लगेगा सदी का सबसे दुर्लभ चंद्र ग्रहण, 100 साल बाद ऐसा संयोग, भूलकर भी ये न करें

इस वर्ष का दूसरा पूर्ण चंद्र ग्रहण रविवार, 7 सितंबर को लगने वाला है। यह ग्रहण पितृपक्ष के दौरान पड़ने वाला है इस वजह से इस ग्रहण को बहुत शक्तिशाली बताया जा रहा है। इस ग्रहण की सबसे खास बात यह है कि ऐसा संयोग 100 साल में 1 बार ही होता है। विज्ञानं के अनुसार जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आती है तब चंद्र ग्रहण लगता है। इसमें सूर्य की रोशनी चंद्रमा तक नहीं पहुंच पाती है। ग्रहण के समय चंद्रमा लाल जैसा दिखता है जिसे ब्लड मून कहा जाता है।
शास्त्रों के अनुसार चंद्र ग्रहण का महत्व
हिंदू मान्यताओं के अनुसार, जब ग्रहण लगता है तो उस समय कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है। इस दौरान मंदिरों के कपाट को भी बंद रखा जाता है। जब ग्रहण समाप्त हो जाता है तब मंदिर की शुद्धि कर विशेष पूजा की जाती है। शास्त्रों में ऐसा ज़िक्र है कि ग्रहण के वक्त नकारात्मक ऊर्जा ज्यादा सक्रिय हो रहती है और इसी वजह से लोग इस वक्त पर भगवान का ध्यान और प्रार्थना करते हैं।
ग्रहण का समय
आपको बता दें कि ग्रहण शुरू होने से करीब 9 घंटे पहले सूतक काल लग जाता है। 7 सितंबर को रात 9:58 बजे से 8 सितंबर 1:26 बजे तक ग्रहण काल चलेगा। वहीं रात 11:00 बजे से 12:22 बजे के बीच ब्लड मून का समय रहेगा।
ग्रहण के समय भोजन न करें
शास्त्रों में ऐसा वर्णन है कि ग्रहण के समय सूक्ष्म जीवाणु अधिक सक्रिय हो जाते हैं और इससे भोजन अशुद्ध यानि विषाक्त हो जाता है। इसलिए इस ग्रहण के समय कुछ भी खाने से बचना चाहिए। साथ ही अगर भोजन पक चुका है और ग्रहण लग गया है तो पके हुए भोजन में तुलसी पत्ते को डालकर भोजन को सुरक्षित रखा जाता है, सनातन में ऐसी परंपरा है।
गर्भवती महिलाओं को विशेष ध्यान देना चाहिए
ग्रहण के समय गर्भवती महिलाओं को घर के भीतर ही रहना चाहिए और चंद्र ग्रहण को बिकुल नहीं देखना चाहिए। इस समय कोई भी नूकीली चीजें जैसे कि कैंची व चाकू आदि का इस्तेमाल न करें। इस समय सोना भी नहीं चाहिए। ऐसी मांन्यताएँ हैं कि अगर गर्भवती महिलाएं इन चीजों का विशेष ध्यान नहीं रखती हैं तो इसका सीधा प्रभाव होने वाले बच्चे पर पड़ता है।
ग्रहण खत्म होने के बाद ये करें
घर और कपड़ों की साफ़ सफाई कर लेना चाहिए। उसके बाद गंगाजल मिले पानी से नहाकर साफ कपड़े पहन लेना चाहिए। साथ ही भगवान को भी याद करें।