शिमला: पुरुष एवं महिला वार्डर के पदों की भर्ती के लिए 28 जुलाई 2024 को तीन केन्द्रों में परीक्षा का आयोजन किया जाएगा। जिला शिमला, सोलन, सिरमौर और किन्नौर के 421 अभ्यर्थियों के लिए राजकीय महाविद्यालय, संजौली (शिमला), जिला मंडी, कुल्लू, बिलासपुर व हमीरपुर के 1050 अभ्यर्थियों के लिए वल्लभ राजकीय महाविद्यालय मंडी में परीक्षा का आयोजन होगा। जिला मंडी, कांगड़ा, चंबा और ऊना के 1149 अभ्यर्थियों के लिए राजकीय महाविद्यालय धर्मशाला जिला कांगड़ा में परीक्षा का आयोजन होगा। कामगार एवं सुधारात्मक सेवाएं विभाग के डीजीपी एसआर ओझा ने बताया कि बताया कि दोपहर 12 बजे परीक्षा का आयोजन किया जाएगा। उन्होंने अभ्यर्थियों को सूचित किया कि निर्धारित परीक्षा केन्द्रों में लिखित परीक्षा आरम्भ होने से दो घंटे पूर्व प्रातः 10 बजे पहुंचना सुनिश्चित करें। उन्होंने बताया कि सभी अभ्यर्थी अपने प्रवेश पत्र कारागार की वेबसाइट https://hpprisons.nic.in/ से एवं अपने पंजीकृत ई-मेल के माध्यम से डाउनलोड कर सकते हैं। प्रवेश पत्र डाउनलोड करना सभी अभ्यर्थियों की व्यक्तिगत जिम्मेदारी होगी। परीक्षा हॉल में पेन, कार्डबोर्ड, एडमिट कार्ड एवं पहचान पत्र के अतिरिक्त कोई भी सामग्री ले जाने की सख्त मनाही है। इसके साथ इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, मोबाइल फोन, कैलकुलेटर, इलेक्ट्रॉनिक वॉच, वायरलेस डिवाइस, ब्लूटुथ, इयरफोन, इलेक्ट्रॉनिक गेजेट्स और बैग इत्यादि ले जाने की भी अनुमति नहीं होगी। परीक्षा केन्द्र परिसर में अपना वाहन साथ लाने की अनुमति नहीं होगी। अधिक जानकारी के लिए दूरभाष नम्बर-0177-2628852 पर सम्पर्क किया जा सकता है। बत दें कि जेल वॉर्डर के 91 पदों (पुरुष 77, महिला 14) पर 23-11-2-23 के लिए सरकार ने नोटिफिकेशन जारी की थी। इसके लिए 22 दिसंबर 2023 तक ऑनलाइन आवेदन मांगे गए थे। फ़िज़िकल टेस्ट पास करने के बाद अभ्यर्थियों की लिखित परीक्षा रविवार को आयोजित होगी। लिखित परीक्षा में अनारक्षित वर्ग के लिए 50 प्रतिशत और आरक्षित वर्ग के लिए 40 प्रतिशत अंक लाना आवश्यक है।
मंडी: चंडीगढ़-मनाली नेशनल हाईवे पर आज यानी 27 जुलाई से लेकर 31 जुलाई तक मंडी से पंडोह के बीच रोजाना दो घंटे गाड़ियों के पहिए थमे रहेंगे। नेशनल हाईवे पर 4 मील से 9 मील तक पहाड़ी पर हवा में लटके बड़े-बडे बोल्डरों व चट्टानों को हटाने के लिए हाईवे को बंद किया जा रहा है। इन बोल्डरों व चट्टानों से नेशनल हाईवे पर लगातार लैंडस्लाइड का खतरा बना हुआ है, जिसके लिए हाईवे पर रोजाना सुबह 11 बजे से दोपहर 1 बजे तक वाहनों की आवाजाही पूर्ण रूप से बंद रहेगी। छोटे वाहन आने जाने के लिए वैकल्पिक मार्गों का इस्तेमाल कर सकेंगे, जबकि बड़े वाहनों को एनएच खुलने का इंतजार करना होगा। डीसी मंडी अपूर्व देवगन ने बताया कि एनएचएआई की तरफ से प्रशासन को निवेदन प्राप्त हुआ था कि मंडी से पंडोह के बीच कुछ ऐसे स्थान हैं जहां पर लैंडस्लाइड का खतरा बना हुआ है। खासकर कुछ स्थानों पर बड़े-बड़े पत्थर और चट्टानें पहाड़ी पर लटकी हुई हैं जो कभी भी गिरकर तबाही मचा सकती हैं। ऐसे में इन पत्थरों और चट्टानों को हटाना जरूरी है। वहीं, कुछ स्थानों पर लैंडस्लाइड के कारण मलबा गिरा हुआ है जिसे भी हटाना जरूरी है। यात्रियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इस कार्य को तुरंत प्रभाव से करने के निवेदन को स्वीकार करते हुए 5 दिनों तक हाईवे को रोजाना दो घंटों तक बंद रखने का फैसला लिया गया है। इस दो घंटे की ब्रेक के दौरान मंडी से कुल्लू-मनाली की तरफ जाने वाले वाया कमांद-कटौला-बजौरा होते हुए जा सकेंगे। अगर कोई कुल्लू से आ रहा है तो वे पंडोह से वाया गोहर-चैलचौक-डडौर होते हुए जा सकेंगे। वैकल्पिक मार्गों से सिर्फ छोटे वाहनों को जाने की अनुमति होगी।
हिमाचल में निजी स्कूलों को अपने परीक्षा केंद्र का अब हर वर्ष नवीकरण करना होगा। अगर ऐसा न किया तो इसके लिए नए सिरे से सभी औपचारिक्ताएं पूरी करनी होंगी। उसके बाद ही उन्हें परीक्षा केंद्र उपलब्ध करवाया जाएगा। स्कूल शिक्षा बोर्ड ने परीक्षा केंद्रों के सृजन के नियमों में फेरबदल किया है। शिक्षा बोर्ड ने अधिसूचना जारी कर दी है। जानकारी के अनुसार अब वार्षिक परीक्षाओं के लिए स्कूलों को अपने स्कूल में परीक्षा केंद्र सृजन करने के लिए भारी भरकम फीस बोर्ड को देनी होगी। नए नियमों के मुताबिक अब नए परीक्षा केंद्र निरीक्षण फीस सभी सरकारी और बोर्ड से संबद्धता प्राप्त निजी स्कूलों के लिए पांच हजार रुपये रहेगी। पहले यह फीस नहीं होती थी। वार्षिक परीक्षाओं के लिए नए परीक्षा केंद्र, अपग्रेड, बनाए रखने, नवीकरण के लिए ऑनलाइन आवेदन करने के दौरान बोर्ड की ओर से तय नियमों के अनुसार ही स्कूलों को ऑनलाइन आवेदन करना होगा। आवेदन बोर्ड की वेबसाइट पर उपलब्ध ऑनलाइन लिंक के माध्यम से ही एक से 31 अगस्त तक किया जा सकेंगे। इसके अतिरिक्त बोर्ड से संबद्धता प्राप्त निजी संस्थान के एक बार परीक्षा केंद्र बन जाने के बाद उस संस्थान को आगामी सत्र से यह निर्धारित तिथियों में ही नवीनीकरण के लिए आवेदन करना अनिवार्य होगा। हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड सचिव डॉ. मेजर विशाल शर्मा ने बताया कि यदि बोर्ड से संबद्धता प्राप्त किसी निजी संस्थान द्वारा अपने संस्थान से सृजित परीक्षा केंद्र के नवीकरण के लिए आवेदन प्रेषित नहीं किया जाता है तो ऐसे संस्थान को आगामी सत्र के लिए पुन: नए सिरे से औपचारिकताएं पूरी करनी होंगी और उन्हें शुल्कों सहित केंद्र सृजन के लिए आवेदन करना होगा। बताया कि अधिसूचना तुरंत प्रभाव से लागू होगी। पहली से 15 सितंबर तक नए परीक्षा केंद्र सृजन, अपग्रेड करने के लिए आवेदन पांच हजार रुपये विलंब शुल्क के साथ होगा। परीक्षा केंद्र के नवीकरण आवेदन के लिए विलंब शुल्क 1000 लिया जाएगा। यदि संबंधित अथॉरिटी के द्वारा 15 सितंबर के बाद आवेदन की तिथि बढ़ाई जाती है तो परीक्षा केंद्र सृजन व अपग्रेड के लिए 10 हजार रुपये विलंब शुल्क रहेगा। केंद्र नवीकरण के लिए विलंब शुल्क दो हजार रुपये रहेगा। बोर्ड से संबद्धता प्राप्त निजी स्कूलों के लिए यह आवश्यक किया गया है कि 10 हजार रुपये सिक्योरिटी के रूप में जमा करवाए जाएंगे। ये रुपये जब तक जमा रहेंगे, जब तक संबंधित स्कूल परीक्षा केंद्र चाहेगा। अगर परीक्षा केंद्र को अधिक नकल करने के चलते रद्द किया जाता है तो सिक्योरिटी राशि जब्त की जाएगी।
श्रीखंड ट्रस्ट के अंतर्गत 2014 से शुरू श्रीखंड महादेव यात्रा के 11 सालों में पहली बार देश-विदेश से आए श्रद्धालुओं का आंकड़ा 8,500 पार पहुंच गया है। यह धार्मिक यात्रा शनिवार को आधिकारिक तौर पर समाप्त हो जाएगी। शनिवार को यात्रा के अंतिम दिन यात्रियों का अंतिम जत्था रवाना किया जाएगा, जो बेस कैंप सिंहगाड में 30 जुलाई तक लौटेगा। बीते 13 दिनों में 8,509 यात्री पंजीकरण के बाद महादेव के दर्शन कर चुके हैं। हालांकि, यह आंकड़ा अभी और बढ़ेगा। इस वर्ष श्रीखंड महादेव यात्रा सबसे सफल यात्राओं में से एक रही है। प्रशासन की ओर से किए गए पुख्ता इंतजाम भी इसका प्रमुख कारण रहा। प्रशासन की तैयारियों से श्रद्धालुओं को कोई परेशानी पेश नहीं आई। अटल बिहारी वाजपेयी पर्वतारोहण एवं खेल संस्थान मनाली ने नैन सरोवर से श्रीखंड महादेव तक की चढ़ाई तक रस्से लगाए। इनकी मदद से सभी श्रद्धालुओं ने ग्लेशियर पार किए। एसडीआरएफ की टीम ने कई श्रद्धालुओं को आपात सेवाओं में सहयोग दिया। पांच सेक्टरों में तैनात सेक्टर मजिस्ट्रेट की पूरी टीम दिन-रात श्रद्धालुओं की मदद के लिए जुटी रही, जिसमें मेडिकल टीम का अहम योगदान रहा है। पहली बार दो निजी संस्थानों ने दो बेस कैंप में निशुल्क ओपीडी की सेवा प्रदान की। इसमें विश्व मानव रूहानी केंद्र ने सबसे कठिन बेस कैंप भीमडवारी में दो बिस्तर की ओपीडी की सेवाएं उपलब्ध करवाईं। सिक्स सिग्मा हाई एल्टीट्यूड संस्थान ने सिंहगाड में मेडिकल सेवाएं देकर श्रद्धालुओं की मदद की। एसडीएम निरमंड मनमोहन सिंह ने श्रीखंड महादेव तक चलकर स्वयं इंतजामों और रास्तों का जायजा लिया, जिसकी रिपोर्ट उपायुक्त कुल्लू को भेजी। उन्होंने कहा कि काली टाॅप से बराहटी नाला तक के 12 किमी ट्रैक पर श्रद्धालुओं को पेयजल का सामना करना पड़ा। जलशक्ति विभाग से यहां पेयजल लाइनों की मरम्मत कर नई पाइपलाइन बिछाई जाएगी। रास्तों में श्रद्धालुओं की संख्या को देखते हुए और पब्लिक टाॅयलेट बनाए जाएंगे। इसके अलावा जो कमियां रही हैं, उन्हें सुधारने के लिए उपायुक्त कुल्लू को पूरी रिपोर्ट भेजी गई है। श्रीखंड महादेव यात्रा के दौरान कई भक्तों और समाजसेवी संस्थानों ने लंगर सेवाएं प्रदान कीं, जिनमें तरह-तरह के व्यंजनों का श्रद्धालुओं ने स्वाद चखा। वहीं क्षेत्र के स्थानीय लोगों का यात्रा के दौरान कारोबार खूब चमका। इससे स्थानीय लोगों में भी यात्रा को लेकर बेहद उत्साह दिखा।
प्रदेशभर में आंगनबाड़ी केंद्रों में नौनिहालों को मिलने वाले खाद्य पदार्थों की पौष्टिकता की जांच की जाएगी। इसके लिए खाद्य सुरक्षा विभाग को आदेश दिए गए हैं। विभागीय अधिकारी हर आंगनबाड़ी केंद्र में जाकर खाद्य पदार्थों के सैंपल भरेंगे। सैंपल भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण से प्रमाणित लैब में भेजे जाएंगे। राशन की गुणवत्ता के साथ अन्य चीजों का पता लगाया जाएगा। अगर खाद्य पदार्थों के सैंपल फेल होते हैं तो कंपनी के खिलाफ विभाग कार्रवाई करेगा। प्रदेशभर में आईसीडीएस के तहत आंगबाड़ी केंद्रों में बच्चों के लिए राशन और अन्य खाद्य पदार्थ उपलब्ध करवाए जाते हैं। इन खाद्य पदार्थों से बच्चों की सेहत पर कोई प्रभाव न पड़े इसको ध्यान में रखते हुए विभाग ने सैंपल भरने का निर्णय लिया है। इसी के साथ राशन भंडारण की भी जांच की जाएगी। राशन को रखने का तरीका और स्वच्छता के बारे में भी पता लगाया जाएगा। वहीं, आंगनबाड़ी केंद्रों में भी राशन को किस प्रकार से रखा गया है, कैसे राशन को तैयार किया जाता है, इसके बारे में टीम निरीक्षण करेगी। साथ ही कच्चे और तैयार खाद्य पदार्थों के सैंपल भरेगी। जिलों में टीमों का गठन किया गया है। जिला सोलन में अब तक आईसीडीएस राशन के 17 सैंपल भरकर जांच के लिए भेजे गए हैं। इनकी रिपोर्ट आगामी 15 दिनों में आने की उम्मीद है। एफएसओ दीक्षा कपिल की टीम ने धर्मपुर समेत अन्य जगहों में सैंपल भरे हैं। एफएसओ अनुज शर्मा की टीम ने अर्की समेत बीबीएन में सैंपल भरे हैं। टीम की ओर से आंगनबाड़ी केंद्रों से दाल, राजमा, चना, दाल चना, शक्कर, न्यूट्रीमिक्स बिस्कुट समेत अन्य 17 सैंपल जांच के लिए लैब भेजे हैं। जिले में आंगनबाड़ी केंद्रों से खाद्य पदार्थों के सैंपल भरने शुरू कर दिए हैं। अब तक 17 सैंपल भरे गए हैं। इन्हें जांच के लिए भेज दिया है। प्रत्येक माह आंगनबाड़ी केंद्रों से सैंपल भरे जाएंगे ताकि गुणवत्ता का पता चल सके।
राज्य मुक्त विद्यालय से 12वीं कक्षा की पढ़ाई करने वाले 1,854 अभ्यर्थियों का परीक्षा परिणाम रद्द हो सकता है। अगर अभ्यर्थियों ने 15 दिन के भीतर अपने दस्तावेज जमा नहीं करवाए तो उन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। दस्तावेज जमा न करवाए जाने के कारण शिक्षा बोर्ड के पास 2013 तक से अभ्यर्थियों का परीक्षा परिणाम आरएलई पड़ा हुआ है, जिन्हें बोर्ड ने अंतिम मौका दिया है। हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड ने जमा दो की सत्र मार्च, 2023 से सितंबर, 2023 तक की परीक्षाओं के उन अभ्यर्थियों को अपने दस्तावेज जमा करवाने का एक मौका दिया है, जिनका परीक्षा परिणाम पात्रता दस्तावेजों के कारण लंबित पड़ा है। शिक्षा बोर्ड के पास ऐसे करीब 1854 अभ्यर्थी हैं, जिन्होंने पात्र दस्तावेजों का अभी तक जमा नहीं करवाया है, जिसके चलते उनका परीक्षा परिणाम आरएलई घोषित हुआ है। शिक्षा बोर्ड ने ऐसे अभ्यर्थियों को अपने पात्र दस्तावेजों को संबंधित अध्ययन केंद्रों को औपचारिकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त समय भी दिया गया, लेकिन अभ्यर्थियों ने दस्तावेज जमा नहीं करवाए। इसके चलते उनका परीक्षा परिणाम आरएलई घोषित हुआ है। अब शिक्षा बोर्ड ने इन अभ्यर्थियों के परीक्षा परिणाम को रद्द करने का मन बनाया लिया है। इससे पहले शिक्षा बोर्ड प्रशासन ने अभ्यर्थियों को 15 दिन के भीतर अपने वांछित दस्तावेजों को डाक के माध्यम या दस्ती तौर पर बोर्ड कार्यालय में जमा करवाने का अवसर दिया है। अगर निर्धारित समय तक बोर्ड के पास दस्तावेज प्राप्त नहीं हुए तो बोर्ड प्रशासन नियमानुसार परीक्षा परिणाम को रद्द कर देगा। हिमाचल स्कूल शिक्षा बोर्ड के सचिव डॉ. मेजर विशाल शर्मा ने बताया कि 1854 अभ्यर्थियों का परिणाम पात्रता दस्तावेजों के न होने के कारण लंबित पड़ा हुआ है। अभ्यर्थियों को 15 दिन के भीतर अपने दस्तावेज जमा करवाने का अंतिम अवसर दिया गया है, अगर इस दौरान अभ्यर्थी दस्तावेज जमा नहीं करवा सके तो परिणाम को नियमानुसार रद्द कर दिया जाएगा।
हिमाचल प्रदेश के कर्मचारियों के विभिन्न मुद्दों को लेकर शिमला में अराजपत्रित कर्मचारी सेवाएं महासंघ (त्रिलोक गुट) की एक बैठक प्रदेश अध्यक्ष त्रिलोक ठाकुर की अध्यक्षता में आयोजित की गई। संगठन के अनुसार इस बैठक में प्रदेश के विभिन्न जिला व विभागीय कर्मचारी संगठनों के लगभग 280 प्रतिनिधियों ने भाग लिया l बैठक में सभी जिला व विभागीय संगठनों के अध्यक्षों व महासचिवों ने कर्मचारियों के मुद्दों पर अपने सुझाव व विचार व्यक्त किये l बैठक में कर्मचारियों के विभिन्न मसले जैसे, संयुक्त सलाहकार समिति की बैठक का आयोजन शीघ्र कराने, संशोधित वेतनमान 2016 की लंबित देनदारियों का शीघ्र निपटारा करने, महंगाई भत्ते की लंबित किस्तों का निपटारा करने जैसी मांगों पर चर्चा की गई। इस मौके पर अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष त्रिलोक ठाकुर ने बताया कि विभागों में कर्मचारियों के काफ़ी रिक्त पद चल रहे हैं। कर्मचारियों को मिलने वाले वित्तीय लाभ नही मिल रहे है। जेसीसी की बैठक सरकार बुला नही रही है। उनकी मांग हैं की सरकार जल्द जेसीसी की बैठक आयोजित कर कर्मचारियों की मांगो को पूरा करे। अन्यथा कर्मचारियों को मजबूरन आंदोलन करना पड़ेगा।
हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड ने बोर्ड द्वारा आयोजित करवाई जाने वाली डीएलएड (सीईटी) तथा सभी विषयों की अध्यापक पात्रता परीक्षाओं के आवेदन शुल्क में बढ़ौतरी की है। अब परीक्षार्थियों को इन दोनों ही परीक्षाओं में भाग लेने के लिए ऑनलाइन आवेदन करते समय पहले के मुकाबले अधिक शुल्क देना पड़ेगा। बोर्ड ने दोनों ही परीक्षाओं के आवेदन शुल्क को दोगुना कर दिया है। हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड की मानें तो प्रदेश के नजदीकी राज्यों के बोर्डों एवं संस्थानों तथा देश के अन्य बोर्डों आदि द्वारा निर्धारित शुल्कों की तुलना करने के उपरांत करीब 11 वर्ष पूर्व निर्धारित आवेदन शुल्कों को पुन: निर्धारित किया गया है। बोर्ड अध्यक्ष हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड ने बोर्ड अधिनियम 1968 की धारा 19 (3) के तहत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए बोर्ड द्वारा आयोजित की जाने वाली डीएलएड (सीईटी) तथा सभी विषयों की टैट परीक्षाओं के शुल्क को पुन: निर्धारित करने के सहर्ष आदेश प्रदान किए हैं। विदित रहे कि बोर्ड द्वारा साल में 2 बार अध्यापक पात्रता परीक्षाओं का आयोजन किया जाता है, जबकि एक बार डीएलएड (सीईटी) परीक्षा करवाई जाती है। इस तरह रहेगा ऑनलाइन आवेदन शुल्क अध्यापक पात्रता परीक्षा के लिए ऑनलाइन आवेदन करने के दौरान सामान्य कैटेगरी के अभ्यर्थियों को जहां पहले 800 रुपए शुल्क देना पड़ता था, अब उन्हें 1600 रुपए देना पड़ेगा। वहीं ओबीसी, एससी, एसटी एंड पीएचएच (दिव्यांग) अभ्यर्थियों को पहले आवेदन के लिए 500 रुपए देने पड़ते थे, अब उन्हें 1000 रुपए देने पड़ेंगे। वहीं विलंब शुल्क पहले जहां 300 रुपए था, अब 600 रुपए रहेगा। इसी तरह डीएलएड संयुक्त प्रवेश परीक्षा के लिए पहले सामान्य कैटेगरी के अभ्यर्थियों को ऑनलाइन आवेदन करने के दौरान 600 रुपए देने पड़ते थे, अब उन्हें 1200 रुपए देने पड़ेेंगे। इसी तरह ओबीसी, एससी, एसटी, दिव्यांग और ईडब्ल्यूएस अभ्यर्थियों को आवेदन करने के दौरान पहले जहां 400 रुपए लगते थे, अब उन्हें ऑनलाइन आवेदन शुल्क 800 रुपए देना पड़ेगा। वहीं विलंब शुल्क पहले जहां 300 रुपए था, उसे बढ़ाकर 600 रुपए कर दिया गया है।
कामगार एवं सुधारात्मक सेवाएं विभाग के एक प्रवक्ता ने आज यहां बताया कि पुरूष एवं महिला वार्डर के पदों की भर्ती के लिए 28 जुलाई, 2024 को तीन परीक्षा केन्द्रों में परीक्षा का आयोजन करवाया जाएगा। उन्होंने बताया कि जिला शिमला, सोलन, सिरमौर व किन्नौर के 421 अभ्यर्थियों के लिए राजकीय महाविद्यालय, संजौली (शिमला), जिला मंडी, कुल्लू, बिलासपुर व हमीरपुर के 1050 अभ्यर्थियों के लिए वल्लभ राजकीय महाविद्यालय मंडी, जिला मंडी और जिला कांगड़ा, चंबा व ऊना के 1149 अभ्यर्थियों के लिए राजकीय महाविद्यालय धर्मशाला जिला कांगड़ा में परीक्षा का आयोजन करवाया जाएगा। उन्होंने बताया कि दोपहर 12 बजे परीक्षा का आयोजन किया जाएगा। उन्होंने अभ्यर्थियों को सूचित किया कि अभ्यर्थी निर्धारित परीक्षा केन्द्रों में लिखित परीक्षा आरम्भ होने से दो घंटे पूर्व प्रातः 10 बजे पहुंचना सुनिश्चित करें। उन्होंने बताया कि सभी उत्तीर्ण अभ्यर्थी अपने प्रवेश पत्र कारागार की वेबसाइट admis.hp.nic.in/hpprisons से एवं अपने पंजीकृत ई-मेल के माध्यम से डाउनलोड कर सकते हैं। प्रवेश पत्र डाउनलोड करना सभी अभ्यर्थियों की व्यक्तिगत जिम्मेदारी होगी। परीक्षा हॉल में पेन, कार्डबोर्ड, एडमिट कार्ड एवं पहचान पत्र के अतिरिक्त कोई भी सामग्री ले जाने की अनुमति नहीं होगी। इसके साथ इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, मोबाइल फोन, कैलकुलेटर, इलेक्ट्रॉनिक वॉचिज़, वायरलेस डिवाइसिज, ब्लूटुथ डिवाइसिज, इयरफोन, इलेक्ट्रॉनिक गेजेट्स तथा बैग इत्यादि ले जाने की अनुमति नहीं होगी। परीक्षा केन्द्र में अपना वाहन साथ लाने की अनुमति नहीं होगी। अधिक जानकारी के लिए दूरभाष नम्बर-0177-2628852 पर सम्पर्क किया जा सकता है।
हिमाचल प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक आज मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू की अध्यक्षता मे राज्य सचिवालय में हुई। बैठक में आज निर्णय लिया गया कि अब शराब के ठेके में शराब विक्रेता शराब के निर्धारित मूल्य से ज्यादा पैसे नही वसूल पाएंगे। क्योंकि अगर कोई ऐसा करता है तो उस व्यक्ति पर सीधा एक लाख का जुर्माना लगेगा। यह निर्णय आज केबिनेट की बैठक में लिया गया है। जानकारी देते हुए इंडस्ट्री मिनिस्टर हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि शराब के ठेकों से ये शिकायते आ रही थी कि दुकानदार तय दरों से ज्यादा रेट पर शराब बेचते है। इसे देखते हुए कैबिनेट ने ज्यादा रेट वसूली पर पेनल्टी का प्रावधान किया है। पहली बार अधिक रेट पर बेचते हुए पकड़े जाने पर 15 हजार रुपए, दूसरी बार पकड़े जाने पर 25 हजार, तीसरी बार 50 हजार और चौथी बार सीधी एक लाख रुपए पैनल्टी लगने वाली है। और अगर इसके बाद भी कोई महंगी शराब बेचते हुआ पकड़ा गय तो उसका लाइसेंस रद्द कर दिया जाएगा।
**पटवारी-कानूनगो को भारी पड़ा सरकार का विरोध प्रदेश में लगातार स्टेट कैडर का विरोध कर रहे पटवारियों और कनूनगो के खिलाफ सरकार ने बड़ा एक्शन लेने की ठान ली है। ऑनलाइन सेवाएं बंद करने और अतरिक्त कार्यभार की चाबियां लौटाने वाले कर्मचारियों अधिकारीयों को सरकार ससपेंड करेगी। इस बार में अतिरिक्त मुख्य सचिव ओंकार शर्मा की तरफ से सभी डीसी को लेटर जारी किया गया है, जिसमें कहा गया है कि सरकारी कर्मचारियों का इस तरह का रवैया अनुचित है। जो सीसीएस (आचरण) नियम, 1964 का उल्लंघन है। ऐसे में लोगों को सेवाएं न देने वाले पटवारियों और कानूनगो के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है। इसके साथ ये भी कहा गया है कि यदि उन्हें सरकार के किसी निर्णय के खिलाफ कोई शिकायत है, तो उन्हें बातचीत का सहारा लेना चाहिए न कि लोगों के जरूरी कामों को रोक कर सरकार के आदेशों की अवहेलना करनी चाहिए। राज्य सरकार ने ऑनलाइन काम ठप करने और व्हाट्सऐप ग्रुप छोड़ने के खिलाफ सभी पटवारी और कानूनगो की सर्विस ब्रेक हो सकती है। अतिरिक्त मुख्य सचिव ओंकार शर्मा ने इस बारे में सभी उपायुक्तों को पत्र जारी किया है। ** दो दिनों में सेवाएं करनी होगी शुरू प्रदेश सरकार की तरफ से सभी डीसी को जारी लेटर में पटवारियों और कानूनगो को दो दिनों में सेवाएं शुरू करने को कहा गया है। अगर आदेशों की पालना नहीं होती है तो ऐसे सभी कर्मचारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। वहीं, डीसी को भी अपने जिलों में उनके नियंत्रण में पटवारियों और कानूनगो को तुरंत प्रभाव से ऑनलाइन काम फिर से शुरू करने के लिए कड़े निर्देश जारी करने को कहा गया है, ताकि प्रदेश भर में लोगों को घर द्वार पर सरकार की सुविधाओं का लाभ मिल सके। ** व्हाट्सएप ग्रुप में भी वापस जुड़ने के दिए निर्देश इसके अलावा पटवारियों और कानूनगो को आधिकारिक "व्हाट्सएप ग्रुप" में वापस शामिल होने और अतिरिक्त प्रभार सहित उन्हें दिए गए अन्य दायित्वों को भी निभाने के निर्देश भी जारी किए गए हैं। इसके लिए पटवारियों और कानूनगो दो दिन का समय दिया गया है। पटवारियों और कानूनगो को चेताया गया है कि किसी भी सरकारी कर्मचारी की ओर से कोई भी कार्रवाई जो हिमाचल प्रदेश की आम जनता के हितों के खिलाफ है, सरकार ये कतई स्वीकार्य नहीं करेगी।
कश्मीर के कुपवाड़ा जिले के लोलाब में मंगलवार रात शुरू हुई मुठभेड़ में सुरक्षाबलों ने बुधवार सुबह एक आतंकी को मार गिराया। इस अभियान में हिमाचल प्रदेश के जवान (नॉन-कमीशंड अफसर) दिलवर खान बलिदान हो गए। इलाके में कुछ और आतंकियों की मौजूदगी की आशंका के चलते सुरक्षाबलों का अभियान अब भी जारी है। मारे गए दहशतगर्द की शिनाख्त अभी नहीं हुई है। हिमाचल के ऊना जिले के बंगाणा के घरवासड़ा के रहने वाले दिलवर (28) की पार्थिव देह वीरवार को दोपहर बाद करीब 2 बजे उनके पैतृक गांव लाई जाएगी और राजकीय सम्मान के साथ मुस्लिम विधि के अनुसार अंतिम संस्कार किया जाएगा। सेना के एक अधिकारी ने बताया, मंगलवार शाम लोलाब के त्रिमुखा टॉप क्षेत्र में सुरक्षाबलों को आतंकियों की मौजूदगी की सूचना मिली थी। सेना और पुलिस के जवानों नें इलाके की घेराबंदी कर सघन तलाशी अभियान चलाया। घेरा सख्त होता देख आतंकियों ने जवानों पर फायरिंग कर दी और मौके से भागने की कोशिश की। जवानों ने भी जवाबी फायरिंग शुरू कर दी। वीर सैनिक दिलवर खान के बलिदान होने पर मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू, उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री, कुटलैहड़ के विधायक विवेक शर्मा, ऊना के उपायुक्त जतिन लाल समेत ऊना जिले के सभी अधिकारियों ने शोक व्यक्त किया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत माता की रक्षा करते हुए उनका यह सर्वोच्च बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा। बता दें, मार्च, 1996 को जन्मे दिलवर 20 दिसंबर 2014 को सेना में भर्ती हुए थे।
हिमाचल प्रदेश अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ की एक महत्वपूर्ण बैठक आज बचत भवन, सम्मेलन कक्ष में प्रदीप ठाकुर की अध्यक्षता में आयोजित की गई। बैठक में महासंघ के राज्य पदाधिकारी, जिला अध्यक्ष व उनकी कार्यकारिणी तथा विभिन्न विभागों के अध्यक्षों, सचिवों एवं अन्य पदाधिकारियों ने भाग लिया। सभी ने मांग की कि प्रदेश सरकार कर्मचारियों की विभिन्न समस्याओं के समाधान के लिए जल्द से जल्द से संयुक्त सलाहकार समिति की बैठक बुलाई जाए । बैठक में विभिन्न विभागों की समस्याओं पर विस्तारपूर्वक चर्चा की गई। प्रमुख मुद्दों में विभिन्न विभागों के कामकाज को सुचारू रूप से चलाने के लिए सभी रिक्त पदों को जल्द भरना, विभिन्न विभागों के विभिन्न वर्गों में वेतन विसंगति, वर्ष 2016 के वेतन आयोग के अनुसार बकया राशि का तुरंत भुगतान, 12% महंगाई भत्ता, दो बार संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण, हिमाचल प्रदेश विद्युत निगम, जिला परिषद तथा अन्य छूटे विभागों के लिये पुरानी पेंशन का प्रावधान, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति की आयु 58 से बढ़ाकर 60 वर्ष करना, विभिन्न विभाग के विभिन्न वर्गों के पद नाम बदलना, जल रक्षक का अनुबंध में शामिल करने के लिए अवधि 12 वर्ष से घटाकर 8 वर्ष करना, आवास भत्ते में लंबे समय से वृद्धि न होने के कारण विभिन्न कर्मचारी वर्ग का आवास भत्ता बढ़ाने की मांग, विभागीय पदोन्नती समय पर हो, करूनामुल्क आधार पर विभिन्न विभागों में लंबित मामलों का निपटारा कर सभी को वन टाइम रिलैक्सेशन देकर नियुक्ति देना, जिला परिषद कर्मचारियों को विभाग में मर्ज करने, मिड डे मील वर्कर, आंगनवाड़ी सहायिका के लिए स्थाई नीति, आउटसोर्स कर्मचारी के लिए स्थाई नीति, मल्टी टास्क कर्मी के लिए स्थाई नीति, सहित अन्य महत्वपूर्ण विषय शामिल रहे। बैठक में उपस्थित विभिन्न विभागों से उपस्थित पदाधिकारियों ने विभागिय समस्याओं बारे अवगत करवाया। बैठक में उपस्थित सदस्यों ने इन मुद्दों पर गंभीर चिंता व्यक्त की और राज्य अध्यक्ष प्रदीप ठाकुर से सरकार के समक्ष इन समस्याओं को रखने तथा शीघ्र समाधान की मांग की। राज्य अध्यक्ष प्रदीप ठाकुर ने कहा की कर्मचारियों की मांगों पर सकारात्मक कार्रवाई करते हुए शीघ्र ही समाधान निकालने हेतु माननीय मुख्यमंत्री से मिलेगा और विभिन्न विभागों द्वारा सौंपे गए मांगपत्र माननीय मुख्यमंत्री को आगामी कार्यवाहेतु प्रदान किए जाएंगे। इस बैठक में राज्य कार्यकारिणी वरिष्ठ उपाध्यक्ष सौरव वैद, महासचिव भरत शर्मा, उपाध्यक्ष एवं राज्य प्रधान क्लास-4 संगठन आईजीएमसी मोहन लाल कश्यप, मुख्य सलाहकार एवं प्रदेश पटवारी कानूनगो महासंघ अध्यक्ष शमशेर, मुख्य प्रवक्ता कुशाल शर्मा, कार्यालय सचिव देव नेगी, सचिव एवं लैब अटेंडेंट एसोसिएशन स्कूल अध्यक्ष कँवर सिंह तंगराइक, महासचिव, पम्प ऑपरेटर जल शक्ति विभाग डी के शर्मा, ज़िला उपायुक्त कार्यालय एसोसिएशन अध्यक्ष अमित वर्मा, फायर ब्रिगेड यूनियन महासचिव रजिंदर चंदेल, अर्थ एवं सांख्यिकी तकनीकी अध्यक्ष मोहन लाल वर्मा, आई टी आई ट्रेनेड फ़िटर अध्यक्ष तेज राम, हि० प्र० नेत्र चिकित्सा अधिकारी संगठन के प्रदेश अध्यक्ष इन्द्र दत्त शर्मा, वन विभाग मिनिस्टीरियल स्टाफ एसोसिएशन अध्यक्ष प्रकाश बादल के साथ-साथ प्रदेश के सभी ज़िला अध्यक्षों मनजीत(सोलन), भरत (शिमला), बलदेव नेगी (किन्नौर), राम चन्द्र (सिरमौर), लेख राज (मंडी), अमर चंद (कुल्लू), विजय (चम्बा), रजिंदर मनहास (काँगड़ा), दर्शोक ठाकुर (हमीरपुर), धरम सिंह (बिलासपुर) एवं रामपाल (लाहौल-स्पीति) ने भाग लिया।
**अब और बढ़ सकती है मुश्किलें ** मांगें नहीं मानी तो कार्यालयों की चाबियां सौंपेंगे पटवारी और कानूनगो **जनता परेशान, सरकार नहीं ले रही सुध प्रदेश भर में पिछले 10 दिनों से लोगों के हिमाचली प्रमाण पत्र, आय प्रमाण पत्र आदि जैसे ज़रूरी प्रमाण ऑनलाइन तो बन ही नहीं रहे थे मगर अब ये सुविधाएं कुछ हद तक ऑफलाइन भी बंद हो सकती है। पहले इन सभी कामों के लिए जनता को सरकारी दफ्तरों में भटकना पड़ रहा था मगर अब दफ्तरों पर भी ये काम मुश्किल हो सकते है और इसका कारण है ग्रामीण राजस्व विभाग के अधिकारियों की सुक्खू सरकार से नाराज़गी। दरअसल राजस्व विभाग में कार्यरत पटवारियों और कानूनगो को स्टेट कैडर का दर्जा दिए जाने के फैसले से ग्रामीण राजस्व विभाग के अधिकारी सुक्खू सरकार के खिलाफ भड़क गए हैं और ये एलान कर दिया है कि अब वो न सिर्फ ऑनलाइन सुविधाएं बल्कि अतिरिक्त कार्यों के कार्यालयों की चाबियां भी वापस सौंप देंगे। महासंघ ने सरकार को चेतावनी दी है कि अगर स्टेट कॉडर बनाने के फैसले से सरकार पीछे नहीं हटती है तो 25 जुलाई से एडिशनल पटवारी और कानूनगो सर्कल का काम देखना बंद कर दिया जाएगा यानि उन कार्यालयों की चाबियां सरकार को सौंप दी जाएगी जिनका उनके पास अतिरिक्त कार्यभार है, और अगर इसके बाद भी उनकी सुनवाई नहीं हुई और उनकी मांगों को पूरा नहीं किया गया तो महासंघ पेन डाउन हड़ताल शुरू कर देगा। ज़ाहिर है अगर ऐसा हुआ तो प्रदेश के लोगों को बहुत ज़्यादा परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। नगर निगमों, नगर परिषद, नगर पंचायतों और पंचायतों के तहत लोगो के बोनोफाइड सर्टिफकेट, करेक्टर सर्टिफिकेट, इनकम सर्टिफिकेट, ईडब्ल्यूएस सर्टिफिकेट, ओबीसी सर्टिफिकेट, कास्ट सर्टिफिकेट, एग्रीकल्चर सर्टिफिकेट, अन-इम्पलायमेंट सर्टिफिकेट, लैंड होल्डिंग सर्टिफिकेट, PM किसान सम्मान निधि योजना की ऑनलाइन रिपोर्टिंग जैसे काम बंद हो जाएंगे। यही नहीं प्रदेश सरकार 18 से 59 आयु वर्ग की महिलाओं को 1500 मासिक पेंशन दे रही है, जिसके लिए इन दिनों कल्याण अधिकारी के पास फार्म भरे जा रहे हैं, जिसके लिए हिमाचली बोनोफाइड प्रमाण पत्र होना अनिवार्य है। अब महिलाएं 1500 मासिक पेंशन लेने के लिए भी फॉर्म जमा नहीं कर पाएगी। इतना कुछ होने पर भी सरकार ने अभी तक महासंघ को वार्ता के लिए नहीं बुलाया है। ऐसे में सरकार के अड़ियल रवैये के कारण आम जनता खासी परेशान है। फर्स्ट वर्डिक्ट मीडिया से खास चर्चा करते हुए हिमाचल संयुक्त ग्रामीण राजस्व अधिकारी एवं कानूनगो महासंघ के अध्यक्ष सतीश चौधरी ने बताया कि 12 जुलाई की कैबिनेट मीटिंग में सरकार ने पटवारी-कानूनगो को स्टेट कॉडर बनाने का फैसला लिया था। अभी पटवारी और कानूनगो दोनों ही जिला कॉडर है। पटवारी और कानूनगों की भर्ती भी जिला कॉडर के हिसाब से हुई है। अब उन्हें अचानक स्टेट कॉडर बना देने से सीनियोरिटी प्रभावित होगी। इससे प्रमोशन में देरी होगी और स्टेट कॉडर में मर्ज होने से सीनियोरिटी में ये लोग पीछे चले जाएंगे। उन्होंने ये भी बताया कि पटवारी क़ानूनंगो को इसलिए जिला कॉडर में रखा गया, क्योंकि अपने जिला में उन्हें लोकल बोल-चाल और एरिया के बारे में जानकारी होती है। यदि उनका दूसरे जिला में ट्रांसफर हो जाता है तो इससे उन्हें बोल-चाल और एरिया समझने में वक्त लगेगा। इससे काम में एफिशिएंसी नहीं आएगी। भर्ती एवं पदोन्नति नियम के हिसाब से उन्हें जिला कॉडर में ही रखा जाना चाहिए। बता दें कि प्रदेश में राजस्व विभाग के अंतर्गत सेवाएं दे रहे पटवारी एवं कानूनगो की संख्या 3350 के करीब है। इसके अलावा सेटलमेंट विभाग में भी इस वर्ग के सैंकड़ों कर्मचारी सेवाएं दे रहे हैं। कैबिनेट के फैसले के बाद पटवारी कानूनगो सभी ऑफिशियल वॉट्सऐप ग्रुप से भी एग्जिट कर चुके है। हिमाचल में राजस्व विभाग में कार्यरत पटवारी एवं कानूनगो को स्टेट कैडर में डालने का निर्णय पिछली साल 18 नवंबर को भी लिया गया था, लेकिन उसी दिन देर शाम तक हिमाचल प्रदेश संयुक्त पटवारी एवं कानूनगो महासंघ के विरोध के बाद सरकार ने फैसला वापस ले लिया था । सरकार का निर्णय 12 घंटे भी नहीं टिक पाया था। लेकिन अब सरकार ने फिर से पटवारी और कानूनगो स्टेट कैडर का दर्जा दे दिया हैं। ।
** हिमाचल में भारी बारिश का ऑरेंज अलर्ट, तीन जिलों के लिए बाढ़ का जोखिम हिमाचल प्रदेश के कई भागों में आज भारी बारिश का ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है। राजधानी शिमला में मौसम खराब बना हुआ है। सुबह से शहर व आसपास भागों में रुक-रुककर बारिश जारी है। मौसम विज्ञान केंद्र शिमला के अनुसार राज्य के कई भागों में 24 से 27 जुलाई तक भारी बारिश का येलो अलर्ट है। 29 जुलाई तक कई स्थानों पर बारिश का दौर जारी रहने का पूर्वानुमान है। बीती रात कांगड़ा में बारी बारिश हुई। इस बार हिमाचल में मॉनसून की गति प्रवेश के बाद से धीमी पड़ गई है। बार बार अचानक बाढ़ और भरी बारिश की चेतावनी के बावजूद अच्छी बारिश नहीं हो रही हैं। उधर, आईएमडी हाइड्रोमेट डिवीजन नई दिल्ली की ओर से प्रदेश के लिए राष्ट्रीय आकस्मिक बाढ़ मार्गदर्शन बुलेटिन जारी किया गया है। इसके अनुसार अगले 24 घंटों के दौरान हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा, चंबा और शिमला जिलों के कुछ जलग्रहण क्षेत्रों और आसपास के इलाकों में हल्की से मध्यम बाढ़ का जोखिम होने की संभावना है।
शिमला: हिमाचल में होमस्टे नियम-2024 के नियमों के बदलाव का मामला अब 25 जुलाई को होने वाली मंत्रिमंडल की बैठक में जाएगा, जिसमें मंत्रिमंडलीय उप-समिति की होमस्टे नियम-2024 के नियमों में बदलाव को लेकर दिए गए सुझावों को मंजूरी मिल सकती हैं। शिमला में सचिवालय में आयोजित मंत्रिमंडलीय उप-समिति की बैठक में होमस्टे नियमों में बदलाव को लेकर उद्योग मंत्री हर्षवर्धन सिंह की अध्यक्षता में बैठक आयोजित हुई। इस दौरान प्रदेश में धारा 118 के नियमों की अवहेलना करके अवैध रूप से चल रहे होमस्टे पर कार्रवाई करने को लेकर चर्चा हुई। हिमाचल में बिना पंजीकरण के होमस्टे चलाने वालों पर भी गाज गिर सकती है। वहीं, पंजीकरण के दौरान जारी किए जाने वाले लाइसेंस की अवधि भी पांच साल से घटाकर दो साल की जा सकती है। इसी तरह से होमस्टे के रजिस्ट्रेशन और नवीनीकरण शुल्क में बढ़ोतरी पर विचार किया जा रहा है। इस बैठक में लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह, ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह व नगर एवं ग्राम नियोजन मंत्री राजेश धर्माणी, पर्यटन विकास निगम के चेयरमैन रघुवीर सिंह बाली ने भी अपने सुझाव रखे। इस बैठक में पर्यटन एवं नागरिक उड्डयन विभाग की निदेशक मानसी सहाय ठाकुर उपस्थित रहीं। बता दें कि सरकार के ध्यान में धारा-118 की अवहेलना कर खोले गए होमस्टे को लेकर शिकायतें मिली हैं। हिमाचल प्रदेश में बेरोजगार युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में विकल्प के तौर पर होमस्टे खोलने की योजना शुरू की गई थी। ग्रामीण क्षेत्रों में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए साल 2008 में होमस्टे, बेड एंड ब्रेकफास्ट इकाइयां खोले जाने की योजना लागू की गई थी। इसके बाद कुल्लू, लाहौल-स्पीति व शिमला में बड़ी संख्या में होमस्टे खुले हैं। प्रदेश भर में कुल 4289 होम स्टे हैं, जिसमें कुल 17,222 कमरे हैं। इनकी बेड कैपेसिटी 26,727 है। वर्तमान में सबसे अधिक होमस्टे कुल्लू में हैं। यहां 1040 होमस्टे चल रहे हैं। इसके बाद दूसरे नंबर पर शिमला में 805 होमस्टे हैं। इसी तरह से लाहौल-स्पीति में 718 होमस्टे हैं। प्रदेश के सबसे बड़े जिला कांगड़ा में होमस्टे की संख्या 431 है। सोलन में कुल 328 होमस्टे स्थापित हो चुके हैं। चंबा में 322, मंडी में 241, किन्नौर में 202, सिरमौर में 123, बिलासपुर में 44, ऊना में 18 और हमीरपुर में होमस्टे की संख्या 17 है। हिमाचल के प्रमुख पर्यटन स्थलों पर बाहरी राज्यों के बहुत से लोगों ने सरकार से धारा-118 के तहत रिहायशी मकानों की अनुमति लेकर होमस्टे खोल दिए हैं।
भाजपा युवा नेता आश्रय शर्मा ने आज जारी बयान में कहा कि लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह हिमाचल की सीमा से बाहर जाते और वापिस हिमाचल आते समय अपने ही बयानों से पलट जाते हैं। उन्होंने कहा कि आज जिस तरह से उन्होंने देश के प्रधानमंत्री और गृह मंत्री को लेकर बयान दिया कि हिमाचल की जनता ने उन्हें जवाब दिया है, वो शायद यह भूल गए हैं कि हिमाचल की और विशेषकर मंडी लोकसभा क्षेत्र की जनता ने उन्हें अपने जनादेश देकर नकार दिया है। आश्रय ने कहा कि जब लोक निर्माण मंत्री कुछ मांगने दिल्ली जाते हैं तो भाजपा के केंद्रीय मंत्रियों की तारीफ करते हैं और वापिस आते ही उनको देश के प्रधानमंत्री और केंद्रीय मंत्रियों में कमियां दिखाई देने लगती हैं, जिससे उनके पूर्व बयानों का वह स्वयं ही कटाक्ष कर देते हैं। आश्रय ने कहा कि वह उनको याद दिलाना चाहते हैं कि पिछले छह महीनों में वह एक बार इस्तीफा देकर फिर शाम को इस्तीफा वापिस ले चुके हैं और अगर वह इस दौरान अपने बयानों का आकलन करें तो उनमें ही विरोधाभास साफ नजर आता है। आश्रय ने कहा कि देवभूमि की जनता ने भाजपा पर पूरा विश्वास जताया है और चारों लोकसभा सीट भाजपा की झोली में डालकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व का खुलकर समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि भाजपा के विधायकों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है, जबकि कांग्रेस को 61 विधानसभा में जनता ने नकार दिया है, तो बेहतर होगा कि लोक निर्माण मंत्री जिनके अपने विधानसभा क्षेत्र में भी कांग्रेस को लोकसभा चुनाव में लीड नहीं मिल पाई, वो आत्मचिंतन करें।
**सुबह 10 बजे पहुंचना सुनिश्चित करें कांगड़ा, ऊना व चम्बा के अभ्यर्थी कारागार एवं सुधारात्मक सेवाएं विभाग हिमाचल प्रदेश में वार्डरों के पदों की भर्ती के लिए शारीरिक दक्षता परीक्षा में उत्तीर्ण हो चुके जिला कांगड़ा, ऊना व चम्बा के अभ्यर्थियों के लिए लिखित परीक्षा 28 जुलाई, 2024 (रविवार) को निर्धारित की गई है। अधीक्षक कारागार, लाला लाजपत राय जिला एवं मुक्त सुधार गृह धर्मशाला विकास भटनागर ने बताया कि जेल वार्डर की लिखित परीक्षा का केंद्र राजकीय महाविद्यालय धर्मशाला निर्धारित किया गया है। उन्होंने बताया कि 28 जुलाई दोपहर 12 बजे से लिखित परीक्षा प्रारंभ हो जाएगी। बकौल अधीक्षक कारागार, लिखित परीक्षा में भाग लेने वाले अभ्यर्थी परीक्षा शुरू होने से दो घण्टे पूर्व (प्रातः 10 बजे) निर्धारित परीक्षा केंद्र में पहुंचना सुनिश्चित करें। अभ्यर्थी जेल वार्डर की लिखित परीक्षा के लिए प्रवेश पत्र (एडमिट कार्ड) कारागार विभाग की वेबसाइट एचपीपीआरआईएसओएनएस डॉट एनआईसी डॉट आईएन या अपनी पंजीकृत ई-मेल से दिनांक 23 जुलाई, 2024 के बाद डाउनलोड कर सकते हैं। परीक्षा केंद्र में प्रवेश के लिए चयन बोर्ड द्वारा यही प्रवेश पत्र मान्य होगा। उन्होंने बताया कि लिखित परीक्षा में भाग लेने वाले अभ्यर्थी अपने साथ काला व नीला बॉल पेन तथा कार्डबोर्ड लेकर आएं।
हिमाचल में दूध खरीद मूल्य बढ़ने का असर अब धरातल पर दिखने लगा है। महिलाएं घर में खेती बाड़ी के काम में पुरुषों का सहयोग करने के साथ दुग्ध कारोबार से जुड़ कर आर्थिक तौर पर भी आत्मनिर्भर हो रही हैं। इसका बड़ा उदाहरण प्रदेश में 1148 ग्राम दुग्ध सहकारी समितियां हैं, जिनके कुल सदस्यों की संख्या 47,905 हैं। इनमें अकेले महिलाओं की संख्या 19,388 तक पहुंच गई है। प्रदेश सरकार ने दूध कारोबार को ऊंचाई देने के लिए राज्य में 11 दुग्ध संयंत्र और 116 बल्क मिल्क कूलर भी स्थापित किए हैं। हिमाचल प्रदेश के ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में दुग्ध उत्पादन से जुड़ी गतिविधियों की महत्वपूर्ण भूमिका है, जिसे बढ़ावा देने के लिए सरकार ने दूध के खरीद मूल्य में एक मुश्त भारी बढ़ोतरी की है। प्रदेश में गाय के दूध का खरीद मूल्य 45 रुपए और भैंस के दूध का न्यूनतम समर्थन मूल्य 55 रुपए प्रति लीटर तय किया गया है, जिसके बाद ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं की पशुपालन में रुचि बढ़ी है। प्रदेश में पशुपालन से जुड़ी महिला घर द्वार पर दूध बेच कर हर महीने औसतन 12 हजार से 15 हजार की कमाई कर रही हैं। इसके अलावा महिलाएं कृषि और बागवानी के क्षेत्र में भी पुरुषों का सहयोग कर रही हैं। प्रदेश सरकार दुग्ध प्रसंस्करण और इसकी गुणवत्ता पर भी विशेष ध्यान दे रही है, जिसके लिए प्रदेश में दुग्ध संयंत्रों का भी चरणबद्ध तरीके से उन्नयन किया जा रहा है। हिम-गंगा योजना के तहत जिला कांगड़ा स्थित ढगवार में 250 करोड़ रुपये की लागत से विश्व स्तरीय दुग्ध प्रसंस्करण संयंत्र स्थापित किया जा रहा है। इस संयंत्र की क्षमता को बढ़ाकर 3 लाख लीटर प्रतिदिन करने की योजना है। इस संयंत्र में अत्याधुनिक तकनीक से दूध का पाउडर बनाया जाएगा, जिसमें मांग से अधिक दूध को लंबे समय तक संरक्षित किया जा सकेगा। इसके अतिरिक्त दही, खोया, घी, आइसक्रीम, फ्लेवर्ड मिल्क, पनीर और अन्य उत्पाद भी तैयार किए जाएंगे। इस संयंत्र में अल्ट्रा हीट तकनीक से पैकिंग की सुविधा भी उपलब्ध करवाई जाएगी। प्रदेश में दूध कारोबार को उद्योग के तौर पर स्थापित करने के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है। इसके लिए स्थानीय युवाओं को किसानों व एकत्रीकरण केंद्रों से दूध प्रसंस्करण संयंत्रों तक दूध ले जाने के लिए 200 रेफ्रिजरेटर मिल्क वैन उपलब्ध करवाने के लिए बजट में प्रावधान किया गया है। राज्य सरकार ने दुग्ध संयंत्र कुल्लू, हमीरपुर, नाहन और दुग्ध संयंत्र ऊना की क्षमता 20-20 हजार लीटर करने की योजना भी बनाई है। दुग्ध विपणन प्रक्रिया और इसके परिवहन का युक्तिकरण भी किया जा रहा है। दुग्ध उत्पादन समितियों के पंजीकरण कार्य में तेजी लाई है, इसके लिए समितियों को हर संभव सहयोग प्रदान किया जा रहा है। वहीं मिल्कफेड के ट्रेडमार्क ‘हिम’ का केंद्र सरकार से पंजीकरण करवाया गया है। प्रदेश मिल्कफेड की ओर से राज्य में 102 ऑटोमेटिक मिल्क कलेक्शन यूनिट स्थापित किए गए हैं और दूर-दराज के क्षेत्रों में गुणवत्तापूर्ण दूध एकत्र करने के लिए 320 लीटर क्षमता के 55 मिल्क कूलर छोटी समितियों को उपलब्ध करवाए गए हैं।
हिमाचल प्रदेश में रोजगार का सपना देख रहे युवाओं के लिए सुनहरा अवसर है। सरदार पटेल विश्वविद्यालय में गेस्ट टीचर के लिए साक्षात्कार आयोजित किए जा रहे है। यह साक्षात्कार 23 जुलाई से सरदार पटेल विश्वविद्यालय में ही होंगे। एसपीयू में 35 गेस्ट टीचर्स की भर्ती की जानी है। ऐसे युवा जिन्होंने पीएचडी या नेट क्वालीफाई किया है, वह इन पदों के लिए एलिजिबल होंगे। चयनित होने पर इन युवाओं को 35 हजार रुपए मासिक वेतन दिया जाएगा। उम्मीदवारों का चयन वॉक इन इंटरव्यू के माध्यम से होगा। एसपीयू ने पीएचडी और नेट पास युवाओं के लिए 23, 24 और 25 जुलाई को वॉक इन इंटरव्यू रखे हैं। साक्षात्कार प्रो. कुलपति कार्यालय में होंगे। यूनिवर्सिटी में फिजिक्स, केमिस्ट्री, मैथ, अंग्रेजी, योग, ईवीएस, इंडस्ट्रियल केमिस्ट्री, कंप्यूटर साइंस, बॉटनी, जूलॉजी, पर्यावरण विज्ञान मैनेजमेंट, हिस्ट्री और पब्लिक में इन टीचर्स की भर्ती होगी। 23 जुलाई को सुबह 11 बजे केमिस्ट्री, मैथ, अंग्रेजी और योग, ईवीएस गेस्ट फैकल्टी के इंटरव्यू होंगे। 12 बजे केमिस्ट्री, 1 बजे इंडस्ट्रियल केमिस्ट्री और 3 बजे कंप्यूटर साइंस गेस्ट फैकल्टी के लिए इंटरव्यू होगा। 24 जुलाई को सुबह 11 बजे बॉटनी, 12 बजे जूलॉजी, 1 बजे एनवायर्नमेंटल साइंस गेस्ट फैकल्टी के लिए इंटरव्यू होगा। 25 जुलाई को सुबह 11 बजे मैनेजमेंट, 12 बजे की इतिहास और एक बजे पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन के लिए इंटरव्यू में लिया जाएगा। उम्मीदवारों को अपने आवेदन पत्र के साथ मार्कशीट, प्रमाण पत्र, डिग्री और अन्य दस्तावेजों लाने होंगे। गेस्ट टीचर की नियुक्ति पूरी तरह से अस्थायी आधार और एक सुख सेमेस्टर के लिए है। यहां इन्हें किसी भी स्तर पर नियमितीकण, स्थायी पद नहीं दिया जाएगा।
हिमाचल प्रदेश में इस बार मानसून भले ही 27 जून को दस्तक दे दी हो, लेकिन राज्य में मानसून सीजन में बारिश उम्मीद से काफी कम हुई है। प्रदेश में कम हुई बारिश को देखते हुए मानसून को कमजोर माना जा रहा है। इस मानसून सीजन में 1 जून से अब तक 43 प्रतिशत कम बारिश हुई है। 27 जून को हिमाचल प्रदेश में पहुंचे दक्षिण-पश्चिम मानसून के कमजोर और अनिश्चित बने रहने के कारण अब तक प्रदेश में 43 फीसदी कम बारिश हुई है। मौसम विभाग के अनुसार हिमाचल प्रदेश में 1 जून से 21 जुलाई के बीच सामान्य बारिश 266.4 मिमी की के मुकाबले सिर्फ 151.6 मिमी ही बारिश हुई। प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में भारी बारिश के बावजूद, राज्य के सभी 12 जिलों में बारिश की कमी दर्ज की गई। जुलाई माह में 21 जुलाई रविवार तक प्रदेश में 36 प्रतिशत बारिश में कमी दर्ज की गई है, जिसमें प्रदेश भर में 165.3 मिमी बारिश के मुकाबले महज 105.1 मिमी बारिश हुई है। मौसम विभाग शिमला कार्यालय ने प्रदेश में भारी बारिश की आशंका को देखते हुए सोमवार और मंगलवार के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। मौसम विभाग के अनुसार सोमवार और मंगलवार को राज्य के अलग-अलग स्थानों पर भारी से बहुत भारी बारिश, आंधी और बिजली गिरने की चेतावनी दी गई। मौसम विभाग के अनुसार राज्य में अगले 2 से 3 दिनों में मानसून की गतिविधि बढ़ने की संभावना है। इस दौरान प्रदेश में मध्यम तीव्रता की व्यापक वर्षा हो सकती है। मौसम विभाग के अनुसार इस सोमवार और मंगलवार को बिलासपुर, हमीरपुर, कांगड़ा, मंडी, शिमला, चंबा, कुल्लू, सोलन और सिरमौर में अलग-अलग स्थानों पर भारी से बहुत भारी बारिश होने की आशंका है। मौसम विभाग ने स्थानीय लोगों और बागवानों को बागवानी और खड़ी फसलों के नुकसान होने, कमजोर संरचनाओं को आंशिक नुकसान, तेज हवाओं के कारण कच्चे घरों और झोपड़ियों को नुकसान होने की आशंका जताई है। वहीं, मौसम के पूर्वानुमान को देखते हुए यातायात में व्यवधान और निचले इलाकों में जलभराव को लेकर लोगों को आगाह किया गया है। हिमाचल प्रदेश में 27 जून को मानसून के एंट्री से लेकर अब तक बारिश से जुड़ी घटनाओं में 40 लोगों की मौ*त हो चुकी है। राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र के अनुसार बारिश के कारण राज्य को 329 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।
हिमाचल में आज सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू की धर्मपत्नी कमलेश ठाकुर सहित तीन नवनिर्वाचित विधायक आज शपथ लेंगे। विधानसभा में नवनिर्वाचित विधायकों का शपथ ग्रहण समारोह रखा गया है। सीएम की पत्नी कमलेश ठाकुर देहरा से चुनाव जीती हैं। इसी तरह से नालागढ़ विधानसभा सीट से हरदीप सिंह चुनाव जीतकर पहली बार विधायक बने हैं। हमीरपुर विधानसभा सीट पर आशीष शर्मा भाजपा टिकट पर चुनाव जीतने के बाद दूसरी बार विधायक पद की शपथ लेंगे। ऐसे में अब विधानसभा सदस्यों की संख्या 68 हो जाएगी। हिमाचल विधानसभा में अब सदस्यों की संख्या 68 हो जाएगी। इसमें कांग्रेस विधायकों की संख्या 40 होगी। प्रदेश में 27 फरवरी को घटे राजनीतक घटनाक्रम से पहले भी कांग्रेस विधायकों की संख्या 40 थी। इसी तरह से भाजपा विधायकों की संख्या अब बढ़कर 28 तक पहुंच गई है। पहले यही संख्या 25 थी। वहीं, अब विधानसभा में एक भी निर्दलीय विधायक नजर नहीं आएगा। इससे पहले तीन निर्दलीय विधायक चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे थे, लेकिन तीनों निर्दलीय विधायकों ने 22 मार्च को अपने पदों से इस्तीफा दे दिया था और भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली थी, जिसे विधानसभा अध्यक्ष ने 3 जून को स्वीकार किया। ऐसे में खाली हुए तीन विधानसभा क्षेत्रों देहरा, नालागढ़ व हमीरपुर में 10 जुलाई को मतदान हुआ, जिसमें देहरा से कांग्रेस के टिकट पर कमलेश ठाकुर और नालागढ़ से कांग्रेस प्रत्याशी हरदीप सिंह बावा ने चुनाव जीता। वहीं, हमीरपुर सीट पर भाजपा प्रत्याशी आशीष शर्मा चुनाव जीतकर दूसरी बार विधायक बने हैं। हिमाचल विधानसभा के सदन में अब इतिहास बनने जा रहा है। वह ऐसे कि इस बार विधानसभा में पहली बार पति और पत्नी की जोड़ी एक साथ नजर आएगी। सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू नादौन से और उनकी धर्म पत्नी कमलेश ठाकुर देहरा से उपचुनाव जीतकर पहली विधायक बनी हैं। ये जोड़ी अब मानसून सत्र में विधानसभा के एक साथ नजर आएगी। इससे पहले सदन में पिता-पुत्र पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह और उनके बेटे विक्रमादित्य सिंह की जोड़ी नजर आ चुकी है। जो वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव के बाद सदन में एक साथ दिखे थे। हिमाचल विधानसभा में एक और इतिहास बन गया है। यहां पहली बार ऐसा हुआ है कि पांच साल के कार्यकाल के लिए चुने गए तीन विधायक अलग अलग पार्टी चिन्ह पर चुनाव जीतने के बाद दूसरी बार विधायक विधायक बने हैं। इसमें धर्मशाला से वर्ष 2022 में कांग्रेस टिकट पर सुधीर शर्मा चुनाव जीतकर विधायक बने थे और अब 2024 के उपचुनाव में भाजपा के टिकट पर चुनाव जीतने के बाद फिर से विधायक बने हैं। इसी तरह से बड़सर से इंद्रदत्त लखनपाल 2022 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी के चुनाव चिन्ह पर विधायक बने थे, अब 2024 के उपचुनाव में भाजपा टिकट पर चुनाव जीत कर फिर से विधायक बन गए हैं। इन दोनों ही विधायकों को शपथ दिलाई जा चुकी है। वहीं हमीरपुर सीट से आशीष शर्मा वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में पहली बार निर्दलीय चुनाव लड़े और पहली बार विधायक बने थे। अब 2024 के उपचुनाव में भाजपा के टिकट पर चुनाव जीतकर फिर से विधायक बने हैं, जो आज विधायक पद की शपथ लेंगे।
**प्रदेश में 22 और 23 जुलाई को कुछ जिलों में भारी बारिश का ऑरेंज अलर्ट **अगस्त में मानसून के रफ्तार पकड़ने की संभावना प्रदेश में बरसात की गति धीमी बनी हुई है। बरसात में अभी तक सामान्य से 40 फीसदी तक कम बादल बरसे हैं मौसम विभाग ने अगले तीन से चार दिनों के दौरान बरसात में बढ़ोतरी के आसार जताए हैं और 22 और 23 जुलाई को कुछ जिलों में कुछ स्थानों पर भारी बारिश का ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। उसके बाद जुलाई के अंत तक मानसून में कमी देखने को मिलेगी मौसम विभाग के अनुसार अगस्त माह की शुरुआत में मॉनसून के रफ्तार पकड़ने की उम्मीद है। मौसम विज्ञान केंद्र शिमला के निदेशक सुरेंद्र पॉल ने बताया कि अगले तीन से चार दिनों तक प्रदेश में वर्षा में तेजी आने की संभावना है इसके लिए विभाग ने अलर्ट जारी किए हैं। उन्होंने बताया के प्रदेश के चार जिला शिमला, मंडी, कांगड़ा और बिलासपुर मे सामान्य के आसपास वर्षा हुई है जबकि बाकी क्षेत्रों में बारिश सामान्य से कम दर्ज की गई है। सबसे कम बारिश लाहौल स्पीति, सिरमौर, सोलन और ऊना मे हुई है। उन्होंने कहा कि जुलाई माह में मानसून कम ही असरदार रहेगा जबकि अगस्त माह की शुरुआत में मानसून के रफ्तार पकड़ने की उम्मीद है। पश्चिमी विक्षोभ के कमजोर पड़ने और बंगाल की खाड़ी से आने वाली हवाओं में इस बार कमी पाई गई है जिसके चलते पहाड़ों में बारिश कम हो रही है।
**मानसून में अब तक 186 करोड़ का हुआ नुकसान, 31 लोगों की हुई मौ*त हिमाचल प्रदेश में 27 जून को मानसून की एंट्री हुई थी। मौसम विभाग द्वारा प्रदेश में सामान्य से ज्यादा बारिश होने की संभावना जताई थी, मगर प्रदेश में अभी भी ज्यादातर हिस्सों में बारिश सामान्य से भी कम रही है। मौसम विभाग शिमला द्वारा तीन दिनों तक बारिश को लेकर अलर्ट जारी किया गया है। बुधवार को भी प्रदेश के कई हिस्सों में रुक-रुक कर बारिश का दौर जारी रहा। मौसम विभाग ने प्रदेश में 23 जुलाई तक बारिश को लेकर संभावना जताई है। 18, 19 और 20 जुलाई को हिमाचल में बारिश को लेकर येलो अलर्ट जारी किया गया है। हालांकि प्रदेश के अधिकतर हिस्से में बारिश की कमी दर्ज की जा रही है, जिसका सीधा असर कृषि और बागवानी पर पड़ रहा है। वहीं, कई जगहों पर मानसून तबाही बन कर बरसा है। मौसम विभाग ने आगामी दो दिनों के लिए प्रदेश में बारिश से बागानों, बागवानी और खड़ी फसलों को नुकसान, कमजोर संरचनाओं को आंशिक नुकसान, तेज हवाओं और बारिश के कारण कच्चे घरों और झोपड़ियों को मामूली नुकसान की आशंका जाहिर की है। इसके साथ ही ट्रैफिक जाम की समस्या, निचले इलाकों में पानी भरने को लेकर भी चेतावनी जारी की है। राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र के मुताबिक 27 जून को मानसून की एंट्री से लेकर 17 जुलाई तक प्रदेश को बरसात से 186 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है, जबकि बारिश से संबंधित घटनाओं में 31 लोगों की अब तक मौ*त हो गई है।
हिमाचल प्रदेश में विद्यार्थियों की कम संख्या वाले स्कूल मर्ज करने के फैसले से जेबीटी नियुक्तियां लटक गई हैं। बीते दिनों 1161 नवनियुक्त शिक्षकों को आवंटित किए गए स्कूल बदलने को प्रारंभिक शिक्षा विभाग ने सरकार से मंजूरी मांगी है। पांच विद्यार्थियों की संख्या वाले करीब 700 स्कूल प्रदेश में मर्ज किए जाने हैं। कुछ जिलों में बैचवाइज आधार पर चुने शिक्षकों की सूची जारी हो चुकी है। इन सूचियों में ऐसे स्कूलों में भी जेबीटी शिक्षकों को नियुक्तियां दे दी गई हैं, जिन्हें आने वाले दिनों में विद्यार्थियों की कम संख्या के चलते मर्ज किया जाना है। ऐसे में शिक्षा विभाग ने आगामी फैसला होने तक अन्य जिलों में बैचवाइज भर्तियों का परिणाम जारी करने पर रोक लगा दी है। शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने बताया कि बीते दिनों तैयार की गई नियुक्तियों की सूची को अब नए सिरे से बनाया जाएगा। देखा जा रहा है कि जिन स्कूलों में नियुक्तियां की गई हैं वहां कितने विद्यार्थी पंजीकृत हैं। इन स्कूलों में कितने शिक्षक पहले से नियुक्त हैं। इस जानकारी को जुटाने के बाद बैचवाइज आधार पर चुने गए शिक्षकों को आवंटित किए जाने वाले स्कूलों में फेरबदल किया जाएगा। ऐसे में जेबीटी की नियुक्तियां होने में अभी कुछ और समय लग सकता है। शिक्षा विभाग मुख्यमंत्री सेंटर ऑफ एक्सीलेंस स्कूलों में भी शिक्षकों की नियुक्ति करने जा रहा है। इन स्कूलों में नए जेबीटी शिक्षक तैनात किए जाएंगे या फिर वरिष्ठ शिक्षकों को बदला जाता है इस पर फैसला किया जाएगा। प्रारंभिक शिक्षा निदेशक आशीष कोहली ने बताया कि जेबीटी शिक्षकों को नियुक्ति देने की फाइल सरकार की मंजूरी के लिए भेजी गई है। जल्द ही नियुक्ति आदेश जारी कर दिए जाएंगे।
प्रदेशभर में पिछले तीन दिनों से लोगों के हिमाचली प्रमाण पत्र, आय प्रमाण पत्र, कृषक प्रमाण पत्र और ईडब्लूएस सहित कई प्रमाण पत्र ऑनलाइन नहीं बन पा रहे जिसके कारण जनता को सरकारी दफ्तरों में भटकना पड़ रहा है। ये ही नहीं लोगों के अब ऑनलाइन अपडेट होने वाले इंतकाल और लोन से संबंधित कार्य भी नहीं हो रहे है। वहीं, तहसीलदार और एसडीएम की ओर से लोगों की सुविधा के लिए बनाए गए व्हाट्सएप ग्रुप्स से भी पटवारी और कानूनगो एग्जिट हो गए है। इन सभी असुविधाओं के पीछे कारण है पटवारियों और कानूनगो की सरकार से नाराजगी दरसअल राजस्व विभाग में कार्यरत पटवारियों और कानूनगो को स्टेट कैडर का दर्जा दिए जाने के फैसले से ग्रामीण राजस्व विभाग के अधिकारी सुक्खू सरकार के खिलाफ भड़क गए हैं. इसी नाराज़गी के चलते हिमाचल प्रदेश संयुक्त ग्रामीण राजस्व अधिकारी एवं कानूनगो महासंघ ने 15 जुलाई से प्रदेश भर में लोगों को ऑनलाइन सेवाएं देने की सुविधा बंद कर दी है। नाराज़गी सरकार से है और जनता को इसका खामियाज़ा भुगतना पड़ रहा है। बता दें कि ये पहली बार नहीं है जब सरकार ने ये फैसला लिया हो। पिछले साल 18 नवंबर को भी ये अधिसूचना जारी की गई थी, लेकिन उसी दिन देर शाम तक हिमाचल प्रदेश संयुक्त पटवारी एवं कानूनगो महासंघ के विरोध के बाद सरकार ने फैसला वापस ले लिया थ। लेकिन अब सरकार ने फिर से पटवारी और कानूनगो स्टेट कैडर का दर्जा दे दिया है। बता दें कि ऑनलाइन सुविधा बंद किए जाने से महिलाएं 1500 मासिक पेंशन लेने के लिए फॉर्म जमा नहीं कर पा रही है क्यूंकि इसके लिए हिमाचली प्रमाण पत्र होना अनिवार्य है। इस सबसे जनता परेशान है मगर सरकार सुध नहीं ले रही। वहीँ हिमाचल प्रदेश संयुक्त पटवारी एवं कानूनगो महासंघ के अध्यक्ष सतीश चौधरी का कहना है कि स्टेट कैडर के फैसले को वापस नहीं लिए जाने तक विरोध जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि आज प्रदेश महासंघ की बैठक में आगामी रणनीति भी तैयार की जाएगी।
प्रारंभिक शिक्षा विभाग ने 1029 टीजीटी को स्कूलों में नियुक्ति दे दी है। विभाग के निदेशक की ओर से इसके आदेश जारी कर दिए गए हैं। नवनियुक्त शिक्षकों को 10 दिन में स्कूलों में सभी औपचारिकताएं पूरी कर ज्वाइन करने के निर्देश दिए हैं। विभाग ने नवनियुक्त शिक्षकों की डाईट में 15 दिन की इंडक्शन ट्रेनिंग को लेकर भी शैड्यूल जारी कर दिया है। इस दौरान टीजीटी आर्ट्स में 416, टीजीटी नॉन-मेडिकल में 300, टीजीटी मेडिकल में 170, स्पोर्ट्स कोटा में 48, वाइफ ऑफ एक्स-सर्विसमैन मेडिकल में 20 और वाइफ ऑफ एक्स-सर्विसमैन नॉन-मेडिकल में 19 और एक्स-सर्विसमैन कोटा में 56 को नियुक्ति दी गई है। शिक्षकों को ज्वाइन करने के बाद शैड्यूल के तहत एलोट किए गए डाईट सैंटर में रिपोर्ट करने को कहा गया है। इस दौरान एक सैंटर को 2 से 3 जिले दिए गए हैं। ट्रेनिंग लेने के बाद ही शिक्षक स्कूलों में छात्रों को पढ़ाएंगे। इस दौरान छात्र संख्या को देखकर शिक्षकों को स्कूलों में तैनाती दी गई है। अधिकतर नवनियुक्त शिक्षकों को दूरदराज के क्षेत्रों के स्कूलों में तैनात किया गया है। बता दें कि इसके लिए बीते नवम्बर महीने में काऊंसलिंग की गई थी और अब जाकर इसका रिजल्ट घोषित किया गया है।
हिमाचल प्रदेश में पटवारियों व कानूनगो का विरोध जारी रहा हैं। इससे लोगों को विशेषकर प्रमाण पत्र बनाने वालों को परेशानी का सामना करना पड़ा। प्रदेश के उन सभी उपमंडल क्षेत्रों में पटवारियों ने संबंधित उपायुक्त व एसडीएम के माध्यम से सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू को ज्ञापन सौंपा। राजधानी शिमला में संयुक्त पटवारी एवं कानूनगो महासंघ जिला शिमला के बैनर तले पटवारियाें व कानूनगो ने जिला शिमला अध्यक्ष चमन ठाकुर की अध्यक्षता में पहले डीसी शिमला अनुपम कश्यप तथा बाद में एसडीएम ग्रामीण को ज्ञापन सौंपा। अपने ज्ञापन में पटवारियों व कानूनगो ने प्रदेश सरकार के उस निर्णय का विरोध किया है, जिसमें पटवारियों व कानूनगो के जिला काडर को स्टेट काडर बनाया गया है। महासंघ के जिला अध्यक्ष चमन ठाकुर ने कहा कि इस निर्णय से कई तरह की परेशानियां खड़ी होंगी। ऐसे में प्रदेश सरकार अपने इस निर्णय पर पुनर्विचार करे तथा इसे वापस ले। राज्य सरकार द्वारा जिला काडर को स्टेट काडर बनाने के विरोध में उतरे पटवारी व कानूनगो बुधवार यानी 17 जुलाई कुल्लू में रणनीति बनाएंगे। संयुक्त पटवारी एवं कानूनगो महासंघ की बैठक कुल्लू में होगी। इस बैठक में यह निर्णय लिया जाएगा कि भविष्य में किस तरह से विरोध किया जाए, जिससे सरकार पर दबाव डाला जा सके। इसके तहत पटवारी व कानूनगो पैन डाऊन स्ट्राइक भी कर सकते हैं।
**बसों में ई-टिकटिंग मशीनों की सुविधा बन रही हैं सिरदर्द हिमाचल में पथ परिवहन निगम की बसों में ई-टिकटिंग मशीनों की सुविधा सिरदर्द बनती जा रही है। बीते तीन दिनों से यात्रियों को कार्ड के अलावा ऑनलाइन भुगतान की सुविधा नहीं मिल पा रही है। इससे मजबूरी में यात्रियों को नकदी देकर ही यात्रा करनी पड़ रही है। ऐसा पहली बार हुआ है कि प्रदेशभर में ही ई-टिकटिंग का सर्वर बंद हो गया है। निगम की ओर से ई-टिकटिंग मशीनें यात्रियों की सुविधा के लिए बसों में परिचालकों को दी गई हैं, लेकिन तीन दिन से सर्वर न चल पाने से टिकट ही जनरेट नहीं हो पा रहे हैं। इस कारण यात्री गुगल-पे, फोन-पे या अन्य एप से पेमेंट की सुविधा नहीं ले पा रहे हैं। यदि कोई यात्री स्कैन कर पैसे अदा भी कर रहा है तो भी उसे टिकट नहीं मिल पा रहा है। स्कैन से भुगतान करने के बाद यात्रियों के पास पैसे तो कट जाते हैं, लेकिन मशीन में भुगतान अपडेट नहीं हो रहा है। ऐसे में टिकट जनरेट नहीं हो पा रहा है। इससे परिचालक भी परेशान हो रहे हैं। निगम ने परिचालकों को कार्ड के अलावा ऑनलाइन भुगतान लेने से आगामी दिनों तक मना कर दिया है ताकि लड़ाई-झगड़े जैसी स्थिति न बने। बीते कुछ दिनों से पथ परिवहन निगम ने बसों में ऑनलाइन टिकट मशीन की सुविधा शुरू कर दी है। इससे यात्री ऑनलाइन माध्यम से भुगतान कर बसों में टिकट ले पा रहे थे। ऑनलाइन पेमेंट से यात्रियों को खुले रुपयों को लेकर भी परेशान नहीं होना पड़ रहा था। इन दिनों फिर से बसों में ऑनलाइन भुगतान जी-का-जंजाल बन गया है। ऑनलाइन भुगतान के बाद टिकट न मिलने पर यात्री परिचालकों से उलझ भी रहे हैं।ऑनलाइन टिकट जनरेट करने के लिए सर्वर में कुछ तकनीकी खराबी आई है। समस्या का निदान करने में टीम लगी हुई है। जल्द सुविधा का लाभ यात्रियों को मिलने लगेगा।
** कृषि के लिहाज से यह बारिश किसी वरदान से कम नहीं हिमाचल प्रदेश के कई भागों में चार दिन भारी बारिश का अलर्ट जारी किया गया है। शिमला में भी आज सुबह से धुंध छाई हुई है। वहीं ऊना में दोपहर करीब 12:00 बजे झमाझम बारिश हुई। बारिश से मौसम सुहावना हो गया और लोगों को भीषण गर्मी से राहत मिली। बुधवार सुबह भारी उमस के बीच जनजीवन प्रभावित रहा। लेकिन दोपहर होते ही बारिश शुरू हुई, जिससे करीब 15 दिन का सूखा खत्म हुआ। लोगों ने भी बाहर निकलकर कई दिन बाद हुई बारिश का आनंद लिया। वहीं कृषि के लिहाज से भी यह बारिश किसी वरदान के कम नहीं मानी जा रही। गैर सिंचित इलाकों में मक्की की बिजाई के बाद से बारिश नहीं हुई। बुधवार को बारिश होने से फसलों की वृद्धि में भी तेजी आएगी। मौसम विज्ञान केंद्र शिमला की ओर से प्रदेश के कई भागों में 18 से 21 जुलाई तक भारी बारिश का अलर्ट जारी किया गया है। विभाग के अनुसार राज्य के कई भागों में 23 जुलाई तक बारिश जारी रहने की संभावना है। हिमाचल ट्रैफिक टूरिस्ट रेलवे पुलिस शिमला ने बरसात में पर्यटकों को पहाड़ी क्षेत्रों में नहीं जाने की सलाह दी है। पुलिस के अनुसार बरसात के चलते कुल्लू, मनाली, रोहतांग जाने वाली सड़कों में धुंध, जगह-जगह भूस्खलन से दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।
हिमाचल प्रदेश के ऊना क्षेत्रीय अस्पताल में मरीजों की भारी भीड़ देखने को मिली। सुबह से ही पर्ची काउंटर से लेकर ओपीडी के बाहर मरीज कतारों में लगकर अपनी बारी का इंतजार करते नजर आए। अस्पताल में इन दिनों वायरल फीवर व डायरिया के मामले रोजाना सामने आ रहे हैं। डायरिया और वायरल ने ऊना को जकड़ लिया है। 100 मामले एक ही दिन में डायरिया और वायरल के सामने आए हैं। मंगलवार को अस्पताल में वायरल फीवर से ग्रस्त 80 व डायरिया से पीडि़त 20 मरीज उपचार के लिए पहुंचे। क्षेत्रीय अस्पताल में जहां औसतन रोजाना ओपीडी 400 से 500 के बीच रहती थी। अब बीते कुछ दिनों से ओपीडी 600 से अधिक रह रही है। जिले के सबसे बड़े अस्पताल में डायरिया और वायरल फीवर के अधिक मामले सामने आ रहे हैं। मंगलवार को अस्पताल में मरीजों की संख्या काफी अधिक रही। इस दौरान सबसे अधिक मरीज मेडिसन ओपीडी में सबसे अधिक मरीज उपचार के लिए पहुंचे।
**मॉनसून की बारिश अभी सामान्य से 28% कम **ज्यादातर इलाको में 4 दिन से नहीं बरसे बादल हिमाचल प्रदेश में कल से दो दिन के लिए मानसून एक्टिव हो सकता है। मौसम विभाग की माने तो 17 और 18 जुलाई को ज्यादातर भागों में बारिश का पूर्वानुमान है। प्रदेश में बीते एक सप्ताह के दौरान कुछ जगह पर हल्की बारिश हुई है। 8 से 15 जुलाई तक नॉर्मल से 84 प्रतिशत कम बादल बरसे है। इस अवधि में 58.9 मिलीमीटर नॉर्मल बारिश होती है, लेकिन इस बार 9.4 मिलीमीटर बरसात हुई। शिमला, बिलासपुर, ऊना और लाहौल स्पीति जिले में इस दौरान सबसे कम बारिश हुई है। पूरे मानसून सीजन यानि 15 जुलाई तक नॉर्मल से 37 प्रतिशत कम बादल बरसे हैं। इस अवधि में 211.5 मिलीमीटर सामान्य बारिश होती है, लेकिन इस बार 133.1 मिलीमीटर ही बादल बरसे हैं। इससे कई क्षेत्रों में बरसात में भी सूखे जैसे हालात पनपने लगे हैं। इसकी मार सेब के साथ साथ मक्का, शिमला मिर्च, टमाटर की फसल पर भी पड़ रही है। जिन क्षेत्रों में नमी नहीं है और सिंचाई की व्यवस्था नहीं है, वहां सेब का साइज नहीं बढ़ पा रहा। किसानों की फसलों पर भी सूखे की मार पड़ रही है। बारिश नहीं होने से तापमान में उछाल आ रहा है। कई जगह अधिकतम तापमान नॉर्मल से 5 डिग्री तक ज्यादा हो गया है। हमीरपुर के तापमान में नॉर्मल की तुलना में सबसे ज्यादा 4.7 डिग्री का उछाल आया है। यहां का तापमान 36.1 डिग्री सेल्सियस हो गया है। वहीं ऊना का तापमान सर्वाधिक 37.4 डिग्री सेल्सियस हो गया है। वहीं, बीते 24 घंटे के दौरान मंडी के सुंदरनगर में सबसे ज्यादा 36.8 मिलीमीटर, सिरमौर के राजगढ़ में 19 मिमी, मंडी में 16.6 मिमी, ददाहू में 15.2 मिमी, पंडोह 12 मिमी, नाहन 1.2 मिमी और सोलन में 4.4 मिमी बारिश हुई है। मौसम विभाग की माने तो 17 और 18 जुलाई को अच्छी बारिश हो सकती है, 19 व 20 को मानसून फिर कमजोर पड़ेगा। 21 जुलाई को फिर से इसके दोबारा एक्टिव होने की संभावना है।
हिमाचल प्रदेश के स्कूलों में अब विद्यार्थियों की हाजिरी अगले महीने से स्मार्ट उपस्थिति एप के जरिए लगाई जाएगी। इसके लिए स्कूली बच्चों का डाटा यू-डाइस पर अपडेट किया जा रहा है। प्रदेश में निजी स्कूलों समेत करीब 14 लाख बच्चों का डाटा इस पर अपलोड किया जाएगा, जिसमें से 9 लाख बच्चों डाटा अपडेट हो चुका है। बाकी बच्चों का डाटा भी इसी माह के अंत तक अपलोड कर दिया जाएगा। सोमवार को समग्र शिक्षा निदेशक राजेश शर्मा ने शिक्षा विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक की। बैठक की अध्यक्षता करते हुए उन्होंने कहा कि प्रदेश के सभी स्कूलों में शिक्षकों और छात्रों की स्मार्ट उपस्थिति एप पर रियल टाइम उपस्थिति सुनिश्चित कर बैठक में राजेश शर्मा ने स्कूलों में शिक्षकों और छात्रों की रियल टाइम अटेंडेंस प्रक्रिया पर फीडबैक को लेकर विद्या समीक्षा केंद्र के अधिकारियों के साथ भी एक बैठक ली। इस बैठक में उच्च शिक्षा निदेशक डाॅ. अमरजीत कुमार शर्मा, प्रारंभिक शिक्षा निदेशक आशीष कोहली, संयुक्त निदेशक उच्च शिक्षा संजीव सूद, अतिरिक्त निदेशक प्रारंभिक शिक्षा बीआर शर्मा सहित जिलों के उपनिदेशक, जिला कार्यक्रम अधिकारी, समग्र शिक्षा निदेशालय के नोडल अधिकारी भी मौजूद रहे। समग्र शिक्षा निदेशक राजेश शर्मा ने कहा कि प्रदेश में केंद्रीय शिक्षा मंत्रालयों के दिशा-निर्देशों के मुताबिक, सभी स्कूलों में शिक्षकों और छात्रों की रियल टाइम अटेंडेंस लेना जरूरी है। इसके लिए विद्या समीक्षा केंद्र ने स्मार्ट उपस्थिति मोबाइल एप को लॉन्च किया है। इसके लिए विद्या समीक्षा केंद्र ने राज्य, जिला स्तर पर डैश बोर्ड तैयार किए हैं, जिसमें स्कूलों में शिक्षकों और छात्रों की उपस्थिति का डाटा राज्य, जिला स्तर पर ऑनलाइन अधिकारी देख सकते हैं। प्रदेश में शिक्षकों की ट्रांसफर और छात्रों की माइग्रेशन का डाटा भी यू-डाइस पर अपडेट होगा। इसके लिए एमआईएस को यू-डाइस से लिंक किया जा रहा है। इससे यू-डाइस और एमआईएस डाटा के अंतर को खत्म किया जा सकेगा। एमआईएस की एक्सेस शिक्षकों के पास रहेगी। इससे वे यह भी देख पाएंगे कि यू-डाइस पर उनके स्कूलों से संबंधित डाटा कितना सही है।बैठक में विद्या समीक्षा केंद्र की ओर से बताया गया कि इन दिनों ग्रीष्म कालीन स्कूलों में छुट्टियां हैं। इस कारण पूरे प्रदेश में शिक्षकों की उपस्थिति डैश बोर्ड पर ज्यादा नहीं दिख रही। इन दिनों शीतकालीन स्कूलों में ही शिक्षक इस एप का इस्तेमाल कर अपनी हाजिरी लगा रहे हैं। विद्या समीक्षा केंद्र की ओर से पहली और दूसरी कक्षा के बच्चों के लर्निंग लेवल का मूल्यांकन संबंधी डाटा अपडेट करने के निर्देश जिला उप निदेशकों और जिला कार्यक्रम अधिकारियों को दिए। केंद्र ने निपुण प्रगति चैट बॉट लॉन्च किए थे, जिनके जरिए बच्चों की लर्निंग लेवल का ऑनलाइन मूल्यांकन किया जा रहा है। निदेशक ने कहा कि इसमें कोई तकनीकी दिक्कत आ रही है, तो विद्या समीक्षा केंद्र की ओर से इसका समाधान किया जाएगा।
**टाइडमैन सेब 800 से 1,400 रुपये पेटी बिका हिमाचल प्रदेश में आधिकारिक तौर पर सेब सीजन 15 जुलाई से शुरू हो गया। हर वर्ष इस समय तक फल मंडियों में बेहतर गुणवत्ता वाले सेब की खेप पहुंचनी शुरू हो जाती थी, लेकिन इस वर्ष अभी तक मंडी में बेहतर गुणवत्ता वाली पैदावार नहीं पहुंची है। भट्ठाकुफर फल मंडी में टाइडमैन, रेड जून और पराला फल मंडी में गाला सेब की खेप पहुंचनी शुरू हो गई है। आढ़तियों के अनुसार गत वर्ष के मुकाबले इस वर्ष सेब सीजन देरी से शुरू हो रहा है, क्योंकि सूखे की वजह से अधिकतर पैदावार प्रभावित हो गई है। इसकी वजह से फसल का आकार और रंग भी सही नहीं बन पाया है। अभी जो सेब आ रहा है उसे बागवान पूरी तरह तैयार होने से पहले ही तोड़कर मंडी में ला रहे हैं, जिसके चलते बागवानों को शुरुआत में ही फसल के बेहतर दाम नहीं मिल रहे हैं। शनिवार को भट्ठाकुफर फल मंडी में 2,986 सेब की पेटियां पहुंची, वहीं रविवार को 1,500 से 1,800 के बीच सेब की पेटियां मंडी में पहुंची। इस दौरान टाइडमैन सेब 800 से 1,400 रुपये प्रति पेटी के हिसाब से बिका। भट्ठाकुफर फल मंडी आढ़ती एसोसिएशन के प्रधान प्रताप चौहान ने बताया कि गत हफ्ते के मुकाबले इस हफ्ते मंडी में सेब की आवक में बढ़ोतरी हुई है, लेकिन गुणवत्ता अच्छी नहीं आई है। आने वाले दिनों में यदि मौसम अनुकूल रहता है तो आवक बढ़ने के साथ बागवानों को बेहतर दाम मिलेंगे। पराला फल मंडी आढ़ती एसोसिएशन के उपप्रधान सुशील ठाकुर ने बताया कि गत वर्ष 15 जुलाई से पहले सेब की स्पर किस्म मंडी में पहुंचनी शुरू हो गई थी, वहीं गाला सेब और टाइडमैन सेब भी अच्छी गुणवत्ता का आ रहा था, लेकिन इस वर्ष तो टाइडमैन ही मंडी में पहुंचा है जिसका आकार छोटा और रंग भी फीका है।
**प्रदेश के कुछेक स्थानों पर अच्छी बारिश का पूर्वानुमान हिमाचल प्रदेश में मॉनसून कमजोर पड़ गया है। मौजूदा मॉनसून सीजन में नॉर्मल से 35 प्रतिशत और बीते एक सप्ताह के दौरान 78 प्रतिशत कम बादल बरसे है। कई क्षेत्रों में मानसून सीजन में भी सूखे जैसे हालात बनने लगे हैं। आज और कल भी कुछेक क्षेत्रों में ही हल्की बारिश का पूर्वानुमान है। ज्यादातर क्षेत्रों में मौसम साफ रहेगा। मौसम विभाग के अनुसार, 7 से 14 जुलाई के बीच लाहौल स्पीति जिला में पानी की एक बूंद भी नहीं बरसी। बिलासपुर जिला में भी नॉर्मल से 80 प्रतिशत कम, चंबा में 81 प्रतिशत, हमीरपुर में 69 प्रतिशत, कांगड़ा में 79 प्रतिशत, किन्नौर में 35 प्रतिशत, कुल्लू में 72 प्रतिशत, मंडी में 58 प्रतिशत, सिरमौर में 71 प्रतिशत, सोलन में 70 प्रतिशत और ऊना जिला में भी 97 प्रतिशत कम बारिश हुई है। इस अवधि में प्रदेश में मात्र 12.6 मिलीमीटर बारिश हुई है, जबकि नॉर्मल बारिश 58.5 मिलीमीटर होती है। मानसून सीजन के दौरान 1 जून से 14 जुलाई तक प्रदेश औसत 203 मिलीमीटर नॉर्मल बारिश होती है, लेकिन इस बार 131.9 मिलीमीटर बारिश ही हुई है। मौसम विभाग की माने तो 17 और 18 जुलाई को मानसून थोड़ा एक्टिव हो सकता है। इस दौरान कुछेक स्थानों पर अच्छी बारिश का पूर्वानुमान है। इसे देखते हुए मौसम विभाग ने येलो अलर्ट जारी किया है। प्रदेश में बारिश नहीं होने के बाद तापमान में उछाल आया है। कई शहरों का पारा नॉर्मल से 5 डिग्री तक ज्यादा हो गया है।
हिमाचल प्रदेश की 5,000 करोड़ की सेब आर्थिकी को ओलों से बचाने के लिए आईआईटी मुंबई की ओर से विकसित स्वदेशी एंटी हेलगन को डॉप्लर रडार से जोड़ा जाएगा। रडार की मदद से ओलों वाले बादलों की स्टीक जानकारी मिलेगी और हेलगन का प्रभाव बढ़ेगा। शिमला जिले के मंढोल में स्थापित स्वदेशी एंटी हेलगन के तीन साल का ट्रायल पूरा होने के बाद आईआईटी मुंबई के इंजीनियरों ने निरीक्षण के बाद यह निर्णय लिया है। डीआरडीओ की पुणे लैब के वैज्ञानिक इसमें तकनीकी सहयोग देंगे। हेलगन को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से जोड़ने की भी संभावना तलाशी जाएगी। विदेशों से आयातित एंटी हेलगन की कीमत करीब डेढ़ करोड़ है जबकि आईआईटी मुंबई की ओर से विकसित स्वदेशी एंटी हेलगन की कीमत महज 31 लाख है। विदेशी हेलगन चलाने के लिए एसिटिलीन गैस इस्तेमाल होती है। यह बहुत मंहगी है और आसानी से नहीं मिलती। स्वदेशी हेलगन एलपीजी से चलती है। इसलिए इसके संचालन का खर्चा कम है। रक्षा मंत्रालय के अधीन रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की एचईएमआरएल पुणे के निदेशक डाॅ. एपी दास ने बताया कि स्वदेशी एंटी हेलगन से पर्यावरण को नुकसान की संभावना नहीं है। हेलगन से नियंत्रित तरीके से तरंगें वायुमंडल में जाती हैं। जिससे पर्यावरण को नुकसान नहीं होता। उनकी टीम ने परीक्षण के दौरान आंकड़ों का अध्ययन किया है, रिपोर्ट आईआईटी मुंबई को जल्द सौंपी जाएगी। डाॅप्लर वेदर रडार स्थापित कर सटीक आंकड़ों से इसका प्रभाव बढ़ाया जा सकता है। सरकार ओलों से बचाव करने वाली जाली पर 80 फीसदी अनुदान दे रही है। इसके स्थान पर स्वदेशी एंटी हेलगन स्थापित करने पर अनुदान दिया जाना चाहिए। इससे छोट-बड़े सभी बागवान लाभान्वित होंगे। बागवानों को बगीचों में नेट चढ़ाने-उतारने का खर्चा भी बचेगा मंढोल में स्थापित स्वदेशी एंटी हेलगन का प्रयोग सफल रहा है। सेब उत्पादक क्षेत्रों में एंटी हेलगन का ग्रिड नेटवर्क स्थापित कर सेब की फसल ओलों से बचाई जा सकती है। प्रदेश सरकार को भी इसका प्रस्ताव सौंपा जाएगा। डीआरडीओ की एचईएमआरएल लैब के साथ मिलकर डाॅप्लर रडार स्थापित कर इसका प्रभाव बढ़ाने की भी योजना है।
शक्तिपीठ ज्वालामुखी में माता ज्वाला का प्रकटोत्सव धूमधाम से मनाया जा रहा है। रविवार सुबह से ही लंबी लाइनों में श्रद्धालु दर्शनों के लिए पहुंचे। मंदिर में भजन कीर्तन, चौकी का आयोजन हो रहा है। स्थानीय लोग, पुजारी वर्ग तरह तरह के भंडारे माता ज्वाला के दरबार में लगा रहे हैं। ज्वालामुखी मंदिर गर्भ गृह को सुंगधित रंग बिरंगे पांच लाख फूलों से सजाया गया है। मंदिर में हजारों श्रद्धालु रविवार को पहुंचे और माता ज्वाला की दिव्य ज्योतियों का आशिर्वाद प्राप्त किया। मंदिर में विशेष पुलिस कर्मी तैनात किए गए, ताकि भीड़ को नियंत्रित किया जा सके। शनिवार देर रात भी श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के चलते मंदिर रात 11 बजे बंद किया गया। मंदिर पुजारी व न्यास सदस्य अविनेद्र शर्मा ने बताया कि सोमवार को गुप्त नवरात्र का समापन होगा और विशाल यज्ञ व पूर्णाहुति का आयोजन किया जाएगा और इसी दिन विशाल भंडारे का आयोजन किया जाएगा। माता ज्वाला के जन्मदिवस के उपलक्ष्य पर मंदिर में पुजारी वर्ग द्वारा विशेष देसी घी के हलवे के प्रसाद का वितरण किया जा रहा है। वहीं, देवी भागवत कथा का भी समापन पूर्णाहुति के साथ सिंवर नवमी को किया जाएगा। उन्होंने बताया माता ज्वाला का प्रकटोत्सव धूमधाम से मनाया जा रहा है और मंदिर प्रसाशन की तरफ से श्रद्धालुओं के लिए माता के दर्शनों के लिए विशेष प्रबंध किए गए हैं। माता ज्वाला सभी भक्तों को आशीर्वाद दे और सभी की अभीष्ट मनोकामनाओं को पूर्ण करें। वर्ष में प्रकटोत्सव का यह सबसे बड़ा व महत्वपूर्ण दिन होता है। इस उपलक्ष्य पर हजारों की संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंच रहे हैं।
शिमला: हिमाचल में बाहरी राज्यों के लोगों की ओर से धारा 118 की मंजूरी लेकर खोले गए होम स्टे को बंद करने पर सरकार आने वाले दिनों में बड़ा फैसला ले सकती है। प्रदेश में बेरोजगार युवाओं के लिए सरकार ने विकल्प के तौर पर स्टे खोलने की योजना शुरू की थी, लेकिन हिमाचल के प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों पर बाहरी राज्यों के बहुत से लोगों ने सरकार से अनुमति लेकर धारा 118 के नियमों का दुरुपयोग कर होम स्टे खोल दिए हैं। शिमला में हिमाचल प्रदेश होमस्टे नियम-2024 का प्रस्ताव तैयार करने के लिए गठित मंत्रिमंडलीय उप-समिति की बैठक उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान की अध्यक्षता में आयोजित हुई। जिसमें इस तरह कड़े फैसले लिए जाने को लेकर चर्चा की गई। जिस पर अब अगली बैठक में अंतिम निर्णय होना है। प्रदेश में बिना पंजीकरण चल रहे होम स्टे और बीएंडबी को बंद करने पर भी चर्चा हुई। उप-समिति के सदस्य ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह, लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह और नगर एवं ग्राम नियोजन मंत्री राजेश धर्माणी ने प्रस्तावित प्रारूप तैयार करने के लिए भी बहुमूल्य सुझाव दिए। इस दौरान पर्यटन एवं नागरिक उड्डयन विभाग प्रारूप नियमों को संशोधित कर आगामी बैठक में उप-समिति के समक्ष लाया जाएगा। हिमाचल प्रदेश किरायेदारी और भूमि सुधार अधिनियम, 1972 के तहत हिमाचल के लोगों के हितों को सुरक्षित रखने के लिए एक विशेष प्रावधान किया गया है। इस एक्ट में धारा 118 के तहत गैर-कृषकों को जमीन ट्रांसफर करने पर प्रतिबंध होगा, यानी हिमाचल का गैर-कृषक भी यहां पर जमीन नहीं खरीद सकता है. हिमाचल में धारा 118 की जरूरत इसलिए पड़ी कि प्रदेश को साल 1971 में पूर्ण राज्य का दर्जा मिला था। देश के 18वें राज्य के रूप में हिमाचल अस्तित्व में आया तो एक साल बाद ही भूमि सुधार कानून लागू हो गया। कानून की धारा 118 के तहत कोई भी बाहरी व्यक्ति कृषि की जमीन निजी उपयोग के लिए नहीं खरीद सकता है। फिर लैंड सीलिंग एक्ट में कोई भी व्यक्ति 150 बीघा जमीन से अधिक नहीं रख सकता। भौगोलिक दृष्टि से हिमाचल के ज्यादातर क्षेत्र देश के दुर्गम इलाकों में आते हैं। हिमाचल के पास सीमित भूमि है और पहाड़ी पर्यटन राज्य होने के नाते निर्माताओं ने पहले से भविष्य को भांपते हुए हिमाचल के छोटे और सीमांत किसानों के हितों की रक्षा के लिए ये कदम उठाया है। धारा 118 के तहत प्रदेश का कोई भी जमीन मालिक किसी भी गैर कृषक को किसी भी जरिए से जमीन नहीं दे सकता। भूमि सुधार अधिनियम 1972 की धारा 2(2) के मुताबिक जमीन का मालिकाना हक उसका होगा जो हिमाचल प्रदेश में अपनी जमीन पर खेती करता है। जो व्यक्ति किसान नहीं है और हिमाचल में जमीन खरीदना चाहता है उसे प्रदेश सरकार से अनुमति लेनी पड़ती है। सरकार से अनुमति लेने पर मालिकाना हक मिल सकता है। उद्योग या पर्यटन विकास से जुड़े मामलों में ही सरकार हर मसले और जानकारी की पूरी तरह से जांच परख के बाद जमीन पर फैसला लेती है। जमीन का CLU यानी चेंज लैंड यूज भी नहीं किया जा सकता। यानी जमीन जिस उद्देश्य के लिए ली गई, उस पर केवल वही नियम लागू होंगे। इस पर अन्य व्यावसायिक गतिविधियां नहीं की जा सकती हैं, लेकिन बाहरी राज्यों के लोगों ने हिमाचल में धारा 118 के तहत उद्योग और मकान बनाने की अनुमति लेकर होम स्टे खोल दिए हैं। बता दें कि प्रदेश में पर्यटन विभाग के पास 4 हजार से अधिक होम स्टे पंजीकृत हैं। बड़ी संख्या में गैर पंजीकृत होम स्टे और बेड एंड ब्रेकफास्ट इकाइयां भी प्रदेश में संचालित हो रही हैं। ऐसे में होम स्टे के साथ बेड एंड ब्रेकफास्ट इकाइयों को भी पर्यटन विभाग की कार्रवाई के दायरे में लाने पर भी विचार-विमर्श किया गया।
**17 से 19 जुलाई तक कई क्षेत्रों में बारिश होने का पूर्वानुमान हिमाचल प्रदेश में मॉनसून फिर कमजोर हो गया है। रविवार और सोमवार को भी हल्की बारिश होने के आसार हैं। शनिवार को प्रदेश के अधिकांश क्षेत्रों में धूप खिली। बारिश नहीं होने से मौसम में उमस बढ़ गई है। 17 से 19 जुलाई के दौरान प्रदेश के कई क्षेत्रों में बारिश होने का पूर्वानुमान है। प्रदेश में 12 सड़कें और 6 बिजली ट्रांसफार्मर अभी भी ठप हैं। मंडी जिले में पांच, शिमला में चार और कांगड़ा में तीन सड़कें शनिवार शाम तक बंद रहीं। चंबा जिले में पांच और मंडी में एक बिजली ट्रांसफार्मर बंद है। राजधानी शिमला में कई दिनों के बाद शनिवार को दिनभर धूप खिली रही। प्रदेश के अन्य क्षेत्रों में भी मौसम साफ रहने के साथ धूप खिली। मौसम विज्ञान केंद्र शिमला के अनुसार प्रदेश में मानसून कुछ कमजोर हो गया है। आगामी दो-तीन दिनों के दौरान मानसून की सक्रियता कम रहने की संभावना है। 16 जुलाई की रात से बारिश के आसार हैं। 17 से 19 जुलाई तक सभी क्षेत्रों में मौसम खराब बना रहने का पूर्वानुमान है।
**हाजिरी और अवकाश के नियम हुए तय अटल मेडिकल एंड रिसर्च विवि ने हाजिरी और अवकाश के नियम तय कर लिए हैं। आने वाले नए सत्र से विवि समेत इससे संबद्ध छह सरकारी-निजी मेडिकल कॉलेजों में ये नियम लागू कर दिए जाएंगे। नियमों के तहत अब एमडी, एमएस और एमडीएस कोर्स के अभ्यर्थियों के लिए संस्थानों में 80 प्रतिशत हाजिरी जरूरी है। अगर कोई अभ्यर्थी अधिक अवकाश करता है तो उस स्थिति में उतने ही दिन उसके कोर्स की अवधि बढ़ाई जाएगी। तीन साल के कोर्स में 751 दिन और दो साल के कोर्स में 501 दिन संस्थान आना आवश्यक है। अवकाश और न्यूनतम उपस्थिति के नियम लागू करने के लिए विवि के प्रबंधन बोर्ड की बैठक मे मंजूरी मिल गई है। नियमों के मुताबिक अंतिम परीक्षा तक तीन वर्षीय कोर्स में साप्ताहिक एक दिन की छुट्टी की जाएगी, वह भी कार्य की आवश्यकता में ही। 25 दिन की सवेतन आकस्मिक छुट्टियां कर सकते हैं। एक छात्र 52 साप्ताहिक अवकाश का भी हकदार है। इसमें महिला स्नातकोत्तर अभ्यर्थियों को मौजूदा नियमों के अनुसार मातृत्व अवकाश की अनुमति दी जाएगी। सरकारी नियम और कानून के अनुसार पुरुष स्नातकोत्तर अभ्यर्थियों को भी पितृत्व अवकाश मिलेगा। प्रसूति या पितृत्व के लिए प्रशिक्षण को उतने ही दिनों तक बढ़ाया जाएगा जितनी छुट्टियां की गई हो। अटल मेडिकल एंड रिसर्च विवि नेरचौक के परीक्षा नियंत्रक एवं डीन प्रशासनिक मामले डॉ. प्रवीण कुमार शर्मा ने बताया कि अवकाश-हाजिरी के नियम तय कर दिए हैं। अधिक अवकाश करने वालों के कोर्स की अवधि उतने ही दिन बढ़ाई जाएगी, जितने दिन छुट्टी पर रहेंगे। तीन साल के कोर्स में कुल दिन 1,095 दिन होंगे। इसमें 939 दिन कार्य दिवस होंगे। इनमें से 751 दिन यानी की 80 प्रतिशत उपस्थिति जरूरी होगी। वहीं, दो साल के कोर्स में कुल दिन 730 दिन होंगे इनमें कुल कार्य दिवस 626 होंगे। साप्ताहिक अवकाश काटने के बाद 501 दिन यानी 80 प्रतिशत उपस्थिति होना जरूरी होगा। हाजिरी और छुट्टियों के नियम अटल विवि समेत इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज शिमला, डॉ. राजेंद्र प्रसाद गवर्नमेंट कॉलेज कांगड़ा, लाल बहादुर शास्त्री मेडिकल कॉलेज नेरचौक, डॉ. वाईएस परमार गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज नाहन, डॉ. राधाकृष्णन गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज हमीरपुर, पंडित जवाहर लाल नेहरू गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज चंबा के अलावा महर्षि मार्कंडेश्वर निजी विश्वविद्यालय कुनिहार सोलन में लागू होंगे।
केंद्र सरकार की ओर से कार्टन पर जीएसटी की दरों में 6 फीसदी कटौती का लाभ बागवानों को नहीं मिल पा रहा है। बाजार में बागवानों से कार्टन पर 18 फीसदी जीएसटी की वसूली हो रही है। प्रदेश सरकार ने इस साल से यूनिवर्सल कार्टन को अनिवार्य तौर पर लागू किया है। बागवानों को उम्मीद थी कि जीएसटी में कटौती के बाद यूनिवर्सल कार्टन की कीमत घट जाएगी, लेकिन कुछ रिटेलर कार्टन पर अब भी 18 फीसदी जीएसटी वसूल रहे हैं। इसको लेकर बागवानों ने सरकार से शिकायत भी की है। जून में जीएसटी परिषद की बैठक में सेब कार्टन बॉक्स पर जीएसटी 18 से घटाकर 12 फीसदी करने का फैसला लिया गया था। परिषद की 53वीं बैठक में उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने यह मामला उठाया था। बीते साल भी हिमाचल ने कार्टन पर जीएसटी की दर घटाने की मांग उठाई थी, जो सिरे नहीं चढ़ पाई। जीएसटी छह फीसदी कम होने के बाद बागवानों को उम्मीद थी कि अब सेब कार्टन तीन से चार रुपये तक सस्ता मिलेगा। संयुक्त किसान मंच ने कार्टन पर जीएसटी के एवज में हो रही मनमानी वसूली पर कड़ी नाराजगी जताई है। मंच के संयोजक संजय चौहान का कहना है कि प्रदेश के कई जिलों में रिटेलर कार्टन पर 18 फीसदी जीएसटी वसूल रहे हैं। 500 पीस कार्टन खरीदने वाले बागवान को 5,400 रुपये जीएसटी चुकाने पड़ रहे हैं। संयुक्त किसान मंच सभी कृषि लागत वस्तुओं पर जीएसटी खत्म करने की मांग उठाता रहा है और भविष्य में भी बागवानों के हित में यह मांग जोर-शोर से उठाई जाएगी।
हिमाचल प्रदेश में जल्द ही लोकसेवा आयोग के माध्यम से कंप्यूटर शिक्षा के 769 प्रवक्ता भर्ती होंगे। उच्च शिक्षा निदेशालय ने लोकसेवा आयोग को पत्र लिखकर जल्द भर्ती प्रक्रिया शुरू करने का आग्रह किया है। प्रवक्ता स्कूल न्यू के भर्ती एवं पदोन्नति नियमों के तहत ही कंप्यूटर साइंस प्रवक्ताओं के 769 पद भरे जाएंगे। उच्च शिक्षा निदेशक डॉ. अमरजीत कुमार शर्मा ने बताया कि लोकसेवा आयोग के सचिव को भर्ती प्रक्रिया शुरू करने के संबंध में पत्र भेजा गया है। प्रदेश के सरकारी स्कूलों में प्रवक्ता कंप्यूटर साइंस के 985 पदों को भरा जाना है। मार्च 2024 में हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में इन पदों को भरने की मंजूरी दी गई थी। कुल 985 पदों में से लोकसेवा आयोग के माध्यम 769 पद भरे जाएंगे। शिक्षा विभाग की मांग पर अब लोकसेवा आयोग की ओर से भर्ती से संबंधित विज्ञापन जारी किया जाएगा। वर्तमान में प्रदेश के सरकारी स्कूलों में आउटसोर्स आधार पर कार्यरत करीब 1300 कंप्यूटर शिक्षक राज्य इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन के तहत काम कर रहे हैं। सरकार ने बीते वर्ष नाइलेट कंपनी से नाता तोड़ लिया था। अब कॉरपोरेशन के माध्यम से चयनित कंपनियों के माध्यम से शिक्षकों को वेतन दिया जा रहा है। अब लोकसेवा आयोग के माध्यम से सीधी भर्ती होने से कई बेरोजगारों का सरकारी नौकरी पाने का सपना पूरा होगा।
**श्रीखंड महादेव यात्रा आज से शुरू महादेव के पंच कैलाशों में से एक और उत्तर भारत की सबसे कठिनतम धार्मिक यात्राओं में शुमार श्रीखंड महादेव यात्रा आधिकारिक तौर पर आज यानि रविवार से शुरू हो गई है। आज से 27 जुलाई तक चलने वाली इस यात्रा के शुभारंभ के लिए पिछले कल 13 जुलाई को यात्रा ट्रस्ट की अध्यक्ष एवं डीसी कुल्लू तोरुल एस रवीश ने जाओं, बड़ींगचा से 3 किलोमीटर पैदल चलकर बेस कैंप सिंह गाड़ देर शाम पहुंची। बेस कैंप सिंह गाड़ में उन्होंने श्रीखंड सेवा समिति अरसू, रामपुर, हमीरपुर, के पंडाल में शिव भक्तों के साथ संध्याकाल की शिव आरती में हिस्सा लिया। इस दौरान उनके साथ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ट उपाध्यक्ष एवं यात्रा ट्रस्ट के संस्थापक बुद्धि सिंह ठाकुर, जिला परिषद अध्यक्ष कुल्लू पंकज परमार, यात्रा ट्रस्ट के उपाध्यक्ष एसडीएम निरमंड मनमोहन सिंह, तहसीलदार निरमंड जयगोपाल शर्मा, डीएसपी चंद्र शेखर कायथ, ट्रस्ट, सदस्य गोविंद शर्मा, जिला परिषद सदस्य पूर्ण ठाकुर, स्थानीय पंचायत की प्रधान सुषमा कटोच उप प्रधान ओम प्रकाश ठाकुर, जुआगी के उप प्रधान रणजीत ठाकुर,मौजूद रहे। इस दौरान उन्होंने लंगर का विधिवत उद्घाटन भी किया और अपने हाथों से शिव भक्तों को लंगर का स्वादिष्ट खाना भी परोसा। आज सुबह करीब 5 बजे डीसी ने महादेव के पवित्र धाम श्रीखंड कैलाश पर्वत के लिए हरी झंडी दिखाकर 70 श्रद्धालुओं का पहला जत्था रवाना किया। 8 बजे तक करीब 1100 शिव भक्त श्रीखंड कैलाश पर्वत के लिए रवाना हो गए हैं। डीसी ने बताया कि इस बार की श्रीखंड यात्रा के लिए प्रशासन द्वारा यात्रियों के लिए पूरे इंतजाम किए गए हैं। यात्रा से पूर्व श्रीखंड के रास्ते बनकर तैयार किए हैं और रास्ते में पानी की व्यवस्था सुचारू रूप से तैयार कर दी गई है। यात्रा में पुलिस, रेस्क्यू, एसडीआरएफ, मेडिकल, रेवन्यू, की टीमें हर बेस कैंप पर तैनात की गई है। उन्होंने शिव भक्तों से यात्रा में द्रव्यों मादक पदार्थों का सेवन न करें और साफ सफाई का विशेष ध्यान रखने की अपील भी की है।
गद्दी छात्र कल्याण संघ हिमाचल प्रदेश द्वारा यूनिवर्सिटी इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के डायरेक्टर ए जे सिंह को ज्ञापन सोपा गया, जिसमें गद्दी छात्र कल्याण संघ हिमाचल प्रदेश के कार्यकारिणी सदस्य एवं यूआईटी हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी के सदस्य भी शामिल रहे इस ज्ञापन के माध्यम से हमने यूआईटी डायरेक्टर व प्रशासन का ध्यान उन ट्राइबल छात्रों की और आकर्षित किया जिसमे वह अध्यनरत है। आपको एक बात बता दी जाए कि यूआईटी हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय का एक अभिन्न अंग है परंतु इस बात से हैरानी है कि यूआईटी में पढ़ रहे छात्रों को हॉस्टल की सुविधा से वंचित रखा जा रहा है । संघ द्वारा इस मुद्दे को कई बार प्रशासन के सामने रखा है और आगे भी गद्दी छात्र कल्याण संघ हिमाचल प्रदेश इसी भांति इन मुद्दों के लिए प्रशासन के खिलाफ लड़ते रहेंगे और इन्हें सुलझाने के लिए हर सार्थक प्रयास करते रहेंगे। अनुसूचित जनजाति के छात्र हिमाचल प्रदेश के उन क्षेत्रों से आते है जो मूलभूत आवश्यकताओं से वंचित रहते हैं और उनके पास फीस को भरने के लिए भी पैसे नहीं होते हैं वह अपना जीवन यापन अनेक कठिनाइयों से करते हैं परंतु शिमला में पहुंचकर उन्हें भारी भरकम बोझ जिसमें रूम रेंट व पीजी में रह रहे छात्रों को एक आर्थिक बोझ का सामना करना पड़ रहा है जो की उन अनुसूचित जनजाति के छात्रों लिए सम्भव नही दिखता है आपको ये बात भी बता दी जाए की जो विश्वविद्यालय का जो ट्राईबल हॉस्टल है वह ट्राइबल छात्रों के लिए आरक्षित हैं परंतु विश्वविद्यालय यहां सामान्य वर्ग के छात्रों को भी भरने का काम कर रहा है परंतु यह अनुचित है क्योंकि जब तक विश्वविद्यालय में ट्राइबल छात्र किराए के रूम में रह रहे हैं तब तक हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के ट्राईबल हॉस्टल को सामान्य वर्ग के छात्रों को नहीं भरना चाहिए। विश्व विद्यालय कई बार इस बात का हवाला देता है की यह सिर्फ पोस्टग्रेजुएट (PG) व उससे ऊपर के छात्रों के लिए है परंतु यहां बीएड डिग्री के छात्र भी रहते है अत: गद्दी छात्र कल्याण संघ हिमाचल प्रदेश सदैव छात्र कल्याण के पक्ष में खड़ा है और इसी भांति छात्र हित कार्य में लगा है और लगा रहेगा ।
** अपनी पत्नी को एक्टिव पॉलिटिक्स में शामिल करने वाले तीसरे मुख्यमंत्री बने सीएम सुक्खू डॉ. यशवंत सिंह परमार और स्वर्गीय वीरभद्र सिंह की फेहरिस्त में अब मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू भी शामिल हो गए। इन दोनों के बाद सुखविंदर सिंह सुक्खू ऐसे तीसरे मुख्यमंत्री है जिनकी पत्नी एक्टिव पॉलिटिक्स शामिल हो गई है। इससे पहले भी हिमाचल प्रदेश के ऐसे दो मुख्यमंत्री रहे है जिनकी पत्नियां भी राजनीति में ही रही है। हिमाचल प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री रहे स्वर्गीय डॉ. यशवंत सिंह परमार की पत्नी भी राजनीति में ही थी। हालाँकि उनकी पत्नी शादी से पहले ही राजनीति में आ चुकी थी और शायद ये बात बेहद कम लोग जानते होंगे कि डॉ. यशवंत सिंह परमार की वो दूसरी पत्नी थी। 65 साल के डॉ. परमार को 55 साल की महिला राज्यसभा सांसद सत्यवती डांग से प्यार हो गया था और उन्होंने तब दूसरी शादी की थी। सत्यवती डांग 1964 से 1969 तक हिमाचल कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भी रहीं है। दूसरे मुख्यमंत्री थे स्वर्गीय वीरभद्र सिंह। वीरभद्र सिंह के मुख्यमंत्री रहते ही प्रतिभा सिंह भी पॉलिटिक्स में आ गई थी और अभी प्रतिभा सिंह कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष की कमान संभाल रही है। अब सुखविंदर सिंह सुक्खू प्रदेश के सातवें मुख्यमंत्री है और अपनी पत्नी को पोलटिक्स में लाने वाले तीसरे मुख्यमंत्री।
**कांग्रेस के पास 40 का आकड़ा कायम **आखिर उपचुनावों से हासिल हुआ क्या ? 23 मार्च 2024 वो तारिख जब कांग्रेस के 6 विधायक रूठ कर भाजपा के खेमे में शामिल हो गए थे । 13 जुलाई 2024 वो तारिख है जब प्रदेश कांग्रेस के पास उनकी जगह पर 6 नए विधायक है। तीन उपचुनावों के नतीजों के बाद अब हिमाचल प्रदेश विधानसभा में कांग्रेस के कुल 40 और भाजपा के कुल 28 विधायक बैठेंगे। 2022 विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद की तस्वीर भी इससे ज़्यादा इतर नहीं थी, तब भी कांग्रेस के 40 ही विधायक विधानसभा की दहलीज़ तक पहुंचे थे यानि कांग्रेस के 6 विधायक अगर छिटके तो जनता ने 6 अन्य विधायकों को जितवा कर विधानसभा पहुंचा दिया। हां मगर तब भाजपा के महज़ 25 ही विधायक सदन तक पहुंचे थे और अब ये आकड़ा 28 का हो गया है। अब आप पूछेंगे की ये आकड़ा तो भाजपा निर्दलीय विधायकों को अपने साथ मिलाकर भी प्राप्त कर सकती थी फिर 3 विधानसभा सीटों की जनता पर उपचुनाव थोपने का आखिर क्या अर्थ निकला। ये सवाल जनता अब भाजपा से पूछेगी और पूछेगी उन निर्दलीय विधायकों से जिन्होंने विधायक होने के बावजूद भी पद से इस्तीफ़ा दे दिया। पुछा जाएगा की आखिर इन 3 उपचुनावों से भाजपा को हासिल क्या हुआ। सवाल तो भाजपा हाईकमान भी पूछेगा, प्रदेश के उन भाजपा नेताओं से जिनके काँधे पर भाजपा को चुनाव जितवाने की ज़िम्मेएदारी सौंपी गई थी। सवाल जवाब अब चलते रहेंगे मगर फिलवक्त इन चुनावों का लब्बोलुबाब ये है की अभी के लिहाज़ से प्रदेश की 40 विधायकों वाली कांग्रेस सरकार बिलकुल सुरक्षित है। वहीँ प्रदेश की जनता ने ये सन्देश भी सांझा कर दिया है कि हिमचाल प्रदेश की जनता दल-बदल की राजनीति से ज़्यादा इत्तेफ़ाक़ नहीं रखती।
**सरकार गिराने के दावे फेल **अपनों ने डूबोई भाजपा की नाव कोशिश तो बहुत की मगर हासिल कुछ नहीं हुआ। भाजपा के तथाकथित ऑपरेशन लोटस को हिमाचल प्रदेश में मुँह की खानी पड़ी है। प्रदेश में पांच-छह महीने से सरकार बनाने का दावा कर रही भाजपा के लिए ये नतीजे बड़ा झटका है। पहले छह और अब तीन, कुल नौ उपचुनाव में से भाजपा 6 पर चुनाव हार गई है। न बिंदल का जादू चला न जयराम ठाकुर अपनी साख बचा पाए। हां सांसद अनुराग ठाकुर ज़रूर हमीरपुर में जीत दिलवाने में कामयाब रहे मगर इसका मार्जिन इतना कम है की 'यहाँ कुछ भी हो सकता था। वहीँ इस बार भले ही बाल-बाल जीत गए मगर इससे पहले अनुराग के संसदीय क्षेत्र के तहत हुए 4 में से पार्टी 3 चुनाव हार गई थी। यहां तक की प्रोफेसर प्रेम कुमार धूमल के गढ़ में भाजपा प्रत्याशी राजेंद्र राणा को भी हार मिली। यानि इन नेताओं में से किसी एक के भी रिपोर्टकार्ड पर स्टार नहीं लग पाए। ज़ाहिर है अब भाजपा आलाकमान की कचेहरी में प्रदेश के दिग्गज भाजपा नेताओं की पेशी होगी और इन्हें हार स्वीकारनी भी होगी और जो संभावित नतीजे होंगे उन्हें गले भी लगाना होगा। सूची तो उनकी भी बनेगी जो साथ दिख तो रहे थे मगर साथ दे नहीं रहे थे। इन चुनावों में भाजपा की लुटिया भाजपा के अपने ही नाराज़ नेताओं ने डूबोई है। अब देखना ये होगा कि देश की सबसे बड़ी पार्टी भाजपा इस हार पर क्या एक्शन लेती है और क्या सबक ।
** पति मुख्यमंत्री और पत्नी विधायक .... **सीएम सुक्खू की पत्नी कमलेश ने जीता देहरा का उपचुनाव कांग्रेस का एक अनोखा प्रयोग अब सियासी संयोग बन चूका है। देहरा से मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की धर्मपत्नी कमलेश ठाकुर चुनाव जीत चुकी है। सत्ता की गाड़ी में सवार हो कर अब पति पत्नी दोनों ही विधानसभा में नज़र आएंगे। उपचुनाव के नतीजों के साथ ही ये तो स्पष्ट हो चूका है कि आखिरकार ससुराल वालों ने सीएम सुक्खू को जीत का शगुन दे कर कमलेश ठाकुर को देहरा का विधायक बना ही दिया। अब कमलेश बार-बार अपने मायके वालों से यही गुज़ारिश कर रही थी कि ससुराल में उनका मान रहे इसके लिए देहरा की जनता से उन्हें प्यार मिलना बेहद ज़रूरी है। हुआ भी कुछ ऐसा ही अब मायके वालो ने तो अपना धर्म निभा दिया है अब बारी है देहरा की बेटी की। जो बाते, जो वादे कमलेश और सीएम सुक्खू ने देहरवासियों से किये थे क्या वो पुरे होंगे ये देखना दिलचस्प होगा। राज्यों की राजनीति में पति पत्नी की विधानसभा में एक साथ एंट्री के उदाहरण न के बराबर ही देखने को मिले है, हां सिक्किम में एक बार ऐसा देखने को ज़रूर मिला था जब पति मुख्यमंत्री बने और पत्नी विधायक, लेकिन तब सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तामांग की पत्नी कृष्ण कुमारी राई ने शपथ ग्रहण करने के एक दिन बाद ही विधायक पद से त्याग-पत्र दे दिया था। अब राज्यों की सियासत में ये दूसरा मौका है जब पति प्रदेश के मुख्यमंत्री होंगे और पत्नी विधायक।
मुख्यमंत्री बोले, हिमाचल प्रदेश की जनता ने देश भर की राजनीति को दिया संदेश हिमाचल प्रदेश में तीन विधानसभा क्षेत्रों में हुए उप-चुनाव में दो सीटों पर जीत हासिल करने पर भारी संख्या में जश्न मनाने ओक ओवर पहुंचे पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि जनता ने धनबल को हराया है और जनबल की जीत हुई है। उन्होंने कहा कि यह प्रदेश के मतदाताओं के साथ-साथ कांग्रेस पार्टी के मेहनती कार्यकर्ताओं की जीत है। प्रदेश की जनता ने खरीद-फरोख्त की राजनीति को नकार कर अपना वोट राज्य में राजनीतिक पारदर्शिता को बनाए रखने के लिए दिया है। उन्होंने कहा कि देहरा में 25 वर्षों के बाद कांग्रेस प्रत्याशी की जीत हुई है और नालागढ़ में भी कांग्रेस प्रत्याशी बड़े अंतर से जीते हैं। हिमाचल प्रदेश में अब कोई भी पार्टी आने वाले 50 साल में खरीद-फरोख्त की राजनीति करने की हिम्मत नहीं जुटा पाएगी और प्रदेश से यह संदेश पूरे देश की राजनीति में जाएगा। ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि 28 फरवरी, 2024 को प्रदेश में राजनीतिक अस्थिरता पैदा कर चुनी हुई सरकार को गिराने का षडयंत्र रचा गया, लेकिन इस ऐतिहासिक जीत के बाद अब विधानसभा में कांग्रेस पार्टी के विधायकों की संख्या एक बार फिर 40 हो गई है। उन्होंने कहा कि नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर बार-बार भाजपा की दो सरकारें बनाने की बातें करते थे, लेकिन उनका ऑपरेशन लोट्स विफल हो गया है। जनता से सबक मिलने के बावजूद नेता प्रतिपक्ष प्रदेश के लोगों को ठगने और गुमराह करने का प्रयास कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि तीन निर्दलीय विधायकों ने यह उप-चुनाव प्रदेश की जनता पर थोपे, अगर वह प्रदेश सरकार से नाराज थे तो विधानसभा में भाजपा के साथ बैठकर विपक्ष को अपना समर्थन देते। उन्होंने कहा कि निर्दलीय विधायक सरकार को गिराने के षडयंत्र के तहत एक माह तक प्रदेश से बाहर रहे और अपना इस्तीफा स्वीकार करवाने के लिए धरने पर बैठे। उनके इसी रवैये के कारण उप-चुनाव हुए, लेकिन जनता ने अब उन्हें करारा जवाब दिया है। यह जीत उन सभी के लिए भी एक सबक है जिन्होंने लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार को अस्थिर करने का प्रयास किया। उन्होंने कहा कि देश में 13 विधानसभा क्षेत्रों में हुए उप-चुनावों में भाजपा ने केवल दो सीटें बहुत कम मार्जन से जीती हैं, जिससे यह साबित होता है कि देश के लोगों ने भाजपा के एकछत्र राज और उनकी गुमराह करने वाली नीतियों व विचारधारा को पूरी तरह से नकार दिया है।
**इनमे ऊना, बिलासपुर, हमीरपुर, चम्बा, कागंड़ा, शिमला, सोलन और सिरमौर शामिल **19 जुलाई तक प्रदेश में मौसम रहेगा खराब हिमाचल प्रदेश के कई भागों में आगामी एक सप्ताह तक मानसून की बारिश जारी रहने का पूर्वानुमान है। मौसम विज्ञान केंद्र शिमला की ओर से राज्य के कई हिस्सों में 19 जुलाई तक मौसम खराब बने रहने की संभावना जताई गई है। 16 व 17 जुलाई के लिए कुछ भागों में भारी बारिश का येलो अलर्ट जारी किया गया है। राजधानी शिमला में आज हल्की धूप खिलने के साथ बादल छाए हुए हैं।