आनी में इधर भी बागी और उधर भी बागी
2017 में आनी निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा के किशोरी लाल ने कांग्रेस के परसराम को हराकर ये सीट भाजपा की झोली में डाली थी। पर इस बार भाजपा ने यहां से अपने सीटिंग विधायक का टिकट काटकर लोकेन्द्र कुमार पर दांव खेला है। इसके बाद किशोरी लाल ने बगावत कर दी और निर्दलीय चुनाव लड़ा है। उधर कांग्रेस में भी कहानी कुछ ऐसी ही है। पार्टी ने पिछली बार प्रत्याशी रहे परसराम की जगह बंसीलाल को मैदान में उतारा। नतीजन परसराम भी बागी हो गए और उन्होंने भी निर्दलीय चुनाव लड़ा है। अब भाजपा -कांग्रेस उम्मीदवारों के साथ -साथ दोनों तरफ के बागी नेता भी दमखम से चुनाव लड़े है और आनी का चुनाव बेहद रोचक हो गया है।
मतदान के बाद भी बड़े से बड़े सियासी दिग्गज दावे के साथ ये नहीं कह पा रहे है कि आनी का अगला विधायक कौन होगा। यहां इस सम्भावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि पहले दो स्थानों पर कहीं पार्टी प्रत्याशियों की जगह बागी न काबिज हो जाएँ। ये ही कारण है कि दोनों दल बेशक अपने -अपने बागी नेताओं को निष्कासित कर चुके हो लेकिन बड़े नेता इनसे संपर्क साढ़े हुए है ताकि जरुरत पड़ें पर इन्हे पाने पाले में लिया जा सके। आनी के सियासी अतीत में झांके तो 1977 से लेकर 2017 तक यहाँ कांग्रेस और भाजपा ही जीतते आएं है। कभी कोई निर्दलीय आनी में नहीं जीता है। ऐसे में यदि किशोरी लाल या परसराम में से कोई यहां जीतता है तो इतिहास रच देगा।