ABVP ने JBT छात्रों को प्रथम प्राथमिकता न मिलने पर जताया विरोध

वीरवार को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता प्रदेश के शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज से मिले और ज्ञापन सौंपा।
प्रान्त मंत्री राहुल राणा ने जानकारी देते हुए बताया कि आज अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद द्वारा ज्ञापन सौंपा गया जिसमें की प्रमुख माँग यह है कि जो JBT कमीशन में NCTE की अधिसूचना के अनुसार B.Ed के छात्रों को शामिल किया जा रहा है और JBT के छात्रों को कोई प्रथमिकता नही दी जा रही है जिसका विद्यार्थी परिषद पुरजोर विरोध करती है। इसके पीछे उन्होंने तर्क देते हुए कहा कि जो जेबीटी प्रशिक्षु द्वारा प्राथमिक स्तर पर सभी विषयों को पढ़ाने का प्रशिक्षण दिया जाता है वही दूसरी ओर b.ed के प्रशिक्षु द्वारा किन्ही दो विषय को पढ़ाए जाता है, वहीं जेबीटी और बीएड के पाठ्यक्रम में बहुत अंतर होता है, जेबीटी प्रशिक्षु की न्यूनतम योग्यता 12वी पास और बीएड के लिए स्नातक रखी गई है अतः अंतर स्पष्ट दिखाई दे रहा है और इस प्रकार का निर्णय न्यायसंगत नही है। इस प्रकार की असमानता को देखते हुए भी ऐसे निर्णय उचित नहीं है। वर्तमान समय मे राज्य में 25000 जेबीटी प्रशिक्षु प्रशिक्षित है। अब इसमें राज्य सरकार को भी विचार करना होगा की ऐसे में बीएड प्रशिक्षु को जेबीटी के साथ टेट व कमीशन में बैठने देना न्यायसंगत है या नहीं। लाखों की तादाद में बीएड प्रशिक्षु को जेबीटी के कमीशन में बैठने देने का मतलब जेबीटी प्रशिक्षु का हक छीनने जैसा है। उत्तरांचल, बिहार एवम अन्य राज्यो में प्रदेश सरकार ने को JBT छात्रों का पक्ष लेते हुए कोर्ट में प्रभावी ढंग से यह दलील दी और आखिर में कोर्ट ने JBT के छात्रों को प्राथमिकता देने का जजमेंट सुनाया।
अतः विद्यार्थी परिषद प्रदेश में ऐसे निर्णय का विरोध करती है और साथी मांग करती है कि लाखों की तादाद में जेबीटी प्रशिक्षुओ के साथ ऐसा न किया जाए क्युकि जेबीटी में अलग से दो साल का प्रक्षिण दिया जाता है। यदि जेबीटी और बीएड को एक साथ रख दिया जाएगा तो जेबीटी प्रशिक्षु के दो साल के अलग प्रशिक्षण का कोई वजूद नही रह जायेगा। इस प्रकार के निर्णय में शीघ्र बदलाव किया जाए और जेबीटी प्रशिक्षुओं को उनके हक से वंचित न रखा जाए और वर्तमान में राज्य के लगभग 25000 जेबीटी प्रशिक्षुओं के साथ उचित न्याय किया जाए।