राजन सुशांत,शांता कुमार, किशन कपूर...अगला कौन ?

कांगड़ा में कैंडिडेट बदल कर जीतती आ रही है भाजपा
क्या टूटेगा चेहरा बदलने का पैटर्न ?
2019 में रिकॉर्ड मार्जिन से जीते थे किशन कपूर
2009 में राजन सुशांत, 2014 में शांता कुमार, 2019 में किशन कपूर, अब 2024 में कौन ? कांगड़ा संसदीय क्षेत्र से भाजपा ने बीते तीन चुनावो में हर बार चेहरा बदला है और जीती भी है। ये परिस्तिथि है या रणनीति, पर भाजपा को इसका लाभ हुआ है। परिस्थिति हम इसलिए कह रहे है क्यूंकि 2019 में शांता कुमार ने खुद चुनाव लड़ने से इंकार किया था। बहरहाल परिस्थिति हो या रणनीति, भाजपा के चेहरे बदलने की चाल में कांग्रेस हमेशा उलझ कर रह जाती है। अब सवाल ये है कि क्या इस बार भी भाजपा चेहरा बदलने की रणनीति पर आगे बढ़ेगी या मौजूदा सांसद पर ही भरोसा जतायेगी।
काँगड़ा संसदीय क्षेत्र में यूँ तो कई बड़े फैक्टर है, लेकिन भाजपा के लिहाज़ से यहाँ चेहरे बदलते ही सियासी समीकरण बदल जाते है। 2009 में भाजपा ने काँगड़ा लोकसभा सीट पर डॉ राजन सुशांत को मैदान में उतारा था। तब डॉ साहब भाजपा में ही शामिल थे और 20 हज़ार के अधिक मार्जिन से जीतने में सफल रहे थे। अगली दफा 2014 में भाजपा ने लोकसभा प्रत्याशी का चेहरा ही बदल दिया और मैदान उतारा शांता कुमार को। शांता कुमार तब डेढ़ लाख से अधिक के मार्जिन से जीते। फिर 2019 का लोकसभा चुनाव आया और भाजपा ने मैदान में किशन कपूर को उतारा। 2009 और 2014 की तरह ही 2019 में भी भाजपा को ही कामयाबी मिली। तब रिकॉर्ड मार्जिन 4,77,623 मतों के साथ किशन कपूर जीत गए।
अब आगामी लोकसभा चुनाव में क्या भाजपा फिर नए चेहरे पर दांव खेलेगी या किशन कपूर ही मैदान में होंगे, ये अभी कहना मुश्किल है। बहरहाल दावेदारों की फेहरिस्त लम्बी है, किसी के पक्ष में जातीय समीकरण फिट है तो कोई आलकमान की निगाह में हिट है। किसी का सियासी बहीखाता मजबूत है तो कोई क्षेत्रीय लिहाज से मुफीद। वहीँ एक सम्भावना ये भी है कि यहाँ से कोई बड़ा चेहरा मैदान में हो।