क्या भरमौर में इस बार बदलेगा रिवाज ?
प्रदेश की सियासत में डॉक्टरों का चुनाव लड़ना पुराना रिवाज रहा है। कई मौकों पर डॉक्टर मरीजों की नब्ज जांचते जांचते चुनावी बैटल फील्ड में उतरे है। 2017 में आईजीएमसी के डॉक्टर राजेश कश्यप वीआरएस लेकर सोलन से चुनाव लड़े थे और अब फुल टाइम पॉलिटिशियन बन चुके है। वहीं इस बार तो आईजीएमसी के एमएस रहे डॉ जनकराज ने वीआरएस लेकर जिला चम्बा की भरमौर सीट से चुनाव लड़ा है। प्रचार के दौरान स्टेथॉस्कोप थामे हुए डॉ जनकराज की कई तस्वीरें भी वायरल हुई। बहरहाल मतदान हो चूका है और डॉ जनकराज अब विधानसभा पहुंचने को लेकर आश्वस्त दिख रहे है। हालांकि उनकी राह आसान बिलकुल नहीं है।
जिस भरमौर सीट से डॉ जनकराज ने चुनाव लड़ा है ये कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व मंत्री ठाकुर सिंह भरमौरी का निर्वाचन क्षेत्र है। इस सीट से भरमौरी दसवीं बार मैदान में है और अब तक पांच बार जीत चुके है। 2017 में भरमौरी भाजपा के जिया लाल से चुनाव हार गए थे। वहीं इस बार उनके टिकट को युवा कांग्रेस के नेता सुरजीत भरमौरी ने चुनौती दी थी। पर पार्टी ने ठाकुर सिंह भरमौरी के अनुभव पर भरोसा जताया और उन्हें एक बार फिर मैदान में उतारा है। इस सीट को लेकर एक और रोचक तथ्य है। 1985 से लेकर यहां कोई भी पार्टी लगातार दो बार नहीं जीती और ठाकुर सिंह भरमौरी यहां एक चुनाव छोड़कर एक चुनाव जीतते आ रहे है।
अब बात भाजपा की करते है। पिछले साल हुए मंडी संसदीय उपचुनाव में भरमौर विधानसभा सीट पर कांग्रेस को लीड मिली और भाजपा पिछड़ी। माना जाता है इसका खामियाज़ा सिटींग विधायक जियालाल को भुगतना पड़ा है और इस बार भाजपा ने यहाँ जियालाल का टिकट काट कर डॉ जनकराज को टिकट दिया है। जियालाल ने बगावत तो नहीं की और भाजपा बाहरी तौर पर एकजुट भी दिखी है। पर माहिर मानते है कि यहां भीतरघात हुआ है या नहीं, ये नतीजे ही तय करेंगे। बहरहाल इस सीट पर सीधा मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच है और यहां दोनों के बीच कांटे का मुकाबला दिख रहा है।'