योग, व्यायाम एवं प्राणायाम नशे से दूर रहने का सर्वोत्तम उपाय
योग, व्यायाम एवं प्राणायाम नशे से दूर रहने का सर्वोत्तम उपाय जिला के विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों पर आयुर्वेदचायों की व्याख्यान माला आयोजित सोलन जिला में मादक द्रव्यों एवं मदिरा व्यसन पर रोक के लिए जन-जन को जागरूक करने के उद्देश्य से जिला आयुर्वेद विभाग द्वारा आज सोलन जिला के विभिन्न स्थानों पर नशे के दुष्प्रभाव एवं बचाव पर आयुर्वेदिक चिकित्सकों द्वारा व्याख्यान दिए गए। यह जानकारी जिला आयुर्वेदिक अधिकारी डॉ. राजेन्द्र शर्मा ने दी। आयुर्वेदिक चिकित्सकों ने अवगत करवाया कि यदि युवाओं की सोचने-समझने की शक्ति क्षीण हो रही हो, वे भ्रमित रहते हों और वे किसी भी प्रकार का निर्णय लेने में असहज महसूस करते है तो यह नशाखोरी का लक्षण हो सकता है। उन्होंने कहा कि नशे का आदी बनने पर युवाओं की यादाश्त कमज़ोर हो जाती है, वे असामान्य व्यवहार करते हैं और किसी भी कार्य पर ध्यान नहीं देते। चिकित्सकों ने अवगत करवाया कि कोई भी नशा, नशा पीडि़त के पूरे शरीर पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। नशा पीडि़त व्यक्ति गले एवं फेफड़े के कैंसर से ग्रसित हो सकता है। धूम्रपान एवं अन्य नशा करने वाले व्यक्ति अधिकांशतः श्वास रोग एवं दमे के रोगी बनते है। नशा व्यक्ति के हृदय पर विपरित प्रभाव डालता है। नशे के कारण मानव शरीर की रक्त धमनियां संकरी होने लगती हैं। धमनियों का यह संकरापन हृदयघात एवं ब्रेन स्ट्रोक का बड़ा कारण है। युवाओं को जानकारी दी गई कि हमारे शरीर से विषैले पदार्थ निकालने का 85 प्रतिशत कार्य लीवर द्वारा किया जाता है। 15 प्रतिशत कार्य शरीर के अन्य अंग करते हैं। नशा लीवर को नुकसान पहुंचाता है और इस कारण लीवर की कार्यप्रणाली अत्यन्त क्षीण हो जाती है। नशा हमारी पाचन क्रिया को भी कमज़ोर करता है। नशा विभिन्न प्रकार के अल्सर का मुख्य कारक है।
नशा मनुष्य की प्रजनन शक्ति का सबसे बड़ा शत्रु है। नशा जहां पुरूषों को नंपुसक बनाता है वहीं महिलाओं में बांझपन का कारण भी है।
चिकित्सकों ने व्याख्यान माला के तहत धूम्रपान, अफीम, गांजा, चरस, कोकीन, हेरोइन, मदिरा सहित विभिन्न प्रकार के अन्य नशों की विस्तृत जानकारी प्रदान की। इस अवसर पर युवाओं से आग्रह किया गया कि वे नियमित रूप से योग, व्यायाम एवं प्राणायाम करें। विभिन्न योगासन जहां हमें शारीरिक रूप से चुस्त रखते है वहीं विभिन्न प्राणायाम व्यक्ति को मानसिक रूप से स्वस्थ रखते है। शारीरिक एवं मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति को कभी नशा करने की आवश्यकता ही नहीं पड़ती। उन्हें बताया गया कि वे अपने घर पर अभिभावकों से नियमित संवाद बनाए रखें और विद्यालय एवं महाविद्यालय स्तर पर प्राध्यापकों तक अपनी समस्याएं पहुंचाएं। चिकित्सकों ने अभिभावकों एवं अध्यापकों से आग्रह किया कि बच्चों के व्यवहार में परिवर्तन, विद्यालय से गैर हाजिर रहने की जानकारी और बच्चों की संगति के विषय में सचेत रहें। किसी भी प्रकार की असामान्य गतिविधि दिखने पर युवाओं से पूछताछ करें और नियमित रूप से विद्यालय एवं महाविद्यालय में अध्यापकों से उनकी शिक्षा इत्यादि की जानकारी लेते रहें। उन्होंने अध्यापकों से भी बच्चों की हर गतिविधि पर नजर रखने का आग्रह किया। व्याख्यान माला के तहत आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ. लोकेश ममगई ने डॉ. वाई.एस परमार बागवानी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी में, डॉ. अनीता गौतम ने राजकीय महाविद्यालय सोलन में, डॉ. सारिका शर्मा आई.टी.आई सोलन में, डॉ. आशा मधानिया राजकीय पॉलीटैक्निक कण्डाघाट में, डॉ. प्रवीण शर्मा राजकीय महाविद्यालय कण्डाघाट में, डॉ. कुरनेश नागल राजकीय महाविद्यालय अर्की में, डॉ. साक्षी राजकीय महाविद्यालय नालागढ़ में, डॉ. सन्दीप आई.टी.आई नालागढ़ में तथा डॉ. सोनिया धीमान राजकीय महाविद्यालय बरोटीवाला में नशे के दुष्प्रभावों एवं बचाव पर जानकारी प्रदान की। इस अवसर पर सभी को नशे से दूर रहने की शपथ भी दिलवाई गई।
