बांका हिमाचल : अतुलिय चायल
बांका हिमाचल : अतुलिय चायल
शीतल आबोहवा और खूबसूरत पहाड़ियों की हसीन वादियों में बसा चायल हिल स्टेशन, प्रकृति की अद्भुत चित्रकारी और अनुपम सौंदर्य की छटा बिखेरता है। यही वजह है कि चायल पर्यटकों की मनपसन्द ट्रेवल डेस्टिनेशन बन चुका है। खूबसूरत वादियों के बीच बसा यह शहर खुद न जाने कितनी ही कहानियां समेटे हुए है। चायल हिल स्टेशन टूरिज्म के दृष्टिगत विश्व भर में प्रसिद्ध है। समुद्र तल से लगभग 2,250 मीटर की ऊंचाई पर स्थित एशिया का सबसे ऊँचा क्रिकेट ग्राउंड मौजूद है। ऐतिहासिक पटियाला राजा का पैलेस होटल, काली माता का मंदिर व वाइल्ड लाइफ सेंचुरी चायल की खूबसूरती को चार चाँद लगा देता है। ऐतिहासिक स्थलों के अलावा अपने प्राकृतिक स्थलों के लिए भी यह जगह काफी प्रसिद्ध है। चायल का नाम जैसे -जैसे विश्व के मानचित्र पर पर्यटन स्थल के रूप में अंकित हुआ वैसे- वैसे कई रोजगार के साधन भी यहाँ उपलब्ध हुए। यहाँ काफी संख्या में होटल व पर्यटन व्यवसाय से जुड़े प्रतिष्ठान है। हज़ारों लोगों को इससे रोजगार मिला है।
जब राजा की ब्रिटिश हुकूमत से ठन गई :
चायल के प्रमुख आकर्षणों में से एक चायल पैलेस है, जिसे 1891 में पटियाला के महाराजा भूपिंदर सिंह ने अपने निवास के रूप में बनवाया था। महाराजा पटियाला का शाही राजमहल आज भी रियासतकालीन वैभव को समेटे हुए है। पत्थरों को तराश कर बनाए गए इस पैलेस पर कला का अजब नमूना देखने को मिलता है। सौ साल से भी अधिक पुराना यह पैलेस देवदार के घने पेड़ों के बीच अपनी खूबसूरती के लिए मशहूर है। चायल पैलेस जहां पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। अब तक अनेकों फिल्मों व धारावाहिकों की यहां शूटिंग हो चुकी है। अब पैलेस होटल पर्यटन विभाग के अंतर्गत आता है। पर्यटन के लिहाज से हिमाचल प्रदेश का यह स्थल बहुत खास है।
अद्भुत है दुनिया का सबसे ऊंचा क्रिकेट मैदान :
चायल क्रिकेट ग्राउंड दुनिया का सबसे ऊंचा क्रिकेट मैदान है। वर्ष 1893 में निर्मित, इस मैदान का उपयोग पोलो ग्राउंड के रूप में भी किया जाता है, जो लगभग 2,144 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह समुद्र तल से 7500 फीट ऊपर है और इसे भारत के प्रसिद्ध क्रिकेट स्टेडियम के रूप में जाना जाता है। पर्यटक यहां से रात में शिमला और कसौली के शानदार दृश्य को देख सकते हैं। इस मैदान का उपयोग चायल मिलिट्री स्कूल द्वारा स्कूल के खेल के मैदान के रूप में भी किया जाता है। 1891 में जब लॉर्ड किचनर ने शिमला में राजा भूपिंदर को शिमला में प्रवेश करने के लिए वर्जित किया था, तब राजा भूपिंदर ने पहाड़ी की खोज की और उस पर एक क्रिकेट का मैदान बनाया, जो विशाल देवदार के पेड़ों से ढंका है। उस समय, महाराजा यहाँ अंग्रेजों के साथ क्रिकेट खेला करते थे।ब यह ग्राउंड भारतीय आर्मी के देखरेख में है, जो यहां के छावनी के अंदर स्थित है। प्रसिद्ध चायल क्रिकेट ग्राउंड को देखने के लिए देश विदेश के कौन - कौन से पर्यटक यहाँ आते है।
प्रकृति प्रेमियों के लिए जन्नत है वाइल्ड लाइफ सैंक्चुअरी :
प्राकृतिक सौन्दर्य के लिए प्रसिद्ध चायल वाइल्ड लाइफ सैंक्चुअरी को यहां के मुख्य पर्यटन गंतव्यों में गिना जाता है।1976 में चायल वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी की पहचान की गई थी और इसे सरकारी विचार के तहत एक कंज़र्वेटिव एरिया घोषित किया गया था। प्रकृति प्रेमियों के लिए ये स्थान किसी जन्नत से कम नहीं है। हिमाचल प्रदेश के लोगों के अनुसार,चायल वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी को चायल में मुख्य आकर्षण माना जाता है। हिमाचल प्रदेश में मोटे तौर पर कवर किए गए ओक के जंगल, देवदार का पेड़, सोलंग घाटी, 10 हेक्टेयर से अधिक भूमि को कवर करता है। इसमें रीसस मकाक, तेंदुआ, भारतीय शहतूत, लिंग, साही, जंगली सूअर, लंगूर और हिमालयन काले भालू हैं।
अद्धभूत है " ए टेम्पल इन माय ड्रीम "
बीते कुछ समय में शिव कुम्भ मंदिर पर्यटकों का मनपसंद पर्यटन स्थल बन चुका है। शिव कुम्भ मंदिर चायल से कुछ ही दूरी पर एक शांत स्थान पर स्थित है। इस मंदिर का निर्माण 65 वर्षीय सत्य भूषण ने अकेले किया था, और इस सुंदर मूर्ति शिल्प को पूरा करने में उन्हें 38 साल लगे है। आज भी इस मंदिर का निर्माण कार्य जारी है। स्थानीय लोगों के अनुसार, सत्य भूषण ने अपने सपने में शिव मंदिर देखने के बाद अपनी पैतृक संपत्ति पर 1980 में इस संरचना का निर्माण शुरू किया था। तीर्थस्थल को " ए टेम्पल इन माय ड्रीम " भी कहा जाता है। पूरी तरह से सीमेंट-धातु के तारों से बना होने के कारण, मंदिर बेरंग है। पर बेरंग होने के बावजूद भी इस मंदिर में शिव की अद्भुत मूर्ति , भूमिगत गुफा और कई अन्य चीज़ों ने मंदिर की खूबसूरती में चार चाँद लगा दिए है।
चायल के समीप है बाबा भलकू का गांव :
यूनेस्को की विश्व धरोहर की सूची में शामिल कालका-शिमला रेलवे लाइन के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले बाबा भलकू का घर सोलन के पर्यटक स्थल चायल के नजदीक झाजा गांव में है। आज भी उनका पुराना मकान गांव में स्थित है। अनपढ़ होने के बावजूद भी कालका शिमला रेलवे लाइन व सुरंग निर्माण में उनका अहम योगदान है। जहां अंग्रेज इंजीनियर असफल हो गए थे, वहां बाबा भलखू ने एक छड़ी के सहारे इसको मापकर सुरंग निर्माण करवा दिया था। बकायदा चाय मुख्य बाजार में बाबा भलकू की प्रतिमा लगी हुई है। इसी प्रतिमा के नीचे दर्शाया गया है कि वह 19वीं सदी के कुशल इंजीनियर थे जिन्होंने दुर्गम पर्वत श्रृंखलाओं को चीरते हुए सड़क निर्माण कर अद्धभूत कीर्तिमान स्थापित किया था। कालका-शिमला रेलवे मार्ग के अलावा हिंदुस्तान-तिब्बत के निर्माण में भी उनकी अहम भूमिका रही थी।