लिंगानुपात में समानता लाने के लिए विभिन्न स्तरों पर जागरूकता कार्यक्रम
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डाॅ. राजन उप्पल ने कहा कि सोलन जिला में लिंगानुपात में समानता लाने के लिए विभिन्न स्तरों पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं तथा जिला प्रशासन के सहयोग से कार्यान्वित किए जा रहे इन प्रयासों के सार्थक परिणाम सामने आ रहे हैं। डाॅ. उप्पल आज यहां पूर्व गर्भाधान एवं प्रसव पूर्व निदान तकनीक अधिनियम की जिला सलाकार समिति की बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। उन्होंने कहा कि इस दिशा में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग को आमजन के सत्त सहयोग की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि विभिन्न स्तरों पर लोगों को बताया जाता है कि गर्भ में पल रहे शिशु की लिंग जांच अपराध है। उन्होंने कहा कि इस दिशा में विभाग द्वारा अल्ट्रासाऊंड क्लिीनिकों की नियमित जांच की जाती है तथा अनियमितता पाए जाने पर नियमानुसार कार्रवाही अमल में लाई जाती है।
डाॅ. उप्पल ने कहा कि ज़िला में कुल 31 अलट्रासाऊंड क्लीनीक पंजीकृत हैं और वर्ष 2019-20 में अब तक जिला में पूर्व गर्भाधान और प्रसव पूर्व निदान तकनीक अधिनियम के अन्तर्गत 63 निरीक्षण किए गए हैं। जिला में संचालित किसी भी अल्ट्रासाउंड केंद्र से कोई भी शिकायत प्राप्त नहीं हुई है। उन्होेंने कहा कि जिला के विभिन्न सरकारी संस्थानों एवं अस्पतालों में शीघ्र ही एलईडी व स्क्रोल स्थापित किए जाएंगे ताकि सभी को बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ एवं समान लिगांनुपात के बार में जागरूक किया जा सके। जिला स्वास्थ्य अधिकारी, डाॅ. एन के गुप्ता ने बैठक में आए समिति के सदस्यों का स्वागत किया तथा पूर्व गर्भाधान और प्रसव पूर्व निदान तकनीक अधिनियम के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान की। उन्होने सलाहकार समिति को अवगत करवाया कि पूर्व गर्भाधान और प्रसव पूर्व निदान तकनीक अधिनियम के तहत जन्म से पूर्व शिशु के लिंग की जांच पर पाबंदी है तथा ऐसे में अल्ट्रासांऊड करवाने वाले व्यक्तियों या करने वाले चिकित्सक, लैब कर्मी को सजा और जुर्माने का भी प्रावधान है। बैठक में जिला कार्यक्रम अधिकारी डा. शालिनी पुरी, चिकित्सा अधिकारी ,डाॅ. जितेन शर्मा, जिला अधिवक्ता एम के शर्मा, स्वास्थ्य परिवेक्षक देवरत्न शर्मा सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
