस में छिपी हुई है। इसके बाद जाल बिछाया गया और उसे गिरफ्तार कर लिया गया। पुणे पुलिस उसे पूछताछ के लिए ले गई। आज दोपहर उसे कोर्ट में पेश किया जाएगा। पिस्तौल लहराते हुए उसे किसानों को धमकाने वाला वीडियो वायरल हुआ। पुणे पुलिस के साथ उसकी झड़प भी हुई थी। मनोरमा खेडकर की पिछले कुछ दिनों से पुलिस जांच चल रही थी। मनोरमा खेडकर के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। इसके बाद वह फरार हो गई थी। बताया जा रहा है कि वाशिम में पूजा खेडकर के खिलाफ आरोपों के मद्देनजर पुलिस उसे फिर पूछताछ के लिए आई है। कल बाणेर में पूजा खेडकर के घर के अनधिकृत निर्माण पर हथौड़ा चलाया गया। पूजा खेडकर के घर के बाहर अतिक्रमण था। नगर निगम ने उस अतिक्रमण को हटाने के लिए नोटिस जारी किया। अंत में खेडकर परिवार ने अतिक्रमण हटाने के लिए कुछ मजदूर लगाए। दिलीप खेडकर ने घर के बाहर से अतिक्रमण हटाने को कहा था। बाणेर में पूजा खेडकर के बंगले के सामने फुटपाथ पर किए गए अतिक्रमण को भारी बल के साथ हटाया गया।
बीते वर्ष बरसात के दौरान हुई आपदा से बीबीएमबी प्रबंधन ने बड़ा सबक लिया है। इस बार अब बरसात में डैम और पावर हाउस समेत मुख्य जगहों पर सैटेलाइट फोन से आपस में संपर्क रहेगा। ताकि किसी भी तरह की स्थिति पर तुरंत संपर्क किया जा सके। मोबाइल नेटवर्क और लैंडलाइन सेवा ठप होने की सूरत पर यह सैटेलाइट फोन अहम भूमिका निभाएंगे। भारी बरसात के दौरान पंडोह डैम लबालब भरता है। यहीं से ब्यास में पानी छोड़ा जाता है। लारजी बांध से पानी छोड़ने पर पंडोह डैम से पानी छोड़ा जाता है। बरसात के दौरान पंडोह डैम के जल स्तर पर अधिकारियों की निगरानी रहती है। पंडोह डैम से ही बग्गी को भी टनल से होकर पानी भेजा जाता है। इसी टनल का पानी बग्गी में निकलकर बीएसएल जलाशय तक पहुंचता है। इसके बाद यह डैहर पावर हाउस तक पहुंचता है। ऐसे में पंडोह डैम, बग्गी और डैहर पावर हाउस तीनों ही प्रमुख स्थल हैं, जहां बीबीएमबी की निगरानी रहना बेहद जरूरी रहता है। बीते वर्ष बरसात में आपदा के दौरान पंडोह में कनेक्टिविटी पूरी तरह से ध्वस्त हो गई थी। सात से दस दिन के भीतर फोन मिलने की उम्मीद है। बीबीएमबी सुंदरनगर के अधीक्षण अभियंता अजय पाल ने बताया कि फोन जल्द उपलब्ध होंगे। चौहारघाटी में अब अर्ली वार्निंग सिस्टम से बाढ़ के संभावित खतरे को शानन प्रोजेक्ट भांपेगा। इसके लिए बरोट स्थित शानन परियोजना से 20 किलोमीटर दूर बड़ा गांव के गड़सा ब्रिज के समीप आधुनिक अर्ली वार्निंग सिस्टम स्थापित होगा। वहीं, लंबाडग नदी की भी मॉनिटरिंग के लिए लोहारडी में इसी तकनीक के आधुनिक सेंसर स्थापित होंगे। करीब एक करोड़ से अधिक की धनराशि अर्ली वार्निंग सिस्टम स्थापित करने के लिए खर्च की जाएगी। प्राकृतिक आपदा से किसी भी प्रकार का जानी नुकसान न हो, इसके लिए पहली बार चौहारघाटी में इस आधुनिक तकनीक को अपनाया जा रहा है। इसके स्थापित होने के बाद किसी भी प्रकार की प्राकृतिक आपदा के संभावित खतरे पर पहले ही घंटी बजना शुरू हो जाएगी। शानन प्रोजेक्ट की बरोट स्थित उहल परियोजना की पुरानी और नई रेजरवायर में जब अचानक जलस्तर बढ़ जाता है तो बरोट वैली में बाढ़ जैसे हालात बन जाते हैं। शानन प्रोजेक्ट के आरई सतीश कुमार ने बताया कि सिस्टम स्थापित होने के बाद कंट्रोल रूम में जैसे ही खतरे की घंटी बजेगी तभी बड़ागांव से टिक्कन तक हुटर बजना शुरू हो जाएंगे। सैटेलाइट के माध्यम से भी आपदा के संभावित खतरे को भांपने में आसानी मिलेगी।
***आपदा उपरांत आकलन के तहत 9042 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता जारी करने का किया आग्रह मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने आज नई दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से भेंट की। उन्होंने केंद्रीय मंत्री को प्राकृतिक आपदाओं के दृष्टिगत हिमाचल प्रदेश की संवेदनशीलता से अवगत करवाते हुए प्राकृतिक आपदाओं के प्रभावी प्रबंधन के लिए मंत्रालय के पास लम्बित धनराशि को शीघ्र जारी करने का आग्रह किया। उन्होंने राज्य आपदा-2023 के दौरान केंद्रीय टीम द्वारा किए गए आपदा उपरांत आकलन के अंतर्गत 9042 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता जारी करने का भी आग्रह किया। उन्होंने कहा कि यह मामला अभी भी मंत्रालय के पास लम्बित है तथा इस वर्ष बरसात का मौसम शुरू होने के दृष्टिगत राज्य को इस धनराशि की तत्काल आवश्यकता है। उन्होंने यह भी बताया कि 14वें वित्त आयोग की सिफारिशों के अनुसार वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए राज्य को राज्य आपदा प्रतिक्रिया निधि (एसडीआरएफ) के अंतर्गत मिलने वाली 61.07 करोड़ रुपये की राशि लम्बित है। मुख्यमंत्री ने केंद्रीय मंत्री को अवगत करवाया कि 15वें वित्त आयोग की सिफारिशों के अनुसार पहाड़ी राज्यों में भू-स्खलन तथा भूकम्प के प्रभावी प्रबंधन के लिए प्रदेश को वित्तीय वर्ष 2021-2026 के लिए 200 करोड़ रुपये की राशि मिलनी है। उन्होंने एनडीआरएफ के अंतर्गत लम्बित 60.10 करोड़ रुपये शीघ्र जारी करने का भी आग्रह किया। मुख्यमंत्री ने राष्ट्रीय आपदा न्यूनीकरण निधि के अंतर्गत मंत्रालय को प्रस्तुत 125.84 करोड़ रुपये की विस्तृत परियोजना को शीघ्र स्वीकृति प्रदान करने का भी अनुरोध किया। उन्होंने राज्य में एनडीआरएफ परिसरों की स्थापना की आवश्यकता पर बल दिया तथा मंडी, रामपुर और नालागढ़ में परिसरों का निर्माण कार्य आरंभ करने का अनुरोध किया। उन्होंने लाहौल-स्पीति में अंतरराज्यीय सीमा पर सरचू और शिंकुला में सरकारी भूमि पर अनाधिकृत कब्जे पर उचित कार्रवाई की भी मांग की। इस अवसर पर प्रधान सचिव वित्त देवेश कुमार, मुख्यमंत्री के सचिव राकेश कंवर, आवासीय आयुक्त मीरा मोहंती भी उपस्थित थीं।
दिल्ली शराब नीति में भ्रष्टाचार से जुड़े सीबीआई केस में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की जमानत याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। फिलहाल, हाईकोर्ट ने केजरीवाल की जमानत पर फैसला 29 जुलाई को आएगा। ईडी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें पहले ही जमानत दे दी है। हाईकोर्ट में केजरीवाल की तरफ से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी और विक्रम चौधरी पेश हुए, वहीं सीबीआई की तरफ से लोक अभियोजक डीपी सिंह ने अपने तर्क कोर्ट के सामने रखे। केजरीवाल के वकील का कहना है कि वह एक मुख्यमंत्री हैं कोई आतंकी नहीं। पिछले कई महीने से वे जेल में हैं, लेकिन सीबीआई ने गिरफ्तार नहीं किया। जैसे ही ट्रायल कोर्ट ने केजरीवाल को ईडी मामले में जमानत दी उसके तुरंत बाद सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया। सीएम के वकील ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने भी केजरीवाल को अंतरिम जमान दी थी और और केजरीवाल ने सरेंडर कर दिया था। उसी के बाद ट्रायल कोर्ट ने जमानत दी थी। ट्रायल कोर्ट का फैसला बिल्कुल ठीक था। केजरीवाल कहीं भाग नहीं रहे हैं और उन्हें झूठे मामले में गिरफ्तार किया गया है। केजरीवाल ने हमेशा जांच में सहयोग किया है। उन्होंने कहा कि केजरीवाल की ब्लड शुगर पांच बार सोते हुए 50 के नीचे जा चुकी है। यह चिंता का कारण है। सोते समय शुगर का स्तर गिरना खतरनाक है। उन्होंने कहा कि इस मामले में सबको जमानत मिल रही है, मेरी पार्टी का नाम आम आदमी पार्टी है, लेकिन मुझे बेल नहीं मिल रही। तथ्यों को देखते हुए मुझे जमानत दी जाए। सीबीआई के विशेष लोक अभियोजक डीपी सिंह ने कोर्ट से कहा कि आज तक ऐसी कोई टिप्पणी नहीं आई है कि सीबीआई अतिउत्साही रही है या उसने ऐसा कुछ किया है, जिससे किसी कानून का उल्लंघन हुआ हो। आज तक सीबीआई ने ऐसा कोई कार्य नहीं किया है, जिसे अप्राप्य कहा जा सके। सीबीआई ने सामग्री जुटाने में तीन महीने तक काम किया, ऐसा नहीं है कि एजेंसी ने कुछ नहीं किया। केजरीवाल लोक सेवक हैं और उनसे पूछताछ के लिए पीसी एक्ट में अनुमति की जरूरत होती है। जनवरी में मामले में सरकारी गवाह बने मगुंटा रेड्डी ने बयान दिया और 23 अप्रैल में अनुमति मिली और इससे पहले हम कुछ नहीं कर सकते थे। सीबीआई में काम करने का एक तरीका है। डीपी सिंह ने कहा कि सरकारी वकील होने के नाते मैं इस तरह के शब्दों का इस्तेमाल नहीं कर सकता जिसका कोई कानूनी अर्थ नहीं है। इंश्योरेंस अरेस्ट जैसे शब्द का इस्तेमाल न्यायसंगत नहीं है। जांच एजेंसी होने के नाते हमारे पास अपने अधिकार है। हमारे पास अपने अधिकार हैं कि किस आरोपी के खिलाफ कब चार्जशीट करनी है और किस आरोपी को किस समय बुलाना है। वो एक मुख्यमंत्री हैं उनकी भूमिका साफ़ नहीं थी, क्योंकि क्योंकि शराब नीति आबकारी मंत्री के तहत बनी थी लेकिन जब जरूरी लगा उन्हें बुलाया गया। सिघवी ने इंन्योरेंस गिरफ्तारी शब्द अपनी तरफ से गढ़ा है ये अनुचित है।उन्होंने आगे कहा कि सीबीआई ने उन्हे धारा 160 के तहत बुलाया था, लेकिन यह धारा गवाहों के लिए नहीं है। इसका इस्तेमाल केस के तथ्यों से परिचित किसी भी व्यक्ति के लिए किया जा सकता है। ये कोई भी हो सकता है। इनका कहना है कि उनसे पूछताछ 9 घंटे तक चली। हमारे पास ऑडियो वीडियो रिकॉर्डिंग है। सब कुछ टाइप किया गया, उन्होंने उसे चेक किया और उसमें सुधार भी किए और उन सुधारों को समायोजित किया गया। इस दौरान सीबीआई कार्यालय के बाहर भारी भीड़ थी।
हिमाचल प्रदेश में अल्टरनेरिया रोग के कारण सेब की फसल पर गहराए संकट के बीच अदाणी एग्रो फ्रेश लिमिटेड ने भी अपने वैज्ञानिक फील्ड में उतार दिए हैं। कंपनी के वैज्ञानिक रोग के कारणों की जांच कर बागवानों को बचाव के तरीके सुझाएंगें। अदाणी एग्रो फ्रेश हर साल हिमाचल में करोड़ों के सेब खरीदती है। अल्टरनेरिया रोग से इस सीजन में सेब की फसल को भारी नुकसान का अनुमान जताया जा रहा है। संकट के समय में बागवानों का साथ देने के लिए कंपनी ने सोमवार को ही टीमें गठित कर अपने विशेषज्ञों को बागवानों से संपर्क करने के लिए सेब बाहुल्य क्षेत्रों में भेजा है। कंपनी इसी हफ्ते से बागवानी विशेषज्ञों, मौसम विशेषज्ञों और सेब उत्पादक समूहों के साथ बैठकें और बगीचों में रोग का व्यापक क्षेत्र मूल्यांकन करेंगी। बीमारी का प्रभाव कम करने के लिए बागवानों को दवाओं का सुझाव दिया जाएगा। अदाणी एग्रो फ्रेश के पास वैज्ञानिकों का एक पैनल है जो फसल की उच्च गुणवत्ता के लिए सेब उत्पादक क्षेत्रों में प्रशिक्षण आयोजित करता है साथ ही मिट्टी की जांच की सुविधा भी बागवानों को उपलब्ध करवाता है।अदाणी अपनी लैब में वैज्ञानिकों से सेब की टेस्टिंग करवाता है। डॉ. वाईएस परमार बागवानी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी, कृषि विज्ञान केंद्र शिमला की टीमों ने भी सेब उत्पादक क्षेत्रों रोहडू, कोटखाई, जुब्बल, चौपाल और ठियोग में बगीचों का निरीक्षण करने के बाद बीमारी के व्यापक प्रसार की आशंका जताई है। सेब के 95 फीसदी तक पौधों के अल्टरनेरिया रोग की चपेट में आने की संभावना व्यक्त की है। पत्तों में रोग लगने से सेब में भूरे और काले दाग पड़ रहे हैं और फल समय से पहले झड़ना शुरू हो गए हैं। अदाणी एग्रो फ्रेश लिमिटेड के प्रवक्ता ने बताया कि अल्टरनेरिया रोग से हिमाचल में सेब की फसल पर व्यापक असर पड़ा है। कंपनी सालों से हिमाचल में सेब खरीद रही है, हमारा दायित्व है कि संकट में हम बागवानों के साथ खड़े रहें। विशेषज्ञों की टीमें गठित कर फील्ड में भेज दी हैं। बागवानों का हर संभव सहयोग किया जाएगा। प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में सेब के बगीचों में माइट का प्रकोप भी देखने को मिल रहा है। माइट छोटे कीट होते हैं जो पौधों की पत्तियों और फलों से रस चूसते हैं। जिससे पत्तों पर धब्बे पड़ते हैं, पत्ते पीले पड़कर झड़ जाते हैं। बगीचों में मार्सोनिना रोग के लक्षण भी दिख रहे हैं। इस रोग से समय पूर्व पतझड़ होने का खतरा रहता है। अल्टरनेरिया रोग से सेब की फसल को बचाने के लिए बागवानी विभाग और नौणी विवि ने एडवाइजरी जारी की है। स्प्रे शेड्यूल के अनुसार हर 10 से 15 दिन में फफूंदनाशकों का छिड़काव करने का सुझाव दिया है। विभाग ने मैन्कोज़ेब (600 ग्राम/200 लीटर पानी), हेक्साकोनाजोल 4% + जिनेब 68% WP (500 ग्राम/200 लीटर पानी) या कार्बेन्डाजिम 25% + फ़्लूसिलाज़ोल 12.5% SC (160 मिली/200 लीटर पानी) का उपयोग हर 10 से 12 दिनों के अंतराल पर करने का सुझाव दिया है। उद्यान विभाग के निदेशक विनय सिंह ने बताया कि विभाग ने अपने अधिकारियों को बागवानों को हर संभव सहयोग देने के निर्देश दिए हैं। नौणी विवि के पादप रोग विज्ञान विभाग ने भी प्रदेश के कुछ क्षेत्रों से रिपोर्ट की गई सेब के पत्तों पर बीमारियों के प्रभावी प्रबंधन के लिए सेब बागवानों के लिए एडवाइजरी जारी की है। वैज्ञानिकों के अनुसार कम बारिश के कारण यह बीमारियां पैदा हुई हैं। उचित दवाओं का छिड़काव करने की सलाह दी है।
हिमाचल प्रदेश में अब नए निजी नर्सिंग संस्थान नहीं खुलेंगे। वर्तमान में जो नसिंग संस्थान चल रहे हैं, उन्हें और सुदृढ़ किया जाएगा। सरकार के आदेशों के बाद स्वास्थ्य विभाग ने नए आवेदन लेने से मना कर दिया है। पूर्व भाजपा सरकार के कार्यकाल में निजी नर्सिंग संस्थान खोलने के लिए आए आवेदन भी लंबित सूची में डाल दिए हैं। वर्तमान में प्रदेश में 60 निजी और दो सरकारी नर्सिंग काॅलेज एवं स्कूल हैं। निजी संस्थानों में नर्सिंग का कोर्स करने के लिए चार लाख रुपये से ज्यादा खर्च आता है। इसमें हॉस्टल, वर्दी व अन्य खर्चे शामिल हैं। हजारों की संख्या में छात्राएं यह कोर्स कर रही हैं। हालांकि सरकारी कॉलेजों में फीस कम है। इसमें एक साल का खर्च करीब 70 हजार के पास रहता है। हिमाचल में नए नर्सिंग काॅलेज खुलने से कई और छात्राएं सरकारी संस्थानों में प्रशिक्षण हासिल कर सकेंगी। ऐसे में विभाग का सरकारी नर्सिंग संस्थान खोलने पर ही जोर रहेगा। उल्लेखनीय है कि स्वास्थ्य विभाग ने प्रदेश के नर्सिंग स्कूल और कॉलेजों में आधारभूत ढांचे विकसित करने के निर्देश दिए थे। कई निजी संस्थान ऐसे हैं, जहां स्टाफ की कमी है तो कहीं प्रयोगशालाओं का सेटअप ठीक नहीं है। ऐसे में विभाग की ओर से इन्हें नोटिस भी जारी किए गए हैं।
मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने आज नई दिल्ली में केंद्रीय विद्युत एवं ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल खट्टर से भेंट कर हिमाचल प्रदेश के विभिन्न लम्बित मुद्दों पर चर्चा की। उन्होंने शानन जल विद्युत परियोजना के पट्टे की अवधि पूर्ण हो जाने पर इसके अधिकार राज्य सरकार को वापिस दिलवाने तथा इस मुद्दे का सौहार्दपूर्ण समाधान निकालने के लिए केंद्रीय मंत्री सेे हस्तक्षेप करने का आग्रह किया। उन्होंने केंद्रीय मंत्री से बीबीएमबी के पास कई वर्षों से लम्बित बकाया राशि को शीघ्र जारी करवाने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि वर्षों से लम्बित राशि न मिलने केे कारण राज्य को भारी नुकसान हो रहा है। मुख्यमंत्री ने स्पीति में मेगा सोलर पार्क के लिए भी सहायता का आग्रह किया। केंद्रीय मंत्री ने मुख्यमंत्री को उनकी मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करने का आश्वासन दिया तथा अधिकारियों को आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री के प्रधान सलाहकार राम सुभग, प्रधान सचिव (वित्त) देवेश कुमार और आवासीय आयुक्त मीरा मोहंती सहित मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी भी इस बैठक में उपस्थित थे।
सीजीएसटी मामले में सीबीआई अधीक्षक और निरीक्षक के खिलाफ चार्जशीट तैयार करने में जुट गई है। सीबीआई के पास इन दोनों के खिलाफ पुख्ता सबूत बताए जा रहे हैं। सप्ताह के भीतर चार्जशीट तैयार कर कोर्ट में पेश की जाएगी। सीबीआई को अंदेशा है कि सीजीएसटी नंबर जारी किए जाने पर पैसों के लेनदेन का यह मामला पहले से चल रहा होगा? ऐसे में सीबीआई इसकी परतें खंगालने में जुटी है। दो महीने के भीतर कितने नंबर जारी हुए हैं। इसका भी रिकाॅर्ड देखा जा रहा है। वहीं, सीबीआई दोनों के बैंक खातों को भी खंगाल रही है। सीजीएसटी कार्यालय से कुछ अहम दस्तावेज कब्जे में लिए गए हैं। आरोपियों के ठिकानों पर दी गई दबिश के बाद जांच में कई नए तथ्य सामने आए हैं। उल्लेखनीय है कि सीबीआई ने एक शिकायत के आधार पर सीजीएसटी इंस्पेक्टर और अधीक्षक को 8 हजार की रिश्वत मांगने व स्वीकार करने से संबंधित मामले में गिरफ्तार किया था। दोनों आरोपियों से पूछताछ जारी है। शिकायतकर्ता के आरोपों को सत्यापित करने के लिए सीबीआई पुलिस अधीक्षक राजेश चहल की ओर से आरोपियों को रंगहाथ पकड़ने के लिए चार सदस्यीय टीम बनाई गई थी। जांच अधिकारी ने 32 जीबी क्षमता के एक नए मैमरी कार्ड के साथ एक डीवीआर की व्यवस्था की। शिकायतकर्ता को सीजीएसटी कार्यालय में भेजा गया। इस दौरान जो भी वार्ता हुई है, उसकी रिकॉर्डिंग की गई।
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने मंगलवार को नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से शिष्टाचार भेंट की। इस दौरान प्रदेश के विभिन्न मुद्दों पर पीएम मोदी से चर्चा की। सीएम ने बिजली रॉयल्टी, बीबीएमबी में हिस्सेदारी और नई पेंशन योजना के अंशदान का मुद्दा पीएम से उठाया। पोस्ट डिजास्टर नीड असेसमेंट की ग्रांट हिमाचल को नहीं मिल पाई है, इसे लेकर भी प्रधानमंत्री से बात की गई। प्रधानमंत्री ने सभी मुद्दों पर सहानुभूतिपूर्ण विचार करने का आश्वासन दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि बीबीएमबी के पास हिमाचल की 4,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की हिस्सेदारी है, जिसे सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बाद भी हिमाचल को नहीं दिया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने सितंबर 2011 को हिमाचल के पक्ष में फैसला दिया और बीबीएमबी की तरफ से परिचालित विद्युत परियोजनाओं में हिमाचल की हिस्सेदारी 7.19 फीसदी तय की। यह हिस्सेदारी 27 सितंबर से 2011 से प्रदेश को मिलनी शुरू हो गई है, लेकिन 2011 से पहले का एरियर अभी तक नहीं मिल पाया। हिमाचल की पूर्व सरकार ने पावर प्रोजेक्ट में रॉयल्टी कम की थी। वहीं लोक निर्माण विभाग के मंत्री विक्रमादित्य सिंह भी मुख्यमंत्री के साथ दिल्ली गए हैं। दोनों नेता केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गड़करी से भी मुलाकात कर प्रदेश में बीते वर्ष आई आपदा से प्रभावित सड़कों को लेकर धनराशि जारी नहीं होने का मामला उठाएंगे।
हिमाचल पथ परिवहन निगम (एचआरटीसी) ने 1,109 कर्मियों को नियमितीकरण का तोहफा दिया है। चालक-परिचालकों के अलावा कर्मशाला कर्मियों को भी नियमित किया गया है। दो वर्ष का अनुबंध कार्यकाल पूरा कर चुके कर्मचारियों को नियमितीकरण के आदेश जारी किए गए हैं। 31 मार्च 2024 को दो वर्ष का कार्यकाल पूरा करने वाले कर्मियों को नियमित किया गया है। निगम प्रबंधन ने मंडलीय स्तर पर नियमितीकरण के मामलों पर विचार किया, लंबी प्रक्रिया के दौरान कर्मियों के दस्तावेज खंगाले गए। इसके बाद निगम मुख्यालय स्तर पर 6 कार्य प्रबंधक, एक अधीक्षक भंडार, 10 कनिष्ठ कार्यालय सहायक आईटी, 4 चालक, 457 परिचालक, 534 कनिष्ठ तकनीशियन, 83 कर्मशाला सहायकों को नियमित किया गया है। निगम प्रबंध निदेशक ने बताया कि लंबी प्रक्रिया के बाद पात्र कर्मियों को नियमित किया गया है। एचआरटीसी जेसीसी के सचिव खेमेंद्र गुप्ता ने कर्मियों के नियमितीकरण के लिए प्रबंधन का आभार जताया है।
शिमला: प्रदेश हाईकोर्ट ने अदालती आदेशों के बावजूद छठे वेतन आयोग के वित्तीय लाभ न देने से जुड़े मामले में मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना को नोटिस जारी किया है। अदालत ने मुख्य सचिव को नोटिस में चार सप्ताह के अंदर अवमानना याचिका का जवाब देने अथवा अनुपालना शपथपत्र दाखिल करने के आदेश जारी किए। एचपी सचिवालय और इससे संबंधत्ता रखने वाली पेंशनर कल्याण एसोसिएशन ने प्रतिवादी अधिकारियों पर अदालती आदेशों की अवमानना का आरोप लगाते हुए यह याचिका दायर की है। हाईकोर्ट ने 22 मार्च 2024 को अपने फैसले में सरकार को आदेश दिए थे कि वह एसोसिएशन के सदस्यों को छठे वेतन आयोग के वित्तीय लाभ 6 फ़ीसदी ब्याज सहित अदा करे। कोर्ट ने सरकार को 6 सप्ताह के भीतर बढ़ी हुई पेंशन की बकाया राशि 6 फीसदी ब्याज सहित देने को कहा था। कोर्ट के दिए गए समय के भीतर पेंशनरों को यह लाभ न देने पर दायर अवमानना याचिका की प्रारंभिक सुनवाई में न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ ने मुख्य सचिव सहित अन्य प्रतिवादियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया। उल्लेखनीय है कि उक्त एसोसिएशन की याचिका को स्वीकारते हुए कोर्ट ने कहा था कि सरकार वित्तीय संकट के नाम पर पेंशनरों के वित्तीय लाभ न तो रोक सकती है और न ही देने से इंकार कर सकती है। सरकार संसाधनों की कमी के नाम पर पेंशनरों के लाभ अनिश्चितकाल तक प्रतिबंधित भी नहीं कर सकती। कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि यदि एक बार किसी सेवारत अथवा सेवानिवृत कर्मचारी के पक्ष में वित्तीय लाभ कानूनी रूप से एक्सिस्ट्स हो जाएं तो उन्हें अनिश्चितकाल के लिए न तो रोका जा सकता है और न ही उनमें कोई संशोधन कर कम किया जा सकता है। सरकार कानूनी रूप से अपने वादों को पूरा करने के लिए बाध्य होती है इसलिए वित्तीय स्थिति का बहाना बनाकर वित्तीय लाभ नहीं रोके जा सकते। प्रार्थी एसोसिएशन ने आरोप लगाया था कि उन्हें छठे वेतन आयोग की सिफारिशों के मुताबिक अभी तक कोई वित्तीय लाभ नहीं दिए हैं। एसोसिएशन का कहना था कि प्रदेश सरकार ने 3 जनवरी 2022 को संशोधित वेतनमान संबंधी नियम बनाए। इन नियमों के तहत सरकार ने छठे वेतन आयोग की सिफारिशों को अपनाया और कर्मचारियों को 1 जनवरी 2016 से यह लाभ देने की घोषणा की। एसोसिएशन का कहना था कि वे भी संशोधित वेतन मान की बकाया राशि पाने के हकदार हैं क्योंकि वे 1 जनवरी 2016 के पहले व बाद में रिटायर हुए थे। 25 फरवरी 2022 को सरकार ने पेंशन नियमों में संशोधन कर 1 जनवरी 2016 के बाद रिटायर होने वाले कर्मियों की डीसीआर ग्रेच्यूटी की सीमा 10 लाख से 20 लाख रुपये कर दी थी। 17 सितम्बर 2022 को सरकार ने कार्यालय ज्ञापन जारी कर वित्तीय लाभ देने के लिए किश्तें बनाई, जिसके अनुसार वित्तीय लाभों की बकाया राशि का भुगतान पांच किश्तों में करने का प्रावधान बनाया गया। प्रार्थियों का कहना है कि उनके वित्तीय लाभ किश्तों में देने का प्रावधान सरासर गलत है। सेवानिवृति लाभ पाना उनका अधिकार है और सरकार ये लाभ देकर उन पर कोई एहसान नहीं कर रही। सरकार को रिटायर कर्मचारियों के वित्तीय लाभ किश्तों में देने की इजाजत नहीं दी जा सकती और वो भी बिना ब्याज के प्रार्थियों ने सरकार पर भेदभाव का आरोप लगाते हुए कहा कि जो कर्मचारी 1 जनवरी 2016 से 31 जनवरी 2022 के बीच सेवानिवृत हुए हैं। उन्हें वित्तीय लाभ पांच किश्तों में और जो 1 मार्च 2022 से बाद सेवानिवृत हुए हैं उन्हें सभी लाभों का बकाया एक साथ किया जा रहा है।
**पिछले 10 वर्षों से रोजगार का कर रही थी इन्तज़ार **अब भर्ती के मानकों से परेशान एक लम्बे इंतज़ार के बाद हिमाचल में प्री प्राइमरी शिक्षकों की भर्ती हो तो रही है मगर अब भी इससे इंतज़ार कर रहे बेरोज़गार पूरी तरह संतुष्ट नहीं है। एनटीटी डिप्लोमा धारक, भर्ती के मानकों से परेशान है। पहले इस भर्ती के ओउटसोर्से आधार पर होने से युवाओं ने चिंता जताई और अब भर्ती के लिए एनसीटीई अप्रूवल संस्थान के डिप्लोमा पर...दरअसल प्रदेश में अधिकतर युवाओं ने एनटीटी का एक साल का डिप्लोमा किया है, लेकिन नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन के मुताबिक एनटीटी के लिए 2 साल का डिप्लोमा जरूरी है। इस मसले पर हिमाचल प्रदेश बेरोजगार संघ की अध्यक्षा शिल्पा शर्मा का कहना है कि हिमाचल में जब ये NTT डिप्लोमा करवाए जा रहे थे तो ये स्पष्ट नहीं था कि कौन-सा संस्थान एनसीटीई से मान्यता प्राप्त है और कौनसा नहीं। प्रशिक्षुओं ने प्रतिष्ठित संस्थानों से एनटीटी का डिप्लोमा हासिल किया है मगर संस्थान के पास एनसीटीई की मान्यता न होने के कारण आज उनका डिप्लोमा धरा का धरा रह गया है। अगर ये डिप्लोमा मान्यता नहीं रखते थे तो प्रदेश में इन्हें करवाने की अनुमति क्यों दी गई। हर एक डिप्लोमा धारक महिला अपना समय और पैसा लगा चुकी है मगर अब उन्हें नौकरी नहीं मिल रही। ऐसे डिप्लोमा धारकों की संख्या 15 से 30 हजार हैं जो पिछले लंबे समय से नौकरी का इंतज़ार कर रहे है। इन प्रशिक्षुओं की सरकार से मांग है कि इन्हें रियायत दी जाए और सरकारी स्कूलों में 6,297 पदों पर होने वाली प्री-प्राइमरी टीचरों की भर्ती में इन्हें भी शामिल किया जाए।