ज्वालामुखी: कांग्रेस सरकार ने की श्रद्धालुओं के मन को दी पीड़ा:अभिषेक पाधा

हिमाचल प्रदेश सरकार ने जिस प्रकार से प्रदेश के जिलाधीशों के माध्यम से अपनी योजनाओं को पूरा करने के लिए मंदिरों के खजाने से धन लेने के आदेश दिए हैं, वह सीधे-सीधे मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं की आस्था से खिलवाड़ करने जैसा है। यह गंभीर आरोप वरिष्ठ भाजपा नेता और समाजसेवक एडवोकेट अभिषेक पाधा ने लगाए हैं। उनका कहना है कि दूर-दूर से श्रद्धालु जब देवी-देवताओं के दर पर नतमस्तक होते हैं और दान चढ़ाते हैं, तो उनका उद्देश्य यह होता है कि मंदिर में और अधिक विकास हो और वहां आने वाले श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधाएं और व्यवस्थाएं मिल सकें। लेकिन जिस प्रकार प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुकून, या उनके नाम से चल रही योजनाओं को पूरा करने के लिए मंदिरों से धन लेने का आदेश जारी किया गया है, वह इन श्रद्धालुओं की धार्मिक आस्थाओं के साथ सीधा खिलवाड़ है। प्रदेश के मंदिर पहले भी कल्याणकारी कार्य करते रहे हैं, लेकिन कभी भी सरकार ने प्रत्यक्ष रूप से अपनी योजनाओं के लिए मंदिरों से धन निकालने का ऐसा कदम नहीं उठाया था।
प्रदेश में अनाथ आश्रम और विद्याश्रम जैसे कई जरूरी प्रकल्प हैं, जिनका संचालन मंदिर भी कर सकते हैं, और श्रद्धालु देवी-देवताओं के नाम से चलने वाले इन प्रकल्पों में सेवा कार्य कर सकते हैं। लेकिन मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुकून केवल अपनी छवि चमकाने के लिए बिना बजट के घोषणाएं कर रहे हैं, जो निंदनीय है।
प्रदेश सरकार के इस निर्णय से हिमाचल प्रदेश में आने वाले श्रद्धालुओं की भावनाओं को ठेस पहुंची है। श्रद्धालु जब चढ़ावा चढ़ाएंगे, तो उन्हें यह सोचने पर मजबूर होना पड़ेगा कि उनका चढ़ाया हुआ धन गलत हाथों में जा रहा है। यह मामला केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि लोगों की धार्मिक भावनाओं को चोट पहुंचाने का है, जिसे प्रदेश की जनता कभी माफ नहीं करेगी। इससे आने वाले श्रद्धालुओं की आवक में भी कमी आएगी, और यह हिमाचल प्रदेश की संस्कृति और धार्मिक आस्थाओं के लिए एक बड़ा संकट बन सकता है।