पीएम मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने साल 2021 में आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन की शुरुआत की थी। मोदी के नेतृत्व में ही 2021-2022 से 2025-2026 तक 5 वर्षों के लिए 1,600 करोड़ रुपये की डिजिटल स्वास्थ्य इकोसिस्टम बनाने के लिए आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन शुरू किया गया था। इसकी वजह से पीएम मोदी के गारंटी का भी असर देखने को साफ मिला और इस योजना के तहत 29 फरवरी, 2024 तक 56.67 करोड़ लोगों के आयुष्मान भारत स्वास्थ्य खाते बनाए जा चुके हैं। इसके अलावा आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन ने लैंगिक समानता हासिल करने की दिशा में भी प्रगति की है। 29 फरवरी, 2024 तक, 27.73 करोड़ महिलाएं और 29.11 करोड़ पुरुषों को आभा कार्ड से लाभ हुआ है। वहीं 34.89 करोड़ से अधिक स्वास्थ्य दस्तावेजों को इससे जोड़ा गया है। क्या है आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन का उद्देश्य देश में यूनिफाइड डिजिटल स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे की मदद करने के लिए जरूरी आधार तैयार करना है। इससे सीमित इंटरनेट कनेक्टिविटी वाले क्षेत्रों में आयुष्मान भारत स्वास्थ्य खाता खोलने के लिए ऑफलाइन मोड को मदद पहुंचती है। इसके अलावा भारत सरकार ने स्वास्थ्य सुविधा के लिए आभा ऐप और आरोग्य सेतु जैसे विभिन्न एप्लिकेशन भी लॉन्च किए गए हैं, जो आम लोगों को मदद पहुंचाती है। आभा ऐप एक प्रकार का डिजिटल स्टोरेज है, जो किसी भी व्यक्ति के मेडिकल दस्तावेजों का रखने का काम आता है। इस ऐप के जरिए मरीज रजिस्टर्ड स्वास्थ्य पेशेवरों से संपर्क भी कर सकते हैं। भारत में बीजेपी की मोदी सरकार ने बीते 10 सालों के अपनी सरकार में कई सारे मील के पत्थर हासिल किया है। इन 10 सालों में पीएम मोदी के विजन ने भारत को अगले 23 साल बाद यानी साल 2047 तक विकसित भारत बनाने के ओर मजबूती से कदम भी बढ़ा लिया है। पीएम मोदी के नेतृत्व में बीजेपी सरकार ने देश के हित में जो भी फैसले लिए है, उनमें से हेल्थ सेक्टर को सर्वोच्च प्राथमिकता देने का प्रयास किया गया है।
मुख्यमंत्री नई दिल्ली एम्स में भर्ती, स्वास्थ्य स्थिति बेहतर मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू को गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग में कुछ परीक्षणों के लिए शुक्रवार सुबह नई दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में भर्ती करवाया गया है। विभाग के डॉक्टरों की टीम ने उनके परीक्षण शुरू कर दिए हैं। इस प्रक्रिया में लगभग दो से तीन दिन लग सकते हैं। मुख्यमंत्री की सेहत पहले से बेहतर है, चिंता की कोई बात नहीं है। वह डॉक्टरों की टीम की निगरानी में हैं। मेडिकल बुलेटिन के अनुसार ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू की रिपोर्ट सामान्य हैं। मुख्यमंत्री का स्वास्थ्य स्थिर है। उन्हें उचित आराम की जरूरत है, जिससे वह और तेजी से ठीक होंगे। आईजीएमसी शिमला के डॉक्टरों की सलाह पर मुख्यमंत्री को एम्स में भर्ती करवाया गया है।
उपमंडल पधर के राजकीय महाविद्यालय द्रंग स्थित नारला में शनिवार को अग्नि सुरक्षा से संबंधित मॉक ड्रिल का आयोजन किया गया । पिछले एक हफ्ते से महाविद्यालय के 16 रोवर्स और रेंजर्स अग्निशमन विभाग पधर द्वारा प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे थे । जिसके अंतिम चरण में शनिवार को महाविद्यालय में स्वयं सेवकों की भूमिका निभाते हुए इस माॅक ड्रिल को महाविद्यालय के अन्य विद्यार्थियों के समक्ष प्रस्तुत किया । जिसमें विभिन्न सुरक्षा गतिविधियां जैसे भूकंप आने पर,गैस सिलेंडर में आग लग जाने पर या चोट लग जाने इत्यादि परिस्थितियों में क्या करें आदि के बारे में जानकारी दी गई। इस कार्यक्रम में पधर चौंकी के प्रभारी हेम सिंह व उनकी सक्रिय टीम ने कार्यकम्र की अगुवाई की व सभी विद्यार्थियों को हर प्रकार की सुरक्षा से संबंधित जानकारी दी। इस कार्यक्रम में रेंजर लीडर डॉ दीपाली अशोक, रोवर लीडर प्रोफेसर अजय कुमार सहित महाविद्यालय के सभी प्राध्यापको व 250 के लगभग विद्यार्थियों ने भाग लिया ।
मिनर्वा कॉलेज ऑफ एजुकेशन इंदौरा के वी.एड तृतीय सत्र के प्रशिक्षु अध्यापकों ने शिक्षण प्रक्रिया के दौरान विभिन्न गवर्नमेंट स्कूलों में 16 सितंबर अंतर्राष्ट्रीय ओजोन परत संरक्षण दिवस के अवसर पर विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिताओं कोआयोजित किया।जिसमें पौधारोपण,भाषण,प्रतियोगिता, पोस्टर, ,मेकिंग इत्यादि प्रतियोगिताओं को कराया गया।कार्यक्रम का उद्देश्य ओजोन परत सुरक्षा के प्रति जागरूकता लाना है।इस दौरान स्कूलोे के प्रिंसिपल्स ने पर्यावरण और ओजोन संरक्षण के बारे में बताया।इस कार्यक्रम में कई छात्रों व शिक्षकों ने "ओजोन परत रिक्तीकरण एवं उसका प्रभाव" विषय पर व्याख्यान दिया।
गुड़ खाने के कई फायदे हैं। यह शरीर के कई रोगों को दूर करने में मदद करता है साथ ही यह वजन घटाने में भी कारगर है। अक्सर लोग चीनी की जगह गुड़ का इस्तेमाल करते हैं। आइए जानते हैं, गुड़ खाने से शरीर को किन बीमारियों से छुटकारा मिल सकती है। कब्ज : गुड़ में कुछ ऐसे तत्व पाये जाते हैं, जो खाना पचाने में मदद करते हैं। यह पेट की कब्ज की समस्या को दूर करता है। इसे खाने से पाचन संबंधी समस्याएं दूर हो सकती है। एनीमिया : गुड़ में प्रचुर मात्रा में आयरन पाया जाता है, जो शरीर में खून को बढ़ाने में मदद करता है। इसे खाने से आपके शरीर में RBC के निर्माण होने में सहायता मिलती है। ब्लड प्रेशर : गुड़ का सेवन ब्लड प्रेशर कंट्रोल करने में मदद करता है। सर्दी-जुकाम : गुड़ खाने से सर्दी-जुकाम में राहत मिल सकती है। गुड़ खाने से गले की खराश भी दूर हो सकती है। आंखों की रोशनी : गुड़ खाने से आंखों की रोशनी बढ़ती है। इसे खाने से त्वचा संबंधी परेशानियां भी दूर हो सकती हैं। Disclaimer: लेख में दिए गए सुझाव और टिप्स सिर्फ सामान्य जानकारी के उद्देश्य के लिए हैं और इसे पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। किसी भी तरह के सवाल या परेशानी हो तो फौरन अपने डॉक्टर से सलाह करें।
अगर आप सुबह-सुबह खाली पेट पानी पीते हैं तो इसके कई चमत्कारी फायदे हैं। इससे आपकी मेंटल हेल्थ, स्किन हेल्थ और बालों की सेहत भी दुरुस्त रहती है। हमारे शरीर का 60-65 फीसदी हिस्सा पानी है और अगर इसकी कमी हो जाती है तो सारा बैलेंस बिगड़ जाता है। सुबह में खाली पेट पानी पीने के कई फायदे हैं। सुबह सुबह पानी पीने से बॉडी हाइड्रेटेड रहती है वजन कम करने में मदद मिलती है स्किन के लिए अच्छा और डी-टॉक्सीकेशन करता है इनडाइजेशन में गुनगुना पानी अच्छा, मेटाबॉलिज्म मजबूत होता है बालों की सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है इम्युनिटी बूस्ट होती है और भूख बढ़ती है
डब्ल्यूएचओ के तकनीकी प्रमुख रोसमंड लुईस ने मंकीपॉक्स की वैक्सीन को लेकर बड़ा खुलासा करते हुए कहा है कि मंकीपॉक्स की वैक्सीन 100 प्रतिशत प्रभावशाली नहीं हैं। ऐसे में लोगों को संक्रमण से अपने आप को बचना चाहिए। वहीं, डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस अदनोम घेबियस ने कहा कि पिछले हफ्ते दुनिया में लगभग 7,500 मंकीपॉक्स के मामले सामने आये है, जोकि पिछले सप्ताह की तुलना में 20 प्रतिशत ज्यादा हैं। यूरोप और अमेरिका में सबसे ज्यादा मंकीपॉक्स के मामले सामने आ रहे है। गौरतलब है कि अधिकतर लोग आमतौर पर बिना इलाज के ही कुछ हफ्तों में मंकीपॉक्स से ठीक हो जाते है। इसके लक्षण शुरू में फ्लू जैसे होते हैं, जैसे बुखार, ठंड लगना और सूजी हुई लिम्फ नोड्स। डब्ल्यूएचओ के अनुसार यह वायरस छोटे बच्चों, गर्भवती महिलाओं और ऐसे व्यक्तियों में ज्यादा गंभीर हो सकता है जिनकी इम्युनिटी कम है। वहीं, इस बीमारी से अब तक भारत में 12 लोगों की मौत हो चुकी है।
भारत में मंकीपॉक्स के पहले मामले की पुष्टि हो गई है। यूएई से केरल लौटे एक व्यक्ति को मंकीपॉक्स के लक्षण दिखने के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था। व्यक्ति की जांच किए जाने पर मंकीपॉक्स की पुष्टि हुई है। डब्ल्यूएचओ (WHO) के अनुसार 50 देशों से ज्यादा देशों में मंकीपॉक्स के करीब 3,413 से ज्यादा मामले सामने आये हैं और 70 से ज्यादा मरीजों की मौत हुई है। कैसे फैलता है मंकीपॉक्स? मंकीपॉक्स के फैलने को लेकर उन्होंने कहा कि मंकीपॉक्स जानवरों से मनुष्यों में फैलने वाला वायरस है। मंकीपॉक्स स्मॉलपॉक्स की तरह ही एक वायरल इंफेक्शन है जो चूहे और खासकर बंदरों से इंसानों में फैल सकता है। वर्तमान में लगभग 99% मामले एमएसएम में हैं जो पुरुष-पुरुष के साथ यौन संबंध रखते हैं और लगभग 80% मामले यूरोप और फिर अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और अन्य में हैं। मंकीपॉक्स मुख्य रूप से बहुत करीबी व्यक्तिगत संपर्क बनाने के माध्यम से फैलता है। कैसे करें मंकीपॉक्स से बचाव? मंकीपॉक्स से बचाव और इसके इलाज को लेकर डॉ. ईश्वर गिलाडा ने कहा कि वर्तमान में मंकीपॉक्स का कोई सटीक इलाज नहीं है। हां, चेचक का टीका उपयोगी हो सकता है क्योंकि यह मंकीपॉक्स को रोक सकता है और मंकीपॉक्स के इलाज के लिए चिकित्सीय एजेंट के रूप में कार्य कर सकता है। इससे बचाव के लिए हमें किसी भी सावधानी बरतनी होगी और मंकीपॉक्स से ग्रसित मरीज के संपर्क में ना आएं। साथ ही इसके फैलने के जो कारण बताए गए हैं वैसा भी ना करें। इसके अलावा संक्रमित व्यक्ति द्वारा इस्तेमाल की गई सभी वस्तुओं से दूर रहकर मंकीपॉक्स से बचा जा सकता है। क्या हैं मंकीपॉक्स के लक्षण? मंकीपॉक्स के लक्षण चेचक के रोगियों में देखे गए लक्षणों के समान होते हैं. इसके शुरुआती लक्षण में पूरे शरीर पर गहरे लाल रंग के दाने, निमोनिया, तेज सिर दर्द, मांसपेशियों में दर्द, ज्यादा थकान लगना, तेज बुखार आना, ठंड लगना, शरीर में सूजन और एनर्जी की कमी जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।
दिल्ली में पहला मंकीपॉक्स का मामला सामने आया है। मिली जानकारी के अनुसार दिल्ली निवासी 31 वर्षीय शख्स संक्रमित पाया गया है। शख्स फिलहाल दिल्ली के एलएनजेपी अस्पताल में भर्ती है। दो दिन पहले बुखार और चकते शरीर पर आए जिसके बाद भर्ती किया गया। आधिकारिक सूत्र ने बताया कि संक्रमित शख्स बीते दिनों शख्स हिमाचल प्रदेश से घूमकर लौटा है। हालांकि उसकी कोई विदेश यात्रा की अभी हिस्ट्री सामने नहीं आई है। भारत में अभी तक मंकीपॉक्स के चार मामले सामने आ चुके हैं, इसमें से तीन केरल है। बता दें विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि 70 से अधिक देशों में मंकीपॉक्स का प्रसार एक वैश्विक आपात स्थिति है। सूत्र के मुताबिक, शनिवार को उसके सैंपल नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी पुणे भेजे गए थे, जो पॉजीटिव पाए गए। डब्ल्यूएचओ की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 1 जनवरी 2022 से और 22 जून 2022 तक कुल 3413 मंकीपॉक्स के मामलों की पुष्टि हुई है और ये मामले 50 देशों सामने आए है। डब्ल्यूएचओ को मंकीपॉक्स से एक मौत की सूचना मिली है। इनमें से अधिकांश मामले यूरोपीय क्षेत्र (86%) और अमेरिका (11%) से सामने आए हैं।
भारत में कोरोनावायरस का कहर जारी है। रोजाना सैकड़ों नए मामले सामने आ रहे है। बीते 24 घंटे की ही बात करें तो देश में कोरोना के 2745 नए मामले सामने आए है। इससे पहले मंगलवार को COVID-19 के 2338 नए मामले दर्ज किए गए थे। ऐसे में देखा जाए तो कोरोना संक्रमण के नए मामलों में वृद्धि हुई है, जिससे कुल संक्रमितों की संख्या 18,386 हो गई है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक बीते 24 घंटे के दौरान देश में कोरोना वायरस से संक्रमित होने की संभावना 0.60 प्रतिशत रही, जबकि उससे ठीक होने की संभावना 98.74 प्रतिशत है। कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए जारी की गयी वैक्सीनेशन के आंकड़ों को देखें तो अब तक देश में 193.57 करोड़ से ज्यादा लोगों को वैक्सीन दी जा चुकी है, जबकि कुल 85 करोड़ से अधिक लोगों के कोरोना टेस्ट किये जा चुके है। बीते 24 घंटे में साढ़े चार लाख से अधिक कोरोना टेस्ट किए गए, जिसमे से कुल 2236 लोगों ने कोरोना को मात दी है, और उनकी संख्या 4,26,17,810 पहुंच गई है। गौरतलब है कि मंगलवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक देश में COVID-19 के 2338 नए मामले दर्ज किए गए। वहीं, उक्त समयावधि के दौरान कोरोना से 19 लोगों की मौत हुई थी, जबकि 2,134 लोग अस्पताल से डिस्चार्ज हुए, जिसके बाद भारत में कोरोना से कुल रिकवरी 4,26,15,574 तक पहुंच गई थी।
हिमाचल प्रदेश के सरकारी अस्पताल परिसरों में स्थापित निजी लैबों में 233 टेस्ट निशुल्क होंगे। स्वास्थ्य विभाग की ओर से पुणे की कंपनी को टेंडर देने के बाद एग्रीमेंट साइन कर लिया गया है। करार के मुताबिक कंपनी को डेढ़ माह बाद सेवाएं देनी शुरू करनी होगी, वहीं तीन माह के भीतर अस्पतालों में अपना आधारभूत ढांचा विकसित करना होगा। प्रदेश के छह मेडिकल कॉलेजों, जोनल अस्पतालों, सिविल और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में लैब स्थापित हैं। इनमें सरकारी रेट पर हर तरह के टेस्ट होते हैं। स्वास्थ्य विभाग की अपनी लैब भी हैं। इनमें 12 बजे तक टेस्ट होते हैं। उसके बाद इनकी जांच की जाती है। ऐसे में लोग निजी लैब में टेस्ट करवाते हैं। पहले अस्पतालों में 11 तरह की श्रेणियों में आने वाले मरीजों को ही यह सुविधा मिलती थी, लेकिन अब सभी मरीजों को निशुल्क टेस्ट सुविधा का लाभ मिलेगा। इसमें अल्ट्रासाउंड और सीटी स्कैन भी शामिल हैं। स्वास्थ्य सचिव अमिताभ अवस्थी ने बताया कि निशुल्क टेस्ट की संख्या बढ़ाने से लोगों को काफी राहत मिलेगी। स्वास्थ्य विभाग के उपनिदेशक रमेश चंद ने कहा कि एग्रीमेंट साइन कर लिया गया है। नई कंपनी सरकार को 41 फ ीसदी तक टेस्ट में छूट देगी। मरीजों के टेस्ट की यह राशि सरकार वहन करेगी। मरीजों से टेस्ट से पैसे नहीं लिए जाएंगे।
- स्वास्थ्य मंत्री रहते जेपी नड्डा ने दी थी सौगात हिमाचल में बेहतर और आधुनिक स्वास्थ्य सुविधा के स्वप्न को उस समय मूर्त रूप मिला जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर में नए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान की स्थापना को मंजूरी दी। तत्कालीन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा के कार्यकाल के दौरान 2 अक्टूबर, 2017 को बिलासपुर जिला के कोठीपुरा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा इस अस्पताल का शिलान्यास किया गया था। तब से कार्य ज़ारी है। बिलासपुर जेपी नड्डा का गृह नगर है और यहां बन रहा एम्स हिमाचल के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले के कोठीपुरा में बनाया जा रहा है। इस अस्पताल का निर्माण प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के तहत किया जा रहा है। 250 एकड़ भूमि पर लगभग 1500 करोड़ रूपए की लागत से बनने वाले इस अस्पताल से जहाँ पुरे हिमाचल प्रदेश को लाभ मिलेगा, वहीं पुरे प्रदेश को बेहतर चिकित्सा सुविधाएं भी प्राप्त होगी। न केवल हिमाचल प्रदेश बल्कि हिमचाल के साथ सटे राज्यों को भी इसका लाभ मिलेगा। हिमाचल प्रदेश में विश्वस्तरीय अस्पताल न होने से आपात स्तिथि में लोगों को पीजीआई चंडीगढ़ जाना पड़ता था पर अब बिलासपुर में बन रहे एम्स से हिमाचल वासियों को राज्य में ही बेहतरीन चिकित्सा सुविधाएं मिलेंगी। जून में प्रधानमंत्री मोदी करेंगे जनता को समर्पित : इस अस्पताल के निर्माण को पूरा करने में 4 साल का लक्ष्य रखा गया था किन्तु वैश्विक महामारी कोरोना के चलते लॉकडाउन के दौरान ज्यादातर मज़दूरों ने पलायन किया जिस कारण निर्माण कार्य में कुछ देरी हुई पर अब स्तिथि कुछ सामान्य होने के बाद इसी वर्ष जून तक कार्य पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसे आम जनता को समर्पित करेंगे। एम्स में ओपीडी शुरू हो चुकी है। अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस अस्पताल: बिलासपुर में बन रहा एम्स अस्पताल अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस होगा। इसमें विशेष सुविधाओं से लैस 750 बिस्तर उपलब्ध होंगे। इसमें 30 ट्रॉमा बेड, 80 आईसीयू बेड, 20 ऑपरेशन थियेटर, 20 स्पेशियलिटी और सुपर स्पेशिएलिटी विभाग के साथ अत्याधुनिक उपकरण जैसे सीटी स्कैन, एमआरआई, कैथ लैब इत्यादि होंगे। परिसर में आवासीय छात्रावास जैसी सुविधाएं भी उपलब्ध होंगी। इसी परिसर में आयुष भवन भी स्थापित होगा। इसमें मरीजों का गैर एलोपैथी विधाओं से भी इलाज किया जाएगा। आयुर्वेद , होम्योपैथी और यूनानी प्रणालियों के माध्यम से मरीजों का इलाज होगा। आयुष चिकित्सा पद्धति के लिए 30 बेड का एक वार्ड बनाया जा रहा है। मेडिकल काॅलेज में 100 सीटों का प्रावधान: हिमाचल प्रदेश के पहले अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान में एक मेडिकल कॉलेज भी होगा, जिसमें प्रति वर्ष 100 एमबीबीएस छात्रों को प्रवेश दिया जाएगा। संस्थान में नर्सिंग कॉलेज भी होगा, जिसमें प्रति वर्ष बीएससी (नर्सिंग) पाठ्यक्रम में 60 लोगों को प्रवेश दिया जाएगा। इस संस्थान में एमबीबीएस के पहले सत्र की कक्षाएं जनवरी माह से शुरू हो चुकी है। यानी आने वाले समय में हर वर्ष बेहतरीन चिकित्सक एवं अन्य चिकित्सा कर्मी यहां से निकलेंगे जो न सिर्फ हिमाचल प्रदेश बल्कि पूरी दुनिया में सेवाएं देंगे। निश्चित तौर पर बिलासपुर जिला में स्थापित हो रहा एम्स संस्थान पुरे प्रदेश के लिए एक उत्तम, उन्नत एवं अत्याधुनिक उपचार सुविधाओं का केन्द्र बनेगा तथा लोगों को उपचार के लिए प्रदेश से बाहर नहीं जाना पड़ेगा। बिलासपुर के विकास को मिलेगी रफ़्तार : बिलासपुर में एम्स बनने से जिला के विकास को नए आयाम मिलेंगे। अभी से एम्स के आसपास के क्षेत्र में जमीनों के भाव आसमान छू रहे है जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि आने वाले वक्त में इस क्षेत्र का विकास किस कदर रफ़्तार पकड़ने वाला है। निसंदेह इससे स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिलेगा। बिलासपुर के लिए एम्स किसी बहुमूल्य सौगात से कम नहीं है।
ब्लड में शुगर की मात्रा बढ़ना बहुत सामान्य बात बन गई है। क्योंकि हमारा खान-पान और रहन-सहन ऐसा हो चुका है कि बच्चों में भी शुगर की समस्या देखने को मिल रही है। खास बात है कि अब वे टीनेजर्स या कम उम्र के युवा भी शुगर की चपेट में आ रहे हैं, जिनके परिवार की कोई डायबिटीज से संबंधित हिस्ट्री नहीं है। यानी सीधे तौर पर बात करें तो उन्हें टाइप-2 डायटबिटीज ने कम उम्र में ही अपना शिकार बना लिया है। यहां जानें, जब हमारे खून में शर्करा की मात्रा बढ़ जाती है तब हमारा शरीर कैसे रिऐक्ट करता है और जब यह मात्रा अपने स्तर से कम हो जाती है तब हमारा शरीर कैसे रिऐक्ट करता है... जब रक्त में शुगर की मात्रा बढ़ जाती है -जब खून में शुगर की मात्रा बढ़ जाती है और यह स्थिति लंबे समय तक बनी रहती है तो व्यक्ति का वजन घटने लगता है। हालांकि उसे भूख अधिक लगने लगती और वह खाना भी पहले की तुलना में अधिक खाता है लेकिन उसका वजन घट रहा होता है। -ब्लड में शुगर बढ़ जाने पर व्यक्ति को बार-बार प्यास लगती है। उसका गला सूखा-सूखा महसूस होता रहता है। और जितनी अधिक मात्रा में व्यक्ति पानी पीता है, उतनी ही अधिक बार उसे यूरिन भी जाना होता है। -पानी ना पीने पर भी यूरिन की मात्रा कम हो सकती है लेकिन बाथरूम जाने के नंबर्स नहीं। ऐसे में पानी पीते रहना ही सही होता है ताकि शरीर में पानी की कमी ना हो। शुगर पेशंट्स को आमतौर पर रात के समय बार-बार यूरिन के लिए जाना पड़ता है। -ब्लड में शुगर अधिक होने पर अक्सर हाथ या पैर में सुन्नता आती है या चीटी चलने जैसा अनुभव होता है। कई बार ऐसा लगता है जैसे कुछ सुनाई ही नहीं दे रहा है, एकदम सन्नाटा छा जाने जैसा अनुभव होता है।
हिचकी आने की कई वजह हो सकती है। वैसे हिचकी आना तो आम बात है लेकिन मेडिकल साइंस के मुताबिक लगातार हिचकी आना एक बीमारी है। सामान्य उपायों के बाद भी अगर हिचकी नहीं रुक रही है तो डॉक्टर की राय लेना जरूरी है। आपको जब कभी हिचकी आती है, तो आप परेशान हो जाते हैं। अचानक हिचकी का आना फिर थोड़ी देर में गायब हो जाना आपकी सेहत के बारे में बहुत कुछ बताता है। जब कभी हिचकी आती ही तो आप पानी पीते हैं। कभी-कभी पानी पीने के बावजूद हिचकी को रोक पाना मुश्किल हो जाता है । कब होती है हिचकी: सांस लेने की प्रक्रिया के दौरान फेफड़ों में हवा भर जाती है। इस वजह से सीने और पेट के बीच का हिस्सा जिसे डायफ्राम कहते हैं, उसमें कंपन होती है और वो सिकुड़ जाता है। इस थरथराहट से सांस लेने का फ्लो टूट जाता है और हिचकी आने लगती है। इसके अलावा, ज्यादा मसालेदार व तीखा भोजन करने से और शराब के अत्यधिक सेवन के कारण भी लोगों को हिचकी होने लगती है। वहीं, जो लोग जल्दबाजी में बिना चबाए खाने को सीधे निगलने की कोशिश करते हैं, उन्हें भी कई बार हिचकी आने लगती है। कैसे पाएं काबू: अपनी सांस को लंबा खींचकर उसे कुछ सेकंड के लिए रोककर रखें। ऐसे में फेफड़ों में जमा कॉर्बन डायॉक्साइड बाहर निकल जाएगा और हिचकी रुक जाएगी। पानी में थोड़ा सा नमक मिलाकर एक या दो घूंट पी लें। इससे हिचकी से तुरंत निजात मिलती है। एक गिलास ठंडा पानी में थोड़ा शहद मिलाएं और एक ही घूंट में पी जाएं। इससे हिचकी बंद हो जाएगी।
टांडा मेडिकल कॉलेज में डायलिसिस यूनिट शुरू हो चुकी है। पहले डायलिसिस की सुविधा न होने से हर माह सैकड़ों रोगी दूसरे राज्यों में इलाज करवाने जाते थे। पर अब टांडा में अब लगभग 80 लाख की लागत से यह यूनिट स्थापित की गई है। ख़ास बात ये है कि पोर्टेबल मशीनों की सुविधा भी इस यूनिट में मौजूद है। ऐसे में मरीजों बड़ी राहत मिली है। वहीँ लम्बे समय से सीटी स्कैन की सुविधा को लेकर चल रही समस्या भी अब दूर हो गई है। इसके साथ ही टांडा मेडिकल कॉलेज में कैंसर के रोगियों के लिए ब्रेकीथैरेपी की सुविधा भी जल्द शुरू होने जा रही है। बीते दिनों मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के कांगड़ा दौरे के दौरान ही उसे अप्रूवल मिली है। वहीँ शिमला और टांडा मेडिकल कॉलेज में पीईटी स्कैन की सुविधा जल्द मरीजों को मिलेगी। इसके अलावा टांडा में मल्टी स्टोरी पार्किंग को मंजूरी मिल चुकी है। जल्द मेंटल अस्पताल व जच्चा-बच्चा अस्पताल भी जनता को समर्पित किया जाएगा। हिमकेयर योजना बनी वरदान : अब तक हिमकेयर योजना के तहत दो सौ पच्चीस करोड़ रुपये हिमाचल में खर्च किए जा चुके हैं। इसमें दो लाख बीस हजार से ज्यादा लोगों का नि:शुल्क इलाज किया जा चुका है। हिमकेयर के तहत निशुल्क होगा डायलिसिस : टांडा मेडिकल कॉलेज में शुरू हुई डायलिसिस यूनिट टांडा में रोजाना करीब 25 रोगियों का डायलिसिस किया जा सकेगा। ऐसे में लोगों को भारी रेजों में जाने की जरुरत नहीं पड़ेगी। हिमकेयर कार्ड धारकों के लिए डायलिसिस पूरी तरह निशुल्क रहेगा। जबकि अन्य के लिए डायलिसिस का शुल्क 1047 रुपये होगा। ऐसे में ये किडनी रोगियों के लिए बड़ी राहत है।
राजेश कतनौरिया वन, युवा सेवाएं एवं खेल मंत्री राकेश पठानिया ने आज नूरपुर विधानसभा क्षेत्र के तहत सुखार पंचायत में जनमंच कार्यक्रम के दौरान तिलक राज शर्मा तथा उनकी पत्नी सीमा शर्मा को सम्मानित किया। गौरतलब है कि तिलक राज शर्मा ने सुखार में पीएचसी भवन बनाने के लिए तीन कनाल भूमि दान की है। इसी के लिए उन्हें नवाजा गया है। वन मंत्री ने इस पुनीत कार्य में सहयोग देने के लिए उनका तथा उनके परिवार का आभार व्यक्त किया। उन्होंने अन्य लोगों से भी समाज कल्याण के पुनीत कार्यों में योगदान देने का आह्वान किया।
मनोज कुमार ग्राम पंचायत धमेड़ का का विनोद कुमार 13 वर्ष बिस्तर पर है। इस अपंगता ने उसकी सारी खुशियों और अमन चैन पर ग्रहण लगा दिया है। वर्ष 2009 में एक सड़क दुर्घटना में रीड़ की हड्डी में चोट आने पर वह इस हालात तक पहुंच गया है। आलम यह है कि वर्तमान में वह 100 प्रतिशत अपंगता से जूझ रहा है। दिल्ली के स्पाइन सर्जन डॉ. सुदीप जैन के अनुसार रीढ़ की हड्डी यानी स्पाइनल कॉर्ड नसों (नव्र्स) का वह समूह होता है, जो दिमाग का संदेश शरीर के अन्य अंगों तक पहुंचाता है। ऐसे में यदि स्पाइनल कॉर्ड में किसी भी प्रकार की चोट लग जाए या फिर किसी भी कारण से स्पाइनल कॉर्ड के ऊपरी हिस्से में कोई समस्या हो जाए, तो यह पूरे शरीर के लिए बेहद घातक अवस्था मानी जाती है। वहीं यदि स्पाइनल कॉर्ड के निचले हिस्से में चोट लगी है, तो ऐसे पीडि़त व्यक्ति को लकवा लग सकता है। इस स्थिति में शरीर का निचला हिस्सा काम करना बंद कर देता है। इसे मेडिकल भाषा में पैराप्लेजिया कहते हैं। इसके अलावा अधिकतर रोगियों में कुछ समस्याएं भी देखने को मिलती हैं जैसे - मांसपेशियों में कमजोरी, हाथ-पैर और सीने की मांसपेशियों में हरकत न होना सांस लेने में तकलीफ। इसके साथ साथ शरीर की निष्क्रियता से अन्य रोग भी जन्म ले लेते हैं। विनोद को पिछले टैस्ट के अनुसार पत्थरी और ब्लड शूगर की समस्या हो गई है। कांगड़ा के स्टोन स्पेशलिस्ट मेडिकल सुविधाओं कमी और पेचीदा केस के चलते ऑपरेशन करने के लिए तैयार नहीं। इतना होने पर भी इन गंभीर शारीरिक चुनौतियों का हंसकर सामना करते विनोद कुमार बातचीत में हंसमुख व्यवहार रखते हैं। किसी प्रकार की मदद के लिए पूछे जाने पर विनोद आत्मसम्मान से मना करते हैं लेकिन सरकार की तरफ इशारा करते हुए कहते हैं कि अपंगता पैंशन से परिवार का गुजारा नहीं हो सकता। दुर्घटना के समय एक वर्ष का मेरा बेटा अब पंद्रह वर्ष का हो रहा है। पढ़ाई के खर्च, मेरी दवाइयों के खर्च, घर के खर्च एवं सामाजिक जिम्मेदारियां निभाना दिन-प्रतिदिन मुश्किल होता जा रहा है। घर के मुखिया के साथ ऐसी अनहोनी होने पर सरकार को ऐसे मामलों में आश्रित महिलाओं के लिए नौकरियों में कोई प्रावधान करना चाहिए। ऐसी परिस्थिति से गुजरते परिवार के हौसले की दाद दी जानी चाहिए और ईश्वर से प्रार्थना है कि ऐसी अनहोनी किसी के साथ न हो।
जिस कैक्टस के पौधों को कंटीली झाड़ी कहकर पहाड़ में उपेक्षित छोड़ दिया जाता है, वही अब कई बीमारियों का रामबाण इलाज बनेगा। मधुमेह, काली खांसी के साथ-साथ अब शरीर के बैड कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइडस को कैक्टस फ्रूट का जूस, जैम और मुरब्बा दूर करेगा। जंगल और बंजर इलाकों में पैदा होने वाले कैक्टस के फल यानी प्रिक्ली पीयर में ऐसे औषधीय गुणों का पता चला है, जो उपरोक्त बीमारियों को दूर या कम करने में सहायक है। कैक्टस से बने उत्पाद कंट्रोल करेंगे ट्राइग्लिसराइड्स ट्राइग्लिसराइड्स एक तरह का फैट होता है जो हमारे खून में पाया जाता है। हमारा शरीर इस फैट को इस्तेमाल करके ऊर्जा पैदा करता है। बेहतर सेहत के लिए कुछ ट्राइग्लिसराइड्स ज़रूरी हैं। लेकिन, इसकी ज़्यादा मात्रा शरीर को नुकसान पहुंचा सकती है इससे उच्च रक्तचाप और मधुमेह की शिकायत होती है लेकिन अब कैक्टस से बना जूस, जैम और मुरब्बा इसे नियंत्रित करने में मददगार साबित होगा। पौष्टिकता से भरपूर यह जंगली फल आमतौर पर पहाड़ी इलाकों में खाने के लिए इस्तेमाल होता रहा है। आमतौर पर हिमाचल प्रदेश में इसकी औपुंशिया डेलेनाई किस्म 1500 मीटर तक की ऊंचाई वाले क्षेत्रों में ही पाई जाती है। कैक्टस के फल से उत्पाद बनाने में मिली सफलता डॉ. यशवंत सिंह परमार उद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय के खाद्य विज्ञान व प्रौद्योगिकी विभाग के वैज्ञानिकों ने इस जंगली फल के शोध से इसके औषधीय गुणों का पता लगाया है। वैज्ञानिकों ने कैक्टस के फल से जूस, जैम और मुरब्बा बनाने में सफलता हासिल की है। इस जंगली फल पर शोध कर इसका मानकीकरण किया गया है। निदेशक अनुसंधान डॉ. रविंदर शर्मा ने बताया कि विश्वविद्यालय यह तकनीक किसानों और उद्यमियों को एमओयू साइन करने पर कम लागत में उपलब्ध करवा सकता है। अंग्रेजों द्वारा की गयी थी शुरुआत खाद्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के प्रोफेसर डॉ. केडी शर्मा का कहना है कि भारत में इसकी शुरुआत अंग्रेजों द्वारा कोचिनियल डाई उत्पादन के उद्देश्य से 17वीं शताब्दी में की गई थी। भारत में इस फल की दो मुख्य प्रजातियां औपुंशिया फाइक्स इंडिका और औपुंशिया डेलेनाई पाई जाती हैं। इनमें से औपुंशिया फाइक्स इंडिका को नागफनी और औपुंशिया डेलेनाई को चित्तारथोर कहा जाता है। इसके 1.5 मीटर ऊंचे झाड़ीनुमा पौध में फल नवंबर से फरवरी तक लगते हैं और कभी-कभी यह अप्रैल के अंत तक भी रहते हैं। पौधे के सभी हिस्सों का होता है इस्तेमाल निदेशक अनुसंधान डॉ. रविंदर शर्मा का कहना है कि इसके फल में नमी, शर्करा, अम्ल, वसा, रेषा, विटामिन सी एवं फिनॉल इत्यादि सामान्य पाए जाते हैं। खनिजों में पोटाशियम, सोडियम और मैग्नीज अधिक पाए जाते हैं। इस पौधे के सभी हिस्सों का दवाओं की परंपरागत प्रणाली में इस्तेमाल होता है। इसके क्लेडोड्स को एक प्रलेप के रूप में गर्मी और सूजन को दूर करने के लिए उपयोग किया जाता है।
जिला काँगड़ा स्थित प्रदेश के दूसरे सबसे बड़े अस्पताल टांडा में भी अब मरीज़ो को डायलिसिस की सुविधा मिलेगी। टांडा मेडिकल कालेज प्रशासन ने राही केयर प्राइवेट लिमिटेड कंपनी से इस संबंध में करार किया है। सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक में कंपनी को डायलिसिस के लिए जगह मुहैया करवाई गई है। कंपनी ने टांडा अस्पताल में सात डायलिसिस मशीनें स्थापित कर दी हैं। एक चिकित्सक, चार स्टाफ नर्सें व दो तकनीशियन भी तैनात कर दिए हैं। टांडा मेडिकल कालेज में नेफ्रोलाजी विशेषज्ञ न होने के कारण करीब तीन साल से डायलिसिस नहीं हो रहे थे । इसके लिए मरीजों को आइजीएमसी शिमला व पीजीआइ चंडीगढ़ में भटकना पड़ता था। मेडिसिन विशेषज्ञ डा. पंकज गुप्ता ने प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद डायलिसिस करने शुरू किए, लेकिन फिस्टुला बनवाने के लिए मरीजों को पीजीआई या आइजीएमसी शिमला ही जाना पड़ता था। डा. पंकज गुप्ता का चंबा मेडिकल कालेज तबादला होने के बाद फिर डायलिसिस बंद हो गए थे। अब ट्रांसप्लांट सर्जन डा. राकेश चौहान फिस्टुला बनाकर मरीजों को राहत पहुंचा रहे थे। निजी कंपनी से करार होने के बाद मरीजों को राहत मिलेगी और अब किडनी रोगियों को जल्द ही डायलिसिस की सुविधा जिला अस्पताल में ही मुहैया हो सकेगी। कोरोना काल में हुई अधिक दिक्कत कोरोना संक्रमण की पहली लहर के दौरान भी टांडा मेडिकल कालेज में डायलिसिस न होने का खामियाजा संक्रमित मरीजों को भुगतना पड़ा। कोरोना की पहली लहर में डायलिसिस के लिए मरीज आइजीएमसी शिमला रेफर किए गए। जबकि दूसरी लहर में नेरचौक मेडिकल कालेज को कोविड अस्पताल का दर्जा दिए जाने के बाद टांडा मेडिकल कालेज से मरीज डायलिसिस के लिए मंडी रेफर किए गए थे। उद्घाटन होते ही शुरू होंगे डायलिसिस राही केयर प्राइवेट लिमिटेड के क्षेत्रीय प्रबंधक प्रविंद्र कुमार का कहना है कि डायलिसिस यूनिट में मशीनें स्थापित कर दी गई हैं। स्टाफ भी तैनात है और जैसे ही यूनिट का उद्घाटन होगा उसके बाद से डायलिसिस शुरू कर दिया जायेगा। निशुल्क होंगे डायलिसिस चिकित्सा अधीक्षक टांडा मेडिकल कालेज डा. मोहन सिंह का कहना है कि टांडा मेडिकल कालेज में मरीजों को अब डायलिसिस सुविधा भी सुचारू रूप से मिलेगी। सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक में डायलिसिस यूनिट स्थापित की गई है। निजी कंपनी के साथ इस संबंध में करार किया गया है। मरीजों के डायलिसिस निशुल्क होंगे। डायलिसिस के बदले कंपनी को अस्पताल प्रशासन पैसा देगा।
कहते है अंगदान महादान होता है। हिमाचल प्रदेश के दूसरे सबसे बड़े अस्पताल मेडिकल कॉलेज टांडा में मृत व्यक्तियों द्वारा किए गए अंगदान को ट्रांसप्लांट करने की सुविधा अब शुरू हो जाएगी। अंगदान को ट्रांसप्लांट करने की सुविधा इससे पहले पीजीआई चंडीगढ़ में ही उपलब्ध थी लेकिन अब हिमाचल में भी इसकी शुरुआत की जा रही है। इस सुविधा के लिए पहली बार ग्रीन कोरिडोर बनाया जायेगा। ग्रीन कोरिडोर में ही टांडा अस्पताल से गगल स्थित कांगड़ा एयरपोर्ट तक अंग पहुंचाए जाएंगे। जैसे ही टांडा में अंग निकालने की प्रक्रिया पूरी होगी। टांडा से लेकर गगल तक ग्रीन कोरिडोर बनाकर तुरंत अंगों को गगल तक पहुंचाया जाएगा। गगल में विमान के माध्यम से अंगों को चंडीगढ़ एयरपोर्ट और वहां से पीजीआइ अस्पताल पहुंचाया जाएगा। क्या है ग्रीन कॉरिडोर ग्रीन कॉरिडोर एक तरह का रूट होता है, जो किसी भी मेडिकल इमरजेंसी परिस्थिति के लिए बनाया जाता है। इसके माध्यम से किसी भी एम्बुलेंस या जरूरी चिकित्सा से जुड़े मेडिकल वाहन को स्पेशल रूट उपलब्ध करवाया जाता है। यदि किसी मरीज की स्थिति काफी गंभीर होती है तो उसे एम्बुलेंस से अस्पताल ले जाने के लिए इस ग्रीन कॉरिडोर को बनाया जाता है इसमें उनके लिए खास व्यवस्था की जाती है। ग्रीन कॉरिडोर में एक विशेष रूट तैयार किया जाता है और सड़क पर ट्रेफिक से अलग एम्बुलेंस के लिए एक रास्ता बना दिया जाता है। इससे एम्बुलेंस ट्रैफिक में बिना फंसे मरीज को अस्पताल तक पहुंचा जा सकता है। जब किसी ट्रांसप्लांट के लिए किसी बॉडी पार्ट को एक जगह से दूसरी जगह भेजना होता है तो उसके लिए ग्रीन कॉरिडोर का इस्तेमाल काफी ज्यादा किया जाता है। इससे सही वक्त पर मरीज का इलाज संभव हो पाता है। इस प्रक्रिया में शहर की पुलिस और अस्पताल मिलकर काम करते हैं और उसके बाद पुलिस कॉरिडोर बनाने का काम करती है। कई जगह तक एम्बुलेंस के लिए सड़क पर अलग लाइन भी होती है, जिसमें सिर्फ आपातकालीन गाड़ियां ही चलती है। इससे मरीज को सही समय पर मेडिकल हेल्प मिल जाती है। इस प्रकार काम करता है ग्रीन कॉरिडोर अस्पताल की ओर से जानकारी मिलने के बाद पुलिस ग्रीन कॉरिडोर बनाती है। इसमें या तो पुलिस किसी रोड़ का ट्रैफिक रोककर एम्बुलेंस को जगह देती है या फिर सड़क पर बैरिकेट्स के जरिए एक लेन सिर्फ एम्बुलेंस के लिए बुक कर देती है। ग्रीन कॉरिडोर कई तरह से काम करता है। इसके लिए कई जगह हाइटेक प्रोसेस का इस्तेमाल किया जाता है और एम्बुलेंस इमरजेंसी की जानकारी पुलिस को पहले ही मिल जाती है और उसके आधार पर ही पुलिस एम्बुलेंस की व्यवस्था कर देती है।
फर्स्ट वर्डिक्ट। शिमला मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने डेंटिस्ट डे के अवसर पर आज यहां ओक ओवर से मोबाइल डेंटल वैन को हरी झण्डी दिखाकर रवाना किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि 34.53 लाख रुपए की लागत की यह डंेटल वैन पाठशालाओं तथा प्रदेश के दूरदराज क्षेत्रों में, जहां दंत चिकित्सा की सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं, दंत चिकित्सा शिविरों का आयोजन करने में सहायक सिद्ध होगी। उन्होंने कहा कि यह डेंटल वैन दिव्यांगजनों को चिकित्सा प्रदान करने में भी सहायक सिद्ध होगी, जो चिकित्सा के लिए अस्पताल नहीं जा सकते। जयराम ठाकुर ने कहा कि इस वैन में स्केलर, लाइट क्योर, कम्प्रेसर सेक्शन आदि से युक्त पूर्ण रूप से स्वचालित कुर्सी के साथ-साथ एक्स-रे सुविधा, जनरेटर, जल भंडारण टैंक, जन संबाेधन सेवा, वातानुकूलन सुविधा आदि भी है। उन्होंने कहा कि मोबाइल डेंटल वैन में दांत निकालने, फिलिंग, स्केलिंग, एक्स-रे, रोग निदान व उपचार व दर्द निवारण की सुविधा के साथ ही रोगियों में जागरूकता तथा उन्हें प्रोत्साहन प्रदान किया जाएगा। स्वास्थ्य सचिव अमिताभ अवस्थी, निदेशक चिकित्सा शिक्षा डॉ. रजनीश पठानिया, प्रधानाचार्य दंत महाविद्यालय शिमला और अन्य अधिकारी भी इस अवसर पर उपस्थित थे।
विनायक ठाकुर। जसवां परागपुर जसवां प्रागपुर के अंतर्गत लोक निर्माण विभाग परागपुर में शनिवार को आशा कार्यकर्ता द्वारा एक बैठक का आयोजन डाडासीबा ब्लॉक की अध्यक्ष अंजू बाला की अध्यक्षता में संपन्न हुई, जिसमें विशेष रूप से आशा कार्यकर्ता महासंघ प्रदेश महामंत्री शशि लता उपस्थित रही। आशा कार्यकर्ता महासंघ प्रदेश महामंत्री शशि लता ने आशा कार्यकर्ताओं के मानदेय में 1825 रुपए की बढ़ोतरी करने के लिए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का हार्दिक आभार प्रकट किया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में जब से आशा कार्यकर्ताओं को नियुक्त किया गया है, तब से केवल मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के कार्यकाल में ही उनका मानदेय बढ़ा है। जारी बयान में संगठन की पदाधिकारियों ने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री ने बजट में हर वर्ग का ध्यान रखा और कोई ऐसा वर्ग नहीं, जिसको राहत नहीं दी। जिन मुद्दों को बीती 8 फरवरी 2022 को भारतीय मजदूर संघ हिमाचल प्रदेश ने उठाया था, उन सबकी तरफ सरकार ने ध्यान दिया। उन्होंने कहा कि मानदेय में बढ़ोतरी की घोषणा से आज हिमाचल प्रदेश की सभी आशा बहनों के लिए एक खुशी की लहर और उनके भविष्य को लेकर जागी है। जिला महामंत्री शशि लता ने कहा कि हिमाचल प्रदेश की समस्त आशा कार्यकर्ताओं की तरफ से प्रदेश सरकार,उद्योग एवम परिवाहन मंत्री बिक्रम सिंह ठाकुर, भारतीय मजदूर संघ के समस्त पदाधिकारी मदन राणा, महामंत्री यशपाल हेटा, प्रदेश सचिव सुमन संदल, म्हांसघ प्रदेशाध्यक्ष अनिता कुमारी का धन्यवाद करते हुए कहा कि हिमाचल प्रदेश में आशा फैसिलिटेटर की नियुक्ति भी शत-प्रतिशत आशा कार्यकर्ता के मध्य में से ही होनी स्वीकृत की गई हैं। हिमाचल प्रदेश की समस्त आशा बहनों को मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के मानदेय बढ़ाेत्तरी से हार्दिक प्रसन्नता हुई है, जिसके लिए वह सभी सरकार का धन्यवाद करते हैं। इस दौरान कांगड़ा उपाध्यक्ष दुर्गेश ठाकुर, सरिता शर्मा, सुनीता, संजना, रंजना, मीना, रोमू, मोनू, कांता व नीशू इत्यादि उपस्थित रहे।
क्रान्ति सूद। जोगिंद्रनगर उप स्वास्थ्य केंद्र मसौली द्वारा जलपेहड़ गांव में एक दिवसीय स्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया गया, जिसमें गांव के लोगों की स्वास्थ्य जांच की गई। इस बारे जानकारी देते हुए फीमेल हेल्थ वर्कर आरती पुरी ने बताया कि उप स्वास्थ्य केंद्र मसौली की टीम द्वारा जलपेहड़ गांव की जनता के स्वास्थ्य की जांच के लिए एक दिवसीय स्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया गया, जिसमें लोगों के बीपी व शुगर की जांच की गई। उन्होंने कहा कि इस दौरान स्वास्थ्य टीम द्वारा 43 लोगों की शुगर और बीपी को जांचा गया। साथ ही जिन लोगों का रक्तचाप व शुगर हाई पाई गई, उन्हें डॉक्टरी सलाह लेने की हिदायत भी दी गई। उन्होंने बताया कि इस दौरान उनके साथ आशा वर्कर अनु वालिया व एडब्ल्यूडब्ल्यू संतोष भी विशेष रूप से उपस्थित रही।
फर्स्ट वर्डिक्ट । साेलन स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग तथा हेल्प ऐज इंडिया के संयुक्त तत्वावधान में गत दिवस सोलन जिला के बड़ोग में विश्व श्रवण दिवस पर एक जागरूकता शिविर आयोजित किया गया। जागरूकता शिविर में जन शिक्षा एवं सूचना अधिकारी राकेश बाबू एवं बीसीसी समन्वयक राधा चैहान ने श्रवण हीनता के कारणों, लक्षणों एवं बचाव के बारे में अवगत करवाया। उन्होंने कहा कि लंबे समय से सर्दी, जुखाम व जन्म के समय बच्चे के बाह्या कान की बनावट ठीक न होना श्रवण हीनता के प्रमुख लक्षण हैं। कान की सफाई के लिए हेयर पिन, पैन्सिल, पैन व माचिस की तीली इत्यादि का प्रयोग घातक है। इससे व्यक्ति की सुनने की क्षमता पर विपरीत असर पड़ सकता है। उन्होंने कहा कि हैड फोन डिवाइस का अधिक उपयोग, अधिक शोर में रहना भी श्रवण क्षमता को कमजोर कर सकता है। कान में किसी भी प्रकार की समस्या श्रवण क्षमता को प्रभावित करती है। लोगों को जानकारी दी गई कि कान से अधिक वैक्स का बनना, कान में दर्द होना, कान लाल होना इत्यादि कर्ण रोग के संकेत हैं। उपस्थित जनसमूह को बताया गया कि कान में किसी भी तरह की समस्या को नज़रअंदाज न करें। कान में किसी भी प्रकार की समस्या होने पर कान, नाक व गले (ईएनटी) विशेषज्ञ को तुरन्त दिखाएं। इस अवसर पर प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता भी आयोजित की गई। प्रतियोगिता में 10 प्रतिभागियों को पुरस्कार भी वितरित किए गए। जागरूता शिविर में लगभग 50 लोगों ने भाग लिया।
प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ डाॅ निशा मुंजाल दे रहीं बेहतरीन सेवाएं मनोज कुमार। कांगड़ा शिवाली एवं उसके परिजनों की खुशी का तब ठिकाना न रहा, जब उन्हें पता चला कि वह गर्भवती है और जुड़वां बच्चों को जन्म देने वाली है। दरअसल शिवाली की शादी हुए काफी वर्ष बीत चुके थे, लेकिन उनका मां बनने का सपना अभी सपना ही था। बहुत से स्त्री रोग विशेषज्ञ से उपचार के बाद भी वह मां नहीं बन पा रही थी, लेकिन जब उन्होंने फोर्टिस कांगड़ा के आईयूआई (इंट्रा यूटेराइन इनसेमिनेशन) क्लीनिक में प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ डाॅ निशा मुंजाल से कंसल्ट की, तो डाॅ निशा ने उन्हें आश्वासन दिया कि आईयूआई ट्रिटमेंट के जरिए मां बन सकती है। डाॅ निशा मुंजाल ने उनका आईयूआई तकनीक के जरिए ट्रिटमेंट शुरू किया और अब वह एक साथ दो बच्चों यानी जुड़वां बच्चों की मां का सुख पा रही है। डाॅ निशा ने बताया कि कुछ दंपतियों के लिए जो निःसंतानता का सामना कर रहे हैं। कृत्रिम गर्भधारण (आईयूआई) सामान्य रूप से गर्भवती होने की संभावना को बढ़ा सकता है। आईयूआई एक ऐसी चिकित्सा प्रक्रिया है, जिससे निःसंतानता का इलाज करने में मदद मिलती है और खुशी की बात है कि अब आईयूआई ट्रिटमेंट फोर्टिस अस्पताल कांगड़ा में उपलब्ध है।
यूरोलाॅजी में पीजीआई चंडीगढ़ एवं आईजीएमसी शिमला में दे चुके हैं सेवाएं मनोज कुमार। कांगड़ा जाने-माने प्रख्यात यूरोलाॅजिस्ट डाॅ पीके पुरी ने अब फोर्टिस अस्पताल कांगड़ा में अपनी सेवाएं आरंभ कर दी हैं। डाॅ पुरी ने एमएस की डिग्री आईजीएमसी से एवं एमसीएच की डिग्री पीजीआई चंडीगढ़ से हासिल की। डाॅ. पुरी आईजीएम शिमला में यूरोलाॅजी विभाग के हैड ऑफ डिपार्टमेंट रह चुके हैं। इसके अलावा मेडिकल काॅलेज चंबा में प्रिंसीपल के पद पर भी विराजमान रहे। फोर्टिस अस्पताल कांगड़ा में अपनी सेवाओं के बारे में डाॅ पीके पुरी ने कहा कि यूरोलाॅजी के क्षेत्र में उन्हें 21 वर्षों का अनुभव प्राप्त है और इसका फायदा वह क्षेत्र के लोगों को देना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि फोर्टिस कांगड़ा एक मल्टीस्पेशयलिटी अस्पताल है, जहां हर मर्ज के स्पेशलिस्ट मौजूद हैं और आज के दौर में आपके स्वास्थ्य की बेहतरीन देखभाल एक मल्टीस्पेशयलिटी अस्पताल में ही हो सकती है। डाॅ पुरी ने कहा कि उनका फोर्टिस कांगड़ा में ज्वाइन करने का एक मुख्य कारण यहां की क्वालिटी सर्विसेज है। फोर्टिस कांगड़ा के डायरेक्टर अमन सोलोमोन ने कहा कि क्षेत्र के लोगों में यह धारणा है कि फोर्टिस कांगड़ा एक महंगा अस्पताल है, लेकिन ऐसा नहीं है। उन्होंने कहा कि अस्पताल बेहतरीन सेवाएं बहुत ही कम मूल्यों में उपलब्ध करवाता है और इसका प्रमाण यहां से स्वास्थ्य लाभ हासिल कर चुके मरीजों से मिलता है। यहां की क्वालिटी ऑफ सर्विस, जिसमें अस्पताल को एनएबीएच का प्रमाण पत्र प्राप्त है, बहुत ही उमदा है। साथ ही सुपरस्पेशलिस्ट डाॅक्टरों की टीम 24 घंटे सातों दिन उपलब्ध है। फोर्टिस कांगड़ा के एडमिनिस्ट्रेटर गगन शर्मा ने कहा कि फोर्टिस कांगड़ा मरीजों को विश्वस्तरीय सेवाएं प्रदान करने के लिए कृतसंकल्प है और हम इसमें खरा उतरने के हरसंभव प्रयास करते हैं।
फर्स्ट वर्डिक्ट। कांगड़ा दौलतपुर के विनय चड्ढा का एमबीबीएस में चयन हुआ है और वह गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज चंबा से एमबीबीएस करेगा। इससे पहले विनय आईजीएमसी शिमला से बीडीएस कर रहा था। जीएवी पब्लिक स्कूल कांगड़ा के प्रधानाचार्य सुनील कांत चड्ढा के बेटे विनय ने नीट परीक्षा में 519 अंक हासिल कर यह मुकाम हासिल किया है। विनय ने सैनिक स्कूल सुजानपुर टीहरा से जमा दो तक शिक्षा ग्रहण की है। विनय की इस उपलब्धि से शिक्षक रहे दादा हेमराज चड्ढा गदगद हैं। माता रीना ने बताया कि विनय शुरू से ही मेहनतशील रहा है और डाक्टर बनना इसका सपना था।
फर्स्ट वर्डिक्ट। कांगड़ा फोर्टिस अस्पताल कांगड़ा में कान, नाक व गले की हर बीमारी के इलाज की सुविधा उपलब्ध है। ईएनटी विशेषज्ञ डाॅ. आशीष कदम अपने हुनर से नाक, कान व गले की हर चुनौती को पार करने में दक्ष हैं। डाॅ आशीष ने बताया कि एंडोस्काॅपी तकनीक फोर्टिस अस्पताल कांगड़ा में उपलब्ध है और इस तकनीक का लाभ क्षेत्रीय लोग उठा सकते हैं। फोर्टिस अस्पताल कांगड़ा में टाॅन्सिलस और एडनाॅइड का उपचार, गले के कैंसर की स्क्रीनिंग, कान का दर्द, कान का अत्याधिक बहना, निगलने में समस्या, सायनस की समस्या, स्कलबेस सर्जरी, एलर्जी का इलाज, कान के फटे पर्दे का इंडोस्कोपी विधि से उपचार, कान, नाक व गले के सभी रोगों का उपचार उपलब्ध है। उन्होंने बताया कि कान, नाक व गले की किसी भी बीमारी से पीड़ित मरीज अपना निरीक्षण करवाकर सही व सफल उपचार करवा सकते हैं। डाॅ आशीष ने कहा कि फोर्टिस कांगड़ा में कान, नाक व गले के हर तरह के रोगों का अत्याधुनिक उपचार संभव है।
मनाेज कुमार। कांगड़ा गुर्दे की पथरी का इलाज पूर्व की विधि पीसीएनएल द्वारा ही प्रचलित था, जिसमें मरीज़ का पैसा और समय के साथ खून की जरूरत पड़ जाती थी। हमारे निदेशक डॉ. राजेश शर्मा के प्रेरणा से श्रीबालाजी अस्पताल कांगड़ा में RIRS ( रेट्रोग्रेड इंट्रारीनल सर्जरी ) की शुरुआत हो चुकी है। उक्त विधि से इलाज अभी तक बड़े शहरों में ही उपलब्ध था। पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए डॉक्टर अभिषेक ठाकुर यूरोलोजिस्ट ने आगे जानकारी देते हुए बताया कि RIRS सर्ज़री बिना चीरे के विशेष उपकरण फ्लेक्सिबल युरेट्रो-स्कोप एवम लेज़र की सहायता से किडनी को बिना कोई नुकसान पहुंचाएं हम 2 सीएमसी जितनी बड़ी पथरी पेशाब के रास्ते आसानी से निकाल देतें हैं तथा मरीज़ को मात्र 1 दिन अस्पताल में भर्ती की जरूरत होती है। श्रीबालाजी अस्पताल कांगड़ा पुरे प्रदेश में निजी अस्पतालों में रिस तकनीक से सर्जरी करने में अग्रणी है। पत्रकारों के जवाबों का उत्तर देते हुए डॉ राजेश शर्मा निदेशक श्रीबालाजी अस्पताल ने कहा की RIRS सर्जरी कराने का खर्च चंडीगढ़ एवं अन्य बड़े शहरों में एक से डेढ़ लाख रूपए का आता है, लेकिन हम श्रीबालाजी अस्पताल में मरीजों की सर्जरी बड़े शहरों में हो रही सर्जरी के आधे दर पर ही कर रहे हैं, लेकिन मरीज़ को इलाज सौ प्रतिशत सफलता की दर से दे रहे हैं। उन्हाेंने कहा कि श्रीबालाजी अस्पताल प्रदेश का एकमात्र ऐसा अस्पताल है, जहां एक ही छत के नीचे सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं, जिससे मरीज़ को कहीं और भागना नहीं पड़ता।
मनाेज कुमार। कांगड़ा श्री बालाजी मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल कांगड़ा प्रदेश का ऐसा स्वास्थ्य संस्थानों है, जहां पर आधुनिक के साथ उच्च स्तरीय चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध हैं। महिला स्वास्थ्य की बात करें, तो इस दिशा में भी श्री बालाजी अस्पताल की ओर से नारी शक्ति की सुविधा के लिए अस्पताल में तीन महिला डॉक्टरों की तैनाती की गई है। महिला डॉक्टरों के होने से महिलाएं अपनी बीमारियों के बारे में खुलकर बात कर पाती हैं, इन मूलमंत्र को समझते हुए श्री बालाजी मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल कांगड़ा के सीएमडी डॉ राजेश शर्मा ने अस्पताल में गाइनोकॉलेजिस्ट के साथ चाइल्ड स्पेशलिस्ट व एनेस्थीसिया विभाग में महिला डॉक्टर तैनात की है। डॉ. राजेश का मानना है नारी शक्ति आज हर क्षेत्र में आगे हैं, पर हमारे समाज में कई महिलाएं ऐसी हैं जिन को ये लगता है कि जब सामने महिला डॉक्टर होगी, तो अपनी समस्याएं खुल कर उनसे बता पाएंगी। ज़्यादा अच्छे से अपनी बात को समझा पाएंगी। इसलिए अत्याधुनिक सुविधा से लैस श्री बालाजी हॉस्पिटल कांगड़ा में ये फैसला लिया गया कि एक महिला डॉक्टर की देखरेख में प्रसव के दौरान प्रसूता कंफर्टेबल महसूस करती है। गाइनोकॉलेजिस्ट डॉ दिव्या वर्मा एक कुशल गाइनोकॉलेजिस्ट है। डॉ दिव्या टांडा मेडिकल कॉलेज व फोर्टिस चंडीगढ़ में अपनी सेवाएं दे चुकी हैं। पिडियाट्रिशियन डॉ अमन प्रीत कौर अमृतसर से एमडी है। ये चंडीगढ़, रोपड़ व भटिंडा के अस्पतालों में सेवाएं दे चुकी हैं। इसी तरह एनेस्थीसिया विभाग से डॉ श्वेता अडांगले मुंबई से एमडी है और सिंगापुर में इन्होंने फैलोशिप की है। डॉ राजेश ने कहा कि कांगड़ा जिला के लोगों के इलाज के चंडीगढ़ का रुख न करना पड़े। इसके लिए श्री बालाजी हॉस्पिटल कांगड़ा में सभी आधुनिक चिकित्सीय सुविधाएं उपलब्ध है। लोगों को घर द्वार पर बेहतर इलाज मिल सके। इसके लिए श्री बालाजी हॉस्पिटल कांगड़ा सदैव आगे रहा है।
सुनील कुमार। सरकाघाट अटल मेडिकल यूनिवर्सिटी नेर चौक मंडी हिमाचल प्रदेश में प्रदेश के निजी नर्सिंग संस्थान एसोसिएशन के सदस्यों की प्रदेश स्तरीय बैठक हुई। बैठक में बहुत से महत्वपूर्ण मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की गई। बैठक के दौरान एसोसिएशन की नई कार्यकारिणी का गठन एवं विस्तार किया गया, जिसमें सर्वसम्मति से माता पद्मावती नर्सिंग संस्थान नाहन से सचिन जैन को एसोसिएशन का अध्यक्ष, श्रीसाईं नर्सिंग कॉलेज से एमएल चौहान को सीनियर वाइस प्रेसिडेंट, नेताजी सुभाष नर्सिंग कॉलेज के विशारद सूद को उपाध्यक्ष, संपत्ति देवी नर्सिंग कॉलेज के चंद्रशेखर को महासचिव, गौतम नर्सिंग कॉलेज हमीरपुर रजनीश गौतम को संयुक्त सचिव, स्वकार नर्सिंग कॉलेज सरकाघाट के अतुल शर्मा को कोषाध्यक्ष और लॉर्ड महावीर नर्सिंग कॉलेज नालागढ़ से डॉ. आशिमा जैन को एसोसिएशन का कोऑर्डिनेटर चुना गया। इसके बाद नवनियुक्त सभी सदस्यों ने अटल मेडिकल यूनिवर्सिटी के उपकुलपति से मुलाकात की और कुछ मुद्दों को लेकर ज्ञापन सौंपा।
मनाेज कुमार : कांगडा अचानक पिताजी बेहोश हो गए, हम तो घबरा गए, तुरंत श्रीबालाजी अस्पताल में लेकर पहुंचे, ताे तुरंत इमर्जेंसी डिपार्टमेंट में डॉक्टर प्रवीण ठाकुर न्यूरो सर्जन ने सीटी स्कैन करवाया और अन्य आवश्यक जांचे करवाकर पता किया की पिताजी के मस्तिष्क में खून के धक्के जमने के कारण पिताजी मूर्छित हो गए थे। हम तो घबरा गए की क्या होगा, लेकिन डॉक्टर प्रवीण ने हमें आश्वासन दिया तथा डॉक्टर राजेश शर्मा ने हौसला बढ़ाया। अगले दिन पिताजी का ओपरेशन डॉक्टर न्यूरो सर्जन प्रवीण ठाकुर ने किया और एक हफ्ते के भीतर ही पिताजी सकुशल घर वापस आ गए। सही में हम डॉक्टर प्रवीण का हृदय से शुक्रिया करते हैं और डॉक्टर राजेश शर्मा बधाई के पात्र हैं, जो कांगड़ा में इस तरह के आसाध्य रोगों से लड़ने और ठीक होने के लिए श्री बालाजी हॉस्पिटल को बनाया। उक्त उदगार ठीक हुए मरीज़ अमरनाथ शर्मा के पुत्र ने श्रीबालाजी अस्पताल में आयोजित एक प्रेस वार्ता के दौरान व्यक्त किए। पत्रकारों का उत्तर देते हुए वरिष्ठ न्यूरो सर्जन डॉ प्रवीण ठाकर ने बताया की विभिन्न कारणों से मष्तिष्क में खून के धक्के जम सकते हैं, अगर समय रहते हुए मरीज़ को किसी ऐसे अस्पताल जहां सभी सुविधाएं जैसे न्यूरो सर्जन, सीटी स्कैन, एमआरआई और अत्याधुनिक उपकरणों से सुसज्जित ओपरेशन थियेटर हो और ऐसा एकमात्र अस्पताल जिला कांगड़ा में श्रीबालाजी अस्पताल है। श्री बालाजी अस्पताल के एडमिनिस्ट्रेटर एवो वरिष्ठ नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉक्टर सत्य बंधू सूद ने जानकारी देते हुए बताया की ऐसे ही जटिल ऑपरेशन करने के लिए श्री बालाजी अस्पताल में स्टेट ओफ आर्ट की विश्वस्तरीय सुविधाएं उपलब्ध हैं। डॉक्टर राजेश शर्मा निदेशक श्री बालाजी अस्पताल के अथक प्रयासों से कांगड़ा जिला के नागरिकों को उचित दर पर सही समय पर इलाज मिलना सुनिश्चित हुआ है।
मनाेज कुमार। कांगड़ा ग्राम पंचायत ठाकुरद्वारा द्वारा आज राजकीय उच्च विद्यालय ठाकुरद्वारा स्कूल के प्रांगण की सफाई करवाई। जिसमें पंचायत के प्रधान प्रकाश चंद, उपप्रधान प्रवीण कुमार, वार्ड पंच जोगिंदर सिंह, मुख्याध्यापक प्रवेश कुमार शर्मा और स्कूल का स्टाफ भी माैजूद रहा और स्कूल के आस-पास पड़ी गंदगी को भी साफ किया गया। बच्चों तथा आसपास के लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरूक किया गया।मुख्याध्यापक ने कहा ऐसे अभियान हम हमेशा ही चलाते रहते हैं, तो जो स्कूल में स्वच्छता का ध्यान रखा जा सके। साथ ही मुख्याध्यापक ने ग्राम पंचायत ठाकुरद्वारा का भी धन्यवाद किया, जो हमेशा ही समय-समय पर अपना सहयोग देती रहती है।
फर्स्ट वर्डिक्ट। कांगड़ा डॉक्टर आपके द्वार के अभियान के अंतर्गत नाग देवता के आशीर्वाद एवं डॉक्टर राजेश शर्मा, निदेशक श्री बालाजी हॉस्पिटल कांगड़ा तथा नाग मंदिर समिति दरकोटा के सहयोग से आज नाग मंदिर के प्रांगण में निःशुल्क चिकित्सा शिविर का आयोजन किया गया। श्री बालाजी अस्पताल के वरिष्ठ एवं ख्यातिप्राप्त चिकित्सकों की टीम ने स्थानीय मरीजों की मुफ्त जांच के साथ-साथ उनको उचित निःशुल्क परामर्श दिया। चिकित्सा शिविर का समापन करते हुए डॉक्टर राजेश शर्मा निदेशक श्री बालाजी हॉस्पिटल कांगड़ा ने रीवा देवी, ग्राम प्रधान दरकोटा एवं नाग मंंदिर समिति के सभी सदस्यों को समय-समय पर इसी तरह के विशाल चिकित्सा शिविर का आयोजन करने का वायदा किया तथा शिविर में आए हुए मरीजों का इलाज मात्र दवा/सर्जीकल इम्प्लांट के दर पर करने का वायदा किया।
मनाेज कुमार। कांगड़ा कांगड़ा एनएचएम अनुबंध कर्मचारी संघ जिला कांगड़ा की कमान पूनम कुमारी को सौंपी गई है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के तत्वावधान में एनएचएम के अंतर्गत नियुक्त नर्सिंग कर्मचारियों ने बैठक कर सहमति से पूनम कुमारी को जिला अध्यक्ष बनाया है, जबकि उपाध्यक्ष बनिता, महासचिव रिचा, प्रेस सचिव उपमा व सलाहकार मीनाक्षी को जिम्मेदारी सौंपी गई है। नवनियुक्त जिला अध्यक्ष पूनम कुमारी ने बताया कि हिमाचल प्रदेश में एनएचएम के अंतर्गत स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग कांगड़ा में 15 नर्सिंग 2015 से विशेष नवजात शिशु देखभाल इकाई एसएनएसयू सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी जैसे पदों एनएचएम के अंतर्गत टांडा मेडिकल कॉलेज धर्मशाला के आउट सोर्स के पद पर तैनात हैं। उन्होंने बताया कि संगठन का मुख्य उद्देश्य अपने लिए स्थाई नीति का प्रावधान करवाना है। उन्होंने सरकार से उम्मीद जताई है कि समय रहते हमारी नर्सिंग कर्मचारी के लिए सरकार जल्द कोई नीति बनाएगी।
फर्स्ट वर्डिक्ट। धर्मशाला सुबह आठ बजकर 53 मिनट पर 108 एंबुलेंस को इसकी सूचना मिली कि धर्मशाला पीजी कॉलेज हॉस्टल की 20 छात्राओं को फूड प्वाइजनिंग हुआ है। सूचना मिलते ही 108 एंबुलेंस हॉस्टल पहुंची और सभी छात्राओं को एंबुलेंस के माध्यम से क्षेत्रीय चिकित्सालय लाया गया, िजसमें से एक छात्रा को अस्पताल में दाखिल किया गया है, जबकि शेष छात्राओं को उपचार के बाद वापस हॉस्टल भेज दिया गया है। जानकारी के अनुसार भावना, मुस्कान, अंजली, मीनाक्षी, मिटाली, सोनाली, रिशिता, परीक्षा, विशाली, पूर्णिमा, दीक्षा, नंदनी, मधू व तनू गौतम आदि छात्राओं को उपचार के लिए अस्पताल लाया गया। यहां पर सभी को उपचार दिया गया। जबकि 18 वर्षीय छात्रा परीक्षा अभी भी अस्पताल में उपचाराधीन है। शेष छात्राओं को उपचार के बाद वापस हॉस्टल छोड़ा गया है। छात्राओं में फूड प्वाइजनिंग क्या खाने से हुई उन्होंने ऐसा क्या खा लिया, जिससे उन्हें अस्पताल लाना पड़ा। छात्राओं को कैसे हुआ फूड प्वाइजनिंग धर्मशाला कॉलेज की छात्राओं को कैसे फूड प्वाइजनिंग हुआ इसकी जांच धर्मशाला कॉलेज प्रबंधन करवाएगा। एक छात्रा अभी अस्पताल में दाखिल है, जबकि शेष को दवाई व ड्रिप आदि देकर वापस भेजा गया है। धर्मशाला कालेज के प्राचार्य राजेश शर्मा ने बताया कि जनरल गर्ल हॉस्टल में 63 लड़कियां हैं। इनमें से महज 20 के करीब लड़कियों को फूड प्वाइजनिंग हुआ है। यह देखा जाएगा कि इन्हें यह फूड प्वाइजनिंग कैसे हुआ था। पानी की तो हैंडपंप से सप्लाई होती है। अब यह भी देखा जाएगा कि लड़कियों ने क्या खाया था। हालांकि सामान्य डाइट चार्ट व शेड्यूल के हिसाब से ही भोजन परोसा जाता है। फिर भी इसी चांच होगी और कमियां होगी, तो कमियां दूर होंगी और किसी की कोताही होगी तो कार्रवाई होगी। 20 छात्राएं हुईं बीमार धर्मशाला पीजी कॉलेज हॉस्टल की 20 छात्राओं को फूड प्वाइजनिंग हुआ है। सभी छात्राओं को उपचार के लिए सुबह क्षेत्रीय चिकित्सालय लाया गया। एक छात्रा को अस्पताल में दाखिल किया गया है, जबकि शेष छात्राओं को उपचार के बाद वापस हास्टल भेज दिया या है। सुबह आठ बजकर 53 मिनट पर 108 एंबुलेंस को इसकी सूचना मिली और छात्राओं को एंबुलेंस के माध्यम से क्षेत्रीय चिकित्सालय लाया गया।
क्रांति सूद। जोगिंद्रनगर कहते हैं कि ज़िंदगी कभी भी किसी भी ओर अपने कदम मोड़ देती है। कुछ ऐसा ही हुआ है, हिमाचल प्रदेश के जोदिंद्रनगर के रहने वाले पियार चंद के साथ। पियार चंद 43 वर्ष के हैं और बस्सी पंचायत के मनोह गांव के एक गरीब परिवार से ताल्लुक़ रखते हैं, लेकिन इन दिनों चंडीगढ़ में ज़िंदगी की जंग लड़ रहे हैं। पियार चंद वहां कुछ समय पहले तक एक होटेल में छोटी-सी नौकरी कर रहे थे। पर एक दिन पूरे शरीर में सूजन आ गई। पीजीआई चंडीगढ़ में जांच करवाई तो पता चला कि दोनों किडनियां ख़राब हो चुकी हैं। अब डॉक्टरों का कहना है कि उनके किडनी ट्रांसप्लांट के लिए चार से छ लाख रुपए की जरूरत है। बुरे वक़्त में गई नौकरी अभी वो किसी तरह एक-एक दिन निकाल रहे हैं। हफ़्ते में दो बार उनकी डायलिसिस होती है। उनकी मुश्किल ऐसे भी बढ़ी कि पिछले दिनों इसी बीमारी के दौरान उनकी नौकरी भी छूट गई। ग़रीब परिवार घर में दो छोटे बच्चे हैं और इस परिवार का न तो कोई BPL कार्ड है और न ही कोई दूसरी आय का साधन। हां हिम केयर हेल्थ कार्ड है, जो PGI चंडीगढ़ में बहुत काम नहीं आता। यानी न के बराबर। समाजसेवियों से मदद की आस अब इस परिवार को मदद की आस हिमाचल के समाजसेवियों, आम नागरिकों, नेताओं, पार्टी कार्यकर्ताओं और कारोबारियों से ही है। यानी किसी तरह इस परिवार की मदद की जाए। जिससे न सिर्फ़ एक जिंदगी बचे, बल्कि इस परिवार के लिए भी आर्थिक मदद पहुंचे, ताकि प्यार चंद का इलाज करवा कर एक डूब रहे परिवार को बचाया जा सके। ऐसे करें मदद अगर आप प्यार चंद की मदद करना चाहते हैं, तो उसके खाता संख्या नंबर 6307 000 100 007 174 पर पैसे डाल कर उसकी मदद कर सकते हैं। शाखा का ifsc code है PUNB0630700
फर्स्ट वर्डिक्ट। शिमला मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने आज ओक ओवर, शिमला से चौपाल क्षेत्र के कुपवी खंड के लिए पंजाब नेशनल बैंक द्वारा भेंट की गई एम्बुलेंस को झंडी दिखाकर रवाना किया। यह एम्बुलेंस बैंक द्वारा निगमित सामाजिक दायित्व (सीएसआर) के तहत इस दूर-दराज के क्षेत्र के निवासियों के कल्याण के लिए मुख्य चिकित्सा अधिकारी शिमला के माध्यम से भेंट की गई। मुख्यमंत्री ने बैंक के प्रबंधन के इस परोपकारी कार्य की सराहना करते हुए कहा कि इस एम्बुलेंस से कुपवी क्षेत्र के 16,000 से अधिक निवासी लाभान्वित होंगे। इस अवसर पर राज्य आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण के उपाध्यक्ष रणधीर शर्मा, उपायुक्त शिमला आदित्य नेगी, मुख्य चिकित्सा अधिकारी शिमला डाॅ. सुरेखा और बैंक के प्रतिनिधि भी उपस्थित थे।
मनोज कुमार। कांगड़ा जीएवी पब्लिक स्कूल कांगड़ा के 8 छात्र एमबीबीएस में चयनित हुए हैं। प्रधानाचार्य सुनील कांत चड्डा, उप प्रधानाचार्य सुजाता शर्मा व स्टाफ ने जेई व नीट में चयनित छात्रों को स्कूल में आमंत्रित कर सम्मानित किया। जीएवी की श्रेया सिंगला लाल बहादुर शास्त्री मेडिकल कॉलेज नेरचौक मंडी में चयनित हुई है। श्रेया के पिता राजेश कांगड़ा में दुकानदार है व माता गीता सिंगला गृहणी है। आनंदिता को राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज टांडा मिला है। अनंदिता के पिता इंद्रकुमार पंचायत ऑडिटर व माता बनीता गृहणी है। आर्यन का चयन भी टांडा मेडिकल कॉलेज में हुआ है व आर्यन की बहन अदिती स्किन विशेषज्ञ डॉक्टर है। सिमरनजीत कौर को मेडिकल कॉलेज चंबा मिला है। सिमरन की माता लेक्चरर व पिता दुकानदार हैं। पलक, मिताली व वृति को भी चंबा मेडिकल कॉलेज मिला है। इसके अतिरिक्त नितिन को हमीरपुर मिला है।रक्षित का चयन आईआईटी मंडी व वैभव शर्मा का एनआईटी हमीरपुर में मैकेनिकल, संकल्प सैनी व अर्शिया को इलेक्ट्रिकल, आयुष चौधरी एमटेक इलेक्ट्रॉनिक एंड कम्युनिकेशन दीपक को मैथमेटिक्स इंजीनियरिंग, प्रिंस को केमिकल, अंशुमन राणा को सिविल इंजीनियरिंग, राघव भारद्वाज को इंजीनियरिंग फिजिक्स में एनआईटी हमीरपुर मिला है। वैभव के पिता विजय शर्मा व संकल्प सैनी के पिता सुरिंदर सैनी जीएवी में कार्यरत हैं। प्रधानाचार्य ने कहा कि जीएवी के लिए यह सुनहरा अवसर है, जब इतनी बड़ी संख्या में हमारे छात्र एमबीबीएस व आईआईटी एनआईटी में चयनित हुए हैं और जीएवी का नाम रोशन करेंगे।
फर्स्ट वर्डिक्ट। नेरचौक अभिलाषी शिक्षण संस्थान नेरचौक में ‘विश्व कैंसर दिवस’ के उपलक्ष्य में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में लाल बहादुर शास्त्री राजकीय मेडिकल कॉलेज एंव अस्पताल नेरचौक के कैंसर विज्ञान विभाग से कैंसर स्पेशलिस्ट डॉ. मृणालिनी उपाध्याय ने बतौर मुख्यतिथि शिरकत की। उन्होंने बीएड व डीएलएड के प्रशिक्षु अध्यापकों को कैंसर व इसकी रोकथाम संबंधी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि कैंसर की बिमारी कई कारणों से होती है। उन्होंने कहा कि लाईफ स्टाईल, खानपान और एक्सरसाइज के ध्यान के साथ-साथ तनाव रहित जीवन जीना चाहिए। उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष हिमाचल में करीब अढ़ाई हजार और मंडी जिला मे करीब 600 कैंसर के केस रजिट्रड किए गए हैं। उन्होंने बताया कि धूम्रपान और चूल्हे के धुएं से भी कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं। उन्होंने छात्रों को कैंसर पीड़ित लोगों की मदद करने के लिए भी प्रेरित किया। इससे पहले संस्थान की प्रिसींपल सपना गोयल और टीचरों ने डॉ. मृणालिनी उप्पाध्याय का शाल, टोपी और स्मृति चिन्ह से स्वागत और सम्मान किया। संस्था के चेयरमैन डॉ. आरके अभिलाषी और प्रिसींपल डॉ. नर्बदा अभिलाषी इस कार्यक्रम मे वर्चुअली जुड़े। डॉ. आरके अभिलाषी ने प्रशिक्षु अध्यापकों से इस जानकारी को जन साधारण तक पहुंचाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि अभिलाषी शिक्षण संस्थान हमेशा ही जन जागरूकता के लिए इस तरह के कार्यक्रमों के आयोजन के लिए प्रयासरत रहता है।
फर्स्ट वर्डिक्ट । कांगड़ा स्वास्थ्य खंड तियारा में राज्य स्वास्थ्य समिति तियारा के अनुबंध कर्मचारी संघ में अपनी नियमितीकरण की मांग को लेकर रोष प्रकट किया। संघ के अध्यक्ष सुशांत कटोच ने बताया कि इसका अल्टीमेट सरकार को लगभग एक माह पहले ही दे दिया था। कर्मचारी 27 जनवरी से काले बिल्ले लगा कर रोष प्रकट कर रहे थे। कोरोना महामारी के समय अपनी जान-जोखिम में डालकर स्वास्थ्य अनुबंध कर्मचारियों ने अपनी बेहतर सेवाएं दी और लंबे समय से कर्मचारी अपनी सेवाएं दे रहे हैं, लेकिन सरकार अभी तक कोई भी नीति नहीं बना पाई है। कर्मचारियों की मांग है कि जब तक नियमितीकरण की नीति नहीं बनाई जाती, तब तक उन्हें सर्वशिक्षा अभियान, मनरेगा, रोगी कल्याण समिति, आईजीएमसी शिमला, डॉ राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज टांडा, मेडिकल कॉलेज नाहन के कर्मचारियों की तर्ज पर नियमित वेतन व भत्ते दिए जाएं। इस दौरान राज्य स्वास्थ्य समिति स्वास्थ्य खंड तियारा के सदस्य मौजूद रहे।
फर्स्ट वर्डिक्ट। रिकांगपिओ जिला किन्नौर में 15 से 18 वर्ष की आयू के किशोरों को कोविड-19 के रोकथाम के लिए टीकाकरण की दूसरी डोज 2 से 21 फरवरी तक जिला के तीनों खंडाें में लगाई जाएगी। जानकारी देते हुए मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ सोनम नेगी ने बताया कि 2 फरवरी से टीकाकरण की दूसरी डोज लगाने के लिए विभाग द्वारा 61 स्कूलों और अस्पतालाें को चिन्हित किया गया है। उन्होंने बताया कि कल्पा ब्लॉक में 28 स्थानों, पूह ब्लॉक में 9 स्थानों और निचार ब्लॉक में 24 स्थानों, जिनमें, स्कूलों और अस्पतालों को चिह्नित किया गया है, उनमें टिकाकरण होगा। कल्पा ब्लॉक में 2 से 8 फरवरी तक व 14 तथा 15 व 21 फरवरी को चिन्हित स्थानों पर टीकाकरण किया जाएगा, जबकि निचार व पूह खंड में 4 व 7 फरवरी तथा 8 व 9 फरवरी को निचार 10 फरवरी को पूह, 11 फरवरी को निचार व 18 फरवरी को पूह खंड के चांगो में टीकाकरण किया जाएगा। उन्होंने बताया कि अब तक जिला किन्नौर में 15 से 18 वर्ष के 98 प्रतिशत किशोरों का टीकाकरण किया जा चुका है।
देश में कोरोना वायरस महामारी के मामले कल की तुलना में आज घटे हैं। देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना वायरस के तीन लाख 33 हजार 533 नए केस सामने आए हैं और 525 लोगों की मौत हो गई। देश में दैनिक पॉजिटिविटी रेट अब 17.78 फीसदी है। बड़ी बात यह है कि देश में आज कल से 4 हजार 171 कम मामले आए हैं, कल कोरोना वायरस के 3 लाख 37 हजार 704 मामले आए थे। जानिए देश में कोरोना की ताजा स्थिति क्या है। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक, देश में अब एक्टिव मामलों की संख्या बढ़कर 21 लाख 87 हजार 205 हो गई है। वहीं, इस महामारी से जान गंवाने वालों की संख्या बढ़कर 4 लाख 89 हजार 409 हो गई है। आंकड़ों के मुताबिक, कल दो लाख 59 हजार 168 लोग ठीक हुए, जिसके बाद अभी तक 3 करोड़ 65 लाख 60 हजार 650 लोग संक्रमण मुक्त हो चुके हैं।
देश की राजधानी दिल्ली में स्थित संसद के करीब 400 कर्मचारी औचक टेस्ट के दौरान कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। राष्ट्रीय राजधानी में नए मामलों के अचानक बढ़ने के मद्देनजर 6-7 जनवरी को औचक परीक्षण किया गया था। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, राज्यसभा सचिवालय के 65, लोकसभा सचिवालय के करीब 200 और संसद में काम करने वाले अन्य 133 लोग 4 से 8 जनवरी के दौरान कोरोना संक्रमित पाए गए हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए राज्यसभा के चेयरमैन वेंकैया नायडू (Venkaiya Naidu) ने दिशानिर्देश जारी किए हैं। कर्मचारियों की उपस्थिति पर प्रतिबंध:- राज्यसभा सचिवालय (Rajya Sabha Secretariat) ने अधिकारियों और कर्मचारियों की उपस्थिति पर प्रतिबंध लगा दिया है। नवीनतम निर्देशों के अनुसार, अवर सचिव/कार्यकारी अधिकारी के पद से नीचे के 50 फीसदी अधिकारियों और कर्मचारियों को इस महीने के अंत तक घर से ही काम करना होगा। वे कुल कर्मचारियों का लगभग 65 फीसदी हैं। विकलांग और गर्भवती महिलाओं को कार्यालय में उपस्थित होने से छूट दी गई है। सभी आधिकारिक बैठकें वर्चुअली होंगी। राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू ने निर्देश दिया कि सभी 1300 अधिकारियों और कर्मचारियों का कोरोना टेस्ट किया जाए। उनका संक्रमण ठीक होने पर कड़ी निगरानी रखी जाए और जरूरत पड़ने पर अस्पताल में भर्ती होने और इलाज में मदद की जाए। वहीं शनिवार की शाम को राष्ट्रीय राजधानी में 20,181 नए कोविड मामले दर्ज किए गए, जो पिछले आठ महीनों में सबसे अधिक हैं। नए मामलों ने शहर में संक्रमण की संख्या को 15 लाख 26 हजार 979 तक पहुंचा दिया है। सात और मौतें दर्ज होने के बाद मरने वालों की संख्या बढ़कर 25,143 हो गई है।
दिल्ली में कोविड-19 संक्रमण के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। इस बीच कोरोना से ठीकर होकर काम पर लौटे दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि आज शाम जो बुलेटिन आएगा उसमें करीब 22 हजार कोरोना के नए केस सामने आएंगे। दिल्ली में कोरोना के बढ़ते मामले पर दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि लॉकडाउन लगाने की कोई मंशा नहीं है। एलजी और वह पूरे हालात पर नजर रखे हुए हैं। कल डीडीएमए (DDMA) की बैठक है जिसमें हालातों की समीक्षा करेंगे. केजरीवाल ने कहा कि केंद्र सरकार से वो लगातार संपर्क में हैं और केंद्र का पूरा सहयोग दिल्ली सरकार को मिल रहा है। कोरोना से घबराने की जरुरत नहीं- केजरीवाल, ''लॉकडाउन की कोई मंशा नहीं'' : दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा आप लोगों ने खूब दुआएं दी इसके लिए शुक्रिया। मुझे दो दिन बुखार रहा लेकिन कोविड प्रोटोकॉल के हिसाब से 7-8 दिन आइसोलेशन (Isolation) में रहा। इस दौरान सभी अधिकारियों के सम्पर्क में था और कोरोना संक्रमण को लेकर स्थिति पर नजर बनाई हुई थी। उन्होंने कहा कि रविवार शाम को जो बुलेटिन जारी होगा उसमें लगभग 22 हजार कोरोना के नए केस आ सकते हैं लेकिन घबराने की ज़रूरत नहीं है। शनिवार को 20 हजार केस आये थे इससे पहले 7 मई को इतने ही मामले सामने आए थे तब 341 लोगों की मौत हुई थी। शनिवार को इतने ही मामलों में 7 लोगों की जान गई है। उन्होंने कहा कि अस्पतालों में पिछले साल मई में 20 हजार बेड भर गये थे लेकिन अभी डेढ़ हजार के आसपास बेड ही भरे हैं। हालांकि उन्होंने सावधानी बरतने और मास्क अनिवार्य रूप से पहनने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि कई लोग लॉकडाउन को लेकर पूछते हैं. हम लॉकडाउन नहीं लगाना चाहते हैं। लॉकडाउन लगाने की हमारी कोई मंशा नहीं है. कम से कम पाबंदियां लगाना चाहते हैं. पिछली बार की लहर से हमने पार पा लिया और इस बार पर हम जरूर इससे पार पा लेंगे. जिन्होंने वैक्सीन नही लगायी है वो जरूर वैक्सीन लगा लें। जिनको कोरोना हुआ है उनको घबराने की जरूरत नहीं है। ये माइल्ड कोरोना है। इसमें जान का खतरा नहीं होगा, अस्पताल जाने की जरूरत नहीं होगी।
देश में कोरोना वायरस की रफ्तार तेज हो गई है। पिछले छह दिनों में कोरोना संक्रमण के 1,23,191 नए मामले दर्ज किए गए हैं। 28 दिसंबर को 9,195 मामले, 29 दिसंबर को 13,154 मामले, 30 दिसंबर को 16,764 मामले, 31 दिसंबर को 22,775 मामले, 1 जनवरी को 27,553 और 2 जनवरी को 33750 नए मामले दर्ज किए गए हैं। कोरोना वायरस के नए वैरिएंट 'ओमिक्रॉन' के मामले भी काफी तेजी से बढ़ रहे हैं। पूरे देश में अब तक 1700 मामले सामने चुके हैं। हालांकि, इनमें से 639 लोग संक्रमण मुक्त भी हो गए हैं या अन्य स्थानों पर चले गए हैं। ओमिक्रॉन के महाराष्ट्र में सबसे अधिक 510 मामले सामने आए और इसके बाद दिल्ली में 351, केरल में 156, गुजरात में 136, तमिलनाडु में 121 और राजस्थान में 120 मामले सामने आए।
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि मातृ-शिशु स्वास्थ्य एक स्वस्थ समाज और समृद्ध हिमाचल के लिए महत्वपूर्ण है और इस बारे मे लोगों को जागरूक करने के लिए प्रदेश में एक विशेष अभियान शुरू किया जाएगा। मुख़्यमंत्री ने मंगलवार को राज्य सरकार और नीति आयोग द्वारा पोषण और सहकारी संघवाद विषय पर आयोजित कार्यशाला को सम्बोधित किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि पोषण को एक जन आंदोलन बनाने के लिए जमीनी स्तर पर और अधिक जागरूकता लाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने पोषण जागरूकता के लिए आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का प्रशिक्षण पूर्ण कर लिया है और अब 18,925 आंगनबाड़ी और 5,99,643 लाभार्थियों को पोषण ट्रैक्कर पर पंजीकृत किया जा रहा हैं। उन्होंने कहा कि अति कुपोषित एवं मध्यम कुपोषित बच्चों के प्रबंधन के लिए हिमाचल प्रदेश राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन और महिला एवं बाल विकास विभाग के सहयोग से एक मानक संचालन प्रक्रिया तैयार की गई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार हिमाचल प्रदेश को सबसे पसंदीदा पर्यटन गंतव्य बनाने के लिए कृतसंकल्प है। हिमाचल का लगभग प्रत्येक क्षेत्र प्राकृतिक सौन्दर्य से परिपूर्ण है, लेकिन बेहतर सम्पर्क सुविधा यहां सबसे प्रमुख चुनौती है। उन्होंनेे कहा कि 15वें वित्त आयोग ने हिमाचल प्रदेश में कांगड़ा हवाई अड्डे के विस्तार और उन्नयन के लिए 400 करोड़ रूपये, मण्डी जिला में ग्रीनफील्ड हवाई अड्डे के निर्माण के लिए एक हजार करोड़ रूपये और ज्वालामुखी मंदिर के लिए पेयजल और मल निकासी योजना के सुधारीकरण के लिए 20 करोड़ रूपये की अनुशंसा की है। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश एक राजस्व घाटे वाला राज्य है और विभिन्न आधारभूत संरचना परियोजनाओं में निवेश के लिए राज्य के पास सीमित साधन है। ऐसे में इन परियोजनाओं को धरातल पर उतारने के लिए उदार सहायता की आवश्यकता है। राज्य मे रेल सम्पर्क बढ़ाने पर चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इसमें भू-अधिग्रहण सबसे बड़ी चुनौती है। उन्होंने इस विषय पर राज्य को क्षतिपूर्ति प्रदान करने की जरूरत पर बल देते हुए कहा कि इससे हिमाचल मे रेल नेटवर्क को सुदृढ़ किया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने सत्त यातायात व्यवस्था को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से अपनी इलेक्ट्रिक व्हीकल पाॅलिसी तैयार की है ताकि हिमाचल प्रदेश को विद्युत गतिशीलता विकास और इलैक्ट्रिक वाहनों के निर्माण में वैश्विक केन्द्र बनाया जा सके और विद्युत चालित वाहनों के लिए सार्वजनिक एवं निजी चार्जिंग आधारभूत संरचना तैयार की जा सके। इसके लिए विद्युत चालित वाहन निर्माता उद्योगों को अनुदान और प्रोत्साहन भी दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार अपने बजट का एक बड़ा हिस्सा सामाजिक सेवा क्षेत्र में व्यय कर रही है। खाद्य एवं फल प्रसंस्करण पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है ताकि किसानों और बागवानों को उनकी उपज का उचित मूल्य प्राप्त हो सके। Shimla | Himachal News
देश में एक ओर जहां कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रोन को लेकर लगातार तनाव बढ़ता दिख रहा है तो वहीं दूसरी ओर राहत की बात ये है कि कोरोना के खिलाफ वैक्सीनेशन (Vaccination) अभियान रिकॉर्ड स्तर पर हो रहा है। लोगों की जारूकता और सरकार के प्रसायों की वजह से वैक्सीनेशन की रफ्तार तेज बनी हुई है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने सोमवार को ट्वीट करते हुए बताया कि देश की 85 फीसदी योग्य आबादी को कोरोना वैक्सीन की कम से कम एक डोज लग गई है। उन्होंने ये भी बताया कि देश की 50 फीसदी आबादी का पूर्ण टीकाकरण यानी कि दोनों डोज लग चुके है। स्वास्थ्य मंत्रालय (Health Ministry) ने कहा कि, सोमवार शाम 7 बजे तक टीके की 71 लाख से अधिक डोज दिए जा चुके हैं। वहीं, देश में अब तक कुल 128.66 करोड़ से ज्यादा डोज दी जा चुकी हैं। India News
सार्स-कोवी-2 के नए स्वरूप ओमीक्रोन (Omicron) से कोरोना वायरस महामारी की तीसरी लहर फरवरी में चरम पर पहुंच सकती है, जब देश में प्रतिदिन एक लाख से डेढ़ लाख तक मामले सामने आने की संभावना है। कोविड-19 के गणितीय अनुमान में शामिल भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान के वैज्ञानिक मनिंद्र अग्रवाल ने यह कहा है। उन्होंने कहा कि नये अनुमान में ओमीक्रोन स्वरूप को एक कारक के तौर पर शामिल किया गया है। अग्रवाल ने कहा कि नए स्वरूप के साथ, हमारा मौजूदा अनुमान यह है कि देश में फरवरी तक तीसरी लहर आ सकती है लेकिन यह दूसरी लहर से हल्की होगी। अब तक हमने देखा है कि ओमीक्रोन से होने वाले संक्रमण की गंभीरता डेल्टा स्वरूप की तरह नहीं है। ’’हालांकि, उन्होंने कहा कि दक्षिण अफ्रीका में सामने आए मामलों पर करीबी नजर रखी जा रही है, जहां इस नये स्वरूप के कई मामले सामने आए हैं। अग्रवाल ने कहा कि फिलहाल दक्षिण अफ्रीका में संक्रमण के कारण अस्पताल में भर्ती होने की दर में वृद्धि नहीं दिखी है। बता दें कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने दक्षिण अफ्रीका और कुछ अन्य देशों में सामने आये कोविड के नये स्वरूप को 26 नवंबर को ओमीक्रोन नाम दिया था। उसने ओमीक्रोन को चिंता पैदा करने वाला स्वरूप भी बताया था। विशेषज्ञों ने यह संभावना जताई है कि वायरस में आनुवांशिकी बदलाव होने की वजह से यह कुछ अलग विशेषताओं वाला हो सकता है। भारत में ओमीक्रोन स्वरूप के अब तक 23 मामले सामने आ चुके हैं। ओमाइक्रोन के डर के बीच मुंबई के पास 100 से अधिक विदेशी रिटर्न का पता नहीं चल पाया है। India Health News Update
सोमवार को मुंबई में दो लोगों में ओमिक्रोन वेरिएंट (Omicron Variant) की पुष्टि हुई है। दोनों ही 25 नवंबर को दक्षिण अफ्रीका से लौटे थे और उनकी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। इसके बाद ओमिक्रोन है या नहीं, इसकी जांच के लिए सैंपल को पुणे के NIV में जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए भेजा गया था। अब उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। इसी के साथ महाराष्ट्र में ओमिक्रोन से संक्रमितों की संख्या 10 हो गई है। देशभर में अब तक 23 लोगों में ओमिक्रोन वेरिएंट की पुष्टि हुई है। India News