हिमालय साहित्य मंच पांच महिला रचनाकारों को करेगा सम्मानित

वरिष्ठ लेखिका डॉ. नलिनी विभा 'नाजली' को 'आजीवन साहित्य उपलब्धि सम्मान'
चार युवा लेखिकाओं-डॉ. प्रेरणा ठाकरे, डॉ. देवकन्या ठाकुर, दीप्ति सारस्वत 'प्रतिमा' और डॉ. देविना अक्षयवर को मिलेगा 'युवा साहित्य सृजन सम्मान'
देश और प्रदेश में अपने अनूठे साहित्यिक, सांस्कृतिक और पर्यावरणीय सोच के कार्यक्रमों के लिए प्रतिष्ठित हिमालय साहित्य संस्कृति एवं पर्यावरण मंच पांच महिला लेखिकाओं को उनके हिंदी और हिंदी साहित्य के क्षेत्र में दिए रहे उत्कृष्ट योगदान के लिए सम्मानित करेगा। इन रचनाकारों में हिंदी और उर्दू की प्रख्यात वरिष्ठ लेखिका-गजलकार डॉ. नलिनी विभा 'नाजली' को 'आजीवन उपलब्धि साहित्य सम्मान' और चार युवा लेखिकाओं-डॉ. प्रेरणा ठाकरे (नीमच मध्य प्रदेश), डॉ. देवकन्या ठाकुर, दीप्ति सारस्वत 'प्रतिमा' व डॉ. देविना अक्षयवर को 'हिमालय युवा साहित्य सम्मान' से अलंकृत किया जाएगा। यह जानकारी प्रख्यात लेखक व हिमालय साहित्य मंच के अध्यक्ष एसआर हरनोट ने आज शिमला में एक प्रेस नोट जारी कर मीडिया को दी। सम्मान समारोह शिमला में अक्तूबर मास में आयोजित किया जाएगा, जिसकी तिथियों की घोषणा जल्दी ही की जाएगी।
डॉ. नलिनी विभा 'नाजली'
वरिष्ठ लेखिका डॉ. नलिनी विभा 'नाजली' का नाम एक शायरा/गजलकार के रूप में देश भर में प्रख्यात है। उनके अब तक 13 गजल संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं जिनमें दो पुस्तकें बच्चों के लिए भी शामिल हैं। हाल ही में उनका गजलों का वृहद् गं्रथ 'दीवान-ए-नाजली' प्रकाशित हुआ है जिसमें उनकी पांच सौ के करीब गजलें संग्रहीत हैं। नाजली को प्रदेश और देश के अनेक पुरस्कार प्राप्त हुए हैं।
डॉ. प्ररेणा ठाकरे
डॉ. प्ररेणा ठाकरे की मूल भाषा मराठी है, जबकि वे पिछले लगभग 25 सालों से हिंदी की मंचीय कविता में बेहद सक्रिय हैं और अपने प्रदेश में एक सैलेब्रिटी की तरह लोकप्रिय हैं। हिंदी साहित्य में पीएचडी डॉ. प्रेरणा ठाकरे मध्य प्रदेश के नीमच में एक सरकारी कॉलेज में हिन्दी की आचार्य हैं। मंचीय कविता और बच्चों को कई व्यवहारिक सम सामायिक विषयों को पढ़ाने में उनकी महारथ है। वे हिंदी कविता, गजल और कहानी लेखन में सम्मान रूप से सक्रिय हैं। उनकी अबतक कविता और गजलों की चार और कहानी की एक पुस्तक प्रकाशित हैं। वे कई राज्य सम्मानों से अलंकृत हैं।
डॉ. देवकन्या ठाकुर
डॉ. देवकन्या ठाकुर हिंदी साहित्य और फिल्म निर्माण में सक्रिय हैं। अब तक अंग्रेजी और हिंदी में पांच पुस्तकें प्रकाशित हैं और हिमाचल के कई दुर्लभ विषयों में कई फिल्मों का निर्माण कर चुकी है जिन्हें कई राज्य और राष्ट्रीय सम्मान मिल चुके हैं। पिछले कई सालों से देवकन्या ठाकुर शिमला अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल का सफल संचालन कर रही है।
दीप्ति सारस्वत 'प्रतिमा'
दीप्ति सारस्वत 'प्रतिमा' लेखन के साथ अध्यापन में रहते हुए हिन्दी की सेवा कर रही है। उनकी अब चार कविता और एक कहानी की पुस्तक प्रकाशित हो चुकी है। साथ ही डिजिटल मीडिया में सक्रिय हैं।
डॉ. देविना अक्षयवर
डॉ. देविना अक्षयवर मूल रूप से मोरिशस की निवासी हैं, लेकिन जेएनयू में पीएचडी की उपाधि प्राप्त करने के बाद उन्होंने स्थायी निवास शिमला बना लिया है। वे फ्रेंच भाषा की विद्वान भी हैं। इन दिनों शिमला के प्रतिष्ठित कॉलेज सैंट बीड्स में हिंदी की सहायक प्रोफेसर हैं। प्रवासी साहित्य को लेकर उनका अध्ययन हैं और वे कविता, कहानी और आलोचना में समान रूप से अपनी भूमिका निभा रही हैं।