शिमला: प्राइवेट बस ऑपरेटर हड़ताल पर, यात्री परेशान, पैदल गंतव्यों तक पहुंच रहे लोग
हिमाचल की राजधानी शिमला में प्राइवेट बस ऑपरेटर आज से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं। इस वजह से स्कूल जाने वाले बच्चों से लेकर सरकारी और निजी क्षेत्र के कर्मचारियों को गंतव्य तक पहुंचने में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। प्राइवेट ऑपरेटरों ने अपनी बसें आरटीओ ऑफिस के बाहर खड़ी कर दी है। जिस कारण शहर में निजी बसें नहीं चल रहीं है। हालांकि, एचआरटीसी ने अतिरिक्त बसें भी चलाई हैं लेकिन इसका खास असर नजर नहीं आया। सुबह कार्यालय, स्कूल-काॅलेज जाने वाले विद्यार्थियों सहित अन्य लोग बसों के लिए इंतजार करते देखे गए। एचआरटीसी बसें पैक रहीं। इसलिए बड़ी संख्या में लोग पैदल ही अपने गंतव्यों की ओर रवाना हुए।
वहीं, प्राइवेट बस ऑपरेटर मांगे पूरी नहीं होने तक बसें चलाने को तैयार नहीं है। ऐसे में यदि सरकार ने जल्द इनकी मांगे नहीं मानी तो जनता को आने वाले दिनों में भी परेशानी झेलनी पड़ेगी। दरअसल, प्राइवेट बस ऑपरेटर 40 किलोमीटर से लंबी दूरी की बसों की शहर में एंट्री पर रोक की मांग कर रहे हैं। इनकी मांग है कि लंबी दूरी की बसें सीधे आईएसबीटी से चलाई जाए। पुराने बस अड्डा में इनको एंट्री न दी जाए। इसी तरह, प्राइवेट बस ऑपरेटर HRTC की स्कूल बसों में सवारियां बिठाए जाने से नाराज है। इन मांगों को लेकर बीते 12 अक्टूबर को आरटीओ शिमला के साथ इनकी मीटिंग हुई। इसमें, प्राइवेट बस ऑपरेटरों की जो मांगे मानी गई थी, उनके पूरा नहीं होने पर आज से इन्होंने हड़ताल पर जाने का फैसला लिया है।
शिमला शहर की सड़कों पर रोजाना 160 से ज्यादा प्राइवेट बसें दौड़ती है। लोकल रूट पर एक-एक बस शहर में कई कई चक्कर काटती है। मगर आज प्राइवेट बसों के पहिए थम गए हैं। इससे लोग परेशान है और पैदल चल कर एक स्थान से दूसरी जगह जा रहे हैं। इनके हड़ताल पर जाने से शहर की यातायात व्यवस्था पूरी तरह सरकारी बसों पर निर्भर हो गई है। मगर शहर में सरकारी बसों की संख्या प्राइवेट के मुकाबले आधी है। इससे संजौली, ढली, विकासनगर, समरहिल, कसुम्पटी, पंथाघाटी, मैहली, हिमलैंड, खलीणी इत्यादि उप नगरों में काफी संख्या में लोग घंटों बसों के इंतजार में खड़े हैं।
