नई संसद में सेंगोल स्थापित, आइये जानते है संगोल का ऐतिहासिक महत्व

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज नए संसद भवन का उद्घाटन किया। इससे पहले पीएम मोदी ने अधीनम (संतों) की मौजूदगी में ऐतिहासिक 'सेंगोल' को स्थापित किया। उद्घाटन से एक दिन पहले तमिलनाडु से आए अधीनम ने इस ऐतिहासिक राजदंड को पीएम मोदी को सौंपा था।
सेंगोल तमिल शब्द सेम्मई से बना है, इसका अर्थ होता है- नीतिपरायणता। नई संसद में स्थापना के बाद अब सेंगोल को देश के पवित्र राष्ट्रीय प्रतीक के तौर पर जाना जाएगा। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि ब्रिटिश हुकूमत की तरफ से भारत को हस्तांतरित किए गए सत्ता के प्रतीक ऐतिहासिक ‘सेंगोल’ को नए संसद भवन में स्थापित किया जाएगा। ‘सेंगेाल’ अभी प्रयागराज के एक संग्रहालय में रखा गया था ।
तमिलनाडु का चोल साम्राज्य भारत का एक प्राचीन साम्राज्य था। तब चोल सम्राट सत्ता का हस्तांतरण सेंगोल सौंपकर करते थे। भगवान शिव का आह्वाहन करते हुए राजा को इसे सौंपा जाता था। नेहरू को राजा गोपालचारी ने इसी परंपरा के बारे में बताया। इसके बाद पंडित जवाहरलाल नेहरू ने सेंगोल परंपरा के तहत सत्ता हस्तांतरण की बात को स्वीकार किया और तमिलनाडु से इसे मंगाया गया। सबसे पहले लॉर्ड माउंट बेटन को ये सेंगोल दिया गया और फिर उनसे हत्तांतरण के तौर पर इसे वापस लेकर नेहरू के आवास ले जाया गया। जहां गंगाजल से सेंगोल का शुद्धिकरण किया गया। उसके बाद मंत्रोच्चारण के साथ नेहरू को इसे सौंप दिया गया।
बताया जाता है कि प्रयागराज म्यूजियम में यह गोल्डन स्टिक पहली मंजिल पर बनाई गई नेहरू गैलरी के एंट्रेंस गेट पर बने शोकेस में रखी गई थी। इस गैलरी में पंडित नेहरू के बचपन की तस्वीरों से लेकर उनके घरों के मॉडल ऑटो बॉयोग्राफी और उपहार में मिली हुई तमाम वस्तुएं रखी गईं हैं। केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के निर्देश पर यह सेंगोल तकरीबन 6 महीने पहले 4 नवंबर 2022 को प्रयागराज म्यूजियम से दिल्ली के नेशनल म्यूजियम भेज दी गई थी।