बेहद टेड़ा लग रहा है नाचन का सियासी आँगन
नाचन का सियासी आँगन इस बार बेहद टेड़ा लग रहा है। यहाँ भाजपा पर सीट बचाने की चुनौती है, तो कांग्रेस पर वापसी का दबाव। जिला मंडी के 10 सीटों में से नाचन निर्वाचन क्षेत्र को भाजपा का मजबूत किला माना जाता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि भाजपा के गठन के बाद 1982 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में ही नाचन की जनता ने भाजपा प्रत्याशी पर भरोसा जताया था। उस दौरान भाजपा के प्रत्याशी थे दिले राम, जो 1977 में भी जनता पार्टी से विधायक रहे थे। इसके बाद 1990 की शांता लहर में एक बार फिर इस सीट पर कमल खिला। मौजूदा स्थिति की बात करें तो 2007 से इस सीट पर भाजपा का कब्जा है। 2007 में दिले राम जीते, तो 2012 और 2017 में विनोद कुमार। इस बार भी भाजपा ने सीटिंग विधायक विनोद कुमार को ही प्रत्याशी बनाया है।
वर्ष 2017 में हुए चुनाव में विनोद कुमार का मुकाबला कांग्रेस के लाल सिंह कौशल के साथ हुआ था। तब विनोद कुमार को 38154 वोट मिले थे, जबकि लाल सिंह कौशल को सिर्फ 22258। ऐसे में इस बार कांग्रेस नया चेहरा उतारेगी, ये तय माना जा रहा था और हुआ भी ऐसा ही। कांग्रेस ने यहाँ से नरेश चौहान को मैदान में उतारा है। टिकट के चाहवानों की फेहरिस्त में कांग्रेस प्रवक्ता ब्रह्म दास चौहान, लाल सिंह कौशल, दामोदर चौहान के अलावा पूर्व विधायक रहे टेकचंद डोगरा के पुत्र संजू डोगरा का भी नाम शामिल था, पर टिकट नरेश ले गए। हालांकि कांग्रेस में खुलकर कोई बगावत नहीं दिखी है लेकिन भीतरघात की सम्भावना को पूरी तरह खारिज नहीं किया जा सकता। इस सीट पर आप से जबना चौहान, बसपा से नंद लाल और निर्दलीय ज्ञान चंद और शौणू राम भी चुनावी मैदान में हैं।
नाचन सीट 2021 में मंडी संसदीय उपचुनाव के नतीजे के बाद भी चर्चा में रही थी। कारण था यहाँ से कांग्रेस की लीड। तब संसदीय क्षेत्र के तहत मंडी जिला की 9 सीटों में से सिर्फ नाचन में भाजपा पिछड़ी थी। अब देखना यह होगा कि क्या कांग्रेस संसदीय उपचुनाव जैसा प्रदर्शन दोहराती है या मौजूदा विधायक विनोद जीत की हैट्रिक बनाने में सफल होते है। फिलहाल सभी को 8 दिसंबर का इंतज़ार है।