गुमनामी के अंधेरे में ध्यानू भक्त की समाधि
मां ज्वाला के थे परम भक्त, ध्यानू ने तोड़ा था अकबर का अंहकार
मां ज्वाला के परम भक्त के रूप में जाने वाले ध्यानू भक्त का समाधि स्थल इतिहास के पन्नो में शायद खो सा गया है। जिले के नादौन कस्बे में ब्यास नदी के किनारे ध्यानू भक्त ने अपना अंतिम समय गुजारा था और करीब 20 साल तक भक्ति की थी। बता दें कि जिस स्थान पर भक्त ध्यानू ने समय गुजारा था उसी जगह पर ध्यानू भक्त की समाधि सैकड़ों साल पहले बनाई गई थी, लेकिन आज के समय में ध्यानू भक्त की समाधि खंडहर में तब्दील होती जा रही है। यह स्थान भी अब गुमनामी के अंधेरे में डूब रहा है। बड़ी विडंबना है कि माता ज्वाला के परम भक्त ध्यानू की समाधि स्थल सैकड़ों वर्षों से दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है। इस ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल की सुध लेने तक के लिए कोई आगे नहीं आया। हालांकि कुछ साल पहले ध्यानू भक्त ट्रस्ट द्वारा मंदिर के लिए जीर्णोद्धार के लिए प्रयास किए गए, लेकिन सरकार और प्रशासन के सहयोग के बिना यह प्रयास नाकाफी साबित हो रहा है.
कौन है ध्यानू भक्त?
मां ज्वाला के चरणों में अपना सिर काटकर भेंट करने वाले भक्त ध्यानू का जिक्र आते ही मुगल सम्राट अकबर का शासन याद आ जाता है। उस समय सम्राट अकबर ने ध्यानू भक्त की भक्ति की परीक्षा लेते हुए मां ज्वाला का अपमान किया था, जिस पर मां ज्वाला ने अकबर का अंहकार तोड़ा था। मां ज्वाला के भक्त ध्यानू का नाता हिमाचल के हमीरपुर जिले के नादौन कस्बे से जुड़ा हुआ है।
संतों के साथ बिताया था अंतिम समय
नादौन में भक्त ध्यानू ने अपने अंतिम समय में संतों के साथ बिताया और नादौन में ही रहकर माता तारा रानी की कथा की रचना की थी, जिसका गुणगान आज भी माता के जागरण के समय होता है. माता तारा रानी की कथा के बिना कोई भी जागरण संपन्न नहीं होता है। ध्यानू भक्त ट्रस्ट के चेयरमैन रमेश चंद गोस्वामी ने बताया कि ध्यानू भक्त की समाधि स्थल की दशा को सुधारने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।
