बेवजह सरकार की छवि धूमिल करने पर तुला एचआरटीसी प्रबंधन

मांगे पूरी न होने पर नाराज़ हुए परिवहन निगम के कर्मचारी अब आंदोलन के लिए तैयार हैं। हिमाचल परिवहन कर्मचारी संयुक्त समन्वय समिति ने इसका ऐलान कर दिया है। हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन निगम कर्मचारियों ने मांगों को लेकर एक बार फिर निगम प्रबंधन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। समिति ने निगम प्रबंधन को चेतावनी देते हुए कहा कि वह कर्मचारियों के धैर्य की परीक्षा न लें। कर्मचारियों की मांगों को लेकर निगम प्रबंधन का रवैया आंदोलन के लिए मजबूर कर रहा है। ऐसे में 9 सितंबर से सभी यूनिट में कर्मचारी गेट मीटिंग करेंगे तो वहीं 14 सितंबर को मुख्यालय के घेराव की रणनीति बनाई गई है। बीते दिनों हुई हिमाचल परिवहन कर्मचारी संयुक्त समन्वय समिति की बैठक में हिमाचल परिवहन के कुल आठ संगठन शामिल थे और इस बैठक की अध्यक्षता अध्यक्ष प्यार सिंह ने की। उनके आलावा उपाध्यक्ष मान सिंह, सचिव खेमेंद्र गुप्ता, प्रवक्ता संजय गढ़वाल, कोषाध्यक्ष जगदीश चंद और हरीश कुमार इस बैठक में मुख्य तौर पर मौजूद रहे। बता दें की ये बैठक निगम कर्मचारियों के हित के लिए और सभी मसले एक मंच पर उजागर करने के लिए बुलाई जाती है। बैठक में कर्मचारी प्रतिनिधियों द्वारा चिंता व्यक्त करते हुए रोष प्रकट किया गया कि निगम प्रबंधन द्वारा संयुक्त समन्वय समिति के साथ पूर्व में किए गए समझौतों पर अमल नहीं किया गया है।
कर्मचारियों के लगभग 500 करोड़ के रुपए के लंबित वित्तीय भुगतान देय है, जिससे कर्मचारी खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। इनमें जनवरी 2016 से 13 प्रतिशत आई आर, डीए जनवरी 2019 से चार फीसदी, पांच जुलाई 2016 से व छह जुलाई 2021 से कुल डीए 15 प्रतिशत, 32 महीनों का नाईट ओवर टाइम, पेंशन, ग्रेच्युटी, कम्यूटेशन, लीव इनकैशमेंट, जीपीएफ, मेडिकल रिंबर्समेंट सहित अन्य एरियर शामिल है। हिमाचल परिवहन कर्मचारी संयुक्त समन्वय समिति के अनुसार उन्हें लगता है कि निगम प्रबंधन कर्मचारियों को शांति पूर्वक अपने कार्य का निष्पादन नहीं करने देना चाहता। 23 व 24 जुलाई को निजी बस ऑपरेटरों के साथ विवाद के चलते कर्मचारियों को हड़ताल जैसा कठोर कदम उठाने के लिए विवश किया गया। उसके बाद जब उस मुद्दे पर परिवहन मंत्री द्वारा 26 जुलाई को संसारपुर टैरेस में समन्वय समिति के पदाधिकारियों के साथ बैठक की गई तो उसमें कर्मचारियों की अनेक मांगों को पूरा करने का आश्वासन दिया गया। उस बैठक में प्रबंध निदेशक एचआरटीसी व अन्य कुछ अधिकारी भी मौजूद थे।
बैठक में इस विषय पर भी चर्चा की गई कि हड़ताल में शामिल किसी भी कर्मचारी के ऊपर किसी भी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी जो कि नेगोशिएशन का एक मूल सिद्धांत भी है। पर इसके बावजूद भी एचआरटीसी के प्रबंध निदेशक की ओर से एक महीना बीत जाने के बाद क्षेत्रीय प्रबंधकों को आदेश दिए गए कि जो कर्मचारी हड़ताल में शामिल थे उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए और अब क्षेत्रीय प्रबंधकों द्वारा कर्मचारियों कारण बताओ नोटिस दिए जा रहे हैं। यह बैठक में हुई नेगोशिएशन की अवहेलना है। जब परिवहन मंत्री ने माना था और कर्मचारी प्रतिनिधियों को आश्वस्त किया गया था कि सभी मांगे जल्द ही पूरी होगी और कोई भी कार्यवाही किसी भी कर्मचारी के खिलाफ नहीं की जाएगी, तो फिर अब कार्रवाई क्यों हो रही है। यह सीधे तौर पर परिवहन मंत्री के आदेशों का अपमान है जिससे प्रतीत होता है कि एचआरटीसी प्रबंधन द्वारा बेवजह सरकार की छवि धूमिल की जा रही है।