कांग्रेस आई तो चंद्र कुमार भी होंगे प्राइम फेस !
ज्वाली की सियासत अर्से से एक प्रोफेसर और उनके परिवार के इर्द गिर्द घूमती रही है। हम बात कर रहे है कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष चौधरी चंद्र कुमार की। 1977 में चौधरी चंद्र कुमार निर्दलीय यहाँ से चुनाव लड़े थे। तब इस सीट का नाम था गुलेर, जो 2008 के परिसीमन के बाद ज्वाली पड़ा। अपना पहला चुनाव चौधरी चंद्र कुमार हार गए और सियासत से दूरी बनाकर शिमला के सेंट बीड्स कॉलेज में पढ़ाने लगे। पर सियासत किसी को आसानी से कहाँ छोड़ती है। चंद्र कुमार कांग्रेस के सम्पर्क में आए और नौकरी छोड़ कर फिर सियासत में एंट्री हो गई।
1982 से 2003 तक हुए 6 विधानसभा चुनावों में सिर्फ 1990 को छोड़कर पांच बार चौधरी चंद्र कुमार को जीत मिली। इस दौरान वे वीरभद्र सिंह के करीबी रहे और मंत्री भी रहे। उनके कद को देखते हुए पार्टी ने उन्हें 2004 में कांगड़ा संसदीय क्षेत्र से लोकसभा चुनाव लड़वाया और वे लोकसभा पहुंच गए। उनके सांसद बनने के बाद पार्टी ने उनके पुत्र नीरज भारती को उपचुनाव में उतारा, हालांकि नीरज चुनाव हार गए। पर इसके बाद 2007 और 2012 में नीरज ने इस सीट पर जीत दर्ज की। फिर 2017 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने एक बार फिर चौधरी चंद्र कुमार को मैदान में उतारा लेकिन वे भाजपा के अर्जुन सिंह से हार गए। इस बार फिर चंद्र कुमार मैदान में है।
उधर भाजपा ने सीटिंग विधायक अर्जुन सिंह का टिकट काटकर संजय गुलेरिया पर दांव खेला है। निसंदेह यहाँ एंटी इंकम्बेंसी को खत्म करने के लिए भाजपा ने नए चेहरे को मैदान में उतारा है, लेकिन भाजपा का ये फैसला कितना सही साबित होता है ये तो नतीजे आने के बाद ही पता चलेगा। अर्जुन सिंह का टिकट काटने के बाद शुरुआत में भाजपा को यहाँ विरोध का सामना भी करना पड़ा था, लेकिन आखिरकार भाजपा द्वारा रूठों को मना लिया गया। इसके बाद लड़ाई चौधरी चंद्र कुमार बनाम संजय गुलेरिया ही रही है। संजय गुलेरिया को अंडर एस्टीमेट नहीं किया जा सकता है। क्षेत्र में उनकी पकड़ काफी मजबूत है, लेकिन चुनौती कड़ी है क्योंकि उनके सामने कांग्रेस के अनुभवी नेता चौधरी चंद्र कुमार है। यहाँ कौन जीतेगा ये तो आठ दिसंबर को तय होगा लेकिन कांग्रेस यहाँ जीत को लेकर आश्वस्त जरूर दिख रही है।
बड़ा ओहदा मिलना लगभग तय
अगर प्रदेश में कांग्रेस की सत्ता वापसी हुई और चौधरी चंद्र कुमार भी चुनाव जीत जाते है तो उन्हें अहम ज़िम्मा मिलना तय है। चुनाव से कुछ वक्त पहले पवन काजल के भाजपा में शामिल होने के बाद कांग्रेस ने चौधरी चंद्र कुमार को प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष बनाया है। चंद्र कुमार बड़ा ओबीसी चेहरा है और उस जिला कांगड़ा से ताल्लुख रखते है जो प्रदेश की सत्ता का रास्ता प्रशस्त करता है। ऐसे में सीएम पद को लेकर भी उनके नाम को खारिज नहीं किया जा सकता। बहरहाल अगर वे जीते और कांग्रेस सरकार बनी तो उन्हें बड़ा ओहदा मिलना तो लगभग तय है।