सरकार नीति बनाओ, कंप्यूटर शिक्षकों का हो रहा है शोषण!
प्रदेश के सरकारी स्कूलों में कार्य कर रहे 1341 कम्प्यूटर टीचर बीते 21 वर्षों से नियमितिकरण के लिए तरस रहे हैं। आज तक इस वर्ग के अध्यापकों को नियमित करने के लिए सरकार द्वारा कोई भी नीति नहीं बनाई गई है। जबकि प्रदेश सरकार द्वारा पैट, पीटीए, विद्या उपासक अध्यापकों, जलवाहक, दैनिक भोगी मजदूर सहित अनेक श्रेणियों के अस्थायी कर्मचारियों को नियमित किया गया है। कम्प्यूटर अध्यापक संघ के प्रधान हेतराम ठाकुर ने सरकार से नीति तैयार करने की मांग की है। हेतराम ठाकुर ने कहा कि वर्ष 1998 में पूर्व भाजपा सरकार के सीएम प्रेम कुमार धूमल द्वारा शुरुआती दौर में सेल्फ फाइनेंसिंग प्रोजेक्ट के तहत 250 स्कूलों में कंप्यूटर टीचरों को तैनात किया गया था। उसके बाद 2001 में सरकार द्वारा 900 स्कूलों में आईटी शिक्षा आरंभ की गई और कंप्यूटर टीचरों को नाइलेट कंपनी के अधीन कर दिया गया था। वर्ष 2010 में कंप्यूटर टीचरों को आउटसोर्स नाम दिया गया। जो पैट, पीटीए व विद्या उपासक टीचर 2006 के बाद नियुक्त किए गए थे उन्हें सरकार ने नीति बनाकर रेगुलर कर दिया परंतु कंप्यूटर टीचरों के बारे आजतक किसी भी सरकार ने नहीं सोचा। एक ओर सरकार आईटी शिक्षा को बढ़ावा देने पर जोर दे रही है वहीं पर कम्प्यूटर टीचरों का बीते दो दशकों से शोषण हो रहा है। महंगाई के दौर में कम्प्यूटर टीचर मात्र 12870 रुपए मासिक वेतन पर कार्य कर रहे है। चालू वित्त वर्ष के बजट में केवल 500 रुपए बढ़ाए गए हैं।