बिजली के भारी भरकम बिलों ने उड़ाए ग्रामीणों के होश
दाड़लाघाट के अंतर्गत ग्राम पंचायत सन्याडी मोड़ के गांव मंगरूड़ के लोगों में बिजली के भारी भरकम बिल देखकर हड़कंप मच गया है। विद्युत विभाग द्वारा इस बार उपभोक्ताओं को एक मुश्त 6-7 महीने बाद भारी-भरकम बिल थमा दिए गए जिससे ग्रामीण आम जनता सकते में आ गई है। उधर सन्याडी मोड़ पंचायत के छामला गांव निवासियों ने विद्युत विभाग पर लापरवाही करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा है कि विद्युत विभाग की लापरवाही आम जनता पर भारी पड़ रही है, पहले बिजली के बिल विभाग द्वारा हर 2 महीने के उपरांत दिए जाते थे जो कम होते थे और लोगों को देने में आसान होते थे लेकिन कोरोना महामारी के कारण विभाग ने 6-7 महीने का एकमुश्त बिल आम जनता पर थोप दिया है। उनके अनुसार उपभोक्ताओं को पहले सौ से डेढ़ सौ यूनिट बिजली की खपत होती थी लेकिन जैसे-जैसे मीटर रीडिंग करने हेतु महीने बढ़ते गए बिजली का टैरिफ रेट भी बढ़ता गया और वहां अनावश्यक बोझ भी आम जनता पर बढ़ता गया क्योंकि यदि समय पर बिजली के बिल आ जाते तो आम जनता को बढ़े हुए टैरिफ रेट नहीं चुकाने पड़ते। लोगों का कहना है कि यदि विभाग के पास कर्मचारी नहीं है तो इसमें लोगों या आम जनता का क्या कसूर है आम जनता क्यों छह- सात महीने के बढ़े हुए टैरिफ रेट के बिल अदा करें। उनका कहना है कि आम आदमी को यदि 9 या 10 हज़ार का घरेलू बिजली बिल एकमुश्त आ जाए तो उसे अदा करने में कितनी कठिनाई होगी यह शायद विभाग को मालूम नहीं? लोगों ने विभाग से मांग की है कि उन्हें पूर्ववत 2 महीने बाद बिजली के बिल दिए जाएं ताकि उन्हें बिल अदायगी में आसानी रहे। विद्युत उपभोक्ताओं में जियालाल, प्रेमलाल, संतराम, लक्ष्मी नंद, केशवराम, मदन शुक्ला, दिलीप कुमार, वीरेंद्र कुमार, परमानंद इत्यादि ने विभाग से गुहार लगाई है कि इतने भारी भरकम बिल एकमुश्त न दिया जाए और दिए गए बिलों में कटौती देकर उपभोक्ताओं को राहत प्रदान की जाए।
जब इस बारे सहायक अभियंता दाड़लाघाट ओम प्रकाश शर्मा से बात की गई तो उन्होंने बताया कि हमारे पास बिल काटने वाली मशीनें कम होने के कारण बिल देने में देरी हो रही है। कई बार मशीनें खराब भी हो जाती है जिस कारण बिल लेट हो जाते है। उच्च अधिकारियों को इस बारे लिख दिया है जल्द ही लोगों को देरी से आने वाले बिलों की समस्या का समाधान कर देंगे।