प्रशिक्षण के बावजूद भी नौकरी के लिए तरस रहे कला अध्यापक
हिमाचल प्रदेश के कला अध्यापक सरकार से खासे नाराज चल रहे है। इन अध्यापकों को प्रशिक्षण लेने के बाद भी आज तक नियुक्ति नहीं मिल पाई है। हिमाचल प्रदेश बेरोजगार कला अध्यापक संघ का कहना है कि सरकार से बार -बार गुहार लगाने के बाद भी उनकी मांगों को अनदेखा कर रही है। संघ के अध्यक्ष नरेश ठाकुर ने कहा है कि वे सरकार द्वारा करवाए गए आर्ट्स एंड क्राफ्ट का डिप्लोमा करके नौकरी की आस लगाकर बैठे हैं। उन्होंने कहा कि एक तरफ सरकार अच्छी शिक्षा की गुणवत्ता देने की बात करती है, तो वहीं दूसरी तरफ सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को शिक्षकों से वंचित रख रही है। संघ ने कहा है कि 15 हजार बेरोजगार कला अध्यापकों ने कांग्रेस सरकार को तन-मन से परिवार सहित सरकार बनाने में सहयोग किया है और अब वे सरकार से नौकरी की आशा लेकर बैठे हैं।
प्रदेश के स्कूलों में शिक्षकों के करीब 10 हजार पद खाली चल रहे हैं। इन पदों में से कला अध्यापकों के 881 और पीईटी शिक्षकों के 947 पद खाली चल रहे हैं। इन पदों को भरने के लिए स्कूलों में 100 बच्चों की संख्या की शर्त आफत बनी हुई है। दरअसल 100 विद्यार्थियों से कम संख्या वाले माध्यमिक स्कूलों में कला अध्यापकों की नियुक्ति नहीं की जाएगी। शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 के अनुसार ऐसे में स्कूलों में कला अध्यापक का पद भरा जाना अनिवार्य नहीं है। यानि जिन माध्यमिक स्कूलों में छात्र संख्या 100 से कम है, उन स्कूलों में स्वीकृत कला अध्यापकों के 881 रिक्त पदों को होल्ड में रखा गया है। छात्र संख्या बढऩे पर इन पदों को दोबारा बहाल कर अध्यापकों की नियुक्तियां की जाएंगी।
ऐसे में प्रदेश सरकार से कई बार इस शर्त को हटाने की मांग की जा चुकी है।
हिमाचल प्रदेश बेरोजगार कला अध्यापक संघ ने मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री से अनुरोध किया है कि जल्द उनके लिए रोजगार का प्रावधान किया जाए। बेरोजगार कला अध्यापक संघ के समस्त सदस्यों ने कहा है कि जब से उन्होंने कला अध्यापक का डिप्लोमा किया है तब से डिप्रेशन में हैं। नौकरी की आस में उम्र भी 50 से 55 के बीच हो चुकी है। मिडल स्कूलों में लगाई गई 100 बच्चों की कंडीशन जो 2012 में आरटी एक्ट के तहत लगाई गई थी, उसे हटाने की भी मांग की गई है। संघ ने कहा है कला एक ऐसा विषय है जो किसी भी बच्चे को कलम चलाना सिखाता है और आगे उसके भविष्य को बनाता है। उन्होंने कहा कि स्कूलों में 100 बच्चों की शर्त को समाप्त किया जाए।