इंदाैरा : दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान ने तालाब मैदान में किया श्री कृष्ण कथा का आयाेजन

फर्स्ट वर्डिक्ट। इंदाैरा
दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा स्थानीय तालाब मैदान में आयोजित पांच दिवसीय श्री कृष्ण कथा के आज तृतीय दिवस संस्थान की ओर से श्री आशुतोष महाराज जी के शिष्य कथा व्यास स्वामी विज्ञानानंद ने कथा बांचते हुए बताया कि भगवान श्रीकृष्ण की अनेक लीलाओं में से एक लीला है- गोवर्धन लीला। यह लीला हमारे भारत वर्ष की गगै-माता के महत्व को दर्शाता है। गोवर्धन का अर्थ है, गाै का संवर्धन। हमारी भारतीय संस्कृति में गाय को माता का दर्जा दिया गया है। क्योंकि वह अपने दूध के द्वारा जीवन भर हमारा पोषण करती है। गाै साक्षात कामधेनु के समान है। उससे प्राप्त पंचगव्य दूध, दही, घी, गोबर, गोमूत्र अनेक रोगों का समूल नाश करते हैं। गाय का दूध स्मरण शक्ति तीक्ष्ण करता है, जबकि भैंस के दूध में वसा ज्यादा होने से यह कोलेस्ट्रॉल बनाता है, जिससे हृदय रोग होते हैं। गाय के दूध में विटामिन-ए और डी होता है, जो आंखों की रोशनी के लिए लाभकारी है। यदि त्वचा जल जाए, तो गाय का घी एक बढ़िया क्रीम या एंटीसेप्टिक दवा का काम करती है।
स्वामी जी ने बताया कि गाय के गोबर में लक्ष्मी और मूत्र में गंगा का वास होता है, जबकि आयुर्वेद के क्षेत्र में गौमूत्र अर्क का रासायनिक विश्लेषण करने पर वैज्ञानिकों ने पाया कि इसमें 24 ऐसे तत्व हैं, जिनके सेवन से कैंसर, एड्स इत्यादि 450 से अधिक असाध्य रोग भी ठीक हो जाते हैं। गाय के ताजे गोबर से टीबी व मलेरिया के कीटाणु मर जाते हैं, जो लोग नियमित रूप से थोड़े से गौमूत्र का भी सेवन करते हैं, उनकी रोग प्रतिरोधी क्षमता बढ़ जाती है। मौसम परिवर्तन के समय होने वाली कई बीमारियां दूर ही रहती हैं। शरीर स्वस्थ और ऊर्जावान बना रहता है। वैदिक ऋषि मुनियों ने गोमूत्र को गंगा जल की तरह पवित्र माना है। देसी गाय के बहुत से लाभ हैं, परंतु दुर्भाग्यवश आज हम उन्हें खोते जा रहे हैं। संस्थान ने देसी गायों के संवर्धन एवं संरक्षण के लिए कामधेनु नामक एक प्रकल्प चलाया है। कथा को विराम प्रभु की पावन आरती द्वारा दिया गया।