मंडी: ब्लास्टिंग से घरों में आई दरारें, प्रशासन और कंपनी के खिलाफ कोर्ट जाएंगे प्रभावित

डिंपल शर्मा/धर्मपुर-मंडी: हिमाचल प्रदेश: सरकाघाट उपमंडल के सज्जाओ पंचायत के भेड़ी गांव में अनियंत्रित ब्लास्टिंग से डेढ़ दर्जन घरों को नुकसान पहुंचने के मामले में ग्रामीणों का गुस्सा भड़क उठा है। हिमाचल किसान सभा की शिकायत पर हुई जांच के बाद प्रशासन द्वारा कंपनी को क्लीन चिट दिए जाने से नाराज़ ग्रामीण अब कंपनी और प्रशासन के खिलाफ कोर्ट जाने की तैयारी कर रहे हैं। गत माह 11 अप्रैल को हिमाचल किसान सभा की शिकायत पर एसडीएम सरकाघाट स्वाति डोगरा ने तहसीलदार धर्मपुर की अगुवाई में एक जांच कमेटी गठित की थी। इस कमेटी ने पाड़छु से हुक्कल के बीच हुई ब्लास्टिंग से भेड़ी गांव के घरों में पड़ी दरारों की जांच की थी। 2 मई को एसडीएम की अध्यक्षता में धर्मपुर में हुई बैठक में तहसीलदार धर्मपुर ने स्वीकार किया था कि ब्लास्टिंग से घरों को नुकसान हुआ है। हालांकि, एसडीएम द्वारा जारी बैठक की कार्यवाही में घरों में पड़ी दरारों का कारण दो साल पहले हुई भारी बारिश को दर्शाया गया है, और कंपनी को क्लीन चिट दे दी गई है। ग्रामीणों का आरोप है कि यह जगजाहिर है कि घरों में दरारें ब्लास्टिंग से पड़ी हैं, न कि बारिश से।
आरटीआई से मिली जानकारी, प्रशासन पर मिलीभगत का आरोप
पूर्व ज़िला पार्षद भूपेंद्र सिंह ने आरोप लगाया है कि 2 मई को हुई बैठक की कार्यवाही और जांच रिपोर्ट उन्हें अभी तक जारी नहीं की गई है। उन्हें यह सब सूचना के अधिकार कानून (RTI) के तहत हासिल करना पड़ा है। उनका कहना है कि इससे साफ ज़ाहिर है कि प्रशासन कंपनी का बचाव कर रहा है और जांच केवल औपचारिकता पूरी करने के लिए की गई थी। भूपेंद्र सिंह ने हिमाचल किसान सभा के अध्यक्ष रणताज राणा, मोहनलाल, अमीचंद, इंद्र सिंह, नानक चंद, रतन चंद, प्रभावित महावीर, सूरत सिंह, बलबीर, भाग सिंह, बृजेश, तुलसी, मीरा, शकुंतला और अन्य ग्रामीणों के साथ मिलकर एसडीएम द्वारा हस्ताक्षरित बैठक की कार्यवाही को सिरे से खारिज कर दिया है। उन्होंने डीसी मंडी और कोर्ट में याचिका दायर करने का निर्णय लिया है। भूपेंद्र सिंह ने बताया कि 2 मई की बैठक में दर्जनों लोगों के सामने यह रिपोर्ट किया गया था कि कुल 16 मकानों में दरारें आई हैं। यही नहीं, बैठक में कंपनी प्रशासन ने यह भी कबूल किया था कि उनके पास नवंबर 2024 तक ही नियंत्रित ब्लास्टिंग करने की अनुमति थी, लेकिन वे अप्रैल 2025 तक अनियंत्रित ब्लास्टिंग करते रहे। रिपोर्ट में इसे भी दर्ज नहीं किया गया है। इसके अलावा, गासीयां खड्ड पर पुल निर्माण के लिए जो मलबा डाला गया है, वह भी बिना अनुमति के ही डाला गया है, जिसे कंपनी प्रशासन ने बैठक में स्वीकार किया था। टौरी नाले से नीचे खड्ड में जो मलबा फेंका गया है, उसे भी रिपोर्ट में दर्ज नहीं किया गया है, जबकि वन विभाग ने कंपनी के खिलाफ डैमेज रिपोर्ट काटी है। माइनिंग निरीक्षक ने भी कंपनी को नोटिस जारी किए हैं, लेकिन एसडीएम ने उन्हें भी रिपोर्ट में अंकित नहीं किया है। ग्रामीणों का कहना है कि कंपनी प्रशासन जो भी निर्देश जारी करता है, उन्हें कंपनी लागू नहीं करती है, बावजूद इसके उनके खिलाफ अभी तक कोई मुकदमा दर्ज नहीं किया गया है, जिससे साफ है कि प्रशासन कंपनी का बचाव कर रहा है। पूर्व ज़िला पार्षद भूपेंद्र सिंह ने यह भी कहा कि यहां के विधायक ने भी कंपनी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का प्रचार किया था, लेकिन उसका क्या हुआ, किसी को जानकारी नहीं है और अब वे भी एक साल से चुप हो गए हैं। इसलिए, अब हिमाचल किसान सभा और अन्य जनसंगठन प्रभावितों के साथ मिलकर कंपनी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाएंगे और प्रशासन को भी इसमें पार्टी बनाया जाएगा।