कांगड़ा : दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान ने मटाैर में किया सत्संग का आयाेजन

तिलक राज। कांगड़ा
दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की ओर से मटाैर कांगड़ा में एक दिवसीय सत्संग कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें संसथान की ओर से आशुतोष महाराज के शिष्य स्वामी जसपाल के द्वारा विचारों का प्रवाह किया गया। स्वामी जी ने बताया कि यह संसार कर्मों की खेती है और प्रत्येक मानव अपने कर्मों के अंतर्गत इस संसार में जन्म लेता है, जहां जैसा बोया जाता है वैसा ही आगे काटना पड़ता है और जो आज काट रहे हैं, वह पिछले किए का ही परिणाम है। इसलिए मानव को कर्म करने से पहले उस पर विचार करना चाहिए। क्योंकि कर्म की मार से कोई बच नहीं सकता और कर्माें के परिणामाें का भुगतान करना ही पड़ता है।
अपने विचारों के अंतर्गत स्वामी जी ने पूर्ण गुरु की व्याख्या करते हुए कहा कि पूर्ण गुरु और परमात्मा में कोई भेद नहीं होता और वह भी मानव के बुरे कर्मों का विनाश कर सकता है। इसलिए जीवन में ऐसे गुरु का होना अनिवार्य है, जो मानव के जन्मों के बंधनों से मुक्त कर दें। स्वामी जी ने बताया कि अच्छी संगत ही मानव को इस रास्ते की ओर अग्रसर करती है, उसको विवेक बुद्धि देती है, उसको सतसंगत की ओर ले जाती है, जबकि बुरी संगत मानव के सत्संग के दूर पतन की राह पर ले जाती है। स्वामी जी ने कहा कि मानव को गुरु की शरण में जाना चाहिए। इस मौके स्वामी जी के साथ संस्थान के अन्य मेंबर भी मंच पर आसीन थे, इस दौरान सुंदर भजनों का गायन किया गया।