सोलन नगर निगम में कब्ज़ा जमाने के बाद कांग्रेस में मेयर व डिप्टी मेयर पद के लिए मंथन शुरू हो गया है। मेयर पद अनुसूचित जाती के लिए आरक्षित है सो जाहिर है ऐसे में पूनम ग्रोवर ही पार्टी की पहली पसंद होगी। पूनम वरिष्ठ तो है ही उन्होंने इस चुनाव में पवन गुप्ता को पटकनी दी है। जिसके बाद उनका मेयर बनना तय माना जा रहा है। वहीँ डिप्टी मेयर पद के लिए कई नाम सामने आ रहे है लेकिन सबसे अधिक चर्चा में है अभय शर्मा का नाम। इसके कई कारण है। दरअसल अभय ने वार्ड 11 में लम्बे समय बाद पार्टी को जीत दिलवाई है। ये पूर्व नगर परिषद् अध्यक्ष देवेंदर ठाकुर का गृह वार्ड है और अभय का मुकाबला उनके पुत्र अभिषेक ठाकुर से था। अभय की जीत पूनम ग्रोवर की जीत से किसी भी संदर्भ में कम नहीं है। इस जीत ने कांग्रेस को उक्त क्षेत्र विशेष में मजबूत तो किया ही है, लम्बे समय बाद अभय के रूप में पार्टी को एक दमदार युवा चेहरा भी मिला है। निसंदेह अभय इस समय कांग्रेस के राइजिंग स्टार है, अब पार्टी उन्हें डिप्टी मेयर बनाकर प्रोत्साहित करती है या नहीं, ये देखना दिलचस्प होगा। युथ अभय के साथ, 2022 में हो सकता है फायदा वार्ड 11 में मिली शानदार जीत के बाद अभय रातों रात सोलन की राजनीति में युथ स्टार बन गए है। उनकी सोच, उनकी सादगी और संवाद का तरीका उन्हें सीधे जनता से कनेक्ट करता है। ऐसे में अभय को आगे लाकर कांग्रेस 2022 के लिहाज से भी अपनी जड़े मजबूत कर सकती है। अभय भाजपा के युथ वोट में सेंध लगाने का काम भी कर सकते है। शांडिल के प्रोत्साहन से लड़ा चुनाव, शहरी कांग्रेस भी साथ अभय शर्मा को सोलन विधायक कर्नल धनीराम शांडिल का आशीर्वाद प्राप्त है। उनके प्रोत्साहित करने पर ही अभय राजनीति में आए है। इसके अलावा शहरी कांग्रेस भी अभय के साथ बताई जा रही है। जगजाहिर है कि निगम चुनाव में शहरी कांग्रेस का जलवा खूब देखने को मिला है। अब अंदर कि खबर ये है कि शहरी कांग्रेस भी अभय को आगे लाना चाहती है। बहरहाल कांग्रेस के पास युवा अभय शर्मा को बड़ी ज़िम्मेदारी देकर युथ को लुभाने का अवसर है, अब कांग्रेस क्या फैसल लेती है इसका सबको इंतज़ार रहेगा।
नगर निगम सोलन के चुनाव में भाजपा द्वारा अपनी तमाम ताकत झोंक दिए जाने के बावजूद जिस तरह कांग्रेस ने धमाकेदार जीत अर्जित की है, उससे राजनीतिक पर्यवेक्षक भी सुजानपुर के विधायक व सोलन चुनाव के प्रभारी राजेंद्र राणा की सियासी मैनेजमेंट व उनके द्वारा रचे गए चक्रव्यूह के कायल हो गए हैं। राजेंद्र राणा को कांग्रेस नेतृत्व द्वारा सोलन नगर निगम के चुनाव की कमान सौंपी गई थी और जिस तरह राणा ने सोलन में डेरा डालकर तमाम कांग्रेसी कार्यकर्ताओं को एकजुट करके भाजपा के खिलाफ व्यूह रचना रची, उसकी काट भाजपा नहीं ढूंढ पाई। खुद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने इन चुनावों के दौरान लगातार सोलन के तीन दौरे किए और राजनीतिक मैनेजमेंट में माहिर माने जाने वाले अपने दिग्गज नेता राजीव बिंदल को फ्री हैंड देकर यहां के दंगल को जीतने की जिम्मेदारी सौंपी थी, लेकिन कांग्रेस के चुनाव प्रभारी राजेंद्र राणा व स्थानीय कांग्रेस विधायक व पूर्व मंत्री कर्नल धनीराम शांडिल की जुगलबंदी ने भाजपा को दिन में तारे दिखा दिए। इस चुनाव में कर्नल धनीराम शांडिल्य की साख व राजेंद्र राणा की मैनेजमेंट स्किल दांव पर लगी थी। भाजपा सोलन नगर निगम के चुनाव में कांग्रेस का सूपड़ा साफ करने के दावे कर रही थी। लेकिन राजेंद्र राणा ने जो चक्रव्यूह रचा और जिस तरह सोलन से जुड़े जमीनी मुद्दों को उठाकर भाजपा को आक्रामक तरीके से घेरना शुरू किया, उससे न केवल कांग्रेसी वर्करों का हौसला बढ़ा बल्कि मतदाताओं में भी उन मुद्दों का खासा असर दिखा। भाजपा ने सोलन के पूर्व विधायक व पूर्व विधानसभा अध्यक्ष राजीव बिंदल के चुनावी प्रबंधन के सहारे सोलन में धमाकेदार जीत अर्जित करने का ख्वाब संजोया था। लेकिन राजेंद्र राणा की मैनेजमेंट के आगे न केवल बिंदल बुरी तरह चित हो गए बल्कि उनके सबसे करीबी व खासमखास माने जाने वाले बाघाट बैंक के अध्यक्ष पवन गुप्ता चुनाव हार गए। सोलन में कांग्रेस की जीत को लेकर सोशल मीडिया पर भी लोग मजेदार टिप्पणियां दर्ज कर रहे हैं। कई लोगों ने यह कहकर चुटकी ली है कि सुजानपुर में राजेंद्र राणा ने पहले अपने गुरु पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल को उनके घर में शिकस्त देकर उनके मुख्यमंत्री बनने का ख्वाब चूर कर दिया और अब सोलन में पूर्व मुख्यमंत्री के चेले और भाजपा के दिग्गज मैनेजमेंट गुरु माने जाने वाले राजीव बिंदल को भी उन्हीं के घर में धूल चटा दी है। निश्चित रूप से कांग्रेस की इस जीत से कांग्रेस आलाकमान में सुजानपुर के विधायक व प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष राजेंद्र राणा का सियासी कद बढ़ गया है।
बांग्लादेश दौरे को लेकर तृणमूल कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आचार संहिता के उलंघन का आरोप लगाया है। पार्टी के नेताओं ने चुनाव आयोग से शिकायत की है कि पीएम मोदी ने मतुआ समुदाय के मंदिर ओराकांडी जाकर आचार संहिता का उल्लंघन किया है। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश के मंदिरों में जाने का एकमात्र मकसद मतदाताओं को प्रभावित करना था। वहीं, तृणमूल कांग्रेस के नेताओं ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने साथ पश्चिम बंगाल से सांसद शांतनु ठाकुर को ले गए थे, जो किसी भी सरकारी पद पर नहीं हैं। टीएमसी ने पीएम मोदी के खिलाफ कड़ी कार्यवाही करने की मांग की है।
असम विधानसभा चुनाव के लिए आज पहले चरण का मतदान हो रहा है। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने असम की जनता से कॉंग्रेस को वोट देने की अपील की। पूर्व प्रधानमंत्री ने असम के लोगों से कहा कि उन्हें ऐसी सरकार चुननी चाहिए जो संविधान और लोकतंत्र के सिद्धांतों को बनाए रखें। उन्होंने कहा की समाज को धर्म, संस्कृति और भाषा के आधार पर विभाजित किया जा रहा है। पूर्व पीएम ने एक वीडियो मैसेज के ज़रिए असम की जनता से कहा,'आज, मैं आप ही में से एक बोल रहा हूँ। एक बार फिर से, विधानसभा चुनाव में मतदान करने का समय आ गया है। आपको समझदारी से मतदान करना चाहिए। मैं आपसे कांग्रेस पार्टी को वोट देने की अपील करता हूँ। डॉ. मनमोहन सिंह ने कहा कि असम पिछले कई सालों से मेरा दूसरा घर रहा है। यह मेरे लिए सम्मान की बात है कि मैंने 28 सालों (1991 से 2019) तक राज्यसभा में असम का प्रतिनिधित्व किया। असम के लोगों ने ही मुझे पांच वर्ष केंद्रीय वित्त मंत्री और 10 साल के लिए प्रधानमंत्री के रूप में काम करने में सक्षम बनाया । बता दें कि असम में कांग्रेस बीजेपी से सत्ता वापिस पाने की कोशिश कर रही है। मनमोहन सिंह असम चुनावों के लिए एक स्टार प्रचारक हैं, लेकिन स्वास्थ्य कारणों और कोविड-19 बंदिशों के चलते प्रचार करने में सक्षम नहीं है।
मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने सोलन जिले के बद्दी में भाजपा आईटी विभाग की राज्य कार्यकारी समिति की बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि भाजपा का आईटी विभाग वास्तव में प्रदेश सरकार की नीतियों, कार्यक्रमों, उपलब्धियों आदि का प्रभावी ढ़ग से प्रचार प्रसार कर राज्य में राज्य सरकार के साथ-साथ भाजपा को सुदृढ़ करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार और राज्य भाजपा की उपलब्धियों के प्रसार के लिए एक सक्रिय दृष्टिकोण अपनाया जाना चाहिए और विपक्ष के झूठे प्रचार का जवाब देना चाहिए। जय राम ठाकुर ने कहा कि 11 जिला परिषदों में से 9 में भाजपा समर्थित उम्मीदवारों ने विजय हासिल की जबकि कांग्रेस केवल दो जिला परिषद ही जीत पाई। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि नगर निगम चुनावों में और उसके बाद 2022 के विधान सभा चुनावों में भी कांग्रेस को उसकी असली जगह दिखाई जाए। उन्होंने कहा कि विपक्ष के झूठे प्रचार का प्रभावी ढंग से मुकाबला करने के लिए सोशल मीडिया सबसे सशक्त माध्यम है। उन्होंने कहा कि आज राष्ट्र का नेतृत्व सशक्त नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर रहे है, जो विश्व नेता के रूप में उभरे हैं।मुख्यमंत्री ने राज्य भाजपा आईटी विभाग से 2022 के विधानसभा चुनावों के लिए ग्राम सभा से विधानसभा के लक्ष्य को हासिल करने के लिए और अधिक समर्पण के साथ कार्य करने का आग्रह किया। इस अवसर पर ग्रामीण विकास और पंचायती राज और पशुपालन मंत्री वीरेंद्र कंवर, स्वास्थ्य मंत्री डाॅ. राजीव सैजल, विधायक दून परमजीत सिंह पम्मी, भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष पुरूषोतम गुलेरिया, पूर्व विधायक विनोद चंदेल और केएल ठाकुर भी रहे उपस्थित ।
विधानसभा में कांग्रेस द्वारा राज्यपाल की गाड़ी रोकने व धक्का मुक्की करने पर भाजपा अर्की मंडल ने भराड़ीघाट में मुकेश अग्निहोत्री का पुतला फूंका। इस घटना पर अर्की मंडल अध्यक्ष डीके उपाध्याय ने इसका विरोध करते हुए कहा कि कांग्रेस ज्यादा न उछले अपनी हद में रहे। इस तरह की हरकतों का अंजाम बुरा होगा। इस मौके पर अर्की मंडल के समस्त पदाधिकारी व युवा मोर्चा अर्की के अध्यक्ष सहित अन्य सहयोगी मौजूद रहे।
हिमाचल प्रदेश विधानसभा के बजट सत्र के पहले दिन विपक्ष के हंगामे के बाद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने सुरक्षा कर्मियों सहित मंत्रियों के साथ बैठक आयोजित की और दोबारा से सदन बुलाया। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि हिमाचल के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ कि सदन के स्थगित होने के बाद सदन बुलाया गया हो। इस सदन का गौरवमयी इतिहास रहा है। लेकिन आज की घटना इतिहास में कभी नहीं हुई। सीएम ने कहा कि नेतृत्व विफल हुआ इसी वजह से लोकतांत्रिक व्यवस्था के तहत लड़ने की क्षमता नहीं है। राज्यपाल के साथ ऐसा व्यवहार दुर्भाग्यपूर्ण है। सीएम ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि जमीन पर रहिये वरना जमीन में गाड़ देती है जनता।
शुक्रवार को हिमाचल प्रदेश विधानसभा का बजट सत्र शुरू होते ही को विपक्ष ने हंगामा कर दिया। राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने 11 बजे अभिभाषण पढ़ना शुरू किया और 11:14 पर कांग्रेस विधायकों ने सदन में नारेबाजी शुरू कर दी। राज्यपाल ने 11:16 पर अभिभाषण को खत्म कर दिया। इस बीच नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने महंगाई का सवाल उठाया साथ ही अभिभाषण को भी जूठा करार दिया। बजट सत्र में पहली बार ऐसा हुआ है कि अभिभाषण के दौरान इतना बड़ा हंगामा हुआ हो। वहीं जब राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय राजभवन जाने लगे तो इस दौरान विधानसभा के काउंसिल चैंबर गेट पर राज्यपाल की गाड़ी के आगे खड़े होकर कांग्रेस दल ने नारेबाजी की। मामला इतना गरमा गया कि विधानसभा उपाध्यक्ष हंसराज और कांग्रेस विधायकों के बीच धक्कामुकी हो गई। कांग्रेस के पांच विधायको को पूरे सत्र के लिए बर्खास्त कर दिया गया है। जिनमें नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री, सतपाल रायज़ादा, हर्षवर्दन, विनय कुमार, सुंदर सिंह शामिल है
हिमाचल प्रदेश में नगर निगम चुनाव का बिगुल बज चुका है, सभी पार्टिओं ने आगामी चुनाव के लिए कमर कस ली है। कांग्रेस हाईकमान के निर्देश पर हिमाचल के प्रभारी राजीव शुक्ला ने भी चार नगर निगमों के पर्यवेक्षक तैनात कर दिए हैं। इनके साथ सदस्य भी लगाए गए हैं। राजेंद्र राणा को सोलन नगर निगम का पर्यवेक्षक तैनात किया गया है। हर्षवर्धन चौहान और केवल सिंह पठानिया सदस्य बनाए गए है । जीएस बाली को मंडी नगर निगम का पर्यवेक्षक तैनात किया गया है। विक्रमादित्य सिंह, सुंदर सिंह और विनोद सुल्तानपुरी सदस्य लगाए गए हैं। कौल सिंह को पालमपुर नगर निगम का पर्यवेक्षक तैनात किया गया है। रामलाल ठाकुर, इंद्र दत्त लखनपाल और जगत सिंह सदस्य लगाए गए हैं। सुखविंद्र सिंह सुक्खू को धर्मशाला नगर निगम का पर्यवेक्षक तैनात किया गया है। कुलदीप कुमार, चंद्र कुमार और राजेश धर्माणी सदस्य लगाए गए हैं। ये पर्यवेक्षक नगर निगम चुनाव को लेकर लगाए हैं। इन्हें लोकल कमेटियां बनाने का अधिकार भी दिया गया है।
बजट की खबर ...... -चुनावी साल का बजट देखना, अभी क्यों निराश होना ! -अभी चुनावी राज्यों को मिला है, अगले साल हिमाचल को भी मिलेगा -बेवजह हंगामा कर रहा नादान विपक्ष ! बजट आखिर आज आ ही गया. वित्त मंत्री का बजट भाषण खत्म होते ही हिमाचल में कांग्रेस का सरकार पर अटैक शुरू हो गया. विपक्ष कह रहा है कि हिमाचल प्रदेश को इस बजट से कुछ नहीं मिला. बजट में न बागवानों के लिए कुछ खास है और न ही पर्यटन के लिए. विपक्ष डबल इंजन की सरकार को लेकर खूब चुटकी ले रहा है. उनके अनुसार हिमाचल प्रदेश इस बजट के बाद ठगा सा महसूस कर रहा है. कितना नादान है हमारा विपक्ष. भाई जब चुनाव 2022 में है तो हिमाचल को 2021 के बजट में कुछ खास क्यों मिलेगा. न जाने क्यों विपक्ष बेवजह सरकार को घेरने पर लगा है. तो क्या हुआ कोरोना ने बागवानी और पर्यटन की भी कमर तोड़ी है, तो क्या हुआ कोल्ड चेन बागवानों के लिए अति महत्वपूर्ण है, तो क्या हुआ फूड प्रोसेसिंग यूनिट्स स्थापित करने की सख्त दरकार है, तो क्या हुआ पर्यटन को पंख लगने के लिए आधरभूत सुविधाओं को मजबूत किया जाना चाहिए, ये सब तभी मिलेगा न जब चुनाव नजदीक आएंगे. अब केंद्र सरकार अभी कैसे दे देती ये सब. पिछले चुनाव से पहले भी तो दिए थे 69 एनएच, ये अलग मसला है बाद में कैंसिल कर दिए. हम तो यही कहेंगे जरा एक साल इंतजार कीजिये जनाब अगले बजट में जरूर हिमाचल की सुध ली जाएगी. दरअसल राजनैतिक परंपरा ही कुछ ऐसी है. कोई भी पार्टी सत्ता में हो ऐसा ही करती है. अब इसी बजट को देख लीजिये. पश्चिम बंगाल, केरल, असम और तमिलनाडु में जल्द विधानसभा चुनाव है, देखिये इन्हें कितना कुछ मिला है. बाकी इतना भी निराशावादी नहीं होना चाहिए. बजट सरकारी कंपनियों की सेल भी लाया है. पुरे पौने दो लाख करोड़ का विनिवेश होगा. बहुत कुछ बिकने वाला है भाई. आप भी बतौर निवेशक खरीद सकते है. आपको बताते है क्या-क्या बिकने वाला है? BPCL, एअर इंडिया, कॉनकोर और SCI के विनिवेश पर जल्द मुहर लग सकती है. सरकार LIC का आईपीओ भी लाने वाली है. इसके अलावा IDBI में भी विनिवेश होगा. अब इन बड़ी सरकारी कंपनियों के हिस्सेदार तो हिमाचल वासी भी बन सकते हैं. हैं ना बहुत कुछ हिमाचल के लिए !
हिमाचल पूर्ण राज्यत्व की स्वर्ण जयन्ति पर प्रदेश वासियों को हार्दिक शुभकामनाएं
पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस विधायक वीरभद्र सिंह ने गुरुवार को सोलन में अगला विधानसभा चुनाव न लड़ने का एलान किया था जिसे सुन सभी दंग रह गए थे, लेकिन इसके कुछ देर बाद ही उन्होंने अपना बयान बदलते हुए चुनाव लड़ने की बात कही थी। वीरभद्र के बयानों का दौर अब भी बरक़रार है और आज उन्होंने कुठाड़ में कहा कि आज वो अगला चुनाव भी लड़ेंगे और कांग्रेस को जिताएंगे भी। पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने कुठाड़ में हो रही पत्रकार वार्ता के दौरान कहा कि वो कांग्रेस पार्टी के लिए काम करते रहेंगे और वो 2022 का चुनाव लड़ेंगे भी और कांग्रेस को जिताएंगे भी और यदि जनता का साथ रहा तो अगली बार मुख्यमंत्री बन हिमाचल की बागडोर भी संभालेंगे। वीरभद्र सिंह इन दिनों सोलन जिला के कुठाड़ स्थित अपने ससुराल में स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं। गुरुवार को वीरभद्र सिंह कुनिहार में पंचायत प्रतिनिधियों के शपथ समारोह में शिरकत करने आए थे। उन्होंने जिप चुनाव में डुमैहर और दाड़ला से पार्टी प्रत्याशियों की कम मतों से हार पर कहा कि पार्टी में गद्दार घुस आए हैं, उनका पर्दाफाश किया जाए। यहां वीरभद्र सिंह के चुनाव न लड़ने का एलान करने के बाद एक बार तो प्रदेशभर में कांग्रेस कार्यकर्ताओं में हड़कंप मच गया, लेकिन इसके बाद वीरभद्र सिंह के कुठाड़ राजमहल लौटते ही जिला सोलन सहित शिमला, रोहड़ू और रामपुर से सैकड़ों समर्थक भी वहां पहुंच गए। समर्थकों ने उनसे मुलाकात कर अगला विधानसभा चुनाव लड़कर जनता की सेवा करने का आग्रह किया। अपने समर्थकों की जिद के बाद वीरभद्र सिंह ने थोड़ा समय पहले चुनाव न लड़ने के अपने बयान से पलटते हुए कहा कि अगर जनता ने चाहा तो वह अपना फैसला बदलकर विधानसभा चुनाव लड़ेंगे।
वीरभद्र सिंह ने 2022 विधानसभा चुनाव को लेकर बड़ा बयान दिया है। कुनिहार दौरे के दौरान मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि वह अगला चुनाव नहीं लड़ेंगे। उन्होंने कहा की वह अगला चुनाव नहीं लड़ेंगे पर उन्हें कांग्रेस पार्टी से प्यार है। वह कांग्रेसी हैं और मरते दम तक कांग्रेसी रहेंगे। उन्होंने कहा कि पार्टी में गद्दारी को बर्दाश्त मत करो। गद्दार पार्टी में रहते हुए पार्टी को कमजोर करते हैं। गद्दारों को बाहर का रास्ता दिखाना ही जरूरी है। उन्होंने कहा कि कुछ लोग कांग्रेसी बनते हैं और अपने स्वार्थ के लिए कांग्रेस को हराते हैं। एक गद्दार आगे चल कर गद्दारों की फौज पैदा करेगा। इसलिए गद्दारों से प्रार्थना है कि आपको कांग्रेस में नहीं रहना है तो छोड़कर चले जाएं। कांग्रेस में रहकर जो पार्टी की पीठ पर छूरा मार रहे हैं, उनका कांग्रेस में कोई स्थान नहीं है। इससे अच्छा नए लोग आएं। वीरभद्र सिंह आज कुनिहार में नवनिर्वाचित कांग्रेस समर्थित प्रधानों, उपप्रधानों व बीडीसी सदस्यों को शपथ ग्रहण समारोह के उपरांत आशीर्वाद देने पहुचे थे। कुनिहार पहुंचने पर कांग्रेस प्रदेश सचिव राजेंद्र ठाकुर व अन्य कांग्रेस कार्यकर्ताओं द्वारा विधायक वीरभद्र सिंह का जोरदार स्वागत किया गया।
आम आदमी पार्टी की राष्ट्रीय परिषद की बैठक में गुरुवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने घोषणा की है कि पार्टी हिमाचल उतराखंड समेत छः राज्यों में चुनाव लड़ेगी। आम आदमी पार्टी आगामी दो वर्षों में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और गुजरात में चुनाव लड़ेगी। आम आदमी पार्टी लगातार देश भर में कदम बढ़ा रही है। इसी के चलते पार्टी दूसरे राज्यों में चुनाव लड़ने की तैयारी में लग गई है।
औरों के ख़यालात की लेते हैं तलाशी और अपने गिरेबान में झाँका नहीं जाता मुज़फ्फर वारसी का ये शेर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कश्यप के मौजूदा हालत पर बिलकुल सटीक बैठता है। बात-बात पर अन्य पार्टियों को आइना दिखने वाले भाजपा प्रदेश अध्यक्ष को जिला परिषद् चुनाव में जनता ने आइना दिखा दिया है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कश्यप के अपने ही गृह क्षेत्र की दो जिला परिषद् सीटों परे भाजपा हार गई है। यूँ तो कश्यप के गृहक्षेत्र पच्छाद में 15 वार्ड सदस्यों वाली पंचायत समिति में भाजपा ने सबसे अधिक सीटें जीतने का दावा किया है लेकिन, जिला परिषद के दो वार्डों में भाजपा बुरी तरह हारी है। यहां एक वार्ड में कांग्रेस ने परचम लहराया, जबकि दूसरे में निर्दलीय ने बाजी मारी। सुरेश कश्यप के अपने वार्ड बागपशोग में भाजपा समर्थित उम्मीदवार तीसरे स्थान पर रही जबकि नारग के जिला परिषद् वार्ड पर प्रदेश निर्माता यशवंत सिंह परमार के पोते आनंद परमार की जीत हुइ है। दोनों ही जिला परिषद् वार्डस में भाजपा समर्थितों उम्मीदवारों को मुँह की खानी पड़ी। इससे साफ़ होता है की भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कश्यप की अपने गढ़ में कितनी पकड़ है। गौरतलब है कि भाजपा समर्थित उम्मीदवारों को जीताने के लिए प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सुरेश कश्यप, स्थानीय विधायक रीना कश्यप और विपणन बोर्ड के अध्यक्ष बलदेव भंडारी स्वयं मैदान में उतरे थे लेकिन तीन नेताओं की रणनीति भी काम नहीं आई।
हिमाचल प्रदेश में जिला परिषद और पंचायत समिति वार्ड सदस्यों का चुनाव नतीजे देर रात को घोषित किए गए। प्रदेश भर के कुल 80 ब्लाक मुख्यालयों में सुबह आठ बजे से जिला परिषद और पंचायत समिति सदस्यों के वोटों की गिनती शुरू हो गई थी। कई जगह मतगणना शनिवार सुबह करने का फैसला लिया गया है। प्रदेश को जिप के 239 और बीडीसी के 1638 नए सदस्य मिलेंगे। जिला परिषद परिणाम सिरमौर बनकला निर्मला देवी (भाजपा) कालाअंब पुष्पा देवी (भाजपा) ददाहू सुरेंद्र सिंह (भाजपा) बाग पशोग नीलम शर्मा (निर्दलीय) नारग आनंद परमार (कांग्रेस) शिलांजी सतीश ठाकुर (भाजपा) देवठी मझगांव विनय भगनाल (कांग्रेस) संगड़ाह सीमा कनियाल (भाजपा) नौहराधार पृथ्वीराज (कांग्रेस) कांडो भटनोल विद्या देवी (कांग्रेस) गवाली चमेली देवी (कांग्रेस)
जिला परिषद् बिलासपुर सहित जिला की 4 पंचायत विकास समितियों के चुनाव के बाद मतगणना सुबह 8 बजे शुरू हो गई थी। बैलेट पेपर पर मतों की गणना का कार्य काफी मुश्किल भरा रहा। जिसके चलते देर रात तक आधे नतीजे ही घोषित किए गए थे। सदर बीडीसी के वार्ड नंबर-9 छकोह व वार्ड नंबर-12 घ्याल में जीत का अंतर मात्र 16 वोटों का रहा, जिसके चलते दोनों वार्डों में गिनती को लेकर खूब गर्मा-गर्मी देखने को मिली। वंही सबसे कड़ा व रोचक मुकाबला में देखने को मिला। यहाँ हार जीत का अंतर मात्र 4 वोटों का रहा। विजेता संतोष चंदेल को 542 वोट मिले वंही उपविजेता रहे जगदीश को 538 मत मिले।
हिमाचल के रामपुर ब्लॉक से जिला परिषद् के वार्ड नंबर-2 झाकड़ी वार्ड से CPI समर्थित कविता कंटु ने जीत हासिल की है। कविता कंटु अभी महज 25 साल की है। उनके प्रतिद्वंदी कांग्रेस और भाजपा संबंधी थे। वह कई सालों से राजनीती करते आ रहे है, और उनमें से कुछ प्रत्याशी प्रधान भी रहे है। पहली बार राजनीती में उत्तरी कविता ने इन सभी प्रत्याशियों को हार का मुँह दिखाया है। कविता ने 4561 मत लेकर 13 वोटों से जीत हासिल की। बता दें की कविता कंटू अपने माता पिता की इकलौती संतान है। उन्होंने इतिहास विषय में एमफील की हुई है, और साथ ही यूजीसी की नेट की परीक्षा भी उत्तीर्ण की है। पढ़ाई के साथ-साथ वे छात्र राजनीती में भी सक्रीय रही है।
पिहड बेहडलु पंचायत से बीडीसी सदस्य के लिए ग्रामीणो ने क्षेत्र की बागडोर युवा प्रत्याशी के हाथों में दी है। इन दोनों पंचायतों से बीडीसी सदस्य के लिए करसल गांव निवासी मधु देवी ने जीत हासिल की है। मधु मात्र 22 वर्ष की है और एमकॉम की पढ़ाई कर रही है। वह लडभड़ोल पंचायत में सबसे काम उम्र की बीडीसी सदस्य बनी है।
हिमाचल प्रदेश में जिला परिषद और पंचायत समिति वार्ड सदस्यों का चुनाव नतीजे देर रात को घोषित किए गए। प्रदेश भर के कुल 80 ब्लाक मुख्यालयों में सुबह आठ बजे से जिला परिषद और पंचायत समिति सदस्यों के वोटों की गिनती शुरू हो गई थी। कई जगह मतगणना शनिवार सुबह करने का फैसला लिया गया है। प्रदेश को जिप के 239 और बीडीसी के 1638 नए सदस्य मिलेंगे। जिला परिषद परिणाम कांगड़ा वार्ड विजयी 1 डमटाल राहुल पठानिया(भाजपा) 2 लोहारपुरा अपर्णा (भाजपा) 3 पुंदर वार्ड हरदीप सिंह (कांग्रेस ) 4 भली वार्ड नर्मदा ठाकुर 5 भत्तला रितिका शर्मा 6 तलाडा जगदीश सिंह 10 खोली वार्ड कुलभाष चंद बीजेपी 11 हलेडकलां वार्ड अंजना कुमारी बीजेपी 12 बाघणी रविंदर कुमार 14 कबाड़ी चंचला देवी 15 झिकला मंगला देवी (भाजपा) 17 अवैरी नीलम देवी 18 कुदैल अनिल कुमार 19 गुनेहड़ पवन देवी 22 चौबीन अंकुश ठाकुर 25 बारी ध्रुव सिंह 28 नौरा संतोष कुमार 29 सुलह रूप रेखा 30 उस्तेहड़ विनय 33 कुल्थी सुषमा देवी 34 तियारा वार्ड रमेश सिंह बराड (बीजेपी) 43 नगरोटा सुरिया बिना धीमान 47 स्थान संजीव कुमार 48 मैरा वार्ड लक्ष्य ठाकुर 49 भरमाड सुखविंदर कुमार 50 नेरना शेर सिंह 52 बडूखर नैंसी धधोच 54 इंदौरा प्रवीण कुमार फतेहपुर के मैरा वार्ड से जवाली विधायक अर्जुन ठाकुर के बेटे लक्ष्य ठाकुर ने तीन पूर्व कांग्रेसियों की तिगड़ी का खेल बिगाड़कर जीत दर्ज की है। नूरपुर विकास खंड जिला परिषद वार्ड पुंदर में कांग्रेस समर्थित हरदीप सिंह ने अपने प्रतिद्वंदी भाजपा प्रत्याशी रविंद्र चौधरी को 1054 मतों के अंतर से हराया है। हरदीप सिंह 8231 वोट मिले, जबकि रविंद्र चौधरी 7177 प्राप्त हुए।
पंचायत चुनावो में सबसे बड़ी सीट मानी जाने वाली जिला विकास परिषद् में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा है, वही भाजपा ने शानदार जीत हासिल की है। मंडी जिला की 36 सीटों में से 30 पर भाजपा ने अपना कब्ज़ा किया है, जबकि कांग्रेस प्रतय्क्ष रूप से एक ही सीट जीत पाई है। वंही माकपा और भाकपा के तीन प्रत्याशी ने जिला परिषद के चुनाव में सफलता प्राप्त की। इसके आलावा 12 आज़ाद प्रत्याशी भी अपनी जीत सुनिश्चित कर पाए है, इनमें 3 भाजपा समर्थित और 2 कांग्रेस समर्थित बताये जा रहे है। इन आंकड़ों को भी अगर देखा जाये तो कांग्रेस की झोली में सर्फ 4 ही सीटें आ रही है।
हिमाचल प्रदेश में जिला परिषद और पंचायत समिति वार्ड सदस्यों का चुनाव नतीजे देर रात को घोषित किए गए। प्रदेश भर के कुल 80 ब्लाक मुख्यालयों में सुबह आठ बजे से जिला परिषद और पंचायत समिति सदस्यों के वोटों की गिनती शुरू हो गई थी। कई जगह मतगणना शनिवार सुबह करने का फैसला लिया गया है। प्रदेश को जिप के 239 और बीडीसी के 1638 नए सदस्य मिलेंगे। कुल्लू जिला परिषद परिणाम धाउगी विभा सिंह चायल पूर्ण ठाकुर मौहल गुलाब सिंह बाड़ी देविंद्र सिंह जरड़ भुटी आशा दलाश पंकज वशिष्ठ मीना डुघीलग दीपिका बरशैणी रेखा ज्येष्ठा रुकमणि लराकेलो अरुणा नसोगी बीर सिंह कोठीचैहणी मान सिंह लझेरी जीवन
हिमाचल निर्माता डॉ वाईएस परमार के पोते ने नारग वार्ड से जिला परिषद् का चुनाव जीत लिया है। परमार ने शानदार जीत दर्ज करते हुए सुभाष शर्मा को हरा दिया है। कांग्रेस प्रत्याशी आनंद परमार को 7395 मत हासिल हुए। लम्बे समय तक परमार के परिवार से कोई भी राजनीती में सक्रिय नहीं था। इस बात पर सबकी नज़रे टिकी हुई थी कि तीसरी पीढ़ीआनंद परमार जीत हासिल करते है या नहीं।
हिमाचल प्रदेश में जिला परिषद और पंचायत समिति वार्ड सदस्यों का चुनाव नतीजे शुक्रवार को घोषित किए गए। प्रदेश भर के कुल 80 ब्लाक मुख्यालयों में सुबह आठ बजे से जिला परिषद और पंचायत समिति सदस्यों के वोटों की गिनती शुरू हो गई थी। कई जगह मतगणना शनिवार सुबह करने का फैसला लिया गया है। प्रदेश को जिप के 239 और बीडीसी के 1638 नए सदस्य मिलेंगे। जिला परिषद ऊना के 17 वार्डों के नतीजे घोषित हो गए हैं। इस बारे में जानकारी देते हुए जिला निर्वाचन अधिकारी एवं उपायुक्त ऊना राघव शर्मा ने बताया कि जिप वार्ड 1 मुबारिकपुर से कुलदीप कुमार विजयी रहे, उन्हें 6870 वोट मिले, सुनीश को 5006 वोट व अमन कुमार को 4479 वोट प्राप्त हुए हैं। जिप वार्ड 2 कुठेहड़ा खैरला से रजनी कुमारी 7669 मत लेकर विजयी रहीं जबकि ऊषा कालिया को 7026 मत प्राप्त हुए। जिप वार्ड 3 ठठल से सतीश कुमार विजय रहे, उन्हें 7292 मत मिले और सरवन सिंह को 4022 मत प्राप्त हुए। जिप वार्ड 4 दियाड़ा से नरेश कुमारी 10846 वोट लेकर विजय रही, जबकि सीमा को 10680 वोट प्राप्त हुए। जिप वार्ड 5 मुच्छाली से सत्या देवी विजय रही हैं, उन्हें 11326 वोट मिले और उर्मिला देवी को 7860 वोट प्राप्त हुए। वार्ड 6 मोमन्यार से कृष्ण पाल विजय रहे, उन्हें 10069 वोट मिले जबकि रणबीर सिंह को 5137 वोट प्राप्त हुए। बसाल अप्पर जिप वार्ड 7 से 9,211 मत लेकर उर्मिला देवी चुनाव जीत गई जबकि मोनिका को 6,286 व अंजना रानी को 1,817 वोट प्राप्त हुए हैं। वार्ड 8 टब्बा से अशोक कुमार विजय रहे, उन्हें 9483 वोट मिले व अभिनव कुमार को 8494 वोट प्राप्त हुए। जिप वार्ड 9 बहडाला से गुलजार सिंह विजय रहे, उन्हें 6675 वोट मिले, मनजीत पाल को 5490 तथा राजिंद्र कुमार को 5205 वोट प्राप्त हुए। वार्ड 10 रायपुर सहोड़ा से नीलम कुमारी विजय रही, उन्हें 10300 वोट मिले तथा रानो देवी को 7910 वोट प्राप्त हुए। जिप वार्ड 11 ललड़ी से कमल किशोर विजय रहे, उन्हें 8364 वोट मिले जबकि अनीता रानी को 5209 वोट प्राप्त हुए। जिप वार्ड 12 पालकवाह से नरेश कुमारी विजय रही हैं, उन्हें 9806 मत मिले तथा रानो देवी को 6915 मत प्राप्त हुए। हरोली वार्ड 13 से रमा कुमारी विजयी रही, उन्हें 9039 वोट मिले तथा शशि को 7615 वोट प्राप्त हुए। पंडोगा वार्ड 14 से ओंकार को 8040 वोट लेकर जीत मिली जबकि अमितपाल को 4500 वोट प्राप्त हुए। अम्बोटा वार्ड 15 से रजनी बाला विजयी रही हैं, उन्हें 9,661 मत मिले जबकि पिंकी देवी को 7,363 वोट मिले। जिप वार्ड 16 संघनेई से संगीता देवी ने चुनाव में जीत दर्ज की उन्हें 6281 वोट मिले, रेखा ठाकुर को 4745 वोट तथ रजनी देवी को 3162 वोट प्राप्त हुए। भंजाल लोअर वार्ड 17 से चैतन्य शर्मा विजय रहे, उन्हें 14789 वोट मिले जबकि विश्वदीप सिंह को 2806 वोट प्राप्त हुए।
कांग्रेस के दिग्गज नेता कौल सिंह ठाकुर की बेटी ने लगातार चौथी बार जीत हासिल कर रिकॉर्ड कायम किया है। चम्पा ठाकुर ने अभी तक जितने भी जिला परिषद् के चुनाव लड़े है वो सभी अलग अलग क्षेत्र से लड़े है, और किसी भी चुनाव में उन्हें हर का मुँह नहीं देखना पड़ा। इस बार चम्पा ठाकुर ने स्योग वार्ड से जिला परिषद का चुनाव लड़ा। उनका मुकाबला यहां दया देवी से हुआ। चम्पा ठाकुर ने 2389 मतों से जीत दर्ज की। चम्पा देवी ने स्योग वार्ड जनता का आभार व्यक्त किया, वंही पिता कौल सिंह ने अपनी बेटी की जीत के लिए बधाई दी। बता दें कि मंडी जिला से अभी तक चम्पा ठाकुर को छोड़ कर किसी भी प्रत्याशी ने लगातार अलग-अलग वार्ड से जीत दर्ज नहीं की है। इसी के आधार पर ये मना जा रहा की उन्होंने पंचायत चुनावों में रिकॉर्ड कायम किया है।
हिमाचल प्रदेश में जिला परिषद और पंचायत समिति वार्ड सदस्यों का चुनाव नतीजे शुक्रवार को घोषित किए गए। प्रदेश भर के कुल 80 ब्लाक मुख्यालयों में सुबह आठ बजे से जिला परिषद और पंचायत समिति सदस्यों के वोटों की गिनती शुरू हो गई थी। कई जगह मतगणना शनिवार सुबह करने का फैसला लिया गया है। प्रदेश को जिप के 239 और बीडीसी के 1638 नए सदस्य मिलेंगे। शिमला में कांग्रेस का दबदबा 1. त्यावल ज्यूरी से चंद्र प्रभा (कांग्रेस) 2. झाकड़ी से कविता 13 वोट से जीती (माकपा) 3. नरैण से त्रिलोक चंद (कांग्रेस) 4. बगलती से हुकुम चंद (कांग्रेस) 5. सीमा रणटाडी से उर्मिला(भाजपा) 6. खशधार से मोनिता चौहान(कांग्रेस) 7. अढ़ाल से सुरेंद्र सिंह (कांग्रेस) 8. टिक्कर से भारती जनारथा (निर्दलीय) 9. सरस्वती नगर से कौशल मुंगटा (कांग्रेस) 10. बढ़ाल से विशाल (माकपा) 11. कलबोग अनिल काल्टा (भाजपा) 12. सरांह-परिणाम आना बाकी 13. मझौली-परिणाम आना बाकी 14. पौड़िया-परिणाम आना बाकी 15. घोड़ना-परिणाम आना बाकी 16. देवरी-वोटिंग जारी 17. केलवी-वोटिंग जारी 18. बल्देआं से रीना (कांग्रेस) 19. बसंतपुर से चुन्नी लाल (माकपा) 20. कुमारसैन से उज्जवल सेन (कांग्रेस) 21. भुट्टी से सुभाष (आजाद) 22. चमियाणा से लता वर्मा (कांग्रेस) 23. जुन्गा से संतोष शर्मा (कांग्रेस) 24. हलोग धामी से प्रभा वर्मा (कांग्रेस)
- स्थानीय भाजपा में मंथन शुरू सिराज में जिला परिषद के चुनाव में 4 वार्डों में भाजपा मात्र 2 पर ही जीत हासिल कर पाई है। भाजपा की हार से हड़कंप की स्थिति है। दरअसल जयराम के गृह क्षेत्र में भाजपा समर्थित 2 प्रत्याशि ही जीत हासिल कर पाए है। - जिला परिषद के मझोठी वार्ड से भाजपा समर्थित रजनी ने करीब 5 हजार मतों से जीत हासिल की। - रोड वार्ड से सराज भाजपा महिला मोर्चा की अध्यक्षा खिम दासी ने 7 हजार से भी ज्यादा मतों से जीत हासिल की। - सिराज भाजपा को थाची वार्ड में झटका लगा है। यहां लगातार दूसरी बार भाजपा समर्थित उम्मीदवार को हार का सामना करना पड़ा है. यहाँ जिला परिषद सदस्य व भाकपा नेता संतराम की धर्म पत्नी हिमा देवी ने 2577 मतों के अंतर से जीत दर्ज की। - ब्रेउगी वार्ड से निर्दलीय मीरा चौहान ने भी भाजपा समर्थित रीता देवी को 144 मतों से हराया।
हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के विकास खंड के टिक्करी डुहकी वार्ड से 23 वर्षीय युवा मीनाक्षी ने 31 मतों से जीत हासिल कर बीडीसी पद पर कब्जा किया है। मीनाक्षी के परिवार में आज दिन तक किसी भी सदस्य ने राजनीतिक तौर पर कोई भी चुनाव नहीं लड़ा है और न ही किसी को इस क्षेत्र में रुचि है। मीनाक्षी प्रदेश के निजी विश्वविद्यालय से एमबीए की पढ़ाई कर रही हैं। गांव में लोगों की समस्याओं व उनके रहन-सहन को देखते हुए उन्होंने राजनीति में आकर लोगों के लिए कुछ करने का संकल्प लिया है। उन्होंने कहा कि भाजपा व कांग्रेस में जाने का कोई विचार नहीं है और यह सब भविष्य में देखा जाएगा। उन्होंने बताया कि बीडीसी की भूमिका में सफलता मिलने पर आगे की राजनीति पर वो विचार करेंगी।
हिमाचल प्रदेश में जिला परिषद और पंचायत समिति वार्ड सदस्यों का चुनाव नतीजे शुक्रवार को घोषित किए गए। प्रदेश भर के कुल 80 ब्लाक मुख्यालयों में सुबह आठ बजे से जिला परिषद और पंचायत समिति सदस्यों के वोटों की गिनती शुरू हो गई थी। कई जगह मतगणना शनिवार सुबह करने का फैसला लिया गया है। प्रदेश को जिप के 239 और बीडीसी के 1638 नए सदस्य मिलेंगे। जिला सोलन के जिला परिषद वार्ड वार्ड 1 दाड़लाघाट हीरा कौशल वार्ड 2 धुन्धन भुवनेश्वरी वार्ड 3 डुमैहर आशा परिहार वार्ड 4 कुनिहार अमरसिंह ठाकुर वार्ड 5 सिरिनगर लीला देवी वार्ड 6 सलोगड़ा मनोज वर्मा वार्ड 7 सपरून राजेन्द्र सिंह रंजू वार्ड 8 धर्मपुर दर्पणा ठाकुर वार्ड 9 कसौली (गड़खल) रीना देवी वार्ड 10 दड़वा वार्ड 11 बरोटीवाला वार्ड 12 खेड़ा शांति देवी वार्ड 13 मंझोली सरबजीत कौर वार्ड 14 दभोटा सुमन वार्ड 15 बवासनी राहुल शर्मा वार्ड 16 रतवाड़ी कमलेश पंवर वार्ड 17 कुण्डलु जुखडी मुख्तयार कौर
हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में पंचायत समिति के वार्ड-15 पीणी तलपीणी से ओमप्रकाश 22 साल की उम्र में बीडीसी सदस्य का चुनाव जीत गए हैं। उन्होंने बतौर आजाद उम्मीदवार चार दिग्गज प्रत्याशियों को कड़ी टक्कर दी। ओमप्रकाश ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी को 182 मतों से हराया। ओम प्रकाश तलपीणी पंचायत के फलाटी गांव से संबंध रखते हैं। उन्होंने वर्ष 2017 से 2019 तक आईटीआई शमशी में ड्राफ्ट्समैन सिविल इंजीनियरिंग का डिप्लोमा किया है। आईटीआई डिप्लोमा करने के बाद उन्होंने नौकरी नहीं की, लेकिन अब राजनीति में उतरकर अपने क्षेत्र का विकास करना चाहते हैं। पीणी व तलपीणी पंचायत के कई गांव अभी भी सड़क से महरूम हैं। क्षेत्र में कई सुविधाओं का अभाव है। तलपीणी और पीणी पंचायत के रास्तों की हालत भी सुधारी जाएगी। जीत के बाद उन्हें बधाई देने वालों का तांता लगा है।
हिमाचल प्रदेश में जिला परिषद और पंचायत समिति वार्ड सदस्यों का चुनाव नतीजे शुक्रवार को घोषित किए गए। प्रदेश भर के कुल 80 ब्लाक मुख्यालयों में सुबह आठ बजे से जिला परिषद और पंचायत समिति सदस्यों के वोटों की गिनती शुरू हो गई थी। कई जगह मतगणना शनिवार सुबह करने का फैसला लिया गया है। प्रदेश को जिप के 239 और बीडीसी के 1638 नए सदस्य मिलेंगे। जिला परिषद मंडी के निर्वाचित सदस्यों की सूची : जिप वार्ड विजेता हारा प्रत्याशी जीत का अंतर ढेलू लीला देवी(कांग्रेस) कल्पना देवी(आजाद) 804 बथेरी शारदा(भाजपा नेरघरवासड़ा विजय कुमार(कांग्रेस) तेज सिंह(बीजेपी) 525 डलाह रविकांत(माकपा) भराडू कुशाल भारद्वाज( माकपा) भागीरथ(भाजपा) 7000 नगवाईं रीता(कांग्रेस) रेखा(भाजपा) 251 सयोग चंपा ठाकुर कटौला इंद्रा देवी थाची हीमा देवी(माकपा) सुशीला(भाजपा) 2597 बासा मुकेश चंदेल(भाजपा) ज्ञान चंद(भाजपा) 734 मझोठी द्रोमपति देवी(भाजपा) लीला देवी 5569 रोड़ खेम दासी(भाजपा) गीता देवी(कांग्रेस) 7383 ब्रयोगी मीरा देवी(निर्दलीय) रीता देवी(भाजपा) 144 नौण हुकम सिंह चुराग चेतन सिंह(भाजपा) कीतिश कुमार(निर्दलीय) 4388 ममेल बिहारी लाल शर्मा सराहन किशोरी लाल सांविधार सीमा डैहर कर्म चंद(भाजपा) देवराज(निर्दलीय) 472 सलापड़ अंजु देवी(भाजपा) लता देवी(कांग्रेस) 406 खिलड़ा भूपेंद्र ठाकुर( भाजपा ) हेम सिंह ठाकुर(निर्दलीय) 2462 महादेव जसवीर सिंह(निर्दलीय) नंद लाल ठाकुर(भाजपा) 7180 कोट(ब्लह) ज्ञान चंद(भाजपा) मनोज कुमार(कांग्रेस) 3867 भडयाल पाल वर्मा बैहल मनीषा ठाकुर लोअर रिवालसर प्रियंता शर्मा कोट(गोपालपुर) ज्ञान चंद बलद्वाड़ा ऊषा(भाजपा) कल्पना(कांग्रेस) 418 थौना चंद्रमोहन(भाजपा) पृथ्वी राज(भाजपा-बागी) 9464 जनेड वेद प्रकाश कोटली कमलेश कुमारी लौंगणी जगदीश चंद(भाजपा) रोशन लाल(आजाद) 4005 नवाही मुनीष(निर्दलीय) जयकुमार(कांग्रेस) 4548 ग्रियोह वंदना गुलेरिया(भाजपा) भूपेंद्र सिंह(माकपा) 724 लांगणा ममता भाटिया(भाजपा) निर्मला देवी(कांग्रेस) 2789 दतवाड़ मीना कुमारी(भाजपा) निशा देवी(कांग्रेस) 583 पूर्व मंत्री एवं कांग्रेस के दिग्गज नेता कौल सिंह ठाकुर की बेटी चंपा ठाकुर ने जिला परिषद के चुनावों में लगातार चौथी बार जीत दर्ज करके नया रिकार्ड कायम किया है। रिकार्ड इस बात को लेकर भी बन रहा है कि चंपा ठाकुर ने अब तक जिला परिषद के जीतने भी चुनाव लड़े वह सभी सदर क्षेत्र के अलग-अलग वार्डों से लड़े और किसी में भी हार का मुहं नहीं देखना पड़ा। जिला परिषद में कांग्रेस की करारी हार, भाजपा की प्रचंड जीत 20 सीटों पर भाजपा का प्रत्यक्ष रूप से हुआ कब्जा कम्युनिस्टों के खाते में गई 3 सीटें जबकि 12 आजाद उम्मीदवार जीते 12 आजाद विजेताओं में से 3 कांग्रेस और 3 भाजपा समर्थित मंडी में भाजपा के नाम हुई जिला परिषद अध्यक्ष और उपाध्यक्ष की कुर्सी सीएम के घर सिराज में जिला परिषद के चुनाव में 4 वार्डों में भाजपा मात्र 2 पर ही जीत हासिल कर पाई है। भाजपा की हार से हड़कंप की स्थिति है। दरअसल जयराम के गृह क्षेत्र में भाजपा समर्थित 2 प्रत्याशि ही जीत हासिल कर पाए है। जिला परिषद के मझोठी वार्ड से भाजपा समर्थित रजनी ने करीब 5 हजार मतों से जीत हासिल की। रोड वार्ड से सराज भाजपा महिला मोर्चा की अध्यक्षा खिम दासी ने 7 हजार से भी ज्यादा मतों से जीत हासिल की। सिराज भाजपा को थाची वार्ड में झटका लगा है। यहां लगातार दूसरी बार भाजपा समर्थित उम्मीदवार को हार का सामना करना पड़ा है।यहाँ जिला परिषद सदस्य व भाकपा नेता संतराम की धर्म पत्नी हिमा देवी ने 2577 मतों के अंतर से जीत दर्ज की। ब्रेउगी वार्ड से निर्दलीय मीरा चौहान ने भी भाजपा समर्थित रीता देवी को 144 मतों से हराया।
हिमाचल प्रदेश में जिला परिषद और पंचायत समिति वार्ड सदस्यों का चुनाव नतीजे शुक्रवार को घोषित किए गए। प्रदेश भर के कुल 80 ब्लाक मुख्यालयों में सुबह आठ बजे से जिला परिषद और पंचायत समिति सदस्यों के वोटों की गिनती शुरू हो गई थी। कई जगह मतगणना शनिवार सुबह करने का फैसला लिया गया है। प्रदेश को जिप के 239 और बीडीसी के 1638 नए सदस्य मिलेंगे। जिला परिषद हमीरपुर के निर्वाचित सदस्यों की सूची : वार्ड 1 बगेहड़ा रणजीत सिंह राणा वार्ड 2 करोट सुमना देवी वार्ड 3 दरोगण पति कोट बबली वार्ड 4 धलोट मोहिंद्र सिंह वार्ड 5 जंगलरोपा नरेश कुमार दर्जी वार्ड 6 अणु आशा देवी वार्ड 7 धीरड़ पवन कुमार वार्ड 8 जाहू राजकुमारी वार्ड 9 खरवाड़ रमन वर्मा वार्ड 10 भोरंज मनु बाला वार्ड 11 करेर राजेश कुमार वार्ड 12 बिझड़ी मीना कुमारी वार्ड 13 बड़सर बीना देवी वार्ड 14 दांदड़ू संजीव कुमार वार्ड 15 लहड़ा संजीव कुमार वार्ड 16 मालग संजय कुमार वार्ड 17 बेला इंदु बाला वार्ड 18 नौहंगी आशीष कुमार जिला परिषद की अणु वार्ड से कांग्रेस समर्थित आशा कुमारी ने भाजपा समर्थित बीना देवी को दी शिकस्त। 2024 मतों से भाजपा उम्मीदवार बीना देवी को हराया। जिला परिषद जंगल रोपा वार्ड आजाद उम्मीदवार नरेश कुमार दर्जी जीते। आजाद उम्मीदवार ने भाजपा और कांग्रेस दोनों उम्मीदवारों को हराया 810 मतों से जीत की हासिल। जिला परिषद के करेर वार्ड से भाजपा समर्थित उम्मीदवार राजेश कुमार उर्फ मानंगा ने जीत की हासिल अपने प्रतिनिधियों को दी करारी शिकस्त।
राहुल गांधी ने तीन केंद्रीय कृषि कानूनों को लेकर एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा और दावा किया कि कृषि क्षेत्र पर तीन-चार पूंजीपतियों का एकाधिकार हो जाएगा जिसकी कीमत मध्यम वर्ग और युवाओं को चुकानी होगी। मैं युवाओं से कहना चाहता हूँ की उनसे उनकी आज़ादी छीनी जा रही है। मुट्ठीभर लोगों का देश की अर्थव्यवस्था पर कब्जा हो रहा है और ये सभी लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दोस्त हैं। राहुल गांधी ने कहा कि आज देश के सामने एक त्रासदी आ गई है, सरकार देश की समस्या नजरअंदाज करना चाहती है और गलत सूचना दे रही है। मैं अकेले किसानों के बारे में बोलने वाला नहीं हूं। किसानों का संकट इस त्रासदी का एक हिस्सा मात्र है। यह वर्तमान के बारे में नहीं बल्कि युवाओं के भविष्य के बारे में है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार की कोशिशों के बावजूद किसान थकने वाले नहीं हैं क्योंकि 'वे प्रधानमंत्री से ज्यादा समझदार हैं।'
देश में कोरोना टीकाकरण अभियान शुरू होते ही सियासी बयानबाज़ी का दौर भी शुरू हो गया हैl एक तरफ जहां भारत ने पहले दिन दो लाख से अधिक लोगों को टीका लगाकर रिकॉर्ड बनाया। वहीं, दूसरी तरफ राजनीती में बड़े कद के नेता वेक्सिनेशन पर अपनी राजनैतिक रोटियां सेकने से बाज़ नहीं आ रहे जिसकी झलक राजधानीं दिल्ली में देखने को मिल रही है। दरअसल, टीकाकरण के पहले दिन दिल्ली में लक्ष्य से आधे लोगों को ही वैक्सीन दी जा सकी जिस पर काफी विवाद हो रहा है l हर राज्य में एक दिन में वैक्सीनेशन को लेकर कुछ टारगेट रखे गए हैंl 16 जनवरी को वैक्सीनेशन के पहले दिन दिल्ली में कुल 8100 लोगों को टीका लगना था लेकिन ये लक्ष्य पूरा नहीं किया जा सका। इस बात को मुद्दा बना कर कांग्रेस ने प्रश्न उठाया है कि केंद्र और दिल्ली की तीनों एमसीडी में बीजेपी सत्ता में है, फिर भी इतना कम वैक्सीनेशन क्यों हुआ है।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने एक बार फिर मोदी सरकार पर निशाना साधा है। राहुल गाँधी ने ट्वीट कर मोदी सरकार पर किसानों की पूंजी हड़पने का आरोप लगाया है। राहुल गांधी ने ट्वीट किया कि अपने सूट-बूट वाले दोस्तों का 8,75,000 करोड़ का कर्ज माफ करने वाली मोदी सरकार अन्नदाताओं की पूंजी साफ करने में लगी है। किसान आंदोलन को लेकर राहुल गांधी लगातार मोदी सरकार पर हमलावर हैं। इससे पहले राहुल गांधी यह तक कह चुके हैं कि प्रधानमंत्री देश के किसानों की इज्जत नहीं करते और बार-बार बातचीत कर सिर्फ किसानों को थकाना चाहते हैं। राहुल गांधी ने यह दावा किया था कि नरेंद्र मोदी भले ही देश के प्रधानमंत्री हो लेकिन उनका रिमोट कंट्रोल कुछ पूंजीपतियों के हाथ में ही है। राहुल गांधी और प्रियंका कृषि कानूनों के खिलाफ उप राज्यपाल के निवास के निकट आयोजित कांग्रेस के विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए थे। केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ कांग्रेस ने शुक्रवार को ‘किसान अधिकार दिवस’ मनाया।
उतर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी अपने दो दिवसीय दिल्ली दौरे पर है। इस दौरान उन्होंने कल अमितशाह और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात की थी। आज योगी प्रधानमंत्री नरेंदर मोदी से मुलाकात करंगे। यह मुलाकात दोपहर के समय होगी। मुलाकात के दौरान मंत्री मंडल में विस्तार से कोरोना वैक्सीन को लेकर चर्चा की जाएगी। इसके आलावा वो प्रधानमंत्री मोदी को उनके ड्रीम प्रोजेक्ट काशी कॉरिडोर की प्रगति रिपोर्ट भी देंगे। मुखयमंत्री योगी आदित्यनाथ, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से यूपी में होने वाले विधान परिषद और पंचायत चुनाव की तैयारियों पर बात करने के साथ-साथ मकर सक्रांति के बाद यूपी के मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर भी बातचीत कर सकते है।
सोलन विधायक डॉ कर्नल धनीराम शांडिल के बदले तेवरों से सोलन कांग्रेस का कलेवर बदलता दिख रहा हैं. मिस्टर कूल शांडिल ने अब कर्नल वाले तेवर इख्तियार किये हैं जिससे कांग्रेस ज्यादा अनुशासित दिख रही हैं, बेशक उनकी दखल सिर्फ सोलन निर्वाचन क्षेत्र के मामलों तक ही सिमित हैं, लेकिन असर साथ लगते क्षेत्रों में भी दिख रहा हैं. हालांकि जिला अध्यक्ष के साथ उनकी खींचतान भी जगजाहिर हो चुकी हैं लेकिन लगता हैं कर्नल शांडिल के आगे जिला अध्यक्ष की चल नहीं रही. इसका ताजा प्रमाण हैं जिला परिषद् चुनाव के लिए शांडिल द्वारा अपने तीन प्रत्याशी घोषित करना. पहली बार शांडिल ने इस तरह खुलकर आये हैं जिससे कांग्रेस में एक आस जगी हैं और विश्वास भी. वैसे भी जिला कांग्रेस की सक्रियता बंद कमरों तक सिमटी हैं, सरकार के खिलाफ मैदानी जंग में जिला कांग्रेस संगठन कही नहीं दिखा रहा. सरकार की बड़ी नाकामियां भी कांग्रेस मजबूती से उठाने में विफल रही हैं. ऐसे में कांग्रेस में जिस आक्रामकता की कमी दिख रही हैं उसकी भरपाई अब शांडिल करते दिख रहे हैं. न सिर्फ शांडिल के फैसलों में आक्रमता हैं बल्कि मैदान में भी उनकी बढ़ती मौजूदगी कांग्रेस में नया जोश भर रही हैं. उधर जिला अध्यक्ष शिवकुमार को भी कुछ बड़े नेताओं का साथ मिला हुआ हैं, पर उनकी राह जरा भी आसान नहीं हैं. खासतौर से सोलन निर्वाचन क्षेत्र में कण्ट्रोल पूरी तरह कर्नल शांडिल के हाथ में हैं. शहरी कांग्रेस सोलन और ब्लॉक कांग्रेस पर भी शांडिल का ही पकड़ दिख रही हैं. ऐसे में कांग्रेस में कब जिला संगठन के खिलाफ मुख़ालफ़त देखने को मिल जाएं, कुछ कहा नहीं जा सकता. सुल्तानपुरी की बढ़ती सक्रियता का चर्चा आम: एक और बात जिसकी चर्चा इन दिनों सोलन के राजनैतिक गलियारों में हैं वो हैं विनोद सुल्तानपुरी की सोलन में बढ़ती सक्रियता. सुल्तानपुरी बेहद कड़े मुकाबले में बीते दो चुनाव कसौली निर्वाचन क्षेत्र से हार चुके हैं. उनकी हार का कारण भीतरघात को माना जाता रहा हैं. अब सुल्तानपुरी अचानक सोलन में क्यों इतने सक्रीय हो गए, इसे लेकर खूब चर्चा हैं. अब इसके क्या कारण हो सकते हैं इसे लेकर सब अपने हिसाब से अनुमान लगा रहे हैं. 2022 की तैयारी में शांडिल: बहरहाल, 2022 के चुनाव में बेशक शांडिल की उम्र 82 वर्ष होगी लेकिन फिलवक्त वे ही सोलन निर्वाचन क्षेत्र में कांग्रेस का सबसे बड़ा चेहरा हैं और उनका विकलप कांग्रेस के पास नहीं दिख रहा हैं. उनके ताजा फैसलों को भी 2022 की चुनावी रणनीति के तौर पर ही देखा जा रहा हैं. दरअसल शांडिल संगठन में अपनी ब्रिगेड तैयार करना चाहते हैं ताकि 2022 में उनकी राह आसान हो. अब कर्नल के तेवर ज़ारी रहते हैं या कोई नया ट्विस्ट आता हैं, ये देखना रोचक होगा. आखिर राजनीति में कुछ भी मुमकिन हैं.
हिमाचल प्रदेश में होने वाले शहरी निकाय चुनाव के लिए वीरवार को नामांकन वापिस लेने की आखरी तारीक तय की गयी थी। राज्य चुनाव आयोग से मिली जानकारी के मुताबिक वीरवार शाम 6 बजे तक कुल 310 उम्मीदवारों ने अपने नाम वापस ले लिए हैं। हिमाचल के पचास शहरी निकाय के चुनाव में अब 1191 उम्मीदवारों ने चुनाव मैदान में रह गए है । नाम वापस लेने वाले प्रत्याशी चुनाव मैदान छोड़ गए हैं। इसके साथ ही उम्मीदवारों को चुनाव चिह्न भी आवंटित कर दिए गए हैं। बता दें की शहरी निकाय चुनाव के लिए 10 जनवरी को मतदान होगा। मतदान के बाद मतों की गणना होगी और इसी दिन चुनाव नतीजे भी घोषित कर दिए जाएंगे। 12 जनवरी को चुनाव प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी। उधर, राज्य चुनाव आयोग के अधिकारियों के अनुसार अब शहरी निकाय चुनाव में 1191 प्रत्याशी अपना भाग्य आजमाएंगे। जिला नामांकन वापस कुल मैदान में कुल्लू 27 82 मंडी 28 152 सिरमौर 02 92 बिलासपुर 11 76 चंबा 43 94 ऊना 73 125 कांगड़ा 31 230 हमीरपुर 09 118 सोलन 46 93 शिमला 40 129
नगर पंचायत अर्की के 07 वार्डों के निर्वाचन के लिए नामांकन वापसी के उपरान्त अब कुल 19 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं। इन सभी को आज चुनाव पर्यवेक्षक हेमिस नेगी की उपस्थिति में नियमानुसार चुनाव चिन्ह आवंटित कर दिए गए। यह जानकारी उपमण्डलाधिकारी एवं निर्वाचन अधिकारी विकास शुक्ला ने दी। नगर पंचायत अर्की के वार्ड संख्या-1 में कान्ता देवी तथा निर्मला देवी चुनाव मैदान में है। कान्ता देवी को चुनाव चिन्ह के रूप में कुर्सी तथा निर्मला देवी को चुनाव चिन्ह के रूप में ताला-चाबी आवंटित किया गया है। नगर पंचायत अर्की के वार्ड संख्या-2 में गौरव ठाकुर, दीवान चन्द, लक्ष्मी सिंह तथा सुरेन्द्र कुमार चुनाव मैदान में हैं। चुनाव चिन्ह के रूप में गौरव ठाकुर को कुर्सी, दीवान चन्द को ताला-चाबी, लक्ष्मी सिंह को सिलाई मशीन तथा सुरेन्द्र कुमार को हवाई जहाज आवंटित किया गया है। नगर पंचायत अर्की के वार्ड संख्या-3 में भारती वर्मा तथा श्यामा मैदान में हैं। भारती वर्मा को कुर्सी तथा श्यामा को ताला-चाबी चुनाव चिन्ह आवंटित किया गया है। नगर पंचायत अर्की के वार्ड संख्या-4 में अनुज गुप्ता, नरेन्द्र कुमार तथा राजीव कुमार चुनाव मैदान में हैं। चुनाव चिन्ह के रूप में अनुज गुप्ता को कुर्सी, नरेन्द्र कुमार को ताला-चाबी तथा राजीव कुमार को सिलाई मशीन आवंटित किया गया है। नगर पंचायत अर्की के वार्ड संख्या-5 में कमलेश गुप्ता तथा हेमेन्द्र कुमार चुनाव मैदान में हैं। कमलेश गुप्ता को कुर्सी चुनाव चिन्ह तथा हेमेन्द्र कुमार को ताला-चाबी चुनाव चिन्ह आवंटित किया गया है। नगर पंचायत अर्की के वार्ड संख्या-6 में अंकुश शर्मा, गौरव गुप्ता तथा धर्मपाल चुनाव मैदान में हैं। अंकुश शर्मा को कुर्सी चुनाव चिन्ह, गौरव गुप्ता को ताला-चाबी चुनाव चिन्ह तथा धर्मपाल को सिलाई मशीन चुनाव चिन्ह आवंटित किया गया है। नगर पंचायत अर्की के वार्ड संख्या-7 में भावना, रूचिका गुप्ता तथा संतोष चुनाव मैदान में हैं। भावना को कुर्सी चुनाव चिन्ह, रूचिका गुप्ता को ताला-चाबी चुनाव चिन्ह तथा संतोष को सिलाई मशीन चुनाव चिन्ह आवंटित किया गया है। नगर पंचायत अर्की के लिए मतदान 10 जनवरी, 2021 को प्रातः 8.00 बजे से सांय 4.00 बजे तक होगा।
तमिलनाडु में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले सुपरस्टार रजनीकांत ने बड़ा ऐलान किया है। रजनीकांत ने मंगलवार को एक बयान जारी करते हुए कहा कि वो कोई राजनीतिक दल नहीं बनाने जा रहे हैं। हालांकि, तमिलनाडु के लोगों के लिए काम करते रहेंगे। रजनीकांत ने अपने बयान में कहा कि बीते दिनों उनकी तबीयत में जो गिरावट हुई है, वो इसे भगवान की चेतावनी मानते हैं और राजनीतिक पार्टी नहीं बनाने का फैसला करते हैं। रजनीकांत ने कहा है कि वो ऐसा नहीं चाहते हैं कि लोग ये समझें कि उन्हें बलि का बकरा बना दिया गया है। बता दें, इससे पहले रजनीकांत की ने ऐलान किया था कि वह 31 दिसंबर को अपने राजनीतिक दल का ऐलान करेंगे जिसके बाद तमिलनाडु में होने वाले विधानसभा चुनाव में उनका लड़ना तय होगा और रजनीकांत मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार बन सकते हैं। लेकिन कुछ समय पहले जब रजनीकांत हैदराबाद में अपनी फिल्म की शूटिंग कर रहे थे, तब उनकी तबीयत अचानक बिगड़ गई थी। रजनीकांत को इसके बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां बीते दिन ही उन्हें छुट्टी मिली थी।
बिहार में चुनाव भले ही ख़त्म हो गए हो मगर सियासी घमासान जारी है, अब RJD (राष्ट्रीय जनता दल) के वरिष्ठ नेता और पू्र्व विधानसभा स्पीकर उदय नारायण चौधरी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को बड़ा ऑफर दे दिया है। उदय नारायण चौधरी ने कहा है कि 'अगर नीतीश कुमार तेजस्वी को मुख्यमंत्री बना दें तो उनको 2024 में प्रधानमंत्री के लिए विपक्षी पार्टियां समर्थन कर सकती हैं। यानी आरजेडी ने सरकार में आने की उम्मीद अब भी नहीं छोड़ी है और वो एक बार फिर से नीतीश कुमार के साथ जाने के लिए तैयार नजर आ रही है और इसके लिए नीतीश कुमार को दिल्ली भेजने का ऑफर तक दे दिया है। हालांकि, इसकी वजह बीजेपी और जेडीयू के बीच बढ़ रही खींचतान ही है। बिहार में नई सरकार बनने के बाद अब तक कैबिनेट का विस्तार नहीं हुआ है, सत्ता मिले अभी कुछ ही दिन हुए है कि सत्ताधारी एनडीए में अंतर्कलह की सुगबुगाहट नज़र आ रही है । ज्यादा सीटें जीतने वाली बीजेपी ने भले ही वादे के मुताबिक नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बना दिया हो लेकिन भाजपा को अब उनकी मौजूदगी खेलने लगी है। वहीं अरुणाचल में जेडीयू विधायकों का बीजेपी में जाना बिहार की सियासत को सुलगा गया है । एनडीए की इस खलबली पर विपक्ष पैनी नजर बनाए हुए है और जीत की दहलीज तक पहुंचने वाली RJD को इस आपसी मतभेद में संभावनाएं नजर आने लगी हैं। बीजेपी को मिलीं ज्यादा सीटें दरअसल, 243 सीटों वाली बिहार विधानसभा में एनडीए को 125 सीटों पर जीत मिली थी। इनमें 74 सीटों पर बीजेपी ने जीत दर्ज की थी जबकि जेडीयू 43 पर सिमट गई थी। यानी बीजेपी को जेडीयू से काफी ज्यादा सीटें मिली थीं। बावजूद इसके बीजेपी ने नीतीश कुमार का नेतृत्व ही स्वीकार किया क्योंकि उनके चेहरे पर ही पूरा चुनाव लड़ा गया था। लेकिन नीतीश कैबिनेट में बीजेपी अपनी सीटों के हिसाब से ज्यादा भागीदारी चाहती है। इस बात पर विवाद भी गहरा रहा है। जवाब में जेडीयू ने बीजेपी को 2010 के चुनाव की याद दिलाई है।
- नगर परिषद् परवाणु चुनाव को 37 ने भरा नामांकन - नामंकन वापसी के बाद स्पष्ट होगी तस्वीर नगर परिषद् परवाणु चुनाव में कुल 37 उम्मीदवारों ने नामांकन दाखिल किए है। सोमवार को नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि थी और 10 प्रत्याशियों ने नामांकन दाखिल किए। इससे पहले शनिवार तक कुल 27 प्रत्याशियों ने नामांकन दाखिल किए थे। कुल 9 वार्डों के लिए ये 37 नामांकन दाखिल हुए है। इनमे से 9 - 9 प्रत्याशियों को कांग्रेस व भाजपा का समर्थन प्राप्त है जबकि 19 बिना किसी राजैनतिक दल के समर्थन के मैदान में है। अब इन 19 प्रत्याशियों में से कितने मैदान में डटे रहते है ये तो नामांकन वापसी की अंतिम तिथि यानी 30 दिसंबर के बाद ही स्पष्ट होगा। भाजपा समर्थित उम्मीदवारों की बात करें तो वार्ड एक से खुद महिला आयोग अध्यक्ष डेज़ी ठाकुर मैदान में उतरी है। वहीँ वार्ड 2 से रजनी सिंगला प्रत्याशी है। वार्ड नम्बर 3,4,5 महिला आरक्षित है जहाँ किरन चौहान, गायत्री देवी व रचना रानी उम्मीदवार है। वहीँ वार्ड 6 में अनीता शर्मा, वार्ड 7 में रंजीत ठाकुर, वार्ड 8 से शकुंतला पांटा और वार्ड 9 से पूजा गोयल प्रत्याशी हैं। वहीँ कांग्रेस समर्थित प्रत्याशियों की बात करे तो वार्ड एक से काजल उम्मीदवार है जो पिछले चुनावों में भी डेज़ी ठाकुर को कड़ी टककर दे चुकी हैं। वार्ड 2 से लखविंदर सिंह उम्मीदवार है जो चुनावी दंगल में नया पर मजबूत चेहरा माना जा रहा हैं। वहीँ वार्ड 3, 4 व 5 से शशि गर्ग, चंद्रावती व सोनिया शर्मा उम्मीदवार है. वहीँ वार्ड 6 से निवर्तमान नगर परिषद् अध्यक्ष ठाकुरदास शर्मा चुनाव लड़ रहे हैं। जबकि वार्ड 7 से प्रेमलता व वार्ड 8 से मोनिशा उम्मीदवार हैं। वार्ड नंबर 9 से कांग्रेस ने निशा शर्मा का समर्थन करने का फैसला लिया हैं। वहीँ निर्दलीय उम्मीदवारों की बात करें तो सबसे ज्यादा चर्चा राकेश भाटिया की है, जो वार्ड 1 से उम्मीदवार हैं. भाटिया की एंट्री से इस वार्ड के समीकरण बदल सकते हैं। ऐसे में उन पर सबकी निगाहें होगी।
-डेजी ठाकुर और ठाकुरदास शर्मा दोनों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है ये चुनाव नगर परिषद् परवाणु के चुनाव 10 जनवरी को होने है. सभी 9 वार्डों में इस मर्तबा रोचक टक्कर देखने को मिल सकती है. बेशक चुनाव पार्टी सिंबल पर नहीं हो रहे पर अध्यक्ष पद पर कब्ज़ा ज़माने के लिए दोनों पार्टी के दिग्गजों की नज़र टिकी है. अध्यक्ष पद कब्जाने के लिए इन दिग्गजों को खुद तो चुनाव जीतना ही होगा, साथ ही उनके समर्थित कम से कम 4 अन्य पार्षद भी चुनाव जीतने चाहिए. आज चर्चा करते है उन दो चेहरों के बारे में जो अध्यक्ष पद के बड़े दावेदार है. प्रदेश महिला आयोग अध्यक्ष डेजी ठाकुर की एंट्री ने इस चुनाव को रोचक बना दिया है. वह वार्ड 1 से भाजपा समर्थित प्रत्याशी है, वर्तमान में पार्षद भी है और पहले नगर परिषद् की अध्यक्ष भी रह चुकी है. उनका निकाय चुनाव में फिर उतरने के मतलब है स्पष्ट है की अध्यक्ष पद पर उनकी नज़र टिकी है. डेजी ठाकुर एक बड़ा नाम है, स्वास्थ्य मंत्री और स्थानीय विधायक डॉ राजीव सैजल का समर्थन भी उन्हें प्राप्त है और भाजपा का मजबूत संगठन भी उनके पक्ष में जाता है. पर उनकी राह इतनी आसान भी नहीं है. कांग्रेस के समर्थन से इस बार फिर वार्ड 1 से काजल मैदान में है जिन्होंने पिछले चुनाव में डेजी ठाकुर को जमकर टक्कर दी थी. काजल की सादगी और जमीनी जुड़ाव उनके पक्ष में जाता है. बेशक कांग्रेस का संगठन भाजपा के मुकाबले कमजोर है, लेकिन परवाणु में स्थानीय कांग्रेस को कम आंकना भाजपा की भूल हो सकती है. वहीँ सोमवार को निर्दलीय उम्मीदवार राकेश भाटिया ने भी ताल ठोक दी है, जो इस मुकाबले का समीकरण बदल सकते है. बहरहाल नाम वापसी की तिथि के बाद ही असल तस्वीर स्पष्ट होगी. उधर राज्य महिला आयोग अध्यक्ष का नगर परिषद् चुनाव लड़ना विरोधियों को उनका डिमोशन लग रहा है . वहीँ समर्थक इसे डेजी ठाकुर का परवाणु से प्यार और जुड़ाव करार दे रहे है. पर इतना तय है की ये नतीजा सीधे तौर पर भविष्य में डेजी ठाकुर का राजनैतिक कद तय कर सकता है. कांग्रेस की बात करें तो वार्ड 6 से ठाकुरदास शर्मा मैदान में है जो निवर्तमान अध्यक्ष भी है . इस चुनाव में ठाकुरदास शर्मा फ्रंट से कांग्रेस की तरफ से लीड कर रहे है. मकसद साफ़ है की कैसे भी कम से कम 5 वार्डों में पार्टी समर्थित लोग जीते और दोबारा अध्यक्ष पद कब्जाया जा सके. कई वार्डों में कांग्रेस ने बाहरी उम्मीदवारों को भी समर्थन दिया है जो ठाकुरदास की रणनीति का ही हिस्सा है. ठाकुरदास अपने पांच साल के कामकाज पर वोट मांग रहे है. पिछले चुनाव में ठाकुरदास वार्ड 8 से चुनाव जीते थे किन्तु इस मर्तबा वार्ड 8 महिला आरक्षित है ऐसे में ठाकुरदास ने वार्ड 6 का रुख किया है जहाँ भाजपा समर्थित अनीता शर्मा से उनका सीधा मुकाबला है. आज़ाद उम्मीदवार भी इस वार्ड से मैदान में है किन्तु फिलहाल टक्कर ठाकुरदास शर्मा और अनीता शर्मा के बीच ही दिख रही है. ठाकुरदास शर्मा कसौली ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष भी है और पिछले चुनाव रिकॉर्ड मार्जिन से जीते थे. ऐसे में इस बार उनके सामने खुद को फिर साबित करने की चुनौती तो है ही , अन्य वार्डों में भी पार्टी समर्थित उम्मीदवारों को अच्छा करवाने का ज़िम्मा भी है . इस दोहरी चुनौती में ठाकुरदास शर्मा कितना खरा उतारते है ये तो 10 जनवरी को ही पता चलेगा. बहरहाल इतना तय है की परवाणु नगर परिषद् का मुकाबला बराबरी का है जहाँ कुछ भी संभव है.
- जिला अध्यक्ष को साइडलाइन कर शांडिल घोषित कर चुके हैं तीन उम्मीदवार - जिला अध्यक्ष ने घोषित किये 12 समर्थित उम्मीदवार, एक शांडिल की पसंद - 12 में शामिल नहीं कुनिहार और सिरिनगर से उम्मीदवार जिला परिषद् प्रत्याशियों को लेकर कांग्रेस के जिला संगठन और सोलन विधायक कर्नल डॉ धनीराम शांडिल की तकरार खुल कर सामने आ गई है। संगठन दो फाड़ हैं, कुछ शांडिल के साथ हैं तो कुछ जिला अध्यक्ष के साथ. शांडिल जिला परिषद् के तीन प्रत्याशी घोषित कर एलान कर चुके हैं कि उनके द्वारा घोषित प्रत्याशी ही कांग्रेस द्वारा समर्थित प्रत्याशी हैं और इनमें कोई बदलाव नहीं होगा। शांडिल के तेवरों ने कांग्रेस के कई खेमों की नींद उड़ा दी हैं। हालात ये हैं कि धुरविरोधी भी अब एक मंच पर आ रहे हैं। दरअसल, शांडिल ने पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के ख़ास माने जाने वालों के टिकट काट दिए हैं, ऐसे में हंगामा बरपना तो लाज़मी हैं। माना जा रहा हैं कि वीरभद्र सिंह निकाय चुनाव जैसे मसले पर शायद ही सीधे तौर पर दखल दें, वहीँ बतौर शांडिल आलाकमान सम्बंधित विधायकों को उम्मीदवार चुनने की आज़ादी दें चूका हैं, साथ ही शांडिल कांग्रेस की इलेक्शन स्ट्रेटेजी कमेटी के सदस्य भी हैं। ऐसे में इस मर्तबा शांडिल की चाल ने कई दिग्गजों को बेहाल कर दिया हैं। गौरतलब हैं कि जिला सोलन में 17 जिला परिषद् वार्ड है जिनमें से 4 पूर्ण या आंशिक तौर पर सोलन निर्वाचन क्षेत्र के तहत आते है। इनमें सपरून, सलोगड़ा, कुनिहार और सिरिनगर वार्ड शामिल है। कर्नल शांडिल इनमें से सलोगड़ा, कुनिहार और सिरिनगर के प्रत्याशी घोषित कर चुके हैं और दो टूक कह चुके हैं कि ये ही चेहरे मैदान में होंगे। वहीँ जिला कांग्रेस अध्यक्ष शिवकुमार ने भी सोमवार को 12 नामों का एलान किया हैं। इनमें से शांडिल द्वारा घोषित 3 में से सिर्फ सलोगड़ा से उम्मीदवार बलदेव ठाकुर को स्थान मिला हैं। बाकी कुनिहार और सिरिनगर से फिलहाल उम्मीदवार घोषित नहीं किये हैं। यानी शांडिल द्वारा घोषित उम्मीदवारों की काट नहीं की गई हैं। स्वाभाविक हैं कि इस मसले को लेकर शांडिल पर दबाब जरूर होगा, पर जो तेवर शांडिल ने इख्तियार किए हैं इसे देख लगता नहीं हैं कि वे झुकेंगे। बाकी राजनीती में कभी भी कुछ भी संभव हैं। उधर संगठन और विधायक के बीच की ये रार और पार्टी में हावी गुटबाज़ी निकाय चुनाव में कांग्रेस की मुश्किलों में और इजाफा कर सकती हैं। संगठन कई खेमों में बंटा हुआ हैं। शहरी कांग्रेस और सोलन ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष शांडिल की छत्रछाया में हैं, तो शिवकुमार को भी कुछ नेताओं का साथ मिला हुआ हैं। जानकार मानते हैं की शांडिल की नज़र 2022 पर टिकी हैं और ऐसे में वे हर उस गुट को सेटल करना चाहते हैं जो उनकी लाइन से बाहर जा सकता हैं।
- युवा विवेकानंद परिहार का मुकाबला अनुभवी रविंद्र परिहार से - बागियों की भूमिका हो सकती है निर्णायक सोलन जिला परिषद् के वार्ड नंबर 4 कुनिहार में इस मर्तबा काफी रोचक जंग देखने को मिल सकती है. इस जिला परिषद् वार्ड में कुल 15 पंचायतें आती है जिनमें से 6 सोलन निर्वाचन क्षेत्र में, 6 कसौली निर्वाचन क्षेत्र में और 3 अर्की निर्वाचन क्षेत्र के तहत आती है. यानी ये जिला परिषद् वार्ड तीन विधानसभा क्षेत्रों से सीधे तौर पर जुड़ा है. कसौली स्वास्थ्य मंत्री डॉ राजीव सैजल का क्षेत्र है तो अर्की पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह का और सोलन पूर्व मंत्री कर्नल धनीराम शांडिल का. ऐसे में जाहिर है इस हाई प्रोफाइल वार्ड में जंग भी उतनी ही रोचक देखने को मिलेगी. भाजपा ने यहाँ से अनुभवी रविंद्र परिहार को समर्थन देकर मैदान में उतारा है तो कांग्रेस ने उनके मुकाबले एक युवा को मौका दिया है. कांग्रेस ने विवेकानंद परिहार पर दांव खेला है जो एक मजबूत राजनैतिक परिवार से आते है, काफी वक्त से कांग्रेस सेवादल में काम कर रहे है और उनका सरल व्यक्तित्व उनकी सबसे बड़ी ताकत है. हैवी वेट रविंद्र परिहार और युवा विवेकानंद की इस जंग को बागियों की एंट्री और अधिक रोचक बना सकती है. बहरहाल अभी रूठने मनाने का दौर ज़ारी है और नामांकन दाखिल होने के बाद ही सही आंकलन किया जा सकता है. नतीजा जो भी रहे भाजपा के अनुभवी परिहार बनाम कांग्रेस के युवा परिहार के बीच का ये मुकाबला दिलचस्प होना तय है.
-कुनिहार से विवेकानंद चौहान, सीरिनगर से निर्मला ठाकुर और सलोगड़ा से बलदेव ठाकुर प्रत्याशी -कहा पार्टी विरोधी काम करने वालो के खिलाफ होगी कार्रवाई सोलन जिला परिषद् के वार्ड नंबर 4 कुनिहार से विवेकानंद चौहान, वार्ड नंबर 5 सीरिनगर से निर्मला ठाकुर और वार्ड नंबर 6 सलोगड़ा से बलदेव सिंह ठाकुर ही कांग्रेस समर्थित प्रत्याशी होंगे. सोलन विधायक और पूर्व मंत्री डॉ कर्नल धनीराम शांडिल ने रविवार को मीडिया के सामने ये एलान कर दिया. उनके साथ तीनो प्रत्याशी भी मौजूद रहे. शांडिल ने कहा की आम कार्यकर्ताओं के बातचीत करने के बाद ही बहुमत की राय को तवज्जो देते हुए तीनो प्रत्याशियों का एलान किया गया है. बतौर विधायक उनके निर्वाचन क्षेत्र के तहत आने वाले जिला परिषद् वार्डों में उम्मीदवार तय करने का हक़ उन्हें है. शांडिल ने दो टूक कहा की हर कार्यकर्ता को पार्टी के साथ चलना चाहिए, और जो लोग इस चुनाव में पार्टी समर्थित उम्मीदवारों के खिलाफ काम करेंगे उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी. सीरिनगर व कुनिहार वार्ड में असंतोष के विषय पर उन्होंने स्पष्ट कहा की हर कार्यकर्ता को टिकट नहीं मिल सकता. ऐसे में ये सामान्य बात है. सभी रुष्ट लोगों को साथ लेकर चलने का प्रयास होगा. उन्होंने कहा कि राजनीति में कई तरह के दबाब होते है लेकिन पार्टी का हित उनके लिए सर्वोपरी है. सभी घोषित तीन उम्मीदवारों के नाम फाइनल है और इसमें कोई बदलाव नहीं होगा.
After Rahul Gandhi claimed “lack of democracy in India” PM Modi on Saturday hit back at him and said some people in Delhi "are trying to teach me lessons in democracy". Congress leader Rahul Gandhi in his recent attack on the government and PM Modi said there was “no democracy in India ” and that those who stood up against the PM were labeled terrorists "even if it were Mohan Bhagwat" (RSS chief). Retorting to this PM said "there are people in Delhi who always taunt and insult me. They want to teach me lessons in democracy. I want to show them Jammu and Kashmir DDC (District Development Council) polls as an example of democracy," PM Modi said after launching the Ayushman Bharat scheme for health insurance coverage to all residents of the union territory. PM Modi said that even after the Supreme Court has directed that Panchayati and municipal elections should be conducted in Puducherry, the state is not conducting it. “Despite SC order, panchayat and municipal polls are not being held in Puducherry. Those in power in Puducherry not carrying out local polls and are giving me lessons in democracy. Those who keep on teaching me lessons on democracy are the ones who are running their government there,” he said. He said the recent local body election in Jammu and Kashmir "strengthened roots of democracy" and congratulated voters for exercising their franchise in the eight-phase election.
- इस मर्तबा निकाय चुनाव में सोशल मीडिया बेहद महत्वपूर्ण इस बार के निकाय चुनाव में सोशल और वेब मीडिया निर्णायक भूमिका निभा सकता हैं। पांच साल पहले हुए चुनाव के मुकाबले लोगों का रुझान सोशल और वेब मीडिया की तरफ बहुत अधिक बढ़ चूका हैं, जिससे मतदाता का निर्णय प्रभावित हो सकता हैं। चुनाव प्रचार में इस मर्तबा सोशल मीडिया की एंट्री तमाम समीकरण बदल सकती है, खासतौर से न्यूट्रल मतदाता पर इसका काफी असर देखने को मिल सकता हैं। यही कारण हैं कि चुनाव की जंग जितनी जमीन पर लड़ी जा रही है उतनी ही सोशल मीडिया के अखाड़े में। हर उम्मीदवार सोशल मीडिया और वेब मीडिया का इस्तेमाल कर वोटर्स को साधने की जुगत में हैं। अब कोरोना काल में इसे मौके की नजाकत समझें या फिर तकनीक का स्मार्ट इस्तेमाल, लेकिन इस मर्तबा निकाय चुनाव के प्रत्याशी सोशल और वेब मीडिया प्लेटफार्म का इस्तेमाल करने से जरा भी पीछे नहीं हैं। वहीँ पार्टी स्तर पर यदि सोशल मीडिया पर जंग की बात करें तो निसंदेह इसमें भाजपा का कोई मुकाबला नहीं हैं। बेशक चुनाव बिना पार्टी सिंबल के लड़े जा रहे हैं लेकिन भाजपा का आईटी सेल पूरी तरह सक्रीय दिख रहा हैं। सोशल मीडिया पर, खासतौर से फेसबुक पर भाजपा के पास सैकड़ों आधिकारिक एक्टिव पेज हैं। इसके अतिरक्त पार्टी ने आईटी व सोशल मीडिया के लिए कई पदाधिकारी नियुक्त किये हुए हैं जिनके कौशल और अनुभव का लाभ भी पार्टी समर्थित उम्मीदवारों को मिलेगा। मतदाता के साथ संवाद साधने में ये बेहद कारगर सिद्ध होगा। सुनियोजित तरीके से भाजपा ने सोशल मीडिया पर अपनी दमदार उपस्तिथि बनाई हुई हैं जो उसे लाभ दे सकती हैं। उधर, कांग्रेस जमीनी संगठन की तरह ही सोशल मीडिया पर भी दिशाहीन दिख रही हैं। औपचारिकता के लिए पार्टी का सोशल मीडिया सेल तो हैं, पदाधिकारी भी हैं पर उनका काम असरदार नहीं दिख रहा। कुछ नेता सोशल मीडिया पर एक्टिव भी हैं तो अपने बुते पर, पार्टी की तरफ से न कोई आवश्यक दिशा निर्देश हैं और न ही मार्गदर्शन। खासतौर से जब कोरोना के चलते डोर टू डोर प्रचार भी सिमित रहने वाला हैं, सोशल मीडिया पर पार्टी की ये कमजोरी इस निकाय चुनाव में भारी पड़ सकती हैं।
हिमाचल के 50 शहरी निकायों की चुनाव प्रक्रिया शुरू हो गई है। पहले दिन प्रदेश के 10 जिलों में कुल 254 प्रत्याशियों ने नामांकन भरे। प्रदेश की 29 नगर परिषदों और 21 नगर पंचायतों के लिए सदस्य चुने जाने हैं। राज्य चुनाव आयोग ने पहली बार ऑनलाइन व्यवस्था की है कि वोटर प्रत्याशियों की शैक्षणिक योग्यता और अन्य महत्वपूर्ण जानकारी हासिल कर सकेंगे। पहले दिन कई चिकित्सक, वकील, सिविल इंजीनियर, एमएससी पास चुनाव में उतरे हैं। जिला शहरी निकायों के लिए सोलन में 50 नामांकन भरे गए जबकि मंडी व कांगड़ा में 35-35 नामांकन भरे गए। वहीं, सिरमौर में 25, कुल्लू व हमीरपुर में 21-21, चंबा में 19, शिमला में १७ नामांकन भरे गए। उधर ऊना में 16 व बिलासपुर में 15 नामांकन भरे गए।
आज पूरा भारत पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती मना रहा है। एक सुलझे राजनेता, प्रखर वक्ता और बेहतरीन कवि अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को ग्वालियर में हुआ था। वह तीन बार भारत के प्रधानमंत्री बने। भारत के दसवें प्रधानमंत्री रहे अटल को भारत रत्न भी दिया जा चुका है। साल 1996 में वे पहली बार भारत के प्रधानमंत्री बने थे, हालांकि इस दौरान उनका कार्यकाल काफी छोटा यानी सिर्फ 13 दिनों का था। इसके बाद उनका दूसरा कार्यकाल 13 महीने का था और फिर 1999 में जब वह पीएम बने तो उन्होंने 2004 तक पांच साल का अपना कार्यकाल पूरा किया। अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय जनसंघ की स्थापना करने वालों में से एक रहे हैं, जो बाद में भारतीय जनता पार्टी नाम से राजनैतिक पार्टी बनी। अटल बिहारी वाजपेयी राजनेता बनने से पहले एक पत्रकार थे। वह देश-समाज के लिए कुछ करने की प्रेरणा से पत्रकारिता में आए थे। देश की स्थिति समझने को बने पत्रकार अटल बिहारी राजनीति में कैसे आए, इसके पीछे एक प्रेरणादायक कहानी है। अटल बिहारी वाजपेयी के पिता पण्डित कृष्ण बिहारी वाजपेयी उत्तर प्रदेश में आगरा जिले के प्राचीन स्थान बटेश्वर के मूल निवासी थे। एक स्कूल टीचर के घर में पैदा हुए अटल बिहारी वाजपेयी के लिए जीवन का शुरुआती सफर आसान नहीं था। 25 दिसंबर 1924 को ग्वालियर के एक निम्न मध्यमवर्ग परिवार में जन्मे वाजपेयी की प्रारंभिक शिक्षा-दीक्षा ग्वालियर के ही विक्टोरिया (अब लक्ष्मीबाई) कॉलेज और कानपुर के डीएवी कॉलेज में हुई थी। छात्र जीवन से वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक बने और तभी से राष्ट्रीय स्तर की वाद-विवाद प्रतियोगिताओं में भाग लेते रहे। उन्होंने राजनीतिक विज्ञान में स्नातकोत्तर कि। एम० ए० के बाद उन्होंने कानपुर में ही एल०एल०बी० की पढ़ाई भी शुरू की लेकिन उसे बीच में ही छोड़कर पूरी निष्ठा से संघ-कार्य में जुट गए। फिर पत्रकारिता में अपना करियर शुरू किया तथा, राष्ट्रधर्म, पांचजन्य और वीर अर्जुन जैसे अखबारों-पत्रिकाओं का संपादन किया। जब राजनीती में आने का लिआ निर्णय वे बचपन से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गए थे और इस संगठन की विचारधारा (राष्ट्रवाद या दक्षिणपंथ) के असर से ही उनमें देश के प्रति कुछ करने, सामाजिक कार्य करने की भावना मजबूत हुई। उनके पत्रकार से राजनेता बनने का जो जीवन में मोड़ आया, वह एक महत्वपूर्ण घटना से जुड़ा है। इसके बारे में खुद अटल बिहारी ने एक इंटरव्यू में बताया था वे बतौर पत्रकारिता अपना काम बखूबी कर रहे थे। 1953 की बात है, भारतीय जनसंघ के नेता डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी कश्मीर को विशेष दर्जा देने के खिलाफ थे। जम्मू-कश्मीर में लागू परमिट सिस्टम का विरोध करने के लिए डॉ. मुखर्जी श्रीनगर चले गए। परमिट सिस्टम के मुताबिक किसी भी भारतीय को जम्मू-कश्मीर राज्य में बसने की इजाजत नहीं थी। यही नहीं, दूसरे राज्य के किसी भी व्यक्ति को जम्मू-कश्मीर में जाने के लिए अपने साथ एक पहचान पत्र लेकर जाना अनिवार्य था। डॉ. मुखर्जी इसका विरोध कर रहे थे। वे परमिट सिस्टम को तोड़कर श्रीनगर पहुंच गए थे। इस घटना को एक पत्रकार के रूप में कवर करने के लिए वाजपेयी भी उनके साथ गए। वाजपेयी इंटरव्यू में बताते हैं, ‘पत्रकार के रूप में मैं उनके साथ था। वे गिरफ्तार कर लिए गए। लेकिन हम लोग वापस आ गए।' डॉ. मुखर्जी ने मुझसे कहा कि वाजपेयी जाओ और दुनिया को बता दो कि मैं कश्मीर में आ गया हूं, बिना किसी परमिट के।’ इस घटना के कुछ दिनों बाद ही नजरबंदी में रहने वाले डॉ. मुखर्जी की बीमारी की वजह से मौत हो गई। इस घटना से वाजपेयी काफी आहत हुए। वह इंटरव्यू में कहते हैं, ‘मुझे लगा कि डॉ. मुखर्जी के काम को आगे बढ़ाना चाहिए।’ इसके बाद वाजपेयी राजनीति में आ गए। सन 1955 में उन्होंने पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ा, पर सफलता नहीं मिली पर हिम्मत नहीं हारी और 1959 में बलरामपुर (जिला गोण्डा, उत्तर प्रदेश) से जनसंघ के प्रत्याशी के रूप में विजयी होकर लोकसभा में पहुंच कर ही दम लिया। 1957 से 1977 जनता पार्टी की स्थापना तक अटल जी बीस वर्ष तक लगातार जनसंघ के संसदीय दल के नेता रहे। बस 13 दिन चली सरकार मोरारजी देसाई की सरकार में वह 1977 से 1979 तक विदेश मंत्री रहे और विदेशों में भारत की छवि बनाई। न्यूयोर्क में संयुक्त राष्ट्र संहघ के 32 वीन अधिवेशन में हिन्द में दिया गया उनका भाषण आज भी याद किआ जाता है। अटल बिहारी वाजपेयी जब पहली बार संयुक्त राष्ट्र में हिंदी में बोले तो पुरे विश्व ने उनकी आवाज़ सुनी। 1980 में जनता पार्टी से असंतुष्ट होकर इन्होंने जनता पार्टी छोड़ दी और भारतीय जनता पार्टी की स्थापना में मदद की। 6 अप्रैल, 1980 में बनी भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष पद का दायित्व भी वाजपेयी जी को सौंपा गया। अटल बिहारी वाजपेयी दो बार राज्यसभा के लिए भी निर्वाचित हुए। अटल बिहारी वाजपेयी ने सन् 1996 में प्रधानमंत्री के रूप में देश की बागडोर संभाली। पहली बार 16 से 31 मई, 1996 तक वे प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठे। पोखरण में परमाणु परिक्षण करवा देश को दी अलग पहचान 19 मार्च, 1998 को फिर प्रधानमंत्री पद की शपथ ली और उनके नेतृत्व में 13 दलों की गठबंधन सरकार ने देश के अंदर प्रगति के अनेक आयाम छुए। सन 1998 में पोखरण में परमाणु परिक्षण करके उन्होंने देश को दुनिया के कुछ गिने-चुने परमाणु संपन्न देशों में शुमार करवा दिया। पोखरण में भारत का द्वितीय परमाणु परीक्षण कराया और उन्होंने अमेरिका की सीआईए को भनक तक नहीं लगने दी। पोखरण की परमाणु परिक्षण के बाद भारत को अमेरिका और जापान के कई प्रतिबन्ध झेलने पड़े , देश की विरोधी पार्टियों ने भी आलोचना की, लेकिन वाजपेयी सरकार ने तमाम पाबंदियों का मज़बूती से सामना किआ। पोखरण परमाणु परिक्षण के बाद वाजपेयी के नेतृत्व में देश की तर्रक्की की रफ़्तार में कमी नहीं आई। वाजपेयी पहले गैरकांग्रेसी प्रधानमंत्री थे जिन्होंने पुरे 5 साल सरकार चलाई, जब उनपर सत्ता का लोभी होने का आरोप लगा तो उन्होंने विरोधियों को इसका करारा जवाब दिया। वाजपेयी ने खरीद फरोख्त कर मिलने वाली सत्ता को चिमटे से भी छुने से मना कर दिया। अटल के भाषणों की गूँज आज भी सुनाई देती है अटल ने विवाह नहीं किया था। उन्होंने अपना जीवन देश की भलाई के लिए एक राष्ट्रिय स्वयं सेवक संघ के प्रचारक के रूप में आजीवन अविवाहित रहने का संकल्प किया था। वो एक तेजस्वी नेता होने के साथ एक प्रभावी कवी भी थे। वीर रस में लिखी उनकी कविताएं देश के लिए मर मिटने को प्रेरित करती है। वे एक अद्बुध वक्त थे उनके दिए भाषण आज भी याद किए जाते है। उनके दिए भाषणों ने ही बीजेपी की वर्तमान वर्चस्व को दिशा दी।
- दोहरी चुनौती: एक तो बलदेव मजबूत प्रत्याशी, दूसरा भाजपा में अंतर्कलह हावी जिला परिषद् सोलन के वार्ड 6 का मुकाबला सोलन भाजपा के राजनैतिक भविष्य की चाल निर्धारित कर सकता है। इस वार्ड से कुमारी शीला भाजपा समर्थित उम्मीदवार है जो यूँ तो बेहद मजबूत प्रत्याशी है पर इस मर्तबा कांग्रेस ने एक सशक्त उम्मीदवार देकर उनकी डगर कठिन कर दी है। दरअसल कांग्रेस ने बलदेव सिंह ठाकुर को उम्मीदवार बनाया है जिनकी ग्राम पंचायत नौणी अन्य पंचायतों के लिए एक रोल मॉडल है। मुकाबला बराबरी का है और बेहद रोचक होने की उम्मीद है। इस चुनाव से न सिर्फ कुमारी शीला का राजनैतिक भविष्य तय होगा बल्कि सोलन भाजपा के एक गुट विशेष के लिए भी शीला की जीत बेहद मायने रखती है। विदित रहे की शीला 2012 में सोलन निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी रही है। 2017 में उनका टिकट काट कर डॉ राजेश कश्यप को टिकट दिया गया था जिसके बाद से ही सोलन भाजपा में घमासान आम है। अब यदि शीला ये चुनाव हार जाती है तो जाहिर है 2022 के लिए उनका दावा भी कमजोर पड़ जाएगा। साथ ही उनका समर्थन करने वाले गुट विशेष की उम्मीदों के लिए भी ये बड़ा झटका साबित हो सकता है। भाजपा के उक्त गुट पर ये आरोप लगते रहे है की उन्होंने 2017 में डॉ राजेश कश्यप के लिए पूरी क्षमता से काम नहीं किया अन्यथा नतीजा कुछ और होता। ऐसे में इस सम्भावना से इंकार नहीं किया जा सकता कि भाजपा का अंतर्कलह कांग्रेस के लिए संजीवनी सिद्ध हो सकती है।
वो तारीख थी 27 फरवरी 1994, पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग में ऑर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक को-ऑपरेशन (OIC) के जरिए एक प्रस्ताव सामने रखा। पाकिस्तान कश्मीर में हो रहे कथित मानवाधिकार उल्लंघन को लेकर भारत की निंदा कर रहा था। भारत के लिए एक बड़ा संकट उजागर हो गया, संकट यह था कि अगर यह प्रस्ताव पास हो जाता तो भारत को UNSC के कड़े आर्थिक प्रतिबंधों का सामना करना पड़ता। उस समय केंद्र में पीवी नरसिम्हा राव की सरकार थी। चौतरफा चुनौतियों का सामना कर रहे तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव ने इस मसले को खुद अपने हाथों में लिया और जीनेवा (Geneva) में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए सावधानीपूर्वक एक टीम बनाई। इस प्रतिनिधि मंडल में तत्कालीन विदेश राज्य मंत्री सलमान खुर्शीद, ई. अहमद, नैशनल कॉन्फ़्रेंस प्रमुख फारूक अब्दुल्ला और हामिद अंसारी तो थे ही, इनके साथ अटल बिहारी वाजपेयी भी शामिल थे। वाजपेयी उस समय विपक्ष के नेता थे और उन्हें इस टीम में शामिल करना मामूली बात नहीं थी। यही वह समय था जब देश के बचाव में सभी पार्टियों और धर्म के नेता एकसाथ खड़े हो गए थे। शायद राव का यही अंदाज़ उन्हें भारतीय राजनीति का चाणक्य बनाता है। अटल का स्वभाव अटल बिहारी वाजपेयी हमेशा से ही एक ऐसे नेता थे जिन्हें न सिर्फ अपनी पार्टी में बल्कि विपक्षी पार्टियों में भी मान-सम्मान मिला। इसका सटीक उदाहरण था साल 1994 में उन्हें पि.वि नरसिम्हा राव द्वारा, एक विपक्ष के नेता होने के बावजूद उन्हें संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग भेजा गया। कैसे मिली जीत? इस फैसले के बाद नरसिम्हा राव और वाजपेयी ने उदार इस्लामिक देशों से संपर्क शुरू किया। राव और वाजपेयी ने ही OIC के प्रभावशाली 6 सदस्य देशों और अन्य पश्चिमी देशों के राजदूतों को नई दिल्ली बुलाने का प्रबंध किया। दूसरी तरफ, अटल बिहारी वाजपेयी ने जीनेवा (Geneva) में भारतीय मूल के व्यापारी हिंदूजा बंधुओं को तेहरान से बातचीत के लिए तैयार किया। वाजपेयी इसमें सफल हुए। प्रस्ताव पर मतदान वाले दिन जिन देशों के पाकिस्तान के समर्थन में रहने की उम्मीद थी उन्होंने अपने हाथ पीछे खींच लिए। इंडोनेशिया और लीबिया ने OIC द्वारा पारित प्रस्ताव से खुद को अलग कर लिया। सीरिया ने भी यह कहकर पाकिस्तान के प्रस्ताव से दूरी बना ली कि वह इसके रिवाइज्ड ड्राफ्ट पर गौर करेगा। 9 मार्च 1994 को ईरान ने सलाह-मशवरे के बाद संशोधित प्रस्ताव पास करने की मांग की। चीन ने भी भारत का साथ दिया। अपने दो महत्पूर्ण समर्थकों चीन और ईरान को खोने के बाद पाकिस्तान ने शाम 5 बजे प्रस्ताव वापस ले लिया और भारत की जीत हुई। आखिर राव ने अटल को क्यों चुना? भारत की जीत हुई, अटल की जीत हुई, राव की जीत हुई। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है की राव द्वारा अटल को संयुक्त राष्ट्र भेजा जाना किसी बड़े राजनीतिक दाव से कम नहीं था। अटल की बात करें तो उनकी आम लोगों में लोकप्रियता पर कभी कोई प्रश्नचिन्ह नहीं लगा। उनकी छवि राजनीति और सार्वजनिक जीवन में बेदाग रही है। अटल अगर इस प्रस्ताव को रुकवा कर वापिस आते तो इसमें साफ़ तौर पर अटल के साथ-साथ राव की वाह-वाही होती कि, राव का दिल इतना बड़ा है की किसी विपक्ष के नेता को वो इतना सम्मान दे रहे है। लेकिन अगर इस कार्य में अटल सफल नहीं होते तो राव पूरा का पूरा भन्दा अटल के सर फोड़ते। इन दोनों ही स्थितियों में राव कि जीत होती। यानि चित भी उनकी और पट्ट भी उनकी। जब संसद में बोले थे अटल इस तथ्य कि जानकारी खुद वाजपेयी ने एक बार सदन में दी थी। उनका कहना था कि जब वह संयुक्तत राष्ट्र में पहुंचे तो हर किसी की ज़ुबान खासतौर पर पाकिस्तान के नेताओं में यह चर्चा खासा जोर पकड़ रही थी कि आखिर भारत सरकार ने नेता प्रतिपक्ष को अपनी बात रखने के लिए क्यों चुना। उन्होंने इस बात पर यह कहते हुए चुटकी भी ली कि कई नेताओं ने उनसे यहां तक कहा कि एक राजनीतिक साजिश के तहत ही उन्हें संयुक्त राष्ट्र भेजा गया है। यदि वहां पर सफलता मिली तो नरसिम्हा अपनी पीठ थपथपाएंगे और यदि हार मिली तो इसका ठीकरा उनके ऊपर फोड़ देंगे। हालांकि उन्होंने कभी इन विचारों को नहीं माना। उनका कहना था कि पाकिस्तान के नेता इस बात को लेकर भी हैरान थे कि उनके यहां पर विपक्ष के नेता का वजूद कुछ नहीं होता है और भारत का नेता प्रतिपक्ष सरकार का पक्ष रखता है।
अटल बिहारी वाजपेयी वो महान हस्ती जिन्हें एक बार नहीं बल्कि तीन बार भारत के प्रधानमंत्री होने का गौरव प्राप्त हुआ। अटल का साहित्य से लगाव जग ज़ाहिर था, वे उन विरले नेताओं में से थे, जिनका महज साहित्य में झुकाव भर नहीं था, बल्कि वे खुद लिखते भी थे। उनकी कविताएं आज भी पढ़ी जाती है। अटल विविध मंचों से और यहां तक कि संसद में भी अपनी कविताओं का सस्वर पाठ करते थे। एक बार जब अटल अपने मनाली वाले घर में छुट्टियां मनाने आए तो ख़राब सड़कें देख उन्हें बहुत निराशा हुई। उन्हें मनाली पहुँचने में खासी दिक्क्तों का सामना भी करना पड़ा, साथ ही मनाली में उस समय बिजली और नेटवर्क को लेकर भी बहुत सी समस्याएं थी। उस समय हिमाचल प्रदेश में वीरभद्र सिंह की सरकार थी। तो मनाली के खस्ता हालात को देख अटल ने वीरभद्र पर तंज कस्ते हुए बड़े हलके फुल्के अंदाज़ में एक कविता लिख डाली और इसी कविता के माध्यम से खालिस्तानियों का ज़िक्र भी कर डाला। पढ़िए वो कविता : मनाली मत जइयो मनाली मत जइयो, गोरी राजा के राज में। जइयो तो जइयो, उड़िके मत जइयो, अधर में लटकीहौ, वायुदूत के जहाज़ में। जइयो तो जइयो, सन्देसा न पइयो, टेलिफोन बिगड़े हैं, मिर्धा महाराज में। जइयो तो जइयो, मशाल ले के जइयो, बिजुरी भइ बैरिन अंधेरिया रात में। जइयो तो जइयो, त्रिशूल बांध जइयो, मिलेंगे ख़ालिस्तानी, राजीव के राज में। मनाली तो जइहो। सुरग सुख पइहों। दुख नीको लागे, मोहे राजा के राज में।
बंद कमरों में चर्चा और ज़ीरो कोर्डिनेशन, जिला सोलन कांग्रेस की कार्यशैली की इससे बेहतर व्याख्या नहीं हो सकती। निकाय चुनाव की जंग शुरू हो चुकी है पर कांग्रेस संगठन के हाल देखकर लगता नहीं है की पार्टी की मौजूदा ब्रिगेड बेडा पार लगा पाएगी। जिला संगठन की सक्रियता मीटिंग्स तक ही सिमित दिख रही है। जिला अध्यक्ष से पार्टी की अपेक्षा मैदान में उतर कर लीड करने की होती है। खासतौर से जब पार्टी विपक्ष में है तो अपेक्षा ये ही है की संगठन सड़क पर उतर सरकार की नाकामियां उजागर करे, पर जिला कांग्रेस अब तक ऐसा करने में पूरी तरह विफल रही है। जिला मुख्यालय सोलन की बात करें तो यहाँ कांग्रेस की शहरी इकाई ही कुछ हद तक सक्रीय दिखती है। जिला मुख्यालय होने के बावजूद यहाँ कांग्रेस की जिला इकाई का होना न होना एक ही बात है। जिला कांग्रेस कभी कभार पत्रकार वार्ता कर अपनी मौजूदगी दर्ज करवाने का प्रयास करती है, पर दिलचस्प बात तो ये है की अकसर इस बारे में उनकी शहरी इकाई को भी जानकारी नहीं होती। अब आप तालमेल का अंदाजा खुद लगा सकते हैं। जो मुद्दे सड़क पर उतर कर उठाए जाने चाहिए उन्हें जिला कांग्रेस का बंद कमरे से उठाने का प्रयास महज खानापूर्ति से ज्यादा नहीं है। अमूमन जिला के सभी क्षेत्रों में कांग्रेस का ऐसा ही हाल है। एकाध अपवाद है, पर वहां स्थानीय नेता जिला संगठन के भरोसे नहीं है बल्कि खुद मोर्चा संभाले हुए है। मौजूदा जिला अध्यक्ष की पार्टी कार्यकर्ताओं में कितनी स्वीकार्यता है, इसे लेकर भी सबकी अपनी-अपनी राय है। पर एक बात तय है की यदि कांग्रेस को वापसी करनी है तो संगठन में लगे जंग को अतिशीघ्र हटाना अनिवार्य है। साथ ही संगठन में ऐसे लोगों को लाने की आवश्यकता है जिनकी कार्यशैली में आक्रामकता भी हो और सभी कार्यकर्ताओं को साथ लेकर फ्रंट फुट से पार्टी को लीड कर सके।
ये चुनाव नहीं आसान। कांग्रेस इस बात से भलीभांति वाकिफ है। जयराम ठाकुर को एक्सीडेंटल मुख्यमंत्री कहने वाली कांग्रेस पर स्थानीय निकाय चुनाव में खुद को साबित करने का दबाव है ताकि 2022 में जनता उसे गंभीरता से ले। प्रदेश के नव नियुक्त प्रभारी राजीव शुक्ला का भी ये पहला इम्तिहान है। इस इम्तिहान में उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती है पार्टी के तमाम गुटों को एकसाथ लेकर चलना। कांग्रेस के दिग्गज साथ चले तो मंजिल शायद आसां रहे पर खींचतान ज़ारी रहती है और नतीजे मनमुताबिक नहीं आते तो कांग्रेस का बैकफुट पर आना तय है। इसी बीच बुधवार को कांग्रेस ने अपनी इलेक्शन स्ट्रेटेजी कमेटी का एलान कर दिया है जो राजीव शुक्ला की सरदारी में काम करेगी। इस 14 सदस्यीय कमेटी में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कुलदीप सिंह राठौर, नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री, पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह, विप्लव ठाकुर, कर्नल धनीराम शांडिल, सुखविंदर सिंह सुक्खू, आशा कुमारी, सुधीर शर्मा, जीएस बाली, हर्षवर्धन चौहान, रामलाल ठाकुर, राजेंदर राणा, जगत सिंह नेगी और पवन काजल को स्थान मिला है। इसमें मुख्यमंत्री के गृह जिला मंडी के किसी नेता को स्थान नहीं मिला है। सीधे तौर पर कहे तो इलेक्शन स्ट्रेटेजी कमेटी में कौल सिंह ठाकुर को स्थान नहीं मिला है। एक और खासबात इस लिस्ट में है। इन 14 में से तीन नेता ऐसे है जिन्होंने 2019 का लोकसभा चुनाव लड़ा था। पर पार्टी के लिए मंडी से चुनाव लड़ने वाले आश्रय शर्मा को इस लिस्ट में स्थान नहीं मिला है। हालाँकि इन दोनों नेताओं को अन्य कमेटियों में शामिल कर संतुलन बनाने का प्रयास किया गया है, किन्तु मंडी जिला के किसी नेता का इलेक्शन स्ट्रेटेजी कमेटी में न होना फिलवक्त चर्चा का विषय जरूर है। जाहिर है किसी स्थानीय नेता का कमेटी में होना रणनीतिक तौर पर ज्यादा असरदार होता। वैसे एक तर्क ये भी है की जब मंडी से सांसद रह चुके पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह खुद इस कमेटी में शामिल है तो बाकी नेताओं की शायद कोई जरुरत नहीं है। लिस्ट से कौल सिंह ठाकुर की गैरमौजूदगी को कुछ राजनैतिक माहिर राजा गुट की तरफ आलाकमान के झुकाव के तौर पर देख रहे है तो कुछ चिट्ठी बम के साइड इफ़ेक्ट के तौर पर। बहरहाल लकवाग्रस्त संगठन के बावजूद अगर कांग्रेस को निकाय चुनाव में अच्छा करना है तो पार्टी के दिग्गजों को आपसी रंज भुलाकर एक साथ आना होगा।
टिक्कर क्षेत्र से संबंध रखने वाले स्टैटिस्टिकल असिस्टेंट के पद से सेवानिवृत्त तपेन्दर टेगटा पूर्व संसदीय सचिव एवं विधायक रोहित ठाकुर के नेतृत्व पर विश्वास जताया हैं। शराचली क्षेत्र की मांदल पंचायत से सम्बंध रखने वाले अनिल शर्मा ने भाजपा की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ़ भाजपा छोड़कर कांग्रेस पार्टी में परिवार सहित घर वापसी की हैं। तपेंदर टेगटा और अनिल शर्मा पूर्व मुख्य संसदीय सचिव रोहित ठाकुर की उपस्थिति में विधिवत रूप से कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए। ब्लॉक कांग्रेस कमेटी जुब्बल-नावर-कोटखाई के अध्यक्ष मोतीलाल डेरटा ने पार्टी कार्यालय जुब्बल में तपेन्दर तेगटा और अनिल शर्मा का कांग्रेस पार्टी में शामिल होने पर स्वागत किया।
#Shimla देखिये पंडित सुखराम की तारीफ में क्या बोले डॉ राम लाल मार्कंडेय ... मार्कंडेय बोले हिमाचल में खाता भी नहीं खोल पाएंगे राजन सुशांत... #FirstVerdict #RamLalMarkande #SamikshaRana #Himachal Rajan Sushant
कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलनरत किसानों को हर वर्ग से समर्थन मिल रहा है। किसानों के आंदोलन के समर्थन में पंजाब और अन्य राज्यों के कई मौजूदा और पूर्व खिलाड़ियों ने अपने अवार्ड लौटाने का निर्णय लिया है। इसी के चलते सोमवार को 30 पूर्व और मौजूदा खिलाड़ी कृषि कानूनों का विरोध में अपना अवार्ड वापस लौटाने राष्ट्रपति भवन की ओर मार्च करने निकले। हालांकि पुलिस ने इन्हें रास्ते में ही रोक लिया। बता दें कृषि कानूनों के विरोध में कुछ दिन पहले ही अवार्ड वापस करने की शुरुआत हुई थी। सबसे पहले पंजाब के पूर्व सीएम प्रकाश सिंह बादल ने अपना पद्म विभूषण लौटाया था, इसके बाद कई लेखकों ने साहित्य अकादमी अवार्ड लौटाए थे। पहलवान करतार सिंह के मुताबिक, अभी 30 खिलाड़ी मार्च कर राष्ट्रपति को अपना सम्मान लौटाने जा रहे हैं, लेकिन पंजाब और अन्य इलाकों से कुछ और खिलाड़ी भी ऐसा करना चाहते हैं। बीते दिन बॉक्सर विजेंद्र सिंह भी किसानों का समर्थन करने सिंधु बॉर्डर पहुंचे थे। यहां विजेंद्र सिंह ने कहा था कि अगर केंद्र सरकार ये कानून वापस नहीं लेती है तो वो अपना खेल रत्न वापस लौटा देंगे। विजेंद्र सिंह से पहले रेसलर द ग्रेट खली ने भी किसानों का समर्थन किया था और दिल्ली में प्रदर्शन करने की बात कही थी।
Before the Cabinet expansion in Rajasthan, political uproar was again highlighted. Congress leader and state Chief Minister Ashok Gehlot has alleged that the game of toppling the government is about to begin again. There are also talks of toppling the government in Maharashtra. Gehlot said that Congress leader Ajay Maken has been a witness to the false attempt made by BJP for toppling the government. He said that Ajay Maken, the Congress in-charge in Rajasthan, was also involved in this program. During this incident, Maken stayed with our MLAs in the hotel for 34 days. Ashok Gehlot accused the home minister of the country, Amit Shah that he was sitting with our MLAs, feeding them tea and snacks and was telling them that five have dropped the government, the sixth is about to fall. Dharmendra Pradhan was talking to the judges to raise their morale. said that Amit Shah had met our MLAs for one hour and after declining five governments, Shah had said that the sixth was also dropped. Gehlot said that Congress leaders Ajay Maken, Randeep Surjewala, Avinash Pandey sat here during this development. He decided to sack the leaders, then the government survived. He said that the people of the entire Rajasthan wanted that the government should not fall.
केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन 10वें दिन भी जारी है। आज किसानों और सरकार के बीच 5वें दौर की बातचीत होनी है। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बताया की ये बैठक दोपहर 2 बजे होगी। उन्होंने कहा की मुझे बहुत उम्मीद है कि किसान सकारात्मक सोचेंगे और अपना आंदोलन समाप्त करेंगे। वहीं, इस मुद्दे को लेकर गृहमंत्री अमित शाह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने पहुंचे। आज किसान संगठनों से होने वाली बैठक से पहले ये अहम बैठक हो रही है। इस बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के साथ केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल भी शामिल होने पहुंचे हैं। 8 दिसंबर को भारत बंद का ऐलान इस बीच, किसान संगठनों ने प्रधानमंत्री का पुतला फूंकने की घोषणा की है। साथ ही 8 दिसंबर को भारत बंद का आह्वान भी किया है। किसान चिल्ला बॉर्डर (दिल्ली-नोएडा लिंक रोड) पर प्रदर्शन कर रहे हैं। किसानों का कहना है कि अगर सरकार के साथ बातचीत में आज कोई नतीजा नहीं निकला तो फिर वह संसद का घेराव करेंगे।
तेलुगु फिल्म इंडस्ट्री के सुपरस्टार रजनीकांत ने राजनितिक पार्टी बनाने का ऐलान कर दिया है। सुपरस्टार ने 2021 में विधानसभा चुनावों में उतरने की भी घोषणा की है। रजनीकांत ने ट्वीट कर अपने इस फैसले के बारे में जानकारी दी है। उन्होंने कहा की पार्टी के बारे में औपचारिक घोषणा 31 दिसंबर को की जाएगी। रजनीकांत की यह घोषणा करीब तीन साल बाद आई है, जब उन्होंने 31 दिसंबर 2017 को राजनीति में प्रवेश का ऐलान किया था। उन्होंने कहा कि हम कड़ी महनत करेंगे और जीतेंगे। रजनीकांत ने तीन साल पहले यह भी एलान किया था कि अगर सत्ता में आने के तीन साल के भीतर उन्होंने अपने वादे पूरे नहीं किए तो वह राजनीतिक पार्टी छोड़ देंगे। ऐसा नहीं है कि दक्षिण भारतीय फिल्मों के महानायक रजनीकांत पहली बार राजनीति में दिख रहे है। पिछले कई महीनो से रजनीकांत राजनीती में सक्रिय हैं, हालांकि यह पहली बार है कि उन्होंने सियासी पारी को लेकर अपने पत्ते खोले है।
कृषि कानूनों के विरोध में किसानों का विरोध लगातार जारी है। आज किसानों के विरोध का आठवां दिन है। किसानों व सरकार के बीच लगातार बातचीत का सिलसिला भी जारी है। इसी बीच अब पंजाब के पूर्व सीएम और अकाली दल के नेता प्रकाश सिंह बादल किसानों के समर्थन में उतरे हैं। बादल ने उन्हें 2015 में मिला पद्म विभूषण सम्मान लौटा दिया है। बादल की पार्टी शिरोमणि अकाली दल 22 साल से NDA के साथ थी, लेकिन कृषि कानों के विरोध में सितंबर में संगठन से अलग हो गई थी। इससे पहले हरसिमरत कौर ने भी मोदी कैबिनेट से इस्तीफ़ा दे दिया था। उधर, विरोध में शामिल 40 किसान नेताओं की सरकार के साथ विज्ञानं भवन में बातचीत हो रही है। सरकार की तरफ से कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर बैठक की अध्यक्षता कर रहे हैं।
शिमला। हिमाचल प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र को लेकर आज जयराम कैबिनेट की महत्वपूर्ण बैठक होने वाली है। बैठक दोपहर 2 बजे प्रदेश सचिवालय में होगी। कैबिनेट की बैठक में फ़ैसला लिया जाएगा कि सत्र शिमला में बुलाया जाए या धर्मशाला में या फ़िर सत्र को टाल दिया जाए। प्रदेश में कोरोना के बढ़ते मामलों के कारण शीतकालीन सत्र को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। सर्वदलीय बैठक में सत्र को लेकर कोई नतीजा नहीं निकल पाया था। विपक्ष के नेता सत्र करवाने के पक्ष में थे तो वहीं विपक्ष के कई विधायक सत्र को टालने की मांग भी कर रहे हैं। वहीं पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने सत्र को शिमला में ही करवाने की बात कही है। बता दे कि हिमाचल में कोरोना के बढ़ते मामले लगातार चिंता का कारण बने हुए हैं। ऐसे में सत्र को धर्मशाला में करवाने के बजाए शिमला में भी करवाया जा सकता है ताकि कोरोना काल में अतिरिक्त प्रबंधन न करना पड़े।
हिन्दुस्तान के इतिहास में पहले शायद ही किसी स्थानीय निकाय चुनाव की इतनी चर्चा हुई हो, जितना ख़ास ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम चुनाव बन चुका है। ये चुनाव ख़ास इसलिए हैं क्योंकि विश्व की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी भाजपा ने इसमें सारी ताकत झोंक दी है। पहले शुक्रवार को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा हैदराबाद में रोड शो करते है, फिर शनिवार को फायर ब्रांड नेता और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रचार के लिए पहुंचते है और हैदराबाद बनाम भाग्यनगर की जंग शुरू करते है। वहीं रविवार को खुद गृह मंत्री अमित शाह प्रचार में उतरे और विवादों में रहे भाग्य लक्ष्मी मंदिर में पूजा अर्चना कर एक और नया संदेश देने की कोशिश की। स्पष्ट है भाजपा की नजर ध्रुवीकरण के रथ पर सवार होकर हैदराबाद के रास्ते पूरा दक्षिण भारत जीतने पर टिकी है। बीजेपी और एआईएमआईएम आमने सामने हैदराबाद में सीधा मुकाबला दिख रहा है बीजेपी ओवैसी की AIMIM में। ओवैसी वर्तमान में सबसे बड़े मुस्लिम नेताओं में है तो बीजेपी खुद को हिन्दुओं की सबसे बड़ी हमदर्द बताने से नहीं चूकती। ऐसे में ध्रुवीकरण तो होना ही है। पहली बार है जब किसी ने हैदराबाद में ओवैसी को खुलकर इस तरह चुनौती दी हो। देश के अन्य क्षेत्रों में भी ओवैसी की पार्टी मजबूत हो रही है। हाल ही में हुए बिहार चुनाव में भी उन्होंने अच्छा प्रदर्शन किया है । यही कारण है कि भाजपा ने सीधे उनके घर में घुसकर उन्हें घेरने की रणनीति बनाई है। हालांकि यदि भाजपा का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा तो उसकी खूब किरकिरी होना तय है पर यदि भाजपा ठीक ठाक भी कर ले तो पूरे दक्षिण भारत की राजनीतिक तस्वीर बदल सकती है। वैसे इस चुनाव में यदि किसी का नुकसान होना तय है तो वो है केसीआर और बात करें कांग्रेस कि तो होना न होना ज्यादा मायने नहीं रखता। आखिर क्यों इतना महत्वपूर्ण है ये चुनाव ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम देश के सबसे बड़े नगर निगमों में से एक है l यह नगर निगम 4 जिलों में है, जिनमें हैदराबाद, रंगारेड्डी, मेडचल-मलकजगिरी और संगारेड्डी आते हैं. इस पूरे इलाके में 24 विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं और तेलंगाना के 5 लोकससभा सीटें आती हैं l यही वजह है कि ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम चुनाव में केसीआर से लेकर बीजेपी, कांग्रेस और असदुद्दीन ओवैसी तक ने ताकत झोंक दी है. इसके अलावा इस नगर निगम का सालाना बजट लगभग साढ़े पांच हजार करोड़ का है l तेलंगाना की जीडीपी का बड़ा हिस्सा यहीं से आता है l यहां की आबादी लगभग 82 लाख लोगों की है l तो ऐसे में बीजेपी के ये तेवर लाज़मी है l दरअसल ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम चुनाव को 2023 के तेलंगाना विधानसभा चुनाव का लिटमस टेस्ट माना जा रहा है l यहीं कारण है कि बीजेपी ने केसीआर और असदुद्दीन ओवैसी के मजबूत दुर्ग में अपने दिग्गज नेताओं की फौज उतार दी है l दक्षिण में अपनी पकड़ तेज़ करने का मौका इससे बेहतर कोई और नहीं हो सकताऔर बीजेपी ये बात बखूबी समझती है l पिछले चुनाव में ये थी स्थिति ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम कि 150 पिछले चुनाव में 99 सीटें तेलंगाना राष्ट्र समिति को मिली थी l असदुद्दीन औवेसी की पार्टी एआईएमआईएम ने 44 सीटों पर जीत दर्ज की थी l बीजेपी को महज चार सीटों से संतोष करना पड़ा था मगर इस बार के प्रचार ने गेम को पूरी तरह पलट दिया है l बीजेपी ओवैसी के गड में अपनी पैठ बनाने में कामयाब होती नज़र आ रही है l
बिहार विधानसभा के अंदर राज्यपाल फागू चौहान के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव पर आग बबूला हो गए और उन्हें खूब लताड़ लगायी l नीतीश कुमार का ये रवैया आज से पहले शायद ही किसी ने देखा हो l तेजस्वी यादव पर हमला करते हुए नीतीश कुमार ने कहा कि वो उनके भाई जैसे दोस्त (लालू प्रसाद) का बेटा है इसी वजह से वह उनको सुनते रहते हैं l दरअसल, नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने सदन में बोलते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर जमकर निशाना साधा और उन पर आरोप लगाया कि वह 1991 में हुई एक हत्या के मामले में शामिल हैं. साथ ही तेजस्वी ने नीतीश के ऊपर कंटेंट चोरी के मामले में उन पर लगे 25 हजार रुपये जुर्माने का भी जिक्र करते हुए हमला बोला l जिसके तुरंत बाद संसदीय कार्य मंत्री विजय चौधरी ने नीतीश कुमार का बचाव करते हुए कहा कि सीएम के ऊपर हत्या का जो मामला चल रहा था उसे सुप्रीम कोर्ट ने समाप्त कर दिया है और इसी कारण से इस मुद्दे को सदन में उठाना ठीक नहीं है l इसपर नितीश कुमार आग बबूला हो गए और बोले की, “जो बात ये बोल रहा है उसकी जांच होनी चाहिए और इसके खिलाफ कार्रवाई होगी l ये झूठ बोल रहा है l मेरे भाई समान दोस्त का बेटा है, इसीलिए मैं सुनता रहता हूं l इसके पिता को विधायक दल का नेता किसने बनाया था क्या उसको पता है? इसको उपमुख्यमंत्री किसने बनाया था इसको पता है ? इसके ऊपर भ्रष्टाचार का आरोप लगा तो हमने उससे कहा कि जवाब दो, मगर जब जवाब नहीं दिया तो हम अलग हो गए l हम कुछ नहीं बोलते हैं l तेजस्वी पर चार्जशीट है l 2017 में क्यों नहीं स्थिति स्पष्ट किया था ?” नीतीश कुमार आग बबूला होकर बोले इसके बाद सदन के अंदर जमकर हंगामा मचा और स्पीकर ने विधानसभा की कार्यवाही को स्थगित कर दिया l
जम्मू-कश्मीर में पंचायत चुनाव को धार देने के लिए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर दो दिवसीय दौरे पर हैं। उनका दौर आज 11 बजे से शुरू हो गया है। मुख्यमंत्री पहले जम्मू कश्मीर के कठुआ जिले के मछेड़ी में जनसभा को सम्भोदित करेंगे। फिर वह बिलावर के लिए रवाना होन्हे। वहां वह 1:45 बजे जनसभा को संबोधित करेंगे। दोपहर का भोजन भी मुख्यमंत्री यहीं पर करेंगे। इसके बाद मुख्यमंत्री मंडली के लिए रवाना होंगे। वह वहां 4:45 बजे के बाद जनसभा को संबोधित करेंगे। उसके बाद वह कठुआ जिला के बिलावर में रात्रि विश्राम करेंगे। 26 नवंबर को मुख्यमंत्री मंडली में जनसभा को संबोधित करेंगे। फिर वह करीब 1:30 बजे मंडली से महानपुर के लिए रवाना होंगे, जहां वह दोपहर 2:00 बजे जनसभा को संबोधित करेंगे। जनसभा संबोधित करने के बाद वह महानपुर से धानकोट रणजीत सागर डैम पहुंचेंगे। रणजीत सागर डैम में वह हेलीकॉप्टर से 5:15 के करीब शिमला के लिए वापस लौटेंगे।
बिहार विधानसभा में स्पीकर पद को लेकर सियासी हलचल जारी है। आज होने वाली वोटिंग से पहले राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव का एक ऑडियो वायरल हो रहा है। यह ऑडियो खुद भाजपा ने जारी किया है। इस ऑडियो में लालू, भाजपा विधायक ललन पासवान से बात कर रहे हैं। लालू कहते हैं कि विधानसभा में स्पीकर के चुनाव की वोटिंग से एब्सेंट हो जाओ। यह बात वह 3 बार कहते हैं। साथ ही वह कहते हैं कि तुम्हें आगे बढ़ाएंगे। पूरी बातचीत… सबसे पहले लालू का सहायक : हैलो, प्रणाम सर, विधायक जी बोल रहे हैं… नहीं, उनका पीए बोल रहा हूं लालू का सहायक : दीजिए तो, साहब बात करेंगे माननीय लालू प्रसाद यादव… विधायक का पीए : हैलो, कहां से सर… लालू का सहायक : रांची से..साहब बात करेंगे.. लालू : हां, पासवान जी, बधाई.. पासवान : प्रणाम, चरण स्पर्श… लालू : हां, सुनो, हम तुमको आगे भी बढ़ाएंगे वहां…कल (25 नवंबर) जो स्पीकर का चुनाव है…हम तुमको मंत्री बनाएंगे…कल इनको (जदयू-भाजपा सरकार) गिरा देंगे… पासवान : हम तो पार्टी में हैं न सर… लालू : पार्टी में हो तो एबसेंट हो जाओ…कोरोना हो गया था, स्पीकर (यहां बात साफ सुनाई नहीं दी)…फिर हम लोग देख लेंगे न.. पासवान : पार्टी में हैं सर, थोड़ा सा…(हिचकिचाते हुए) ठीक है सर… लालू : एबसेंट हो जाओ तुम पासवान जी… पासवान : आपके संज्ञान में हो गए हैं हम सर…बात करेंगे..ठीक है.. लालू : ठीक है..एबसेंट हो जाओ स्पीकर पद के लिए वोटिंग को लेकर बिहार की राजनीति में 24 घंटे पहले खासी हलचल रही। महागठबंधन अपने उम्मीदवार के लिए अपने विधायकों को एकजुट रखकर और सत्ता पक्ष के विधायकों से अंतरात्मा की आवाज पर वोटिंग करने की अपील कर चुका है। इस बीच पूर्व डिप्टी सीएम सुशील मोदी ने एक ट्वीट कर राजनीतिक सरगर्मी बढ़ा दी है। उन्होंने आरोप लगाया है कि रांची में सजा काट रहे लालू यादव NDA विधायकों को फोन करके लालच दे रहे हैं। इस पर सत्ता और विपक्ष, दोनों तरफ से बयानबाजी भी हो रही है। सुशील मोदी ने अपने ट्वीट में एक नंबर जारी किया है। उन्होंने कहा की जब इस नंबर पर फ़ोन घुमाए सीधा लालू प्रसाद रिसीव करते हैं। उन्होंने आरोप लगाया है की लालू इस नंबर से विधायकों को भड़काने का काम कर रहे हैं।
30 अक्टूबर 1984, हत्या के एक दिन पहले इंदिरा गांधी ओडिशा के दौरे पर थीं। वहां उन्होंने तत्कालीन ओडिशा सचिवालय के सामने परेड ग्राउंड में अपना आखिरी भाषण दिया था। उस भाषण में उन्होंने कुछ ऐसा कहा था जिसे आज भी लोग उनकी आसन्न मृत्यु का पूर्वानुमान मानते हैं। उन्होंने कहा था : "मैं आज जीवित हूं, शायद में कल न रहूं। मैं तब तक देश की सेवा करती रहूंगी जब तक मेरी अंतिम सांस है और जब मैं मर जाउंगी, तो मैं कह सकती हूं कि मेरे खून की हर बूंद भारत को सबल बनाएगी और इसे मजबूत करेगी। यहां तक कि अगर मैं राष्ट्र की सेवा में मर गई, तो मुझे इस पर गर्व होगा। मेरा खून, इस राष्ट्र की वृद्धि और इसे मजबूत और गतिशील बनाने में योगदान देगा।" शायद उस समय कोई नहीं जनता था ये इंदिरा गाँधी का आखिरी भाषण होगा या शायद इंदिरा को भी इसका पूर्णभास हो गया था। ये कहा नहीं जा सकता। 31 अक्टूबर 1984, की सुबह भी इंदिरा के लिए अन्य दिनों की तरह थी। वह रोज़ की तरह इस दिन भी जल्दी उठीं। आज का दिन उनके लिए बहुत महत्वपूर्ण था। आज उनका एक विदेशी टीवी चैनल के साथ इंटरव्यू था इसलिए वह आज खासतौर से तैयार हो रहीं थी। पर वो जानती नहीं थी आज का ये दिन उनकी ज़िन्दगी का आखिरी दिन होगा। उस सुबह एक और आदमी था जो खास तौर से तैयार हो रहा था। पर वह जनता था शायद यह दिन उसकी ज़िंदगी का आखिरी दिन होगा। उसका नाम था बेअंत सिंह। वह इंदिरा के अंगरक्षकों में से एक था। 1 सफदरजंग रोड के अंदर इंदिरा जल्दी में थी और बाहर उनके कातिल भी उनके इंतज़ार में बैठे थे। इंदिरा के दूसरे कातिल सतवंत सिंह ने उस रोज़ बीमारी का बहाना बना कर अपनी ड्यूटी बेअंत सिंह के साथ करवा ली थी। इंदिरा के दोनों कातिल अब एक साथ एक ही जगह घात लगाए बैठे थे। समय : 9 बजकर 15 मिनट, इंदिरा अपने इंटरव्यू के स्थान के लिए निकल पड़ी या यूँ कहें की उनके आखिरी रास्ते पर। तेज़ क़दमों से इंदिरा उस गेट के पास पहुँच गई जो 1 सफदरजंग और 1 अकबर मार्ग को जोड़ता है। ठीक इसी जगह उनके दोनों कातिल भी खड़े थे। बेअंत सिंह के हाथ में रिवाल्वर थी तो सतवंत सिंह के हाथ में एक मशीन गन। जब इंदिरा गेट के करीब पहुंची, उन्होंने बेअंत को देखा और बेअंत ने उन्हें नमस्ते कहा। इसके बाद बेअंत ने अचानक अपनी सरकारी रिवाल्वर निकली और इंदिरा पर गोली दाग दी। उस समय इंदिरा केवल इतना ही कह पाईं "ये क्या कर रहे हो?", लेकिन तब तक बेअंत ने कई और गोलियां इंदिरा पर चला दी। बेअंत को देख सतवंत सिंह ने भी मशीन गन से इंदिरा पर गोलियां दागना शुरू कर दिया। इस घटना के तत्काल बाद, उपलब्ध सूचना के अनुसार, बेअंत सिंह ने उनपर तीन बार गोली चलाई और सतवंत सिंह ने उन पर 22 गोली दागी। इसके बाद उन्होंने अपने हथियार गिरा दिए और आत्मसमर्पण कर दिया। बाद में उन्हें अन्य गार्डों द्वारा एक बंद कमरे में ले जाया गया, जहां बेअंत सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी गई। आस पास मौजूद लोगों ने शोरगुल मचाया जल्द एम्बुलेंस को बुलाने में लग गए, लेकिन उस समय तक काफी देर हो गई थी। इंदिरा लहूलुहान होकर ज़मीन पर गिर गईं। समय था 9 बजकर 17 मिनट। इन चंद पलों में देश की तक़दीर बदल गई। इंदिरा को उनके सरकारी कार में अस्पताल ले जाया गया पर वहां पहुंचाते पहुँचाते उन्होंने रास्ते में ही दम तोड़ दिया। उन्हें अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में लाया गया, जहाँ डॉक्टरों ने उनका ऑपरेशन किया। उस वक्त के सरकारी हिसाब 29 प्रवेश और निकास घावों को दर्शाती है, तथा कुछ बयाने 31 बुलेटों के उनके शरीर से निकाला जाना बताती है। जानकारी के मुताबिक 23 गोलियां उनके शरीर से होकर गुज़री थीं जबकि 7 गोलियां उनके शरीर के अंदर ही थीं। उनका अंतिम संस्कार 3 नवंबर को राज घाट के समीप हुआ और यह जगह शक्ति स्थल के रूप में जानी गई। उनके अंतिम संस्कार को घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय स्टेशनों पर लाइव प्रसारित किया गया। उनके मौत के बाद, दिल्ली में बड़े पैमाने पर सिख विरोधी दंगे हुए और साथ भारत के कई अन्य शहरों, जिनमे कानपुर, आसनसोल और इंदौर में सांप्रदायिक अशांति घिर गई और हजारों सिखों के मौत दर्ज किए गए। एक लाइव टीवी शो में राजीव गांधी ने इस नरसंहार के बारे में कहा था, "जब एक बड़ा पेड़ गिरता है, तो पृथ्वी हिलती है।"
आज हिमाचल प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक दोपहर तीन बजे आयोजित होगी। इस बैठक में कई अहम मुद्दों पर फैसले लिए जाएंगे। मुख्यमंत्री स्कूलों को लेकर फैसला सुना सकते हैं। बता दें प्रदेश में कोरोना के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। प्रदेश के कई स्कूलों में शिक्षक और विद्यार्थी संक्रमित पाए गए जिस के बाद अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल भेजने से कतरा रहे हैं। ऐसे में दिवाली से दो-तीन पहले और दो-तीन बाद स्कूलों को बंद रखने को लेकर मंत्रिमंडल के समक्ष विकल्प रखा जा सकता है। हालाँकि स्कूल बंद होंगे या नहीं इसका अंतिम फैसला मंत्रिमंडल की बैठक में ही होगा। इस के साथ नारकंडा से हाटु पीक के लिए रोपवे को लेकर भी फैसला हो सकता है। जिला शिमला के नारकंडा का हाटु पीक क्षेत्र पर्यटन की दृष्टि से विकसित होगा। नारकंडा से हाटु पीक के लिए सरकार रोप-वे बनाएगी। रोप-वे एंड रैपिड ट्रांसपोर्ट सिस्टम डेवलपमेंट कारपोरेशन ने इसका प्रस्ताव तैयार कर लिया है। इस बैठक में शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह और परिवहन मंत्री बिक्रम सिंह ठाकुर बैठक में शामिल नहीं होंगे। आखिरी ऑफ लाइन बैठक आज की यह बैठक मंत्रिमंडल की अंतिम ऑफलाइन बैठक होगी। इसके बाद आगामी सभी बैठकें ई-कैबिनेट सॉफ्टवेयर की मदद से आयोजित की जाएंगी। इसमें बैठक का एजेंडा ऑनलाइन ही मंत्रियों के पास पहुंचेगा। बुधवार को सचिव स्तर के अधिकारियों को इस सॉफ्टवेयर की आखिरी ट्रेनिंग दी जाएगी।
हिमाचल की राजनीति में जल्द ही कुछ नए फेर बदल होने की सुगबुगाहट तेज़ हो रही है। ज्वालामुखी प्रकरण के बाद संगठन में उठे बवाल के बीच मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को हाईकमान ने दिल्ली तलब किया है। मुख्यमंत्री शनिवार को दिल्ली रवाना होंगे। यहाँ केंद्रीय नेतृत्व के नेताओं के साथ मुख्यमंत्री बैठक करेंगे। आशंका जताई जा रही है कि इस बैठक के बाद मंत्रिमंडल में कई मंत्रियों के विभाग बदल सकते हैं, तो साथ ही कइयों की कुर्सी भी खतरे में पड़ सकती है। बता दें कि भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सुरेश कश्यप ने हाईकमान से चर्चा के बाद ज्वालामुखी मंडल को भंग किया था, जिसके बाद धवाला मुख्यमंत्री से मिले थे। वहीं हिमाचल मंत्रिमंडल के कुछ मंत्रियों की परफारमेंस से हाईकमान अभी भी संतुष्ट नहीं कर पाई है। इन्ही चुनिंदा मंत्रियों के विभाग बदलने की चर्चा की जा रही है। हाल ही में भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे एक मंत्री कि कुर्सी पर भी खतरा मंडरा सकता है। मुख्यमंत्री का दिल्ली दौरा तय होते ही भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सुरेश कश्यप और तीन महासचिव त्रिलोक कपूर, त्रिलोक जम्वाल और राकेश जम्वाल उनसे मिलने उनके आवास पर ओकओवर पहुंचे। इस दौरान उन्होंने कई मुद्दों पर चर्चा की।
अहमदाबाद में साबरमती नदी के किनारे से सटे शाही बाग में इतिहास के कुछ धूल खाते पन्ने आज भी अपना अस्तित्व बनाए रखने का संघर्ष लड़ रहे हैं। जहाँ आज की आधुनिक दुनिया में लोग अपना इतिहास और मूल्यों को भूल गए हैं वहीं कुछ ऐसे समारक हमारे इतिहास को संजोए बैठे हैं। मोती शाही महल 1618-1622 के बीच मुग़ल शासक शाहजहाँ के द्वारा बनवाया गया था। यह अब सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय स्मारक की मेजबानी करता है। हरे-भरे बाग़ से घिरा शाही बाग, वल्लभभाई पटेल को समर्पित एक संग्रहालय और प्रदर्शनी केंद्र है। पटेल का जन्म खेड़ा जिले के एक छोटे से शहर नडियाद में हुआ था। वह एक किसान परिवार से थे। अपने शुरुआती वर्षों में, पटेल को कई लोगों ने एक आम आदमी की नौकरी के लिए किस्मत वाला माना था। हालाँकि, पटेल ने उन्हें गलत साबित कर दिया। उन्होंने कानून की परीक्षा उत्तीर्ण की। वह अक्सर उधार की पुस्तकों से पढ़ा करते थे। पटेल ने बार परीक्षा पास करने के बाद गुजरात के गोधरा, बोरसद और आनंद में कानून का अभ्यास किया। उन्होंने एक उग्र और कुशल वकील होने की प्रतिष्ठा अर्जित की। पटेल हमेशा से इंग्लैंड जा कर कानून का अध्ययन करने का सपना रखते थे। अपनी मेहनत से बचाए गए पैसों से उन्होंने इंग्लैंड जाने के लिए एक पास और टिकट प्राप्त करने में भी कामयाबी हासिल की। हालांकि वह टिकट वि.जे पटेल को सम्बोधित किया गया था। विट्ठलभाई, वल्लभभाई के बड़े भाई भी, अपना नाम भी उनकी तरह वि.जे लिखा करते थे। सरदार पटेल को जब पता चला की उनके भाई भी इंग्लैंड जा कर पढ़ाई करने का सपना संजोए हुए हैं, उन्होंने छोटे भाई का कर्तव्य निभाते हुए, अपनी जगह बड़े भाई को इंग्लैंड जानें दिया। 1909, उनकी पत्नी झावेरबा का निधन हो गया जब वह केवल 33 वर्ष की थीं, लेकिन उन्होंने उनसे गहरा प्यार किया और इसलिए कभी पुनर्विवाह नहीं किया। उन्होंने अपने बच्चों की परवरिश अपनी परिवार की मदद से की और उन्हें बॉम्बे के एक इंग्लिश मीडियम स्कूल में भेज दिया। 1911, पत्नी के निधन के दो साल बाद, करीब 36 साल की उम्र में पटेल ने अपना इंग्लैंड जा कर पढ़ने का सपना पूरा किया। उन्होंने लंदन में मिडल टेंपल इन में दाखिला लिया और 36 महीने का कोर्स 30 महीने में पूरा किया। भारत लौटकर, पटेल अहमदाबाद में बस गए और शहर के सबसे सफल बैरिस्टर बन गए। स्वतंत्रता संग्राम में योगदान स्वतंत्रता आंदोलन के शुरुआती चरणों में, पटेल न तो सक्रिय राजनीति के लिए उत्सुक थे और न ही महात्मा गांधी के सिद्धांतों पर। हालांकि, गोधरा (1917) में गांधी के साथ बैठक ने पटेल के जीवन को मूल रूप से बदल दिया। गांधी के आह्वान पर, पटेल ने अपनी नौकरी छोड़ दी और प्लेग और अकाल (1918) के समय खेड़ा में करों में छूट के लिए संघर्ष करने के लिए आंदोलन में शामिल हो गए। पटेल ने 1920 में गांधी के असहयोग आंदोलन में शामिल हुए और 3 लाख सदस्यों की भर्ती के लिए पश्चिम भारत की यात्रा की। उन्होंने पार्टी फंड के लिए 15 लाख रुपये से अधिक एकत्र किए। 1923, जब महात्मा गांधी को कैद किया गया था, तो यह पटेल ही थे जिन्होंने नागपुर में ब्रिटिश कानून के खिलाफ सत्याग्रह आंदोलन का नेतृत्व किया था। यह 1928 का बारदोली सत्याग्रह था जिसने वल्लभभाई पटेल को 'सरदार’ की उपाधि दी और उन्हें पूरे देश में लोकप्रिय बना दिया। उनका प्रभाव इतना गहरा था कि पंडित मोतीलाल नेहरू ने कांग्रेस की अध्यक्षता के लिए वल्लभभाई का नाम गांधी को सुझाया। 1930 में, अंग्रेजों ने नमक सत्याग्रह के दौरान सरदार पटेल को गिरफ्तार किया और उन्हें बिना गवाहों के मुकदमे में डाल दिया। फिर 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान, अंग्रेजों ने पटेल को गिरफ्तार किया। वह 1942 से 1945 तक अहमदनगर के किले में पूरी कांग्रेस वर्किंग कमेटी के साथ कैद रहे। जब 1945 में पटेल को रिहा किया गया तो उन्हें एहसास हुआ कि ब्रिटिश भारत को सत्ता हस्तांतरित करने के लिए प्रस्ताव तैयार कर रहे थे। 16 मई 1946, ब्रिटिश मिशन ने सत्ता हस्तांतरण के लिए दो योजनाओं का प्रस्ताव रखा, तो कांग्रेस के भीतर दोनों का ही काफी विरोध हुआ। इस योजना ने भारत की धार्मिक सीमाओं पर विभाजन का प्रस्ताव रखा। वल्लभभाई पटेल भारत के विभाजन को स्वीकार करने वाले पहले कांग्रेस नेताओं में से एक थे। जब लीग ने 16 मई की योजना को मंजूरी दे दी, तो वायसराय लॉर्ड वेवेल ने कांग्रेस को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया। अब प्रश्न ये था की आखिर भारत का नेतृत्व किसके हाथ में होगा। सबकी नज़रे कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर थी। ज़ाहिर था की जो अध्यक्ष पद पर बैठेगा वो ही देश का अगला प्रधानमंत्री बनेगा। हालांकि गांधी ने पहले ही अपनी पसंद जाहिर कर दी थी, इसके बावजूद 15 में से 12 प्रदेश कांग्रेस समितियों ने पटेल को पार्टी अध्यक्ष मनोनीत कर दिया। बाकी के भी तीन राज्यों ने भी कोई एक नाम भेजने की बजाए बहुमत का सम्मान किए जाने का संदेश भेजा। इसके बाद नेहरू के पक्ष में अपना नाम वापस लेने के लिए पटेल को राजी करने की कवायद शुरू हो गई। जब गांधी को बताया गया की नेहरू नंबर दो नहीं बनना चाहते, तो उन्होंने पटेल को अपना नाम वापस लेने का दबाव डाला। कहा जाता है की गांधी को नेहरू ने इस बात के लिए मजबूर किया था। साथ उन्होंने गांधी पर दबाव डालने के लिए कांग्रेस को तोड़ देने की भी धमकी दी थी। गांधी को यह भी आशंका थी की इस आपसी झगडे का फायदा उठाकर अंग्रेज़ भारत को आज़ाद करने से मना न कर दे। हालांकि पटेल जानते थे की गांधी इन आशंकाओं की आढ़ में नेहरू को प्रधानमंत्री बनाना चाहते हैं, पर उनके अंदर का देशभक्त नहीं चाहता था की वह देश की आज़ादी में वह रोहड़ा बने और उन्होंने गांधी की बात मान ली। कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में नेहरू को ब्रिटिश वाइसरॉय ने अंतरिम सरकार के गठन के लिए आमंत्रित किया। इस प्रकार यदि घटनाक्रम सामान्य रहता तो सरदार पटेल भारत के पहले प्रधानमंत्री होते। सरदार पटेल का निधन 15 दिसम्बर 1950 को मुम्बई में हुआ था। सरदार पटेल को उनकी मृत्यु के 41 साल बाद 1991 में मरणोपरांत भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न दिया गया जो उन्हें बहुत पहले मिलना चाहिये था। वर्ष 2014 में केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार ने सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयन्ती (31 अक्टूबर) को देश भर में राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाना शुरू कर उनको सम्मानित किया है।
शिमला। मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर की अध्यक्षता में आज राज्य मंत्रिमंडल की बैठक राज्य सचिवालय में हुई। जिसमें मंडी, सोलन और पालमपुर को नगर निगमों में अपग्रेड करने का निर्णय लिया गया। इसमें छह नई नगर पंचायतों को बनाने का भी निर्णय लिया जिसमें सोलन जिले के कंडाघाट, ऊना जिले के अंब, कुल्लू जिले के आनी और निरमंड,शिमला जिले के चिरगांव और नेरवा शामिल है। इसने इन अर्बन लोकल बॉडीज (ULBs) के री-ऑर्गनाइजेशन के लिए भी अपनी मंजूरी दी है। इसमें जिला मंडी में नेर चौक और करसोग और कांगड़ा जिले में नगर पंचायत ज्वाली भी शामिल हैं। मंत्रिमंडल ने इन शहरी स्थानीय निकायों के नए शामिल क्षेत्रों में भूमि और भवनों को तीन साल की अवधि के लिए सामान्य कर के भुगतान से छूट देने और वजीब-उल-उरज़ में प्रदान किए गए प्रथा गत अधिकारों को बनाए रखने का निर्णय भी लिया है। इसमें यह भी निर्णय लिया गया है कि राज्य में ULB (नवगठित नगर पंचायतों सहित) और मंडी, सोलन और पालमपुर के नए बनाए गए नगर निगमों का चुनाव राज्य निर्वाचन आयोग के परामर्श के बाद जनवरी, 2021 में किया जाएगा। नगर निगम धर्मशाला के चुनाव भी जनवरी 2021 में सभी यूएलबी के साथ किए जाएंगे, दोहराए जाने वाले चुनाव और संबंधित व्यय से बचने के लिए। 2022 में शिमला नगर निगम के लिए चुनाव का आयोजन किया जाएगा। मंत्रिमंडल ने इस साल 8 नवंबर से जनमंच कार्यक्रम को बहाल करने का फैसला किया गया, ताकि उनके घरों के पास जनता की शिकायतों का त्वरित निवारण हो सके। इसी के साथ मंत्रिमंडल ने 2 नवंबर, 2020 से राज्य के शैक्षणिक संस्थानों में 9 वीं से 12 वीं कक्षा तक नियमित कक्षाएं आयोजित करने का निर्णय लिया गया। इसके अलावा राज्य के कॉलेज गृह मंत्रालय, भारत सरकार के एसओपी / दिशानिर्देशों का पालन करके कक्षाएं फिर से शुरू कर सकेंगे। मंत्रिमंडल ने कांस्टेबलों के 1334 रिक्त पदों को भरने के लिए अपनी मंजूरी दी है। जिसमें 976 पुरुष और 267 महिलाएं शामिल हैं और सीधी भर्ती के माध्यम से 91 ड्राइवर शामिल हैं। मंत्रिमंडल ने 1 अप्रैल, 2020 से शिक्षा विभाग में आउटसोर्स आधार पर लगे आईटी शिक्षकों के मानदेय को 10 प्रतिशत बढ़ाने का निर्णय लिया। इससे 1345 आईटी शिक्षकों को लाभ होगा। इसमें शैक्षणिक सत्र 2020-21 के लिए प्राथमिक और उच्च शिक्षा विभागों में विभिन्न श्रेणियों के पहले से ही कार्यरत एसएमसी शिक्षकों की सेवाओं में विस्तार प्रदान करने के लिए अपनी मंजूरी दे दी है साथ ही अंतिम सत्र के परिणाम के लिए उनके शैक्षणिक सत्र 2020-21 के लिए उन्हें पारिश्रमिक भी वितरित किया जा सकता है। कैबिनेट ने अग्रणी फायरमैन के 32 पदों को भरने के लिए अपनी सहमति दी, कांगड़ा जिले के संसारपुर टेरेस में किन्नौर जिले के संसारपुर टेरेस और कुल्लू जिले के पतलीकुहल में ड्राइवर के 12 पद भरे। इसमें नियमित आधार पर राज्य के 22 अधीनस्थ न्यायालयों में प्रतिलिपि के 22 पदों को बनाने और भरने का निर्णय लिया। मंत्रिमंडल ने अपनी सुचारू कार्यप्रणाली के लिए राज्य खाद्य आयोग में विभिन्न श्रेणियों के 9 पदों को भरने के लिए अपनी अनुमति दी। मंत्रिमंडल में कोविड-19 महामारी को ध्यान में रखते हुए यूजी दिशानिर्देशों के आधार पर शैक्षणिक सत्र 2019-20 के लिए प्रथम और द्वितीय वर्ष के यूजी पाठ्यक्रमों में नामांकित छात्रों को प्रमोट करने के लिए अपनी मंजूरी दे दी है। कांगड़ा जिले के सरकारी कॉलेज टाकीपुर का नाम बदलकर अटल बिहारी वाजपेयी गवर्नमेंट कॉलेज, टाकीपुर कर दिया। कैबिनेट ने कांगड़ा जिले में हेल्थ सब सेंटर टोडा को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बनाने और विभिन्न श्रेणियों के तीन पदों को भरने के लिए अपनी मंजूरी दी। इसने इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज, शिमला में सुपर स्पेशियलिटी सर्जिकल ऑन्कोलॉजी सेल में सहायक प्रोफेसर के एक पद को बनाने और भरने के लिए अपनी सहमति भी दी। मंत्रिमंडल ने औद्योगिक क्षेत्र कालाअंब में कॉमन एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट की स्थापना के लिए मेसर्स कालाअंब इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कंपनी को 19-13 बीघा जमीन विशेष प्रयोजन वाहन के रूप में 95 रुपये प्रति वर्ग मीटर के पट्टे पर प्रति वर्ष प्रदान करने का निर्णय लिया। इसने मेसर्स काला अंब डिस्टिलरी एंड ब्रेवरी प्राइवेट लिमिटेड के पक्ष में सोलन जिले के तहसील नालागढ़ के ग्राम भंगला में डिस्टिलरी स्थापित करने के लिए लेटर ऑफ इंटेंट (एलओआई) की वैधता अवधि में विस्तार के लिए अपनी मंजूरी दे दी।
आज सीएम जयराम ठाकुर की अध्यक्षता में हिमाचल कैबिनेट की बैठक की जाएगी। इस बैठक में कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की जाएगी। कैबिनेट स्कूल पूरी तरह खोलने और कॉलेज के फर्स्ट और सेकेंड ईयर के विद्यार्थियों को बिना परीक्षा अगली कक्षाओं में प्रमोट करने को लेकर भी फैसला कर सकता है। इसके अलावा उपभोक्ताओं को घर-द्वार पर सस्ता राशन मुहैया कराने के लिए 50 राशनकार्डों पर भी डिपो खोलने और प्याज की आसमान छूतीं कीमतों पर मंथन किया जाएगा। सरकार ने उपायुक्तों को निर्देश दिए हैं कि वे प्याज के भाव पर नजर रखें। प्रतिदिन प्याज के दाम सरकार को भेजने के लिए कहा गया है। सरकार डिपो में भी आलू और प्याज बेचने पर विचार कर रही है। हालांकि, पूर्व में भी प्याज के दाम बढ़ने से सरकार ने डिपो में प्याज भेजा था, लेकिन सप्ताह बाद दाम गिरने से यह प्याज डिपो में ही खराब हो गया था। दसवीं और बारहवीं की बोर्ड कक्षाओं के लिए नवंबर से नियमित कक्षाएं शुरू हो सकती हैं। शिक्षा विभाग ने दो विकल्पों सहित इस बारे में सरकार को प्रस्ताव भेजा है। पहले विकल्प के तहत दसवीं और बारहवीं, दूसरे विकल्प के तहत नौवीं से बारहवीं तक की कक्षाओं को खोलने की योजना है। पहली से आठवीं तक की कक्षाओं को शुरू करने को लेकर अभी सरकार का कोई विचार नहीं है।
अभी 10 -12 दिन पुरानी ही बात होगी जब लोकसभा में पीएम केयर्स पर चर्चा के दौरान कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व सदन में नेता प्रतिपक्ष अधीर रंजन चौधरी अनुराग ठाकुर को हिमाचल का छोकरा बोल गए थे। उनके इस बात पर सड़क से संसद तक हंगामा खड़ा हो गया था और बात इतनी बढ़ी की अधीर रंजन को इस पर सफ़ाई देनी पड़ गई थी। हालाँकि अनुराग ने इसे सकारात्मक तौर पर लिया व खुद पर चिपके हिमाचल का छोकरा टैगलाइन पर गर्व होने की बात कही और हिमाचल प्रदेश में भी इसका व्यापक असर देखने को मिला जहां युवाओं ने खुद को इस स्लोगन से जोड़ लिया। आज अटल टनल के उद्घाटन के लिए मनाली पहुँचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण के शुरुआत में अनुराग ठाकुर को हिमाचल नू छोकरो कह के सम्बोधित किया और मुस्कुरा कर उनकी तरफ़ देख पड़े। लोग प्रधानमंत्री के इस सम्बोधन के कई मायने निकाल रहे हैं। ऐसा लगता है कि प्रधानमंत्री मोदी के नवरत्नों में शामिल अनुराग ठाकुर के ऊपर उनका गहरा विश्वास है और मानो हिमाचल नू छोकरो कह के मोदी विपक्ष को संदेश दे रहे हैं कि आप मेरे अपनों का अपमान करोगे तो मैं आपको बख्शुंगा नहीं। मोदी का यह कहना उनके और अनुराग ठाकुर के बीच की अतरंगता दिखाता है। बहरहाल एक बात तो साफ़ है मोदी कभी कुछ भूलते नहीं और उन्हें किसे कब कहां और कैसे जवाब देना है यह भली भांति मालूम है।
कांग्रेस पार्टी के के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी आज फिर हाथरस जाएंगे। बता दें राहुल गांधी और प्रियंका गांधी दो दिन पहले ही पीड़िता के परिजनों से मिलने हाथरस के लिए निकले थे पर तब पुलिस ने दोनों को ग्रेटर नोएडा के परी चौक में रोक लिया था और वापस दिल्ली भेज दिया था। पर राहुल गांधी आज फिर हाथरस जा सकते हैं। उन्होंने अपने ट्वीट में कहा है की उन्हें इस दुखी परिवार से मिलने से दुनिया की कोई ताकत नहीं रोक सकती। उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘दुनिया की कोई भी ताक़त मुझे हाथरस के इस दुखी परिवार से मिलकर उनका दर्द बांटने से नहीं रोक सकती।’’ बताया जा रहा है कि वे दोपहर के समय हाथरस के लिए निकलेंगे। उनके साथ कांग्रेस सांसदों का एक दल भी जाएगा। राहुल गांधी के नेतृत्व में यह प्रतिनिधिमंडल पीड़िता के परिजनों से मुलाकात कर उनका दर्द साझा करेगा।
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हिमाचल आने पर स्वागत है, लेकिन इस बार प्रदेश प्रेम भाषणों में नहीं हकीकत में दिखा कर जाएं। यह बात राज्य कांग्रेस उपाध्यक्ष एवं विधायक राजेंद्र राणा ने यहां जारी प्रेस बयान में कही है। राणा ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी हों या इंदिरा गांधी हो, जब-जब हिमाचल आए हैं, तब-तब उन्होंने हिमाचल के प्रति अपना स्नेह प्रदर्शित करते हुए हिमाचल को बड़े-बड़े पैकेज व बड़ी-बड़ी विकास योजनाएं समर्पित की हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिस रोहतांग टनल का उद्घाटन करने आज हिमाचल पहुंचे हैं। वह रोहतांग टनल भी कांग्रेस के हिमाचल के स्नेह व सम्मान की देन है, जो अब देश और प्रदेश के विकास के बड़े सपने को साकार कर रही है। हिमाचल प्रदेश को पूर्ण राज्य का दर्जा देने वाली पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी ने सपना देखा था। रोहतांग टनल का सपना 1983 में इंदिरा गांधी द्वारा जनजातीय जिला की पहली महिला विधायक स्वर्गीय लता ठाकुर के आग्रह पर देखा था। 1984 में इसका जियोलॉजिक्ल सर्वे किया गया। 2005 यूपीए वन में इस प्रोजेक्ट को कैबिनेट क्लीयरेंस मिली जबकि 2009 में यूपीए टू ने इस प्रोजेक्ट को बजट के प्रावधान के सहित पूर्व पीएम मनमोहन सिंह द्वारा क्लीयर किया गया। 28 जनू 2010 को रोहतांग टनल का शिलान्यास कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी द्वारा किया गया। जिसका उद्घाटन करने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अब हिमाचल पहुंचे हैं। राणा ने कहा कि सरकारें आती है, जाती हैं। विकास सतत क्रिया है, जो कि सरकारों के दम पर आगे बढ़ता है, लेकिन इसमें यह कह देना कि रोहतांग टनल बीजेपी ने बनाई है, तो यह गलत होगा जबकि असलियत यह है कि कांग्रेस के काम को बीजेपी ने आगे बढ़ाकर अब उद्घाटन तक पहुंचाया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का प्रधानमंत्री रहते हुए संभवत यह तीसरा दौरा है जबकि प्रधानमंत्री बनने से पहले वह सुजानपुर भी आए थे। प्रधानमंत्री के हर दौरे में जन संवाद के दौरान हिमाचल प्रेम खूब छलका है, लेकिन यह प्रेम अब तक सिर्फ भाषणों तक ही सीमित रहा है। उन्होंने कहा, मेरा प्रधानमंत्री से निवेदन है कि अगर बकौल मोदी वह हिमाचल को अपना दूसरा घर मानते हैं व सच में हिमाचल की देवभूमि व वीरभूमि से प्रेम करते हैं तो महंगाई, बेरोजगारी व महामारी के साथ कर्जे के पहाड़ के नीचे दबे प्रदेश को इस दौरे में कोई बड़ा पैकेज देकर राहत देकर जाएं। राणा ने कहा कि अगर प्रधानमंत्री मोदी के हिमाचल से दूसरे घर जैसे रिश्ते हैं तो रिश्ते दिखाने के लिए नहीं निभाने के लिए होते हैं? और इस बार वह बड़े पैकेज की घोषणा करके इन रिश्तों को निभाकर जाएं।
President Ram Nath Kovind has given his consent to the bills related to farmers and farming passed by Parliament in the Monsoon session on Sunday, amid the continuous protests from farmers and political parties. Farmers and political parties were demanding withdrawal of this bill, but their appeal did not work. The Farmers Produce Trade and Commerce (Promotion and Facilitation) Bill, 2020, the Farmers (Empowerment and Protection) Agreement on Price Assurance and Agricultural Services Bill, 2020 and the Essential Commodities (Amendment) Bill, 2020 were brought in the Monsoon Session of Parliament before both the Houses of Parliament and has been approved both. Now the President's seal has also been approved on this. These three bills will replace the three ordinances announced on June 5 in the Corona period.
Bihar assembly election dates have been announced. Election results will come on 10 November. The parties have claimed their victory with electoral preparation. On the one hand, the Bharatiya Janata Party (BJP) -Janta Dal United (JDU) alliance has spoken of a return to power, on the other hand Rashtriya Janata Dal (RJD) leader Tejashwi Yadav has reiterated the change in Bihar. Before the election, Tejashwi Yadav said in a claim that if his government is formed then in the very first cabinet meeting, 10 lakh jobs would be provided to the youth of Bihar. Tejashwi Yadav said, there are already 4 lakh 50 thousand vacancies in Bihar. According to the national average standards in education, health, home department and other departments, there is a great need of 5 lakh 50 thousand appointments in Bihar. Tejashwi Yadav wrote in his tweet, with the first pen in the first cabinet,I will give jobs to 10 lakh youth of Bihar. Tejashwi Yadav has been besieging the Nitish government since long on the issue of employment. They also accused the Central Government of cheating the youth in the name of giving jobs. On the previous day, Tejashwi Yadav said, Bihar is at number 26 in industry promotion and internal trade. Bihar is the worst state in investment and industry. Why do the Chief Minister Nitish Kumar and the NDA government, which has been in power for 15 years since liberalization, do not discuss these figures?
कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता और सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने ट्वीट कर कहा कि जबकि कांग्रेस की हार भारत में चर्चा का विषय रही है। वर्तमान स्थिति से बदलाव की आवश्यकता है और जिसे प्रियंका गांधी चुपचाप ला रही हैं। गलतियों और सुधार को स्वीकार करने के लिए बदलाव का यह पहला कदम है। आजादी के बाद कांग्रेस अपने सबसे बुरे दौर में चल रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी के कई नेता अपने भाषणों में कांग्रेस मुक्त देश की बात अक्सर करते ही रहते हैं। लेकिन पार्टी का आलाकमान अपने स्तर पर कांग्रेस की चमक फिर से लौटाने की कोशिशों में जुटा हुआ है। इस बीच कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने दावा किया है कि प्रियंका गांधी चुपचाप तरीके से काम करते हुए एक बदलाव ला रही हैं।
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह आज 88 साल के हो गए है। डॉ मनमोहन सिंह 2004 से 2014 तक दो बार देश के प्रधानमंत्री रह चुके है और वर्तमान में राजस्थान से राज्यसभा सदस्य है। भारत के तेरवें प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह विचारक और विद्वान के रूप में प्रसिद्ध है। वह अपनी नम्रता, कर्मठता और कार्य के प्रति प्रतिबद्धता के लिए जाने जाते हैं। डॉ मनमोहन सिंह जवाहर लाल नेहरू और इंदिरा गाँधी के बाद सबसे ज़्यादा समय तक देश के प्रधानमंत्री रहे है सिर्फ ये ही नहीं मनमोहन सिंह को भारत के सर्वश्रेष्ठ अर्थशास्त्रियों में से एक भी माना जाता है। मनमोहन का शुरुआती जीवन मनमोहन का जनम 26 सितम्बर 1932 में अविभाजित भारत के पंजाब प्रान्त में हुआ था, जो की बटवारे के बाद अब पाकिस्तान का हिस्सा है। कहा जाता है की मनमोहन सिंह के पिता चाहते थे की वो डॉक्टर बने और इसीलिए उन्होंने 1948 में अमृतसर के खालसा कॉलेज के प्री मेडिकल कोर्स में दाखिला भी ले लिए था, लेकिन कुछ ही दिनों बाद उन्होंने मेडिकल की पढ़ाई छोड़ दी जिसके बाद उन्होंने हिन्दू कॉलेज में एडमिशन लिया और अर्थशास्त्र की पढ़ाई की। उसके बाद उन्होंने अपनी आगे की शिक्षा ब्रिटेन के कैंब्रिज विश्वविद्यालय से प्राप्त की। 1957 में उन्होंने अर्थशास्त्र में प्रथम श्रेणी से ऑनर्स की डिग्री अर्जित की। 1962 में उन्होंने ऑक्सफ़ोर्ड विश्वविद्यालय के नूफिल्ड कॉलेज से अर्थशास्त्र में डी.फिल भी किया। मनमोहन की कैसे हुई राजनीति में एंट्री साल था 1991 का। देश में राजनैतिक अस्थिरता का माहौल था। बीते दो वर्ष में देश तीन प्रधानमंत्री देख चूका था। सबसे बड़े राजनैतिक दल कांग्रेस के सबसे बड़े चेहरे राजीव गाँधी की हत्या हो चुकी थी। एक बार फिर सरकार बनाने का ज़िम्मा कांग्रेस पर था। पर सवाल ये था कि प्रधानमंत्री बनेगा कौन। कई नाम सामने आये, कयास लगे, प्रयास भी हुए पर आखिरकार सहमति बनी पीवी नरसिम्हा राव के नाम पर। वहीं पीवी नरसिम्हा राव जो एक किस्म से रिटायरमेंट मोड में चले गए थे, दिल्ली छोड़ने का फैसला भी ले चुके थे मगर दिल्ली उन्हें छोड़ने के लिए तैयार नहीं थी। राव जो हर विभाग के विशेषयज्ञ माने जाते थे, जो सवास्थ्य, शिक्षा और विदेश मंत्रालय पहले ही संभाल चुके थे, देश के प्रधान मंत्री बन गए। मगर एक विभाग ऐसा भी था जो राव के लिए सबसे बड़ी चुनौती साबित हो सकता था, ये था वित्त मंत्रालय। नरसिम्हा राव ये अच्छे से जानते थे की देश की आर्थिक स्थिति बेहद खराब है ऐसे में कोई ऐसा व्यक्ति ही देश की आर्थिकता को संभाल सकता है जो अर्थशास्त्र के कौशल्य में परिपूर्ण हो। तभी राव के सलहाकार पि सी ऐलेक्सेंडर ने राव को डॉ. मनमोहन सिंह का नाम सुझाया और शपथ ग्रहण समारोह से एक दिन पहले मनमोहन सिंह के सामने ये प्रस्ताव रखा गया। बतौर वित्त मंत्री किए गए काम अपना पहला बजट प्रस्तुत करते हुए डॉ. सिंह ने इंदिरा गाँधी और राजीव गाँधी का नाम बार बार ज़रूर लिया मगर वो इनकी आर्थिक नीतियों को बदलते हुए ज़रा भी नहीं हिचकिचाए। मनमोहन सिंह ने वित्त मंत्री के कार्यकाल के दौरान विदेश व्यापार उदारीकरण, वित्तीय उदारीकरण, कर सुधार और विदेशी निवेश का रास्ते जैसे अहम फैसले लिए। उनके इन फैसलों ने अर्थव्यवस्था को ना सिर्फ नई गति दी बल्कि मजबूती भी प्रदान की। वित्त मंत्री के तौर पर मनमोहन सिंह ने कई अहम फैसले लिए। खास तौर पर ऐसे निमयों में बदलाव लाए जिनकी वजह से अर्थव्यवस्था की गति धीमी पड़ रही थी, उन्हें तेजी मिले। इसके साथ ही उन्होंने भारत को दुनिया के बाजार के लिए भी खोला और देश में आर्थिक क्रांति और ग्लोबलाइजेशन की शुरुआत की। जब मनमोहन प्रधानमंत्री बने जब डॉ मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री बनें तो उन्हें एक्सीडेंटल प्राइममिनिस्टर कहा गया। बात है 18 मई 2004 की, इलेक्शन के बाद जश्न का माहौल था, कांग्रेस की अगुवाई वाली UPA ने नई संसद में 335 सीटों पर जीत दर्ज की थी और NDA को काफी अंतर से हराया था। सोनिआ गाँधी जीती ज़रूर थी मगर बीजेपी अब भी ये नहीं चाहती थी की कोई विदेशी प्रधान मंत्री बने, मगर निष्ठावान कोंग्रेसियों की निष्ठां सिर्फ और सिर्फ सोनिया गांधी में थी। 18 मई को कांग्रेस हाई कमान का दफ्तर खचा खच भरा था। सोनिया गांधी आई और प्रंधानमंत्री पद स्वीकार करने से इंकार कर दिया। सियासी महकमा और पुरे देश की जनता अब असमंजस में थी की आखिर कौन होगा उनका प्रधान मंत्री। जब तमाम कांग्रेसी चमचे प्रधान मंत्री बनने की चाह में पालक पावड़े बिछाये बैठे थे तब सोनिया गांधी ने नाम लिया डॉ मनमोहन सिंह का। उन्होंने कहा की उनसे अच्छा प्रधान मंत्री भारत को नहीं मिल सकता। सियासी दिग्गजों का मानना है की अगर सोनिया गांधी सत्ता से मुँह न मोड़ती तो मनमोहन को ये सौभाग्य प्राप्त न होता पर इस वाक्य से कहीं भी ये तो साबित नहीं किया जा सकता की मनमोहन की काबिलियत में कोई कमी थी। बतौर प्रधानमंत्री बनते ही उन्होंने रोजगार के क्षेत्र में बड़ा फैलसा लिया और मनरेगा के जरिए ऐतिहासिक कदम उठाया। हर हाथ को काम देने की उनकी सोच ने लोगों के घरों में चूल्हे जलाने में बड़ी अहम भूमिका निभाई जिससे देश अंदर से सशक्त हो सके।
The Himachal Pradesh Cabinet in a meeting held today under the chairmanship of Chief Minister Jai Ram Thakur gave its approval to restore Vidhayak Kshetra Vikas Nidhi Yojana fund of Rs. 50 lakh for the year 2020-21. The first instalment of Rs. 25 lakh per legislative constituency would be released in October, 2020 and second instalment of Rs. 25 lakh would be released after the elections to the Panchayati Raj Institutions. A presentation was made before the Cabinet on the proposed visit of Prime Minister Narendra Modi to the State. The Cabinet decided to set up a statue of former Prime Minister Atal Bihari Vajpayee at The Ridge Shimla. It also decided to allot this work to famous sculptors Padam Shri and Padam Vibhushan Awardee Ram V. Sutar and Anil Sutar under Himachal Pradesh Finance Rule-104 as proposed by Language, Art and Culture Department. The Cabinet gave its nod to resume training activities in Industrial Training Institutes of the State with effect from 1st October, 2020 by strictly following the guidelines of the Ministry of Home Affairs, Ministry of Health and Family Welfare and Ministry of Skill Development and Entrepreneurship (MSDE). The Cabinet gave its nod to the Draft of Memorandum of Understanding to be executed and entered between the State Government and Temple Trust Chamunda with regard to transfer of land for Lower Terminal Point of Himani-Chamunda Ropeway Project in Kangra district. It also gave its approval to fill up seven posts of Deputy Director in Sainik Welfare Department on Contract basis. The Cabinet gave its consent to create and fill up 35 posts of panchkarma masseur in Ayurveda department on a daily wage basis to provide better Ayurveda medical service to the people. It also decided to rename Ayurveda Department as Ayush Vibhag, Himachal Pradesh. The Cabinet gave its approval to signing of MoU between Director Ayurveda and M/s HLL Lifecare Limited, a Government of India Enterprises for upgradation of Ayurvedic Health Centre to Ayush Health and Wellness Centres. It gave its approval to fill up eight posts of different categories in the Planning Department through direct recruitment.
शनिवार, हिमाचल कैबिनेट की बैठक मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की अध्यक्षता में हो रही है। इस बैठक में प्रधानमंत्री के दौरे के साथ साथ पर्यटन विकास, कोरोना व ऐसे कई अन्य अहम मुद्दों पर चर्चा की जाएगी। आज की इस बैठक में बाहरी राज्यों के लिए बसें चलाने और डिपुओं में पॉस मशीनों से राशन देने पर भी फैसला हो सकता है। बैठक में शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज, शिक्षा मंत्री गोविंद ठाकुर, मंत्री सरवीण चौधरी व अन्य नेतागण शामिल हुए है। हालांकि बैठक से सरकार के दो मंत्री नदारद रहे। उद्योग एवं परिवहन मंत्री बिक्रम ठाकुर और पंचायती राज एवं पशुपालन मंत्री वीरेंद्र कंवर अनुपस्थित रहे। बिक्रम ठाकुर स्टाफ सदस्य के संक्रमित पाए जाने के बाद क्वारंटाइन हैं।
Rahul Gandhi on Saturday wished the former Prime Minister on his birthday by a tweet and wrote “India feels the absence of a PM with the depth of Manmohan Singh, Congress leader”. Singh, who headed the UPA coalition government between 2004 and 2014, turned 88 on Saturday. "India feels the absence of a PM with the depth of Dr. Manmohan Singh. His honesty, decency, and dedication are a source of inspiration for us all. Wishing him a very happy birthday and a lovely year ahead”. Rahul Gandhi has completely tried to target the leadership in the Modi led government amid the protests going on against the three contentious Farm bills passed by the parliament earlier.
कवि जब बात करे तो बातों से फूल ही झड़ें ये ज़रूरी तो नहीं, कभी-कभी मन से उमड़ते क्रोध भाव की वर्षा भी तो हो सकती है एक कविता। ऐसा ही क्रोध एक बार रामधारी सिंह दिनकर को भी आया। राष्ट्रकवि दिनकर ने खुद कहा "एक राष्ट्रकवि को शायद इतना क्रोध शोभा न दे मगर, इतिहास में याद रखा जाएगा कि एक ऐसी स्थिति आई थी जब राष्ट्रकवि को भी इतना क्रोध आया था।" आखिर ऐसी क्या स्तिथि थी भला कि इतने सुलझे हुए कवि दिनकर, इतना उलझ गए कि उन्होंने इस पर पूरा कविता संग्रह लिख दिया। बात है 1962 में हुए भारत-चीन युद्ध की, और बात है टूटते भरोसे और हौंसले की। चीन भारत की पीठ पर छुरा घोंपने का कार्य भारत तब भी कर रहा था और आज भी कर रहा है। भारत को चीन की ओर से हमला होने की आशंका भी नहीं थी जब यह हमला हुआ, और युद्ध के लिए तैयार न होने के कारण भारत यह युद्ध हार गया। इसी बात से क्रोधित राष्ट्रकवि दिनकर ने कविता संग्रह "परशुराम की प्रतीक्षा" लिखा। यह संग्रह 1963 में प्रकाशित हुआ। दिनकर भारत चीन के बीच हुए समझौते व भारत के झुकने पर आहत थे। उनका मानना था कि इस हार से जन जन का खून खुलना चाहिए। दिनकर ने इस काव्य संग्रह के माध्यम से जन-जन तक आक्रोश का संकेत पहुंचाया। दिनकर यूँ तो जवाहरलाल नेहरू के करीब माने जाते थे परंतु उन्होंने कवि धर्म निभाते हुए उन पर भी तंज कस डाले। उन्होंने कहा- "घातक है, जो देवता-सदृश दिखता है, लेकिन, कमरे में गलत हुक्म लिखता है। जिस पापी को गुण नहीं; गोत्र प्यारा है, समझो, उसने ही हमें यहां मारा है। जो सत्य जान कर भी न सत्य कहता है, या किसी लोभ के विवश मूक रहता है।" दिनकर को साहित्य के साथ-साथ देशप्रेम के लिए भी जाना जाता है। उन्होंने 1957 से पहले कई विद्रोही कविताएं लिखी जिन्होंने आम जनता में आज़ादी के प्रति आक्रोश पैदा किया। ब्रिटिश शासन के दौरान उन्हें जेल भी हुई व उनके इसी देश प्रेम को देखते हुए उन्हें आज़ादी के बाद राष्ट्रकवि घोषित किया गया। भारत चीन के युद्ध में भारत की हार पर दिनकर बेहद क्रोधित हुए। दिनकर को जन जन का कवि कहा जाता है क्योंकि उन्हें हर युग में हर वर्ग के लोगों ने पढ़ा। साफ स्पष्ट शब्दों में आम आदमी की आवाज़ को बड़े तख्तों तक पहुंचाने वाले राष्ट्रकवि दिनकर ने जनता कानून का भी समर्थन किया। उन्होंने इस पर एक विद्रोही कविता लिखी जिसने समय के साथ नारे का रूप ले लिया व आज भी उसकी गूंज सुनाई पड़ती है। उन्होंने लिखा- "सदियों की ठंढी-बुझी राख सुगबुगा उठी, मिट्टी सोने का ताज पहन इठलाती है; दो राह,समय के रथ का घर्घर-नाद सुनो, सिंहासन खाली करो कि जनता आती है।" हिंदुस्तान के सिंहासनों व उनपर विराजमान शासकों पर प्रश्नचिन्ह तो अक़्सर उठते ही आए हैं, खैर वर्तमान स्थिति को देखते हुए दिनकर याद आ ही जाते हैं। दुनिया से विदा लेने के सालों बाद भी दिनकर ज़िंदा हैं चाहने वालों के दिलों में, साहित्य प्रेमियों की स्मृतियों में।
The Delhi health minister, Satyendar Jain, has said that there is no shortage of oxygen in Delhi for treatment of COVID-19 patients but some suppliers have been told that they will supply first in Rajasthan. He said this problem is being resolved by negotiation. The supply of oxygen to Delhi comes from Uttar Pradesh and Rajasthan. Health Minister Satyendra Jain said that at present there is no problem of oxygen in Delhi. Delhi government hospitals have a stock of 6 to 7 days of oxygen. On monday the Health Minister said, there are around 1,000 ICU beds available inDelhi , and 30 percent of the COVID-19 patients admitted to delhi hospitals are from other states.
राज्य कांग्रेस उपाध्यक्ष एवं विधायक राजेंद्र राणा ने भाजपा पर तीखा हमला किया है। जारी प्रेस बयान में राणा ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा की बीजेपी जनादेश से विश्वासघात कर रही है व जनादेश के बहुमत का भी लगातार दुरुपयोग कर रही है। राणा ने खुलासा किया है कि केंद्र की तर्ज पर सत्ता को कारोबार का जरिया मान चुकी बीजेपी प्रदेश के संसाधनों को भी दोनों हाथों से लूटने में लगी है। राणा ने कहा कि केंद्रीय कांगड़ा बैंक में हुए खुलासे के मुताबिक बैंक के चेयरमैन को नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए कागजों के हेरफेर के तिकड़मों के चलते लाखों रुपए का लाभ दिया जा रहा है। राणा ने कहा कि हिमाचल प्रदेश कॉर्पोरेशन एक्ट 1968 तथा नियम 1971 की धारा 41एफ के चलते किसी ऐसे व्यक्ति को बैंक का निदेशक नहीं बनाया जा सकता है, जो कि बैंक से कोई प्रत्यक्ष या परोक्ष लाभ ले रहा हो। यही प्रावधान बैंक के उपनियमों की धारा 29सी में भी रखा गया है, लेकिन केंद्रीय कांगड़ा बैंक की कलाकारी का नमूना यह रहा कि बैंक के चेयरमैन को लाखों का लाभ देने के लिए 1 मार्च 2018 को एफिडेविट दायर करवाया गया कि वह अपने पारिवारिक जसूर स्थित भवन के अपने हिस्से का किराया नहीं लेंगे। यह भवन केंद्रीय कांगड़ा बैंक को किराए पर दिया गया है। इतना ही नहीं परोक्ष लाभ की इस जुगाड़बंदी में किराया न लेने व अन्य कार्य करने का अधिकार बैंक के चेयरमैन ने अपने चाचा को दे दिया। 3890 रुपए से शुरू हुए इस बैंक के किराए को यकायक बढ़ाकर 1 मार्च 2019 को 28 हजार रुपए कर दिया और गजब यह रहा कि किराए की बढ़ोतरी का फैसला बैंक के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर की बैठक में किया गया। जिसके चेयरमैन खुद केंद्रीय कांगड़ा बैंक के चेयरमैन रहे, तथा बैंक के प्रबंधक निदेशक भी इस बैठक में मौजूद रहे। इतना ही नहीं 1 मई 2007 से 30 अप्रैल 2012 तक 32280 रुपए किराए की बढ़ोतरी 22 मार्च 2019 को की गई। फिर 1 मई 2012 से लेकर 28 फरवरी 2019 तक फिर से किराए की बढ़ोतरी करके 48544 कर दी, जिसका भुगतान भी आनन-फानन में 22 अप्रैल 2019 को बैंक द्वारा कर दिया गया। राणा ने कहा कि बीजेपी का यह कारनामा यह बताने के लिए काफी है कि लोग इस पार्टी में सत्ता का कारोबार करने के लिए पद हासिल करते हैं व संसाधनों की लूट के लिए नियमों को ताक पर रखते हैं। वहीं, आम आदमी को महंगाई व बेरोजगारी की सौगात देते हैं।
मॉनसून सत्र के नौवें दिन सभी निलंबित आठ सांसदों ने अपना धरना प्रदर्शन खत्म कर दिया और इसके साथ ही कांग्रेस ने पूरे मानसून सत्र के बहिष्कार का ऐलान किया। कांग्रेस राजयसभा सदस्यों ने आज सदन से वाक आउट किया है। कांग्रेस के अलावा समाजवादी पार्टी (सपा), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी), डीएमके, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी), आम आदमी पार्टी (आप), वामदल, आरजेडी, टीआरएस और बीएसपी ने भी कार्यवाही का बहिष्कार किया है। 20 सितम्बर को इन सांसदों द्वारा किसान बिल पर हंगामे के बाद इन्हे एक हफ्ते के लिए निलंबित कर दिया गया था जिसके बाद सभी सांसद, संसद परिसर में ही धरने पर बैठ गए थे। सभी सांसद गांधी प्रतिमा के पास धरने पर थे और पूरी रात संसद परिसर में गुजार दी। मंगलवार सुबह जैसे ही राज्यसभा की कार्यवाही शुरू हुई, कांग्रेस ने यह मसला उठाया। कांग्रेस सांसद गुलाम नबी आजाद ने कहा कि जब तक हमारे सांसदों के संस्पेंशन को वापस नहीं लिया जाता और किसान के बिलों से संबंधित हमारी मांगों को नहीं माना जाता विपक्ष सत्र से बायकॉट करती है। इसके बाद समाजवादी पार्टी के सांसद राम गोपाल यादव ने कहा कि मैंने न केवल सांसदों की सदन वापसी की मांग की बल्कि मैंने विपक्ष की तरफ से माफी भी मांगी, लेकिन मेरी माफी के बदले कोई रिस्पांस नहीं दिया गया। इससे मुझे बहुत कष्ट हुआ। इसलिए मैं और मेरी पूरी पार्टी संसद के इस पूरे सत्र का बहिष्कार करती है।
Showering praise on the deputy chairman of Rajya Sabha Harivansh Narayan Singh, Prime Minister Narendra Modi said that deputy chairman’s inspiring and statesman like conduct will make every democracy lover proud. PM Modi took to his twitter handle to praise the Chairman. “To personally serve tea to those who attacked and insulted him a few days ago as well as those sitting on Dharna shows that Shri Harivansh Ji has been blessed with a humble mind and a big heart. It shows his greatness. I join the people of India in congratulating Harivansh Ji”, he tweeted. PM Modi further said that this act showed Harivansh's greatness. "For centuries, the great land of Bihar has been teaching us the values of democracy. In line with that wonderful ethos, MP from Bihar and Rajya Sabha Deputy Chairperson Shri Harivansh Ji’s inspiring and statesman like conduct this morning will make every democracy lover proud," PM said in another tweet. One of the suspended MPs and AAP leader Sanjay Singh was quick to respond to PM Modi’s tweet. “Modi ji we are not fighting over tea. We are fighting for the welfare of farmers”, he tweeted. Rajya Sabha Deputy Chairman Harivansh arrived this morning with tea for the eight opposition members who had spent the night on the lawns of Parliament to protest the passage of two contentious farm bills without a division of votes on Sunday in the Upper House. However, the suspended MPs refused to take tea from Harivansh.
After the suspension of eight rajya sabha MPs on monday the opposition parties hit out at the government and are holding a protest outside the Parliament premises. Opposition parties like the Congress, CPI(M), Shiv Sena, JDS, TMC, CPI, and the Samajwadi Party are holding a protest on the Parliament premises with placards that read "Murder of Democracy", "Death of Parliament" and "Shame, shame". Eight members from the Congress, CPI(M), Trinamool Congress and the AAP were suspended for the remaining part of the monsoon session over their "unruly behaviour" during the passage of farm bills in the Upper House of Parliament. CPI(M) MP Elamaram Kareem, who is among those suspended said, "Suspension won't silence us. We will stand with farmers in their fight. Deputy chairman throttled parliamentary procedures yesterday. Suspension of MPs exposed the cowardly face of the BJP. People will see through the attempt to divert attention from their undemocratic actions." "Wake up crores of farmers of the country, the BJP government has mortgaged your life to Adani-Ambani, wake up and oppose this black law. We are on agitation in Parliament, you should agitate outside. The BJP government has passed a black law against farmers. We were terminated for opposing the bill," said AAP MP Sanjay Singh. "That is why we are sitting on dharna and will keep sitting till the BJP government explains why this black law was passed by strangling democracy," he added. A number of non-NDA parties have also written to President Ram Nath Kovid over the manner in which the government “pushed through its agenda” and urged him not to grant his assent to the proposed legislation.
भाजपा की तेज़तर्रार नेता व पूर्व मंत्री श्यामा शर्मा ने सोमवार को पंचकूला के एक निजी अस्पताल में आखिरी सासें लीं। उनके आकस्मिक निधन से पुरे हिमाचल प्रदेश में शोक की लहर दौड़ गई है। बता दें श्यामा पिछले कुछ दिनों से बीमार चल रही थीं। सोमवार को अचानक उनकी तबियत बिगड़ी और उन्हें नाहन स्थित मेडिकल कॉलेज ले जाया गया, जहाँ से उन्हें चंडीगढ़ PGI रेफेर कर दिया गया पर श्यामा ने बीच रस्ते में ही दम तोड़ दिया। पूर्व मंत्री श्यामा ने 16 सितम्बर को ही प्रधानमंत्री मोदी को फेसबुक पर शुभकामनाएं प्रेषित की थीं, पर उस समय कौन जनता था वह चंद रोज़ में दुनिया को अलविदा कह देंगी। श्यामा अपनी आखिरी समय तक राजनीती व समाजसेवा के क्षेत्र में सक्रिय रहीं। उनका राजनितिक करियर 42 सालों का रहा। वह तीन बार विधायक और एक बार मंत्री भी रहीं। उन्होंने भाजपा को जिला सिरमौर में पहचान दिलाई व संगठन के लिए कई बड़े कार्य किए। उन्होंने छात्र राजनीती से अपना करियर शुरू किया। उन्होंने पहली बार 1977 में नाहन विधानसभा से चुनाव लड़ा था और जीत भी हासिल की। श्यामा शर्मा नाहन से तीन बार विधायक 1977, 1982 व 1990 में रही। 1977 में वह तात्कालीन सरकार मेें पंचायती राज, खाद्य एवं आपूर्ति तथा विधि मंत्री रही। इसके बाद प्रेम कुमार धूमल की सरकार में राज्य योजना बोर्ड की उपाध्यक्ष भी रही। मुख्यमंत्री ने जताया शोक हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने पूर्व मंत्री श्यामा शर्मा के निधन पर शोक जताया है। सीएम ने कहा श्यामा शर्मा ने पार्टी और जनता की निस्वार्थ एवं समर्पण भाव से सेवा की है। भगवान उनकी दिवंगत आत्मा काे शांति प्रदान करे व परिवार को यह दुख सहने की शक्ति दे।
किसान बिल को विरोध के बीच ध्वनि मत से पास कर दिया गया, जिसके बाद बीते कल विपक्ष के नेताओं ने हंगामा किया। आज मानसून सत्र के आठवें दिन, विपक्ष के हंगामे का मुद्दा उठाते हुए 8 विपक्षी सांसदों को राज्य सभा से निलंबित कर दिया गया। एक हफ्ते तक यह सांसद राज्य सभा की किसी भी कार्यवाही में हिस्सा नहीं ले पाएंगे। सांसदों पर उपसभापति के साथ दुर्व्यवहार करने का आरोप है। इन सांसदों के नाम- डेरेक ओ ब्रायन, संजय सिंह, राजू सातव, केके रागेश, रिपुन बोरा, डोला सेन, सैयद नजीर हुसैन और एलमरन करीम हैं। सांसद इसके बाद भी हंगामा करने से पीछे नहीं हैं, सभी निलंबित सांसद सदन में पहुंच गए और हंगामा करना शुरू कर दिया जिसके बाद उपसभापति ने सत्र की कार्यवाही को 10:30 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया।
बिहार में इस साल विधानसभा के लिए चुनाव होने है। चुनाव नजदीक आते ही बिहार की राजनीती में सियासी हलचल तेज हो गई है। शनिवार को बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने पटना में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात की. मुलाकात के बाद आत्मनिर्भर बिहार कार्यक्रम में बोलते हुए नड्डा ने साफ कर दिया कि भाजपा और एलजेपी, नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही विधानसभा चुनाव लड़ेंगे. बताया जा रहा है कि नीतीश व जेपी नड्डा के बीच चुनाव में सीटों को लेकर चर्चा हुई। विधानसभा चुनाव से पहले सत्ताधारी एनडीए में रार चल रही है. एलजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान ने नीतीश कुमार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है. चिराग के तेवर अलग ही संकेत दे रहे हैं, वहीं भारतीय जनता पार्टी का दावा है कि एनडीए के सभी घटक दल साथ मिलकर बिहार के चुनावी रण में उतरेंगे.
Maharashtra's ruling power Shiv Sena, allegedly attacked an ex-navy officer for forwarding Uddhav Thakarey’s ridiculing cartoon on social media. The 65-year-old Madan Sharma was attacked near his home in Kandivali East, Mumbai. The retired Navy Officer filed a complaint against Shiv Sena workers where he said that he forwarded Uddhav Thakeray’s funny cartoon in his residential society’s WhatsApp group. Later that day he got a call from Kamlesh Kadam, who called him outside his building where he was attacked by a group of masked men. Society’s CCTV footage is being widely shared on social media where Madan Sharma is seen thrashed by masked men. In the footage, Madan walked outside his building towards the main gate and after a few moments he’s seen running back and a group of men chasing him. One of them punched him on his face. Several BJP leaders, including former Chief Minister Devendra Fadnavis, posted a photo of an injured Madan Sharma. "The ruling Shiv Sena which showed its masculinity by demolishing the office of actor Kangana Ranaut has now beaten a retired Navy officer and has injured his eye. The Chief Minister is running dictatorship from his house," Atul Bhatkhalkar, BJP MLA from Mumbai's Kandivali East constituency, tweeted In the following matter, six people including Kamlesh Kadam are arrested by the police and the investigation is under process.
विधानसभा के मानसून सत्र के पहले दिन शोकोदगार के खत्म होते ही विपक्ष के नेता मुकेश अग्निहोत्री ने नियम 67 के स्थगन प्रस्ताव तहत चर्चा की मांग की। विपक्ष के नेता सदन में कहा कि कोरोना काल मे सरकार पूरी तरह असफल रही है पहले इस पर चर्चा हो। इस पर मुख्यमंत्री बोलने के लिए उठे लेकिन विपक्ष ने शोर शराबा शुरू कर दिया। विपक्ष के नेता ने कहा कोरोना काल मे भ्रष्टाचार हुआ, लोगों पर अतिरिक्त बोझ डाला गया, यहां तक कि सरकार की पूरी मशीनरी फ़ेल हो गई है इसलिए मुख्यमंत्री और मंत्री अपने पद से इस्तीफ़ा दें। इस पर विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि विपक्ष नियमों पर धज्जियां उड़ा रहा है ओर जो प्रस्ताव दिया है उस पर बोलें। इस बीच सत्ता पक्ष की तरफ से भी विपक्ष के रवैये का विरोध हुआ। दोनों ही दलों के नेता अपनी-अपनी कुर्सियों से खड़े हो गए औऱ शोर शराबा शुरू कर दिया। विधानसभा अध्यक्ष ने फ़िर कहा कि जो प्रस्ताव दिया गया है विपक्ष उस पर बोले। इस बीच मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर उठे लेकिन विपक्ष ने उन्हें बोलने नहीं दिया। इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ने विपक्ष को 67 स्थगन प्रस्ताव के तहत बोलने को कहा ओर विधानसभा अध्यक्ष ने विपक्ष को चर्चा के लिए इजाज़त दे दी। विधानसभा अध्यक्ष विपिन परमार ने कहा कि विपक्ष ने कोरोना काल को लेकर 67 के तहत प्रस्ताव लाया। इसी विषय पर अन्य सदस्यों ने भी चर्चा मांगी है। इस पर 130 पर भी चर्चा दी गई है। इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ने मुख्यमंत्री को बोलने की इजाज़त दी। मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने कहा कि कोरोना को लेकर व्यक्तव्य देना ही था। सरकार हर चर्चा के लिए तैयार है। आजतक ऐसा कभी नहीं हुआ कि नियम 67 के अंतर्गत स्थगन प्रस्ताव लाया गया औऱ उसे स्वीकार किया हो। बावजूद इसके सरकार हर चर्चा के लिए तैयार है। लेकिन विपक्ष कोरोना जैसी वैश्विक बीमारी को गंभीरता से नहीं ले रही है। फिर भी सरकार 67 के तहत चर्चा को तैयार है। इस पर एक बार फ़िर दोनों पक्षों में सदन के अंदर नारेबाजी शुरू हो गई। सत्ता पक्ष कहने लगा कि विपक्ष अपने जाल में फंस गया। उधर विपक्ष "चोर मचाए शोर" की नारेबाज़ी करने लगा। इसी बीच विधानसभा अध्यक्ष ने 67 नियम के तहत ही चर्चा की इजाज़त दे दी गई। मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने 3 नए मंत्रियों राकेश पठानियां, सुखराम चौधरी औऱ राजेन्द्र गर्ग का भी सदन में परिचय दिया। इसी के साथ इतिहास में पहली बार नियम 67 स्थगन प्रस्ताव के तहत चर्चा शुरू हुई जो अभी चल रही है।
The State Cabinet in its meeting held here today under the Chairmanship of Chief Minister Jai Ram Thakur decided to continue with registration for people entering the State till 15th September, 2020. It also decided to open big temples/religious places of the State by 10th September, 2020. Language, Art and Culture Department will prepare SOP in this regard. It was decided that the quarantine requirement be reduced from 14 days to 10 days. The District Administration would strictly enforce use of masks and social distancing in the field. The Cabinet decided to provide wheat flour and rice to the income tax payee APL Consumers under Public Distribution System as was being provided to them earlier on APL rates and provide them pulses, edible oil, salt and sugar on zero subsidy on actual rates. To address the vision of 'Aatma Nirbhar Bharat Abhiyan' significantly by creating a sustainable ecosystem of affordable rental housing solutions for urban migrants/poor and to achieve overall objective of 'Housing for All', the State Cabinet decided to request Ministry of Housing and Urban affairs, Government of India to sign Memorandum of Agreement (MoA) related to Affordable Rental Housing Complexes Scheme with the State Government. The Cabinet gave its approval to open Sub Treasury at Nagrota Bagwan in Kangra district alongwith creation of five posts of different categories to manage this Sub Treasury. It gave its consent to open Sub Tehsil at Bagachanogi in Tehsil Thunag of Mandi district alongwith creation of 12 posts of different categories. The newly created Sub Tehsil will have six patwar circles viz. Shawa, Kalhani, Kalipar, Shilhibagi, Shiwakhad and Jainshla. The Cabinet also gave its nod to open Patwar circle Jainshla under Tehsil Thunag of Mandi district keeping in view the tough geographic conditions of the area. It decided to fill up 10 posts of class IV employees in Panchayati Raj Department. It gave its approval to transfer Gram Panchayat Kot from Police Station Shimla East (Chhota Shimla) to Police Station West (Boileauganj) in district Shimla to facilitate the people. Presentations were also made by the Industries department before the Cabinet regarding proposed 'Bulk Drug Pharma Park', 'Energy Charges in the State' and on 'Brick Kiln and their related issues'.
पूर्व राष्ट्रपति प्रणभ मुख़र्जी के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जताया शोक। उन्होंने उनके दिल्ली स्थित घर पहुँच कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रणभ मुख़र्जी के साथ अपनी तस्वीर ट्विटर पर डाली और लिखा "दशकों तक चले अपने राजनीतिक जीवन के दौरान, श्री प्रणब मुखर्जी ने प्रमुख आर्थिक और रणनीतिक मंत्रालयों में लंबे समय तक योगदान दिया। वह एक उत्कृष्ट सांसद थे, हमेशा अच्छी तरह से तैयार, बेहद मुखर और साथ ही मजाकिया। "
भारत के पूर्व राष्ट्रपति भारत रत्न प्रणभ मुख़र्जी को अंतिम विदाई दी गई। उनका अंतिम संस्कार दिल्ली के लोधी रोड स्थित श्मशान घाट में किया गया। टयुमर के कारण उन्हें अस्पताल लाए जाने पर वह कोरोना संक्रमित पाए गए थे। जिसके चलते अंतिम संस्कार के दौरान भी ज़्यादा लोगों की मौजूदगी नहीं रही। कोरोना के चलते सभी ज़रूरी एहतियात के साथ अंतिम संस्कार किया गया।
राजीव गाँधी (20 अगस्त 1944 - 21 मई 1991) भारत के सबसे कम उम्र के प्रधानमंत्री राजीव गाँधी के जीवन की कहानी किसी हिंदी नाटकीय फिल्म से कम नहीं रही। वैसे तो सत्य यह भी है कि राजनैतिक दुनिया किसी नाटक से कम नहीं है, और राजीव गाँधी की ज़िन्दगी इसका जीता जागता उदहारण रही। राजीव की राजनीति में आने की कहानी राजनीती में आने से पहले राजीव गाँधी इंडियन एयरलाइन्स में बतौर पायलट तैनात थे। राजीव की राजनीति में कोई दिलचस्पी नहीं थी। पर पारिवारिक हालत और परिस्तिथि ऐसे बने कि राजीव कि न सिर्फ राजनीति में एंट्री हुई बल्कि वे देश के प्रधानमंत्री भी बन गए। दरअसल , इंदिरा गाँधी की राजनैतिक विरासत उनके छोटे पुत्र संजय गाँधी संभल रहे थे। इंदिरा के बाद वे ही नंबर दो थे और ये तय था कि वे ही इंदिरा की राजनैतिक विरासत को संभालेंगे। पर पहले एक हादसे में संजय गाँधी का निधन हुआ और फिर 1984 में इंदिरा की एक आतंकवादी हमले में हत्या कर दी गई। इंदिरा की हत्या के बाद सभी निगाहें राजीव गाँधी पर टिक गई। आखिरकार, हालात के चलते वे रातो-रात विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के प्रधानमंत्री बन गए।विरासत में मिला कार्यकाल पूरा कर 1 साल बाद फिर से चुनाव लड़ कर राजीव प्रचंड बहुमत से प्रधानमंत्री बने। राजीव का राजनैतिक कार्यकाल दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत के सबसे युवा प्रधानमंत्री, राजीव पढ़े लिखे और सुलझे विचारों के थे, व जिस 21 वीं सदी में हम रहते हैं, इसका सपना राजीव ने ही संजोया था। जानते है बतौर प्रधानमंत्री राजीव गाँधी द्वारा लिए गए उन तीन बड़े फैसलों के बारे में जिन्होंने हिंदुस्तान को एक नई दिशा दी। - राजीव भारत में कंप्यूटर क्रान्ति लेकर आये जिसके चलते, भारत में विकास की गति बढ़ी व लोगों की रोज़मर्रा की ज़िन्दगी आसान हुई।हालंकि शुरूआती दौर में विपक्ष ने उनके इस निर्णय का जमकर विरोध किया पर आगे चलकर पूरा हिंदुस्तान उन्ही के बताये रास्ते पर चला। आज की सरकारें भी डिजिटल इंडिया का नारा देती है जिसका आगाज़ बतौर प्रधानमंत्री राजीव गाँधी ने किया था। - देश में मतदान करनी की वेध आयु 21 वर्ष हुआ करती थी जिसे राजीव गाँधी ने घटाकर 18 वर्ष किया। - वर्तमान पंचायती राज व्यवस्था भी राजीव गाँधी की सोच का ही नतीजा है। राजीव चाहते थे कि लोकतंत्र कि मजबूती के लिए सबसे निचले स्तर यानी पंचायत स्तर पर भी चुनाव हो। आगे चलकर पीवी नरसिम्हा राव की सरकार में उनकी सोच को अमलीजामा पहनाया गया। भारतीय राजनीति की सबसे खूबसूरत लव स्टोरी के नायक थे राजीव राजीव गाँधी की प्रेम कहानी एक खूबसूरत कल्पना की तरह शुरू हुई और एक दुखद मोड़ पर इसका अंत हुआ। राजीव जब इंग्लैंड में थे तो इटली की रहने वाली युवती, सोनिया मैनो को पहली नज़र में दिल दे बैठे। सोनिया, राजीव के ही कॉलेज में पढ़ती थी व राजीव ने उन्हें पहली बार कॉलेज की कैंटीन में देखा था। दोनों की जल्द ही दोस्ती हुई और दोस्ती एक खूबसूरत सपने की तरह प्यार में बदल गई। दोनो एक दूसरे को जीवन साथी के रूप में चुन चुके थे व जल्द ही अपने परिवारों को भी इसके बारे में बता दिया। कहते है कि मां इंदिरा चाहती थी कि राजीव की शादी बॉलीवुड के शोमैन राज कपूर की बेटी से हो। पर राजीव तो अपना दिल सोनिया को दे बैठे थे। राजीव के कहने पर इंदिरा सोनिया से मिली व दोनो के फैसले का खुले मन से स्वागत किया। दोनो की शादी 1968 में हुई। राजीव से हुई इस पहली मुलाक़ात के बारे में सोनिया ने उनकी मृत्यु के बाद लिखे एक पत्र में कहा था "मैं भूल जाना चाहती हूँ उनका आखिरी चेहरा , और रेस्टोरेंट में हुई वो पहली मुलाक़ात , वो मुस्कान याद रखना चाहती हूँ।"
31 अक्टूबर 1984 । ये वो दिन है जब तत्कालीन प्रधानमंत्री और हिंदुस्तान की राजनीति की आयरन लेडी इंदिरा गाँधी की उन्ही के अंगरक्षकों द्वारा हत्या कर दी गई। इंदिरा की हत्या से पुरे देश में मातम का माहौल था। दुःख और अवसाद के बीच कांग्रेस थिंक टैंक के सामने देश को अगला प्रधानमंत्री देने की चुनौती भी थी। चुनौती इसलिए भी विकट थी क्यों कि कुछ समय पहले ही संजय गाँधी भी दुनिया से रुक्सत कर चुके थे। कई नाम रेस में थे और कई नेता इस उम्मीद में थे कि वरिष्ठता और परफॉरमेंस के आधार पर उन्हें पार्टी देश का नेतृत्व करने का ज़िम्मा देगी। पर जैसा कांग्रेस में रिवाज़ है, पीएम की कुर्सी पर ताजपोशी हुई राजीव गाँधी की। कई नेताओं ने इसका आंतरिक विरोध किया और कई बगावत पर उतर आए। इन्ही बगावत करने वालों में से एक थे प्रणब मुखर्जी। वही प्रणब मुखर्जी जो इंदिरा गाँधी की सरकार में वित्त मंत्री थे। वही प्रणब मुखर्जी गांधी के सबसे भरोसेमंद लेफ्टिनेंट कहा जाता था। वही प्रणब मुखर्जी जिनके लिए इंदिरा गाँधी कहती थी 'प्रणब मुखर्जी के मुँह से सिर्फ पाइप का धुआं निकल सकता है, मेरा या कांग्रेस का राज़ नहीं।' मुखर्जी को राजनीति में टिकट तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने दिया था, पर उनकी मृत्यु के बाद उनके बेटे राजीव गाँधी ने प्रणब के पॉलिटिकल ग्राफ पर ब्रेक लगा दी। इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए लोकसभा चुनाव के बाद राजीव गांधी की समर्थक मण्डली ने उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल नहीं होने दिया। कुछ समय के लिए उन्हें कांग्रेस पार्टी से निकाल दिया गया। प्रणब को उस समय समझ नहीं आया क्या प्रतिक्रिया दें। उस दौरान उन्होंने अपने राजनीतिक दल राष्ट्रीय समाजवादी कांग्रेस का गठन किया। शुरुआत में लगा की शायद कांग्रेस का ये धड़ा मजबूत होगा पर मार्च 1987 में हुए बंगाल के चुनाव में प्रणव को मुँह की खानी पड़ी। राष्ट्रीय समाजवादी कांग्रेस का इन चुनावों में खाता ही नहीं खुला। यहाँ से ही प्रणव का सबसे बुरा वक्त शुरू हो गया। जो अच्छे वक्त में परछाई हुआ करते थे, वो भी अब दूर दूर रहने लगे। कहते है की उस दौरान प्रणब दा अपने कार्यालय में अकेले बैठे फाइलों के पन्ने पलटते रहते व पाइप पीते रहते। प्रणब भी शायद समझ चुके थे कि पार्टी से राह अलग करना उनका गलत फैसला था। उस वक्त उन्हें याद आए अपने पुराने मित्र संतोष मोहन देव। कई महीनो की जद्दोजहद के बाद संतोष मोहन देव व शीला दीक्षित, राजीव गाँधी को समझाने में सफल हुए की प्रणब को विरोधी खेमे में रख कर कोई फायदा नहीं है। कुछ इस तरह प्रणव की कांग्रेस में वापसी प्रशस्त हुई। हालाँकि राजीव के रहते उनकी किसी बड़े पद पर नियुक्ति नहीं हुई। 1989 में राजीव गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस चुनाव हार गई। दो साल बाद 1991 में राजीव गांधी की हत्या हो गई। राजनीति करवट ले चुकी थी, समय बदला, कांग्रेस का वनवास खत्म हुआ और सत्ता में वापसी हुई। प्रधानमंत्री बने पीवी नरसिम्हा राव। वही नरसिम्हा राव जो कभी प्रणब के जोड़ीदार हुआ करते थे। प्रणब को लगा शायद उन्हें कैबिनेट में जगह मिल जाए, पर किस्मत को कुछ और ही मज़ूर था। प्रणब को खली हाथ, हताश ही लौटना पड़। पर कुछ ही दिनों के बाद उन्हें नरसिम्हा राव का फ़ोन आया और उन्हें योजना आयोग का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया। अपने पूरे कार्यकाल में प्रणब ने ध्यान रखा कि वह राव के विश्वासपात्र तो बने रहे पर इतने करीबी न दिखें कि गाँधी परिवार उन्हें फिर शक की निगाहों से देखने लगे। राव का दौरा सम्पत हुआ और करीब 8 साल कांग्रेस फिर सत्ता से दूर रही। इस दरमियान कांग्रेस की भागदौड़ एक बार फिर गाँधी परिवार के हाथ में जा चुकी थी। अब कांग्रेस के सारे दरवाजे सोनिया गाँधी के बंगले 10 जनपथ पर जाकर खुलते थे। 2004 में जब कांग्रेस के नेतृत्व वाला संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सत्ता में आया, तो लगा इंदिरा की बहु सोनिया गाँधी प्रधानमंत्री होगी। किन्तु सोनिया ने प्रधानमंत्री बनने से इंकार कर दिया। ये वो पहला मौका था जब शायद प्रणव मुखर्जी प्रधानमंत्री बनते बनते रह गए। सोनिया गाँधी ने मनमोहन सिंह पर भरोसा जताया। वही मनमोहन सिंह जिन्हे भारत के आर्थिक सुधारों का जनक कहा जाता है। खैर प्रणब दा प्रधानमंत्री नहीं बन सके लेकिन यूपीए शासन में वे एक ताकतवर मंत्री के तौर पर अपनी सेवाएं देते रहे। फिर साल आया 2012 का। कांग्रेस को राष्ट्रपति चुनाव के लिए प्रत्याशी घोषित करना था। 2012 आते-आते वैसे भी जनता का कांग्रेस शासित सरकार से मोह भंग हो चूका था। पार्टी को भी इस बात का एहसास था। मनमोहन सिंह के नाम पर एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर का ठप्पा लग चूका था। बताया जाता है की उस दौरान कांग्रेस का एक गट चाहता था की मनमोहन सिंह को राष्ट्रपति भवन भेज दिया जाए और बचे और वक्त में सत्ता भी बागदौड प्रणव दा को सौप दी जाए। पर हुआ वही जो 10 जनपथ का फरमान था। प्रणब मुखर्जी राष्ट्रपति बने। इसके साथ ही न सिर्फ उनका प्रधानमंत्री बनने का स्वप्न अधूरा रह गया बल्कि उनकी सक्रीय राजनीति से सदा के लिए विदाई भी हो गई। प्रणब मुखर्जी का राजनीतिक अनुभव उनका राजनितिक करियर 1969 में कांग्रेस पार्टी के राज्यसभा सदस्य के रूप में शुरू हुआ था। 1973 में वे औद्योगिक विकास विभाग के केंद्रीय उप मन्त्री के रूप में मन्त्रिमण्डल में शामिल हुए। 1982 -1984 तक कई कैबिनेट पदों के लिए चुने जाते रहे। 1984 में भारत के वित्त मंत्री बने। 1991 योजना आयोग का उपाध्यक्ष बने। 1995 -1996 तक विदेश मन्त्री के रूप में कार्य किया। 1997 में उन्हें उत्कृष्ट सांसद चुना गया। 2004 में लोकसभा में सदन का नेता बनाया गया। 2009 में देश का वित्त मंत्री चुने गए। 2012 में देश के राष्ट्रपति बने।
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने आशा वर्कर्स के हड़ताल का मुदा उठा कर सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने एक ट्वीट किया और कहा 'आशा कार्यकर्ता सही मायने में हेल्थ वॉरियर्स हैं, लेकिन वे आज अपने हक के लिए हड़ताल करने पर मजबूर हैं।' राहुल ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि "सरकार गूंगी तो थी ही, अब शायद अंधी-बहरी भी है।" देश की करीब 6 लाख आशा वर्कर्स विभिन्न मांगों को लेकर 7 अगस्त से दो दिवसीय हड़ताल पर हैं। 7 अगस्त से दो दिवसीय हड़ताल पर आशा वर्कर्स देशभर की करीब 6 लाख आशा वर्करों 7 अगस्त से दो दिवसीय हड़ताल पर हैं। उन्होंने सरकार से कई महत्वपूर्ण मांगे रखी हैं। उनकी सबसे पहली मांग है कि उनकी सैलरी उन्हें टाइम से मुहैया करवाई जाए, तथा उन्होंने सैलरी बढ़ाने की डिमांड भी रखी है ताकि वे कोरोना महामारी के समय जिस तरह से मदद कर रही हैं, वो जारी रख सकें। साथ ही उन्होंने सरकार से बीमा और जोखिम भत्ते जैसी सुविधाएं मुहैया करवाने कि भी मांग कि हैं। आशा वर्कर्स को इस में 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियन्स भी सप्पोर्ट कर रही हैं।
नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने एक बार फिर सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने प्रदेश में बढ़ रहे खुदकुशी के मामलों को लेकर प्रदेश सरकार को घेरने का प्रयास किया। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में कोरोना के कहर से खुदकुशी का तांडव मचा हुआ है और प्रदेश सरकार के मंत्री जश्न मना रहे है। रिकोर्ड तोड़ खुदकुशियों से बेपरवाह जयराम सरकार के मंत्री अपने स्वागतों में डटे हैं। लोग मर रहे हैं और भाजपा के लोग मंत्रीयों को को कंधो पर उठा कर झूम रहे हैं। मुक़ेश अग्निहोत्री ने सवाल किया कि क्या कोरोना का कानून सिर्फ़ विपक्ष के लिए ही है? क्या सत्ता में विराजमान लोगों को उसे में छूट दे रखी है। विपक्ष विरोध प्रदर्शन करे तो मामले दर्ज, मगर सरकार सारे में नाचती रहे। यह दोहरा कानून नहीं चलेगा। मुख्यमंत्री भी सारे प्रदेश में पट्टिकाएं लगा कर दिल बहला रहे है। उन्होंने कहा, सरकारी आंकड़े गवाह हैं कि जयराम सरकार के कार्यकाल में 2000 खुदकुशी के मामले आ चुके हैं। किसी सरकार के समय में भी इतना कहर नहीं बरपा। 2018 में 780 और 2019 में 710 लोगों ने खुदकुशी की, मगर कोरोना में 466 खुदकुशियाँ चिंताजनक है और सरकार के दावों की पोल खोलता है। देव भूमि में जुलाई में 101 और जून में 112 व मई में 89 खुदकुशी के मामले आए हैं। ऐसे में यह सरकार विकास के लिए नहीं खुदकुशियों के लिए जानी जाएगी। उन्होंने कहा कि हर वार सरकारी आंकड़ों को सरकार यह कह कर नाकार देती है कि न जाने मुकेश अग्निहोत्री आंकड़े कहाँ से लाए? अबकी बार तो पुलिस ने बाकायदा पत्रकार सम्मेलन कर जारी किए हैं। उन्होंने कहा लोगों कि नौकरियाँ छिन गई, बेरोजगारी बढ़ गई मगर सरकार आलोकप्रिय निर्णय लेती जा रही। अब बिजली के दाम भी बढ़ा दिए। राशन और सफर भी महँगा कर दिया है। जनता में हाहाकार से बेपरवाह सरकार राजनीति में डटी है जबकि खुदकुशियों के अलावा बलात्कार के आँकड़े भी चौंकाने वाले हैं।
राम मंदिर का शिलान्यास हो गया है। भारत का अधिकतर वर्ग गौरवान्वित महसूस कर रहा होगा परन्तु क्या जिस प्रकार या जिस उद्देश्य से और जिस तरह से शिलान्यास करवाया गया यदि चार मठों के मठाधीशों, शंकराचार्य या फिर अन्य मठाधीशों को बुलाया जाता तो कितना अच्छा रहता। यह बात पूर्व प्रदेश कांग्रेस सचिव एवं सह संयोजक पंचायती राज संगठन हीरा पाल सिंह ठाकुर ने कही। उन्होंने कहा कि यह भूमि पूजन राष्ट्र के मुखिया राष्ट्रपति से करवाया जाता या फिर इस कार्यक्रम में उन्हें भागीदार बनाया जाता तो कितना बेहतर होता। हीरा पाल सिंह ने कहा कि इनको संघ के मुखिया चाहिए थे क्योंकि संघ के बगैर इनकी कुर्सी कभी भी डगमगा जाती है परन्तु वर्तमान सरकार के मुखिया को इस शिलान्यास की जल्दी क्यों थी, क्या इस कार्यक्रम के बहाने बिहार और बेस्ट बंगाल का चुनाव भी जीतना चाहते थे। उन्होंने कहा कि आज कोरोना का आंकड़ा 19 लाख से अधिक हो गया है। रोजाना हजारो लोग मर रहे हैं। अब तक 50 हजार से ज्यादा लोग राष्ट्र में मौत के ग्रास बन गए हैं परंतु केंद्र सरकार राज्य सरकार के कानों में जूं तक नही रेंग रही है। हर दिन 50 हजार के लगभग नए कोरोना संक्रमित लोग आ रहे हैं। आज भारत विश्व में प्रथम पायदान पर आ गया है लेकिन केंद्र सरकार सिर्फ मन्दिर मूर्ति स्थापना तक सीमित है।
कोरोना संकट के बीच के बीच और लंबे इंतजार के बाद हिमाचल प्रदेश में जयराम कैबिनेट का विस्तार हो गया है। कैबिनेट में पांवटा साहिब से सुखराम चौधरी, नूरपुर से राकेश पठानिया व घुमारवीं से राजेंद्र गर्ग को शामिल किया गया है। ये तीनों ही पहली मर्तबा कैबिनेट में शामिल किए गए हैं, इनमें राजेंद्र गर्ग तो विधायक भी पहली ही मर्तबा बने थे। राजभवन में आयोजित हुए शपथ ग्रहण समारोह को सादे तौर पर आयोजित किया गया, कोविड-19 के चलते इसमें कुछ लोगों को ही आने का निमंत्रण था। तीनों को राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने शपथ दिलवाई। तीनों ने शपथ लेने के बाद सीएम जयराम ठाकुर का अभिवादन किया। याद रहे कि कैबिनेट में तीनों पद खाली चल रहे थे। सिरमौर जिला कांग्रेस का गढ़ रहा है लेकिन कांग्रेस की परंपरागत सीट पांवटा साहिबसीट को पहली बार बीजेपी की झोली में वर्ष 2003 में डालने वाले सुखराम चौधरी का दावा कैबिनेट के लिए पहले भी मजबूत था, लेकिन सिरमौर जिले से डाॅ राजीव बिंदल के विधानसभा अध्यक्ष बनते ही सुखराम को जगह नहीं मिल पाई। डॉ. बिंदल के इस्तीफा देने के बाद अब जब कैबिनेट विस्तार हुआ तो सिरमौर के हिस्से से कैबिनेट की खाली जगह पर सुखराम की ताजपोशी पहले से ही तय मानी जाने लगी थी। सुखराम सिरमौर जिले में पुरुल्ला तहसील के निवासी हैं। सुखराम ने 12 वीं कक्षा तक पढ़ाई की है। 2012 के हिमाचल प्रदेश के चुनाव में सुखराम निर्दलीय उम्मीदवार किरणेश जंग से 790 के मामूली अंतर से हार गए थे। सत्ता के संतुलन का केंद्र कहे जाने वाले कांगड़ा जिले से राकेश पठानिया का ताल्लुक और जयराम कैबिनेट में इस जिले से खाली हुई किशन कपूर व विपिन परमार की जगह भरने को शुरू से ही नूरपुर के पठानिया सबसे परफेक्ट दावेदार माने जा रहे थे। पठानिया बीजेपी की राजनीति में हमेशा तेज-तर्रार नेताओं में से एक है और सदन के अंदर और बाहर भी पार्टी और सरकार के समर्थन में हमेशा फ्रंट पर खडे दिखे हैं। राकेश पठानिया के पिता का नाम कहन सिंह सिंह पठानिया है। उन्होंने अपनी इंटरमीडियट की पढ़ाई 1981 में पूरी की। वह पेशे से कृषक और खेती उनका व्यवसाय है। राकेश पठानिया नूरपुर विधानसभा के काफी अनुभवी राजनेता रहे हैं। इसके पहले वह एक बार निर्दलाीय जबकि दो बार बीजेपी से चुनाव लड़ चुके हैं। वह 2007 में तो जीते थे लेकिन 2012 में निर्दलीय चुनाव लड़ने की वजह से हार का मुंह देखना पड़ा था। 1998 में विधानसभा चुनाव जीता जबकि 2003 के चुनाव में हार गए थे। उन्हें चुनाव में 23179 वोट मिले थे। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में राजेंद्र गर्ग ने ना सिर्फ टिकट लेकर सबको चौंका दिया बल्कि कांग्रेस में मुखर रहने वाले राजेश धर्माणी को भी अपने पहले ही चुनावी समर में परास्त कर दिया था। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के गह जिला बिलासपुर से ताल्लुक रखने वाले धर्माणी को अपने विधानसभा क्षेत्र घुमारवीं में मिलनसार माना जाता है। राजेंद्र गर्ग का बिलासपुर जिले में लोगों से जुड़ाव और संगठन के अंदर लंबी पारी कैबिनेट तक पहुंचाने में मददगार रही है। राजेंद्र गर्ग स्नातकोत्तर है, उन्होंने जिवाजी विश्वविद्यालय ग्वालियर से 1990 में एमएससी की डिग्री ली है।
सीएम जयराम ठाकुर की कोरोना रिपोर्ट नेगेटिव आ गई है। इस बात की जानकारी उन्होंने स्वयं वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से नाहन विधानसभा के विभिन्न विकास कार्यों का शुभारंभ व शिलान्यास करते हुए दी। उन्होंने कहा कि अभी-अभी जो रिपोर्ट आई है, उसमें बताया गया है कि ये नेगिटिव है। सेल्फ क्वारंटाइन चल रहे सीएम जयराम ठाकुर का सप्ताहभर के भीतर दूसरी मर्तबा कोरोना टेस्ट हुआ है। इससे पहले बुधवार को सीएम जयराम ठाकुर व परिजनों की कोरोना रिपोर्ट नेगेटिव पाई गई थी। सीएम ऑफिस के कोरोना की चपेट में आने के बाद ही उनका व परिजनों का कोरोना टेस्ट करवाया गया था। याद रहे कि बीते बुधवार को मंडी में पॉजिटिव पाया गया बीजेपी का युवा नेता शिमला में सीएम जयराम ठाकुर से मिलने के साथ-साथ उनके दफ्तर व आवास में भी गया था। उसके बाद से ही सीएम जयराम ने स्वयं को सेल्फ क्वारंटाइन कर लिया था। इस बीच, हिमाचल प्रदेश सचिवालय में सीएम कार्यालय के उप सचिव के कोरोना पॉजिटिव आने के बाद शिमला के ब्रॉकहास्ट में चार सरकारी कॉलोनियां सील कर दी गई हैं। यहां सीएम के कोरोना पॉजिटिव पाए गए उप सचिव और अन्य अफसरों के सरकारी आवास हैं। सचिवालय के पुराने भवन में किसी बाहरी व्यक्ति को प्रवेश की अनुमति नहीं है। अधिकारी भी नए भवन से कामकाज निपटा रहे हैं।
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। यह जानकारी उन्होंने खुद ट्वीट करके दी है। अपने ट्वीट में उन्होंने कहा कि उन्हें कोविड-19 के लक्षण आ रहे थे और उनका कोरोना टेस्ट पॉजिटिव आया है। उन्होंने अपील की कि उनके सम्पर्क में आए सभी लोग कोरोना का टेस्ट करवा लें और साथ ही उनके निकट सम्पर्क वाले क्वारंटाइन में चले जाएं। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने शिवराज सिंह चौहान के ट्वीट पर ट्वीट करते हुए कहा कि हमारे साथी और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कोरोना पॉजिटिव होने की खबर चिंताजनक है। उन्होंने ईश्वर से शिवराज सिंह चौहान के जल्द स्वस्थ होने के कामना की है।
कांग्रेस विधायक विक्रमादित्य सिंह ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के कार्यालय में कोरोना संक्रमित भाजपा नेता के आने पर हैरानी जताते हुए उसके खिलाफ हत्या के प्रयास का मामला दर्ज करने की प्रशासन से मांग की है। उन्होंने कहा है कि यह जानबूझकर किया गया अक्षम्य अपराध है जिसे हल्के से नही लिया जा सकता। विक्रमादित्य सिंह ने कहा है कि प्रदेश में कोविड 19 के बढ़ते मामलों से आम लोगों की चिंताओं पर गौर किया जाना चाहिए।उनका कहना है कि सरकारी स्तर पर सोशल डिस्टेसिंग की धज्जियां उड़ाई जा रही है। भाजपा के नेता अपने कार्यकर्ताओं के साथ इसके नियमों को तार तार कर रहें है। उनका कहना है कि कांग्रेस के नेताओं पर तो इस नियम को तोड़ने पर पुलिस मामले बनाए जा रहें है पर भाजपा के किसी भी नेताओं को इसकी पूरी छूट दी गई लगती है। विक्रमादित्य सिंह ने सरकार के दोहरे मापदंड की आलोचना करते हुए कहा है कि महिला मोर्चा के महायज्ञ में शामिल हो कर मुख्यमंत्री सहित महिला मोर्चा व अन्य भाजपा नेताओं पर भी एफआईआर दर्ज की जानी चाहिए थी जहां 200 से अधिक लोग मुख्यमंत्री की मौजूदगी में जुटे थे। उनका कहना है कि कानून सबके लिए एक समान है,जिसका पालन सबको करना चाहिए। विक्रमादित्य सिंह मुख्यमंत्री से जानना चाहा है कि वह प्रदेश को बताए कि कोविड 19 के चलते अब तक उन्हें केंद्र से कितनी आर्थिक मदद मिली है और प्रदेश में मुख्यमंत्री राहत कोष में अबतक कितनी राशि इकठ्ठा हुई और यह कहा और कैसे खर्च की जा रही है। उन्होंने प्रदेश सरकार द्वारा बिजली, पानी, बस किराया बढ़ाने के फेंसलो को पूरी तरह जनविरोधी बताते हुए कहा है कि कांग्रेस इस अन्याय के खिलाफ आम लोगों का आवाज बनकर भाजपा सरकार का हर स्तर पर डट कर विरोध करेगी।
भाजपा हमीरपुर के जिलाध्यक्ष बलदेव शर्मा, महामंत्री हरीश शर्मा, अभयवीर लवली, कोषाध्यक्ष तेज प्रकाश चोपड़ा व ज़िला मीडिया प्रभारी अंकुश दत्त शर्मा ने कांग्रेस की देश का मनोबल गिराने की साजिश का पर्दाफाश करने के लिए केंद्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट अफ़ेयर्स राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर का आभार व्यक्त किया है। ज़िला भाजपा ने अनुराग ठाकुर का समर्थन करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री सेना का हौंसला बढ़ाने के लिए 11 हज़ार फुट की ऊंचाई पर बॉर्डर के पास जाकर सेना से मिलते हैं, उनकी माताओं को नमन करते हैं, लेकिन राहुल गाँधी देश का मनोबल गिराने की साजिश कर रहें है। ज़िला भाजपा ने कहा कि गलवान हिंसक झड़प और एलएसी पर तनावपूर्ण माहौल में जब विश्व के सभी शक्तिशाली देश भारत के साथ खड़े हैं तब राहुल गांधी और उनकी पार्टी चीनी मिट्ठू बन देश विरोधी भाषा क्यों बोल रहे हैं। कांग्रेस, कम्युनिस्ट और चीनियों का आपस में क्या गठबंधन हैं यह राहुल गांधी को बताना चाहिए।
On Thursday a meeting of The Group of Minister for COVID-19 was held. The agenda was to review the actions taken and preparedness of States/UT's for containment and management of coronavirus. The Union Minister of Health and Family Welfare, Dr Harsh Vardhan chaired the high level review meeting. The status of COVID-19 was presented to the group of ministers. The actions taken for prevention and management of COVID-19 in India were presented. The group of ministers discuss elaborately on the various measures and precautions which may be considered in the interest of citizens of India. According to the latest updates by the Health Ministry the total number of cases in India rose to 5734 on Thursday morning, with 166 reported deaths. Reports show it to be a slower increase compared to previous 48 hours. Cases in India rose 23 percent in last two days to 5274 whereas it was 39 percent to 4281 previously. So far, Maharashtra Tamil Nadu and Telangana have seen the highest increase in COVID-19 cases. Maharashtra has the highest number of cases at 875, while Tamilnadu has second most highest number of active cases at 664. It is closely followed by Delhi with 546 cases. Telangana has 385 cases, while Uttar Pradesh on the fifth place has 314 active cases. These top five states together account for a total 59 % of active cases nationally. Himachal Pradesh recorded one positive case of coronavirus in last 24 hours. With this, the total number of COVID-19 cases in state rose to 28. While the total number active cases in the hill state is at 21.
-BJP GOES TO SUPREME COURT AS KAMAL NATH GETS 10 DAY BREAK OVER CORONAVIRUS Congress government led by Kamal Nath, got a 10-day reprieve on Monday as the assembly session was adjourned, after the address by governor Lalji Tandon, till March 26 over coronavirus. The opposition BJP is now confident as it has the majority to take power. BJP MLAs have submitted a list of names of 106 MLA’s before the governor BJP leader Shivraj Singh Chauhan demanded the governor to get a test of strength done soon and accused the ruling Congress for not having a majority and still clinging on to power. Shiv Raj Chauhan has filed a petition in the supreme court against the adjournment of the assembly and demanding a test of strength. The supreme court will tomorrow take up the BJP MLAs petition within 12 hours. Governor Lalji Tandon has written to the speaker to hold a test of strength today for the 15-month-old Kamal Nath government, which is in huge trouble after the resignation of 22 Congress MLAs. The terror of coronavirus has been cited as the reason behind the adjournment of the assembly, however, the Congress is yearning for its survival, under the guise of coronavirus the Congress has asked for the assembly to be suspended. Most of its MLAs entered the house wearing masks. Reacting to this BJPs three-term chief minister Shiv Raj Chauhan said, ‘’corona won’t save Kamal Nath’s government. He has clearly lost his majority, so he avoided a trust vote today’’. The resignation of 22 congress MLA’s might result in the collapse of the state government. MLAs, who flew to Bengaluru in BJP ruled Karnataka, are expected to move towards BJP and might follow Jyotiraditya Scindia. Only six of the 22 resignations have been accepted by the speaker. Congress considered these rebels as kidnapped and kept captive in Bengaluru who are waiting for help. The assembly currently has 222 MLA’s including 16 rebellion MLA’s. If the resignations of 16 MLA’s is accepted by the speaker then assembly strength will be 206 with the majority figure of 104. In that case, it is almost certain that Shivraj Singh Chauhan led BJP government will be back in power. Corona saved Kamalnath government on Monday, what’s next? Rebellion 16 MLA’ s will decide the future of Kamalnath Government.
200 सांसद, 70 केंद्रीय मंत्री, भाजपा शासित प्रदेशों के तमाम मुख्यमंत्री और नतीजा सिफर ... नहीं चला हिन्दू- मुस्लमान : दिल्ली चुनाव में भाजपा ने पूरी ताकत झोंक दी, तमाम साधन- संसाधन झोंक दिए, बावजूद इसके जनता ने भाजपा को नकार दिया। हिन्दू- मुस्लमान और शाहीन बाग़ के मुद्दे केजरीवाल की विकास की राजनीति के आगे गौण हो गए। ब्यानवीरों को जनता ने आईना दिखाया: दिल्ली विधानसभा चुनाव में अनुराग ठाकुर, प्रवेश वर्मा, कपिल मिश्रा और मनोज तिवारी के विवादस्पद बयानों को नकार जनता ने भाजपा को आईना दिखाया है। हिमाचली भाजपा कार्यकर्ता मायूस : यदि हिमाचल के सन्दर्भ में बात करें तो बूथ कार्यकर्ताओं से लेकर सीएम जयराम ठाकुर तक दिल्ली में डेरा जमाये रहे लेकिन छाप छोड़ने में सभी विफल रहे। इससे बेहतर होता जयराम और उनके मंत्री प्रदेश के कामकाज में ध्यान देते। पहले इम्तिहान में नड्डा फेल: जेपी नड्डा के भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद ये पहला चुनाव था। हालाँकि दिल्ली में पार्टी की भागदौड़ अमित शाह के हाथ में दिखी लेकिन हार तो नड्डा के खाते में ही दर्ज होगी। सोशल मीडिया से गायब दिखे भाजपाई: वहीँ सोशल मीडिया पर छाए रहने वाले भाजपाई मंगलवार को मानो मिस्टर इंडिया हो गए। थोड़े बहुत जो हिम्मत करके एक्टिव रहे वो ये कहकर मन बहलाते दिखे कि 2015 में तो पार्टी को महज 3 सीट मिली थी। भाजपा को हराने के लिए लड़ी कांग्रेस ! देश की सबसे बुजुर्ग पार्टी कांग्रेस दिल्ली चुनाव में ताकत के साथ लड़ती नहीं दिखी। आधे मन से चुनाव लड़ा तो नतीजा भी वैसा ही मिला। यदि कांग्रेस दमखम से चुनाव लड़ती तो आम आदमी पार्टी को इसका नुक्सान उठाना पड़ सकता था। माना जा रहा कांग्रेस ने चुनाव जीतने के लिए नहीं बल्कि भाजपा को हराने के लिए लड़ा। भारी पड़े केजरीवाल पर निजी हमले: मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल पर निजी हमले करना भाजपा को भारी पड़ा। वहीँ दिल्ली के प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी भी पार्टी के लिए पूर्वांचल वोट नहीं खींच सके। वहीं केजरीवाल ने खुद को दिल्ली का बीटा बताया और भाजपा के हर वार का मुकम्मल जवाब दिया। दिल्ली में भाजपा के पास चेहरा नहीं: दिल्ली में भाजपा के पास मदन लाल खुराना और साहिब सिंह वर्मा के बाद से ऐसा कोई चेहरा नहीं है जिस पर चुनाव लड़ा जा सके। यही कमी दिल्ली में भाजपा को भारी पड़ रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर विधानसभा चुनाव जीतना भाजपा के लिए आसान नहीं है।
दो साल पहले विधानसभा चुनाव में भाजपा ने जनता से स्वर्णिम हिमाचल बनाने का जो वादा किया था, मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने दो साल में उसे पूरा करके दिखाया है। इस समय केंद्र सरकार का प्रदेश को भरपूर सहयोग मिल रहा है। डबल इंजन की सरकार ने दो साल के भीतर हिमाचल की तस्वीर और तकदीर बदल दी है। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को प्रदेश की जनता का जो सहयोग मिला है वह अद्वितिय है। जयराम ठाकुर के नेतृत्व वाली प्रदेश सरकार ने दो साल के भीतर हर वर्ग को लाभ पहुंचाने वाले योजनाएं शुरू की हैं। प्रदेश के ऐसे परिवार, जिनके पास गैस कनेक्शन नहीं थे, उन्हें मुफ्त में यह सुविधा देकर उनका जीवन स्तर सुधारा है। जनता की समस्या का मौके पर समाधान करने के लिए जनमंच कार्यक्रम, हिमकेयर, जन समस्याएं सुनने के लिए मुख्यमंत्री हेल्पलाइन सेवा जैसी योजनाएं शुरू की हैं। इससे हिमाचल के हर वर्ग को लाभ मिला है। युवाओं को रोजगार मिले, इसके लिए ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट का सफल आयोजन कर करोड़ों रुपये का निवेश लाने में सरकार सफल रही है। सरकार ने ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट का सफल आयोजन कर इतिहास रचा है। दो माह के भीतर 13 हजार करोड़ रुपये के निवेश को जमीन पर उतारा जा रहा है।इसके परिणाम भी सामने आने लग पड़े हैं। लोगों का मानना है कि अगले तीन साल भी सरकार प्रदेश की बेहतरी के लिए काम करेगी। वैसे भी यह सम्भव तभी हो पाया है जब केंद्र और प्रदेश की दोनों सरकारों में बेहतर तालमेल से ही हिमाचल के विकास को तेज गति मिली है। अगर बात करें बुढ़ापा पेंशन की तो इसकी आयु सीमा में कमी करने से हजारों लोगों को लाभ मिला है। हिमाचल ऐसा पहला राज्य बन गया है जहां हर परिवार के पास गैस कनेक्शन है। जयराम ठाकुर हिमाचल प्रदेश के 13 वें मुख्यमंत्री हैं।वे हिमाचल प्रदेश विधानसभा के लिए मंडी जिला की सिराज नामक विधानसभा क्षेत्र से निर्वाचित हुए हैं। वह 24 दिसंबर 2017 को भाजपा विधायक दल के सदस्य चुने गए थे। वह 1998 से हिमाचल प्रदेश विधानसभा में विधायक रहे हैं और हिमाचल प्रदेश की भाजपा सरकार में वह 2009-2012 कार्यकाल में ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री थे।
अनुराग ठाकुर द्वारा पैन्शनरो की मागो और समस्याओं को केन्द्र सरकार से उठाये जाने का आश्वासन दिया है \। यंहा जारी प्रेस विज्ञप्ति में भाजपा पुर्व कर्मचारी प्रकोष्ठ जिला सोलन के अध्यक्ष इंद्र पाल शर्मा ने कहा कि मुख्य मंत्री जय राम ठाकुर द्वारा प्रदेश के पैन्शनरो की समस्याओं और मांगो के लिए शीघ्र ही राज्य सयुंक्त सलाहकार समिति का गठन किया जाएगा तथा कर्मचारी कल्याण बोर्ड के गठन हेतू कारगर कदम उठाए जाने,चिकित्सा बिलों के भुगतान के लिए कैश लैश प्रावधान किये जाने, 65, 70, 75 बर्ष की आयु पर मिलने वाली राशि को मूलवेतन में मिलायें जाने, और पथ परिवहन निगम के सेवा निवृत कर्मियों की नियमित पैन्शन भुगतान के लिए स्थायी प्रबंध करने के प्रयास काआस्वासन दिए जाने के लिये पुर्व कर्मचारी प्रकोष्ठ उनका आभार व्यक्त करता है। इंद्र पाल शर्मा ने कहा कि प्रदेश की वर्तमान सरकार ने कर्मचारीयो को जहा करोड़ों रुपये के वितिय लाभ प्रदान किये हैं ।उन्होंने कहा कि जय राम ठाकुर की सरकार उपरोक्त मांगो को अवश्य पुरा करेगी ।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतपाल सत्ती ने जयराम सरकार द्वारा कैबिनेट के फैसलों का स्वागत करते हुए कहा जयराम सरकार ने देवभूमि की लाखों महिलाओं को नए साल की सौगात दी है। राज्य लोकसेवा आयोग और राज्य कर्मचारी अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की भर्ती परीक्षाओं के लिए महिलाओं की फीस माफ कर दी गई है। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की अध्यक्षता में शनिवार को आयोजित मंत्रिमंडल की बैठक में फैसला लिया गया कि भर्ती परीक्षा के लिए अब महिलाओं से शुल्क नहीं लिया जाएगा। मुख्यमंत्री ने महिला सशक्तीकरण के लिए इस साल 15 अगस्त पर यह घोषणा की थी। सत्ती ने कहा बैठक में यह भी फैसला लिया गया कि सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले नौवीं और दसवीं कक्षा के सामान्य श्रेणी के करीब 65 हजार विद्यार्थियों को भी पाठ्यक्रम की किताबें मुफ्त दी जाएंगी। अभी तक पहली से आठवीं तक के सभी बच्चों को सरकार मुफ्त किताबें उपलब्ध करवाती थी। नौवीं-दसवीं के आरक्षित श्रेणी के विद्यार्थियों को ही मुफ्त किताबें दी जाती रही हैं। नौवीं कक्षा में करीब 84 हजार और दसवीं में 80 हजार विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण और मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत पात्र परिवारों को दी जा रही वित्तीय सहायता में 20 हजार रुपये की बढ़ोतरी करने का फैसला लिया गया है। लाभार्थियों को अब 1.30 लाख रुपये के बजाय 1.50 लाख रुपये मिलेंगे। मुख्यमंत्री आवास मरम्मत योजना के तहत 25 हजार के बजाय 35 हजार रुपये की आर्थिक सहायता मिलेगी। उन्होंने कहा हिमाचल प्रदेश मंत्रिमंडल की शिमला में हुई बैठक में 350 से अधिक पदों को भरने की मंजूरी दी गई। एचएएस अधिकारियों के 10, पुलिस विभाग में विभिन्न श्रेणियों के 174, आबकारी निरीक्षकों (एक्साइज इंस्पेक्टर) के 50, जेएओ के 25, पर्यटन विभाग में विभिन्न श्रेणियों के 23 पदों समेत कई पद भरे जाएंगे। सतपाल सत्ती ने कहा हिमाचल प्रदेश में जयराम सरकार चौतरफा विकास कार्य कर रही है उन्होंने कहा हर वर्ग के लिए योजनाएं बन रही है और इन योजनाओं पर धरातल पर काम हो रहा है जयराम सरकार बारीकी से सभी समस्याओं का हल निकालने पर तत्पर है।
कॉरपोरेट मामलों के राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने की। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि केंद्र से मिलने वाली धनराशि का भरपूर उपयोग जन कल्याण कार्यों में होना चाहिए। विभागों के अधिकारियों को आगे बढ़कर योजनाओं को सही ढंग से लागू कर लोगों को इनका लाभ पहुंचाना सुनिश्चित करेंगे । उन्होने सभी विभागों के अधिकारियों को 31 मार्च से पहले अपने भौतिक व वित्तीय लक्ष्य निर्धारित करने के निर्देश दिए, ताकि अप्रैल के प्रथम सप्ताह में आयोजित होने वाली बैठक में इस बारे समीक्षा की जा सके। उन्होने कहा कि जिला में दस बच्चों से कम कितने विद्यालय है उनके लिए भवन, शौचालय, पेयजल, भूमि, अध्यापक पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है एक सप्ताह के भीतर विस्तृत रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि जिला बिलासपुर में विकास की क्या-क्या सम्भावनाएं है इसके लिए जिला के चुने हुए प्रतिनिधि, बुद्धिजीवियों, समाजसेवी, सेवानिवृत अधिकारियों की एक कमेटी गठित की जाए, ताकि उनसे इस बारे में सुझाव लेकर जिला के विकास के लिए कार्य योजनाएं तैयार की जा सके। उन्होने कहा कि सभी अधिकारी ग्राम सभाओं की बैठक में अपने-अपने विभाग से सम्बन्धित योजनाओं की जानकारी लोगों तक पहुँचाना सुनिश्चित करें। उन्होने कहा कि सम्पूर्ण स्वच्छता अभियान के तहत जिला में जितने भी मुख्य बाजार है उनके नज़दीक शौचालय बनवाना सुनिश्चित करें। उन्होने कहा कि जितने भी नैशनल हाईवे स्वीकृत किए गए है उनमें से कितनों की डीपीआर तैयार की गई है दस दिनों के भीतर इसकी विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करना सुनिश्चित करें तथा जिला में चिन्हित ब्लैक स्पाॅटों को शीघ्र दुरूस्त करना सुनिश्चित करें। उन्होने वन विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे वन विभाग से सम्बन्धित विकास कार्यों की रूकावट शीघ्र दूर करने के लिए सम्बन्धित अधिकारियों के साथ तालमेल बिठाकर इन कार्यों को अमलीजामा पहनाएं। उन्होने आगे कहा कि उद्योग विभाग झण्डुता तथा घुमारवीं में निर्माणाधीन उद्योगों को तीव्रगति प्रदान करें। उन्होने कहा कि जल जीवन मिशन पर हर घर तक नल पहुंचाने के लिए तीव्र गति प्रदान करें। अनुराग ठाकुर ने कहा कि अधिकारी अपने लिए लक्ष्य निर्धारित करें और योजनाओं के क्रियान्वयन में पाई जाने वाली कमियों को चिन्हित कर अच्छे काम को जनता के बीच लेकर जाएं। उन्होंने कहा कि सरकार और अधिकारियों का उद्देश्य जनहित के कार्य करना है। जिसके लिए सभी को आपसी समन्वय तथा बेहतर तालमेल के साथ विकास कार्यों में प्रगति लानी होगी। उन्होने कहा कि विभागों में तालमेल की वजह से कई बार योजनाएं सही ढंग से लागू नहीं हो पाती, ऐसे में बेहतर तालमेल आवश्यक है। उन्होने जिला में निर्माणाधीन एम्स के कार्यों की प्रगति पर संतोष व्यक्त किया और आईपीएच और विद्युत विभाग को पेयजल व विद्युत आपूर्ति समयबद्ध सुनिश्चित बनाने के निर्देश दिए। उन्होने कहा कि हिमाचल प्रदेश को वर्ष 2021 तक टीबी मुक्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, लेकिन जिला इससे पहले ही टीबी मुक्त जिला बने। इसके लिए जागरूकता कैंप लगाकर नए मरीजों की पहचान की जाए। उन्होने कहा कि टीबी उन्मूलन के लिए जिला प्रशासन तथा स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी मिलकर रणनीति तैयार करें। उन्होंने एचआईवी पर भी जन जागरूकता लाने के लिए शिक्षण संस्थानों, निजि संस्थानों, वाहन चालकों व झुग्गी झोंपड़ियों इत्यादि स्थानों पर कैंप लगाने के निर्देश दिए। उन्होने विद्युत विभाग के अधिकारियों को जिला में लो वोल्टेज की समस्या पर सर्वे करवाने के निर्देश दिए तथा दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के अंतर्गत कम वोल्टेज की समस्या से निपटने के लिए पंचायतें प्रस्ताव पारित करें ताकि हर घर तक बिजली पंहुच सके। उन्होने परियोजना अधिकारी को निर्देश देते हुए कहा कि खुले में शौच मुक्त का कड़ाई से पालन हो। पंचायतें इस बारे में प्रस्ताव पारित करें। इसकी अनुपालना का सर्वेक्षण भी कराया जाए। उन्होने कहा कि मनरेगा के तहत गांव का पानी गांव में हो इसके लिए सम्भावनाएं तलाशने के निर्देश दिए। उन्होने कहा कि प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत किसानों की फसलों की आय में कितनी वृद्धि हुई, इसकी विस्तृत रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश दिए। इस अवसर पर विधायक सदर सुभाष ठाकुर, झण्डुता जेआर. कटवाल, घुमारवीं राजेन्द्र गर्ग, उपायुक्त राजेश्वर गोयल, एएसपी. भागमल ठाकुर, एसडीएम.सदर रामेश्वर, घुमारवीं शशिपाल शर्मा, झण्डुता विकास शर्मा, स्वारघाट सुभाष गौतम, पीओ. डीआरडीए. संजीत सिंह के अतिरिक्त सभी विभागों के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।
सिटीजनशिप एमेंडमेंट एक्ट के नाम पर मुस्लिम समाज को ढाल बनाकर देश में अराजकता का माहौल बना रही कांग्रेस कितनी मुस्लिम समाज की हितैषी रही है, उसे मुस्लिम समाज को समझना होगा। मुस्लिम समाज को भ्रमित कर अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने वाली कांग्रसे पार्टी ने मुस्लिम समाज को शिक्षित करने में कितना योगदान दिया है, यह स्वयं मुस्लिम समाज जानता है। यह बात हिंदू जागरण मंच जिला महामंत्री आंचल रणौत ने बुधवार को सीएए और एनआरसी पर हिंदू जागरण मंच बिलासपुर इकाई द्वारा आयोजित जागरूकता अभियान के दौरान कही। आंचल रणौत ने कहा कि भारत में सभी धर्मों का सम्मान किया जाता है, जबकि कांग्रेस द्वारा विशेष समुदाय को ढाल बनाकर देश का माहौल बिगाडऩे का प्रयास किया जा रहा है, जो कि देश हित में नहीं है। उन्होंने कहा कि मुस्लिम समाज को कांग्रसे की भ्रमित करने वाली राजनीति से बचना होगा, अन्यथा कांग्रेस की वजह से देश में माहौल बिगड़ेगा और जनता को भी परेशानी होगी। इस दौरान बस स्टैंड बिलासपुर, मेन मार्केट बिलासपुर, गुरुद्वारा मार्केट, घौलरा मार्केट और जामा मस्जिद बिलासपुर में सभी लोगों को सीएए और एनआरसी बारे जागरूक किया गया। इस दौरान जामा मस्जिद के मौलवी व मुस्लिम समाज ने यह आश्वासन जताया कि आज का मुस्लिम समाज शिक्षित है और सीएए को लेकर जो भ्रांतियां फैलाई जा रही हैं, उनसे भी परिचित है। हिंदू जागरण मंच के प्रांत संपर्क प्रमुख राजेश ठाकुर व कमल गौतम, बेटी बचाओ प्रमुख विक्रांत, बंटी व अन्य ने आम जनता को सीएए के प्रति जागरूक किया।
हमीरपुर के परिधिगृह में आयोजित पत्रकार वार्ता को सम्बोधित करते हुए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतपाल सत्ती ने कहा कि विपक्ष नागरिक संशोधन विधेयक के मुद्दे पर जनता को गुमराह कर रहा है। देश में अराजकता फैलाने के लिए कांग्रेस व विपक्षी दल जिम्मेवार हैं। कहां की विपक्षी दल जान माल की हानि पर उतर आए हैं इसकी भाजपा कड़े शब्दों में निंदा करती है। उन्होंने कहा कि भारत में रहने वाले पड़ोसी देशों के लोगों को भी नागरिकता का अधिकार है, जो देश में शरणार्थी बनकर रह रहे हैं। घुसपैठियों को देश से बाहर किया जाएगा । यह एक्ट नागरिकता देने के लिए है ना कि छीनने के लिए। विपक्ष के बारे में भ्रामक प्रचार कर रहा है जिसकी वजह से लोगों के जान-माल को संपत्ति को नुकसान हुआ है। सतपाल सत्ती ने कहा कि नागरिक संशोधन विधेयक के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए जिला स्तर पर बुद्धिजीवी सम्मेलन आयोजित किए जा रहे हैं। 31 दिसंबर तक हर जिला में यह सम्मेलन आयोजित होंगे। इसके बाद भाजपा की जिला और ब्लाक कार्यकारिणी भाजपा की जिला व मंडल कार्यकारिणी यों के गठन के बाद मंडल सर पर बुद्धिजीवी सम्मेलन आयोजित होंगे और लोगों को पर्चे बांटकर इसके बारे में जानकारी दी जाएगी। उन्होंने कहा कि भाजपा का 2 साल का कार्यकाल पूरा होने जा रहा है। इस अवसर पर 27 दिसम्बर को शिमला में भव्य रैली का आयोजन किया जाएगा। सरकार की उपलब्धियों को इस रैली में जनता के समक्ष रखा जाएगा तथा विभिन्न योजनाओं के लाभार्थियों को सम्मानित किया जाएगा। रैली में गृह मंत्री अमित शाह व भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा, पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार व पूर्व मुख्यमंत्री प्रोफेसर प्रेम कुमार धूमल मौजूद रहेंगे। इसके साथ ही केंद्रीय राज्य वित्त मंत्री अनुराग ठाकुर विशेष रूप से उपस्थित होंगे।इस अवसर पर भाजपा जिलाध्यक्ष बलदेव शर्मा, पार्टी के सचिव विजय पाल सोहारू सहित तेजप्रकाश चोपड़ा, अनिल कौशल, नवीन शर्मा, अंकुश शर्मा, हरीश शर्मा, अजय रिंटू, विशाल पठानिया, तेन सिंह, मौजूद रहे।
देवभूमि क्षत्रिय संगठन के प्रदेश अध्यक्ष रुमित सिंह ठाकुर ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए बताया कि केंद्र सरकार द्वारा लिए गए ऐतिहासिक फैसलों की कड़ी में हुए सीएए, सीएबी,एनआरसी पर आए फैसले का हम समर्थन करते हैं। आजादी के बाद आज दिन तक ना जाने कितनी सरकारें आई और चली गई, लेकिन बात अगर राष्ट्रवाद की ही हो तो सबसे पहले मोदी सरकार का नाम ही सुनहरे अक्षरों में लिखा जाएगा। अब से किसी भी भारतीय नागरिक की नागरिकता को कोई खतरा नहीं है। एनआरसी में किसी भी धर्म को कोई खतरा नहीं और ना ही किसी भी धर्म से कोई भेदभाव किया जा रहा है । आज पूरे प्रदेश का माहौल बिगाड़ने की लगातार साजिश रची जा रही है। कई जगह आगजनी की जा चुकी है।पुलिस को निशाना बनाया जा रहा है। पथराव किया जा रहा है। सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया जा रहा है । कई राजनीतिक दलों व संगठनों द्वारा लोगों को भड़काया जा रहा है। इसी एवज में हिमाचल प्रदेश में भी कुछ देश विरोधी ताकते झूठी अफवाहें फैलाकर प्रदेश का माहौल खराब करने में लगी हैं। हम प्रदेश की प्रबुद्ध जनता से अपील करते हैं कि सीएए,cab व एनआरसी का समर्थन करें और देश विरोधी ताकतों को देश के भीतर न पनपने दें।साथ ही प्रदेश में आने वाले ऐसे लोगों पर नजर रखें, जो प्रदेश का माहौल खराब करने की नियत से प्रदेश में दाखिल हो रहे हैं।हम अपना पूरा समर्थन देश की सरकार द्वारा लिए गए फैसलों को देते हैं व प्रदेश की सरकार और मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से भी अपील करते हैं कि अगर हिमाचल प्रदेश में माहौल खराब की स्थिति कोई उत्पन्न करता है या दंगा फसाद करता है तो उसके खिलाफ शूटआउट ऑन द स्पॉट के आदेश दिए जाए। प्रदेश की सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की एवज में दोषियों की संपत्ति को सीज किया जाए। पुलिस प्रशासन को शक्ति से निपटने के आदेश खुले तौर पर दिया जाए हमारा संगठन प्रदेश की पुलिस के साथ कंधे से कंधा मिला कर खड़ा है। अंत में देश विरोधी लोगों,दलों व ताकतों को हम खुली चेतावनी देते हैं कि आपको जो भी भाषा पसंद है हमारा राजपूत संगठन उसी भाषा में जवाब देगा और प्रदेश को सुरक्षित रखने के लिए हम राजपूत अपनी तलवार उठाने से भी गुरेज नहीं करेंगे। इसके साथ हमारा संगठन प्रांत स्तर जिला स्तर व ग्राम स्तर पर का CAA कैब व NRC के फायदों से जनता को जागरूक करेंगे। देवभूमि क्षत्रिय संगठन के प्रदेश अध्यक्ष रुमित सिंह ठाकुर ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए बताया कि केंद्र सरकार द्वारा लिए गए ऐतिहासिक फैसलों की कड़ी में हुए सीएए, सीएबी,एनआरसी पर आए फैसले का हम समर्थन करते हैं। आजादी के बाद आज दिन तक ना जाने कितनी सरकारें आई और चली गई, लेकिन बात अगर राष्ट्रवाद की ही हो तो सबसे पहले मोदी सरकार का नाम ही सुनहरे अक्षरों में लिखा जाएगा। अब से किसी भी भारतीय नागरिक की नागरिकता को कोई खतरा नहीं है। एनआरसी में किसी भी धर्म को कोई खतरा नहीं और ना ही किसी भी धर्म से कोई भेदभाव किया जा रहा है । आज पूरे प्रदेश का माहौल बिगाड़ने की लगातार साजिश रची जा रही है। कई जगह आगजनी की जा चुकी है।पुलिस को निशाना बनाया जा रहा है। पथराव किया जा रहा है। सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया जा रहा है । कई राजनीतिक दलों व संगठनों द्वारा लोगों को भड़काया जा रहा है। इसी एवज में हिमाचल प्रदेश में भी कुछ देश विरोधी ताकते झूठी अफवाहें फैलाकर प्रदेश का माहौल खराब करने में लगी हैं। हम प्रदेश की प्रबुद्ध जनता से अपील करते हैं कि सीएए,cab व एनआरसी का समर्थन करें और देश विरोधी ताकतों को देश के भीतर न पनपने दें।साथ ही प्रदेश में आने वाले ऐसे लोगों पर नजर रखें, जो प्रदेश का माहौल खराब करने की नियत से प्रदेश में दाखिल हो रहे हैं। हम अपना पूरा समर्थन देश की सरकार द्वारा लिए गए फैसलों को देते हैं व प्रदेश की सरकार और मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से भी अपील करते हैं कि अगर हिमाचल प्रदेश में माहौल खराब की स्थिति कोई उत्पन्न करता है या दंगा फसाद करता है तो उसके खिलाफ शूटआउट ऑन द स्पॉट के आदेश दिए जाए। प्रदेश की सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की एवज में दोषियों की संपत्ति को सीज किया जाए। पुलिस प्रशासन को शक्ति से निपटने के आदेश खुले तौर पर दिया जाए हमारा संगठन प्रदेश की पुलिस के साथ कंधे से कंधा मिला कर खड़ा है। अंत में देश विरोधी लोगों,दलों व ताकतों को हम खुली चेतावनी देते हैं कि आपको जो भी भाषा पसंद है हमारा राजपूत संगठन उसी भाषा में जवाब देगा और प्रदेश को सुरक्षित रखने के लिए हम राजपूत अपनी तलवार उठाने से भी गुरेज नहीं करेंगे।इसके साथ हमारा संगठन प्रांत स्तर जिला स्तर व ग्राम स्तर पर का CAA कैब व NRC के फायदों से जनता को जागरूक करेंगे।
आगामी 27 दिसंबर को प्रदेश की राजधानी शिमला में सरकार अपने दो सालों का रिपोर्ट कार्ड प्रस्तुत करेगी तथा इस कार्यक्रम में गृहमंत्री अमित शाह तथा कार्यकारी भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा के साथ केंद्रीय मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर व अन्य सांसद व पूरा मंत्री मंडल जुटेगा। कार्यक्रम की तैयारियों को लेकर बिलासपुर में खाका तैयार किया गया। इस विशाल रैली में 25 हजार लोगों के आने के साथ वे लोग भी आएंगे जो सरकार की योजनाओं के लाभार्थी है। यह खुलासा बिलासपुर में भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतपाल सत्ती ने मंडलों के प्रभारियों व जिलाध्यक्षों के साथ हुई बैठक के बाद आयोजित पत्रकारवार्ता में किया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के नेतृत्व में सरकार ने दो सालों में भ्रष्टाचार मुकत विकास का लंबा सफर तय किया है। उन्होंने कहा कि ग्लोबल इन्वेस्टर मीट के बाद देश और विदेश के उद्योगपतियों को हिमाचल में उद्योग स्थापित करने का खुला अवसर दिया है। उन्होंने कहा कि दस हजार करोड़ के प्रोजेक्टस की स्वीकृति भी 27 दिसंबर को होगी। जिससे यहां के शिक्षित और प्रशिक्षित बेरोजगारों को रोजगार मिलेगा। सत्ती ने कहा कि कांग्रेस का काम केवल विरोध करना ही रह गया है। कांग्रेस नीति और नेता विहीन पार्टी है। अध्यक्ष बनने के चक्कर में कई नेता दिल्ली में डेरा जमाए बैठे हैं। उन्होंने कहा कि देश में कांग्रेस, वामपंथी बिना सोचे समझे अल्पसंख्यकों के मन में भय बिठा रहे हैं, लेकिन नागरिकता बिल किसी के लिए भी कोई खतरा नहीं है। ऐसे किसी को डरने की भी आवश्यक्ता नहीं है। उन्होंने कहा कि भाजपा बुद्धिजीवी लोगों के साथ मुख्यालय पर बैठकें कर इस बिल को लेकर जागरूकता फैलाएंगे तथा यह कार्यक्रम शिमला से शुरू हो चुका है। इस कार्यक्रम में जनता के बीच जाकर बताया जाएगा कैसे देश विरोधी ताकतें मोदी को रोकने के लिए एकजुट हो रही है जबकि देश के हित में काम करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ पूरा भारत एकजुटता के साथ खड़ा है। पत्रकारवार्ता में पशु पालन एवं मत्स्य पालन मंत्री वीरेंद्र कंवर ,भाजपा के मुख्य प्रवक्ता एवं पूर्व विधायक रणधीर शर्मा, जिला प्रभारी पायल वैद्य, बलदेव सिंह, बिलासपुर जिलाध्यक्ष स्वतंत्र सांख्यान, रोशन ठाकुर, सोनल शर्मा, अनिरूद्ध शर्मा सहित कई नेता शामिल थे।
हिमाचल प्रदेश विद्युत बोर्ड लिमिटिड द्वारा उन उपभोक्ताओं के विद्युत कुनैक्शन काट दिए जाएंगे, जिन्होंने नवम्बर, 2019 में अपने बिजली के बिल जमा नहीं करवाए हैं। यह जानकारी आज यहां प्रदेश विद्युत बोर्ड निगम लिमिटिड के सहायक अभियंता रमेश कुमार शर्मा ने दी। उन्होंने कहा कि काटे जाने वाले कुनैक्शन की कुल संख्या 748 है। उपभोक्ताओं द्वारा जमा न करवाई गई कुल राशि 26,27,036.04 रुपये है। इनमें 450 घरेलू उपभोक्ता हैं। इनकी कुल राशि 11,28,558.97 रुपये है। कुल उपभोक्ताओं में से 274 व्यवसायिक उपभोक्ता हैं। इनकी कुल राशि 13,06,746.95 रुपये है। अन्य 24 उपभोक्ताओं की राशि 1,91,730.12 रुपये है। उन्होंने सभी उपभोक्ताओं से आग्रह किया है कि वे अपने बिल 24 दिसम्बर, 2019 तक जमा करवा दें। उन्होंने कहा कि बिल जमा करने के लिए इस दिन एक काउंटर सेर चिराग (जौणाजी) तथा दूसरा काउंटर ब्रूरी में लगाया जाएगा। उन्होंने कहा कि उपभोक्ता अपने बिल पेटीएम, गूगल पे, अमेजॉन, भीम ऐप, फोन पे अथवा वैबसाईट www.hpsebl.in द्वारा भी जमा करवा सकते हैं। उन्होंने सभी उपभोक्ताओं से अनुरोध किया वे अपने बिजली तुरंत जमा करवा दें ताकि उनकी विद्युत आपूर्ति यथावत रहे।
उपायुक्त सोलन केसी चमन ने विभिन्न विभागों के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि शीत ऋतु के दृष्टिगत जिला में विभिन्न व्यवस्थाएं सुचारू बनाए रखी जाएं ताकि लोगों को कठिनाई का सामना न करना पड़े। केसी चमन आज यहां जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के तत्वावधान में शीत ऋतु के दृष्टिगत विभिन्न तैयारियों को लेकर आयोजित बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। केसी चमन ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि सर्दी के मौसम में विद्युत आपूर्ति, पेयजल, सड़क एवं स्वास्थ्य जैसी विभिन्न सेवाओं को सुचारू रखा जाए। उन्होंने कहा कि इस दिशा में विभिन्न विभाग सदैव अत्यन्त परिश्रम एवं कर्मठता के साथ कार्य करते हैं और सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को यह सुनिश्चित बनाना होगा कि आवश्यक सेवाओं की कार्यप्रणाली में कोई व्यवधान न आए। उन्होंने लोक निर्माण विभाग को निर्देश दिए कि सोलन जिला के चायल सहित बर्फबारी वाले कुछ अन्य क्षेत्रों में विभिन्न सड़क एवं सम्पर्क मार्गों को बंद होने पर तुरंत बहाल किया जाए। उन्होंने प्रदेश विद्युत बोर्ड को निर्देश दिए कि शीत ऋतु के दृष्टिगत पूरे जिला में निर्बाध विद्युत आपूर्ति प्रदान का प्रयास किया जाए। उन्होंने कहा कि प्रदेश विद्युत बोर्ड यह सुनिश्चित बनाए कि विद्युत आपूर्ति बाधित होने के समय में विभिन्न स्थानों पर स्थापित उनके शिकायत कक्षों से लोगों को सही जानकारी प्राप्त हो और लोगों की शिकायत पर शीघ्र कार्रवाई करने का प्रयास किया जाए। उपायुक्त ने सिंचाई एवं जनस्वास्थ्य विभाग को निर्देश दिए कि आवश्यकतानुसार पेयजल आपूर्ति बनाए रखी जाए। उन्होंने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग को निर्देश दिए कि आवश्यकतानुसार विभिन्न प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों एवं अस्पतालों में आवश्यक दवाआंे का भंडारण किया जाए। केसी चमन ने कहा कि जिला आपात संचालन केंद्र सोलन में किसी भी आपात स्थिति के संबंध में जानकारी देने के लिए टोल फ्री नम्बर 1077 कार्यरत है। यह नंबर 24x7 काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण नियमित रूप से मौसम विभाग से प्राप्त सूचना का अनुश्रवण कर रहा है और मौसम खराब होने की स्थिति में सभी विभागों को अवगत करवाया जा रहा है। उन्होंने लोक निर्माण विभाग को निर्देश दिए कि जिला में क्षेत्रवार तैनात श्रमशक्ति एवं जेसीबी मशीनों इत्यादि की पूरी जानकारी जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को उपलब्ध करवाई जाए। उन्होंने कहा कि विभाग विशेष रूप से चायल क्षेत्र में ऐसे मार्गों को चिन्हित करें जहां सड़कों को विभिन्न कारणांे से लगातार नुकसान पहुंचता है। इससे ऐसे मार्गों को शीघ्र ठीक करने में सहायता मिलेगी। उन्होंने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग को निर्देश दिए कि आपात स्थिति के लिए विभाग डीजल इत्यादि का भण्डारण करे ताकि कम से कम 36 घंटे निर्बाध विद्युत आपूर्ति की जा सके। केसी चमन ने पुलिस विभाग को निर्देश दिए कि क्षेत्रीय अस्पताल सोलन सहित जिला के अन्य अस्पतालों को जाने वाले मार्गों पर यातायात सुचारू रहे और पार्किंग के अतिरिक्त किसी अन्य स्थान पर वाहन खड़े न होने दिए जाएं। अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी सोलन विवेक चंदेल ने बैठक की कार्यवाही का संचालन किया। उपमंडलाधिकारी नालागढ़ प्रशांत देष्टा, उपमंडलाधिकारी सोलन रोहित राठौर, उपमंडलाधिकारी अर्की विकास शुक्ला सहित विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारी बैठक में उपस्थित थे।
प्रदेश सरकार हर मोर्चे पर फेल हो चुकी है। प्रचंड मंहगाई के इस दौर में नाकाम सत्तासीन सरकार अब गरीबों का दिवाला निकालने पर आमादा है। डिपुओं में मिलने वाली दाल का दाम 15 से 20 रुपए किलो बढ़ चुका है। साग-सब्जी और प्याज के दाम आसमान छू रहे हैं। आम बाजार में खाने-पीने की चीजों को आग लगी हुई है और प्रचंड जनादेश से जीती बीजेपी सरकार बेबस और लाचार लग रही है। जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित प्रदेश के कई बड़े नेताओं ने प्रदेश के विकास को डबल इंजन से गति देने के जुमले गढ़े थे, वो जुमले मात्र जुमले साबित हुए हैं। डबल इंजन तो क्या, एक इंजन भी सेल्फ उठा नहीं रहा है। यह बात कांग्रेस के विधायक राजेंद्र राणा ने कही। राजेंद्र राणा ने कहा कि सीधे तौर पर अब डिपुओं में हुई मंहगाई के कारण 18 लाख राशन कार्ड धारक प्रभावित हो रहे हैं। कभी खाने-पीने की चीजों के कोटे की कमी तो कभी डिपुओं में एकाएक दामों का बढ़ जाना, आम आदमी को सताने जैसा है। उधर शिक्षा के क्षेत्र में नाकाम बीजेपी सरकार को अब हाईकोर्ट ने फटकार लगाई है। प्रदेश हाईकोर्ट ने सरकारी स्कूलों में शिक्षकों के खाली पदों को व स्कूलों में मूलभूत सुविधाओं को मुहैया कराने के लिए सरकार को कटघरे में खड़ा किया है। शायद यही कारण है कि सरकार की नाकाम शिक्षा प्रणाली के चलते आम आदमी भी प्राइवेट स्कूलों में अपने बच्चों को मंहगी शिक्षा दिलाने के लिए मजबूर है। सड़कों पर गड्ढों का राज है। गांव की सड़कों की दशा तो बद से बदतर हो चुकी है। मंहगाई, बेरोजगारी व अराजकता के बोलबाले में सरकार और सिस्टम पूरी तरह नाकाम साबित हुआ है। राणा बोले कि जो गलती लोगों ने पिछले विधानसभा चुनावों में की थी, उस गलती को अब प्रदेश की जनता हरगिज दोहराने वाली नहीं है। सरकार के घोर उदासीन रवैये के कारण अब आम आदमी के साथ बीजेपी कार्यकत्र्ता भी अपने आप को लुटा-पिटा महसुस कर रहा है। प्रदेश सरकार केन्द्र सरकार की कठपुतली बन कर रबड़ स्टैम्प साबित हो रही है। जो सांस लेने के लिए भी केन्द्र के रहमो-करम पर आश्रित है।प्रदेश सरकार हर मोर्चे पर फेल हो चुकी है। प्रचंड मंहगाई के इस दौर में नाकाम सत्तासीन सरकार अब गरीबों का दिवाला निकालने पर आमादा है। डिपुओं में मिलने वाली दाल का दाम 15 से 20 रुपए किलो बढ़ चुका है। साग-सब्जी और प्याज के दाम आसमान छू रहे हैं। आम बाजार में खाने-पीने की चीजों को आग लगी हुई है और प्रचंड जनादेश से जीती बीजेपी सरकार बेबस और लाचार लग रही है। जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित प्रदेश के कई बड़े नेताओं ने प्रदेश के विकास को डबल इंजन से गति देने के जुमले गढ़े थे, वो जुमले मात्र जुमले साबित हुए हैं। डबल इंजन तो क्या, एक इंजन भी सेल्फ उठा नहीं रहा है। यह बात कांग्रेस के विधायक राजेंद्र राणा ने कही। राजेंद्र राणा ने कहा कि सीधे तौर पर अब डिपुओं में हुई मंहगाई के कारण 18 लाख राशन कार्ड धारक प्रभावित हो रहे हैं। कभी खाने-पीने की चीजों के कोटे की कमी तो कभी डिपुओं में एकाएक दामों का बढ़ जाना, आम आदमी को सताने जैसा है। उधर शिक्षा के क्षेत्र में नाकाम बीजेपी सरकार को अब हाईकोर्ट ने फटकार लगाई है। प्रदेश हाईकोर्ट ने सरकारी स्कूलों में शिक्षकों के खाली पदों को व स्कूलों में मूलभूत सुविधाओं को मुहैया कराने के लिए सरकार को कटघरे में खड़ा किया है। शायद यही कारण है कि सरकार की नाकाम शिक्षा प्रणाली के चलते आम आदमी भी प्राइवेट स्कूलों में अपने बच्चों को मंहगी शिक्षा दिलाने के लिए मजबूर है। सड़कों पर गड्ढों का राज है। गांव की सड़कों की दशा तो बद से बदतर हो चुकी है। मंहगाई, बेरोजगारी व अराजकता के बोलबाले में सरकार और सिस्टम पूरी तरह नाकाम साबित हुआ है। राणा बोले कि जो गलती लोगों ने पिछले विधानसभा चुनावों में की थी, उस गलती को अब प्रदेश की जनता हरगिज दोहराने वाली नहीं है। सरकार के घोर उदासीन रवैये के कारण अब आम आदमी के साथ बीजेपी कार्यकत्र्ता भी अपने आप को लुटा-पिटा महसुस कर रहा है। प्रदेश सरकार केन्द्र सरकार की कठपुतली बन कर रबड़ स्टैम्प साबित हो रही है। जो सांस लेने के लिए भी केन्द्र के रहमो-करम पर आश्रित है।
वर्तमान में सोलन जिला में कुल 384924 मतदाता हैं। यह जानकारी आज मतदाता केंद्रों के युक्तिकरण एवं मतदाता सूचियों के संक्षिप्त पुनरीक्षण कार्यक्रम के संबंध में आयोजित बैठक में प्रदान की गई। बैठक की अध्यक्षता उपायुक्त सोलन केसी चमन ने की। बैठक में जानकारी दी गई कि सोलन जिला के पांचों विधानसभा क्षेत्रों में कुल मतदाताओं में से 198178 पुरूष तथा 186741 महिला मतदाता हैं। 05 अन्य मतदाता हैं। जिला में अब कुल 573 मतदान केंद्र हो गए हैं। जिला के 50-अर्की विधानसभा क्षेत्र में कुल 88576 मतदाता हैं। इनमें 44792 पुरूष, 43783 महिला तथा एक अन्य मतदाता है। अर्की विधानसभा क्षेत्र में कुल 132 मतदान केंद्र हैं। 51-नालागढ़ विधानसभा क्षेत्र में 41340 महिला, 43872 पुरूष मतदाताओं के साथ कुल 85213 मतदाता हैं। इस विधानसभा क्षेत्र में एक अन्य मतदाता भी हैं। यहां 115 मतदान केंद्र हैं। 52-दून विधानसभा क्षेत्र में कुल 64899 मतदाता हैं। इनमें 33808 पुरूष तथा 31091 महिला मतदाता हैं। दून विधानसभा क्षेत्र में 95 मतदान केंद्र हैं। 53-सोलन (अनुसूचित जाति) विधानसभा क्षेत्र में कुल 128 मतदान केंद्र हैं। यहां 42581 पुरूष, 39910 महिला तथा 03 अन्य मतदाताओं के साथ कुल 82494 मतदाता हैं। 54-कसौली(अनुसूचित जाति) विधानसभा क्षेत्र में कुल 63742 मतदाता हैं। इनमें 30617 महिला तथा 33125 पुरूष मतदाता हैं। कसौली विधानसभा क्षेत्र में कुल 103 मतदान केंद्र हैं। बैठक में विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों से आग्रह किया गया कि मतदाता सूचियों को शत-प्रतिशत त्रुटिरहित बनाने के लिए यह आवश्यक है कि सभी राजनीतिक दल बूथ स्तर पर अपने ऐजेंट नियुक्त करें। वर्तमान में जिला में भाजपा के कुल 544 तथा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के 468 बूथ स्तर के ऐजेंट नियुक्त हैं। बसपा, सीपीआई(एम), सीपीआई, एनसीपी तथा एआईटीसी द्वारा अभी तक कोई भी बूथ स्तर का ऐजेंट नियुक्त नहीं किया गया है। बैठक में सभी से आग्रह किया गया कि बूथ स्तर के ऐजेंट शीघ्र नियुक्त करें। बैठक में जिला निर्वाचन अधिकारी सोलन ने राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों से आग्रह किया कि वे मतदाता सूचियों को अद्यतन करने और इन्हें त्रुटिरहित बनाने में सहयोग प्रदान करें। बैठक में भाजपा सोलन मंडल के उपाध्यक्ष चंद्रकात शर्मा, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के जिला सचिव शिवदत्त ठाकुर, भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी के जिला सचिव अनूप पराशर, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की सावित्री सांख्यान, तहसीलदार निर्वाचन राजेंद्र शर्मा एवं नायब तहसीलदार मोहिंद्र ठाकुर सहित निर्वाचन विभाग के अन्य अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित थे।
जिला निर्वाचन अधिकारी एवं उपायुक्त सोलन केसी चमन ने सोलन जिला के सभी राजनीतिक दलों एवं नागरिकों से आग्रह किया है कि वे 15 जनवरी, 2020 तक अपने मतदान केंद्र में जाकर मतदाता सूचियों का निरीक्षण अवश्य करंे ताकि भारत के निर्वाचन आयोग के निर्देशानुसार मतदाता सूचियों को अद्यतन किया जा सके। केसी चमन आज यहां फोटोयुक्त मतदाता सूचियों के विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण-2020 एवं मतदान केन्द्रों के युक्तिकरण के संबंध में राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ आयोजित एक बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। जिला निर्वाचन अधिकारी ने फोटोयुक्त मतदाता सूचियों को त्रुटिरहित व अद्यतन रखने के लिए सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों व कार्यकर्ताओं से इस दिशा में सहयोग प्रदान करने का आग्रह किया। केसी चमन ने कहा कि विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण का कार्य 15 जनवरी, 2020 तक किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि फोटोयुक्त मतदाता सूचियों का प्रारूप प्रकाशन 16 दिसम्बर, 2019 को कर दिया गया है। यह सभी मतदान केंद्रों तथा निर्वाचक पंजीकरण अधिकारियों एवं सहायक निर्वाचक पंजीकरण अधिकारियों के कार्यालय में उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि फोटोयुक्त मतदाता सूचियों के संबंध में दावे एवं आक्षेप 15 जनवरी, 2020 तक सभी मतदान केंद्रों एवं निर्वाचक पंजीकरण अधिकारियों तथा सहायक निर्वाचक पंजीकरण अधिकारियों के कार्यालय में दाखिल किए जा सकेगें। 27 जनवरी, 2020 तक इनका निपटारा किया जाएगा। फोटोयुक्त मतदाता सूचियों का अंतिम प्रकाशन 07 फरवरी, 2020 तक किया जाएगा। उन्होंने कहा कि मतदाता सूचियों का प्रारूप मतदान केंद्रों पर नियुक्त अभिहित अधिकारियों तथा अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी, संबंधित उपमंडलाधिकारी, तहसीलदार एवं नायब तहसीलदार के कार्यालय में निरीक्षण के लिए निःशुल्क उपलब्ध हैं। उन्होंने कहा कि मतदाता सूची में नाम सम्मिलत करने के लिए फॉर्म नम्बर-6, अप्रवासी मतदाताओं के नाम सम्मिलत करने के लिए फार्म नम्बर-6क, मतदाता सूची में दर्ज किसी नाम पर आपत्ति तथा हटाए जाने के लिए फार्म नम्बर-7, दर्ज नाम की प्रविष्टि में शुद्धि के लिए फार्म नम्बर-8 तथा मतदाता सूची में दर्ज नाम को किसी अन्य स्थान पर स्थानांतरित करने के लिए फार्म नम्बर-8क का प्रयोग किया जा सकता है। यह सभी फार्म मतदान केंद्र पर नियुक्त भिहित अधिकारियों एवं निर्वाचक तथा सहायक निर्वाचक पंजीकरण अधिकारियों के कार्यालय में उपलब्ध हैं। उन्होंने कहा कि इस अवधि में प्रथम जनवरी, 2020 को 18 वर्ष की आयु पूर्ण करने वाले नए मतदाताओं के नाम भी मतदाता सूची में जोड़े जाएंगे। उन्होंने कहा कि इस अवधि में उन अप्रवासी भारतीय नागरिकों का नाम भी मतदाता सूची में शामिल किया जाएगा जो किसी कारणवश अन्य देश में निवास कर रहे हैं परंतु उन्होंने अन्य देश की नागरिका प्राप्त नहीं की है और उनका नाम मतदाता सूची में सम्मिलत नहीं हैं। इसके लिए उन्हें फॉर्म नम्बर-6क भरकर प्रस्तुत करना होगा। बैठक में राजनीतिक दलों ने जिला में 16 नए मतदान केंद्र स्थापित करने तथा 20 मतदान केंद्रों के स्थान परिवर्तन के लिए भी जिला निर्वाचन अधिकारी का आभार प्रकट किया। सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों को बैठक में सोलन जिला के पांचों विधानसभा क्षेत्रों की मतदाता सूचियों की एक-एक सीडी भी सौंपी गई। तहसीलदार निर्वाचन राजेंद्र शर्मा ने बैठक एवं भारत के निर्वाचन आयोग के निर्देशों की विस्तृत जानकारी प्रदान की। बैठक में भाजपा सोलन मंडल के उपाध्यक्ष चंद्रकात शर्मा, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के जिला सचिव शिवदत्त ठाकुर, भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी के जिला सचिव अनूप पराशर, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की सावित्री सांख्यान एवं नायब तहसीलदार मोहिंद्र ठाकुर सहित निर्वाचन विभाग के अन्य अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित थे।
धर्मशाला से शीत सत्र से लौटते ही सुजानपुर के कांग्रेस विधायक राजेंद्र राणा ने पटलांदर के रैस्ट हाऊस में बैठक का आयोजन किया, जिसमें लगभग 3 दर्जन लोग भाजपा का दामन छोड़ते हुए कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए। कांग्रेस की इस सर्जिकल स्ट्राइक में पटलांदर भाजपा ग्राम केंद्र के अध्यक्ष एवं भाजपा के पूर्व कर्मचारी प्रकोष्ठ के सह-संयोजक कांशी राम ने भी कमल का दामन छोड़कर हाथ में विश्वास दिखाते हुए कांग्रेस को अपनाया।इस दौरान कांग्रेस पार्टी में कांशी राम सहित कंचन देवी, विजय कुमार, रीना कुमारी, वीना देवी, रेखा देवी, सोनिका, नायब सूबेदार राज कुमार, अमरदीप कुमार, अश्वनी कुमार, सुनील कुमार, आकाश कुमार, संजीव कुमार, रिटायर रेलवे से पुरषोत्तम दास, चंदू राम, जग्गो राम, कैप्टन प्रकाश चंद, रजत, रोहित चौधरी, आशीष कुमार व हवलदार विजय कुमार आदि शामिल हुए। विधायक राजेंद्र राणा ने सबको विधिवत रूप से पार्टी में शामिल कर उन्हें पूरा मान-सम्मान देने का आश्वासन दिया। इस मौके पर पूर्व भाजपा नेता कांशी राम ने कहा कि भाजपा केवल लारे-लप्पे ही लगाती है न तो गांव-गांव पार्टी का काम करने वालों की सुनवाई होती है और न ही विकास कार्य करवाती है। भाजपा की गलत नीतियों से तंग आकर उन्होंने कांग्रेस का दामन थामा है, क्योंकि यही पार्टी ऐसी है जिस पर भरोसा किया जा सकता है।इस मौके पर विधायक राजेंद्र राणा ने कांग्रेस में शामिल सभी लोगों का स्वागत करते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी बिना किसी भेदभाव के हर व्यक्ति की बात सुनती भी है और बिना किसी भाई-भतीजावाद के जनता की समस्याओं को भी हल करती है। उन्होंने कहा कि भाजपा हमेशा विकास कार्यों में अडंगा डालती है, लेकिन सुजानपुर विधानसभा क्षेत्र में ऐसी ओच्छी राजनीति खेलने वालों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।उन्होंने कहा कि सदन के भीतर भी उन्होंने क्षेत्र की जनहित समस्याओं को जोरशोर से उठाया है तथा आगे भी इसी तरह अपने विस क्षेत्र की आवाज बुलंद की जाएगी। उन्होंने कहा कि 15 जनवरी को पूर्व सैनिकों का बड़ा सम्मेलन सुजानपुर में आयोजित किया जा रहा है जिसमें वर्ष 1962, 1965 व 1971 के युद्ध में अदम्य साहस दिखाने वाले जीवित शूरवीरों को सम्मानित किया जाएगा।इस समारोह में पूरे विस क्षेत्र के पूर्व सैनिक शामिल होंगे।इस अवसर उन्होंने क्षेत्र की जनता की समस्याएं भी सुनीं तथा जनता की मांग पर ग्राम पंचायत स्वाहल के गांव डूहक से रच्छेड़ तक संपर्क मार्ग के लिए 5 लाख रूपए देने की घोषणा भी की।साथ ही, सोलर लाइटों सहित अन्य कार्यों के लिए भी धनराशि स्वीकृत की।
सोलन जिला परिषद के कुनिहार वार्ड नंबर 4 में हुए उपचुनाव पूर्व मंत्री तथा विधायक धनीराम शांडिल बनाम मंत्री डॉ राजीव सहजल की प्रतिष्ठा के इस चुनाव में डॉ राजीव सहजल ने फ्रंटफुट पर खेलते हुए धनीराम शांडिल की कांग्रेस प्रत्याशी को बोल्ड कर दिया। यह बात एक प्रैस विज्ञप्ति के माध्यम से जिला मीडिया प्रभारी इन्द्रपाल शर्मा ने कही है शर्मा ने कहा कि इस उपचुनाव में मंत्री राजीव सैजल के दिशा निर्देश तथा मार्गदर्शन में भाजपा समर्थित कंचनमाला ने 1462 मतों से जीत दर्ज की।शर्मा ने कहा कि इस जीत का श्रेय मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ,मंत्री राजीव सैजल सोलन कसौली, अर्की मंडलों के सभी प्रदेश जिला व मंडल के वरिष्ठ नेताओं व कार्यकर्ताओं को जाता है। जिन्होंने कड़ी मेहनत से प्रत्याशी के लिए कार्य किया ।प्रत्याशी को लेकर मंत्री राजीव सहजल के नेतृत्व में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने मुख्यमंत्री से सचिवालय में भेंट कर उन्हें बधाई दी।इस अवसर पर पूर्व विधायक गोविंदराम शर्मा, प्रदेश सचिव रतन सिंह पाल ,रविंद्र परिहार ,संजीव कश्यप, राजेश कश्यप,मंडल अध्यक्ष मदन ठाकुर,कपूर सिंह, डीके शर्मा ,इंद्रपाल शर्मा, अमर सिंह परिहार,श्यामानंद, राजीव शर्मा, सुरेश जोशी ,ओमप्रकाश, मोहनलाल, दिलीप पाल, राजेंद्र ,हंसराज, सुनीता ठाकुर,सीमा महंत सहित कार्यकर्ता उपस्थित रहे।
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर द्वारा प्रदेश के युवाओं को परामर्श देने के संबंध में की गई घोषणा के विषय में 20 नवम्बर, 2019 को एक बैठक आयोजित की जाएगी। यह जानकारी जिला रोजगार अधिकारी गुमान सिंह वर्मा द्वारा दी गई गुमान सिंह वर्मा ने कहा कि बैठक की अध्यक्षता उपायुक्त सोलन केसी चमन करेंगे। उन्होंने कहा कि बैठक सांय 3.30 बजे मिनी सचिवालय सोलन में आयोजित की जाएगी
धर्मशाला और पच्छाद में होने वाले उपुचनाव के लिए प्रचार का शोर 19 अक्तूबर को सायं पांच बजे थम जाएगा। उसके बाद प्रत्याशी 20 अक्तूबर को डोर-टू-डोर वोट मांगेंगे। प्रदेश के दोनों प्रमुख राजनीतिक दल करीब एक माह से प्रचार कर रहे हैं, ऐसे में अब अंतिम चरण के प्रचार में पूरी ताकत झोंकने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। अब तक हुए प्रचार के दौरान कांग्रेस और भाजपा के दुरंधरों ने खूब पसीना बहाया। हालांकि जीत और हार का फैसला 24 अक्तूबर को सामने आएगा, लेकिन भाजपा इस उम्मीद में है कि दोनों सीटें पार्टी की झोली में ही आएंगी। विपक्षी दल कांग्रेस भी उपचुनाव पर कब्जा जमाने की आस लगाए बैठी है। पच्छाद में कांग्रेस के पास पुराने उम्मीदवार के रूप में गंगूराम मुसाफिर मैदान में हैं, जबकि भाजपा ने महिला नेता पर भरोसा जताया है। धर्मशाला सीट पर दोनों दलों ने युवाओं पर दांव खेला है। धर्मशाला और पच्छाद में होने वाले उपचुनाव में 12 प्रत्याशियों में जंग होगी। हालांकि असली लड़ाई कांग्रेस और भाजपा में है, लेकिन कुछ निर्दलीय उम्मीदवार भी खेल बिगाड़ने में कोई कसर नहीं छोडेंगे। पच्छाद में पांच उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं, जबकि धर्मशाला विधानसभा क्षेत्र से कुल सात उम्मीदवारों में जंग होगी।
हिमाचल प्रदेश कांग्रेस सोशल मीडिया के चेयरमैन अभिषेक राणा ने केंद्र सरकार पर बड़ा हमला बोलते हुए कहा है कि काठ की हांडी अब टूटने लगी है। केंद्रीय वित्त मंत्री के पति ने भी पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की नीतियों की सराहना करते हुए उनसे सीखने की सलाह देकर केंद्र को आइना दिखाया है। अब उससे सबक लेकर सरकार को जनहित में ऐसे सकारात्मक कदम उठाने चाहिए, जिनसे देश व जनता का भला हो। उन्होंने कहा कि खुद को सर्वेसर्वा समझकर गलतियों पर पर्दा डालना व दूसरों पर दोषारोपण करते रहना कोई समझदारी का काम नहीं है। उन्होंने कहा कि देश को अगर विकसित देशों की श्रेणी में ले जाना है तो सरकार को लच्छेदार बयानबाजी से बाहर निकलकर देश पर आए संकट से निपटने के लिए रोडमैप तैयार कर उस पर काम करना ही होगा। उन्होंने कहा कि 1991 में भी ऐसी परिस्थिति से देश गुजरा है लेकिन उस समय तत्कालीन प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हा राव व तत्कालीन वित्त मंत्री मनमोहन सिंह ने आर्थिक चुनौतियों को संभाला भी और देश को उबारा भी था। उन्होंने कहा कि पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव बैंक में हुई वित्तीय अनियमितताओं के चलते बैंक उपभोक्ताओं को उनका पैसा देने पर ही रोक लगा दी है तथा गत दिवस एक उपभोक्ता का इसी गम में हृदयगति रूकने से निधन होना सरकार के लिए शर्मनाक बात और पूरे देश के लिए चिंतनीय विषय है। उन्होंने कहा कि वर्तमान केंद्र सरकार ने देश को पिछड़े देशों की श्रेणी में लाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है तथा हर वर्ग त्राहिमाम-त्राहिमाम कर रहा है।छोटे उद्योग बंद हो रहे है और बेरोजगार नौजवानों की बड़ी फौज खड़ी हो ग्ई है।
14 अक्तूबर : सुजानपुर के विधायक श्री राजेंद्र राणा ने केंद्र सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा है कि वर्तमान सरकार के हाथों देश सुरक्षित नहीं रह गया है। ऐसी ताकतें देश में हावी हो गई है, जोकि देश को निचोडऩे के साथ आने वाले समय में देश को सबसे बुरे दौर में ले जाएंगी। जी.एस.टी. को लेकर सरकार को घेरते हुए उन्होंने हैरानी जताई कि मौजूदा समय में हर महीने जी.एस.टी. कलेक्शन में गिरावट दर्ज की जा रही है और अब सरकार ने 12 सदस्यीय टीम को जी.एस.टी. की खामियों को लेकर समीक्षा करने के लिए गठन किया है, जबकि 2 साल से ही जी.एस.टी. को लेकर कांग्रेस सवाल उठाती आई है, तो यही लोग हंसते थे जबकि अब केंद्रीय वित्त मंत्री बोल रही हैं कि जी.एस.टी. में खामियां हो सकती है। सोमवार को जारी प्रेस ब्यान में उन्होंने आरोप लगाया कि हर नया कानून बनाने में सरकार ने हर बार हड़बड़ाहट ही दिखाई है जिसके परिणाम अब जनता को भुगतने पड़ रहे हैं। मंदी से गुजर रहे उद्योगों से लाखों कर्मचारी पलायन कर रहे हैं, उन्हें बेरोजगार बनाया जा रहा है। जी.डी.पी. दर गिरती जा रही है। ऐसे समय में भी केंद्र सरकार के मंत्रियों के सब कुछ कंट्रोल में होने के ऐसे बयान आते हैं, जिससे पता चलता है कि सरकार किस तरह दोहरे चेहरे व चरित्र के साथ जनता को अभी अपनी मीठी-मीठी बातों से लुभावने सपने दिखा रही है जबकि गरीब व मध्यमवर्गीय तबके तथा बेरोजगार युवाओं पर इस मंदी व बिगड़ी अर्थव्यवस्था की सबसे ज्यादा मार पड़ी है। उन्होंने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था पटरी से उतर चुकी है और औद्योगिक घराने मंदी के दौर से गुजर रहे हैं। ऐसे में वो कौन से चहेते बड़े उद्योगपति हैं जिनके लिए पर्दे के पीछे से बैंक भी खुले छोड़ रखे हैं और प्रदेश के संसाधनों को भी लुटाए जाने की तैयारी है। राजेंद्र राणा ने कहा कि बैंकों में जमा जनता के पैसे को ही चहेते उद्योगपतियों को ऋण की एवज में देकर सरकारी उपक्रमों को बेचने की तैयारी भी शुरू हो गई है। ऐसे में केंद्र सरकार बताए कि देश की अर्थव्यवस्था का बेड़ा गर्क कैसे हुआ।
पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी का दूसरा घर माने जाने वाले जिला कुल्लू में इनकी प्रतिमा बनाई जा रही है। हालांकि स्व. अटल का घर मनाली के प्रीणी में है, लेकिन प्रतिमा जिला मुख्यालय कुल्लू स्थित अटल सदन के पास बनेगी। अटल के साथ कुल्लू का गहरा रिश्ता रहा है। रविवार को अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव के मौके पर कुल्लू पधारे मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने अटल सदन कुल्लू में भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की प्रतिमा की आधारशिला रखी, जिस पर 22 लाख रुपए खर्च होंगे। बाकायदा मंत्रोच्चारण के साथ शिलान्यास करने की रिवायत को निभाया गया और मुख्यमंत्री ने ईंट लगाई। अब जल्द इसका निर्माण कार्य आरंभ करने के लिए प्रशासन और विभाग को निर्देश दिए हैं। इसके अलावा मुख्यमंत्री ने नागुझौर-मशना-थाच सड़क का उद्घाटन किया और पीएमजीएसवाई स्टेज के तहत 6.31 करोड़ तथा इस मार्ग पर ऑनलाइन बस को हरी झंडी दिखाई। वहीं, निर्मित कुल्लू के पॉलिटेक्नीक भवन के शैक्षणिक ब्लॉक का उद्घाटन किया। कुल्लू में लगभग 83 लाख रुपए से 5.75 करोड़ और उपायुक्त कार्यालय का पुनर्निर्मित भवन का उद्घाटन किया। अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव के पहले दिन मुख्यमंत्री ने जिला कुल्लू को करोड़ों की सौगात दी। इस अवसर पर सांसद राम स्वरूप शर्मा, विधायक सुंदर सिंह ठाकुर, उपाध्यक्ष एचपीएमसी राम सिंह, उपायुक्त डा. ऋ चा वर्मा, एसपी गौरव सिंह भी उपस्थित रहे। देव समाज के लोगों में उम्मीद है कि अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव के मौके पर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर बजंतरी वर्ग के साथ-साथ देवी-देवताओं की नजराना राशि पर भी बड़ी सौगात दे सकते हैं। देवधुन कार्यक्रम के दौरान वन, परिवहन और युवा सेवाएं तथा खेल मंत्री गोविंद ठाकुर ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा के अवसर पर खेली जाने वाली देवधुन मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर द्वारा सुझाई गई एक अवधारणा थी, जो देव समाज और राज्य की संस्कृति के लिए उनकी रुचि और प्रेम को दर्शाती है। कारदार संघ के अध्यक्ष ने मुख्यमंत्री को संघ की विभिन्न मांगों से अवगत करवाया।
धर्मशाला व पच्छाद उप चुनाव में भाजपा उमीदवार भारी अन्तर से जीत हासिल करेंगे। यह बात पूर्व मुख्यमंत्री प्रो प्रेम कुमार धूमल ने कुनिहार के लोक निर्माण विश्राम गृह में पत्रकारों से बातचीत के दौरान कही। प्रो प्रेम कुमार धूमल पच्छाद विधानसभा क्षेत्र में चुनाव प्रचार कर हमीरपुर वापसी पर कुछ समय के लिए कुनिहार रुके जँहा कार्यकर्ताओं ने उनका फूलमालाओं से जोरदार स्वागत किया। अपनी ही पार्टी के खिलाफ रुष्ट हुए नेताओं के बारे में उन्होंने कहा कि हर पार्टी व परिवार में मन मुटाव चलता रहता है नाराज नेताओं व कार्यकर्ताओं को मनाने का काम चल रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश सही दिशा में जा रहा है व नये नये आयाम छु रहा है। पूरा देश भाजपा व नरेंद्र मोदी की नीतियों को समझ रहा है व सराहना कर रहा है।भाजपा सरकार द्वारा लोगो के उत्थान के लिए चलाई जा रही विभिन्न कल्याण कारी नीतियों व योजनाओं बारे लोगो को बताया जा रहा है। इस मौके पर पी एम सी के निदेशक अमर सिंह ठाकुर,मण्डल उपाध्यक्ष सुरेश जोशी, मण्डल महामंत्री देवेन्द्र शर्मा,मण्डल युवा मोर्चा अध्यक्ष योगेश गौतम,सोनिया ठाकुर,कौशल्या कँवर,विजय ठाकुर,इंद्रपाल शर्मा,गोपाल कृष्ण शर्मा,स्यामानंद,हीरा लाल चन्देल सहित कई कार्यकर्ता मौजूद थे।
मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने धर्मशाला के मतदाताओं से भाजपा प्रत्याशी विशाल नेहरिया को विधानसभा उप-चुनाव में भरपूर समर्थन देने का आग्रह किया है ताकि राज्य में विकास की गति निर्बाध जारी रह सके। वह आज धर्मशाला विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत सिद्धपुर के राम लीला ग्राउंड में एक चुनावी सभा को संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा स्पष्ट नीति, मजबूत नेतृत्व और विकासोन्मुखी नीतियों वाली पार्टी है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गतिशील नेतृत्व में यह सुनिश्चित हो रहा है कि भारत जल्दी की विश्व शक्ति बनकर उभरेगा। यह प्रधानमंत्री की राजनीतिक इच्छा शक्ति के कारण ही है कि आज धारा 370 हटाए जाने से एक राष्ट्र और एक संविधान सुनिश्चित हुआ है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा शुरू की गई कई योजनाएं आम आदमी के जीवन में आशातीत परिवर्तन लाने में सफल रही हैं। उन्होंने कहा कि हिम केयर, गृहिणी सुविधा योजना, पेंशन योजना आदि ने राज्य के लाखों लोगों को लाभान्वित किया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने जन मंच की शुरुआत की है, जिसने जनता की शिकायतों का त्वरित निवारण हो रहा है। जन मंच की उपयोगिता के पूरक के तौर पर अब राज्य सरकार ने मुख्यमंत्री सेवा संकल्प हेल्पलाइन 1100 भी शुरू की है। सभी मंत्रियों, चुने हुए प्रतिनिधियों और अन्य पदाधिकारियों को मुख्यमंत्री सेवा संकल्प हेल्पलाइन 1100 को लोकप्रिय बनाने के लिए कहा गया है। उन्होंने कहा कि यह हेल्पलाइन सप्ताह में छह दिन सुबह 7 बजे से रात 10 बजे तक काम कर रही है। जय राम ठाकुर ने कहा कि राज्य सरकार धर्मशाला में निवेशकों का सम्मेलन आयोजित करने जा रही है, जिेससे यह शहर विश्व पर्यटन मानचित्र पर उभरेगा क्योंकि हजारों निवेशक और कई देशों के राजदूत यहां आएंगे। इसके अलावा, प्रधान मंत्री, केंद्रीय गृह मंत्री और कई केंद्रीय मंत्री भी इस अवसर पर उपस्थित होंगे। उन्होंने कहा कि अब तक विभिन्न क्षेत्रों में 75,776 करोड़ रुपये के 570 एमओयू पर राज्य सरकार हस्ताक्षर कर चुकी है। उन्होंने कहा कि राज्य के लोगों ने लोकसभा चुनाव में सभी भाजपा उम्मीदवारों को अपना पूरा समर्थन देकर उनकी शानदार जीत सुनिश्चित की। भाजपा ने लोकसभा चुनावों में राज्य के सभी 68 विधानसभा क्षेत्रों में जीत दर्ज करएक कीर्तिमान स्थापित किया और लोकसभा चुनाव में भाजपा का वोट प्रतिशत भी हिमाचल में सबसे अधिक था। उन्होंने कहा कि वोट प्रतिशतता के आधार पर सबसे ज्यादा जीत का अंतर भाजपा सांसद किशन कपूर का था। जय राम ठाकुर ने कहा कि राज्य सरकार बुनियादी ढांचे को मजबूत करने, राज्य को आत्मनिर्भर बनाने और समावेशी विकास सुनिश्चित करने के उद्देश्य से औद्योगीकरण को बढ़ावा देने पर विशेष जोर दे रही है। उन्होंने कहा कि राज्य का संतुलित और न्यायसंगत विकास राज्य सरकार का मुख्य ध्येय है। भाजपा प्रत्याशी विशाल नेहरिया ने भी इस अवसर पर सभा को संबोधित किया और लोगों से समर्थन देने का आग्रह किया।
पच्छाद विधानसभा क्षेत्र को पहली बार महिला विधायक मिल सकती है। भाजपा ने पच्छाद उप चुनाव के लिए रीना कश्यप को टिकट दिया है। ऐसा भी पहली बार हुआ है की भाजपा ने पच्छाद के गिरिपार क्षेत्र से किसी प्रत्याशी को टिकट दिया हो। यदि रीना कश्यप ये चुनाव जीत जाती है तो वे प्रदेश को पहला मुख्यमंत्री देने वाले पच्छाद विधानसभा क्षेत्र की प्रथम महिला विधायक होगी। विदित रहे कि सोमवार 30 सितम्बर नामांकन के लिए आखिरी तारीख है और अंतिम समय तक चली माथापच्ची के बाद भाजपा ने रीना कश्यप पर दांव खेला है। रविवार दोपहर तक दयाल प्यारी, बलदेव कश्यप तथा रीना कश्यप के नाम पर काफी गहन मंथन चला हुआ था। जातिगत समीकरणों तथा इस बार गिरी पार से उठी प्रत्याशी की मांग को लेकर हाईकमान ने एक महिला को अधिमान देते हुए गिरी पार क्षेत्र की भावनाओं को परवान चढ़ाया है। ऐसे में भाजपा को संभवतः गिरिपार से अच्छा समर्थन मिल सकता है। रीना कश्यप का माईका यानि पैतृक क्षैत्र कोटखाई है और इससे पहले वह जिला परिषद की सदस्या रही है। पच्छाद के गिरी पार से रीना कश्यप के नाम के बाद क्षेत्र में खुशी का माहौल है। भाजपा के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने पहले 36 विधानसभा सीटों की लिस्ट जारी करते हुए हिमाचल के 2 जिलों में होने वाले उपचुनाव के लिए प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है। इसमें पच्छाद रीना कश्यप तथा धर्मशाला से विशाल के नाम पर मुहर लगाई है। उधर जिला सिरमौर भाजपा अध्यक्ष विनय गुप्ता ने जिला भाजपा की ओर से राष्ट्रीय भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा प्रदेश मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का आभार व्यक्त करते हुए रीना कश्यप को भारी मतों से जिताने का आश्वासन भी दिया है।
जिला सिरमौर के पच्छाद विधानसभा क्षेत्र में पहली बार होने जा रहे उप चुनाव के लिए जहा कांग्रेस ने अपने पुराने उम्मीदवार व सात बार क्षेत्र के विधायक रहे जी आर मुसाफिर पर एक बार फिर दांव खेला है, वही भाजपा ने अभी तक पत्ते नहीं खोले है। सोमवार 30 सितम्बर नामांकन की आखिरी तारीख है और भाजपा अभी तक गिरी आर और गिरी पार के पशोपेश में उलझी है। दरअसल, भाजपा में गिरिपार के प्रत्याशी को टिकट देने की मांग उठ रही है। यदि गिरिपार के किसी उम्मीदवार को टिकट नहीं मिलता है तो भाजपा को अंतर्कलह का सामना करना पड़ा सकता है, जिसका फायदा कांग्रेस को मिल सकता है। वहीँ, गिरिआर से दयालप्यारी की दावेदारी पार्टी के लिए संकट खड़े किये हुए है। जगजाहिर है दयालप्यारी पार्टी के कई नेताओं को फूटी आँख नहीं सुहाती, पर करीब 30 पंचायतों में उनका प्रभाव पार्टी दरकिनार भी नहीं कर सकती। सिक्टा के समर्थक उत्साहित ... भले ही भाजपा ने अपना उम्मीदवार मैदान में ना उतारा हो मगर भाजपा ने नामांकन के लिए सभी तैयारियां पूर्ण कर ली है। ऐसी सुचना मिल रही है कि सोमवार को प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर भी राजगढ आ सकते है और वे भाजपा उम्मीदवार के पक्ष में एक चुनावी जनसभा को संबोधित करेंगे। हालांकि जयराम के राजगढ आने का कोई आधिकारिक प्रोग्राम अभी तक नही आया है। बावजूद इसके भाजपा कार्यकर्ता खराब मौसम में भी इस रैली को सफल बनाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहै है। सीएम के राजगढ़ आने के कयासों से आशीष सिक्टा के समर्थक उत्साहित है। सिक्टा भी राजगढ़ से ही ताल्लुख रखते है, ऐसे में समर्थक मान रहे है कि पार्टी सिक्टा को टिकट देने का मन बना चुकी है। गिरिपार को टिकट न मिला तो उतरेगा बागी उम्मीदवार ! माना जा रहा है कि आखिरी दिन भाजपा से ही 4 नेता नामांकन भरने की तैयारी में है। समर्थकों की ब्रिगेड के अतिरिक्त ढोल-नगाड़े सहित अन्य तैयारियां भी कर ली गई है। ये सभी आलाकमान से टिकट की उम्मीद लगाए बैठे है। वहीँ टिकट न मिलने की स्थिति में इन पर समर्थकों का आज़ाद चुनाव लड़ने का दबाव भी है। खासतौर से गिरिपार को यदि टिकट नहीं मिलता है तो भाजपा से कोई बागी भी मैदान में हो, इसके प्रबल आसार है।
हिमाचल प्रदेश में 2017 विधानसभा चुनाव का प्रचार चरम पर था। कांग्रेस मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के नेतृत्व में चुनाव लड़ रही थी, पर भाजपा ने अभी सीएम फेस डिक्लेअर नहीं किया था। भाजपा की सारी राजनीति धूमल बनाम नड्डा के नाम के कयासों के इर्दगिर्द घूम रही थी। इसका असर भी दिख रह था। भाजपा का कंफ्यूज कार्यकर्ता वीरभद्र के आगे कुछ हल्का दिख रहा था। 9 नवंबर को वोटिंग होनी थी और 30 अक्टूबर तक भाजपा ने सीएम फेस की घोषणा नहीं की थी। कांग्रेस भी भाजपा को बिना दूल्हे की बरात कहकर खूब चुटकी ले रही थी। माना जाता है कि प्रो प्रेम कुमार धूमल भाजपा आलाकमान की पसंद नहीं थे, लेकिन वीरभद्र की कांग्रेस को टक्कर देने वाला कोई और दिख भी नहीं रहा था। सो, सारे गुणा भाग करके आखिरकार 31 अक्टूबर को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने सिरमौर के पच्छाद में हुई रैली में प्रो प्रेम कुमार धूमल को सीएम फेस घोषित कर दिया। धूमल के नाम की घोषणा होते ही मानो भाजपा में जान सी आ गई, देखते-देखते समीकरण बदले और भाजपा ने बेहद मजबूती से चुनाव लड़ा। 18 दिसंबर को जब नतीजे आये तो भाजपा ने 44 सीटों पर जीत दर्ज कर सत्ता में शानदार वापसी की। पर इन 44 सीटों में सुजानपुर की सीट नहीं थी, इन 44 सीटों में प्रो प्रेम कुमार धूमल की सीट नहीं थी। भाजपा तो जीत गई थी, पर भाजपा को जीताने वाले धूमल खुद चुनाव हार बैठे। एक कहावत है... हाथ में आया, पर मुँह न लगा ! हिंदुस्तान की राजनीति में प्रो. प्रेम कुमार धूमल से बेहतर ये कहावत शायद ही किसी पर सटीक बैठती हो। क्या सुजानपुर से टिकट देना सिर्फ इत्तेफ़ाक़ था ! प्रो प्रेम कुमार धूमल का चुनाव हारना आसान नहीं था और ये यूँ ही नहीं हो गया था। दरअसल प्रो धूमल की सीट थी हमीरपुर, पर पार्टी ने उन्हें टिकट दिया सुजानपुर से। उसी सुजानपुर से जो जहाँ कभी उनके करीबी रहे राजेंद्र राणा का ख़ासा प्रभाव था। पर राणा की निष्ठा अब वीरभद्र सिंह और कांग्रेस में थी। कहते है राणा से बेहतर धूमल की कमजोरियों को कोई नहीं जानता, आखिर राणा ने राजनीति भी तो धूमल से ही सीखी थी। भाजपा में धूमल विरोधी भी इस बात से वाकिफ थे और चाहते थे कि धूमल को घर में ही ठिकाने लगा दिया जाए। हुआ भी यही। धूमल 1919 वोट से चुनाव हार गए और उनका तीसरी बार सीएम बनने का स्वप्न पूरा नहीं हो सका। प्रोफेसर से मुख्यमंत्री तक का सफर राजनीति में प्रो धूमल का कद रातों रात नहीं बढ़ा था और यूँ ही कोई धूमल बन भी नहीं सकता। सियासत में आने के लिए धूमल ने प्रोफेसर की नौकरी छोड़ी और शुरुआत की भाजपा के युवा संगठन से। 1980-82 में धूमल भाजयुमो के प्रदेश सचिव रहे। पर चर्चा में आये 1989 में जब उन्होंने हमीरपुर सीट पर हुए उपचुनाव में जीत दर्ज की और लोकसभा पहुँच गए। इससे पहले 1984 का चुनाव वे हार चुके थे। इसके बाद 1993-98 में वो हिमाचल प्रदेश बीजेपी के अध्यक्ष रहे। इस बीच 1996 के लोकसभा चुनाव में भी उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। पर धूमल ने लम्बी छलांग लगाईं और इसके बाद वो दो बार हिमाचल के मुख्यमंत्री बने। 1998 में सरकार बनाने के लिए सुखराम के पांचो विधायकों को बनाया मंत्री 1998 का चुनाव आते-आते भाजपा बदली चुकी थी और प्रदेश के समीकरण भी। नरेंद्र मोदी प्रदेश के प्रभारी थे, जो इस बात को समझ चुके थे कि 'नो वर्क नो पे वाले' सीएम रहे शांता कुमार के नाम पर चुनाव लड़ना और जीतना बेहद मुश्किल है। धूमल तब मोदी के करीबी थे और प्रदेश की राजनीति में भी उनका ठीक ठाक कद था। सो, मोदी ने पार्टी आलाकमान को मनाया और चुनाव से पहले ही धूमल को सीएम फेस घोषित कर दिया। हालांकि नतीजों के बाद कांग्रेस और भाजपा दोनों 31-31 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरे लेकिन बहुमत किसी के पास नहीं था। कांग्रेस में अपनी उपेक्षा से नाराज़ पंडित सुखराम ने तब नई पार्टी बना कर चुनाव लड़ा था, जिसका नाम था हिमाचल विकास कांग्रेस। पंडित सुखराम की पार्टी के खाते में पांच सीटें आई थी और सरकार किसकी बनेगी, ये उन्हें ही तय करना था। वीरभद्र से मतभेद के चलते सुखराम ने धूमल को समर्थन दिया और धूमल ने पुरे पांच साल सरकार चलाई। हालांकि इसके बदले सुखराम के पांचो विधायकों को मंत्री बनाया गया। भाजपा के कई नेता, खासतौर से शांता गुट के कई नेता अब भी इसे गलत करार देते है। बने सड़क वाले मुख्यमंत्री जब प्रो धूमल पहली बार सीएम बने तो केंद्र में एनडीए की सरकार थी और प्रधानमंत्री थे अटल बिहारी वाजपेयी। उस दौर में देशभर में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के माध्यम से सड़कों का जाल बिछाया गया था और हिमाचल भी इससे अछूता नहीं रहा। पहाड़ी राज्य होने के चलते हिमाचल में ये ये कार्य आसान नहीं था लेकिन धूमल सरकार ने इसमें कोई कसर नहीं छोड़ी। इसीलिए धूमल सड़क वाले मुख्यमंत्री के तौर पर भी जाने जाते है। 2007 में बने दूसरी बार सीएम 2003 के विधानसभा चुनाव में प्रो धूमल एक बार फिर भाजपा के सीएम फेस थे लेकिन भाजपा सत्ता में वापसी नहीं कर पाई। इसके बाद उनके नेतृत्व में 2007 का चुनाव लड़ा गया जिसमें भाजपा ने फिर सत्ता कब्जाई और धूमल दूसरी बार सीएम बने। दूसरी बार वे एक जनवरी 2008 से 25 दिसंबर 2012 तक हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत