जानें गेहूं की फसल में पीला रतुआ रोग के लक्षण

मौसम की अनुकूलता के मद्देनजर गेहूं की फसल में पीला रतुआ रोग फैलने की संभावना बढ़ गई है क्योंकि तापमान में उतार-चढ़ाव इस रोग के फैलने हेतु अनुकूल होता है। यह जानकारी कृषि उपनिदेशक बिलासपुर डा. के.एस. पटियाल ने दी। उन्होंने बताया कि जिस गेहूं की बिजाई अक्तूबर-नवंबर माह में हो चुकी है उसमें इस रोग के फैलने की ज्यादा संभावना है, रोग का प्रकोप विशेषकर पेड़ों के आसपास उगाई गयी फसल व अधिक ठंड और नमी वाले मौसम में उग्र होता है। पीला रतुआ रोग के लक्षण पीले रंग की धारियों के रूप मे पत्त्तियों पर दिखाई देते हैं। यदि यह रोग कल्ले निकलने की अवस्था में या इससे पहले आ जाए तो फसल को भारी हानि होती है। पीली धारियां मुख्यतः पत्त्तियों पर ही पाई जाती है परंतु रोग के अधिक प्रकोप की व्यापक दशा में पत्त्तियों के आवरण, तनों एवं बालियों पर भी देखी जा सकती हैं। उन्होंने बताया कि इसके लिए किसान जागरूक रहें तथा कहीं भी इस रोग के लक्षण दिखाई देने पर प्रभावित क्षेत्र में ही प्रोपीकोनाजोल (टिल्ट) १ मी.ली. दवाई का 1 ली. पानी में घोल बना कर छिड़काव करें। यह दवाई कृषि विभाग के सभी विक्रय केंद्रों पर उपलब्ध है। उन्होंने बताया कि अधिक जानकारी हेतु अपने नजदीकी कृषि विषयवाद विशेषज्ञ, कृषि विकास अधिकारी और कृषि प्रसार अधिकारी से संपर्क करें।