वनवास खत्म, नगर-नगर उल्लास
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- करीब 500 साल बार फिर सिंहासन पर विराजमान होंगे रामलला
- राममय हुआ हिंदुस्तान, पुरे देश में उल्लास
देशभर में कहीं सीता-राम नाम जपा जा रहा है, तो कहीं रामधुन। पूरा भारतवर्ष राममय हैं और रामलला का करीब 500 वर्ष का वनवास समाप्त हुआ हैं। लम्बे संघर्ष के बाद करोड़ों रामभक्तों की आस्था की जीत हुई हैं। अयोध्या राम जन्मभूमि विवाद देश के सबसे लंबे चलने वाले विवादों में से एक है। 1528 से लेकर 2024 तक श्रीराम जन्म भूमि के पूरे इतिहास में कई मोड़ आए हैं। इसमें 9 नवंबर 2019 का दिन भी है, जब 5 जजों की संवैधानिक बेंच ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया और मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त हुआ और इसमें 22 जनवरी 2024 का दिन भी हैं जब श्री राम का वनवास खत्म हुआ। हिन्दुस्तान हिन्दू बाहुल राष्ट्र हैं और यहाँ राम सिर्फ आराध्य नहीं अपितु संस्कृति है। राम जन्म में भी है, राम मरण में है। राम हर आम हिन्दू की जीवनचर्या का अभिन्न हिस्सा है। ऐसे में अयोध्या में श्री राम की प्राण प्रतिष्ठता का उल्लास सम्पूर्ण देश में है।
पांच सौ साल पुराने इस विवाद पर 09 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की बेंच ने श्रीराम जन्म भूमि के पक्ष में फैसला सुनाया था। फैसले में 2.77 एकड़ विवादित भूमि हिंदू पक्ष को मिली और मस्जिद के लिए अलग से 5 एकड़ जमीन मुस्लिम पक्ष को मुहैया कराने का आदेश दिया गया था। इसके बाद मंदिर निर्माण का काम शुरू हुआ और रिकॉर्ड समय में भव्य मंदिर बनकर तैयार हुआ।
दुनियाभर के मेहमान अयोध्या पहुंचे हैं। इसके लिए अयोध्या के कोने-कोने को सजाया और संवारा गया है। जगह-जगह रामधुन बज रही है। पेड़ों पर झालर सजी हैं। पूरे शहर में कहीं अधेरा नहीं हैं। सड़क किनारे जगह-जगह रामयण के प्रसंग लाइटिंग से जगमग हैं। चारों पथ रामपथ, जन्मभूम पथ, भक्ति पथ और धर्मपथ रंग-बिरंगी लाइटें जगमगा रही हैं। सिर्फ राम की नगरी अयोध्या ही नहीं बल्कि पुरे देश में ऐसा ही जश्न का माहौल हैं।
राम मंदिर के गर्भगृह में विराजेंगे श्यामवर्णी रामलला
अयोध्या। अयोध्या के राम मंदिर के मूल गर्भगृह में रामलला का विग्रह श्याम वर्ण का होगा। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्यों ने मूर्ति चयन के लिए शुक्रवार को गुप्त मतदान किया था। इसका परिणाम भी अब सामने आ चुका है। रामलला के जिस विग्रह को ट्रस्ट के अधिकाधिक सदस्यों ने पसंद किया है वह श्यामवर्ण का है। कर्नाटक के मूर्तिकार की बनाई मूर्ति यहां विराजमान होगी।
टेंट में रामलला को देखकर लिया था संकल्प
करीब 32 साल पहले, साल था 1992 और तारीख थी 14 जनवरी। नरेंद्र मोदी कन्याकुमारी से कश्मीर तक एकता यात्रा निकालते हुए अयोध्या में राम जन्मभूमि पहुंचे थे। जब वह अयोध्या में राम जन्मभूमि पहुंचे थे, तब रामलाला टेंट में विराजमान थे. यहां उन्होंने भगवान श्री राम के दर्शन किए और काफी देर तक प्रतिमा को देखते रहे। कहते है जब दर्शन के बाद जब नरेंद्र मोदी से एक पत्रकार ने सवाल किया कि अब आप यहां कब आएंगे, तो उन्होंने कहा था कि मंदिर बनने के बाद ही अयोध्या लौटूंगा।
नरेंद्र मोदी ने 1992 में यह यात्रा मुरली मनोहर जोशी के साथ आरएसएस के पूर्व प्रचारक व गुजरात भाजपा के महासचिव के रूप में की थी। नरेंद्र मोदी अयोध्या में राम मंदिर को लेकर कितने गंभीर थे इसका अंदाजा 1998 में मॉरीशस में अंतरराष्ट्रीय रामायण कॉन्फ्रेंस में दिए गए उनके भाषण से भी लगता है जिसमें उन्होंने लोगों को संबोधित करते हुए श्री राम की जन्मभूमि अयोध्या में मंदिर निर्माण को लेकर अपनी बात रखी थी। अब राम मंदिर बनकर तैयार है तो पीएम नरेंद्र मोदी को इसे देश को समर्पित करने का सौभाग्य मिला है।