अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद संध्याकालीन महाविद्यालय ने बुधवार को प्रधानाचार्य को ज्ञापन सौंपा। इस संबंध में इकाई सचिव अंशुल ने बताया कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद छात्रों के अधिकारों के प्रति निरंतर सजग है। हमेशा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद छात्रों के हकों के संबंध आवाज उठाता रहा है। बुधवार को विद्यार्थी परिषद ने महाविद्यालय में चल रहे काम को जल्द से जल्द पूरा करने, इतिहास विषय शुरू करने, लोकतांत्रिक अधिकार छात्र संघ चुनाव को बहाल करने, महाविद्यालय में शिक्षकों व गैर शिक्षकों के रिक्त पदों को भरने आदि मांगों को ज्ञापन में उठाया।
सब कुछ बोल भी दिया जाएं और चुप्पी भी बरकरार रहे, ऐसी सियासी अदा कम ही नेताओं में देखने को मिलती है। पूर्व मुख्यमंत्री प्रो. प्रेमकुमार धूमल एक ऐसे ही सियासतगर है। नपे तुले अंदाज में अपनी बात रखने का उनका हुनर बेजोड़ है और उन्हें दूसरे से अलग बनाता है। यूँ ही कुछ भी बोल देना प्रो. धूमल का मिजाज नहीं है, वो जो भी बोलते है उसके गहरे मायने होते है। फर्स्ट वर्डिक्ट के लिए नेहा धीमान ने प्रो. प्रेम कुमार धूमल से एक्सक्लूसिव बातचीत की। सवालों का दौर चला तो मिशन रिपीट के दावों से लेकर उपचुनाव के जख्मों तक हर विषय पर चर्चा हुई। उनके निष्ठावानों की उपेक्षा पर भी बात हुई और जिक्र हावी अफसरशाही का भी हुआ। प्रोफेसर ने हर सवाल पर अपनी बात रखी। कहीं उनके जवाब में टीस और शिकायत झलकी तो कहीं व्यक्ति विशेष पर चर्चा न कर उन्होंने बता दिया कि क्यों उन्हें सियासत का भी प्रोफेसर कहा जाता है। जहां बोलना था वहां प्रो धूमल खुलकर बोले, नसीहत भी दी और अनुभव भी साझा किया। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश ... ............................................................................. उपचुनाव हार के तीन कारण : -टिकट का आवंटन गलत हुआ -कार्यकर्ताओं की कम भागीदारी भी कारण -नोटा फैक्टर भी बना वजह ............................................................................... नसीहत : - रवैये में बदलाव हो, याद रहे शासन नहीं सेवा के लिए है सत्ता - शिकायत की ही शिकायत आना दुर्भाग्यपूर्ण ................................................ Defeat is Orphan उपचुनाव में भाजपा का सूपड़ा साफ होने के बाद जाहिर है पार्टी के मिशन रिपीट के दावों पर सवाल उठे है। भाजपा को तीन बार सत्ता में लाने वाले प्रो. धूमल ने इस हार पर खुलकर अपनी राय रखी। उन्होंने कहा कि Defeat is Orphan, सियासत में पराजय अनाथ होती है , कोई जिम्मेदारी नहीं लेता। वहीं, उपचुनाव प्रचार से उनकी दूरी के प्रश्न पर प्रो. धूमल ने खुलकर कहा कि उन्हें मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का फोन आया था और उन्होंने कहा की अर्की में एक दिन लगा देना। किन्तु करीबी रिश्तेदार के देहांत के चलते वे जा नहीं सके। अपनी ही चिर परिचित शैली में धूमल ये बताने से भी नहीं चूके कि अन्य स्थानों पर उन्हें प्रचार के लिए बुलाया ही नहीं गया था। धूमल कहते हैं कि शायद लगा होगा की कम लोगों से काम चल जायेगा। ........................................................... जरूरी नहीं सबको टैग मिले : प्रो. प्रेमकुमार धूमल को सड़कों वाला मुख्यमंत्री कहा जाता है। धूमल कहते है कि इस तरह के टैग लोग लगाते है । जब कार्यकाल पूरा होता है तो जनता कोई एक टैग दे देती है, उन्होंने हर क्षेत्र में बहुत काम किया लेकिन जनता ने सड़कों वाला मुख्यमंत्री कहा। जब हमने उनसे पूछा, उनके अनुसार जयराम ठाकुर को कौनसा टैग मिलना चाहिए तो प्रो. धूमल ने कहा कि ये जनता तय करेगी। आगे धूमल कहते है " वैसे जरूरी नहीं है कि सबको टैग मिले। " .......................................................... घर नया हो तो भी काम का सामान रखा जाता है : 1998 से लेकर 2017 तक हुए पांच विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रो. प्रेमकुमार धूमल के चेहरे पर आगे बढ़ी। धूमल का फेस ही पार्टी का ग्रेस बढ़ाता रहा। इनमें से तीन बार भाजपा सत्ता कब्जाने में कामयाब रही। माना जाता हैं की 2017 में पार्टी आलाकमान बिना चेहरे के चुनाव में जाना चाहता था, लेकिन स्थिति ठीक न देखकर चुनाव से दस दिन पहले प्रो प्रेम कुमार धूमल को सीएम फेस बनाना पड़ा। दांव ठीक पड़ा और भाजपा सत्ता में आई, हालाँकि खुद धूमल चुनाव हार गए। 2017 में जयराम ठाकुर मुख्यमंत्री बने। इसके बाद से ही सियासी गलियारों में चर्चा आम रही है कि धूमल गुट उपेक्षा का शिकार हैं। इस मसले पर हमने प्रो. धूमल से सीधा सवाल किया। जवाब भी सीधा मिला, प्रो धूमल ने कहा कि " जब नेतृत्व बदलता हैं तो नया नेता अपने हिसाब से बदलाव करता हैं। पर पुराने काम के लोगों की उपेक्षा गलत हैं। नया भवन बनाइये लेकिन काम का सामान भी रखिये।" ........................................................................ वृक्ष हैं संगठन तो जड़ हैं कार्यकर्ता प्रो. प्रेमकुमार धूमल का राजनैतिक सफर किसी सियासी ग्रंथ से कम नहीं हैं। सरकार और संगठन दोनों पर उनकी समझ बेजोड़ हैं। चर्चा जब संगठन की चली तो प्रो. धूमल ने एक किस्सा साझा किया। पहली बार मुख्यमंत्री बनने के बाद वे ठियोग जा रहे थे तभी रास्ते में एक कार्यकर्ता ने उन्हें एक पत्र दिया। गाड़ी में उन्होंने पत्र पढ़ा तो उसमें उक्त कार्यकर्ता ने लिखा था कि एक आम कार्यकर्ता संघर्ष करता हैं, जैसे -तैसे कर सरकार बनती हैं और फिर ढाई साल में गिर जाती है। ( 1977 और 1990 में शांता कुमार के नेतृत्व में बनी सरकारें अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाई थी) प्रो. धूमल घर पहुंचे, देर रात 12 बजे तक काम निपटाया और फिर खुद उक्त खत के जवाब में एक पत्र लिखा। धूमल ने लिखा कि पार्टी एक वृक्ष है। कार्यकर्ता जड़े, मंत्री और पदाधिकारी फल और फूल। जब जड़े मजबूत होती है तो ही वृक्ष पनपता है। फल और फूल को लगता है कि वृक्ष की शोभा उनसे है लेकिन हकीकत ये हैं कि बिन जड़ वृक्ष ही नहीं हैं। जब जड़ को तरजीह नहीं मिलती तब अस्तित्व भी नहीं रहता। इस बीच एक माली आता है और उस वृक्ष को हटाकर दूसरा वृक्ष लगा देता है। ....................... सवाल : मौजूदा सरकार के कार्यकाल को 4 साल पूरे हो चुके है। ये वर्ष चुनावी वर्ष है और सियासत भी तेज़ हो गई है। 1985 के बाद से अब तक प्रदेश में कोई सरकार रिपीट नहीं कर पाई है, लेकिन इस बार मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ये दावा कर रहे है कि सरकार रिपीट करेगी। आप भाजपा के वरिष्ठ और अनुभवी नेता है, हम आपसे जानना चाहेंगे कि क्या ये सरकार रिपीट करने की स्थिति में है ? जवाब : मैं व्यक्तियों पर चर्चा नहीं करता। मैं ये कहना चाहूंगा की भारतीय जनता पार्टी हमेशा इतिहास बनाती रही है। 1984 श्रीमती इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हमदर्दी की लहर चली और हमारे सिर्फ दो सांसद जीते थे, और पांच वर्ष के बाद 1989 में हम दो से 86 हो गए। इसी प्रकार से 77 में भारतीय जनता पार्टी की सरकार अनेकों पार्टियों का गठबंधन था। जब 1990 में हमने सरकार बनाई तो हमारा गठबंधन जनता दल के साथ था। 1998 में हमारा गठबंधन हिमाचल विकास कांग्रेस के साथ था, लेकिन साल 2007 में पहली बार विशुद्ध भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनाई। वो भी एक रिकॉर्ड था। अब 2022 में हम चाहते है कि फिर रिकॉर्ड बनें। एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी की सरकार बने और हम फिर जनता की सेवा करें। सवाल : जो नतीजे बीते नगर निगम चुनाव और उपचुनाव में भाजपा के लिए रहे है क्या उन्हें देखने के बाद भी आप यही कहेंगे कि भाजपा रिपीट करेगी ? और अगर रिपीट करना है तो उसके लिए क्या करना होगा ? जवाब : हमारा संगठन सक्रीय है और सरकार के लेवल पर भी नगर निगम चुनाव और उपचुनाव के वक्त काम किया गया है। जब ठोकर लगती है तो इंसान संभालता है। सरकार ने भी हार के बाद अपने सबक लिए होंगे। जो लोग सत्ता में है, जो लोग सरकार चला रहे है वो देखेंगे कि क्या कमियां रही और उन कमियों को दूर कर पुनः चुनाव लड़ेंगे। सवाल : आज प्रदेश की सियासत में रूचि रखने वाला हर व्यक्ति ये जानना चाहता है कि क्या प्रोफेसर प्रेम कुमार धूमल इस बार के चुनाव के मैदान में उतरेंगे ? जवाब : यदि आप मेरा राजनैतिक जीवन देखे तो मैंने कभी पार्टी टिकट की मांग नहीं की। 1984 में जब इंद्रा जी का मर्डर हुआ तब बड़े- बड़े नेता मैदान छोड़ गए। कोई लड़ने के लिए तैयार नहीं था और उस वक्त मुझे कॉलेज से बुलाया गया और कहा की तुम लड़ोगे , तुम्हें लड़ना है और हम लड़े भी और हारे भी। उसके बाद से लगातार लोगों के बीच रहे। मैं तीन बार सांसद बना, दो बार मुख्यमंत्री बनकर प्रदेश की सेवा की। जब पार्टी ने बोला मैंने चुनाव लड़ा, जो बोला वो किया और आगे भी जो भी पार्टी हाईकमान का आदेश होगा वो मैं करूंगा। सवाल : आपके समर्थक ये चाहते हैं कि यदि आप चुनाव लड़े तो मुख्यमंत्री का चेहरा भी आप ही हो। इस पर आप क्या कहेंगे ? जवाब : मुख्यमंत्री का चेहरा तो मुझे पिछली बार भी हाईकमान ने बनाया था, लेकिन लोगों ने मुझे नहीं चुना। फिर जयराम जी मुख्यमंत्री बने। मुख्यमंत्री का चेहरा हाईकमान और चुने हुए विधायक तय करते है। जो वो तय करेंगे वो होगा। सवाल : तो अपने निर्णय हाईकमान पर छोड़ दिया है ? जवाब : मेरी तो पूरी जिंदगी उन्ही के सहारे बीती है, अब इस पड़ाव पर आकर क्या करना हैं। सवाल : जयराम सरकार का यदि आप आंकलन करें , तो आप क्या बड़ी उपलब्धियां मानते है इस सरकार की ? जवाब : सरकार का दो साल का कार्यकाल कोरोना में गया और प्रधानमंत्री जी की अगुवाई और मार्गदर्शन में हम कोरोना से निपटने में कामयाब रहे। लोगों का भी सहयोग मिला। सामजिक क्षेत्र में सरकार ने अच्छा किया मसलन बुढ़ापा पेंशन की उम्र जताई गई। उद्योग की बात करें तो करीब 96 हजार करोड़ का निवेश आया। कई बार कुछ कार्य दूरगामी सोच के साथ भी किये जाते है जिनका परिणाम बाद में दिखता है। सवाल : ये सामान्य बात है कि जनता तुलना करती है। आप दस साल मुख्यमंत्री रहे और अब जयराम जी मुख्यमंत्री है । कई बार ये कहा जाता है कि जयराम सरकार की अफसरशाही पर पकड़ नहीं है। आप क्या मानते है ? जवाब : मैं शिमला बहुत कम जाता हूँ। सवाल : चलिए आपने बताया कि आप शिमला कम जाते है, तो अगले सवाल पर आते है । आप मुख्यमंत्री पद का चेहरा थे और कई ऐसे वादे हैं जो कहा जाता है आपने किए थे लेकिन सरकार ने पुरे नही किए। दृस्टि पत्र में भी ये वादे शामिल थे। मसलन नियुक्ति तिथि से वरिष्ठता हो या पुरानी पेंशन बहाली का मुद्दा। जो वादे आपने किए थे और पुरे नहीं हुए, उस पर आप क्या कहेंगे ? जवाब : मैं आपके माध्यम से स्पष्ट कर दूँ कि मैंने कोई वादा अलग से नहीं किया ताकि कोई गलतफहमी न रहे। चुनाव घोषणा पत्र व्यक्ति नहीं पार्टी जारी करती हैं। जो दृस्टि पत्र जारी हुआ उसके कन्वीनर रणधीर शर्मा थे और श्री जयराम जी खुद उसके मेंबर थे, जिस पर हस्ताक्षर है उनके। मैंने जो भी घोषणा की है उसके अनुसार ही की है। जहां तक पुरानी पेंशन बहाली की बात है मैंने तो कॉर्पोरेशन और बोर्ड के कर्मचारियों को भी पेंशन दी थी। नई पेंशन स्कीम 2004 में लागू हुई और इसके बाद जब 2007 से 2012 तक मैं मुख्यमंत्री था तो इसे हटाने की कोई मांग नहीं थी। अब ये बात सामने आई है। मुझे विश्वास है सरकार इस पर विचार कर रही होगी। सवाल : आप मानते हैं कि पुरानी पेंशन बहाल होनी चाहिए ? जवाब : मैं ये नहीं कह रहा कि बहाल होनी चाहिए, ये तो सरकार तय करेगी। पर जिस कर्मचारी ने सारी उम्र ईमानदारी से नौकरी की, बुढ़ापे में आकर उसको सम्मानजनक पेंशन मिलनी चाहिए। इस पर विचार करना चाहिए और संसाधन हो तो इसे बहाल करें। जिन्हें नुकसान हो रहा हैं, जीवन यापन मुश्किल हैं उनका पालन पोषण हमारा सामाजिक दायित्व हैं। सवाल : वर्तमान में प्रदेश में नए जिलों की मांग भी उठ रही हैं। आपको क्या लगता है क्या नए जिले बनने चाहिए ? जवाब : हमने तो बना दिए थे। नूरपुर, देहरा, पालमपुर, सुंदरनगर और जुब्बल कोटखाई में हमने एडीएम बिठा दिए थे। उसके बाद सत्ता परिवर्तन हुआ हुआ निर्णय पलट दिया गया। मैं मानता हूँ कि छोटी प्रशासनिक इकाइयां बेहतर काम करती हैं। पर चुनाव के दिनों में नए जिलों का गठन करना उचित नहीं है, ये योजनाबद्ध तरीके से होना चाहिए। सवाल : अनुभव का कोई पर्याय नहीं होता और बेहद अनुभवी नेता है। आप प्रदेश सरकार को क्या सुझाव देना चाहेंगे ? जवाब : पहला तो ऐटिटूड का बदलाव होना चाहिए। हम शासन नहीं सेवा करने के लिए सत्ता में आएं है। दूसरा सरकार और सामान्य नागरिक में कोई दुरी नहीं होनी चाहिए। बात सुनो , हर काम नहीं होंगे लेकिन यदि व्यक्ति कि शिकायत भी कोई सुन लेता है तो मन हल्का हो जाता है। उसे लगता है कि वो अपनी ही सरकार से बात कर रहा है । ईमानदरी से प्रयास होना चाहिए कि जो मुमकीन है वो हम करें। जो शिकायत आती है उसकी उलटी शिकायत नहीं आनी चाहिए। शिकायत की भी शिकायत आये ये दुर्भाग्यपूर्ण होता है। सवाल : क्या आपको लगता हैं की जनता से सरकार की दूरी ज्यादा हैं, शायद इसीलिए आप ऐटिटूड में बदलाव की बात कर रहे हैं ? जवाब : मैंने कहा शिमला तो मैं जाता नहीं और दूरी की बात मैं करता नहीं।
देश का बजट पेश किया जा चूका है और चार मार्च को प्रदेश का बजट भी पेश किया जाएगा। इस बजट से जनता को कई उम्मीदें है। हाल फिलहाल में सरकारी कर्मचारियों पर तो प्रदेश सरकार मेहरबान हुई ही है मगर अब बेरोजगारों, किसानों, बागवानों, युवाओं और आम जनता की निगाहें सरकार पर टिकी हुई है। केंद्रीय बजट को लेकर भी प्रदेश में कई तरह की धारणाएं बन रही है, कांग्रेस इसे दिशाहीन बता रही है तो भाजपा इसके जवाब में कांग्रेस पार्टी को ही दिशाहीन करार देती है। प्रदेश में बेरोज़गारी और महंगाई बढ़ रही है, कर्मचारी भी और राहत की उम्मीद में है और आम नागरिक भी बजट से उम्मीदें लगाए बैठा है। प्रदेश के कई बड़े मुद्दों और उद्योग और रोजगार सम्बंधित मुद्दों पर फर्स्ट वर्डिक्ट मीडिया ने उद्योग, परिवहन, श्रम व रोजगार मंत्री बिक्रम सिंह ठाकुर से विशेष बातचीत की। ठाकुर ने हर विषय पर खुलकर अपनी राय रखी, साथ ही अपनी चिर परिचित शैली में विपक्ष की कार्यशैली पर भी सवाल उठाये। पेश है इस बातचीत के कुछ मुख्य अंश........... सवाल-केंद्रीय बजट को लेकर विपक्ष लगातार सरकार को घेर रहा है और इसे केवल आंकड़ों का मायाजाल करार दे रहा है। विपक्ष का कहना है कि बजट में प्रदेश के लिए कुछ भी नहीं मिला है और खासतौर पर बल्क ड्रग पार्क को लेकर भी कई उम्मीदें थी, लेकिन इसका भी जिक्र तक नहीं हुआ, क्या कहना चाहेंगे ? जवाब-आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश आत्मनिर्भर बन रहा है और केंद्रीय बजट में हर वर्ग का एक सामान ध्यान रखा है। क्यूंकि यह केंद्रीय बजट था लाजमी है देश के उत्थान की ही बात की जाएगी, लेकिन मुझे लगता है विपक्ष के लोगों में ज्ञान का अभाव है तभी वे बहकी -बहकी बातें और अनावश्यक टिप्पणी कर रहे है। केंद्रीय बजट में किसान, रोजगार, विकास सहित अन्य सभी जरूरी कार्यों के लिए बजट पास किया गया। कांग्रेस भी काफी समय सत्ता में थी तब उन्होंने कौन से ऐसे कार्य करवाएं, जिसे जनता ने ऐतिहासिक माना। चुनौती की बात करें तो कांग्रेस के समय से ज्यादा आज देश के आगे कई चुनौतियां है, फर्क सिर्फ इतना है कि कांग्रेस ने उन चुनौतियों को स्वीकार नहीं किया और विकास नहीं हो पाया। आज भाजपा सरकार के आगे उस समय से ज्यादा चुनौतियां है लेकिन मौजूदा सरकार उन विपदाओं और चुनौतियों से लड़कर देश के विकास के आयाम स्थापित करने की ओर अग्रसर है। विपक्ष के लोग केवल राजनीति करना जानते है लोगों के मसलों से उन्हें कोई लेना देना नहीं होता। मैं पूछना चाहता हूँ विपक्ष से कि यदि देश स्तर पर किसान को आर्थिक लाभ देने की बात की जा रही है तो क्या किसान हिमाचल के नहीं है, यदि युवाओं को रोजगार देने की बात की जा रही है तो क्या प्रदेश के युवा अन्य देश से आये है, मेरा आग्रह है विपक्ष के लोगों से की थोड़ा अपना ज्ञान बढ़ाए और फिर सरकार को घेरे। बजट में एक नया प्रोजेक्ट पर्वतमाला देने की बात की है जिसमे हिमाचल प्रदेश का नाम भी आया है। मेरा मानना है कि विपक्ष के पास सरकार को घेरने के लिए कोई स्ट्रांग पॉइंट नहीं है। बल्क ड्रग पार्क की आप बात कर रहे है तो मैं कहना चाहूंगा कि यह बजट के स्पीच का हिस्सा नहीं है, बल्क ड्रग पार्क का कार्य पाइप लाइन में है, कुछ बाधा थी उसको भी दुरुस्तीकरण के लिए भेजा है और जल्द प्रदेश में बल्क ड्रग पार्क बनेगा। सवाल-पीस मील कर्मचारियों को अनुबंध में लाने की बात तो की जा रही है लेकिन अभी तक आर्डर पास नहीं हुए, क्या कारण है ? जवाब -पीसमील कर्मचारियों की महत्वपूर्ण भूमिका है। एचआरटीसी बसों को सड़क तक पहुँचाने के लिए ये कर्मचारी कार्य करते है। एचआरटीसी वर्कशॉप के हर छोटे बड़े कार्य को करने के लिए पीसमील कर्मचारियों की सहायता लेनी होती है। पीसमील कर्मचारियों को लेकर नीतिगत निर्णय लिया गया है और उसमें केवल नोटिफिकेशन होनी है, जो जल्द हो जाएगी। हम इस विषय में कार्य कर रहे है, निर्देश भी दिए जा चुके है। मैं आपको बताना चाहूंगा कि अब तक भी हमने कर्मचारियों की आवाज़ सुनी है और हम आगे भी सुनेंगे और जो भी मसले होंगे उनको हल करने का प्रयास करेंगे और ये नोटिफिकेशन भी जल्द हो जाएगी। सवाल-एचआरटीसी के कर्मचारी कहते है कि समय पर वेतन न मिलना एक बड़ी समस्या है, यदि ऐसा है तो इसके पीछे क्या कारण है ? जवाब-देखिये कुछ समय पहले तक की हम बात करे तो हां यह समस्या थी लेकिन अब ऐसा नहीं है। अब कर्मचारियों को समय पर वेतन मिलता है, पेंशनरों को समय पर पेंशन मिल रही है और इसके लिए हमने बहुत प्रयास किये है। हमने यह सुनिश्चित किया है कि ऐसी समस्या भविष्य में न हो, इसके लिए बाकायदा निर्देश दिए है और कई बदलाव सैलरी रिलीज़ प्रोसेस में की गई है। भाजपा सरकार कर्मचारी हितेषी सरकार है। कर्मचारियों द्वारा ही सरकार की योजनाएं जनता तक पहुंच पाती है इसीलिए हम पूरी कोशिश करते है कि कर्मचारियों के लिए एक बेहतरीन माहौल विकसित किया जाए और कर्मचारी पूरे दिल से कार्य करें। पूर्ण राज्यत्व दिवस के दिन भी कर्मचारियों की मांगें पूरी हुई थी और आगे भी होंगी। सवाल-इन्वेस्टर मीट की सेकंड ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी हो चुकी है, कितने उद्योग स्थापित किये जा चुके है रोजगार के अवसर ढ़ाने की दिशा में क्या किया जा रहा है ? जवाब-पर्वतीय राज्यों में हिमाचल प्रदेश एक ऐसा राज्य है जहाँ पर इन्वेस्टर मीट हुई। फर्स्ट ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी के बाद सेकंड ब्रेकिंग सेरेमनी हुई है और जब भी ब्रेकिंग सेरेमनी होती है उसमे कागज़ात से संबंधित कार्य होते है। इंफ्रास्ट्रक्चर को डेवलप करना, उपकरणों को लाना ये सब उसके बाद की बात है और यह पूरी प्रक्रिया काफी लम्बी होती है। बहुत जल्द फर्स्ट ब्रेकिंग का रिव्यु भी होना है। इंवेस्टर्स मीट में 287 एमओयू साइन किए गए हैं। मुझे विश्वास है कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के कुशल नेतृत्व में यह जमीनी स्तर पर जल्द आपको देखने को मिलेगा जिससे रोजगार के द्वार भी खुलेंगे। सवाल- यह वर्ष चुनावी वर्ष है। कर्मचारी अभी भी असंतुष्ट है और ओपीएस बहाली की मांग कर रहे है। ओपीएस बहाली को लेकर आपकी क्या राय है? जवाब- ओपीएस का लाभ मिलना चाहिए। सभी को अपने मांगों को सरकार के समक्ष रखने का अधिकार है, लेकिन उन्हें यह भी समझना चाहिए कि सरकार की क्या मजबूरी है। हर मांग को एक झटके में पूरा नहीं किया जा सकता। सरकार कर्मचारियों के साथ है लेकिन कर्मचारियों को भी पता होगा कि यह मुद्दा भारत सरकार का है और यह मसला कहाँ कहाँ अटका है और कितने वर्षो से अटका है। जो राजनीतिक पार्टी कर्मचारियों की मांगों को लेकर हल्ला मचा रही है उनको पता होना चाहिए कि यह सब उनके कार्यकाल का किया धरा है। लेकिन मैं सभी कर्मचारियों से यह कहना चाहूंगा कि सरकार इन मुद्दों को लेकर गंभीर है और जल्द सरकार इसको लेकर सही निर्णय लेगी। सवाल- उपचुनाव में भाजपा को करारी हार मिली लेकिन इस वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर क्या रणनीति रहेगी, भाजपा के लिए राह मुश्किल सी प्रतीत हो रही है। जवाब- उपचुनाव के नतीजों से भाजपा का विश्वास डगमगाया नहीं है बल्कि और अधिक हम तैयार हुए है। भाजपा पार्टी के लोग समर्पित भाव से लोगों की सेवा करते हैं। सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, यह सिर्फ भाजपा के नेतृत्व में ही संभव है। हमारी राह मुश्किल हो सकती है लेकिन मंजिल पर हम ही काबिज होंगे। प्रदेश की जनता हमारे साथ है। विपक्ष के पास गिनवाने के लिए कोई विकास कार्य नहीं है, न कोई मजबूत नेतृत्व है। विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा संगठित और सशक्त हुई है और भाजपा सरकार शत प्रतिशत रिपीट करेगी।
'गिरते हैं शहसवार ही मैदान-ए-जंग में, वो तिफ्ल क्या गिरे जो घुटनों के बल चले' हिमाचल प्रदेश में हुए उपचुनाव के बाद मुख्यमंत्री बदलने को लेकर कई तरह के कयास लगाए गए। गुजरात और उत्तराखंड के मॉडल्स पर चर्चे हुए, ये कहा गया की उपचुनाव में भाजपा को मिले शून्य के बाद सरकार के सरदार को बदल दिया जाएगा। बातें तो खूब हुई पर फिल्वक्त मुख्यमंत्री भी जयराम ठाकुर ही है और अब तो संगठन में भी उनकी ही छाप दिख रही है। बदलाव सिर्फ ये हुआ है की उपचुनाव की हार के बाद भाजपा अपनी गलतियों से सीखते हुए आगे बढ़ती हुई दिखाई दे रही है। जयराम ठाकुर एक्शन में है और घोषणाओं पर घोषणाएं की जा रही है। हर वर्ग हर तबके को साधने का प्रयत्न भी हो रहा है और जनता से सीधा संवाद भी। ऐसा लग रहा है कि मिशन रिपीट से पहले मुख्यमंत्री विपक्ष के हर बड़े मुद्दे को खत्म करने के मिशन पर है। सरकार के मुखिया तो जयराम है ही पर अब संगठन पर भी उनकी मजबूर पकड़ दिख रही है। खुद मुख्यमंत्री ब्लॉक स्तर पर सीधा कार्यकर्ताओं से जुड़कर संगठन को धार दे रहे है। इस वर्ष के अंत में विधानसभा चुनाव होने है। सरकार के कार्यकाल का ये आखिरी वर्ष है मगर कई चुनौतियां अब भी शेष है। भाजपा के मिशन रिपीट का सपना कैसे साकार होगा और अंतिम वर्ष में जनता को ये सरकार क्या सौगात देगी, इसको लेकर फर्स्ट वर्डिक्ट मीडिया ने मुख्यमंत्री के साथ विशेष चर्चा की। पेश है उस बातचीत के कुछ मुख्य अंश सवाल: उपचुनाव में जिस तरह का प्रदर्शन भाजपा का रहा है उसे देखकर प्रदेश में ये कयास लग रहे है की मंत्रिमंडल में फेरबदल होगा, क्या ऐसा कुछ हो सकता है ? जवाब: उपचुनाव के पश्चात इस तरह के जो कयास मीडिया या लोगों के माध्यम से लगाए जा रहे है, अब तक इसमें कोई सार्थकता नहीं दिखी। ये पार्टी का अंदरूनी मामला है। जो भी करना होगा, पार्टी उचित समय पर निर्णय लेगी। मंत्रिमंडल में परिवर्तन करना हो या संगठन में, बेहतर करने के लिए जो भी पार्टी उचित समझेगी वो किया जाएगा। आने वाले समय में कुछ भी हो सकता है इसलिए मैं इस बात से इंकार नहीं कर सकता। जो पार्टी हित में होगा वो किया जाएगा। पार्टी का शीर्ष नेतृत्व फिलवक्त पांच राज्यों के उपचुनाव में व्यस्त है, आने वाले समय में जो भी स्थिति बनेगी तब की बात तब ही की जा सकती है। सवाल: पूर्ण राज्यत्व दिवस के दिन आपने कर्मचारियों को कई बड़ी सौगातें दी है, इसके बावजूद भी कई कर्मचारी असंतुष्ट है। कर्मचारियों के जो मसले लंबित है वो कब तक पूरे होंगे ? जवाब: मैं मानता हूँ कि सभी को संतुष्ट करना काफी कठिन और जटिल काम है, लेकिन हमारी कोशिश रहती है कि हर वर्ग का विकास हो। कर्मचारियों की बहुत अहम भूमिका है और हम इस बात को बखूबी समझते है। सरकार की सभी योजनाएं कर्मचारियों व अधिकारियों के जरिये ही आम जनता तक पहुंच पाती है। इसलिए कर्मचारियों को कार्य करने के लिए एक अच्छा और पॉज़िटिव माहौल मिलना चाहिए और हम इसका समर्थन करते है। इसीलिए हमने हर वर्ग के कर्मचारियों का ध्यान रखने की कोशिश की है और सभी की समस्याओं के निवारण के लिए हम प्रयास करते रहते है। नया वेतनमान जब लागू किया गया तो कर्मचारियों ने कहा कि इसमें काफी सुधार व परिवर्तन करने की ज़रुरत है। हमने उनकी मांग को सुना, वास्तविकता को समझा और परिवर्तन किये। इसके बाद भी जो कमियां है उसमें भी हमने सुधार की बात कही है। दोनों तरफ से चर्चा के बाद, वो हमारा पक्ष सुनेंगे हम उनका और सामंजस्य बिठा कर जो बदलाव करना होगा वो हम करेंगे। मुझे पूरा विश्वास है की साल के अंत तक कर्मचारियों के मन में नाराज़गी के कोई भी मुद्दे नहीं रहेंगे। सवाल: कर्मचारियों के मुद्दों की बात करें तो सबसे ऊपर पुरानी पेंशन की मांग आती है। पांच राज्यों में इस वक्त चुनाव हो रहे है वहां भी ये मुद्दा पूरे ज़ोर शोर से गूँज रहा है। आपसे आपकी राय जानना चाहेंगे क्या आप प्रदेश में कर्मचारियों की ये मांग पूरी करेंगे ? जवाब: मैं एक बात स्पष्ट करना चाहूंगा कि पूरे देश भर में पश्चिम बंगाल एकमात्र ऐसा राज्य है जहां पुरानी पेंशन दी जाती है। आप वहां के हालात देखिये, वहां तीन - तीन महीने तक कर्मचारियों को सैलरी नहीं मिलती , पेंशन नहीं मिलती। हिमाचल प्रदेश की अगर बात करें तो 2003 में प्रदेश में कांग्रेस की सरकार सत्ता में आई और हिमाचल प्रदेश की सरकार वो पहली सरकार बनी जिसने एनपीएस को स्वीकार किया। केंद्र ने ऑप्शन भेजा और यहां इनकी सरकार ने स्वीकार किया। मुझे ये बहुत विचित्र लगता है की कांग्रेस अब ये कह रही है कि हम पुरानी पेंशन बहाल करेंगे। मैं उनसे पूछता हूँ की कैसे करेंगे ? मैं बता दूँ कि कांग्रेस इस सवाल का जवाब देने की परिस्थिति में नहीं है। पंजाब में चुनाव हो रहे है। वहां कांग्रेस की सरकार है। कर्मचारियों को लुभाने के लिए वहां की सरकार ने कई मांगें पूरी की, कई घोषणाएं की, पर क्या वहां कांग्रेस पुरानी पेंशन दे पाई ? क्या कांग्रेस के पास इस बात का जवाब है। ऐसी स्थिति में इस मसले का हल निकालने की ज़रूरत है। मैं मानता हूँ ये कर्मचारियों की जायज़ मांग है। मगर इस पर कोई रास्ता निकलने की ज़रूरत है। कर्मचारी जो अपनी भावनाएं व्यक्त कर रहे है उसका समाधान करने के लिए हम पूरी कोशश कर रहे है। इस समस्या के समाधान के लिए हमने एक कमेटी बनाने के लिए कहा है जिसके माध्यम से हम कोशिश करेंगे कि समस्या जल्द हल हो। मूल्यांकन करेंगे, आंकलन करेंगे , इसकी फाइनेंशियल इम्प्लीकेशन जांचेंगे और इस सब के बाद जो बन पाएगा वो करेंगे। लेकिन ये इतना सरल कार्य नहीं है, बहुत ही कठिन और जटिल कार्य है। मुझे नहीं लगता कि आज की स्थिति में कोई भी प्रदेश वापस पुरानी पेंशन देने की स्थिति में है। सवाल: विरोधी और विपक्ष अक्सर आप पर आरोप लगाते है कि आपकी अफसरों पकड़ नहीं है और सरकार पर अफसरशाही हावी है। क्या ये वास्तविकता है ? आपको नहीं लगता ये छवि चुनाव में आपके लिए नुकसानदायक सिद्ध हो सकती है ? जवाब: मैं नहीं मानता कि इन चीज़ों का कोई अभिप्राय है। जनता में अजीब धारणाएं बनाने के लिए विपक्ष के लोग कुछ भी कहते रहते है। देखिये हिमाचल देवभूमि है, सहजता और सरलता यहां का गहना है। मैं मानता हूँ कि जो काम सहजता और सरलता से कर सकते है वो हम लाठी मार कर नहीं कर सकते। कर्मचारी और अधिकारी काम में सहयोग करते है। हाँ जहां कहीं भी कुछ गलत हुआ है, उसके लिए हमारे पास एक नहीं अनेक उदाहरण है जहां हमने कठोर कार्रवाई की है। लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि हम कर्मचारियों और अधिकारियों को हर समय गाली देते रहे, ये हिमाचल की संस्कृति नहीं है। विपक्ष कहता है कि, फलाना नेता प्रशासन बहुत अच्छे से चलाते थे, क्या वो सफल हुए। क्या वो सरकार रिपीट कर पाए ? देवभूमि के लोगों को नेताओं को देवभूमि की संस्कृति के हिसाब से ही चलना चाहिए, ये ही उचित है। सवाल: इस सरकार के कार्यकाल को चार वर्ष पूरे हो चुके है, इस अंतिम वर्ष में क्या कोई बड़ी सौगात केंद्र की ओर से प्रदेश को मिलेगी ? जवाब: हम केंद्र सरकार के बहुत आभारी है कि हर संकट की घड़ी में केंद्र सरकार ने प्रदेश की सहायता की है। केंद्रीय वित्त मंत्री का भी हम धन्यवाद करना चाहेंगे क्यूंकि उनका भी विशेष सहयोग रहा है। स्पेशल ग्रांट के तौर पर हमें 400 करोड़ की राशि पहले प्रदान की गई थी और 200 करोड़ अभी दिया गया है। छोटा राज्य होने के बावजूद हमें ग्रांट मिल पाई है। अभी जो बजट प्रस्तुत किया गया है इसमें बहुत सारी संभावनाएं निकल कर आई है। हमें लगता है कि इस बार बहुत ही अच्छा बजट हिमाचल को मिलेगा, चाहे हम रेल कनेक्टिविटी की बात करें, चाहे प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की बात करें। मैं बता दूँ कि 6 प्रतिशत की वृद्धि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में की गई है। साथ ही हिमाचल के साथ जो तिब्बत - चीन का बॉर्डर एरिया लगता है, वहां के ग्रामीण क्षेत्रों में भी वाइब्रेंट विलेज का जो नया कांसेप्ट लाया गए है वो बहुत बेहतरीन है। ग्रामीण क्षेत्रों में जो सुविधाएं और कनेक्टिविटी देने की बात कही गई है वो एक बेहतरीन पहल है। इसी के साथ उन क्षेत्रों में जहां रोड बनाना संभव नहीं है, जहां पैसा ज़्यादा लगेगा, समय ज़्याद लगेगा या पर्यावरण को नुक्सान होगा वहां के लिए रोपवेस की नई योजना केंद्र सरकार लाई है। ये बहुत बड़ा सराहनीय कदम है और इसके लिए मैं व्यक्तिगत रूप से प्रधानमंत्री और वित मंत्री जी का धन्यवाद करना चाहूंगा। हमने इस कांसेप्ट को उनके सामने रखा था कि जहां सड़क पहुंचाने में कठिनाई है वहां आप रोपवे दीजिये। उन्होंने इसे स्वीकार किया और बजट में इसका प्रावधान भी किया, जिसके लिए हम उनके आभारी है। सवाल: मुख्यमंत्री जी आप तो धन्यवाद कर रहे है लेकिन विपक्ष का कहना है कि ये बजट दिशाहीन है ? जवाब: देखिये विपक्ष खुद ही दिशाहीन है। इनका क्या कर सकते है, पूरे देश में इनके पास कोई दिशा नहीं है। परिहास का विषय बनी हुई है कांग्रेस पार्टी। मैं इतना ही कहना चाहूंगा की जब आने वाले समय में इस बजट का इम्पैक्ट आप देखेंगे तो कांग्रेस को भी मालूम हो जाएगा की देश किस दिशा में जा रहा है। सवाल: मिशन रिपीट का सपना भाजपा संजोए हुए है मगर किसी से भी भाजपा की गुटबाज़ी छिपी नहीं है, दो धड़ों में पार्टी बंटी हुई है ऐसे में पार्टी रिपीट कैसे कर पाएगी ? जवाब: मैं मानता हूँ कि गुटबाज़ी बिलकुल भी नहीं है। ये सारी बातें बनाई जाती है, बनाने की कोशिश की जाती है। भाजपा आज तक के इतिहास में सबसे मज़बूत नेतृत्व के हाथ में है। आदरणीय मोदी जी हमारे नेता है, देश के प्रधानमंत्री है। अमित शाह जी के पास लम्बे समय तक संगठन को संभालने का अनुभव है। साथ ही हमारे लिए गर्व की बात है कि हिमाचल से संबंध रखने वाले जगत प्रकाश नड्डा जी पार्टी के अध्यक्ष है। हिमाचल क्या पूरे देश में गुटबाज़ी की गुंजाइश नहीं है। आने वाले समय में आप देखेंगे कि भाजपा के सभी नेता एकजुट होकर आगे बढ़ेंगे ,काम करेंगे और आपके सामने ही भारतीय जनता पार्टी की सरकार एक बार फिर सत्ता में आएगी।
प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री डॉ राजीव सैजल की पहचान उन चुनिंदा नेताओं में होती है जिनका राजनैतिक करियर स्वच्छ और बेदाग है। सैजल उन नेताओं में से है जो अधिक बोलने में नहीं अपितु चुपचाप अपना कार्य करने में यकीन रखते है। शत प्रतिशत आबादी को कोरोना वैक्सीन की पहली डोज लगाने वाला हिमाचल देश का पहला राज्य बना और अब दूसरी डोज हो या बच्चों की वैक्सीनेशन, हिमाचल निरंतर आगे बढ़ रहा है। इसका बहुत बड़ा श्रेय प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री डॉ राजीव सैजल को जाता है। प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति, कोरोना की तीसरी लहर के बढ़ते खतरे सहित कई अहम् मसलों पर फर्स्ट वर्डिक्ट ने डॉ राजीव सैजल से विशेष बातचीत की। सैजल ने पूरी ईमानदारी के साथ कमियों को भी स्वीकार किया, उपब्धियों पर भी प्रकाश डाला और स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर सरकार के ब्लू प्रिंट को भी साझा किया। पेश है बातचीत के मुख्य अंश.... सवाल : हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा 15 से 18 वर्ष के किशोरों के लिए वैक्सीनेशन अभियान चलाया जा रहा है, इस अभियान को अब तक कितनी सफलता मिल पाई है ? जवाब : ये वैक्सीनेशन अभियान जो हिमाचल प्रदेश में चलाया जा रहा है उसके लिए मैं सर्वप्रथम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का धन्यवाद करना चाहूंगा जिन्होंने प्रदेश के लिए फ्री वैक्सीन उपलब्ध करवाई। अब बच्चों के लिए भी वैक्सीनेशन शुरू हो गई है और प्रदेश में 15 से 18 के वर्ष तक के अधिकतर बच्चों को वैक्सीन लगाई जा चुकी है। ये अभिभावकों की सबसे बड़ी चिंता थी। देश की जनता में ये भय था कि तीसरी लहर जब आएगी तो वो बच्चों को ज़्यादा प्रभावित करेगी। मैं समझता हूँ कि वैक्सीन लगने के बाद बच्चों को कोरोना से सुरक्षा मिल पाएगी। सवाल : प्रदेश में लगातार कोरोना का खतरा बढ़ रहा है। अभी तक प्रदेश में ओमीक्रॉन के ज़्यादा मामले नहीं आए है पर यदि प्रदेश में ओमीक्रॉन के मामले ज़्यादा बढ़ते है तो इसके लिए क्या सरकार तैयार है ? जवाब : अब तक प्रदेश में ओमीक्रॉन के ज्यादा मामले सामने नहीं आए है। परन्तु जिस तरह से पडोसी राज्यों में लगातार ओमीक्रॉन के मामले बढ़ रहे है, और देश में भी ओमीक्रॉन का खतरा बढ़ रहा है ये हमारे राज्य के लिए भी चिंता का विषय है। अगर प्रदेश में इस संक्रमण के मामले बढ़ते है तो इसके लिए हम पूरी तरह से तैयार है। अस्पतालों में बेड्स की उपलब्धता हो या ऑक्सीजन की हिमाचल में सब उपलब्ध है। आज 41 पीएसए प्लांट्स हिमाचल प्रदेश में फंक्शनल है जो की पर्याप्त है। साथ ही मैन पावर, होम आइसोलेशन को लेकर तैयारियां, प्रदेश में क्वारंटाइन सेंटर्स की उपलब्धता, ज़रूरी इक्विपमेंट और अपरेटस की उपलब्धता, ऑक्सीजन कंस्ट्रेटर्स और वेंटिलेटर्स की संख्या सब कुछ सुनिश्चित किया गया है। हमने दूसरी लहर के तुरंत बाद ही तीसरी लहर के लिए तैयारियां करना शुरू कर दिया था। भविष्य में किसी भी संभावित खतरे से लड़ने के लिए हम पूरी तरह तैयार है। सवाल : ओमीक्रॉन वैरिएंट की टेस्टिंग के लिए प्रदेश में कोई लैब नहीं है। सैंपल दिल्ली जाते है और वहां से रिपोर्ट आने में काफी समय लग जाता है। क्या हिमाचल में इस तरह की कोई लैब सरकार के इस कार्यकाल में प्रस्तावित है ? जवाब : ओमीक्रॉन की टेस्टिंग के लिए पूरे देश में केवल 12 या 13 टेस्ट लैब्स ही है। जीनोम सीक्वेंसिंग जो ओमीक्रॉन की जांच के लिए की जाती है ये बेहद पेचीदा प्रोसेस है, जो बहुत कम लैब्स में हो रही है और इन्हीं लैब्स के साथ अलग-अलग राज्यों को लिंक किया गया है, जिनके सैम्पल्स इन लैब्स में जाते है। हमें एनसीडीसी दिल्ली के साथ जोड़ा गया है। हमारे सैम्पल्स टेस्टिंग के लिए वहीं जाते है। अभी हिमाचल प्रदेश में इस तरह की लैब स्थापित करने का प्रस्ताव प्रदेश सरकार के विचाराधीन नहीं है अगर भविष्य में कुछ ऐसा होता है तो आपको ज़रूर अवगत करवाएंगे। सवाल : प्रदेश सरकार का चार साल का कार्यकाल पूरा हो चुका है, आपसे जानना चाहेंगे की स्वास्थ्य के क्षेत्र में प्रदेश को कितना आगे सरकार ले जा पाई है और वो क्या कार्य इस सरकार ने किये है जो पिछली सरकार नहीं करवा पाई थी ? जवाब : हर सरकार विकास के लिए कार्य करती है। स्वास्थ्य का क्षेत्र एक ऐसा क्षेत्र है जिसके विकास के लिए हर सरकार प्रतिबद्ध रहती है। मैं किसी सरकार को दोषारोपित नहीं करना चाहता हूँ। मैं बस इतना कहना चाहता हूँ कि इस सरकार ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में बहुत वृद्धि की है। इस प्रदेश सरकार ने डॉक्टरों की रिकॉर्ड भर्ती की है। कुल 1600 डॉक्टर्स चार वर्षो में प्रदेश के अलग अलग चिकित्सा संस्थानों में भर्ती किए गए है। आज दूर दराज़ के स्वास्थ्य केंद्रों में भी चिकित्सक मौजूद है जो सरकार की एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। इसके अलावा पैरा मेडिकल स्टाफ, नर्सेज,और फार्मासिस्ट के पद भरने का भी हमने निरंतर प्रयास किया है। इसके साथ प्रदेश सरकार ने जनता तक वैक्सीन को उपलब्ध करवाया है जो सरकार की बहुत बड़ी उपलब्धि है। प्रदेश में वैक्सीन की जीरो वेस्टेज हुई है, जो एक रिकॉर्ड है। इसी के साथ कोरोना से लड़ने में भी हम सफल रहे है। सवाल : डॉक्टर्स की भर्तियां तो प्रदेश में हुई है परन्तु अब भी प्रदेश में डॉक्टरों की संख्या काफी कम है। डब्ल्यूएचओ के मानकों के अनुसार 1000 की जनसंख्यां पर 1 डॉक्टर होना चाहिए परन्तु प्रदेश में केवल 2600 के करीब सरकारी डॉक्टर्स है। साथ ही प्रदेश के कई बच्चे है जिन्हें एमबीबीएस करने के पश्चात भी नियुक्तियां नहीं मिल रही है, तो क्या आपको नहीं लगता कि प्रदेश में डॉक्टर्स का कैडर बढ़ाने की आवश्यकता है? जवाब : आज की अगर मैं बात करूं तो केवल 81 पोस्ट्स डॉक्टरों की खाली है हाईकोर्ट के ऑर्डर्स के चलते ये भर्ती प्रक्रिया रुकी हुई है और जैसे ही न्यायालय के आदेश होंगे ये रिक्त पद भी भर लिए जाएंगे। ये बात सही है की प्रदेश में मेडिकल ग्रेजुएट्स की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। प्रदेश में 7 मेडिकल कॉलेज है जिसमें से करीब 750 डॉक्टर्स हमें प्रतिवर्ष मिलेंगे। ये बात ठीक है कि कैडर स्ट्रेंथ बढ़ाए जाने की आवश्यकता है। इस पर हम अध्ययन व विचार भी कर रहे है। इससे मैं इंकार नहीं करता कि भविष्य में प्रदेश के विभिन्न स्वास्थ्य संस्थानों में ज़रुरत के मुताबिक डॉक्टरों की पोस्ट सृजित की जानी चाहिए। सवाल : प्रदेश को बड़े मेडिकल कॉलेज मिले है परन्तु छोटे अस्पतालों की हालत दिन प्रतिदिन खराब होती जा रही है। आए दिन इस तरह की खबरें सामने आती है कि कभी किसी हॉस्पिटल में X-RAY मशीन नहीं है, मशीन है तो रेडियोलाजिस्ट नहीं है, यही सब कुछ है तो डॉक्टर नहीं है। इस तरह की विसंगतियों को समाप्त करने के लिए सरकार क्या प्रयास कर रही है ? जवाब : ये बात ठीक है कि कई बार इस तरह के समाचार सामने आते है और ये आज से नहीं आते पहले से आते रहे है। ऐसा नहीं है कि ये बस हमारी सरकार के कार्यकाल में है ही हुआ, पहले भी ऐसा होता रहा है। कमियां , खामियां तो है ही और मैं इसे स्वीकार भी करता हूँ। सरकार का काम है कि उन कमियों खामियों को दूर करके स्वास्थ्य सुविधाएं सुचारू रूप से दी जाये और हम उस दिशा में आगे बढ़ रहे है। प्रदेश में डॉक्टरों की कमी नहीं है। हाँ, विशेषज्ञों की कमी है लेकिन भविष्य में ज़रूर होंगे। हमने प्रदेश में कई सिटी स्कैन प्लांट व एमआरआई मशीनों के लिए पैसा भी दिया है और लगवाई भी है। जहां भी सुधार की आवश्यकता होगी वहां हम सुधार करेंगे। सवाल : प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग से जुड़े कर्मचारियों की कई लंबित मांगें है, डॉक्टर एनपीए को रीवाइज करने की मांग उठा रहे है, आयुर्वेदिक फार्मसिस्ट कैडर बढ़ाने की मांग कर रहे है, आशा कार्यकर्ताओं की कई डिमांड है, और भी कई कर्मचारी है और उनकी कई मांगें है। आपसे जानना चाहेंगे इन मांगों को लेकर आपकी क्या धारणा है और ये कब तक पूरी होंगी ? जवाब : हमारी सरकार और हमारे मुख्यमंत्री कर्मचारी हितेषी है। कर्मचारियों का महत्व क्या है हमारी सरकार को इसका अहसास है। कर्मचारियों की कई लंबित मांगें इस सरकार के कार्यकाल में पूरी की गई है। स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों की मांगों से हम परिचित है। आशा कार्यकर्ताओं ने कोरोना काल के दौरान सराहनीय कार्य किया है। उनके काम के लिए समय समय पर उन्हें इंसेंटिव भी दिया गया है। मैं समझता हूँ हिमाचल प्रदेश उन राज्यों में से है जो आशा कार्यकर्ताओं को अच्छा मानदेय दे रहा है ,परन्तु फिर भी भौतिक आवश्यकताओं को देखते हुए हम इनका मानदेय बढ़ाने का प्रयास करेंगे। अन्य भी जो कर्मचारी है उनकी मांगें भी हल करवाने का हम प्रयास कर रहे है। सवाल : प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री होने के साथ- साथ आप कसौली के विधायक भी है, अपने विधानसभा क्षेत्र में कितना विकास आप कर पाए है ? जवाब : कसौली में बहुत विकास हुआ है। मुख्यमंत्री का आशीर्वाद हमारे निर्वाचन क्षेत्र पर रहा है। क्षेत्र में जगह जगह पर सड़कें बनवाई गई है। राज्य में जो कई बड़ी पेयजल योजनाएं है उनमें से एक बड़ी पेयजल योजना कसौली विधानसभा के लिए स्वीकृत हुई है। करीबन 104 करोड़ की लागत से इस योजना का निर्माण होगा। बहुत जल्द मुख्यमंत्री दौरा भी करेंगे हमारे क्षेत्र का और तब इस परियोजना का शुभारम्भ भी होगा। एसडीएम कार्यालय भी हम ले पाए है। इसके अलावा भी कई अन्य विकास कार्य हो रहे है।
हिमाचल प्रदेश की सियासत में कुछ ऐसे युवा चेहरे है जो सत्ता के गलियारों में अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज करवाने में कामयाब रहे है। धर्मशाला के वर्तमान विधायक विशाल नैहरिया भी उन नामों में शुमार है जो छात्र राजनीति से शुरुआत कर सदन में अपनी क्षेत्र की बुलंद आवाज बने है। धर्मशाला में प्रस्तावित सेंट्रल यूनिवर्सिटी, धर्मशाला क्षेत्र के विकास सहित कई मुद्दों पर फर्स्ट वर्डिक्ट ने विशाल नैहरिया से विशेष बातचीत की। पेश है बातचीत के मुख्य अंश सवाल : छात्र राजनीति से आपने करियर की शुरुआत की और वर्तमान में आप विधायक है। आपसे जानना चाहेंगे कि धर्मशाला में विशेषकर युवाओं के लिए आपने क्या कार्य किये है ? जवाब - मैं जब कॉलेज में था तब से ही छात्र संगठन के साथ जुड़ा था और हमने उस दौरान छात्र हित के मुद्दों पर लड़ाई लड़ी और छात्र हित से जुड़ी जो भी समस्याएं होती थी, उसका भी समाधान किया। विधायक बनने के बाद जिम्मेदारियां बढ़ी और जनता की उम्मीदें भी मुझसे जुड़ी और जाहिर है युवाओं व छात्रों को मुझसे अधिक उम्मीदें रही। छात्रों को लेकर हमने खास प्रारूप तैयार किया था और उस पर कार्य भी किया। आज आप देखेंगे धर्मशाला विस क्षेत्र में 10 ऐसे स्कूल है जहाँ हमने स्मार्ट क्लास रूम तैयार किये। इसके अलावा कुछ स्कूलों में खेल गतिविधियों को शुरू करने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया। बॉयज स्कूल में हम करीबन 3 करोड़ की लागत से स्पोर्ट्स इक्यूपमेंट स्थापित करने वाले है। इसके अलावा बैडमिंटन कोर्ट सहित अन्य सभी सुविधाएं यहां प्रदान की जाएगी। धर्मशाला में ही बीएड कॉलेज में भी ग्राउंड तैयार करने का हम प्लान कर रहे है। वहीं प्रयास किया जा रहा है कि सरकार की तरफ से छात्रों के लिए हम ऐसे स्पोर्ट्स इवेंट ऑर्गनाइज करें जिससे छात्रों को खेल प्रतिभा दिखाने के लिए मंच मिल सके। इसके अलावा प्रदेश सरकार द्वारा प्रत्येक जिले में हम खेल महाकुंभ का आयोजन करने जा रहे है जिसमें 15 से 35 वर्ष के युवा साथी इसमें भाग ले सकेंगे। प्रदेश सरकार शिक्षा में गुणवत्ता लाने और सृदृढकरण के लिए लगातार प्रयास कर रही है। धर्मशाला में हमने 2020 में अटल आदर्श विद्यालय सैंक्शन करवाया है जिसकी भूमि शिक्षा विभाग के नाम स्थानांतरित कर दी गयी है, बहुत जल्द इसका शिलान्यास भी किया जाएगा। आपको ज्ञात होगा कि धर्मशाला में फ़ूड एंड क्राफ्ट इंस्टिट्यूट हुआ करता था जिसे अब प्रमोट करके इंस्टिट्यूट ऑफ होटल मैनेजमेंट कर दिया गया है। अब यहां पर भी छात्र होटल मैनेजमेंट का कोर्स कर सकेंगे। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के अंतर्गत विभिन्न योजनाओं से लोग लाभान्वित हो रहे है। इसके अलावा छात्रों को रोजगार मिल सके और स्वरोजगार की तरफ बढ़े, इस कड़ी में भी हम लगातार कार्य कर रहे है। आने वाले समय में हम धर्मशाला को इंटरनेशनल डेस्टिनेशन ऑफ़ टूरिज्म और इंटरनेशनल डेस्टिनेशन ऑफ़ एजुकेशन के तौर पर विकसित करने के लिए निरंतर प्रयत्न कर रहे है। सवाल : सेंट्रल यूनिवर्सिटी कहाँ बनेगी, इसको लेकर अभी भी संशय बरकरार है। कब तक इस यूनिवर्सिटी के बनने की संभावना है? जवाब - सेंट्रल यूनिवर्सिटी कैंपस के लिए प्रोजेक्ट प्रस्तावित है और निसंदेह यह यूनिवर्सिटी धर्मशाला में ही बनेगी और चयनित जमीन पर ही निर्माण होगा। देखिये लगभग 11 वर्षो से यह प्रोजेक्ट लटका हुआ था और मैंने विधायक बनने के बाद संबंधित विभागों के साथ बात की और पूरा अध्यन किया। सभी पुराने दस्तावेज निकाले उसपर काम किया और क्यों यह प्रोजेक्ट इतने वर्ष लंबित रहा इसको भी जानने का प्रयत्न किया। देखिये मेरे विधायक बनने से पहले धर्मशाला में चोला गांव में जगह चयनित की गई थी, जो जियोलाजिकल सर्वे में फेल हो गई। इसके बाद जगरागल में भी भूमि का चयन किया गया था और यह भी जियोलाजिकल सर्वे में सफल नहीं रही । मेरे विधायक बनने के बाद जब मैंने विभाग के अधिकारियों से बात की तो पूरे मामले का निरीक्षण करके माननीय मुख्यमंत्री जी से निवेदन किया कि जियोलाजिकल सर्वे को रिव्यु करवाइये। हमने जियोलाजिकल सर्वे को रिव्यु करवाया और रिव्यू की जो रिपोर्ट थी उसमें बताया गया कि प्रस्तावित केंद्रीय विवि धर्मशाला का निर्माण कार्य किया जा सकता है। लगभग 25 हेक्टेयर भूमि केंद्रीय विश्वविद्यालय के नाम स्थानांतरित कर दी गयी है। इसके अलावा जो 75 हेक्टेयर भूमि है वो फारेस्ट डिपार्टमेंट की है वहां से भी जियोलाजिकल सर्वे के माध्यम से हमने विभिन्न सैंपल लिए और डिटेल्ड रिपोर्ट के लिए आगे भेजे हैं। एक महीने के भीतर हमने रिपोर्ट मांगी है। केंद्रीय विवि प्रशासन से भी इस बाबत बात हुई है, जैसे ही केस अपलोड होता है, टेंडर सहित सारी प्रक्रिया पूर्ण होती है, सेंट्रल यूनिवर्सिटी का कार्य शुरू किया जायेगा। मैं यह भी कहना चाहूंगा कि मेरे विधायक बनने से पहले जो भी त्रुटियां हुई उसका मैं जिम्मेवार नहीं हूँ, लेकिन धर्मशाला के विकास के लिए मैं हर संभव प्रयास करूंगा और जल्द ही सेंट्रल यूनिवर्सिटी बनकर तैयार होगी। सवाल : कुछ दिन पहले बॉयज स्कूल प्रबंधन ने दरखास्त की थी कि स्कूल का जो हिस्सा सेंट्रल यूनिवर्सिटी के अंदर आ गया है उसे वापिस स्कूल को दिया जाये। इसके अलावा लाइब्रेरी, स्मार्ट क्लास सहित अन्य मांगे की गयी थी, इन सभी मुद्दों को लेकर आपका क्या पक्ष है ? जवाब : बॉयज स्कूल का जो कैंपस सेंट्रल यूनिवर्सिटी के लिए दिया जा रहा है, उसके लिए हमारी आज भी यह कोशिश है कि वो जल्द स्कूल को वापस मिले। अभी केंद्रीय विवि का स्थाई कैंपस नहीं बना है, इसलिए अभी ये सम्भव नहीं है। केंद्रीय विवि प्रशासन ने मांग की थी कि बॉयज स्कूल का जो पुराना हिस्सा है उसे दिया जाए, इसको लेकर उच्च शिक्षा विभाग ने निरीक्षण किया था। मैं स्पष्ट करना चाहता हूँ कि स्कूल का जो हिस्सा अभी दिया गया है वो अस्थायी तौर पर दिया है, इसका प्रयोग तब तक किया जायेगा जब तक स्थाई भवन का निर्माण नहीं हो जाता। इसके अलावा लाइब्रेरी, स्मार्ट क्लास रूम जैसे मुद्दों के लिए हम कार्य कर रहे है और जल्द ही धर्मशाला में स्मार्ट क्लास नहीं स्मार्ट स्कूल भी बनाया जायेगा। सवाल : नगर निगम में पर्याप्त मात्रा में स्टाफ नहीं है, जिससे कार्य करवाने में भी कई दिक्क़ते पेश आती है। इसको लेकर पार्षद और अधिकारी भी लगातार इस मुद्दे को उठाते रहे है, क्या कहना चाहेंगे? जवाब - देखिये कुछ चीज़े काफी समय से चलती आ रही है और आप देखिये 2016 में नगर परिषद को नगर निगम बनाया गया था। उस दौरान काफी कमियां थी उसके ऊपर कोई ध्यान नहीं दिया गया। नगर परिषद का जो हिस्सा था उससे तीन गुणा नगर निगम के अंदर ले लिया लेकिन स्टाफ की संख्या को नहीं बढ़ाया गया। मैं इस बात से सहमत हूँ कि स्टाफ की कमी है, लेकिन आप देखिये हिमाचल प्रदेश में तीन और नए नगर निगम बनाये गए है। हमने माननीय मुख्यमंत्री से निवेदन किया है कि यहाँ पर कारपोरेशन एक्ट के तहत सुचारु व्यवस्था दी जाए ताकि हम आवश्यकतानुसार स्टाफ तैनात कर सके। हमने वैसे डेपुटेशन और आउटसोर्स के माध्यम से पद निकाले है, जल्द ही ऐसा प्रावधान करेंगे की परमानेंट स्टाफ यहाँ तैनात हो जिससे लोगो को कोई भी समस्या पेश न आये। सवाल : पिछले वर्ष 27 नवम्बर को पीएम मोदी सरकार के चार साल पूर्ण होने के उपलक्ष में मंडी पहुंचे थे, उसी दिन कांग्रेस ने काला दिवस मनाया था और कांग्रेस ने सरकार के चार साल को विफल करार दिया था। क्या कहना चाहेंगे? जवाब - कांग्रेस उन चीजों पर बात कर रही है जिसके ऊपर खुद उन्होंने काम नहीं किया। 60 साल से ज्यादा कांग्रेस ने देश पर राज़ किया है और अपनी सरकार रहते जनहित के लिए कोई कार्य नहीं कर पाई। इन्होंने सिर्फ अपनी जेबे भरी। अराजकता और गुंडागर्दी का माहौल देशभर में पैदा किया और इसी कारण देश की जनता ने संकल्प लिया और 2014 में कांग्रेस को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखाया। 2017 से हिमाचल में भी कांग्रेस सत्ता से बाहर है और यदि इन्होंने जनता के लिए कुछ काम किया होता तो प्रदेश की जनता इनको स्वीकार करती। सवाल : उपचुनाव में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा, एक उम्मीदवार की तो जमानत जब्त हुई। इसके पीछे क्या कारण मानते है, कहाँ कमी रही? जवाब- हमने हार को स्वीकार किया है और हार जीत का एक कारण नहीं होता। हार के मंथन के लिए पार्टी ने बैठक की और हार के कारणों को आज भी हर पहलुओं से निरीक्षण किया जा रहा है। आप देखिए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के नेतृत्व में प्रदेश का हर वर्ग योजनाओं से लाभान्वित हो रहा है, हर दुर्गम क्षेत्र में सभी मूलभूत सुविधाएं सुनिश्चित की जा रही है। मुझे पूर्ण विश्वास है कि 2022 में फिर एक बार भाजपा की सरकार बनेगी और कांग्रेस का भ्रम और अहंकार दोनों टूटेंगे।
एक तरफ जहां जयराम सरकार एक के बाद एक कई कर्मचारी वर्गों की मांगें पूरी कर उन्हें खुश कर रही है, वहीं कई कर्मचारी ऐसे भी है जिनका संघर्ष अब भी जारी है। 20 सालों तक लगातार संघर्ष करने के बावजूद आज भी कंप्यूटर शिक्षकों की मांगें पूरी नहीं हो पाई है। पिछले करीब दो दशक से कम्प्यूटर अध्यापक राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक स्कूलों में शिक्षा देने का कार्य कर रहे हैं, लेकिन इनका कहना है कि अब तक किसी भी सरकार ने कम्प्यूटर अध्यापकों के लिए नीति नहीं बनाई है। आखिर क्या है कंप्यूटर शिक्षकों कि मांगें ये जानने के लिए हमने हिमाचल प्रदेश कंप्यूटर टीचर्स एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष राजेश शर्मा से बात की, पेश है उनसे बातचीत के कुछ मुख्य अंश.... सवाल : अपने संगठन के बारे में थोड़ी जानकारी हमें दें और इस संघ से कितने कर्मचारी जुड़े है ये भी स्पष्ट करें ? जवाब : हमारे संगठन का नाम हिमाचल प्रदेश कंप्यूटर टीचर्स एसोसिएशन है और इस संगठन के 12 जिलों में 12 अध्यक्ष है, जिनकी अपनी जिला कार्यकारिणी है। इस संगठन के 16 स्टेट बॉडी मेंबर्स भी है और इसमें सदस्यों की संख्या 1364 है। इस संगठन का गठन प्रदेश के स्कूलों में कार्यरत कंप्यूटर शिक्षकों को न्याय दिलाने के लिए किया गया था। मैं आपको बता दूँ की ये शिक्षक सेल्फ फाइनेंस मोड से कार्य कर रहे है। बच्चों से जो आईटी फीस ली जाती है वो एजुकेशन डिपार्टमेंट को जाती है। यहां से 12 लाख एडमिन चार्ज के नाम पर डिपार्टमेंट हर महीने नाइलेट को दे रहा है। हमें हैरानी है कि सरकार को शिक्षकों की नहीं बल्कि नाइलेट की फ़िक्र है। हम पढ़े लिखे शिक्षक है। भारत की टॉप मोस्ट आईटी कंपनी ने कई बार हमारे इंटरव्यू लिए है, परन्तु फिर भी हमारे साथ अन्याय हो रहा है। सवाल : आपके संघ की मुख्य मांग क्या है ? जवाब : हमारी मुख्य मांग है कि सरकार कंप्यूटर शिक्षकों को भी शिक्षा विभाग में मर्ज करें। हम भर्ती के सभी नियमों को पूरा करते है। 1998 में पूर्व भाजपा सरकार के सीएम प्रेम कुमार धूमल द्वारा शुरुआती दौर में सेल्फ फाइनेंसिंग प्रोजेक्ट के तहत 250 स्कूलों में कंप्यूटर टीचरों को तैनात किया गया था। उसके बाद 2001 में सरकार द्वारा 900 स्कूलों में आईटी शिक्षा आरंभ की गई और कंप्यूटर टीचरों को नाइलेट कंपनी के अधीन कर दिया गया था। वर्ष 2010 में कंप्यूटर टीचरों को आउटसोर्स नाम दिया गया। जो पैट, पीटीए व विद्या उपासक टीचर 2006 के बाद नियुक्त किए गए थे उन्हें सरकार ने नीति बनाकर रेगुलर कर दिया, परंतु कंप्यूटर टीचरों के बारे आजतक किसी भी सरकार ने नहीं सोचा। एक ओर सरकार आईटी शिक्षा को बढ़ावा देने पर जोर दे रही है वहीं पर कंप्यूटर टीचरों का बीते दो दशकों से शोषण हो रहा है। महंगाई के दौर में कम्प्यूटर टीचर मात्र 12870 रुपए मासिक वेतन पर कार्य कर रहे है। चालू वित्त वर्ष के बजट में केवल 500 रुपए बढ़ाए गए हैं। हमारी मांग बस इतनी सी है की हमें जल्द रेगुलर किया जाए। सवाल : आपको क्या लगता है,अब तक सरकार आपकी मांग क्यों पूरी नहीं कर पाई है ? जवाब : देखिये प्रदेश के सरकारी स्कूलों में कार्य कर रहे कम्प्यूटर टीचर बीते 21 वर्षों से नियमितिकरण के लिए तरस रहे हैं। आज तक इस वर्ग के अध्यापकों को नियमित करने के लिए सरकार द्वारा कोई भी नीति नहीं बनाई गई है। जबकि प्रदेश सरकार द्वारा पैट, पीटीए, विद्या उपासक अध्यापकों, जलवाहक, दैनिक भोगी मजदूर सहित अनेक श्रेणियों के अस्थायी कर्मचारियों को नियमित किया गया है। सिर्फ हमारी ही अनदेखी हो रही है। मुझे नहीं मालूम कि सरकार ऐसा क्यों कर रही है, बस मैं इतना कहना चाहूंगा कि सरकार व्यर्थ में नाइलेट को एक साल का विस्तार दे रही है। नाइलेट कंपनी की भूमिका संदेह के घेरे में है। सरकार नाइलेट कम्पनी को सिर्फ सैलरी बाँटने के 12 लाख ले दे रही है। ये सब समझ से परे है। सरकार हमारा कोर्ट केस सुलझाने के लिए भी कुछ नहीं कर रही है। सवाल: अगर अब भी सरकार आपकी मांगें पूरी नहीं करती है, तो आगामी रणनीति क्या होगी ? जवाब : मैं बता दूँ कि सभी कंप्यूटर शिक्षक आर एंड पी नियमों का अनुसरण करते हैं। इनमें से 90 प्रतिशत कम्प्यूटर शिक्षक 45 वर्ष की आयु पार कर चुके हैं। जब उक्त कम्प्यूटर शिक्षक नौकरी पर लगे थे तो उनका वेतन मात्र 2400 रुपए था और 20 सालों के बाद 13000 तक पहुंचा है। अब भी प्रदेश सरकार वेतन बढ़ाने तक ही पहुंची है। कम्प्यूटर शिक्षक इतने कम वेतन पर बच्चों की पढ़ाई के साथ परिवार का भरण पोषण भी नहीं कर पा रहे हैं तथा अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं। अगर अब भी सरकार हमारी मांगें पूरी नहीं करते है तो हम सब शिमला आकर बैठक करेंगे। हैरानी है कि सरकार हम जैसे शिक्षकों को सड़को पर देखना चाहती है, और हम भी अब मजबूर है। सवाल : कंप्यूटर शिक्षकों की एक स्कूल में क्या भूमिका है ? जवाब : स्कूलों मे 9वीं से 12वीं तक के बच्चों को आईटी पढ़ाने के अलावा और स्कूल का सभी ऑनलाइन काम कंप्यूटर शिक्षक करते है, स्कॉलरशिप फॉर्म्स भरना, पे बनाना, सरकारी डाक बनाना इत्यादि। इसके अलावा अन्य टेक्नोलॉजी से जुड़े सभी कार्य भी हम ही करते है। सवाल : क्या प्रदेश के बड़े कर्मचारी संगठन आपके इस संघर्ष में आपका साथ दे रहे है ? जवाब : जी हाँ बिलकुल खुद सीएम साहब के करीबी और हिमाचल प्रदेश स्कूल प्रवक्ता संघ के अध्यक्ष केसर सिंह जी हमारे साथ है। अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ ने भी हमारी मांग का समर्थन किया है। हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ के अध्यक्ष वीरेंद्र जी ने भी बार-बार हमारी मांग उठाई है। सवाल : हिमाचल प्रदेश में कर्मचारी नेताओं को लेकर ये धारणा बनी हुई है कि कर्मचारी नेता कर्मचारियों की मांग उठाने से ज्यादा अपनी राजनीति चमकाने में विश्वास रखते है, क्या आपके इरादे भी कुछ ऐसे ही है ? क्या आप आने वाले समय में किसी राजनैतिक दल में शामिल होंगे ? जवाब : प्रदेश के कुछ कर्मचारी नेता अपनी राजनीति चमकाने के लिए सैकड़ो की भीड़ का इस्तेमाल करते है और पैसा उगाई कर अपना फंड जमा किया जाता है ,जबकि मांग पूरी नहीं होती। असल में ऐसे लोग नहीं चाहते कि सरकारे उनकी उठाई मांग पूरा करे या कोई दूसरा मंच ऐसे कमजोर कर्मचारी वर्ग को मिले, क्यूंकि फिर उनके फण्ड खाली हो जाएंगे। मेरी ऐसी कोई मंशा नहीं है। हम अपनी मांग पूरी करवाना चाहते है और कुछ नहीं।
"सरकार से न तो प्रदेश की आम जनता खुश है, न कर्मचारी और न कोई और.नवउदारवाद की नीतियों के चलते हुए कभी भी विकास नहीं होगा, बस कागज़ों में एमओयू साइन करती रही सरकार, कर्ज मंत्री की 35 लाख की गाड़ी खरीदने के लिए ले रहे है, तो वो गलत" प्रदेश में सीपीआईएम के एकलौते विधायक राकेश सिंघा की पहचान ऐसे नेता के तौर पर होती है जो सही को सही और गलत को गलत कहने में यकीन रखते है।अकसर सिंघा अपने बयानों को लेकर चर्चा में रहते है और जरुरत पड़ने पर अकेले धरने पर बैठने से भी गुरेज नहीं करते। वहीँ कई मौकों पर पुरे विपक्ष से इतर सरकार के साथ भी दिखते है। प्रदेश की जयराम सरकार के चार साल पूरे हो चुके है। सरकार बेतहाशा विकास के दावे कर रही है और विपक्ष सारे दावों को नकार रहा है। जयराम सरकार के चार साल के कामकाज को लेकर फर्स्ट वर्डिक्ट ने राकेश सिंघा से विशेष बातचीत की। पेश है उनसे बातचीत के कुछ मुख्य अंश... सवाल : वर्तमान सरकार अपने कार्यकाल के 4 साल पूरे का चुकी है, इन चार सालों को आप किस तरह आंकते है ? जवाब : इस सरकार के चार साल के आंकलन के लिए चार-पांच बिंदुओं को ध्यान में रखना महत्वपूर्ण है। पहले इस बात को ध्यान में रखना ज़रूरी है कि इस सरकार ने ऐसे क्या कदम उठाए है जिससे लोगों की खरीद की शक्ति बढ़ी हो। प्रदेश इच्छाओं से आगे नहीं बढ़ता। प्रदेश उन कार्यक्रमों से आगे बढ़ता है जिनसे आवाम की खरीद की शक्ति बढ़े, उनकी आर्थिक स्थिति बेहतर हो। हम ये मानते है कि कोरोना ने भी इस सरकार के कार्यकाल में काफी चीज़ें प्रभावित की है, परन्तु उसके बावजूद सरकार के पास बहुत समय था। फिर भी ये सरकार प्रदेश की जनता की आर्थिक स्थिति बेहतर करने के लिए कुछ नहीं कर पाई। हिमाचल प्रदेश में अधिकतर संख्या किसानों बागवानों की है। ये सरकार उनको आगे ले जाने के लिए कुछ नहीं कर पाई। सरकार ने किसानों बागवानों की कोई सहायता नहीं की। खेती को आगे बढ़ाने के लिए जो संसाधन, जो सब्सिडी और राहतें दी जानी चाहिए थी, वो ये सरकार नहीं दे पाई। कुछ नया देने की बजाए ये सरकार एक-एक करके सब्सिडी को खत्म करती जा रही है। अभी हाल ही में विधानसभा के शीत सत्र में जो आकड़े पेश किये गए है उनके अनुसार 2013 से ठियोग के ढाई हज़ार लोगों को अनुदान की राशि जो 18 करोड़ रूपए बनता है, वो ये सरकार नहीं दे पाई है। दूसरी बात प्राकृतिक आपदाओं में सरकार द्वारा दी गई सहायताओं को देख लीजिये। हिमाचल एक ऐसा क्षेत्र है जहां बहुत सी प्राकृतिक आपदाएं आ सकती है। ये सरकार उनके लिए कभी तैयार नहीं रहती। महंगाई को ये सरकार नियंत्रित नहीं कर पाई। पिछले चार वर्षों में पेट्रोल डीज़ल के दाम कितने बढ़ गए है। इंसान तो इंसान ये सरकार तो जानवरों के लिए भी कुछ नहीं कर पाई। ये सरकार पूरी तरह से फेल रही है। इस सरकार से न तो प्रदेश की आम जनता खुश है, न कर्मचारी खुश है और न कोई और। अब इतनी नाराज़गी से आप अंदाजा लगा सकते है कि इस सरकार ने पिछले चार सालों में क्या किया है। सवाल : आप सरकार को फेल बता रहे है पर सरकार दावा करती है कि ये डबल इंजन की सरकार है और प्रदेश में अथाह विकास हुआ है, तो इस पर आप क्या कहेंगे ? जवाब : विकास को हम विकास तब मानते अगर ये सरकार प्रदेश की जनता की जेब में धन ला पाती। चंद लोगों का विकास करने से प्रदेश का विकास नहीं होता है। हमने भाकड़ा बनाया, हमने पोंग बनाया, हम अब हवाई अड्डे बना रहे है। इस विकास में ज़मीने किसकी गई। गरीब जनता की। आज तक पोंग डैम के विस्थापित लोगों को ये सरकार दोबारा स्थापित नहीं करवा पाई। लोगों की ज़मीने लेकर बड़ी इमारते खड़ी करना विकास नहीं होता। मैं नहीं मानता कि इस तथाकथित डबल इंजन की सरकार ने कुछ ढंग का किया है। मैं व्यक्तिगत तौर पर किसी के खिलाफ नहीं हूँ। मैं कभी किसी इशू को किसी व्यक्ति से जोड़ कर नहीं देखता। मैं वीरभद्र जी या जयराम के बारे में कुछ नहीं बोल रहा हूँ। मैं पूरे सिस्टम की बात कर रहा हूँ। इस सरकार ने भले ही सामाजिक तौर पर पिछली सरकार से कुछ बेहतर करने की कोशिश की हो, मगर मैं बता दूँ कि नवउदारवाद की नीतियों के चलते हुए कभी भी विकास नहीं होगा। अमीर, अमीर होता जाएगा और गरीब और भी गरीब हो जाएगा। प्रदेश के कर्मचारियों को ये पुरानी पेंशन नहीं दे पा रहे। लोगों को आउटसोर्सिंग पर भर्ती करके ये बेवकूफ बना रहे है। ये विकास नहीं होता। सवाल : सरकार आकड़ों पर विकास का आंकलन करती है, वो कहते है की अब तक करोड़ों के विकास कार्य हुए है, करोड़ों के शिलान्यास और उद्धघाटन हुए है। इन आकड़ों को आप कैसे अनदेखा करेंगे ? जवाब : कौन से आकड़े ? मेरे इलाके में लोगों के पास पीने को पानी नहीं है। पीने का पानी उपलब्ध होना लोगों का मौलिक अधिकार है। ये सरकार आकड़ों का जाल बुनकर लोगों की मानसिकता बदलने की कोशिश करती है। मगर मैं बता दूँ कि आज के समय में लोग पढ़े लिखे है, उन्हें भ्रमित नहीं किया जा सकता। अगर इनके शिलान्यासों के आकड़े है, तो प्रदेश पर कर्ज़े के भी आकड़े है, जो छुपाए नहीं छुपेंगे। गिरती अर्थव्यवस्था के आकड़े है, बढ़ती महंगाई और बढ़ती गरीबी के भी आकड़े है। ये जितनी मर्ज़ी कोशिश करले, कोई भ्रम पैदा नहीं कर पाएंगे। कोरोना के दौरान जो लोग बेरोज़गार हुए उनको ये सरकार रोज़गार नहीं दे पा रही। उद्योग चल नहीं रहे, नए उद्योग प्रदेश में आ नहीं रहे, तो रोज़गार कहाँ से मिलेगा। बस कागज़ों में एमओयू साइन करते रहते है। ये लोग प्रदेश की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ने की बजाए उसे पीछे घसीट रहे है। सवाल : प्रदेश पर जो कर्ज लगातार बढ़ता जा रहा है, उसे आप प्रदेश के भविष्य के लिए कितना घातक मानते है ? जवाब : देखिये मैं समझता हूँ कि हिमाचल प्रदेश में जिस मर्ज़ी की सरकार चले, अगर हम प्रदेश की अर्थव्यवस्था को बड़े पैमाने पर तब्दील करने की क्षमता नहीं रखते तो ऐसी परिस्थितियां समय समय पर पैदा होती रहेगी। जब हिमाचल प्रदेश का निर्माण हुआ तो ये स्पष्ट था कि बतौर राज्य शायद ये प्रदेश खुद अपनी आर्थिकी चला पाने में सक्षम न हो, इसलिए तय किया गया था की केंद्र सरकार इस प्रदेश की सहायता करेगी। मगर अब इस वाक्य को दरकिनार कर दिया गया है। हमारे जंगलों की आय लाखों करोड़ रूपए है जिसका लाभ हमें नहीं मिलता। भाकड़ा में जो हमें हिस्सा मिलना चाहिए था वो भी अब तक हमको नहीं मिल पाया है। सरकार को नए तौर तरीकें इख्तियार करने की ज़रूरत है, जिससे कि प्रदेश की अर्थव्यवस्था में सुधार लाया जा सकता है और जब तक वो नहीं हो पाता तब तक क़र्ज़ लेना ज़रूरी है, चाहे वो किसी को अच्छा लगे या बुरा लगे। परन्तु यदि आप कर्ज मंत्री की 35 लाख की गाड़ी खरीदने के लिए ले रहे है, तो वो गलत है। अगर आप आशा वर्कर का वेतन बढ़ाने के लिए क़र्ज़ ले रहे है, या कोई नया प्रोजेक्ट शुरू करने के लिए कर्ज ले रहे है जिससे प्रदेश की स्थिति सुधरेगी तो वो जायज़ है। बेफिज़ूल क़र्ज़ लेना गलत है और वो हमेशा गलत ही रहेगा। कर्ज लेकर अगर कुछ प्रोडक्टिव काम करोगे तो प्रदेश आगे बढ़ेगा, अगर अपनी आराम के लिए उसे खर्च करोगे तो और डूबोगे। सवाल : आपके विधानसभा क्षेत्र की अगर बात करें तो अब तक वहां कितना विकास हो पाया है ? जवाब : देखिये सिर्फ मेरे विधानसभा क्षेत्र नहीं बल्कि ये सरकार कुछ इलाकों को छोड़ कर पूरे हिमाचल प्रदेश को अनदेखा कर रही है। बस किसी को ज्यादा अनदेखा किया है किसी को कम। परंतु संविधान इसकी इजाज़त नहीं देता। प्रदेश के हर क्षेत्र का एक समान विकास होना चाहिए। मगर प्रदेश में संविधान की उल्लंघना की जा रही है और ये सरकार एक समान विकास नहीं कर रही। मेरे क्षेत्र की अनदेखी होती है, इसलिए मैं धरने पर बैठा रहता हूँ। मैं चाहूंगा कि ये सरकार लोगों को ठगना बंद करें। मैं बता दूँ कि ये भेदभाव की नीति सरकार की मुश्किलें बढ़ाने वाली हैं।
महंगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए स्थाई नीति, करुणामूलक आधार पर नौकरी की मांग रहे लोगों की नियुक्तियों समेत कई मांगों को लेकर हिमाचल यूथ कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने धर्मशाला में एक विशाल रैली निकाली। इस दौरान उन्होंने तपोवन में चल रहे शीतकालीन सत्र के तहत विधानसभा में सरकार का घेराव करने के लिए विधानसभा की ओर कूच किया। जोश से भरे युवा कांग्रेस के कार्यकर्ताओं और पुलिस के बीच झड़प हुई जिसमें युवा कांग्रेस के कई कार्यकर्ता घायल हुए जिसे कांग्रेस खूब भुनाने में लगी है। इस झड़प के बाद से कांग्रेस सरकार पर जनता की आवाज दबाने की कोशिश करने के आरोप लगा रही है और जाँच की मांग भी की जा रही है। क्या है पूरा मसला और क्या चाहते है युवा कांग्रेस के कार्यकर्त्ता इसको लेकर फर्स्ट वर्डिक्ट मीडिया ने युवा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष निगम भंडारी से ख़ास बातचीत की। पेश है बातचीत के कुछ मुख्य अंश..... सवाल : प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र के अंतिम दिन युवा कांग्रेस ने विधानसभा का घेराव किया आपसे जानना चाहेंगे कि क्या वजह रही कि युवा कांग्रेस को सड़क पर उतरना पड़ा ? जवाब : वजह तो कई है पर इस सरकार को एक भी दिखाई नहीं देती। भाजपा सरकार के इस कार्यकाल में जनता त्रस्त है और सरकार मस्त। सरकार प्रदेश में बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी से निपटने में पूरी तरह असफल साबित हो रही है। सरकार की न तो कोई दिशा है और न ही कोई दशा। सरकारी खजाना खाली पड़ा है और सरकार चुनावों के मद्देनजर लोगों को हवा हवाई सपने दिखा रही है। घोषणाओं पर घोषणाएं की जा रही है मगर अब तक पिछले वादे भी पूरे नहीं हुए है। यही कारण रहा युवा कांग्रेस के हजारों कार्यकर्ता विधानसभा के बाहर इकट्ठा हुए ताकि सरकार को उन अधूरे वादों की याद दिलाई जा सके जिन्हें भुना कर इस सरकार ने वोट इक्कठे किये थे। आप ही देख लीजिये हिमाचल प्रदेश में अनगिनत बेरोजगार है और हिमाचल प्रदेश की जनता महंगाई से त्रस्त है। सरकार ने प्रदेश के किसानों से वादा किया था कि उन्हें उनकी फसलों के उचित दाम मिलेंगे जो अब तक अधूरा है, बागवान सरकार से परेशान हैं। कर्मचारियों को राहत पहुंचाने में सरकार असफल रही है। पुलिस कर्मचारियों की मांगों को दरकिनार कर दिया गया है। एक तरफ जहां सरकार ने अनुबंध काल को घटाकर 3 वर्ष से 2 वर्ष कर दिया वहीं पुलिस कॉन्स्टेबल का जो मुद्दा है उस पर सरकार कोई निर्णय नहीं ले पाई है और ना ही आगे लेने के बारे में कुछ सोच रही है। वो पुलिस कांस्टेबल जो कोविड काल के दौरान भी अपनी सेवाएं देते रहे मगर सरकार को उनके प्रति भी कोई सहानुभूति नहीं है। पुलिस कॉन्स्टेबल खुद आंदोलन नहीं कर सकते इसीलिए उनके परिवारजनों ने आंदोलन किया, परन्तु उन पर भी सरकार ने एफआईआर कर दी जो कि बिल्कुल गलत है। पुलिस कांस्टेबल के परिवारों पर सरकार द्वारा झूठे मुकदमे किए गए। सरकार भले ही अपने वादे भूल गई हो लेकिन हमें सब कुछ याद है। प्रदेश की जनता को सब कुछ याद है। जो जिम्मेदारी राष्ट्रीय कांग्रेस ने युवा कांग्रेस हिमाचल प्रदेश को सौंपी है उसका निर्वहन करते हुए यह हमारी जिम्मेदारी बनती है कि प्रदेश की जनता की आवाज हम समय-समय पर सरकार तक पहुंचाते रहे। इसीलिए युवा कांग्रेस के तमाम कार्यकर्ताओं ने यह निर्णय लिया कि इस बार हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में होने वाले विधानसभा के शीतकालीन सत्र का घेराव कर कर सरकार को यह याद दिलाया जाए कि उनके कई वादे अब भी अधूरे है । सवाल : युवा कांग्रेस के कार्यकर्ताओं का आरोप है कि उनके साथ मारपीट हुई क्या ये सत्य है ? जवाब :14 दिसंबर 2021 को जो विधानसभा का घेराव युवा कांग्रेस ने किया उसमें सरकार के इशारों पर युवा कांग्रेस के कार्यकर्ताओं पर अत्याचार हुआ। कार्यकर्ताओं के साथ धक्कामुक्की हुई, उनको घसीट कर ले जाया गया जिसका वीडियो भी सामने है। इतना ही नहीं सरकार ने हमारे कई साथियों पर विभिन्न धाराएं भी लगाई है उन पर केस भी दर्ज किये। इसके बाद भी इनको तस्सली नहीं हुई और सरकार ने नई बात ये कही है कि युवा कांग्रेस ने पुलिस कर्मचारियों पर हमला किया जिसमे एक पुलिस कांस्टेबल भी जख्मी हुई है। मैं बता दूँ कि ऐसा कुछ भी नहीं था। हमें पता है कि हमारी लिमिटेशंस कितनी है और यह आरोप कि किसी लेडी पुलिस कर्मी की बाजू कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने तोड़ी यह आरोप निराधार है। परन्तु इस प्रकार की धाराएं लगा कर सरकार युवाओं का मनोबल तोड़ने की कोशिश कर रही है। मैं सरकार को ये चेतावनी देना चाहता हूँ कि हम कांग्रेस पार्टी के सिपाही है। हम राहुल गाँधी के सिपाही है उनकी विचारधाराओं से जुड़े है और निरंतर युवाओं की आवाज को उठाते रहेंगे और जन विरोधी नीतियों का खुलकर विरोध भी करेंगे। सवाल : वन मंत्री राकेश पठानिया का कहना है कि युवा कांग्रेस का ये प्रदर्शन पूरी तरह से फ्लॉप शो रहा, आपका इसपर क्या कहना है? जवाब : देखिये यही तो इस सरकार की सबसे बड़ी खामी है, इन्हें असल मुद्दा दिखता ही नहीं है। वन मंत्री राकेश पठानिया ने ये जो टीका टिप्पणी की है उसका कोई आधार नहीं है। वन मंत्री ने कहा कि युवा कांग्रेस के पास हज़ार युवा भी नहीं है। मैं वन मंत्री जी को बताना चाहूंगा कि वो महज़ चार युवा थे या हज़ारों, ये प्रदेश की जनता बखूबी जानती है। हज़ारों की तादाद में दाढ़ी मैदान से पदयात्रा कर 5 किलोमीटर चल कर युवा वहां पहुंचे थे। युवाओं का आक्रोश सरकार ने आँखे खोल कर देखा। परन्तु वन मंत्री अभी भी आप संख्या में फंसे हुए है। हमारी संख्या जानने के बजाए अगर वो काम करते तो आज भाजपा डबल इंजन होने के बावजूद 4-0 से न हारती। ये 4-० भाजपा सरकार के गाल पर जनता की ओर से करारा तमाचा है जिससे उन्हें सीख लेनी चाहिए। जनता ने उन्हें चुन कर भेजा है, उनकी समस्याओं को हल करने के लिए इस सरकार को काम करना चाहिए। अभी भी उनका ध्यान इसी बात पर रहता है कि कांग्रेस किस मुद्दे को उठा रही है, उनको कैसे भ्रमित किया जाए। कांग्रेस लगातार आम जन मानस की आवाज़ को उठा रही है, उससे पब्लिक का ध्यान कैसे भटकाया जाए। खैर, युवा कांग्रेस का घेराव किस हद तक प्रभावी रहा इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रदेश के मंत्री को युवा कांग्रेस के घेराव पर टिप्पणी करनी पड़ रही है । सवाल : हाल ही में हुए चार उपचुनावों में युवा कांग्रेस की एक अहम भूमिका देखने को मिली है, अब आगामी शिमला नगर निगम को लेकर आपकी क्या रणनीति है और 2022 की तैयारी कब शुरू करेंगे ? जवाब : प्रदेश में उपचुनावों से पहले जो चार नगर निगम चुनाव थे उनमे चार में से दो में कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी। वहां पर भी सभी ने देखा था कि युवा कांग्रेस कि टीम किस तरह ग्राउंड लेवल पर काम करती है। सरकार के असफल कार्यकाल की जानकारी और सरकार की गलत नीतियों के बारे जनता को घर घर जाकर युवा कांग्रेस ने अवगत करवाया। लोगों की बातें सुनी उनकी आवाज़ बनें जिसका नतीजा रहा कि चार में से दो नगर निगम कांग्रेस के हुए। राजा वीरभद्र सिंह द्वारा जितने भी डेवलपमेंट के कार्य किये गए है उन्हें जनता तक पहुँचाने का काम युवा कांग्रेस करती है। उपचुनाव में भी युवा कांग्रेस के कार्यकर्त्ता पूरी ईमानदारी से पार्टी की जीत के लिए काम करते रहे। नतीजन चारों सीट पर कांग्रेस काबिज हुई। शीर्ष नेतृत्व के मार्गदर्शन पर युवा कांग्रेस काम करती है। हमारा लक्ष्य आने वाला 2022 का विधानसभा चुनाव है। आंकड़ों की बात करें तो प्रदेश में 15 लाख से अधिक युवा बेरोज़गार है। 5 लाख युवाओं की नौकरी कोरोना काल में चली गयी है। मगर ये सरकार किसी कि सुध नहीं ले रही। सवाल : मंडी लोकसभा के उपचुनाव में अपने कांग्रेस के टिकट पर अपनी दावेदारी पेश की थी, क्या आप 2022 का चुनाव लड़ेंगे ? जवाब : कांग्रेस हाईकमान जो आदेश करेगा हम वो करेंगे। कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व का मानना है कि यदि कोई युवा साथी आने वाला 2022 का चुनाव लड़ना चाहता है वो लगातार जनता की समस्याओं को अपने विधानसभा क्षेत्र में उठाता रहे, ज़मीनी स्तर पर कार्य करता रहे। जनता के बीच में जाए उनके सुख दुःख में उनका साथ दे। टिकट किसको देना है किसको नहीं, चुनाव कौन लड़ेगा कौन नहीं ये शीर्ष नेतृत्व को तय करना है। शीर्ष नेतृत्व ने हमें पूरा विश्वास दिलाया है कि युवा कांग्रेस के साथियों को इस विधानसभा चुनाव में मौका मिलेगा और जहाँ तक मेरी बात है मैं पिछले विधानसभा के चुनाव में भी टिकट का दावेदार था। मैने टिकट के लिए आवेदन किया था पर मुझे टिकट नहीं मिला था तो शीर्ष नेतृत्व के आदेशानुसार मैंनेकाम किया। जो भी पार्टी का निर्णय रहता है वो मेरे लिए सर्वोपरि है। इस बार भी हम एक प्रकिय्रा के तहत अपना आवेदन करेंगे। ये लोकतान्त्रिक है यदि शीर्ष नेतृत्व को लगेगा कि हमें ये चुनाव लड़वाना है तो हम लड़ेंगे,अगर शीर्ष नेतृत्व कहेगा कि अभी आपकी जगह हम किसी और को मौका दे रहे है तो भी हम उनके निर्णय के साथ खड़े रहेंगे।
प्रदेश कांग्रेस में मुख्यमंत्री के दावेदारी को लेकर जंग छिड़ चुकी है। स्वर्गीय वीरभद्र के निधन के बाद कौन कांग्रेस की टीम को लीड करेगा यह बड़ा सवाल बना हुआ है। कांग्रेस लगातार जहाँ एकजुट होने की बात कर रही है वहीं दूसरी तरफ भाजपा कांग्रेस पर आए दिनों मुख्यमंत्री पद को लेकर तंज कस रही है. बीते दिनों मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का बयान "कांग्रेस में 12 भावी मुख्यमंत्री है " भी खूब चर्चा में रहा। अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस पार्टी की क्या रणनीति है इसे लेकर सिरमौर के शिलाई निर्वाचन क्षेत्र के विधायक और प्रदेश कांग्रेस कमेटी मीडिया चैयरमेन हर्षवर्धन सिंह चौहान से बात की। पेश है बातचीत के कुछ अंश सवाल- इन उपचुनावों में मिली जीत के बाद 2022 के विधानसभा चुनाव को लेकर क्या रणनीति है ? जवाब- देखिये यह जो उपचुनाव के नतीजे रहे है यह भाजपा को जनता ने एक ट्रेलर दिया है, अभी पिक्चर बाकी है। मुख्यमंत्री जी हर मंच से कहते है 'मेरा गणित ठीक नहीं है' और वो सही कहते है उनका गणित सही में बहुत कमजोर है। भाजपा उपचुनाव में हार के अंतर को एक फीसदी बता रही है, जबकि सच्चाई यह है कि भाजपा करीब 5 फीसदी के अंतर से चुनाव हारी है। जुब्बल-कोटखाई में भाजपा प्रत्याशी को करीब ढाई हजार वोट मिले और जमानत भी जब्त हो गई। कांग्रेस 3 विधानसभा सीटें जीतने के साथ मंडी संसदीय क्षेत्र का चुनाव ही नहीं जीती, बल्कि 17 में से 9 विधानसभा क्षेत्रों में बढ़त लेने में भी कामयाब रही। सीएम साहब कह रहे है कि 2022 में भाजपा ही सत्ता का फाइनल जीतेगी पर मैं बता दूँ की फाइनल में जाने के लिए पहले सेमीफाइनल जीतना होता है। कांग्रेस बहुत मजबूत पार्टी है और 2022 के विधानसभा चुनाव को लेकर संयुक्त रूप से सभी नेता काम करेंगे। भाजपा की जनविरोधी नीतियों के बारे में हम लोगों को बताएंगे और इसके लिए प्रत्येक गांव का दौरा करेंगे। आज बेरोजगारी अहम मुद्दा है, महंगाई से जनता परेशान है, किसान-बागवान चिंतित है और भी बहुत से ऐसे मुद्दे है जिसका समाधान सरकार ने नहीं किया है। इन मुद्दों को हम अपने घोषणा पत्र में रखेंगे और सरकार बनने पर इन्हें पूरा भी करेंगे। सवाल- मुख्यमंत्री कहते है की कांग्रेस में 12 भावी मुख्यमंत्री है इसपर आप क्या कहेंगे ? जवाब- मुख्यमंत्री एक तरफ तो ये कहते है कि कांग्रेस के पास लीडर नहीं है और दूसरी तरफ कहते है कि कांग्रेस पार्टी के पास 12 भावी मुख्यमंत्री है, इससे यह स्पष्ट होता है की मुख्यमंत्री भी मानते है कि हम जो 12 लोग है हमारा स्टेटस मुख्यमंत्री वाला है। जब जयराम ठाकुर पांच बार के विधायक मुख्यमंत्री बन सकते है तो पांच बार का विधायक हर्षवर्धन चौहान मुख्यमंत्री क्यों नहीं बन सकता और आशा कुमारी जो छह बार की एमएलए है वो क्यों मुख्यमंत्री नहीं बन सकती। ठाकुर रामलाल जी पांच बार के विधायक है, मुकेश अग्निहोत्री और सुधीर शर्मा सहित और भी भावी शख्सियत है जिनमें काबिलियत है, मुख्यमंत्री अपने ही बयानों पर नहीं टिकते और फिजूल की बयानबाजी करना उनकी आदत बन गई है। सवाल - कर्मचारी सरकार से नाराज़ है लेकिन कांग्रेस भी कर्मचारियों का साथ देती नज़र नहीं आ रही, ऐसा क्यों ? जवाब- कांग्रेस सत्ता में नहीं है लेकिन कांग्रेस पार्टी कर्मचारी हितेषी पार्टी है और कर्मचारियों के जायज मांगों के लिए हमेशा आवाज़ उठती रही है। देखिए जेसीसी की बैठक में की घोषणाएं केवल छलावा है कर्मचारियों को अब छठा वेतन आयोग दिया है, जबकि पंजाब में यह 6 माह पूर्व दिया जा चुका है। यह वेतन आयोग वर्ष 2016 से देय था लेकिन उपचुनाव में चारों सीटें हारने के बाद अब सरकार को वेतनमान देने की याद आई। अनुबंध काल को 2 वर्ष कर सरकार ने कोई बड़ा काम नहीं किया है। वर्ष 2017 में हुए विस चुनाव में यह भाजपा के घोषणा पत्र में था लेकिन इसे लागू करने में भी 4 वर्ष लग गए। सरकार ने आउटसोर्स कर्मचारियों को लेकर कोई पॉलिसी नहीं बनाई। पुरानी पेंशन को लेकर जेसीसी की बैठक में कोई निर्णय नहीं हुआ। इस बैठक से केवल अराजकता पैदा हुई। सरकार जेबीटी प्रशिक्षुओं के हितों की रक्षा करने में विफल रही है। प्रदेश में हालत यह हो गई है कि भाजपा की विचारधारा वाले भारतीय मजदूर संघ भी अपनी मांगों को लेकर सड़कों पर उतर गए हैं। शिमला में प्रदर्शन कर रहे भामसं के कार्यकर्ताओं पर लाठीचार्ज तक किया गया। एचआरटीसी में पीस मील कर्मचारी हड़ताल पर बैठे हुए हैं। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद अपनी ही सरकार की शिक्षा नीति के खिलाफ प्रदर्शन कर रही है। अब इन बातों से यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस सरकार में जब अपने ही लोगों के काम नहीं हो रहे तो आम आदमी की क्या स्थिति होगी। सवाल- गिरिपार क्षेत्र को अनुसूचित जनजाति क्षेत्र घोषित करने का मुद्दा आजतक पूर्ण नहीं हुआ है, जबकि हर चुनाव में यह एजेंडा रहा है, इस पर आपकी क्या राय है ? जवाब- पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान केंद्र के भाजपा नेताओं ने जिले में कई जनसभाओं में छाती ठोक कर कहा था कि शिमला संसदीय क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी को जिताने पर तथा केंद्र में उनकी सरकार बनते ही इस क्षेत्र को जनजातीय क्षेत्र घोषित कर दिया जाएगा। केंद्र में भाजपा की सरकार है और हिमाचल में भी भाजपा सरकार है। लिहाजा लोगों को उम्मीद थी की अब दोनों सरकारों के बीच तालमेल बैठेगा और मुद्दा सिरे चढ़ेगा। निश्चित तौर पर यह जो मांग है यह जायज है और इसे करना तो भारत सरकार ने ही है। आज केंद्र और हिमाचल में भी भाजपा की सरकार है। भाजपा की स्पष्ट बहुमत की सरकार है। इस वक़्त इनके पास इस मांग को पूर्ण करवाने का मौका है, इससे अच्छा समय भाजपा के लिए नहीं हो सकता। सुरेश कश्यप जी सांसद है और क्षेत्रवासियों को इनसे उम्मीद है कि इस और यह काम करेंगे। सवाल- इन दिनों सवर्ण आयोग गठन का मुद्दा गरमाया हुआ है आपकी क्या राय है, क्या आयोग का गठन होना चाहिए? जवाब - मैं बस इतना कहना चाहूंगा कि हर वर्ग, जाति और नागरिक को अपने विचार व्यक्त करने का अधिकार है, हम स्वतंत्र भारत के नागरिक है। सरकार को चाहिए कि स्पष्ट और पारदर्शिता से उनसे बात करें और कोई हल निकाले और सरकार भी अपना तर्क रखे। Himachal Pradesh News Updates |
उपचुनाव में मिली शानदार जीत के बाद प्रदेश कांग्रेस में नई ऊर्जा दिख रही है। निसंदेह कांग्रेस का मनोबल बढ़ा है और पार्टी पहले से ज्यादा मजबूत और संगठित दिखने लगी है। इस जीत के साथ ही बदली राजनैतिक फिजा में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष कुलदीप राठौर के सियासी वजन में भी इजाफा हुआ है। उपचुनाव के नतीजे कांग्रेस के पक्ष में आये है तो राठौर को भी जीत का क्रेडिट मिलना जायज है। कुलदीप सिंह राठौर पार्टी की बड़ी ताकत बनकर उभरे है, दरअसल उनका किसी गुट में न होना पार्टी को एकजुट रखने में कारगर सिद्ध हुआ है। उपचुनाव में मिली जीत, संगठन को लेकर आगे की रणनीति, 2022 में खुद चुनाव लड़ने जैसे कई अहम मसलों पर फर्स्ट वर्डिक्ट ने राठौर से विशेष बातचीत की। राठौर ने तमाम विषयों पर बेबाकी से अपनी बात रखी। पेश है बातचीत के मुख्य अंश सवाल : सत्ता के सेमीफाइनल में कांग्रेस ने चारों सीटों पर जीत दर्ज की है। ऐसे में आगामी 2022 के विधानसभा चुनाव को लेकर क्या रणनीति रहने वाली है ? जवाब : हाल ही में जो प्रदेश में उपचुनाव हुए है वो बेहद ही महत्त्वपूर्ण चुनाव थे। हमारी लड़ाई न केवल केंद्र व प्रदेश सरकार से थी बल्कि भाजपा की जनविरोधी नीतियों से भी थी। सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ हमने और हमारे संगठन ने लगातार प्रदर्शन किए, आंदोलन किए। हम हमेशा लोगों के साथ खड़े रहे और यही कारण है कि हमें चुनाव के दौरान जनता का भरपूर समर्थन मिला। चुनाव की जीत कभी भी एक दिन में तय नहीं होती है, संगठन को हमेशा सक्रिय रहना पड़ता है और पिछले 3 वर्षों से हमारा संगठन लगातार सक्रिय रहा है। उपचुनाव के बाद अब हमारा लक्ष्य उन सभी विधानसभा क्षेत्रों का दौरा करना है जहाँ कांग्रेस की स्तिथि सहज नहीं है। हमारी क्या कमियां रही है और क्या सुधार किया जा सकता है, इन सभी चीज़ों पर विचार किया जा रहा है। उपचुनाव में कांग्रेस को मिली जीत का असर पूरे हिंदुस्तान में हुआ है। हमारी पार्टी ने सेमीफाइनल जीता है और हम उत्साहित भी है, लेकिन अति उत्साहित नहीं। संगठन को किस तरह से और मजबूत किया जाए इस पर हम लगातार मंथन कर रहे है। सवाल : मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने जारी एक ब्यान में कहा है कि कांग्रेस श्रद्धांजलि से चुनाव जीती है, इस पर आपका क्या विचार है ? जवाब : इस ब्यान पर तो मैं ये ही कहूंगा ये मुख्यमंत्री का विरोधाभास है। एक तरफ तो उनका कहना है कि चुनाव में हार उनके आंतरिक कारणों की वजह से हुई है और दूसरी तरफ मुख्यमंत्री कहते है कि कांग्रेस को श्रद्धांजलि के वोट मिले है। सबसे पहले तो मुख्यमंत्री खुद ही स्पष्ट करें कि आखिर उपचुनाव में वो क्यों हारे है। मुख्यमंत्री खुद हार के कारण को ढूंढ़ने में उलझ गए और वास्तविकता तक नहीं पहुँच पाए। मैं उन्हें ये बताना चाहता हूँ कि भाजपा इसलिए चुनाव हारी है क्योंकि पिछले चार वर्षों में प्रदेश में कोई भी विकास कार्य नहीं हुआ है। प्रदेश में लगातार महंगाई व बेरोज़गारी बढ़ी है, कानून व्यवस्था भी ठीक नहीं है और ऐसे कई कारण रहे जिनकी वजह से भाजपा को हार का सामना करना पड़ा और इन सभी मुद्दों को जनता तक पहुंचाने में हम सफल रहे। मुझे लगता नहीं है कि मुख्यमंत्री को इस हार से कुछ सबक मिला है। वही श्रृद्धांजलि की बात करे तो मुख्यमंत्री क्या कहना चाहते है। किसकी श्रद्धांजलि की बात वो कर रहे है वीरभद्र सिंह जी ने प्रदेश के लिए काम किया है और यदि हम उनके द्वारा किये गए कार्यों का ज़िक्र करते भी है तो वो हमारा अधिकार है। कांग्रेस पार्टी ने हिमाचल को बनाया है और निश्चित तौर पर जब हम चुनाव प्रचार करेंगे तो अपनी पार्टी की बड़ी हस्तियों का उल्लेख जरूर करेंगे। सवाल : मुख्यमंत्री का ये भी कहना है कि कांग्रेस में मुख्यमंत्री के16 चेहरे हैं, इस बात को आप किस तरह देखते है ? जवाब : देखिये मुख्यमंत्री जी अपना क्रोध शांत करने के लिए कुछ भी कह सकते हैं। अब कौन से वो 16 चेहरे है वो ही बताएं। मुख्यमंत्री जी अगर बोल रहे हैं कि कांग्रेस पार्टी में मुख्यमंत्री के 16 चेहरे है तो इसका मतलब ये है कि कांग्रेस पार्टी इतनी सक्षम है कि हमारे पास इतने मुख्यमंत्री के चेहरे है। मुख्यमंत्री का चेहरा तो वही होगा जो सक्षम होगा। अगर कोई मुख्यमंत्री का दावेदार है भी तो इसमें कोई बुराई नहीं है। अगर कोई भी संगठन में काम कर रहा है तो उसका पूरा हक़ बनता है लेकिन लक्ष्मण रेखा के अंदर रह कर। यदि कोई सोचता है कि उसे आगे बढ़ना है तो इसमें क्या गलत है। बाकी जो मुख्यमंत्री कहते हैं मैं उनकी बातों पर अधिक गौर करना जरूरी नहीं समझता हूँ। सवाल : आपकी लीडरशिप में कांग्रेस ने जीत हासिल की है और लोगो के मन में ये सवाल है कि क्या कुलदीप राठौर आगामी चुनाव लड़ेंगे ? जवाब : देखिये अभी फ़िलहाल तो मैं चुनाव लड़वा रहा हूँ और प्रदेश अध्यक्ष होने के नाते मेरा ये फ़र्ज़ है कि मैं पार्टी के हर उम्मीदवार के साथ खड़ा रहूं। मुझे इस बात की ख़ुशी है की पार्टी का जो जिम्मा मुझे दिया है मैं उसे पूर्ण रूप से निभाने का प्रयास भी कर रहा हूँ और निश्चित तौर पर मैं सफल भी रहा हूँ। रही बात चुनाव लड़ने की तो निश्चित तौर पर मेरे गृह क्षेत्र के लोग मुझे हमेशा क्षेत्र का दौरा करने व चुनाव लड़ने के लिए प्रेरित करते आएं है। लेकिन मेरा मानना है कि जिस पद पर मैं अभी हूँ मेरा पहला दायित्व संगठन को मजबूत करना है, बाकी सभी बाते सेकेंडरी है। मेरे निर्वाचन क्षेत्र के लोगों को मुझसे अपेक्षा है और मैं पूरा प्रयास करूंगा की उनकी उम्मीदों पर खरा उतरूं। सवाल : प्रदेशवासियों के लिए क्या सन्देश देना चाहेंगे ? जवाब : मैं यही कहना चाहता हूँ कि पक्ष हो या विपक्ष हो हमें देश के विकास के लिए ही कार्य करना है। मैं प्रदेश की जनता को भी यही कहना चाहता हूँ कि अपना नेता वही चुने जो आपकी सभी तकलीफों को समझे और आपके लिए दिन रात खड़ा रहे।
विधानसभा चुनाव के लिए एक वर्ष का समय शेष है। प्रदेश में हाल ही में हुए चार उपचुनाव के बाद दोनों बड़े राजनैतिक दल अपने -अपने स्तर पर जमीन मजबूत करने में जुटे है। वहीं पच्छाद निर्वाचन क्षेत्र में कांग्रेस में अभी से ही वाद विवाद शुरू हो गया है। या यूँ कहे "बैटल ऑफ़ पच्छाद" शुरू हो चुका है। दयाल प्यारी को कांग्रेस प्रदेश सचिव नियुक्त करने के बाद से ही गंगूराम मुसाफिर और उनके समर्थक खुल कर विरोध कर रहे हैं। वहीं इसी बीच कांग्रेस महासचिव रजनीश खिमटा और गंगू राम मुसाफिर के बीच सियासी नोकझोंक का एक वीडियो भी जमकर वायरल हुआ। इसके बाद फिर एक बार दयाल प्यारी लाइमलाइट में है। फर्स्ट वर्डिक्ट मीडिया ने पच्छाद क्षेत्र को लेकर नव नियुक्त कांग्रेस प्रदेश सचिव दयाल प्यारी से विशेष चर्चा की, पेश है बातचीत के कुछ अंश सवाल- जब आप भाजपा में थी तो वहां दयाल प्यारी के नाम पर बवाल होते थे, अब कांग्रेस में हो तो यहां बवाल हो रहे है। आखिर मसला क्या है ? जवाब - देखिये अगर क्रन्तिकारी बनकर कुछ करना है तो बवाल निश्चित है। जो जनता से सीधा संवाद रखता हो, लोगों के सरोकार के लिए लड़ता हो, वो हमेशा लाइम लाइट में रहता है। मुझे लगता है जहाँ कोई विशेष बात होती है, बवाल भी वहीँ होता है। सवाल - आपके सचिव बनने के बाद से गंगू राम मुसाफिर काफी आहत नज़र आ रहे है, उनको क्या कहना चाहेंगे ? जवाब - मैं उनके बारे में कुछ नहीं कहना चाहूंगी, गंगू राम मुसाफिर जी कद्दावर नेता है। मैं उनका सम्मान करती हूँ। पार्टी में उनका अपना रुतबा है और अपना कद है। पार्टी ने मुझे जो पद दिया है, मैं उसके लिए हाई कमान का शुक्रिया अदा करती हूँ, जिन्होंने मुझ पर विश्वास जताया। सवाल- 2022 में पच्छाद विधानसभा से कांग्रेस का प्रत्याशी कौन होगा ? साफ़ स्पष्ट बताएं आपकी व्यक्तिगत इच्छा क्या है, क्या आप दावेदार होंगी ? जवाब- जहाँ तक दावेदारी की बात है यह तो वक़्त ही बताएगा, अभी समय काफी शेष है। सबसे पहले तो मैं पार्टी से जुडी हूँ और जिस पद पर मुझे नियुक्त किया है, मेरा पहला मकसद पार्टी को मजबूत करना है। उस वक़्त टिकट का जो भी प्रबल दावेदार होगा हम उसके साथ चलेंगे और कदम कदम पर साथ होंगे। यह निश्चित है कि 2022 में कांग्रेस पार्टी विजय होगी। फिलहाल हर बूथ को मजबूत करना ,ज्यादा से ज्यादा कार्यकर्ताओं को जोड़ना मेरा सबसे बड़ा उद्देश्य है। सवाल- बीजेपी और कांग्रेस की विचारधारा में काफी अंतर है। पार्टी का एक तबका आपको स्वीकार नहीं कर रहा है। ऐसे में आगे आपकी क्या रणनीति रहने वाली है? जवाब- आपकी बात सही कि दोनों पार्टी की विचारधारा में अंतर् है। लेकिन हर नेता व कार्यकर्ता का मकसद तो पार्टी को मजबूत करना ही होता है। मैं पहले काफी समय तक बीजेपी में रही और एक ही परिवार को समझा, लेकिन जब मैंने कांग्रेस पार्टी ज्वाइन किया तब मुझे पता चला कि मायनों में कांग्रेस ही वो पार्टी है जहाँ आप खुलकर अपने विचार रख सकते है और जनता के लिए काम कर सकते है। स्वंत्रता संग्राम से लेकर अब तक जो योगदान कांग्रेस पार्टी के नेताओं का रहा है वो सही मायनों में अमूल्य है। कांग्रेस पार्टी में आ कर मेरे अंदर नई ऊर्चा का संचार हुआ है। रही बात मुझे स्वीकार करने कि तो मैं कहना चाहूंगी कि जिस तरह एक गृहणी अपने परिवार को एक धागे में मोतियों की तरह पिरोती है, उसी भांति मैं भी अपना दायित्व दिल से निभाऊंगी। सवाल - आपके समर्थक कहते है कि गंगू राम मुसाफिर के कार्यकाल में यहां विकास नहीं हुआ? आपका क्या मानना है ? जवाब- विकास निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है। मुसाफिर जी ने बहुत कार्य किये है और बहुत से छूट भी गए। जो भी अपने क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करता है वो विकास को लेकर कुछ न कुछ कार्य जरूर करता है। हम किसी और पर आरोप- प्रत्यारोप करने के बजाए विकास कार्यों पर ध्यान दें तो क्षेत्र की तस्वीर बदल जाये। किन्तु आज अगर सड़कों की हालत देखें तो स्थिति बहुत दयनीय है। मैं आपसे साँझा करना चाहूंगी कि मैंने अपना राजनैतिक सफर जिला परिषद से शुरू किया और मुझे ज्ञान है कि कौन सा काम किस तरह होता है, अपने कार्यकाल में मैंने काफी विकास कार्य करवाए और बजट का सदुपयोग किया। मुझे शर्म आती है कि आज लाखों करोड़ों रूपये जिला परिषद में खड़ा है। जब महिलाये कंधे पर भारी सामान उठा कर कई किलोमीटर पैदल चलती है तब उन्हें देख कर दिल पसीज जाता है। मैं मुख्यमंत्री जी से पूछती हूँ कि प्रस्तावित कार्यों के लिए जो बजट था, वो पैसा कहाँ गया और क्यों विकास कार्य नहीं करवाए गए। मुख्यमंत्री जी से मेरा आग्रह है कि आप उड़नखटोले से न घूम कर अपनी गाड़ी से पच्छाद क्षेत्र में आएं, तो आपको भी पता चले कि न केवल पच्छाद क्षेत्र अपितु पूरे सिरमौर जिला में विकास की दरकार है। सवाल -वर्तमान विधायक रीना कश्यप के कामकाज को आप किस तरह देखती है? जवाब- उनके बारे में मैं क्या कहूं, वो मेरी छोटी बहन समान है। वो अभी थोड़ा-थोड़ा कर के सीख रही है, अभी मुझे लगता है वो काम करने और करवाने में सक्षम नहीं है। किसी काम को करवाने के लिए या तो उन्हें फाइल उठा कर दूसरों के पास ले जानी पड़ती है या किसी के साथ जाने का इंतजार करना पड़ता है। वो किसी भी काम करवाने को लेकर दूसरे पर निर्भर है। मुझे लगता है महिला होने के नाते राजनीति में उन्हें सक्षम होना पड़ेगा, आगे बढ़ने के लिए दूसरों की नजर में खटकना भी पड़ेगा। जी हजूरी करने मात्र से ही तो काम नहीं होगा। विधायक होने के नाते उन्होंने ऐसा कौन सा काम कर लिया? ऐसा कौन सा प्रोजेक्ट तैयार किया, कौन सी सड़कें बनाई, महिलाओं के उत्थान के लिए क्या किया ? फिलहाल कोई ऐसी खास उपलब्धि उनके नाम नहीं है। काम करना तो छोड़ों उन्होंने ज्वलंत मुद्दों को लेकर भी कोई बात नहीं की, वो केवल छोटे-मोटे कार्यों का श्रेय ले रही हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के निधन के बाद कांग्रेस में नेतृत्व को लेकर सवाल उठ रहे है। करीब चार दशक तक वीरभद्र सिंह ही पार्टी का फेस रहे, पर अब उनके निधन के बाद हिमाचल कांग्रेस में नेतृत्व को लेकर संशय की स्थिति है। पार्टी में कई वरिष्ठ नेता है जो नेतृत्व करने की काबिलियत रखते है और कर्नल धनीराम शांडिल भी उनमें से एक है। शांडिल दो बार शिमला संसदीय क्षेत्र से सांसद रहे है, कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्य रहे है और वर्तमान में दूसरी दफा सोलन निर्वाचन क्षेत्र से विधायक है। वे गांधी परिवार की गुड बुक्स में है, पर उनकी असल ताकत उनका बेदाग़ राजनैतिक करियर है। जब प्रदेश में वीरभद्र सिंह की सरकार थी तब वर्ष 2016 में भाजपा कांग्रेस के मंत्रियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मुद्दे पर चार्ज शीट लेकर आई थी। तब भाजपा ने तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह, उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह, बेटे विक्रमादित्य सिंह, प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सुखविंदर सिंह सुक्खू, 10 मंत्रियों, 6 सीपीएस और 10 बोर्ड-निगम-बैंकों के अध्यक्ष-उपाध्यक्षों समेत कुल 40 नेताओं और एक अफसर पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए थे। पर उस चार्जशीट में भी कर्नल धनीराम शांडिल का नाम नहीं था। यानी विपक्ष भी कभी उनकी ईमानदारी पर सवाल नहीं उठा पाया। एक बात और कर्नल शांडिल के पक्ष में जाती है, वो है उनकी गुटबाजी से दुरी। प्रदेश कांग्रेस में कई धड़े है और शांडिल किसी भी गुट में शामिल नहीं है। फर्स्ट वर्डिक्ट ने कई अहम मसलों पर कर्नल शांडिल से विशेष बातचीत की। शांडिल ने माना कि वीरभद्र सिंह जैसा कोई अन्य नेता नहीं हो सकता और उनकी कमी कांग्रेस को खलने वाली है। पर शांडिल ये भी मानते है कि प्रदेश कांग्रेस में योग्य नेताओं की कोई कमी नहीं है। शांडिल ने कहा कि वे पार्टी को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है। इस दौरान शांडिल ने प्रदेश की जयराम सरकार को विफल व जनविरोधी करार दिया। उन्होंने उपचुनाव में भी कांग्रेस की जीत का दावा किया। कर्नल शांडिल ने पार्टी में इंटरनल डेमोक्रेसी की जरूरत का भी समर्थन किया और प्रदेश संगठन को सक्षम बताया। पेश है बातचीत के मुख्य अंश सवाल : पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के बाद प्रदेश में कांग्रेस की स्थिति को आप किस तरह देख रहे है ? जवाब : वीरभद्र सिंह जी एक बहुत बड़े कद के नेता थे। प्रदेश निर्माता डॉ परमार ने प्रदेश का प्रारूप बनाया था और कहा था की सड़के हमारी भाग्यरेखाएं है, तो वीरभद्र सिंह ने उन रूप रेखाओं को ज़मीन पर उतारा और एक प्रकार से आधुनिक हिमाचल के निर्माता बने। मुझे अब भी याद है जब डॉ एपीजे अब्दुल कलाम हिमाचल आये तो उन्होंने कहा था कि "जब भी मैं हिमचाल आया तो मैंने मुख्यमंत्री के रूप में वीरभद्र सिंह को ही देखा।" वीरभद्र सिंह प्रदेश के 6 बार मुख्यमंत्री रहे परन्तु उन्होंने राजा न रहकर लोगों के मन पर राज किया। वे बहुत बड़े नेता थे और उनकी कमी अवश्य है। मेरा मानना है कि जो अब स्थिति है वो लगभग ऐसी ही है जैसी पूर्व में पंडित जवाहर लाल नेहरू के निधन के बाद बनी थी। तब आमतौर पर कहा जाता था कि अब कैसे कार्य किया जायेगा लेकिन उसके बाद इंदिरा गाँधी जी आई और इंदिरा गांधी के बाद राजीव गांधी जी ने सब संभाला। राजनीति में इस प्रकार की स्थिति आती रहती है। हिमाचल कांग्रेस में भी आई है। जहाँ तक नेतृत्व का विषय है मुझे लगता है कि ऐसी कोई समस्या नहीं आएगी, नया और सक्षम नेतृत्व उभरकर आएगा। सवाल : आप भी वरिष्ठ नेता है, आप हिमाचल से कांग्रेस वर्किंग कमेटी के पहले सदस्य भी रहे थे। आने वाले समय में यदि कोई बड़ी जिम्मेदारी सौंपी जाती है तो उसके लिए कर्नल शांडिल कितने तैयार है ? जवाब : देखिये ये तो लोकतंत्र का एक प्रकार से तकाज़ा है कि संख्या के बल के आधार पर ही हम राजनीति को आगे ले जाते है। जो भी दल संख्या में आगे आता है उसमें चुने हुए प्रतिनिधि इस बात का निर्णय करते है और इसमें हाईकमान की भी भूमिका होती है। मेरा अपना मानना है कि हम सबसे पहले उस संख्या को पैदा करे और उसके बाद ये कोई इतना जटिल मुद्दा भी नहीं है कि नेतृत्व कैसे संभाला जायेगा। चुने हुए प्रतिनिधि और हाईकमान जो भी निर्णय लेंगे वो सबको मंजूर होगा। मैं पार्टी का सच्चा सिपाही हूँ, फिलहाल मैं पार्टी की मजबूती हेतु अपना हरसंभव योगदान देने के लिए प्रतिबद्ध हूँ। हमने कांग्रेस को सत्ता में लाना है और प्रदेश की जनता को इस जनविरोधी सरकार से मुक्ति दिलानी है। सवाल : 30 अक्टूबर को प्रदेश में उपचुनाव है, क्या अपेक्षा रखते है आप ? जवाब : जनता त्रस्त है और ये सरकार मस्त है। इस सरकार ने प्रदेश का विकास ठप कर दिया है। उपचुनाव में जनता इन्हें माकूल जवाब देगी। कांग्रेस चुनाव के लिए तैयार है और मैं आश्वस्त हूँ कि पार्टी बेहतरीन प्रदर्शन करेगी। सवाल : प्रदेश कांग्रेस संगठन को आप किस तरह देख रहे है। वर्तमान में संगठन सक्षम है या उसमें बदलाव की दरकार आप मानते है ? जवाब : हमारा संगठन काफी अच्छा काम कर रहा है और हाल ही में नगर निगम चुनाव के दौरान भी पालमपुर और सोलन में हमारी नगर निगम बनी। संगठन ने अच्छा काम किया है। सभी ने मिलजुल कर कार्य किया। प्रदेश में सरकार भारतीय जनता पार्टी की थी इसके बावजूद भी हम नगर निगम चुनाव में अच्छा करने में कामयाब हुए। अब उप चुनाव में भी हमारा संगठन बेहतरीन कार्य करेगा और हमें विजय श्री मिलेगी। सवाल : आप राष्ट्रीय स्तर के नेता है। कांग्रेस के भीतर से आंतरिक लोकतंत्र की मांग उठ रही है। क्या आप भी इस बात के पक्षधर है ? जवाब : जी बिलकुल आंतरिक लोकतंत्र हमेशा ही लाभप्रद सिद्ध हुई है। चाहे वो किसी भी संस्थान में हो विशेषकर राजनीतिक दलों में आंतरिक लोकतंत्र के निर्णायक परिणाम आये है और मेरा मानना है की यदि हमारे दल में भी इसकी पालना की जाए तो इसके परिणाम अच्छे ही होंगे। सवाल : 2022 के लिए भी लगभग एक साल शेष रह गया है किन मुद्दों के साथ कांग्रेस मैदान में उतरेगी ? जवाब : मेरा मानना है कि विकास सबसे बड़ा मुद्दा है। कांग्रेस हमेशा भाईचारे, धर्मनिरपेक्षता, राष्ट्र की उन्नति की बात करती है और कांग्रेस इन्ही मुद्दों पर आगे आएगी। निश्चित ही 2022 में हमारी सरकार बनेगी। सवाल : जयराम सरकार के कामकाज को किस तरह देखते है? जवाब : मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर सरल स्वभाव के व्यक्ति है परन्तु सरकार ने जिस प्रकार की नीतियां अपनाई है मैं समझता हूँ कि उनमें काफी ज़्यादा सुधार की आवश्यकता हैं। चाहे वो कोरोनाकाल के दौरान के मैनेजमेंट का हो या चाहे कर्मचारी वर्ग की तरफ ध्यान न देना हो, ऐसे कई मुद्दे है। इसलिए मेरा मानना है की इन सभी मामलों के दृष्टिगत जयराम सरकार लोगों की उम्मीदों पर खरी नहीं उतरी। एक और बात कहना चाहूंगा, सरकार का नौकरशाही पर कोई नियंत्रण नहीं है। कानून व्यवस्था चौपट है। ऐसी सरकार कभी भी जन हितेषी नहीं हो सकती।
कसौली निर्वाचन क्षेत्र से बीते दो चुनाव में डॉ राजीव सैजल को कड़ी टक्कर देने वाले कांग्रेस के युवा नेता विनोद सुलतानपुरी अभी से 2022 के लिए चार्ज दिख रहे है। माना जाता है कि कांग्रेस का भीतरघात पिछले चुनाव में उन पर भारी पड़ा था। 2012 में सुल्तानपुरी महज 24 वोट से हारे तो 2017 में अंतर 442 वोट का रहा। इन दोनों ही मौकों पर कांग्रेस की अंतर्कलह डॉ राजीव सैजल के लिए संजीवनी सिद्ध हुई। पर 2022 के लिए सुल्तानपुरी अभी से सक्रिय भी है और निरंतर लोगों के बीच भी। साथ ही कांग्रेस में उनके विरोधी खेमे का दमखम भी अब पहले जैसा नहीं दिख रहा। सुल्तानपुरी प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री व बीते दो चुनाव में उन्हें शिकस्त देने वाले डॉ राजीव सैजल के खिलाफ भी आक्रमक दिख रहे है। आगामी उपचुनाव, कसौली में कांग्रेस की स्थिति और पार्टी संगठन जैसे कई मसलों पर फर्स्ट वर्डिक्ट मीडिया ने विनोद सुल्तानपुरी से खास चर्चा की, पेश है इस चर्चा के मुख्य अंश सवाल - आप कांग्रेस के महासचिव है और कुछ समय में उपचुनाव होने है, कांग्रेस इन उपचुनाव के लिए कितनी तैयार है ? जवाब - मैं मानता हूँ कि कांग्रेस यह चारों उपचुनाव जीतने वाली है और भाजपा भी ये बात जानती है। इसी भय से सरकार ने ये उपचुनाव स्थगित किये है। एक तरह से आप देखे तो हमारे मंडी संसदीय क्षेत्र में 17 विधानसभा क्षेत्र आते है और 3 विधानसभा क्षेत्रों में भी उपचुनाव होने है। इन 20 विधानसभा क्षेत्रों के नतीजे कांग्रेस के पक्ष में तय थे, ऐसे में सरकार ने निश्चित हार टालने के लिए चुनाव टाल दिए। पर जब भी चुनाव होंगे कांग्रेस की जीत तय है। जनता इस सरकार से तंग आ चुकी है और इस सरकार की विदाई का मन बना चुकी है। सवाल - आप कसौली विधानसभा क्षेत्र से आते है और स्वास्थ्य मंत्री भी वहीं से आते है तो आपके विधानसभा क्षेत्र में विकास की क्या गति है? जवाब - बेहतर होगा कि आप वहां आकर देखे की किस दुर्गति में हमारा कसौली चुनाव क्षेत्र है। आज भी कई स्थानों तक पहुंचने के लिए ढाई - ढाई घंटे चलना पड़ता है। मसलन एक गावं है ओढ़ा, उस गावं तक पहुंचे के लिए ढ़ाई घंटे लगते है। अगर वहां पर कोई बीमार होता है तो मुझे नहीं लगता कि वह हॉस्पिटल तक पहुंच पाएगा और अगर हॉस्पिटल पहुंच भी जाए तो हमारे हॉस्पिटल का तो काम ही है रेफेर करना है। दूसरा हमारे विधानसभा क्षेत्र में, हमारे जो वर्किंग डॉक्टर्स है वो भी फिक्स्ड हॉस्पिटल में नहीं है, डॉक्टर 2 दिन एक हॉस्पिटल में रहता है 2 दिन दूसरे हॉस्पिटल में रहता है। सिर्फ और सिर्फ अव्यवस्था हावी है। हाल ही में गुनाई में एक हादसा हुआ और घायलों को तुरंत धर्मपुर हॉस्पिटल पहुंचाया गया और वहां से उन्हें रेफेर कर दिया गया। रेफेर करके उन्हें शिमला भेजा गया, और गेट पर पहुंचते - पहुंचते एक मरीज ने दम तोड़ दिया। अभी हमारे गांव के हॉस्पिटल सुल्तानपुर में 2 दिन डॉक्टर आता है 3 दिन डॉक्टर नहीं आता है। जहां पर ओपीडी 150 की थी वहां पर आज ओपीडी 10-15 पर आ गई है। स्पष्ट है कि यह सरकार सीरियस नहीं है और न ही हेल्थ मिनिस्टर सीरियस है। सवाल - ग्रासरूट लेवल की बात करें तो भाजपा का संगठन ज्यादा सक्रिय है। आप युवा नेता है, यदि हम भारतीय जनता युवा मोर्चा और युवा कांग्रेस को देखे तो कहीं न कहीं भारतीय जनता युवा मोर्चा सक्रिय दिखता है। जवाब - ऐसा नहीं है, युवा कांग्रेस के लोग बहुत मेहनत कर रहे है और बाकि पार्टी के लोग क्या कर रहे है हमे उसके बारे में कोई जानकारी नहीं है। हाँ, अगर उनके लीडर के बारे में कोई बात करता है तो सामने आ कर उनके लिए जरूर प्रोटेस्ट करते है। मैंने युवा कांग्रेस में खुद काम किया है और युवा कांग्रेस सोशल वर्क करने में अपना विश्वास रखती है और जमीनी स्तर पर काम करती है। जहां कॉलेज के मुद्दों की बात आती है, जहां पर फीस वृद्धि की बात आती है, युवा कांग्रेस और एनएसयूआई ने हमेशा युवाओं और छात्रों के मुद्दों को आगे रखा है। सवाल - वीरभद्र सिंह थे तो नेतृत्व की कमी कभी नहीं दिखी, लेकिन अब वह नहीं है। तो ऐसे में उनके बाद मुख्यमंत्री का अगला चेहरा कौन हो सकता है ? विनोद सुल्तानपुरी निजी तौर पर किसे उनकी जगह लेने के ज्यादा काबिल मानते है ? जवाब - हमे दुख है कि एक बहुत बड़े लीडर हमारे बीच में नहीं है। निसंदेह उनकी कमी हमेशा खलेगी। पर जो विधि का विधान है उसमे हमेशा कोई न कोई आगे निकल कर आता है। पंजाब में आप देखेंगे कि चन्नी जी को मुख्यमंत्री बनाया गया है, उन्होंने कभी सोचा भी नहीं होगा की वह मुख्यमंत्री बनेंगे। इस तरह से कांग्रेस पार्टी में हर आदमी, हर आम कार्यकर्ता महत्वपूर्ण है। कांग्रेस कार्यकर्ताओं की पार्टी है। सब काबिल है और सबको तय वक्त और मौके के हिसाब से ज़िम्मेदारी मिलती है। पार्टी में कई वरिष्ठ नेता है जिनके मार्गदर्शन में चुनाव लड़ा जायेगा और पार्टी आलकमान ही मुख्यमंत्री तय करेगा। कई नेताओं की हसरत मन में ही रह गई 1977 से अस्तित्व में आया कसौली निर्वाचन क्षेत्र हिमाचल प्रदेश के ऐसे निर्वाचन क्षेत्रों में से है जो हमेशा आरक्षित रहे है। ऐसे में कई कद्दावर नेताओं की विधायक-मंत्री बनने की हसरत कभी पूरी नहीं हुई। कुछ की उम्र संगठन की सेवा में बीत गई, तो कुछ को सत्ता सुख के नाम पर बोर्ड - निगमों में एडजस्ट कर दिया गया। ऐसे में माना जाता है कि सामान्य वर्ग के आने वाले कई नेताओं ने कई मौकों पर अपनी पार्टी प्रत्याशी की राह में ही कांटे डाले ताकि उनकी कुव्वत बनी रहे।
मंडी संसदीय सीट पर उपचुनाव होने है और टिकट के लिए कई दावेदार सामने आ चुके है। भाजपा के ओर से पूर्व सांसद महेश्वर सिंह ने भी टिकट के लिए आवेदन किया है और वे चुनाव लड़ने के लिए पूरी तैयारी में दिख रहे है। महेश्वर सिंह को इंतज़ार है तो बस आलाकमान की हरी झंडी का। उधर कांग्रेस की तरफ से पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की पत्नी और पूर्व सांसद प्रतिभा सिंह का नाम लगभग तय माना जा रहा है। निसंदेह वीरभद्र सिंह के निधन के बाद कांग्रेस के पक्ष में सहानुभूति लहर भी असरदार होगी। ऐसे में भाजपा की तरफ से अनुभवी महेश्वर सिंह एक सशक्त विकल्प हो सकते है। फर्स्ट वर्डिक्ट मीडिया ने महेश्वर सिंह से विशेष बातचीत की। महेश्वर सिंह ने उनकी दावेदारी सहित महंगाई -बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर अपनी राय रखी। उन्होंने जयराम सरकार की तारीफ़ भी की और बार -बार निर्णय न बदलने का मश्वरा भी दे दिया। पेश है बातचीत के मुख्य अंश .... सवाल : मंडी संसदीय क्षेत्र में उपचुनाव होना है और आप भी दावेदार बताए जा रहे है। क्या आपने टिकट के लिए आवेदन किया है ? जवाब : जी मैंने बिल्कुल आवेदन किया है और सबसे पहले किया है। मुझे लगता है कि जिस तरह से प्रदेश में अब हालात बने हुए हैं चुनाव आयोग कभी भी मंडी संसदीय क्षेत्र के प्रस्तावित उपचुनाव का ऐलान कर सकता है। ऐसे में मैंने पार्टी हाईकमान से आग्रह किया है कि जल्द से जल्द मंडी संसदीय क्षेत्र से पार्टी प्रत्याशी के नाम का ऐलान कर दे। मैं यह कहना चाहता हूं कि एक तरफ जहां विपक्ष के नेता मंडी संसदीय क्षेत्र में होने वाले उपचुनाव को लेकर लगभग तय माने जा रहे पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय वीरभद्र सिंह की धर्मपत्नी प्रतिभा सिंह के प्रत्याशी होने का सब जगह प्रचार कर रहे हैं, वहीं हमारी पार्टी ने अपने प्रत्याशी के नाम पर चुप्पी साध रखी है। मैं पार्टी हाईकमान से आग्रह करता हूं कि जल्द से जल्द मंडी संसदीय क्षेत्र में होने वाले उपचुनाव को लेकर प्रत्याशी का नाम सार्वजनिक करें, ताकि फील्ड में युद्ध स्तर पर काम किया जा सके। मैं तो यहां तक कह रहा हूं कि अगर पार्टी हाईकमान मुझे चुनाव में उतारना चाह रही है तो उसका ऐलान भी जल्द कर दे। पार्टी को इस विषय में देरी नहीं करनी चाहिए। सवाल : पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के निधन के बाद संभवतः प्रतिभा सिंह मंडी से कांग्रेस उम्मीदवार होगी। जाहिर सी बात है कांग्रेस को सहानुभूति लहर से भी उम्मीद होगी। ऐसे में क्या आप मानते है कि भाजपा के लिए मंडी का चुनाव अब कठिन होने वाला है ? जवाब : पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय वीरभद्र सिंह एक बहुत बड़े नेता थे। हिमाचल की अगर बात करूं तो हिमाचल में वे कांग्रेस का चेहरा थे। ऐसे में उनके न रहने के बाद कांग्रेस के नेताओं द्वारा यह बात कही जा रही है कि मंडी संसदीय क्षेत्र से प्रतिभा सिंह प्रत्याशी होगी और निश्चित तौर पर कांग्रेस का यह प्रयास रहेगा कि मंडी संसदीय सीट पर उन्हें लोगों की सहानुभूति का फायदा जरूर मिले। लेकिन अगर यहां मैं अपनी बात करूं तो अगर मुझे पार्टी हाईकमान द्वारा मंडी संसदीय क्षेत्र से उपचुनाव में उतारा जाता है तो यह मेरा पहले भी चुनावी क्षेत्र रहा है। मैं यहां से पहले भी चुनाव जीतकर दिल्ली पहुंचा हूं। ऐसे में लोग मुझे जहां इस क्षेत्र में पहचानते हैं, जानते हैं और मेरे काम करने के तरीके से अच्छी तरह वाकिफ है। लिहाजा मुझे ऐसा लगता है कि मंडी संसदीय क्षेत्र में भाजपा को मेहनत तो करनी पड़ेगी, लेकिन मैं इसे बड़ी चुनौती के तौर पर नहीं देखता हूं। सवाल : महंगाई, बेरोजगारी जैसे मुद्दे क्या इस चुनाव में भाजपा को भारी नहीं पड़ेंगे। इसे कैसे काउंटर करेंगे ? जवाब : कोरोना काल में जिस तरह से मोदी सरकार ने काम किया है उसकी तारीफ न केवल प्रदेश व देश में हो रही है, बल्कि विदेशों में भी मोदी सरकार के कार्य को सराहा जा रहा है। केंद्र सरकार व प्रदेश सरकार महंगाई पर नियंत्रण पाने को लेकर लगातार जहां प्रयास कर रहे हैं, वहीं युवाओं व बेरोजगारों को रोजगार भी उपलब्ध करवा रही है। प्रदेश के किसान बागवानों के लिए जयराम सरकार लगातार काम कर रही है। ऐसे में महंगाई और बेरोजगारी से निपटने के लिए जयराम सरकार प्रयासरत है। सवाल : कई नेताओं के बयान लगातार प्रदेश सरकार की मुश्किलें बढ़ा रहे है। हालही में सेब के गिरते दामों को लेकर मंत्री महेंद्र सिंह का बयान बागवानों की नाराजगी का कारण बना है। इसके बाद बैठे बिठाए सरकार ने सरबजीत सिंह बॉबी का लंगर हटाकर नया पंगा ले लिया। क्या आप मानते है सरकार को ऐसे विवादों से बचना चाहिए ? जवाब : जहां तक बात सरकार के वरिष्ठ मंत्रियों के बयानों को लेकर की जा रही हैं तो मैं यह स्पष्ट कह देना चाहता हूं कि कुछ लोग सरकार की छवि व मंत्रियों की छवि खराब करने का लगातार प्रयास कर रहे हैं। आज टेक्नोलॉजी का जमाना है, ऐसे में कॉपी पेस्ट व कट पेस्ट करके सोशल मीडिया पर उन बयानों को इस तरह से दिखाया जाता है कि लोगों को ऐसा लगता है कि सरकार में मौजूद वरिष्ठ मंत्री बिना किसी जानकारी के बयानबाजी कर रहे हैं। जहां तक बात मंत्री महेंद्र सिंह की है उन्होंने बागवानों को लेकर जो बयान दिया है उसकी अधिक जानकारी मेरे पास नहीं है, लेकिन मैं यहां इतना जरूर कहना चाहता हूं कि महेंद्र सिंह भाजपा के वरिष्ठ नेता है मुझे नहीं लगता कि वह ऐसी कोई बात कह सकते हैं जिससे सरकार की मुश्किलें बढ़ सकती है। मैं व्यक्तिगत तौर पर उन्हें जानता हूं। महेंद्र सिंह मजाकिया लहजे में कई बार ऐसी बातें करते हैं लेकिन कुछ लोगों द्वारा उसका मतलब गलत निकाल लिया जाता है। आईजीएमसी के कैंसर अस्पताल में लंगर बंद करने की जहां तक बात है इस मामले पर मैं किसी भी तरह की टिप्पणी नहीं करना चाहता हूं। सवाल : जयराम सरकार पर अक्सर आरोप लगते है कि अफसरशाही बेलगाम है। क्या आप इससे इत्तेफाक रखते है? जवाब : ऐसा बिल्कुल नहीं है कि जयराम सरकार में अफसरशाही बेलगाम है। सभी अधिकारी जहां बेहतर काम कर रहे हैं, वहीं मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर भी अच्छी सरकार चला रहे हैं। प्रदेश की तरक्की के पीछे जहां एक अच्छे नेतृत्व का हाथ होता है, वहीं प्रदेश की कामयाबी सरकार व अधिकारियों के अच्छे तालमेल से ही होती है। हां मैं यहां इतना जरूर कहना चाहूंगा कि मुख्यमंत्री महोदय को किसी भी निर्णय लेने से पहले सभी की राय जान लेनी चाहिए, साथ ही एक बार जो निर्णय ले लिया उसे बार-बार बदलना नहीं चाहिए। इससे सरकार की छवि जरूर खराब होती है। प्रदेश में जयराम सरकार अच्छा काम कर रही है, जिसके पीछे अधिकारियों का सरकार के साथ अच्छा तालमेल होना मुख्य कारण है। सवाल : अगर निजी तौर पर बात करें तो आपने 2012 के बाद हिलोपा का गठन किया था। फिर भाजपा में आप लौट भी आए। 2017 में आपकी हार का कारण कहीं ये तो नहीं था, या कहीं और चूक हुई ? जवाब : राजनीति में हार जीत तो चलती रहती है। हार जीत एक सिक्के के दो पहलू हैं और सभी इस बात से भली भांती परिचित भी हैं। हां मैं मानता हूं कि मैंने घर छोड़ा था लेकिन उसके पीछे कुछ बड़े कारण भी रहे थे, जिस कारण मुझे दुखी मन से घर छोड़ने जैसा निर्णय लेना पड़ा था। बाद में मुझे पार्टी के वरिष्ठ नेताओं द्वारा मनाया भी गया, जिसके बाद मैंने घर वापसी की। पर मैं यहां बताना चाहता हूं कि घर छोड़ने के बाद मैं न तो कांग्रेस में गया और न ही मैंने कभी कांग्रेस का समर्थन किया। वर्ष 2017 में हुए विधानसभा चुनावों में मेरी हार का जहां तक प्रश्न है उसके पीछे एक कारण नहीं दर्जनों ऐसे कारण है जिसका मैं किसी भी सार्वजनिक मंच पर खुलासा नहीं कर सकता। पर पार्टी हाईकमान को उन सभी बातों का, उन सभी कारणों का भली भांति पता है। 2017 में जो जनादेश जनता ने सुनाया या दिया उसका मैंने स्वागत किया। सवाल : प्रदेश भाजपा का वर्तमान संगठन क्या आपको इतना मजबूत लगता है कि मिशन रिपीट करवा सके। या आप भी मानते है कि सरकार और संगठन का एक होना भाजपा को नुकसान पहुंचाएगा ? जवाब : भाजपा का संगठन इतना सक्षम है कि वह प्रदेश में एक बार फिर भाजपा सरकार को सत्ता पर काबिज करेगा और लोगों की उम्मीदों पर खरा उतरेगा। भाजपा टीमवर्क पर विश्वास रखती है। ऐसे में सरकार और संगठन का मिलकर काम करना सही है। मुझे पूरी उम्मीद है कि जयराम सरकार एक बार फिर सरकार के सत्ता संभालेगी और संगठन के सहयोग से मिशन रिपीट का अभियान सफल होगा।
पूर्व सीपीएस और जुब्बल कोटखाई से पूर्व विधायक रोहित ठाकुर को भले ही सियासत विरासत में मिली हो लेकिन दो दशक के अपने राजनीतिक सफर में रोहित ठाकुर निरंतर खुद को साबित करते आ रहे है। अपनी सादगी से लोगों के बीच अपनी पैठ बनाने वाले रोहित विपक्ष में रहते हुए भी जनता की आवाज लगातार बुलंद कर रहे है। जुब्बल कोटखाई क्षेत्र में उपचुनाव होने है और पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी रहे रोहित का एक बार फिर पार्टी प्रत्याशी बनना लगभग तय माना जा रहा है। उपचुनाव टलने, सेब के गिरते दाम, और क्षेत्र के विकास जैसे कई अहम मसलों पर फर्स्ट वर्डिक्ट ने रोहित ठाकुर से विशेष बातचीत की। रोहित ठाकुर ने प्रदेश में संभावित उपचुनाव पर सरकार की मंशा पर सवाल उठाये, साथ ही सड़क, स्वास्थ्य, विकास परियोजनाओं, कृषि-बागबानी पर भी सरकार को आड़े हाथ लिया। पेश है इस विशेष बातचीत के मुख्य अंश: सवाल : प्रदेश में होने वाले 4 उपचुनाव फिलहाल टल चुके हैं, इस पर आपका क्या कहना है? जवाब : हिमाचल के जनजातीय क्षेत्रों में जब पंचायती राज चुनाव करवाए जा सकते हैं, तो विधानसभा चुनाव क्यों नहीं, यह सरकार के विरोधाभास व इसके दोहरे मापदंड को दर्शाता है। हिमाचल के मुख्य सचिव ने सरकार के दबाव में निर्वाचन आयोग को जो रिपोर्ट सौंपी है, उसमें कोविड जैसे फैक्टर बताए गए है। दरअसल भाजपा की मंशा ही नहीं है कि अभी हिमाचल में उपचुनाव हों, क्योंकि प्रदेश में सरकार ने कुछ भी नहीं किया। यही कारण है कि सरकार असहज महसूस कर रही है। हालांकि मुख्यमंत्री अपने दौरों के दौरान यही ब्यान देते रहे कि सितंबर में उपचुनाव होंगे, लेकिन लगता है कि सरकार को आभास हो गया था कि जनता कांग्रेस का ही साथ देगी। भाजपा हार के डर से दोहरे मापदंड अपना रही है, और उपचुनाव से भागने के प्रयास में है। यही वजह है कि मुख्य सचिव ने उपचुनावों को टालने से संबंधित रिपोर्ट सरकार के दबाव में तैयार की है। बहरहाल देर सवेर ही सही उपचुनाव और आगामी विधानसभा चुनाव में प्रदेश की जनता भाजपा को करारा जवाब देगी। सवाल : पराला मंडी में सीए स्टोर स्थापित करने का श्रेय किस सरकार को देते है ? जवाब : भाजपा केवल जुमलों में विश्वास रखती है। किसी भी बड़ी परियोजना के लिए मंजूरी मिलना मुश्किल कार्य होता है, जबकि घोषणाएं करना आसान। भाजपा जब से सत्ता में आई तब से मात्र घोषणा ही करती रही है। वीरभद्र सरकार में प्रदेश को मिले सबसे बड़े 1134 करोड़ के बागवानी प्रोजेक्ट के तहत सीए स्टोर को पराला में बनाने की मंजूरी मिली थी। इसके साथ ही अन्य क्षेत्रों में भी सीए स्टोर निर्माण की मंजूरी दी गई थी। भाजपा सरकार का इस प्रोजेक्ट से कोई लेना देना नहीं है, यह सरकार केवल श्रेय लेने की होड़ में लगी है। जयराम सरकार ने तो प्रदेश के बागवानों को मिलने वाली निशुल्क कीटनाशक दवाइयों पर भी रोक लगा दी है। इससे पता लगता है कि यह सरकार बागवानों की कितनी हितेषी है? इस प्रोजेक्ट को मंजूर करवाने में पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह व पूर्व बागवानी मंत्री विद्या स्टोक्स का योगदान रहा है। अन्यथा वर्तमान बागवानी मंत्री के ब्यान तो साफ दर्शाते हैं कि उन्हें बागवानी की कोई समझ ही नहीं है। वे कभी सेब खुले में बेचने की हिदायत देते हैं तो कभी यूनिवर्सल कार्टन की बात कर हास्यास्पद ब्यान देते हैं। कांग्रेस सरकार ने एपीडा के तहत हिमाचल में सात सीए स्टोर स्थापित करने का प्लान तैयार किया था। इनमें से 3 सीए स्टोर जुब्बल कोटखाई में ही स्थापित करने का प्रावधान रखा गया था, चूंकि यह क्षेत्र सेब बाहुल्य के लिए जाना जाता है। यदि प्रदेश में सीए स्टोर समय से तैयार किये जाते तो बागवानों के पास आज सेब भंडारण करने का सही विकल्प होता। सवाल : जुब्बल - कोटखाई विधानसभा क्षेत्र में पिछले 4 वर्षों से विकासात्मक कार्यों को किस तरह से देखते हैं? जवाब : विकास पर तो इस सरकार ने पूर्ण विराम ही लगा दिया है। हिमाचल की भौगोलिक परिस्थितियां कैसी होती है, इससे कोई भी अज्ञात नहीं है। पहाड़ी क्षेत्रों में जनता के लिए सड़कें जीवन रेखा का कार्य करती हैं। ऐसे में सरकार ने सड़कों का कोई विकास नहीं किया। इस क्षेत्र में ठियोग-खड़ापत्थर-हाटकोटी सबसे प्रमुख मार्ग है। इसके लिए कांग्रेस सरकार ने बेहतरीन प्रयास करते हुए करीब यह काम पूरा करवा दिया था। मात्र 8 फीसदी कार्य इस सरकार के लिए शेष रह गया था, इसे भी वर्तमान सरकार पूरा करवाने में विफल रही। इसके अलावा कांग्रेस सरकार के समय में इस क्षेत्र के लिए विभिन्न 61 विकासात्मक प्रोजेक्ट स्वीकृत किये गए थे। इन प्रोजेक्टस में विभिन्न फंडिंग एजेंसियों व योजनाओं के तहत करीब 250 करोड़ रुपए की राशि खर्च होनी थी, लेकिन भाजपा सरकार ने चार बार बजट बनाने के बाद भी इस क्षेत्र के लिए कोई कार्य नहीं किया। वहीं स्वास्थ्य सुविधाओं की बात करें तो कांग्रेस सरकार ने प्रदेश में 14 स्वास्थ्य संस्थान खोले थे, जो आज के कोविड जैसे समय में जनता के लिए वरदान साबित हो रहे हैं, लेकिन वर्तमान सरकार ने नए संस्थान खोलना तो दूर, बल्कि जो थे भी उनमें से भी 6-7 संस्थान बन्द कर दिए हैं। इनमें एक संस्थान जुब्बल - कोटखाई का भी बंद कर दिया है। कांग्रेस सरकार ने पब्बर नदी से 38 करोड़ की उठाऊ पेयजल योजना स्वीकृत की थी, लेकिन इस महत्वाकांक्षी परियोजना का भाजपा सरकार टेंडर भी फाइनल नहीं कर पाई है। ऐसे में लोगों को पेयजल समस्या का कितना सामना करना पड़ रहा है, इसका जवाब आने वाले चुनावों में जनता ही देगी। सवाल : बागवानों को सेबों के उचित दाम क्यों नहीं मिल रहे हैं, आप इसका क्या कारण मानते हैं? जवाब : बागवानों को सेब के उचित दाम नहीं मिल रहे हैं। यह निजी कंपनियों और मंडियों में आढ़तियों की मिलीभगत का ही परिणाम है कि उन्हें सेब पैदावार की लागत का पैसा भी नहीं मिल पा रहा। बागवानों से ये लोग पहले सस्ते में सेब खरीदेंगे और फिर अपने सीए स्टोर में भंडारण कर कुछ समय बाद महंगे दामों में बेचेंगे। बागवानों का सेब पर लागत मूल्य लगातार बढ़ा ही है। पहले कार्टन के दाम बढ़े फिर डीजल-पेट्रोल महंगा होने से ट्रांसपोर्ट का खर्चा बढ़ा। इसके अलावा सरकार की तरफ से जो बागवानों को कीटनाशक दवाएं उपलब्ध करवाई जाती थी, उन्हें भी सरकार ने अब बंद कर दिया है। हालांकि प्रदेश में जब उपचुनाव की सुगबुगाहट चल रही थी, तो मुख्यमंत्री ने उस समय ऊपरी क्षेत्र के दौरे के दौरान खड़ापत्थर में आनन-फानन में आकर जनता को संबोधित करते हुए कई घोषणाएं तो कर दी, लेकिन वे कागजों पर ही सिमट कर रह गई। उस दौरान मुख्यमंत्री ने घोषणा की थी कि वह स्वयं कीटनाशक दवाइयों को लेकर बागवानी विभाग के साथ समीक्षा करेंगे और बागवानों को निशुल्क दवाई उपलब्ध करवाने का प्रयास करेंगे। मैं आपको बता दूं कि बागवानों की जब फसल तैयार हो चुकी हो और तुड़ान का वक्त चल रहा हो, तो उस समय ऐसी घोषणाएं बागवानों के साथ बेमानी है। एमआईएस के तहत खरीदे गए सेब को भी सरकार मंडियों में बेच रही है। इसका भी सीधा असर बागवानों पर पड़ रहा है, जबकि मंडी मध्यस्थता योजना के तहत जो निम्न स्तर का सेब खरीदा गया है, इसे डिस्ट्रॉय कर बागवानों से बी-ग्रेड व ऑफ़ वैरायटी खरीदनी चाहिये। सवाल : राजनीति में वंशवाद को आप कितना सही मानते हैं, चूंकि दोनों दलों पर परिवारवाद के आरोप-प्रत्यारोप लगते रहे हैं? जवाब : यह सरकार शुरू से ही परिवारवाद का ढिंढोरा पीटती आई है। हिमाचल में होने वाले उपचुनाव और 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव में देखना होगा कि परिवारवाद की राजनीति कौन करता है और कौन नहीं करता है। भाजपा की कथनी और करनी में कितना अंतर है, यह तो आने वाले समय में पता लग जाएगा।
सेब बागवानों को मिल रहे कम दामों को लेकर मचे घमासान के बीच एक बार फिर से माकपा के ठियोग से विधायक राकेश सिंघा खुलकर बागवानों के समर्थन में खड़े दिख रहे है। फर्स्ट वर्डिक्ट मीडिया को दिए गए साक्षात्कार में उन्होंने मुख्यमंत्री व बागवानी मंत्री की समझ को लेकर तंज भी कसा और साथ ही मार्केटिंग बोर्ड सहित सरकारी एजेंसियों के अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग कर डाली। इस दौरान सिंघा ने बागवानों को पेश आने वाली मूल समस्याओं पर भी अपनी बात रखी। बेबाकी से अपनी बात को रखने वाले राकेश सिंघा ने साक्षात्कार में क्या कहा आइये जानते है उसके कुछ मुख्य अंश.... सवाल : बागवानों को सेब के उचित दाम नहीं मिल रहे है, इसका आप क्या कारण मानते है? जवाब : बागवानों को उचित दाम नहीं मिल रहा क्योंकि सरकार द्वारा तय मापदंडों पर कोई अमल नहीं कर रहा। चूंकि बागवानों को सेब की पैकिंग, ग्रेडिंग, ट्रांसपोर्टेशन व कार्टन खरीदने पर बहुत ज्यादा खर्च करना पड़ता है, तो ऐसे में सेब को मंडियो तक पहुंचाने की लागत अधिक बढ़ जाती है। इसके अलावा सेब के सरंक्षण के लिए पहले हॉर्टिकल्चर की तरफ से मुफ्त कीटनाशक व पेस्टिसाइड्स उपलब्ध करवाए जाते थे, लेकिन अब बागवानों को ये स्वयं खर्च कर खरीदने पड़ते है। इस वजह से सेब की लागत लगातार बढ़ती जा रही और उन्हें लागत के भी उचित दाम नही मिल रहे। सवाल : मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और बागवानी मंत्री महेंद्र सिंह द्वारा बागवानों पर दिए गए बयान पर आप क्या कहते है? जवाब : मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर स्वयं बागवानी नहीं करते और न ही उनके सिपहसालार उन्हें सही सलाह दे पा रहे है। उनके दिए बयान से किसान- बागवान हताश है। मुख्यमंत्री स्वयं बागवानी करते तो इस तरह की टिप्पणी नहीं करते। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को बागवानी की समझ नहीं है। मुख्यमंत्री का यह सुझाव की फसल को होल्ड करे, यह समझ से परे है। वहीं बागवानी मंत्री महेंद्र सिंह ने जो बयान दिया है वह उनकी बचकानी हरकत को दर्शाता है। वो बताए कि बागवान अपने सेब को क्रेट में भरकर कौन सी ऐसी मंडियों में ले जाए जहां उन्हें उचित दाम मिले। सवाल : मार्केटिंग बोर्ड के अधिकारियों का कहना है कि इस बार सेब की बम्पर फसल होने और उच्च गुणवत्ता न होने पर दाम गिरे। आप इससे कितने सहमत है? जवाब : सरकारी एजेंसियों के अधिकारियों द्वारा सुझाए गए ऐसे कारण बहुत ही निंदनीय है। ऐसे अधिकारियों को अरेस्ट कर देना चाहिए। इन अधिकारियों पर कार्रवाई अमल में लाई जानी चाहिए। ये लोग सरकार द्वारा बनाए गए रेगुलेशन सहित अन्य नियमों को तो लागू नहीं करवा पा रहे है, उल्टा ऐसे कारण गिनवाकर बागवानों की समस्या और बढ़ा रहे है। तय नियम के तहत यदि ऐसे अधिकारियों पर कार्रवाई होती है तो सब बागवानों की दिक्कत ठीक हो सकती है। बम्पर फसल तो केवल बहाना है। सवाल : संयुक्त किसान मंच की चेतावनी के बाद मुख्यमंत्री ने सीए स्टोर व कश्मीरी तर्ज पर सेब खरीद को लेकर जो बैठक बुलाई है, उस पर आप क्या कहते है? जवाब : अच्छा होता अगर इस बैठक में बागवानों को भी आमंत्रित किया जाता, उनके सुझाव व समस्याओं पर बैठक में चर्चा की जाती। चूंकि नियमों के अनुसार सीए स्टोर में एक किलो सेब का दाम डेढ़ रुपये होना चाहिए जबकि अदानी के सीए स्टोर में 2 रुपये दाम वसूले जा रहे है। इसे देखकर ऐसा लगता है सरकार का झुकाव ओद्योगिक घरानों की तरफ ज्यादा व मेहनती बागवानों की तरफ कम है। यह एक संवेदनशील मुद्दा है, सरकार को इसे गंभीरता से लेना चाहिए न कि उलट बयान देकर बागवानों को निराश करना चाहिए। सवाल : आप बागवानों के हित में आवाज़ उठाते आये है, अगला कदम क्या होगा ? जवाब : बागवानों को अपनी समस्याएं कम करने के लिए आगे बढ़कर आवाज़ उठानी होगी। सरकार की मनमानी का विरोध करना होगा। इसके लिए किसानों-बागवानों का सक्रिय होना बेहद ज़रूरी। हिमाचल की अधिकतर आर्थिकी बागवानों पर निर्भर है, ऐसे में बागवानों का हताश होना हिमाचल के लिए अच्छा संकेत नहीं। सभी बागवानों को एकजुट होकर आवाज़ उठानी होगी।
"मैं देख रहा हूं कि जयराम सरकार व वे खुद मेरे विधानसभा क्षेत्र में पहुंचकर मेरे खिलाफ बयानबाजी कर रहे हैं जो तथ्यों से परे है निराधार है। हकीकत तो यह है कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को मुझसे डर है। उन्हें डर है कि कहीं मैं कांग्रेस की तरफ से सीएम पद का उम्मीदवार न बन जाऊं कांग्रेस के पास हिमाचल में योग्य नेताओं की कोई कमी नहीं है। आशा कुमारी ,सुखविंदर सिंह सुक्खू, मुकेश अग्निहोत्री जैसे कई चेहरे है, सब वरिष्ठ है और कद्दावर भी। पहले सबका एक ही लक्ष्य है कि 2022 में पार्टी को सत्ता में लाया जाए। " ठाकुर कौल सिंह का नाम प्रदेश की सियासत में किसी परिचय का मोहताज नहीं है। 8 बार विधायक रहे कौल सिंह ठाकुर प्रदेश में तीन बार कैबिनेट मंत्री भी रहे है और एक बार विधानसभा स्पीकर का पद उन्होंने संभाला है। 2012 के विधानसभा चुनाव से पहले उनका नाम मुख्यमंत्री पद के लिए भी चर्चा में था, हालांकि तब वीरभद्र सिंह के वापस प्रदेश की सियासत में लौटने से सीएम की कुर्सी तक वे नहीं पहुंच पाए। अब वीरभद्र सिंह के निधन के बाद कांग्रेस से कई नाम मुख्यमंत्री पद के दावेदार माने जा रहे है, जिनमें ठाकुर कौल सिंह भी शामिल है। कौल सिंह वरिष्ठ नेता तो है ही, उनकी जमीनी पकड़ पर भी कोई संशय नहीं है। जनता से उनका सीधा जुड़ाव और सियासत की गहन समझ के बुते कौल सिंह ठाकुर का दावा निसंदेह मजबूत है। बेशक खुद कौल सिंह ठाकुर सीधे तौर पर अपना दावा नहीं जता रहे लेकिन उनके समर्थक फ्रंट फुट पर दिख रहे है। उनकी लगातार बढ़ती सक्रियता न सिर्फ भाजपा के लिए परेशानी का सबब है बल्कि कांग्रेस के भीतर उनके विरोधियों के लिए भी सीधा सन्देश है कि 2022 में ठाकुर कौल सिंह का दावा मजबूत होने वाला है। प्रदेश की राजनीति और कांग्रेस की वर्तमान स्थिति पर फर्स्ट वर्डिक्ट ने ठाकुर कौल सिंह से विशेष बातचीत की। पेश है बातचीत के मुख्य अंश .... सवाल : वर्तमान परिवेश में आप हिमाचल की राजनीति को किस तरह देखते हैं? जवाब : हिमाचल प्रदेश की राजनीति में व्यापक बदलाव आया है। मैं पिछले करीब 50 सालों से हिमाचल की राजनीति में सक्रिय हूं, जिसमें मैंने 8 बार चुनाव लड़े हैं। 80-90 के दशक की राजनीति में काफी अंतर था लेकिन अब परिस्थितियां बिल्कुल बदल चुकी हैं। मतदाता राजनीतिज्ञ से ज्यादा एक्टिव है। वह हर चीज का मूल्यांकन करता है, हर विषय को गंभीरता से सोचता है। उसके बाद ही मतदान करता है। हिमाचल का वोटर पढ़ा लिखा वोटर है, ऐसे में सोच समझकर ही अपने नेताओं को चुनाव करता हैं। एक समय था जब व्यक्ति विशेष के नाम पर ही मतदान किया जाता था, लेकिन अब आदमी की पहचान और उसका काम भी देखा जाता है। सवाल : पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय वीरभद्र सिंह के बाद हिमाचल में कांग्रेस का चेहरा कौन होगा ? जवाब : इसमें कोई संदेह नहीं है कि हिमाचल में कांग्रेस की पहचान बनाने में पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय वीरभद्र सिंह ने काफी अहम भूमिका अदा की है या यूं कहा जाए कि हिमाचल में कांग्रेस का दूसरा नाम ही वीरभद्र सिंह था। उनके जाने के बाद पार्टी का चेहरा कौन होगा यह पार्टी हाईकमान तय करेगी। सवाल : मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में आपका नाम भी है, इसमें कितनी सचाई है ? क्या हिमाचल की कमान संभालने के लिए आप तैयार हैं ? जवाब : ये बिलकुल सही है कि पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय वीरभद्र सिंह के निधन के बाद पार्टी को हिमाचल प्रदेश में चेहरे की तलाश है। वरिष्ठता के आधार पर मेरा नाम भी चर्चा में है। पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के बाद सबसे वरिष्ठ मंत्री मैं ही हूं। मैं 8 बार विधानसभा पहुंचा हूं, जबकि पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह 9 बार विधानसभा पहुंचे थे। अगर पार्टी हाईकमान और संगठन मुझे हिमाचल की कमान सौंपता है तो मैं उस निर्णय का भी स्वागत करूंगा और इसके लिए मैं पूरी तरह तैयार भी हूं। पर फिलहाल हिमाचल में कांग्रेस का चेहरा कौन होगा, इसका निर्णय पार्टी हाईकमान को करना है। पहला लक्ष्य अगले साल सत्ता में वापस लौटना है, फिर विधायक दल की राय से पार्टी आलाकमान ही मुख्यमंत्री का निर्णय करेगा। कांग्रेस के पास हिमाचल में योग्य नेताओं की कोई कमी नहीं है।आशा कुमारी ,सुखविंदर सिंह सुक्खू, मुकेश अग्निहोत्री जैसे कई चेहरे है, सब वरिष्ठ है और कद्दावर भी। बहरहाल पहले सबका एक ही लक्ष्य है कि 2022 में पार्टी को सत्ता में लाया जाए ताकि प्रदेश का विकास फिर पटरी पर लौटे। सवाल : भाजपा के निशाने पर आप विशेष तौर पर दिखते है, क्या कारण है? जवाब : पिछले लंबे समय से मैं देख रहा हूं कि जयराम सरकार व वे खुद मेरे विधानसभा क्षेत्र में पहुंचकर मेरे खिलाफ बयानबाजी कर रहे हैं जो तथ्यों से परे है निराधार है। जयराम सरकार को उनके सहयोगी मंत्रियों को मेरे एक्टिव होने से दिक्कत होने लगी है। मुख्यमंत्री द्वारा मेरी ही विधानसभा में पहुंच कर मेरे खिलाफ टीका टिप्पणी की जाती है। साथ ही यह कहा जाता है कि मेरे खिलाफ कुछ सुबूत उनके पास है। ऐसे में मैं मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को चुनौती देता हूं कि अगर मेरे खिलाफ उनके पास किसी भी चीज को लेकर सुबूत है तो वे उन सबूतों को सार्वजनिक करें और मैं उन्हें यह अधिकार देता हूं कि मेरे खिलाफ न्यायालय में मामला दर्ज करवाएं। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को मैं कई मंचों से यह कह चुका हूं हिम्मत है तो एक मंच पर आए और मेरे साथ विकास के मुद्दों पर चर्चा कर के दिखाएं। हकीकत तो यह है कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को मुझसे डर है। यही कारण है कि वह अपने कई मंत्रियों व खुद मेरी विधानसभा में पिछले लंबे समय से मेरे खिलाफ प्रचार करने में डटे हुए हैं। उन्हें डर है कि कहीं मैं कांग्रेस की तरफ से सीएम पद का उम्मीदवार न बन जाऊं। सवाल : भाजपा की चार्जशीट में आपके खिलाफ तीन आरोप है और ये कितने सही है? जवाब : भाजपा सरकार ने मेरे खिलाफ 3 आरोप लगाए थे। इनमें पहला आरोप जो उनकी चार्जशीट में हैं उसमें आईजीएमसी शिमला में ऑक्सीजन प्लांट को लेकर है। ऐसे में मैं यह जयराम सरकार से पूछना चाहता हूं कि अगर मैं इस प्लांट का निर्माण नहीं करवाता तो कोरोना काल में लोगों की जानें क्या बच पाती। इस ऑक्सीजन प्लांट की वजह से ही कोरोना काल में लोगों को ऑक्सीजन की सुविधा उपलब्ध हो पाई। क्या मैंने इसे स्थापित करवा कर गलत किया। मेरे खिलाफ दूसरा आरोप चार्जशीट में लगाया गया है कि मैंने 8000 आशा वर्कर्स की तैनाती करवाई। अब मैं यह जानना चाहता हूं कि जरूरतमंद महिलाओं को नौकरी पर लगाना क्या गलत है। वर्तमान समय में जिस तरह से हम सभी कोरोना महामारी से जूझ रहे हैं उस दौर में आशा वर्कर्स की भूमिका भी काफी अहम मानी गई है। ऐसे में इस बात का निर्णय जनता को ही तय करने दीजिए। मुझ पर तीसरा आरोप एसआरएल लैब को 24 घंटे खुली रखने व दामों को तय करने को लेकर लगाया गया है। क्या अस्पताल में आने वाले मरीजों को 24 घंटे सस्ते टेस्ट करवाने की सुविधा उपलब्ध करवाना गलत है। आज हजारों लोग प्राइवेट लैब में न जाकर एसआरएल लैब में टेस्ट करवा कर इस सुविधा का लाभ ले रहे हैं। सवाल : अभी हाल ही में लाहुल घाटी का आपने दौरा किया, किस तरह देखते हैं आप इसको और घाटी विकास करवा पाई है जयराम सरकार? जवाब : मुझे इस बात का दुख है कि प्रदेश के सबसे बड़े दुर्गम जनजातीय जिला लाहौल स्पीति में जयराम सरकार विकास करवाने में पूरी तरह असफल रही है। घाटी में न तो स्वास्थ्य सुविधाएं बेहतर हो पाई है और न ही यहां अस्पतालों में विशेषज्ञों की तैनाती जयराम सरकार कर पाई है।यही नहीं लाहौल स्पीति के अधिकतर क्षेत्रों में तो मोबाइल नेटवर्क तक उपलब्ध नहीं है। सड़कों की हालत भी यहां काफी खस्ता है। जहां सरकार को प्राथमिकता के आधार पर इस जनजाति जिला में विकास की नई इबारत लिखनी चाहिए थी वहीं जयराम सरकार ने लाहौल स्पीति में नाममात्र का काम किया है।
प्रदेश सरकार में जनजातीय विकास मंत्री डॉ. रामलाल मार्कंडेय का दावा है कि प्रदेश में होने वाले चार उपचुनाव में बीजेपी ही जीत दर्ज करेगी। इसके साथ-साथ पार्टी अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में फिर से सत्ता में आएगी। उन्होंने विपक्ष यानी कांग्रेस काे करारा जवाब देते हुए कहा कि कांग्रेस के पास न तो नेता है और न नेतृत्व। पूर्व में जब कांग्रेस की सरकार थी तो मात्र परिवारवाद और भ्रष्टाचार काे बढ़ावा दिया गया। यहां तक कि बैकडोर एंट्री करवा कर चहेतों काे लाभ पहुंचाया। आज कांग्रेस जो भी आरोप लगा रही है वह पूरी तरह से तर्कहीन है। कांग्रेस काे अपने गिरेबान में झांकना चाहिए। कांग्रेस चाहे चार्जशीट लाए चाहे मार्कशीट हमें उसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। फर्स्ट वर्डिक्ट मीडिया से बातचीत के दौरान डॉ. रामलाल मार्कंडेय ने विपक्ष के खिलाफ मोर्चा खोल दिया ... सवाल: प्रदेश कांग्रेस सरकार के खिलाफ चार्जशीट तैयार कर रही है, इस पर आप क्या कहेंगे हैं? जवाब: कांग्रेस की पुरानी आदत है कि वह अपनी नाकामियों काे छिपाने के लिए चार्जशीट लेकर आती है। हमें इससे काेई फर्क नहीं पड़ेगा। कारण यह है कि प्रदेश की जयराम सरकार ने पहले दिन से राज्य के हर क्षेत्र और हर वर्ग का विकास किया है। कांग्रेस आज विपक्ष में बैठी है तो उसके पास काेई भी नया एजेंडा नहीं है, इस कारण अब चार्जशीट काे हथियार बना रही है। कांग्रेस के नेताओं काे मालूम होना चाहिए कि उनके कार्यकाल में बैकडोर एंट्री, भ्रष्टाचार, अनियमितता और रिश्तेदारों काे नौकरी दी गई। बावजूद इसके अब हमारी स्वच्छ छवी वाली सरकार पर उंगली उठाने लगी है। प्रदेश की जनता बखूबी जानती है कि कांग्रेस हमेशा से ही भ्रष्टाचार में डूबी रहती है। कांग्रेस चार्जशीट लाए या फिर मार्कशीट हमें उससे काेई लेना-देना नहीं। कांग्रेस की पुरानी परंपरा रही है कि वह विपक्ष में रह कर सरकार के खिलाफ चार्जशीट लेकर आती है, जाे प्रदेश की जनता काे गुमराह करने वाली होती है। हमारी सरकार का काम है सिर्फ और सिर्फ विकास। सवाल: प्रदेश में चार उपचुनाव के लिए सरकार-संगठन कितने तैयार है ? जवाब: चार उपचुनाव होने हैं और बीजेपी सभी सीटों पर जीत दर्ज करेगी। चाहे मंडी संसदीय सीट हो या फिर फतेहपुर, अर्की और जुब्बल-कोटखाई विधानसभा उपचुनाव, कांग्रेस कहीं पर भी स्टैंड नहीं कर पाएगी। कारण यही है कि कांग्रेस के पास न तो नेता है और न ही नेतृत्व। इसके साथ-साथ प्रदेश की जनता काे मालूम है कि जयराम सरकार ने हिमाचल का विकास किया है। हमारी सरकार ने पहले दिन से ही जनहित के पक्ष में फैसले लिए हैं। सरकार और संगठन की ओर से तैयारियां पूरी हैं, बस अधिसूचना का इंतजार रहेगा। मैं बार-बार यही कह रहा हूं कि उपचुनावाें में कांग्रेस काे मुंह की खानी पड़ेगी। सवाल: अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। आप सरकार में मंत्री भी हैं, क्या जनता सरकार से खुश हैं? जवाब: अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं और बीजेपी रिपीट करेगी। प्रदेश की जनता यही कह रही है कि एक बार कांग्रेस और एक बार भाजपा की परंपरा काे समाप्त कर दाे। ऐसे में साफ है कि अगले साल हम फिर से सत्ता में लौटेंगे। कांग्रेस वाले चाहे लाख कोशिश करें, उनकाे विपक्ष में ही रहना पड़ेगा। मैं आज नहीं, पूर्व में भी मंत्री रह चुका हूं और पूरे प्रदेश के विकास के लिए बात करता रहा हूं। विकास चाहे लाहौल का हो या फिर किन्नौर का, हमारी सरकार ने सभी क्षेत्रों काे एक सूत्र में बांध कर विकास कार्य किए हैं। प्रदेश में आईटी सेक्टर, जनजातीय विकास, कृषि समेत अन्य क्षेत्रों में मैंने सरकार के माध्यम से कार्य करवाए हैं। प्रदेश की जनता हमारी सरकार से खुश हैं। यही वजह है कि आने वाले उपचुनाव में बीजेपी की जीत तय है। सवाल: रवि ठाकुर बार-बार आरोप लगा रहे हैं कि आपने क्षेत्र का विकास नहीं किया, क्या यह सही है? जवाब: कांग्रेस के आरोपों से मैं डरने वाला नहीं हूं। लाहौल-स्पीति का विकास जाे इस सरकार में हुआ है वह कांग्रेस कार्यकाल से सौ गुणा अधिक है। ऐसे में रवि ठाकुर जाे मर्जी आरोप लगा ले उससे मुझे काेई लेना-देना नहीं है। हमारी जयराम सरकार ने तो विकास किया, लेकिन कांग्रेस राज में ताे लाेगाें काे बांटने का काम किया गया। पूर्व में जब कांग्रेस की सरकार थी तो लाहौल-स्पीति में विकास के नाम पर एक भी ईंट नहीं लगी। यहीं से अंदाजा लगाया जा सकता है कि कांग्रेस पूरी तरह से बौखला चुकी है। कांग्रेस जयराम सरकार द्वारा किये गए विकास कार्यों काे पचा नहीं पा रही है। हमने तो भारी बरसात, बर्फबारी और आपातकाल में भी विकास किया। रवि ठाकुर यह बताए कि उनकी सरकार थी तो यहां क्या-क्या किया। सवाल: प्रदेश के जनजातीय क्षेत्रों में विकास के लिए केंद्र से कितना सहयोग मिल रहा है? जवाब: प्रदेश के जनजातीय क्षेत्रों का हर संभव विकास हो रहा है। केंद्र की मोदी सरकार से भी सहायता मिल रही है। उदाहरण के लिए रोहतांग टनल की बात करें तो यह मोदी सरकार की देन है। यदि देश में कांग्रेस की सरकार हाेती ताे यह सुरंग कभी नहीं बन पाती। किन्नौर, लाहौल-स्पीति, पांगी और भरमौर की जनता यही कह रही है कि पहले भी बीजेपी की सरकार हाेती ताे विकास और अधिक हाेता। यानी यहां की जनता पहले से ही कांग्रेस से दुखी हो चुकी है।
विपक्ष द्वारा सत्ता पक्ष के खिलाफ चार्जशीट लाना हिमाचल की सियासी परंपरा रही है। विपक्ष में जो भी पार्टी होती है वह सत्ता पक्ष के खिलाफ चार्जशीट लेकर आती है। वीरभद्र सरकार के खिलाफ भाजपा चार्जशीट लाई थी और अब कांग्रेस की बारी है। कांग्रेस जल्द ही जयराम सरकार के अब तक के कार्यकाल पर आरोप पत्र लाएगी। ख़ास बात ये है कि पार्टी सभी 68 विधानसभा क्षेत्राें की अलग-अलग चार्जशीट लेकर आएगी। कांग्रेस चार्जशीट कमेटी के चेयरमैन राजेश धर्माणी का दावा हैं कि कांग्रेस की चार्जशीट हवाई-हवाई नहीं हाेगी, बल्कि तथ्याें पर हाेगी। फर्स्ट वर्डिक्ट मीडिया के साथ हुई विशेष बातचीत में धर्माणी ने इस सियासी चार्जशीट को लेकर पार्टी की बात रखी। सरकार पर हमलावर होते हुए राजेश धर्माणी ने कहा कि इस वक्त हिमाचल में सबसे बड़ा सीएम आरएसएस है। सीएम जयराम ठाकुर अपने दम पर काेई भी फैसला नहीं करते। राजेश धर्माणी की माने तो अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का काेई प्रभाव नहीं पड़ेगा। वे कहते हैं कि इस वक्त कांग्रेस काे पीसीसी चीफ और नेता प्रतिपक्ष लीड कर रहे हैं, अगले साल कांग्रेस पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में आएगी। पेश है उनके साथ हुई बातचीत के मुख्य अंश.. सवाल: आपको भाजपा सरकार के खिलाफ चार्जशीट तैयार करने की जिम्मेवारी मिली है, ये चार्जशीट कब तक तैयार होगी? जवाब: पार्टी हाईकमान ने मुझे प्रदेश की भाजपा सरकार के खिलाफ चार्जशीट तैयार करने के लिए जिम्मेदारी सौंपी है। हमारी टीम हर पहलू पर काम कर रही है, जिसमें भाजपा सरकार की नीतियों के खिलाफ आरोप पत्र तैयार किए जाएंगे। हम पहली बार सभी 68 विधानसभा क्षेत्रों की चार्जशीट लेकर आएंगे। प्रदेश की जयराम सरकार के खिलाफ कई भ्रष्टाचार के आरोप हैं और हमारी टीम तथ्यों के साथ दस्तावेज खंगाल रही है। भाजपा ने 2017 के चुनाव में जो वादे किए थे, उसमें से अभी तक 95 प्रतिशत घोषणाएं पूरी नहीं हुई। ऐसे में कांग्रेस चार्जशीट में भ्रष्टाचार के खिलाफ पुख्ता दस्तावेज के साथ आरोप तय किए जाएंगे। सवाल: भाजपा सरकार के अब तक के कार्यकाल में आप भ्रष्टाचार के आरोप लगा रहे है। इन कथित आरोपों के पीछे क्या आधार हैं? जवाब: प्रदेश की जयराम सरकार के अब तक के कार्यकाल में सिर्फ और सिर्फ भ्रष्टाचार ही हुआ हैं। सरकार ने अपनी नीतियों काे दरकिनार कर अपने चहेतों काे लाभ पहुंचाया। हिमाचल में तो दशा यह है कि आरएसएस सबसे बड़ा सीएम है। प्रदेश की जनता ने जिस उम्मीद के साथ जयराम ठाकुर काे सीएम बनाया, उस पर खरा उतरने में वह पूरी तरह से नाकाम साबित हो चुके हैं। सरकार में बैकडोर एंट्री, कर्मचारियों की मांगों को नजरअंदाज, नीतियों के खिलाफ किए जा रहे काम समेत ऐसे कई अनियमितता हैं, जिसे कांग्रेस चार्जशीट में संलग्न करेंगे। हम काेई कथित आरोप नहीं लगा रहे हैं, बल्कि पुख्ता सबूत के साथ चार्जशीट लेकर आएंगे। कांग्रेस विश्व की सबसे बड़ी लोकतांत्रिक पार्टी है। हम लोकतंत्र में विश्वास रखते हैं और जनहित के मुद्दों पर बात करते हैं। सवाल: हर बार दाेनाें दलों की ओर से चार्जशीट आती है, लेकिन उस पर जांच क्यों नहीं होती? जवाब: जांच करवाने की जिम्मेवारी सरकार की हाेती है। पूर्व में जब कांग्रेस की सरकार थी तो जिन लाेगाें के खिलाफ आरोप लगे थे, उनके खिलाफ जांच की और निष्कर्ष भी निकला। तथ्यों के आधार पर पत्र लाएंगे तो निश्चित रूप से जांच में आंच नहीं आएगी। प्रदेश की जयराम सरकार के जिन मंत्रियों ने भ्रष्टाचार किया होगा उन्हें आने वाले समय में भुगतना पड़ेगा। कांग्रेस ने जब-जब भी चार्जशीट तैयार की तब-तब जांच काे अंतिम रूप दिया गया। जहां तक भाजपा चार्जशीट की बात है वह पूरी तरह से हवाई-हवाई होती है, जिसमें न तो तथ्य होते है और न ही सबूत। ऐसे में भाजपा सरकार जांच करेगी भी तो आखिर किसके खिलाफ। सवाल: अगले साल चुनाव भी होने हैं तो क्या चार्जशीट का लाभ कांग्रेस काे मिलेगा ? जवाब: अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में वापसी करेगी। प्रदेश की जनता साक्षर है, जनता भली भांति जान चुकी है कि डबल इंजन की सरकार पूर्ण रूप से विफल रही है और पूर्ण रूप से दिशाहीन भी है। कमर तोड़ महंगाई, बेराेजगारी, ओल्ड पेंशन स्कीम, काेराेना काल में भ्रष्टाचार, भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष बदलना, विधानसभा स्पीकर बदलना यही संकेत दे रहा है कि भाजपा सरकार ने भ्रष्टाचार के साथ समझाैता किया। संभवत: अगले साल यानी 2022 में हाेने वाले चुनाव में कांग्रेस चार्जशीट का लाभ संगठन काे मिलेगा। सवाल: प्रदेश कांग्रेस अब स्व. वीरभद्र सिंह के बाद किसके नेतृत्व में चुनाव लड़ेगी? जवाब: प्रदेश कांग्रेस संगठन के नाम पर चुनाव लड़ेगी और जीतेगी भी। वीरभद्र सिंह आपने आप में एक नेतृत्व थे, लेकिन अब उनके नहीं होने से संगठन काे एकजुट होकर चुनाव लड़ना पड़ेगा। पार्टी हाईकमान तय करेगा कि चुनाव जीतने के बाद किसे सीएम का चेहरा बनाया जाए। भाजपा की तरह कांग्रेस पहले ही सीएम पद का उम्मीदवार घोषित नहीं करती है। ऐसे में मैं यही कहना चाहता हूं कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष संगठन काे लीड कर रहे हैं। अगले साल कांग्रेस सत्ता में वापसी करेगी।
प्रदेश में हाेने वाले चार उपचुनावाें से पहले राज्य में भाजपा और कांग्रेस की राजनीतिक सरगर्मियां तेज हाेती जा रही है। हालांकि अभी तक निर्वाचन आयोग से चुनावी शेड्यूल जारी नहीं हुआ है, लेकिन विपक्ष यानी कांग्रेस ने भीतरखाते पूरी तैयारी कर ली है। दोनों मुख्य राजनीतिक दलों की तरफ से वार -पलटवार की राजनीति प्रखर हो चुकी है। वहीँ पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के निधन के बाद कांग्रेस में भी सरगर्मियां तेज है। पार्टी के प्राइम फेस को लेकर तरह -तरह के कयास लग रहे है। कई वरिष्ठ नेताओं के नाम इस फेहरिस्त में है जिनमें से एक नाम है डलहौज़ी विधायक आशा कुमारी का। विधानसभा के बदले सीटिंग प्लान में आशा कुमारी को स्व वीरभद्र सिंह वाली कुर्सी दी गई है। इसके कई राजनीतिक मायने भी निकाले जा रहे है। ऐसे ही कई मसलों पर फर्स्ट वर्डिक्ट ने आशा कुमारी से विशेष बातचीत की। हमने यह भी जानने की काेशिश की कि पूर्व सीएम स्व.वीरभद्र सिंह के निधन के बाद पार्टी में अब सीएम का चेहरा काैन हाेगा? 2022 के चुनाव के लिए कांग्रेस की क्या रणनीति है? आशा कुमार ने साफ कहा कि सीएम चेहरा काेई नहीं हाेता है, पार्टी चुनाव लड़कर सत्ता में आएगी। उपचुनावाें में देरी काे लेकर भी आशा ने माेदी सरकार के खिलाफ माेर्चा खाेलते हुए कहा कि उपचुनाव से डर रही भाजपा काेराेना के बहाने इन्हें टालने के प्रयास कर रही है। पेश है आशा कुमारी से हुई बातचीत के मुख्य अंश... सवाल: आप कांग्रेस की वरिष्ठ नेता है। जल्द चार उपचुनाव होने है, ऐसे में इन उपचुनावाें में कांग्रेस की तैयारी और प्रदर्शन को लेकर आप क्या कहेंगी ? जवाब: प्रदेश में तीन विधानसभा और मंडी संसदीय सीट पर उपचुनाव हाेने हैं, लेकिन केंद्र की माेदी सरकार काेराेना के बहाने चुनाव टाल रही है, डर रही है। कांग्रेस पहले ही तैयार है और हर माेर्चे पर सशक्त है। हमें ताे सिर्फ चुनावी तिथियाें का इंतजार है। कांग्रेस चाराें उपचुनाव जीतेगी, मगर माेदी सरकार उपचुनाव करवाए ताे सही। हमें शंका है कि सरकार की उपचुनाव करवाने की मंशा नहीं हैं। काेराेना का बहाना बना कर सरकार चुनाव टालना चाहती है क्यों कि उनकी हार निश्चित है। काेराेना काल में हिमाचल के चार नेताओं का निधन हुआ। मंडी लाेकसभा क्षेत्र से स्व. रामस्वरूप शर्मा, अर्की विधानसभा क्षेत्र से हमारे पूर्व मुख्यमंत्री स्व. वीरभद्र सिंह, जुब्बल-काेटखाई से स्व. नरेंद्र बरागटा और फतेहपुर से स्व. सुजान सिंह पठानिया हमारे बीच नहीं रहे। वैसे ताे भारतीय संविधान के तहत काेई भी सीट खाेली हाेती है ताे वहां छह महीने के अंदर उपचुनाव करवाए जाने का प्रावधान है, मगर फतेहपुर विधानसभा क्षेत्र में छह महीने के बाद भी उपचुनाव नहीं हुए। कांग्रेस पूरी तरह तैयार है और इन चाराें सीटाें पर जीत दर्ज करेगी। सवाल: वीरभद्र सिंह अब नहीं रहे, ऐसे में प्रदेश कांग्रेस में 2022 के चुनाव में सीएम का चेहरा काैन हाे सकता है? जवाब: सीएम का कोई चेहरा नहीं हाेता है, लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री स्व. वीरभद्र सिंह अपने आप में एक चेहरा थे। ऐसे में अब हम सबकाे साथ मिलकर अगले साल के चुनाव में उतरना हाेगा ताकि कांग्रेस सत्ता में आ सके। जहां तक सीएम चेहरे की बात है, प्रदेश में सीएम के चेहरे पर नहीं, बल्कि कांग्रेस पार्टी के नाम पर चुनाव लड़ेगी। सीएम बनाना या बनना काेई लक्ष्य नहीं हैं, कांग्रेस क्लेक्शनल लीडरशिप पर ही चुनाव लड़ेगी। पूर्ण बहुमत मिलने पर पार्टी हाईकमान तय करेगा कि हिमाचल का सीएम काैन हाेगा। सवाल: विधानसभा सदन में जिस सीट पर वीरभद्र सिंह बैठा करते थे अब आप वहां पर बैठ रही हैं, ताे साफ जाहिर है कि आप पार्टी में उनके बाद सबसे वरिष्ठ नेता है? जवाब: ऐसा कुछ नहीं हैं, मैं पार्टी में एक कार्यकर्ता हूं। 1985 से लेकर अब तक मैं छह बार चुनाव जीत कर आई हूं। विधानसभा सदन में बैठने का सीटिंग प्लान बदलते रहता है। कुछ लोग कहते हैं कि मैं अब पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की सीट पर बैठ रही हूं ताे पार्टी में सबसे वरिष्ठ नेता हूं, मगर ऐसा नहीं हैं। रामलाल ठाकुर जी भी 1985 से सदन में है, बस वो पांच बार जीते और मैं छ। हमारा एक ही लक्ष्य है कि कांग्रेस काे अगले साल यानी 2022 में सत्ता में वापसी करना है। सवाल: जयराम सरकार के साढ़े तीन साल के कार्यकाल काे आप कितने अंक देना चाहेगी ? जवाब: मैं काेई अंक नहीं देना चाहती हूं। जयराम सरकार के लिए ताे माइनस की रेटिंग ही दूंगी। अब तक के कार्यकाल में भाजपा सरकार ने एक ही पाॅलिसी लागू की वह है हम दाे हमारे काेई नहीं। यानी सिर्फ सराज और धर्मपुर विधानसभा क्षेत्र में ही विकास कार्य हुए। बाकी अन्य क्षेत्राें में कुछ भी नहीं किया। यह सरकार भू-माफिया, जमीन माफिया, आईपीएच माफिया, वन माफिया की सरकार है। ये सिर्फ माफिया और माफिया की सरकार है। काेराेना काल में मिस मेनेजमेंट के कारण भ्रष्टाचार हुआ। डा. राजीव बिंदल काे इस्तीफा देना पड़ा, डायरेक्टर हेल्थ काे इस्तीफा देना पड़ा, ताे इससे बड़ा भ्रष्टाचार क्या हाे सकता है। इसलिए मैं यही कह रही हूं कि प्रदेश की भाजपा सरकार पूरी तरह से भ्रष्टाचार में डूबी है जिसका खामियाजा अगले साल हाेने वाले विधानसभा चुनाव में भुगतना पड़ेगा। जिस तरह से ममता बनर्जी ने भाजपा काे बंगाल में सबक सीखा दिया है उसी तरह 2022 के चुनाव में कांग्रेस हिमाचल में भाजपा काे सबक सिखाएगी। सवाल: मंडी संसदीय सीट पर क्या वीरभद्र सिंह परिवार के चुनाव लड़ने को लेकर कयास लग रहे है, इस पर आप क्या कहेगी ? जवाब: बिलकुल सही है कि मंडी संसदीय उपचुनाव में प्रतिभा सिंह काे मैदान में उतरना चाहिए। मगर पार्टी हाईकमान अंतिम फैसला करेगा। हमने यानी संगठन ने एक प्रस्ताव पास कर पार्टी हाईकमान काे भेज दिया है कि प्रतिभा सिंह काे मंडी संसदीय उपचुनाव के लिए मैदान में उतारा जाए। कारण यह है कि प्रतिभा सिंह काे पूर्व का अनुभव भी है। अब टिकट काे लेकर अंतिम निर्णय पार्टी हाईकमान काे ही लेना है। जब भी उप चुनाव हाेंगे कांग्रेस प्रत्याशियाें की जीत तय है। चाहे तीन विधानसभा हाे या फिर मंडी संसदीय क्षेत्र।
पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के निधन के बाद अर्की उपचुनाव जीतना कांग्रेस के लिए प्रतिष्ठा का सवाल होगा। संभवतः वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह मंडी से उप चुनाव लड़ेगी। ऐसे में अर्की से संजय अवस्थी फिलवक्त मजबूत दावेदार लग रहे है। हालांकि राजेंद्र ठाकुर भी स्व.वीरभद्र सिंह से नजदीकी के बुते टिकट की दौड़ में जरूर है लेकिन संजय अवस्थी का दावा भी मजबूत है। जाहिर सी बात है इस तमाम खींचतान में सबको एकजुट रखकर चुनाव लड़ना कांग्रेस के सामने सबसे बड़ी चुनौती होने वाली है। ऐसे ही तमाम मुद्दों पर फर्स्ट वर्डिक्ट ने संजय अवस्थी से विशेष बातचीत की .... सवाल : अर्की उप चुनाव के लिए कांग्रेस की तैयारी कैसी चल रही है ? जवाब : तैयारी बहुत बढ़िया है। सभी कार्यकर्ता एकजुट होकर काम कर रहे है, लोगों के बीच जा रहे है। पूर्व मुख्यमंत्री और निवर्तमान विधायक स्व वीरभद्र सिंह ने अर्की को बहुत कुछ दिया है। ऐसे तमाम विकास कार्यों को लेकर हम जनता के बीच है और अर्की की जनता निश्चित तौर पर कांग्रेस को विजयी बनाएगी। सवाल : आप भी टिकट के दावेदार है, टिकट मिलने को लेकर आप कितने आश्वस्त है ? जवाब : टिकट देना न देना, ये आलाकमान का काम है। कांग्रेस एक बहुत पुरानी पार्टी है, पार्टी की अपनी एक विचारधारा है, काम करने का तरीका है। प्रत्याशी के चयन का भी अपना एक सिस्टम है जिसके बाद ही पार्टी कोई निर्णय लेती है। मैं 2012 में पार्टी प्रत्याशी था और बेहद कम अंतर से चुनाव हारा था। इसके बाद मैं लगातार लोगों से जुड़ा रहा, उनके मसले उठाता रहा। 2017 में निवर्तमान मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने अर्की से चुनाव लड़ने का निर्णय लिया था और तब भी मैंने जन संपर्क और प्रचार अभियान में अपनी भागीदारी पूरी दी और कांग्रेस ने जीत दर्ज की। अब वीरभद्र सिंह जी के निधन के चलते उपचुनाव की स्थिति है और निश्चित तौर पर मैं भी टिकट का दावेदार हूँ। कांग्रेस एक लोकतान्त्रिक पार्टी है और हर कार्यकर्त्ता को टिकट मांगने का हक़ है। मैंने अपना दावा पेश किया है, अब मैं पार्टी की कसौटी पर खरा उतरता हूँ या नहीं ये निर्णय पार्टी को लेना है। सवाल : आप 2012 के चुनाव का जिक्र कर रहे थे। माना जाता है तब आप बगावत और भीतरघात के चलते हारे थे। अब क्या स्थिति है ? जवाब : तब स्थिति अलग थी और अब स्थिति-परिस्थिति अलग है। पार्टी एकजुट है और आने वाले उपचुनाव में इसका लाभ निश्चित तौर पर पार्टी को होगा। पार्टी का जप भी प्रत्यक्ष होगा वो जीतकर विधानसभा पहुंचेगा। सवाल : अगर भाजपा की बात करें तो वहां भी अंतर्कलह है। ऐसा तो नहीं होगा कि भाजपा की अंतर्कलह की आग में कांग्रेस भी झुलस जाए और क्रॉस वोटिंग की स्थिति बन जाएं ? जवाब : भाजपा की अंतर्कलह उनका आंतरिक मामला है और उनकी लड़ाई का फायदा कांग्रेस को होगा। कांग्रेस में सब एकजुट है और कोई अंतर्कलह नहीं है। ऐसे में क्रॉस वोटिंग जैसी कोई स्थिति नहीं बनेगी। हम सब मिलकर चुनाव लड़ेंगे। बीते दिनों पार्टी के प्रदेश सह प्रभारी संजय दत्त भी अर्की पहुंचे थे और उन्होंने सभी चाहवानों और कार्यकर्ताओं से बैठक की। उन्होंने स्पष्ट किया कि टिकट सिर्फ किसी एक को ही मिलेगा और ऐसे में जिसे टिकट नहीं मिलता है उसे पार्टी में पूरा मान -सम्मान मिलेगा और 2022 में उचित पद और ज़िम्मेदारी भी। कांग्रेस एकजुट है और एकजुट ही रहेगी। सवाल : अगर आपको टिकट मिलता है तो विकास के ऐसे कौन से मुद्दे है जिन्हे लेकर आप जनता के बाच जाएंगे ? जवाब : करीब चार साल के भाजपा राज में अर्की का विकास थम गया है। सिर्फ कांग्रेस शासन काल के दौरान शुरू किये गए काम ही हुए है, इस सरकार ने कुछ नहीं किया। कई भवन बनकर तैयार है लेकिन ये सरकार उनका भी इस्तेमाल नहीं का पा रही। मसलन दाड़लाघाट का सीएचसी भवन बनकर तैयार है, कोरोना काल में भी सरकार ने उसका लाभ नहीं उठाया। जय नगर और दाड़लाघाट में जो कॉलेज वीरभद्र सिंह ने दिए थे उनके लिए वर्तमान सरकार भवन तक नहीं बनवा पाई। अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में आज स्टाफ नहीं है या कम है, कई बसों के रूट बंद है। यहाँ दो सीमेंट प्लांट है जिनसे सम्बंधित ट्रक ऑपरेटर्स के कई मुद्दे है। जयराम सरकार ने अर्की के लिए कुछ नहीं किया, कोरी घोषणाओं से विकास नहीं होता। हम इस सरकार का चार साल का रिपोर्ट कार्ड लेकर जनता के बीच जायेंगे।
प्रदेश की राजनीति में अपनी विशेष पहचान रखने वाले पूर्व मंत्री एवं नैना देवी से कांग्रेस विधायक रामलाल ठाकुर ने भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा, केंद्रीय मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर, सीएम जयराम ठाकुर समेत कई अन्य एजेंडों पर मोर्चा खोल दिया है। रामलाल ठाकुर कहते हैं कि 2017 के चुनाव में प्रेम कुमार धूमल हारे ताे जयराम ठाकुर की लॉटरी लग गई। पुरानी यादों काे ताजा करते हुए रामलाल ठाकुर बताते हैं कि एक बार जगत प्रकाश नड्डा काे बिलासपुर सदर में कर्मचारी नेता ने ही 5 हजार मतों से पराजित कर दिया था। ऐसे में उपचुनाव हाे या फिर आम चुनाव, जेपी नड्डा का काेई प्रभाव हिमाचल में नहीं पड़ेगा। फर्स्ट वर्डिक्ट मीडिया से विशेष बातचीत में रामलाल ठाकुर ने सियासी गोलियां भी चलाई, पेश है कुछ अंश... सवाल: क्या आपको लगता है कि आने वाले आम चुनाव में जेपी नड्डा का प्रभाव हिमाचल में देखने को मिलेगा ? जवाब: ये सब भाजपा की गलतफहमी है। अगले साल विधानसभा चुनाव हो या फिर चार उपचुनाव, इन पर जगत प्रकाश नड्डा का काेई प्रभाव नहीं पड़ने वाला है। मैं जेपी नड्डा काे यूनिवर्सिटी के वक्त से जानता हूं। जब मैं 1985 में चुनाव जीत कर आया था तो नड्डा एचपीयू में हुआ करते थे। धीरे-धीरे वे भी राजनीति में आए। पूर्व की बात करें तो एक बार जब भाजपा मात्र 7 सीटों के साथ विपक्ष में आई तो जगत प्रकाश नड्डा उस वक्त 7 एमएलए के नेता प्रतिपक्ष थे। उसके बाद मैं कांग्रेस की सरकार में उस समय स्वास्थ्य मंत्री था। फिर भाजपा जब सत्ता में आई तो नड्डा स्वास्थ्य मंत्री बने। फिर पांच साल बाद कांग्रेस की सरकार बनी मैं वन मंत्री बना तो हमारा कार्यकाल पूरा होने के बाद भाजपा सत्ता में आई तो नड्डा वन मंत्री बने थे। सियासत चलती रही और एक बार ऐसा हुआ जिसे नड्डा कभी नहीं भूल पाएंगे। उन्हें कर्मचारी नेता तिलकराज ने पांच हजार मतों से पराजित किया था। भले ही आज नड्डा भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं, लेकिन उनकी हिमाचल में नहीं चलेगी। सवाल: वीरभद्र सिंह के बाद अब कांग्रेस में सीएम का चेहरा काैन हाे सकता है? जवाब: कांग्रेस चुनाव लड़ती है और जो वरिष्ठ नेता जीत कर आते हैं उसके बाद उनमें से ही पार्टी हाईकमान मुख्यमंत्री का फैसला करती है। कांग्रेस एक लोकतांत्रिक तरीके से चुनाव लड़ती आ रही है। पूर्व की बात करें तो स्व. वीरभद्र सिंह का कद था और अलग से पहचान थी। प्रदेश में 2022 का चुनाव तय करेगा कि हिमाचल में भाजपा की सरकार बनेगी या नहीं। देश और प्रदेश की जनता डबल इंजन की सरकार से आहत हैं। काेराेना संकट में लाेगाें की नौकरियां गई, बेरोजगारी बढ़ी, महंगाई आसमान पर है, ऐसी स्थिति में प्रदेश की जनता कांग्रेस के साथ खड़ी है और अगले साल निसंदेह हम सत्ता में आएँगे। सवाल: भाजपा में धूमल परिवार का कद बढ़ चुका है, अनुराग ठाकुर से क्या उम्मीद रखते हैं? जवाब: पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल और उनके बेटे अनुराग सिंह ठाकुर में दिन-रात का अंतर है। अनुराग ठाकुर पहले केंद्रीय राज्य मंत्री थे, अब उन्हें मोदी सरकार ने कैबिनेट मंत्री बनाया है। यह काेई बड़ी बात नहीं हैं। अभी तक अनुराग की ओर से हिमाचल के लिए काेई योगदान नहीं मिला है। जहां तक प्रेम कुमार धूमल की बात है 2017 के चुनाव में वे हारे और जयराम ठाकुर की लॉटरी लग गई। भाजपा में ऐसी स्थिति पैदा हो चुकी है कि अगले साल होने वाले चुनाव से पहले गुटबाजी हावी हो चुकी है। सरकार और संगठन में तालमेल की कमी है। सवाल: बिलासपुर जिले काे जो इस बार मंत्री मिले है, विकास के नाम पर उनका क्या योगदान है? जवाब: जयराम सरकार ने अंतिम चरण में बिलासपुर जिले काे कैबिनेट मंत्री दिया। राजेंद्र गर्ग काे भले ही मंत्री की कुर्सी दी गई हो, मगर वे घुमारवीं से बाहर नहीं निकलते। विकास की बात करें तो उनका काेई योगदान नहीं हैं। मैं साफ कहना चाहता हूं कि देश में अब मोदी का ग्राफ गिर चुका है, लोग तंग हो चुके हैं, जो घाेषणाएं की थी उसे पूरा करने में केंद्र और प्रदेश सरकार विफल रही। ऐसे में हम यही कहना चाहते हैं कि भाजपा वाले जो मिशन रिपीट का सपना देख रहे हैं वह कभी भी साकार नहीं हो सकता।
एक नेता या कार्यकर्ता जो पार्टी के लिए सब कुछ करता है, कार्यक्रमों में कारपेट भी उठाता है, झंडे भी लगाता है, लोगों को मनाता है वो ही पार्टी की टिकट का असली हक़दार हो सकता है, न की कोई पैराशूट से उतरा हुआ नवाबजादा पूर्व विधायक की भी मैं अगर बात करूँ तो वो भी पिछले 4 साल से काफी बीमार रहे। वो बीमार थे इसीलिए वो किसी से न मिलते थे न किसी का कोई काम करते थे। जो भी व्यक्ति उनके पास जाता था वो ज़लील होकर वापस आता था। वो साफ़ तौर पर किसी का भी काम करने से इंकार कर देते थे। फतेहपुर उपचुनाव से पहले कांग्रेस में घमासान मचा है। पार्टी के कुछ नेता पूर्व विधायक सुजान सिंह पठानिया के पुत्र भवानी सिंह पठानिया के खिलाफ मोर्चा खोल चुके है। वंशवाद और परिवारवाद के खिलाफ बीत दिनों विराट प्रदर्शन किया गया और ये गुट हुंकार भर चुका है कि यदि पार्टी भवानी को टिकट देती है तो इनमें से ही कोई एक बतौर बागी मैदान में होगा। विरोध करने वाले इन नेताओं में से एक नाम है चेतन चंबियाल का। फर्स्ट वर्डिक्ट ने चेतन चम्ब्याल से विशेष बातचीत की। परिवारवाद पर चेतन का पक्ष बड़ा अजीब है, उनका कहना है कि राहुल गांधी के परिवार ने देश के लिए बलिदान दिए है इसलिए उनका हक़ बनता है, जबकि पूर्व विधायक सुजान सिंह पठानिया के परिवार का नहीं। चेतन ने कई मुद्दों पर खुलकर अपनी बात रखी। पेश है उस बातचीत के कुछ मुख्य अंश.... सवाल : फतेहपुर कांग्रेस में साफतौर पर गुटबाज़ी नज़र आ रही है और आप लोग परिवारवाद को मुद्दा बना रहे है। टिकट को लेकर हाईकमान से आपकी क्या मांगें है? जवाब : मेरा मानना है कि परिवारवाद किसी भी पार्टी को अंदर से खत्म करने का काम करता है। आज पूरे देश में जो कांग्रेस पार्टी की स्थिति है उसका कारण परिवारवाद है। एक नेता या कार्यकर्ता जो पार्टी के लिए सब कुछ करता है, कार्यक्रमों में कारपेट भी उठाता है, झंडे भी लगाता है, लोगों को मनाता है वो ही पार्टी की टिकट का असली हक़दार हो सकता है, न की कोई पैराशूट से उतरा हुआ नवाबजादा। मैं चाहता हूँ कि हमारी आवाज़ हाईकमान तक पहुंचे, राहुल गाँधी और सोनिया गाँधी तक पहुंचे और उनको भी ये मालूम हो कि वो लोग हाईलेवल पर इतनी मेहनत तो कर रहे है लेकिन ज़मीनी स्तर पर उनके कार्यकर्ता के साथ क्या क्या हो रहा है। काम कार्यकर्ता करते है और डेसिग्नेशन किसी अन्य को दी जाती है। हम जैसे कार्यकर्ताओं को पीछे करने की हर कोशिश की जाती है और एक नेता के बेटे को हाथ पकड़ कर आगे ले जाया जाता है, ये सरासर गलत है। मैं आपको बता दूँ कि हमारे इलाके में जब भी किसी नेता के बेटे को टिकट दी गई है वो सब हारे है, कोई भी सहानुभूति की लहर किसी को बचा नहीं पाई। दूसरी बात वो व्यक्ति जो फतेहपुर से टिकट मांग रहा है वो सारी उम्र लंदन अमेरिका घूमता रहा है। उसने फतेहपुर की जनता के लिए कुछ भी नहीं किया लेकिन अब अचानक उसको फतेहपुर की जनता प्यारी लगने लगी है। हम लोगों के बीच गए है, हमने उनकी सहायता की है न की इन पैराशूट नेताओं ने। पूर्व विधायक की भी मैं अगर बात करूँ तो वो भी पिछले 4 साल से काफी बीमार रहे। वो बीमार थे इसीलिए वो किसी से न मिलते थे न किसी का कोई काम करते थे। जो भी व्यक्ति उनके पास जाता था वो ज़लील होकर वापस आता था। वो साफ़ तौर पर किसी का भी काम करने से इंकार कर देते थे। जब लोगों के काम ही नहीं किये तो फिर किस बात की सहानुभूति। सवाल : कांग्रेस पार्टी में परिवारवाद कोई नई बात नहीं है, खुद राहुल गांधी भी राजनीति में आते ही सांसद बन गए थे। परिवारवाद कांग्रेसियों के लिए एक मसला कैसे हो सकता है? जवाब : देखिये राहुल गाँधी के परिवार ने हमारे देश के लिए काफी बलिदान दिए है इसीलिए ये उनका हक़ बनता है। जिस विधायक ने अपनी विधायक निधि भी अपनी विधानसभा क्षेत्र के लिए खर्च न की हो उसके साथ कैसी साहनुभूति। अगर पूर्व विधायक ने बलिदान दिए होते तो हम उनके परिवार के साथ खड़े रहते। सवाल : आपके अनुसार अगर बलिदान किया हो तो परिवारवाद ठीक है ? जवाब : जी नहीं, लेकिन जिसके परिवार ने देश के लिए इतना सब कुछ किया हो उसका हक़ तो बनता ही है। बाकि ये लोग जो खुद को टिकट के दावेदार समझते है वे पहले 5 -10 साल पार्टी के लिए काम करें। पार्टी के झंडे लगाए, कार्यकर्ताओं को एकजुट करने के लिए कार्य करें, पार्टी को मजबूती दें, अगर ये काम करते है तो मैं इनके साथ चलूँगा। मैंने सुना है कि इनका करोड़ो का पैकेज था जिसको छोड़ कर ये यहां आए है। इतनी बड़ी पोस्ट पर रहने के बाद इन्होंने फतेहपुर के युवाओं के लिए आखिर क्या किया किसको गाइड किया किसकी सहायता की। जब हमारे पूर्व विधायक के पास कोई भी व्यक्ति अपने बच्चों की नौकरी के लिए जाता था तो वो कहते थे की इनसे जैविक खेती कराओ, खीरे लगाओ, इसमें बहुत पैसा है। उनका बेटा विदेशों में घूम रहा है और हमारे युवा बेरोजगार रहे, ये कहां तक सही है। सवाल : अगर पूर्व विधायक से आपको इतनी आपत्ति थी तो उनके रहते हुए अपने क्यों सवाल नहीं किये? जवाब : मुझसे बेहतर हाईकमान जानता है कि वो कैसे थे। हाईकमान जानता है कि उनका रवैया जनता के साथ कैसा था, मंत्रियों के साथ कैसा था। ये कोई बताने वाली बात नहीं है। सवाल : क्या आपको नहीं लगता की ये हावी अंतर्कलह पार्टी को उपचुनाव से पहले कमज़ोर कर रही है ? जवाब : देखिये ऐसा है कि हम कांग्रेस के सिपाही है और हम किसी भी हालत में कांग्रेस को कमज़ोर नहीं होने देंगे। अपने दिल की बात सामने रखना हमारा अधिकार है और हम चाहते है कि हाईकमान हमें सुने। जो कल यहां आया है उसे कोई नहीं जानता, लेकिन हमें सब जानते है। हाईकमान हमारी बात सुन नहीं रहा था इसीलिए हमें विशाल रैली निकाल कर अपनी ताकत का प्रदर्शन करना पड़ा। उस रैली में हमारे साथ कम से कम 4 हज़ार लोग और 150 गाड़ियों का काफिला था। हम ये नहीं चाहते कि उस पैराशूट को टिकट दी जाए। सवाल : आपके अनुसार टिकट का असली हक़दार कौन है ? जवाब : देखिये हमें किसी चीज़ का लालच नहीं है ,फतेहपुर के किसी भी कार्यकर्ता को ये टिकट दे दिया जाए। फतेहपुर में कांग्रेस के वर्कर बहुत है, लेकिन वोट उसे मिले जो जनता का काम करे। पिछले इलेक्शन में भी सुजान सिंह जी एक बार भी घर से बाहर नहीं निकले लेकिन कार्यकर्ताओं की मेहनत ने उन्हें जीता दिया। सवाल : अगर हाईकमान ने आपकी नहीं सुनी तो फिर क्या करेंगे ? जवाब : मैं चाहता हूँ को हाईकमान को सब कुछ मालूम हो। फतेहपुर में हमने लोगों को एकजुट कर के रखा है क्यूंकि हमारे विधायक बीमार थे, वो लोगो से नहीं मिलते थे। उस वक्त उनका बेटा नहीं आया लेकिन हम यहां थे। लोगों का दुखदर्द हमने सुना है। अगर हाईकमान हमारी आवाज़ नहीं सुनता तो ये ठीक नहीं होगा। मैं आपको बता दूँ इन टिकट के दावेदारों ने कुछ सालों पहले ये ब्यान दिया था कि कांग्रेस में किसी नेता के बेटे को टिकट न दी जाए, इससे पार्टी कमज़ोर हो रही है। तो अब ये क्यों टिकट मांग रहे है। इस आदमी की बातों पर विश्वास नहीं किया जा सकता। सवाल : अगर हाईकमान आपको आशीर्वाद देती है तो क्या आप फतेहपुर का ये उपचुनाव लड़ेंगे ? जवाब : जी बिलकुल, मैं लडूंगा भी और जीत कर भी दिखाऊंगा। सवाल : फतेहपुर में विकास कार्यों की क्या स्थिति है और चुनाव में आपके मुख्य मुद्दे क्या होंगे? जवाब : विकास तो फतेहपुर की दुखती रग है। यहां के लोग परेशान है क्यों कि विकास के नाम पर यहां कुछ भी नहीं हुआ। न यहां सड़कें बनी है, न घरों में नल है, न लोगों के पास नौकरियां। मैं फतेहपुर की ये स्थिति बेहतर करने की कोशिश करूँगा। लोग कांग्रेस को वोट देने से इंकार कर चुके थे क्यों कि विकास नहीं हुआ था, लेकिन हमने उनकी सहायता की और उन्हें समझाया है। हमने लोगों के काम किये है और आगे भी करते रहेंगे। युवाओं को नौकरियां देने की कोशिश करेंगे, स्पोर्ट्स को बढ़ावा देंगे और हर वर्ग के लिए कुछ न कुछ ज़रूर करेंगे। हम फतेहपुर की सेवा करते रहे है आगे भी करते रहेंगे। सवाल : फतेहपुर में भाजपा और कांग्रेस दोनों में ही भारी अंतर्कलह है, ऐसे में आपको नहीं लगता अगर ये दोनों आपसे में ही लड़ते रहे तो तीसरा मोर्चा मज़बूत हो जाएगा ? जवाब : जी हम इतने कमज़ोर नहीं है की किसी तीसरे को जीतने दें। मुझे विश्वास है कि हाईकमान जल्द निर्णय लेगी और कांग्रेस में सब ठीक होगा।
अपनी बेबाक वाणी से अपनी ही सरकार -संगठन को घेरने के लिए ज्वालामुखी विधायक रमेश चंद ध्वाला अक्सर चर्चा में रहते है। कभी संगठन मंत्री के खिलाफ खुलकर बोलते है, तो कभी छोटे - बड़े मसलों पर सरकार को भी आइना दिखाने से नहीं चूकते। इन दिनों विधानसभा का मानसून सत्र चल रहा है और ध्वाला ने स्टोन क्रेशर के मुद्दे पर विधानसभा में उद्योग मंत्री बिक्रम ठाकुर को घेर लिया। अलबत्ता, ध्वाला को जयराम कैबिनेट में स्थान नहीं मिला पर सरकार के गठन के बाद से ही ध्वाला भाजपा के उन नेताओं में से है जिन पर सबकी नज़र रहती है। आगामी उप चुनाव, संगठन मंत्री पवन राणा के साथ उनकी खींचतान और 2022 को लेकर फर्स्ट वर्डिक्ट ने रमेश चंद ध्वाला से विशेष बातचीत की.... सवाल: आप 1998 से लेकर भाजपा सरकार में मंत्री बने, लेकिन इस बार पद नहीं मिला, ऐसा क्या हुआ ? जवाब: 1998 के चुनाव में मेरे समर्थन से ही बीजेपी की सरकार बनी थी। 1998 से लेकर 2003 तक भरपूर विकास कार्य हुए, जिसका श्रेय पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल काे जाता है। मैंने उस समय से लेकर अब तक पारदर्शिता से काम किया है। अब तक के हुए चुनावाें में मैं चार बार एमएलए बना और दो बार कैबिनेट मंत्री भी बना। वर्तमान में मुझे कैबिनेट रैंक का दर्जा दिया गया है, जिसके लिए मैं सीएम जयराम ठाकुर का धन्यवाद करता हूं। मगर कैबिनेट रैंक देने के बावजूद मुझे पोर्टफोलियो नहीं दिया गया। मुझे कुर्सी की लालच नहीं हैं। जाे मिला वह ठीक है, जाे नहीं मिला उसकी आस नहीं रखता। सवाल: सरकार और संगठन में तालमेल की कमी है या फिर सब कुछ ठीक चल रहा है? जवाब: सरकार सही चल रही है, लेकिन संगठन में कुछ ऐसे लोग बैठे हैं जाे चमचाें काे तरजीह दे रहे हैं, जिससे संगठन काे ही नुकसान हाेगा। संगठन मंत्री पवन राणा के दिमाग में जो चल रहा है, इससे साबित हाे रहा है कि वे चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं। मैं उन्हें साफ कह देता हूं कि पवन राणा यदि चुनाव लड़ना चाहे ताे मेरी ओर से खुली छूट होगी और मैं साथ दूंगा। मगर संगठन में ऐसी नियुक्तियां न करें जिससे पार्टी काे नुकसान हाे। बीते दिनों ज्वालामुखी भाजपा मंडल काे पहले भंग किया और बाद में उन्हीं लाेगाें काे बहाल किया गया। ऐसी स्थिति में आम कार्यकर्ता खुश नहीं हाेंगे। सवाल: विधानसभा के अंदर और बाहर आप जनहित के मुद्दे उठाते हैं, क्या आप मानते है कि अफसरशाही सरकार पर हावी है? जवाब: मैं हमेशा से ही जनहित के मुद्दे सदन के अंदर और बाहर उठाता हूं। प्रदेश में इस वक्त बेरोजगारी की जो स्थिति है वह दयनीय है। मैंने सरकार काे कह दिया है कि काेराेना काल में जिन लाेगाें की नौकरियां चली गई है उसे रिस्टोर किया जाए। प्रदेश में सबसे पहले नौकरी की जरुरत है। बेराेजगारी बढ़ रही है। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लागू की गई पाॅलिसी काे अपनाने की जरूरत है। यहीं नहीं, बल्कि ऐसे लाेगाें काे मनरेगा के तहत काम करने का भी मौका मिल सके। सवाल: पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल और जयराम की कार्यप्रणाली में कितना फर्क है? जवाब: प्रेम कुमार धूमल पूर्व में प्रदेश के सीएम रहे और वर्तमान में जयराम ठाकुर हैं। कुछ लोग वर्तमान सरकार को गुमराह करने में कोई कमी नहीं छोड़ रहे हैं। प्रदेश के हर सेक्टर में विकास कार्य हाे रहे हैं। मगर जहां पर भाजपा कार्यकर्ता नाराज हैं वहां पर सरकार और संगठन काे हट कर काम करना हाेगा। यानी गुण और दोष के आधार पर पदाधिकारियों की नियुक्ति होनी चाहिए। मैं बार-बार इस बात काे कह रहा हूं कि जिन नेताओं की पैठ जनता में नहीं होती उन्हें तरजीह नहीं दी जानी चाहिए। सीएम जयराम ठाकुर ने हर क्षेत्र में विकास कार्यों की रफ्तार बढ़ा दी है। सवाल: प्रदेश में चार उपचुनाव भी तय हैं, ऐसे में सरकार और संगठन की तैयारियां कहां तक चली है? जवाब: प्रदेश में होने वाले चार उपचुनावों के लिए भाजपा पूरी तरह से तैयार है, लेकिन जहां पर कुनबा बिखरा हुआ है उसे एकजुट करने की सख्त आवश्यकता है। संगठन में किसी के आने और जाने से काेई फर्क नहीं पड़ता, लेकिन जाे लाेग इस उम्मीद में आ रहे हैं कि उन्हें 2022 के चुनाव में टिकट मिलेगा,ऐसा संभव नहीं हाेगा। नेता ऐसा होता है जो आगे चलता है और उनके पीछे-पीछे लाेग चलते हैं। मगर पशुओं को हम आगे चलाते हैं और लोग पीछे से उन्हें डंडा मारते हैं, ऐसा संगठन में नहीं होना चाहिए।
2022 के चुनाव से पहले पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल राजनीति में काफी सक्रीय हाेते नजर आ रहे हैं, जिसका प्रभाव कहीं न कहीं सुजानपुर से कांग्रेस विधायक राजेंद्र राणा पर भी पड़ता दिख रहा है। कारण यह है कि 2017 के चुनाव में भाजपा के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार प्रेम कुमार धूमल को राजेंद्र राणा ने पराजित किया था। तब राणा की इस जीत ने भाजपाई बारात का दूल्हा ही बदल दिया। मगर राणा मानते हैं कि धूमल को उन्होंने नहीं, बल्कि सुजानपुर की जनता ने हराया और उन्हें हराने के लिए धूमल ने हमीरपुर सीट छाेड़ कर सुजानपुर को चुना था। अब प्रदेश में होने वाले 4 उपचुनाव, 2022 का विधानसभा चुनाव, स्व. वीरभद्र सिंह के न होने से उनकी राजनीति पर असर, जयराम सरकार के कार्यकाल और मंडी संसदीय उपचुनाव में प्रतिभा सिंह को मैदान में उतारने से संबंधित कई मुद्दों पर फर्स्ट वर्डिक्ट मीडिया ने कांग्रेस विधायक राजेंद्र राणा से बात की, पेश है उसके कुछ अंश... सवाल: प्रदेश में होने वाले चार उपचुनाव के लिए कांग्रेस की तैयारी कहां तक पहुंची है? जवाब: राज्य में होने वाले चारों उपचुनाव में कांग्रेस की जीत तय है। संगठन पूरी तरफ से तैयार हैं। बैठकों का दौर भी जारी है। अब सिर्फ हमें निर्वाचन आयोग से अधिसूचना का इंतजार है। हाल ही में प्रदेश के चार नगर निगमों के चुनाव हुए ताे कांग्रेस ने सोलन और पालमपुर में जीत दर्ज की। आने वाले दिनों में मंडी संसदीय क्षेत्र और तीन विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं ताे निश्चित रूप से कांग्रेस के प्रत्याशी ही जीतेंगे। इस वक्त सरकार और भाजपा के पास चुनाव लड़ने के लिए कोई भी एजेंडा नहीं हैं। कारण यह है कि महंगाई, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार से जनता तंग आ चुकी है। हालात यह है कि डबल इंजन की सरकार में भी विकास का दौर समाप्त हाे चुका है। प्रदेश सरकार पूरी तरह से ऋण पर चल रहा है। जयराम सरकार चाहे ताे केंद्र से पूरा सहयोग मांग सकती है, लेकिन इनमें दम नहीं हैं। काेराेना काल में नौकरियां गई, हजारों लोग बेरोजगार हुए, लेकिन सरकार ने उसे रिचार्ज करने के लिए कोई पॉलिसी ही नहीं बनाई। ऐसे में उपचुनावाें में जनता भाजपा को बाहर का रास्ता दिखाएगी। सवाल: आप फतेहपुर उपचुनाव के लिए पर्यवेक्षक है लेकिन पार्टी के ही कुछ लोगों ने टिकट को लेकर परिवारवाद के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है, इस पर क्या कहेंगे? जवाब: अभी चुनावी नोटिफिकेशन जारी होने में समय लग सकता हैं। इससे पहले टिकट मांगने का सबको अधिकार होता है, लेकिन पार्टी हाईकमान ही टिकट का अंतिम फैसला करेगा। जहां तक फतेहपुर में टिकट काे लेकर परिवारवाद का सवाल हैं, तो ये गलत है। एक डॉक्टर का बेटा अच्छा डॉक्टर बन सकता है ताे नेता के बेटा भी ताे नेता बन सकता है। कांग्रेस ऐसे नेता काे टिकट देगी जो जीतने वाला हाे। टिकट मांगना सबका हक है। विधानसभा क्षेत्र जुब्बल-कोटखाई, फतेहपुर, अर्की और मंडी संसदीय क्षेत्र में पार्टी जीतने वाले नेता को ही टिकट देगी। सवाल: 2022 के चुनाव से पहले पूर्व सीएम प्रेम कुमार धूमल काफी सक्रिय दिख रहे हैं, इससे सुजानपुर में कितना प्रभाव पड़ेगा? जवाब: पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल का कद काफी बड़ा है। पर सुजानपुर की जनता उनके कार्यों से खुश नहीं थी, सो मतदाताओं ने 2017 के चुनाव में परिणाम सामने दिया। यहां पर विकास कार्यों के लिए एक भी ईंट नहीं लगी थी, ताे जनता में नाराजगी देखने को मिली। दूसरा उस साल मैंने प्रेम कुमार धूमल के खिलाफ चुनाव नहीं लड़ा, लेकिन वे मेरे खिलाफ चुनाव लड़ने के लिए हमीरपुर छाेड़ कर सुजानपुर आए। लोग यह भी कहते हैं कि राजेंद्र राणा ने धूमल काे हराया, लेकिन मैं यह कहता हूं कि मैंने धूमल को नहीं, बल्कि जनता को उन्हें हराया। इन दिनों सुजानपुर में भाजपा वाले बार-बार यही कह रहे हैं कि कांग्रेस के 50 लोग भाजपा में शामिल हुए। ऐसा बिलकुल नहीं हैं। हकीकत ये है कि भाजपा छोड़कर कांग्रेस में आने वाले लाेगाें की संख्या काफी है। आने वाले दिनों में काफी कुछ हाे सकता है और भाजपा से नाराज सैकड़ों लोग कांग्रेस में शामिल हाेंगे। प्रेम कुमार धूमल की सक्रियता से मुझे कोई फर्क नहीं पड़ेगा। सवाल: स्व. वीरभद्र सिंह ही आपको कांग्रेस में लेकर आए थे, अब उनके न होने से कोई असमंजस ताे नहीं? जवाब: हां यह बात सही है कि मुझे कांग्रेस में लाने वाले स्व. वीरभद्र सिंह ही थे। उन्हाेंने मेरे चुनाव क्षेत्र में हर काम करके दिया। मैंने साै काम बाेलाे ताे उन्हाेंने साै के साै काम करके दिए। पार्टी में उनके न होने से कोई असमंजस की स्थिति नहीं हैं। हम सबको स्व. वीरभद्र सिंह के बताये हुए रास्ते पर चल कर संगठन को और मजबूत करना हाेगा। वीरभद्र सिंह ऐसे नेता थे, जो बेसहारा को सहारा दिया करते थे। सवाल: क्या मंडी उपचुनाव में वीरभद्र परिवार को टिकट मिलना चाहिए? जवाब: मेरे हिसाब से मंडी संसदीय सीट पर पूर्व सांसद एवं स्व. वीरभद्र सिंह की पत्नी काे चुनाव लड़ना चाहिए। अधिकांश कांग्रेस नेता इसी पक्ष में हैं। मेरा यही मानना है कि पार्टी यदि प्रतिभा सिंह को मैदान में उतारती है ताे जनता काे आशीर्वाद जरुर मिलेगा। हमने भी प्रतिभा सिंह से आग्रह किया है। इसी क्षेत्र में कई बार सांसद बन कर स्व. वीरभद्र सिंह केंद्र में मंत्री बने और हमेशा से ही हिमाचल के विकास की बात केंद्र के समक्ष रखी, जसी आज भी लोग याद करते हैं। सवाल: जयराम सरकार के साढ़े तीन साल के कार्यकाल काे आप कितने अंक देना चाहेंगे? जवाब: जयराम सरकार के साढ़े तीन साल का कार्यकाल पूरी तरह से निराशाजनक रहा। जनता दुखी है कि विकास कार्य नहीं हाे रहे हैं। सिर्फ और सिर्फ सिराज और धर्मपुर विधानसभा क्षेत्र में विकास हुआ हैं। अब तक के कार्यकाल में मैं जयराम सरकार काे 100 में दो डिजिट में भी अंक नहीं देना चाहूंगा। अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों में इसका परिणाम देखने काे मिलेगा और जनता भी इन्हे डबल डिजिट में नहीं पहुंचाएगी। भाजपा वाले मिशन रिपीट का सपना देख रहे हैं, जो कभी साकार नहीं हाे सकता।
कुछ लोग जो अपनी निजी महत्वाकांक्षाओं के लिए क्षेत्रवाद फ़ैलाने की कोशिश कर रहे है और कह रहे है कि मुख्यमंत्री यहां से होना चाहिए या वहां से होना चाहिए, ये बात बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। ऐसे लोग पार्टी को कमज़ोर कर रहे है। मुख्यमंत्री हिमाचल का होना चाहिए। जो नॉन परफार्मिंग लोग पार्टी में है, जो विभिन्न पदों पर बैठे हुए है उन्हें बाहर का रास्ता दिखाने की ज़रूरत है। ऐसे लोग खुद तो काम करते नहीं है और दूसरों का हौंसला भी तोड़ देते है। पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के देहांत के उपरांत उनका परिवार उनकी राजनीतिक विरासत को उसी मजबूती के साथ आगे ले जाने के लिए संकल्पित दिख रहा है जिस मजबूती से वीरभद्र सिंह ने 6 दशक तक सियासत के गलियारों में अपने वजूद और रसूख का लोहा मनवाया। उनके पुत्र और शिमला विधायक विक्रमादित्य सिंह तो राजनीति में पहले से सक्रिय है ही और अब अपेक्षित है कि स्व वीरभद्र सिंह की पत्नी और मंडी की पूर्व सांसद प्रतिभा सिंह भी आगामी उपचुनाव के जरिए सक्रिय राजनीती में लौटेगी। आगामी उपचुनाव, भविष्य की योजना और प्रदेश कांग्रेस की वर्तमान स्थिति जैसे कई अहम मसलों पर फर्स्ट वर्डिक्ट ने विक्रमादित्य सिंह से विशेष बातचीत की। अपने स्व. पिता के तरह ही विक्रमादित्य सिंह ने भी बेबाक अंदाज में हर मसले पर अपना पक्ष रखा। उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि परिवार वीरभद्र सिंह के बताएं रास्ते पर ही आगे बढ़ेगा, रियायत में भी और सियासत में भी। विक्रमादित्य ने स्पष्ट किया कि आज की लोकतान्त्रिक व्यवस्था में राजशाही की परम्पराएं सिर्फ एक औपचारिकता है, पर उनके परिवार और आमजन के बीच का परस्पर प्रेम ही उनकी ताकत है। अपने पिता की तरह ही वे भी लोगों के साथ हर सुख दुख में खड़े रहेंगे और उनके हितों की लड़ाई को आगे बढ़ाएंगे। निसंदेह विक्रमादित्य अब तेवर के जेवर पहन चुके है और आने वाले समय में हर सियासी नजर उन पर रहने वाली है। पेश है विक्रमादित्य सिंह के साथ हुई बातचीत के मुख्य अंश ... सवाल : पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के जाने के बाद समर्थकों और निष्ठावानों की सारी उम्मीदें अब आपसे जुड़ गई है। उनके जाने के बाद आप रियासत के राजा तो बन ही गए है पर अब सियासत के राजा बनने के लिए क्या करने वाले है? जवाब : मेरे पिता जी अब हमारे बीच में भले ही नहीं है मगर मैं ये बिलकुल नहीं मानता कि वो हमारे साथ नहीं है। ये जीवन का कड़वा सच है, एक न एक दिन तो सभी को हमें छोड़ कर जाना है मगर उन्होंने जो काम हिमाचल की जनता के लिए किये है, जो छाप उन्होंने हिमाचल की जनता के दिलों में बनाई है, वो जनता कभी नहीं भूलेगी। हम हमेशा उनके सिद्धांतों पर आगे बढ़ेंगे। उनके जाने के बाद मेरे जीवन का एक नया अध्याय शुरू हुआ है, उनके बगैर चलना काफी कठिन होगा, बहुत सी मुसीबतें आएगी, कठिनाइयां आएगी लेकिन हम डट कर इन सब का सामना करेंगे। बाकी रियासत के राजा वाली जो बात है उस पर मैं कहना चाहूंगा कि मैं एक राज परिवार से सम्बन्ध जरूर रखता हूँ, लेकिन मैं एक पढ़ा लिखा व्यक्ति हूँ और मैं ये समझता हूँ हम एक लोकतान्त्रिक देश में रहते है। मेरे पिता जी के बाद मेरा राज्याभिषेक होना और बाकि रीति रिवाज़ ये सब हमारे परिवार की परम्पराएं है। इस सबका राजनीती से कोई लेना देना नहीं है। अपनी संस्कृति को जीवित रखने के लिए हमने इन्हें निभाया है। सवाल : क्या वीरभद्र परिवार आगामी उपचुनाव के मैदान में उतरेगा ? जवाब : देखिये मेरी माता जी पूर्व में 2 बार सांसद रह चुकी है, हर मोड़ पर उन्होंने खुद को साबित किया है। वे हिमाचल की एक कद्दावर महिला नेता है। हमारा परिवार कभी भी किसी चुनौती से पीछे नहीं हटा है। पार्टी ने जो भी तय किया हम कभी भी उससे पीछे नहीं हटे। कांग्रेस पार्टी को मज़बूत करने के लिए मेरे परिवार ने हर संभव प्रयास किया है। मेरे पिता जी तो हमेशा पार्टी के लिए तत्पर रहे ही, मगर मेरी माता जी ने भी हमेशा पार्टी द्वारा दी गई हर ज़िम्मेदारी का पूरी निष्ठा से निर्वहन किया है। मंडी संसदीय उपचुनाव और अर्की विधानसभा के उपचुनाव को लेकर मेरे परिवार ने अभी तक कोई व्यक्तिगत निर्णय नहीं लिया है। अभी हाईकमान भी फीडबैक ले रहा है और प्रदेश कांग्रेस भी। निश्चित तौर पर पार्टी हाईकमान का जो भी निर्देश होगा हमारा परिवार उसका निर्वहन करेगा। पार्टी को मज़बूत करने के लिए हम हर संभव प्रयास करेंगे इस बात का मैं विश्वास दिलाना चाहूंगा। सवाल : हिमाचल में मानसून सत्र शुरू होने वाला है, इस बार प्रदेश के कौन से मुद्दे कांग्रेस की प्राथमिकता रहेंगे ? जवाब : इस बार हिमाचल प्रदेश की जनता का हर मुद्दा हमारी प्राथमिकता रहेगा। हिमाचल के कर्मचारियों के जो भी मुद्दे है चाहे वो आउटसोर्स कर्मचारी है, अनुबंध कर्मचारी या कोई भी अन्य कर्मचारी है हम सभी के मुद्दों को प्राथमिकता से उठाएगे। कर्मचारियों के मुद्दे जैसे की ओपीएस की मांग को हमने हमेशा ही प्राथमिकता से उठाया है और आगे भी उठाते रहेंगे। हिमाचल प्रदेश सरकार ने पिछले साढ़े तीन साल के कार्यकाल में कर्मचारियों को आश्वासन के आलावा और कुछ भी नहीं दिया है। जो पिछली सरकार हिमाचल प्रदेश में रही उसमें वीरभद्र सिंह जी ने ऐतिहासिक निर्णय कर्मचारियों के हित में लिए थे। चाहे कॉन्ट्रैक्ट पीरियड कम करना हो या अन्य कोई मसला, कांग्रेस ने हमेशा प्रदेश के कर्मचारी वर्ग का ख्याल रखा है। इसके आलावा कई बड़े निर्णय भी उन्होंने अपने कार्यकाल में लिए थे, जो ऐतिहासिक साबित हुए। जयराम ठाकुर की सरकार तो बस प्लीज ऑल में विश्वास रखती है। जो भी अपनी मांगो को लेकर मुख्यमंत्री के पास जाता है, या सरकार के अन्य मंत्रियों के पास जाता है उन सभी को आश्वासन दिया जाता है, उन्हें भ्रमित किया जाता है लेकिन कोई भी ठोस कदम उनकी मांगो को पूरा करने के लिए नहीं उठाया जाता। सही मायनों में कहूं तो मुझे नहीं लगता कि ये सरकार कर्मचारियों के लिए कोई भी अच्छा काम करने की परिस्थिति में है। सरकार पर 60 हज़ार करोड़ से ज़्यादा का कर्ज़ा है, धक्के से ये सरकार चल रही है। डबल इंजन की ये बात करते है लेकिन इनका एक भी इंजन सही से काम नहीं करता। इनके दृष्टि पत्र में जो मुख्य वादे थे, इनके जो मुख्य एजेंडा थे, चाहे वो इन्वेस्टर मीट हो या शिव धाम हो, या एयरपोर्ट हो अब तक कुछ भी पूरा नहीं हुआ है। मुझे नहीं लगता कि कर्मचारियों के हित में ये सरकार कुछ करेगी। सवाल : क्या आप मानते है कि सत्ता के टेकओवर के लिए कांग्रेस के संगठन का मेकओवर ज़रूरी है ? जवाब : इसमें कोई दो राय नहीं है कि हमें संगठन को मज़बूत करने के लिए बहुत काम करना होगा। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष बहुत अच्छा कार्य कर रहे है। विपक्ष में होने के नाते वो हर मुद्दे को उठा रहे है, लेकिन हमें और ज़्यादा करने की ज़रूरत है। मैं समझता हूँ कि कांग्रेस पार्टी को ज़मीनी स्तर पर, बूथ स्तर पर, पंचायत स्तर पर मज़बूत करने की आवश्यकता है। उसके लिए हम सभी को एकजुट होकर काम करने की ज़रूरत है। कांग्रेस के हर छोटे बड़े नेता को काम करने की ज़रूरत है। हमें एकता के साथ आगे बढ़ने की आवश्यकता है, कांग्रेस के ज़मीनी कार्यकर्त्ता को दोबारा एक्टिव करने की जरूरत है। आगामी उपचुनाव को हमें ज़यादा गंभीरता से लेना होगा क्योंकि इनका बहुत गहरा प्रभाव 2022 के विधानसभाव चुनाव पर पड़ेगा। इसके साथ एक बेहद महत्वपूर्ण चीज़ ये है कि जो नॉन परफार्मिंग लोग पार्टी में है, जो विभिन्न पदों पर बैठे हुए है उन्हें बाहर का रास्ता दिखाने की ज़रूरत है। ऐसे लोग खुद तो काम करते नहीं है और जो भी लोग काम करते है उनका हौंसला भी इससे टूटता है। तो जीतने के लिए ऐसे लोगों को पदों से हटाया जाना चाहिए। सवाल : कांग्रेस में फिलवक्त मुख्य चेहरे को लेकर एक जंग छिड़ी हुई है, अब वीरभद्र के जाने के बाद कांग्रेस का मुख्य चेहरा कौन होगा ? जवाब : मुझे लगता है कि न तो मेरा इतना राजनीतिक कद है, न पद है कि मैं इस पर कोई टिक्का टिप्पणी करूँ। कांग्रेस का निष्ठावान होने के नाते मैं ये कहना चाहूंगा कि कांग्रेस के हर नेता को एकजुट होकर पार्टी के हित में काम करना होगा और अपनी निजी महत्वकांक्षाओं को पीछे रखना होगा। कुछ लोग जो अपनी निजी महत्वाकांक्षाओं के लिए क्षेत्रवाद फ़ैलाने की कोशिश कर रहे है और कह रहे है कि मुख्यमंत्री यहां से होना चाहिए या वहां से होना चाहिए, ये बात बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। ऐसे लोग पार्टी को कमजोर कर रहे है। मुख्यमंत्री हिमाचल का होना चाहिए। स्व वीरभद्र सिंह ने इसी सोच के साथ हिमाचल को आगे बढ़ाया है और हम इसी सोच को लेकर आगे बढ़ेंगे।
आगामी उपचुनाव में जुब्बल कोटखाई क्षेत्र से भाजपा टिकट के कई चाहवान है और इनमें से एक प्रमुख नाम है चेतन बरागटा का जो स्व नरेंद्र बरागटा के पुत्र है। चेतन के दावेदारी को लेकर जहाँ एक खेमे में उत्साह है तो कुछ लोग अभी से उनकी दावेदारी पर सवाल उठा रहे है। क्या है चेतन बरागटा के मन में, क्या है उनकी योजना और क्या हो सकता है उनका एक्शन प्लान इसे लेकर फर्स्ट वर्डिक्ट ने उनसे विशेष बातचीत की। पेश है बातचीत के मुख्य अंश .... सवाल : आपके पिता नरेन्द्र बरागटा के दुखद निधन के उपरांत अब उपचुनाव होना है, और सबसे बड़ा सवाल ये ही है कि क्या आप उनकी राजनीतिक विरासत को संभालने के लिए तैयार है ? क्या आप चुनाव लड़ेंगे ? जवाब : मेरे पिता जी ने अपने पुरे जीवन में जनता की सेवा की है वो हमेशा बागवानों की आवाज बने रहे। आज वो हमारे बीच नहीं है लेकिन अब भी उनके आदर्श और उनके दिए हुए संस्कार हमारे साथ है। मैं अपने पिता जी के शुरू किए विकास कार्यों को पूरा करना चाहता हूँ, पार्टी टिकट देगी तो चुनाव लडूंगा भी और पार्टी को जिताउँगा भी। सवाल : भाजपा हमेशा वंशवाद के मुद्दे पर कांग्रेस को घेरती आई है, पर वंशवाद तो इधर भी दिखता है। इस पर क्या कहेंगे ? जवाब : मैं पिछले 15 वर्षो से संगठन में कार्य कर रहा हूं, राष्ट्रीय व प्रदेश स्तर पर विभिन्न दायित्व पर रहते हुए भाजपा को मजबूत किया है, मेरे ख्याल से मुझ पर वंशवाद का टैग लगाना गलत है। मैं कोई पैराशूटी नेता नहीं हूँ, वर्तमान में प्रदेश भाजपा आईटी सेल का प्रमुख हूँ। मैंने हमेशा संगठन को मजबूत करने का काम किया है और हमेशा करता रहूँगा। सवाल : भाजपा से टिकट के और भी कई उम्मीदवार है और आपकी उम्मीदवारी पर अभी से सवाल उठा रहे है। ये असंतोष कैसे साधेंगे ? जवाब : भाजपा एक लोकतांत्रिक पार्टी है, सबको अपनी उम्मीदवारी पेश करने का हक है। हर वो कार्यकर्त्ता जो पार्टी की सेवा कर रहा है, लोगों के बीच में काम कर रहा है उसे टिकट मांगने का अधिकार है। पार्टी उचित समय पर टिकट तय कर देगी। ये जाहिर सी बात है कि टिकट किसी एक को ही मिलेगा। पार्टी एक परिवार है और सब साथ है। जो असंतोष है, वो भी निश्चित तौर पर संतोष में बदल जाएगा। सवाल : अगर पार्टी आपकी जगह किसी और को टिकट देती है तो आपका पक्ष क्या रहेगा ? जवाब : समय के गर्भ में छुपी बातों का उत्तर देना मेरे लिए सही नहीं हैं। मैं पार्टी का सच्चा सिपाही हूँ। सवाल : अगर टिकट मिला तो किस एजेंडा के साथ मैदान में उतरेंगे, प्राथमिकता क्या रहेंगी ? जवाब : बागवानी से उत्पन्न आर्थिकी को अधिक मजबूत करने का प्रयास करूंगा, जुब्बल नावर कोटखाई में नई राजनीति की शुरुआत करेंगे, हर क्षेत्र में इनोवेटिव आईडियाज़ के साथ विकास कार्य करूँगा। मेरे लिए पहले देश हैं, अपना प्रदेश हैं, अपने लोग हैं और फिर राजनीति हैं। इसी मूल मंत्र के साथ आगे बढूंगा।
उपचुनाव नज़दीक है तो कई मंत्री फतेहपुर का भी चक्कर काट गए है। इस सरकार का सिर्फ एक एजेंडा है रिबन काटो और शिलान्यास करो। अगर सरकार ये इवेंट छोड़कर कुछ अच्छा काम करे तो प्रदेश का विकास हो सकता है.....टिकट देना पार्टी का अधिकार है और टिकट मांगना हर उस कार्यकर्त्ता का अधिकार है जो चुनाव क्षेत्र में अपनी और पार्टी की जीत सुनिश्चित करवा सके। पार्टी जिसको भी टिकट देगी हम उसके साथ चलेंगे। स्व.सुजान सिंह पठानिया के पुत्र भवानी सिंह पठानिया प्रदेश और फतेहपुर की राजनीति में नया नाम है। पिता के देहांत के बाद भवानी कॉर्पोरेट जॉब छोड़कर राजनीतिक विरासत को संभालने फतेहपुर आ गए। बहरहाल आगामी उपचुनाव में संभावित है कि कांग्रेस उन्हें ही उम्मीदवार बनाये,हालांकि पार्टी के भीतर भी कुछ लोग उनके नाम पर सहमत नहीं दिख रहे। अलबत्ता भवानी पर वंशवाद का ठप्पा लगा है लेकिन उनके पास एक सोच है, एक नजरिया है जिसके आधार पर वे अपनी राजनीतिक पारी आगे बढ़ाना चाहते है। वंशवाद, उन विज़न और सम्बह्वित चुनौतियों को लेकर फर्स्ट वर्डिक्ट ने भवानी सिंह पठानिया से विशेष बातचीत की ... सवाल : फतेहपुर उपचुनाव के लिए आप कांग्रेस की तरफ से टिकट के प्रबल दावेदारों में से एक माने जा रहे है, मगर वंशवाद का ठप्पा आपके लिए सबसे बड़ी चुनौती होगा। इस चुनौती का सामना आप किस तरह करेंगे ? जवाब : वंशवाद का ये शोर ज़मीनी स्तर पर नहीं दिख रहा। मैं बैंकिंग सेक्टर से जुड़ा रहा हूँ और मेरा एक बेहद सक्सेसफुल कॉर्पोरेट करियर रहा है। मैं अपनी मर्जी से राजनीति में नहीं आया बल्कि ये जनता का प्यार है जो मुझे राजीनति में लेकर आया है। मेरे पिता सुजान सिंह पठानिया जी के निधन के बाद जनता ये ही चाहती थी कि मैं उनकी राजनीतिक विरासत को संभाल कर और उनके बताए हुए रस्ते पर आगे बढ़कर फतेहपुर का विकास करूँ और निसंदेह मैं वैसा ही करूँगा। लोग चाहते थे मैं राजनीति में आऊं, मैं आ गया। मैं अपना कॉर्पोरेट करियर छोड़ कर जनता के लिए राजनीति में आया हूँ और आश्वस्त करता हूँ जनता के लिए ही काम करूँगा। सवाल : कांग्रेस की तरफ से फतेहपुर उपचुनाव की टिकट के और भी कई दावेदार है, क्या आपको लगता है कि ये टिकट आप ही को मिलेगा ? जवाब : मेरे जीवन का ये सिद्धांत रहा है कि मैं उन्ही चीज़ों पर काम करता हूँ जो मेरे नियंत्रण में होती है। फिलहाल मेरे बस में ये है कि लोगों के बीच जाऊं और जितना मुझसे हो सके में लोगों के काम आऊं। खुद अपने स्तर पर और एडमिनिस्ट्रेशन लेवल पर भी मुझसे जो भी हो पाए, मैं लोगों की सहायता कर पाऊं। ये सब मेरे कण्ट्रोल में है और इनपर काम भी कर रहा हूँ। टिकट देना पार्टी का अधिकार है और टिकट मांगना हर उस कार्यकर्त्ता का अधिकार है जो चुनाव क्षेत्र में अपनी और पार्टी की जीत सुनिश्चित करवा सके। इसमें किसी के साथ कोई द्वेष नहीं, किसी के प्रति कोई दुर्भावना नहीं है। पार्टी जिसको भी टिकट देगी हम उसके साथ चलेंगे। मैं सिर्फ यही कहूंगा कि अगले 5 इलेक्शन तक सुजानपुर सीट कांग्रेस के पास ही रहेगी, चेहरा कोई भी हो। सवाल : क्या आप कांग्रेस को जीत के लिए आश्वस्त कर चुके है ? जवाब : देखिये इसमें आश्वस्त करने जैसी कोई बात नहीं है। जनता इस सरकार से काफी परेशान है, चाहे वो प्रदेश सरकार हो या केंद्र सरकार। केंद्र में 2014 से भाजपा की सरकार है लेकिन मुझे नहीं लगता कि जनता उनके काम से खुश है। महंगाई चरम पर है, पेट्रोल डीजल के दाम आसमान छू रहे है। तेल का दाम जब बढ़ता है तो शेष सभी चीज़ें भी महंगी हो जाती है, बस का और टैक्सी का किराया बढ़ जाता है, किसानों के उत्पाद महंगे हो जाते है, खाद्य सामग्रियों के दाम भी बढ़ते है। इस महंगाई ने लोगों का जीना हराम कर दिया है और ये आज का सबसे ज्वलंत मुद्दा है। दूसरा बड़ा मुद्दा है बेरोज़गारी, इस समय बेरोजगारी दर पिछले 40 सालों में सर्वाधिक पहुँच चुकी है। इसी तरह से अगर हिमाचल की बात करें तो यहाँ तो भाजपा सरकार और प्रशासन के बीच कोई तालमेल नहीं है। हिमाचल का हर व्यक्ति ये कहता है कि सरकार तो 2017 से पहले थी, अब तो केयर टेकर है। फतेहपुर में भी स्थिति कमोबेश ऐसी ही है, ठेकेदार जनता का पैसा लूट रहे है। सड़के बनने से पहले उखड़ जाती है। जनता में सरकार के खिलाफ भारी रोष है। अपने कार्यकाल में स्व. सुजान सिंह पठानिया जी ने जो कार्य किए है उनको आज भी जनता याद करती है, यही कारण है कि सेंटीमेंट फैक्टर भी हमारे साथ है। इन सभी चीज़ों को देखते हुए मैं आश्वस्त हूँ कि इस उपचुनाव में कांग्रेस की जीत होगी और सिर्फ इन्हीं उपचुनाव में नहीं बल्कि आगामी 2022 के आम चुनाव में भी कांग्रेस ही जीतेगी। सवाल : फतेहपुर के किन मुद्दों को लेकर आप जनता के बीच जाएंगे ? जवाब : अगर हम जीतते है तो जनता के काम करने के लिए हमारे पास करीब एक वर्ष होगा। इस एक साल में फतेहपुर के 5 मेजर प्रोजेक्ट्स है, जिन पर हम काम करेंगे। ये वो परियोजनाएं है जिनका पैसा सेंक्शन हो चुका है या किन्ही कारणों की वजह से वापिस जा चुका है। सबसे पहला प्रोजेक्ट है चरूड़ी की सड़क और पुल का निर्माण। ये साढ़े 6 करोड़ की एक परियोजना है जो लंबित पड़ी है। दूसरा रे कॉलेज की बिल्डिंग का काम अब तक पूरा नहीं हो पाया है, उसे जल्द पूरा करने की कोशिश करेंगे। तीसरा काम है फतेहपुर का मिनी सचिवालय जिसका काम अब तक नहीं हुआ। हालांकि सरकार ने चुनाव नज़दीक देख ज़रूर लिपापोती शुरू की है। चौथा राजा का तालाब में बनने वाला कम्युनिटी हेल्थ सेंटर और पांचवी जो स्कीम जानती चरूडिया में सेंक्शन हुई है उसे भी पूरा करेंगे। मैं हमेशा जनसांख्यिकीय लाभांश यानी डेमोग्राफिक डिविडेंड की बात करता हूँ। भारत में अधिकतर युवाओं की जनसंख्या है। हम यूरोप या जापान जैसे देश नहीं है जहां वृद्धों की संख्या ज़्यादा है। हम हमारे यूथ एनर्जी को अगर सही जगह चैनलाइज करें तो जीडीपी को बढ़ाना कोई बड़ी बात नहीं है। जो एक साल हमें मिलेगा उसमें विधायक निधि का पैसा हम युवाओं की डेवलपमेंट और उनकी एजुकेशन में लगाएंगे। दूसरा हमारे विकास के एजेंडा में युवाओं के साथ-साथ महिलाओं को भी हम हमेशा प्राथमिकता देंगे। अगले एक साल में हम विकास का ये ब्लूप्रिंट तैयार करेंगे और अगले 5 साल में हम इसे रफ्तार देंगे। इसक अलावा पर्यटन, कृषि विकास, मधुमक्खी पालन, प्राकृतिक जड़ी बूटियों से सम्बंधित कार्य भी फतेहपुर में किये जा सकते है। फतेहपुर को हम एक एजुकेशन हब, एक स्पोर्ट्स हब और एक मेडिकल हब की तरह डेवलप करना चाहते है। सवाल : फतेहपुर बीजेपी की गुटबाज़ी को लेकर आप क्या कहेंगे, क्या यह कांग्रेस के लिए एक प्लस प्वॉइंट हो सकता है ? जवाब : देखिये बीजेपी में क्या हो रहा है, इससे हमें कोई फर्क नहीं पड़ता। यह उनका निजी मामला है। हम किसी जाति, वंश, धर्म या व्यक्ति विशेष के आधार पर चुनाव नहीं लड़ने वाले है। हमारा एक मात्र एजेंडा है, क्या हम पांच से दस साल में पांच से छह हजार परिवारों के लिए 25 हजार रुपए प्रति माह इनकम जेनरेट करवा सकते है या नहीं करवा सकते है। बीजेपी के कैंडिडेट से हमें फर्क नहीं पड़ता क्यों कि हिमाचल की प्रबुद्ध जनता हर एक चीज़ से परिचित है। हिमाचल की अच्छी बात यह है कि पूरे हिंदुस्तान में साक्षर राज्य में हिमाचल प्रदेश दूसरे स्थान पर है। यहां पर जनता को गुमराह नहीं किया जा सकता। हमारे लिए यह सौभाग्य से कम नहीं है कि हम ऐसे राज्य में रहते है जो डेवलपमेंट इंडेक्स में बहुत आगे है और हमारा एजेंडा हिमाचल का विकास करवाना है। युवाओं, महिलाओं और बेरोजगारों के लिए रोजगार मुहैया करवाना है। इसके अलावा कैसे हमने हिमाचल के विकास को गति देनी है हम इसके लिए लगातार मंथन करते आये है। सवाल : सरकार के कामकाज को लेकर कितने संतुष्ट है? क्या कहना चाहेंगे? जवाब : देखिये सरकार की घोषणाओं पर कितना काम हुआ इसकी असल तस्वीरें जनता के ज़हन में है। जैसे मैंने कहा कि हिमाचल की जनता अब सरकार के जूठे वादों में नहीं आने वाली। ये सरकार सिर्फ चुनाव के समय ही जनता को याद करती है। उपचुनाव नज़दीक है तो कई मंत्री फतेहपुर का भी चक्कर काट गए है। इस सरकार का सिर्फ एक एजेंडा है रिबन काटो और शिलान्यास करो। मैं सरकार से ये ही कहना चाहूंगा कि यह तरकीब पुरानी हो चुकी है, इन तरकीबों से आप अपने वोट बढ़ा नहीं रहें बल्कि घटा रहे है। हिमाचल की जनता पढ़ी-लिखी है, जनता को मालूम है कि क्या काम धरातल पर हो रहे है और क्या नहीं। आज की जनता को, मीडिया को सरकार गुमराह नहीं कर सकती। ये हवाई घोषणाएं बंद की जानी चाहिए। मुझे तो डर लगता है कि कहीं ये फतेहपुर को ही जिला न बना दें। ये बचकानी हरकतें है। अगर सरकार ये इवेंट छोड़कर कुछ अच्छा काम करे तो प्रदेश का विकास हो सकता है।
ऊर्जा राज्य हिमाचल से हर साल गर्मियों में बाहरी राज्य बिजली खरीदते है, जिससे प्रदेश काे खासा राजस्व मिलता है। मगर पिछले साल मार्च महीने से लेकर अब तक काेराेना काल में बिजली से मिलने वाली आर्थिक पर भी संकट आया। बाहरी राज्याें काे बिजली बेची तो गई, पर सस्ती। यही वजह है कि बीते एक साल में बिजली बेच कर हिमाचल ने मात्र 700 करोड़ का राजस्व कमाया, जबकि 2018-19 में यही बिजली करीब 11 साै करोड़ में बिकी थी। हिमाचल में कुछ छोटे और बड़े विद्युत प्राेजेक्ट्स लंबित हैं, जिन्हें शुरू करने के लिए जयराम सरकार निजी कंपनियों काे राहत देने की बात कर रही है। प्रदेश में नए प्राेजेक्ट्स के लिए नियमों काे सरल बनाने की भी बात जयराम सरकार कर रही है। दूसरी ओर बिजली बाेर्ड प्रबंधन के खिलाफ कुछ कर्मचारी भ्रष्टाचार के आरोप लगा रहे हैं। एक और दिलचस्प बात ये है कि ऊर्जा राज्य होने के बावजूद हिमाचल को सर्दियों में बाहरी राज्यों से बिजली खरीदनी पड़ती हैं। ऐसे कुछ ज्वलंत मुद्दाें पर फर्स्ट वर्डिक्ट मीडिया ने प्रदेश के ऊर्जा मंत्री सुखराम चौधरी से बात की जिस पर मंत्री ने सीधे जवाब दिए। पेश है मंत्री से बातचीत के अंश... सवाल: काेराेना काल में हिमाचल को बिजली बेचने से कितना राजस्व प्राप्त हुआ ? जवाब: कोरोना संकट के दौरान बाहरी राज्यों काे बिजली बेची तो गई, लेकिन बहुत कम। हर साल के टारगेट की तरह काेराेना काल में राजस्व लक्ष्य पूरा नहीं हाे पाया। पिछले साल बिजली बेच कर हिमाचल काे 700 करोड़ का राजस्व प्राप्त हुआ, जबकि उससे पहले 2018-19 में रिकॉर्ड 1100 करोड़ का राजस्व मिला। इस बार हमने 1 हजार कराेड़ राजस्व हासिल करने का टारगेट रखा है। काेराेना काल की बात करें ताे बिजली सस्ती बिकी, जिस कारण राजस्व भी कम आया। सवाल: हर साल कितनी बिजली बेची जाती है? क्या हिमाचल भी अन्य राज्यों से बिजली खरीदता है? जवाब: बिजली बेचने और खरीदने का कोई फिक्स टारगेट नहीं हैं। हिमाचल से बाहरी राज्य गर्मियों में ही बिजली खरीदते हैं, जबकि बाहरी राज्यों से हिमाचल सर्दियाें में बिजली खरीदता है। ऊर्जा राज्य हिमाचल में 19 हजार मिलियन यूनिट बिजली पैदा होती है, जिसमें से हम करीब 8 हजार मिलियन यूनिट बेचते हैं। हम बाहरी राज्यों काे ऋण प्रणाली के आधार पर बिजली बेचते हैं। दिल्ली, यूपी, हरियाणा, पंजाब और उत्तराखंड राज्य काे बिजली बेची जाती है। यह भी कहना चाहूंगा कि हिमाचल में इस वक्त 3639 मेगावाट बिजली पैदा होती है, जिसमें से विद्युत बोर्ड को 748 मेगावाट फ्री दी जाती है। सवाल: क्या कारण है कि कई वर्षों से प्रस्तावित बिजली प्राेजेक्ट्स का काम शुरू नहीं हाे पाया, क्या सरकार की ओर से कुछ राहत मिलेगी ? जवाब: हिमाचल प्रदेश में सालों से अपने प्रोजेक्टों पर काम शुरू नहीं कर पाए ऊर्जा उत्पादकों को राहत देने के लिए सरकार ने योजना बनाई है, जिसका लाभ उठाने ऊर्जा उत्पादक आगे आए हैं। अभी 224 उत्पादकों में से 192 उत्पादकों ने सरकारी योजना का लाभ लेने के लिए आवेदन किया है। इनके साथ जल्दी ही नए सिरे से एमओयू होंगे और इनको एक तय अवधि दी जाएगी जिसमें प्रोजेक्ट का काम करना होगा। प्रोजेक्ट निर्माण में सालों लग रहे हैं क्योंकि समय पर एनओसी नहीं मिल पा रही। एनओसी दिलाने के लिए नीतियों को कुछ सरल बनाने के बारे में सरकार सोच रही है जिस पर जल्दी फैसला होगा। इसके साथ जिन उत्पादकों ने आवेदन किए हैं उनको यहां पर वन टाइम एमिनिटी के माध्यम से राहत दी जाएगी और सरकार अब प्रयास करेगी कि उनके प्रोजेक्ट जल्द बन जाएं। 40 साल के बाद परियोजना वैसे भी राज्य सरकार को मिल जाएगी जो एमओयू में शर्त रहती है। बीओटी आधार पर यहां बिजली की परियोजना मिलती है। अभी प्रोजेक्ट समय पर नहीं लगने से सरकार को भी बड़ा नुकसान हो रहा है। समय पर उसे रॉयल्टी भी नहीं मिलेगी, क्योंकि प्रोजेक्ट नहीं लग पाया। ऐसी 224 छोटी व बड़ी बिजली परियोजनाएं हैं जिनका काम शुरू ही नहीं हो सका क्योंकि एनओसी नहीं मिल पाए। सवाल: ऊर्जा उत्पादकों काे राहत देने से से सरकार काे क्या लाभ होगा ? जवाब: एक बड़ी योजना यहां पर ऊर्जा उत्पादकों को राहत देने के लिए सरकार ने बनाई है जो सही तरह से सिरे चढ़ती है तो सरकार को भी फायदा होगा। अभी प्रोजेक्ट न बन पाने से सरकार का भी करोड़ों रुपए का नुकसान है। सालों पहले जिन शर्तों के आधार पर उत्पादकों ने प्रोजेक्ट हासिल किए थे, उनको भी वर्तमान समय की जरूरतों को ध्यान में रखकर बदला जाएगा। इस समय बाजार में बिजली का रेट भी देखा जाएगा। इसमें से सरकार की वन टाइम एमिनिटी योजना के तहत 192 ऊर्जा उत्पादकों ने आवेदन किया है। हिम ऊर्जा के पास ऐसे 168 आवेदन आए हैं जिनमें ऊर्जा उत्पादक सरकारी योजना का लाभ लेना चाहते हैं। इसी तरह से ऊर्जा निदेशालय के पास 24 आवेदन हैं जो बड़े प्रोजेक्ट हैं और वह भी चाहते हैं कि उनके साथ नए सिरे से एमओयू हो। सवाल: बिजली बोर्ड के कर्मचारी प्रबंधन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा रहे हैं, इस बारे जानकारी है? जवाब: प्रदेश सरकार ने कभी भी कर्मचारियों के खिलाफ नीति नहीं बनाई। हर बार बजट में राहत देने का प्रयास किया गया। बावजूद इसके बिजली बोर्ड के कर्मचारी प्रबंधन के खिलाफ आंदोलन की धमकी देते हैं, जो सही नहीं हैं। जहां तक भ्रष्टाचार के आरोप की बात है, इस बारे काेई सूचना नहीं हैं। ऐसा है जिसकी बात कर्मचारी कर रहे हैं, वह इससे पहले चीफ इंजीनियर थे और बाद में प्रमोशन भी दी गई। ताे उस वक्त कहां था भ्रष्टाचार। मैं कर्मचारियाें से आग्रह करता हूं कि बेवजह आरोप लगाना बंद करें। सवाल: जंगी-थोपन बिजली परियोजना के लिए सर्वे काे काम चला हुआ है, निर्माण कार्य कब से शुरू होगा? जवाब: जंगी-थोपन बिजली परियोजना का निर्माण एसजेवीएन के तहत होना है। कार्य शुरु होने में अभी समय लग सकता हैं। प्रदेश में बिजली प्राेजेक्ट्स स्थापित हाेने से राज्यों काे राजस्व लाभ ही मिलेगा। कुछ लोग यह कह रहे हैं कि बिजली परियोजना स्थापित होने से प्राकृतिक जल स्रोत खत्म हाे जाएंगे, ऐसा नहीं हाेगा। जहां पर भी बिजली परियोजनाओं का काम चल रहा है या चलने वाला है, वहां पर पूरी तरह साइंटिफिक तरीके से निर्माण कार्य हाेंगे। आज पूरे देश में हिमाचल काे ऊर्जा राज्य के रूप में जाना जाता है। हर प्रस्तावित परियोजना वैज्ञानिक तरीके से ही लगेगी।
हिमाचल प्रदेश में होने वाले तीन उपचुनाव की तिथि घोषित होने से पहले सियासत तेज हाे चुकी है। मंडी संसदीय क्षेत्र, जुब्बल-कोटखाई और फतेहपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव होना है, लेकिन मंडी संसदीय सीट पर टिकट के लिए भाजपा नेताओं ने भीतर खाते केंद्रीय आलाकमान तक तार जोड़ दी है। मंडी संसदीय क्षेत्र से पूर्व में दो बार लोकसभा और एक बार राज्यसभा सांसद रह चुके भाजपा नेता महेश्वर सिंह उपचुनाव लड़ने के मूड में हैं। हालांकि उन्होंने टिकट के लिए दावा नहीं किया है, लेकिन पार्टी हाईकमान हरी झंडी दे ताे वे और एक बार संसद जाने के लिए तैयार हैं। महेश्वर सिंह कह रहे है कि अगर पार्टी एक माैका दे ताे यह उनका अंतिम चुनाव हाेगा। उपचुनाव में टिकट के लिए उनकी दावेदारी, 2012 में हिलोपा का गठन करने के पीछे का राज, 2017 का विधानसभा चुनाव हारने के पीछे कारण समेत कई अहम मसलों पर फर्स्ट वर्डिक्ट मीडिया ने महेश्वर सिंह से विशेष चर्चा की। पेश है उसके कुछ अंश... सवाल: मंडी संसदीय सीट पर उपचुनाव तय है, टिकट के लिए आपकी भी दावेदारी हैं, क्या यह सही है? जवाब: मंडी संसदीय क्षेत्र हिमाचल का ही नहीं, बल्कि पुरे हिंदुस्तान में सबसे बड़े क्षेत्रफल वाले संसदीय क्षेत्रों में से एक है। पूर्व सांसद स्व. रामस्वरूप जी के निधन के बाद अब यहां उपचुनाव होना है। जहां तक टिकट का सवाल है मैंने न ताे काेई आवेदन किया है और न ही दावा जताया। हां यह बात अलग है कि पार्टी मौका दे ताे मेरा अंतिम चुनाव हाेगा। उपचुनाव के लिए मुझे किन्नौर से लेकर भरमौर के लाेगाें की कॉल आ रही है कि टिकट के लिए जोर लगाओ। मगर मैंने उन्हें कह दिया है कि यह रस्सा-कस्सी का खेल नहीं है। हां पार्टी अगर मौका दे तो मैं पूरी तरह तैयार हूँ। बेशक अभी 72 साल का हूं लेकिन स्वस्थ हूँ। मंडी संसदीय क्षेत्र की जनता का मुझे समर्थन मिलता रहा। पूर्व में दो बार लोकसभा और एक बार राज्यसभा सांसद बनने का मौका भी मिला है। मैं यही कहूंगा कि पार्टी मुझे मौका दे ताे अगले तीन साल तक जनता की सेवा करुंगा। सवाल: 2012 के विधानसभा चुनाव से पहले आपने हिलोपा का गठन किया था, फिर वापस भाजपा में लौट आये, क्या वजह रही? जवाब: जाे हाे गया साे हाे गया। मैंने उस वक्त किसी अन्य राजनीतिक दल काे ज्वाइन नहीं किया था। घर के अंदर गिले-शिकवे थे, ताे मैंने अपनी ही पार्टी का गठन किया था और मैं जीत कर विधानसभा भी पहुंचा। कुछ एक लाेगाें के कारण ऐसा करना पड़ा। भाजपा मेरा घर है, घर से निकला था और अब मैं घर में ही हूं। उस वक्त मैंने कभी भी भाजपा की आलोचना नहीं की थी। कुछ लोगों से मनमुटाव जरुर रहा। वैसे भी मेरी राजनीति भाजपा से ही शुरू हुई थी और वर्तमान में भी भाजपा के लिए दिन-रात काम कर रहा हूं। उस वक्त जाे हाे गया उसे भूल कर मैंने 2017 के चुनाव से पहले मीडिया में भी कह दिया था कि मैं घर वापस जा रहा हूं और आज मैं अपने घर में हूं। सवाल: आप 2017 का चुनाव हारे, क्या इसके पीछे मुख्य कारण हिलोपा ताे नहीं? जवाब: 2017 के विधानसभा चुनाव में हार काे लेकर अफसाेस जरूर है, लेकिन मैं करीब डेढ़ हज़ार वाेटाें से ही हारा था। मेरी हार का कारण हिलोपा नहीं था। दरअसल कुछ लाेगाें ने दलित वर्ग को गुमराह किया, जिस कारण मुझे हार का सामना करना पड़ा। लोकतंत्र में हार और जीत होती रहती है। सभी प्रत्याशी नहीं जीतते हैं। आज भी कुल्लू समेत मंडी संसदीय क्षेत्र के लोग मेरे कार्यों की तारीफ करते हैं। पूर्व में जब विधायक रहा हूं, या फिर सांसद, मैंने हमेशा लोगों की सेवा की है। मैं आज विधायक नहीं हूं, फिर भी जनसेवा करता हूं। सवाल: मंत्री महेन्द्र सिंह ने बीते दिनों अध्यापकों पर जो बयान दिया, उस पर क्या कहेंगे? जवाब: जब कोई नेता भाषण देता है ताे कई बार ऐसे लहजे से शब्द निकल जाते हैं, मगर महेंद्र सिंह ठाकुर ने अध्यापकों के खिलाफ जानबूझकर बयानबाजी नहीं की। उस दिन मैं ताे वहां नहीं था, लेकिन मंत्री जी ने एक तरह से मजाक के तौर पर ऐसा कह दिया हाेगा। बाद में मामला सुलझ गया। सवाल: सरकार और संगठन के कार्यों से आप कितने संतुष्ट हैं? जवाब: पहली बात ताे यह है कि संगठन के कार्यों से संतुष्ट होकर ही आज मैं भाजपा में हूं। दूसरा, प्रदेश सरकार ने अपने अब तक के कार्यकाल में हर विधानसभा क्षेत्र का समान विकास किया जिसकी रफ्तार हर राेज तेज होती जा रही है। हां काेराेना संकट के दौरान थोड़ा सा विकास थम सा गया था, लेकिन केंद्र की मोदी और प्रदेश की जयराम सरकार ने काेराेना से जंग जीतने के लिए हर मोर्चे पर काम किया।
कोरोना काल में जहां एक ओर अपने भी मृतकों को कंधा तक नहीं दे रहे थे, वहीं एक नेता अपने परिवार संग कई अर्थियों को कंधा देने पहुंच गए और कई अंतिम संस्कार करवाएं। ये नेता है बड़सर विधायक इंद्रदत्त लखनपाल। स्वयं हिमाचल के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने कोविड महामारी के दौर में इंद्रदत्त लखनपाल के काम की सराहना की। लखनपाल से प्रभावित होकर और भी कई नेता कोरोना काल में मददगार बनकर आगे आये। कांग्रेस नेता इंद्रदत्त लखनपाल जिला हमीरपुर की बड़सर सीट से लगातार दूसरी बार विधायक है और उन गिने चुने नेताओं में से है जो सहजता से जनता के बीच उपलब्ध रहते है। उनके विधानसभा क्षेत्र से जुड़े मुद्दों के साथ -साथ प्रदेश सरकार के कामकाज और प्रदेश कांग्रेस की वर्तमान स्तिथि पर फर्स्ट वर्डिक्ट ने उनसे विशेष बातचीत की। पेश है बातचीत के मुख्य अंश .... सवाल : हाल ही में आपका एक वीडियो सामने आया है जिसमें स्थानीय लोगों के कहने पर आप देर रात बिजली बोर्ड के दफ्तर पहुंच गए। ऐसा क्या हुआ था कि आपको देर रात वहां जाना पड़ा? जवाब : उस दिन देर रात दस बजे मुझे चकमोह क्षेत्र के कुछ स्थानीय निवासियों ने फ़ोन किया और बताया कि उनके गांव में पिछले कुछ घंटो से लाइट नहीं है। कारण जानने के लिए मैंने बिजली बोर्ड के अधिकारियों से बात करनी चाही लेकिन मेरी बात उनसे नहीं हो पाई। इसके बाद मेरे पीए ने वहां के अटेंडेंट को फ़ोन किया तो आगे से अटेंडेंट का व्यवहार ठीक नहीं था, उसने अकड़ के ये जवाब दिया कि पांच बजे के बाद हमारी ड्यूटी नहीं होती है। कर्मचारियों का ऐसा व्यवहार देख कर मुझे लगा कि मुझे वहां जाना चाहिए और खुद मामले की जांच करनी चाहिए। मैं रात साढ़े दस बजे वहां पहुंचा और अटेंडेंट से तहज़ीब से पेश आने की बात कही। उसके बाद लाइन मेन को लेकर हम फ़ॉल्ट वाली जगह पर पहुंचे, 2 घंटे तक हमने कोशिश की लेकिन फॉल्ट ठीक नहीं हो पाया। पर दूसरे दिन सुबह ही उस फॉल्ट को ठीक कर दिया गया। दरअसल जिन लोगों ने मुझे फ़ोन किया था, उनके घर पर देर रात सांप निकला था। लोग दहशत में थे कि कहीं दोबारा वो सांप न निकल जाए। दुःख तो मुझे इस बात का है कि जनता के प्रति कर्मचारियों का व्यवहार ठीक नहीं है। अगर विधायक के पीए से कर्मचारी ऐसे बात करते है तो जनता से किस तरह करते होंगे। उन्हें जनता की सेवा के लिए वेतन मिलता है और ये उनका कर्तव्य है कि वो जनता के साथ तहज़ीब से पेश आए। सवाल : कोरोना काल के दौरान आपके विधानसभा क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधाओं की क्या स्थिति रही और लोगों को किन दिक्क्तों का सामना करना पड़ा ? जवाब : कोरोना काल के दौरान बड़सर विस क्षेत्र की जनता को कई तरह की दिक्क्तों का सामना करना पड़ा है। हमने अधिक से अधिक राहत पहुंचाने की कोशिश की। फ़ूड सप्लाई और एम्बुलेंस की सेवा तो हमने जनता तक पहुंचाई ही, साथ ही जहां लोगों को पानी की दिक्कत आई वहां पानी के टैंकर भी पहुंचाए। स्वास्थ्य सुविधाओं की अगर बात करें तो हमीरपुर जिले में जो हॉस्पिटल है अभी वो निर्माणाधीन स्थिति में है। वहां अभी इंफ्रास्ट्रक्चर इतना बेहतर नहीं है कि क्षेत्र की समस्त जनता को सुविधा मिल पाए। आनन-फानन में एक ऑक्सीजन प्लांट यहां ज़रूर बनाया गया लेकिन वो भी काफी कम कैपेसिटी का है। इसी कारण हमीरपुर के जितने भी गंभीर रूप से बीमार मरीज़ थे उन्हें टांडा या नेरचौक रेफर किया गया, जहां अधिकांश लोगों को डॉक्टर बचा नहीं पाए। इससे लोगों के बीच एक भय का वातावरण बन गया था कि उन्हें टांडा या नेरचौक रेफर किया गया तो वो बच नहीं पाएंगे। सवाल : 2017 में आप दूसरी बार बड़सर के विधायक बने। लगभग साढ़े आठ सालों से आप बड़सर के विधायक है। आपके कार्यकाल में विकास की रफ़्तार क्या रही है? जवाब : विकास की बात करें तो पिछले 2 वित्त वर्षों में बड़सर विधानसभा क्षेत्र को भारी नुक्सान हुआ है। कोरोना काल के दौरान विकास के जो कार्य होने थे वो हो नहीं पाए। वैसे भी भाजपा सरकार के साढ़े तीन साल के कार्यकाल में विकास के नाम पर कुछ भी नहीं हो पाया है। पिछली वीरभद्र सरकार में जो योजनाएं स्वीकृत की गई थी उन्हीं का काम बड़सर विधानसभा क्षेत्र में चल रहा है और वो काम भी बेहद धीमी गति से चल रहा है। सरकार की जो प्रशासन पर पकड़ होनी चाहिए वो इस सरकार की नहीं है। बड़सर विधानसभा क्षेत्र में पानी की इतनी दिक्कत है कि मुझे खुद टैंकरों द्वारा लोगों को पानी मुहैया करवाना पड़ रहा है। सरकार का दायित्व बनता है कि अगर पानी नहीं है तो वो कोई वैकल्पिक व्यवस्था करे, लेकिन हिमाचल सरकार इस मसले पर मूकदर्शक बनी हुई है। सरकार बड़ी- बड़ी बातें करती है कि करोड़ों की योजनाएं शुरू कर दी, घर - घर में नल लगवा दिए, अरे वो नल तो आपने लगवा दिए पर वहां पानी कैसे पहुंचेगा। इस सरकार ने जनता के प्रति बिलकुल नकारात्मक रवैया अपनाया है, चाहे मुद्दा कोई भी हो। महंगाई ही देख लीजिये, पेट्रोल डीज़ल के दाम बढ़ गए, गैस सिलिंडर के दाम बढ़े है, इस सरकार के कार्यकाल में सरसों के तेल, रिफाइंड और दालों के दाम भी आसमान छू रहे है। सवाल : महंगाई को लेकर भाजपा सरकार अक्सर ये तर्क देती है कि जब कांग्रेस की सरकार थी तब भी तो देश में महंगाई थी, तब भी कीमतें बढ़ती थी तो फिर अब इतना हंगामा क्यों ? इस तर्क पर आप क्या कहेंगे ? जवाब : ये बड़ी दुख की बात है कि हिमाचल के मुख्यमंत्री इतने बचकाने बयान देते है। कांग्रेस के समय इतनी महंगाई नहीं थी। पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह उन पहले मुख्यमंत्रियों में से थे जिन्होंने देश में पीडीएस सिस्टम को लागू किया। घरों में सस्ता राशन और सस्ती बिजली उपलब्ध करवाई. कांग्रेस के समय में अगर महंगाई बढ़ती भी थी तो ये लोग ऐसी हरकते करते थे जिसका अब कोई ज़िक्र नहीं है। ये लोग सर पर सिलिंडर लेकर व गले में आलू प्याज की माला पहन कर प्रदर्शन करते थे। आज ये लोग अपनी सरकार के खिलाफ क्यों प्रदर्शन नहीं कर रहे, अब इन्हें ये महंगाई क्यों नहीं दिखाई देती। सवाल : सोशल मीडिया के माध्यम से आप छात्रों के प्रदर्शन का भी समर्थन कर रहे है, हिमाचल में यूजी की फाइनल ईयर की परीक्षाओं पर आपकी क्या राय है ? जवाब : कांग्रेस पार्टी और युवा कांग्रेस विपक्ष में होने के नाते अपनी ज़िम्मेदारी को निभा रहे है। सत्ता में जो पार्टी है उसे तो सत्ता के अलावा कुछ दिखता ही नहीं। मुख्यमंत्री कहते है कि बच्चों को पढ़ने के लिए बहुत समय मिला। मैं मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री से आग्रह करना चाहूंगा कि वो हमारे पहाड़ी क्षेत्रों का एक बार दौरा करें। हमारे बड़सर विधानसभा क्षेत्र में कई ऐसे गांव है जहां नेटवर्क ही नहीं है वहां बच्चे पढ़ेंगे कैसे ? जब बच्चे पढ़े ही नहीं तो परीक्षाएं कैसी। मेरा मानना है कि हिमाचल में छात्रों की ऑफ लाइन परीक्षाएं फिलहाल नहीं होनी चाहिए। हिमाचल प्रदेश में 3 हज़ार से ज्यादा मौतें हुई है और सरकार द्वारा मृतकों के परिजनों की कोई भी सहायता नहीं की जा रही। कई बच्चों का पाठ्यक्रम भी पूरा नहीं है तो बच्चे कैसे परीक्षाएं दे सकते है। कई बच्चों को अभी तक वैक्सीन नहीं लगी है और इसीलिए वे चिंतित है कि ऑफलाइन एग्जाम सेंटर में आखिर जाएं कैसे। अगर कोई बच्चा संक्रमित हो जाए तो फिर कौन ज़िम्मेदार है ? बच्चों का कहना है कि अगर हम ज़िंदा रहेंगे तभी तो पढ़ाई कर पाएंगे, इसीलिए जब तक बच्चों को वैक्सीन नहीं लग जाती तब तक परीक्षाएं नहीं होनी चाहिए। साथ ही हमारी एक और मांग ये भी है कि जिन बच्चों ने कोरोना काल के चलते अपने परिजनों को खोया है उनकी फीस माफ़ की जानी चाहिए। सवाल : क्या आप बच्चों को डायरेक्ट प्रमोट करने के पक्ष में है या ऑनलाइन परीक्षाओं के ? जवाब : सरकार ने जब 10वीं और 12वीं के बच्चों को प्रमोट कर दिया तो फिर इन बच्चों को प्रमोट करने में क्या दिक्कत है। हमारी मांग है कि यूजी के छात्रों को भी प्रमोट किया जाए ,उनकी अनदेखी न हो। ये सरकार खुद धरातल पर काम न करके पूरे दिन जूम मिटिंग पर बैठी रहती है, तो इन्हें लगता है की पूरे प्रदेश में सभी के पास ऐसी सुविधाएं होंगी, लेकिन ऐसा नहीं है। अब तो वैसे भी उपचुनाव नज़दीक आ गए है, अब तो ये सरकार सारे कामकाज बंद कर प्रचार में लग जाएगी। दिल्ली से इनके बड़े नेता आएंगे और फिर मुख्यमंत्री उन्हें हिमाचल भ्रमण करवाएंगे। सवाल : कांग्रेस की वर्तमान स्थिति पर आपका क्या पक्ष है, क्या संगठन को संभालने में प्रदेश अध्यक्ष सक्षम दिख रहे है ? जवाब : कांग्रेस का संगठन फिलवक्त बिलकुल दुरुस्त है और हम 2022 के लिए पूरी तरह तैयार है। कुलदीप सिंह राठौर जबसे हमारे प्रदेश अध्यक्ष बने है वो काम कर रहे है। अगर वो किसी को नापसंद है तो ये उनकी अपनी राय हो सकती है। वो स्वयं प्रदेश अध्यक्ष नहीं बने हैं, उन्हें सोनिया गांधी ने प्रदेश अध्यक्ष बनाया है। जो जिम्मेदारियां उन्हें दी गई है वे उसे निभा रहे है। कांग्रेस पार्टी भी मज़बूत है और कांग्रेस का कार्यकर्त्ता भी। बाकी छोटी बड़ी बातें तो होती रहती है। भाजपा भी एकजुट नहीं है, वहां भी कई गुट है। धूमल गुट कहता है धूमल को सीएम फेस बना कर इलेक्शन लड़ो, जयराम गुट कहता है जयराम ही सीएम फेस होंगे, इनमें भी खूब अंतर्कलह है। ये राजनीतिक पार्टिओं में चलता रहता है। सवाल : 2022 में कांग्रेस का चेहरा कौन होगा ? जवाब : हमारा चेहरा होगा कांग्रेस पार्टी का चुनाव चिन्ह और सोनिया गांधी जी हमारा चेहरा होगीं, राहुल गांधी जी हमारा चेहरा होंगे और प्रदेश के जितने सीनियर नेता है हम सब मिलकर 2022 का चुनाव लड़ेंगे। हम सब मिलकर जनता के बीच जाएंगे, इस सरकार की पोल जनता के आगे खोलेंगे और कांग्रेस पार्टी को 2022 में एक बार फिर से सत्ता में लाएंगे।
वरिष्ठ भाजपा नेता और दो बार अर्की विधायक रहे गोविन्द राम शर्मा 2022 के लिए अभी से हुंकार भर चुके है। शर्मा आश्वस्त है कि पार्टी उन्हें टिकट देगी और वे चुनाव जीतेंगे भी। निसंदेह उन्हें दरकिनार करना भाजपा के लिए आसान नहीं होने वाला। शर्मा कहते है 2017 में उन्होंने टिकट भी छोड़ा और पूरी शिद्दत से पार्टी के लिए काम करते आ रहे है। अब पार्टी के आशीर्वाद से 2022 में वे ही कमल खिलाएंगे। अर्की की गरमाई राजनीति पर फर्स्ट वर्डिक्ट ने गोविन्द राम शर्मा के साथ विशेष बातचीत की। पेश है बातचीत के मुख्य अंश.... सवाल : आप वह नेता है जिन्होंने 15 साल बाद अर्की विधानसभा क्षेत्र में भाजपा का कमल खिलाया था। बावजूद इसके 2017 में आपका टिकट काट दिया गया। क्या कारण रहे? गोविन्द राम शर्मा : अर्की विधानसभा क्षेत्र में पार्टी मजबूत रहें इसके लिए मैंने व्यक्तिगत रूप से हर संभव प्रयास किया। जनता के सहयोग और पार्टी के आशीर्वाद से में दो बार विधायक भी रहा। 2017 में भी मेरी इच्छा थी कि मैं दोबारा चुनाव लडू और उम्मीद थी कि पार्टी टिकट देगी। मुझे इस बात का दुख है कि मुझे टिकट नहीं दिया गया। हाइकमान का निर्णय था कि मेरी जगह रत्न सिंह पाल को टिकट दिया जाये, तो उस निर्णय का भी मैंने दिल से स्वागत किया। मैंने प्रचार से लेकर मतदान तक पार्टी के कैंडिडेट के साथ नहीं छोड़ा और पार्टी की जीत के लिए कोई कमी नहीं छोड़ी। आप हार का कारण पूछ रहें है तो निसंदेह पार्टी से कहीं न कहीं चूक रही। मुझे लगता है टिकट का गलत आवंटन भी हार का कारण रहा। सवाल : यानी आप मानते है कि आपको टिकट दिया गया होता, तो नतीजा बेहतर होता ? गोविन्द राम शर्मा : मैं सिर्फ यही कहूंगा कि मैं सकारात्मक सोच का व्यक्ति हूँ। मुझ पर पार्टी ने दो बार भरोसा जताया और मैंने दोनों बार पार्टी को जीत भी दिलाई। सवाल : प्रदेश में भाजपा सरकार बनने के बाद उम्मीद थी कि आपको किसी बोर्ड या निगम में नियुक्ति मिलेगी, पर ऐसा भी नहीं हुआ? जो उम्मीदवार 2017 में हारे उन्हें जगह मिली, क्या कहना चाहेंगे ? गोविन्द राम शर्मा : मैं मानता हूँ कि किसी भी पार्टी, संस्था या किसी भी कार्य को गति देने के टीम वर्क बेहद जरूरी है। बिना एकजुटता से कोई भी कार्य सम्भव नहीं है ,खासकर राजनीति में तो असम्भव है। मेरा व्यक्तित्व सिद्धांत तो यह कहता है कि सही रणनीति के साथ और सबको साथ लेकर ही मुकाम तक पहुंचा जा सकता है। रही बात मुझे किसी बोर्ड या निगम में पद मिलने की तो ये पार्टी का निर्णय है, मुख्यमंत्री जी का निर्णय है। मैं दिन -रात जनता और पार्टी की सेवा में लगा हूँ। पार्टी के भीतर मुझे मान - सम्मान प्राप्त है, सभी नेता -कार्यकर्ता मेरे परिवार की तरह है। हाँ मेरे समर्थक चाहते थे कि मुझे कोई बड़ी जिम्मेदारी मिले, पर पार्टी ने जो भी निर्णय किया वो स्वीकार्य है , सर्वोपरि है। सवाल : अर्की भाजपा में गुटबाजी चरम पर है। रतन सिंह पाल और आप तो है ही, आशा परिहार और अमर सिंह ठाकुर जैसे अन्य नेता भी सक्रिय है। इतनी गुटबाजी के बाद भाजपा जीतेगी कैसे ? गोविन्द राम शर्मा : अर्की में पार्टी में गुटबाजी नहीं है, हाँ व्यक्ति विशेष का अपना कोई गुट हो सकता है। अपनी राजनीतिक रोटियां सेकने की मंशा से राजनीति में उतरने वाले किसी भी हद्द तक जा सकते है। आप जीत को लेकर प्रश्न कर रहे है तो मैं बता दूँ कि मैं पूर्ण विश्वासरत हूँ कि पार्टी पिछले चुनावों में हुई त्रुटियों में सुधार कर कार्यकर्ताओं में नयी ऊर्जा का संचार करेंगी और उसी जोश के साथ अर्की में कमल खिलेगा। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के नेतृत्व में प्रदेश में बेतहाशा विकास हुआ है, पार्टी मजबूत है और जीत को लेकर हम तैयार है। सवाल : आपका सीधा इशारा रत्न सिंह पाल की तरफ है ? गोविन्द राम शर्मा : मेरा किसी व्यक्ति विशेष से कोई मतभेद नहीं है। सभी चाहते है की पार्टी बेहतर करें और हम अपने प्रदेश, अपने निर्वाचन क्षेत्र का अथाह विकास कर सके। मेरा भी यही मकसद है और अपना पूर्ण योगदान देना चाहता हूँ। सवाल : आप कर्मचारी नेता भी रहे है। कर्मचारियों के कई मुद्दे जयराम सरकार के कार्यकाल में लंबित है। इस विषय पर क्या कहेंगे? गोविन्द राम शर्मा : प्रदेश सरकार कर्मचारी हितेषी है, हर निर्णय कर्मचारियों के हित को ध्यान में रखकर लिया जाता रहा है। मैं खुद कर्मचारी रहा हूँ और बतौर कर्मचारी नेता कई प्रदर्शनों में भी शामिल भी हुआ हूँ। ऐसा नहीं है कर्मचारियों के मामले लंबित है, सरकार सभी मुद्दों को लेकर गंभीर है और मुझे विश्वास है कि कर्मचारियों की सभी मांगों को पूरा भी किया जायेगा। प्रदेश के कर्मचारियों में बेतोड़ ताकत है, आवश्यकता है एक मंच पर एकजुट होने की। सवाल : आप हमेशा बेबाक तरीके से अपने विचार रखते है। वर्तमान में भाजपा का जो जिला संगठन है, क्या वो सक्षम दिखता है आपको ? न धार दिख रही है और न दमदार चेहरा। 2022 कैसे जीतेंगे ? गोविन्द राम शर्मा: यह हाईकमान के ऊपर है। इस पर कोई कमेंट नहीं कर पाऊंगा।
प्रदेश युवा कांग्रेस अध्यक्ष निगम भंडारी कांग्रेस का उभरता हुआ चेहरा है। बेशक भंडारी का राजनैतिक सफर अब तक छोटा है लेकिन जानकारों को उनमें समझ भी दिखती है और नपी तुली भाषा और आक्रामकता का मिश्रण उन्हें भीड़ से इतर भी करता है। निगम भंडारी मंडी संसदीय क्षेत्र से ताल्लुक रखते है और मंडी संसदीय उप चुनाव के लिए उनका नाम चर्चा में है। हालांकि पार्टी के एक गुट विशेष के अधिक नजदीक होना भंडारी की राह में रोड़ा भी बन सकता है। इन दिनों निगम भंडारी हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी की परीक्षाएं रद्द करवाने के मुद्दे पर चर्चा में है। भंडारी प्रदेश सरकार पर लगातार हमलावर है। मंडी संसदीय उप चुनाव, छात्रों की परीक्षाएं और ज़िलों में युवा कांग्रेस की खस्ता स्तिथि को लेकर फर्स्ट वर्डिक्ट ने निगम भंडारी से विशेष चर्चा की। पेश है बातचीत के मुख्य अंश ... सवाल : मंडी लोकसभा के लिए उपचुनाव होने है और आपके समर्थक लगातार आपके लिए टिकट मांग रहे है, आपका क्या इरादा है ? क्या आप ये चुनाव लड़ने के लिए तैयार है ? जवाब : मंडी लोकसभा के उपचुनाव के लिए कांग्रेस ने अपनी तैयारी शुरू कर दी है। हिमाचल प्रदेश कांग्रेस के सहप्रभारी संजय दत्त हिमाचल में 6 दिन का दौरा करके गए है। उस दौरे के दौरान उन्होंने ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्षों के साथ भेट की, कांग्रेस के बड़े नेताओं के साथ बैठकें की। खासतौर पर मंडी लोकसभा के सभी वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं के साथ मंथन किया और अब 6 जुलाई से उनका एक और दौरा प्रस्तावित है। कांग्रेस एक ऐसी पार्टी है जहाँ कोई भी कार्यकर्त्ता छोटा या बड़ा नहीं होता, सभी को चुनाव लड़ने का अधिकार है, चाहे फिर वो मैं हूँ या कोई भी अन्य कार्यकर्त्ता। कोई भी ऐसा कार्यकर्त्ता जिसने पार्टी को मज़बूत करने का काम किया हो उसे पूरा हक़ है की वो शीर्ष नेतृत्व के सामने अपनी बात रखे। बाकि चुनाव किसको लड़वाना है किसको नहीं, ये तो हाईकमान को ही तय करना है। युवा कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष होने के नाते मैं आपको बताना चाहूंगा की युवा कांग्रेस के कार्यकर्त्ता मंडी लोकसभा उपचुनाव के लिए पूरी तरह तैयार है, सभी 17 विधानसभा क्षेत्रों में हमारे कार्यकर्ता फील्ड पर है। जिस तरह से नगर निगम के चुनाव में युवा कांग्रेस ने कार्य किया है उसी निष्ठां और जोश के साथ हम इस उपचुनाव में भी काम करेंगे। सवाल : ये तो बड़ा नपा तुला सा जवाब दिया है आपने, सीधे तौर पर बताएं कि अगर आलाकमान का आशीर्वाद मिलता है तो क्या आप चुनाव लड़ेंगे ? जवाब : जी अगर हाईकमान चाहेगी कि इस बार किसी युवा नेता को मौका दिया जाना चाहिए तो बिलकुल इसके लिए हम पूरी तरह से तैयार है। मैं भी तैयार हूँ और युवा कांग्रेस भी पूरी तरह तैयार है। सवाल : आप लगातार कह रहे है की युवा कांग्रेस तैयार है, लेकिन ऐसा देखा जा रहा है की युकां का एक गुट आपके लिए टिकट मांग रहा है तो दूसरा गुट यदुपति ठाकुर का नाम आगे कर रहा है। ऐसे में जब युवा कांग्रेस एकजुट ही नहीं दिख रही तो किस तैयारी की बात कर रहे है आप ? जवाब : देखिये जैसा की मैंने आपको बताया की कांग्रेस में टिकट मांगने का हक़ सभी को है। अगर किसी कार्यकर्त्ता ने पार्टी को मज़बूत करने के लिए काम किया है और वो टिकट मांग रहा है तो मुझे नहीं लगता की वो गलत है। अभी तो सभी टिकट मांग रहे है लेकिन जैसे ही टिकट का आवंटन हो जाता है तो कांग्रेस एकजुट दिखेगी। सवाल : जबसे आपने युंका की कमान संभाली है तब से युंका प्रदेश स्तर पर एक्टिव दिख रही मगर जिलों में अब भी हाल खराब है। युवा कांग्रेस को जिला स्तर पर सशक्त करने के लिए आपका क्या प्लान है? जवाब : ऐसा नहीं है, मुझसे पहले भी युवा कांग्रेस काफी सशक्त थी। मुझसे पहले मनीष ठाकुर जी और विक्रमादित्य सिंह जी भी युवा कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके है। मनीष ठाकुर जी के नेतृत्व में युवा कांग्रेस ने बहुत बेहतरीन काम किये है। कोरोना काल के दौरान युवा कांग्रेस एक मात्र ऐसा संगठन था जिसने हर ज़रूरतमंद की मदद की। कोरोना काल में हमारे शिमला के कार्यालय में तीन महीने तक फ़ूड बैंक चलाया गया। अब जो मुझे ये मौका मिला है और मेरे जैसे कई कार्यकर्त्ता जो चुनाव के जरिये पदाधिकारी बने है, हम सभी युवा कांग्रेस को और अधिक मज़बूत करने की कोशिश करेंगे। ये मेरा सौभाग्य है की मुझ जैसा आम आदमी युंका का अध्यक्ष बना और अब मैं अपनी ज़िम्मेदारी पूरी निष्ठां से निभाउंगा। सवाल : आप लगातार सोशल मीडिया पर कॉलेज के छात्रों के परीक्षाओं का मुद्दा उठा रहे है, आपसे जानना चाहेंगे की आपको क्यों लगता है की हिमाचल में कॉलेज के छात्रों की परीक्षाएं रद्द की जानी चाहिए ? जवाब : जी हां. बिलकुल मेरा मानना है की हिमाचल में छात्रों की ऑफ लाइन परीक्षाएं फिलहाल नहीं होनी चाहिए। सरकार ने एक तरफ 12वीं और 10वीं के छात्रों को प्रमोट किया है तो फिर कॉलेज के छात्रों को क्यों नहीं। कॉलेज के छात्र लगातार ये ही सवाल कर रहे है की सरकार के ये दोहरे मापदंड क्यों ? स्कूल के बच्चों में और कॉलेज के बच्चों में सिर्फ एक साल का फर्क है तो फिर ऐसा क्यों किया जा रहा है। कॉलेज के कई ऐसे छात्र है जिनकी उम्र 17 से 18 साल है। छात्रों के अभिभावक भी इस बात से बहुत ज्यादा परेशान है। ये युथ कांग्रेस या NSUI का मुद्दा नहीं बल्कि एक आम छात्र का मुद्दा है। हिमाचल प्रदेश में 3 हज़ार से ज्यादा मौते हुई है और सरकार द्वारा मृतकों के परिजनों की कोई भी सहायता नहीं की जा रही। ज्यादातर छात्रों का मानना है कि सरकार द्वारा लिया गया ये फैसला गलत है, सरकार को ये फैसला वापिस लेना ही होगा। छात्रों की मांग है की फर्स्ट और सेकंड ईयर वाले छात्रों को प्रमोट किया जाना चाहिए जबकि फाइनल ईयर के छात्रों की परीक्षाएं ऑफलाइन करवाई जाए। सोशल मीडिया के माध्यम से बच्चे लगातार हमें ये बता रहे है की कोरोना काल में उनकी कक्षाएं ऑनलाइन हुई है। हिमाचल के कई ऐसे दुर्गम क्षेत्र है जहां इंटरनेट कनेक्टिविटी नहीं। उन क्षेत्रों के बच्चों की पढाई बहुत बुरी तरह से प्रभावित हुई है। कई बच्चों का सिलेबस भी पूरा नहीं है तो बच्चे कैसे परीक्षाएं दे सकते है। कई बच्चों को अभी तक वैक्सीन नहीं लगी है और इसीलिए वे चिंतित है कि ऑफलाइन एग्जाम सेण्टर में आखिर जाए कैसे। अगर कोई बच्चा संक्रमित हो जाए तो फिर कौन ज़िम्मेदार है। बच्चों का कहना है की अगर हम ज़िंदा रहेंगे तभी तो पढ़ाई कर पाएंगे, इसीलिए जब तक बच्चों को वैक्सीन नहीं लग जाती तब तक परीक्षाएं नहीं होनी चाहिए। साथ ही हमारी एक और मांग ये भी है की जिन बच्चों ने कोरोना काल के चलते अपने परिजनों को खोया है उनकी फीस माफ़ की जानी चाहिए। सवाल : अगर परीक्षाएं देने जा रहे छात्रों की जान खतरे में है तो जो एमबीबीएस और नर्सिंग के छात्र जो कोरोना वार्ड में ड्यूटी दे रहे है, क्या उनकी जान खतरे में नहीं है ? उनके लिए आपने कुछ क्यों नहीं किया ? जवाब : जी हाँ ये बिलकुल सही है और हम भी केवल एचपीयू के छात्रों की ही परीक्षाओं को रद्द करने की बात नहीं कर रहे, बल्कि सभी छात्रों की आवाज़ उठा रहे है। एम्स के डायरेक्टर डॉ रणदीप गुलेरिया ने कहा है की 7 से 8 हफ़्तों में देश में कोरोना की तीसरी लहर आने वाली है। ऐसे में बच्चों के एग्जाम करवाना बिलकुल भी ठीक नहीं है। पोस्ट कोवीड भी इतनी बीमारियां अब सामने आ चुकी है तो बच्चे असुरक्षित है। हमने स्कॉलर बच्चों से भी बात की है और आम छात्रों से भी। 90 फीसदी छात्र चाहते है की उनको प्रमोट किया जाए। सवाल: आपका कहना है की कोवीड काल में कॉलेज के छात्रों की ऑनलाइन पढ़ाई नहीं हो पाई उनका सिलेबस पूरा नहीं है, ये मिड्डा आपने पहले क्यों नहीं उठाया ? जवाब : जी हमने और भारतीय राष्ट्रिय छात्र संगठन ने लगातार इस मुद्दे को उठाया है। सरकार के समक्ष हम कई बार इस मुद्दे को रख चुके है लेकिन सरकार को छात्रों की पढ़ाई से कोई फर्क नहीं पड़ता। हिमाचल के अधिकतम क्षेत्रों में इंटरनेट कनेक्टिविटी नहीं है और यही कारण है की यहां के लोग वक्सीनशन स्लॉट भी ठीक से बुक नहीं कर पा रहे थे। बाहर के लोगों ने हिमाचल में आकर वैक्सीन लगवाई। पुरे साल बच्चों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है, पुरे साल वो ठीक से पढ़ाई नहीं कर पाए। जब क्लास रूम में बच्चों को एक चीज़ 10 बार समझनी पड़ती है तो ऑनलाइन माध्यम से बच्चे कैसे समझेंगे। अगर सरकार अभी परीक्षाएं करवाती है और खुदा न खस्ता किसी बच्चे को कुछ हो जाए, बच्चों की परीक्षाएं अगर अच्छी न हो कोई सुसाइड कर ले, तो फिर क्या करेगी सरकार। क्या सरकार इसकी ज़िम्मेदारी लेगी। सवाल : क्या आप कहना चाह रहे है की अगर परीक्षाएं हुई तो छात्र सुसाइड करेंगे ? जवाब : देखिये हिमाचल प्रदेश में बेरोज़गारी बहुत ज्यादा बढ़ गई है। नरेंद्र मोदी ने वादा किया था कि प्रति वर्ष 2 करोड़ रोज़गार देंगे, मतलब अब तक 14 करोड़ लोगों को रोज़गार मिलना चाहिए था। मगर मिला किसी को भी नहीं। युवाओं को लगा की हम अगर भाजपा को वोट देंगे तो हमें नौकरी मिल जाएगी लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। बल्कि जो हिमाचल के लोग बाहर नौकरी कर रहे थे कोरोना काल के दौरान उनकी भी नौकरी चली गई। एक तरफ कोरोना, एक तरफ बेरोज़गारी और बढ़ती महंगाई, आज युवा चारों तरफ से घिरे हुए है। कोई भी व्यक्ति आत्महत्या तब करता है जब वो चारों तरफ से फंस चूका हो और हिमाचल में फिलहाल स्थिति कुछ ऐसी ही है। ऐसे वक्त में बच्चों के ऊपर परीक्षाओं का दबाव डालना बिलकुल भी सही नहीं है । जब पढाई ही नहीं हुई तो परीक्षाएं किस बात की। सवाल : अगर हिमाचल प्रदेश सरकार परीक्षाएं रद्द नहीं करती है तो फिर आपका अगला एक्शन क्या होगा ? जवाब : देखिये पुरे प्रदेश से जिस तरह की प्रतिक्रिया आ रही है, मुझे पूरी उम्मीद है की हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री छात्रों की बात सुनेंगे और परीक्षाएं रद्द करवाएंगे। अधिकतम बच्चों की यही मांग है। छात्र ये कह चुके है की यदि हिमाचल सरकार हमारी बात नहीं मानती तो 2022 में इसका जवाब देंगे। सरकार अपने कार्यकाल में कई बार अपने फैसलों को बदल चुकी है। यु टर्न लेना इस सरकार की फितरत ही है, तो एक बार और सही। अगर सरकार नहीं मानती है तो युवा कांग्रेस को न चाहते हुए भी सड़कों पर उतरना होगा और ये मुद्दा एक आंदोलन का रूप लेगा। सवाल : सरकार के साढ़े तीन साल को आप किस तरह देखते है ? जवाब : हिमाचल प्रदेश की जनता ने जिस भरोसे के साथ भाजपा को प्रदेश की सत्ता पर बिठाया, सरकार ने आज वो भरोसा पूरी तरह तोड़ दिया है। इस सरकार ने प्रदेश की जनता के लिए कुछ भी नहीं किया है। जयराम सरकार पूरी तरह फेल है। सरकार के विकास कार्यों को तीन चीज़ों से आँका जा सकता है, सड़क, स्वास्थ्य और शिक्षा। हिमाचल में सड़कों के कुछ ऐसा हाल है की जब मंत्री जी आते है तो सड़कों में पड़े गड्ढों को मिटटी से भर दिया जाता है और मंत्री जी के जाते ही वो गड्ढे फिर सामने आ जाते है। स्वास्थ्य की पोल भी कोरोना के दौरान खुल गई है और शिक्षा की स्थिति भी कुछ ऐसे ही है। ब्यूरोक्रेसी भी जयराम सरकार के काबू में नहीं है। बीते दिनों एसपी कुल्लू और मुख्यमंत्री के सिक्योरिटी अधिकारी के बीच में हुई झड़प ही इसका सबसे बड़ा उदहारण है। मुख्यमंत्री जयराम के सामने ही अधिकारी आपस में लड़ जाते है, मंत्री अधिकारीयों से बहस करते है, तो आप समझ ही सकते है कि इस सरकार की स्थिति कितनी खराब है। इससे बदतर हाल क्या हो सकता है।
हिमाचल प्रदेश की सियासत के चाणक्य पंडित सुखराम की राजनैतिक विरासत को उनके पुत्र अनिल शर्मा के साथ अब उनके पोते आश्रय शर्मा भी आगे बढ़ा रहे है। मंडी संसदीय क्षेत्र का उप चुनाव होना है और इसके मद्देनज़र आश्रय शर्मा ने बड़ी सियासी जंग छेड़ दी है। आश्रय लगातार मुद्दों की राजनीति कर रहे है और प्रदेश की जयराम सरकार और केंद्र की मोदी सरकार पर हमलावार है। 2019 के लाेकसभा चुनाव में भले ही उन्हें हार मिली हाे, मगर आने वाले राजनीतिक परिदृश्य में उनकी अहम भूमिका हो सकती है। बता दें की मंडी संसदीय सीट पर उपचुनाव के लिए कांग्रेस में टिकट काे लेकर अंदरखाते जंग छिड़ चुकी है। मंडी जिले में विकास और उपचुनाव को लेकर फस्ट वर्डिक्ट मीडिया ने आश्रय शर्मा से टू द पॉइंट बात की, पेश है उसके कुछ अंश... सवाल: आप एक राजनीतिक परिवार से निकल कर आए है, इस राजनैतिक विरासत को आप आगे कैसे बढ़ाएंगे ? जवाब: पंडित सुखराम हमेशा यही कहते हैं कि समय का सदुपयोग कराे। उनका मानना है कि हिमाचल के युवाओं काे इसका महत्व समझना हाेगा। प्रदेश में राेजगार के संपूर्ण साधन उपलब्ध हैं, युवा शिक्षित हैं, बावजूद इसके राेगजार के लिए बाहरी राज्याें और विदेशों में दाैड़ रहे हैं। मेरा एक ही टारगेट है और वो है हिमाचल का विकास और यहां के युवाओं के लिए रोज़गार। हिमाचल में वीरभद्र सिंह और पंडित सुखराम के बाद थर्ड लाइन की लीडरशिप नहीं रही, जिसे बरकरार रखने के लिए युवाओं को आगे आना हाेगा। इसी लक्ष्य काे प्राप्त करने के लिए मैं मेहनत कर रहा हूं। सवाल: मंडी संसदीय क्षेत्र में होने वाले उपचुनाव में क्या आप कांग्रेस के प्रत्याशी होंगे ? जवाब: पार्टी हाईकमान कहे ताे मैं उपचुनाव के लिए भी तैयार हूं। मगर पार्टी के अंदर कई वरिष्ठ नेता भी हैं, जिन्हें हाईकमान बेहतर समझे ताे हम उनके लिए दिन-रात मेहनत कर पार्टी काे जीत दिलाएंगे। मैंने हमेशा से ही राहुल गांधी के आदेशों का पालन किया है। हाईकमान का जो भी आगामी आदेश होगा उसे मैं बखूबी निखाउंगा। संगठन में कोई भी काम सौंपा गया, उसे मैंने निष्ठा से करके दिखाया। मैं पार्टी के लिए दिन-रात मेहनत करने से कभी भी पीछे नहीं हटा। मंडी संसदीय क्षेत्र की बात की जाए ताे सभी 17 विधानसभा क्षेत्र की जनता की समस्या भी मैं लगातार सुन रहा हूं। सवाल: पॉलिटिकल फील्ड में आपको आपके दादा और पिता से कैसी राजनीति सीखने काे मिली ? जवाब: मेरे दादा पंडित सुखराम और मेरे पिता अनिल शर्मा से मैंने एक बात सीखी है, कि जाे भी समय मिले उसे जनता की सेवा करने में लगा दो। पंडित सुखराम जब केंद्रीय मंत्री थे ताे दिल्ली में हिमाचल के लाेगाें से मिलने के लिए हमेशा तैयार रहते थे। जनता की समस्याओं का समाधान करने में उन्होंने कोई कमी नहीं छाेड़ी। यही वजह है कि उन्होंने ही हिमाचल में संचार क्रांति लाई, जिसे आज पूरा हिमाचल जानता है। मेरा भी यही लक्ष्य है कि अधिक से अधिक समय जनता की सेवा के लिए निकाल सकूं। सेवाभाव काे बरकरार रखने के लिए मैं हर मोर्चे पर खड़ा हूं। सवाल: भाजपा के कार्यकाल में मंडी जिले में हुए विकास कार्यों पर आपका क्या कहना है ? जवाब: क्या मंडी, क्या कांगड़ा। जब से प्रदेश में जयराम ठाकुर सीएम बने, उसी दिन से वे मंडी जिले के लाेगाें काे मुंगेरीलाल के हसीन सपने दिखा रहे हैं। कभी एयरपाेर्ट, ताे कभी रेलवे ट्रैक की बात करते हैं, जो कागजों में ही सिमट कर रह गया। मंडी शहर का जो विकास पंडित सुखराम ने किया आज वो ही विकास कार्य मंडी में दिखते हैं। जयराम सरकार ने ताे सिर्फ सराज और धर्मपुर का विकास करने की ठानी है। क्षेत्र में विकास के नाम पर एक पत्थर भी नहीं दिखाई देता। अनिल शर्मा के समय मंडी शहर काे 24 घंटे पेयजल उपलब्ध करवाने की योजना तैयार की थी, लेकिन हैरानी के साथ कहना पड़ रहा है कि सरकार ने पेयजल योजना काे बल्ह में डायवर्ट कर दिया । यही नहीं, बल्कि जिला मंडी के अन्य क्षेत्रों में होने वाले विकास कार्यों का बजट भी धर्मपुर और सराज विधानसभा क्षेत्र में डायवर्ट किया गया। सवाल: 2019 के लोकसभा चुनाव में आपको हार का सामना करना पड़ा, कहां चूक हुई? जवाब: 2019 का लाेकसभा चुनाव भाजपा में राष्ट्रवाद के नाम पर जीत दर्ज की है। आज देश और प्रदेश की जनता यह महसूस कर रही है कि उस समय हमसे बहुत बड़ी गलती हुई। हालांकि उस समय चुनाव में सभी 17 विधानसभा क्षेत्राें में जमकर प्रचार-प्रसार भी किया, पार्टी के सभी वरिष्ठ नेताओं ने दिन-रात मेहनत की, लेकिन हमें जीत नहीं मिल सकी। आज देश में महंगाई और बेरोज़गारी सबसे बड़ी समस्या बन चुकी है। डबल इंजन की सरकाराें ने कभी यह साेचा भी नहीं कि हिमाचल के बेराेजगार युवाओं के लिए ठाेस नीति बनाई जाए। देश में राम मंदिर के नाम पर चंदा लूटने वाले भाजपा नेताओं से यह पूछना चाहता हूं कि आपने अपनी जेब से कितना चंदा दिया ? सवाल: आपके भाई फिल्म जगत के एक बड़े सितारे बन गए है, क्या आपने कभी इस क्षेत्र में जाने बारे नहीं साेचा? जवाब: मेरा शुरु से ही राजनीति में आकर जनसेवा करने का लक्ष्य रहा है। फ़िल्मी जगत में कदम रखने के बारे में मेने कभी साेचा भी नहीं। मेरे दादा जी पंडित सुखराम और पिता जी अनिल शर्मा द्वारा किये गए विकास कार्यों काे आगे बढ़ाने के लिए मैं राजनीति में आया। प्रदेश की जनता का आशीर्वाद और कांग्रेस पार्टी में रहकर समाज की सेवा करना मेरा मकसद है। पंडित सुखराम और अनिल शर्मा आज भी विकास वाले नेता के नाम से जाने जाते हैं, जिसे मैं बरकरार रखूंगा।
मिशन -2022 से पहले प्रदेश कांग्रेस कमेटी की फील्डिंग सजाने से लेकर सबको रिचार्ज करने में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सचिव एवं प्रदेश कांग्रेस सह प्रभारी संजय दत्त काेई कसर नहीं छोड़ना चाहते। प्रदेश कांग्रेस प्रभारी राजीव शुक्ला के साथ संजय दत्त भी अगले साल होने वाले चुनाव के लिए सबको साथ लेकर चल रहे हैं और एकजुटता का पाठ पढ़ा रहे हैं। भले ही संजय दत्त प्रदेश कांग्रेस के सह प्रभारी हाे, मगर संगठन में जाेश भरने में काेई कमी नहीं छाेड़ रहे। नई ज़िम्मेवारी मिलते ही उन्हाेंने हिमाचल का रुख किया और शिमला की ठंडी फिजाओं में राजनीति काे गर्म कर रहे हैं। पार्टी के भीतर चल रही गतिविधियाें से लेकर नेताओं में तालमेल और डबल इंजन की सरकार समेत कई मसलाें पर फर्स्ट वर्डिक्ट ने हर पहलु पर उनसे चर्चा की। संजय दत्त कहते है कि अब बहुत हुई डबल इंजन की सरकार, कांग्रेस आएगी फिर एक बार। पेश है कुछ अंश... सवाल: पार्टी हाईकमान ने आपको हिमाचल प्रदेश कांग्रेस में नई ज़िम्मेवारी साैंपी है ताे क्या मिशन रहेगा? जवाब: पार्टी हाईकमान ने मुझे हिमाचल में सह प्रभारी की ज़िम्मेवारी साैंपी है जिसे मैं बखूबी निभाउंगा। संगठन की गतिविधियाें काे आगे बढ़ाने से लेकर अगले साल हाेने वाले चुनाव की तैयारियाें के लिए काम करना हाेगा। हर बूथ, पंचायत, जिला और हरेक विधानसभा क्षेत्र में पार्टी कार्यकर्ताओं को और सशक्त करना ही मिशन है, ताकि अगले साल हिमाचल की सत्ता कांग्रेस काे मिल सके। दिन-रात मेहनत करेंगे और पिछली बार की खामियां को दूर करेंगे। अब बहुत हुई डबल इंजन की सरकार, कांग्रेस आएगी फिर एक बार। हिमाचल के साथ-साथ देश की जनता सिर्फ कांग्रेस काे ही सत्ता में देखना चाहती है। सवाल: 2022 में चुनाव भी होने हैं, कांग्रेस की सत्ता वापसी के लिए आप कार्यकर्ताओं काे कैसे रिचार्ज करेंगे? जवाब: सबको साथ लेकर चलना और जनहित के मुद्दों पर सरकार के खिलाफ आंदोलन करना है, जो पिछले काफी समय से चला हुआ है। अगले साल यानी 2022 के चुनाव में कांग्रेस पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाएगी। इसके लिए पीसीसी से लेकर डीसीसी के सभी पदाधिकारी और कार्यकर्ता मेहनत कर रहे हैं। चुनावाें तक हर सप्ताह पार्टी विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन करेगी, जिसके लिए रूपरेखा तैयार कर दी गई है। बूथ लेवल के कार्यकर्ता से लेकर प्रदेश स्तर के पदाधिकारियों की जिम्मेदारी तय कर दी है, ताकि प्रदेश से भाजपा सरकार काे बाहर का रास्ता दिखाया जा सके। सवाल: हिमाचल कांग्रेस के नेताओं में तालमेल की कमी को लेकर भी सवाल उठते रहे है ? ऐसे में सत्ता वापसी कैसी होगी ? जवाब: हिमाचल विधानसभा में कांग्रेस विपक्ष की बेहतरीन भूमिका निभा रही है। जनता से जुड़े एजेंडे पर सरकार काे घेरने में कोई कसर नहीं छाेड़ी। पार्टी में ऊपर से लेकर नीचे सभी नेताओं में तालमेल है और ऐसा ही चलता रहेगा। हमारे नेताओं में तालमेल की कमी काे लेकर भाजपा के लोग गलत प्रचार कर रहे हैं, उससे हमें कोई फर्क नहीं पड़ता। पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह, नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री समेत सभी विधायकगण विधानसभा सदन में जनता की आवाज काे बुलंद कर रहे हैं। प्रदेश में भाजपा काे अभी से ही खतरा दिखाई दे रहा है। सवाल: काेराेना संकट में डबल इंजन की सरकार कहां तक चल पड़ी है और कहां रुकी सी नजर आ रही है? जवाब: काेराेना संकट ताे दूसरा मसला है, लेकिन केंद्र में मोदी और प्रदेश में जयराम सरकार पहले दिन से ही जनविरोधी नीतियां लागू कर रही है। डबल इंजन की सरकार के अब ज्यादा दिन नहीं बचे। पिछले साल काेराेना संकट में कराेड़ाें युवा बेरोजगार हुए, महंगाई हर दिन बढ़ी, मगर पीएम नरेंद्र मोदी सिर्फ और सिर्फ रेडियो पर मन की बात करते रहे। उन्हें अभी तक यह मालूम नहीं हुआ कि युवाओं, गृहणियों और बेरोजगारों के दिल में क्या चल रहा है। प्राइवेट सेक्टर में नौकरियां नहीं रही। डबल इंजन की सरकार पूरी तरह से रुक गई है और कभी भी दम तोड़ देगी। सवाल: हिमाचल की ज़िम्मेदारी मिलते ही आपने वरिष्ठ नेताओं के साथ अलग-अलग बैठकें की, रिजल्ट क्या मिल रहा है? जवाब: हिमाचल में सह प्रभारी की जिम्मेवारी मिलते ही मैंने कार्यक्रमों का पूरा शेड्यूल तैयार किया। हमें क्या करने की आवश्यकता है और 2022 के लिए क्या रणनीति होनी चाहिए, इन सभी विषयों पर हरेक नेता और पदाधिकारियों के साथ बैठक की। सभी नेताओं के साथ सकारात्मक बातचीत हुई और सभी सत्ता वापसी को लेकर आश्वस्त है। हमारा एक ही लक्ष्य है कि अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में सत्ता कांग्रेस को मिले। आम कार्यकर्ताओं से लेकर वरिष्ठ नेताओं तक सभी जाेश में हैं, और भाजपा सरकार की जनविरोधी नीतियों का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए जनता भी हमारे साथ हैं। सवाल: अगले साल होने वाले चुनाव के लिए पार्टी की ओर से हिमाचल में चेहरा काैन हाेगा? जवाब: हिमाचल में कांग्रेस के सभी नेता एकजुट हैं और हरेक नेता काबिल हैं। हिमाचल में चेहरे काे लेकर कमेंट नहीं कर सकता, क्योंकि कांग्रेस में पार्टी हाईकमान की ओर से जो भी फैसला होता है उसे सर्वोपरि माना जाता है। बार-बार यही कह रहा हूं कि हमारा लक्ष्य सभी 68 विधानसभा क्षेत्रों में पार्टी काे पहले के मुकाबले मजबूत बनाना है और पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में आना है, उसके बाद ही चेहरे की बात हाेगी। एक बात और कहना चाहूंगा, जिन राज्यों में भाजपा की सरकार है इस वक्त वहां के मुख्यमंत्रियों की कुर्सी भी खतरे में हैं।
" ...2017 का विधानसभा चुनाव मात्र 61 वोट से हारे तेजवंत नेगी का कहना है कि जिन पदाधिकारियों काे चुनाव में जिम्मेदारी सौंपी जाती हैं, उसे कुछ लोग नहीं निभाते हैं। तेजवंत नेगी कहते हैं कि मैंने आज तक फाेटाे और सोशल मीडिया की राजनीति नहीं की, जनता के सुख-दुख में मैं हमेशा साथ रहता हूं। " एक जिला और एक ही विधानसभा क्षेत्र यानी किन्नौर। यहां की सियासत में कभी कांग्रेस तो भाजपा हावी रहती है। 1985 से 2012 हुए सभी विधानसभा चुनाव में इस ज़िले की खासियत यह रही कि जिस राजनीतिक दल की सरकार बनती है उसी दल के नेता काे विधानसभा जाने का माैका मिलता है, लेकिन 2017 के चुनाव में विपरीत हुआ। सत्ता में बीजेपी आई ताे यहां कांग्रेस काे जीत मिली। प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी पर 2017 में पार्टी उम्मीदवार रहे और पूर्व विधायक तेजवंत सिंह नेगी काे जयराम सरकार ने किसी बाेर्ड या निगम में कुर्सी नहीं दी। जबकि पार्टी के एक पदाधिकारी सूरत नेगी काे सरकार ने वन विकास निगम में उपाध्यक्ष नियुक्त किया। इसके बाद से ही किन्नौर भाजपा में अंतर्कलह की खबरें आम है। फर्स्ट वर्डिक्ट से प्रदेश भाजपा कार्यसमिति सदस्य एवं पूर्व विधायक तेजवंत सिंह नेगी ने अपने मन की बात कह दी। पेश है वार्ता के कुछ अंश... सवाल: आप पूर्व विधायक है, पर जनता में आपकी सक्रियता कम दिखाई दे रही है। ऐसा क्याें? जवाब: मैं जनता के बीच रहता हूं। मैं हमेशा से ही लाेगाें के सुख-दुख में साथ देता हूं। पर मैं फाेटाे और सोशल मीडिया की राजनीति नहीं करता और न ही भविष्य में ऐसा करूंगा। मेरा एक ही उद्देश्य रहता है कि किन्नौर की जनता का सुख-दुख में साथ देता रहूं। संगठन के सभी कार्यक्रमाें में उपस्थिति दर्ज करवाता हूँ, अपना दायित्व निभाता हूँ। वर्तमान में भी जिला किन्नौर ही नहीं, बल्कि प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रमाें में भाग लेता रहा हूं। मैं फाेटाे की राजनीति से दूर रहता हूं और जनता के दिलों में राज करता हूं। आने वाले समय में भी यही टारगेट रहेगा। सवाल: सत्ता में होने के बावजूद आपको किसी भी बोर्ड और निगम में जगह नहीं दी गई, इसके पीछे वजह क्या हाे सकती है? जवाब: 2017 के चुनावों में पार्टी हाईकमान ने एक फरमान जारी किया था कि जो प्रत्याशी हैं उन्हें सरकार में बोर्ड या निगम में अध्यक्ष या उपाध्यक्ष जैसे पदों पर नियुक्ति नहीं दी जाएगी। बोर्ड और निगम में किसकी नियुक्ति होनी चाहिए और किसकी नहीं, यह सरकार का विशेषाधिकार है। मुझे कभी भी ऐसे पदाें की इच्छा भी नहीं रही। जिन नेताओं या पूर्व विधायकों काे पद मिल चुके हैं उसका मैंने कभी भी विरोध नहीं किया। मैं संगठन का एक सच्चा सिपाही हूं और किसी पद के लिए काम नहीं करता। सवाल: 2017 के चुनाव में आप काफी कम मतों से पराजित हुए, कहां कमी रही? जवाब: पार्टी ने मुझे प्रत्याशी के काबिल समझा और टिकट भी दिया गया। मैं चुनावी मैदान में उतरा और कांग्रेस से मात्र 61 मतों से हार का सामना करना पड़ा। किन्नौर की जनता चाहती थी कि मैं एक बार फिर से सेवा करने के लिए विधानसभा पहुंच जाऊं। पर संगठन में कुछ ऐसे भी लोग थे, जिन्हें पार्टी ने चुनाव जीतने का दायित्व सौंपा था, किन्तु उन्होंने उसे नहीं निभाया। मेरे पास पूरा रिकॉर्ड है कि किस पाेलिंग बूथ पर भाजपा काे कितने वोट पड़े। यही नहीं, चुनावों के दौरान संगठन के कुछ लाेगाें ने ही पार्टी विरोधी गतिविधियों काे बढ़ावा दिया। सवाल: वन विकास निगम के उपाध्यक्ष सूरत नेगी किन्नौर में काफी सक्रिय दिख रहे हैं, आप इस पर क्या कहेंगे ? जवाब: मैं इस सवाल पर कोई कमेंट नहीं करना चाहता। वे संगठन के पदाधिकारी हैं और सरकार में किसी पद पर बैठे हैं तो किन्नौर में सक्रिय दिखते हाेंगे। इस मसले पर मुझे कुछ नहीं कहना है। मैंने युवा मोर्चा से लेकर जिला अध्यक्ष और प्रदेश कार्यसमिति में सक्रिय भूमिका निभाई है। मेरा एक ही मकसद है कि किन्नौर की जनता के बीच रहकर उनकी सेवा करूं, जो मैं कर रहा हूं। मगर कौन सक्रिय और कौन निष्क्रिय हैं, इससे कोई लेना-देना नहीं। सवाल: अगले साल चुनाव होने हैं, पार्टी की ओर से टिकट तो आपको ही मिलेगा, सूरत नेगी अड़चन पैदा तो नहीं करेंगे? जवाब: मैं बार-बार यही कह रहा हूं कि मैं संगठन का सच्चा सिपाही हूं। चुनाव में किसे टिकट देना है और किसे नहीं, यह फैसला पार्टी हाईकमान करता है। संगठन में कुछ लाेग टिकट की राजनीति भी करते हैं, लेकिन मेरी ऐसी मंशा नहीं हैं। टिकट मिले या न मिले मैं हमेशा जनता की सेवा ही करूंगा। मेरा इतिहास रहा है कि आज तक न तो पार्टी के खिलाफ काम किया है और न ही पार्टी विरोधी गतिविधियों काे अंजाम दिया। पूर्व के चुनाव में जिन लाेगाें ने ऐसी हरकत की, जिसके बारे में किन्नौर की जनता बखूबी जानती है। सवाल: वर्तमान में विपक्ष की राजनीति क्या हिमाचल में हावी हो रही है? जवाब: विपक्ष के पास न तो नेता है और न ही नेतृत्व। जहां तक किन्नौर के विकास की बात करूं यहां चाैरा से लेकर सुमरा तक का विकास पूर्व विधायक स्व. ठाकुर सेन नेगी की देन है। उन्हाेंने किन्नौर काे बिकने नहीं दिया, ठाेस कानून बनाया,जिसके चलते आज किन्नौर में गैर किन्नौरा व्यक्ति जमीन नहीं खरीद सकता है। यह सबसे बड़ी उपलब्धी है। वर्तमान में कांग्रेस विपक्ष की भूमिका निभाने में पूरी तरह से विफल साबित हो चुकी है। कांग्रेस में सिर्फ पाेस्टर की राजनीति चलती है, जबकि विकास के नाम पर पार्टी का कोई योगदान नहीं हैं।
स्टूडेंट्स पाेलिटिक्स में जीवन खपाने वाले प्रदेश भाजपा प्रवक्ता उमेश दत्त हिमाचल की सियासत में बड़ा किरदार निभाने को तैयार है। वे 1994 से लेकर 2015 तक छात्र राजनीति में रहे और 2016 से भारतीय जनता पार्टी के लिए सेवा कर रहे हैं, लेकिन आज तक उन्होंने विधानसभा चुनाव के लिए टिकट की मांग नहीं की। हालांकि 2019 के धर्मशाला उपचुनाव में उमेश दत्त काे टिकट मिलने की पूरी उम्मीद जताई जा रही थी, लेकिन पार्टी हाईकमान ने विशाल नैहरिया पर भरोसा जताया। ऐसे में अब उमेश दत्त 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते दिख सकते है। फर्स्ट वर्डिक्ट मीडिया से विशेष बातचीत में उन्होंने छात्र राजनीति से लेकर संगठन में अपनी वर्तमान भूमिका पर विस्तार से चर्चा की... सवाल: आप छात्र राजनीति से लेकर लगातार संगठन की सेवा कर रहे हैं, कैसा रहा है छात्र राजनीति से मुख्यधारा की राजनीति तक का सफर ? जवाब: मैंने 1994 से लेकर 2015 तक एबीवीपी छात्र राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। छात्र आंदोलन में भी जी जान से काम किया। वहीं से ही व्यक्तिगत पहचान भी बनी और छात्रों की हरेक समस्या काे प्रशासन और सरकार के समक्ष पहुंचाया और सफलता भी मिली। छात्र राजनीति ने ही मेरी पहचान प्रदेश से लेकर पूरे देश में बनाई। मुझे गर्व है कि मैं 2000 से 2015 तक एबीवीपी में पूर्णकालिक कार्यकर्ता रहा। यही वजह है कि छात्र जीवन के परिचय से ही आज भी जनता में प्रभाव बना हुआ है। सवाल: क्या आपने कभी विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए टिकट की मांग नहीं की? जवाब: मैंने आज तक कभी भी विधानसभा चुनाव के लिए टिकट की मांग नहीं की। मेरी मूल उद्देश्य चुनाव लड़ने का नहीं रहा, बल्कि सिर्फ संगठन की सेवा करना है। संगठन में रह कर जनता की आवाज काे सरकार तक पहुंचाने का हर संभव प्रयास किया और उसमें सफलता भी मिली। आज तक संगठन में जो भी दायित्व सौंपा गया उसे पूरी तरह से निभाया, भविष्य में भी ऐसा ही संकल्प बना रहेगा। सवाल: केंद्रीय नेतृत्व के साथ आपकी खासी पहचान है, ताे प्रदेश सरकार में किसी बोर्ड या निगम में पद क्यों नहीं मिला ? जवाब: बोर्ड और निगम में नियुक्ति देना सीएम का विशेषाधिकार है। मैंने कभी भी कुर्सी की लालच नहीं की। सरकार और संगठन यदि नियुक्ति दे तो वह बात अलग हाेगी। फिलहाल इस तरह की इच्छा मेरे मन में नहीं है। सवाल: धर्मशाला विधानसभा उपचुनाव में आपका टिकट कहां पर कटा? कहां फंसा है पेंच? जवाब: ऐसा कुछ भी नहीं था और न ही मैंने टिकट की मांग की। पार्टी हाईकमान कुछ सोच कर ही टिकट का फैसला करता है। धर्मशाला उपचुनाव में सिर्फ ऐसी चर्चाएं ही थी। मेरा विधानसभा क्षेत्र पालमपुर है। ऐसे में मैं दूसरी सीट पर कैसे जा सकता हूं। हां यह बात सही है कि मेरी छात्र राजनीति धर्मशाला कॉलेज से ही शुरू हुई, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि मुझे ही टिकट मिले। टिकट के मामले में संगठन सोच समझ कर ही फैसला करता है। सवाल: अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में क्या टिकट मांगेंगे? जवाब: पार्टी हाईकमान जो भी दायित्व सौंपे उसे मैं बखूबी निभाउंगा। मैं टिकट की राजनीति से बहुत दूर रहता हूं। संगठन के साथ-साथ जनता की सेवा करता रहूंगा। पार्टी हाईकमान कहे ताे अगले साल चुनावी मैदान उतर सकता हूं, मगर मैं टिकट के लिए राजनीति नहीं करूंगा। अगले साल यानी 2022 में एक बार फिर हिमाचल प्रदेश में जयराम ठाकुर की सरकार रिपीट करेगी। हिमाचल में हम एक बार भाजपा और एक बार कांग्रेस की परंपरा को ही समाप्त कर देंगे। सवाल: काेराेना संकट में पिछले साल से लेकर अब तक भाजपा संगठन और सरकार की भूमिका को किस तरह देखते है ? जवाब: सरकार और संगठन द्वारा पूरे प्रदेश में कोरोना के समय किसी भी प्रकार की कमी नहीं आने दी है चाहे वो बेड कैपेसिटी हो, ऑक्सीजन, ऑक्सीमीटर, वेंटिलेटर, कॉन्सेन्ट्रेटर हो। आज हमारी युद्ध किसी और प्रकार है, आज हम आईसीयू , ऑक्सीजन बेड चाहिए जो कि हमारे पास पर्याप्त मात्रा में है। सभी मंत्री व विधायक संगठन के साथ अच्छा तालमेल बना कर कार्य कर रहे है। केंद्र में भी हमारे पास कुशल नेतृत्व है, जहां हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा है वहीं केंद्र वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर है। हाल ही में हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने अपने एमपी लैड फंड से हिमाचल प्रदेश कोविड 19 सेलिब्रिटी फण्ड में 2 करोड़ की राशि दी है। जयराम सरकार प्रदेश में इस संकट की घड़ी में उत्तम कार्य कर रही है। जो भी निर्णय लिए जाते हैं उसमें संगठन और सरकार तय करती है कि किस प्रकार से कार्य करने हैं। कोरोना संकट में अभी तक संगठन और सरकार ने मिलकर अच्छा कार्य किया है। सवाल: आरोप लगते है कि प्रदेश सरकार और संगठन में तालमेल की कमी है, इस पर क्या कहेंगे ? जवाब: सरकार और संगठन में बेहतरीन तालमेल है और समूचे प्रदेश में एक समान विकास कार्य हो रहे हैं। कांग्रेस और अन्य राजनीतिक दल जयराम ठाकुर सरकार के विकास कार्यों काे पचा नहीं पा रहे हैं। पूरी दुनियां जहां काेराेना महामारी से लड़ रही है, वहीं कांग्रेस समेत दूसरे विपक्षी दल सिर्फ राजनीति कर रहे हैं। जहां तक भाजपा की बात है तो सरकार और संगठन में शानदार तालमेल है और इसके चलते अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव में विपक्ष का सूपड़ा साफ़ होने जा रहा है। सवाल: प्रदेश के कॉलेज और यूनिवर्सिटी के छात्राें काे क्या संदेश देना चाहेंगे? जवाब: कॉलेज और यूनिवर्सिटीज के छात्राें से मेरी अपील है कि वे काेराेना महामारी के दौरान राजनीति से उठ कर समाज सेवा करें। आज के इस दौर में सभी छात्राें काे एकजुट होकर जन सेवा करनी चाहिए। ये वक्त सकारात्मक सोच के साथ संगठित रहकर सृजनात्मक कार्य करने का है।
30 जनवरी, भारत में आज ही के दिन एक साल पहले कोरोना वायरस का पहला केस दर्ज किया गया था। आज भारत को कोरोना से लड़ते हुए पूरा 1 साल हो गया है। 30 जनवरी 2020 को पहले केस के बाद, कोरोना संक्रमितों की कुल संख्या आज 30 जनवरी 2021 को 1 करोड़ 7 लाख के पार पहुंच गई है। देश में कोरोना वैक्सीन का महाअभियान चल रहा है। अब तक लाखों लोगों को टीका लग चूका है धीरे धीरे देश के हर कोने तक ये अभियान पहुंच जाएगा। हालांकि, देश ने कुछ हद्द तक कोरोना को मात दे दी है, पर ये कोरोना वायरस से कोरोना वैक्सीन का सफर भारत और भारतीयों के लिए इतना भी आसान नहीं था। कोरोना वायरस ने लोगों के जीने का तरीका बदल दिया। अधिकांश लोगों की दिनचर्या बाधित हो गई। लॉकडाउन ने आर्थिक गतिविधियों में कमी, नौकरी के अवसरों की हानि, आर्थिक मंदी और प्रत्येक नागरिक के लिए कठिनाई पैदा की। पर फिर भी देश के नागरिकों, कोरोना वरीयर्स और साइंटिस्ट्स ने हार नहीं मानी। देश लड़ा और आज लगभग कोरोना को मात देने की कगार पर है। केरल में आया था पहला मामला भारत मे कोरोना का पहला मामला केरल में दर्ज हुआ था। फरवरी में चीन के वुहान से लौटे कुछ विद्यार्थी कोरोना संक्रमित पाए गए। मार्च तक पहुंचते-पहुंचते कोरोना संक्रामितों का आंकड़ा 1000 के पार हो गया। कोरोना के आंकड़े को 500 से 1000 तक पहुंचने में केवल 5 दिन लगे, जबकि 100 से 500 तक पहुंचने में 9 दिन और 100 तक पहुंचने में 45 दिन लगे। हालांकि, मार्च में संक्रामितों की संख्या कुछ हद तक कम थी, पर Sars-CoV-2 पर अध्ययन कर रहे वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया कि देश में जुलाई 2020 तक ये संख्या लाखों के पार पहुंच जाएगी और लाखों मौतें हो सकती हैं। यहां से हुआ पहला बड़ा कोरोना धमाका मार्च में कोरोना का पहला सुपर स्प्रेड हुआ। इटली और जर्मनी से लौटे धर्म गुरु का 10 से 12 मार्च के बीच पंजाब के आनंदपुर साहिब में घूमना भारत मे पहला बड़ा कोरोना धमाका साबित हुआ। यहां 27 लोग संक्रमित हुए। साथ ही इस के बाद 20 गांवों के करीब 40 हज़ार लोगों को क्वारंटाइन कर दिया गया। उसके बाद मार्च के मध्य में हुआ तबलीगी जमात का कार्यक्रम देश का सबसे बड़ा स्प्रेड इवेंट रहा। यहां से यूपी, बिहार, बंगाल आदि राज्यों में संक्रमण तेज़ी से बढ़ा। इस दिन लगा पहला लॉकडाउन मार्च के अंत तक आते-आते सरकार अच्छे से समझ गई थी स्थिति गंभीर हो गई है। 25, मार्च 2020 को देश के पहले लॉकडाउन का ऐलान हुआ। पहले ये लॉकडाउन केवल 21 दिनों के लिए लगाया गया था, पर कोरोना का ऐसा विस्फोट हुआ जिसका किसी को अंदाज़ न था। जब तक अप्रैल में पहुंचे देश मे कोरोना संक्रामितों की संख्या मार्च से 23 गुना ज्यादा बढ़ गई थी। 14 अप्रैल 2020 को देश मे पहली बार 24 घंटों में एक हज़ार से ज़्यादा 1463 मामले दर्ज किए गए। अप्रैल के अंत में ये संख्या और भी बडीह गई, 30 अप्रैल को 1901 लोग संक्रमित पाए गए। पहली बार दर्ज की गई थी 100 से ज़्यादा मौतें लॉकडाउन के बावजूद भी देश मे संक्रमण रुकने का नाम नहीं ले रहा था। रोज़ 6 से 7 हज़ार मरीज़ सामने आ रहे थे। मई के पहले हफ्ते में देश मे पहली बार 100 से अधिक मौतें दर्ज की गई। 5 मई 2020 को देश में पहली बार 194 मरीजों की मौत हुई। मई के अंत तक पहुंचते पहुंचते देश में संक्रामितों कई संख्या एक लाख पार कर गई। 31 मई तक देश मे लॉकडाउन खत्म कर अनलॉक 1.0 का ऐलान हुआ। अनलॉक के साथ बढ़े मामले 1 जून से अनलॉक की शुरुआत हुई और इसी के सतह कोरोना मामलों में भी बढ़ोतरी होने लग गई। जहां 1 जून को देश में 24 घण्टों में 8 हज़ार के करीब मामले आए थे वहीं ये 30 जून तक प्रतिदिन 18 हज़ार से अधिक मामलों तक पहुंच गया। मौतों की संख्या भी 1 जून को 230 से 30 जून को 418 तक पहुंच गई। जुलाई के अंत तक पहुंचते-पहुंचते प्रतिदिन आने वाले मामलों की संख्या करीब 3 गुना तक बढ़ गई। प्रतिदिन दिन 50 हज़ार के करीब मामले आने लगे। वहीं 23 जुलाई को देश मे पहली बार एक साथ 1129 मौतें दर्ज की गईं। 50 फीसदी बढ़ी मौतें, 1 लाख के करीब पहुंचे रोज़ाना आने वाले केस अगस्त में भारत में कोरोना के 19 लाख 87 हजार 705 केस मिले और 28,859 मौतें हुईं। मौतों का यह आंकड़ा पिछले माह से दोगुना था। अगस्त के पहले दिन 54,735 केस और 31 अगस्त को 78,761 केस दर्ज हुए। अगस्त में रोज़ाना औसतन 800-900 मौतें दर्ज हुईं। सितंबर में कोरोना के मामले रोजाना 70 हजार से करीब एक लाख तक पहुंच गए। 17 सितंबर को रिकॉर्ड 97,984 केस सामने आए। इस दौरान कुल मौतों की संख्या भी 1 लाख के करीब पहुंच गई थी। कम होने लगा कोरोना का कहर 3 अक्टूबर तक देश में कोरोना से कुल मौतों का आंकड़ा 1 लाख पार कार चूका था पर महीने के अंत तक रोज़ाना मौतों का आंकड़ा घटने लगा। नवंबर का महीना देश के लिए रहत भरा रहा। रोजाना औसतन मामले 45 से घटकर 38 हजार पर आ गए। मौतें भी रोजाना 400-450 तक आ गईं। कोरोना के घटते ग्राफ के बीच 18 दिसंबर को भारत में कुल केस एक करोड़ के पार हो गए। चौंकाने वाली बात सामने आई कि देश के महज 47 जिलों में ही करीब 50 फीसदी केस थे। कुल मौतों में करीब 50 फीसदी 24 जिलों में पाई गईं। वैक्सीन तक पहुंचा भारत 2020 ख़तम हुआ और 2021 देश के लिए नई उम्मीद की किरण लेकर आया। देश में शुरू हुई वैक्सीन की खोज को दिशा मिली और इसके आपातकालीन इस्तेमाल को मंजूरी दे दी गई। 16 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विश्व के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान का शुभारम्भ किया। आज देश में करीब 33 लाख लोगों को टीका लग चूका है। और यह अभियान ज़ोरों शोरों से आगे बढ़ रहा है। धीरे धीरे ज़िन्दगी पटरी पर पहुंच गई है।
वो भी क्या ज़माना था जब एक रूपए के नोट से बच्चों के चेहरे खिलखिला उठते थे, उस समय वो एक रूपए का नोट किसी ख़ज़ाने से कम नहीं था , लेकिन क्या आप जानते हैं की ये छोटा सा एक रूपए का नोट आज 103 साल का हो गया है। 103 साल पहले 1917 में आज ही के दिन, यानि 30 नवंबर 1917 को पहली बार ये नोट लॉन्च किया गया था। ऐसे हुआ एक रुपये के नोट की शुरुआत ........ इसकी शुरुआत का इतिहास भी बड़ा दिलचस्प है। वो दौर पहले विश्वयुद्ध का था, भारत में अंग्रेज़ो की हुकूमत हुआ करती थी। उस समय एक रुपये का सिक्का इस्तेमाल किआ जाता था जो चांदी का हुआ करता था, लेकिन युद्ध के चलते सरकार चांदी का सिक्का ढालने में असमर्थ हो गई तब हथियार बनाने के लिए कोलोनियल अथॉरिटी को चांदी समेत कई धातुओं की ज़रूरत थी। उस समय भारत में एक रुपए के सिक्के में 10.7 ग्राम चांदी होती थी, तो सिक्के के बजाय नोट छापे जाने शुरू हो गए। नोट में सिक्के के मुकाबले कम लागत आ रही थी और इस प्रकार 1917 में पहली बार एक रुपये का नोट लोगों के सामने आया। इसने उस चांदी के सिक्के का स्थान लिया। एक रुपए का नोट भारत में सबसे पहले 30 नवंबर, 1917 को लॉन्च हुआ था, जो इंग्लैंड से छपकर आया था। तब नोट वहीं छपते थे, जहां सत्ता का केंद्र होता था। इस पर ब्रिटेन के राजा जॉर्ज पंचम की तस्वीर छपी थी इसे हाथ से बनाए गए सफेद कागज पर छापा गया था, जिस पर तीन ब्रिटिश वित्त सचिव एमएमएस गूबे, एसी वाटर्स और ए. डेनिंग के हस्ताक्षर थे। ये 25 नोटों के पैकेट बनाकर भेजे गए थे। 1926 में किया गया था बंद..... भारतीय रिजर्व बैंक की वेबसाइट के अनुसार इस नोट की छपाई को पहली बार 1926 में बंद किया गया क्योंकि इसकी लागत अधिक थी। इसके बाद इसे 1940 में फिर से छापना शुरु कर दिया गया जो 1994 तक जारी रहा। बाद में इस नोट की छपाई 2015 में फिर शुरु की गई। एक रुपए के नोटों की छपाई भले दो बार बंद हुई हो, लेकिन मार्केट में ये हमेशा लीगल रहे। 125 अलग-अलग तरीकों में छापा गया है ये नोट 1994 तक एक रुपए के नोट इंडिगो कलर में छापे जाते थे, लेकिन 2015 में जब नोट दोबारा छपने शुरू हुए, तो इसमें गुलाबी और हरा रंग जोड़ा गया। रिपोर्ट के मुताबिक 1917 से 2017 के बीच एक रुपए के नोट 125 अलग-अलग तरीकों से छापे गए। ये बदलाव अंकों और हस्ताक्षरों से जुड़ा होता था। कुछ स्पेशल सीरीज़ नोट भी थे, जैसे 1969 में गांधीजी के 100वें जन्मदिन पर उनकी फोटो के साथ खास सीरीज़ छापी गई थी। 2017 तक इस नोट में 28 बार बदलाव किए जा चुके थे और इस पर 21 बार हस्ताक्षर बदल चुके थे। आजादी के बाद 1949 में भारत सरकार ने एक रुपए की नोट से किंग जॉर्ज पंचम की फोटो हटाकर अशोक लाट की तस्वीर लगानी शुरू कर दी थी। हालांकि, सरकार पहले गांधीजी की फोटो लगाना चाहती थी, लेकिन बाद में ऐसा नहीं हो पाया। इस नोट की खास बातें ...... - इस नोट की सबसे खास बात यह है कि इसे अन्य भारतीय नोटों की तरह भारतीय रिजर्व बैंक जारी नहीं करता बल्कि स्वयं भारत सरकार ही इसकी छपाई करती है। - इस पर रिजर्व बैंक के गवर्नर का हस्ताक्षर नहीं होता बल्कि देश के वित्त सचिव का दस्तखत होता है। - बाकी नोटों पर ‘मैं धारक को इतने रुपए अदा करने का वचन देता हूं’ लाइन लिखी होती है, लेकिन एक रुपए की नोट पर नहीं लिखी होती है। इसीलिए इस नोट को लाइबिलिटी माना जाता है। - भारत सरकार को एक रुपए का नोट छापने का अधिकार Coinage Act के तहत है। - एक रुपए के नोट के डिस्ट्रीब्यूशन की जिम्मेदारी RBI की ही होती है। - कानूनी आधार पर यह एक मात्र वास्तविक 'मुद्रा' नोट (करेंसी नोट) है बाकी सब नोट धारीय नोट (प्रॉमिसरी नोट) होते हैं जिस पर धारक को उतनी राशि अदा करने का वचन दिया गया होता है। - एक रुपये के नोट पर एक रुपये के सिक्के की तस्वीर भी छपी होती है, इसीलिए इसे कानूनी भाषा में इस रुपये को उस समय 'सिक्का' भी कहा जाता था।
विधानसभा देहरा के समीप पड़ते ख़बली दोसडका में मंगलवार को कार एवम टिप्पर में टक्कर हो गयी जिसमें दो लोगो की मौत हो गयी है । मिली जानकारी के अनुसार कार में सवार होकर लुधियाना से चार(4) श्रद्धालु माता बगलामुखी आरहे थे कि अचानक से बगलामुखी से करीब 9 किलोमीटर पहले ख़बली दोसडका एनएच 503 में कार ओर टिप्पर के बीच में जबरदस्त टक्कर हो गयी है । हादसे में दो(2) श्रद्धालुओं की मौत हो गयी वहीं अन्य दो गंभीर रूप से घायल हो गए । बता दे कि हादसे में कार सवार अपूर्वा (40) पत्नी संदीप पुरी और पारस पुरी (28) पुत्र सुरिन्दर पुरी निवासी 228 सी मॉडल टाउन लुधियाना पंजाब की मौके पर ही मौत हो गयी वहीं अन्य कार सवार संदीप पुरी (55) पुत्र वेद प्रकाश ओर तरुणा पुरी (28) पुत्री सुरिन्दर पुरी गंभीर रूप से घायल हो गए । घायलों को देहरा सिविल हस्पताल प्राथमिक उपचार के बाद टांडा हस्पताल रेफर कर दिया गया है । पुलिस द्वारा दी गयी जानकारी अनुसार लुधियाना से चार श्रद्धालु कांगड़ा के बगलामुखी माता मंदिर माथा टेकने आरहे थे कि धर्मशाला की तरफ से आरहे तेज रफ्तार टिप्पर नंबर HP36D7512 के चालक ने गलत दिशा में जाकर श्रद्धालुओं की गाड़ी नम्बर PB10CP6597 जो कि लुधियाना से बगलामुखी मंदिर (कांगड़ा)की ओर आरहे थे उन्हें टक्कर मार दी । डीएसपी देहरा रणधीर शर्मा ने बताया कि टिप्पर चालक को गिरफ्तार कर लिया गया है एवम आरोपी टिप्पर चालक के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है वहीं टिप्पर को भी जब्त कर लिया गया है ।
पंजाब सरकार द्वारा मंजूरशुदा स्कीम को स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने दिया सहयोग केंद्र सरकार ने 2022 तक सबको घर मुहैया कराने (हाउसिंग फॉर ऑल) का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है , इसी की तर्ज पर सीमित आय वर्ग के समान्य वर्ग ( 6 लाख से कम आय वाले) के लिए पंजाब सरकार व स्टेट बैंक ऑफ इंडिया द्वारा मंजूरशुदा पंजाब में पहली बार अफफोर्डबल हाउसिंग के तहत फ्री होल्ड रिहाइशी प्लाट्स इंटरनेशनल एयरपोर्ट व ऐरोसिटी के नजदीक लांच किये गए । डिफेंस, सरकारी /अर्धसरकारी मुलाजिमों , स्पोर्ट्स कैटेगरी , डिसएबल्ड, एन आर आई वर्ग के लिए विशेष कोटा रखा गया है और इन वर्गो में आवेदन के लिए कोई आय की सीमा भी नहीं है। अति किफायती रेट्स पर 187 प्लाट रॉयल एस्टेट अफफोर्डबल हाउसिंग द्वारा यह स्कीम 11 सितंबर तक खुली है व ऍप्लिकेशन फार्म स्टेट बैंक की 60 से अधिक ब्रांचों में भरे जा सकते हैं। ऑनलाइन अप्लाई करने के लिए mohali.reah.in पर आवेदन कर सकते है । इस स्कीम के अंतर्गत 13 लाख 16 हजार से लेकर 19 लाख 74 हजार रुपये तक की कीमत मे प्लॉट्स (80 गज से लेकर 120 गज ) तक उपलब्ध हैं और सिर्फ 11000 रुपये एप्लीकेशन मनी (रिफंडेबल) देकर अपना भाग्य आजमा सकते हैं। ड्रा 22 सितंबर को निकाले जायेंगे व पोजीशन 6 महीनों में दिया जायेगा । अफफोर्डबल हाउसिंग स्कीम की खासियत होगी सम्मानित जीवन शैली ;सीमित आय वर्गों के लिए यह सुनहरा अवसर है।स्कीम सभी सुख सुविधाएं से सुसज्जित रहेगी - दो टियर सुरक्षा ,स्विमिंग पूल व जिम सहित बिल्ट अप क्लब हाउस , थीम पार्क , प्यूरीफाएड पानी ,आदि ।यह पंजाब की पहली मान्यता प्राप्त अफोर्डेबल टाउनशिप चंडीगढ़ इंटरनेशनल एयरपोर्ट, ऐरोसिटी के पास ग्रेटर मोहाली में चंडीगढ़ पटियाला नेशनल हाईवे पर स्थित है।
नाहन कोठी, पंचकुला शहर में स्थित एक ऐतिहासिक और प्राचीन ईमारत है। पंचकुला के सैक्टर 12-ए में स्थित है नाहन कोठी, एक रियासतकालीन ईमारत। इसका निर्माण करीब 160 वर्ष से पूर्व किया गया था। लाल रंग की यह कोठी महाराजा सिरमौर फतह प्रकाश के पुत्रों सुरजन सिंह और बीर सिंह द्वारा बनवाई गई थी। यह कोठी पंचकुला के ‘राइल्ली’ नामक गांव में स्थित है जो वर्तमान में पंचकुला के सैक्टर 12-ए में पड़ता है। लंबे समय से इस भवन को हैरिटेज भवन घोषित करने और इसके संरक्षण के प्रयास चले रहे हैं।
प्रदेश सरकार ने समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को गम्भीर रोग की स्थिति में त्वरित सहायता पंहुचाने के उद्देश्य से ‘सहारा’ योजना आरम्भ हो गई है। योजना के तहत आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के रोगियों को शीघ्र सहायता प्रदान की जाएगी। सहारा योजना पूरे प्रदेश में 15 जुलाई, 2019 से आरम्भ कर दी गई है। योजना के तहत कैंसर, पार्किंसनस रोग, लकवा, मस्कुलर डिस्ट्राफी, थैलेसिमिया, हैमोफिलिया, रीनल फेलियर इत्यादि ये ग्रस्त रोगियों को वित्तीय सहायता के रूप में 2000 रुपए प्रतिमाह प्रदान किए जाएंगे। योजना के तहत किसी भी आयुवर्ग का इन रोगों से ग्रस्त रोगी आर्थिक सहायता प्राप्त कर सकता है। इस योजना के तहत बीपीएल परिवार से सम्बन्धित रोगियों को आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी। रोगी को अपना चिकित्सा सम्बन्धी रिकाॅर्ड, स्थाई निवासी प्रमाण पत्र, फोटोयुक्त पहचान पत्र, बीपीएल प्र्रमाण पत्र अथवा पारिवारिक आय प्रमाण पत्र तथा बैंक शाखा का नाम, अपनी खाता संख्या, आईएफएससी कोड से सम्बन्धित दस्तावेज प्रदान करने होंगे। चलने-फिरने में असमर्थ रोगी के लिए मुख्य चिकित्सा अधिकारी द्वारा जारी जीवित होने का प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना होगा। सहारा योजना का लाभ उठाने के लिए पात्र रोगी को अपना आवेदन सभी दस्तावेजों सहित मुख्य चिकित्सा अधिकारी के कार्यालय में जमा करवाना होगा। आशा कार्यकर्ता व बहुदेशीय स्वास्थ्य कार्यकर्ता भी रोगी के सभी दस्तावेज खण्ड चिकित्सा अधिकारी के कार्यालय में जमा करवा सकते हैं। खण्ड चिकित्सा अधिकारी इन दस्तावेजों को मुख्य चिकित्सा अधिकारी के कार्यालय को प्रेषित करेंगे। योजना का लाभ प्राप्त करने के लिए आवेेदन पत्र जिला स्तर के अस्पतालों, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों तथा हेल्थ वेलनेस केन्द्रों में 03 अगस्त, 2019 से उपलब्ध होंगे। जिला चिकित्सा अधिकारी सोलन डाॅ. आर.के. दरोच ने सहारा योजना के विषय में अधिक जानकारी देते हुए कहा कि इस महत्वाकांक्षी योजना से जिला के सभी लोगों को अवगत करवाने के लिए विभाग ने आशा कार्यकर्ताओं को घर-घर जाकर जागरूक बनाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि सहारा योजना के तहत पात्र रोगियों को 2000 रुपए प्रतिमाह की वित्तीय सहायता आरटीजीएस के माध्यम से ही उपलब्ध करवाई जाएगी। उन्होंने लोगों से आग्रह किया है कि सहारा योजना के विषय में पूरी जानकारी प्राप्त करें ताकि आवश्यकता के समय विभिन्न गम्भीर रोगों से पीड़ित रोगियों के परिजनोें को जानकारी देकर लाभान्वित किया जा सके। उन्होंने कहा कि मुख्य चिकित्सा अधिकारी सोलन के कार्यालय के कक्ष संख्या 132 में योजना के सम्बन्ध में सम्पर्क किया जा सकता है। डाॅ. आर.के. दरोच ने कहा कि सहारा योजना आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने एवं उनकी देखभाल की दिशा में मील का पत्थर सिद्ध होगी।
“Food doesn’t have a religion. It is a religion.” it is a tweet from Zomato’s official Twitter handle. Actually, a customer from Zabalpur wanted food to be delivered by a Hindu rider. Zomato declined to accept his preference based on the religion of the delivery boy, after which the customer asked Zomato to cancel the order and issue a refund. Zomato hadn’t processed a refund after cancelling the order and tweeted. Zomato Founder Deepinder Goyal also tweeted, “We are proud of the idea of India - and the diversity of our esteemed customers and partners. We aren’t sorry to lose any business that comes in the way of our values. ” People from every corner of India are praising the move by Zomato and company is getting huge public support for their stand.
The dead body of Cafe Coffee Day (CCD) Owner VG Siddhartha, was found on the banks of the Netravati river near Mangaluru at 4.30 am on Wednesday. He was first reported missing on Monday by his driver. Siddhartha’s family has confirmed his identity and the cremation is likely to be held on Wednesday after postmortem. Siddhartha is the son-in-law of former Karnataka Chief Minister SM Krishna. Congress accuses govt of tax terrorism, after VG Siddhartha's so called suicide.
बंजार के भाजपा नेता और नेत्री का अश्लील एमएमएस वायरल करने के आरोप में पुलिस ने एक स्थानीय निवासी को गिरफ्तार किया है। जानकारी के नौसार पुलिस ने 28 वर्षीय गुड्डू सेठी को गिरफ्तार किया है । बताया जा रहा है कि सेठी ने ही इस वीडियो को व्हाट्स एप ग्रुप्स में शेयर किया था । एसपी गौरव सिंह ने गिरफ्तारी की पुष्टि की है । बताया जा रहा है कि पुलिस अभी काफी और लोगों से पूछताछ कर रही है और इस मामले में कई और गिरफ्तारियां भी हो सकती है ।
मृतकों में दो श्रद्धालु दिल्ली के व एक शिमला का श्रीखंड महादेव यात्रा कर रहे तीन श्रद्धालुओं की मौत हो गई है। फिलहाल आधिकारिक तौर पर मृत्यु के कारणों का पता नहीं चला है , पर बताया जा रहा है कि इन तीन श्रद्धालुओं को सांस लेने में दिक्कत हुई जिसके चलते उनकी मृत्यु हो गई। यात्रा के दौरान भीमवही, नैनसरोवर और कुशां में इनकी मृत्यु हुई है।प्रारंभिक तौर पर हाइपोथर्मिया (शरीर के तापमान में कमी होना) इनकी मौत की वजह माना जा रहा है , किन्तु इसकी पुष्टि पोस्टमॉर्टेम के बाद ही हो पायेगी। मृतकों में से दो श्रद्धालु दिल्ली के और एक शिमला का रहने वाला है।एसडीएम आनी चेत राम ने बताया कि श्रीखंड महादेव की यात्रा के अंतिम पड़ाव में शनिवार देर रात डेढ़ बजे के करीब तीन लोगों की मौत हुई है। इनकी हुई मौत- 40 वर्षीय उपेंद्र सैनी पुत्र जीवन सैनी निवासी खलीणी, शिमला केवल नंद भगत पुत्र गोपाल भगत निवासी ए 577 चोखरी, वेस्ट दिल्ली आत्मा राम पुत्र खाशा राम, निवासी गली चेतराम मोजपुर, दिल्ली जब यात्रा बंद थी तो कैसे पहुंचे श्रद्धालु श्रीखंड महादेव की ऐतिहासिक यात्रा 15 जुलाई से शुरू हुई थी। 25 जुलाई को यात्रियों के अंतिम जत्थे का पंजीकरण किया गया था। उसके बाद यात्रा बंद कर दी गई थी। बावजूद इसके लोग यात्रा करने कैसे पहुंचे ये बड़ा सवाल है।बता दें कि निरमंड के बेस कैंप सिंहगाड़ से यह यात्रा शुरू होती है। 18,570 फीट की ऊंचाई पर श्रीखंड चोटी पर बाबा भोले नाथ के दर्शन के लिए 35 किलोमीटर की पैदल यात्रा करनी पड़ती है। यात्रा में आठ ग्लेशियर भी पार करने होते हैं। यात्रा करने वालों का सिंहगाड़ में पंजीकरण और मेडिकल चेकअप किया जाता है जिसके बाद ही श्रद्धालुओं को अनुमति मिलती हैं। तीनों मृतक किस तरह यात्रा करने पहुंचे, ये तफ्तीश का विषय है।