लूण लोटा के बाद कोई वचन नहीं तोड़ता!

हिमाचल प्रदेश की संस्कृति में कई अजीबोगरीब और अद्भुत परंपराएं बसी हुई हैं। इन परंपराओं में से एक है लूण लोटा, जो आज भी पहाड़ी इलाकों में बेहद प्रचलित है। इस प्रथा का पालन करने वाले लोग जब तक अपना वचन या वादा पूरा नहीं करते, तब तक वे किसी भी हालत में पीछे नहीं हट सकते। लूण लोटा का संबंध देवी-देवताओं की अटूट आस्था से है, और यह प्रथा विशेष रूप से उस समय निभाई जाती है जब कोई व्यक्ति किसी बड़े वादे या कसम को निभाने की शपथ लेता है। हिमाचल में यह परंपरा बहुत पुरानी है। जब इन इलाकों में वाद-विवाद सुलझाने के लिए कोई उपयुक्त तरीका नहीं था, तो इस प्रकार की प्रथाएं सामने आईं। पहले यह प्रथाएं शांतिपूर्ण तरीके से विवादों को सुलझाने के लिए इस्तेमाल की जाती थीं। समय के साथ, इनका दायरा बढ़ा और चुनावों या अन्य महत्वपूर्ण निर्णयों के संदर्भ में भी इनका इस्तेमाल होने लगा। अर्थात, इन प्रथाओं का प्रारंभ सामाजिक विवादों के निपटारे से हुआ था, लेकिन जैसे-जैसे समय बदला, इनका उपयोग सत्ता और राजनीति में भी होने लगा।
दरअसल लूण का अर्थ है नमक और लोटा वह बर्तन जिसमें पानी होता है। इस प्रथा के दौरान एक व्यक्ति हाथ में पानी से भरे लोटे को पकड़ता है, और दूसरे हाथ से उसमें नमक डालता है। साथ ही वह व्यक्ति अपने मुंह से एक वचन देता है, जिसे निभाने की वह कसम खाता है। इस वचन के बाद वह शख्स किसी भी हालत में अपने वचन को तोड़ने का नहीं सोचता। नमक और पानी का यह संयोजन एक गहरी सांस्कृतिक आस्था को दिखाता है, जिसमें विश्वास है कि जिस तरह पानी में घुला नमक पूरी तरह से विलीन हो जाता है, वैसे ही वचन तोड़ने से उस व्यक्ति का सम्मान और जीवन खत्म हो सकता है। यह प्रथा हिमाचल प्रदेश के विभिन्न इलाकों जैसे शिमला, सिरमौर, कुल्लू और लाहौल-स्पीति में प्रचलित है। शिमला और सिरमौर के आंतरिक इलाकों में इसे लूण लोटा कहा जाता है, जबकि अन्य जगहों पर इसे देवी-देवताओं के नाम पर कसम खिलाने की परंपरा के रूप में देखा जाता है।
वोट नोट से नहीं, लूण लोटा से पक्का किया जाता है
पंचायत से लेकर लोकसभा तक का चुनाव मतदान के जरिए होता है। चुनाव के दौरान वोट खरीदने के लिए कई उम्मीदवार नोट का सहारा लेते हैं, ये लोकतंत्र का काला सच है। लेकिन प्रदेश के कई क्षेत्रों में वोट पक्का करने के लिए मतदाताओं को सियासी दलों के कार्यकर्ता लोटे में पानी डालकर कसम दिलवाते हैं। कहा जाता है कि मतदाता वायदे से हट जाएं तो उनको कहीं न कहीं देवता का डर सताता है। यानी लूण लोटा हुआ तो वोट पक्का माना जाता है। गिरीपार और हिमाचल के कुछ इलाकों में इसका ख़ासा इस्तेमाल होता है।
ये तरीके भी होते हैं इस्तेमाल
लूण लोटा के अलावा हिमाचल प्रदेश में कई और तरीके हैं, जिनके माध्यम से कसम खिलाई जाती है। कुल्लू क्षेत्र में, जहां कश्यप नारायण नामक देवता की पूजा होती है, वहां लोगों को झूठी कसम से बचने के लिए विशेष तौर पर डराया जाता है। इस क्षेत्र में कश्यप नारायण की कसम से लोग बचते हैं, क्योंकि विश्वास है कि अगर कोई व्यक्ति देवता की कसम खाता है और उसे तोड़ता है, तो वह देवता का श्राप पा सकता है। इसी तरह, लाहौल-स्पीति में बौद्ध और हिंदू परंपराओं का समायोजन देखने को मिलता है, जहां कसम दिलाने के लिए माला का प्रयोग किया जाता है।