प्रदेश में 79 हजार आवारा कुत्तों की होगी वैक्सीनेशन, नसबंदी के लिए भी चलाया जाएगा अभियान

प्रदेश में आवारा कुत्तों की संख्या बढ़ गई है। जल्द ही आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या पर रोक लगाई जाएगी। हिमाचल प्रदेश में अब पशुपालन विभाग के द्वारा 79 हजार कुत्तों की वैक्सीनेशन की जाएगी और रेबीज की बीमारी से बचाव के बारे में भी लोगों को जागरुक किया जाएगा। इसके अलावा आवारा कुत्तों की संख्या को रोकने के लिए प्रदेश में उनकी नसबंदी भी की जाएगी। जिला कुल्लू के मुख्यालय ढालपुर में पशुपालन विभाग की ओर से विश्व रेबीज दिवस के अवसर पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में पशुपालन विभाग के निदेशक डॉक्टर प्रदीप शर्मा विशेष रूप से उपस्थित रहे। डॉक्टर प्रदीप शर्मा ने बताया कि, 'घर में कोई भी पालतू जानवर है तो उसकी समय-समय पर वैक्सीनेशन जरूर करवाएं, क्योंकि रेबीज के मामले तभी सामने आते हैं, जब किसी भी जानवर की वैक्सीनेशन नहीं की गई हो। कुत्तों में भी रेबीज के मामले काफी अधिक आते हैं। पशुपालन विभाग के द्वारा अब पूरे प्रदेश में आवारा कुत्तों की वैक्सीनेशन की जाएगी। इसके अलावा आवारा कुत्तों की नसबंदी भी की जाएगी और इसमें स्थानीय संस्थाओं का भी सहयोग लिया जाएगा। कई बार कच्चे दूध में भी रेबीज के वायरस आ सकते हैं। ऐसे में लोग कभी भी अगर दूध का प्रयोग करें तो उससे पहले अच्छी तरह से उबाल लें, ताकि रेबीज का संक्रमण होने का खतरा कम हो सके। रेबीज संक्रमित जानवरों के काटने से या किसी तरह उनकी लार शरीर में प्रवेश करने के कारण हो सकता है। कुत्तों के अलावा अन्य जानवरों से भी रेबीज की बीमारी हो सकती है। बुखार, सिरदर्द, थकान, मांसपेशियों में दर्द, पानी का डर, भ्रम आदि इसके लक्षण। रेबीज के लक्षण सामने आने में दो दिन से लेकर कई महीने तक का समय लग सकता है। कुत्ते, बिल्ली, बंदर के बाइट करने पर अस्पताल में एंटी रेबीज का इंजेक्शन लगवाना चाहिए।