एअर इंडिया की फ्लाइट में क्रू मेंबर के साथ बदतमीजी करने की घटना सामने आई है। मिली जानकारी के मुताबिक फ्लाइट AI882 में 29 मई को एक यात्री ने बदतमीजी की। आरोपी यात्री ने चालक दल के सदस्यों को गालियां दी और फिर उनमें से एक पर हमला भी किया। दिल्ली एयरपोर्ट पर उतरने के बाद भी यात्री को सुरक्षाकर्मियों को सौंप दिया गया। बता दें कि एअर इंडिया की फ्लाइट में दो महीने में इस तरह की यह दूसरी घटना है। इससे पहले अप्रैल के महीने में एक यात्री ने भी क्रू मेंबर के साथ दुर्व्यवहार किया था। 10 अप्रैल को दिल्ली-लंदन की फ्लाइट में एक यात्री ने दो महिला केबिन क्रू सदस्यों के साथ बदसलूकी की थी। इस घटना के बाद एयरलाइन ने आरोपी व्यक्ति पर दो साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया था। हाल ही में फ्लाइट में बदसलूकी के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। यहां तक कि यात्रियों पर पेशाब करने के भी कई मामले में आ चुके हैं। इसी महीने 11 मई को नशे की हालात में एक महिला यात्री ने दिल्ली-कोलकाता की इंडिगो की फ्लाइट में क्रू मेंबर के साथ बदतमीजी की थी। आरोपी महिला को कोलकाता एयरपोर्ट पर सीआईएसएफ को सौंप दिया गया था।
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के जस्टिस मामिदन्ना सत्य रत्न श्री रामचंद्र राव को हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया है। बीते कल केंद्रीय कानून मंत्रालय ने पांच न्यायाधीशों को विभिन्न उच्च न्यायालयों में मुख्य न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया है। जारी अधिसूचना में बॉम्बे हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय विजयकुमार गंगापुरवाला को मद्रास हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया है। जबकि जस्टिस देवकीनंदन धानुका को बॉम्बे हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया है। जस्टिस धानुका वर्तमान में बॉम्बे हाईकोर्ट के न्यायाधीश हैं। वह 30 मई को 62 वर्ष की आयु पूर्ण कर सेवानिवृत्त हो जाएंगे और प्रभावी रूप से उनका कार्यकाल मात्र चार दिनों का होगा। इसके अलावा पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के जस्टिस ऑगस्टाइन जॉर्ज मसीह को राजस्थान हाईकोर्ट, केरल हाईकोर्ट के जस्टिस सरस वेंकटनारायण भट्टी को उसी अदालत का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया है।
मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में बीते एक साल जेल में बंद दिल्ली सरकार के पूर्व मंत्री सत्येंद्र जैन को सुप्रीम कोर्ट ने 6 हफ्तों की अंतरिम जमानत दे दी है। जैन को यह जमानत स्वास्थ्य आधार पर मिली है। दरअसल बीते कुछ दिनों से जैन की तबियत खराब थी और गुरुवार को वह जेल के वाशरूम में चक्कर खाकर गिर पड़े थे। इसके बाद उनको एलएनजेपी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। शुक्रवार को उनकी जमानत को लेकर हुई सुनवाई में ईडी ने जमानत का विरोध किया था और एम्स के डॉक्टरों के एक स्वत्रंत मेडिकल बोर्ड से उनके स्वास्थ्य की जांच करवाने की मांग की थी। इसके बाद जैन के वकील ने कहा कि एक साल में उनका 35 किलो वजन गिर चुका है उनको मानवीय आधार पर जमानत दी जाए। सुनवाई के बाद कोर्ट ने सत्येंद्र जैन को 6 हफ्तों को अंतरिम जमानत दे दी है।
हिमाचल प्रदेश सरकार शानन पावर प्रोजेक्ट से पंजाब से वापस लेने का मन बना चुकी है। सीएम सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने स्पष्ट कर दिया है कि लीज अवधि समाप्त होने के इसका नवीनीकरण नहीं किया जाएगा। शानन पावर प्रोजेक्ट की लीज 2 मार्च 2024 को समाप्त हो रही है और इसके बाद हिमाचल सरकार इसे संभालेगी। ब्रिटिश राज में मंडी के तत्कालीन राजा जोगिंदर सिंह ने शानन प्रोजेक्ट को 3 मार्च 1925 को 99 साल के लिए पंजाब को लीज पर दिया था। यह प्रोजेक्ट पावरकाम के अधीन 110 मेगावाट हाईड्रो बिजली पैदा करता है, जो पंजाब को काफी सस्ती पड़ती है। हालाँकि पंजाब सरकार की लचर कार्यशैली के चलते ये प्रोजेक्ट जर्जर हालत में है और पंजाब सरकार इसका रखरखाव एक किस्म से बंद चुकी है। अब जल्द ये प्रोजेक्ट हिमाचल के अधीन होगा और इस बाबत सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने पंजाब के मुख्यमंत्री से सहयोग की अपील भी की है।
नकली दवाओं की आपूर्ति के आरोप में हुई थी गिरफ्तार बद्दी स्थित एक फार्मा कंपनी की महिला प्रबंधक को ड्रग विभाग (राज्य औषधि नियंत्रक विभाग के अधीन) ने नकली दवा की सप्लाई करने के मामले में गिरफ्तार किया है। विभाग ने बड़ी कार्रवाई करते हुए कंपनी को सीज कर मौके पर मिली दवाओं को कब्जे में ले लिया है। कार्रवाई के बाद बुधवार को आरोपी महिला प्रबंधक को कोर्ट में पेश किया गया, जहाँ से उसे तीन दिन के रिमांड पर भेजा गया है। मिली जानकारी के अनुसार आरोप है कि कंपनी की महिला प्रबंधक ने करीब सात करोड़ की नकली दवाएं दूसरे राज्यों में सप्लाई की थी। इसके बाद विभाग की टीम ने जांच आगे बढ़ाते हुए बद्दी की संबंधित फार्मा कंपनी की प्रबंधक को गिरफ्तार किया, साथ ही कंपनी में तैयार दवाओं और मशीनरी को भी सीज कर दिया गया है।
7 फीट 5 इंच लंबाई, 110 किलो वजन, 81 किलो का भारी-भरकम भाला, छाती पर 72 किलो वजनी कवच और सबसे ख़ास बात, युद्ध कौशल, स्वाभिमान और साहस ऐसा कि दुश्मन भी कायल थे। कहते हैं कि महाराणा प्रताप अपने पास हमेशा दो तलवार रखते थे,ताकि अगर कोई निहत्था दुश्मन मिले तो एक तलवार उसे दे सकें, क्योंकि वे निहत्थे पर वार नहीं करते थे। ये वो दौर था जब मुगल सलतनत के बादशाह अकबर ने लगभग पूरे हिन्दुस्तान पर कब्ज़ा कर लिया था और एक-एक कर सभी राजपूत राजा उसके अधीन होते जा रहे थे। अकबर ने न केवल बल से राजपूतों को झुकाया बल्कि जो राजपूत राजा उसका साथ नहीं देना चाहते थे, उनके साथ वो रिश्ता जोड़ लिया। जयपुर के राजा मानसिंह की फूफी से अकबर ने विवाह कर लिया और इस फेहरिस्त में अनेक राजपूत राजा थे जिन्होंने मुगलों से रोटी -बेटी सम्बन्ध बनाने में अपनी भलाई समझी। पर महाराणा प्रताप अलग मिटटी के बने थे, महाराणा तो स्वाभिमान से गुथी मिट्टी के बने थे। अकबर ने कई बार प्रयास किया की प्रताप को वो अपने अधीन कर ले, लेकिन राजपूताना स्वाभिमान के आगे उसे हर बार मिली तो केवल शिकस्त। करीब 30 सालों तक लगातार कोशिश के बाद भी अकबर उन्हें बंदी नहीं बना सका था। " जिस राज़पूत ने मुगल के हाथ में अपनी बहन को दिया है, उस मुगल के साथ उसने भोजन भी किया होगा, सूर्यवंशीय बप्पा रावल का वंशधर उसके साथ भोजन नहीं कर सकता।” ये शब्द थे राजा मान सिंह को महाराणा प्रताप के और इस अपमान को मान सिंह सहन नहीं कर सका। वह तुरन्त दिल्ली को निकला और फिर बादशाह अकबर को भड़काया। उधर अकबर इसी प्रतीक्षा में बैठा था कि राणा से युद्ध कर उसे नीचा दिखाया जाये, सो एक विशाल सेना के साथ राजा मान सिंह और सलीम मेवाड़ भूमि की ओर निकल पड़े। महाराणा प्रताप और मुगल बादशाह अकबर के बीच हल्दीघाटी में भयंकर युद्ध हुआ और बाकि इतिहास हैं। महाराणा प्रताप की करीब बीस हज़ार की सेना अकबर की 80 हजार सैनिकों वाली विशाल सेना के सामने जमकर लड़ी। बताते हैं कि ये युद्ध तीन घंटे से अधिक समय तक चला था और इस युद्ध में जख्मी होने के बावजूद महाराणा मुगलों के हाथ नहीं आए। महाराणा प्रताप कुछ साथियों के साथ जंगल में जाकर छिप गए और यहीं जंगल के कंद-मूल खाकर लड़ते रहे। हल्दीघाटी के युद्ध के पश्चात महाराणा प्रताप को मेवाड़-भूमि को मुक्त करवाने के लिये अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। महाराणा प्रताप को बारह वर्ष तक कंद मूल खाकर जंगलों और अरावलियों की पहाड़ियों में छिप छिप कर दिन व्यतीत करने पड़े। ऐसी विषम परिस्थिति में भी महाराणा को कभी-कभी अकबर की सेना का मुकाबला करना पड़ता था। उनके साथ छोटे छोटे बच्चे व महारानी भी थी। उधर अकबर राणा को पकड़ने की ताक में था परन्तु उसकी ये हसरत कभी पूरी नहीं हुई। महाराणा प्रताप अपने परिवार के साथ बीहड़ जंगलों में घास की रोटी खाकर जीवन निर्वाह करते थे। घास की बनी रोटियां खाते छोटे -छोटे बच्चे और उन रोटियों को भी कभी कभी वन के बिलांव छीनकर ले जाते। परन्तु महाराणा अपने प्रण पर अडिग थे और लक्ष्य था केवल और केवल मेवाड़ भूमि को बंधनों से मुक्त करने का। साथ मिला मेवाड़ भूमि के सच्चे सेवक भामाशाह का जिन्होंने सबकुछ महाराणा के चरणों में अर्पित कर दिया। मुगल सेना से छापामार युद्ध चलता रहा और इस बीच भामाशाह ने देशहित अपना सर्वस्व बलिदान कर दिया। उधर महाराणा के हृदय में पुन: साहस की लहर दौड़ पड़ी और बिखरी सेना को संगठित कर उन्होंने कई किलो पर फिर अधिकार कर लिया। हालाँकि अपने प्रिय चित्तौड़ के किले को मुक्त न करा सके। इस बीच महाराणा का स्वास्थ्य ख़राब होता गया और उनको मृत्यु शैय्या पर सोना पड़ा। महाराणा प्रताप का निधन 19 जनवरी 1597 को हुआ था। कहा जाता है कि इस महाराणा की मृत्यु पर अकबर की आंखें भी नम हो गई थीं। उनके 17 पुत्रों में से अमर सिंह महाराणा प्रताप के उत्तराधिकारी और मेवाड़ के 14वें महाराणा बने। मृत्यु पूर्व उन्होंने अपने पुत्र और वीर सामंतों को बुला कर कहा था, वीर सपूतों दृढ़ संकल्प करो कि मेरे मरने के बाद मेरी प्रतिज्ञा को पूर्ण करोगे और सम्पूर्ण मेवाड़ की भूमि को स्वतन्त्र कराओगे। युद्धभूमि छोड़ भागा था शहजादा सलीम : हल्दीघाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप अपने शत्रु मान सिंह की खोज कर रहे थे। तभी उनके सामने अकबर का बड़ा पुत्र शहजादा सलीम आ गया। महाराणा ने भाला उठाया और अपने प्यारे घोड़े चेतक को सलीम की ओर चलाया। उनका प्यारा घोड़ा चेतक भी किसी वीर योद्धा से कम न था और महाराणा का इशारा पाकर वह सलीम के हाथी पर भी चढ़ गया। हालांकि महाराणा प्रताप के भीषण वार से महावत व शरीर रक्षक गण तो मारे गये, लेकिन भाग्यवश सलीम बच गया। महावत के गिरते ही निरंकुश होकर हाथी शहजादा सलीम को लेकर भाग गया। उधर महाराणा प्रताप ने भी उसका पीछा नहीं छोड़ा। कहते हैं शहजादे को बचाने के लिए अगणित सेना ढाल बनकर वार करने लगी। पर निडर महाराणा प्रताप ने हज़ारों सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया। मुगल सेना को राजपूतों के भीषण वारों से छठी का दूध याद दिला था, लेकिन राजपूत सेना संख्या में बहुत कम थी। धीरे धीरे महाराणा की सेना निर्बल होने लगी। उधर राजा मानसिंह की खोज करते करते महाराणा प्रताप शत्रु सेना में घुस गए। राणा के परन्तु मस्तक पर मेवाड़ राजछत्र- लगा हुआ था, जिसे देख कर मुगल सेना ने इनको घेर लिया। महाराणा संकट में थे। उनके साथ न कोई सामन्त था और न कोई सरदार। इस बीच “जय महाराणा प्रताप की जय” का घोष करते हुए वीरवर भालांपति मन्नाजी झपटते हुये सेना सहित महाराणा प्रताप की सहायता को पहुंचे। मन्नाजी ने महाराजा से ऐसे संकट के समय राजचिन्ह देकर वहां से निकल जाने की प्रार्थना की। महाराणा बोले ” मन्नाजी ! रण में पीठ दिखाना राजपूत का काम नहीं और यह कायरता पूर्ण कार्य मैं नहीं कर सकता। मात्रभूमि की रक्षा के लिए में अन्तिम श्वास तक लड़ता रहूंगा। " पर मन्नाजी ने कहा कि हिन्दुओं की रक्षा के लिए, मेवाड़ भूमि को स्वतंत्रता के लिए, यह आवश्यक है कि वे प्राणों की बलि न दें, हम आपको रण से नहीं हटा रहे वरन् निरन्तर मुगलों (विदेशियों ) से युद्ध करने के लिए यहां से इस समय अलग कर रहे हैं। आखिरकार महाराणा मान गए और वहां से अलग हो गये। राणा ने अपना छतर और झण्डा झालाजी को दे दिया। इधर वीरवर मन्नाजी को ही राणा समझ कर मुगल सैनिक उन पर टूट पड़े। मन्नाजी ने प्रचएंड युद्ध कौशल दिखाया परंतु, विशाल सेना का मुकाबला न कर सके ओर कई मुगल सैनिकों को मार कर स्वयं भी मातृभूमि की गोद में हमेशा के लिए सो गये। दौड़ रहा अरिमस्तक पर, वह आसमान का घोड़ा था ..... महाराणा प्रताप का घोड़ा चेतक उनका विश्वासपात्र था, मनुष्यों के सम्मान बुद्धि रखता था और इशारा पाते ही हवा से बातें करने लगता था। चेतक एक महान योद्धा था। हल्दीघाटी के युद्ध में हजारों दुश्मनों ने महाराणा को रोकने के लिए,उन पर आक्रमण करने के लिए चेतक पर प्रहार किये परन्तु हवा से बातें करता चेतक जख्मी होकर भी न रुका और अपने प्रिय राजा को लेकर मुगल सेना के बीचोंबीच से सुरक्षित निकाल ले गया। उधर दो पठान सरदारों ने भी दल बल सहित महाराणा का पीछा किया। इसी बीच महाराणा प्रताप सिंह का छोटा भाई शक्ति सिंह, जो मुगलों में जा मिला था, सबकुछ देख रहा था। राणा के प्राणों को संकट में देख कर उसका ममत्व जाग पड़ा। भाई को रक्षार्थ उसने पठान सैनिकों का पीछा किया और उन सैनिकों को काल के घाट उतार दिया। शक्तिसिंह ने महाराणा प्रताप को रुकने के लिए कहा किन्तु महाराणा को भरोसा नहीं था सो उन्होंने उसकी एक नहीं सुनी और नाला पार करने तक घोड़े पर दौड़ते रहें। जब नदी पार करली तो घायल घोड़ा थक चुका था। चेतक महाराणा को पीठ पर लिए 26 फीट का नाला एक छलांग में लांघ गया था। नाला पार कर महाराणा जैसे ही घोड़े से उतरे तो पीछे भाई शक्तिसिंह खड़ा था। महाराणा ने कहा “भाई शक्ति ! तुम अब भी मेरे प्राणों के पीछे पड़े हो। लो आज अपने हाथों से ही इस प्रताप का अन्त कर दो, सारा मेवाड़ उजड़ चुका है और आँखें उजड़े हुए मेवाड़ को नहीं देखता चाहती”। शक्तिसिंह महाराणा के चरणों में गिरकर बिलख बिलख कर रोने लगे और अपने अपराध की क्षमा मांगी। उधर महाराणा प्रताप का घोड़ा चेतक सदा के लिए जैसे विदाई मांग रहा था। चेतक के प्राण-पखेरू उड़ गये और महाराणा प्रताप फूट- फूट कर रोने लगे। जिसने पूरी मुगल सेना को काल दिखा दिया वो वीर महाराणा भी भावुक थे। शक्तिसिंह ने उन्हें संभाला और अपना घोड़ा राणा को दे दिया। कवी श्यामनारायण पाण्डेय ने अपनी उत्कृष्ट काव्यसर्जना हल्दीघाटी में महाराणा प्रताप के जीवन से जुड़े सभी प्रसंगों को समेटा हैं। चेतक पर भी उन्होंने एक कविता लिखी हैं जिसका शीर्षक हैं 'चेतक की वीरता' चेतक की वीरता... रणबीच चौकड़ी भर-भर कर चेतक बन गया निराला था राणाप्रताप के घोड़े से पड़ गया हवा का पाला था जो तनिक हवा से बाग हिली लेकर सवार उड जाता था राणा की पुतली फिरी नहीं तब तक चेतक मुड जाता था गिरता न कभी चेतक तन पर राणाप्रताप का कोड़ा था वह दौड़ रहा अरिमस्तक पर वह आसमान का घोड़ा था था यहीं रहा अब यहाँ नहीं वह वहीं रहा था यहाँ नहीं थी जगह न कोई जहाँ नहीं किस अरि मस्तक पर कहाँ नहीं निर्भीक गया वह ढालों में सरपट दौडा करबालों में फँस गया शत्रु की चालों में बढते नद सा वह लहर गया फिर गया गया फिर ठहर गया बिकराल बज्रमय बादल सा अरि की सेना पर घहर गया। भाला गिर गया गिरा निशंग हय टापों से खन गया अंग बैरी समाज रह गया दंग घोड़े का ऐसा देख रंग ∼ श्याम नारायण पाण्डेय इसलिए दो बार मनाई जाती हैं जयंती : महाराणा प्रताप का जन्म 9 मई 1540 को राजस्थान के मेवाड़ में हुआ था। वहीं ज्योतिष पंचांग की मानें तो उनका जन्म ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन पुष्य नक्षत्र में हुआ था, जो विक्रम संवत 2080 में आज के दिन है। यही कारण है कि कुछ ही दिनों के अंतराल पर वीर महाराणा प्रताप की जयंती दो बार मनाई जाती है। राजपूत राजघराने में जन्म लेने वाले प्रताप उदय सिंह द्वितीय और महारानी जयवंता बाई के सबसे बड़े पुत्र थे। महाराणा प्रताप ने मुगलों के बार-बार हुए हमलों से मेवाड़ की रक्षा की। उन्होंने अपनी आन, बान और शान के लिए कभी समझौता नहीं किया। विपरीत से विपरीत परिस्थिति ही क्यों ना, कभी हार नहीं मानी। यही वजह है कि महाराणा प्रताप की वीरता के आगे किसी की भी कहानी टिकती नहीं है। 11 शादियां की, 17 बेटे थे : महाराणा प्रताप के निजी जीवन की बात करें तो उन्होंने कुल 11 शादियां की थी। इन शादियों में उनके 17 बेटे और 5 बेटियां थी। महारानी अजाब्दे के बेटे अमर सिंह ने महाराणा प्रताप के बाद राजगद्दी संभाली। एक इतिहासकार के मुताबिक, महाराणा प्रताप के 24 भाई और 20 बहनें थीं। खुद प्रताप के सौतेले भाई ने उन्हें धोखा देते हुए अजमेर आकर अकबर से संधि कर ली थी। बचपन में महाराणा प्रताप को कीका नाम से पुकारा जाता था। वह जब युद्ध के लिए जाते थे, तो 208 किलोग्राम की दो तलवारें, 72 किलोग्राम का कवच और 80 किलो के भाले लेकर जाते थे।
हिमाचल प्रदेश में सत्ता गवाने के करीब पांच महीने बाद भाजपा को कर्नाटक में भी हार का सामना करना पड़ा है। भाजपा सरकार की कर्नाटक से विदाई हो गई है और निसंदेह ये पार्टी के लिए बड़ा झटका है। उधर कांग्रेस ने शानदार जीत दर्ज की है और 130 प्लस के आंकड़े के साथ सत्ता में वापसी की है। कर्नाटक की जनता ने स्पष्ट जनादेश दिया है और ऐसे में 'किंगमेकर' बनने का ख्वाब देख रही जेडीएस को भी बड़ा झटका लगा है। कर्नाटक में कांग्रेस ने कई मुद्दों पर भाजपा को पीछे छोड़ दिया। फिर चाहे वो भ्रष्टाचार का मुद्दा हो या ध्रुवीकरण का। बजरंग दल पर बैन की बात करके मुस्लिम वोटों को अपने पाले में कर लिया। वहीं, 75 प्रतिशत के आरक्षण का दांव चलकर भाजपा के हिंदुत्व के कार्ड को फेल कर दिया। कांग्रेस ने कर्नाटक में दलित, ओबीसी, लिंगायत, हर तबके वोटर्स को अपने पाले में करने में कामयाबी हासिल की। कर्नाटक में 224 सदस्यीय विधानसभा के लिए 10 मई को रिकॉर्ड 73.19 प्रतिशत मतदान हुआ था ,जिसे सत्ता विरोधी लहर के साथ जोड़ कर देखा जा रहा था। हुआ भी ऐसा ही और कर्नाटक की जनता ने भाजपा को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखाया। इसके साथ ही राज्य में चला आ रहा सत्ता परिवर्तन का रिवाज भी कायम रहा। उधर, देशभर में राजनीतिक संकट से जूझ रही कांग्रेस के लिए कर्नाटक जीत बड़ी है। एक के बाद एक लगातार हार रही देश की सबसे पुरानी पार्टी के लिए पहले हिमाचल प्रदेश और अब कर्नाटक चुनाव संजीवनी साबित हो सकते है। इसी वर्ष के अंत में राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव भी है, ऐसे में कर्नाटक की जीत पार्टी का मनोबल बढ़ानी वाली है। वहीँ लोकसभा में भी कर्नाटक की 28 सीटें है, उस लिहाज से भी कांग्रेस के लिए ये सुखद संकेत जरूर है। वहीँ भाजपा के लिए कर्नाटक की हार आत्ममंथन का संदर्भ जरूर है। पार्टी को ये समझना होगा कि सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर राज्यों के चुनाव नहीं जीते जा सकते है। भाजपा को स्थानीय नेतृत्व और स्थानीय मुद्दों की अहमियत भी समझना होगा। पीएम मोदी, अमित शाह, योगी आदित्यनाथ जैसे पार्टी के बड़े चेहरों ने कर्नाटक में पूरी ताकत झोंकी और इनके कार्यक्रमों में भीड़ भी उमड़ी, लेकिन ये भी वोटों में तब्दील नहीं हुई। नतीजे बयां करते है कि कर्नाटक चुनाव में धार्मिक ध्रुवीकरण पर जमीनी मुद्दे भारी पड़े है। 'बजरंगबली' और 'दी केरल स्टोरी' जैसे मुद्दों पर जनता ने आम मुद्दों को तरजीह दी और इसी की बिसात पर कांग्रेस को सत्ता नसीब हुई। बहरहाल कांग्रेस के लिए ये पिछले 6 महीने में दूसरी बड़ी जीत है और पार्टी कार्यकर्ताओं का मनोबल निसंदेह इस जीत से बढ़ेगा। कर्नाटक में भी रिवाज बरकरार : कर्नाटक में 38 साल से सत्ता रिपीट नहीं हुई है। आखिरी बार 1985 में रामकृष्ण हेगड़े के नेतृत्व वाली जनता पार्टी ने सत्ता में रहते हुए चुनाव जीता था। वहीं, पिछले पांच चुनाव (1999, 2004, 2008, 2013 और 2018) में से सिर्फ दो बार (1999, 2013) सिंगल पार्टी को बहुमत मिला। भाजपा 2004, 2008, 2018 में सबसे बड़ी पार्टी बनी। उसने बाहरी सपोर्ट से सरकार बनाई। रिकॉर्ड मतदान, पिछले चुनाव से 1% ज्यादा 10 मई को 224 सीटों के लिए 2,615 उम्मीदवारों के लिए 5.13 करोड़ मतदाताओं ने वोट डाले। चुनाव आयोग के मुताबिक, कर्नाटक में 73.19% मतदान हुआ है। यह 1957 के बाद राज्य के चुनावी इतिहास में सबसे ज्यादा है। भाजपा ने ऐसी बनाई थी सरकार : 2018 में भाजपा ने 104, कांग्रेस ने 78 और जेडीएस ने 37 सीटें जीती थी। किसी पार्टी को बहुमत नहीं मिला था। भाजपा से येदियुरप्पा ने 17 मई को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, लेकिन सदन में बहुमत साबित न कर पाने की वजह से 23 मई को इस्तीफा दे दिया। इसके बाद कांग्रेस-जेडीएस की गठबंधन सरकार बनी। 14 महीने बाद कर्नाटक की सियासत ने फिर करवट ली। कांग्रेस और जेडीएस के कुछ विधायकों की बगावत के बाद कुमारस्वामी को कुर्सी छोड़नी पड़ी। इन बागियों को येदियुरप्पा ने भाजपा में मिलाया और 26 जुलाई 2019 को 119 विधायकों के समर्थन के साथ वे फिर मुख्यमंत्री बने, लेकिन 2 साल बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया। भाजपा ने बसवराज बोम्मई को मुख्यमंत्री बनाया।
'कर्नाटक में 2004, 2008 और फिर 2018 में किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला था। 2013 में कांग्रेस ने 122 सीटें जीतकर सरकार बनाई थी। सूबे में मुख्य लड़ाई लंबे समय से भाजपा और कांग्रेस के बीच ही रही है। कांग्रेस ने कई बार पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाई है, जबकि भाजपा को कभी भी पूर्ण बहुमत नहीं मिला। इस बार भी कुछ ऐसा ही हुआ। कांग्रेस की इस जीत के पीछे कई बड़े कारण है। 1. आरक्षण का वादा दे गया फायदा : कर्नाटक चुनाव में भाजपा ने चार प्रतिशत मुस्लिम आरक्षण खत्म करके लिंगायत और अन्य वर्ग में बांट दिया। पार्टी को इससे फायदे की उम्मीद थी, लेकिन ऐन वक्त में कांग्रेस ने बड़ा पासा फेंक दिया। कांग्रेस ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में आरक्षण का दायरा 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 75 फीसदी करने का एलान कर दिया। आरक्षण के वादे ने कांग्रेस को बड़ा फायदा पहुंचाया। 2. खरगे का अध्यक्ष बनना : ये भावनात्मक तौर पर कांग्रेस को फायदा दे गया। कांग्रेस ने चुनाव से पहले मल्लिकार्जुन खरगे को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बना दिया। खरगे कर्नाटक के दलित समुदाय से आते हैं। ऐसे में कांग्रेस ने खरगे के जरिए भावनात्मक तौर पर कर्नाटक के लोगों को पार्टी से जोड़ दिया। 3. राहुल गांधी की यात्रा : राहुल गांधी ने कन्याकुमारी से जम्मू कश्मीर तक भारत जोड़ो यात्रा निकाली थी। इस यात्रा का सबसे ज्यादा समय कर्नाटक में ही बीता। ये राहुल गांधी की एक बड़ी रणनीति का हिस्सा रहा। इस यात्रा के जरिए राहुल ने कर्नाटक में कांग्रेस को मजबूत किया। 4 नहीं बंटा मुस्लिम वोट : एक वजह ये भी मानी जा रही है कि कर्नाटक चुनाव में मुस्लिम वोट बीजेपी के खिलाफ पीएफआई और बजरंग बली के मुद्दे पर एकजुट हो गया। एकमुश्त मुस्लिम वोट कांग्रेस को मिला। 5 प्रियंका गाँधी रही हिट : कर्नाटक में राहुल गांधी से ज़्यादा प्रियंका गांधी ने प्रचार किया। प्रियंका ने 35 रैलियां और रोड शो किए। दक्षिण के राज्यों में कांग्रेस ने प्रियंका को उतारकर नया प्रयोग किया और उनको इंदिरा गांधी से जोड़कर प्रेजेंट किया, इसका फायदा मिला। 6 मजबूत स्थानीय नेतृत्व : इस चुनाव में कांग्रेस का सबसे बड़ा प्लस प्वाइंट रहे हैं रीजनल लीडर और लोकल मुद्दे। कांग्रेस ने चुनाव में क्षेत्रीय नेताओं को आगे रखा और जमीनी मुद्दों को अपने एजेंडे में रखा, जो वोटों में परिवर्तित हुआ। कांग्रेस को बड़े मार्जिन से जीत मिली है।
चुनाव प्रचार के दौरान ही कर्नाटक चुनाव की तस्वीर काफी हद तक साफ हो गई थी। इस बार चुनाव में भाजपा बैकफुट पर नजर आ रही थी और कांग्रेस काफी आक्रामक थी। ऐसे में भाजपा की इस हार का मतलब साफ है। 1 मजबूत चेहरा न होना: कर्नाटक में बीजेपी की हार का बड़ा कारण मजबूत चेहरे का न होना माना जा रहा रहा है। दरअसल पार्टी ने येदियुरप्पा की जगह बसवराज बोम्मई को आगे बढ़ाया लेकिन वे कोई कमाल नहीं कर सके। दूसरी तरफ कांग्रेस में कई दमदार चेहरे है जो फ्रंट फुट से पार्टी को लीड करते दिखे। 2 भ्रष्टाचार के आरोपों ने पहुंचाया नुकसान : ये मुद्दा पूरे चुनाव में हावी रहा। चुनाव से कुछ समय पहले ही भाजपा के एक विधायक के बेटे को रंगे हाथों घूस लेते हुए पकड़ा गया था। इसके चलते भाजपा विधायक को भी जेल जाना पड़ा। एक ठेकेदार ने भाजपा सरकार पर 40 प्रतिशत कमिशनखोरी का आरोप लगाते हुए फांसी लगा ली थी। कांग्रेस ने इस मुद्दे को पूरे चुनाव में जोरशोर से उठाया। 3 नहीं चला ध्रुवीकरण का दांव : कर्नाटक में एक साल से बीजेपी के नेता हलाला, हिजाब से लेकर अजान तक के मुद्दे उठाते रहे। चुनाव के दौरान बजरंगबली और दी केरल स्टोरी मुद्दे बनाये गए, लेकिन जनता ने जमीनी मुद्दों पर वोट किया। 4 . आरक्षण का मुद्दा पड़ा भारी : कर्नाटक में भाजपा ने चार प्रतिशत मुस्लिम आरक्षण खत्म करके लिंगायत और अन्य वर्ग में बांट दिया। पार्टी को इससे फायदे की उम्मीद थी, लेकिन ऐन वक्त में कांग्रेस ने बड़ा पासा फेंक दिया। कांग्रेस ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में आरक्षण का दायरा 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 75 फीसदी करने का ऐलान कर दिया। 5 . टिकट बंटवारे ने बिगाड़ा बाकी खेल : भाजपा में टिकट बंटवारे को लेकर भी बड़ी चूक हुई। पार्टी के कई दिग्गज नेताओं का टिकट काटना भाजपा को भारी पड़ा। पार्टी नेताओं की बगावत ने भी कई सीटों पर भाजपा को नुकसान पहुंचाया है। करीब 15 से ज्यादा ऐसी सीटें हैं, जहां भाजपा के बागी नेताओं ने चुनाव लड़ा और पार्टी को बड़ा नुकसान पहुंचाया। 6. दक्षिण बनाम उत्तर की लड़ाई का भी असर : इसे भी एक बड़ा कारण मान सकते हैं। इस वक्त दक्षिण बनाम उत्तर की बड़ी लड़ाई चल रही है। भाजपा राष्ट्रीय पार्टी है और मौजूदा समय केंद्र की सत्ता में है। ऐसे में भाजपा नेताओं ने हिंदी बनाम कन्नड़ की लड़ाई में मौन रखना ठीक समझा। वहीं, कांग्रेस के स्थानीय नेताओं ने मुखर होकर इस मुद्दे को कर्नाटक में उठाया।
कर्नाटक में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है और पार्टी ने बहुमत का जादुई आंकड़ा पार कर लिया है। इसके साथ ही मुख्यमंत्री कौन होगा इसे लेकर भी माथपच्ची शुरू हो गई है। सीएम पद की रेस में सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार सबसे आगे हैं और इन दोनों में से किसी एक नेता का चुनाव पार्ट के लिए सरदर्द साबित हो सकता है। सिद्धारमैया ज्यादा अनुभवी और वरिष्ठ नेता हैं और उनके पास सरकार चलाने का अनुभव है, जबकि डीकेएस चुनौती देने वाले नेता हैं और सोनिया गांधी करीबी हैं। ऐसे में आलाकमान के लिए फैसला मुश्किल होने वाला है। वैसे माहिर मान रहे है कि अगर सभी विधायकों के बहुमत के साथ भी फैसला लिया जाता है तो सिद्धारमैया अधिक स्वीकार्य मुख्यमंत्री चेहरा हो सकते है। सिद्धारमैया : बड़ा कद, लम्बा राजनैतिक अनुभव राज्य में कांग्रेस के सबसे बड़े नेता सिद्धारमैया को फिर से मुख्यमंत्री पद का प्रबल दावेदार माना जा रहा है। सिद्धारमैया साल 2013 से लेकर साल 2018 तक कर्नाटक के मुख्यमंत्री का पद संभाल चुके हैं। ऐसे में सिद्धारमैया पार्टी की पहली पसंद हो सकते हैं। पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने अपने कार्यकाल के दौरान कई सामाजिक-आर्थिक सुधार योजनाएं शुरू की थी जिन्होंने उन्हें आर्थिक कमजोर वर्ग के बीच ख़ासा लोकप्रिय बनाया। पर अपनी पिछली सरकार के दौरान उन्होंने कुछ ऐसे फैसले भी लिए थे जिनसे लिंगायत, विशेष रूप से हिंदू वोटरों के बीच में उनकी लोकप्रियता घटी, मसलन टीपू सुल्तान को इतिहास से हटाकर उनका महिमामंडन करना, जेल से आपराधिक आरोपों का सामना कर रहे पीएफआई और एसडीपीआई के कई कार्यकर्ताओं को रिहा करना इत्यादि। 2018 के विधानसभा चुनाव में पार्टी उनके नेतृत्व में रिपीट करने में कामयाब नहीं रही थी जिसके बाद कांग्रेस ने जेडीएस के साथ गठबंधन सरकार बनाई। हालाँकि वो सरकार महज एक साल ही चल सकी। अब दोबारा बहुमत मिलने पर क्या कांग्रेस फिर सिद्धारमैया को सीएम पद सौपेंगी, ये देखना रोचक होगा। डीके शिवकुमार: प्रदेश अध्यक्ष, कमतर नहीं दावा चुनाव नतीजे के एक दिन पहले ही डीके शिवकुमार ने एक ट्वीट किया है, जिससे यह साफ संकेत मिल रहा है कि डीके शिवकुमार की दावेदारी कम नहीं है। दरअसल, कर्नाटक विधानसभा चुनाव के नतीजों से ठीक एक दिन पहले डीके शिवकुमार ने कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष के रूप में अपनी तीन सालों की मेहनत का ट्रेलर का वीडियो साझा करते हुए, एक किस्म से अप्रत्यक्ष तौर पर मुख्यमंत्री पद की दावेदारी पेश कर दी है। डीके शिवकुमार कनकपुरा सीट से लगातार 9वीं बार विधायक हैं। इस विधानसभा चुनाव में बीजेपी को हराने में शिवकुमार की अहम् भूमिका है। हालाँकि मनी लॉन्ड्रिंग और टैक्स चोरी के आरोप में उन्हें साल 2019 में दिल्ली के तिहाड़ जेल में दो महीने बिताने पड़े थे। शिवकुमार कई बार कह चुके है कि जेल में रहने के दौरान उनके साथ नियम पुस्तिका के खिलाफ सबसे कठोर व्यवहार किया गया था क्योंकि उनकी गिरफ्तारी राजनीतिक प्रतिशोध थी। अब कांग्रेस क्या राज्य के सबसे अनुभवी नेता माने जाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया पर उन्हें वरीयता देगी, इस पर सबकी निगाह टिकी है। सरप्राइज की सम्भावना भी खारिज नहीं ! कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे भी कर्नाटक से आते है और खरगे के नाम को लेकर भी कयास लगते रहे है। कर्नाटक कांग्रेस में दो ताकतवर गुट यानी सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार गुट आमने- सामने है और दोनों नेताओं के समर्थक खुलकर एक दूसरे पर वार करते नजर आए हैं। दोनों नेताओं के बीच खींचतान बनी हुई है, ऐसे में क्या खरगे सरप्राइज हो सकते है, ये देखना रोचक होगा। हालाँकि इसकी संभावना कम है पर राजनीति में कुछ भी मुमकिन होता है।
A Memorandum of Understanding (MOU) was recently signed between the HP government and Oil India Limited (OIL) for the production of compressed biogas (CBG) from pine needles present abundantly in Himachal through the process of bioconversion. Oil India Limited will perform trials to assess the viability of producing biofuel from pine needles, and samples for the same will be provided to the Research & Development Centre in Bengaluru through the HP Department of Energy. If the trial phase outcomes are satisfactory, both parties will work collaboratively to develop a new clean power generation source for the state. It has the potential to serve as an important turning point in Himachal's transition to a "Green Energy State" by 2026. "Oil India Limited has assured all-out support to develop a sustainable and new renewable energy system and will also promote R&D for the same," CM Sukhvinder Singh Sukhu stated. Crafting an Opportunity Out of a Problem Chir-Pine forest covers about 2841 Km2 and is the most dominant pure forest type in Himachal affected by forest fires yearly. The main reason for forest fires in Chir-pine forests is caused by their needles generating a dense mat of flammable material on the forest floor, which is also not readily biodegradable. Himachal's 1311 km2 of fire-prone territory and over 4000 documented forest fires in 2020-21 highlight a severe concern in the hands of the state government. The abundance of needles in the pine forest creates an ideal environment for forest fires throughout the summer months. In response, the Sukhu government has launched an innovative approach to produce CBG from pine needles via bioconversion process. This collaboration with OIL has the potential to kill two birds with one stone by addressing the issue of forest fires on the one hand and providing renewable energy on the other. In addition, it can create opportunities to generate jobs; previously, in March, a 50% subsidy for the establishment of a pine-based industry was announced. All of these actions demonstrate Sukhu Sarkar's commitment to resolving the forest fire problem and making Himachal a green state in the process. Can CBG Even Become a Reality? The viability of extracting CBG from pine needles will be known in the near future. Biogas is produced through the anaerobic digestion of organic wastes, and the cellulose (organic compound) content present in pine needles, is attributed to the biogas generation, which is quite high in pine needles, making it a good alternative for energy generation projects. Furthermore, grounded Pine needles make biogas production quicker and more efficient. Based on Jaypee University research, the production of biogas from pine needles ranged from 1.41 liters per day in the winter to 7.31 liters per day in the summer. The variation in biogas production is due to a change in the metabolic activity of microbes during the bioconversion process, which is higher in the summer and lower in the winter. Keeping all the above factors in mind, the initiative taken by the Sukhu government is visionary, although its ground reality will be visible after the introduction of CBG production in the state on a large scale if even found feasible. Also read: Go Green and Save Big: 50% Subsidy for Pine Leaf-based Industries in HP Himachal Pradesh Budget Session: Push for a "Green Energy State
Maharashtra forest officials retrieved seventeen tiger whiskers from three poachers in Nagpur. The accused were Maharashtra residents from Nagpur and Bhandara regions. The Forest Department acted after receiving word from their credible source that a tiger whisker sale was about to take place. Deputy Forest Conservator B S Hada added, "We were keeping a close eye on the accused." We closed in on the three culprits on May 1, apprehended them, and seized 17 whiskers." The origin of the tiger whiskers and the forest division to which they belong are being investigated. Illegal poachers have a high demand for tiger whiskers since they are utilized by godmen and tantriks, making it a very profitable business for them.
The ongoing construction of Noida international airport faces yet another obstacle after starting its construction in 2021. First, it was clearance issues, and now the construction company is facing the problem of ongoing wildlife intrusions. The major wildlife species found around the airport area are Indian Blackbuck, Nilgai, Jackels, wild cats, and the Sarus crane. The operator of the Noida airport, Yamuna International Airport Pvt Ltd (YIAPL), sent a letter to the state authorities requesting that wildlife be taken away from the project site as the animals hinder construction. This is the fourth letter from Feb 2022 to the local authorities by the construction agency. In the letter, the YIAPL CEO Christoph Schnellmann wrote, “Since full-fledged construction started at the site with manpower and machinery, it has affected the habitation of the animals. The presence of wildlife will also impede the smooth and unhindered progress of construction activities". Measures Proposed: The biodiversity action plan prepared by the WII, Dehradun, will be executed by state-concerned authorities. The Aviation Authority will ensure that the WII regulations are implemented smoothly. A new survey will be undertaken in order to carry out the evacuation strategy. The state forest department has proposed the construction of an animal rescue and rehabilitation centre with a budget of Rs 5 crores and an area of around 5 hectares. As per the WII report, the two keystone species that reside in and around the airport area are the Blackbuck and Sarus crane. In the survey of 1,334 hectares area, 258 blackbucks were reported, while 76 Sarus cranes were recorded in independent sightings. DFO Srivastava said, "The Forest department would conduct a fresh survey to ascertain the exact population of the wildlife around the project site for carrying out an evacuation plan". In addition, Yamuna Expressway Industrial Development Authority (YEIDA) CEO Arun Vir Singh had promised to provide all ground support for it.
Shimla, Himachal's oldest pre-independence municipality, will vote in municipal elections again on May 2, 2023. With elections approaching, the major political parties, BJP and Congress are extensively pursuing door-to-door campaigns, Nukad sabhas, and template distribution programs at the local level. With the BJP losing the HP state assembly election in 2022 and the Congress taking control Experts believes there is a strong chance for Congress to recapture Shimla MC. INC, the major political force in Himachal at the moment, appears to be certain of them winning the MC elections. With the momentum of the recent HP Vidhan Sabha election and CM Sukhu emerging as a powerful and authentic figure in Shimla's eyes. Furthermore, three incumbent MLAs, two of whom are cabinet ministers in the HP government, make Congress's chances fancy the forthcoming election. This advantage, however, comes with significant pressure to gain the Shimla region back after a long stretch, or it will be a major loss for the current Sukhu government. BJP, the former MC victor, is currently aggressively pursuing the campaign program. With significant BJP political faces are expected to visit Shimla's municipal region, demonstrating the BJP's determination to keep its political hold on the Municipal cooperation of Shimla. Additionally, their manifestos have good junctures with 21 announced vade containing guarantees and freebies (water and garbage bill). However, it will require considerable work from both local and state officials to make it happen. Since, Municipal Cooperation elections are mostly based on local issues, as well as the workability and relationship of the local ward councilor. BJP can give Congress run for the seats for the MC election to be held from May 2nd. Hence, the victory of either of the major parties in the municipal election is too early to predict in the current scenario and MC can go into either of the party's hands.
The Shimla Lok Sabha (LS) constituency of Himachal is gearing up for a major political battle in 2024. The parliamentary constituency is a reserved seat (SC) consisting of 17 Vidhan Sabha segments. In the 2019 LS elections, Suresh Kashyap from the BJP defeated Congress veteran Dhani Ram Shandil by over 3.56 lacs ballots. The 2024 Lok Sabha election for the Shimla constituency is anticipated to be fiercely contested. BJP aims to retain Shimla, while Congress is likely to take the opportunity of momentum created by victory in the recent state election and capture the LS seats from BJP after 15 years of BJP dominance in the Shimla LS seat. As the Congress won 13 of the 17 Vidhan Sabha seats in the recent state assembly elections, experts believe that it indicates a shift in the Shimla constituency's mentality from the BJP to the Congress. However, center politics differs from state politics to a great extent. To begin with, the BJP has stronger central leadership than the Congress, whose face, Rahul Gandhi, is currently involved in a legal tussle over statements he made about the Modi surname during a rally. However, as seen in the recent state election, the Modi effect has faded in Himachal, while Congress showing a significant voter base in the Shimla constituency this time, making the future election unpredictable. One of the key factors that could determine the outcome of the election is the choice of candidates. BJP tends to surprise people with its candidate selection every time. Potential candidates from BJP can be Suresh Kashyap (MP Shimla), Virender Kashyap (ex-MP), and Rajiv Seizal (ex-MLA). Congress could give the ticket to leaders like Vinod Sultanpuri (MLA HP), Mohan Lal Brakta (MLA HP), or Vinay Kumar (MLA HP). There is also the possibility of Dhani Ram Shandil (Cabinet Minister HP) being positioned for the LS election again. However, there is a likelihood that new faces from both parties, one with substantial support and relevance in the Shimla constituency, would enter the candidacy in the 2024 election. Another crucial factor that could play a significant role in the election is the issue of development, with both the BJP and Congress promising to address issues such as traffic congestion, waste management, and inadequate infrastructure. The battle for Shimla promises to be exciting as political parties prepare for the 2024 Lok Sabha elections. BJP even started its campaigning in January, while Congress put out an attractive state budget to win over voters this year. With both the BJP and the Congress going all out to capture the seat, it remains to be seen who will come out on top in this election.
Following the birth of two Cheetah cubs in March to parents Siyaya and Freddie in India, which were translocated from Nambia (South Africa) to the Indian national park Kuno (India) in September 2022. The world is watching to see if the Cheetah can thrive in India again after its extinction in the 1950s caused by overhunting and poaching. In February, 12 cheetahs were relocated from South Africa to India to introduce 50 cheetahs from various African countries into several Indian national parks as part of "Project Cheetah." First Indian Cheetah conservation specialist P Giradkar said, “Cheetah is the only animal in recorded history to become extinct from India due to unnatural causes. Therefore, scientific studies on the ecological interaction between habitat composition, habitat quality, and demography of cheetahs and their prey are required to maintain viability,” Giridkar told DW. She was satisfied with the birth of cubs and added, “Increases in the number of reproductive events with longevity are key processes that influence annual individual performance that follows multiple generations. Of course, reproductive success depends on phenotypic, environmental, and genetic factors.” Key concerns that could hinder the effective reintroduction of cheetahs in India: Inadequate Habitat area: Experts indicated that the birth of cubs in captivity doesn’t indicate the success of the project. The major problem for effective rehabilitation is the appropriate habitat area for the wild cat's natural life cycle. Cheetahs, being solitary cats, require approximately 9800 Km2 for mating and survival. Wildlife biologist Ravi Chellam also showed concern and said, “India has erred…by bringing the cats much before habitats of adequate size and quality were ready. This prolonged captivity will have negative impacts on the cats. I sincerely hope that we do not import more cheetahs from Africa until we have secure and good quality habitats to host them.” Diseases and health issues: Recently, right before the birth of cubs, a female Cheetah (Sasha) died in captivity of Kidney disease. According to experts, the birth of cubs does not signify project success. Similarly, an individual's death does not reflect failure. However, this death foreshadows upcoming challenges that, if not controlled effectively, could lead to the project's downfall. Upcoming challenges for the project: The Cheetahs are currently in captivity, but once released into the wild, they will encounter a variety of issues. "Human-wildlife conflict, loss of habitat, prey population, poaching, and illegal wildlife trafficking, with cubs being taken for smuggling into the exotic pet trade" are among the issues.
देश में कोरोना के मामले लगातार बढ़ते जा रहे है। बताया जा रहा है कि पिछले 24 घंटों में देश में कोरोना के पांच हजार से ज्यादा यानी 5,335 मामले सामने आए हैं। इसी के साथ देश में सक्रिय मामलों की संख्या 25,587 हो गई है। बता दे कि एक दिन पहले 163 दिन बाद चार हजार से ज्यादा लोग एक दिन में कोरोना संक्रमित मिले थे। बुधवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया था कि मंगलवार को देश में 4,435 लोग संक्रमित पाए गए। इसी के साथ सक्रिय केस की संख्या 23,091 पहुंच गई है। संक्रमण से 15 लोगों ने जान गंवा दी थी। महाराष्ट्र और केरल में चार-चार और छत्तीसगढ़, दिल्ली, गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, पुडुचेरी व राजस्थान में एक-एक कोरोना संक्रमित की मौत हुई थी। अब तक संक्रमण के चलते कुल पांच लाख 30 हजार 916 मौतें हो चुकी हैं।
देश में कोरोना के मामले लगातार बढ़ते जा रहे है। बताया जा रहा है कि पिछले 24 घंटों में देश में कोरोना के पांच हजार से ज्यादा यानी 5,335 मामले सामने आए हैं। इसी के साथ देश में सक्रिय मामलों की संख्या 25,587 हो गई है। बता दे कि एक दिन पहले 163 दिन बाद चार हजार से ज्यादा लोग एक दिन में कोरोना संक्रमित मिले थे। बुधवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया था कि मंगलवार को देश में 4,435 लोग संक्रमित पाए गए। इसी के साथ सक्रिय केस की संख्या 23,091 पहुंच गई है। संक्रमण से 15 लोगों ने जान गंवा दी थी। महाराष्ट्र और केरल में चार-चार और छत्तीसगढ़, दिल्ली, गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, पुडुचेरी व राजस्थान में एक-एक कोरोना संक्रमित की मौत हुई थी। अब तक संक्रमण के चलते कुल पांच लाख 30 हजार 916 मौतें हो चुकी हैं।
Department of Computer Science and Engineering, School of Engineering, Design and Automation, GNA University organized a National Seminar on "Entrepreneurial Intention, Innovation, and Invention". Er. Amardev Singh from NITTTR, Chandigarh was the resource person for this National Seminar. The objective of this seminar was to raise awareness about Entrepreneurship Skills. Er. Singh discussed various models of Entrepreneurship along with various seed money schemes. He also elaborated on how three things are connected: Desire, Ability, and Human Behaviour. He even showcased various prototypes and business ideas, and the ways to make them possible in reality. More than 200 students participated in this seminar. Dr. Vikrant Sharma, Professor, and Dean-SEDA welcomed all the participants and experts of the Seminar. It was an interactive session where students actively interacted with the resource person and also saw various prototypes and learned steps to become a successful entrepreneur. S. Gurdeep Singh Sihra, the Pro-Chancellor, of GNA University congratulated all the participants. He said, “I am elated that the students should focus on these skills as better to become job providers than job seekers.” Dr.VKRattan, the Vice–Chancellor, of GNA University appreciated all the participants and encouraged them to take part in such events. Dr. Monika Hanspal, Dean of Academics, GNA University interacted with participants and highlighted the significance of entrepreneurship skills. Dr. Hemant Sharma, the Pro Vice-Chancellor thanked the management for providing a platform of learning for the students and staff. He also thanked Dr. Anurag Sharma, Professor, Head CSE, and the organizers for organizing such a great event and ensured all participants that such events will be planned in the future also to promote entrepreneurship culture.
देश में कोरोना की लहर दौड़ रही है। दिन प्रतिदिन लोगों के लिए यह चिंता का विषय बन चुका है। बीते 24 घंटे में कोरोना के 3038 नए मामले सामने आए हैं। इस दौरान 2069 लोग ठीक हुए हैं, जबकि 9 मरीजों की मौत हुई है। पिछले एक महीने से नए मामले में 9 गुना बढ़ोतरी हुई है। 3 मार्च को 334 नए मामले सामने आए थे, जबकि 29 मार्च के बाद से रोजाना 3 हजार से ज्यादा केस सामने आ रहे हैं। नए केस में बढ़ोतरी के चलते पिछले एक महीने में एक्टिव केस में भी साढ़े 7 गुना की बढ़ोतरी हुई है। 3 मार्च को एक्टिव मरीजों की संख्या 2 हजार 686 थी,बीते कल यह संख्या बढ़कर 21 हजार 179 हो गई है। यह संख्या अक्टूबर के बाद सबसे ज्यादा है। इससे पहले 23 अक्टूबर को एक्टिव केस 20 हजार 601 थे। उधर, छत्तीसगढ़ के एक गर्ल्स हॉस्टल में सोमवार को 19 छात्राएं संक्रमित पाई गई हैं। सभी को क्वारैंटाइन किया गया है। इन छात्राओं के संपर्क में आने वाली दूसरे छात्रों की भी जांच की जा रही है। 22 फरवरी को देश में सिर्फ 2 हजार एक्टिव केस थे, जो 2 अप्रैल को 20 हजार से ज्यादा हो गए। यानी सिर्फ 40 दिन में कोरोना के एक्टिव केस में 900% का इजाफा हो गया है। कल यानी सोमवार को एक्टिव केस 21 हजार से ज्यादा हो गए। हिमाचल प्रदेश यहां 318 नए केस मिले हैं, 157 लोग ठीक हुए हैं और 171 लोगों का इलाज चल रहा है। रविवार को यहां 94 नए केस दर्ज किए गए थे। यहां पॉजिटिविटी रेट 6.40% है।
After nearly seven decades of extinction, India recently celebrated the birth of two cheetah cubs via artificial insemination. Conservationists have successfully reintroduced cheetah cubs into India's protected areas through collaboration between the Wildlife Institute of India, the National Tiger Conservation Authority, and the Wildlife Trust of India. This news has revived interest in cheetah protection efforts in India and neighboring countries such as Nepal, where the big cats have been extinct for more than a century. Due to India’s success, Nepalese experts are now asking for the reintroduction of cheetahs into the country's protected areas, where they once roamed openly before becoming extinct due to hunting and habitat loss. Conservationists are hopeful that successful cheetah breeding in India can be replicated in other parts of the world, including Nepal. "Seeing the success of India's cheetah breeding program has inspired us to think that maybe we can also do something similar here in Nepal," said Tika Ram Adhikari, a senior wildlife conservation officer with the Department of National Parks and Wildlife Conservation in Nepal. "We are interested in exploring the possibility of reintroducing cheetahs into our protected areas and providing them with a safe habitat." India project's success has given conservationists working to protect endangered species and restore ecosystems around the globe renewed enthusiasm, resulting in renewed interest in cheetah conservation efforts.
सुखविंदर सिंह सुक्खू हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पद पर पहुंचने वाले सातवें शख्स है। प्रथम मुख्यमंत्री डॉ वाईएस परमार से लेकर पिछले मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर तक तमाम मुख्यमंत्रियों की अपनी एक अलग शैली, एक अलग दृष्टिकोण रहा है। सभी ने अपने अपने अंदाज में हिमाचल को प्रगति के पथ पर आगे बढ़ाने का प्रयास किया है। कोई सड़कों वाला मुख्यमंत्री कहलाया, कोई पानी वाला, तो किसी ने शिक्षा को तवज्जो दी। अलबत्ता सुखविंदर सिंह सुक्खू को कार्यकाल संभाले अभी चार माह भी नहीं बीते है लेकिन सुक्खू के कई ऐसे निर्णय है जो अभी से उन्हें एक अलग कतार में खड़ा करते है। मसलन प्रदेश के यतीम अब 'चिल्ड्रन ऑफ़ स्टेट' है और हिमाचल देश का एक ऐसा राज्य है जो 'ग्रीन स्टेट' बनने के मिशन पर ईमानदार प्रयास करता दिख रहा है। बहरहाल सफर लम्बा है और चुनौतियां बेशुमार, निर्कर्ष पर पहुंचना अभी जल्दबाजी हो सकता है लेकिन इसमें कोई डॉ राय नहीं है कि बतौर मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू अपनी कार्यशैली से छाप छोड़ रहे है।" 'पूत के पाँव पालने में दिख जाते है', बेशक प्रदेश की सुक्खू सरकार को सत्ता में आएं अभी चार महीने भी नहीं बीते हो लेकिन सरकार नीति और नियत को लेकर एक सकारात्मक माहौल जरूर है। चुनौतियां भरपूर है और आर्थिक स्थिति पतली, बावजूद इसके बेतहाशा कर्ज और सीमित संसाधनों के साथ भी सुख की सरकार प्रदेश को उन्नति के पथ पर बढ़ाने के लिए अग्रसर दिखती है। अपने अल्प कार्यकाल में सरकार कई अहम फैसले ले चुकी है और कई सरकार की नीतियों में एक दूर्गामी सोच साफ़ देखने को मिल रही है। चाहे ग्रीन हिमाचल की राह पर आगे बढ़ने का फैसला हो या पर्यटन के लिए आधारभूत संरचना को मजबूत करने की दिशा में कदम, इसमें कोई संशय नहीं है कि सुक्खू सरकार सही राह पर आगे बढ़ती दिख रही है। सुक्खू कैबिनेट की बैठकों में लिए गए सरकार के फैसलों हो या बजट में किए गए प्रावधान, कहीं न कहीं ये उम्मीद जरूर जगी है कि ये सरकार सिर्फ बातें नहीं करती बल्कि उन पर अमल करने को भी प्रतिबद्ध है। निसंदेह सीमित वित्तीय संसाधन बड़ी बाधा है पर सरकार की नियत को लेकर कोई शक ओ शुबा नहीं दिखता। प्रभावित करती ही सीएम की साफगोई और सादगी : सीएम सुक्खू की एक बात बेहद प्रभावित करती है और वो है प्रदेश की आर्थिक स्थिति के बारे में मुख्यमंत्री का खुलकर जनता को बताना। सीएम सुक्खू प्रदेश की खराब आर्थिक स्थिति की बात स्वीकार भी कर रहे है और जनता का समर्थन भी मांग रहे है। नए मुख्यमंत्री की इस स्पष्टवादिता से लोग खासे प्रभावित भी दिख रहे है। बहरहाल आगाज अच्छा है पर निसंदेह सुक्खू सरकार को उन सभी अपेक्षाओं पर खरा उतरना होगा जो जनता उनसे बांधे बैठी है। इसी तरह आल्टो कार से विधानसभा पहुंचना हो या फिर लाव लश्कर को छोड़कर शिमला माल रोड पर सुबह की सैर के लिए साधारण व्यक्ति की तरह निकल जाना, मुख्यमंत्री सुक्खू अपनी सादगी से जनता पर छाप छोड़ रहे है। मुख्यमंत्री से मिलने जो भी आता है, ये सुनिश्चित किया जाता है कि खाली हाथ वापस नहीं लौटे। सामान्य व्यक्ति की तरह रहते हुए सीएम सुक्खू ने विधायक रहते हुए कभी अपने साथ पीएसओ नहीं रखा था। अब प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद भी उनकी सादगी बरक़रार है। लिए कई बड़े अहम फैसले : अपने छोटे से कार्यकाल में सुक्खू सरकार ने ऐसे कई बड़े फैसले लिए है जो हिमाचल प्रदेश को वर्ष 2032 तक भारत का सबसे समृद्ध राज्य बनाने के सरकार के सपने को सींचता दिखाई देते है। गुड गवर्नेंस को लेकर सरकार संजीदा है। सरकार द्वारा भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने का प्रयास किया गया, जहां पेपर में गड़बड़ी पाई गई, वहां पेपर को कैंसल किया गया। इसके चलते कर्मचारी चयन आयोग को भंग किया गया ओर आरोपियों की गिरफ्तारी भी जारी है। इसके अलावा सरकार प्रदेश हरित राज्य बनाने की ओर भी आगे बढ़ रही है। सुक्खू सरकार ने साल 2026 तक हिमाचल को ग्रीन स्टेट बनाने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए प्रदेश में वाहनों को इलेक्ट्रिक वाहनों में बदला जाएगा। इसके लिए सीएम ने ई-बस, ई-ट्रक की खरीद पर 50 लाख तक और ई-टैक्सी की खरीद पर 50 फीसदी सब्सिडी देने का ऐलान किया है। वहीं जिन 10 गारंटियों के सहारे कांग्रेस सत्ता में आई थी उनमें से दो को पूरा करती हुई भी सरकार दिखाई दी है। प्रदेश के कर्मचारियों को पुरानी पेंशन दे दी गई और महिलाओं को 1500 चरणबद्ध तरीके से देने पर भी काम किया जा रहा है। दिल छू रहा सरकार का मानवीय चेहरा : यहाँ सुक्खू सरकार के उस मानवीय चेहरा का जिक्र भी जरूरी है जिसने हरआम और ख़ास व्यक्ति के मन को छुआ है। सीएम बनने पर सुखविंदर सिंह सुक्खू सबसे पहले अनाथ बच्चों, निराश्रित महिलाओं और बुजुर्गों के लिए बड़ी योजना लेकर आए, जिसे सुखाश्रय कोष का नाम दिया गया है। सुखाश्रय योजना का लाभ प्रदेश के करीब 6 हजार अनाथ बच्चों को होगा। वहीं 27 साल तक सरकार इन बच्चों की पढ़ाई से लेकर दूसरी हर जरूरतों को पूरा करेगी। आय बढ़ाने को बढ़ाये कदम : प्रदेश की आर्थिक स्थिति को बेहतर करने के लिए सरकार ने आय बढ़ाने पर भी काम किया है। नई एक्साइज पालिसी के तहत शराब के ठेकों की नीलामी की गई। वहीं सरकार ने बजट में शराब की हर बोतल पर दूध सेस लगाने का ऐलान किया है जिससे 120 करोड़ से अधिक का राजस्व मिलेगा। इसके अलावा सरकार ने जलविद्युत परियोजनाओं पर वाटर सेस वसूलने का निर्णय लिया है इससे सरकार का रेवेन्यू बढ़ेगा।
The Department of Computer Science and Engineering in the School of Engineering, Design, and Automation (SEDA) organized a 2-days workshop on “Big Data Analytics Tools” for the students of B.Tech. CSE. Mr.Rocky Bhatia, Solutions Architect at Adobe, was the resource person of the Workshop, holding expertise in data engineering, system design, architecture, cloud tech, data science, and other technology areas. The objective of the Workshop was to make the students comfortable with the tools and techniques required in handling large amounts of datasets. Dr. Vikrant Sharma, Professor, and Dean-SEDA welcomed all the participants and experts of the Workshop. The contents covered in the Workshop included: Introduction to Big Data, Distributed Computing, HDFS Architecture, Blocks, Replication, Map Reduce, Hadoop, Hive Query Language, YARN, NoSQL, HBase, Oozie, Real-time Data Mining using Spark Streaming, Elastic Search, Kibana, Kafka. It was an interactive session where students actively participated in hands-on training and enquired curiously about career options in the data science domain. Sh. Gurdeep Singh Sihra, the Pro-Chancellor, of GNA University congratulated all the participants for completing the course and also to organizers of the event. He said, “This event is simply the beginning for providing solutions to make a better future and advised the students to take pride in being a part of this prestigious course and wished all the participants great success.” Dr.V.K. Rattan, the Vice–Chancellor, of GNA University appreciated all the participants and encouraged them to be part of such events as this is one of the emerging technologies and highly in demand. Dr. Monika Hanspal, Dean of Academics, GNA University interacted with participants, highlighted the significance of Big Data, and expressed that these technologies and hands-on practices will make students industry ready. Dr. Hemant Sharma, the Pro Vice-Chancellor thanked Dr. Anurag Sharma, Professor, Head CSE, and organizers for organizing such a great event and ensured all the participants that such events will be planned soon.
G20 is a group European Union and 19 countries (Argentina, Australia, Brazil, Canada, China, France, Germany, India, Indonesia, Italy, Japan, Republic of Korea, Mexico, Russia, Saudi Arabia, South Africa, Turkey, UK, and US). The G20 Summit takes place annually, under the leadership of a different or rotating Presidency. Initially focused on macroeconomic problems, the G20 Summit later extended its agenda to include trade, sustainable development, health, agriculture, energy, environment, climate change, and anti-corruption. As India won the G20 presidency in 2023 (Millets years), which resulted in many international-level events taking place in India at various locations. IIT Ropar hosted the G20's 2nd Working Education Group Meeting at Khalsa College in Amritsar from March 15 to March 17, 2023. Among all the entries from Pan India for the expo, only a few got selected to present their work in front of G20 delegates. It’s a proud moment for Himachal Pradesh and Jaypee University of Information Technology, Waknaghat, that our sustainable research work on “Pine needles’ conversion to biofuel for rural empowerment” got selected there. The Directorate of Research Innovation and Development (DRID) team at JUIT is working on many environmental issues in Himachal Pradesh including Pine Pine needles to bio briquettes. At this event, our JUIT’s Vice Chancellor Prof. (Dr.) Rajendra Kumar Sharma was invited with the team members working on the project Prof. Dr. Ashish Kumar and Anup Kumar Sinha (Project Associate). At the event, we got a chance to interact with national and international-level delegates. The team (Anup, Dr. Ashish from civil Engineering, and Dr. Sudhir from Biotechnology and Bioinformatics) is working on this project and developed a cost-effective bio-briquetting technology from Pine needles with calorific value, burning rate, ignition time near to hardwood coal.
हिमाचल के क्रिकेट प्रेमियों के लिए एक अच्छी खबर है। अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम धर्मशाला में इस वर्ष होने वाले आईसीसी क्रिकेट वर्ल्ड कप के मैच करवाए जा सकते है। विश्व भर के खूबसूरत क्रिकेट स्टेडियम में शुमार धर्मशाला के एचपीसीए क्रिकेट स्टेडियम को वर्ल्ड कप मैचों के आयोजन को लेकर शॉर्टलिस्ट किया गया है। वर्ल्ड कप की शुरूआत 5 अक्तूबर को होगी जबकि फाइनल मुकाबला 19 नवम्बर को खेला जाएगा। दुबई में हुई आईसीसी की बैठक में विश्व कप के मैचों की तिथियां और भारत के स्टेडियमों को शॉर्टलिस्ट किया गया है। क्रिकेट वर्ल्ड कप के फाइनल मुकाबले के आयोजन को लेकर अहमदाबाद स्थित नरेंद्र मोदी क्रिकेट स्टेडियम को चिन्हित किया गया है तो अन्य मैचों के आयोजन को लेकर बेंगलुरु, चेन्नई, दिल्ली, धर्मशाला, गुवाहाटी, हैदराबाद, लखनऊ, इंदौर और राजकोट को शॉर्टलिस्ट किया गया है। धर्मशाला क्रिकेट स्टेडियम फाइनल होता है तो इससे दर्शकों को वर्ल्ड कप मैचों का आनंद लेने का भी मौका मिलेगा। बता दें की इससे पहले मार्च 2016 में धर्मशाला स्टेडियम में टी-20 क्रिकेट विश्व कप के मैचों का आयोजन किया गया था। यहां पर भारत और पाकिस्तान के बीच मैच भी प्रस्तावित था, लेकिन लोगों के विरोध के चलते यहां से मैच कोलकाता शिफ्ट कर दिया गया था। इसके अलावा धर्मशाला स्टेडियम में पुरुष और महिला टी-20 विश्व के कप के नौ मुकाबले खेले गए थे।
हिमाचल विधानसभा के बजट सत्र में वाटर सेस का बिल पास होने से पड़ोसी राज्य पंजाब व हरियाणा की सरकारें इससे नाराज हो गईं है। पंजाब सरकार ने इस संबंध में विधानसभा में निंदा प्रस्ताव भी पास किया है। वहीं हरियाणा सरकार ने भी इस फैसले का विरोध जताया है । दरअसल हिमाचल सरकार इस टैक्स के सहारे 1200 करोड़ रुपये का राजस्व इकट्ठा कर प्रदेश की आर्थिक स्थिति को बेहतर करना चाह रही थी। मगर पंजाब व हरियाणा ने विधानसभा में एक संकल्प प्रस्ताव पारित कर हिमाचल सरकार के वाटर सेस पर आपत्ति जताई है। पंजाब का मानना है कि हिमाचल में वाटर सेस लगने से उन्हें कम से कम 500 करोड़ रुपए सालाना का नुकसान होगा. कारण ये है बीबीएमबी यानी भाखड़ा-ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड की बिजली परियोजनाओं से पंजाब व हरियाणा भी जुड़े हुए हैं। वहीं, हरियाणा सरकार का कहना है कि हिमाचल के वाटर सेस से उसे भी 336 करोड़ रुपए का नुकसान होगा। वहीँ इन 2 राज्यों की सरकारों के विरोध के बीच मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने स्पष्ट किया है कि राज्य सरकार द्वारा वसूले जाने वाले वोटर सेस का पंजाब और हरियाणा को कोई नुकसान नहीं होगा। मुख्यमंत्री सुक्खू ने फिर कहा कि पंजाब, हरियाणा और हिमाचल भाई-भाई हैं। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि सरकार हिमाचल प्रदेश में 172 हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट से वाटर सेस वसूलेगी।
कांग्रेस सासंद राहुल गांधी को 2019 में दर्ज 'मोदी सरनेम' वाले आपराधिक मानहानि के मामले में गुजरात के सूरत की जिला कोर्ट ने दोषी करार देते हुए दो साल की सजा सुनाई। हालांकि, बाद में राहुल गांधी को कोर्ट से जमानत मिल गई यह मामला राहुल गांधी द्वारा दिए गए ‘मोदी उपनाम' संबंधी टिप्पणी से जुड़ा है। राहुल गांधी को 30 दिनों के लिए जमानत देते हुए और निर्णय के खिलाफ अपील उच्च न्यायालय में करने की अनुमति दी गई। इससे पहले 17 मार्च को कोर्ट ने इस मामले में सभी दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रखा था। दरअसल 2019 लोकसभा चुनाव के लिए कर्नाटक के कोलार में एक रैली में राहुल गांधी ने कहा था, कैसे सभी चोरों का उपनाम मोदी है? इसी को लेकर भाजपा विधायक व गुजरात के पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज कराया था। उनका आरोप था कि राहुल ने अपनी इस टिप्पणी से समूचे मोदी समुदाय की मानहानि की है। राहुल के खिलाफ आईपीसी की धारा 499 और 500 (मानहानि) के तहत मामला दर्ज किया गया था। हालांकि, राहुल गांधी ने कोर्ट के अंदर अपने बयान में कहा था कि वह अपने ऊपर लगे आरोपों से इनकार करते हैं। अक्तूबर 2021 में बयान दर्ज कराने के लिए अदालत पहुंचे राहुल ने खुद को निर्दोष बताया था।
Himachal govt under CM Sukhu during the budget session has recognized the importance of adopting sustainable practices to protect its environment while meeting its energy needs. The state government's target is to transform into a green state by March 31, 2026. The state's recent budget indicates a major shift toward a more green and sustainable approach. As a result of these efforts, Himachal Pradesh can emerge as a model green energy state in India, showing how a commitment to sustainability can promote economic growth while also protecting the environment. Major policies for a green state in the latest budget: Hydro-electric and solar energy project of more than 1500 MW goal for FY 2023-24. Two green panchayats intend to be formed in every district of HP. This will make energy more affordable and the problem of electricity shortages will be reduced. To build a "model state for electric vehicles," HRTC diesel buses will be converted to electric buses. This year, the "Green Hydrogen Policy" will be formulated, and local Himachalis can get up to 50% in subsidies to install solar power plants, charging stations, and purchase new electric cars. HP’s potential path for carbon neutrality: Himachal Pradesh has the potential to generate over 28,900 MW of clean energy via hydro, solar, and wind energy, which can produce clean energy while maintaining ecological balance and social issues. (Ministry of New and Renewable Energy). Despite being a hilly state, Himachal has a great opportunity to convert available resources into clean energy that can meet around 14% of the state's energy needs. In addition, Himachal has several well-established government-funded and private universities, providing an excellent opportunity for R&D work in the field of green energy. Lastly, advancing toward an ecologically sound, green energy future can show leadership and will set an example for other states and nations by demonstrating the feasibility and benefits of the shift. These factors combined make Himachal an ideal choice for becoming a green energy state, paving the way for a less polluted, self-sustaining, and providing sustainable model for other states. Challenges for Himachal in becoming a "Green Energy State": Several problems can restrict Himachal Pradesh from becoming a green energy state. Being a hilly state, Himachal has limited potential for solar energy given that large-scale solar farms require an extensive size of the flat territory. In addition, the natural conditions provide a decent quantity of sunlight but in a limited area, and in addition limited solar energy can be turned into light during the monsoon and winter seasons in the majority of the area. Furthermore, hydropower advances necessitate the large-scale relocation of locals. As a result, various pushbacks have been reported in some areas. Most importantly, the state government's existing cumulative debt is very high, with limited income production capacity due to the majority of government funds being spent on social and general services. These factors, when coupled with financial strain, may pose major challenges to Himachal Pradesh's shift to a sustainable and green energy state. The following are major challenges: The cumulative debt of Rs. 83,789/- Crs on the state govt. Significant budgetary allocations to public and social services. Due to limited green energy resources, the likelihood of a green energy state is low. Possibility to become a green energy state till 2026: Himachal Pradesh has several advantages that make it a perfect fit for turning into a green state. Based on government reports, Himachal has the potential to produce approximately 56.5 Gigawatts of green energy. However, the state's electricity demand in 2021 was 400 Gigawatts. Since power demands rise year after year, the state government must consider further options in this area. Among them is hydro energy, whose policy will be developed this year and will require intensive R&D to achieve the same significant relief in the power production sector. In particular, promoting the development of locally sourced clean energy to enable villages, cities, and towns to become self-sufficient. The current administration has made major attempts to attain "Green state status". However, becoming a green state in such a short frame doesn't appear possible.
हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार ने बीते दिनों अपना पहला बजट पेश किया। बजट को लेकर डिसएबल हेल्पलाइन फाउंडेशन के जिला कोऑर्डिनेटर राजन वर्मा ने कहा कि दिव्यांगों को बजट में अनदेखा किया गया है। सुख की सरकार में हर वर्ग को कुछ ना कुछ दिया गया लेकिन दिव्यांगों को दरकिनार कर दिया गया। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में सबसे पिछड़ा हुआ वर्ग दिव्यांग है, दिव्यांग वर्ग ने भी सरकार से बहुत आस लगाई हुई थी की सुख की सरकार दिव्यांगों को भी मुख्यधारा से जुड़ने का प्रयत्न करेगी लेकिन दिव्यांगों को निराशा हाथ लगी है। उन्होंने कहा कि दिव्यांगों ने कई बार सरकार को अपनी समस्याओं s अवगत कराया और सरकार ने भी आश्वासन दिया था कि इस बजट में दिव्यांगों के लिए कुछ ना कुछ प्रबंध करेंगे लेकिन जब बजट पास हुआ तो दिव्यांगों का ज़िक्र तक भी नहीं किया गया। दिव्यांगों ने धर्मशाला से लेकर शिमला तक पैदल यात्रा करते हुए सुखविंदर सिंह सुक्खू से मिले ताकि उनकी उचित मांगे पूरी की जाए, फिर भी 2023 के बजट में हिमाचल प्रदेश की सरकार ने दिव्यांगों को दरकिनार कर दिया गया।
हिमाचल प्रदेश में आज फिर से मौसम खराब रहने वाला है। पिछले 3 दिन से प्रदेश में बारिश और ओलावृष्टि हो रही है। इससे मौसम में जहां ठंडक का अहसास हुआ, वहीं तापमान में गिरावट आई है। मौसम विभाग के अनुसार 21 मार्च तक मौसम इसी तरह खराब रहेगा और आज भी अधिकतर जिलों में बारिश और ओलावृष्टि होगी। प्रदेश के10 जिलों में बारिश और ओलावृष्टि का येलो अलर्ट जारी किया गया है। इस समय प्रदेश में सबसे ज्यादा केलांग के तापमान में 5.7 डिग्री की गिरावट आई।मौसम में हुए इस बदलाव से जहां लोगों को गर्मी से राहत मिली, वहीं बागवानों की परेशानी बढ़ गई है।यह समय सेब की फ्लावरिंग का है। ऐसे में ओलावृष्टि सेब समेत तैयार फसलों को बर्बाद करके रख देगी। समय से बारिश बर्फ बारी नहीं होने की वजह से प्रदेश में सूखे की स्थिति बन गई थी। बीते दिनों हुई बारिश से राहत मिली है। यह बारिश आने वाली फसलों के लिए भले ही फायदेमंद साबित होगी, लेकिन ओलावृष्टि तैयार फसल का नुकसान कर रही है। अभी अगले 2 दिन तक ओलावृष्टि का अलर्ट जारी किया गया है, जो मटर, फूलगोभी, बीन, शिमला मिर्च, टमाटर, हरी मिर्च के लिए नुकसान पहुंचाएगी। 2 जिलों को छोड़ प्रदेशभर में पड़ेंगी बौछारें मौसम विभाग के अनुसार, किन्नौर और लाहौल स्पीति में 21 मार्च तक मौसम सामान्य रहेगा। वहीं मौसम के अचानक करवट लेने से पर्यटक की आमद भी बढ़ने लगी है। सैलानी मौसम की जानकारी लेकर ही हिमाचल का रुख कर रहे हैं। इस वीकेंड पर शिमला, कुफरी, नारकंडा, कुल्लू, मनाली के लिए पर्यटक के आने की संभावना है। वहीं सोलन जिले में मैदानी एरिया बद्दी-नालागढ़ में काफ़ी समय बाद बारिश हुई है। इस बारिश से जिले में लगातार बढ़ रहे तापमान में जहां भारी गिरावट आई, वहीं लोगों को गर्मी से राहत मिली। वहीं मौसम विभाग ने आगामी 2 दिनों में हल्की बारिश की संभावना जताई है। बीती रात से हो रही बारिश के बाद आज सुबह से ही मौसम काफ़ी ठंडा रहा।वहीं अधिकतम तापमान 22 डिग्री और न्यूनतम तापमान 15 डिग्री से नीचे पहुंच गया है।
On March 17th, the newly formed Sukhu govt. laid out their primary policies aimed at supporting the state's move to renewable energy and making Himachal a "Green Energy State" during its budget proceeds. With the state's enormous potential for green energy production, the government has been developing the foundation for Himachal to become a power-efficient and low-fossil-fuel emitter state. The state government has announced that it will engage in several green energy programs to meet the state's energy demand from renewable energy sources. The main focus of the govt will be reducing air, sound, and related pollution. Several initiatives selected by the state government for becoming a green energy state till 2026: Solar schemes: Target of 500 MW for FY 2023-24. Green Panchayats Scheme: 2 panchayats will be selected from each distt. to set up as green panchayats on a trial basis. HP will be developed as a "model state for electric vehicles". Green corridors will be created along main highways which pass through major cities and towns. HRTC dept. will be transformed into "Electric state transport dept.". A "Green Hydrogen Policy" will be developed to pave way for the state to develop a viable green energy source for the future. Hydro-power plant setup will be accelerated with this year's goal of 1000 MW energy. Further, a policy to attract private investment in these projects will be formed. Pangi: To address the shortage of power, the government will install a solar-powered battery storage device. Major programs to start this year: Rs. 2000 Cr, “HP power sector development program” through World Bank help will start this year. 200 MW solar projects will be set up under the program. The project will be spread within 13 major cities/towns, with 11 substations and two power lines provision. Rs 1000 Cr to be spent on converting 1500 HRTC diesel buses to E-buses in a phased manner. With HPTCL investment of Rs. 464 Cr: 6 EHV sub-station, 5 transmission lines, and a centralized control center will be set up. Centralized cells for the sale/purchase of green energy will be set up to maximize the revenue. Subsidies declared to encourage the use of green energy for coming years during the budget session: Subsidy for solar plants: Locals will get a 40% subsidy to build a 250KW-2MW solar plant on leased or owned property. E-vehicle subsidy: PVT bus and truck operators: 50% subsidy (up to 50 lacs) for the acquisition of a new vehicle. Set up of charging station: 50% subsidy proposal, but a final policy to be laid down in collaboration with the state energy board.
CM Sukhu while discussing environmental issues during the budget session stated that "Himachal's forest wealth is around 65% of the state's area" which is one of the highest among Indian states percentage-wise. Additionally, he mentioned that pine forests are the area most commonly affected by forest fires. The Forest Department has worked to minimize the number of fires during the summer season, which has helped reduce the number of fires. State's CM also shed some light on the multidimensional hazards faced by the hill state of Himachal. As per the High level, committee organized by the state govt earlier, 33 hazards are recognized which can occur in the state, out of which Himachal is affected by 25. CM Sukhu also stressed climate change and other anthropogenic activities can accelerate and worsen these hazards. State government initiatives to lessen environmental risks: For fire-prone areas: Construction of fire lines and water reservoirs, recruiting fire watchers, and conducting awareness drives. For landslide-prone areas: Disaster response teams for assistance during dangers. Opposition on Fire-watcher issues and CM response: Shri Lakhanpal (Opposition MLA) stated that there is an issue with the Fire-watcher number and their salaries are also delayed for extended periods of time. In response, CM Sukhu said Fire-watchers are essential in reducing fire incidents and that they were previously referred to as Rakhas by locals. He also assured that the Fire-watcher's salary would be paid on schedule and that a policy will be developed in this respect. He also made sure to hold a meeting with the forest department in this respect to address the problem of the required number of fire watchers as well as whether this service must be continued or not. Budget allocation for environmental and associated programs for FY 2023-24: State govt Contributions: Fire-incidence reduction fund: Rs 2.14 Cr under FMS state plan and Rs 4.07 Cr under CAMPA head. Disaster relief Fund: Rs 226.51 Cr. Fasal bima yojana, Crop diversification scheme, Mandi arbitrage fund, and Horticulture development project: Rs 208.42 Cr. Central govt contribution (proposed): NDRF fund for disaster management: Rs. 400 Cr. Swach Bharat Abhiyan: Rs34.47 Cr. Gram Swaraj Yojna (for rural upliftment): Rs. 43 Cr.
हिमाचल प्रदेश विधानसभा के बजट सत्र के तीसरे दिन की कार्यवाही से पहले बीजेपी विधायक दल ने सदन के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया। नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर की अगुवाई में बीजेपी विधायक ताला और जंजीर लेकर विधानसभा में पहुंचे। इस दौरान विधायकों ने सदन के बाहर जमकर नारेबाजी भी की। बीजेपी विधायक दल के नेता जयराम ठाकुर ने सुक्खू सरकार को ताले वाली सरकार का नाम दिया। इसके बाद बीजेपी विधायकों ने विधानसभा में मुख्यमंत्री के कार्यालय के बाहर भी जमकर नारेबाजी की। इस दौरान नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली सरकार प्रदेशभर में ताले वाली सरकार के नाम से मशहूर हो रही है।उन्होंने कहा कि सरकार बनने के बाद सिर्फ और सिर्फ ताला लगाने का काम किया जा रहा है।पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि सदन की कार्यवाही के दूसरे दिन नियम 67 के तहत चर्चा हुई है।इस चर्चा में भी मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बिना तथ्यों के जवाब दिए है और बातों को घुमाने की कोशिश की। नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि संस्थान बंद करने के खिलाफ बीजेपी विधायक दल चुप नहीं बैठेगा और लगातार जनता की आवाज मुखरता से उठाएंगे।
जिला सोलन में गुरुवार सुबह दर्दनाक सड़क हादसा पेश आया है। कार हादसे में 3 लोगों की मौत हो गई है। हादसा कसौली-परवाणू लिंक रोड पर जंगेशु गांव के पास हुआ है। मिली जानकरी के मुताबैक एक हुंडई HP12H- 6577 कार 200 मीटर खाई में जा गिरी। वहीं कसौली थाना में सुबह करीब साढ़े 6 बजे हादसे की सूचना पहुंची। SHO थाना टीम लेकर मौके पर पहुंचे। पुलिस को घटनास्थल से मृतकों के मोबाइल मिले हैं, जिनसे उनकी पहचान हुई। मृतकों में सूरज ठाकुर पुत्र राजेंद्र ठाकुर निवासी गांव अभीरपुर, नालागढ़ जिला सोलन, शुभम निवासी नालागढ़ और संगम निवासी कुरुक्षेत्र हरियाणा शामिल हैं। पुलिस ने शवों और हादसाग्रस्त कार को कब्जे में लेकर मृतकों के परिजनों को सूचित कर दिया है। पुलिस ने मामला दर्ज कर आगामी कार्रवाई शुरू कर दी है।
Himachal CM Sukhu has said that “He was responding to the suggestion made by MLA Lakhanpal during the budget session to safeguard the forest riches from fire, flood, and landslides.” Himachal government is planning to bring a concrete policy to save the forests. Additionally, a new scheme to provide a 50 % subsidy to those who want to set up the pine needle industry. The Pine leaves will be used for manufacturing various products such as plates, cups, paper, and other biodegradable articles. The final policy and procedure for setting up of pine-based industry will be formulated soon. This policy can help provide additional income to lower to middle-income Himachal households and can help boost the overall GPD of the state if the policy is implemented correctly. Apart from generating employment, this move can also become helpful in reducing forest fire incidences, as Pine forests are most affected by forest fires in Himachal. But, the impact of taking a large number of pine needles from forest floors is still unknown. On one side, this move can help reduce forest fire; on the other, it can increase weed and insect infestation incidences in Pine forests. It can also affect the nutrient status of the forest soil and increase soil erosion by the removal of organic carbon from the forest floor. Overall, it is a good move by the state govt to boost the economy of Himachal households, but it will require proper inspection by forest departments also. So, that forest should also not suffer from it.
दिल्ली एम्स के डॉक्टरों ने बड़ी कामयाबी हासिल की है। AIIMS के डॉक्टर्स ने मां के गर्भ में पल रहे बच्चे के अंगूर जितने छोटे दिल की सफल सर्जरी की। डॉक्टरों ने बैलून डाइलेशन सर्जरी करके बच्चे के दिल के बंद वाल्व को खोला। सबसे हैरान करने वाली बात है कि इस सर्जरी को डॉक्टरों ने सिर्फ 90 सेकेंड में पूरा किया। मां व बच्चा दोनों सुरक्षित हैं। गौरतलब है की 28 साल की महिला को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। महिला की पिछली तीन प्रेग्नेंसी लॉस हो गई थीं। डॉक्टरों ने महिला को बच्चे की हार्ट कंडीशन के बारे में बताया था और इसे सुधारने के लिए ऑपरेशन की सलाह दी थी, जिसे महिला व उसके पति ने मान लिया। टीम ने बताया कि जब बच्चा मां के गर्भ में होता है, तब भी कुछ गंभीर तरीकों के हार्ट डिजीज का पता लगाया जा सकता है। अगर इन्हें गर्भ में ही ठीक कर दिया जाए तो जन्म के बाद बच्चे का स्वास्थ्य बेहतर रहने की संभावना बढ़ जाती है और बच्चे का सामान्य विकास होता है। बच्चे पर की गई सर्जरी का नाम बैलून डाइलेशन है। यह प्रोसिजर अल्ट्रासाउंड गाइडेंस में किया जाता है। टीम के सीनियर डॉक्टर ने बताया कि ऐसा ऑपरेशन गर्भ में पल रहे बच्चे की जान के लिए खतरनाक भी हो सकता है इसलिए इसे बहुत संभल कर परफॉर्म करना होता है।
दिल्ली मेट्रो में कोच के अंदर रील और वीडियो बनाने पर रोक लगा दी गई है। दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन डीएमआरसी ने मेट्रो ट्रेन के कोच के अंदर इंस्टाग्राम बनाने वाले लोगों को चेतावनी जारी कर कहा है कि यात्री मेट्रो कोच के अंदर वीडियो ना बनाएं। डीएमआरसी ने मेट्रो के अंदर इंस्टा रील्स, डांस वीडियोस बनाने पर रोक लगा दी है। गौरतलब है कि मंगलवार को दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (डीएमआरसी) ने अपने एक ट्वीट में लिखा है कि यात्रा करें, समस्या न पैदा करें। डीएमआरसी ने एक ग्राफिक भी सभी से साझा की है। उसमे लिखा है कि, दिल्ली मेट्रो में लोग यात्री ही बने रहें, उपद्रवी न बनें। इसके अलावा, दिल्ली मेट्रो ने इंस्टा रील्स, डांस वीडियो फिल्माने पर रोक पूरी तरह से रोक लगा दी है।
दिल्ली की एक्साइज पॉलिसी को लेकर लंबे समय से जद्दोजहद थी। इसको लेकर अब एक नया अपडेट है। दिल्ली सरकार ने ‘पुरानी’ एक्साइज पॉलिसी को ही अगले 6 महीने तक के लिए बढ़ा दिया है। इसके साथ ही अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि जल्द से जल्द नई पॉलिसी तैयर करें। अगले 6 महीने तक पुरानी एक्साइज पॉलिसी ही चलेगी। इन 6 महीनों पांच दिन ड्राइ डे होंगे। इस दौरान महावीर जयंती, गुड फ्राइडे, बुद्ध पूर्णिमा, ईद उल फितर और ईद उल जुहा को ड्राइ डे रहेगा और दिल्ली में सभी शराब की दुकानें बंद रहेंगी। गौरतलब है कि दिल्ली सरकार ने नई एक्साइज पॉलिसी तैयार की थी, जिसको लेकर खूब विवाद हुआ। इसी पॉलिसी से जुड़े कथित घोटाले को लेकर दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया इन दिनों सीबीआई की हिरासत में हैं। नई पॉलिसी को लेकर विवाद होने के बाद उस पॉलिसी को वापस लेकर एक बार फिर से पुरानी एक्साइज पॉलिसी लागू कर दी गई थी। अब एक और नई एक्साइज पॉलिसी तैयार होने तक अगले 6 महीने यही पुरानी पॉलिसी जारी रहेगी।
हिमाचल प्रदेश में एक बार फिर से मौसम करवट बदलेगा। मौसम विज्ञान केंद्र शिमला ने कल से अगले 2 दिन तक कुछ शहरों में ओलावृष्टि होने का येलो अलर्ट जारी किया है। यह चेतावनी किन्नौर और लाहौल स्पीति को छोड़कर सभी 10 जिलों को दी गई है। मौसम विभाग के अनुसार, प्रदेश के मध्यम और अधिक ऊंचाई वाले कुछ इलाकों में आज भी बारिश होने का पूर्वानुमान है।17-18 मार्च को प्रदेश के ज्यादातर क्षेत्रों में बारिश हो सकती है। कई क्षेत्रों में ओलावृष्टि और अंधड़ की चेतावनी दी गई है।इसी के चलते मौसम विभाग के पूर्वानुमान ने सेब बागवानों की चिंताएं बढ़ा दी हैं, क्योंकि प्रदेश में इन दिनों सेब की फ्लावरिंग हो रही है। फ्लावरिंग पर ओलावृष्टि नुकसानदायक होती है। गौरतलब है कि प्रदेश में इस बार सर्दियों में ही सूखे जैसे हालात बन गए हैं। बीते साल नवंबर और दिसंबर में भी बहुत काम बारिश हुई है। इस साल एक जनवरी से 28 फरवरी के बीच भी बहुत काम बारिश हुई है, ऐसे में बारिश किसानों के लिए संजीवनी का काम करेगी।
लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी और मीसा भारती को 'नौकरी के बदले ज़मीन' मामले में सीबीआई कोर्ट से ज़मानत मिल गई है। कोर्ट ने सभी को 50-50 हज़ार रुपये के निजी मुचलके पर ज़मानत दी है। लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी और अन्य 14 के खिलाफ सीबीआई ने "नौकरी के बदले जमीन" मामले में आपराधिक षडयंत्र रचने और भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम के तहत आरोप पत्र दाखिल किया है। इस मामले में आज लालू प्रसाद के परिवार की दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में पेशी हुई। लालू यादव पेशी के लिए व्हीलचेयर पर सीबीआई कोर्ट पहुंचे। यह मामला लालू प्रसाद के परिवार को तोहफे में जमीन देकर या जमीन बेचने के बदले में रेलवे में कथित तौर पर नौकरी पाने से संबंधित है। यह मामला तब का है, जब लालू प्रसाद 2004 से 2009 के बीच रेल मंत्री थे।
The National Cricket Academy (NCA) is holding a camp for U-16 boys at various venues from April 17 to May 11, 2023, and players must report on April 16, 2023 (afternoon) at the camp location. The Himachal Pradesh Cricket Association (HPCA) has selected six players for the given camps: Naunihaal from Solan distt.: Mumbai venue (Team A), Anush Dhiman from Kangra distt.: Mumbai venue (Team A), Siddhak Dhillon from Bilaspur distt.: Surat venue (Team C), Aditya Kataria from Bilaspur distt.: Vijayawada venue (Team D), Akshay Vashisht from Solan distt.: Vijayawada venue (Team D) and Vaasta Garg from Hamirpur: Anantpur venue (Team E). HPCA will check the physical fitness of the above players before the camp at the HPCA Cricket Stadium in Dharamshala, and then they will be permitted to attend the camp.
हिमाचल विधानसभा का बजट सेशन मंगलवार को शुरू हो गया। सत्र के लिए मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू ऑल्टो गाड़ी से विधानसभा पहुंचे। इस दौरान गाड़ियों का काफिला हमेशा की तरह उनकी ऑल्टो कार के आगे पीछे रहा। सेशन की शुरुआत के साथ मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू ने अपने मंत्रिमंडल के सभी सदस्यों का परिचय कराया। इसके बाद मुख्यमंत्री ने करसोग के पूर्व विधायक दिवंगत मनसा राम का शोकोद्गार प्रस्ताव सदन में लाया। वहीं हिमाचल विधानसभा में बजट सत्र के पहले ही दिन सदन में खूब हंगामा बरपा। भाजपा विधायक विपिन सिंह परमार ने नियम 67 के तहत विधायक क्षेत्र विकास निधि रोकने को लेकर सदन में स्थगन प्रस्ताव लाया और इस चर्चा की मांग की। इस प्रस्ताव के बाद सदन में खूब हंगामा हुआ और विपक्ष ने सदन में वॉकआउट किया। विधानसभा स्पीकर ने विपक्ष के काम रोको प्रस्ताव को निरस्त किया। विपक्ष के प्रस्ताव पर जवाब देते हुए मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू ने कहा कि विपक्ष ने काम रोको का प्रस्ताव लाया है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है। विधायक क्षेत्र विकास निधि रोकने के लिए काम रोको प्रस्ताव की जरूरत नहीं बल्कि इस पर चर्चा मांगी जा सकती थी।
हिमाचल प्रदेश में कोरोना वायरस के मामले फिर से बढ़ना शुरू हो गए हैं। बीते कल आईजीएमसी शिमला में कोरोना का मामला सामने आया है जिसमें आईजीएमसी में दाखिल 75 वर्षीय कोरोना पॉजिटिव मरीज की मौत हो गई है। प्रदेश में करीब 100 दिनों के बाद किसी कोरोना संक्रमित की मौत हुई है। मिली जानकारी के अनुसार हमीरपुर जिला के रहने वाले 75 वर्षीय बुजुर्ग मरीज का कोविड टेस्ट किया गया था। जिसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। बताया जा रहा है कि गंभीर स्थिति में मरीज को अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में दाखिल किया गया और सुबह के वक्त मरीज की मौत हो गई। वही, जिला शिमला में बीते कल एक नया कोरोना केस सामने आया है। इसी के साथ ही अब सक्रिय केसों की संख्या छह हो गई है। कुछ कोरोना संक्रमित के मरीज ठीक भी हुए है बीते कल स्वास्थ्य विभाग ने विभिन्न अस्पतालों में 414 मरीजों के कोरोना सैंपल लिए गए थे , इसमें 19 कोरोना के मामले पॉजिटिव पाए गए हैं। हिमाचल के अस्पतालों में उपचाराधीन मरीजों की संख्या 60 हो गई है। मिली जानकारी के अनुसार जिला सोलन में 25, कांगड़ा नौ, हमीरपुर आठ, मंडी सात, शिमला छह, ऊना, सिरमौर, कुल्लू, किन्नौर और चंबा में एक-एक कोरोना मरीज उपचाराधीन है। बीते फरवरी महीने में जहां हिमाचल कोरोना मुक्त हो गया था तब लोग भी राहत कि साँस लेने लगे थे वहीं अब प्रदेश में मरीजों की संख्या बढ़ने लगी है।
राज्य सरकार ने पहली से आठवीं कक्षा तक के सभी लड़कों व लड़कियों को निःशुल्क स्कूल वर्दी के लिए 600 रुपये प्रति विद्यार्थी प्रदान करने का निर्णय लिया है। इससे प्रदेश के लगभग 5.25 लाख विद्यार्थी लाभान्वित होंगे। यह जानकारी मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने दी। उन्होंने कहा कि वर्दी की यह राशि विद्यार्थी अथवा उनकी माता के बैंक खाते में प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) के माध्यम से अंतरित की जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि विद्यार्थियों के माता-पिता का आर्थिक बोझ कम करने के दृष्टिगत यह निर्णय लिया गया है और प्रत्यक्ष लाभ अंतरण से राशि सीधे लाभार्थी को भेजने से इसमें पारदर्शिता भी सुनिश्चित होगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार विद्यार्थियों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए सदैव तत्पर है और उन्हें लाभान्वित करने के लिए विभिन्न कदम उठाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान प्रदेश सरकार विद्यार्थियों को बेहतर सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लिए कृतसंकल्प है और इसके दृष्टिगत प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में चरणबद्ध ढंग से राजीव गांधी डे बोर्डिंग स्कूल स्थापित किए जा रहे हैं। इन मॉडर्न स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के साथ ही विद्यार्थियों को उचित शैक्षणिक वातावरण और विभिन्न गतिविधियों के लिए पर्याप्त स्थान भी उपलब्ध करवाया जाएगा।
हिमाचल प्रदेश का बजट सत्र कल से शुरू होगा। प्रदेश की 14वीं विधानसभा का दूसरा सत्र शुरू होने जा रहा है। बजट सत्र में मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू बतौर वित्त मंत्री 17 मार्च को अपने कार्यकाल का पहला बजट पेश करेंगे। स्तर की शुरुआत मंगलवार को 11:00 बजे पूर्व मंत्री मनसा राम के देहांत पर शोकोद्गार से होगी। इसके बाद प्रश्नकाल होगा। प्रश्नकाल के शुरू होते ही विपक्ष सरकार को घेरने के लिए सारा काम रोककर स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा मांगने की रणनीति बना सकता है। वहीं विपक्ष की नज़र इस बार अर्थीक संकट से गुज़र रही प्रदेश सरकार के बजट पर रहेगी। बजट में राजस्व और राजकोषीय घाटा कितना होगा इस पर सबकी नजरें टिकी हुई हैं। वहीं इसी कड़ी में भाजपा आज विलीज पार्क में नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर की उपस्थिति में एक बैठक का आयोजन करेगी। भाजपा सत्र के शुरुवाती प्रश्नकाल में ही काम रोको प्रस्ताव पर खड़ी हो सकती है। भाजपा का मुख्य एजेंडा हिमाचल प्रदेश में सैकड़ों संस्थानों को डीनोटिफाई करने के बारे में हो सकता है।
घरेलू शेयर बाजार की चाल आज प्री-ओपनिंग में थोड़ी लड़खड़ाती दिखाई दी थी पर बाजार खुलते समय निफ्टी हरे निशान में लौट आया। सेंसेक्स की गिरावट भी कम हुई और ये 100 अंक गिरकर ही खुला है। अमेरिकी बाजारों में सिलिकॉन वैली बैंक संकट को लेकर जो उथलपुथल मची है वो भारतीय शेयर बाजार पर बहुत ज्यादा नकारात्म असर फिलहाल तो नहीं डाल रही है, बीएसई का 30 शेयरों वाला इंडेक्स सेंसेक्स आज 101.36 अंक या 0.17 फीसदी की गिरावट के बाद 59,033.77 पर खुला है। वहीं एनएसई का 50 शेयरों वाला इंडेक्स निफ्टी 9 अंक की मामूली बढ़त के बाद 17,421.90 पर खुलने में कामयाब रहा है। सेंसेक्स के 30 में से केवल 3 ही शेयर गिरावट के सात कारोबार कर रहे हैं और 27 शेयरों में तेजी देखी जा रही है। वहीं निफ्टी के 50 में से 47 शेयरों में उछाल बना हुआ है और 3 शेयरों में कमजोरी देखी जा रही है।
केंद्र सरकार ने समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने की मांग का विरोध किया है। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में केंद्र ने कहा है कि ऐसा करना भारत की सामाजिक मान्यताओं और पारिवारिक व्यवस्था के खिलाफ होगा। इसमें कई तरह की कानूनी अड़चनें भी आएंगी। इस साल 6 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक शादी के मसले पर केंद्र को नोटिस जारी किया था। साथ ही अलग-अलग हाई कोर्ट में लंबित याचिकाओं को अपने पास ट्रांसफर करा लिया था। सुप्रीम कोर्ट में सोमवार (13 मार्च) को होने वाली सुनवाई से पहले केंद्र ने सभी 15 याचिकाओं पर जवाब दाखिल किया है। केंद्रीय कानून मंत्रालय ने कहा है कि भारत में परिवार की अवधारणा पति-पत्नी और उन दोनों की संतानें हैं। समलैंगिक विवाह इस सामाजिक धारणा के खिलाफ है। संसद से पारित विवाह कानून और अलग-अलग धर्मों की परंपराएं इस तरह की शादी को स्वीकार नहीं करतीं।
सिक्किम में 900 टूरिस्ट शनिवार शाम को भारी स्नोफॉल के कारण फंस गए। ये सभी नाथुला और त्सोमगो झील से गंगटोक लौट रहे थे। सिक्किम पुलिस ने बताया कि ये टूरिस्ट 89 वाहनों में सवार हैं। इनकी मदद के लिए सेना और पुलिस पहुंच गई है। अभी तक 15 वाहनों को निकाला गया है। जहां ये वाहन फंसे हैं वहां से गंगटोक की दूरी 42 किलोमीटर है। टूरिस्ट को रात में सेना के कैंप में ठहराने की व्यवस्था की जा रही है। बर्फ को धीरे-धीरे साफ किया जा रहा है और सैलानियों को निकाला जा रहा है। अधिकारी ने बताया कि कुछ सैलानियों को पास के सेना के शिविरों में रखा जा सकता है। पूर्वी सिक्किम में भारी बर्फबारी के चलते प्रशासन ने कुछ दिन पहले ही नाथुला और त्सोमगो झील के लिए पासी जारी करना बंद कर दिया था।
हिमाचल प्रदेश फिर से कोरोना के मामलों में वृद्धि होने लगी है। मौजूदा समय में प्रदेश में कोरोना के 50 एक्टिव केस हैं। इनमें 23 अकेले सोलन जिला के हैं। यह पुरे प्रदेश में सबसे ज्यादा हैं। वहीं बाकि जिला में अभी एक्टिव केस सिंगल डिजिट में हैं। फ़िलहाल चंबा, बिलासपुर और लाहौल स्पीति में कोरोना का एक भी केस नहीं है। हमीरपुर में 4, कांगड़ा में 6, किन्नौर, उना और कुल्लू में 1-1, मंडी में 5, शिमला में 8 कोरोना के एक्टिव केस हैं। कोरोना वायरस से सोलन जिले में आज तक 314 लोगों की जान जा चुकी है। पिछले 24 घंटे में भी जिले के धर्मपुर ब्लॉक में 4 नए पॉजिटिव केस मिल चुके हैं। वहीं अभी जिले में कोरोना टेस्ट के लिए सैंपलिंग भी कम हो रही है। कोरोना से बचाव के लिए लगाई जा रही बूस्टर डोज भी इन दिनों सोलन में खत्म है।
As per the Government of India's (GOI) Ease of Living Reforms, the Himachal government will make various citizen-related services time-bound, with a more transparent systems and procedures. This is a new initiative taken by the newly formed Sukhu-led Congress government in order to make people's lives easier and government processes more efficient. It will simplify the registration process for necessary amenities (ration card, driver's license, electricity, water connection, and so on) and other welfare schemes. The initiative may provide some relief to locals by reducing corruption and making government institutions more trustworthy in the eyes of the general public.