बुढ़ापे में पेंशन के लिए भी संघर्षरत एचआरटीसी पेंशनर
एचआरटीसी को हिमाचल प्रदेश की जीवन रेखा माना जाता है। आज हिमाचल के लगभग हर कोने तक एचआरटीसी की बसें पहुँचती है जो हिमाचल की कठिन भौगौलिक परिस्थितयों के बावजूद भी जन-जन को मुख्यधारा से जोड़ती है। मगर हिमाचल के दूर दराज़ क्षेत्रों तक पहुँचने वाली इन बसों को सड़क तक पहुँचाने में जिन लोगों ने हम भूमिका निभाई आज वो ही सड़को पर उतरने को मजबूर हो गए है। हम बात कर रहे एचआरटीसी के 8000 सेवानिवृत कर्मचारियों की। पूरी उम्र सरकार के लिए जिन कर्मचारियों ने काम किया, आज बुढ़ापे में उन्हीं का साथ सरकारों ने छोड़ दिया। यह हालात है हर महीने अपनी पेंशन का इंतज़ार करने को मजबूर हुए एचआरटीसी के पेंशनरों का। हिमाचल पथ परिवहन के सेवानिवृत कर्मचारी अक्सर सरकार से गुहार लगाते हैं कि उन्हें समय पर उनकी पेंशन नहीं मिल रही। इन सेवानिवृत कर्मचारियों के लिए ये एक या दो नहीं बल्कि हर महीने की कहानी बनकर रह गई है। अपना पूरा जीवन एचआरटीसी को समर्पित करने वाले ये कर्मचारी अब बुढ़ापे में अपने एक मात्र सहारे पेंशन को लेकर हर महीने परेशान रहते हैं। इन पेंशनर्स का कहना हैं कि समय पर पेंशन न मिलने के कारण इनके लिए जीवन यापन तक करना मुश्किल हो गया है। ये पेंशनर इस बुढ़ापे में अपनी दवाई का खर्चा भी नहीं उठा पा रहे हैं।
हालात ये है कि जब ये सेवानिवृत कर्मचारी अपनी मांगो के लिए सड़कों पर उतरे तो पिछली सरकार द्वारा इन पर एफआईआर दर्ज की गई। नई सरकार भी इनपर कुछ ख़ास मेहरबान नहीं दिखती, न तो इन पर दर्ज मामले वापस लिए गए और न ही इनके मसले हल किए गए। एचआरटीसी पेंशन कल्याण संगठन के अध्यक्ष सत्याप्रश शर्मा का कहना है कि फाइनेंसियल क्राइसिस के नाम पर हर बार उनकी पेंशन में विलम्ब कर दिया जाता है। जो पैसा आता है उससे पहले बाकि काम निपटाए जाते है, कर्मचारियों को वेतन दिया जाता है और फिर कहीं जाकर सेवानिवृत कर्मचारियों की बारी आती है। उन्होंने कहा कि ऐसा एक भी महीना नहीं गुज़रता जब इन्हें बिना एमडी ऑफिस के चक्कर काटे पेंशन मिल जाए।
समय पर पेंशन न मिलना तो महज़ एक समस्या है मगर इसके अलावा भी ये सेवानिवृत कर्मचारी कई परेशानियां झेल रहे है। सरकार ने अब तक उन्हें उनके एरिअर का भी भुगतान नहीं किया है। 2015 से डीए का एरियर पेंडिंग है। रिवाइज्ड पे स्केल भी इन कर्मचारियों को सात महीने बाद मिला और बीते सात महीनों का जो एरियर बना वो भी पेंडिंग है। रिवाइज्ड ग्रेचुटी और रिवाइज्ड लीव एकाश्मेंट जैसे और भी कई भुगतान बाकी है।
रोडवेज बनाने की मांग :
सेवानिवृत कर्मचारियों का मानना है कि यदि सरकार चाहे तो उनकी समस्या हल हो सकती है। उनके पेंशन के भुगतान के लिए एक अलग ट्रस्ट बनाया जा सकता है जो ये सुनिश्चित करे कि सेवानिवृत कर्मचारियों को समय पर उनकी पेंशन मिले। साथ ही कर्मचारियों की ये भी मांग है की एचआरटीसी को रोडवेज बनाया जाए ताकि प्रदेश सरकार के बाकि कर्मचारियों की तरह ही इन्हें सभी लाभ मिल पाए।
सीएम की माता की पेंशन भी डिले !
एचआरटीसी पेंशनर कल्याण संगठन का कहना है कि खुद मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के पिता एचआरटीसी में ड्राइवर रह चुके हैं, मगर इसके बावजूद भी एचआरटीसी पेंशनर्स के बारे में कोई सुध नहीं ले रहा। स्थिति इतनी खराब है कि मुख्यमंत्री की माता को मिलने वाली पेंशन भी समय पर नहीं आती है। हिमाचल पथ परिवहन निगम की सेवा में जिन लोगों ने पूरी जिंदगी लगा दी, उन्हें अब पेंशन के लिए तरसना पड़ रहा है।
पेंशनरों की मुख्य मांगें :
- महीने के पहले हफ्ते में जारी हो पेंशन
- मेडिकल बिलों का समय पर भुगतान
- 5, 10 और 15 फीसदी पेंशन वृद्धि का लाभ
- 2015 से ग्रेच्युटी सहित अन्य भत्तों का भुगतान