आईटीआई में छात्रों को नशे की बुराईयों के बारे में किया गया जागरूक

मुख्य चिकित्सा अधिकारी बिलासपुर डॉक्टर प्रकाश दरोच ने जानकारी देते हुए बताया कि मादक पदार्थों नशीली दवा दुरुपयोग एवं शराब के विरुद्ध 15 नवम्बर से 15 दिसम्बर तक चलाए जा रहे विशेष अभियान के तहत स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान बिलासपुर में जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। शिविर की अध्यक्षता प्रधानाचार्य अजेश शर्मा ने की। इस अवसर पर छात्रों को जागरूक करते हुए स्वास्थ्य शिक्षक प्रवीण शर्मा तथा विजय शर्मा ने बताया की नशा एक गंभीर सामाजिक समस्या बनती जा रही है तथा इसका अवैध धंधा हिमाचल प्रदेश में लगातार बढ़ रहा है। जिसके कारण न केवल किशोर, युवा बल्कि समाज के सभी वर्गों के लोग इसकी चपेट में आ रहे है। उन्होंने बताया कि नशे का प्रभाव गर्भवती महिलाओं के भ्रुण पर भी पड़ रहा है इसके कारण गर्भ में पल रहे बच्चे भी विकलांगता का शिकार हो रहे है। नशे को रोकने के लिए समाज के सभी वर्गों के सामूहिक प्रयास की आवश्यकता है। उन्होंने छात्रों को बताया कि नशा शरीर और मन दोनों का नाश करता है यह शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर करता है। इस से तपेदिक, हृदय रोग, फेफड़े का कैंसर, शारीरिक विकलांगता, एचआईवी एड्स तथा डिप्रेशन इत्यादि हो सकता है। उन्होंने कहा कि नशे से छुटकारा पाने के लिए दृढ़ इच्छाशक्ति की आवश्यकता होती है इससे कई प्रकार की शारीरिक तथा मानसिक बीमारियां तथा मृत्यु तक हो सकती है। उन्होंने बताया कि नशे का आदि होना आसान है लेकिन छुटकारा पाना बहुत मुश्किल है इसके सेवन से मानसिक क्रियाओं में परिवर्तन आते है जिनके प्रभाव से शरीर की प्रतिरक्षा
प्रणाली कमजोर हो जाती है तथा शरीर कई प्रकार की बीमारियों से ग्रसित हो जाता है। उन्होंने बताया कि नशे के पदार्थों में मुख्यतः गांजा, अफीम, तम्बाकू, स्मैक ब्राउन शुगर तथा शराब आदि शामिल है। उन्होंने बताया कि ड्रग को लेने वाला व्यक्ति इसे मुंह द्वारा सुईयों के द्वारा तथा सूंघने से ग्रहण करता है।
उन्होंने बताया कि नशे का प्रमुख कारण माता- पिता का बच्चों पर नियंत्रण ना होना। परिवार इकाई, पड़ोसी राज्यों से नशे की पूर्ति, बेरोजगारी तथा इंटरनेट का दुरुपयोग, उत्सुकता, झूठे आनंद की अनुभूति, भावनात्मक रूप से अलगाव, दोस्तों का दबाव, शौक, जिज्ञासा, माता पिता या भाई बहनों द्वारा नशे का सेवन करना इत्यादि हैं। उन्होंने बताया कि नशे से बचने के लिए नशे को न कहना सीखें, नशा करने वालों से दूर रहें, रचनात्मक कार्यों व खेलकूद में भाग ले, बच्चों के साथ पर्याप्त समय बताएं, बच्चों की भावनाओं का कद्र करें तथा घर के पास नशाखोरी करने वाले असामाजिक तत्वों की सूचना पुलिस को अवश्य दें। उन्होंने बताया कि दृढ़ इच्छाशक्ति तथा संकल्प योग और ध्यान द्वारा नशे से पीड़ित व्यक्तियों का उपचार किया जाता है तथा क्षेत्रीय अस्पताल बिलासपुर में नशा मुक्ति के लिए केंद्रों की स्थापना की गई है, जहां नशे से पीड़ित व्यक्तियों का उपचार किया जाता है तथा नशा छोड़ने के लिए परामर्श किया जाता है। इस अभियान के अंतर्गत पूरे जिला में स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी प्रतिदिन पाठशाला तथा शिक्षण संस्थानों में बच्चों को नशे से होने वाले दुष्प्रभाव तथा लक्ष्ण के बारे में जागरूक कर रहे है नशे से ग्रसित बच्चे की पहचान कर उनके लिए इस अभियान के दौरान क्षेत्रीय चिकित्सालय बिलासपुर में प्रत्येक रविवार को विशेष ओपीडी भी लगाई जा रही है इसमें क्षेत्रीय अस्पताल बिलासपुर में कार्यरत मनोचिकित्सक डॉक्टर नीरज भारती द्वारा उपचार एवं परामर्श दिया जा रहा है। उन्होंने अपील की कि अगर कोई व्यक्ति नशीले पदार्थ छोड़ना चाहता है तो इसकी जानकारी स्वास्थ्य कर्मी को दें अधिक जानकारी के लिए हिमाचल प्रदेश सरकार की ड्रग फ्री ऐप व टोल फ्री नंबर से इसकी सूचना प्राप्त की जा सकती है। नशा मुक्ति के लिए क्षेत्रीय चिकित्सालय बिलासपुर के नशा मुक्ति केंद्र द्वारा दी जा रही सुविधाओं का लाभ उठा सकते है।