कोर्ट ने सांसद बने हर्ष महाजन को भेजा नोटिस हाईकोर्ट में कांग्रेस के राज्यसभा चुनाव में प्रत्याशी रहे अभिषेक मनु सिंघवी की याचिका पर आज सुनवाई हुई है। अभिषेक मनु सिंघवी ने राज्यसभा चुनाव को हिमाचल हाईकोर्ट में एक याचिका डालकर चुनौती दी थी। इसमें उन्होंने मुकाबला बराबरी पर छूटने के बाद पर्ची से विजय घोषित करने के नियम को गलत बताया है। अभिषेक मनु सिंघवी के अनुसार, नियम की एक धारणा को उन्होंने याचिका में चुनौती दी। जब मुकाबला बराबर होता है उसके बाद पर्ची निकाली जाती है। जिसकी पर्ची निकलती है, उसे विजेता होना चाहिए। मगर, अभी जिसकी पर्ची निकलती है, उसे हारा हुआ माना जाता है। यह धारणा कानूनी रूप से गलत है। याचिकाकर्ता पक्ष की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने राज्यसभा चुनाव में जीत हासिल कर सांसद बने एवं प्रतिवादी बनाए गए हर्ष महाजन को नोटिस जारी किया है। एडवोकेट नीरज गुप्ता ने बताया कि अब इस मामले में अगली सुनवाई 23 को होगी।
शिमला: कृषि मंत्री चौधरी चंद्र कुमार और स्टेट प्लानिंग बोर्ड के उपाध्यक्ष भवानी पठानिया ने कहा है कि अग्निवीर योजना युवाओं के साथ बड़ा भद्दा मजाक और सरासर धोखा है। आम सैनिक और अग्निवीर के बीच काफी भेदभाव किया जा रहा है। अग्निवीर को शहीद का दर्जा न होने से युवाओं में केंद्र सरकार के प्रति भारी आक्रोश है। अब युवा सेना में जाने के लिए उत्साहित नहीं हैं। युवाओं का सेना के प्रति क्रेज़ घट गया है। चंद्र कुमार व पठानिया ने कहा कि युवा अब सेना में अपना भविष्य सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे हैं। सेना की भर्ती के लिए पहले युवा दिन-रात मेहनत करते थे। सुबह और शाम के समय सड़कों के किनारे और खेल मैदानों में युवाओं को दौड़ लगाते और अभ्यास करते हुए देखे जाते थे लेकिन अब इक्का-दुक्का युवा ही दिखते हैं। भर्ती होने के बाद अग्निवीर के साथ पक्षपात हो रहा है, उन्हें आम सैनिकों के साथ नहीं रखा जाता, ना ही घुलने-मिलने देते हैं। उन्हें अलग बैरक में रखा जा रहा है, इससे अग्निवीर हतोत्साहित हैं। कृषि मंत्री और स्टेट प्लानिंग बोर्ड उपाध्यक्ष ने कहा कि देश की सेवा करते वीरगति को प्राप्त होने पर अग्निवीर को शहीद का दर्जा नहीं मिल रहा। न ही परिजन को एक्स सर्विसमैन और कैंटीन के लाभ मिल पा रहे। अग्निवीर के परिवार को सिर्फ एक करोड़ रुपये ही मिलेंगे, जबकि आम सैनिक के साथ ऐसा नहीं है। शहीद के दर्जे के साथ सैनिक के परिवार को आर्थिक सहायता भी ज़्यादा है, 15 साल की सेवा पूरी होने तक परिवार को पूरा वेतन और अनेक सुविधाएं हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार और हिमाचल प्रदेश के भाजपा सांसदों को युवाओं को यह बताना चाहिए कि उनके भविष्य के साथ यह खिलवाड़ क्यों किया गया है। हिमाचल प्रदेश से हज़ारों युवा सेना में भर्ती होते थे, कांगड़ा, हमीरपुर व मंडी जिला में तो हजारों सैनिक परिवार हैं, लेकिन अग्निवीर योजना लागू होने पर भाजपा सांसदों ने युवाओं की आवाज को संसद में एक बार भी नहीं उठाया। उन्होंने चुप्पी साध रखी। वे युवाओं का साथ देने के बजाय अग्निवीर योजना के फायदे गिनाते रहे। चंद्र कुमार व भवानी ने कहा, भाजपा को युवाओं को जवाब देना होगा कि सेना में युवाओं के लिए नौकरी के दरवाजे बंद क्यों किए गए। शहीद का दर्जा देने में भेदभाव क्यों हो रहा है। क्योंकि, युवाओं और उनके परिवारों में अग्निवीर योजना को लेकर खासा रोष है।
लोकसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ ही राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई है भाजपा ने चार मे से दो सीट पर प्रत्याशियों के नाम का ऐलान कर दिया है जबकि कांग्रेस आज दिल्ली में प्रत्याशियों के नाम पर चर्चा। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह भी आज सुबह दिल्ली के लिए रवाना हो गई है जबकि सीएम सुक्खू भी दिल्ली में ही मौजुद हैं। हिमाचल प्रदेश में चार लोकसभा सीट के साथ छ विधान सभा क्षेत्र में उपचुनाव होने हैं। दिल्ली रवाना होने से पहले कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह ने कहा कि लोकसभा और विधानसभा प्रत्याशियों के नामों को लेकर आज पार्टी हाई कमान के साथ बैठक है। पार्टी मजबूत प्रत्याशियों को चुनाव में उतारेगी और लोकसभा की चारों सीट पर जीत के लिए काम किया जायेगा। इसके अलावा विधान सभा उपचुनाव में भी कांग्रेस मजबूती से चुनाव मैदान में उतरेगी।
लोकसभा चुनाव से पहले केंद्र सरकार ने आम लोगों को बड़ी राहत दी है। मोदी सरकार ने पेट्रोल और डीजल की कीमतों में दो-दो रुपये प्रति लीटर घटा दी। पेट्रोलियम मंत्रालय ने कहा कि पेट्रोल और डीजल की खुदरा कीमतों में संशोधन करने का फैसला किया गया है। इस फैसले को लेकर संजय राउत ने मोदी सरकार पर निशाना साधा है। पेट्रोल और डीजल की कीमतों में 2 रुपए प्रति लीटर की कमी पर शिवसेना(UBT) सांसद संजय राउत ने कहा, " ये दो रुपए में क्या होता है? चुनाव होने वाले हैं इसलिए उन्होंने दो रुपए कम कर दिए। पहले लाखों करोड़ों रुपए जनता के पॉकेट से वसूले हैं तो उसका क्या? जब मनमोहन सिंह की सरकार थी तो गैस सिलेंडर 400 रुपए थे। अब 1100 रुपए हैं, अब दो रुपये कम कर दिया है." इन पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतें करीब दो साल से स्थिर बनी हुई थीं। यह कदम आम चुनाव की तारीखों का ऐलान करीब होने के बीच उठाया गया हैं।ऐसी संभावना है कि निर्वाचन आयोग जल्द ही चुनाव की तारीखों की घोषणा कर सकता है। इस कटौती के बाद मुंबई में पेट्रोल की कीमत घटकर 104.21 रुपये प्रति लीटर पहुंच गई।वहीं डीजल की कीमत 92.15 रुपये प्रति लीटर हैं।14 मार्च को पेट्रोल की प्रति लीटर 106.31 और डीजल की कीमत प्रति लीटर 94.27 रुपये थी। सरकार ने पेट्रोल और डीजल की कीमतों को अपने नियंत्रण से मुक्त कर दिया था।और पेट्रोलियम कंपनियां ही कीमतें तय करती आ रही थीं। पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने कीमतों में कटौती की घोषणा सोशल मीडिया मंच 'एक्स' के जरिये की. इसके एक हफ्ते पहले घरेलू रसोई गैस एलपीजी की कीमत में 100 रुपये प्रति सिलेंडर की कटौती की घोषणा की गई थी।
देश में CAA लागू होने के बाद दिल्ली के मजनू का टीला इलाके के रिफ्यूजी कैंप में लोगों ने एक दूसरे को गुलाल लगाकर खुशी जाहिर की और साथ ही होली खेलकर जश्न मनाया। पाकिस्तानी रिफ्यूजी महिलाओं ने एक दूसरे को गुलाल लगाकर खुशी जाहिर की। महिलाओं ने पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह का धन्यवाद किया। CAA 2019 में संसद से पास हुआ था, जिसे अब लागू किया जा रहा है। इसके तहत अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के हिन्दू, सिख, ईसाई और बोध धर्म के लोगों को भारतीय नागरिकता दी जा सकेगी।
** चंबा विधानसभा हलके को दी 275 करोड़ के विकास कार्यों की सौगात ** कहा, प्रदेश के सर्वांगीण विकास के लिए प्रदेश सरकार प्रतिबद्ध मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने आज चंबा के चौगान में एक विशाल जनसभा को संबोधित करते हुए चंबा शहर में बहुमंजिला पार्किंग, मिनी सचिवालय, इन्डोर स्टेडियम, ग्राम पंचायत उदयपुर में राजीव गांधी मॉडल डे-बोर्डिंग स्कूल, चंबा चौगान के सौंदर्यीकरण के लिए 20 लाख रुपए, चंबा हेलीपोर्ट के लिए 13 करोड़ रुपए प्रदान करने, साहो में उप-तहसील व जल शक्ति विभाग का उपमंडल खोलने, साहो में खेल मैदान के लिए 15 लाख रुपए प्रदान करने, उदयपुर में आयुर्वेदिक डिस्पेंसरी खोलने, चुलिहारा में पीएचसी खोलने तथा आईटीआई चंबा में पलंम्बिग व फिटर के पाठ्यक्रम शुरू करने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि उन सभी स्कूलों को स्तरोन्नत किया जाएगा, जिसकी सूची विधायक उन्हें प्रदान करेंगे। इससे पहले, मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने चंबा विधानसभा क्षेत्र में 275 करोड़ रुपये की विकास परियोजनाओं के लोकार्पण और शिलान्यास किए। उन्होंने मैहला भगियार हरेड सड़क पर रावी नदी पर 4 करोड़ रुपये से निर्मित 68 मीटर लंबे स्पैन स्टील ट्रस पुल, नकरोड़-टिकरीगढ़-भगईगढ़ सड़क पर दो करोड़ रुपये से निर्मित कंगैला नाला पुल और तीसा-सईकोठी-झज्जाकोठी सड़क पर दो करोड़ रुपये से निर्मित सेरू नाला पुल जनता को समर्पित किए। मुख्यमंत्री ने 28 करोड़ रुपये लागत से कियाणी-राजनगर-चकलू कोटी सड़क के उन्नयन, सात करोड़ रुपये से लुड्डू से घरमाणी, छ: करोड़ रुपये से सराहन-राण सड़क, छ: करोड़ रुपये से साहु से परोथा पधर सड़क, 14 करोड़ रुपये से शाहपुर-सिंहुता-चुवाड़ी-चंबा सड़क, पांच करोड़ रुपये से भनेरा-देवीदेहरा-रठियार से मनकोट सड़क, 13 करोड़ रुपये से परेल से कोहलड़ी सड़क, 11 करोड़ रुपये से चंबा-बनीखेत वाया परेल सड़क, 15 करोड़ रुपये से रजेरा से धुलियारा सड़क, 22 करोड़ रुपये से लचौरी से सलवाण सड़क, 16 करोड़ रुपये से मैड़ा से चकोतर सड़क, 15 करोड़ से खैरी से भुनाड सड़क, 10 करोड़ रुपये से भरमौर से बड़ग्राम सड़क तथा 9 करोड़ रुपये से सिरडी से घरेड़ वाया सुप्पा सड़कों के उन्नयन कार्य का शिलान्यास, 6 करोड़ रुपये लागत से चुरी से बसु-कोठी-नुरकुला सड़क के स्तरोन्नयन कार्य, 8 करोड़ रुपये लागत सेे लाहल से बगड़ू सड़क तथा 40 मीटर स्पैन पुल के निर्माण कार्य, वर्षा जल संचयन के माध्यम से सतत जल आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए 43 करोड़ रुपये की परियोजना, तहसील भरमौर में ग्राम पंचायत पूलन पलान और कुगती में 10 करोड़ रुपये से शीत क्षेत्रों के लिए एंटी-फ्रीजिंग तकनीक के उपयोग से मौजूदा जल आपूर्ति योजना के विस्तार कार्य, चम्बा तहसील में ग्राम पंचायत साच और द्रम्मण में 8 करोड़ रुपये से जलापूर्ति योजना साच परेल सुल्तानपुर के विस्तार कार्य, चम्बा तहसील के उदयपुर खास के लिए 8 करोड़ की सीवरेज योजना और चम्बा तहसील की ग्राम पंचायत कुठेड़, जांघी, गागला के लिए 3 करोड़ रुपये से जलापूर्ति योजना थुंडू फरगोला के पुन: उत्थान कार्यों का शिलान्यास किया।
अयोध्या के राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम से कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों ने दूरी बनाई है। कांग्रेस का राम मंदिर में न जाने को लेकर कहना है कि यह चुनावी, राजनीतिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और आरएसएस का कार्यक्रम है। कांग्रेस का कहना है कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और बीजेपी ने 22 जनवरी के कार्यक्रम को पूरी तरह से राजनीतिक और 'नरेंद्र मोदी फंक्शन' बना दिया है। यह चुनावी कार्यक्रम है और इसके जरिए चुनावी माहौल तैयार किया जा रहा है। जाहिर है राजनैतिक चश्मे से देखे तो राम मंदिर निर्माण का श्रेय बीजेपी को जाता है और बीजेपी भी इस भुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही। उधर, कांग्रेस को कहीं न कहीं अंदाजा है कि लोगों में दिख रहा उत्साह अगर वोट में तब्दील हुआ तो उसकी राह मुश्किल होगी। ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि कांग्रेस के पास फिलहाल कोई चारा नहीं है। हालांकि माहिर मान रहे है कि 22 जनवरी के बाद विपक्ष के कई बड़े चेहरे अयोध्या में शीश नवाते दिखेंगे। विदित रहे कि कांग्रेस सांसद और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के साथ-साथ सोनिया गांधी को भी राम मंदिर आने का न्योता दिया गया था। इसके साथ-साथ लोकसभा सांसद अधीर रंजन चौधरी को भी बुलावा भेजा गया था। हालांकि, तीनों ने समारोह में नहीं जाने का फैसला लिया है। कांग्रेस ने भाजपा पर इस समारोह को राजनीतिक रंग देने के आरोप लगाए हैं। पार्टी ने मुहूर्त पर सवाल खड़ा करने वाले शंकराचार्य के बयान को आधार बनाकर 22 जनवरी को होने वाली प्राण प्रतिष्ठा पर सवाल खड़े किए हैं। पार्टी का कहना है कि समारोह राष्ट्रीय एकजुटता के लिए होना चाहिए। अयोध्या न जाने का फैसला लेने वाले कद्दावर नेताओं में शरद पवार का नाम भी शामिल है। उन्होंने कहा है कि 22 जनवरी के समारोह में अयोध्या में काफी भीड़ होगी। ऐसे में वे मंदिर निर्माण पूरा होने के बाद रामलला के दर्शन करेंगे। सपा चीफ अखिलेश यादव और दिल्ली के सीएम अरविन्द केजरीवाल भी आयोजन में शामिल नहीं हो आरहे हैं। पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अलावा पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव भी आयोजन में न जाने का निर्णय लिया हैं। इनके अलावा वाम दल के महासचिव सीताराम येचुरी सहित कई लेफ्ट के नेताओं ने भी आयोजन से दूरी बनाई है। बीजेपी का तंज, कहीं जनता फिर कांग्रेस का बहिष्कार न कर दें ! केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर का कहना हैं कि, " कांग्रेस ने नए संसद भवन और प्रधानमंत्री के संबोधन का बहिष्कार किया और लोगों ने उनका बहिष्कार कर दिया। अब उन्हें लगता है कि वे प्राण प्रतिष्ठा समारोह का बहिष्कार कर सकते हैं लेकिन हो सकता है कि लोग उनका फिर से बहिष्कार कर दें। कांग्रेस और उसके गठबंधन सहयोगियों ने भगवान राम के अस्तित्व को नकारने और हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का कोई मौका नहीं छोड़ा। विपक्ष के नेता बयान दे रहे हैं और प्राण प्रतिष्ठा समारोह से दूरी बनाए रखने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन उन्हें भगवान राम के सामने आखिरकार आत्मसमर्पण करना होगा। कई कांग्रेस नेता पूर्व पार्टी प्रमुख राहुल गांधी की बात नहीं मान रहे और अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल हो रहे हैं।"
अयोध्या में श्री राम मन्दिर निर्माण को कई दशकों तक आंदोलन चला और आखिरकार विधिवत रूप से अपने अंजाम तक पंहुचा। 9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट के फैसले में विवादित जमीन को भगवान राम का जन्मस्थान घोषित करने के साथ ही इसे हिंदू पक्ष का आदेश दिया था। इस फैसले से राम जन्मभूमि आंदोलन से जुड़े हजारों-लाखों लोगों की मुहिम और सैकड़ों लोगों की कुर्बानियों को सार्थक बनाया। श्रीराम जन्म भूमि पर जहां मस्जिद का निर्माण किया गया, वहां के आसपास के कई स्थानों पर पहली बार 1853 में दंगे हुए। इसके बाद 1859 में अंग्रेजी प्रशासन ने विवादित स्थान के पास बाड़ लगा दी और मुसलमानों को ढांचे के अंदर वहीं हिंदुओं को बाहर चबूतरे के पास पूजा करने की इजाजत दे दी। 1885 में पहली बार फैजाबाद की एक अदालत में महंत रघुबीर दास के मस्जिद के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने के साथ ही राम जन्म भूमि आंदोलन के बीज पड़े थे। विवादित स्थल पर पहले से ही ताला लगा था, लेकिन 1949 में ढांचे के भीतर भगवान राम की मूर्तियां मिली थीं और यहीं से आंदोलन की असल नींव पड़ी। इसके बाद सरकार ने विवादित स्थल पर ताला जड़ दिया था और सभी के प्रवेश पर रोक लगा दी थी। इसके बाद हिंदू और मुस्लिम पक्षों ने अदालत में मुकदमा दर्ज करा दिया, जिसका निबटारा 9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के साथ हुआ। इस पूरे आंदोलन के दौरान अप्रैल 1984 में हुई विश्व हिंदू परिषद की धर्म संसद अहम साबित हुई। इसी धर्म संसद में राम मंदिर को लेकर निर्णायक आंदोलन छेड़ने का फैसला हुआ था। इसके बाद जुलाई 1984 में अयोध्या में एक और बैठक हुई और गोरक्ष पीठ के महंत अवैद्यनाथ को श्री राम जन्मभूमि मुक्ति यज्ञ समिति का अध्यक्ष बनाया गया। वहीं बीजेपी ने राजनीतिक फ्रंट पर इस आंदोलन की जिम्मेदारी उठाई। इस बीच जब 1989 में जब इलाहाबाद हाई कोर्ट ने विवादित स्थल का ताला खोलने का आदेश दिया, तो वीएचपी ने उसके पास ही राम मंदिर की आधारशिला रख दी। आडवाणी की रथ यात्रा और आंदोलन से जुड़े लाखों कार सेवक : 1990 में बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी ने राम मंदिर के पक्ष में जन समर्थन के लिए रथ यात्रा निकाली, जिसे 30 अक्टूबर को अयोध्या पहुंचना था। इसे खूब जन समर्थन मिला और देशभर से लाखों कार सेवक अयोध्या के लिए निकल गए।आडवाणी का रथ तो बिहार में ही रुक गया, लेकिन कारसेवक अयोध्या पहुंचने लगे। तब मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व वाली यूपी सरकार ने अयोध्या में घुसने पर रोक लगा दी थी। अयोध्या में कर्फ्यू था और भारी संख्या में पुलिस तैनाती थी। बावजूद इसके अशोक सिंघल, विनय कटियार और उमा भारती जैसे नेताओं के नेतृत्व में न देश के अलग-अलग हिस्सों से जुटे हजारों कार सेवक न सिर्फ अयोध्या में घुसे बल्कि विवादित ढांचे की ओर भी बढ़ गए। विवादित ढांचे के ऊपर कार सेवकों ने भगवा झंडा लहरा दिया और परिणामस्वरूप वहां अफरा-तफरी हो गई। पुलिस ने गोलीबारी की जिसमें कई कारसेवकों की मौत हो गई। 1992 में ढहा दिया विवादित ढांचा : 6 दिसंबर 1992 को मंदिर निर्माण के लिए कार सेवा का आह्वान किया गया था, जिसके बाद लाखों कार सेवक बीजेपी, वीएचपी और बजरंग दल नेताओं के नेतृत्व में अयोध्या पहुंचे। देखते ही देखते वहां विवादित ढ़ांचा गिरा दिया गया। तब उत्तर प्रदेश में कल्याण सिंह की सरकार थी। इसके बाद मामला न्यायलय में चलता रहा। इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला सुप्रीम कोर्ट ने पलटा : 2010 में इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला आया जिसमें विवादित भूमि को सुन्नी वक्फ बोर्ड, रामलला विराजमान और निर्मोही अखाड़ा के बीच तीन बराबर हिस्सों में बांटने का आदेश दिया गया। पर 2011 अयोध्या विवाद पर इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी। इसका बाद 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने आउट ऑफ कोर्ट सेटलमेंट का आह्वान किया और 1992 में हुए बाबरी विध्वंस के लिए भाजपा के कई नेताओं पर आपराधिक साजिश आरोप बहाल किए गए। 8 मार्च 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने मामले को मध्यस्थता के लिए भेजा और 8 सप्ताह के भीतर कार्यवाही को खत्म करने के आदेश दिए। 1 अगस्त को मध्यस्थता पैनल ने रिपोर्ट पेश की और 2 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट मध्यस्थता पैनल मामले में समाधान निकालने कामयाब नहीं रहें। इस बीच सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले को लेकर प्रतिदिन सुनाई होने लगी और 16 अगस्त 2019 को सुनवाई पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित रखा गया। आखिरकार 09 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की बेंच ने श्रीराम जन्म भूमि के पक्ष में फैसला सुनाया। वहीं 2.77 एकड़ विवादित भूमि हिंदू पक्ष को मिली और मस्जिद के लिए अलग से 5 एकड़ जमीन मुस्लिम पक्ष को मुहैया कराने का आदेश दिया गया।
अयोध्या राम मंदिर आंदोलन में कई लोगों की अहम भूमिका रही। कई चेहरे मशहूर हुए तो कई अनजान चेहरों ने अपना योगदान दिया। पर कुछ नाम ऐसे हैं, जिनके बगैर राम मंदिर आंदोलन की कहानी अधूरी है। महंत रामचंद्र परमहंस महंत रामचंद्र परमहंस भूमि विवाद और मंदिर आंदोलन से जुड़ने वाले शुरुआती लोगों में से थे। 1949 में जब अचानक विवादित ढांचे के अंदर से भगवान राम की मूर्तियां मिली थीं, तो उसने सबको चौंका दिया था। कहते हैं इन मूर्तियों को रखने वाले महंत रामचंद्र परमहंस ही थे। अयोध्या में राम मंदिर आंदोलन की जान महंत रामचंद्र दास परमहंस का एकमात्र स्वप्न था जन्मभूमि पर भव्य राम मंदिर। वो इसी सपने के साथ जिए और इसी स्वप्न को सच करने के लिए जीवनपर्यंत संघर्ष करते रहे। महंत रामचंद्र दास परमहंस इकलौती हस्ती थे, जो इस आंदोलन के हर पहलू से सीधे जुड़े हुए थे,चाहे संतों की धर्म संसद हो, राम भक्तों की रैली हो। सरकार के साथ वार्ता या फिर राम जन्मभूमि का मुकदमा, अयोध्या में जन्म स्थान पर रामलला के प्रकट होने से लेकर जन्मभूमि का ताला खुलवाने और फिर बाबरी ढांचे के विध्वंस तक महंत रामचंद्र दास परमहंस की सक्रिय भूमिका रही। हालांकि, मंदिर निर्माण का सपना संजोए रामचंद्र परमहंस का 2003 में निधन हो गया। अशोक सिंघल विश्व हिंदू परिषद को बड़ी पहचान दिलाने में अशोक सिंघल का सबसे बड़ा योगदान रहा। दुनियाभर में मंदिर निर्माण के पक्ष में माहौल बनाने और आंदोलन में उन्होंने अहम और आक्रामक भूमिका अदा की। सिंघल 1981 में वीएचपी से जुड़े थे और उनके नेतृत्व में ही 1984 में विशाल धर्म संसद का आयोजन किया गया। इसी धर्म संसद में राम मंदिर निर्माण को लेकर निर्णायक आंदोलन शुरू करने का संकल्प लिया गया था। 1989 में अयोध्या में विवादित स्थल के पास राम मंदिर निर्माण की आधारशिला रखने में भी सिंघल का अहम योगदान था। 2015 में उनका भी निधन हो गया और अपनी आंखों से वो मंदिर बनते नहीं देख सके। लालकृष्ण आडवाणी बीजेपी ने राम मंदिर आंदोलन को राजनैतिक ताकत दी और इसका पहला श्रेय जाता हैं लालकृष्ण आडवाणी को। बीजेपी अध्यक्ष रहते हुए उन्होंने ही 1989 में मंदिर निर्माण का प्रस्ताव पास किया और 990 में राम मंदिर निर्माण के लिए जगन्नाथ पुरी से अयोध्या के लिए रथयात्रा निकाली। उनका लक्ष्य 30 अक्टूबर को अयोध्या पहुंचना था और इसके लिए कई कार सेवक वहां जुटने लगे थे। हालांकि 23 अक्टूबर को बिहार में लालू प्रसाद यादव की सरकार ने उन्हें रोक लिया और गिरफ्तार कर लिया, लेकिन जन समर्थन जुटाने में वह सफल रहे थे। इसके दो साल बाद 6 दिसंबर 1992 को जिस दिन विवादित ढांचा ढहाया गया था, उस दिन आडवाणी भी मौजूद थे। पार्टी, वीएचपी और बजरंग दल के अन्य नेताओं के साथ वहां मौजूद आडवाणी ने आंदोलन का नेतृत्व कर रहे थे। इस मामले में आडवाणी पर साजिश का मुकदमा दर्ज किया गया, जो आज भी जारी है। महंत अवैद्यनाथ गोरखनाथ पीठ के प्रमुख मंहत अवैद्यनाथ इस आंदोलन में काफी योगदान रहा। उनके कहने पर ही 1984 की धर्म संसद में श्री राम जन्मभूमि मुक्ति यज्ञ समिति का गठन किया गया था, जिसके वे अध्यक्ष रहे थे। सबसे पहले उन्होंने ही 1990 में हरिद्वार के संत सम्मेलन में 30 अक्टूबर को मंदिर निर्माण शुरू करने की तारीख तय की थी। हालांकि, तब यह काम पूरा नहीं हो सका था। फिर 1992 में एक बार फिर 6 दिसंबर को मंदिर निर्माण के लिए कार सेवा शुरू करने का आह्वान भी उन्होंने ही किया था। 2014 में उनका निधन हो गया था और उनके बाद योगी आदित्यनाथ ने गोरखनाथ पीठ में उनकी गद्दी संभाली जो वर्तमान में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं। कोठारी बंधु सिर्फ 22 और 20 साल के दो भाई भाई राम और शरद कोठारी बंगाल के रहने वाले थे और बजरंग दल से जुड़े थे। 30 अक्टूबर 1990 को अयोध्या में मंदिर निर्माण की तारीख के एलान और आडवाणी के रथ के पहुंचने की तारीख को देखते हुए दोनों भाई अयोध्या के लिए निकल पड़े थे। 22 अक्टूबर को दोनों भाईयों ने बनारस अयोध्या के लिए पैदल यात्रा शुरू की थी। अयोध्या में जारी कर्फ्यू के बीच दोनों सबसे पहले पहुंचने वालों में से थे। 30 अक्टूबर को जब वीएचपी और बजरंग दल के नेता विवादित ढांचे की ओर बढ़ रहे थे, तभी दोनों भाई ढांचे के ऊपर गुम्बद में चढ़ गए और वहां भगवा झंडा फहरा दिया। इसके बाद वहां मौजूद सुरक्षाबलों ने भीड़ को रोकने के लिए गोलीबारी कर दी और इसमें दोनों भाईयों की भी मौत हो गई। इनके अलावा भी मंदिर निर्माण आंदोलन से कई ऐसे लोग जुड़े थे, जिनका इस आंदोलन में बड़ा योगदान रहा हैं। बीजेपी के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, साध्वी ऋतंबरा और विनय कटियार भी राम मंदिर आंदोलन के प्रमुख चेहरे रहे हैं।
In Himachal Pradesh, the Chief Minister has instructed to suspend the implementation of the period-based guest teacher recruitment policy until further orders. CM Sukhwinder Singh Sukkhu announced the decision, emphasizing that a detailed discussion on the matter will take place only after the return of the Education Minister to Shimla. Singh mentioned that the policy would be implemented after thorough consideration. The Chief Minister shared this information with journalists during a conversation at the state secretariat on Saturday. He clarified that guest teachers would be paid on an hourly basis according to the period, and there would be no permanent recruitment on a monthly or annual basis; guest teacher recruitment is temporary.
इतिहास हुआ आर्टिकल 370... 4 साल, चार महीने 6 दिन बाद मोदी सरकार के एक और फैसले पर लगी 'सुप्रीम' कोर्ट की मुहर। आज सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने आर्टिकल 370 पर सुनवाई करते हुए ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि आर्टिकल-370 को बेअसर कर नई व्यवस्था से जम्मू-कश्मीर को बाकी भारत के साथ जोड़ने की प्रक्रिया मजबूत हुई है। आर्टिकल 370 हटाना संवैधानिक रूप से वैध है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने सबसे अहम टिप्पणी तब की, जब अदालत ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में 30 सितंबर, 2024 तक विधानसभा चुनाव करवाए जाने चाहिए. कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा वापस देने का भी निर्देश दिया है। हालांकि लद्दाख केंद्र शासित क्षेत्र ही रहेगा। इस मामले में याचिकाकर्ताओं की दलील थी कि आर्टिकल 370 और 35 ए के जरिए जम्मू और कश्मीर को मिले विशेष अधिकार 5 अगस्त 2019 को केंद्र सरकार ने खत्म कर दिया था, इसके लिए अध्यादेश लाया गया था। 370 हटाने का विरोध कर रहे याचिकाकर्ताओं की दलील है कि 1957 के बाद बिना विधानसभा की मंजूरी के अनुच्छेद 370 को हटाया नहीं जा सकता। अब article 370 पर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा है कि आर्टिकल 370 हटाने का फैसला बरकरार रहेगा। 370 को हटाना संवैधानिक तौर पर सही है। राष्ट्रपति के पास फैसले लेने का अधिकार है।
एक साल पूरा पर मंत्रिमंडल अधूरा **अब मंत्रिमंडल विस्तार इच्छा से ज़्यादा मजबूरी आखिर अब स्पष्ट हो ही गया की मंत्रिमंडल विस्तार कब होगा। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने हाल ही में ब्यान दिया है कि मंत्रिमंडल का विस्तार इसी साल होगा। जो इंतज़ार पिछले लगभग एक साल से जारी है वो कुछ दिन और सही। ये ब्यान 8 दिसंबर को ही आया था और आपको याद दिला दें कि वो 8 दिसंबर का ही दिन था जब प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजे आए थे। तब प्रदेश की जनता ने कांग्रेस की झोली में 40 विधानसभा सीटें डाली थी और अब उम्मीदें बढ़ गई है कि जल्द ही तीन नेताओं की झोली में मंत्री पद जाएगा। हालांकि अब ये भी स्पष्ट है कि हिमाचल सरकार विलम्भ करने की स्थिति में नहीं है। इस विलम्भ ने जो नाराज़गी पैदा की है वो कांग्रेस के लिए घातक साबित हो सकती है । प्रतिभा सिंह मुखर है और बार बार सरकार पर संगठन की नज़रअंदाज़गी के आरोप लगा रही है। कई अन्य पार्टी नेता भी सोशल मीडिया और अन्य माध्यमों से नाराज़गी ज़ाहिर कर चुके है। कांग्रेस हाल ही में चार राज्यों में चुनाव हारी है। देश में अब अपने दम पर कांग्रेस की महज़ 3 राज्यों में सरकार है। भाजपा लगातार ऑपरेशन लोटस के दावे करती है। ज़ाहिर है इन तमाम परिस्थितियों के मद्देनज़र कांग्रेस शेष तीन राज्यों में कोई भी कोताही बरतने की स्थिति में नहीं है। जो गलती कांग्रेस ने अन्य राज्यों में की वो यहाँ नहीं दोहराई जा सकती। सरकार पर स्पष्ट दबाव है और अब मंत्रिमंडल विस्तार इच्छा से ज़्यादा मजबूरी बन गया है । अपेक्षित है कि इस विस्तार से मंत्रिमंडल में क्षेत्रीय, जातीय और पार्टी के अंदरूनी संतुलन को बैठाने का हर संभव प्रयास किया जाएगा। फिलवक्त मंत्रिमंडल में मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री को मिला कर कुल 9 मंत्री है। शिमला संसदीय क्षेत्र से पांच, काँगड़ा से एक, हमीरपुर से दो और मंडी से एक। सिर्फ एक मंत्री होने के चलते सरकार पर कांगड़ा की अनदेखी का आरोप लगता रहा है। क्षेत्रीय संतुलन के लिए काँगड़ा से कम से कम दो और मंत्रियों की उम्मीद है। सूत्रों के मुताबिक़ एक मंत्री मंडी संसदीय क्षेत्र से भी हो सकता है। जातीय समीकरणों के लिहाज़ से एक और एससी विधायक को मंत्री बनाया जा सकता है। वहीँ पार्टी के अंदरूनी समीकरणों को साधना भी बहुत ज़रूरी है क्योंकि फिलवक्त पलड़ा एक तरफ ही भारी दिखता है। अब बात करते है उन नामों की जिनकी एंट्री मंत्रिमडल में हो सकती है। पहला नाम है घुमारवीं से कांग्रेस विधायक राजेश धर्माणी का। धर्माणी के अलावा सुजानपुर से कांग्रेस विधायक राजेंद्र राणा का नाम भी चर्चा में है। हालांकि, मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू के गृह जिला से होने के चलते उनके मंत्री बनने में अभी पेच फंसा हुआ है। ये दोनों ही नेता हमीरपुर संसदीय क्षत्र से है जहाँ से मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री स्वयं है। धर्माणी मुख्यमंत्री के करीबी माने जाते है वहीँ राजेंद्र राणा की हाईकमान से करीबियां हैं। मगर सारा मसला क्षेत्रीय संतुलन पर आकर अटक जाता है। वहीँ कयास ये भी है कि राणा को पार्टी हमीरपुर संसदीय क्षेत्र से मैदान में उतार सकती है। हालांकि राणा खुद इसके लिए तैयार नहीं दीखते। इन दोनों के अलावा काँगड़ा जिले से दो नाम चर्चा में है। एक है यादविंद्र गोमा और दुसरे है कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुधीर शर्मा। दरअसल जिला कांगड़ा से अभी तक सुक्खू मंत्रिमंडल में सिर्फ एक मंत्री चंद्र कुमार हैं। प्रदेश के सबसे बड़े जिला से और मंत्री बनाने का पार्टी और सरकार पर कई तरफ से दवाब है। यादविंदर गोमा अनुसूचित जाति कोटे से मंत्री बनाए जा सकते हैं। बताया जा रहा है कि गोमा को मंत्री बनाकर पार्टी ने जातीय समीकरण साधने का फैसला लिया है। वहीँ सुधीर पूर्व मंत्री हैं, और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भी। वो कांगड़ा से पार्टी का बड़ा चेहरा भी हैं। इनकी दावेदारी को अनेदखा नहीं किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त यहाँ एक अन्य नाम की भी चर्चा है जो कांग्रेस के डार्क हॉर्स साबित हो सकते है। ये नाम है भवानी पठानिया। पार्टी का अंदरूनी संतुलन बैठाने की कोशिश में भवानी की लोटरी लग सकती है। इस पूरी लिस्ट में एक नए नाम की एंट्री हुई है। ये नाम है सीपीएस सूंदर ठाकुर का। सूंदर ठाकुर मंडी लोकसभा क्षेत्र से आते है। लोकसभा चुनाव नज़दीक है और चारों लोकसभा क्षेत्रों में से सबसे कम मंडी लोकसभा क्षेत्र का रेप्रेज़ेंटेशन सरकार में दिखाई देता है। सुक्खू कैबिनेट में मंडी संसदीय क्षेत्र से केवल एक ही मंत्री है और वो है जगत सिंह नेगी। इसके अलावा सिर्फ एक ही सीपीएस है और वो है खुद सुन्दर सिंह ठाकुर। अगर अन्य संसदीय क्षेत्रों की बात करें तो शिमला को सबसे अधिक तवज्जो है यहाँ पांच मंत्री और तीन सीपीएस है, काँगड़ा से एक मंत्री, दो सीपीएस और विधानसभा अध्यक्ष है। वहीँ हमीरपुर से खुद मुख्यमंत्री और उप मुख्या मंत्री है। स्पष्ट है कि मंडी की झोली हल्की है। ऐसे में क्षेत्रीय समीकरण के लिहाज से यदि दूसरी एंट्री की संभावना दिखी तो सुंदर ठाकुर का दावा सबसे पहला और मजबूत होगा। लोकसभा की हर सीट कांग्रेस के लिए महत्वपूर्ण है और इसलिए कुल्लू के विधायक सुंदर सिंह को मंत्री बनाने की चर्चा हो रही है। अब इन तमाम सियासी गुणाभाग के बाद संतुलन बैठा पाना उतना ही मुश्किल है जितना उड़ती चिड़िया की आँख भेदना। अब ऐसे में पार्टी अन्य विकल्प भी तलाश सकती है। ये विकल्प वर्तमान मंत्रिमंडल में फेरबदल हो सकता है। मुमकिन है कि मौजूदा मंत्रियों में से कुछ की विदाई हो। सूत्रों की माने तो दो मंत्रियों को लोकसभ चुनाव लड़वाया जा सकता है, वहीँ पीसीसी चीफ का दायित्व भी किसी मंत्री को दिया जा सकता है। हालांकि बताया ये जा रहा है कि कोई भी मंत्री लोकसभा चुनाव लड़ने का इच्छुक नहीं है, पर आलाकमान से फरमान आया तो सब कुछ मुमकिन है। इस लिस्ट में शिमला संसदीय क्षेत्र से स्वास्थ्य मंत्री कर्नल डॉ धनीराम शांडिल का नाम है। हालाँकि माना जाता है कि कर्नल साहब आलाकमान के वीटो से मंत्री बने है और उन्हें हटाना मुश्किल होगा। इस पर वे कैबिनेट में इकलौते एससी फेस भी है। हालांकि किसी एससी चेहरे की कैबिनेट में एंट्री करवाकर संतुलन बनाया जा सकता है। कहा जा रहा है कि कर्नल केंद्र की राजनीति में जाने के इच्छुक नहीं है, लेकिन फिर भी वे उम्मीदवार हो सकते है, इससे इंकार नहीं किया जा सकता। इस लिस्ट में अगला नाम चौधरी चंद्र कुमार का है। कांगड़ा संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस आखिरी बार 2004 में जीती थी और तब सांसद बने थे चौधरी चंद्र कुमार। अब चौधरी साहब प्रदेश के कृषि मंत्री है। चंद्र कुमार बड़ा ओबीसी चेहरा है और मुमकिन है कि पार्टी उन्हें कांगड़ा से चुनाव लड़वा दें। वहीँ शिमला संसदीय क्षेत्र से वर्तमान में पांच मंत्री है और यहाँ से एक मंत्री को संगठन का दायित्व दिए जाने की अटकलें भी लगती रही है। पीसीसी चीफ प्रतिभा सिंह अब सीडब्ल्यूसी की सदस्य है और सम्भवतः वे ही मंडी से फिर मैदान में होगी। ऐसे में लोकसभा चुनाव से पहले उनका कार्यभार भी कम किया जा सकता है। बहरहाल दो से तीन मंत्रियों के बदले जाने की सम्भावना को खारिज नहीं किया जा सकता है। लगातार बदल रहे सियासी समीकरणों में हिमाचल कांग्रेस में कुछ भी मुमकिन है। यानी सुक्खू कैबिनेट की तस्वीर अभी काफी बदल सकती है
**हिंदी बेल्ट में अकेले दम पर सिर्फ हिमाचल में बची कांग्रेस की सरकार **2019 में हिंदी पट्टी की 251 में से सिर्फ 7 पर जीता था कांग्रेस गठबंधन 2018 में जब कांग्रेस जब तीन राज्यों में जीती थी, तब भी 2019 में पीएम मोदी के चेहरे के सामने कांग्रेस का सूपड़ा साफ़ हो गया था। इस बार तो हिंदी पट्टी के इन तीन राज्यों में कांग्रेस का सूपड़ा साफ़ हुआ है। ये 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी के लिए बड़ा झटका है। कांग्रेस के तमाम दावे हवा हवाई हो गए और हिंदी पट्टी के तीन बड़े राज्यों, राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को करारी शिकस्त मिली है। यहाँ कांग्रेस का हर दांव उल्टा पड़ा। ऐसे में 2024 में केंद्र की सत्ता तक पहुंचने का कांग्रेस का ख्वाब फिलहाल पूरा होना मुश्किल होगा। इन तीन राज्यों में ही 65 लोकसभा सीटें है। आपको याद दिला दें कि 2018 में तीनों राज्यों में कांग्रेस की सरकार बनी थी, बावजूद इसके 2019 में कांग्रेस के हिस्से आई थी महज 3 सीटें। वहीँ इस बार भाजपा ने मोदी के चेहरे पर विधानसभा चुनाव लड़ा तो तीनों राज्यों में कांग्रेस साफ़ हो गई और ऐसे में 2024 में कांग्रेस का टिकना बेहद मुश्किल होगा। इन तीन राज्यों में कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है, उसका ओपीएस कार्ड भी फेल हो गया और गारंटी मॉडल भी। वहीँ राहुल गाँधी की जिस बढ़ती लोकप्रियता का दावा कांग्रेस कर रही थी वो दक्षिण में तो दिखी लेकिन हिंदी पट्टी में वैसा नहीं दिखा। नतीजे तो ये ही बताते है। बगैर हिंन्दी पट्टी में खुद को मजबूत किये कांग्रेस किस आधार पर 2024 में जीत का स्वपन देख रही है, ये पार्टी के रणनीतिकार ही जानते है। इन तीन राज्यों को छोड़े भी दे तो उत्तरप्रदेश, बिहार, गुजरात और दिल्ली में भी पार्टी वेंटिलेटर पर दिखती है। इन राज्यों में 153 लोकसभा सीटें है और राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ को जोड़कर ये आंकड़ा 218 हो जाता है। इसके अलावा 10 सीटों वाले हरियाणा और 5 सीटों वाले उत्तराखंड में भी न कांग्रेस सत्ता में है और न कोई बड़ा तिलिस्म करने की स्थिति में दिखती है। वहीँ 14 सीटों वाले झारखण्ड में कांग्रेस गठबंधन सरकार का हिस्सा है लेकिन अकेले दम पार्टी की हैसियत किसी से छिपी नहीं है। हिंदी पट्टी में हिमाचल प्रदेश इकलौता राज्य है जहाँ कांग्रेस की सरकार है, लेकिन चार सीटों वाले इस छोटे प्रदेश में भी पार्टी बहुत सहज नहीं दिखती। कुल मिलाकर हिन्द्दी पट्टी में 251 लोकसभा सीटें है। 2019 के लोकसभा चुनाव में यूपीए को इनमें से सिर्फ 7 पर जीत मिली थी। हालांकि तब बिहार में जेडीयू एनडीए का हिस्सा था और यूपी में सपा और बसपा मिलकर लड़े थे और यूपीए गठबंधन का हिस्सा नहीं थे। अब यूपीए गठबंधन खत्म हो चूका है और विपक्ष ने इंडिया गठबंधन बनाया है लेकिन ये नए पैकेट में पुराने सामान की तरह ही दिख रहा है। सपा और कांग्रेस के बीच मध्य प्रदेश में तल्खियों का ट्रेलर दिख चूका है और नतीजा भी अब सबके सामने है। वहीँ जेडीयू भी कांग्रेस के रवैये से नाखुश है। कांग्रेस और आप भी आमने -सामने है। ऐसे में हिंदी पट्टी में विपक्ष कैसे भाजपा से लड़ पायेगा, ये तो माहिरों की भी समझ से परे है। कांग्रेस विपक्ष की धुरी है और हिंदी पट्टी में जीत दिल्ली का रास्ता प्रशस्त करती है। ऐसे में हिंदी पट्टी में कमजोर होकर कांग्रेस न तो विपक्ष की अगुवाई कर सकती है और न ही भाजपा से मुकाबला। मोदी की टक्कर में चेहरा नहीं ! इस हार ने कांग्रेस की पुरानी कमी को फिर उजागर कर दिया। हिंदी पट्टी में प्रधानमंत्री मोदी सबसे लोकप्रिय नेता है और कांग्रेस के पास कोई ऐसा चेहरा नहीं जो टक्कर दे सके। भारत जोड़ो यात्रा के बाद राहुल गाँधी को दक्षिण में तो लोकप्रियता मिली है लेकिन हिंदी पट्टी में अब भी राहुल की लोकप्रियता में कोई ख़ास बदलाव नहीं दिखता। जो दीवानगी पीएम मोदी के लिए इन तीन राज्यों में दिखी वो भाजपा की जीत का बड़ा कारण है। तीन राज्यों के चुनावों की बात करें तो सिर्फ राजस्थान में अशोक गहलोत ऐसा चेहरा दिखे जो भाजपा को मुद्दों पर घेरते दिखे और टक्कर में भी लगे, ये ही कारण है भाजपा को राजस्थान में पूरी ताकत झोंकनी पड़ी। इसके अलावा पूरी कांग्रेस में हिन्द्दी पट्टी का एक भी ऐसा चेहरा नहीं दिखता जो मुकाबले में खड़ा भी दिखे। हालांकि प्रियंका गाँधी भी भीड़ जुटाने में कामयाब दिखी लेकिन भीड़ वोटों मे नहीं बदल पाई। राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे दक्षिण से आते है और उसका लाभ पार्टी को कर्णाटक और तेलंगाना में मिला भी है, लेकिन वे हिंदी पट्टी से वैसे कनेक्ट नहीं कर पाते जिस तरह पीएम मोदी करते है। ऐसे में कांग्रेस को नीति रणनीति में बदलाव की सख्त जरुरत है।
अयोध्या में आज ही के दिन बाबरी मस्जिद का ढांचा गिराया गया था। इसके बाद हिंसक घटनाएं हुईं और विवादित मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा, जिसके बाद साल 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने केस की सुनवाई कर फैसला दिया और विवाद को हमेशा के लिए खत्म कर दिया। हालांकि, इसके बाद भी तमाम संगठनों और नेताओं द्वारा इस मुद्दे को उठाया जाता रहा है। 5 दिसंबर 1992 की सुबह से ही अयोध्या में विवादित ढांचे के पास कारसेवक पहुंचने शुरू हो गए थे। उस समय सुप्रीम कोर्ट ने विवादित ढांचे के सामने सिर्फ भजन-कीर्तन करने की इजाजत दी थी, लेकिन अगली सुबह यानी 6 दिसंबर को भीड़ उग्र हो गई और बाबरी मस्जिद का विवादित ढांचा गिरा दिया। कहते हैं कि उस समय 1.5 लाख से ज्यादा कारसेवक वहां मौजूद थे। इसके बाद देशभर में सांप्रदायिक दंगे भड़क उठे। इन दंगों में 2 हजार से ज्यादा लोग मारे गए थे। मामले की FIR दर्ज हुई और 49 लोग आरोपी बनाए गए। आरोपियों में लालकृष्ण आडवाणी, उमा भारती, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह, चंपत राय, कमलेश त्रिपाठी जैसे भाजपा और विहिप के नेता शामिल थे। मामला 28 साल तक कोर्ट में चलता रहा और 30 सितंबर 2021 को लखनऊ की CBI कोर्ट ने सभी आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया। फैसले के वक्त तक 49 में से 32 आरोपी ही बचे थे, बाकी 17 आरोपियों का निधन हो चुका था। इसके अलावा 9 नवंबर 2020 को सुप्रीम कोर्ट ने जमीन के मालिकाना हक को लेकर फैसला दिया था। इस फैसले के तहत जमीन का मालिकाना राम जन्मभूमि मंदिर के पक्ष में सुनाया। मस्जिद के लिए 5 एकड़ जमीन अलग से देने का आदेश दिया।
मात्र 250 रूपये में खुलवाएं दस वर्ष तक की बेटी का खाता, 7.6 प्रतिशत ब्याज के साथ मिलेगी टैक्स में छूट भारतीय डाक विभाग द्वारा 4 दिसम्बर से 16 दिसम्बर तक सुकन्या समृद्धि योजना के तहत ‘समृद्ध सुकन्या, समृद्ध समाज’ अभियान चलाया जा रहा है। यह जानकारी देते हुए अधीक्षक डाकघर धर्मशाला रविंद्र शर्मा ने बताया कि इस योजना के तहत दस वर्ष या उससे कम आयु की बेटी के नाम पर न्यूनतम 250 रूपये से खाता खुलवाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि खाता खुलने के बाद आवेदक अपनी सुविधा अनुसार इसमें राशि जमा करवा सकता है, जोकि एक वर्ष में एक लाख पचास लाख रूपये से अधिक नहीं होनी चाहिए। उन्होंने बताया कि सुकन्या समृद्धि योजना के तहत आवेदक को सरकार द्वारा जमा की गई राशि पर 7.6 प्रतिशत की तर्ज पर ब्याज दिया जायेगा। सुकन्या समृद्धि योजना के तहत जमा की गई राशि पर सेक्शन 80-सी के तहत इनकम टैक्स में छूट का प्रावधान है। उन्होंने बताया कि बेटी की आयु 21 वर्ष होने पर यह राशि उसे दी जाएगी। योजना के तहत आवेदक बालिका 18 वर्ष की होने पर अपनी उच्च शिक्षा के लिए जमा राशि का 50 प्रतिशत निकलवा सकती है। उन्होंने बताया कि इस योजना का मुख्य उद्देश्य है बेटियों के सुरक्षित भविष्य के लिए खातों की शुरुआत करना, जो सीधे महिला सशक्तिकरण का एक कदम है। यह अभियान बेटियों के लिए सुरक्षित भविष्य के साथ समाज में सकारात्मक परिवर्तन की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने आम जनमानस से नजदीकी डाकघर में जाकर पात्र कन्याओं के खाते खुलवाने का अनुरोध किया है। उन्होंने पात्र बालिकाओं के अभिभावकों से अपील की है कि वह अपनी पात्र बेटियों का खाता अवश्य खुलवाएं और भारत सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का लाभ उठाएं। अधिक जानकारी के लिए किसी भी नजदीकी डाकघर से संपर्क किया जा सकता है।
*हिमुडा में उपाध्यक्ष पद पर नियुक्ति के लिए यशवंत छाजटा ने जताया मुख्यमंत्री का आभार *प्रदेश सरकार के एक वर्ष का कार्यकाल पूर्ण होने के अवसर पर होगा भव्य समारोह का आयोजन मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि 11 दिसंबर को राज्य सरकार के एक वर्ष का कार्यकाल पूर्ण होने के अवसर पर जिला कांगड़ा में एक भव्य समारोह का आयोजन किया जाएगा। इस कार्यक्रम में कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी शामिल होंगे। यह बात मुख्यमंत्री ने आज हिमुडा के उपाध्यक्ष यशवंत छाजटा की नियुक्ति के लिए आभार व्यक्त करने ओक ओवर पहुंचे समर्थकों को सम्बोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि यशवंत छाजटा ने अपने जीवन के 25 वर्ष कांग्रेस पार्टी की सेवा की है, जिसके कारण उन्हें सरकार में नियुक्ति मिली है। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में पार्टी के अन्य कार्यकर्ताओं को भी पद दिए जाएंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार ने धर्मशाला नगर निगम के चुनाव में महापौर पद का चुनाव जीत लिया है। उन्होंने कहा कि आने वाले लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस पार्टी बेहतर रणनीति बनाकर मैदान में उतरेगी और भाजपा को शिकस्त देगी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी व सरकार व्यवस्था परिवर्तन के दौर से गुजर रही है और आने वाले समय में कई बदलाव देखने को मिलेंगे। उन्होंने कहा कि इस व्यवस्था परिवर्तन से हिमाचल प्रदेश में विकास की गति तेज होगी और हिमाचल प्रदेश की जनता को लाभ मिलेगा। ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि राज्य सरकार ने अपनी 10 में से 3 गारंटियों को पूरा कर दिया है। मंत्रिमण्डल की पहली ही बैठक में सरकारी कर्मचारियों के मान-सम्मान को बहाल करते हुए पुरानी पेंशन स्कीम को लागू किया गया। 680 करोड़ रुपए की राजीव गांधी स्वरोजगार स्टार्ट-अप योजना के पहले चरण की शुरूआत हो चुकी है, जिसके तहत ई-टैक्सी की खरीद पर 50 प्रतिशत सब्सिडी के साथ-साथ युवाओं को निश्चित आय सुनिश्चित की जा रही है। इसके साथ-साथ शिक्षा में व्यापक सुधार का वादा पूरा करते हुए अगले शैक्षणिक सत्र से सभी सरकारी स्कूलों में अंग्रेजी अनिवार्य कर दी जाएगी। सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों को गुणात्मक शिक्षा प्रदान करने के लिए आने वाले समय में कई बदलाव देखने को मिलेंगे। इस अवसर पर हिमुडा उपाध्यक्ष यशवंत छाजटा ने मुख्यमंत्री का उनकी नियुक्ति के लिए आभार व्यक्त किया।
-शिक्षा विभाग को नोटिस जारी कर मांगा जवाब हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने शिक्षा विभाग में बीआरसीसी भर्ती पर रोक लगा दी है। मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने 282 पदों पर होने जा रही ब्लॉक रिसोर्स सेंटर कोऑर्डिनेटर भर्ती प्रक्रिया मामले की प्रारंभिक सुनवाई के बाद यह रोक लगाई है। हाईकोर्ट ने शिक्षा सचिव, केंद्र सरकार के शिक्षा मंत्रालय, समग्र शिक्षा अभियान के राज्य परियोजना कार्यालय और उच्च शिक्षा निदेशक को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। शिक्षा विभाग की ओर से 3 दिसंबर को ली जाने वाली भर्ती परीक्षा को लेकर भी अब संशय बन गया है। विभागीय अधिकारी इस बाबत अभी कुछ जानकारी देने से गुरेज कर रहे हैं। अधिकारियों का कहना है कि कानूनी राय लेने के बाद परीक्षा में शामिल होने वाले शिक्षकों को सूचित किया जाएगा। बता दें कि मायाराम शर्मा और अन्य की ओर से दायर याचिका की प्रारंभिक सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगाई है। याचिका में दिए तथ्यों के अनुसार प्रार्थीगण 21 वर्ष से अधिक समय से जेबीटी के पद पर कार्यरत हैं। उन्होंने 5 वर्ष तक बतौर बीआरसीसी कार्य किया है। प्रार्थियों ने 18 अक्तूबर, 2023 को जारी उस अधिसूचना को चुनौती दी है, जिसके तहत शिक्षा विभाग बीआरसीसी के लिए फिर भर्ती करने जा रहा है। प्रार्थियों की दलील है कि 5 साल से अधिक समय तक बतौर बीआरसीसी कार्य करने के बावजूद उन्हें अयोग्य करार दिया गया, जो गैर कानूनी है और संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है। कोर्ट ने प्रथम दृष्टया अधिसूचना को कानूनी तौर पर भेदभावपूर्ण पाते हुए इसके अनुरूप की जा रही कार्यवाही पर अंतरिम रोक लगा दी है। मामले पर सुनवाई 24 फरवरी 2024 को होगी।
- दोपहर 3 बजे आयोजित होगा शपथ ग्रहण समारोह नगर निगम धर्मशाला को 2 दिसंबर को नये महापौर और उप महापौर मिल जाएंगे। इसके लिए उपायुक्त डॉ. निपुण जिंदल की ओर से आदेश जारी किए गए हैं। शनिवार दोपहर 3 बजे महापौर और उप महापौर का शपथ ग्रहण समारोह नगर निगम धर्मशाला के बैठक कक्ष में आयोजित किया जाएगा। गौरतलब है कि ढाई साल के कार्यकाल के बाद नगर निगम धर्मशाला में महापौर-उप महापौर का कार्यकाल 12 अक्तूबर को समाप्त हो गया था। इसके बाद से ही नए महापौर और उप महापौर के नामों और उनके चुनाव को लेकर क्यासों का दौर जारी था। विभिन्न कारणों से यह चुनाव लंबित होता रहा और अब करीब डेढ़ माह बाद 2 दिसंबर का दिन चुनाव के लिए तय किया गया है।
-धार्मिक पर्यटन सर्किट बस सेवा के तहत एचआरटीसी इस रूट पर वोल्वो बस चलाएगा -अगले साल से इस रूट पर यह बस सेवा शुरू करने की योजना हाल ही में धार्मिक पर्यटन सर्किट बस सेवा के तहत एचआरटीसी ने चिंतपूर्णी-ज्वालाजी, खाटू श्याम और भंगायणी माता मंदिर हरिपुरधार के लिए बस सेवा शुरू की और अब पंजाब के अमृतर स्थित स्वर्ण मंदिर और अटारी बॉर्डर के लिए भी हिमाचल पथ परिवहन निगम वोल्वो सेवा शुरू करने जा रहा है. दरअसल बाहरी राज्यों से हिमाचल आने वाले सैलानी स्वर्ण मंदिर और अटारी बार्डर घूमने जरूर जाते हैं और हिमाचल से स्वर्ण मंदिर और अटारी बार्डर के लिए अब तक कोई लग्जरी बस सेवा नहीं थी। ऐसे में इस रूट पर वोल्वो बस चलने से निगम को अच्छी कमाई की उम्मीद है। अगले साल से इस रूट पर यह बस सेवा शुरू करने की योजना है वहीं, एचआरटीसी दिल्ली और अमृतसर एयरपोर्ट के लिए भी सीधी वोल्वो सेवा शुरू करने की योजना बना रहा है। शिमला-चंडीगढ़ एयरपोर्ट वोल्वो के सफल संचालन के बाद इसे लेकर प्रयास किये जा रहे हैं। टूरिस्ट सीजन के दौरान बड़ी संख्या में सैलानी दिल्ली, अमृतसर, शिमला, मनाली, किन्नौर और लाहौल-स्पीति के बीच आवाजाही करते हैं। ऐसे में वोल्वो सेवा शुरू होने से इन्हें लाभ होगा।
-2025 की परेड में शामिल होगी हिमाचल की झांकी राजधानी दिल्ली के कर्तव्य पथ पर रिपब्लिक डे की परेड में पिछले 4 सालों से हिमाचल को मौका नहीं मिला है और इस बार भी हिमाचल की झांकी देखने को नहीं मिलेगी। दरअसल ऐसे कई राज्य है जो बीते कई सालों से गणतंत्र दिवस की परेड में शामिल नहीं हुए हैं। ऐसे में सभी राज्यों को बराबर का मौका मिले इसके लिए केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को तीन वर्षों में से एक बार अपनी झांकी परेड में शामिल करने का मौका दिया है। नई व्यवस्था के तहत किसी भी राज्य की झांकी को तीन चरण में होने वाली छंटनी प्रक्रिया के दौरान बाहर नहीं किया जाएगा। राज्य जिस भी वर्ष के लिए अपनी झांकी को शामिल करने की प्राथमिकता देंगे, केंद्र सरकार उस राज्य की झांकी और बेहतर बनाने में मदद देगा। अब केंद्र सरकार ने 2024 से 2026 तक झांकी निकालने के लिए किसी एक वर्ष को चुनने का राज्यों से विकल्प मांगा थ। इसी कड़ी में हिमाचल सरकार ने वर्ष 2025 में अपनी झांकी को देने का फैसला किया है। गौरतलब है कि केंद्र सरकार से समय पर सूचना न मिलने के कारण 2023 की परेड में झांकी शामिल करने का मौका हिमाचल के हाथ से चला गया था। इससे पहले 2019 में महात्मा गांधी की हिमाचल यात्रा की झांकी का प्रस्ताव भेजा गया था, रक्षा मंत्रालय ने हिमाचल की झांकी के मॉडल को भी खारिज कर दिया था फिर वर्ष 2021 में अटल टनल रोहतांग का मॉडल मंजूर नहीं हुआ और 2022 में धामी गोलीकांड विषय पर केंद्रित झांकी अंतिम चरण में बाहर हुई थी। अब हिमाचल सरकार ने 26 जनवरी 2025 की परेड में राज्य की झांकी को शामिल करने का फैसला किया है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं सांसद प्रतिभा सिंह ने पार्टी के सभी पदाधिकारियों को जो भी दायित्व उन्हें सौंपा गया है, उसे पूरी निष्ठा व ईमानदारी से पूरा करने को कहा है। उन्होंने कहा है कि जो पदाधिकारी निष्क्रिय पाए जा रहे हैं उन्हें जल्द ही पदमुक्त करने पर विचार किया जाएगा। उन्होंने कहा है कि जल्द ही प्रदेश कांग्रेस कार्यकारिणी की बैठक बुलाई जाएगी, जिसमें लोकसभा चुनावों के लिए पार्टी की रणनीति पर विस्तारपूर्वक आपसी चर्चा की जाएगी। प्रतिभा सिंह ने उन पदाधिकारियों को जो पार्टी के कार्यक्रमों व बैठकों में लगातार अनुपस्थित रहते हैं, उनकी पूरी जानकारी जिला व ब्लॉक अध्यक्षों से मांगी है। उन्होंने कहा कि संगठन के आदेशों की अवहेलना किसी भी स्तर पर सहन नहीं की जा सकती। उन्होंने कहा है कि जो पदाधिकारी अपने दायित्व का पालन या पार्टी के कार्यक्रमों को समय नही दे पा रहे हैं, उन्हें स्वयं ही पद से हट जाना चाहिए। प्रतिभा सिंह ने सभी ब्लॉक अध्यक्षों से अपने अपने सभी बूथों की कमेटियां गठित करने व इसकी पूरी सूची प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय को 30 नवंबर तक भेजने के निर्देश दिए हैं। प्रतिभा सिंह ने ब्लॉक अध्यक्षों से अपने-अपने ब्लॉकों में 15 दिसंबर से पूर्व या इस दिन तक पार्टी की आम सभा, जनरल हाउस बुलाने को भी कहा है। उन्होंने इन सभाओं में प्रदेश कांग्रेस के महासचिव व सचिव प्रभारियों को भी शामिल होने को कहा है। उन्होंने कहा है कि अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों के लिये पार्टी पदाधिकारियों को जल्द ही अहम जिम्मेदारियां दी जाएंगी। उन्होंने पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं से संगठन की मजबूती के लिये एकजुटता के साथ कार्य करने का आग्रह करते हुए कहा कि अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों के लिये पार्टी के सभी नेताओं को अभी से कमर कसनी होगी।
-चार दिसंबर को होगी '1' नंबर की ई-नीलामी गाड़ियों में वीआईपी नंबर का क्रेज बढ़ता जा रहा है। वीआईपी नंबर का शौक रखने वाले लोगों के लिए अब हिमाचल सरकार भी एक नई पालिसी लेकर आयी है। जो वीआईपी नंबर 1 पहले सिर्फ सरकारी वाहनों में दिखता था अब वो नंबर कोई भी आम व्यक्ति ले सकता है। हिमाचल सरकार अब आम जनता के लिए वीआईपी नंबर '1Ó उपलब्ध करवा रही है और इसके लिए चार दिसंबर से ई-नीलामी करेगी भी शुरू हो जाएगी। वीआईपी नंबर की बेस वैल्यू पांच लाख रुपये रखी गई है और ई-नीलामी के लिए रजिस्ट्रेशन 27 नवंबर (सोमवार) से 2 दिसंबर (शनिवार) तक करवाया जा सकता है। रविवार को इसकी बोली लगाई जाएगी और सबसे अधिक बोली लगाने वाले को शाम पांच बजे तक नंबर अलॉट कर दिया जाएगा। सरकार की ई-निलामी योजना से पहले भी परिवहन विभाग को काफी ज़्यादा मुनाफा हुआ है। पहले चरण में ही वीआईपी नंबरों की नीलामी से विभाग ने 8 करोड़ रुपये से ज़्यादा कमाए है। इस योजना के बारे में उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्रिहोत्री का कहना है कि प्रदेश सरकार परिवहन विभाग से 1000 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित करेगी। इसके लिए अधिकारियों को निर्देश जारी कर दिए गए है। यह लक्ष्य परिवहन विभाग में रिकॉर्डतोड़ राजस्व अर्जित करने का होगा। उन्होंने कहा कि पहले सरकारी गाडिय़ों पर ही '1Ó नंबर लगाया जाता था, जिसे अब आम जनता के लिए खोला जा रहा है। यह नीलामी पूरी पारदर्शिता के साथ की जाएगी।
-सरकार ने बढाई 15 हजार रुपये खरीद राशि -आगामी चार वर्ष तक नहीं खरीद सकते है कोई अन्य उपकरण हिमाचल प्रदेश सरकार ने प्रशासनिक अधिकारियों की कार्यक्षमता बढ़ाने के लिए कुछ छूट प्रदान की है। जानकारी के मुताबिक प्रशासनिक सचिव अब एक लाख रुपये तक की कीमत के डिजिटल डिवाइस खरीद सकेंगे। आपको बता दें की पहले 85 हजार रुपये की कीमत के डिजिटल डिवाइस खरीदने की छूट थी। लेकिन अब प्रदेश सरकार ने खरीद राशि को 15 हजार रुपये बढ़ा दिया है। इसकी खरीद के लिए सरकार की ओर से धनराशि दी जाएगी। डिजिटल डिवाइस के तहत लैपटॉप, टैबलेट, आईपैड, फैबलेट, नोटपैड, नोटबुक, नेटबुक, मोबाइल फोन, मैकबुक, प्रिंटर और यूपीएस की खरीद कर सकेंगे। वित्त विभाग की मंजूरी लेकर डिजिटल टेक्नालॉजी और गवर्नेंस विभाग ने इस बाबत सभी प्रशासनिक सचिवों को पत्र जारी कर दिया है। पत्र में स्पष्ट किया गया है कि चार साल तक डिजिटल डिवाइस सरकारी संपत्ति होगी। चार वर्ष तक संबंधित सचिव डिवाइस के रखरखाव के लिए जिम्मेवार होगा। एक बार डिवाइस खरीदने वाला सचिव आगामी चार वर्ष तक नया डिवाइस खरीदने के लिए पात्र नहीं होगा।
-26 दिनों तक फरार रहा आरोपी -जमीन के लिए गोलियों से भूना था भाई-भाभी को हिमाचल में जमीनी विवाद के लिए भाई-भाभी को गोलियों से भूनने वाले डबल मर्डर के आरोपी दीपक कुमार ने २६ दिन बाद सोमवार को सरेंडर कर दिया है। इससे पहले आरोपी ने ६ राज्यों में भागकर कांगड़ा पुलिस को खूब छकाया। मगर, पुलिस भी आरोपी के पीछे साए की तरह लगी रही। आखिर में दीपक को आत्मसमर्पण करना पड़ा। पुलिस के अनुसार,आरोपी मर्डर करने के बाद अपनी गाड़ी में दिल्ली पहुंचा। पुलिस ने कुछ दिन बाद दिल्ली के पहाड़गंज से आरोपी की गाड़ी सीज कर दिया। मगर, आरोपी यहां से भागने में कामयाब रहा और गोवा जा पहुंचा। जब तक पुलिस गोवा पहुंचती, तब तक वह गोआ से राजस्थान के जयपुर के लिए फरार हो गया। जयपुर से आरोपी मथुरा पहुंचा। मथुरा से नोएडा आया। फिर वह अमृतसर पहुंचा। अमृतसर से वह होशियारपुर आया। होशियारपुर में वह बीती रात अपनी बहन के घर पहुंचा। यहां से जीजा व बहन उसे लेकर रात ११ बजे सीधे स्क्क ऑफिस पहुंचे। पुलिस ष्टष्टञ्जङ्क फुटेज के आधार पर आरोपी के पीछे लगी रही। बता दें कि नगरोटा बगवां विधानसभा क्षेत्र के जसौर पंचायत के वार्ड नंबर में बीते दो नवंबर को डबल मर्डर करके आरोपी दीपक कुमार फरार हुआ था। यह मर्डर जमीनी विवाद के कारण किया। इसी मामले में पुलिस ने आरोपी के पिता, पत्नी और बेटी को भी मर्डर की साजिश में शामिल होने के आरोपों में गिरफ्तार कर रखा है। अब मुख्य आरोपी भी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है।
-स्पेशल महिला कमांडो भी भर्ती किए जाएंगे हिमाचल में भविष्य में होने वाली पुलिस भर्ती में महिलाओं को 30 फीसदी आरक्षण दिया जाएगा। यह घोषणा मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने रविवार को हमीरपुर में अपने एक दिवसीय दौरे के दौरान गांधी चौक पर आयोजित जनसभा में की। उन्होंने कहा कि इस भर्ती में स्पेशल महिला कमांडो की भर्ती भी की जाएगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश में नशे के बढ़ते चलन को देखते हुए एंटी नारकोटिक्स पुलिस फोर्स की भर्ती की जाएगी, जिसमें 1200 से अधिक पुलिस जवान भर्र्ती होंगे। इसी भर्ती में महिलाओं को 30 फीसदी आरक्षण दिया जाएगा। इसी भर्ती के दौरान प्रदेश में पहली बार महिला कमांडो फोर्स गठित की जाएगी। सीएम सुक्खू ने कहा कि राज्य सरकार अपने संसाधनों में वृद्धि करने के लिए प्रतिबद्धता के साथ कार्य कर रही है। इस वर्ष हिमाचल प्रदेश सरकार के राजस्व में 1100 करोड़ रुपये की वृद्धि का अनुमान है। शराब ठेकों की नीलामी से सरकार को 500 करोड़ का अतिरिक्त राजस्व शराब के ठेकों की नीलामी से राज्य सरकार को 500 करोड़ रुपए का अतिरिक्त राजस्व मिलेगा। उन्होंने कहा कि हमीरपुर में जल्द ही राज्य चयन आयोग शुरू किया जाएगा। राज्य सरकार 6000 अध्यापकों, 2000 से अधिक वन मित्रों के पद भरने जा रही है। राज्य सरकार ने प्रदेश भर में 30 व 31 अक्तूबर को इंतकाल अदालतों का आयोजन किया, जिसके परिणाम बेहतर रहे तथा इंतकाल के लंबित 41,907 मामलों में से 31,105 का निपटारा कर दिया गया। आगामी पहली व दो दिसंबर को पुन: प्रदेश भर में इस प्रकार की विशेष अदालतों का आयोजन किया जाएगा, जिन्हें राजस्व लोक अदालत का नाम दिया गया है। इस विशेष अदालत में इंतकाल के साथ-साथ तकसीम के लंबित मामलों का प्राथमिकता के आधार पर निपटारा किया जाएगा।
** पहले ग्रीन हिमाचल के नाम पर इलेक्ट्रिक वाहनों को सब्सिडी देने की बात की, अब उसे ही बना दिया स्टार्टअप फण्ड : जयराम ठाकुर शिमला: नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि कांग्रेस ने चुनाव के पहले गारंटी दी थी कि सरकार बनने पर हर विधानसभा क्षेत्र के युवाओं के लिए 10 करोड़ के हिसाब से 680 करोड़ रुपए के स्टार्टअप फण्ड का प्रबंध करेगी। जिससे युवा अपने लिए रोज़गार के साधन जुटाए और अन्य लोगों को रोज़गार भी देंगे। कांग्रेस के कई नेताओं ने इसके लिए युवाओं से फॉर्म भी भरवा लिए थे। चुनाव के एक साल तक सरकार इस फण्ड के नाम पर ख़ामोश रही। पिछले हफ़्ते राज्य सरकार ने 680 करोड़ के राजीव गांधी स्वरोज़गार स्टार्टअप योजना की शुरुआत करने की घोषणा की। इस योजना के तहत सरकार युवाओं को ई-टैक्सी के लिए 50 फ़ीसदी की सब्सिडी देने की घोषणा की। इस तरह की बात सरकार पिछले 9 महीनें से कर रही है। सरकार की यह योजना कब परवान चढ़ेगी यह तो वक्त बताएगा। अभी एक भी व्यक्ति को इसका लाभ नहीं मिला लेकिन कांग्रेस के नेता इसे तीसरी गारंटी पूरी करने के रूप में प्रचारित करना शुरू कर चुके हैं। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सरकार ने हरित हिमाचल के तहत भी ई-टैक्सी, ई-बस और ई-ट्रकों पर भी 50 फ़ीसदी सब्सिडी देने की बात की थी। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा दो योजनाओं के बीच में घालमेल किया जा रहा है। ई-वाहनों पर सब्सिडी देना अलग बात है। पूरे देश में ई-वाहनों को प्रोत्साहित करने के लिए सरकारों द्वारा निजी एवं व्यवसायिक वाहनों की ख़रीद पर विभिन्न प्रकार की छूट दी जा रही हैं। जिसमें शून्य रजिस्ट्रेशन फ़ीस के साथ लाखों रुपए के अनुदान शामिल हैं। लेकिन सरकार द्वारा इसे तीसरी गारंटी के रूप में प्रचारित करना स्टार्टअप के लिए आर्थिक सहायता का इंतज़ार कर रहे प्रदेश के युवाओं के साथ धोखा है। पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि कांग्रेस को अपनी गारंटियां उसी तरह पूरी करनी पड़ेगी, जिस तरह से उन्होंने प्रदेश के लोगों से की हैं। किसी अन्य प्रकार की योजना को दूसरी योजनाओं के साथ जोड़कर वाहवाही लेने का समय अब ख़त्म हो गया है। सरकार को जनहित में मुद्दे पर गंभीरता से काम करना होगा। उन्होंने कहा की सरकार को स्टार्टअप के लिए विशेष नीति बनाकर युवाओं को प्रोत्साहित करना चाहिए। जिससे प्रदेश में युवा नवोन्मेष के साथ आगे आए और नए उद्योग धंधे स्थापित करें। इससे न सिर्फ़ वह अपनी आय के साधन बढ़ाएंगे बल्कि अन्य लोगों को रोज़गार देने के साथ-साथ प्रदेश के आर्थिक विकास में भी अपना योगदान देंगे। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि इसके लिए सरकार को अपनी नीयत सही करनी होगी, इधर-उधर की बात करने के बजाय विकास पर अपना ध्यान केंद्रित करना होगा।
**पूरा घर क्षतिग्रस्त होने पर पहली किस्त के रूप में 3-3 लाख रुपये की किस्त जारी **शहर में बिजली तारों को भूमिगत करने के लिए 20 करोड़ रुपये देने की घोषणा की मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इस वर्ष बरसात के दौरान भारी बारिश, भू-स्खलन तथा बाढ़ से आई आपदा से प्रभावित परिवारों के लिए ‘पुनर्वास’ कार्यक्रम के तहत आज हमीरपुर जिला में आपदा प्रभावित परिवारों को 14 करोड़ रुपए से अधिक की राहत राशि प्रदान की, जिनमें 122 परिवारों के मकान पूरी तरह से क्षतिग्रस्त होने पर पहली किस्त के रूप में 3-3 लाख रुपए जारी किए। ऐसे परिवारों को कुल पहली किस्त के रूप में 3.66 करोड़ रुपए जारी किए गए। मुख्यमंत्री ने जिला के दो बेघर परिवारों को भूमि के दस्तावेज सौंपे तथा आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए 555 मकानों की मरम्मत के लिए 1-1 लाख रुपए की आर्थिक सहायता प्रदान की। उन्हें कुल 5.55 करोड़ की राशि जारी की गई। इसके अलावा उन्होंने प्रभावित 8 दुकानों और ढाबों मालिकों को भी एक-एक लाख रुपए की मुआवजा राशि प्रदान की। उन्होंने क्षतिग्रस्त 622 गौशालाओं की मरम्मत के लिए 3.11 करोड़ रुपए, आपदा में अपना सामान गंवा चुके 71 परिवारों को 50-50 हजार रुपए की आर्थिक सहायता प्रदान की। इसके अलावा आपदा के कारण जिला हमीरपुर में क्षतिग्रस्त हुई 1103 कनाल भूमि की एवज में 10 हजार रुपए प्रति बीघा की दर से कुल 55 लाख रुपए तथा 1760 कनाल भूमि पर किसानों की फसल को हुए नुकसान पर 4 हजार रुपए प्रति बीघा की दर से 35.20 लाख रुपए की मुआवजा राशि प्रदान की। मुख्यमंत्री ने 27 पशुओं की मृत्यु पर पशुपालकों को 8 लाख रुपए की राशि जारी की। **हमीरपुर में खुलेगा बिजली बोर्ड का चीफ इंजीनियर कार्यालय मुख्यमंत्री ने हमीरपुर में विद्युत बोर्ड का चीफ इंजीनियर कार्यालय खोलने तथा हमीरपुर शहर की बिजली की तारों को भूमिगत करने के लिए 20 करोड़ रुपये प्रदान करने की घोषणा करते हुए कहा कि एक वर्ष में शहर की बिजली की तारों को भूमिगत किया जाएगा। उन्होंने वर्षों से लम्बित बस स्टैंड के निर्माण के लिए पहली किस्त के रूप में 2 करोड़ रुपये प्रदान करने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि नेरी में तीन करोड़ रुपये की लागत से बागवानी विश्वविद्यालय के छात्रावास का निर्माण किया जाएगा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार आमजन और गरीब की सरकार है तथा उनके दुःख-दर्द को बेहतर ढंग से जानती है। आपदा के दौरान राज्य सरकार ने 48 घंटे में बिजली, पानी जैसी आवश्यक सेवाएं बहाल की तथा फंसे हुए 75 हजार पर्यटकों और 15 हजार गाड़ियों को सुरक्षित निकाला। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में इतिहास में पहले कभी भी इतने व्यापक पैमाने पर क्षति नहीं हुई, लेकिन भाजपा नेता विधानसभा सत्र की मांग करते रहे। जब सत्र बुलाया तो तीन दिन की चर्चा के बाद भी आपदा प्रभावितों के समर्थन में लाए गए प्रस्ताव का साथ नहीं दिया। उन्होंने कहा कि विशेष पैकेज के लिए वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से भी मिले, लेकिन आज तक केंद्र सरकार ने एक पैसे की मदद नहीं की। यही नहीं नियमानुसार 10 हजार करोड़ रुपए के क्लेम केंद्र को भेजे गए हैं।
-10वीं गवर्निंग बॉडी की मीटिंग में मिली मंजूरी -प्रधान सचिव वन एवं चेयरमैन डा. अमनदीप गर्ग ने की परियोजना कार्यों की सराहना -मुख्य परियोजना निदेशक नागेश कुमार गुलेरिया ने पेश की विस्तृत रिपोर्ट -20 एजेंडे पर हुई चर्चा, पिछले 6 माह की रिपोर्ट पर भी हुआ मंथन जाइका वानिकी परियोजना अब स्वयं सहायता समूहों द्वारा तैयार उत्पादों की ब्रांडिंग करेगा। गत शनिवार को 10वीं गवर्निंग बॉडी की मीटिंग में यह निर्णय लिया। प्रधान सचिव वन एवं गवर्निंग बॉडी के चेयरमैन डा. अमनदीप गर्ग की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में कई अहम निर्णय लिए गए। इस महत्वपूर्ण बैठक में पिछले छह महीने के विकास कार्यों पर मंथन किया गया और 20 के करीब नए एजेंडे पर चर्चा की गई। बैठक को संबोधित करते हुए सचिव वन डा. अमनदीप गर्ग ने कहा कि जाइका वानिकी परियोजना के तहत हो रहे विकासात्मक कार्यों में और तेजी लाने की आवश्यकता है। उन्होंने अब तक हुए कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि मुख्य परियोजना निदेशक नागेश कुमार गुलेरिया के नेतृत्व में हिमाचल प्रदेश वन पारिस्थितिकी तंत्र प्रबंधन एवं आजीविका सुधार परियोजना क्षेत्र में बेहतर कार्य हो रहे हैं। इस अवसर पर अतिरिक्त प्रधान मुख्य अरण्यपाल एवं मुख्य परियोजना निदेशक नागेश कुमार गुलेरिया ने कहा कि गवर्निंग बॉडी की मीटिंग हर छह माह के भीतर आयोजित की जाती है। इस बार की बैठक में कई महत्वपूर्ण एजेंडे पर चर्चा हुई। उन्होंने कहा कि कुल्लू में जाइका परियोजना के तहत 106 स्वयं सहायता समूह हैं, जो हैंडलूम प्रोडक्ट्स तैयार कर रहे हैं। आने वाले दिनों में इन उत्पादों की ब्रांडिंग जाइका खुद करेगा। इसके अलावा हिमाचल में विलुप्त हो रहे उतक संवर्धन यानी टिशू कल्चर प्रजातियों के पौधे जाइका की नर्सरियों में तैयार किए जाएंगे। बुरांश और भोजपत्र जैसे पौधे तैयार करने के लिए कार्य शुरू करेंगे। उन्होंने कहा कि पिछले साल तक प्रदेश में 46 हजार हेक्टेयर भूमी पर पौधरोपण किया गया। इस साल 2 हजार हेक्टेयर भूमी पर पौधे रोपने का लक्ष्य था जो रिकार्ड 23 सौ हेक्टेयर भूमि पर किया गया। नागेश कुमार गुलेरिया ने कहा कि जाइका वानिकी परियोजना के तहत सेवाएं दे रहे कर्मचारियों की रिइम्बर्समेंट सौ प्रतिशत हो चुका है। उन्होंने कहा कि गवर्निंग बॉडी की मीटिंग में जिन-जिन एजेंडे पर चर्चा की गई जिसमें से अधिकांश को मंजूरी भी दी गई। बाक्स: मुख्यमंत्री वन विस्तार योजना पर काम पीसीसीएफ एवं वन विभाग के मुखिया राजीव कुमार ने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा चलाई गई मुख्यमंत्री वन विस्तार योजना पर आर अधिक कार्य कने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में जब से जाइका परियोजना ने कार्य करना शुरू किया, तब से लेकर अब तक कई उल्लेखनीय कार्य हुए हैं। पर्यावरण संरक्षण, पौधरोपण, मधुमक्खी पालन, पत्तल व्यवसाय, मशरूम की खेती, हथकरघा एवं बुनकर समेत कई क्षेत्रों में स्वयं सहायता समूहों को आजीविका कमाने के बेहतर अवसर मिल रहे हैं।
72 घंटे तक अकेले चीनी सेना से भीड़े जसवंत सिंह रावत 1962 का भारत चीन युद्ध भारतीय सेना के वीर जवानों की गौरव गाथा है। बेशक भारत ये युद्ध हारा था, लेकिन कई भारतीय सैनिकों ने अपनी वीरता का अद्धभूत परिचय देते हुए इतिहास पर अमिट छाप छोड़ी थी। ऐसे ही एक महान सपूत रहे राइफल मैन जसवंत सिंह रावत, जिन्होंने 72 घंटे भूखे-प्यासे रहकर चीनी सैनिकाें काे न सिर्फ रोके रखा, बल्कि कहा जाता है कि उन्होंने दुश्मन देश के तीन सौ सैनिकों को ढेर कर दिया था। 19 अगस्त, 1941 को उत्तराखंड के पौड़ी-गढ़वाल जिले के बादयूं में जसवंत सिंह रावत का जन्म हुआ था। 17 साल की उम्र में ही वह सेना में भर्ती होने चले गए थे, लेकिन तब कम उम्र के चलते उन्हें नहीं लिया गया। पर हार नहीं मानी और 19 अगस्त 1960 को जसवंत सिंह को सेना में बतौर राइफल मैन शामिल कर लिया गया। 14 सितंबर, 1961 को उनकी ट्रेनिंग पूरी हुई और इसके एक साल बाद ही 17 नवंबर, 1962 को चीन की सेना ने हमला कर दिया। सुबह के करीब पांच बजे चीनी सैनिकों ने सेला टॉप के नजदीक धावा बोला, जहां मौके पर तैनात गढ़वाल राइफल्स की डेल्टा कंपनी ने उनका सामना किया। जसवंत सिंह रावत इसी कंपनी का हिस्सा थे। 17 नवंबर 1962 को शुरू हुई यह लड़ाई अगले 72 घंटों तक लगातार जारी रही। चीनी सेना हावी थी और इसके चलते भारतीय सेना ने गढ़वाल यूनिट की चौथी बटालियन को वापस बुला लिया। पर इसमें शामिल जसवंत सिंह, लांस नायक त्रिलोकी सिंह नेगी और गोपाल गुसाई नहीं लौटे। ये तीनों सैनिक एक बंकर से गोलीबारी कर रही चीनी मशीनगन को छुड़ाना चाहते थे। तीनों जवान चट्टानों और झाड़ियों में छिपकर भारी गोलीबारी से बचते हुए चीनी सेना के बंकर के करीब जा पहुंचे और महज 15 यार्ड की दूरी से हैंड ग्रेनेड फेंकते हुए दुश्मन सेना के कई सैनिकों को मारकर मशीनगन छीन लाए। इससे पूरी लड़ाई की दिशा ही बदल गई और चीन का अरुणाचल प्रदेश को जीतने का सपना पूरा नहीं हो सका। इस गोलीबारी में त्रिलोकी और गोपाल मारे गए। वहीं, जसवंत को दुश्मन सेना ने घेर लिया और उनका सिर काटकर ले गए। इसके बाद 20 नवंबर 1962 को चीन ने युद्ध विराम की घोषणा कर दी। माना जाता है कि इन तीन दिनों में 300 चीनी सैनिक मारे गए थे। राइफलमैन जसवंत सिंह रावत को 1962 के युद्ध के दौरान उनकी वीरता के लिए मरणोपरांत महावीर चक्र से सम्मानित किया गया था। जसवंत सिंह रावत भारतीय सेना के अकेले सैनिक हैं, जिन्हें मौत के बाद प्रमोशन मिला था। पहले नायक फिर कैप्टन और उसके बाद मेजर जनरल बने। इस दौरान उनके घरवालों को पूरी सैलरी भी पहुंचाई गई। अरुणाचल के लोग उन्हें आज भी शहीद नहीं मानते हैं। माना जाता है कि वह आज भी सीमा की सुरक्षा कर रहे हैं। झपकी ले रहे सैनिकों को थप्पड़ मारकर जगाती है आत्मा ! स्थानीय लोगों का कहना है कि वीर जसवंत सिंह की आत्मा पोस्ट पर तैनात झपकी ले रहे सैनिकों को थप्पड़ मारकर जगाती है। कहा जाता है कि जिस कमरे में जसवंत रहते थे वहां आज भी उनके जूतों को पॉलिश करके रखा जाता है। उनके कपड़ों को धोकर और प्रेस करके रखा जाता है, बिस्तर भी लगाया जाता है। लोगों का कहना है कि अगली सुबह बिस्तर, जूते और कपड़े ऐसे मिलते हैं जैसे किसी ने उनका उपयोग किया हो।
साल 1965 में भारत पाक युद्ध के दौरान पाकिस्तानी सेना ने बॉर्डर से लगते जैसलमेर के तनोट इलाके में 3000 से ज्यादा गोले बरसाए थे। पूरा क्षेत्र उजाड़ गया लेकिन वहां स्थित मां का एक मंदिर तथस्ट रहा। एक भी बम मंदिर को नुकसान नहीं पहुंचा सका। इतना ही नहीं मंदिर के करीब जितने भी बम गिरे, सब फुस्स हो गए। फिर 1971 के युद्ध में में करीब साढ़े चार सौ बम इस मंदिर के पास बरसाए गए, मगर सब बेअसर रहे। अब इन बमों को मंदिर परिसर में एक म्यूजियम में रखा गया है। यह एक ऐसा शक्ति स्थल है जो सालों से भारतीय सेना की हिफाजत कर रहा है। तनोट में माता के मंदिर के पास भारतीय सेना का लोंगेवाला पोस्ट है। युद्ध में जीत के बाद भारतीय सेना ने मंदिर में एक विजय स्तंभ बनाया, जहां हर साल शहीद सैनिकों के याद में उत्सव आयोजित किया जाता है। इस मंदिर का जिम्मा बीएसएफ ने ले लिया है। मंदिर परिसर में लगे पट्ट पर पूरी कहानी लिखी गई है। इस मंदिर में हिंगलाज माता विराजमान हैं। हिंगलाज माता का शक्तिपीठ पाकिस्तान के बलूचिस्तान में है। स्थानीय लोगों द्वारा इन्हें आवड़ माता के नाम से भी जाना जाता है। इन माता से एक कहानी भी जुड़ी है। कहते है कि एक समय एक चारण थे, उनका नाम था मामडिया। उन्होंने संतान के लिए सात बार पैदल यात्रा की। स्वप्न में माता ने उनसे ईच्छा पूछी, तो उन्होंने कहा कि माता आप मेरे यहां जन्म लें। इसके बाद चारण के घर सात बेटी और एक बेटे का जन्म हुआ। इन्हीं सात बेटियों में से एक थी आवड। जन्म के बाद मात आवड ने कई चमत्कार दिखाए। उनमें से एक था हूणों के आक्रमण से माड़ प्रदेश की रक्षा की। माड़ प्रदेश में आवड़ माता की कृपा से भाटी राजपूतों का सुदृढ़ राज्य स्थापित हो गया। राजा तणुराव भाटी ने इस स्थान को अपनी राजधानी बनाया और आवड़ माता को स्वर्ण सिंहासन भेंट की। कहते है विक्रम संवत 828 ईस्वी में आवड़ माता ने अपने भौतिक शरीर के रहते हुए यहां अपनी स्थापना की। अब माता भारतीय सेना की हिफाजत करती है और सेना की इनमें अटूट आस्था है।
वो भारतीय सैनिक जिसकी आर्मी करती है पूजा बाकी सैनिकों की तरह वेतन और सुविधाएँ देती है आर्मी हिंदुस्तान में देवी देवताओं के मंदिर तो बहुत है, लेकिन देश के एक हिस्से में एक सैनिक का मंदिर भी बना हुआ है। इस मंदिर की मान्यता इतनी हैं कि यहां दूर-दूर से लोग शीश नवाने पहुंचते हैं। ये अद्भुत है, ये अविश्वसनीय है लेकिन ये सच है। यह मंदिर सिक्किम की राजधानी गंगटोक में जेलेप दर्रे और नाथुला दर्रे के बीच 14 हजार फीट की ऊंचाई पर बना है। आम लोग और सिर्फ भारतीय सेना ही नहीं, बल्कि चीनी सेना भी इनके सम्मान में सर झुकाती है। इन सिपाही का नाम था हरभजन सिंह और उनकी देश भक्ति को देख लोग उन्हें बाबा हरभजन सिंह कहते हैं। 30 अगस्त 1946 को पंजाब (वर्तमान में पाकिस्तान) के सदराना गांव में जन्मे हरभजन सिंह भारतीय सेना की पंजाब रेजिमेंट में 1966 में बतौर सिपाही भर्ती हुए। साल 1968 में उनकी ड्यूटी 23वें पंजाब रेजिमेंट के साथ पूर्वी सिक्किम में थी। फिर आया 4 अक्टूबर 1968 का दिन, जब खच्चरों का काफिला ले जाते समय नाथुला पास के समीप ही उनका पैर फिसल गया और घाटी में गिरने से उनकी मृत्यु हो गई। पानी का तेज बहाव हरभजन सिंह के शरीर को बहाकर दूर ले गया। सेना ने खोज की लेकिन उनकी पार्थिव देह नहीं मिली। कहते है इसके बाद बाबा हरभजन सिंह अपने साथी सैनिक के सपने आए और उसे अपने शरीर का पता बताया। जब खोजबीन की गई तो तीन दिन बाद उनका शरीर भारतीय सेना को उसी जगह मिला जो जगह उन्होंने अपने साथी को सपने में बताई थी। उस दुर्गम क्षेत्र में ये किसी चमत्कार से कम नहीं था। कहा जाता है कि उन्होंने सपने में एक समाधि बनवाने की इच्छा भी जाहिर की थी, जिसके बाद 14 हजार फीट की ऊंचाई पर जेलेप दर्रे और नाथुला दर्रे के बीच उनकी समाधि बनावा दी गई। कहा जाता है कि मृत्यु के बाद भी बाबा हरभजन सिंह अपनी ड्यूटी निभाते हैं और चीन की सभी गतिविधियों की जानकारी अपने साथियों को उनके सपने में आकर देते हैं। सेना की भी बाबा हरभजन के प्रति भरपूर निष्ठा है। उन्हें बाकयादा बाकी सभी सैनिकों की तरह वेतन, दो महीने की छुट्टी आदि सभी सुविधाएं दी जाती हैं। हालांकि, अब बाबा हरभजन सिंह रिटायर हो चुके हैं। दो महीने की छट्टी के दौरान ट्रेन में उनके घर तक की टिकट बुक करवाई जाती है और स्थानीय लोग उनका सामान लेकर उन्हें रेलवे स्टेशन तक छोड़ने जाते हैं। नाथुला में जब भी भारत और चीन के बीच फ्लैग मीटिंग होती है तो चीनी सेना बाबा हरभजन के लिए अलग से एक कुर्सी भी लगाती है। जूतों पर अक्सर मिलती है कीचड़ बाबा हरभजन सिंह के मंदिर में उनकी तस्वीर के साथ उनके जूते और बाकी सामान को रखा गया है। भारतीय सेना के जवान मंदिर की चौकीदारी करते हैं और रोजाना उनके जूतों को पॉलिश भी करते हैं। यहाँ तैनात सिपाहियों ने कई बार दावा किया है कि उनके जूतों पर अक्सर कीचड़ या मिट्टी लगी होती है और उनके बिस्तर पर सलवटें भी दिखाई पड़ती है। लोगों का ऐसा मानना है कि बाबा हरभजन सिंह की आज भी यहां देश की सरहद की रक्षा करते हैं।
पीएम इंदिरा गाँधी को कर दिया था इंकार भारत के पहले फाइव स्टार जनरल थे सैम मानेकशॉ 1971 की जंग में पाकिस्तान को हराने और नया मुल्क बांग्लादेश बनाने का पूरा श्रेय फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ को जाता है। सैम मानेकशॉ भारत के पहले फील्ड मार्शल थे। मानेकशॉ भारतीय सेना के पहले 5 स्टार जनरल रहे और पहले ऑफिसर जिन्हें फील्ड मार्शल की रैंक पर प्रमोट किया गया था। इंतिहास में इंडियन आर्मी का शायद ही कोई ऐसा जनरल हो, जिसने राष्ट्रीय स्तर पर इतनी लोकप्रियता कभी हासिल की हो, जितनी उन्हें मिली। आज तक उनकी बहादुरी के किस्से और उनके जोक्स लोगों के बीच चर्चा का विषय बने रहते हैं। सैम मानेकशॉ के 4 दशक के सैन्य करियर में 5 युद्ध शामिल हैं। उनका सफर बेहद शानदार रहा। साल 1971 में तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने सैम मानेकशॉ से लड़ाई के लिए तैयार रहने पर सवाल किया था। इस बात के जवाब में सैम मानेकशॉ ने कहा था, ‘आई एम ऑलवेज रेडी, स्वीटी’। सैम मानेकशॉ द्वारा कही गई ये बात बहुत फेमस हुई थी। 1971 की लड़ाई में इंदिरा गांधी चाहती थीं कि वह मार्च में ही पाकिस्तान पर चढ़ाई कर दें, लेकिन सैम ने ऐसा करने से इनकार कर दिया, क्योंकि भारतीय सेना हमले के लिए तैयार नहीं थी। इंदिरा गांधी इससे नाराज हो गई। तब मानेकशॉ ने पूछा कि अगर आप युद्ध जीतना चाहती हैं तो मुझे छह महीने का समय दीजिए। मैं गारंटी देता हूं कि जीत हमारी ही होगी। 3 दिसंबर को युद्ध शुरू हुआ और वो ही हुआ जो उन्होंने कहा था। 13 दिसंबर 1971 को फील्ड मार्शल मानेकशॉ ने पाकिस्तानी सैनिकों को चेतावनी दी थी। उन्होंने कहा था, ‘या तो आप सरेंडर कर दीजिए नहीं तो हम आपको खत्म कर देंगे।’ इस चेतावनी के 3 दिन बाद ही यानी 16 दिसंबर को भारतीय मिलिट्री के इतिहास की सबसे बड़ी घटना देखने को मिली, जब करीब एक लाख पाक सैनिकों ने हथियार डाल दिए थे। 16 दिसंबर को ईस्ट पाकिस्तान आजाद होकर ‘बांग्लादेश’ बन गया। भारत के पहले फील्ड मार्शल सैम होर्मुसजी फ्रामजी जमशेदजी मानेकशॉ का जन्म 3 अप्रैल, 1914 को हुआ था। प्रारंभिक शिक्षा अमृतसर और शेरवुड कॉलेज नैनीताल में हुई। मानेकशॉ भारतीय सैन्य अकादमी के लिए चुने जाने वाले 40 कैडेटों के पहले बैच के थे और उन्हें 4 फरवरी 1934 को 12 एफएफ राइफल्स में कमीशन किया गया था। सैन मानेकशॉ को अपने सैन्य करियर के दौरान कई सम्मान प्राप्त हुए थे। 59 साल की उम्र में उन्हें फील्ड मार्शल की उपाधि से नवाजा गया था। यह सम्मान पाने वाले वह पहले भारतीय जनरल थे। 1972 में उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था। एक साल बाद 1973 में वह सेना प्रमुख के पद से रिटायर हो गए थे। वर्ष 2008 में उनका निधन हो गया। तो पहले सीडीएस होते जनरल मानेकशॉ 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के तुरंत बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने तय कर लिया था कि देश में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के तौर पर एक नए पद का निर्माण होगा। तब इस पर तत्कालीन थल सेनाध्यक्ष जनरल सैम मानेकशॉ की नियुक्ति तय थी, लेकिन ऐसा हो न सका। जनरल मानेकशॉ को आखिरकार देश के पहले फील्ड मार्शल से ही संतोष करना पड़ा। वे देश के पहले फाइव स्टार जनरल बने थे। दरअसल सेना के तीनों अंगों के प्रमुख ही अपनी गाड़ियों पर चार सितारे यानी 4 स्टार लगाते हैं, जबकि फील्ड मार्शल को अपनी गाड़ियों पर 5 सितारे यानी फाइव स्टार लगाने की इजाजत होती है और इसलिए फील्ड मार्शल को फाइव स्टार जनरल भी कहा जाता है।
पुलिस थाना ज्वालामुखी के तहत वार्ड नंबर 4 में अज्ञात व्यक्ति द्वारा चंदन के 15 पेड़ काटने का मामला सामने आया है। इस संबंध में पुलिस ने शिकायतकर्ता राजेश कुमार सपुत्र सुमेर चंद, निवासी राजगढ़ की शिकायत पर मामला दर्ज कर आगामी कारवाई शुरू कर दी है। मामले की पुष्टि डीएसपी ज्वालामुखी विकास धीमान ने की है। उन्होंने बताया कि पुलिस ने इंडियन फॉरेस्ट एक्ट सहित विभिन्न धाराओं के तहत अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ मामला दर्ज कर कारवाई शुरू कर दी है। जानकारी के अनुसार शिकायतकर्ता राजेश कुमार सपुत्र सुमेर चंद गांव राजगढ़ ने पुलिस में दर्ज अपनी शिकायत में बताया कि तुलसीराम सपुत्र नीरू राम निवासी वार्ड नंबर 4 ज्वालामुखी जिला काँगड़ा ने उन्हें सूचित किया कि किसी अज्ञात व्यक्ति ने उनकी जमीन से 15 चंदन के पेड़ काट दिए हैं। उसके अनुसार वह फारेस्ट कर्मचारियों के पास गया और उनके साथ मौके पर पाया कि 15 चंदन के पेड़ तुलसीराम की भूमि से कटे हुए पाए गए है। वहीं उस स्थान पर अलग-अलग साइज के 75 कटे हुए चंदन के टुकड़े भी पड़े थे। वहीं, फॉरेस्ट विभाग के साथ ज्वालामुखी थाना प्रभारी विजय कुमार के नेतृत्व में एक पुलिस टीम ने मौके पर जाकर उक्त स्थान का निरीक्षण किया। थाना प्रभारी ज्वालामुखी विजय कुमार ने बताया कि पुलिस मामले की पूरी छानबीन कर रही है। जल्द ही इस मामले में जुड़े आरोपी पुलिस की गिरफ्त में होंगे। बताते चलें की वन विभाग की टीम को चन्दन के काटे गए 75 टुकड़ों को काटने में इस्तेमाल किया गया सामान जैसे कि बिना ताड़ के चार आरी, दो कुल्हाड़ी, एक ब्लेड और एक मोर्टार भी मिला है, जिसे वन विभाग की टीम ने अपने कब्जे में ले लिया है।
मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू की अध्यक्षता में आज यहां आयोजित प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक में राज्यपाल से हिमाचल प्रदेश विधानसभा का शीतकालीन सत्र 19 दिसंबर से 23 दिसंबर 2023 तक तपोवन धर्मशाला में आयोजित करने की सिफारिश करने का निर्णय लिया गया। बैठक में जल शक्ति विभाग में 4500 पैरा-कर्मचारियों को नियुक्त करने, राज्य आबकारी एवं कराधान विभाग में कर एवं कराधान निरीक्षक के 25 पद और बागवानी विभाग में बागवानी विकास अधिकारी के 10 पद भरने का भी निर्णय लिया गया। बैठक में एसजेवीएनएल के पक्ष में जारी किए किए गए जंगी थोपन पोवारी हाइड्रो इलेक्ट्रिक पावर प्रोजेक्ट (780 मेगावाट) के आवंटन को रद्द करने का भी निर्णय लिया गया। दरअसल कंपनी निर्धारित समय अवधि के भीतर परियोजना के कार्यान्वयन में प्रगति हासिल करने में विफल रही है। किराया राशि तय... हिमाचल में आई आपदा ने सैंकड़ों परिवारों को बेघर कर दिया है। सरकार किराये के मकानों में रह रहे आपदा प्रभावित परिवारों को ग्रामीण क्षेत्रों में पांच हजार व शहरी क्षेत्रों में 10 हजार रुपये किराया 31 मार्च 2024 तक देगी। कैबिनेट ने हिमाचल में प्रशासनिक ट्रिब्यूनल को बहाल करने का फैसला लिया है। ट्रिब्यूनल में अध्यक्ष सहित तीन सदस्यों और एक रजिस्टार का पद भरने का फैसला लिया गया। मंदिरों के सोने-चांदी का होगा उपयोग.. बैठक में प्रदेश में कार्यरत सहकारी समितियों को सशक्त बनाने के लिए हिमाचल प्रदेश सहकारी समितियां नियम, 1971 में संशोधन करने को भी मंजूरी प्रदान की गई। इसके अलावा प्रदेश के मंदिरों में संग्रहित सोने, चांदी का सर्वोत्तम उपयोग करने के लिए हिमाचल प्रदेश हिंदू सार्वजनिक धार्मिक संस्थान और धर्मार्थ बंदोबस्ती नियम, 1984 के नियमों में संशोधन करने का भी निर्णय लिया गया।
जिला प्रशासन किन्नौर, भाषा कला एवं संस्कृति विभाग तथा हिमाचल प्रदेश पर्यटन विभाग के सहयोग से 22 से 24 अक्टूबर, 2023 तक जिला किन्नौर में छुक्षिम जिसका अर्थ है मिलना शीर्षक से पहला जनजातीय साहित्य-सह-भ्रमण महोत्सव आयोजित किया गया। इस तीन दिवसीय जनजातीय साहित्य-सह-भ्रमण महोत्सव में जनजातीय जिला की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देने और संरक्षित करने और राज्य के लेखकों और पाठकों को एक साथ लाने के साथ-साथ जिले में साहित्यिक माहौल स्थापित करने और पर्यटन क्षमता का दोहन करने का सफल प्रयास किया गया। महोत्सव के प्रथम दिन पदमश्री विद्यानंद सरैक ने मुख्य वक्ता पद्मश्री विद्यानंद सरैक ने अपने जीवन के अनुभव को सांझा कर उपस्थित लोगों का ज्ञानवर्धन किया व साथ ही संगीत, कला तथा हिमाचली संस्कृति को प्रस्तुत कर कार्यक्रम का समा बांधा। पदमश्री विद्यानंद सरैक ने विस्तारपूर्वक हिमाचल की संस्कृति व कला के बारे में जानकारी प्रदान की। उन्होंने हिमाचल के सभी जिलों के लोक गीतों को स्वरबद्ध करते हुए संपूर्ण हिमाचली संस्कृति का प्रस्तुतिकरण किया। इसके उपरांत प्रोफेसर विद्या सागर नेगी ने किन्नौर जिला के इतिहास व समृद्ध संस्कृति के बारे में विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने अपने साहित्यिक अनुभव को सांझा करते हुए कहा कि जिला किन्नौर का अत्यंत प्राचीन व गूढ़ इतिहास है। उन्होंने उपस्थित लोगों को जिला किन्नौर की भौगोलिक व सांस्कृतिक धरोहरों के बारे में भी विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने लोगों से अपनी संस्कृति के संरक्षण व संवर्धन के लिए आगे आने को भी कहा। जनजातीय साहित्य सह भ्रमण महोत्सव में प्रदेश व जिला के प्रसिद्ध साहित्यकारों के मध्य एक पैनल चर्चा का भी आयोजन किया गया जिसमें साहित्यकारों द्वारा अपने-अपने साहित्य के क्षेत्र से संबंधित विचार रखे गए तथा एक साहित्यिक वातावरण स्थापित किया गया। महोत्सव के दूसरे दिन साहित्यकार एवम सेवानिवृत आईएएस दीपक सानन ने अपने जीवनकाल के अनुभव को सांझा किया और प्रदेश सहित जिला किन्नौर के इतिहास, संस्कृति व रीति रिवाजों से उपस्थित जनों को अवगण करवाया। किन्नौर जिला के जंगी गांव से संबंधित सेवानिवृत्त आईएएस शरब नेगी ने अपने साहित्यिक सफर को प्रस्तुत करते हुए कहा कि किसी भी प्रदेश व क्षेत्र के साहित्यिक विकास में युवा पीढ़ी का एहम योगदान होता है। उन्होंने किन्नौर जिला की सांस्कृतिक विशेषताएं व चुनौतियों के बारे में सभी को विस्तृत रूप से जानकारी प्रदान की। प्रोफैसर स्नेह लता नेगी ने अपनी कविता के माध्यम से जहां महिला सशक्तिकरण व जिला किन्नौर की संस्कृति तथा अलौकिक सौंदर्य को शब्दों की माला में पिरोहकर कार्यक्रम का समा बांधकर उपस्थित जनों को संस्कृति व रीति रिवाजों से अवगत करवाया वहीं प्रोफैसर ईशान मार्वल ने अंग्रेजी व हिंदी कविता के माध्यम से विभिन मुद्दों पर सामाजिक दृष्टिकोण प्रस्तुत किया। जनजातीय साहित्य महोत्सव के तीसरे व अंतिम दिन सचिव भाषा कला एवम संस्कृति विभाग राकेश कंवर ने जनजातीय साहित्य उत्सव के आयोजन पर बधाई दी और कहा की इन आयोजनों से जनजातीय क्षेत्रों की समृद्ध संस्कृति को बढ़ावा मिलता है और साहित्य का वातावरण स्थापित होता है। उन्होंने साहित्यिक वातावरण स्थापित करने की विशेषता पर बल दिया और पढ़ने की आदत को विकसित करने को कहा। कार्यकर्म में साहित्यकारों की चर्चा भी आयोजित की गई जिसमे दीपक सानन, शरभ नेगी और यशिका सिंगला ने भाग लिया और जनजातीय साहित्य, जनजातीय संस्कृति के संरक्षण, जलवायु परिवर्तन का संस्कृति पर प्रभाव, इत्यादि पर चर्चा की। हिमाचल की प्रसिद्ध लेखिका मीनाक्षी कंवर ने अपनी साहित्यिक सफर सांझा करते हुए कहा की उनके द्वारा 26 पुस्तके लिखी गई है। उन्होंने कहा की उपस्थित विद्यार्थियों और अतिथियों को अपने विचारों का लेखन कर लिखने की शुरुआत करने की प्रेरणा दी। ट्राइबल गर्ल के नाम से प्रसिद्ध लाबरंग की अमिता छोरगिया नेगी ने भी जनजातीय संस्कृति पर किए जा रहे कार्यों पर अपनी प्रस्तुति दी। महोत्सव के तीनों दिन आर्ट गैलरी तथा स्वयं सहायता समूहों द्वारा स्थानीय उत्पादों व हथकरघा उत्पादों की प्रदर्शनी लगाई गई।
टीएचडीसीआईएल और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), रूड़की ने विज्ञान, इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अनुसंधान और विकास को बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण मील के पत्थर के रूप में सहयोगात्मक पहल स्वरूप एमओयू पर हस्ताक्षर किए। यह जानकारी अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक, टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड आर. के. विश्नोई ने दी। उन्होंने बताया कि यह समझौता ज्ञापन अनुसंधान गतिविधियों को व्या पक रूप से संचालित करने में दोनों संस्थानों की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है, जिसमें ऊर्जा संरक्षण, लायन स्टोरेज बैटरी के विकल्प, इलेक्ट्रिक वाहन बैटरी के लिए नैनो तकनीक, हरित हाइड्रोजन, भू-तापीय प्रौद्योगिकी, जलवायु परिवर्तन, अपशिष्ट प्रबंधन और पुनर्चक्रण, जल प्रबंधन और संरक्षण, भंवर प्रेरित कंपन, सुरंग बनाने की तकनीक, जैव ईंधन, ग्रिड स्थिरता में सुधार, और विभिन्न प्रकार के अन्य संबधित क्षेत्र, जो संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास के लक्ष्यों (एसडीजी) के दायरे में आते हैं शामिल किये गये हैं। विश्नोई ने कहा कि यह सहयोग 'विकसित भारत'-विकसित भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप, औद्योगिक और शैक्षणिक क्षेत्र के बीच की दूरी को कम करने के व्यापक लक्ष्य के साथ, मौलिक और ट्रांसलेशनल अनुसंधान दोनों के लिए है। इस समझौता ज्ञापन में निर्धारित किए गए सहयोग के महत्वपूर्ण क्षेत्रों के बारे में बताते हुए, आर.के. विश्नोई ने कहा, कि "टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड और आईआईटी रूड़की के बीच यह सहभागिता औद्योगिक अनुसंधान, नवाचार और तकनीकी उन्नति के क्षेत्र में महत्वपूर्ण पहल का प्रतिनिधित्व करती है, जिसमें विभिन्न औद्योगिक और कार्यक्षेत्र के लिए अभूतपूर्व समाधान प्रदान करने की क्षमता है।" आईआईटी, रूड़की के निदेशक प्रोफेसर के.के.पंत ने कहा कि यह समझौता ज्ञापन विभिन्न उद्योगों और कार्यक्षेत्र में अभूतपूर्व समाधानों को बढ़ावा देने की हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। इस सहयोग के माध्यम से, हमारा लक्ष्य शिक्षा और उद्योग के बीच की दूरी को कम करके, बुनियादी और ट्रांसलेशनल अनुसंधान दोनों को सुविधाजनक बनाना और 'विकसित भारत' - एक विकसित भारत के हमारे साझा दृष्टिकोण में योगदान देना है। आईआईटी रूड़की के डीन, प्रायोजित अनुसंधान और औद्योगिक सलाहकार प्रोफेसर अक्षय द्विवेदी ने कहा कि ''सहयोगात्मक अनुसंधान और विकास के लिए टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड का सहयोगी बनना आईआईटी रूड़की के ज्ञान और नवाचार को आगे बढ़ाने की स्थायी प्रतिबद्धता का प्रमाण है। इस सहयोग के माध्यहम से हम अध्ययन के महत्वपूर्ण क्षेत्रों में प्रगति लाने के लिए अपनी तकनीकी विशेषज्ञता और अनुसंधान सुविधाओं का लाभ उठा पायेंगे। हम अनुसंधान और विकास के क्षेत्र में मौजूदा अग्रणी समाधानों को सुविधाजनक बनाने एवं एक-दूसरे की ताकत को पहचानने और विकसित करने के लिए उत्साहित हैं। समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर टीएचडीसीआईएल के आर.एंड डी. विभाग के विभागाध्यक्ष एस.के.चौहान एवं आईआईटी रूड़की के डीन, प्रायोजित अनुसंधान और औद्योगिक सलाहकार प्रोफेसर अक्षय द्विवेदी द्वारा हस्तारक्षर किए गए। बता दें कि टीएचडीसीआईएल 1587 मेगावाट की संस्थापित क्षमता के साथ देश के प्रमुख बिजली उत्पादकों में से एक है, जिसका श्रेय इसकी प्रचालनाधीन परियोजनाओं को जाता है जिनमें उत्तराखंड में टिहरी बांध और एचपीपी (1000 मेगावाट), कोटेश्वर एचईपी (400 मेगावाट), गुजरात के पाटन और द्वारका में क्रमश: 50 मेगावाट और 63 मेगावाट की पवन ऊर्जा परियोजनाएं और उत्तर प्रदेश के झाँसी में 24 मेगावाट की ढुकवां लघु जल विद्युत परियोजना तथा केरल के कासरगोड में 50 मेगावाट की सौर ऊर्जा परियोजना शामिल हैं।
प्रदेश की सुक्खू सरकार ने अवॉर्डी टीचरों को एक्सटेंशन देने के नियमों में हाईकोर्ट के आदेश पर बदलाव किया है। दरअसल सुक्खू सरकार ने सत्ता में आने के बाद सबकी एक्सटेंशन रद्द कर दी थी। इसे दो अवॉर्डी शिक्षकों ने कोर्ट में चुनौती दी। इसके बाद कोर्ट ने सरकार को भविष्य के लिए नियम बनाने के आदेश दिए थे। इसके बाद सरकार ने नियमो में बदलाव किया है। नई गाइडलाइन के अनुसार, अब स्टेट व नेशनल अवॉर्ड से सम्मानित शिक्षकों को एक्सटेंशन तो जरूर मिलेगी, लेकिन इन्हें फुल सैलरी नहीं दी जाएगी। TGT, JBT, CHT, C&V तथा PET को प्रतिमाह 20 हजार रुपए दिया जाएगा। इसी तरह लेक्चरर, PGT और हेडमास्टर को 25 हजार रुपए तथा प्रिंसिपल को 30 हजार रुपए प्रतिमाह मानदेय दिया जाएगा। नई गाइडलाइन में सरकार ने यह प्रावधान भी जोड़ा कि यदि अवॉर्ड टीचर एक्सटेंशन के लिए आवेदन करता है तो उस सूरत में उसे प्रदेश के किसी भी स्कूल में तैनात किया जा सकता है। एक्सटेंशन के लिए रिटायरमेंट के छह महीने पहले आवेदन करना होगा। पूर्व व्यवस्था में में एक्सटेंशन संबंधित स्कूल में ही दी जाती थी, किन्तु अब अवॉर्डी टीचर को सरकार प्रदेश के किसी भी कोने में तैनाती दे सकेगी। बता दें कि पूर्व की वीरभद्र सरकार ने नेशनल व स्टेट टीचर अवॉर्ड से सम्मानित टीचरों को एक्सटेंशन के दौरान फुल सैलरी देने का निर्णय लिया था। पर अब इस व्यवस्था को सुक्खू सरकार ने बदल दिया है। विदित रहे कि नेशनल अवॉर्डी को दो साल और स्टेट अवॉर्डी टीचर को एक साल की एक्सटेंशन देने का प्रावधान है। जो नेशनल व स्टेट टीचर अवॉर्डी टीचर एक्सटेंशन नहीं मांगेगा, उसे 60 हजार व 40 हजार रुपए का नकद इनाम दिया जाएगा। जो शिक्षक एक्सटेंशन चाहेगा, उसे अवॉर्ड के दौरान मिलने वाली 60 हजार और 40 हजार की इनामी राशि नहीं मिलेगी। बता दें कि राज्य सरकार हर साल 14 से 16 शिक्षकों को स्टेट टीचर और केंद्र सरकार हर साल राज्य के एक या दो शिक्षकों को नेशनल टीचर अवॉर्ड से शिक्षक दिवस पर सम्मानित करती है।
मणिमहेश की डल झील में शाही स्नान के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु भरमौर पहुंच गए हैं। श्रद्धालुओं के जत्थे भरमौर से मणिमहेश के लिए रवाना हो रहे हैं। इस यात्रा के शाही स्नान का शुभ मुहूर्त आज दोपहर 1:36 बजे शुरू होगा और कल दोपहर 12:18 मिनट तक चलेगा। पिछले 24 घंटे के दौरान जिस तरह के हालात भरमौर में वाहनों के अधिक संख्या में पहुंचने से बने हैं, उसे देखते हुए अंदाजा लगाया जा रहा है कि शाही स्नान के शुभ मुहूर्त में आज व कल 60 से 70 हजार लोग डुबकी लगा सकते हैं। 23 घंटे 18 मिनट तक रहेगा स्नान का शुभ मुहूर्त राधा अष्टमी पर शाही स्नान का शुभ मुहूर्त 23 घंटे 18 मिनट तक चलेगा। छह सितंबर से शुरू हो रही यात्रा कल पूरी हो रही है। अब तक दो लाख लोग डल झील में आस्था की डुबकी लगा चुके हैं, जो बीते सालों की तुलना में 25 से 30 प्रतिशत कम हैं।
युवा वैज्ञानिक पंकज अत्रि की एक और बड़ी उपलब्धि **अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर फिर चमकाया प्रदेश का नाम, Young Resercher Award के लिए चयनित **नैना टिककर से संबंध रखते है पंकज ** कई अंतरराष्ट्रीय शोध पत्र हो चुके है प्रकाशित ** हिमाचल के छोटे से गांव से निकलकर वैश्विक पटल पर बनाई पहचान
हिमाचल प्रदेश यूथ कांग्रेस के महासचिव एवं सिस्को संस्था के अध्यक्ष महेश सिंह ठाकुर को जवाहर बाल मंच का राज्य मुख्य संयोजक नियुक्त किया गया है। चीफ स्टेट कॉडिनेटर बनाए जाने पर महेश सिंह ठाकुर ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी,प्रदेश के सीएम सुखविन्दर सिंह सूक्खु , राष्ट्रीय प्रभारी केसी वेणुगोपाल,जवाहर बाल मंच के राष्टीय अध्यक्ष जी.वी. हरि. सहित अन्य नेताओं के प्रति आभार जताया है। महेश ठाकुर ने कहा कि जवाहर बाल मंच का मुख्य उद्देश्य 7 वर्षों से लेकर 17 वर्ष के आयु के लड़के लड़कियां तक भारत के पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के विचार को पहुंचना। उन्होंने कहा कि जिस तरीके से मौजूदा सरकार के द्वारा देश के इतिहास के साथ छेड़छाड़ हो रहा है देश के युवाओं को भटकाया जा रहा है जो की देश के लिए एक बहुत बड़ा चिन्ता का विषय है कांग्रेस पार्टी ने इस विषय को गंभीरता से लिया और राहुल गांधी के निर्देश पर डॉ जीवी हरी के अध्यक्षता में देशभर में जवाहर बाल मंच के द्वारा युवाओं के बीच में नेहरू जी के विचारों को पहुंचाया जाएगा। उन्होंने कहा वर्ष 2024 के चुनाव में कांग्रेस भारी बहुमत हासिल कर केंद्र से भाजपा को हटाने का काम करेगी। इसमें हिमाचल प्रदेश राज्य की भी प्रमुख भुमिका रहेगी। उन्होंने कहा कि पूरे देश में महंगाई के कारण आमलोगों का जीना मुश्किल हो गया है। गरीब व मध्यम वर्गीय परिवार पर इस महंगाई का व्यापक असर पड़ रहा है। ऐसे में केंद्र सरकार के कानों में जूं तक नहीं रेंग रही है।
हिमाचल प्रदेश राज्य विद्युत बोर्ड तकनीकी कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण कपटाऔर प्रदेश महामंत्री नेकराम ठाकुर ने प्रेस को जारी संयुक्त बयान में कहां है कि 1 सितंबर 2023 को बोर्ड प्रबंधन के साथ सकारात्मक वार्ता के दौरान जिन मांगों पर सहमति बनी थी, उन पर जल्द से जल्द अधिसूचना जारी करके लागू करें। जिसमे मुख्य रूप से फ्यूज वायर की खरीद को केंद्रीयकृत करके बोर्ड स्तर पर करना, फील्ड कर्मचारियों को अन्य राज्यों की तर्ज वाहन भत्ता देना, तकनीकी कर्मचारियों की मोबाइल भत्ते से वंचित श्रेणियां को मोबाइल भत्ता देना, बोर्ड की सभी फील्ड सेक्शन में उचित फर्नीचर उपलब्ध करवाना, बोर्ड कॉलोनियों के उचित रखरखाव के लिए बजट उपलब्ध करवाना, हाल ही में जारी टी.ए बिल संशोधन संबंधी आदेश वापिस लेने बारे, टी-मेट ब हेल्पर को वन टाइम सेटलमेंट के आधार पर ट्रांसफर करने का अवसर देना, कंप्यूटर ऑपरेटर्स के लिए पदोन्नति नियम बनाना, हाई वोल्टेज डिटेकटर की खरीद करने के अलावा फील्ड में जे.ई इलेक्ट्रिकल के रिक्त पड़े 200 पदों पर लाइनमैन और इलेक्ट्रीशियन को एकमुश्त पदोन्नति लाभ देना था। इसके अलावा उन्होंने प्रबंधन वर्ग से विशेष आग्रह किया है कि प्रदेश के कुछ एक विद्युत मंडलों में जो नॉन आईटीआई टी-मेट हाल ही में पदोन्नति लाभ से वंचित रह गए है, उन्हें एकमुश्त सहायक लाइनमैन के पद पर पदोन्नत किया जाए। फील्ड में बहुत से विद्युत अनुभाग ऐसे हैं जहां एक या दो कर्मचारियों के हवाले ,20 से 25 ट्रांसफार्मरों के अतिरिक्त कई किलोमीटर लंबी विद्युत लाइन की देखरेख का जिम्मा है। जिसकी वजह से कर्मचारी भारी दबाव में कार्य कर रहे हैं। इस तरह के दबाव के कारण ही पिछले दिनों पणडोह विद्युत उपमंडल के अंतर्गत आउटसोर्स आधार पर कार्यरत कर्मचारी बलवंत कुमार को एलटी लाइन में अकेले कार्य करते हुए जान गवानी पड़ी। इस दुख की घड़ी में तकनीकी कर्मचारी संघ शोक संतप्त परिवार के साथ खड़ा है तथा दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करता है। उन्होंने बताया की तकनीकी कर्मचारी संघ बार-बार प्रबंधन वर्ग से मांग कर चुका है, कि आए दिन बोर्ड में कार्यरत नौजवान कर्मचारी घातक/गैर घातक दुर्घटनाओं का शिकार हो रहे हैं। इन दर्दनाक दुर्घटनाओं के सही कारणों को जांचने तथा उन कारणों का निवारण करने के लिए उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया जाए । तकनीकी कर्मचारी आए दिन काल का ग्रास बन रहे है, परंतु प्रबंधन वर्ग इस मुद्दे पर बिल्कुल भी गंभीर नहीं है। उन्होंने कहा की तकनीकी कर्मचारी संघ का एक प्रतिनिधिमंडल बोर्ड में विभिन्न श्रेणियों के हजारों रिक्त पदों को भरने के विषय के साथ-साथ बोर्ड में जल्द से जल्द ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करने के संदर्भ में मुख्यमंत्री हिमाचल प्रदेश से जल्द ही मिलेगा तथा उन्हें सारी वस्तुस्थिति से अवगत करवाएगा इसके साथ ही बिजली बोर्ड को कैसे फायदे वाली स्थिति में लाया जाए इसके बारे में उपयुक्त सुझाव देगा।
निकटवर्ती ग्राम पंचायत चौली में बीती रात चोरों ने करियाना की दुकान पर की चोरी। रक्कड़ पुलिस की जानकारी के अनुसार चौली में पुर्व जिला परिषद सदस्य अरुणा डोगरा ने शिकायत दर्ज करवाई है की करियाना दुकान पर चोरी हो गई। अरुणा डोगरा ने बताया कि शनिवार सुबह स्थानीय निवासी पबन धीमान उधर से सुबह पांच बजे गुजर रहे थे तो उन्होंने फोन करके सुचित किया की अपकी दुकान का शटर खुला है तभी हमने दुकान पर पहुंच कर देखा तो दुकान के ताले टूटे पाए और दुकान के अंदर दो हजार के लगभग रुपए व दाले ओर दुकान में रखी अन्य सामग्री चुरा कर ले गए। अरुणा डोगरा ने बताया कि दुकान में लगभग 20,000 रुपये का सामान चोरी हो गया। पुलिस थाना तक्कड़ के प्रभारी गुरदेव सिंह ने बताया कि शिकायत दर्ज कर ली है और छानवीन जारी है।
बी एल सेंट्रल वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला कुनिहार ने खंड सतरीय अंडर-19 खंड अर्की छात्र खेलकूद प्रतियोगिता में बैडमिंटन में विजेता ट्राफी का ख़िताब जीता | जानकारी देते हुए विद्यालय अध्यक्ष ने बताया की इस खंड सतरीय छात्र खेल-कूद प्रतियोगिता का आयोजन राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला धुन्दन में किया गया जिसमे लगभग 31 विद्यालय से 477 छात्रों ने इस खेल कूद प्रतियोगिता में भाग लिया I विद्यालय अध्यक्ष ने बताया की विद्यालय से 6 बच्चों हर्ष वर्धन, पुष्पेंदर , दक्ष गर्ग, मनन कुमार , ध्रुव तंवर , यश कुमार ने इस प्रतियोगिता में भाग लिया। जिसमे उन्होंने बैडमिंटन में मॉडल स्कूल भुमती को परास्त कर विजेता ट्राफी अपने नाम की और बताया की इन सभी बच्चो का चयन जिला सतरीय खेल कूद प्रतियोगिता के लिए हुआ है जो की सितम्बर माह में राजकीय माध्यमिक विद्यालय ममलीग में आयोजित की जाएगी I बी एल स्कूल लगातार कई सालों से बैडमिंटन ट्राफी का वर्चस्व कायम रखे हुए है I खेल कूद सपर्धा के समापन समारोह के उपरान्त सभी विजेताओं और उप-विजेताओं को अर्की के विधायक व् सीपीएस संजय अवस्थी द्वारा पारितोषिक देकर सम्मानित किया गया। विद्यालय प्रबंधन समिति अध्यक्ष तथा अध्यापक अभिभावक संघ के सभी सदस्यों ने भी बच्चों व उनके अभिभावकों के साथ साथ शारीरिक शिक्षक अमर देव को भी इस उपलब्धि के लिए बधाई दी है व उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की है I इस खेल कूद स्पर्धा के दौरान अर्की जोन प्रभारी महेंदर राठोर व् शारीरिक शिक्षक किशोर शर्मा , राज कुमार , नवनीत महाजन , संजीव , हेमंत गुप्ता, सुशील कुमार आदि भी मौजूद रहे I विद्यालय प्रबंधन समिति अध्यक्ष ने बताया की बच्चे शिक्षा के क्षेत्र में ही नहीं बल्कि खेल कूद के क्षेत्र में भी विद्यालय और कुनिहार का नाम रोशन करते हैं I विद्यालय आने पर इन बच्चों को प्रधानाचार्य पुर्शोतम लाल , मुख्याध्यापिका सुषमा शर्मा और समस्त अध्यापक वर्ग ने सम्मानित किया और उनकी उपलब्धि के लिए उन्हें बधाई दी I
राजकीय महाविद्यालय ढलियारा में शनिवार को पीटीए कार्यकारिणी का गठन किया गया। जिसमे सर्वसम्मति से सुतिंदर कुमार (विक्की महंत) को प्रधान, दीपक शर्मा को उपप्रधान, ब्रजेश्वर सिंह को सचिव, विजय कुमार को सहसचिव और सुरिंदर सिंह को खजांची चुना गया। संजीव चौहान को सलाहकार, दिनेश कुमार, रेखा देवी एवं नीलम कुमारी को सदस्य और कालेज की तरफ से डा गुलशन धीमान व संजीव जसवाल को सदस्य बनाया गया। प्राचार्य डा. अंजू चौहान ने नवनिर्वाचित सदस्यों को बधाई देते हुए मिलकर कालेज के विकास के लिए कार्य करने का आह्वान किया।
सेना भर्ती कार्यालय, पालमपुर के भर्ती निदेशक कर्नल मनिष शर्मा (सेना मेडल) ने प्रेस वार्ता के माध्यम से बताया कि अग्निवीर जनरल ड्यूटी, अग्निवीर तकनीकी और अग्निवीर ट्रेड्समैन ऑनलाइन लिखित परीक्षा व शारीरिक परीक्षा का फाईनल परिणाम घोषित कर दिया गया हैं। चयनित उम्मीदवार अपना परिणाम भारतीय सेना के अधिकारिक वेबसाइट joinindianarmy.nic.in पर देख सकते हैं। कांगड़ा और चंबा जिला के सभी चयनित उम्मीदवारो से अनुरोध हैं कि दिनांक 21 सितम्बर 2023 को सुबह 08:00 बजे सेना भर्ती कार्यालय, पालमपुर मे दस्तावेज (Documents) सम्बंधित अगामी कार्यवाही हेतू अनिवार्य रुप से उपस्थित हो।
धर्मशाला:– आज दिनाक 16 सितम्बर को हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ की शिक्षा खण्ड धर्मशाला इकाई की चुनाव प्रक्रिया स्थानीय बॉय स्कूल धर्मशाला में सम्पन हुई जिस की अध्यक्षता राकेश शर्मा प्रधानाचार्य राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला लंज व संयोजक प्रधानाचार्य नवीन भंडारी की मौजदगी में सम्पन्न हुई। इसमे चुनाव ऑब्जर्वर लोकेश ठाकुर खण्ड प्रधान रैत व श्री तेजपाल सिंह खण्ड प्रधान नगरोटा बगवां ने चुनाव प्रक्रिया का संचालन किया व इस दौरान जिला राजकीय अध्यापक संघ के महासचिव सुमन कुमार विशेषतया उपस्थित हुए। सर्वसम्मति से इस दौरान खण्ड के अध्यापक संजय चौधरी मिडल स्कूल चांदमारी को अध्यक्ष व श्री प्रवीण सिंह प्रवक्ता सकोह को महासचिव चुना गया। श्रीमती बिमल देवी राजकीय उच्च विद्यालय कोतवाली बाजार को कोषाध्यक्ष, श्री नवीन भंडारी प्रधानाचार्य को मुख्य सलाहकार व डाइट प्रवक्ता राजकपूर को मुख लेखाकार साबुन गया। शेष कार्यकारिणी को बनाने का अधिकार खण्ड प्रधान संजय चौधरी को दिया गया। इस अवसर पर मौजूद प्रतिनिधियों द्वारा सदन को संवोधित भी किया गया।
उपमंडल पधर के राजकीय महाविद्यालय द्रंग स्थित नारला में शनिवार को अग्नि सुरक्षा से संबंधित मॉक ड्रिल का आयोजन किया गया । पिछले एक हफ्ते से महाविद्यालय के 16 रोवर्स और रेंजर्स अग्निशमन विभाग पधर द्वारा प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे थे । जिसके अंतिम चरण में शनिवार को महाविद्यालय में स्वयं सेवकों की भूमिका निभाते हुए इस माॅक ड्रिल को महाविद्यालय के अन्य विद्यार्थियों के समक्ष प्रस्तुत किया । जिसमें विभिन्न सुरक्षा गतिविधियां जैसे भूकंप आने पर,गैस सिलेंडर में आग लग जाने पर या चोट लग जाने इत्यादि परिस्थितियों में क्या करें आदि के बारे में जानकारी दी गई। इस कार्यक्रम में पधर चौंकी के प्रभारी हेम सिंह व उनकी सक्रिय टीम ने कार्यकम्र की अगुवाई की व सभी विद्यार्थियों को हर प्रकार की सुरक्षा से संबंधित जानकारी दी। इस कार्यक्रम में रेंजर लीडर डॉ दीपाली अशोक, रोवर लीडर प्रोफेसर अजय कुमार सहित महाविद्यालय के सभी प्राध्यापको व 250 के लगभग विद्यार्थियों ने भाग लिया ।
मिनर्वा कॉलेज ऑफ एजुकेशन इंदौरा के वी.एड तृतीय सत्र के प्रशिक्षु अध्यापकों ने शिक्षण प्रक्रिया के दौरान विभिन्न गवर्नमेंट स्कूलों में 16 सितंबर अंतर्राष्ट्रीय ओजोन परत संरक्षण दिवस के अवसर पर विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिताओं कोआयोजित किया।जिसमें पौधारोपण,भाषण,प्रतियोगिता, पोस्टर, ,मेकिंग इत्यादि प्रतियोगिताओं को कराया गया।कार्यक्रम का उद्देश्य ओजोन परत सुरक्षा के प्रति जागरूकता लाना है।इस दौरान स्कूलोे के प्रिंसिपल्स ने पर्यावरण और ओजोन संरक्षण के बारे में बताया।इस कार्यक्रम में कई छात्रों व शिक्षकों ने "ओजोन परत रिक्तीकरण एवं उसका प्रभाव" विषय पर व्याख्यान दिया।
जगह जगह सजी हैं अखरोट की दुकानें सायर किसानों की खुशहाली और समृद्धि से जुड़ा अनाज पूजा का त्योहार मंडी जनपद में सायर का त्योहार रविवार को जिला भर में धूमधाम और उल्लास के साथ मनाया जाएगा। इसके लिए पूरे जनपद में सायर को मनाने की तैयारियों जोरों पर हैं। बड़ी संख्या में लोग अखरोट और सायर ( धान, तिल, कोठा, गलगल आदि के पौधों) की खरीदारी कर रहे हैं। सायर पर्व हर वर्ष भाद्रपद के समाप्त होने और माह आश्विन के प्रथम प्रविष्टे को मनाया जाता है। भाद्रपद को काला महीना भी कहा जाता है। इस दौरान पहाड़ोेें पर बरसात के कारण नदी नाले उफान पर होते हैं। बरसात में सुरक्षित रहने पर ईश्वर का आभार प्रकट करने के लिए यह पर्व मनाया जाता है। सायर का यह त्योहार किसानों की खुशहाली और समृद्धि के साथ-साथ अनाज पूजा से जुड़ा हुआ भी है। प्रदेश के कई हिस्सों में सायर पर्व को अलग-अलग ढंग से मनाया जाता है। उसी प्रकार मंडी जनपद में सायर का त्योहार अनाज पूजा से शुरू होता है। मंडयाली बोली में इस मौसम को भी सैर कहा जाता है। इस मौसम में पैदा होने वाले अनाज जैसे मक्की, धान, तिल, कोठा, गलगल आदि के पौधों को इक्टठा कर सायर तैयार कर पूजाघर में रखी जाती है। इसके बाद स्नानादि करके सायर की पूजा की जाती है। सायर पूजा के लिए अखरोट का बहुत महत्व है। अखरोट के साथ द्रुब हाथ में लेकर अपनी परिधि में घूमते हैं और फिर सायर के आगे मत्था टेकते हैं। सायर के दिन मंडी जनपद में बड़े-बुजूर्गों को द्रुब देने की परंपरा है। यह परंपरा बड़े बुजूर्गों का सम्मान कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करने की भी है। इस अवसर पर सायर पूजन के बाद पांच या सात अखरोट दोनों हाथों में लेकर द्रुब खास की चार पांच डालियों के साथ बड़े बुजूर्गों के हाथ में पकड़ा कर उनके चरण स्पर्श कर उनका आशीर्वाद लिया जाता है। बड़े बुजूर्ग भी बड़े अदब के साथ अखरोट और द्रुब ग्रहण करते हैं और सचे मन से द्रुब की डालियां अपने कानों या टोपी से लगाकर आशीर्वाद देते हैं। भले ही आपस में कितने भी मतभेद रहे हों, लेकिन सायर के दिन बड़े -बुजूर्गों को द्रुब देकर उनका आशीर्वाद लेकर सारे गिले शिकवे दूर किये जाते हैं।
कंवर दुर्गा चंद राजकीय महाविद्यालय जयसिंहपुर में वॉलीबॉल खेल प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। जिसमें कॉलेज के बीए., बीएससी. बीकॉम. तीनों वर्ष के छात्रों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। खेल का आरंभ शारीरिक शिक्षा के प्राध्यापक डॉक्टर खुशीराम के नेतृत्व में हुआ। इस प्रतियोगिता में महाविद्यालय के प्राचार्य डॉक्टर प्रदीप कौंडल जी मुख्य अतिथि के तौर पर मौजूद रहे। प्राचार्य ने अपने संबोधन में छात्रों का उत्साहवर्धन किया और कहा कि छात्रों को पढने के साथ-साथ खेलों में अनिवार्य रूप से हिस्सा लेना चाहिए। इस तरह की गतिविधियों में भाग लेने से छात्रों का सर्वांगीण विकास होता है तथा नशे के बढ़ते प्रचलन के इस दौर में छात्रों को भटकने से रोकता है। इस प्रतियोगिता में चार विभिन्न टीमों ने हिस्सा लिया जिसमें तृतीय वर्ष के छात्रों की टीम (राहुल, आर्यन, नितेश, राघव, कृष, विशाल और समीर) विजेता रही और द्वितीय वर्ष के छात्रों की टीम (राहुल, अक्षय, संजू, अरुण, साहिल, साहिल, रोहित, रोन्टू) उप-विजेता रही। महाविद्यालय के सभी प्राध्यापकों ने इस प्रतियोगिता में भाग लेने वाले खिलाड़ियों की हौसला अफजाई की।