करुणामूलक आश्रितों को उपचुनाव से पहले वन टाइम सेटलमेंट दे सरकार, वरना होगा मिशन डिलीट- करुणामूलक संघ

करुणामूलक संघ ने प्रदेश सरकार के प्रति अपना रोष प्रकट किया है। संघ का मानना है कि राज्य सरकार तकरीबन 15 साल से करुणामूलक आश्रितों की अनदेखा करती आ रही है। प्रदेशाध्यक्ष अजय कुमार का कहना है कि करुणामूलक आश्रित लम्बे समय से नौकरी का इंतज़ार कर रहे है, दिन प्रतिदिन आश्रितों की उम्र निकलने के कारण आश्रित बाहर होते जा रहे है, लेकिन सरकार द्वारा उन्हें अनदेखा किया जा रहा है। विभिन्न विभागों द्वारा स्क्रीनिंग कमेटी बिठाकर स्क्रीनिंग तो हो गई है पर अभी तक सरकार द्वारा नियुतियाँ नही दी जा रही है। जब भी करुणामूलक नौकरी बहाली का मुद्दा उठता है, तो थोडी बहुत हलचल होने के बाद मुद्दे को दबा दिया जाता है। कोविड-19 महामारी के इस दौर में इन परिवारों को मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है। आर्थिक स्थिति डगमगाने के कारण इन परिवारों को महामारी के इस दौर में खाने पीने तक के लाले पड़ गए है। बता दें कि करुणामूलक संघ लम्बे समय से करुणामूलक नौकरी बहाली के लिए संघर्ष कर रहा है।
करुणामूलक संघ का कहना है कि चुनावों के दौरान करुणामूलक मुद्दा उठाया जाता है व जैसे ही चुनाव खत्म हो जाते है ये मुद्दा फिर दबा दिया जाता है। करुणामूलक आश्रितों को चुनाव के समय सिर्फ वोट बैंक का जरिया समझा जाता है। करुणामूलक संघ का कहना है कि आश्रितों की मांगों को अनदेखा न किया जाए वर्ना उपचुनावों व 2022 के चुनावों में इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। करुणामूलक संघ ने सरकार को दो टूक शब्दों में कह दिया है कि करुणामूलक आश्रित जो पॉलिसी में आ रहे है उन्हे उपचुनाव से पहले अथवा आगामी कैबिनेट में वन टाइम सेटलमेंट देकर एक साथ नियुक्तियाँ दी जाए, वर्ना करुणामूलक परिवार मिशन डिलीट में कोई कसर नही छोड़ेंगे।