दिन-रात सेवा देने के बाद भी समय पर वेतन को तरसते एचआरटीसी कर्मचारी

वेतन का इंतज़ार, इंतज़ार की इन्तेहां , अब आम बात है
हिमाचल पथ परिवहन निगम के कर्मचारियों की तनख्वा इस माह फिर समय से नहीं आई। इस बार फिर ये कर्मचारी इंतज़ार करते रहे, इंतज़ार की इन्तेहां हो गई मगर तन्खवा नहीं आई। वैसे ये कोई नई बात नहीं है, हर माह ऐसा ही होता है, लम्बे समय से ये सिलसिला जारी है। इन कर्मचारियों को बाकि विभागों की तरह एक तारीख को नहीं बल्कि कभी 20 तारीख, कभी 22 तारीख, कभी 24 तारीख और कभी 28 तारीख तक वेतन डाला जाता है। कर्मचारियों का कहना है की ऐसे में घर खर्च निकालना या लोन, ईएमआई जैसी चीज़ों का भुगतान समय पर कर पाना बेहद कठिन है। एचआरटीसी ऑटोनोमस बॉडी है, यानि खुद कमाओ खुद खाओ वाला प्रिंसिपल एचआरटीसी पर लागू होता है। हालाँकि सरकार द्वारा ग्रांट इन नीड के रूप में कुछ सहायता निगम को दी जाती है। आंकलन के अनुसार निगम का सालाना खर्चा करीब 1200 करोड़ है, जबकि कमाई केवल 800 करोड़। ये घाटा एचआरटीसी को हमेशा रहता है, जिसकी पूर्ति हेतु सरकार द्वारा ग्रांट इन नीड दी जाती है, मगर किश्तों में। जब तक ये पैसा सरकार नहीं देती तो भरपाई के लिए एचआरटीसी के कर्मियों के भुगतान को रोक दिया जाता है।
कोरोना काल में ऑक्यूपेंसी घटी, घाटा बढ़ा
जगजाहिर है एचआरटीसी घाटे में है, कोरोना काल से नहीं बल्कि पहले से ही, पर निसंदेह कोरोना ने मुश्किलें बढ़ा दी है। एचआरटीसी की ऑक्यूपेंसी पहले ही 60 से 70 फीसदी रहती थी, कोरोना काल में 50 प्रतिशत ऑक्यूपेंसी होने के कारण एचआरटीसी पूरी तरह से घाटे में है। इस घाटे को खतम करने के लिए सरकार के पास कोई योजना नहीं दिखती।
आर्थिक आपदा है तो नेताओं का वेतन समय पर क्यों
हिमाचल परिवहन तकनीकी कर्मचारी संगठन के अध्यक्ष नवल किशोर का कहना है की हिमाचल प्रदेश में कितनी ही बड़ी आर्थिक आपदा हो, यहाँ के मंत्री विधायकों के वेतन में कभी देरी नहीं होती। एचआरटीसी का सारा घाटा मानों सरकार कर्मचारियों के वेतन से ही वसूलना चाहती है। एचआरटीसी को हिमाचल प्रदेश की जीवन रेखा माना जाता है। इन एचआरटीसी की बसों को सड़क तक पहुँचाने वाले कर्मचारियों की ही सुध सरकार नहीं लेती। ऐसे में उन्हें हर माह घर खर्च निकालना मुश्किल हो रहा है। निगम कर्मचारियों को वेतन कभी भी वेतन समय पर नहीं मिलता, ऐसे में कर्मचारियों में निगम प्रबंधन व प्रदेश सरकार के खिलाफ खासा रोष है। एचआरटीसी के करीब आठ हजार अधिकारियों व कर्मचारियों को वेतन के लिए लम्बा इंतज़ार करना पड़ता है।
डिपार्टमेंट समय पर फाइल ही नहीं भेजता: राजेंद्र ठाकुर
हिमाचल परिवहन तकनीकी कर्मचारी संगठन के मुख्य सलहाकार राजेंद्र ठाकुर कहते है कि एचआरटीसी कर्मियों के वेतन व अन्य भुगतान की फाइलें दफ्तरों में घूमती रहती है मगर वेतन समय से नहीं मिलता। कर्मचारियों के वेतन और पेंशन के बजट संबंधी फाइल ही इस बार 7 तारीक के बाद हेड ऑफिस से निकली है। फ़ाइल पहले डिपार्टमेंट से जाती है फिर सचिवालय में सेक्रेटरी ट्रांसफर के दफ्तर पहुँचती है, जिसके बाद ये फाइल फाइनेंस में जाती है और फिर कर्मचारियों को वेतन मिल पता है। कर्मचारियों का वेतन और पेंशन का खर्चा तो पहले से ही निर्धारित है ,ऐसे में अगर डिपार्टमेंट द्वारा समय पर ये फाइल भेज दी जाए तो समय पर भुगतान हो सकता है।
पूरी ज़िंदगी सेवा में लगा दी, अब पेंशन को तरसना पड़ता है: सत्यप्रकाश
वेतन ही नहीं बल्कि एचआरटीसी के पेंशनर्स की पेंशन भी समय पर नहीं आती। राज्य पथ परिवहन पेंशनर्स कल्याण संगठन के प्रधान सत्यप्रकाश शर्मा कहते है की एचआरटीसी के सेवानिवृत कर्मचारियों को तो मानों सरकार भूल ही गई है। उनका कहना है की हमने अपने पुरे जीवन में एचआरटीसी में अपनी सेवाएं दी है, परन्तु सरकार अब रिटायरमेंट के बाद हमें पेंशन तक समय पर नहीं दे पाती। पेंशन के साथ हमारा 13 प्रतिशत डीए भी पेंडिंग है। उनका कहना है कि यदि सरकार उनकी मांगे समय पर पूरी नहीं करती तो राज्य पथ परिवहन पेंशनर्स कल्याण संगठन द्वारा बड़ा आंदोलन किया जाएगा।