कोविड-19 यानि कोरोना वायरस एक साधारण फ्लू : डॉ दीपक ठाकुर
 
                                        कोविड-19 यानि कोरोना वायरस का खौफ विष्व में सर चढ़कर बोल रहा है लेकिन यह एक साधारण फ्लू है, इससे इतना घबराने की आवष्यक्ता नहीं है, क्योंकि इसकी चपेट में आने वाले 80 प्रतिशत लोग बिना दवाई के ठीक हो जाते हैं। जबकि 15 प्रतिशत लोगों को दवाई की तथा 1 से 5 प्रतिशत लोगों का अस्पताल में दाखिल या आईसीयू की आवश्यकता पड़ती है। यह बात फीनिक्स अस्पताल के मालिक डॉ दीपक ठाकुर ने बिलासपुर में कही। उन्होंने बताया कि जब दूषित हाथ या अन्य कोई शरीर का अंग या कोई वस्तु आंख, मुंह या नाक के संपर्क में आती है तो इस वायरस फैलाव षुरू हो जाता है। कमजोर शरीर यानि किसी बीमारी से ग्रसित लोगों पर इस वायरस का असर इसलिए अधिक होता है क्योंकि उनके शरीर में प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। ऐसे में प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाना जरूरी होता है। उन्होंने कहा कि यह एक साधारण फलू ही तरह है लेकिन सुरक्षा घेरे में यदि यह प्रवेश कर जाता है तो इसका मतलब यह कतई नहीं है कि मरीज ठीक नहीं होगा। मरीज बड़ी आसानी से क्वायरंटाइन करने से भी ठीक हो जाता है। उन्होंने बताया कि संक्रमित व्यक्ति के खांसने या छींकने से वायरस के कण हवा में आते हैं जिसके लिए मास्क का पहनना आवष्य है। वहीं दूसरी ओर यदि इस वायरस के कण किसी स्थान पर हैं और दूसरे स्वस्थ व्यक्ति का हाथ वहां छूने के बाद उसी के मुंह, नाक आदि के कांटेक्ट में आता है तो यह रोग फैलने लगता है। उन्होंने बताया कि हालांकि छींकते या खांसते समय।रूमाल या टिष्यू पेपर का प्रयोग करना चाहिए। इसमें टिष्यू ज्यादा कारगर होता है, छींकने या खांसने के बाद टिष्यू को तुरंत डस्टबिन मे डाल देना चाहिए। संक्रमण न फैले इसलिए बार-बार हाथ धोने का परामर्ष दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यदि कोई व्यक्ति इन लक्षणों से ग्रसित हो तो वह नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र या अस्पताल में अपना इलाज करवा सकता है। स्वास्थ्य क्षेत्र में ऐसे लोगों को कुछ निष्चित समय तक अलग यानि आइसोेलेन में रखा जाता है ताकि वे षीघ्र स्वस्थ हो तथा उनका संक्रमण किसी और को न फैले। यदि तेज बुखार, जुखाम की शिकायत होती है तो ही चिकित्सक की सलाह लेकर घर में रहें। ऐसे लक्षणों से ग्रसित मरीज के संपर्क से दूर रहना या रखना ही बेहतरी होती है। डा दीपक ठाकुर का कहना है कि बीपी, शूगर, सांस की दिक्कत, दमा आदि बीमारी के मरीजों को तो ऐसे संक्रमण से बहुत दूर रहना चाहिए। क्योंकि इन बीमारियों के मरीजों के षरीर में प्रतिरोधक क्षमता अन्य के मुकाबले कम होती है। ऐसे लोगों को थ्री लेयर या एन-95 मास्क लगाकर ही घर से बाहर निकलना चाहिए। बार-बार हाथों को सेनेटाइज करते रहना या साुबन से धोते रहना चाहिए। भारत सरकार द्वारा लाॅकडाउन के तहत लोगों को घरों में रहने की सलाह दी जा रही है जो कि सबसे उतम विकल्प है।

 
			        