एनएचएम अनुबंध कर्मचारियों ने स्थाई नीति हेतु खोला मोर्चा

राज्य स्वास्थ्य समिति यानि एनएचएम अनुबंध कर्मचारी महासंघ ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। संघ का कहना है कि उन्हें विभिन्न पदों पर सेवाएं देते हुए 23 वर्ष से अधिक समय हो गया है, लेकिन उन्हें सरकार की तरफ से कोई लाभ नहीं दिया जा रहा है। महासंघ ने सरकार को स्थाई नीति बनाने का अल्टीमेटम दिया है। राज्य स्वास्थ्य समिति अनुबंध कर्मचारी संघ ने प्रदेश के मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर दो फरवरी को सांकेतिक हड़ताल की चेतावनी भी दी है। एनएचएम कर्मचारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष अमीन चंद शर्मा ने कहा कि सरकार कर्मचारियों को जब तक नियमित नहीं करती तब तक उन्हें रेगुलर पे स्केल दिया जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि हिमाचल प्रदेश में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के तत्त्वावधान में लगभग 1600 कर्मचारी पिछले 23 वर्षों से अपनी सेवाएं राज्य स्वास्थ्य समिति के अंतर्गत देते आ रहे हैं। इनके लिए न तो सरकार ने कोई स्थायी नीति बनाई और न ही स्थाई नीति बनाने की दिशा में कोई कारगर कदम उठाया है। उन्होंने कहा कि एनएचएम कर्मचारी लंबे समय से अपनी सेवाएं दे रहे हैं, इनमें से कुछ सेवानिवृत्त भी हो गए हैं, लेकिन आज तक सरकार कर्मचारियों के लिए स्थायी नीति नहीं बना पाई हैं। उन्होंने कहा कि अगर सरकार जल्द इनके लिए स्थाई नीति बनाने की अधिसूचना जारी नहीं करती है तो प्रदेश व्यापी हड़ताल की जाएगी जिसकी जिम्मेदारी प्रदेश सरकार की होगी। इनका कहना है कि न्यूनतम वेतन पर सेवाएं देने पर वर्ष 2016 में तत्त्कालीन सरकार ने मंत्रिमंडल में रेगुलर पे स्केल देने के लिए अधिसूचना जारी थी, लेकिन उसे सरकार ने लागू नहीं किया। वहीं जेसीसी की बैठक हुए डेढ़ माह हो गया है, लेकिन फाइल पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। इनका आरोप है कि जब राज्य में कोई एचआर पॉलिसी ही नहीं है तो सेवानिवृत्ति की उम्र 58 की अधिसूचना सरकार कहां से लाई है ? स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग हिमाचल प्रदेश में हजारों पद खाली हैं जिनमें कर्मचारियों को मर्ज कर भरा जा सकता है। संघ के पदाधिकारियों का कहना है कि यदि सरकार उनके लिए कोई स्थाई नीति बनाती है तो वे सरकार का धन्यवाद करेंगे अन्यथा मजबूरन हिमाचल प्रदेश के समस्त एनएचएम कर्मचारी एक दिन की सांकेतिक हड़ताल करेंगे, जिसे लंबे समय तक भी जारी रखा जा सकता है। संघ के प्रदेशाध्यक्ष ने कहा कि अगर, इस हड़ताल के दौरान किसी भी प्रकार की कोई भी जानमाल की हानि होती है तो उसके लिए मात्र हिमाचल प्रदेश सरकार व प्रशासन जिम्मेवार होगा।