नियुक्ति के लिए सरकार का फार्मूला नामंजूर, जल्द मिले नियुक्ति

हिमाचल को हाल ही में 111 नए प्री प्राइमरी स्कूल मिले हैं। हिमाचल प्रदेश के सरकारी स्कूलों के विकास के लिए केंद्र सरकार ने जो 787 करोड़ रुपये का बजट स्वीकृत किया है उससे प्रदेश में 350 नए स्मार्ट क्लासरूम बनाए जाएंगे, 97 और स्कूलों में वोकेशनल शिक्षा शुरू की जाएगी और 111 नए प्री प्राइमरी स्कूल खोले जाएंगे। सरकार ये प्री प्राइमरी स्कूल खोल तो रही है मगर प्रदेश के इन स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति का मुद्दा अब भी गरमाया हुआ है। दरअसल एनटीटी कर चुकी महिलाएं लंबे समय से उन्हें इन स्कूलों में नियुक्ति देने की मांग कर रही हैं। उधर, आंगनबाड़ी वर्कर भी नियुक्ति की मांग को लेकर संघर्षरत हैं। दोनों संगठनों ने पिछले विधानसभा के बजट सत्र के दौरान प्रदर्शन भी किए थे, जिसके बाद सरकार ने नर्सरी टीचर ट्रेनिंग करने वालों के साथ आंगनबाड़ी वर्करों को भी भर्ती में शामिल किया है। सरकार ने अपनी ओर से तो जैसे तैसे ये मसला सुलझा दिया मगर बता दें की अब भी एनटीटी अध्यापिकाएं सरकार के इस फैसले के पक्ष में नहीं है। उनका मानना है की इस भर्ती के लिए आंगनवाड़ी वर्कर पात्र नहीं हो सकती। साथी ही ये अध्यापिकाएं सरकार से जल्द नियुक्ति देने की मांग भी कर रही है। इसके आलावा ये अध्यापिकाएं सरकार की लेट लतीफी से भी काफी परेशान है। इनका कहना है कि सरकार ने घोषणाएं तो कर दी मगर अब तक नियुक्तियों के लिए कोई अधिसूचना जारी नहीं की गई है जिससे इन अध्यापिकाओं का इंतज़ार और भी अधिक लम्बा हो गया है।
प्रशिक्षित नर्सरी अध्यापिका संघ की प्रधान मधुबाला ने बताया कि संघ की सदस्यों ने नर्सरी अध्यापिका का प्रशिक्षण इसलिए लिया था ताकि उन्हें रोजगार का अवसर मिल सके न कि घर बैठने के लिए। अधिकतर महिलाएं गरीब परिवार से संबंधित हैं और दिन प्रति दिन इनकी उम्र भी निकलती जा रही है। वे इससे पहले भी कई बार प्रदेश सरकार से जल्द रोजगार उपलब्ध करवाने की गुहार लगा चुकी हैं। वर्ष 1996-97 में तत्कालीन सरकार ने नर्सरी अध्यापिकाओं को प्राथमिक स्कूलों में तैनात किया था। इसके बाद आज दिन तक प्रदेश में कोई नर्सरी अध्यापिका तैनात नहीं की गई है। उन्होंने मांग की है कि नई शिक्षा नीति के तहत नर्सरी के बच्चों को पढ़ाने के लिए एनटीटी टीचर ही नियुक्त किए जाएं। बेरोजगार प्रशिक्षित नर्सरी अध्यापिकाओं को आयु सीमा में भी छूट दी जाए ताकि जो समय सरकार की ढुलमुल कार्यप्रणाली के चलते व्यर्थ हो गया है उसका खामियाज़ा इन अध्यापिकाओं को न भुगतना पड़े। इसके अतिरिक्त प्रशिक्षित नर्सरी अध्यापिकाओं की नियुक्ति प्री प्राइमरी कक्षाओं के विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिए बिना किसी शर्त के बैचवाइज नियमित आधार पर की जाए। उनकी तैनाती के लिए अभ्यर्थी की योग्यता दस जमा दो कक्षा व नर्सरी टीचर ट्रेनिंग का प्रमाण पत्र हो। साथ ही उच्च शिक्षा प्राप्त प्रार्थी को शिक्षा योग्यता के अनुसार तैनाती में प्राथमिकता के अलावा वार्ड आफ एक्स सर्विसमैन का कोटा भी दिया जाए।
ये है प्री प्राइमरी का मकसद
प्री प्राइमरी कक्षाओं को शुरू करने का उद्देश्य बच्चों को स्कूल के लिए पूरी तरह से तैयार करना है। दरअसल नई शिक्षा नीति में बताया गया है कि वर्तमान समय में प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा (ईसीसीई) की सभी तक पहुंच नहीं होने के कारण बच्चों का एक बड़ा हिस्सा प्रथम कक्षा में प्रवेश पाने के कुछ ही हफ्तों बाद अपने सहपाठियों से पिछड़ जाता है। ऐसे में एनसीईआरटी और एससीईआरटी की ओर से केजी के विद्यार्थियों के लिए अल्पकालीन तीन माह का प्ले आधारित स्कूल तैयारी मॉड्यूल बनाया जाएगा। इस मॉड्यूल को क्रियान्वित करने में सहपाठियों और अभिभावकों का भी योगदान लिया जाएगा। इससे यह सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी कि हर विद्यार्थी स्कूल के लिए तैयार है।