क्या मारकंडा को जनता फिर करेगी प्रमोट
जयराम कैबिनेट के मंत्री डॉ राम लाल मारकंडा उन नेताओं में से एक है जिनके सामने इस बार अपनी सीट बचाने की चुनौती है। डॉ मारकंडा जनजातीय जिला लाहौल स्पीति के वर्तमान में विधायक है और फिलवक्त बड़ा सवाल ये है कि इस बार फिर वे विधानसभा पहुंच पाएंगे। मतदान हो चुका है और नतीजा आठ दिसंबर को आना है, लेकिन तब तक मारकंडा की जीत- हार को लेकर कयासों का दौर जारी है। उधर, कांग्रेस ने इस बार फिर उनके सामने पूर्व विधायक रवि ठाकुर को मैदान में उतारा है। ठाकुर के लिए भी ये चुनाव बेहद अहम है।
लाहौल-स्पीति की ठंडी फिजाओं में हर पांच साल बाद सियासत गर्मा जाती है। इस जिला में विधानसभा की महज एक ही सीट है, जो हर पांच साल बाद सत्ता परिवर्तन की साक्षी रही है। जाे भी राजनीतिक दल सत्ता में आता है उसी दल काे यहां जीत मिलती रही है,1993 से ऐसा ही चला आ रहा है। लाहौल-स्पीति विधानसभा सीट पर 1993 में कांग्रेस ने जीत दर्ज की और सरकार भी कांग्रेस की बनी।1998 में जब पंडित सुखराम ने कांग्रेस से अलग होकर हिमाचल विकास कांग्रेस बनाई तो उनकी पार्टी से लड़े डॉ रामलाल मारकंडा यहाँ से जीते। इसके बाद 2003 में कांग्रेस और 2007 में भाजपा को यहाँ जीत मिली। 2012 के चुनाव में यहाँ कांग्रेस के रवि ठाकुर काे जीत मिली थी और प्रदेश में भी कांग्रेस की ही सरकार बनी। इसी तरह से 2017 के चुनाव में फिर भाजपा के डा.रामलाल मारकंडा को जीत मिली और वो प्रदेश में जयराम सरकार के कैबिनेट मंत्री भी बने।
2017 के विधानसभा चुनाव के नतीजे पर निगाह डालें तो कांग्रेस ने लाहौल-स्पीति विधानसभा सीट से रवि ठाकुर को चुनाव मैदान में उतारा था। कांग्रेस के रवि ठाकुर को भाजपा के रामलाल मारकंडा ने तब 1478 मतों से हराया। इससे पहले 2012 के विधानसभा चुनाव में रवि ठाकुर ने डॉ रामलाल मार्कंडेय को शिकस्त दी थी। पूर्व विधायक रवि ठाकुर के पिता निहाल चंद भी प्रदेश विधानसभा के सदस्य रह चुके हैं। वहीं कैबिनेट मंत्री डॉ रामलाल मारकंडा लाहौल-स्पीति से तीन बार चुनाव जीत चुके है। 1998 में वो हिमाचल विकास कांग्रेस के टिकट पर जीते, जबकि 2007 और 2017 में भाजपा टिकट पर। अब तीसरी बार रवि ठाकुर और राम लाल मारकंडा मैदान में है।
कभी कांग्रेसी थे मारकंडा
डा.रामलाल मारकंडा का राजनीतिक सफर एनएसयूआई यानी कांग्रेस के छात्र संगठन से शुरु हुआ था। वे हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी में एनएसयूआई के छात्र नेता रह चुके हैं। धीरे-धीरे कांग्रेस में बात नहीं बनी तो उन्होंने 1998 में हिमाचल विकास कांग्रेस से चुनाव लड़ा और जीत भी गए और भाजपा-हिविकां गठबंधन सरकार में मंत्री की कुर्सी भी मिली गई। उसके बाद जब हिमाचल विकास कांग्रेस में बिखराव शुरू हुआ तो उन्होंने भाजपा का दामन थाम लिया।
लाहौल स्पीति में पिछड़ी है भाजपा
पिछले साल लाहौल स्पीति में हुए पंचायत चुनाव में भाजपा का प्रदर्शन फीका रहा था। हालाँकि जैसे -तैसे निर्दलियों की सहायता से पंचायत समिति में अल्पमत में होने के बाद भी भाजपा ने अध्यक्ष पद पर कब्जा जमा लिया। पर नतीजों के बाद मंत्री राम लाल मारकंडा पर सवाल जरूर उठे। इसके बाद मंडी संसदीय सीट पर हुए उपचुनाव में भी वे भाजपा को लीड नहीं दिलवा पाए थे। इसे भी मंत्री की बड़ी नाकामी के तौर पर देखा गया।