प्राइवेट स्कूल फीस जमा करवाने के लिए अभिभावकों पर बना रहे दबाव
छात्र अभिभावक मंच ने हिमाचल प्रदेश के शिक्षा मंत्री, शिक्षा सचिव व निदेशक उच्चतर शिक्षा से मांग की है कि कोविड-19 के चलते हुए प्रदेशव्यापी लॉक डाउन व कर्फ्यू के मध्यनजर प्राइवेट स्कूलों द्वारा फीस जमा करने की 30 मार्च की निर्धारित तारीख को स्थिति के सामान्यीकरण तक बढ़ाया जाए।
मंच के संयोजक विजेंद्र मेहरा, सह संयोजक बिंदु जोशी व सदस्य फालमा चौहान ने कहा है कि केंद्र और राज्य सरकार ने वैश्विक महामारी कोविड-19 के चलते हिमाचल प्रदेश में लॉक डाउन व कर्फ्यू घोषित कर रखा है लेकिन प्राइवेट स्कूल किसी भी हालत में 30 मार्च से पहले फीस जमा करवाने के लिए अभिभावकों पर दबाव बना रहे हैं। यह मानवता व राष्ट्र हित के खिलाफ है। कोरोना जैसी महामारी के कारण आपातकालीन सेवाओं के अलावा सभी सेवाएं बन्द हैं लेकिन प्राइवेट स्कूलों को इस दौरान भी पैसा व अपना मुनाफा ही याद आ रहा है। स्थिति इतनी भयावह है कि उच्चतम, उच्च व अन्य न्यायालय भी बन्द कर दिए गए हैं। ट्रैफिक पूरी तरह जाम है। ज़्यादातर अभिभावक बच्चों के साथ अपने-अपने गांवों को निकल चुके हैं। ऐसी परिस्थिति में भी प्राइवेट स्कूलों द्वारा फीस को 30 मार्च से पूर्व जमा करवाने का फरमान पूरी तरह सरकार के आदेशों की अवहेलना है। इस दौरान जब गाड़ियां ही नहीं चलेंगीं तो अभिभावक किस तरह बैंकों तक पहुंच कर यह फीस जमा करवाएंगे। वैसे भी बैंकों में भीड़ पर नियंत्रण की एडवाइजरी जारी की जा चुकी है। इस दौरान पांच से ज़्यादा लोगों के इकट्ठा होने पर भी रोक है व धारा-144 भी लागू है। प्राइवेट स्कूलों द्वारा फीस जमा करने के लिए अभिभावकों को बाध्य करने से भीड़ बढ़ेगी व कोरोना के फैलाव का खतरा भी बढ़ेगा। देश व प्रदेश में आपातकाल जैसी स्थिति है परन्तु फिर भी प्राइवेट स्कूल अपनी तानाशाही से बाज़ नहीं आ रहे हैं। तत्काल फीस जमा करवाने की कोई एमरजेंसी भी नज़र नहीं आती है। प्राइवेट स्कूलों की इस तानाशाही पर हर हाल में रोक लगनी चाहिए।
विजेंद्र मेहरा ने कहा है कि वैसे भी प्राइवेट स्कूल निदेशक उच्चतर शिक्षा द्वारा जारी 5 दिसम्बर 2019,18 जनवरी तथा 12 मार्च 2020 के आदेशों की पालना नहीं कर रहे हैं जिसके अनुसार इस वर्ष फीस के निर्धारण से पहले सभी स्कूलों में मार्च के महीने में जनरल हाउस अनिवार्य किया गया था। प्राइवेट स्कूल इन आदेशों को लागू किये बगैर ही आनन-फानन में गुपचुप तरीके सेे फीस बढ़ोतरी करके इन फीसों को 30 मार्च तक बसूलना चाहते हैं ताकि फीस बढ़ोतरी की ओर अभिभावकों, शिक्षा विभाग, प्रशासन व सरकार का ध्यान न जा पाए। यह गैर मानवीय है कि या तो कुछ स्कूलों ने इस दौर में फटाफट अभिभावकों से जबरन ये फीसें बसूल कर ली हैं अथवा 30 मार्च से पहले वे किसी भी हालत में इस फीस को हासिल करने की फिराक में हैं। प्राइवेट स्कूल महामारी के समय को भी मनाफाखोरी में परिवर्तित करना चाहते हैं। उन्होंने उपायुक्त व पुलिस अधीक्षक शिमला से मांग की है कि जब तक महामारी की स्थिति सामान्य न हो जाये तब तक जो भी स्कूल फीस बसूलने के लिए अभिभावकों से ज़ोर-ज़बरदस्ती करते हैं उनके प्रबंधन के खिलाफ कानून की विभिन्न धाराओं के तहत कार्रवाई अमल में लायी जाए व उनपर शिकंजा कसा जाए।
