प्रदेश में वेटलैंड्स के संरक्षण के लिए उठाए जा रहे प्रभावी कदम : मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने आज यहां 'विश्व वेटलैंड दिवस' के उपलक्ष्य पर पारिस्थितिकीय संतुलन बनाए रखने और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के दृष्टिगत वेटलैंड के संरक्षण का आह्वान किया है। यह आर्द्र भूमि क्षेत्र इस संतुलन को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्होंने प्रदेशवासियों से हिमाचल में स्थित रामसर स्थलों एवं अन्य वेटलैंड क्षेत्रों के संरक्षण के लिए सक्रिय सहयोग का भी आग्रह किया।
इस वर्ष विश्व वेटलैंड दिवस की विषय-वस्तु 'आर्द्र भूमि और मानव कल्याणÓ रखी गई है। इस दिवस का आयोजन 2 फरवरी, 1971 को ईरान के रामसर शहर में वेटलैंड के अंतर्राष्ट्रीय महत्व पर आयोजित सम्मेलन के दौरान हस्ताक्षरित रामसर समझौते के उपलक्ष्य में वर्ष 1997 से किया जा रहा है।
वेटलैंड समाज को पर्यावरण संतुलन प्रदान करते हैं। इनमें ताजा जल, पानी में से नुकसानदायक अपशिष्ट को छानकर इसे पीने के लिए शुद्ध बनाते हैं। इसके साथ ही यह खाद्य पदार्थों के बेहतर स्रोत के रूप में भी जाने जाते हैं। विषम मौसमी घटनाओं के दौरान भी वेटलैंड अत्याधिक जल प्रवाहन तथा सूखे जैसे जोखिमों को कम करने में अपनी भूमिका निभाते हैं। वेटलैंड क्षेत्र जैव विविधता के संरक्षण के साथ ही असंख्य लोगों के लिए जीवनयापन का स्रोत भी हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में रामसर स्थलों के संरक्षण के लिए प्रदेश सरकार सहित स्थानीय समुदायों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि हिमाचल में विभिन्न पारिस्थितिकीय क्षेत्रों में विविध वेटलैंड फैले हुए हैं। यह क्षेत्र स्थानीय लोगों की आजीविका की पूर्ति के साथ ही प्राकृतिक सौंदर्य एवं पर्यटन की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण हैं। वर्तमान में प्रदेश में स्थित पौंग बांध, रेणुका और चंद्रताल झील अंतर्राष्ट्रीय महत्व के रामसर स्थलों में शामिल हैं। इसके अतिरिक्त केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा रिवालसर और खजियार झील को राष्ट्रीय महत्व के वेटलैंड के रूप में शामिल किया गया है।