सरकार से ही नहीं बल्कि विपक्ष से भी रुष्ट है बेरोजगार अध्यापक संघ
हिमाचल प्रदेश बेरोजगार अध्यापक संघ ने संघर्ष के लिए रणनीति बना ली है। बेरोजगार अध्यापक संघ सिर्फ सरकार से ही नहीं बल्कि विपक्ष से भी रुष्ट है। संघ के अनुसार एसएमसी शिक्षकों का पक्ष लेना सरकार को महंगा पड़ सकता है। बेरोजगार अध्यापक संघ का आरोप है की कांग्रेस और भाजपा ने 2001 से 2018 तक 15 हजार शिक्षक बैकडोर से भर्ती किए, जिससे लाखों बेरोजगारों का तथा लाखों विद्यार्थियों का जीवन बर्बाद हो गया है। संघ का कहना है कि बैकडोर भर्ती से शिक्षा की गुणवत्ता भी गिरती है तथा संविधान की अवमानना भी होती है।
बेरोजगार अध्यापक संघ के अनुसार सरकार का यह कहना सरासर गलत है कि 2555 एसएमसी शिक्षक केवल दुर्गम क्षेत्रों में सेवाएं दे रहे हैं। एक आरटीआई से खुलासा हुआ है कि 792 एसएमसी स्कूल लेक्चरर में से 582 गैर कबायली क्षेत्रों में सेवाएं दे रहे हैं। यही नहीं एसएमसी शिक्षक हर जिला में तैनात हैं। सरकार जनता को स्पष्ट करे कि सुप्रीम कोर्ट बड़ा है या सरकार। इनका कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने 17-7-2012 को बनाई गई एसएमसी पॉलिसी के तहत की गई नियुक्तियों को जिस उद्देश्य पूर्ति के लिए की गयी थी उसे सही माना है। यदि उपरोक्त एसएमसी पॉलिसी ठीक है तो उसमें लगाई गई तमाम शर्तों का अनुसरण करना भी अनिवार्य है।
इस एसएमसी पॉलिसी की शर्त नंबर 9 और 10 यह कहती है कि हर साल नया सिलेक्शन प्रोसेस होगा और पहले से तैनात एसएमसी शिक्षक की सेवाओं को किसी भी सूरत में आगामी शैक्षणिक स्तर के लिए सेवा विस्तार नहीं दिया जा सकता तथा जैसे ही नियमित शिक्षक आएगा, उसकी सेवाएं अपने आप समाप्त हो जाएंगी। 2013 से लेकर आज तक सरकार ने हर साल सिलेक्शन नहीं किया बल्कि हर साल एक-एक साल के लिए 2555 एसएमसी शिक्षकों की सेवा में लगातार विस्तार किया है। इसलिए अब बेरोजगार संघ ने संघर्ष का रास्ता अपनाया है। इनकी मांग है की एसएमसी शिक्षकों को अब सेवा विस्तार न दिया जाए प्रशिक्षित बेरोज़गार अध्यापको को मौका दिया जाए।
ब्लॉक स्तर पर हस्ताक्षर अभियान शुरू
प्रदेश बेरोजगार अध्यापक संघ के प्रदेशाध्यक्ष निर्मल सिंह धीमान, वरिष्ठ उपाध्यक्ष अजय रतन, मुख्य संगठन सचिव पुरुषोत्तम दत्त, वित्त सचिव संजीव कुमार, जिला अध्यक्ष ऊना रजनी बाला, जिलाध्यक्ष बिलासपुर किशोरी लाल, प्रेस सचिव राज पाल, ललित कुमार, विनोद कुमार, युवराज ने संयुक्त बयान में कहा है कि यदि एसएमसी शिक्षकों की पैरवी होती रही तो कांग्रेस और भाजपा को सदा के लिए सत्ता से बाहर का रास्ता देखना पड़ सकता है। इसके लिए बेरोजगार संघ ने पांच सितंबर से ब्लॉक स्तर पर हस्ताक्षर अभियान भी शुरू कर दिया है। इस अभियान के अंतर्गत प्रदेश के एक लाख बेरोजगार शपथ ले रहे है कि यदि एसएमसी शिक्षकों को सरकार का संरक्षण मिलता रहा तो 2022 में कांग्रेस और भाजपा का समर्थन नहीं किया जाएगा।