पूर्व मंत्री रामलाल ठाकुर ने दी बजट पर खुली बहस की चुनौती
हिमाचल प्रदेश सरकार के बजट को पूर्व मंत्री व वर्तमान विधायक नयना देवी रामलाल ठाकुर ने मुंगेरी लाल के सपने की संज्ञा दी है। उन्होंने प्रदेश की भाजपा सरकार को इस मुंगेरी लाल के सपनों से बाहर आने को कहा है। ठाकुर ने महत्वपूर्ण मुद्दों को सामने रख कर इस सरकार को धरातल पर बात रख खुली बहस की चुनौती भी दी है। उन्होंने कहा कि जिन पंचायतों को सड़कें बनाने की बात इस बजट में की गई क्या उन सड़कों को वन अधिकार अधिनियम 1980 की मंजूरी मिल गई है क्या? इसके अलावा नाबार्ड व प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की बात मुख्यमंत्री ने की है क्या उनका बजट भी मुख्यमंत्री ही देंगे। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री सड़क योजना को नाबार्ड और प्रधानमंत्री सड़क योजना ने न जोड़ कर प्रदेश की जनता को मूर्ख बनाया जा रहा है और इनमें भी वन अधिकार अधिनियम 1980 की मंजूरी के स्टेट्स साफ नहीं किया गया है। ठाकुर ने कहा कि बजट में दर्शायी गई योजनायें सिर्फ हवा हवाई ही प्रतीत होती हैं। चिट्टे व नशे पर प्रदेश में रोजाना आठ से दस प्राथमिकी थानों में दर्ज होती है, जब भी प्रदेश सरकार से नशा मुक्ति केंद्रों की बात की जाती है तो सरकार या तो चुप्पी साध लेती है या फिर स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी निश्चित कर देती है जबकि नशा मुक्ति केंद्र खोलने के लिये बजट में कोई प्रावधान नहीं किया गया है। पिछले वित्त बजट में मुख्यमंत्री ने पन्द्रह हजार नोकरियाँ देने की बात की थी लेकिन अभी तक केवल मात्र चार हज़ार नोकरियाँ ही दी गई बाकी नोकारियाँ सरकार की गलत नीतियों से कोर्ट में फंस गई है या इन नोकरियाँ पर भ्र्ष्टाचार के आरोप लग चुके हैं। इसके अलावा पूर्व सरकारों के समय से प्रदेश के ग्रमीण हलकों में पाइका खेलें होती थी जिनको बजट में एक भी पैसा न देकर प्रदेश सरकार ने इनको बंद कर दिया है और प्रदेश में खेलों के लिए बजट में कोई भी प्रावधान नहीं किया गया है। प्रदेश सरकार ने पिछले बजट सौ करोड़ रुपयों का प्रावधान कौशल विकास भत्ते के लिये किया था जिसमे से केवल अभी तक अठाइस करोड़ ही खर्च हो पाए है। इसके अलावा अब भी प्रदेश सरकार ने सौ करोड़ रुपयों की घोषणा की है जो कि सरकार की गलत नीतियों से पूरा खर्च पाना असंभव सा लग रहा है। प्रदेश सरकार ने अभी 11 सौ करोड़ रुपयों का कर्ज़ लिया है और विदेशी निवेशकों से और पैसा लाने की बात कर रहे हैं। ठाकुर ने प्रश्न किया कि विदेशी निवेशकों के लिये पहले खस्ताहाल सड़कों, स्वच्छजल व स्वास्थ्य सुविधाएं तो मुहैया करवा देते तब तो विदेशी निवेशक आएंगे तो उनके लिए भी वित्त बजट में कोई प्रावधान तो है नहीं किया है तो खाली पुलाव बना कर जनता को क्यों मूर्ख बनाया जा रहा है। प्रदेश में किसानों की आय दुगनी करने की बात तो प्रदेश सरकार करती है लेकिन फसलों का बीमा और किसानों को दी जाने वाली अनुदान राशियां तो बंद कर दी है तो कहां से किसानों की आय दुगनी होगी। आवारा पशुओं से प्रदेश की जनता व किसान त्रस्त है। गौ सदन बनाने के नाम पर तीस लाख रुपये कुछ पंचायतों को देने की बात कही गई थी लेकिन प्रदेश में वह कौन सी पंचायतें है जिनमें गौ सदन बने हैं लेकिन सच्चाई तो यह है कि धरातल पर कुछ भी नहीं है। शराब की प्रति बोतल पर गौ सदन बनाने हेतु जो एक रुपया कर लिया था उसका कोई भी हिसाब सरकार अभी तक नहीं दे पाई है और गौ सदन बनाने के लिए भी वित्त बजट में कोई अलग से प्रावधान नहीं कर पाई है। उन्होंने कहा कि प्रदेश की वर्तमान सरकार यह बताए कि इन हवा हवाई योजनाओं से कब तक प्रदेश के लोंगो को मूर्ख बनाया जाएगा।
