चम्बा सदर और हर्ष महाजन के बीच अजब सियासी इत्तेफ़ाक़ !
हर्ष महाजन कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे है। उन्हें वीरभद्र सिंह का हनुमान कहा जाता था। माना जाता है कि चम्बा में उनकी जबरदस्त पकड़ है। वे 1993 से 2003 तक तीन बार चंबा सदर विधानसभा क्षेत्र से विधायक भी चुने गए। किन्तु इसके बाद क्या हुआ, ये रोचक बात है। दरअसल, 2007 में हर्ष महाजन ने चुनावी राजनीति को अलविदा कह दिया और इसके बाद 2017 तक हुए तीन चुनाव में कांग्रेस को चंबा में जीत नहीं नसीब हुई। हर्ष महाजन जैसे कद्दावर नेता के रहते कांग्रेस क्यों नहीं जीती, इसे लेकर हमेशा सवाल उठे है। बहरहाल कुछ वक्त पहले हर्ष महाजन कांग्रेस पर आरोपों की बौछार करते हुए भाजपा में शामिल हो गए है। अब सबके मन में एक ही सवाल है, क्या भाजपा इस सीट पर अपना कब्ज़ा बरकरार रख पायेगी ? हालांकि हर्ष महाजन ने चम्बा सदर सीट से खुद चुनाव नहीं लड़ा है और न ही उनका सीधे तौर पर चुनावी नतीजे से लेना देना है, पर अगर उनकी पार्टी के चुनाव हारने का सियासी इत्तेफ़ाक़ जारी रहता है, तो चर्चा तो होगी ही।
बहरहाल बात करते है मौजूदा चुनाव की। पहले भाजपा ने यहां से सीटिंग विधायक पवन नैय्यर का टिकट काटा और मैदान में उतारा इंदिरा कपूर को। फिर नामांकन की अंतिम तिथि से ठीक पहले इंदिरा कपूर की जगह पवन नैयर की पत्नी नीलम नैयर को मैदान में उतार दिया। दरअसल भाजपा के निर्णय के बाद संभव था कि पवन नय्यर बगावत कर दें, सो भाजपा ने परिवारवाद के सिद्धांत को साइड में रखा और उनकी पत्नी को मौका दे दिया। पर पार्टी की मुश्किल समाप्त नहीं हुई और इंदिरा कपूर ने बगावत कर निर्दलीय के तौर पर चुनाव लड़ा। अब इसके बावजूद क्या भाजपा इस सीट पर जीत का चौका लगा पायेगी, इस पर सबकी निगाह है। उधर कांग्रेस ने नीरज नय्यर को मैदान में उतारा है। भाजपा में लगे बगावती सुरों के बीच नीरज नय्यर को इसका लाभ मिल सकता है। नीरज भी अपनी जीत का दावा कर रहे है। दरअसल ओपीएस और सत्ता विरोधी लहर भी उनकी उम्मीद का बड़ा कारण है। बहरहाल असल नतीजा आठ दिसम्बर को सामने आएगा और तब तक दावों का सिलिसला भी जारी रहेगा।