जनसंख्या के मानकों में छूट देकर एक नई पंचायत "गाह" बनाई जाए

उपमण्डल झण्डुता के पिछड़े क्षेत्र की ग्राम पंचायत पपलोआ के गांव गाह , सड़ेपाणी, घोड़ी की भौगोलिक परिस्थितियों को मद्देनजर रखते हुए और जनसंख्या के मानकों में छूट देकर एक नई पंचायत "गाह" बनाई जाए। गुज्जर कल्याण बोर्ड के पूर्व सदस्य मस्त राम चौधरी, हंस राज, गिल्लू राम, पंचायत के वार्ड पंच छोटू राम, देव राज, चन्दू राम, धन्नू राम, अमीं चंद, राकेश कुमार, राकेश धीमान, रूप लाल व गाह के बाशिंदों ने अपने क्षेत्र की कठिन परिस्थितियों को बताते हुए कहा कि बर्तमान समय में उनकी पंचायत पपलोआ है जिसका मुख्यालय अर्थात पंचायत घर यहां से बारह किलोमीटर से लेकर पन्द्रह किलोमीटर दूर है जहां अपने किसी छोटे से छोटे कार्य को करवाने के लिए जाना पड़ता है जिसके लिये कोई बस सुविधा नहीं है और लोगों को निजी गाड़ी किराए पर लेकर हर बार पांच सौ रूपये खर्च करने पड़ रहे हैं।
क्षेत्र के निवासियों ने अपनी दुःख भरी गाथा सुनाते हुए कहा है कि इलाके में सड़कों की हालत काफी खराब है । थोड़ी सी वर्षा हो जाये तो एकमात्र सरकारी बस यहां से नौ किलोमीटर दूर बौंका नामक स्थान पर रूक जाती है जिससे इलाका निवासियों को भारी आर्थिक और मानसिक नुकसान का सामना करना पड़ता है। लोगों ने बताया कि स्थानीय विधायक जीतराम कटवाल के सामने इलाका निवासियों ने कई बार अपनी समस्याओं को रखा परन्तु उनके कानों में जूं तक नहीं रेंगी है। लोगों ने विधायक की कार्य-पद्धति पर भी सवालिया निशान लगाया है और कहा है कि पिछले वर्ष उन्होंने मण्डीखर नामक स्थान से धणीपखर तक सड़क की दशा को सुधारने के लिए वहां भूमि पूज़न किया था जिसका वहाँ टंगा हुआ भूमि पूजन बोर्ड जख्मों पर नमक छिड़क रहा है तथा सड़क सुधार के नाम पर एक ईंच सड़क भी पक्की नहीं हुई हैं। अति पिछड़ा क्षेत्र होने का दंश झेल रहे जनता के इन जागरूक लोगों ने बताया कि इस इलाका के बाशिंदों को बैंक की सुविधा प्राप्त करने के लिए बीस किलोमीटर दूर जड्डू कुलज्यार जाना पड़ता है। यहां तक कि डाकघर की सुविधा से इलाका -निवासी वंचित हैं। अतः जनता ने इस पिछड़े गांव में एक बैंक और डाकघर की शाखाओं को खोलने के लिए तथा इस पिछड़े गांव गाह में नई पंचायत के सृजन के लिए पंचायती राज मंत्री कंवर वीरेन्द्र सिंह और मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से जोरदार मांग की है। क्षेत्र की प्रबुद्ध जनता ने हिमाचल प्रदेश की जयराम सरकार को चेताया है कि यदि उनकी समस्याओं को शीघ्र हल करके उनकी जायज मांगों को नहीं माना गया तो मजबूर होकर उन्हें आगामी लोकतांत्रिक कठिन कदम उठाने के लिए विवश होना पड़ेगा।