हिमाचल हाईकोर्ट का फैसला, होमगार्ड के आश्रितों को नहीं मिलेगा अनुकंपा नियुक्ति का लाभ

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि राज्य सरकार की अनुकंपा नियुक्ति योजना के तहत होमगार्ड के आश्रितों को नौकरी का अधिकार नहीं है। न्यायाधीश सत्येन वैद्य की एकल पीठ ने जोगेंद्र और मनो देवी द्वारा दायर याचिकाओं को खारिज करते हुए कहा कि होमगार्ड न तो सरकारी सेवा के स्थायी कर्मचारी होते हैं और न ही उन्हें सरकारी सेवक की श्रेणी में रखा जा सकता है, इसलिए उनके आश्रित अनुकंपा नियुक्ति के पात्र नहीं माने जा सकते। अदालत ने कहा कि होमगार्ड की सेवा स्वैच्छिक और अस्थायी प्रकृति की होती है, अतः उनके आश्रितों को स्थायी सरकारी नौकरी की मांग का वैधानिक अधिकार नहीं है।
क्या था मामला?
याचिकाकर्ताओं ने दलील दी थी कि उनके पति हिमाचल प्रदेश होमगार्ड अधिनियम, 1968 के तहत सेवारत थे और ड्यूटी के दौरान उनका निधन हो गया। इसके बाद उन्होंने सरकार की अनुकंपा नियुक्ति नीति के तहत नौकरी की मांग की, जिसे राज्य सरकार ने यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया कि होमगार्ड इस योजना के अंतर्गत नहीं आते। याचिकाकर्ताओं ने अपनी बात के समर्थन में झारखंड हाईकोर्ट के चंदा देवी बनाम झारखंड राज्य मामले का हवाला भी दिया, लेकिन हिमाचल हाईकोर्ट ने यह कहते हुए उस मिसाल को खारिज कर दिया कि उस मामले के तथ्य मौजूदा केस से अलग हैं।
दालत की टिप्पणी
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि "जब स्वयं होमगार्ड की सेवा स्थायी नहीं है और वह स्वैच्छिक रूप से दी जाती है, तो उनके आश्रितों को स्थायी सरकारी नौकरी का दावा करने का अधिकार नहीं हो सकता।"