प्रदेशभर में श्रम अधिकारियों व निरीक्षकों के कार्यालयों के बाहर किए जाएंगे ज़ोरदार प्रदर्शन-सीटू
सीटू से सम्बन्धित हिमाचल प्रदेश मनरेगा व निमार्ण मजदूर फेडरेशन की राज्य कमेटी के आह्वान पर 22 अप्रैल को प्रदेशभर में श्रम अधिकारियों व निरीक्षकों के कार्यालयों के बाहर ज़ोरदार प्रदर्शन किए जाएंगे। इस दौरान प्रदेश भर में सैंकड़ों मजदूर मनरेगा व निर्माण मजदूरों की मांगों को प्रदेश सरकार से उठाएंगे। फेडरेशन ने चेताया है कि अगर मांगें शीघ्र पूर्ण न हुईं तो मजदूर शिमला कूच करेंगे व भवन एवम अन्य निर्माण कामगार कल्याण बोर्ड के ख़लीनी स्थित कार्यालय का घेराव करेंगे।
सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा, महासचिव प्रेम गौतम, फेडरेशन के प्रदेशाध्यक्ष जोगिंद्र कुमार व महासचिव भूपिंद्र सिंह ने कहा है कि मनरेगा व निर्माण मजदूरों की मांगों पर प्रदेश सरकार का रवैया बेहद नीरस व लचर है। इन मांगों को लेकर सीटू का एक प्रतिनिधिमंडल 17 मार्च को मुख्यमंत्री व श्रम मंत्री से मिला था। इसके बाद सीटू का प्रतिनिधिमंडल श्रमिक कल्याण बोर्ड के सचिव से भी मिला था। इस दौरान सीटू ने माँगपत्र में मनरेगा मजदूरों का पंजीकरण एक माह में करने की मांग की थी जिसके लिए सभी जिलों में श्रम कार्यालयों में कर्मचारियों की संख्या बढ़ाने की मांग की गई थी। सीटू ने मांग की थी कि मजदूरों को मिलने वाले लाभों को तीन माह में जारी किया जाये जिसके लिए ज़िला स्तर पर श्रम विभाग के श्रम अधिकारियों को दिये गए अतिरिक्त कार्य के बजाए बोर्ड के कार्यों के लिए बोर्ड के अलग श्रम कल्याण अधिकारी नियुक्त किये जाएं। वर्तमान में कार्यरत कर्मचारियों की संख्या को बढ़ाया जाए और पंजीकरण का कार्य उपमंडल स्तर पर किया जाए। प्रदेश के जिन क्षेत्रों में पंजीकरण अधिक हुआ है उन क्षेत्रों में बोर्ड के नए कार्यालय खोले जाएं। लंबे समय से जारी नहीं किए जा रहे सामान को जल्दी जारी करने की मांग की गई थी।
सीटू ने नए लेबर कोड की आड़ में भवन एवम अन्य निर्माण कामगार कानून 1996 को कमज़ोर करने पर चिंता जाहिर की है। केंद्र सरकार द्वारा मनरेगा व निर्माण मजदूरों को वितरित किए जाने वाले सामान पर प्रतिबंध लगाना मजदूर विरोधी कदम है जिसे वापिस लिया जाए। सीटू ने मांग की है कि सामान वितरण का कार्य बोर्ड के कर्मचारियों के माध्यम से करवाया जाए और इसमें हो रहे राजनैतिक हस्तक्षेप को रोका जाए। पंजीकरण के लिए एक समान नियम लगाए जाएं और पंजीकरण के लिए मजदूर यूनियनों द्वारा जारी प्रमाण पत्रों को वैध माना जाए। बोर्ड से मिलनी वाली पेंशन की राशि एक हज़ार से बढ़ाकर दो हज़ार रुपए की जाए। छात्रवृति की राशि लड़कों व लड़कियों के लिए एक समान की जाए। लॉकडाउन अवधि की सहायता राशि सभी मजदूरों को जल्द जारी की जाए और वर्ष 2018 से पहले के पंजीकृत मजदूरों को चैक के माध्यम से यह सहायता प्रदान की जाए। मजदूरों को कार्य करने के औज़ार खरीदने के लिए दस हज़ार रुपए की सहायता राशि जारी की जाए। इसके अलावा मंडी श्रम अधिकारी व बोर्ड के कर्मचारियों की कार्यप्रणाली के बारे में भी मुद्दा उठाया गया क्योंकि बोर्ड के कर्मचारी वर्तमान में मज़दूरों के प्रपत्रों की प्राप्ति रसीदें जारी नहीं कर रहे हैं और मजदूरों के लाभों के आवेदनों को शिमला स्वीकृति के लिए नहीं भेज रहे हैं। गत वर्ष की छात्रवृति के क्लेम अभी तक शिमला नहीं भेजे गए हैं। ऐसी ही सामग्री प्रसुविधा के प्रपत्रों की स्थिति है। सीटू ने चेताया है कि अगर मनरेगा व निर्माण मजदूरों की मांगें पूर्ण न की गईं तो फिर प्रदेशव्यापी आंदोलन होगा।